2022 के अवसर पर फेसबुक कवि सम्मेलन

नये साल के अवसर पर कुछ ना कुछ होना चाहिए । इसी उद्देश्य से जैमिनी अकादमी द्वारा एपिसोड - 30 वाँ कवि सम्मेलन को ब्लॉग के माध्यम से फेसबुक पर रखा गया । समय भी बारह घण्टे का तय किया गया ।
विधिवत रूप से ऑनलाइन कवि सम्मेलन शुरू हुआ । जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के कवियों ने भाग लिया । विषय अनुकूल रचनाओं को पेश का फैसला लिया है । जो इस प्रकार है : - 

                      आने वाले साल में
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ना पूछिए मुझसे हाल हमारा..
बीता साल  कुछ कह ना सकूं..
सुखद घड़ियां नहीं रहीं..
अपनों को खोया हमने..
छोड़ गये हमारे अपने बारी बारी ..
बिछड़ गए अपनों से सब..
याद कर अब आंखों में आंसू..
आने वाले साल में..
उम्मीदों का आसमान सजाया ...
सभी के लिए दुआ करें..
जीवन सुखमय सुरक्षित हो..
सुख दुख की चादर तान.. 
ओमि क्रॉन दिल दहलाया..
 बमुश्किल उबर रह थे..
आंखों के आंसू पोंछ..
जीवन कब रुकता है..
आना जाना जग की रीत..
कुछ संशय कुछ आस लिए..
उम्मीदों का आसमान सजाया..
जीतेगें हम सब अबकी बार..
वैक्सीनेशन  सभी ने करवाया है..
जीवन सुरक्षा चक्र बना वैक्सीन..
साठ साल के ऊपर बूस्टर डोज..
आने वाले साल में सभी..
अपनी सुरक्षा अपना ध्यान रखें..
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हम सब..
खान पान संतुलित पौष्टिक आहार लें..
मास्क लगाएं दो गज दूरी का पालन..
उम्मीदों का आसमान सजाया..
आत्मविश्वास ही जीत जगत में..
 आने वाले साल में..!!
                                - आरती तिवारी सनत
                                          दिल्ली
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                        नववर्ष 2022
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 आह्वान , मेरा  आओ नया हवन कुण्ड बनायें 
 पवित्र अग्नि में लालच, ईर्ष्या ,कपट जलायें 
 आहुति दें हम , सृजन कर वेद की नयी ऋचायें 
 गूँज से जिनकी सारा , व्रहमांड  भी हिल जाये 
 इन्द्र  न रोक सकें घटायें , बादल भी घिर आयें 
 धरती की तप्त अगन को ,अब फुहारें ही बुझायें 
 झर -झर बरसे नीर  , चहुँ ओर फ़सल लहलायें 
 कृषक के न बहें अब ऑंसू मस्ती में आल्हा गायें 
आहुति के प्रत्येक मंत्र से निकले  अब सुरीली तान 
हम सब भारतवासी मिलकर बढ़ायें राष्ट्र का मान 

                    - निहाल चन्द्र शिवहरे 
                       झॉंसी - उत्तर प्रदेश
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              दो हजार बाइस तुम आओ
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स्वागत तुम्हारा वर्ष दो हजार बाइस तुम आओ, 
प्रथम दिन की प्रथम किरण से ज्योतिर्मय हो जाओ। 
मेघा बरसे प्रभा की धरा पर, जग भर दीप्तिमय हो, 
तिमिर छंट जाये मन का मस्तिष्क को प्रज्ञा दे जाओ।। 

कर अभिनन्दन तुम्हारा यही कामना है हृदय में हमारे, 
वर्ष 2021 की चोटों का दर्द न आये संग में तुम्हारे। 
तुम्हारा क्षण-प्रतिक्षण, दिन-प्रतिदिन सौभाग्यमय हो, 
चहुं ओर बिखरे उष्मा ओज की, स्वर्ग धरा को निहारे।। 

अपार आकाँक्षायें 2022 तुमसे सारा जग रखता है, 
नववर्ष शुभ हो हर कोई यह मंगल कामना करता है। 
तुम केवल वर्ष ही नहीं मानव जीवन-पथ के साथी हो, 
ना लगे तुम पर दाग ये आकांक्षा जन-जन रखता है।। 
                               - सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
                               देहरादून - उत्तराखंड
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                           नव वर्ष
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नव वर्ष है_मनुष्यों के हर्ष का,
खुशियों के उत्कर्ष का।
लोगों के जीवन दान का,
विकास ज्ञान_विज्ञान का।
   नव वर्ष है_शिखर पर पहुंचने का,
   रिकार्ड कायम करने का।
   दुश्मन को ध्वस्त करने का,
   सपनों को साकार करने का।
नव वर्ष के मुबारक की
याद आती हैं।
इंसानों  की खुशियों का इजहार 
कराती है।
नव वर्ष खुशियां प्रदान करे_
   यही मेरी दुआ है, यही मेरी आरजू है।
   यही मेरी शुभकामना है, यही मेरा संदेश है।
   यही मेरी खुशियों का संदेश दिलाती है।
  यही मेरी कार्य हेतु आदेश दिलाती है।
यही मेरी मार्ग दर्शक है।

चरणों की जन्मदात्री है।
मेरी मूक आवाज़ को भी
संजीवन बूटी प्रदान करती है।
                                       - दुर्गेश मोहन 
                                    समस्तीपुर - बिहार
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                     यारो इक्कीस बाईस अभी
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वक्त रोके रुका ना किसी के कभी
ये गया यारो इक्कीस बाईस अभी
ले मजा जिंदगी के न कल है कभी
ये समां है अभी न रहेगा कभी

चाँद-तारों की महफिल सजी है यहाँ  
प्यार वालों कोई कमी न यहाँ  
जो मिलेगा यहाँ वो मिले न कभी

मुस्कुराता हुआ हर एक चेहरा यहाँ  
फूल से खूबसूरत है यारा यहाँ  
जो खिला फूल फिर न खिले वो कभी

धूप भी है यहाँ छाँव भी है यहाँ  
गम का मारा बताओ न होता कहाँ   
जो उजाला यहाँ  न रहे न कभी

दीप कितने उतारे नदी में यहाँ  
जगमगाता है जैसे अम्बर यहाँ  
जो जला है दीया वो जले न कभी
                                    - विनोद नायक
                                   नागपुर - महाराष्ट्र
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                         चंचल इठलाहट 
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आज मैं रूठी हूँ
निठुर आरसी
रीझ उठता था
हल्की सी स्मित पर
मुग्ध नजरों से
निहारता था मुझे
क्यों नजरें चुराने लगा है
सच, बदल क्यों गया है?

रोक ही क्यों न सकी
वक्त की अदृश्य लेखनी
यूँ फिरती रही मुझपर
इबारतें तकरीर बन गईं
नन्हें अस्तित्वहीन पल
कब अंधड़ बनकर
मुझे अनवरत समझौतों में
लपेटते चले गये?

जो किताबों को नहीं पता था
कोई सिखा नहीं पाया था
नितांत निजी 
अनुभवों की गठरी
उस गई लुनाई के बदले
जर्जर आँखों को नई दृष्टि
जीवन का सार
जीवन ने समझाया था!

फिर अचानक 
क्यों मुस्कुराने लगा आरसी
रीझी नजरों से निहार रहा है
मेरे काँधे पर चिबुक धरे
नई पीढ़ी की चंचल इठलाहट 
नवीनता का आगाज मनोहर
झोली भर आशाएँ और सपने
ले नया साल - 2022 आया है!
                            - श्रुत कीर्ति अग्रवाल 
                                  पटना - बिहार
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                     बीता जाता जीवन
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गत वर्ष,
अकेला,मदमाता
इसको भी पंक्ति को दे दो ।
बीता जाता जीवन
पल पल
उऋंखल,चंचल ,
गम्भीर ,सजल ।
यह बीता पल
यह आत्म विह्वल
इसको भी स्मृति को दे दो ।
वह जो आएगा अनाहूत,
वह विस्मय ,वह अद्भुत,
वह रहस्यगर्भ ,
वह नववर्ष,
उसको जीवन गति को दे दो।
वह हो शुभमय,
दे आशा विश्वास नवल,
दे आत्म गौरव,
नवस्फूर्ति ,नवबल,
उसको मेरा स्वागत दे दो ।
                                   - कनक हरलालका
                                       धुमरी - असम
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                 नववर्ष का अभिनंदन
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नया काल है,नया साल है,गीत नया हम गाएँगे।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

बीत गया जो,उसे भुलाकर,
हम गतिमान बनेंगे
जो भी बाधाएँ,मायूसी,
उनको आज हनेंगे
गहन तिमिर को पराभूत कर,नव दिनमान उगाएँगे।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

काँटों से कैसा अब डरना,
फूलों की चाहत छोड़ें
लिए हौसला अंतर्मन में,
हम दरिया का रुख मोड़ें
गिरियों को हम धूल चटाकर,आगत में हरषाएँगे।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

जीवन बहुत सुहाना होगा,
यही सुनिश्चित कर लें
बिखरी यहाँ ढेर सी खुशियाँ,
उनसे दामन भर लें
सूरज से हम नेह लगाकर,आलोकित हो जाएँगे।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।
                      - प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
                             मंडला - मध्यप्रदेश
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                    नूतन वर्ष अभिनन्दन 
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चलो करें 
दो हजार बाइस के 
नूतन वर्ष का अभिनन्दन 
रह गए 
कुछ संकल्प अधूरे 
स्वप्न हुए 
कुछ कुछ ही पूरे 
फिर से कुछ संकल्प करें 
नव स्वप्नों में नव रंग भरें
रूठे हुओं को आज मना लें 
दूर हैं जो उन्हें पास बुला लें 
लक्ष्य गढ़ें कोई असाधारण
करना पूरा मानो लड़ना हो रण 
रहे दृष्टि में कोई न छोटा 
बने खरा जो लगता खोटा
रूढ़ियाँ /अंधविश्वास तजें
नए साज सजें नए राग बजें
नृत्य करे मन मयूर 
होकर मस्त करे वंदन/अभिनन्दन!
इस वर्ष ऐसे जीना 
जैसे जीना चाहते हो 
इस वर्ष वह करना 
जो करना चाहते हो 
इस वर्ष वह राह चुनना 
जिस पर चलना चाहते हो 
इस वर्ष ऐसे बनना 
जो तुम बनना चाहते हो 
इस वर्ष वह बदलना 
जिसे तुम बदलना चाहते हो
कुछ इस तरह 
बढ़ कर आगे अब करना 
नूतन वर्ष का स्वागत/अभिनंदन!!
                          - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
                              देहरादून - उत्तराखंड
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                            नव वर्ष
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दो हजार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।

परम पिता की सदा दुआ हो,
जग की सुंदर  बगिया  पर ।

दो खुशियों की शुभ सौगातें ,
सुख के  सुंदर दीप जलाकर ।

दो हजार बाइस  तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।

खिलते रहें गुलाब सदा ही ,
साँसों की अगणित शाखों पर ।

सुंदर अभिलाषाएं पूरी हों ,
नित नवल वर्ष की राहों पर ।

दो हजार बाइस तुम आओ
जग में नूतन खुशियां लाकर ।

परमपिता की सदा दुआ हो 
जग की सुंदर बगिया पर ।

आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे ,
भारत माता के  दामन पर ।

सपनों की नइया तट पहुँचे ,
नित नवल वर्ष के आँगन पर ।

दो हजार बाइस तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।

परमपिता की सदा  दुआ हो ,
उनकी सुंदर बगिया पर ।
                           - सुषमा दीक्षित शुक्ला
                             लखनऊ - उत्तर प्रदेश
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                       यह नव वर्ष
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पूरब पश्चिम चहुँओर आया नव वर्ष।
स्वर्णिम किरणें लेकर आना नव वर्ष।
हर शाख़ों पर नव पात लाना नव वर्ष।
लदी हो हर डाली फलों से ख़ुशियों का हो उत्कर्ष।

नहीं करना उन्नीस बीस का फ़र्क़।
स्वागत है बाइस का यह नव वर्ष।
छल कपट को मनुज जाओ भूल
कल-कल निश्छल मन में हो हर्ष।

प्रेम और सद्भाव से जी लो नया साल।
राग रागिनी गाए जीवन में इस साल।
कर्तव्य पथ पर पुष्प सजाकर,
सुसज्जित राह बनाओ बेमिसाल।

जूझ रहा विश्व हमारा फैली है बीमारी।
नियम कर्म से रहकर दूर भगाओ महामारी।
रुकने न पाए जीवन का पहिया,
सतर्कता से कर लो बाइस की तैयारी ।
                           - सविता गुप्ता
                            राँची - झारखंड
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                    नूतन वर्ष का स्वागत 
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बीता साल आया बाइस
गगन में कोहरे की चादर बिछाई 
फूलों ने खिल कर बगिया सजाई
करे लक्ष्य पूरे इस बरस में
चेतनाएं मुखर हो नये साल में हौसलौं मे ना हो ढिलाई 
नव वर्ष की भोर खुशी
 की सौगात लाई ।
नव वर्ष मंगलमय,
नया सवेरा
नयी उमंग 
नयी तरंग 
नए सपनों 
नए लक्ष्यों 
नयी उचाईयों
नयी आशा 
नये विश्वास के साथ .....
नयी खुशी
नयी उम्मीदों
नयी विजय पताका
जीवन हो सुखमय
जीये भरपूर रसमय
दूर हो निराशा के बादल 
विपदा होगी दूर 
बिखरेगें खुशियों की रोशनी 
रंग बिखरे, लाल गुलाल 
नववर्ष का स्वागत है ।
सब मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं।
                             - बबिता कंसल 
                                   दिल्ली
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                            नया साल
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नया साल अब आ गया,
एक नया सबेरा हो गया।
सूरज की नयी किरण के साथ,
एक आस जगाकर आ गया।

केवल साल नहीं हो तुम,
जीवन के आधार हो तुम।
हर कर्म-धर्म जुड़ा तुम से,
सभी आस लगाये हैं तुम से।।

पूरी हो मुरादें सबकी,
दुआ करूँ नव साल में।
कल की छाया भी न पड़े, 
खुशी मिले हर हाल में।।

जो बीता वक्त अतीत बना,
सदियों का  इतिहास बना।
खट्टी-मीठी यादों को,
इतिहास बनाकर चला गया।।

कुछ सबक सिखाकर चला गया,
कुछ राह दिखाकर चला गया।
हमने भी अब सीख लिया,
प्रकृति का दोहन छोड़ दिया।।

बाइस से मनुहार करूँ,
समय से गोहार करूँ।
अनाथ नहीं कोई हो,
नहीं कोई बेसहारा।।

बेघर होते देखा है,
खड़ी कतारों में देखा है।
पलायन थी जोरों पर,
मजबूरी को हमने देखा है।।

बाइस से अनुनय करूँ,
तू बड़े भ्रात को त्याग दो।
विभीषण भी त्यागे थे,
रावण छोड़ राम साथ थे।।

सतरंगी सपने दिखाना,
फिर सपने को साकार भी करना।
आस लगाये है सभी,
निराश नहीं करना कभी।।

होंठो पर मुस्कान हो सबके,
और आँखों में पनपे सपने।

जड़-चेतन सबको मिले, 
अपना-अपना हक।
रहे तंग न हाथ किसी का,
भूख, नींद भरपूर मिले।।

और अधिक जागे सब में, 
मानवता का गुण सभी में।
दुख की छाया से सभी, 
सौ योजन तक वो दूर रहे।

नया साल अब आ गया,
एक नया सबेरा हो गया।
                                    - पुष्पा पाण्डेय 
                                      राँची - झारखंड
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              आओ स्वागत करें हम नववर्ष का
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आओ स्वागत करें हम नववर्ष का
नव किरण , नव उमंग जायेंगे
आओ सफलता की ओर कदम बढायें
सारे दु:ख दर्द को भूल जायें
आओ स्वागत करें हम नववर्ष का ऐसे
किसी का दिल हो अगर दुखाया
उससे  मांग माफी गलती हम मान लें
प्यार जगाकर सबके मन में
खुद भी प्यार संग जीना सीखें
हम सहें न किसी के ज़ुल्म
सत्य ,न्याय का मार्ग अपनाएं
आओ स्वागत करें हम नववर्ष का ऐसे
सारे अवगुणों को त्यागें
नई राहों पर चलेंगे हम
एकता और भाईचारे का पाठ
पढ़ाके ख़त्म करेंगे अपने वहम को
पाकर अपनों का साथ सदा
दिलों में बढ़ाएंगे खुशियां अपार
खुद को बनाएंगे सक्षम
आओ स्वागत करें हम नववर्ष का ऐसे
आओ संकल्प करें हम कुछ मिलकर
कुरीतियां जो फैली समाज में
उसे मिटाना है
देश हित ही हो अपना उद्देश्य
विकास में हम सब करें मदद
हमको है अभिमान देश का
आओ स्वागत करें हम नववर्ष का ऐसे
                         - डॉ मीना कुमारी परिहार
                                     बिहार
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                   दो हजार बाइस आया
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आया,आया नया साल आया
दो हजार बाइस आया
मधुर मुस्कान से
आशाओं का दीप जलाये बड़ी शान से l

मन के अँधेरे हरने वाला
कोई तो ऐसी ज्योति जले
न कोई रहे भूखा -नंगा
समता का ऐसा भाव जगे
खुशियाँ आयें, अमृत बरसे
हो जाओ तैयार
प्यारे प्यारे नेक विचार आयें
विश्व गुरु कहलायें
भारत है अपनी शान से
आशाओं का दीप जला साल आया l

प्रेम, समता और क्षमा से
सबके मन को कैद करें
चारों ओर खुशहाली हो और
 गीत गाता किसान चले
नयी जवानी, नया जोश हो
आया नवल विहान
प्यारी प्यारी धर्मों की है फुलवारी
एकता की मिसाल है
कि चेतना के स्वर झंकृत हिंदुस्तान में l

आया,आया नया साल आया
दो हजार बाइस आया
मधुर मुस्कान से
आशाओं का दीप जलाये बड़ी शान से l
                    - डॉo छाया शर्मा
                     अजमेर - राजस्थान
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                       आया साल - 2022
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आया साल संकल्पनाओं का
प्रतिबद्धता लिए, हम सबके द्वारे ।
उम्मीदों के रंग, इच्छाओं के पंख
परिकल्पनाओं के संग, रूप निखारे।।

खुशियों की सौगात, बड़ों का आशीष
बच्चों से स्नेह,प्रकृति का सानिध्य ।
धरती से धीरज, अंबर सितारे 
रत्नों का सागर सचमुच प्रसिद्धि ।।

सूरज की लाली, अनुपम निराली 
माँ भोली- भाली, संध्या भी आली ।
चंदा सी सूरत, ममता की मूरत
आँखों को भाती हरदम हरियाली ।।

स्वागत को आतुर हम सब खड़े हैं
ताली बजाते सरगम सुनाते ।
गीतों से ग़ज़लों से कविता, कहानी से
सबको लुभाते गाते - बजाते । ।

आया साल 2022 स्वागत करो...
                         - छाया सक्सेना प्रभु
                          जबलपुर - मध्यप्रदेश
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                    नया साल 
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कुछ तो सुनाओं,
     नये साल में, 
चुपके-चुपके ना गाओ,
      नये साल में, 
नफरतों को छोड़ मिल जाये,
       दिल से दिल, 
कुछ ऐसा कर दिखाओं, 
        नये साल में!
                 - आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
                           बालाघाट - मध्यप्रदेश
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                              आ गया नववर्ष 
                              ***********

काल- गणना  को  बढ़ाता  हुआ।
आ गया    आज देखो  नव  वर्ष  ।।

   कितनी आशा  की  कलियां
   प्रफुल्लित                    हुईं।
   नवकिरण               रश्मियां 
    उद्भासित                    हुईं।।
नवविचारोंके पल्लवका प्रस्फुटन
हरीतिमा से सजा आगया नववर्ष।

      सब   दिशाएं   गगन   में
      मगन        हो        गईं  ।
      भारती  भी   वतन   की
      प्रसन्न      हो       गयी।
विकास  की  दौड़ से दौड़ते- दौड़ते
मुस्कुराता  हुआ आ गया नववर्ष।। 

     अब कुहासा देखो अवरोध का   
    किस गति से यहां छटने लगा।
     पूर्णिमा का चांद भी मोद में
    सोलह कलाओं से सजने लगा।।
मंगलम   भावना     भरता     हुआ 
आ गया नववर्ष    नववर्ष  नववर्ष।। 
 
     हे प्रभु प्रार्थना मेरी स्वीकार कर
      सब निरोगी रहे खुशहाल हों।।
     दुश्मनों से सीमा सुरक्षित रहे
    विश्वविजेता भारतकालाल हो।।
देखो, केसरिया  रंग में  रंगता हुआ
आ गया नववर्ष  नववर्ष  नववर्ष ।। 
                              - डाॅ.रेखा सक्सेना 
                           मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
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               स्वागत है नववर्ष 2022 तुम्हारा
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आया साल 2022 जीवन में खुशियां और समृद्धि ले
 भूल के बीती बातों को एक नया इतिहास रचाना है !

स्वागत है नववर्ष 2022 तुम्हारा
नववर्ष के आगमन पर प्रेम के फूल खिलायें 
महलों का मोह त्याग अहम को हम भगायें
संकट के हर क्षण में समरसता के भाव लिये
विश्व में अपना परचम फहराये !

जहां नदियों की मीठी सरगम हो
जहां लहरों के सुख का सागर हो
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा जहां परिवर्तन ही
समय-चक्र की धारा हो !!

नये हौसले संग आया साल 2022 (नववर्ष )
मानो जीवन में नये रक्त का संचार  हो
मानो इंद्रधनुषी रंग से जीवन की 
खुशीयों को रंगने का आधार हो !
अब ऊँची उड़ान भर गगन से 
खुशीयां बटोरने का दिन आया है
लगता है बीते वर्ष के कष्ट को हरने आया
मानों कोई तारनहार हो !!

प्रकृति के प्रेमी बन प्रदुषण को भगायें 
ब्रह्मा की इस सृष्टि को आओ हम बचायें  
नववर्ष में दृढ़-संकल्प कर तारनहार का मान करें
      हरित क्रांति से प्रकृति का कर श्रृंगार 
         ओमीक्रोन को (कोरोना को) भगायें! 
                                    -  चंद्रिका व्यास
                                      मुंबई - महाराष्ट्र
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                       आया साल 2022
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आया साल 2022 
नववर्ष का नवप्रभात,
लाया,नई उम्मीदें,नया उल्लास, 
हटाएं निराशा की धुंध जीवन से,
आ गया समय उड़ान भरने का, 
आशा और उम्मीदों के आसमान में, 
नववर्ष में अर्जित करें,
नए आयाम प्रगति के।
जगाएं हम सृजनशीलता, 
2022 का साल हो-
नवचेतना,नवजागरण का।
कष्ट हों दूर सभी के, 
भाग्य दे साथ सभी का,
सफलता भी चूमे कदम।
साल 2022 लाए खुशियां अपार,
देता है प्रेरणा “कि बने कर्मठ,कर्मवीर,”
कर्मण्यता का करिश्मा खोले, 
सफलताओं के द्वार नित-नूतन, 
मंगलमय हो साल 2022,
मिले सभी को सुख-समृद्धि,
कटिबद्ध हों! संकल्पबद्ध हों!
हौसले और विश्वास से बनाएं,
सभी अपने-अपने जीवन को सार्थक।
                               - प्रज्ञा गुप्ता
                      बांसवाड़ा - राजस्थान
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                          आया साल
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हर वर्ष कितनी रफ्तार से बीत जाते है।
पर हम हर वर्ष बस यही कह पाते है
ये साल भी कितनी जल्दी बीत गया।
बहुत कुछ पुराना करने को है।
नया उत्साह उमंग भरने को है।
जो बीत गया सो बीत गया
अब इस वर्ष, न कुछ गलत हो।
न हो कोई ,अत्याचार
न हो कोई, बलात्कार
न हो कोई ,अनाचार।
देश मे सब तरफ हो
प्रेम मोहब्बतऔर प्यार।
विश्व मे देश का नाम हो।
पर्यावरण प्रदूषण बिजली पानी
सड़क नहर बाँध और सागर।
भरे ये खुशियों के गागर।
देश के जैसा सबका ह्रदय हो विशाल।
सब प्रेम सद्भाव भाईचारे से हो मालामाल।
चहु और हरियाली हो।
पूरे वर्ष नववर्ष की लाली हो।
नव वर्ष मे धरती अंबर चमके।
जिन्हें देख हर प्राणी का मन दमके।
आओ हम सब करे ये विनती।
पूरे वर्ष हो नवसृजन मे गिनती।
बुरे बुराई भूल को कर लो अब सुधार।
नए साल मे सबजन मे बाटे,प्रेम प्यार और उपहार।
                                - मंजुला ठाकुर
                                 भोपाल - मध्यप्रदेश
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                      आया साल
                      *********

आया है नूतन वर्ष आज,
लाया है खुशियों का सौगात ।
भविष्य का स्वागत ,
विगत का धन्यवाद।
वर्तमान पर विश्वास,
जिए हर पल निस्वार्थ।
ऐसे मनाए नूतन वर्ष आज,
व्यवस्था के अर्थ में जिए साथ।
मन, तन, धन का हो नियोजन,
समाज में हो संस्कृति संयोजन।
अस्तित्व नजरिया विकसित कर,
माननीय आचरण का हो अनुकरण।
नूतन वर्षा आया है आज,
खुशियों से भरा रहे संसार।
मिले सबको एक दूसरे से प्यार,
करें हम सबका मानवीय सत्कार
नूतन वर्ष आया है आज,
लाया है उमंगों का बहार।
                                - उर्मिला सिदार 
                               रायगढ़ - छत्तीसगढ़
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                            आया साल
                            ********

 करके पुराने साल को पराया
 लो देखो नया साल आया

 लेकर आया यह खुशियों की सौगात
 सृष्टि ने देखो दी विनाश को मात

 गत वर्ष ने दिखाए उतार-चढ़ाव
 सुखमय हो भविष्य की नाव

 प्रकृति से छेड़छाड़ पड़ी सबको महंगी
 आशा है भविष्य में गलती ना होगी

 जिंदगी ने खेली सबसे आंख   मिचोली
 नव वर्ष हो खुशियों का हमजोली
                           -  नंदिता बाली
                    सोलन -  हिमाचल प्रदेश
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                           नया सुर ताल 
                           **********

नया सुर ताल लिए आया साल 2022,
पुराने सुर ताल पीछे रह ग‌ए साल में 2021,
फिर एक न‌ई सुबह, 
एक नया संकल्प,
हर नया साल सिखाता कुछ अलग,
देता आगे बढ़ने की प्रेरणा,
पीछे जो छूट गया उसे भूल,
फिर आगे बढ़ना,
यही क्रम लगातार चलता रहता,
सभी के जीवन में  लाता,
एक नया अनुभव, 
फिर वही सब कुछ,
लेकिन 2021,2022
दोनों में समाया रहा, 
वही डर, फिर वही दहशत,
कोरोना, डेल्टा और अब ओमिक्रोन,
ओमिक्रोन की दस्तक देता आया साल 2022,
कोई बात नहीं! हम भारत के वासी हैं,
समझ बूझ से करते सभी काम,
इस कोरोना के न‌ए रूप को भी देंगे मात,
दुनिया को दिखा देंगे कि हम भारतीय हैं,
है यही हमारी असली पहचान। 
                        - नूतन गर्ग 
                              दिल्ली
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                         नवल वर्ष आया
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भूल विगत की कड़वी यादें, हर्ष दसोंदिस छाया है।
नव उमंग नव उम्मीदें लें, वर्ष नया (2022) ये आया है।

कभी खुशी, गम कभी वर्षभर, ही हम सबने पाया है।
किंतु कर्म अपने हिस्से का, सबने यहाँ निभाया है।

यही माँगते हैं ईश्वर से, झोली अपनी फैलाए।
विगत वर्ष जो आई विपदा, नहीं पलटकर फिर आए।

खुशियाँ ही खुशियाँ हो जग में, गम का न कहीं साया हो।
प्रभु के आशीषों की शीतल, सर पर अपने छाया हो।

तपन कष्ट नहीं सताए, ऐसी ही अभिलाषा है।
नवल वर्ष  से आज सभी की, बस इतनी सी आशा है।
                           - रूणा रश्मि "दीप्त"
                              राँची - झारखंड
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                 मगर अभी नव वर्ष मनाएं कैसे
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नव वर्ष  सुहाता ना हमको,
इसमौसम भाता ना मुझको।
जाडे़  से कांप  रही जनता,
ऐसे में नव साल नहीं मनता। 

कुहरा  चहुँ तरफा है छाया,
ठिठुर रही हरजन कीकाया।
पक्षी  नीड़  में  छिप बैठे हैं,
प्रति  अंग  ठंड  से  ऐठे  हैं।

ऐसे  नव  वर्ष मनाए  कैसे,
इसाइयत  अपनाएं   कैसे।
तापमान  शून्य  से नीचे है,
सुषमा खोए बाग बगीचे हैं।

दिनकर को ढँका कुहासा है,
चहुँ तरफा फैला  निराशा है।
क्रिस तरुसे खुशबू आती ना, 
जग जन उत्साह  बढा़ती ना।

कुछ दिवस प्रतीक्षा और करो, 
सनातन संस्कृति पर गौर करो। 
अपने   संस्कार   भुलावो  मत,
पाश्चात्यसंस्कृति अपनाओमत।

अपने  इतिहास को याद करो, 
हर जन जन से फरियाद करो।
अपना नव साल जब आएगा, 
प्रति जन खुद खुश हो गाएगा।

हम  विश्व  गुरू  कहलाते  थे,
सब जग को राह  दिखाते थे। 
कहां गई  वह  अपनी झाँकी
गीता  का  ज्ञान  अभी बाकी। 

रामायण का अपनाओ सार,
कभी   नहीं    मानोगे   हार।
दुनियां  तब   पीछे  आएगी,
भारत   के  ही  गुन  गाएगी।

चैत  माह के  शुक्ल पक्ष की,
एकम   तिथि  जब  आएगी।
मौसम   बहुत  सुहाना होगा, 
प्रकृति झमा झम  मुस्काएगी।

महा नवरात्रि का होगा प्रारम्भ, 
देवि  पूजन   की   होगी  धूम।
वृक्षों  पर  नव  किसलय होंगे,
जड़   चेतन   मस्ती   में  झूम।

खेतों में फसलें  पकती  होंगी,
हर कृषक देख पुलकित होगा।
तब   हम   नव  वर्ष  मनाएंगे,
अरु   गीत  खुशी  के   गाएंगे।।
                               - महेन्द्र सिंह राज 
                              वाराणसी - उत्तर प्रदेश
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                    आया साल 2022    
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  मंगलमय नववर्ष वंदन है,
 अभिनंदन है अभिनन्दन है।
करुणा मैत्री प्रेम का भाव जगे,
 आशाओं से सजा गुलशन है।

चमन में रंग बिरंगे फूल खिले,
दिल में अरमानों के पंख लगे।
नयनों में सजे नये-नये सपने,
आओ नववर्ष का स्वागत करें।

 नयी किरण नयी आशायें जगे
उम्मीदों के अब नये फूल खिले।
सुनहरी धूप दिल को रास आये,
 भाव तरंग प्रकाश फैलाने लगे।

 काटे विगत वर्ष विकट घड़ियां,
 काल चक्र लाई थी मजबूरियां।
 है साल 2022 तुम्हारा स्वागत ,
 फैला दो हर्षोल्लास पूरी दुनिया।
   
 चहूंओर छाई खुशी,विपदा हटी,
 महामारी की अब प्रकोप छटी।
 जोश उत्साह मधु बसन्त छाये,
 आया साल 2022 सब हर्षाये।
                                 - सुनीता रानी राठौर
                                ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
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                      नए साल का अभिनंदन
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जा रहे हो रे दिसंबर!
रोए धरा,सिसके हैअंबर, 
कहर ने कितने ही छीने- 
याद आया हा! वो मंजर.

लाद लो अपना सामान- 
करना है तुमको प्रस्थान,
विपदाएं सब संग ले लो-
देना खुशियों का वरदान.

बाल-वृंद और सब नारी-नर-
स्वागत करने को हैं तत्पर,
नई योजना,नव अरमान-
लागू करने होंगे सत्वर.

कर्मठता के फूल खिलाना-
दुष्टों को तुम धूल चटाना,
ज्ञान,मान,सम्मान बांटकर-
बन ठन कर लहराकर आना.

सर्दी लाना मन को भाए-
धूप कुनकुनी हमें लुभाए,
मूंगफली, रेवड़ी,गजक-
हर जन हर्षित होकर खाए.

रोगों का घेरा न घेरे-
जग में न लगाए फेरे,
सुख-समृद्धि थिरके जमीं पर-
मधुर-स्वर हों तेरे मेरे.

आओ हर घर, द्वार द्वार-
सजे मंगल बंदनवार
स्वस्थ रखना अब जमीं पर-
विनती करते बार-बार।
                                 - डा.अंजु लता सिंह
                                         नई दिल्ली
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                      नव संचार
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हर वर्ष की तरह आया
पुनः नव वर्ष है,
पुलकित मन 
पुनः
नया संकल्प है।
फिर ना आये 
कोरोना का रूप नया,
हमने पिछले वर्ष बड़ी मुश्किल से है सहा।
नियम पालन भी जरूरी है, 
इस से बचना भी जरूरी है।
नव वर्ष का सञ्चार हो रहा।
हर तरीके से कोरोना का उपचार हो रहा ।
देश अपना फ़ूले-फले।
हर मुसीबतों का सामना मिल कर करें।
बाहरी दुश्मनों को रोकने को हमारे वीर जबांज सैनिक सीमा पर  खड़े।
पर अन्दर भी दुश्मन है बड़े। 
भाई- भाई का नारा हो
दोस्त क्या
 दुश्मन भी प्यारा हो।
करें नव वर्ष का हर्षो उल्लास से स्वागत, अभिनंदन ।
                               - डॉ पूनम देवा
                                 पटना - बिहार
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                 आ गया 2022 नया साल
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आ गया 2022 नया साल
और पक गए तेरे बाल

देख महंगाई की नई चाल
कोरोना से बच बाल बाल

इस बार कौन सी ओढ़ें खाल
जिससे मिले कुछ और माल

कुछ तो सपने नए पाल
फैला ले अपना नया जाल

नैतिकता की मत तोड़ ढाल
अब तो बदल ले अपनी चाल

चूल्हे में दूध गया उबाल
जल्दी पानी की छीटें डाल

सावधान
एक वर्ष और निकट आ गया
क्रूर काल !!
                           -  महेंद्र जोशी
                         नोएडा - उत्तर प्रदेश
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                   आया साल - 2022
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मेरे भाई आया साल दो हजारबाई ।
आया करके इक्कीस को गुडबाई ।
इक्कीस तो कोरोने से था थका ।
बाईस भी लगता डरा और पका ।।

अरे भाई ऐसा क्या हो गया 
    जो सब इतना हुडदंग मचाते हो 
हर वर्ष इकत्तीस की रात 
      गोरों का नववर्ष मनाते हो ।।

क्यूं बन रहे हो बडे अंग्रेज 
    अपनी संस्कृति तुम तज रहे ।
अपने संस्कार छोड कर तुम 
          संस्कार दूजे के भज रहे ।।

बताओ तो जरा मेरे भाई 
     नव सत्संवर कब आयेगा ।
कब जानोंगे अपनी संस्कृति 
    अपना  नूतनवर्ष कब भायेगा।।

                            - सुरेन्द्र मिन्हास  
                     बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
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                  आया साल  नया
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कल था जो बीत गया
फिर आया साल नया,
सूरज वही चंदा वही
दिन वही रात वही,
सुबह और शाम वही,
तारीख बस बदल गया,
फिर आया साल नया,

हम वही, तुम भी वही,
प्रेम और घृणा भी वही,
सच-झूठ का खेल वही,
मानव का स्वभाव वही,
आपस में व्यवहार वही,
वक्त बस है बदल गया,
फिर आया साल नया,

साल बदल जाने से क्या,
नया साल आने से क्या,
गर खुद को न बदलो तो,
संभालो और न संभलो तो,
खुद को गर बदल लिया,
तब समझो आया साल नया ।
                         - पूनम झा
                      कोटा - राजस्थान 
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                      आया साल 2022
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साल दो हजार बाईस आया, 
मन में नई ऊर्जा शक्ति लाया, 
आओ भूल जाये उन पलों को, 
हमनें क्या खोया क्या पाया। 

आपनों का  विछोह पाया, 
कोरोना का पड़ा जब साया, 
 नव आशा का संचार हो अब 
आने वाला हर पल हो मन भाया। 

प्रकृति से ही तो जीवन पाया, 
पोषण सिंचन करे जन काया, 
अब दोहन इसका कभी न हो, 
यही धन संपदा अजर माया। 

साल दो हजार बाईस आया, 
जन जन का मन  हरषाया, 
खट्टे मीठे अनुभव पाकर हमने, 
स्वागत अभिनंदन गीत है गाया। 
                         - शीला सिंह 
                  बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
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                   नूतन साल 2022  
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उत्सव,मस्ती,जश्न में, झूम रहा है साल।
अभिनन्दन, वंदन करे, पूछें सबके हाल।।

खुशियों  की अंजुमन में , नाचे  है नव-साल।
हाथ प्रार्थना में  जुड़ें ,  प्रभु चरणों नत भाल।।

सबका हो मंगल , सुखद , करना तुम नव-साल ।
खुशियों की तारीख से, गढ़ना हर दिन ,काल ।।

ऊर्जा , उमंग नव जगी , उर में नूतन-साल !
बसुधैव कुटुम्बकम्  की , दुनिया बने मिसाल ।।

अंजुमनें  हों, जश्न की , मचे दुआ की धूम।   
बधाइयाँ  नववर्ष   की , फले सभी को खूब।।

विगत कलेंडर फेंक दो,   रखो नए घरबार 
खुशियों की तारीखं से ,  सुखमय हो संसार।।

झाँक  रहा  नववर्ष में,  आगामी-कल, आज। 
फलीभूत हों सब सपन , संकल्प करें राज।।

ओला , पाला धुंध से , घिरा नया  है साल। 
फसल सभी चैपट हुयी , है किसान बेहाल। 

रंग लिए नव चाह के, आया है नववर्ष। 
रँग मानव को रंग में , लुटा रहा है हर्ष।। 
                                   - डॉ मंजु गुप्ता 
                                    मुंबई - महाराष्ट्र
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                   आया साल 2022
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संकल्प नव वर्ष का 
संकल्प नव पर्व का।

सबसे पहले स्वस्थ रहें
तभी जीवन का अर्थ है।

करना है नियमित व्यायाम
सुधरेंगे जीवन के आयाम।

अभिवादन प्रणाली अपनाओ
नयी पीढ़ी को भी समझाओ ।

दृष्टिकोण रखें सकारात्मक 
बने रहें हम  सदा रचनात्मक।

करें नीतियों का हम पालन
सही तरह होगा जीवन संचालन।

कड़ी मेहनत का नहीं विकल्प
श्रम करने का बना रहे संकल्प।
                            - ज्योति व्यास
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                    आया साल -२०२२
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आने वाला कल जीवन के नवीन सौपान है 
२१ की विदाई २०२२ स्वागत अभिनंदन है ।
विदाई की अंतिम घड़ियाँ हैं 
भुली बिसरी ज़ख्मों से भरी यादों बातों को 
नज़र अन्दाज़ कर विदाई की रस्में निभाना है 
जग में जनजीवन आगे बढ़ना हैं ।
निराशा की ज़ंजीरो से मुक्त करना हैं 
दुनिया के नक्शे भय आतंक मिटाना हैं 
रिश्तों को रिसते ना देखेंगे  
चाह सुखद भविष्य बना देखेंगे 
दो दो सुखद बनाना हैं  
जीवन अनमोल ये राहें हैं 
विदाई पौराणिक धर्म कर्म मान्यता हैं 
परंपरायें सुंदर कहानियाँ हैं 
मनविश्वास जागरूकता लाना हैं 
जीवन जीने की राह है सजगता लाना हैं 
धुँधली होती तस्वीर में 
उजाले रोशनी भर जाना हैं 
पानी की पड़ती बुँदो में 
इन्द्रधनुषी रंगों से नये दिन रात जीवन्त बना जाना है । 
सुनहरी यादों में सुखद भविष्य बना 
यादों की सीख से सजा जाना हैं 
जाते हुए लम्हों के सुनहरे पल 
यादों में सज़ा जाना हैं 
दो एक की दूरीयों को कम करता दो दो में आना है 
विदाई की अंतिम घड़ियों हैं 
में दो दो में सुख शांति समृद्ध बनाना है 
संकट के बादल छट उजियारा लाना हैं 
 २०२२सुखद भविष्य बनाना हैं ।
संकल्प यही हमारा है

नववर्ष का संकल्प 
नववर्ष में करते संकल्प यही 
हितकारी गुणकारी औषधि 
द्रिड़ संकल्प आत्मविश्वास 
लक्ष्य भेद आगे बढ़ना है 
कर्म पूजा मानवता का धर्म यही है 

कर्म इंसानियत की जीत होती है ।
इससे बड़ा क़ोई धन नही होता है ।
पापपुण्य कर्मों का लेखा जोखा है 
विद्या ज्यों ज्यों खर्चे त्यों त्यों बढ़े ।

सुबह की धूप सुहानी होती 
 नज़ारों में क़ैद बहार होती 
पल पल जीने एहसास होती 
अंधेरा दूर भगा रोशनी होती 

मुस्कान आत्मीयता की चाहत है
परमात्मा की अमूल्य भेंट है 
जिसे लेने देने की अमिट चाहत है
बेक़रारी बेख्याली की चाहत हैं

चाहत मंज़िल का रास्ता होती हैं 
ग़मों को पीछे छोड़ आगे बढ़ जाती हैं 
भाग्य लकीरों को खींच आगे बढ़ा जाती हैं 
उम्मीदों के साथ रास्ता बढ़ा जाती हैं

धर्य सफलता मधुर रिश्तों की अनमोल कुँज़ी 
जीवन को सुखमय बनाना सफलता की कुँज़ी 
 हर दिन नये आयाम विश्वास के साथ आगेबढ़े 
आने वाला कल समय संस्कारों की पूँजी है

गुजरे दिनो की अच्छी बातें 
ले आगे बढ़ जायेंगे 
हम तो हर हाल में अपनो 
को अपना बना जायेंगे
नयेवर्ष नयेदिन का स्वागत 
ख़ुशियों से भर लायेंगे 
                           - अनिता शरद झा 
                            रायपुर - छत्तीसगढ़
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                       2022 रे भाई
                        **********
आया रे अया
2022 रे भाई
2021 वाली विपदा इसने भगाई
जाग उठी है उम्मीद
लेकर नया सवेरा
दिसंबर के बाद
जनवरी है आता
विपदा सारी पिछली 
यह हर ले जाता
ऐसा है सुहाना जहां
21 वाली विपदा 
22 हर ले जाता
                        - विप्लव सिंह 
                     डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
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                    आया साल 2022
                    ***************

प्रति वर्ष कैलेंडर बदल जाता है
हर्षोल्लास से नया साल आता है।

नई उमंगों, खुशियों से मनाएं नया साल
प्रार्थना करें हर प्राणी रहे खुश हर हाल।

प्यार, एकता,सहयोग सब में सदा बढ़े
भूर कर भी कभी कोई आपस में न लड़े 

चारों ओर खुशहाली हो ,सभी का दुख हरें 
 आओ अंधेरे घरों में रोशनी का दीप धरें

सुखद घड़ियां सभी के घर में दस्तक दें
उम्मीदों का दीप हर घर में लट लट बले

नये संकल्प से नये साल का स्वागत करें
दीन दुखी की मिल कर सभी पीड़ा हरें ।
                              - कैलाश ठाकुर 
                        नंगल टाउनशिप - पंजाब
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                      आया साल
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बीते दिन बीती रात रातों - रात
बचपन बीता अल्हड़ बीता
वो भी रातों - रात
कंधों पर मोह माया को ढोए - ढोए
पराई जिन्दगी में खुद को डुबोए - डुबोए   
बीते दिन बीती रात
वो भी रातों - रात ।

यादों की गठरी हुई तार - तार
रातों - रात के लम्बे सफ़र में 
मोह की चमक भी हो चुकी है धुंधली
रातों - रात के अंतहीन सफ़र में 
अब मैं ही कहीं कूच न कर दूं 
रातों - रात सफ़र में ।

फिर एक नया दिन आया
आया फिर एक नया साल 
बेवजह ही क्यूं बीत जाए नया साल 
वो भी रातों - रात 
क्यूं ना कर ली जाए 
खुद से एक मुलाकात 
वो भी आज की ही रात ।
तो बस फिर हो जाए मन का ये काम रातों - रात ।
                              - मीरा जगनानी 
                         अहमदाबाद - गुजरात
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                   नवयुग का आगाज़ करो
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नववर्ष के नवप्रभात की,
नव उदित इस वेला में,
तज पुराने बैर-वैमनस्य,
तज निज सारी कुंठाएँ,
नव जीवन प्रारंभ करो।
नव कल्पना की नव तुलिका से,
नव नभ में नवरंग भरो।
सुख सामृद्ध्य  से परिपूर्ण,
स्वस्थ जीवन आरंभ करो।
नित नव आशा, नित नव सपने,
अपने  हर सपने साकार करो।
निज हित से उठकर ऊपर,
जन हित के कुछ काज करो।
मानव जीवन श्रेष्ठ है पाया,
इसे मत यूँ ही बर्बाद करो।
इस नववर्ष के नव प्रभात में,
नवयुग  का  आगाज़  करो!!!!
                             - रश्मि सिंह
                             राँची - झारखंड
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                            चाह
                            ****

नववर्ष, नवहर्ष,  नव उत्साह
सब  सुखी  रहें बस यही चाह
2022  सभी  के लिए हो मंगल
सब को मिले अपनी मंजिल की राह।

दिलों  में  प्यार रहे इक दूजे के लिए
जीना न पड़े कोरोना की मजबूरी लिए
स्वास्थ्य, समृद्धि, यश सभी के हो संग
देश जग में आगे बढ़े सभी खुशियाँ लिए।

प्रार्थना  मेरी  कबूल हो प्रभु के दरबार में
एक आस जो लगाई है साल के इस बार में
नववर्ष  सभी के जीवन को आनंदित करे
इंसानियत का सूरज पहुँचे हर घर के द्वार में ।
                                      - आभा दवे
                                     मुंबई - महाराष्ट्र
=================================
                        साल नया
                        ********

 बारह मास की बारह चिट्टियां
 कुछ अनबन की कुछ प्रेम पातियाँ
 स्नेह, क्षमा कुछ लिख दो तुम भी
 साल डाकिया द्वार खड़ा है
 प्रत्युत्तर की आस लिए.....

 भूले से कुछ है वचन निभाने
 कुछ स्वप्न अधूरे पूरे करने 
नव आशाएं कुछ नए प्रण है 
साल डाकिया द्वार खड़ा है 
कर्म की चिट्ठी हाथ लिए....

चढ़ें शिखर उन्नति के
 उन्मुक्त उड़े आकाश में
 पैर धरा पर टिके रहे 
साल डाकिया द्वार खड़ा है
 डोर दिनों की हाथ लिए...
 रंग बसंती छिटके जीवन में
 धूप सा फैला उल्लास नया
 नई उमंग नया आवाहन 
सामने स्वर्णिम कर्म पथ नया
 साल डाकिया द्वार खड़ा है
 हाथों में सौगात लिए.....
                           - विनीता राहुरीकर
                            भोपाल - मध्यप्रदेश
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               नूतन आंग्ल वर्ष फिर आ गया
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नूतन आंग्ल वर्ष फिर आ गया
मन में उत्साह उमंग फिर छा गया
सपनों से अपने ये फिर भरमा गया
मन में उत्साह उमंग फिर छा गया।

    कितना कठोर समय भले हो
    जीने की तो आस है
     दिन, महिने, साल गुजरते
     जियो जब तक सांस है
नई उम्मीदें एक बार फिर से ये जगा गया
मन में उत्साह उमंग फिर से छा गया।

    समय का मापन भले ही ये हो
    गिनना अच्छा लगता है
     वर्तमान के दुःख हों पूरे
    सोचना प्यारा लगता है
सपनों की मंजिल को पाना ये सिखा गया
मन में उत्साह उमंग फिर छा गया
नूतन आंग्ल वर्ष फिर से आ गया
मन में उत्साह उमंग फिर छा गया।
                           - प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
                                  गोधरा - गुजरात
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                 आओ सन बाईस
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आओ सन बाईस, तुम्हारो स्वागत कर रए हैं,
बिगड़ ने जइयो विगत वर्ष से, ईसें डर रए हैं।

साल उनीसे बीस इकईसे ने भारी थो पेरो,
कोरोना और ओमीक्रान ने जमा दियो थो डेरो

कोई के बिछड़े बाप मतारी, कोऊ के बैन ओ भैया,
गई नौकरी लाखों जन की डूब गई है नईया।

अंत समय अपने अपनो खों दे ने पाए कंधा
विपदा सेवा बनी कोई खों कोई खों बन गई धंदा। 

जोन मुसीका गाय बैल के मौ पे बाँधत आये,
ओई मुसीका ने सारी जनता के प्राण बचाये।

 ई विपदा खों ने दोहरइयो, आशा कर रए हैं,
आओ नव बाईस, तुम्हारो स्वागत कर रए हैं।

बिगड़ ने जइयो विगत दिनों से ईसें डर रए हैं।

आशा है तुमसे सन बाइस, विद्यालय खुल पैहें,
मोड़ा-मोड़ी करें पढाई, खुश हो धूम मचेहें

लोगों के चेहरों की रौनक, लौट कें वापस आहे,
खूब फसल हुईए खेतन में, सब में मंगल छाहे।

गई नौकरी जिनकी वे धंधो  पानी पा जैहें ,
भूखे पेट भरे रेहें अब अच्छे दिन आ जैहें ।

आओ नव बाईस, तुम्हारो स्वागत कर रए हैं,
सुख सम्पति जनता खों लईयो विनती कर रए हैं।
                       - गोकुल सोनी
                     भोपाल - मध्यप्रदेश
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                 साल दो हजार बाईस
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आने को है साल दो हजार बाईस
दिल में उठने लगी है तमाम ख्वाइश 
कुछ खुद की खातिर जीना है 
कुछ औरों के लिए करने की है ख्वाहिश
खुशियां हो घर आंगन में हर लब पे खिले मुस्कान 
बदल जाए बिगड़े हालात बस इतनी सी है आजमाइश 
ममता हो हर दिल में न हो नफरत की कहीं गुंजाइश।
                                  - डॉ ममता श्रीवास्तव
                                         सरूनाथ
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                  नया साल
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नया साल आया है।
दिन वही पुराने हैं।
चला गया वह साल ! 
नवीन साल आने के लिए।
जाते ही हैं आने के लिए,
आते हैं जाने के लिए...! 
आते वक़्त बंद मुठ्ठी 
और 
जाते वक़्त वही खुली होती है।
आने-जाने के इस चक्र में हम
चक्रव्यूह बना जाते हैं...।

जीवन  भी  कुछ ऐसा ही है।
खुशी भरे पलों का आना 
और 
फिर दु:ख भरे पलों को
 छोड़ कर चले जाना... ! 
हर कोई अपनी उम्र बीताता है।
फिर भी अंतर है नये साल और
  हम इंसानों में...।
साल  बीच में कभी नही छोड़ता
जीता है, वह अपनी पूरी उम्र।
छोड़ जाते हैं इंसान...,
बीच में ही अपनी आधी-अधूरी
जिन्दगी जी कर ...।
हर बार  नये-नये सपनों  के साथ
भरा-पूरा आता है एक नया साल ।
फिर धीरे-धीरे पड़ जाता है...,
उसके जीर्ण-शीर्ण कलेवर की धार
काश, हम इंसानों की भी जिन्दगी
भी इस नये साल जैसा होता...,।
                         - डा.क्षमा सिसोदिया 
                           उज्जैन - मध्यप्रदेश
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Comments

  1. आज मैं रूठी हूँ
    निठुर आरसी
    रीझ उठता था
    हल्की सी स्मित पर
    मुग्ध नजरों से
    निहारता था मुझे
    क्यों नजरें चुराने लगा है
    सच, बदल क्यों गया है?

    रोक ही क्यों न सकी
    वक्त की अदृश्य लेखनी
    यूँ फिरती रही मुझपर
    इबारतें तकरीर बन गईं
    नन्हें अस्तित्वहीन पल
    कब अंधड़ बनकर
    मुझे अनवरत समझौतों में
    लपेटते चले गये?

    जो किताबों को नहीं पता था
    कोई सिखा नहीं पाया था
    नितांत निजी
    अनुभवों की गठरी
    उस गई लुनाई के बदले
    जर्जर आँखों को नई दृष्टि
    जीवन का सार
    जीवन ने समझाया था!

    फिर अचानक
    क्यों मुस्कुराने लगा आरसी
    रीझी नजरों से निहार रहा है
    मेरे काँधे पर चिबुक धरे
    नई पीढ़ी की चंचल इठलाहट
    नवीनता का आगाज मनोहर
    झोली भर आशाएँ और सपने
    ले नया साल - 2022 आया है!

    मौलिक एवं स्वरचित

    श्रुत कीर्ति अग्रवाल
    shrutipatna6@gmail.com

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर आयोजन ।

    ReplyDelete

  3. जैमिनी अकादमी
    विषय आया नया साल
    दिनांक 2/1/2022
    नये साल का सुंदर हो आगाज़

    पूरे हो जायें सब के‌ सपने
    पंखो को मिल जाये परवाज़
    हिमालय सी बुलंदी मिले‌
    जांबाजों को मिले अवसर
    कर गुजरने का जज्बा मिले

    नये साल का सुंदर हो आगाज़

    लहलहाती फसलें हो
    अन्न से घर भर जायें
    खुशियों वाले वो पल
    जन जन को मिल जायें
    सपनों सा सुंदर जहां हो

    नये साल का सुंदर हो आगाज़

    ReplyDelete
  4. नया साल नया आगाज
    बस खुशनुमा हो इसका अंजाम

    ReplyDelete
  5. सुंदर और सार्थक आयोजन। बधाई।
    मेरे बुन्देली गीत को स्थान दिया आभार

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  6. This comment has been removed by a blog administrator.

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