डॉ.जियाउर रहमान जाफरी से साक्षात्कार

शिक्षा : एम ए  (हिन्दी,अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र)बीएड
पत्रकारिता,पीएचडी हिन्दी,यू जी सी नेट हिन्दी

सम्पत्ति : असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी )
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज , गया- बिहार

प्रकाशित कृति : -

खुले दरीचे की खुशबू -हिन्दी ग़ज़ल
खुशबू छू कर आई है -हिन्दी ग़ज़ल
चाँद हमारी मुट्ठी में है -बाल कविता
परवीन शाकिर की शायरी आलोचना
ग़ज़ल लेखन परम्परा और हिन्दी ग़ज़ल का विकास -आलोचना
मैं आपी से नहीं बोलती -बाल कविता
लड़की तब हंसती है -सम्पादन

पुरस्कार /सम्मान : -

- बिहार जन शताब्दी सम्मान
- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन लेखन पुरस्कार
- यशपाल सम्मान- असम
- साहित्य साधक सम्मान -छ.ग
- पत्रकारिता सम्मान उत्तर प्रदेश
- मधुशाला गौरव सम्मान राजस्थान
- शब्द श्री सम्मान बिहार
- शिक्षक गौरव सम्मान हरियाणा
- गोस्वामी साहित्य शिल्पी सम्मान उत्तर प्रदेश  
- अखिल भारतीय पत्र लेखन पुरस्कार म.प्र
- बाल साहित्य पुरस्कार, उत्तर प्रदेश
- शारद साहित्य सम्मान छ.ग
- जन अभिव्यक्ति सम्मान

विशेष : -

- प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता
- आकाशवाणी पटना, दरभंगा और भागलपुर से प्रसारण
- पाठ्यक्रम में कविताएं शामिल
- हिन्दी उर्दू और मैथिली की तमाम राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन
- देश -विदेश की सौ से अधिक सेमिनारों में शिरकत
- स्तंभ लेखन एवं अनुवाद कार्य
- भारत सरकार का पीएचडी फैलोशिप
- बिहार सरकार से पुस्तक प्रकाशन अनुदान
- दस से अधिक शोध पुस्तकों के सहयोगी रचनाकार
- जागृति, बाल प्रभा, और दूसरा मत का सम्पादन
- भगवद गीता, बाइबिल, योग और खाद्य एवं पोषण में डिप्लोमा

पत्राचार -स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज, गया - 823001  बिहार

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर - तब क्लास सिक्स में था,जब  मेरी पहली कविता बेगूसराय टाइम्स दैनिक पत्र में प्रकाशित हुई थी. शीर्षक था -मेरी खाला.जो अपनी मौसी के विरोध में लिखी गई थी. वो मेरी हम उम्र थीं और मुझसे रोज़ पंगे लेती थीं. मैंने कविता लिखकर उन्हें डरा दिया था कि अब तुम्हारी शादी नहीं होगी.अख़बार में छप गया है.  सब ने जान लिया तुम लड़ाकिन हो.

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - वही दस साल की उम्र रही होगी.कविता लिखकर डाक से भेज दिया था, न मात्र वो कविता छपी बल्कि संपादक ने उसमें अपनी तारीफी टिप्पणी भी लिख दी थी. जिससे लिखने का और उत्साह बढ़ गया था.

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - ये रूचि बदलती रही. बाल कविता से शुरुआत हुई. जम कर बच्चों की पत्र-पत्रिकाओं में लिखा. दो बाल कविता की पुस्तक प्रकाशित हुई. दो बाल पत्रिका का सम्पादन किया. फिर कॉलेज में पढ़ते हुए ग़ज़ल की तरफ रूचि गई. मुशायरों में खूब वाहवाही मिली, पर आज आलोचना मेरी पसंद की विधा बनी हुई है. हिन्दी ग़ज़ल के आलोचक के तौर पर लोग जानने लगे हैं.

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य और  समाज की दूरी काफ़ी बढ़ गई है. क्या लिखा जा रहा है. समाज को इससे मतलब नहीं है. जो लिखा जा रहा है समाज उसे समझ ही नहीं पा रहा है. जो लिख रहे हैं. फ़ाइल बनाकर सबको दिखला रहे हैं. भक्तिकाल के बाद जो साहित्य रचा गया, उसमें समाज की बात तो हुई पर समाज के स्तर का ख्याल नहीं रखा गया. कितने गांव के लोग ऐसे हैं जो मुक्तिबोध या तारसप्तक की कविता को समझ सकते हैं .

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर - यह रूचि भी बदलती रही, पर प्रेमचंद, मन्नू भंडारी, परवीन शाकिर और दुष्यंत हमेशा पसंदीदा लेखक रहे.

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर - बहुत कम उम्र से ही आकाशवाणी जा रहा हूं.पर रेडियो बंद होने के कगार पर है. साहित्य के लिए वहां कोई स्पेस नहीं है. अब वहां जाकर घुटन ही महसूस होती है.

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन ने कविता को लोकप्रियता दी है, पर आज जो मंच पर कविताएं पढ़ी जा रही हैं, वो कविता नहीं है. एक भीड़ के बीच की चुटकुलेबाजी है.गवैये और नचनिये ने मंच को संभाल रखा है.पैसे की बर्बादी हो रही है.

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य में हित जरूरी है, पर आज के कवि भी राजनीति पार्टियों  के हो गये गई. साहित्य प्रचार होकर रह गया है. फेसबुक में जो चाहें पोस्ट कर दें. कोई सम्पादन करने वाला नहीं. बिना पढ़े लाइक किया जा रहा है.

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार चाहे जो भी हो लेखन के साथ  पहुंच और  सिफारिश उसकी  शर्त है. कभी डॉ. नगेन्द्र और आज अशोक वाजपेयी के पास वो सामर्थ्य है कि जिसे चाहें पुरस्कार दिलवा दें. थोड़ी बहुत साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ की इज़्ज़त बची हुई है.

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - संस्मरण में क्या लिखें क्या छोड़ें. बस एक शेर है कि -
यादे माज़ी अज़ाब है यारब
छीन ले मुझसे हाफ्ज़ा मेरा.

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार में लिखने का पूरा माहौल मिला. पिता जी केंद्रीय साहित्य अकादमी के सलाहकार थे. उन्हें मैथिली में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. फातमी लाइब्रेरी के नाम से घर में एक बड़ा सा पुस्तकालय था. नदीम, शफक, कारवां, एक -एक क़तरा, दूसरा मत जैसी पत्रिकाएं घर से निकलती थीं. भाई और बहनें भी अख़बारों में छपती  थीं .दूसरा मत राष्ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन दिल्ली से अब भी पावंदी के साथ हो रहा है. करीब आधा दर्जन लोग हमारे यहां पावंदी से साहित्य रच रहे हैं. इसी माहौल के कारण मैंने हिन्दी ग़ज़ल पर हिन्दी से पीएचडी कर ली.ज़ाहिर है परिवार से माहौल और प्रोत्साहन मिलता रहा.

 


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