मृत्यु और मैं

           कवि : डा. दर्शन लाल 'आजाद '
           प्रकाशक : आफताब विचार मंच
                     पानीपत - 132103
                       हरियाणा - भारत

      अभी हाल में प्रकाशित काव्य संग्रह में 127 कविताएं दी गई है। जो चार भागों में बांट रखीं है। पहले भाग में मृत्यु के अन्तर्गत 50 कविताएं हैं। दूसरें भाग में आत्मा के अन्तर्गत 44 कविताएं हैं। तीसरे भाग में विशेष कविताएं में 14 कविताएं हैं। चौथे भाग में धर्म और मजहब में अन्तर में 20 कविताएं हैं।
      पुस्तक में सबसे पहले " संसार में मृत्यु की पहली घटना " पर लेख खुद कवि ने लिखा है। लेख में कवि ने " मृत्यु की पहली घटना " पर काफी कुछ लिखा है । वास्तव में हर इंसान मृत्यु पर सोचता अवश्य है। यहीं कवि की मनोदशा दिखाई देती है। पानीपत भाजपा के प्रमुख वक्ता श्री देवेन्द्र दत्ता ने पुस्तक पर अपने भाव दिये है जो कवि को शुभकामनाएं के रूप में दिये है। वहीं डा. कुसुम धीमान ने भी अपने भाव पुस्तक में दिये है जिसमें कविताओं के साथ साथ कवि के लेख पर भी अपने भाव दिये है। श्री जगदीश चन्द्र वसू ने भाव में स्पष्ट किया है कि हमारा शरीर 17 पदार्थों से बना है जिस में पांच ज्ञानेन्द्रिया आंख,कान,नाक, जिव्हा, त्वचा , पांच कमेन्द्रिया हाथ,पैर, वाणी,गुदा,उपस्थ, पांच भौतिक तत्व अन्नि,जल, वायु, पृथ्वी,और आकाश , एक मन व एक आत्मा है शरीर में इन सबका अपना अपना महत्व है इन सत्रह पदार्थों के बिखर जाने ही मृत्यु है । ऐसा श्री जगदीश चन्द्र वसू ने स्पष्ट किया है। श्री सुभाष भाटिया ने भी अपने भाव रखें हैं मुर्गी पहले या अण्डा जैसे प्रश्न के माध्यम से मृत्यु को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। विधिश्री पवन चौधरी मनमौजी ने अपने भाव में स्पष्ट किया है कि मनुष्य भूल चूक का पुतला है । जीवन जितना कोमल है मृत्यु उतनी कठोर है।
      कवि ने कविताओं में आध्यात्मिक के अनेक रूपों को पेश किया है। जैसे जीवन के अंतिम क्षणों में अनेक तरह की अनुभूति होती है उसी तरह मृत्यु के अनेक रूप सामने दिखाई देता है ऐसा पुस्तक को पढ़ने पर महसूस होता है। गांव के बाहर खंडहर कविता में मृत्यु के बाद जैसी स्थिति को महसूस कर सकते हैं। आत्मा की आवाज कविता में ऐसा लगता है जैसे पुराने जमाने में किसी ऋषि को जीवन जीने के लिए ध्यान की कोई पद्धति मिल गई है और आगे के  जीवन में आनंद ही आनंद मिल रहा है। योगी से मुलाकात कविता में कवि ने आत्मा के दर्शन करवा दिये है जबकि सभी के शरीर में आत्मा है परन्तु आत्मा के दर्शन कविता में होते हैं। ईश्वर एक ऊर्जा एवं शाक्ति है कविता में आत्मा के स्वरूप को पूर्ण रूप से स्पष्ट कर दिया है। पुस्तक के अन्तिम भाग में धर्म विशेष मजहबों में अन्तर में अनेक कविताएं ऐसी है जो वर्तमान के हालात का विवरण पेश कर रही है।
      पुस्तक आफताब विचार मंच, पानीपत द्वारा प्रकाशित है। इसलिए मंच के अधिकारियों एवं सदस्यों के  प्रथम कवर पेज के बेक में फोटो लगे हैं। अन्तिम कवर पेज के अन्दर मंच के साहित्य प्रेमी एवं मार्ग दर्शक के फोटो लगे हैं। पुस्तक के अन्त में विशेष आभार दिया गया है जिसमें डा. कुसुम धीमान, चमन लाल आर्य, वीरेन्द्र जी सिंगला, हरि ओम तायल, ईश्वर जी आर्य, आत्म प्रकाश आर्य, सुरेश जी आर्य, डा. जसवन्त सिंह, महिन्द्र जी मनोचा, ओम प्रकाश तागरा, मदन लाल नारंग, नरेन्द्र जी आर्य, अजय डावर, हरीश चन्द्र आर्य, चेतन्य अरोड़ा, ज्योति अरोड़ा, सीमा अरोड़ा, राणा प्रताप गन्नौरी, दीप चन्द निर्मोही, कृष्ण लाल मोंगा, अजीत दीवाना आदि के नाम दिये गये है। कवि साधुवाद के पात्र है।
                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
                                    मो. 9355003609

     
          

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