"वक्त के दिन और रात
वक्त के कल और आज
वक्त की हर शै गुलाम
वक्त का हर शै पे राज "
जाहिर सी सच्चाई है कि वक्त सदैव बदलता है--वक्त सदैव एक सा नहीं रहता। प्रकृति चोला बदलती है--ऋतुएँ बदलती हैं--सृष्टि का हर कण बदलता है। तो सृष्टि की अनुपम रचना इंसान क्योंकर नहीं बदलेगा - - कैसे नहीं बदलेगा। निःसंदेह वक्त बदलता है और वक्त के साथ संगी साथी मित्र दोस्त अपने पराये बदलते हैं और इस बदलाव के साथ जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आसपास के लोगों का बदलता व्यवहार बहुत कुछ सिखा जाता है। कहीं यह बदलाव सकारात्मक ऊर्जा और सीख देता है तो कहीं यह बदलाव नकारात्मक विचार से मन को व्यथित विचलित कर देता है। ये अवसर इंसान को कई पाठ पढाते हैं जो जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं। तात्पर्य यही कि बदलते वक्त और बदलते लोग जरूरी भी होते हैं क्योंकि वक्त सदैव एक सा नहीं रहता है। इंसान को हर वक्त के साथ चलने और निभाने की कोशिश करना चाहिए कि "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"
- हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर - महाराष्ट्र
जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा, श्री कृष्ण जी ने कहा था। वर्तमान में सब कुछ बदल गया है, चाह कर भी उदेश्य का पालन नहीं कर सकते। इतने जल्दी बदलता वक्त और बदलते लोग, सोचा भी नहीं था किस तरह से अपनी वाणी तंत्र का उपयोग करते है, समझ में ही नहीं आता है, हम उनके गुणों से प्रभावित होते चले जाते है, जीवन में बहुत कुछ परिस्थितियां सिखाती है। अशिक्षित से शिक्षित तो हो गए, लेकिन व्यवहारिकता पूर्व जैसे नहीं रही। स्वभाव में नम्रता दिखाई नहीं देती, अगर हम सोचे दो-चार दिन किसी के यहाँ जाकर समय बिताये, लेकिन ऐसा हो ही नहीं पाता, किसी के पहुंचों तो अपनी ही किस्सा कहानी सुनाने बैठ जाता है, साथ ही पूछ भी लेता है, कब तक जाने वाले हो। कुछ देर बाद बाहर से नाश्ता पानी आया, शिष्टाचार खतम, बिदाई की रश्म प्रारंभ, मन चाहकर भी रुक नहीं पाता, अपने गंतव्य की ओर अग्रसर हो जाता है.....
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट- मध्यप्रदेश
बहुत ही सुंदर विषय है। बहुत दूर क्यों जाना... इस विषय को छुती हुई घर घर की कहानी है। आज के दौर में यह नई बात नहीं है। माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर योग्य बनाते हैं। उनके भविष्य के लिए, उनकी उच्च शिक्षा के लिए अपनी रही सही पूंजी लगा अपने भविष्य को( शेष जीवन को) भी दांव पर लगा देते हैं किंतु अंत में वह अपने परिवार को ले दूर बसेरा करता है। माता-पिता उनकी खुशी देखकर ही संतोष कर लेते हैं। मैं यह नहीं कहती सभी ऐसे हैं किंतु आज की स्थिति को देखते हुए बिरले ही माता पिता के पास है। अपनी आजादी के लिए वृद्धाश्रम में छोड़ जाते हैं या उन्हें अकेले ही रहना पड़ता है। बेटा-बहू नौकरी करते हैं अतः समया-भाव के चलते भी ऐसा होता है। कहीं पहले ही संतान को अपनी संपत्ति का वारिस बनाने से यह अवस्था आती है। सहारे की जरूरत होती है तब उनके पास कोई नहीं होता ।यही सब बातें जीवन में हमें बहुत कुछ सिखाती है। दूसरों से मिला धोखा तो सहन हो जाता है किंतु अपनों से मिली पीड़ा असहनीय होती है।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
जीवन सीखने की चीज़ है ,जब तक ये जीवन है तब तक हम रोज कुछ न कुछ सीखते रहते हैं. चाहे बदलते वक़्त से सीखें या बदलते लोग से. हमेशा वक़्त एक जैसा नहीं होता है. वक़्त बदलता रहता है और हरपल हमें कुछ न कुछ सीखाता रहता है. वक़्त हमें सीखाता है कि किस मौसम में किस समय क्या करना चाहिए उसी के सीख के अनुसार हम सब कार्य करते हैं. ठीक उसी तरह बदलते लोग भी हमें बहुत कुछ सिखाते हैं. जैसे अच्छे लोग अच्छा सिखाएँगे तो बुरे लोग बुरा सिखाएँगे.लोग बदलते हैं विचार बदल जाते हैं तो उसके साथ सीख भी बदल जाती है. किताबों से तो हम किताबी बातेँ ही सीखते हैं. पर वक़्त और लोग ही हमें दुनियादारी सिखाते हैं. दुनिया के व्यक्ति से हम कुछ न कुछ तो सीख ही लेते हैं. इसलिए हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि बदलता वक़्त और बदलते लोग जीवन में बहुत कुछ सिखाते हैं.
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
सही है ...जब वक्त बदलता है , लोग भी बदल जाते है !इस उक्ति के अपवाद बहुत कम मिलते हैं इस मतलबी दुनियां मैं ! जब व्यक्ति के पास संपत्ति , साधन , सुख सुविधाएं , सत्ता , ऐश्वर्य होता है तो लगभग सब लोग पंक्ति मैं खड़े होते हैं , जीने मरने की कसमें खाते है !! कब तक ??जब तक सुख भोगने के साधन होते हैं किसी के पास !! जैसे ही समय बदलता है , लोग साथ छोड़ देते है, ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सींग!!बदलता वक्त सिखाता व समझाता है कि कौन अपना है और कौन पराया !! यदि वक्त न बदले तो ऐसे दोगले ,मौकापरस्त व मतलबी लोगों की पहचान कैसे हो !! ऐसे लोगों का बदलता व्यवहार यह सीख देता है कि किसपर भरोसा करना चाहिए और किसपर नहीं !! बदलता वक्त ऐसे लोगों को पहचानने , चिन्हित करने की सबसे अचूक कसौटी है !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
बिल्कुल सही कहा है आपने, यही तो मानव जीवन की सच्चाई है। बदलता वक्त एक आईना है जिसमें तेजी से बदलते लोगों के चेहरे बिना किसी मुखौटे के नज़र आ जाते हैं। बदलते वक्त के साथ बदलने वाले लोग हमारे लिए एक सबक की भांति होते हैं कि हम समय रहते सम्भल जाएं और उनसे दूरी बना लें। यदि हम समय रहते नहीं सम्भलते हैं तो यह हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह नुकसान शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी भी रूप में हो सकता है। जो लोग वक्त के साथ नहीं बदलते हैं उन्हें ही हम अपना सच्चा हितैषी कह सकते हैं।परिवर्तन संसार का शाश्वत नियम है, यदि बदलते वक्त के साथ साथ हम स्वयं को भी नहीं बदलते हैं तो यह हमारे लिए नुकसानदायक होगा। हम जीवन की रेस में पिछड़ जायेंगे।
- संजीव दीपक
धामपुर - उत्तर प्रदेश
समय परिवर्तनशील है और समय के साथ लोग भी बदलते हैं।कभी परिस्थितियों के कारण, कभी विचारों के कारण और कभी अपने स्वार्थ या जिम्मेदारियों के कारण।वक्त से हम धैर्य, संघर्ष और अनुकूलन करना सीखते हैं। वहीं बदलते लोग हमें यह सिखाते हैं कि रिश्तों को केवल शब्दों से नहीं, बल्कि समझ और भरोसे से निभाना पड़ता है।दरअसल, बदलता वक्त और बदलते लोग जीवन की पाठशाला हैं। ये हमें यह समझाते हैं कि कोई भी परिस्थिति स्थायी नहीं है और न ही कोई रिश्ता अपनी एक ही अवस्था में हमेशा टिका रहता है। जो इन बदलावों को स्वीकार कर लेता है, वही जीवन की राहों पर सहजता और शांति के साथ आगे बढ़ पाता है।
- सीमा रानी
पटना - बिहार
आज का विषय निश्चित रूप से इस बात को स्वीकार करने की और इंग्गित करता है की समय सब कुछ सीखा जाता है।बढ़िया आनंद है । वक्त बदलता है अपने पराए हो जाते हैं, समय-समय पर हम भी कभी किस पर विश्वास करते हैं कभी उन्हें पर विश्वास करने लग जाते हैं। समय परिवर्तनशील है। बदलते लोग जीवन में बहुत ही सीखा जाते हैं और हमें उनसे हमेशा सीखना चाहिए।जीवन में उतार-चढ़ाव तो आता है हमें समय सीखना है धैर्य रखना, समस्याओं का सामना करना, और भी बहुत कुछ समय सिखा देता है। समय के साथ सीखना, बदलाव का सामना करना और आगे बढ़ते रहना यही हमारा ध्येय होना चाहिए। अंत में यही कहूंगा की बदलते वक्त और बदलते लोग सिख अवश्य देते हैं, हमें अच्छे बुरे का फर्क खुद सोचना है।।
- रविंद्र जैन रूपम
धार - मध्य प्रदेश
मेरी सोच कल आज और कल* चोट चाहे जितने ख़ंजर दिलों लगे शब्द वाणी में शहद घोल जाइये दिल के ज़ख्मों को हवा ना दीजिये मलहम लेप लगा राहत दिलों में बसा जाइये कल कष्ट प्रद ,आज बेहतर ,कल सर्वोत्तम , कल के बदलते समय परिवेश में बड़े बुजुर्गों का होना बहुत जरूरी है!जो वक्त के साथ अपने तजुर्बे से आगाह करते बच्चों युवाओं संस्कार की शिक्षा देते कहते हम जो भी कह रहे है ! हमे जो कष्ट हुए वो तुम्हे ना हो ,वो तुम्हारी अच्छाई के लिए करोगे तो अपने लिए नहीं करोगे तो भी अपने किसी के अच्छा बुरा कहने से आप अच्छे बुरे नहीं होते ! स्वयं का आत्मनिरीक्षण सलाह जरूरी है ! कोई बाते बुरी है तो दिल से ना लगाएं शरीर के मैंल की तरह वक्त के साफ़ हो जाते है ऑर दुगने उत्साह से लक्ष्य की और अग्रसर हो जाते हैं ! आज में सफल हो आप उदाहरण बन अपनी गरिमा स्थापित हो जाती हैं! जैसे राष्टपति भवन में कलाम जी के लिए अलग से खाने की व्यवस्था की उन्होंने सभी कर्मचारियों के साथ मिलकर खाना खाया ऐसे बहुत से उदाहरण है रतन टाटा जैसे ये बाते भी अक्षरशःसत्य है समय सबको दिखाता है !आज ही हमे सीखना जो जैसा करता उसे वैसा ही फल मिलता है ! कल ज़्यादा बेहतर बनाना जानते है आज के बच्चे युवा ज़्यादा कुशाग्र बुद्धि के है वो हर रिश्तों में पारदर्शिता चाहते है!संवादहीनता नहीं चाहते ! उनकी शिकायत ग़लत नहीं है आधुनिकता प्रतिस्पर्धा की दौड़ में दौड़ना सिखाया पूरी तरह बुजुर्गों का ध्यान रख उनकी दबी आकांक्षाओं को पूरा करने जी जान लगा देते है ! संघर्ष वो कर सिखाते है ! किसी भी स्थिति में ज्यादती नहीं होनी चाहिये !आज की युवा पीढ़ी स्वयं लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ते है !जरूरत कल बेहतर बनाने भारतीय सभ्यता संस्कृति सिखाना है !हमारा देश पाश्चात्य संस्कृति की अच्छाई को ले ! विश्व गुरु बन जाए!
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
वक्त बदलता है, बदलते इंसान हैं, जो थामते थे कभी हाथ अपने बनकर बही बनते आज अनजान हैं, देखा जाए बदलाव प्रकृति का एक स्वाभाविक नियम है, इसलिए वक्त के साथ हर जीवित चीज को बदलना पड़ता है जबकि वक्त और इंसान दोनों ही एक दुसरे के साथ बदलते रहते हैं क्योंकि हकीकत का एहसास होने पर भी लोग बदलते नजर आते हैं जीवन की सच्चाई जब सामने आती है तो धोखा, फरेब, असफलता, अपनों का असली चेहरा देख कर लोगों का बदलना संभव हो जाता है, आज के विचार की बात करें बिल्कुल सत्य है कि बदलता वक्त और बदलते लोग जीवन में बहुत कुछ सिखाते हैं, क्योंकि वक्त और इंसान समय के साथ साथ सीखते हैं और अनुभव प्राप्त करते हैं जिनसे उनके विचारों, प्राथमिकताओं और दृष्कोणों में बदलाव आता है और कई बाहरी परिस्थितियां भी इंसान को बदलने में मजबूर कर देती हैं तथा बदलाव के लिए प्रेरित करती हैं जिससे समय के साथ नए अनुभव नई जानकारी और सोच समझ विकसित होती है और इंसान अपने रास्तों को खुद चुनकर बदलाव लाता रहता है, देखा जाए समय अपनी गति के साथ चलता है लेकिन समय के साथ लोगों का स्वभाव उनका व्यवहार बदल जाता है तभी कहा है वक्त नही बदलता अपनों के साथ लेकिन अपने बदल जाते हैं वक्त के साथ सत्य भी है जैसे जैसे समय बदलता है लोग अपने स्वार्थ के कारण अपना व्यवहार बदल लेते हैं, आजकल की दौड़ धूप में रिश्ते खौखले होते जा रहे हैं जबकि फीके पड़ गए हैं यही कारण है कि बदलता वक्त और बदलते लोग हमें कई महत्वपूर्ण सबक दे जाते हैं जैसे नई परिस्थितियों में ढलने के लिए तैयार रहना, बदलते वक्त में धैर्य रखना, बदलते लोगों के साथ ताल मेल बिठाना, अपने संबंधों को बनाये रखने और मजबूत रखने का प्रयास इत्यादि इसके साथ साथ जब लोगों का अंहकार और स्वार्थ की भावना विकसित होती है तो इंसान की परिस्थितियां बदल जाती हैं जिनसे जीवन उन्हें महत्वपूर्ण सबक सिखाते हुए बदलने पर मजबूर कर देता है, अन्त में यही कहुँगा कि बदलता वक्त और बदलते लोग कभी किसी के नहीं हो सकते मगर जिंदगी के सफर में कहीं धूप कहीं छांव है, पल पल बदल रहा है इसके साथ साथ लोगों का रोज नया स्वरूप बदल रहा है जो हमें सीखने का अवसर प्रदान कर रहा है।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
समय लगातार बदलता है, परिस्थितियाँ बदलती हैं। कभी सुख, कभी दुःख, कभी अवसर, कभी चुनौती। यह हमें अनुकूलन और धैर्य सिखाता है। समय के साथ हम सीखते हैं कि किस परिस्थिति में क्या करना चाहिए और कब संयम रखना चाहिए। हमारे जीवन में लोग आते हैं और जाते हैं। कभी कोई मित्र या साथी दूर चला जाता है, कभी कोई नया व्यक्ति हमारी ज़िंदगी में नया दृष्टिकोण लेकर आता है। ये बदलाव हमें संबंधों की वास्तविकता, समझदारी, सहानुभूति और लोगों के प्रति संतुलन सिखाते हैं।बदलता वक्त और बदलते लोग हमें जीवन के मूल्य, धैर्य, समझदारी और निर्णय क्षमता सिखाते हैं। यह अनुभव हमें मानसिक रूप से मजबूत और परिपक्व बनाता है।इस विचार को एक छोटी प्रेरक कहानी के रूप में समझते हैं- बदलती धाराएँ। अमन बचपन से अपने गाँव के पास बहती नदी को देखकर प्रेरित होता था। वह सोचता—“यह नदी हर रोज़ नई दिशा में बहती है, कभी तेज, कभी धीमी।” समय के साथ, गाँव में लोग भी बदलते गए। जो मित्र कभी पास थे, आज दूर चले गए; कुछ नए दोस्त आए, जिन्होंने नए विचार और दृष्टिकोण दिए।अमन ने महसूस किया कि नदी की तरह जीवन भी लगातार बदलता रहता है। समय और लोग हमें कभी खुशी, कभी चुनौती देते हैं। यही बदलाव हमें धैर्य, समझदारी और निर्णय क्षमता सिखाता है।अंततः उसने सीखा—“जो बदलता है, वही हमें जीने और सीखने का अवसर देता है।”
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जीवनयापन के लिए हमारी अनेक आवश्यकताएं होती हैं।जिसके बीच से हमारा व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन गुजरता है। इस जीवनयापन में हमारे सगे-संबंधी, मित्र,पड़ोसी ,व्यवसायी एवं अपरिचित अनेक लोग होते हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे सहयोगी होते हैं। इस मध्यस्थता में जो अदृश्य डोर होती है वह है मानवता की,भरोसे की। जिसके आधार पर हम एक-दूसरे से सहयोग प्राप्त करते हैं। जीवन का मर्म इसी सहयोग और मानवीय समझ के परिपालन में निहित होता है। निश्छलता से किये गए और छल से किये गए सहयोग में ही, बदलते वक्त की तस्वीर और बदलते लोगों की तासीर नजर आती है। आज के समय में हमारी आवश्यकताओं में जो सहजता और सरलता का उद्भव और फैलाव हुआ है, उससे हम अपने श्रम और उसमें लगने वाली समयावधि को कम करने में सक्षम तो हुए हैं परंतु इस सक्षमता में हमें जो लोगों की स्वभावगत संकीर्णता झेलनी पड़ रही है, वह कष्टप्रद है। इंसानियत, नेकी, निष्ठा, निश्चलता, निश्छलता, प्रेम, विश्वास,त्याग, सौहार्द्र सब कुछ सुख-सुविधा के साधनों से लदे बाजार से गायब हो गया है या यूँ मानें शनैः शनै: खत्म होता जा रहा है। यही बदलता वक्त और बदलते लोग हैं जो जीवन में बहुत कुछ सिखाते हुए हमें सजग भी कर रहे है और सशक्त भी। बुजुर्ग इस बदलाव को खुली आँखों से देख पा रहे हैं यानी उन्हें यह फर्क साफ नजर आ रहा है। उनके अनुसार हम समृद्ध तो हुए हैं परंतु इसकी तुलना में हम चारित्रिक विशेषताओं में कमजोर हुए हैं। हमारी कार्य प्रणाली में नैतिकता और इंसानियत का अभाव हो रहा है।हम स्वार्थी,लालची और निष्ठुर होते जा रहें हैं, यह पक्ष हमारे बदलाव में चिंतनीय है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव,
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
वास्तव में बदलता वक्त और बदलते लोग जीवन के लिए महत्वपूर्ण बातें सीखा देते हैं।इंसान के जीवन में कब किसका समय बदल जाए।किसी ने नहीं देखा है।कुछ लोग बदल जाते हैं।मुसीबत में लोगों को धोखा दे देते हैं, लेकिन उन्हें वैसा नहीं करना चाहिए।समय पर जो साथ दे,नई सीख दे,वहीं काबिल इंसान होता है।
ReplyDeleteदुर्गेश मोहन
बिहटा, पटना (बिहार)
(WhatsApp से साभार)