सम्पादकीय लघुकथा के प्रति एक सोच साहित्य समाज का दर्पण होता है। यह सबने सुना है । परन्तु समय का प्रतिनिधि भी करता है। इसी सोच के साथ " लघुकथा - 2018 " का सम्पादन का निर्णय लिया है। नये पुराने सभी लघुकथाकारों एक - एक लघुकथा के साथ मौका दिया गया है। सभी लघुकथाकारों की पृष्ठभूमि अलग अलग होती है। अलग-अलग सोच के कारण लघुकथा की विषयवस्तु व लेखन की तकनीक विभिन्न तो होगी। इन सब को एक साथ पेश करने का प्रमुख उद्देश्य यही है। लघुकथा - 2018 में 15 से अधिक राज्यों के लघुकथाकारों को शामिल किया गया है। इसके पीछे सबको एक साथ पेश करने का उद्देश्य है। लघुकथा की सार्थकता आप सब की विवेचना पर निर्भर करता है। इस आशा के साथ ........। - बीजेन्द्र जैमिनी ...