क्या व्यक्ति की अभिव्यक्ति देश से ऊपर है ?

देश के खिलाफ कोई भी अभिव्यक्ति कभी भी स्वीकार नहीं हो सकती है । व्यक्ति स्वतन्त्रण अवश्य है । परन्तु देश के खिलाफ अभिव्यक्ति को देशद्रोह के अंर्तगत आता है । यही हम सब को समझना चाहिए । " आज की चर्चा " में आये पेश हैं :- व्यक्ति- व्यक्ति से देश बनता है न कि किसी एक विशेष व्यक्ति से। देश हमें सब कुछ देता है। व्यक्ति की अभिव्यक्ति देश से ऊपर कैसे हो सकती है? हां यदि उसके विचार संपूर्ण देश के हित में हैं तो उन महत्वपूर्ण विचारों पर अवश्य अमल होना चाहिए परंतु दुर्भाग्य है हमारे देश का जिसमें भ्रष्टाचार,रिश्वतखोरी व स्वार्थपन कूट- कूट के भरा पड़ा है। - संतोष गर्ग, मोहाली (चंडीगढ़) जन्म के साथ ही व्यक्ति , एक नागरिक भी बन जाता है। जो उसे जीवनयापन की स्वतंत्रता तो देता हैं, साथ ही नागरिक होने के अधिकार देते हुये उसे देश के तय किये हुये संवेधानिक नियमों और मूल्यों के दायरे में रहने की हिदायतें और दायित्वों को ...