साहित्यकारों की दुनियां ( ई - साक्षात्कार संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
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क्रमांक - 04
जन्म : 01 अक्टूबर 1984
जन्म स्थान : ग्राम+पोस्ट-मानपुर, जिला-उमरिया (मध्यप्रदेश)
माता का नाम : श्रीमती विमला साहू
पिता का नाम : श्री सोनई साहू
शिक्षा : बी.ए.
पत्नी : श्रीमती सूमित्रा साहू
संतान : राज नारायण साहू (पुत्र) रचना साहू (पुत्री)
लेखन अभिरुचि : गद्य और पद्य
प्रकाशित कृति : -
दुःख का अंत (नाटक) 2015
संकलन संपादन : -
रचना साहित्यकार निर्देशिका -2015,
देव का आँगन -2015 ,
रचना कवियों की -2016,
नन्ही परी - 2017,
वृक्ष – वसुंधरा -2018
कोरोना- 2020,
नवरात्रि -2020,
मेरा भारत-स्वच्छ 2021,
कोरोना की दवा वैक्सीन -2022
सम्मान/ पुरस्कार : -
01 - कैरियर मंत्र मैग्जीन (दैनिक भास्कर समाचार पत्र (जयपुर- राजस्थान) द्वारा 2005 में भारत -पाक बार्डर पर आने जाने के विषय पर लेख लिखने के लिए (क्विज नं. 73 के विजेता) भारत मे द्वितीय स्थान मिलने पर में 500 रुपये का पुरस्कार।
02 - मत-मतांतर (देशबंधु समाचार पत्र/रायपुर- छत्तीसगढ़) द्वारा 15 अप्रैल 2006 में नकल पर्चा लीक प्रकरण पक्ष पर सर्वश्रेष्ठ लेख सम्मान 200 रुपए का पुरस्कार।
03 - महिमा प्रकाशन एवं छत्तीसगढ़ शिक्षक साहित्यकार मंच दुर्ग द्वारा 2006 में हिरदे कविरत्न सम्मान।
04- इंद्रधनुष साहित्यिक संस्था (बिजनौर- उत्तर प्रदेश) द्वारा 2007 में काव्य मर्मज्ञ सम्मान।
05- न्यू ऋतंभरा साहित्यिक मंच (कुम्हारी-छत्तीसगढ़) द्वारा 2007 में न्यू ऋतंभरा साहित्य मणि सम्मान।
06 - महिमा प्रकाशन एवं छत्तीसगढ़ शिक्षक साहित्यकार मंच (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2007 में साहित्य सेवा सम्मान।
07 - मध्यप्रदेश नवलेखन संघ (भोपाल-मध्यप्रदेश) द्वारा 2007 में साहित्य मनीषी सम्मान।
08 - आकृति साहित्यकार मंच (पीलीभीत-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2007 में फ़नकार ए गजल सम्मान।
09 - आकृति साहित्यकार मंच (पीलीभीत-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2007 साहित्य कमल सम्मान।
10 - प्रेरणा बहुआयामी संस्था (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2008 में स्व. समलिया राम बंधे स्मृति साहित्य सम्मान।
11 - सृजन दीप कला मंच (पिथौरागढ़-उत्तराखंड) द्वारा 2008 में साहित्य सेवा सम्मान -पत्र।
12 - न्यू ऋतंभरा साहित्य मंच (कुम्हारी-छत्तीसगढ़) द्वारा 2008 में न्यू ऋतंभरा सदभावना साहित्य सम्मान।
13 - अंतर्राष्ट्रीय सम्मानोपाधि संस्थान (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2008 में राष्ट्रभाषा आचार्य की मानद उपाधि।
14 - महिमा प्रकाशन एवं छत्तीसगढ़ शिक्षक साहित्यकार मंच (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2008 में महिमा साहित्य सम्मान।
15 - मत - मतांतर (देशबंधु समाचार पत्र / रायपुर / छत्तीसगढ़) द्वारा 25 अप्रैल 2009 में मतदान विचार पर सर्वश्रेष्ठ लेख सम्मान 200 रुपए का पुरस्कार।
16 - न्यू ऋतंभरा साहित्य मंच (कुम्हारी-छत्तीसगढ़) द्वारा 2009 में न्यू ऋतंभरा विश्वशांति अलंकरण सम्मान।
17 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2009 में महिमा साहित्य भूषण सम्मान।
18 - अंतर्राष्ट्रीय सम्मानोपाधि संस्थान (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2010 में साहित्य गौरव मानद उपाधि।
19 - प्रेरणा बहुआयामी संस्था (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2010 में प्रेरणा प्रतिभारत्न सम्मान।
20 - प्रेरणा बहुआयामी संस्था (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2010 में प्रेरणा युवा प्रतिभा सम्मान।
21 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2011 में दिव्यदृष्टि साहित्य सम्मान।
22 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2012 में मन की आवाज साहित्य सम्मान।
23 - प्रेरणा बहुआयामी संस्था (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2013 में निखिल शिखर सम्मान।
24- प्रथम प्रकाशन (पठानकोट-पंजाब) द्वारा 2013 में काव्य दुष्यंत यादगारी सम्मान ।
25 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2014 में गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर साहित्य सम्मान।
26 - प्रथम प्रकाशन (पठानकोट-पंजाब) द्वारा 2014 में काव्य रत्न सम्मान।
27 - जी. वी. प्रकाशन (जालंधर-पंजाब) द्वारा 2014 में काव्य-कलश कालिदास सम्मान |
28 - जी. वी. प्रकाशन (जालंधर-पंजाब) द्वारा 2014 में काव्य -शिरोमणि तुलसीदास सम्मान।
29 - जी. वी. प्रकाशन (जालंधर-पंजाब) द्वारा 2014 में कहानी सम्राट सम्मान।
30 - आलराउंड अकादमी (फरीदकोट-पंजाब) द्वारा 2014 में ऑलराउंड पुष्प सम्मान।
31 - हिमालय और हिन्दुस्तान फॉउन्डेशन (ऋषिकेश-उत्तराखंड) द्वारा 2014 में स्टेट एक्सीलेंस अवार्ड।
32 - मंथन साहित्य परिषद (पाण्डुका-छत्तीसगढ़) द्वारा 2015 में काव्यदूत सम्मान
33 - अर्श सम्मानोंपाधि संस्थान (कुशीनगर -उत्तरप्रदेश) द्वारा 2015 में काव्य सुमन मानद उपाधि।
34 - इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय (बालाघाट-मध्यप्रदेश) द्वारा 2015 में प्रज्ञा रत्नश्री सम्मान।
35- महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2015 में त्रिवेणी साहित्य सम्मान।
36 - शाहिद कला सम्मान परिषद (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2015 में हिन्दी रत्न मानद उपाधि।
37 - हिमालय और हिन्दुस्तान फॉउन्डेशन (ऋषिकेश-उत्तराखंड) द्वारा 2015 में एक्सीलेंस अवार्ड।
38 - छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2015 में सम्मान पाती।
39 - श्री शिव कुमार यदु जी जनमोत्स्व पर (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2015 में ससम्मान प्रदत्त ।
40 - ग्वालियर साहित्य कला परिषद (ग्वालियर-मध्यप्रदेश) द्वारा 2016 में दीप शिखा सम्मान
41 - ग्वालियर साहित्य कला परिषद (ग्वालियर-मध्यप्रदेश) द्वारा 2016 में दीप संपादक सम्मान।
42 - वक्ता मंच (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मान।
43 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में महिमा साहित्य रत्न सम्मान।
44 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में रचना साहित्य सम्मान।
45 - गुढ़ियारी परिक्षेत्र कवि सम्मेलन (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में कलम साहित्य सम्मान।
46 - शाहिद कला सम्मान परिषद (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2016 में काव्य तिरंगा मानद उपाधि।
47 - प्रेरणा बहुआयामी संस्था (दुर्ग-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में निखिल शिखर शिरोमणि अलंकरण सम्मान ।
48 - ज्ञानोदय साहित्य संस्था ( बेलगांव-कर्नाटक) द्वारा 2016 में ज्ञानोदय साहित्य सेवा सम्मान।
49 - शाहिद सम्मान अकादमी (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2016 काव्य पदमश्री सम्मान ।
50 - छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मंडल (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2016 में रामधारी सिंह दिनकर साहित्य सम्मान।
51 - शाहिद कला सम्मान परिषद (कुशीनगर-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2017 में काव्य मुरली मानद उपाधि।
52 - श्री सहस्त्र चंडी महायज्ञ एवं विराट संत समागम (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2017 में प्रशस्ति पत्र।
53 - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (हर्ष विहार-दिल्ली) द्वारा 2017 में शतकवीर सम्मान।
54 - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (हर्ष विहार-दिल्ली) द्वारा 2017 में रचना प्रतिभा सम्मान।
55 - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (हर्ष विहार-दिल्ली) द्वारा 2017 में रचनाकार सहृदयता सम्मान।
56 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2017 में रचना साहित्य रत्न।
57 - ए. यू. स्माल फाइनेंस बैंक (गोवा) द्वारा 2017 में सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस सम्मान।
58 - ब्रिजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी (आगरा-उत्तरप्रदेश) द्वारा 2017 में साहित्य सेवा रत्न।
59 - राष्ट्रीय साहित्यायन साहित्यकार सम्मान समारोह (ग्वालियर-मध्यप्रदेश) द्वारा 2017 में दिव्यतुलिका अभिनंदन पत्र।
60 - मंथन साहित्य परिषद (पाण्डुका-छत्तीसगढ़) द्वारा 2017 में काव्यदूत सम्मान।
61 - सरस्वती साहित्य संगम रावतसर - राजस्थान द्वारा 2017 में साहित्य सृजन सम्मान
62 - हिमालय और हिन्दुस्तान फॉउन्डेशन (ऋषिकेश-उत्तराखंड) द्वारा 2017 में एक्सीलेंस अवार्ड।
63 - महिमा प्रकाशन (दुर्ग - छत्तीसगढ़) द्वारा 2017 में महिमा साहित्य गौरव अलंकरण सम्मान
64 - वक्ता मंच (रायपुर - छत्तीसगढ़) द्वारा 2018 में रचनाकार सम्मान।
65 - जी. वी. प्रकाशन (जालंधर - पंजाब) द्वारा 2018 में महाकवि रामचरण हयारण 'मित्र' स्मृति सम्मान
66 - समाज गौरव विकास समिति ((रायपुर-छत्तीसगढ़) ) द्वारा 2018 में सामाजिक समरसता सम्मान
67 - छत्तीसगढ़ का पहरेदार अखबार ( अम्बिकापुर - छत्तीसगढ़) द्वारा 2018 में छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान
68 - जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति (पीलीभीत - उत्तर प्रदेश) द्वारा 2018 में वागेश्वरी- पुंज अलंकरण सम्मान
69 - इंदौर साहित्य सागर (इंदौर- मध्यप्रदेश) द्वारा 2018 में काव्य क्रांति सम्मान
70 - वक्ता मंच (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2018 में रचनाकार सम्मान
71 - वक्ता मंच (रायपुर-छत्तीसगढ़) द्वारा 2018 में याद-ऐ- शिकुम सम्मान
72- साहित्य समीर दस्तक बॉल बॉल पत्रिका ( भोपाल - मध्यप्रदेश) द्वारा 2018 में हार्दिक आभार पत्र।
73 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति (रायपुर - छत्तीसगढ़) 2018 में द्वारा पर्यावरण सरंक्षण सम्मान
74 - हिमालय और हिन्दुस्तान ( देहरादून- उत्तराखंड ) द्वारा 2018 में भी हिमालय और हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड सम्मान
75 - जी. वी. प्रकाशन (जालंधर - पंजाब) द्वारा 2019 में काव्य सम्राट हरिवंशराय बच्चन स्मृति सम्मान
76 - अंतर्राष्ट्रीय सम्माननोपाधि संस्थान ( कुशीनगर - उत्तर प्रदेश ) द्वारा 2019 में हिन्दी कला रत्नाकर सम्मान
77 - छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मंडल ( रायपुर- - छत्तीसगढ़) द्वारा 2019 में वागेश्वरी साहित्य सम्मान
78 - युवा समूह प्रकाशन (वर्धा - महाराष्ट्र) द्वारा 2019 में कृति दुख का अंत नाटक पर सम्मान
79 - अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच ( मुम्बई - महाराष्ट्र) द्वारा 2019 में अग्निशिखा गौरव रत्न सम्मान
80 - श्री दीवाना साहित्य कला नवयुवक मंडल समिति रीवा ( मध्यप्रदेश ) द्वारा 2019 में दिल की मंशा साहित्य रत्न
81 - काव्य सृजन परिवार राजस्थान द्वारा 2019 में सहभागिता सम्मान पत्र 2019 |
82 - न्यूज पेपर्स एन्ड मैगजीन्स फेडरेशन ऑफ इंडिया उत्तराखंड द्वारा 2019 में साहित्योत्थान अचीवमेंट अवार्ड
83 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति छत्तीसगढ़ द्वारा 2019 में महर्षि महाकवि वाल्मीकि सम्मान
84 - जी वी प्रकाशन पंजाब द्वारा 2019 में काव्य शिरोमणि गोपाल दास नीरज स्मृति सम्मान
85 - ए यू स्माल फाइनेंस बैंक इंदौर (मध्यप्रदेश) द्वारा 2019 में सहभगिता प्रमाण पत्र
86 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी (उत्तर प्रदेश) द्वारा 2019 में संपादक रत्न
87 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी (उत्तर प्रदेश) द्वारा 2019 में आभार पत्र
88 - हमारी वाणी (वेब एन्ड प्रिंट मीडिया) दिल्ली द्वारा 2019 में सम्मान पत्र
89 - ए.यू. स्माल फाइनेंस बैंक रायपुर द्वारा 2019 में सहभागिता प्रमाण पत्र
90 - हमारी वाणी (वेब एन्ड प्रिंट मीडिया) दिल्ली द्वारा 2019 में सम्मान पत्र
91 - विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ उज्जैन के प्रादेशिक शाखा छत्तीसगढ़ से 2019 में साहित्य साधक सम्मान पत्र
92 - हमारी वाणी (वेब एन्ड प्रिंट मीडिया) दिल्ली द्वारा 2019 में सम्मान पत्र
93 - पुष्पगंधा प्रकाशन कवर्धा (छत्तीसगढ़) द्वारा 2020 में सम्पादक श्री सम्मान
94 - शहर जिला साहू संघ रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2020 में साहू सृजन सम्मान
95 - अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर (राजस्थान) द्वारा 2020 में काव्य श्री सम्मान ।
96 - जी वी प्रकाशन जालंधर (पंजाब) द्वारा 2020 में अटल बिहारी बाजपेयी स्मृति सम्मान
97 - नेशनल हरासमेंट फाउंडेशन भोपाल द्वारा 2020 में इंटरनेशनल आइकॉन अवार्ड
98 - कृष्ण कलम मंच जयपुर (राजस्थान) द्वारा 2020 में कृष्ण कलम सम्मान
99 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी आगरा (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में सम्मान पत्र
100 - वक्ता मंच रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2020 में सम्मान पत्र
101 - महात्मा गांधी साहित्य मंच गांधीनगर (गुजरात) द्वारा 2020 में सम्मान पत्र
102 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में अटल रत्न सम्मान
103 - अनिल शर्मा "अनिल" धामपुर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में प्रेरणा पुंज सम्मान
104 - ज्ञानोदय साहित्य संस्था बेलगाम (कर्नाटक) द्वारा 2020 में ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान
105 - आई टी सी एम ग्रुप एंड मीडिया न्यूज हरियाणा द्वारा 2020 में योद्धा रत्नम अवार्ड
106 - स्वच्छ भारत निर्माण परिषद जयपुर (राजस्थान) द्वारा 2020 में कोरोना योद्धा सम्मान
107 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में गुरु रवींद्रनाथ टैगोर सम्मान
108 - विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा छत्तीसगढ़ द्वारा 2020 में प्रमाण पत्र
109 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में जनकवि टेकचन्द गुलाटी स्मृति सम्मान
110 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2020 में राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान
111 - हिमालय और हिन्दुस्तान समाचार पत्र देहरादून (उत्तराखंड) द्वारा 2020 में सम्मान पत्र
112 - भिवानी न्यूज भिवानी हरियाण द्वारा 2020 में प्रमाण पत्र
113 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में पद्मश्री गिरिराज किशोर स्मृति सम्मान
114 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में जय श्रीराम स्मृति सम्मान
115 - बालाजी साहित्य संस्था भिण्ड (मध्यप्रदेश) द्वारा 2020 में श्री सीताराम काव्य ऋषि सम्मान
116 - अभिव्यक्ति के संपादक अनिल शर्मा जी के द्वारा 2020 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर शिलान्यास साक्षी सृजन सम्मान
117 - इंकलाब के संपादक सागर यादव "जख्मी" जी के द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान
118 - श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा छत्तीसगढ़ द्वारा 2020 में सहभागिता सम्मान पत्र
119 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2020 में कवि सुदर्शन पानीपती स्मृति सम्मान
120 - विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा 2020 में महाकवि नीरज सम्मान
121 - क्षत्रिय महासभा संपूर्ण भारत / विश्व रजिस्ट्रेशन ग्वालियर (मध्यप्रदेश) द्वारा 2020 में सतत साहित्य सेवी सम्मान
122 - अभिव्यक्ति धामपुर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में हिन्दी सेवी सम्मान
123 - वक्ता मंच रायपुर (छत्तीसगढ़)द्वारा 2020 में कलमकार सम्मान।
124 - छत्रपति प्रशिक्षण संस्थान कानपुर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में नवसृजन कला प्रवीण अवार्ड
125 - वीर एकलव्य सेवा समिति आगरा (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में वीर एकलव्य स्मृति सम्मान
126 - श्री दीवाना साहित्य कला नवयुवक मंडल समिति रीवा (मध्यप्रदेश) द्वारा 2020 में प्रेम दीवाना साहित्य रत्न
127 - काव्य रंगोली हिन्दी पत्रिका खीरी (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में साहित्य सारथी सम्मान
128 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़ ) द्वारा 2020 में प्रशस्ति पत्र।
129 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2021में भारत गौरव सम्मान
130 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में रचना चयन प्रमाण पत्र
131 - छत्तीसगढ़ शासन (जनसंपर्क विभाग) द्वारा 2021में सम्मान पत्र
132 - अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद कर्नाटक इकाई द्वारा 2021में राष्ट्रीय गणतंत्र हिन्दी काव्य सम्मान
133 - हिमालय और हिन्दुस्तान देहरादून (उत्तराखंड) 2021 में सम्मान पत्र
134 - राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय बदलाव मंच दक्षिण भारत इकाई द्वारा 2021में सम्मान पत्र
135 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में प्रेमांजली साहित्य सम्मान
136 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में रचना चयन प्रमाण पत्र
137 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2021में कवि कृष्णदत्त तूफान पानीपती स्मृति सम्मान
138 - हिन्दी पुस्तक बैंक जबलपुर (मध्यप्रदेश) द्वारा 2021 में विश्व भारती हिन्दी सम्मान
139 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में माँ की ममता काव्य सृजन सम्मान
140 - ज्ञानोदय साहित्य संस्था (कर्नाटक) द्वारा 2021 में इंद्रधनुष साहित्य सम्मान
141 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में रचना चयन प्रमाण पत्र
142 - गुगनराम एजुकेशनल एण्ड सोशल वेलफेयर सोसायटी बोहल (हरियाणा) द्वारा 2021में प्रशस्ति पत्र
143 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी फतेहबाद (उत्तरप्रदेश) द्वारा कलम गौरव सम्मान
144 - ज्ञानोदय साहित्य संस्था (कर्नाटक) द्वारा 2021 में राम-काव्य सृजन सम्मान
145 - वक्ता मंच रायपुर (छत्तीसगढ़)द्वारा 2021 में वीणापाणि सम्मान
146 - अभिव्यक्ति बिजनौर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में पत्रकारिता रत्न सम्मान
147 - अभिव्यक्ति बिजनौर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में हरीतिमा संवर्धक सम्मान
148 - भारतीय लघुकथा विकास मंच पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2021 में वरिष्ठ लघुकथाकार सुरेश शर्मा स्मृति लघुकथा सम्मान
149 - अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद कर्नाटक इकाई द्वारा 2021 में प्रमाण-पत्र
150 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2021 में नेशनल आइकॉन अवार्ड
151 - राज रचना कला एवं साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2021 में पर्यावरण सरंक्षण सम्मान
152 - गुगनुराम प्रकाशन बोहल (हरियाणा) द्वारा 2021 में सम्मान-पत्र
153 - श्री अष्टांग योग बहुउद्देशीय संस्था जलगांव (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में कोविद योद्धा सम्मान पत्र
154 - डब्ल्यू.ए.सी.ग्लोबल ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन बड़ोदरा (गुजरात) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
155 - जी.ए. सी. ग्लोबल एनवीरोंमेंट कॉउन्सिल बड़ोदरा (गुजरात) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
156 - जी.ए. सी. एन्टी करप्शन अवेयरनेस कॉउन्सिल बड़ोदरा (गुजरात) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
157 - जी.ए. सी. चैरिटेबल एंड वेलफेयर कॉउन्सिल बड़ोदरा (गुजरात) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
158 - श्री राजपूत करणी सेना जलगाँव (महाराष्ट्र) द्वारा 207 में सम्मान-पत्र
159 - असिस्ट वर्ल्ड रिकार्ड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 2021 में सर्टिफिकेट ऑफ किंडनेस
160 - इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स अम्बेसडर आर्गेनाइजेशन (यूनाइटेड किंगडम) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
161 - मानस चैरिटेबल ट्रस्ट अहमदाबाद (गुजरात) द्वारा सहभागिता पत्र
162 - जनभाषा हिन्दी डॉट कॉम मैनपुरी (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में जनभाषा हिन्दी रचनाकार सम्मान
163 - वक्ता मंच रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2021 में पर्यावरण मित्र सम्मान
164 - विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
165 - डायनामिक पीस रेस्क्यू मिशन इंटरनेशनल द्वारा ग्लोबल अम्बेसडर 2021
166 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में रचना चयन प्रमाण पत्र
167 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2021 में सावन रत्न सम्मान
168 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में भारत के साहित्य रत्न सम्मान
169 - इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी पी टी वाय लिमिटेड ऑस्ट्रेलिया द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
170 - वर्ल्ड पी एच डी कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)द्वारा 2021में स्पेशल अम्बेसडर
171 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में रचना चयन प्रमाण पत्र
172 - रेडियो मेरी आवाज (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में पर्यावरण मित्र सम्मान
173 - इंकलाब साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में इंकलाब काव्य कथा सम्मान
174 - मिनिस्ट्री ऑफ कल्चरल (भारत सरकार) द्वारा 2021 में सम्मान पत्र
175 - विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
176 - जनभाषा हिन्दी डॉट कॉम मैनपुरी (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में जनभाषा हिन्दी काव्य कलम साहित्य सम्मान
177 - ज्ञानोदय साहित्य संस्था (कर्नाटक) द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
178 - डब्ल्यू.ए.सी.ग्लोबल ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन बड़ोदरा (गुजरात) द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
179 - रक्तकोष फाउंडेशन द्वारा 2021 में सहभागिता पत्र
180 - भगवंतराव शिवाजी पाटील महाविद्यालय परतवाड़ा ,अमरावती (महाराष्ट्र) द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
181 - ब्राउन डायरी विरुधनगर (तमिलनाडु) द्वारा 2021 में सर्टिफिकेट ऑफ पब्लिकेशन
182 - ई. एस. एन. पब्लिकेशन विरुधनगर (तमिलनाडु) द्वारा 2021 में सर्टिफिकेट ऑफ पब्लिकेशन
183 - विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
184 - भारत माता अभिनंदन संगठन भिवानी (हरियाणा) द्वारा 2021 में भारत माता अभिनंदन सम्मान
185 - विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
186 - विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस द्वारा 2021 में प्रमाण पत्र
187 - हिमालय और हिन्दुस्तान देहरादून (उत्तराखंड) द्वारा 2021 में हिमालय और हिन्दुस्तान साहित्य भूषण सम्मान
188 - ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय आगरा (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2020 में कालिका दर्शन एवं साहित्य अलंकरण
189 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी फतेहबाद (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2021 में युवा कलम गौरव सम्मान
190 - हिन्दी वर्ल्ड ऑफ राइटर्स द्वारा 2022 में श्रीसाहित्य सम्मान
191 - एशियन एजुकेशन नेशनल बिल्डर्स सोनभद्रा (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2022 में सर्टिफिकेट ऑफ अचीवमेंट
192 - बॉल विकास प्रतिष्ठान इण्डिया बेंगलोर (कर्नाटक) द्वारा 2022 में प्रजा शक्ति अवार्ड
193- छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2022 में जन गण माला सम्मान
194 - इनिसिएटिव फॉर मॉरल एन्ड कल्चरल ट्रेनिंग फाउंडेशन रायपुर चैप्टर द्वारा 2022 में प्रशस्ति पत्र
195 - ब्रजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी फतेहबाद (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2022 में बसंतोत्सव साहित्य सम्मान
196 - राज रचना कला एवं साहित्य परिषद रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा 2022 में फेस ऑफ इण्डिया अवार्ड।
197 - अभिव्यक्ति इ समाचार बिजनौर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2022 में मातृभाषा संवर्द्धक सम्मान |
198 - रेडियो मेरी आवाज बिजनौर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2022 में सहभागिता पत्र |
199 - जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा 2022 में बाबा खाटू श्याम सम्मान |
200 - साहित्य-24 दिल्ली द्वारा 2022 में सहभागिता पत्र |
201 - अभिव्यक्ति इ समाचार बिजनौर (उत्तरप्रदेश) द्वारा 2022 में अभिव्यक्ति काव्य सृजन सम्मान |
202- वाइस ऑफ हार्ट जयपुर (राजस्थान) द्वारा 2022 में सहभागिता पत्र |
विशेष : -
- मेरी पहली रचना का प्रकाशन : 2003 में (18 वर्ष की उम्र में)
- साहित्यिक यात्रा के गुरु :स्व. राजा घाटचवरे जी और शिव नारायण देवांगन जी
- छत्तीसगढ़ की भूमि में : 08 अगस्त 2000 से (उस समय मध्यप्रदेश था)
- अध्यक्ष: राज रचना कला एवं साहित्य परिषद रायपुर
- आजीवन सदस्य : इण्डिया इंटर कॉन्टिनेंटल कल्चरल एसोसिएशन चंडीगढ़
- भक्त कर्मा साहू विकास संघ रायपुर
- महासभा सदस्य : अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा दिल्ली
- सदस्य : भारतीय कलाकार संघ//भारतीय जनता पार्टी
- पत्र - पत्रिकाओं के आलावा अनेक साहित्य संकलनो पर रचनाएँ प्रकाशित है
पता :
ई.डब्ल्यू.एस.-11, ब्लॉक-12, हाउसिंग बोर्ड कालोनी
अटल चौक के पास नरदहा रायपुर (छत्तीसगढ़) 493111
क्रमांक - 05
पति का नाम :- शारदेंदु झा
प्रकाशित पुस्तके -
नटखट बचपन - काव्य संग्रह (चुलबुली नानी की रंगीन फुलझड़ियाँ )
नादानियाँ - लघुकथा संग्रह (बाल लघुकथायें छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग द्वारा
विशेष : -
- छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा मेरी पहली पुस्तक को दस हज़ार राशि अनुदान से पुरस्कृत किया गया था
- ७० से अधिक मंच से जुड़ी
- २० मँचो में नियमित लेखन काव्य एवं , लघुकथा ,लेख
- १५० साँझा काव्य संकलन
- २०० लघुकथा प्रकाशित
स्थायी पता :-
मकान नम्बर -3,दुर्गा मंदिर के सामने , आनंद नगर , रायपुर -492001 छत्तीसगढ़
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर -मैंने कालेज़ स्कूल से लिखना शुरू किया था कालेज़ पत्रिका नवभारत पेपर मेरे पिता कवि और लेखक मेरे ससुर जी प्रेरणा श्रोत
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर :- मेरी पहली रचना लेख जयप्रकाश नारायण पर प्रकाशित हुई थी विभिन्न मेरे छात्र काल में .
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर :- लघुकथा काव्य लेख ,बाल साहित्य पर रूचि रखती हूँ प्रकाशित चार एकल सँग्रह काव्य एक तीन लघुकथा नटखट बचपन काव्य रचना चुलबुली नानी की रंगीन फुलझड़ियाँ लघुकथा नादानियाँ ,छप चुकी है ये दो लाल चौरा ,छतीसगड़ी कथा छपने गई
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर :- समाज में आपसी भाईचारा और एक जुटता बनी रहे .
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर :- मेरी पसंदीदा रचनाकार श्रीमती कांता रॉय , भोपाल तथा श्री महेश राजा , महासमूँद
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर :- कुकिंग बेकिंग क्लास मूक बधिर को सिखाया
रेडियो बाल कहानी दूरदर्शन में यात्रा वर्णन
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर :- बहुत ही प्रासंगिक है क्यूँकि ये कई साहित्य कारों से जुड़े रहने का एक सशक्त माध्यम है . जिससे ग्लोब के कई किनारे में बैठे दो लोग एक दूसरे से जुड़ जाते है .
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर :- साहित्य पहले समाज का दर्पण होता था जो कि अब व्यक्तिगत रूचि एवं प्रतिभा का द्योतक बन गया है. FB का साहित्य की अपनी उपयोगिता है . Live कार्यक्रम में रचनाएँ क्षणिक एवं सीमित विषय ओर होती है किंतु फ़ेसबुक का साहित्य साहित्यकार के वास्तविक मनोदशा को दर्शाता है .
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर :- पुरस्कारों की अपनी कहानी और आधार है .उससे अपनी तुलना नहीं करनी चाहिये और न ही टिप्पणी .
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर :- मेरे जीवन की महत्वपूर्ण घटना मेरा लेखन के क्षेत्र में पदार्पण है वरना 52 वर्ष की उम्र में स्टॉर्टप के उदाहरण विरल ही है .
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर :- परिवार का योगदान बहुत बड़ा है और महत्व पूर्ण भी परिवार के सहयोग अलग तरह से बच्चों का तथा पति का सहयोग सराहनीय है .
क्रमांक - 06
मूल नाम : बिजेन्द्र प्रताप तिवारी
माता : स्वर्गीया श्रीमती मालती तिवारी ,
पिता : श्री रमाकान्त तिवारी
जन्म तिथि: 01 जुलाई 1960 (द्वादशी,आषाढ़, कृष्ण पक्ष,संवत-२०१७ वि० )
जन्म स्थान : गाजीपुर - वाराणसी - उत्तर प्रदेश
शैक्षिक योग्यता : संपादन विशारद, साहित्यरत्न,परास्नातक विद्यावारिधि ,विद्यासागर(
पीएचडी, डी.लिट.मानद ) आदि की उपाधियां
विधाएं : कविता,कहानी ,नाटक, उपन्यास,लघुकथा, आत्मकथा, आलोचना, समीक्षा,पत्र, संस्मरण,साक्षात्कार,बाल साहित्य, संपादन आदि
प्रकाशित कृतियां -
संबोधन (काव्य संग्रह),
शिवा-शौर्य (खंडकाव्य),
समरभूमि , श्रीकृष्ण चरित ( महाकाव्य),
अंधेरे के खिलाफ,हरिओम तथा अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) ,
अकिंचन,धर्मचक्र (एकांकी संग्रह),
दानवीर कर्ण,वनवासिनी सीता ( नाटक),
पितामह भीष्म, उबलता लहू , नेह निर्झर,लाजो ( उपन्यास),
समय की सलीब पर-दो भाग(आत्मकथा),
साहित्यकारों से साक्षात्कार,
आलोचना का द्वंद्व और समीक्षा (आलोचना),
प्यारा भारत,नन्हें मुन्ने गीत , देश हमारा,स्वतंत्रता के अमर शहीद, अपना गांव ( बाल साहित्य) आदि।
पुरस्कार/ सम्मान -
- अयोध्या सिंह उपाध्याय ' हरिऔध ' पुरस्कार (मऊ,आजमगढ़),
- शकुंतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार (इलाहाबाद), सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार का सम्मान,
- मोहन राकेश नाटक पुरस्कार ,बाल साहित्य सम्मान ( उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ ) ,
- भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान (हिंदुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज),
- हिंदी अकादमी,मुंबई का शिक्षारत्न सम्मान,
- अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अखिल भारतीय हिंदी महासभा, विश्व हिंदी महासभा, नई दिल्ली, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, विधान भवन, लखनऊ का पराग पुरस्कार आदि सहित देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा कई दर्जन सम्मान एवं पुरस्कार।
विशेष : -
- वैश्विक साहित्य त्रैमासिक का लगभग १० वर्षों तक लगातार संपादन
- भारत के कई विश्वविद्यालयों में एम०फिल, पीएचडी का शोध कार्य हो चुका/ चल रहा है।
- अमेरिकन रिसर्च इंस्टीट्यूट के दो बार सलाहकार
- अमेरिका के राम काव्य पीयूष, कृष्ण काव्य पीयूष सहित अनेक देशों के संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित
- विभिन्न संस्थाओं में सचिव,महामंत्री,निदेशक- रिसर्च फाउंडेशन ,सं.इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय,नई दिल्ली,का०अध्यक्ष- अखिल भारतीय साहित्य परिषद, प्रयागराज,पूर्व अध्यक्ष -काशी प्रांत,वर्तमान राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिन्दी महासभा, विश्व हिंदी महासभा, नई दिल्ली
पता :
राष्ट्रीय अध्यक्ष -भारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान,
केंद्रीय विद्यापीठ मार्ग ,हवेलिया,प्रतिष्ठानपुर(झूसी), प्रयागराज - 211019 , उत्तर प्रदेश , भारत
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने कक्षा -९ से कविताएं लिखना शुरू किया। तब मेरी उम्र १३ वर्ष रही होगी। पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित प्रसिद्ध कवियों की कविताएं ही प्रेरणा बनी।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली कविता विद्यालय की ही वार्षिक पत्रिका ' अंजना ' सन्-१९८४ ई० में प्रकाशित हुई।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं लगभग साहित्य की सभी विधाओं यथा-कविता, कहानी,लघुकथा, नाटक , एकांकी, उपन्यास ,आलोचना समीक्षा आदि में लिखता हूं ।साक्षात्कार विधा में भी मेरी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिसमें सुप्रसिद्ध साहित्यकारों यथा- पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी, महीयसी महादेवी वर्मा, अमृतलाल नागर, महाकवि श्याम नारायण पांडेय, राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी, डॉ रामकुमार वर्मा,गौरा पंत शिवानी ,डॉ०रामविलास शर्मा, विनोद रस्तोगी,रामेश्वर शुक्ल अंचल आदि का मैंने साक्षात्कार लिया है। कविता तो मुझे सर्वाधिक प्रिय है, इसीलिए फुटकर कविताओं के अलावा मैंने खंडकाव्य, महाकाव्य भी लिखा है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मैं साहित्य के माध्यम से मनुष्य को मनुष्य बनने की प्रेरणा देता हूं ।उदारता ,समन्वय, सामाजिकता, धार्मिक, भाषाई एकता और राष्ट्रवाद के प्रति अपने पाठकों को प्रेरित और सचेत करता हूं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आपके पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तकें हैं ?
उत्तर - वर्तमान समय में तस्लीमा नसरीन की लज्जा ने मुझे प्रभावित किया है। डॉ ० विवेकी राय का मंगल भवन, अमंगल हारी उपन्यास भी अच्छा लगा।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी के देशी- विदेशी चैनलों के अलावा दूरदर्शन के कई केंद्रों से मुझे काव्यपाठ करने,साक्षात्कार देने तथा बातचीत करने का अवसर मिला। आरंभ में कार्यक्रम अधिकारी तब तक कार्यक्रम नहीं देते थे ,जब तक निदेशक की सहमति न हो, विवाद भी करना पड़ता था, किंतु अब आसानी से बुलावा आ जाता है।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों ?
उत्तर - कवि सम्मेलन अब मनोरंजन का केंद्र हो गए हैं। बहुत बड़ा साहित्यकार कवि तो मंचों पर जाना ही नहीं चाहता। कुछ गीतों, राष्ट्रगीतों ,गजलों को छोड़ दिया जाए तो शेष फूहड़ हास्य के प्रतीक बनकर ही रह गए हैं। हां कवियों ने इसे धनार्जन का माध्यम अवश्य बना लिया है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है ? तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य वह है,जिससे सबका हित होता हो, वह समाज का प्रिज्म होता है, वह केवल दर्पण की तरह सामाजिक दृश्यों को प्रस्तुत नहीं करता ,वरन उसमें प्रिज्म की तरह बहुरंगी कसावट होनी चाहिए। जिससे वह सामाजिक दृश्यों, घटनाओं का बहुरंगी विवेचन कर सके और उसे सोद्देश्य बना सके। फेसबुक का साहित्य क्षणिक आनंद का प्रतीक होता है ,उसमें विस्तार की संभावना बहुत कम होती है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार तो हमेशा विवाद का विषय रहे हैं। ईमानदारी से १-२ प्रतिशत ही पुरस्कार मिल पाते हैं। शेष जुगाड़ से मिलते हैं। अब तो तुम मुझे दो, मैं तुम्हें दूं वाली संस्कृति विकसित हो रही है। सरकारी, गैर सरकारी सभी पुरस्कारों का यही हाल है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मैं बहुत से साहित्यकारों से मिला ,महाकवि श्यामनारायण पांडेय, राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी,महीयसी महादेवी वर्मा,भीष्म साहनी, विष्णु प्रभाकर, नरेश मेहता, डॉ० जगदीश गुप्त, नरेंद्र कोहली आदि जैसे साहित्यकारों से लंबी बातें भी होती रही । कुछ के घर रात्रि विश्राम भी हुआ और साहित्य के विभिन्न पक्षों पर चर्चाएं भी होती रही । एक बार विष्णु प्रभाकर जी ने कहा था की साहित्य को किसी सहारे की जरूरत नहीं होती ,वह अपने दम पर फूलता,फलता है। उसे किसी दल के दलदल में जाने की भी जरूरत नहीं है और भूमिका लिखा कर अपनी पुस्तक की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लगाना या बैसाखी लगाना ,अच्छा नहीं होता । यह बात एक बार नरेश मेहता जी ने भी कही थी,तब से मैं अपनी पुस्तकों पर किसी की भूमिका नहीं लिखवाया । कुछ साम्यवादी साहित्यकार जरूर मुझसे मिलना नहीं चाहते थे, इसलिए मैं भी उनसे मिलने नहीं गया।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरा मझला भाई ,पत्नी, बच्चे यथोचित सहयोग करते रहे। कभी-कभी आपसी अनबन तो हो ही जाती है, फिर भी इन लोगों ने काफी सहयोग किया है। कुछ मित्रों,पाठकों,संपादकों, प्रकाशकों, संस्थाध्यक्षों, राजनीतिज्ञों का भी मुझे सहयोग मिलता रहा है। इसलिए सभी का आभार.....। =================================
क्रमांक - 07
पिता : श्री ओमप्रकाश वैद
जन्म : 7 अगस्त 55 , दिल्ली
शिक्षा : ।एम.ए..हिंदी. अग्रेंजी.. बी.एड.पी एच डी हिंदी
पुस्तकें : -
1. आंकाक्षा की ओर ( काव्य संग्रह )
2.मनोवैज्ञानिक उपन्यासों मे असामान्य पात्र ( शोध प्रबंध )
साहित्यिक उपलब्धियाँ : -
- कथादेश 2017 अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता मे पाँचवा स्थान।
- विश्व हिंदी संस्थान कनाडा की ओर से , कविता आमंत्रण मे कविता बेटियाँ को प्रशस्ति पत्र।
- उदीप्त प्रकाशन द्वारा लघुकथा श्री एवं काव्य भूषण सम्मान।
- हरियाणा स्वर्ण जयंती उत्सव 2017 हिंदी साहित्य सेवा सम्मान
- काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान 2017
- भाषा सहोदरी 2016 / 2017 लघुकथा एवं कविता के लिए प्रशस्ति पत्र।
- कलम की आवाज ऐरावत आन लाईन विराट कवि सम्मेलन मे सम्मान पत्र।
- काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान 2018
- साहित्य सरोज लघुकथा प्रतियोगिता - 2018 लघुकथा चक्की को तृतीय स्थान।
- इंदौर की शुभसंकल्प संस्था की ओर से कहानी प्रतियोगिता में तृतीय स्थान।
- जैमिनी अकादमी द्वारा अखिल भारतीय हिंदी लघुकथा
प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार।
- अमृत धारा साहित्य महोत्सव 2018 अमृतादित्य साहित्य गौरव।
- शब्द शक्ति साहित्यिक संस्था गुरूग्राम( पिता) विषय पर श्रेष्ठ कविता सम्मान पत्र 2019
- इंड़िया बेस्टीज अवार्ड 2019 जयपुर (,शिक्षा और साहित् के क्षेत्र में)
- नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता 2019 माँ शकुंतला कपूर स्मृति सम्मान श्रेष्ठ लघुकथा पुरस्कार।
- अग्नि शिखा साहित्य गौरव सम्मान -2019
- साहित्योदय ,साहित्य कला,संगम द्वारा ...साहित्योदय शक्ति सम्मान 2020.
- समर्पण फाउड़ेशन जोधपुर महिला दिवस 2020 आलेख प्रतियोगिता विषय (सशक्त नारी सशक्त समाज) द्वितीय पुरस्कार।
- प्रखर गूँज प्रकाशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2020 रत्नावली सम्मान।।
- मीरा भाषा सम्मान. लघुकथा विधा. 2020
- रक्त फाऊंडेशन कोश.जयपुर.आलेख प्रतियोगिता. प्रथम स्थान
विशेष : -
- नवल पत्रिका. कथा बिंब, कथादेश, मधुमती, साहित्य समीर दस्तक, सृजन कुंज, दृष्टि, प्रतिमान. आधुनिक साहित्यिक ,सुसंभाव्य पत्रिका ,सृजन महोत्सव मगसम मे लघुकथाए एवं कविताएँ
- ई पत्रिकाएं... हस्ताक्षर वेब, साहित्य सुधा ,परिवर्तन ई पत्रिका मे लघुकथाए एवं कविताएँ।
- एक सौ इककीस लघुकथाए सह लेखन
पता :
17/653 , चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड ,जोधपुर 342008 - राजस्थान
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने कालेज के प्रथम वर्ष में पढ़ते हुए लिखना शुरू किया। मेरी प्रेरणा प्रकृति के बदलते स्वरूप और जीवन की सीखें हैं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना लघुकथा विधा में 8लघुकथाएँ थीं जो 2008 में "खिड़कियों में टँगे हुए लोग" साझा संकलन मे प्रकाऐ हुई। इसके पहले मैंने अनेक कविताएँ लिखी थीं पर प्रकाशन की ओर ध्यान नहीं गया।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं कविता, लघुकथा, कहानी, हाइकु,तांका, हाईबुन, पिरामिड, सायली,बाल साहित्य, समसायिक आलेख समीक्षाएँलिखती हूँ । मैंनें आरंभ तो कविता से किया पर लघुकथा, कविता और हाइकु अधिक पसंद हैं । वैसे नयी विधाएँ सीखना अच्छा लगता है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज में आए पारिवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत बिखराव से बचाए और देश भक्ति की भावना , संस्कार और संस्कृति को लेखनी को जन- जन तक पहुँचाएं तभी सार्थक है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मुझे आत्मकथाएँ पढ़ना और उससे प्रेरणादायक प्रसंग को नोट करना पसंद हैं। मेरे पसंदीदा लेखक डा.हरीदास व्यास , मनु भंड़ारी, कमलेश्वर, नागार्जुन, चित्रा मृदुल, हरिवंशराय बच्चन, कबीर रहीम हैं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर -जी मेरी आकाशवाणी से वार्ता प्रसारित हुई है। यह अनुभव सुखद रहा।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर -कवि सम्मेलनों की सार्थकता तो है पर इस और ध्यान देना होगा कि फूहड़ता और नंगापन ना हो।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य हमारे भूत,भविष्य और वर्तमान को नये आयाम देती है। ये अच्छा शिक्षक है। फेसबुक ने भी साहित्य को नया आकाश दिया है। बस रचनाएँ चोरी होने का भय रहता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कारों से प्रोत्साहन मिलता है। आवश्यकता है तो पार्दर्शिता की।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मेरे जीवन की महत्वपूर्ण घटना मेरी बेटी के नेट परीक्षा से जुड़ा है। उसने एम.ए. फाईनल के साथ बिना किस कोचिंग के प्रथम प्रयास में कठिन परीक्षा पास की थी। समाज सेवा का उसका जुनून और लक्ष्य पर दृढ़ता प्रियतम है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार ही मेरी साहित्यिक यात्रा की गति को बढ़ाता है
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क्रमांक - 08
जन्म : बुलन्दशहर - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : एम० ए० , बी० एड० , एल०एल० बी० , विद्मावाचस्पती
प्रकाशित पुस्तकें :-
निराशा छोड़ो सुख से जिओ,
आस्था के पड़ाव ,
अनुभूतियों के स्वर ,
शब्द तरंग ,
क्षितिज ,
नक्षत्र ,
इन्द्र धनुषी ग़ज़लें ,
ऑख - ऑख का नीर ,
हस्ताक्षर गीतों के ,
चिरागों को जला दो ,
गीतिकायन ,
हादसों का सफर ,
पृथ्वी के शब्द ,
काव्य सरिता ,
ऑख तो ऑख है ,
मोक्ष की तलाश ,
मुठ्ठी में कैद ,
भोर की किरण ,
शंखनाद ,
जो चाहें पायें ,
हताशा छोड़ो खुशी से जिओ ,
कैसे बिदकी घोड़ी
सम्पादन :-
लोहिया विचार ( साप्ताहिक समाचार पत्र )
दैनिक बरनदूत ( दैनिक समाचार पत्र)
बरनदूत ( साहित्यिक मासिक पत्रिका )
बुलन्द प्रभा ( साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका )
अनुभूतियों के स्वर ,
शब्द तरंग ।
सम्मान :-
साहित्य विद्यालंकार ,
समाज रत्न ,
साहित्य सरताज ,
आचार्य ,
साहित्य श्री ,
रचना सम्मान ,
कार्य वैभव ,
श्री सम्मान ,
स्व० हरि ठाकुर सम्मान ,
साहित्य गौरव ,
परम श्री सम्मान ,
विद्मोत्तमा साहित्य सेवी सम्मान ,
रेडडायमंड एचीवर अवार्ड ,
राष्ट्रीय परमहंस काव्य सम्मान ,
आगमन सम्मान ,
ऑनस्ट क्लब काव्य सम्मान
विशेष : -
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की मानद सदस्यता ,
- अमेरिकन बायोग्राफिकल इन्स्टीट्यूट के रिसर्च बोर्ड में एडवाइजर
पता :-
218 - शारदा विला , कृष्णानगर, बुलन्दशहर - 203001 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने अठ्ठारह वर्ष की उम्र से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था। मुंशी प्रेमचंद , जयशंकर प्रसाद , व उपेन्द्र नाथ अश्क , शुरू से ही मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। इनकी रचानाओं ने हमेशा ही मुझे लिखने को प्रोत्साहित किया है । मैंने ग्याहरवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही अपना प्रथम उपन्यास " भाग्य लिख लिया था ।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - यूॅ तो मेरी रचनाएं यदाकदा विद्यालय की वार्षिक पत्रिका में छपती रहती थी । मगर अधिकृत रुप से अमर उजाला दैनिक समाचार पत्र द्वारा आयोजित आलेख प्रतियोगिता " भारतीय सभ्यता संस्कृति पर पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव का " पर मेरा आलेख अमर उजाला में प्रकाशित हुआ और उसे द्वितीय पुरस्कार मिला । पुरस्कार के रूप में मुझे पाॅच सौ रुपए का चैक प्राप्त हुआ था । जिसने मुझे आगे भी लिखने के लिये प्रोत्साहित किया ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैंने गीत ,ग़ज़ल,कविता, शेर - शायरी , आलेख , एकांकी , रिपोर्ताज , यात्रवृत्त ,संस्मरण , लघुकथा,कहानी,उपन्यास जैसी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है । मगर मैं कहानी ,उपन्यास और लघुकथाएं सहज रुप से लिखता हूॅ , और इसमें मुझे सकूं भी प्राप्त होता है ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य ही समाज का वह मूल बिन्दु है जो समाज में फैली कुरीतियों प्रथाओं व बुराइयों को मिटाकर उसमें जागरूकता का भाव पैदा कर सकता है । यानि कि तत्कालिक समाज में जो घटित हो रहा है साहित्य ही उसका दर्पण है ।मैं अपने लेखन द्वारा समाज को सकारात्मक संदेश के रुप में यही कहना चाहूॅगा कि हमें आपसी वैमनस्यता , भेदभाव , दुश्मनी व कटुता को भुलाकर स्नेह , प्रेम और सौहार्द्रता के साथ आपसी भाईचारे की भावना को मजबूत कर देश की तरक्की और विकास में योगदान करना चाहिये ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य में मुझे अपना कहानी संग्रह " मोक्ष की तलाश " और उपन्यास " भ़ोर की किरण " पसंद है क्योंकि मैं खुद से और अपनी रचनाओं से पर्याय करता हूॅ ।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - मुझे आकाशवाणी नजीबाबाद व मथुरा आकाशवाणी पर प्रसारित होने का अवसर प्राप्त हुआ है जो मेरे लिये एक सुखद अनुभव रहा है ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन आज भी प्रासंगिक हैं , बशर्ते उसमें फूहड़ भौड़ी और स्तरहीन रचनाओं का स्थान न हो , क्योंकि कवि सम्मेलन समाज की तर्कहीन अव्यवस्था तथा शासन की गलत नीतियों पर पर करारा प्रहार करने का एक सशक्त माध्यम है ।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य ही समाज का दर्पण है , साहित्य समाज से जुड़ा है और समाज साहित्य से जुड़ा है। यह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । समाज के बिना साहित्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती । और साहित्य समाज का वह पहलू है जो उसे एक उचित दिशा प्रदान करता है । बात जहाॅ तक फेसबुक के साहित्य की है तो इस सम्बन्ध में , मैं यही कहना चाहूंगा कि कुछ अपवादों को छोड़कर , फेसबुक पर परोसा जा रहा है ज्यादातर साहित्य स्तरहीन ही है । जो केवल ज्यादा से ज्यादा लाईक और कमेन्ट की लालसा से ही पोस्ट किया जाता हैै । साहित्य के साथ इससे ज्यादा भद्दा मजाक व खिलवाड़ और क्या हो सकता है?
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की अपनी अलग ही कहानी है । ज्यादातर सरकारी पुरस्कार बिना किसी ऊॅची सिफारिश, चमचागिरी या मक्खनबाजी के वगैर मिलना टेड़ी खीर ही है , वह रचनाकार बहुत ही भाग्यशाली जिसे बिना कसरत के यह पुरस्कार प्राप्त हो जाते हैं । अब बात जहाॅ तक गैर सरकारी पुरस्कारों की है तो उसके लिये भी किसी साहित्यिक मठाधीश का वरद्हस्त होना परमावश्यक है । वैसे एक सच्चा साहित्य सेवक कभी किसी पुरस्कार के लालच में रचना कर्म करता है वरन् वह तो इसे पूजा मानकर ही अपने कर्म को सम्पादित करता है । जो रचना पुरस्कार के लोभ में लिखी जाती है वह साहित्य हो ही नहीं सकती । सर्वान्त में यही कहूॅगा कि वास्तव में सम्मान के लायक है , उनका सम्मान हो ही नहीं रहा ?
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - हाॅ मैं एक घटना का उल्लेख अवश्य करना चाहूॅगा । फर्रुखाबाद शहर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हो रहा था । उसमें प्रसिद्ध कवि श्रद्वेयवर गोपालदास नीरज जी भी पधारें थे , कवि सम्मेलन के मध्य ही उन्हे लघुशंका की तीव्रता ने परेशान किया तो , वह उससे निवृत्त होने के लिये जैसे ही उठे वैसे ही मदिरापान की अधिकता के कारण लड़खड़ा कर गिरने ही वाले थे कि तभी मैंने दौड़कर उन्हे थाम कर गिरने से बचा लिया ।तथा अपनों कन्धों का सहारा देकर उन्हें लघुशंका कराने के लिये ले गया । तभी उन्होंने मुस्कराते हुए मेरी पीठ थफथपा कर कहा कि वास्तव में आज तुमने मुझे गिरने से बचा लिया ।
तुम्हारा यह अहसान मैं तमां उम्र नहीं भुला पाऊॅगा । इसी आयोजन में अकेले में होटल के कमरे में श्रद्वेयवर वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सुमन जी से होने वाली मुलाकात भी जीवन की एक अविस्मरणीय घटना बन गई है । उनका सानिध्य और आशीर्वाद मेरी सांसों को हमेशा महकाता रहेगा ।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार का महत्त्वपूर्ण योगदान है , उनके सहयोग के वगैर मेरा लेखन सहजता से सम्भव नहीं हो पाता । परिवार से सम्बन्धित समस्त दायित्वों का पत्नी द्वारा निर्वहन करने के कारण ही मेरा सृजन कार्य निर्बाध गति आगे बढ़ता रहता है ।
क्रमांक - 09
जन्म : 16 अगस्त , जबलपुर - मध्यप्रदेश
शिक्षा : एम ए, पीएच.डी.
संप्रति : लेखन
पुस्तकें : -
६ कथा संग्रह,
संयुक्त उपन्यास प्रकाशित।
महिला रचनाकार: अपने आईने में आत्मकथ्य पुस्तक रूप में प्रकाशित
पुरस्कार :-
- ३राज्यस्तरीय पुरस्कार।
- भूटान ,थाईलैंड में सम्मान।
- मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एवं हिंदी भवन- न्यास का हिंदी सेवी सम्मान,भोपाल (२०१७)।
- २०१३ बिहार में २५वें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में लघुकथा रत्न सम्मान
विशेष : -
- लगभग दो दशक तक विभिन्न अखबारों में फीचर संपादक के पद पर कार्य।
- 'सखी की बात ' स्त्री विमर्श पर स्तम्भ लेखन। जो वर्षों तक चला।
- जंगलों की तथा देश विदेश की लगातार सैर ।
- चिड़ियों पर विशेष शोध हेतु सुप्रसिद्ध ornithologist श्री सलीम अली के साथ सुदूर सामुद्रिक यात्राएं।
- बीसवीं सदी की महिला कथाकारों की कहानियां (खंड नौ में )कहानी।
- द संडे इंडियन पत्रिका में 21वीं सदी की 111 हिंदी लेखिकाओं में एक नाम।
- 'कथामध्यप्रदेश' अविभाजित मध्य प्रदेश के कथाकारों पर केन्द्रित वृहद कथाकोश -
- समकालीन कहानी खंड -३ में कहानी संकलित ।
-कविता ,कथा संग्रह का संपादन ।
- प्रख्यात साहित्यकार स्वर्गीय विजय वर्मा की स्मृति में हेमंत फाउंडेशन की स्थापना ।पिछले 20 वर्षों से "विजय वर्मा कथा सम्मान " एवं " हेमंत स्मृति कविता सम्मान "प्रदान करना ।ट्रस्ट की संस्थापक/ सचिव ।
पता:
94- ए,चंदन नगर , जुलै , सोलापुर 413005 महाराष्ट्र
प्रश्न न. 1 -आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है?
उत्तर - २१-२२ की उम्र में कहानी लिखी। वैसे स्कूल के दिनों में अमावट, सपना, देशप्रेम और सीख आदि कहानी कविता 'पराग 'में छपी थीं। प्रेरणा का स्रोत आसपास की घटनाएं ही होती हैं और उसमें कल्पना को डालकर कहानी का बन जाना यही मैं मानती हूं।
प्रश्न न. 2 - आपकी पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है।
उत्तर - सबसे पहले माधुरी पत्रिका जो फिल्मी पत्रिका है उसमें कहानी छपी जिसमें कुछ पेज उस समय साहित्य के भी लगाए जाते थे ।लेकिन वह मेरी पहली कहानी नहीं थी। पहली लिखी कहानी साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपी थी। बाद की लिखी कोई कहानी माधुरी में छपी थी। नवनीत में जब "आप की पहली कहानी" की श्रंखला शुरू हुई तो उसमें भी मेरी कहानी सर्वप्रथम छपी। बाद में सभी पत्रिकाओं में कहानियां छपने लगीं।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पसंद करते हैं ।
उत्तर - सभी विधाओं में लिखती हूं। अब तक तीन हजार के लगभग लेख सभी विधाओं पर प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी, कविता, लघु कथा, बोध कथा, उपन्यास आदि प्रकाशित हो चुके हैं। प्रमुख रूप से कहानी और उपन्यास लिखना ही पसंद है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर - साहित्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों को दूर करना ही प्रमुख उद्देश्य है। लेखों में इन्हीं सब विषयों पर प्रमुखता से लिखा है। मेरा स्थाई स्तंभ "सखी की बात "इन्हीं बातों को लेकर सांध्य दैनिक में कई वर्ष तक चलता रहा।
प्रश्न न.5 - वर्तमान साहित्य में आपके पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है?
उत्तर - बहुत से लेखक पसंद आते हैं । जो रचना दिल को छू गई वही अच्छी है। इसमें वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है ।निर्मल वर्मा , अज्ञेय अच्छे लगते हैं। उनकी रचनाओं ने सचमुच बहुत प्रभावित किया। फिर आगे बढ़ें तो किसी विशेष रचना का नाम नहीं लिया जा सकता ।बहुत सी रचनाएं पसंद आती हैं। संतोष श्रीवास्तव का "टेम्स की सरगम "बहुत ही अलग ढंग का उपन्यास है। पसंद आया उस पर मैंने लिखा भी है। हंस में और प्रतिष्ठित कई पत्रिकाओं में छपी वर्तमान लेखकों की कई कहानियों ने बहुत विशेष स्थान बनाया है। अतः किसी एक नाम पर नहीं जाया जा सकता। बहुत से कथाकारों की रचनाएं अच्छी लगती हैं।
प्रश्न न.6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है यह अनुभव कैसा रहा।
उत्तर - लगातार आकाशवाणी पर 22 वर्ष की उम्र से ही आती रही हूं। आकाशवाणी राजकोट से संपूर्ण कहानी की श्रृंखला प्रसारित हुई थी ।उसमें मेरी 8 कहानियां ली गई थीं। बाद में औरंगाबाद और मुंबई से आज तक भी कहानियों का प्रसारण हो रहा है। बीच-बीच में बच्चों को सिखाते हुए पाठ भी प्रसारित हुए। आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर दिल्ली दूरदर्शन से कुबेर दत्त जी के सानिध्य में साक्षात्कार का प्रसारण हुआ। यह अनुभव बहुत ही अच्छा था। शुरू में थोड़ा नर्वस थी दूरदर्शन पर आने पर। लेकिन बाद में सहज हो गया।
प्रश्नन.7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - जनता से रूबरू होने का मौका मिलता है ।प्रकाशित साहित्य सीमित लोगों तक पहुंचता है ।लेकिन कवि सम्मेलनों में अपार भीड़ होती है। आप मंच के द्वारा दूर-दूर तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं इसलिए कवि सम्मेलन प्रासंगिक होते हैं।
प्रश्न न.8 - आपकी नजर में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं?
उत्तर -साहित्य संपूर्ण समाज का आईना है। साहित्य क्रांति लाता है। साहित्य दिशा निर्देश भी करता है ।जो कुछ हमारे आसपास घटित होता है उसे लेखक अपने शब्द देते हैं ।कितनी ही ऐसी जानकारियां हैं जो साहित्य के द्वारा हम तक पहुंचती हैं। कितने ही लेखक शोध करके प्रसिद्ध लोगों की जीवनियां लिखते हैं। और वह हम तक पहुंची चाहें वह हिटलर हो या महात्मा गांधी। हम इन्हीं साहित्यिक शोध के कारण जान सके उनके जीवन को। हम साहित्य द्वारा ही जान पाते हैं यहां तक कि किस गांव शहर में क्या हो रहा है। यह आलेखों द्वारा ही हम तक पहुंचता है ।तो शायद हमेशा से साहित्य हमारी संपूर्ण जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है । हां !फेसबुक के साहित्य में चोरियां भी हो रही हैं। और फेसबुक पर जो निरंतर छाए रहते हैं आजकल वही महत्वपूर्ण माने जाते हैं यह गलत है। अर्थात फेसबुक अपने आप को प्रदर्शित करने का एक सुगम रास्ता है। क्या यह जानने का कोई तरीका है कि हमने जो कुछ फेसबुक पर डाला उसे आपने सचमुच पढा़ अथवा लाइक का बटन दबा दिया।
प्रश्नन. 9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है।
उत्तर -सरकारी पुरस्कारों के बारे में उत्तर देना नहीं चाहती क्योंकि इसके बारे में बहुत कुछ सुना है। कैसे पद पर बैठे अपने ही व्यक्तियों को पुरस्कृत करते हैं। कुछ गैर सरकारी पुरस्कार अवश्य पारदर्शी आज तक हैं। मेरे अनुसार साहित्य के विकास में पुरस्कार की भूमिका नहीं होनी चाहिए।
प्रश्नन. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेंगे।
उत्तर -अवश्य। यह उस समय की घटना है जब मैं जबलपुर में कक्षा चार में पढ़ती थी। हमारे बंगलो के सामने ही कोर्ट बन रहा था। जिसकी नींव खोदी जा चुकी थी ।हमारे बंगले के बाजू में भारत सेवक समाज का ऑफिस था। पिताजी एडवोकेट और मां भी भारत सेवक समाज में कार्यरत थीं। वहां पर दो व्यक्ति( भाई) काम करते थे जिन्हें हम छोटा पांडे बड़े पांडे पुकारते थे । उनकी डाक हमारे घर पर आती थी। मां ने शाम सात 7:30 के आसपास उनकी डाक का लिफाफा देने मुझे उनके घर भेजा। यह लोग अत्यंत गरीबी से मजदूरों जैसी कोठी में रहते थे दरवाजे भी ऐसे ही बाहर का दरवाजा झटके से खुल जाए। शायद इसलिए कि इन पर किसी का ध्यान ना जाए। सिर्फ हम लोग दोनों ,और दूर-दूर तक कोई नहीं ।कोई घर नहीं। मैं उनके घर गई मैंने पांडे- पांडे करके आवाज लगाई । दरवाजा खुल गया। वहां किसी की आवाज आ रही थी कोई बात कर रहा था। बड़ा पांडे जवाब दे रहा था। कई पेपर्स मशीन में से निकल भी रहे थे। मुझे देखकर वे स्तब्ध रह गए मैंने लिफाफा दिया और कहा-" कि आप अंदर का कागज रख लो मुझे लिफाफे की टिकट दे दो । (मैं टिकट का कलेक्शन करती थी) लेकिन मैंने जो कुछ देखा और टिकट के आग्रह को उन्होंने मामूली नहीं समझा। घर आकर मैंने बाबूजी को बताया। बाबूजी सब समझ गए उन्होंने घर के सभी दरवाजे बंद कर दिए। किसी अनहोनी की आशंका में। सुबह पुलिस बुला ली बाबू जी ने। लेकिन वह लोग रात को ही घर में ताला लगा कर निकल गए। वे पड़ोसी देश के खुफिया जासूस थे। जो यहां आकर नौकरी कर रहे थे ।अखबारों में निकला । लेकिन बाबू जी ने मेरा नाम कहीं आने नहीं दिया। बस यही कि एक छोटी लड़की के द्वारा यह केस सामने आया। पुलिस ने बंद कमरे में मैंने जो देखा का बयान दिया था । लेकिन बाबूजी सामने थे। यह घटना संक्षेप में मैंने यहां बताई। बाबू जी ने बताया था कि वे दिल्ली के आसपास पकड़े गए।
प्रश्नन.11 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है।
उत्तर - शायद परिवार की अहम भूमिका ही कहेंगे ।पिताजी श्री गणेश प्रसाद वर्मा कल्याण में छपते थे। वे धार्मिक लेख आदि लिखते थे ।वे संस्कृत के विद्वान थे । और गीता के फॉलोअर। लेकिन उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी ।
मां धर्मयुग,सारिका आदि सभी पत्रिकाएं पढ़ती थीं। बड़े भाई विजय वर्मा जाने-माने साहित्यकार, पत्रकार थे। उनके नाम से हम पिछले 20 वर्षों से विजय वर्मा कथा सम्मान देते आ रहे हैं । बहन संतोष श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार हैं। तो मुझ में लेखन के प्रति रुचि आनी ही थी। फिर मेरे भतीजे हेमंत कवि रहे जो अल्पायु में नहीं रहे। उनके नाम से भी हम हेमंत स्मृति कविता सम्मान समारोह पूर्वक देते हैं। अतः लेखन में परिवार की प्रमुख भूमिका रही।
क्रमांक - 10
पिता : श्री ओम प्रकाश शर्मा
माता : श्रीमती स्नेह लता शर्मा
जन्म : 19 सितंबर 1970, चंदौसी (मुरादाबाद -उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : स्नातक, कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से ‘लेख व फीचर लेखन’ का कोर्स।
सम्प्रति : सेवारत रेल विभाग।
विधाएं : हास्य-व्यंग्य, कहानी, लेख, लघुकथा, कविता, संस्मरण, समीक्षा इत्यादि।
प्रकाशित पुस्तकें: -
1. सिर्फ तुम (लघुकथा संग्रह)
2. डोर (लघुकथा संग्रह)
3. वह लड़की (कहानी संग्रह)
4. मुफ्त बातों के मुफ्तलाल (व्यंग्य संग्रह)
सम्मान / पुरस्कार : -
- ‘पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी’, शिलांग द्वारा ‘श्रेष्ठ प्रतिभा सम्मान’, शिलांग शिविर-2010 में।
- ‘यूएसएम पत्रिका एवं राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास (भारत)’, गाज़ियाबाद द्वारा ‘राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान- 2010’ प्राप्त।
- ‘हम सब साथ साथ’, नई दिल्ली द्वारा ‘युवा लघुकथाकार सम्मान’।
- ‘पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी’, शिलांग द्वारा ‘श्री जीवनराम मुंगीदेवी गोयनका स्मृति सम्मान’।
- ‘साहित्य सभा’, कैथल (हरियाणा) द्वारा ‘बाबू जगदीश राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015’ प्राप्त।
- भारत विकास परिषद्, अम्बाला द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन (26.11.2016) में सम्मानित।
- ‘हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मलेन, सिरसा’ द्वारा संचालित ‘हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच’ के तत्वाधान में ‘लघुकथा सेवी सम्मान, वर्ष-2016’ से सम्मानित।
- पुस्तक ‘सिर्फ तुम’ (लघुकथा संग्रह) को हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला से ‘श्रेष्ठ कृति पुरस्कार’, राशि 21000/- रुपए।
• ‘साहित्य समर्था’, त्रैमासिक साहित्यक पत्रिका, जयपुर द्वारा ‘अखिल भारतीय डॉ. कुमुद टिक्कू कहानी एवं लघुकथा प्रतियोगिता’ में श्रेष्ठ लघुकथा पुरस्कार (जनवरी, 2016)।
विशेष : -
- देश की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित।
- आकाशवाणी कुरुक्षेत्र, रोहतक एवं शिलांग से रचनायें प्रसारित।
- पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, संगीत सुनना, नेक कार्यों में रूचि।
- हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला से लघुकथा संग्रह ‘सिर्फ तुम’ हेतु सहायतानुदान।
- हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला’ द्वारा वर्ष 2014-15 के लिए (दिसंबर, 2016 में घोषित) पुस्तक ‘वह लड़की’ के लिए सहायतानुदान।
संपर्क : 19, सैनिक विहार, विकास पब्लिक स्कूलके सामने , जंडली, अम्बाला शहर–134005 हरियाणा
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मेरे लिए यह प्रश्न ही सही नहीं है, क्योंकि मन के पन्नों पर तो शायद पैदा होते ही लिखना आरंभ कर दिया था। और लिखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। हां, फिर भी, यदि घोषित वर्ष की बात की जाए तो वर्ष 2006 के अंत यानी दिसम्बर से कह सकते हैं, जब मैं उर्मि कृष्ण जी से अकस्मात मिला था। उनसे प्रेरणा लेकर तो नहीं कह सकता, क्योंकि प्रेरणा भी हमें स्वयं से ही प्राप्त होती है, किसी के कहने से कोई लिखना शुरू नहीं करता। हां, इसमें दो राय नहीं कि उर्मि कृष्ण जी ने उंगली पकड़कर चलना सिखाया, मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया, और विजय जी ने पूरा साथ निभाया, बारीकियों से वाकिफ़ किया। उन्हीं की बदौलत आज में लेखन में हूँ।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना भी शुभ तारिका (मासिक) में जनवरी, 2007 अंक में प्रकाशित हुई। हुआ यूं कि मैं अपने सहकर्मी वी.एस. दवे जी के साथ अकस्मात उर्मि जी के घर गया, जो उनका कार्यकाल भी था। जब मुझे पता चला कि यह 'कहानी लेखन महाविद्यालय' एवं 'शुभ तारिका' पत्रिका का केंद्र है, तो मैंने भी संकोच के साथ उर्मि जी से कहा कि मैं भी कविताएं लिखता हूँ। उन्होंने कहा, "दिखाना।" अगले दिन मैं दो-चार कविताएं उनके पास ले गया, देखकर उन्होंने कहा, "और लिखो।" मैं एक लघुकथा लिखकर ले गया 'थप्पड़'। यह लघुकथा 'शुभ तारिका' के जनवरी, 2007 अंक में प्रकाशित हो गयी। और मेरे लेखन की शुरुआत भी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - लेखन की लगभग हर विधा में मेरी रुचि है, और मैं सब में लिखता हूँ। परंतु लघुकथाएं एवं व्यंग्य मेरी सबसे प्रिय विधाएं हैं, और इनमें मैं सबसे सहज हूँ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - लेखन का उद्देश्य ही अपने विचार या बात समाज के सामने रखना है। मैं मानवता को सामने रखकर, एक बेहतरीन समाज बनाने के उद्देश्य से रचनाकर्म करता हूँ, और उसी की रक्षा, उन्नति और बेहतरी का संदेश देना चाहता हूँ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मैं चुनकर पढ़ना पसंद नहीं करता, अतः मेरी पसंदीदा सूची में कुछ लेखक या लेखिका नहीं आते, वरन वे सभी लेखक आते हैं जो अच्छा लिख रहे हैं। अब अच्छे की परिभाषा क्या है, यह एक दूसरा प्रश्न है, जिसे वर्णित नहीं किया जा सकता। यह अवश्य है कि अभी मैं बहुत पढ़ नहीं पा रहा हूँ। अतः कोई विशेष नाम नहीं ले पाऊंगा।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी तो गया हूँ कई बार- कुरुक्षेत्र, रोहतक, शिलांग, पर दूरदर्शन पर अभी नहीं गया। कभी मौका मिलेगा तो अवश्य जाएंगे।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - प्रासंगिकता तो है, परंतु यदि उसे सही नीयत और उद्देश्य से आयोजित करवाया जाए तब। यह एक विस्तृत प्रश्न है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य सहजता से किया जाने वाला रचनाकर्म है, जिसे साधना पड़ता है, अन्य कलाओं की तरह। फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया एक अच्छा और सशक्त माध्यम हो सकता है, परंतु इसे अधिक विश्वसनीय बनाये जाने एवं नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार चाहें वे सरकारी हों या गैरसरकारी, दोनों की स्थिति एक जैसी है। पुरस्कार किसी भी साहित्यकार को प्रोत्साहित करने का काम करता है। उससे जिम्मेदारी भी बढ़ती है।परंतु जब पुरस्कार किसी अयोग्य व्यक्ति को मजबूरी, लाभ के लालच या प्रसन्न करने, जुगाड़ से दिया या लिया जाता है, तब पुरस्कार एवं साहित्यकार दोनों की गरिमा में कमी आती है। इससे अच्छे साहित्य एवं साहित्यकार का ह्रास होता है। इनसे बचने या सावधान रहने की आवश्यकता है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जीवन के हर मोड़ पर हर तरह की, या कहें कि तरह तरह की मजेदार और महत्वपूर्ण घटनाएं घटती रही हैं, जिनको अपने लेखन के माध्यम से धीरे धीरे बाहर लाने का प्रयत्न करूंगा। संक्षेप में 19 का मेरे जीवन में बहुत अच्छा संयोग रहा है। जैसे- 19 को जन्म, 19 को शादी, 19 प्लाट नंबर, पैतृक घर आना-जाना 19 किलोमीटर, ससुराल एक तरफ (आना/जाना) 19 किलोमीटर...। ऐसे बहुत से संयोग, कि जिन पर पूरी किताब बन जाये।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरी पत्नी मेरी सबसे बड़ी समीक्षक एवं आलोचक है। बहुत अधिक नहीं पड़ती, मगर निचोड़ एकदम से निकालकर रख देती है। मुझे लेखक बनाने में उसका आधा योगदान तो है ही।
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क्रमांक - 11
फिल्मकार, नाटककार, अभिनेता, कवि व लेखक
जन्म : 01 जून 1951 , बेगूसराय - बिहार
शिक्षा: एम.ए. नाट्यशास्त्र, एम.ए. हिन्दी, साहित्यरत्न,विद्यावाचस्पति, डिप.इन टीच., डिप.इन फिल्म, एन.ई.टी. यू.जी.सी. एम.डी. अल्ट. मेडिसीन
सम्पादक- रंग अभियान (नाट्य पत्रिका)
प्रकाशित पुस्तकें : -
नाटक-
दीवार,
प्रजातंत्र,
कीमत,
जट जटिन,
सामा- चकेवा,
डोमकछ,
एक महर्षि का मूल्य,
नागयज्ञ,
कहानी संग्रह
प्रोफेसर सपना बाबू
निबंध संग्रह
रंग संदर्भ
संपादन
बिहार के लोकधर्मी नाट्य
पुरस्कार/ सम्मान: -
1.कलाश्री, 93-94
2. कला शिरोमणि 1996
3. संस्कृति सूत्रधार- 1999
4. सहस्राब्दी सम्मान- 2000.
5. अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाट्य पुरस्कार-1992
6. भिखारी ठाकुर राष्ट्रीय शिखर सम्मान-2001
7. रजत जयन्ती सम्मान-1997 एवं 2002
8. सर्वोत्तम नाट्य निर्देषक पुरस्कार-94, 96, 2002
9. अनिल मुखर्जी शिखर सम्मान-2001
10. जगदीशचन्द्र माथुर सम्मान-2001
11. नवेन्दु शिखर साहित्य सम्मान-2001
12 . कृष्णचन्द्र बेरी सम्मान-2006
13 .विन्देश्वरी सिंह कला सम्मान- 2008
14. रामवृक्ष बेनीपुरी राष्ट्रीय षिखर सम्मान-2008
15. भारतेन्दु रजत सम्मान-2009
16. विद्यावाचस्पति-2009
17. नुनुबाबू सिंह शिखर सम्मान-2010
18. राजकीय शिक्षक सम्मान- 2011
विशेष : -
- लेखन, अध्यापन, संपादन, अनुवाद, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण, रंगमंच
- फिल्म “जट-जटिन” के निर्माता लेखक
- आजकल लघुकथाओं पर लघु फिल्में बनना
- अनेक स्मारिकाओं का संपादन
- प्रधान सम्पादक : सम्पर्क (दूरदर्शन जालंधर की पत्रिका)
- पूर्व अध्यापक, पूर्व हिन्दी अधिकारी दूरदर्शन
- बिहार सरकार द्वारा अनुशंसित अनेक रंग संस्थाओं एवं साहित्यिक संस्थाओं के सचिव/अध्यक्ष/ अधिकारी एवं सदस्य
- निदेशक : नाट्य विद्यालय, बेगूसराय
पता :
बाघा (रेलवे कैबिन के पास) पो. - सुहृद नगर (बेगूसराय) 851218
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैं 12 साल की उम्र से लिखना शुरू किया। मैं उन दिनों वर्ग 8 का छात्र था। मेरे उच्च विद्यालय तेयाय में चंद्रचूड़ बाबू एक अध्यापक हुआ करते थे, जो बाद में सिक्किम में शिक्षा विभाग के निदेशक भी हुए। एक हस्त लिखित पत्रिका 'अर्चना' की शुरुआत की। उसके सम्पादक मंडल में मैं भी था। वे मुझसे 'ठेठ हिंदी का ठाठ' लिखवाते थे। वही मेरे प्रेरणा के श्रोत रहे।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - 2. मेरी पहली रचना तो उसी हस्तलिखित पत्रिका से शुरू हुई, लेकिन मेरी पहली कविता बेगूसराय से निकलने वाली साप्ताहिक 'सरजमीं' में मेरी पहली कविता छपी। मैं फूला नहीं समा रहा था, उसे अपने थैला में रखता और लोगों को दिखाया करता था।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं मूलतः नाटक लिखता हूँ। नाटक की एक अनियतकालीन पत्रिका 'रंग अभियान' निकालता हूँ। उसके 45 अंक प्रकाशित हुई हैं। मेरी हजारों रचनाएँ देश के विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं, जिसमें 50 से अधिक नाटक हैं। यूँ मेरी कहानी संकलन 'प्रोफेसर सपना बाबू' और निबंध संग्रह 'रंग संदर्भ' सहित दर्जन भी पुस्तकें प्रकाशित हैं। मैं नाट्य एवं फिल्म पटकथा लिखना अधिक सहज मानता हूँ। दूरदर्शन में हिंदी अधिकारी रहने के क्रम में वहाँ से निकालने वाली पत्रिका का प्रधान सम्पादक रहा हूँ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मेरी रचनाओं और फिल्मों में राष्ट्र और समाज की कुरीतियाँ, विद्रूपताएँ अधिक दिखती हैं। मैं उनके प्रति लोगों को जागृत करता हूँ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - लोक शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की रचनाएँ और पुस्तकें प्रिय हैं और उनमें से 'मैला आँचल' सर्वप्रिय।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी का नियमित, दूरदर्शन पर कई बार प्रसारित होने अवसर मिला। मैं प्रसार भारती (दूरदर्शन) में हिंदी अधिकारी रहा।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - मैं कविता भी लिखता हूँ। मंच संचालन भी करता हूँ। अपनी बात को अभिव्यक्त करने का एक उपयुक्त जगह है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - 'साहित्य समाज का दर्पण है' से सहमत हूँ। आजकल फैसबुक या इस तरह के अन्य माध्यम काफी सशक्त है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उतर - बोगस, आज के कुछ साहित्यकार इसके पीछे भाग रहे हैं। कुछ संस्थाएँ सम्मान/पुरस्कार बेचती हैं। गुटवाजी अधिक है। इसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मैं एक सम्मान की ही बात करूँ, समारोह में नहीं जा सका था। एक पोस्ट कार्ड आया कि डाक खर्च भेज दूँ। मैंने अपनी अस्वीकृति भेज दी।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - पत्नी बेचारी मजबूरी में साथ हैं। लेकिन पुत्रों का पूरा सहयोग रहता है।
क्रमांक - 12
पिता जी : श्री आई.डी. मनचंदा
माता जी : श्रीमती चाँद रानी मनचंदा
शिक्षा : एम.एस.सी. (गणित), बी.एड.
व्यवसाय-
भारतीय जीवन बीमा निगम हिसार (हरियाणा) में विकास अधिकारी
विधा : -
गीत,ग़ज़ल,दोहे और कविताएँ
पुस्तक : -
प्यार का पहला क़दम (कविता संग्रह)
सम्मान :-
1 चंदन साहित्य मंच,हिसार
2 प्रज्ञा साहित्यिक मंच,रोहतक
3 आनंद कला मंच एवं शोध संस्थान,भिवानी
4 निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति,चरखी दादरी
5 रंगमंच प्रकाशन,गंगापुर सिटी सवाईमाधोपुर राजस्थान
6 साहित्य सभा कैथल
7 हिन्दी प्रेरक संस्था,जीन्द
8 शब्दाक्षर सम्मान , नई दिल्ली
विशेष -
- देश विदेश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
- कवि गोष्ठियों में नियमित भागीदारी
- विभिन्न साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन
पता :
506,पुलिस लाइन एरिया, नज़दीक जिमखाना क्लब, हिसार - 125001 हरियाणा
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने 20 वर्ष की आयु में लिखना शुरू किया। जब मैं गणित में एम एस सी कर रहा था।समाज और व्यवस्था में व्याप्त विद्रुपताएँ बहुत व्यथित करती थीं।जो कविता बन फूट पड़ीं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मुझे पहला अवसर आकाशवाणी बीकानेर में युववाणी कार्यक्रम में कवि गोष्ठी में 2 फरवरी 1987 बसंत पंचमी के दिन प्राप्त हुआ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मेरी छंद मुक्त रचनाओं की एक पुस्तक 'प्यार का पहला क़दम' प्रकाशित हो चुकी है। छंद मुक्त रचनाओं के अतिरिक्त गीत ग़ज़ल और दोहे लिखना अच्छा लगता है।मुझे वो रचना अच्छी लगती है जो दिल से निकल कर दिल तक पहुंचे विधा चाहे कोई भी हो।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण होता है।लेखक आज के समय में चल रहे मुद्दों को उठाते हुए समाज को दिशा देने का प्रयास करता है।मानव मूल्यों को अपनाकर ही हम एक बेहतर और सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - जो भी अच्छा साहित्य मिल जाये उसी को पढ लेते हैं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी पर तीन बार अवसर प्राप्त हुआ है और अच्छा अनुभव रहा।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन होने चाहिए जिससे नवोदितों को सीखने,आगे बढ़ने का हौसला और माहौल मिलता है।विद्यालयों और महाविद्यालयों में इनका आयोजन होना चाहिए ताकि युवा वर्ग में साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न हो।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - अच्छा साहित्य अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त कर लेता है। साहित्य वह है जो समाज में सकारात्मक योगदान कर दिशा प्रदान करे। फेसबुक एक ऐसा माध्यम बन चुका है जो पूरे विश्व को एक दूसरे के पास लाकर खड़ा कर देता है। फेसबुक के माध्यम से आप सीख सकते हैं। अपने से उन्नत व्यक्तियों से जुड़कर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। उन साहित्यकारों से परिचय हो जाता है जिन्हें कभी हमने जीवन में देखा भी नहीं।यह प्रचार का भी एक माध्यम बन चुका है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज भी बहुत सी अच्छी संस्थाएं पुरुस्कारों के माध्यम से प्रोत्साहित कर साहित्य की अलख जगा रही हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - हालांकि मैंने 1986 में लिखना शुरू किया था लेकिन उसके बाद साहित्यिक माहौल न मिलने से कई वर्षों तक साहित्यिक यात्रा शिथिल सी रही।अभी पिछले 4/5 वर्षों से कुछ माहौल मिला तो उत्साह में वृद्धि हुई है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरी पत्नी श्रीमती पूनम मनचंदा जी भी लिखती हैं और गायिका भी हैं।इस प्रकार हम दोनों साहित्य क्षेत्र में एक दूसरे के सहायक भी हैं।
क्रमांक - 13
जन्मस्थान- कानपुर - उत्तर प्रदेश
पिता का नाम- स्व• सर्जन पाल सिंह
माता का नाम- निर्मला देवी
पति का नाम- ठा• महेश पाल सिंह
प्रकाशित पुस्तके-
श्यामला, माह ,विहंगम ( कहानी संग्रह)
नव पल्लव ( कविता संग्रह)
संपादन-
आल्हाद, केसरिया, सुरसारंग,मधुकर ( काव्य संकलन)
जयघोष, इतिवृत ( कहानी संकलन)
कालजयी ( रामायण के पात्रो पर संकलित लेख)
पता :
धनीपुर ब्लाक, जी टी रोड, अलीगढ- 202001
उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - बचपन से लिखना शुरु किया ठीक ठीक याद नही बस इतना याद है जब बचपन मे कोई कविता या कहानी लिखते तो मम्मी सर को जरूर दिखाती और बहुत खुश होती |
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - रचनाए प्रकाशित होने मे एक उम्र बीत गयी । कारण यह है कि प्रकाशित करने के बारे मे सोचा ही नही, घर गृहस्थी यही सब 2019 से रचनाए प्रकाशित होने लगी |
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कहानी, गीत, सजल, संस्मरण
आल्हा छंद मेरा प्रिय छंद है|
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य केवल लिखने या पढने के लिए ही नही बल्कि सामाजिक संस्कार, संस्कृति को जीवित रखने का सशक्त माध्यम है |
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - saraswati civilization लेखक जी • डी बख्शी द्वारा लिखित|
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - नही अभी तक आकाशवाणी पर कोई कार्यक्रम नही हुआ |
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलनो का बाजारीकरण हो चुका है | कुछ कविताए लिख लो या पैसे देकर लिखवा लो और उसी कविता को सौ कवि सम्मेलन मे सुनाकर जनता के हीरो बन जाओ | फिर भी बहुत से कवि सम्मेलन विशुद्ध रूप से कविताओ को आगे बढाकर रचनाकारो को अवसर देते है इसलिए कविता और कवि सम्मेलन की गरिमा बरकरार है |
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य बौद्धिक धरोहर है | फेसबुक साहित्य चोरो के लिए खुले खजाने की भांति है तो हम जैसी गृहणियो के लिए एक वरदान जो घर से बाहर कम ही निकलती है | वह जिनके आसपास साहित्यिक माहौल नही है |
हमे वहा से सूचनाए प्राप्त होती है कि दिये गए ई मेल पर रचनाए भेजे और हम भेज देते है |
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - हमे नही पता लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से यह समझ मे आता है कि बहुत जगह पक्षपात होता है |
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - संस्मरण ~ पटरी पर खोज
बात छोटी है लेकिन मन को लग गयी और संस्मरण बन गयी| करीब चौदह साल पहले हम अपने मायके कानपुर से अलीगढ़ आने के लिए रेलवे स्टेशन पर बैठ गए | ट्रेन लेट थी रेलवे स्टेशन पर गंदगी फैली थी पटरियो पर मल बिखरा था | दिमाग खराब हो रहा था | तभी एक मैला कुचैला आदमी जिसकी दाढी बढी हुई और शरीर पर काम मात्र के कपडे थे आसान शब्दो मे कहे कि एक भिखारी रेल की पटरियो पर कुछ खोज रहा था | हमारी आंखे उसका पीछा कर रही थी | मन मे विचार आया क्या ढूँढ रहा है यह •••• शायद पैसे ढूँढ रहा होगा | करीब दस मिनट तक पटरियो पर खोज बिन करने के बाद वह नीचे झुका ,हम अभी भी उसी को देख रहे थे एकटक | उसने पटरी पर पङी रोटी उठा ली यह देखते ही आखो से आंसू बहने लगे और उबकाई आ गई हमारे मुंह से निकला, उसको रोको •••
मेरा भाई जो हमारे बच्चो के साथ खेल रहा था उसने कहा, क्या हुआ दीदी! हमने ऊँगली का इशारा किया पटरियो की ओर मुंह से शब्द नही निकल रहे थे| भिखारी रोटी लेकर थोङी दूर निकल गया था | मेरा भाई उसे नही देख पाया उसने सोचा शायद पटरियो पर पङा मल देख लिया है इसलिए उबकाई आ रही है। भाई बोला, दीदी उधर मत देखो | गंदगी पङी है इसलिए उबकाई आ रही है |
रोटी की कीमत आज समझ मे आ रही थी |
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार की कोई भूमिका नही है |
क्रमांक - 14
शिक्षा : एम.ए(इतिहास)(मेरिट होल्डर),एल-एल.बी,पी-एच.डी.
पद : प्राचार्य ,शासकीय जे.एम.सी.महिला महाविद्यालय,मंडला(म.प्र.) (मूल पद--प्रोफेसर इतिहास)
प्रकाशन : -
गद्य-पद्य में
- चुभन,
- हक़ीक़त,
- विवेचना के स्वर
- निर्झिरणी,
- संवेदना,
- टीस,
- कसक,
- अनुभूतियाँ,
- महक,
- सुवासित,
- स्मृतियों के दंश
संपादन :-
9 कृतियों
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : -
- देश के लगभग सभी राज्यों में 1000 से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन
- 400 से अधिक डिजिटल सम्मान पत्र।
- सर्वप्रमुख अवार्ड : म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड(निबंध )/ राशि-51000/
विशेष: -
- सुपरिचित मंचीय कवि, संयोजक, संचालक, मोटीवेटर,शोध- निदेशक,विषय विशेषज्ञ,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के इतिहास विभाग के अध्ययन मंडल के तीसरी बार व शासकीय पी.जी.ओटोनॉमस कॉलेज अध्ययन मंडल(इतिहास) के सदस्य,
- एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
- 100 से अधिक कृतियों में प्राक्कथन/ भूमिका का लेखन
- 200 से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन
- राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में100 से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति
- सम्मेलनों/ समारोहों में 300 से अधिक व्याख्यान
- 200 से अधिक कवि सम्मेलन
- 400से अधिक कार्यक्रमों का संचालन
- सम्बध्दता व पदाधिकारी : आगमन,अ.भा.भाषा साहित्य सम्मेलन, म.प्र.लेखक संघ,जनवादी लेखक संघ,श्री चित्रगुप्त कायस्थ सभा
- विगत चार दशकों नें देश के 1000 से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में बारह हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित
- रेडियो,भोपाल दूरदर्शन,ज़ी-स्माइल,ज़ी टी.वी.,स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी.,साधना चैनल से प्रसारण
- चार पत्रिकाओं का सम्पादन
संपर्क पता :
आज़ाद वार्ड-चौक,मंडला, मध्यप्रदेश - 481661
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर--13 वर्ष की उम्र से। आंतरिक अभिरुचि ही मेरी प्रेरणा है।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर -जब मैं 17 वर्ष का था,तब ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक 'स्वदेश' में संपादक नाम के अंतर्गत एक व्यंग्य क्षणिका के रूप में -1977 में ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - साहित्य की प्राय: समस्त विधाओं में ।उपन्यास छोड़कर समस्त विधाओं में लिख चुका हूं।वैसे दोहा लिखना सर्वाधिक पसंद है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - एक चेतना देना चाहता हूं।मानवीय मूल्यों व रिश्ते-नातों के प्रति लोग आस्थावान् बनें--यही चाहत है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मैं तो मुंशी प्रेमचंद को ही अधिक पसंद करता हूं,वे कालजयी रचनाकार हैं।उनकी गोदान कृति से बेहद
प्रभावित हूं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी पर 38 बार ।भोपाल दूरदर्शन पर 5 बार व ज़ी-स्माइल,ईटीवी,ज़ी-टीवी,स्टार प्लस पर भी।बहुत ही रोमांचक व ऊर्जा देने वाला।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - बस मनोरंजन की दृष्टि से प्रासंगिकता है,साहित्य की दृष्टि से कदापि नहीं।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य एक ऊर्जा है,एक चेतना है,एक नज़रिया है।फेसबुकिया साहित्य लेखन के नाम पर बस एक खानापूर्ति भर है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार/सम्मान संदेह के घेरे में हैं।प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिंह है।फिर भी सब जगह स्थिति एक जैसी नहीं है।आज भी अच्छी संस्थाएं व आयोजक हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जब पहली बार संभाग के श्रेष्ठ साहित्यकार के रूप में रांझी जबलपुर की संस्था 'जनमेजय कल्याण समिति,सर्रापीपल' ने,नवभारत (जबलपुर)में प्रकाशित मेरी लघुकथा के आधार पर, चयन कर बड़े-बड़े/प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति में मुझे भव्यता व गरिमा के साथ सम्मान किया था।जबकि मैं आयोजक व संस्था को उसके पहले तक जानता ही नहीं था।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - पत्नी से सतत् सहयोग व प्रोत्साहन प्राप्त होता रहा है।
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क्रमांक - 15
जन्मतिथि : 12 अक्टूबर 1972
जन्म स्थान : उदयपुर - राजस्थान
शिक्षा : प्राणी विज्ञान में मास्टर डिग्री
लेखन - हिंदी में विविध विधाओं में कहानी, लघुकथा, लम्बी कहानी, कविता, गीत तथा आलेख इत्यादि में रचना कार्य करती हैं।
सम्प्रति : 1999 से मेड्रिड, स्पेन में निवासरत हैं। पिछले - एक दशक से स्पेन की राजधानी मद्रिद में हिंदी की कक्षा चलाती हैं| इन्होंने विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिंदी सीखने के रुचिकर नए तरीके बनाये हैं तथा भारत से बाहर हिंदी को प्रतिष्ठा दिलाने में सहयोग करती है।
विशेष : -
- इनकी कहानियाँ, कवितायें एवं आलेख भारत के कई प्रसिद्द पत्र पत्रिकाओं (पाखी, मधुराक्षर, कादम्बिनी, नई दुनिया, अनुभूति, सेतु, उर्वशी इत्यादि) में प्रकाशित हो चुके हैं |
- वे हिंदी एवं स्पेनिश दोनों ही भाषाओँ में कवितायें लिखती हैं और परस्पर अनुवाद भी करती हैं | इनके द्वारा भारतीय एवं स्पेनिश कवियों की अनुदित कविताएँ एक संग्रह में प्रकाशित करने की परियोजना विचाराधीन है।
- साल 2019 मे रविंद्रनाथ टैगोर विश्वद्यालय द्वारा प्रकाशित ''कथादेश'' संग्रह में सम्पूर्ण देश की 650 प्रतिनिधि कहानियों के प्रकाशन के तहत चर्चित कहानी ''भीतरी तहों में'' प्रकाशित।
- ''समकालीन महिला साहित्यकार'' साझा संग्रह पुस्तक में एक कविता प्रकाशित।
- RJ27 प्रोडक्शन की शॉर्ट फिल्म ''द लास्ट केस'' के लिए प्रसिद्द गीत ''सपनों वाली परी'' लिखा। यह गीत यहाँ सुन सकते हैं https://www.youtube.com/watch?v=qVZTXHKJ95w
- 14 सितम्बर 2021 को मैड्रिड स्थित भारतीय दूतावास के आग्रह पर ऑनलाइन हिंदी दिवस कार्यक्रम की रूप रेखा बनाई और संचालित किया, जिसमें स्पेनिश छात्रों द्वारा हिंदी काव्य पाठ किया गया। इसके अलावा साल
- 2020 तथा 2021 में अनेकानेक ऑनलाइन हिंदी वेबिनार और गतिविधियों मे सम्मिलित हुई ।
- इंटरनेट रेडियो साईट “रेडियो प्लेबैकइंडिया” पर हिंदी उर्दू गीत संगीत के कार्यक्रम ''महफ़िल ए कहकशां'' का दो वर्ष तक अपनी आवाज़ में संचालन किया। इसी साईट पर अनेक साहित्यिक कथा कहानियों को अपनी आवाज़ भी देती रही हैं | यहीं पर आजकल काव्य तरंग कार्यक्रम संचालित करती हैं, जो सभी प्रकार की गध्य विधा को आवाज़ रूप में प्रोत्साहित करने हेतु बनाया गया है। इसके अलावा यू ट्यूब पर अपने चैनल में अनेकों रचनाकारों की कविताओं को स्वर दिया है।
- ब्लॉग - poojanil.blogspot.com
पता - 28031, मद्रिद - स्पेन
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - कहने को तो मैं बचपन से ही लिखती थी, माँ और पिता के प्रोत्साहन से पत्राचार के रूप में मैंने 4 वर्ष की उम्र से अपने ननिहाल में पत्र लिखना शुरू किया था। मेरे द्वारा लिखे पत्र सभी के द्वारा बड़े सराहे जाते थे और हर बार अधिक से अधिक पत्र लिखने की मांग आती थी। किन्तु साहित्यिक रचना के रूप में मैंने 13 वर्ष की उम्र से लिखना प्रारम्भ किया जब मैंने अपनी माँ के लिए एक पूरी गीत जैसी कविता लिखी जिसमें मुखड़े के साथ दो अन्तरे भी थे। उस समय माँ की लम्बे समय तक अनुपस्थिति मेरी प्रेरणा बनी कविता लिखने के लिए। मैं, लेखन हेतु प्रेरणा स्त्रोत मेरे घर में उपस्थित अगणित पुस्तकों को भी मानती हूँ, जो मेरे पिताजी लाते थे। वे स्वयं भी बहुत पुस्तकें पढ़ते थे और साहित्य पढ़ने हेतु हमें भी प्रोत्साहित करते थे।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - अब ठीक ठीक याद नहीं, लेकिन सेकेंडरी स्कूल में मैंने एक कहानी लिखी थी, जो मेरी अध्यापिका को बेहद पसंद आई थी, और संभवतः वह कहानी हमारे स्कूल की वार्षिक पुस्तक में छपी थी। जो बिलकुल सही मेरी स्मृति में है, वो मेरी पहली रचना साल 2008 में हिन्द युग्म नाम की ऑनलाइन मैगज़ीन में प्रकाशित हुई थी। ऑनलाइन पत्रिका हिन्द युग्म द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता में अपनी कविता भेजी थी मैंने, जो की तीसरे स्थान पर पुरस्कृत की गई थी। और पत्रिका के वेब पेज पर प्रकाशित प्रसारित की गई थी ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पसंद करते हैं ?
उत्तर - मैं मुख्यतः कहानी, कविता, पत्र - लेखन तथा आलेख लिखती हूँ। और ये सभी विधाएँ मुझे बेहद प्रिय हैं। कहानी कहना मैं समझती हूँ कि मुझे सबसे सहज लगता है, यहां तक की कई बार मेरी कविता भी कहानी कहती हुई होती हैं। मेरी कहानियाँ बहुधा पूर्णतः काल्पनिक अथवा यदा कदा मेरे आस पास के किसी चरित्र को लेकर बनी हुई हो सकती हैं।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है, किन्तु मैं यह मानती हूँ कि समाज के साथ ही साथ साहित्य एक लेखक के मन का भी दर्पण होता है, जिसमें समाज को या उसके पर्यावरण को लेकर लेखक के अपने विचार भी प्रतिबिंबित होते हुए स्पष्टतः अनुभव होते हैं। मैं चाहती हूँ कि पाठक भी लेखक के उस अनुभव तक पहुंचे तथा एक संवेदनशील समाज का निर्माण करने में सहायता हो। मैं जन जन में करुणा तथा प्रेम की भावना का प्रचार करना चाहती हूँ। प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समभाव एवं सद्भावना की अनुभूति का सन्देश हर जन तक पहुँचाना चाहती हूँ। एक दूसरे के प्रति सहृदयता का सन्देश देना चाहती हूँ। विश्व शांति एवं विश्व कल्याण की भावना का संचार करना चाहती हूँ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य में मुझे बहुत से लेखक लेखिकाएं पसंद हैं। विनोद कुमार शुक्ल, मनीषा कुलश्रेष्ठ, दिव्या माथुर, दिव्य प्रकाश दुबे, गीत चतुर्वेदी, पंकज सुबीर, सुशोभित शक्तावत, अनुराग शर्मा, तेजी ग्रोवर, रश्मि रविजा, वंदना अवस्थी दुबे इत्यादि मेरे पसंदीदा लेखकों में हैं। इनके द्वारा लिखी गई अनेक रचनाएँ तथा पुस्तकें मैंने पढ़ीं हैं। इनकी कुछ पुस्तकें जो मुझे पसंद हैं, वे हैं; दिव्या प्रकाश दुबे की अक्टूबर जंक्शन, गीत चतुर्वेदी की पिंक स्लिप डैडी एवं टेबल लैंप, वंदना अवस्थी दुबे की अटकन चटकन, पंकज सुबीर की अकाल में उत्सव, अनुराग शर्मा की अनुरागी मन, तथा रश्मि रविजा की कांच के शामियाने।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी नहीं, मुझे ऐसा कोई अवसर नहीं मिला है। मैं स्वयं एक ऑनलाइन पॉडकास्ट ग्रुप से जुड़ी हुई हूँ, जहाँ हमने अनेक किस्म के पॉडकास्ट बनाये हैं और वह अनुभव बेहद सुखद रहा है।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - भूतकाल में कई देशों में कवियों की रची कविता के द्वारा क्रांति लाई गई और कविता के जरिये सम्पूर्ण देश में बदलाव लाये गए। चाहे कोई भी युग हो, निःसंदेह, देश - समाज में व्याप्त अच्छाई अथवा बुराई दर्शाने हेतु कविता एक बेहद कारगर हथियार है। कवि सम्मेलन होंगे तो अधिक लोगों तक कविता पहुंचेगी। मैं समझती हूँ कि कवि सम्मेलन कविता लिखने वालों के लिए भी एक आवश्यक मंच है जहाँ पर न केवल कवियों को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि उन्हें अपनी कलम को संवारने - निखारने का एक माध्यम भी मिलता है, इस कारण मैं समझती हूँ कि आज की तारीख में भी कवि सम्मेलन बेहद प्रासंगिक हैं तथा समय समय पर आयोजित किये जाने चाहिए।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं?
उत्तर - साहित्य वह है जो पीढ़ी दर पीढ़ी पढ़ा जाता रहे मगर कभी भी अशक्त अथवा बूढ़ा न हो। उस पर समय की छाप अवश्य हो किन्तु जब भी, जिस भी पीढ़ी के लोग उसे पढ़ें, तो उस लेखन के साथ उनका एक तारतम्य स्थापित हो जाए। साहित्य वह है जो सही और गलत के आईने तो आपके सामने प्रस्तुत कर सके, मगर स्वयं आपके लिए सही या गलत का कोई चुनाव न करे। साहित्य वह है जो एक संस्कृति को दूसरी संस्कृति से बेहद कोमलता से पहचान करवाए। साहित्य वह है जो आपको अपनी संस्कृति तथा अस्मिता की रक्षा करने के लिए तत्पर करे।
फेसबुक साहित्य में कोई बुराई नहीं मानती मैं। सब कुछ बेहद सुन्दर लिखा जाए, ऐसा कत्तई संभव नहीं। जैसे सभी फ़िल्में हिट नहीं होतीं, मगर फिर भी रोज़ सैंकड़ों फ़िल्में बनती हैं, प्रदर्शित होती हैं, उसी तरह सब कुछ लिखा हुआ भी अच्छा लिखा हुआ हो, यह कदापि आवश्यक नहीं। दूसरी तरफ, लिखना यदि किसी को संतुष्ट करता है तो अवश्य लिखा जाना चाहिए, चाहे कोई पढ़े या न पढ़े। कभी कभी लोग एक दूसरे को लिखते देख कर प्रेरित हो कर लिखने लगते हैं, और उनमें से ही आगे चल कर कोई कोई व्यक्ति अभ्यास करते करते बेहद बढ़िया लिखने लग जाते हैं। अतः लिखने वालों को मैं यह कहना चाहूंगी कि लिखने से पहले पढ़ना सीखें, जो प्रसिद्द लेखक हैं, उन्हें बार बार पढ़ें, तब अपने लेखन को जांचते हुए स्वयं लिखने की पहल करें। हाँ, यह स्वतंत्रता तो पढ़ने वालों को है ही कि पाठक अपने आप तय करें कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - क्षमा करें, इस बारे में मैंने कभी ध्यान नहीं दिया, मुझे कुछ ज्ञात नहीं है, अतः मैं इस विषय पर कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मेरे जीवन की एक बेहद अद्भुत घटना है मेरे स्वप्न। विश्व में घटने वाली घटनाओं का आश्चर्यजनक तरीके से मुझे पहले ही आभास हो जाता है। संभावित दुर्घटनाएं मुझे स्वप्न के जरिये पहले ही दिख जाती हैं। इस से पहले मैंने किसी सार्वजानिक मंच पर इस घटना का ज़िक्र नहीं किया है। हाँ, मेरे परिवारजन एवं कई दोस्त जाने हैं इस बारे में। मैंने अपनी एक पूरी कहानी सपने में देखे गए दृश्यों तथा वास्तविकता में घट रही घटनाओं के मिश्रण के आधार पर बुनी है। मेरे पास एक डायरी है, जिसमें मेरे कई स्वप्न दर्ज हैं, जो पूरी पूरी फ़िल्मी कहानी से प्रतीत होते हैं। और उनमें से कई सांकेतिक रूप में देखे गए स्वप्न बाद में सच हुए हैं।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में, आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार का सहयोग ही मेरे लेखन का आधार मानती हूँ मैं। मेरी रचनाओं में भी परिवार के सदस्य उपस्थित होते हैं, वो इसी कारण कि मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है परिवार का साथ। लिखने के लिए आपको एक अलग किस्म का शांत वातावरण दरकार होता है, यदि परिवार में बहुत शोर होता रहे तो आप कभी लिख ही न पाएं! मेरी माँ को मेरा लिखा हुआ बहुत पसंद आता था और वे बड़े गर्व से सभी को मेरा लिखा हुआ दिखातीं थीं। मेरे पति मेरी रचनाओं के पहले श्रोता होते हैं, मेरी अधिकतर रचनाएँ प्रकाशित होने से पूर्व मैं स्वयं उन्हें पढ़कर सुनाती हूँ और उसे बेहतर करने के लिए उनकी राय लेती हूँ। मेरी बहुत सी कहानियां रात में नींद में मुझे जगा कर अपने आप को लिखवाती हैं, मेरे पति साक्षी रहे हैं उन पलों के जब आधी रात में अचानक बत्ती जलाकर उठ कर लिखने लगती हूँ। मैं आभारी हूँ अपने परिवार की, जिसके साथ और सहयोग की वजह से मैं कुछ लिख पाई।
क्रमांक - 16
जन्मतिथि : 5 मार्च 1964 (मुंबई) महाराष्ट्र
पिताजी : श्री रामलखन यादव
माता जी : स्व.छोटी बाई यादव
शिक्षा : एम. ए., डी. एड. बी. एड. (शिक्षा विशारद )
प्रकाशित पुस्तकें : -
1)हमारे प्रेरणा स्रोत
2)राज सुमन(कविता संग्रह)
सम्मान एवं पुरस्कार-
- ठाणे महानगरपालिका द्वारा आदर्श शिक्षक महापौर पुरस्कार
- फरीदाबाद हरियाणा द्वारा शिक्षा भूषण सम्मान
- समन्वय संकल्प निबंध प्रतियोगिता प्रथम स्थान
- सुमन मोटल्स निबंध प्रतियोगिता प्रथम स्थान
- महात्मा ज्योतिबा फुले राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड (दिल्ली),
- शिक्षक गौरव रत्न एवं राष्ट्रीय एकात्मता प्रतिभा रत्न
- राज्य स्तरीय शिक्षक रत्न पुरस्कार,
- विद्यासागर,
- विद्यवाचस्पति
- भारतीय भाषा रत्न सम्मान (उज्जैन) मध्य प्रदेश
- काव्यकुमुद, कलम कलाधर व राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान (राजस्थान),
- भारत गौरव सम्मान पाथरी (महाराष्ट्र),
- लोकमान्य तिलक सम्मान (महाराष्ट्र),
- शहीद मंगल पांडे सम्मान (महाराष्ट्र),
- भारतीय पत्रकार संघ द्वारा आदर्श शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार (नासिक),
- राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा भाषा गौरव सम्मान
- श्री नवमान साहित्य अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) द्वारा 'विचार सृजन सम्मान"
- विशिष्ट शिरोमणि रत्न भीलवाड़ (राजस्थान)
- साहित्य मंडल श्रीनाथ द्वारा 'साहित्य सौरभ सम्मान' (राजस्थान)
तथा अनेकों सम्मान एवं पुरस्कार से सम्मानित
विशेष : -
- विभिन्न समाचार पत्रों एवं सप्ताहिक व मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित शैक्षणिक लेख
- कक्षा पांचवी से आठवीं तक व्यवसाय पुस्तक तथा मार्गदर्शक पुस्तक का आशीष प्रकाशन दादर (मुंबई) द्वारा महाराष्ट्र में प्रकाशन
पता : कमरा नं. 1 हिल निवास, टेम्बीपाडा, गांवदेवी रोड, भाण्डुप (प.) मुंबई 400078 महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैं कक्षा आठवीं अर्थात 13 वर्ष से लिखना प्रारंभ किया मेरे प्रेरणा स्रोत मेरे मित्र एवं साहित्यकार श्री विनोद कुमार दुबे जी हैं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना 1985 में शिक्षकों की कथा व्यथा एक मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुई।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं पद्य तथा लेख के रूप में लिखता हूं तथा मुझे सबसे अधिक लेख लिखना पसंद है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मैं साहित्य के माध्यम से समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि साहित्य समाज का दर्पण है। उत्तम साहित्य समाज की दिशा को बदल सकता है। हमें अच्छे साहित्य का अवलोकन करना चाहिए।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य में मेरी पसंदीदा लेखिका मेरी छोटी बहन मंजू यादव जी हैं उनके द्वारा लिखित पुस्तक कहानी संग्रह सोनागाछी काफी चर्चित पुस्तक है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - मुझे अभी तक आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर प्राप्त नहीं हो सका ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन लोगों को मनोरंजन के साथ ही साथ ज्ञान भी प्रदान करते हैं। कवि सम्मेलनों का आयोजन होते रहना चाहिए।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य मनुष्यों की एक धरोहर है। जिससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। फेसबुक का साहित्य तुरंत लोगों तक पहुंचने का एक मार्ग है। यह लोगों तक आसानी से पहुंचता है तथा समय कम लगता है। इतना होने के बावजूद पुस्तक अपना अलग स्थान रखती है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार साहित्य को एक नई दिशा देते हैं। पुरस्कार से साहित्य को गति मिलती है । बशर्ते योग्य एवं समाज उपयोगी साहित्य को पुरस्कार दिया जाता रहे।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मैं छोटे-छोटे लेख एवं कविताएं लिखा करता था परंतु मेरे मित्र एवं साहित्यकार श्री संजय बर्वे जी तथा श्री विनोद दुबे जी के प्रोत्साहन से मेरी पहली पुस्तक *हमारे प्रेरणा के स्रोत* प्रकाशित हुई जिसमें प्रकाशक श्री पुरुषोत्तम सिंह का विशेष सहयोग रहा। मेरी दूसरी पुस्तक कविता संग्रह राजसुमन प्रकाशित हुई। तब से ऐसा लगता है कि मुझे कई किताबें लिखनी चाहिए।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की सक्रिय भूमिका है। परिवार के सभी सदस्यों का मुझे सहयोग मिलता रहता है।
क्रमांक - 17
जन्म : 07 अक्टूबर 1958 , रामनगर , कानपुर - उत्तर प्रदेश
पति का नाम :-देवेन्द्र पाण्डेय
पिता का नाम : डा.शिव दत्त शुक्ल
माता का नाम : ऋषिकुमारी शुक्ल
शिक्षा : बी .ए
व्यवसाय - समाज सेविका और लेखिका
प्रकाशित पुस्तकें : -
१)महिलाओं के अधिकार कानून के दायरे में - लेख संग्रह
२) बैचेन हुए हम - काव्य संग्रह
३) लघु आकाश - लघुकथा संग्रह
४) ओस की बूंद - हाइकु संग्रह
५) एक अकेली औरत - काव्य संग्रह
६) गालियां (लघुकथा संग्रह )
पुस्तकों का सम्पादन -
१) अग्निशिखा काव्य धारा
२) अग्निशिखा कथा धारा
३) काव्य जीवन चक्र
४) जन्मदाता
५) शब्दाचे शिल्पकार मराठी
६) नवांकुर बाल लेखकों का संग्रह
७) अग्नि -अग्नि के ऊपर संग्रह गोल्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज
सम्मान : -
महिला गौरव
विघावाचस्पति सम्मान - विक्रमशिला विघापीठ से
हिरणी सम्मान ,
समाज गौरव सम्मान ,
समाज भूषण सम्मान ,
इस तरह से तीन सौ से अधिक सम्मान मिले है
विशेष : -
- पत्र - पत्रिका ओ मे : मंगल दीप , नवभारत टाईम्स , मेरी सहेली , केरियर , साहित्य कलश, साहित्य अंचल, अमृत राजस्थान, नवभारत, मेरी सहेली, गृह शोभा,आदि में प्रकाशित
- समाज सेवा : पिछले तीस वर्षों से अखिल भारतीय अग्निशिखा के माध्यम से
१) अश्लिलता विरोधी आंदोलन
२) घरेलू हिंसा के विरुध
३) एड्स जनजाग्रति के लिये नुक्कड नाटक पूरे महाराष्ट्र में
४) कुटुम्ब विघटन को रोकना
५) महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम
६) सम्मान समारोह हर साल
७) आदिवासियों के लिये कार्यक्रम
८) वृक्षा रोपण हर साल कार्यक्रम
९) डा शिवदत् शुक्ल स्मृति सम्मान समारोह
१०) महिलादिवस पर अग्निशिखा गौरव सम्मान समारोह
स्थाई पता : देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर -१ कौपरखैरीन् नवि मुम्बई ४००७०९ - महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने बीस वर्ष की उम्र से लिखना शुरू किया और मेरी प्रेरणा के स्त्रोत मेरे पापा थे। क्योंकि मेरे पापा स्वयं लिखते थे और कॉलेज में प्रिंसिपल थे तो घर का माहौल ही पूरा लेखन का था
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना मंगलदीप आर दीप में प्रकाशित हुई। 1985 में हास्य कवि सम्राट राम मंदिर की मंगलदीप उसके बाद तो सभी पुस्तकों में प्रकाशित होती रही।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - वैसे तो मैं लघुकथाएं ज्यादा लिखती हूं और वही मुझे लिखना भी पसंद है पर कविताएं लिख लेती हूं पर कहानी और लघुकथाएं लिखना मुझे सहज लगता है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर -मैं साहित्य के माध्यम से समाज को यही संदेश देना चाहूंगी कि हमें हिंदी के साहित्य को समृद्ध करना है और हिंदी साहित्य के प्रचार और प्रसार के लिए हमे निरंतर प्रयत्न करते रहना चाहिए। हर तरह के कोशिश करना चाहिए ,और कार्यक्रमों को लगातार करते रहना चाहिए ।हमें हिंदी में लिखना पढ़ना और सोचना चाहिए।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - जयशंकर प्रसाद की "कामायनी"
धर्मवीर भारती जी का "गुनाहों का देवता"
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी बहुत अच्छा अनुभव रहा हमें बेझिझक होकर बोलना भी आया
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर -मेरे हिसाब से आजकल जो कवि सम्मेलन हो रहे हैं वह कवि सम्मेलन के नाम पर मात्र ,चुटकुले बाजी होती है जो रोकना चाहिए और स्वरचित रचनाएं की प्रस्तुति होना चाहिए मंच पर आज हम देख रहे हैं कि वह सिर्फ चुटकुले बाजी कर रहे हैं जिस पर रोक लगना चाहिए।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण है ।जो समाज की दशा और दिशा दोनों को परिवर्तन करने की क्षमता रखता है ।आजकल जो फेसबुक पर साहित्य आ रहा है वह भी नव साहित्यकारोके लिए बहुत ही अच्छा है उन्हें पढ़कर सुनकर उससे कुछ सीखते हैं और सबको वहां पर अपनी अभिव्यक्ति देने का मौका मिलता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान में पुरस्कारों की जो बाढ़ सी आ गई है बात बात में पुरस्कार दिए जाने लगे हैं जो साहित्यकार के लिए हौसला अफजाई का काम करते हैं और उन्हें और लिखने की चाह पैदा होती है या उनके लेखन को कोई रहता है या पुरस्कार कर देता है इसकी सबसे बड़ी खुशियां कारण बनता है क्योंकि एक रचनाकार की रचना उसे बहुत फ्री होती है तो जब उस रचना का सम्मान होता है तो उसके पूरे वजूद का सम्मान होता है और वह और शिद्दत से लेखन कार्य जारी रखता है।पुरस्कार पुरस्कार होता है वह छोटा बड़ा नहीं होता गैर सरकारी पुरस्कार मिलने से बहुत खुशी होती है और सरकारी पुरस्कार मिलने से आदमी सम्मानित होता है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मैं एक ब्राह्मण परिवार से हूं जहां पर बहू को बहुत ही परदे में रखा जाता है पर मैं जब मुंबई आई तो मुझे भी शुरुआत में बहुत पर्दा करना पड़ा पर धीरे-धीरे मैंने इसका विरोध किया और फिर मैं पत्रिकाओं में लिखने लगी समाजिक काम करने लगी मेरे ससुर ने इसमें मुझे बहुत साथ दिया। काफी लंबी दास्तान है पर हां यही है कि हम में हौसला हो काम करने का तो कोई बात है हमें रोक नहीं सकती है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - यह मेरे लेखन में पहले तो काफी तकलीफ थी समय नहीं मिलता था जॉइंट फैमिली थी परंतु अब कोई प्रॉब्लम नहीं है और घर के सभी लोग सहयोग करते हैं और उन्हें भी अच्छा लगता है जब मुझे पुरस्कार मिलता है या मेरी कोई रचना कहीं छपी है तो घर में सभी लोग बहुत खुश होते हैं ।
क्रमांक - 18
जन्म : 29 मार्च 1958 दिल्ली
शिक्षा : बी.कॉम (ऑनर्स) हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; एलएल.बी. कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय
संप्रति: कंसलटेंट - फाइनेंस, टैक्स अब स्वतंत्र लेखक
अभिरुचियाँ : प्रमुख रूप से कहानी, उपन्यास लिखना
पुस्तकें : -
- उपन्यास "जमीन" फरवरी 2022 स्वयं प्रकाशन केवल किंडल संस्करण
- उपन्यास "भूतिया हवेली हा हा हू हू" दिसंबर 2021 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स" केवल किंडल संस्करण
- कहानी संग्रह "जीवन के रंग" दिसंबर 2021 प्रकाशक "शॉपिज़ेन"
- उपन्यास "नयन ग्रह" जून 2021 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
- उपन्यास "अदृश्यम" नवंबर 2020 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
- कहानी संग्रह "अमरूद का पेड़" 2020 प्रकाशक "श्री सत्यम् प्रकाशन"
- उपन्यास "कुछ नहीं" अगस्त 2019 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
- कहानी संग्रह "रिश्तों की छतरी" मार्च 2019 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
- कहानी संग्रह "भूतिया हवेली" सितंबर 2018 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
- कहानी संग्रह "फासले" जनवरी 2021 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स" केवल किंडल संस्करण
- कहानी संग्रह "रसरंग" जनवरी 2021 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स" केवल किंडल संस्करण
- कहानी संग्रह "हौसला" अगस्त 2020 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स" केवल किंडल संस्करण
- कहानी संग्रह "पुरानी डायरी" मई 2020 प्रकाशक "फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स" केवल किंडल संस्करण
- ऑडियो बुक धारावाहिक "तुम्हारी काव्या" ,पॉकेट एफएम अप्रैल 2020
- काव्य संग्रह "दिल से" मार्च 2019 स्वयं प्रकाशन केवल किंडल संस्करण
- प्रार्थना संग्रह "प्रार्थनाएं" मार्च 2019 स्वयं प्रकाशन केवल किंडल संस्करण
सम्मान एवं पुरस्कार :-
1. दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाइसेंस' कहानी को द्वितीय पुरस्कार
2. अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत
3. प्रतिलिपि सम्मान – 2016
विशेष : -
- हर विधा में पढ़ना और लिखना पसंद
- विभिन्न कहानी संग्रह में प्रकाशित अनेकों कहानियाँ
- दस लेखकों द्वारा लिखित उपन्यास "डार्क नाईट" का दसवाँ अध्याय प्रकाशक "नोशन प्रेस"
- कुकु एफएम पर लगभग एक सौ कहानियों के ऑडियो
- कुकु एफएम पर उपन्यास "कुछ नहीं" का ऑडियो
- कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि
- कहानी “अखबार वाला” का उर्दू अनुवाद। अनुवादक: सबीर रजा रहबर (पटना से प्रकाशित उर्दू समाचार पत्र इंकलाब के संपादक) बिहार उर्दू अकादमी के लिए।
- हिन्दुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, मेल टुडे और इकॉनॉमिक्स टाइम्स में सामयिक विषयों पर पत्र
- सरिता, गृहशोभा, सरल सलिल, प्रतिलिपि, जयविजय, सेतु, अभिव्यक्ति, स्वर्ग विभा, अनहद कृति, हिन्दुस्तान और नवभारत टाइम्स में प्रकाशित कहानियाँ
संपर्क: बी – 1/4, पिंक सोसाइटी, सेक्टर - 13, रोहिणी, दिल्ली - 110085
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर : बचपन में मेरी नानी मुझे कहानियाँ सुनाया करती थी। नानी राम और कृष्ण के जीवन से सम्बंधित छोटी-छोटी कहानियाँ सुनाती थीं। जिनको सुनकर मेरा रुझान कहानियों की तरफ बढ़ा। संयुक्त परिवार में मेरे से बड़े ताऊ के बच्चे उपन्यास पढ़ते थे। वो दौर गुलशन नंदा और राजहंस के उपन्यासों का था। उपन्यास प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर मिलते थे। उन उपन्यासों को मैं भी उलट पलट लिया करता था परंतु छोटी उम्र होने के कारण मुझे अधिक समझ में नहीं आते थे। स्कूल की पाठ्यक्रम की पुस्तकों में मुंशी प्रेमचंद की 'पंच परमेश्वर' और 'ईदगाह' पढ़ी।
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के ठीक सामने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी थी जहाँ ढेरो अनगिनित पुस्तकों का भंडार था और शाम के समय साहित्यिक समारोह भी हुआ करते थे। यह मैं अपने स्कूल के दिनों की बात बता रहा हूँ, 1968 से 1973 तक की बात है। स्कूल अध्यापकों ने हम स्कूल विद्यार्थियों को लाइब्रेरी का सदस्य बनवाया और हम नियमित रूप से लाइब्रेरी से पुस्तकें लाकर घर पर आराम से पढ़ा करते थे। हम एक साथ दो पुस्तकें 15 दिन तक रख सकते थे। यहाँ से मेरी साहित्य में रुचि जागृत हुई। बचपन में नंदन, चंपक और चंदामामा पत्रिकाओं को खूब पढ़ा। कॉलेज में बी.कॉम (ऑनर्स) के कोर्स में मेरा हिंदी वैकल्पिक विषय था जो सिर्फ एक वर्ष पढ़ना था। पाठ्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास 'गबन' पहली बार पढ़ने का अवसर मिला। सही मायनों में साहित्य की समझ, लगन और प्रेम 'गबन' से आरम्भ हुई। मेरी नजर में 'गबन' एक व्यावहारिक उपन्यास है, जिसके पात्र मुझे आज भी अपने इर्द गिर्द घूमते मिलते हैं। मुझे इस उपन्यास की प्रासंगिकता आज भी उतनी है, जितनी लिखते समय मुंशी प्रेमचंद ने महसूस की थी।
विवाह के बाद पत्नी नीलम भाटिया हिन्दी पत्रिका पढ़ती थी जिनमें सरिता, गृहशोभा, मुक्ता प्रमुख थी। मैं उन पत्रिकाओं में कहानियों को पढ़ना पसंद करता था। फुरसत के पलों में मुंशी प्रेमचंद के साथ शरतचन्द्र, रविन्द्र नाथ टैगोर को पढ़ना आरंभ किया। खुशवंत सिंह, तस्लीमा नसरीन, रस्किन बांड, अमृता प्रीतम, अमृत लाल नागर, आचार्य चतुरसेन, शिवानी और कृष्णा सोबती की लेखनी से प्रभावित हुआ। 1998 में सामाजिक मुद्दों पर मैंने अपनी राय समाचारपत्रों में सम्पादक के नाम पत्रों के माध्यम से रखनी आरम्भ की। हिन्दुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, इंडिया टुडे, सरिता, इकोनॉमिक्स टाइम्स और कई अन्य पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से पत्र प्रकाशित होते रहे। मुख्यतः मैं अंतर्मुखी हूँ, ऑफिस में सहपाठियों के संग चर्चा और विचार विमर्श में मैंने महसूस किया, बेफजूल वादविवाद में समय बर्बाद करने से बेहतर पत्र, पत्रिकाओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करना है। इंटरनेट क्रांति में फेसबुक और सोशल मीडिया के बढ़ते चलन से अब अंग्रेजी समाचारपत्रों में पाठकों की भागीदारी लगभग समाप्त ही हो गई है, हालाँकि मुझे इस बात की खुशी है कि हिन्दी समाचारपत्रों में पाठकों के पत्र अच्छी संख्या में प्रकाशित होते हैं।
2004 में मेरी उम्र 46 वर्ष थी। इस उम्र में बच्चों की जिम्मेदारी से मैं लगभग फ्री हो गया था। उम्र के इस पड़ाव पर कुछ ठहराव आए, कुछ अपने लिए समय मिलने लगा। अब शनिवार और रविवार को अवकाश रहने लगा। खाली समय में साहित्य पढ़ते स्वयं ही लिखने की इच्छा जागृत हुई। सच में कहूँ, लिखने की इच्छा दिल्ली प्रेस की वार्षिक कहानी प्रतियोगिता को देख कर हुई। अब क्या लिखूं, कैसे लिखूं, इस समस्या से जूझने में मुझे दो वर्ष लग गए और मैं लिख नहीं सका। 2004 के बाद 2005 की भी वार्षिक कहानी प्रतियोगिता चली गई और मैं सोचता रह गया। इन वर्षों में मैं बस पढ़ता रहा। 2006 की वार्षिक कहानी प्रतियोगिता में दृढ़ निश्चय कर के मैंने तीन कहानियाँ लिखी। कहानी 'लाइसेंस' को प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार 3000 रुपये का मिला। द्वितीय पुरस्कार के साथ धनराशि ने मेरे अंदर के लेखक को जागृत किया और मैंने नियमित रूप से लिखना आरम्भ किया। प्रतियोगिता में भेजी गई मेरी दूसरी कहानी 'वो बच्चे' भी प्रकाशित हुई, तीसरी कहानी रिजेक्ट हो गई। दोनों कहानियाँ सामाजिक विषयों पर आधारित थी जिन्हें मैंने अपने इर्द गिर्द महसूस किया था।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर: जैसा कि मैंने आपको पहले प्रश्न के उत्तर में बताया, मेरी पहली रचना “लाइसेंस” दिल्ली प्रेस की सरिता पत्रिका में 2006 में प्रकाशित हुई। मैंने दिल्ली प्रेस की कहानी प्रतियोगिता में भाग लिया और कहानी को द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर: मैंने अब तक सामाजिक, प्रेम, हॉरर, फंतासी, हास्य-व्यंग्य और आपराधिक विधा में कहानियां और उपन्यास लिखे हैं। मुझे सभी विधा पसंद हैं। क्योंकि मैं धार्मिक, मायथोलॉजी से लेकर लगभग हर विधा की पुस्तकें पढ़ता हूँ, इसलिए हर विधा में लिखने के लिए सहज रहता हूँ। मैं जीवन के इंद्रधनुषी रंगों से विषय चुनता हूँ। मेरा प्रयास रहता है, हर रस को अपनी रचनाओं में स्थान प्रदान करूँ। जीवन में प्रेम भी है, नफरत भी, हास्य भी है, डर भी है, हौसला भी है और कल्पना भी है। यही जीवन है जिसे कलम के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास करता हूँ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर : नकारात्मकता त्याग कर सकारात्मकता को अपनाएं। सुख और दुख जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं, जो बारी-बारी से हमारे जीवन में आते हैं। खुश रहें, अपराध से दूर रहें। निष्ठापूर्वक परिवार का दायित्व उठाएं, सामाजिक कुरीतियों को दूर करें। अपनी सामाजिक और प्रेम रचनाओं में सामाजिक कुरीतियों का वर्णन करता हूँ और दूर करने के लिए सुझाव भी देता हूँ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर: मेरे पसंदीदा लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं। उनकी पुस्तक ‘गबन’ आज भी प्रासंगिक है। आज व्यापक गबन हो रहे हैं, गबन के पीछे कारण भी वहीं है। पुलिस द्वारा झूठे गवाहों को तैयार किया जाता है। मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी ‘जुर्माना’ का विशेष उल्लेख करूँगा। यह मार्मिक, मानवीय मूल्यों पर आधारित कहानी है। कठोर सुपरवाइजर महिला सफाई कर्मचारी पर नाराज है, वह छुट्टी कर रही है। महिला का बच्चा बीमार था, जिस कारण वह काम ढंग से नहीं कर रही थी। सुपरवाइजर के डांटने पर महिला का सब्र टूटता है और गाली बक जाती है। महिला को तनख्वाह कटने की पूरी उम्मीद थी। सुपरवाइजर पूरी तनख्वाह उसके हाथ पर रखता है। यही मानवता है। सुपरवाइजर उसका दर्द समझ गया। यह हृदयस्पर्शी कहानी है। आजकल अफवाह बड़ी जल्दी फैलती हैं। अफवाह कैसे फैलती हैं? इसका सबसे अच्छा उदाहरण रस्किन बांड की कहानी ‘दी बॉय हु ब्रोक दी बैंक’ है। बैंक के सफाई कर्मचारी को तनख्वाह समय पर नहीं मिली तब वह बडबडा कर बैंक को कोस रहा था। राह गुजरते लोगों ने समझा बैंक का दिवाला निकल गया। थोड़ी देर में पूरे शहर में अफवाह फैल गई। बैंक में तोड़फोड़ हो गई। कहानियां पुरानी अवश्य हैं लेकिन आज भी प्रासंगिक हैं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर : मुझे यह सौभाग्य कभी प्राप्त नहीं हुआ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर:कवियों का महत्व आदिकाल से रहा है और आज भी प्रासंगिक है। 1962 चीन युद्ध के समय लता जी द्वारा गाया गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों’ देश भक्ति का जज्बा भरता है। कारगिल युद्ध मे भी देश एकजुट हो गया था। वीर रस से ओतप्रोत देश भक्ति गीत देश वासियों को एक जुट करते हैं। हास्य-व्यंग्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों और देश की राजनीतिक व्यस्था पर कटाक्ष नागरिकों को जागरूक रखती हैं। यह काम कवि सम्मेलनों के माध्यम से बखूबी हो रहा है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर : साहित्य समाज का आईना है। मुंशी प्रेमचंद ने अपने समय के समाज का चित्रण किया। मेरे मतानुसार इतिहास को लिखवाया जाता है लेकिन साहित्य को नहीं लिखवाया जा सकता। जो हम समाज में देखते हैं, उसी को लिखने का मेरा प्रयास रहता है। आज के समाज के हम प्रतिनिधि है और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के गुण और अवगुण को उजागर करते हैं। फेसबुक का साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है, लेकिन अधिकांश व्यक्ति समूह बना कर फेसबुक का दुरुपयोग अधिक करते हैं। निजी रंजिश और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत बिना कारण आलोचना करते हैं। आलोचना की हर सीमा को लांघ कर व्यक्तिगत लांछन लगाते हैं। अतः फेसबुक पर उपलब्ध साहित्य को मैं तवज्जो नहीं देता।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर: गुटबाजी चलती तो अवश्य है। इससे अधिक कुछ नहीं कहूँगा।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर : साहित्य जीवन में मेरे प्रथम प्रयास पर कहानी ‘लाइसेंस’ को द्वितीय पुरस्कार मिलना एक महत्वपूर्ण घटना है। प्रतिलिपि लोकप्रिय लेखक का सम्मान प्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया के हाथों से मिलना महत्वपूर्ण संस्मरण है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर: मेरे परिवार की व्यापारिक पृष्ठभूमि है फिर भी किसी ने मुझे टोका नहीं। पत्नी नीलम भाटिया ने सदा मुझे प्रोत्साहित किया है। आज मैं सेवानिवृत्त हूँ और परिवार के सहयोग से मेरा समय साहित्य को समर्पित है। मेरी दिनचर्या साहित्य लिखना और पढ़ना है।
क्रमांक - 19
जन्म : 02 अगस्त 1942 , गाँव अस्मानखट्टड़ - रावलपिण्डी - पाकिस्तान (विभाजन पूर्व)
पिता : स्व. श्री विशेशर नाथ ढल
माता : श्रीमती वीरांवाली ढल
पति : स्वर्गीय श्री मोहन लाल
शिक्षा : ललित महिला विद्यालय से हाईस्कूल , पत्रकारिता - पत्रकारिता महाविद्यालय लाजपत नगर दिल्ली , कहानी लेखन - कहानी लेखन महाविद्यालय अम्बाला छावनी - हरियाणा
सम्प्रति : आरती प्रकाशन की गतिविधियों में संलग्न,
प्रधान सम्पादक : हिन्दी पत्रिका शैलसूत्र (त्रै.)
प्रकाशित पुस्तकें : -
1.काँटों का नीड़ (काव्य संग्रह)
प्रथम संस्करण 1992, द्वितीय 1994, तृतीय 1997
2. एक और द्रौपदी (काव्य संग्रह 1993)
3. सागर से पर्वत तक (ओड़िया से हिन्दी में काव्यानुवाद) प्रकाशन वर्ष (2001)
4.शजर-ए-तन्हा (उर्दू ग़ज़ल संग्रह-2001)
5.एक और द्रौपदी का बांग्ला में अनुवाद (अरु एक द्रौपदी नाम से 2001),
6.प्रभात की उर्मियाँ (लघुकथा संग्रह-2005)
7.दादी कहो कहानी (लोककथा संग्रह,)
प्रथम संस्करण-2006, द्वितीय संस्करण-2009
8.गर्द के नीचे (हिमाचल के स्वतन्त्रता सेनानियों की जीवनियाँ) प्रथम संस्करण-2007, द्वितीय संस्करण (2014)(अमेज़न पर)
9. हमारी लोक कथाएँ, भाग एक -2007
10.हमारी लोक कथाएँ, भाग दो -2007
11.हमारी लोक कथाएँ, भाग तीन -2007
12.हमारी लोक कथाएँ, भाग चार -2007
13.हमारी लोक कथाएँ, भाग पाँच -2007
14.हमारी लोक कथाएँ, भाग छः -2007
15.हिमाचल बोलता है (हिमाचल कला-संस्कृति पर लेख-2009
16.सूरज चाचा (बाल कविता संकलन-2010)
17.पीर पर्वत (गीत संग्रह-2011)
18.आधुनिक नारी कहाँ जीती कहाँ हारी (नारी विषयक लेख-2011)
19.ढलते सूरज की उदासियाँ (कहानी संग्रह-2013)अमेज़न पर
20.छाया देवदार की (उपन्यास-2014) अमेज़न पर
21.द्वन्द्व के शिखर, (कहानी संग्रह 2016) अमेज़न पर
22. ‘हण मैं लिक्खा करनी’ (पहाड़ी कविता संग्रह) 2017
23.चीड़ के वनों में लगी आग (संस्मरण-2018) उपन्यास छाया देवदार की अमेज़न पर।
24. कोलकाता से अण्डमान तक (2019) बाल उपन्यास अमेजन पर।
25. इस पार से उस पार (बाल उपन्यास) डायमण्ड बुक्स 2022
26.नर्गिस मुस्कुराती है (ग़ज़ल संग्रह अमेज़न पर), आरती प्रकाशन 2021
27. मैं हिमाचल हूँ (शोध लेख अमेज़न पर)
28. भविष्य प्रश्न (कविता संग्रह अमेज़न पर)
29.और कितनी परीक्षा* कहानी संग्रह 2021
30. नारी संघर्ष एक चिन्तन, आलेख संग्रह। निखिल पब्लिशर 2022*
सम्मान : -
- उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 21 हज़ार की राशि सहित सम्मानित तीलू रौतेली पुरस्कार 2016
- पत्रकारिता द्वारा दलित गतिविधियों के लिए अ.भा. दलित साहित्य अकादमी द्वारा अम्बेदकर फैलोशिप -1992,
- साहित्य शिक्षा कला संस्कृति अकादमी परियाँवां -प्रतापगढ़ द्वारा साहित्यश्री’ 1994,
- अ.भा. दलित साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा अम्बेदकर ‘विशिष्ट सेवा पुरस्कार’ 1994,
- शिक्षा साहित्य कला विकास समिति बहराइच द्वारा ‘काव्य श्री’,
- कजरा इण्टरनेशनल फ़िल्मस् गोंडा द्वारा ‘कलाश्री 1996,
- काव्यधारा रामपुर द्वारा ‘सारस्वत’ उपाधि 1996,
- अखिल भारतीय गीता मेला कानपुर द्वारा ‘काव्यश्री’ के साथ रजतपदक 1996,
- बाल कल्याण परिषद द्वारा सारस्वत सम्मान 1996,
- भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल द्वारा ‘साहित्यश्री’ 1996,
- पानीपत साहित्य अकादमी द्वारा आचार्य की उपाधि 1997,
- साहित्य कला संस्थान आरा-बिहार से साहित्य रत्नाकर की उपाधि 1998,
- युवा साहित्य मण्डल गा़ज़ियाबाद से ‘साहित्य मनीषी’ की मानद उपाधि 1998,
- साहित्य शिक्षा कला संस्कृति अकादमी परियाँवां से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ सम्मान 1998,
- ‘काव्य किरीट’ खजनी गोरखपुर से 1998,
- दुर्गावती फैलोशिप’, अ.भ. लेखक मंच शाहपुर जयपुर से 1999,
- ‘डाकण’ कहानी पर दिशा साहित्य मंच पठानकोट से 1999,
- विशेष सम्मान, हब्बा खातून सम्मान ग़ज़ल लेखन के लिए टैगोर मंच रायबरेली से 2000।
- पंकस (पंजाब कला संस्कृति) अकादमी जालंधर द्वारा कविता सम्मान 2000,
- अनोखा विश्वास, इन्दौर से भाषा साहित्य रत्नाकर सम्मान 2006।
- बाल साहित्य हेतु अभिव्यंजना सम्मान फर्रुखाबाद से 2006,
- वाग्विदाम्बरा सम्मान हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 2006,
- हिन्दी भाषा भूषण सम्मान श्रीनाथ द्वारा राजस्थान 2006,
- बाल साहित्यश्री खटीमा उत्तरांचल 2006,
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा महादेवी वर्मा सम्मान, 2007 में।
- हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला द्वारा हज़ारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान 2008,
- साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राज) सम्पादक रत्न 2009,
- दादी कहो कहानी पुस्तक पर पं. हरिप्रसाद पाठक सम्मान मथुरा,
- नारद सम्मान-हल्द्वानी जिला नैनीताल द्वारा 2010,
- स्वतंत्रता सेनानी दादा श्याम बिहारी चौबे स्मृति सम्मान(भोपाल)
- म.प्रदेश.तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा 2010
- विक्रमशिला हिन्दीविद्यापीठ द्वारा भारतीय भाषा रत्न 2011,
- उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा सम्मान 2011,
- अखिल भारतीय पत्रकारिता संगठन पानीपत द्वारा पं. युगल किशोर शुकुल पत्रकारिता सम्मान 2012,
- स्व. भगवती देवी प्रजापति हास्य-रत्न सम्मान 2012
- भारतेंदु हरिश्चन्द्र समिति कोटा से साहित्यश्री सम्मान -2013,
- महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दीघाटी से साहित्य रत्न सम्मान 2013,
- विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा राष्ट्रगौरव सम्मान 2013,
- उत्तराखण्ड बाल कल्याण साहित्य संस्थान, खटीमा (जिल ऊधमसिंह नगर) द्वारा ‘सम्पादकरत्न’ 2014,
- हिमाक्षरा (वर्धा) द्वारा उपन्यास ‘छाया देवदार की’ के लिए‘सृजन सम्मान अलंकरण’ 2014,
- अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल से सुमन चतुर्वेदी सम्मान,
- हिमाचल गौरव सम्मान , बुशहर हलचल एवं बेटियाँ फाउण्डेशन रामपुर बुशहर हिमाचल प्रदेश द्वारा 2015,
- तीलू रौतेली (उत्तराखण्ड राज्य पुरस्कार-2016)
महिला महाशक्ति सम्मान,
- नया उजाला कल्याण समिति हल्द्वानी द्वारा 2016
ग्लोबल लिटरेरी सम्मान,
- साहित्य महारथी सम्मान अ.भा.आध्यात्मिक संस्था
- काव्यधारा रामपुर उ.प्र. 2017 द्वारा डॉ. परमार पुरस्कार
सिरमौर कला संगम द्वारा ;2017।
- देहदानी सम्मान वैश्य महिला सम्मिति हल्द्वानी एवं नगर पंचायत लालकुआँ-2017
- बूईंग वीमन फलक देहरादून द्वारा 2018,
- अमर भारती दिल्ली से सरस्वती स्मृति सम्मान 20018,
- प्रबुद्ध नागरिक ऐसोसिएशन ग़ज़ियाबाद द्वारा सम्मान 2019,
- लॉयन्स क्लब नैनीताल द्वारा आर्यसम्मान 2019,
- विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा शहीद स्मृति सम्मान 2019
- पंकस अकादमी जालन्धर द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय आधी दुनिया अवार्ड 2019।
- शंखनाद मीडिया विशिष्ट सम्मान 2020,
- कालिंजर सृजन सम्मान -2020,
- कलमवीर सम्मान 2020
- माता शबरी सम्मान 2021
- साहित्य सुधा (मानद उपाधि) 2022
- साहित्योदय शक्ति सम्मान 2022
विशेष : -
- उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, हरियाणा, राजस्थान आदि सम्पूर्ण उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत और अण्डमान-निकोबार आदि से भी काव्य-लेखक मंचों, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि के द्वारा रचनाओं का प्रसारण
- देश के हर भाग की पत्रिका में रचनाएँ देखी जा सकती हैं।
- आशा शैली के काव्य का अनुशीलन(लघुशोध, शोधार्थी मंजु शर्मा, निदेशक डॉ. प्रभा पंत-2014),
वर्तमान पताः-साहित्य सदन, इंदिरा नगर-2, पो. ऑ. लालकुआँ, जिला नैनीताल - उत्तराखण्ड - 262402
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने पहली कविता छटी कक्षा में लिखी थी।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी प्रथम प्रकाशित रचना एक ग़ज़ल थी जो दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिन्दी मिलाप में प्रकाशित हुई थी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कहानी, कविता, गीत, ग़ज़ल, उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, बाल साहित्य, लेख आदि हर विधा में लिखा है।
मैं सप्रयास नहीं लिखती, शायद लिख ही नहीं पाती। जो सहज उतर आए, उसे सहेज लेती हूँ। इस तरफ कभी गीत, कभी ग़ज़ल, अतुकांत और कहानी लघुकथा कुछ भी हो सकता है। हाँ उपन्यास भीतर ही पकता रहता है और कथानक के सिरे पकड़ने में समय ले लेता है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य तो वही होता है जिससे सब का हित होता है। जो समाज को दिशा दे, मन को उद्वेलित करे, वही साहित्य है। अन्यथा बेकार की उठापटक।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मेरे पसन्द के पिछली पीढ़ी के लेखकों में महादेवी, सुभद्रा कुमारी चौहान, शिवानी, कुशवाहा कान्त, शैलेश मटियानी, राहुल सांकृत्यायन आदि रहे हैं। हाँ, उन दिनों शरतचंद्र को भी खूब पढ़ा है और गोविंद वल्लभ पंत को भी।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी पर मेरा पहला कार्यक्रम शायद 1974/75 में हुआ था, शिमला में। शुरू के अनुभव कुछ अच्छे नहीं रहे। बाद में 1984/85 में दूरदर्शन पर पहला कार्यक्रम हुआ। 2002 तक निरन्तर कार्यक्रम होते रहे। उसके बाद सरकारी नीतियों के कारण कुछ व्यवधान आने लगे।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - व्यवसायिक कार्यक्रमों से मैं हमेशा ही दूर रही हूँ। इन कार्यक्रमों के मेरे अनुभव बहुत कड़वे रहे हैं। नये और वह भी महिला चेहरों को इन मंचों पर तब तक जमने नहीं दिया जाता, जब तक इनका कोई गॉड फादर साथ न हो। हाँ साहित्यिक मंचों पर मैं अपना सिक्का जमाने में सफल रही हूँ, वह भी ख़ास तौर पर ग़ज़ल में।अब भाई भतीजावाद कितना प्रासंगिक हो सकता है, इसे तो सब जानते हैं।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - मैं पूर्व विद्वानों के मत का समर्थन करते हुए कहना चाहूँगी कि जिस लेखन से समाज को सही दिशा न मिले, वह साहित्य ही नहीं। फेसबुक एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। बात सिर्फ इतनी सी है कि कचरा पहले भी रहता था, अब भी है और आगे भी रहेगा। फिर भी एक लाभ हमें फेसबुक का स्पष्ट दिखाई देता है कि आज आप की कलम की धमक दूर तक सुनाई देती है। चाहे अनचाहे, जाने अनजाने आप की रचना पूरे विश्व में पहुँच रही है। पुस्तक तो कोई एक उठाएगा, पढ़ेगा। यहाँ हज़ारों लोग आप की रचनाओं पर नज़र डालते हैं, कुछ गम्भीरतापूर्वक उसे पढ़ते हैं और पसन्द नापसन्द का ठप्पा भी लगाते हैं। चाहे नापसन्द ही करें, पर वह भी पढ़ने के बाद ही तो करेगा। फेसबुक का बहुत बड़ा रोल साहित्य के प्रसार में नज़र आता है, बस आप क्या पढ़ रहे हैं यह आप को तय करना है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कारों की स्थिति पूर्ववत है। जिनको पुरस्कार मिलना चाहिए, वे अक्सर कुचक्र का शिकार हो जाते हैं, फिर भी कहीं न कहीं ये पुरस्कार वास्तविक अधिकारी के हिस्से भी आते ही हैं। हम सब मानवीय दुर्बलताओं से घिरे हैं। बुढ़ापे तक जब हमें अपना दायित्व नहीं मिलता तो जो लोग लड़ा सकते हैं, वे दाव पेच लड़ाने हैं तो कुछ गलत भी नहीं। काम करते-करते हम मर जाएँ और पुरस्कार हमारे मरणोपरांत मिले तो न मिलने जैसा ही हुआ, हमारे काम तो न आया? बाद में न दें तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - महत्वपूर्ण घटना तो मेरा लेखक बनना ही है। कॉलेज का मुँह नहीं देखा, पिता के घर कड़े अनुशासन के कारण लिखने का तो सोच ही नहीं सकती थी, हाँ! रंगों से खेलने के शौक ने कलम तक पहुँचा दिया। बात शायद 1975/76 की है। मैं तब अपने गाँव के महिला मण्डल की सचिव थी। एक दिन लकड़ी के एक टुकड़े पर मैंने फेब्रिक रंगों से एक तस्वीर उकेर दी। उसी तस्वीर को देखकर हमारे खण्ड विकास अधिकारी ने मुझे उकसाया और रंगों के साथ साथ कलम हाथ में आ गई।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - पिता के घर में तो नहीं, हाँ मेरे पति ने मेरे हर काम में मेरा न केवल साथ दिया, अपितु सहायता भी की। चित्र कला में वे रंगों के चयन और रेखांकन में बहुत सार्थक टिप्पणीकार रहे। मेरे गीतों के सुघड़ गायक और कहानियों के समीक्षक होने के साथ साथ वे मेरे पोस्ट मैन थे और लिप्यांतरण में भी सहायक थे। मैं उन्हें देवनागरी में ग़ज़ल लिखकर देती और वे उसे उर्दू में लिखकर डाक के हवाले कर देते। ================================
क्रमांक - 20
शिक्षा : एम.ए.समाजशास्त्र,एल.एल.बी.आनर्स, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एच.आर.डी.
पैतृक पता : ग्राम-चौकीखैरा,पो.नरसिंहपुर तहसील-लालगंज जि-आजमगढ़ - उत्तर प्रदेश।
पुस्तकें : -
1-अमानत-उपन्यास-प्रकाशक-इंसा,इंदौर
2-चांदी की हंसुली-उपन्यास-प्रकाशक-मनोरमा साहित्य सेवा, इंदौर
3-उखड़े पांव- लघुकथा संग्रह-प्रकाशक-यश पब्लिकेशंस, दिल्ली
4-सूली का जीवन-उपन्यास-प्रकाशक-इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
5-गाल भर धुआं-कहानी संग्रह--इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
6-युध्दरत-उपन्यास-प्रकाशक-इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
7-श्रापित आदमी-उपन्यास-प्रकाशक-इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
8-बेटी-उपन्यास-प्रकाशक-इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
9-गांठें-लघुकथा संग्रह-प्रकाशक-इण्डिया नेटबुक्स प्रा.लि.नोएडा
10-गुनाह -उपन्यास(शीघ्र प्रकाश्य)
वर्तमान पता -15-एम.वीणा नगर,इंदौर,मध्यप्रदेश-452010
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - महोदय, छठवीं कक्षा में था तब से लिखना शुरु हो गया था परंतु संकलन काफी देर से शुरू हुआ । मेरे लेखन की प्रेरणा स्रोत मेरी मां रही हैं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - साप्ताहिक/मासिक समाचार पत्र मे प्रकाशित हुई थी इसके पहले छठीं कक्षा मे मैं जब पढ़ता था एक लघुनाटिका मे भाग लिया था,इस लघुनाटिका के लिए गीत भी लिखा था।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - उपन्यास, कहानी,लघुकथा एवं कविता ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - सामाजिक परिवर्तन,दलित-आदिवासी उत्थान, सदभावना-मानवता राष्ट्रीय उत्थान एवं समतावादी समाज मेरी रचनाओं के केन्द्रबिन्दु मे होता है। मै लेखन को सामाजिक कार्य मानता हूँ और इसी उद्देश्य के मुद्दे नजर लिखता हूँ।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मै उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद को अपना आदर्श मानता हू।मुंशी प्रेमचंद के सभी उपन्यास पसंद हैं। मैंने बचपन मे मुंशी प्रेमचंद जी के उपन्यास और कहानियां पढा था तब से ही मुंशीजी मेरे आदर्श हैं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - आकाशवाणी, इंदौर,अनुभव बहुत अच्छा रहा।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन प्रासंगिक हैं क्योंकि कवि सम्मेलनों से समता,सद्भाव एवं राष्ट्रप्रेम का संदेश जनमानस तक पहुंचता है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य सभ्यता,संस्कृति, आचार-विचार का संदेशवाहक है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - महोदय, सरकारी या गैरसरकारी पुरस्कार हो,मैं इन पुरस्कारों के बारे मे नहीं सोचता ,अपने मन्तव्य पर कार्यरत रहना मेरा उद्देश्य है। आजकल तो पैठ पुरस्कार भी धडल्ले से मिल रहे हैं। रजिस्ट्रेशन के नाम पर मोटी रकम मांगा जाता है, ऐसे पुरस्कारो का क्या औचित्य ? संक्षिप्त मे कहूं तो पुरस्कारों को महत्ता को कम हो गई है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जी बिल्कुल, चलती रेल मे एक सवर्ण यात्री द्वारा जाति के नाम पर खुद को जल छिड़कर पवित्र करने की घटना, दिल्ली जहांगीरपुरी,वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र की प्रापर्टी ब्रोकर, एक कार्यालय से जाति के नाम पर अयोग्य घोषित किए जाने की घटना और बहुत कुछ । इस विषय पर लेखन कार्य जारी है, सम्भवतः आने वाले वर्षों मे पुस्तक- कब्र के करीब के नाम से पढने को उपलब्ध हो सकेगी ।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - अहम् भूमिका है, जिसमें पत्नी का विशेष योगदान है।
क्रमांक - 21
क्रमांक - 22
सुपुत्र: श्री श्रीदत्त शर्मा
पद: हिंदी प्राध्यापक
प्रकाशित पुस्तक : -
1.भारतभूमि , विधा: काव्य
2 दर्पण , विधा: काव्य
3. भारतेनदु काव्य , विधा: समीक्षा
4.हाइकु शतक (काव्य)
5.आंखे हैं पर हाथ नहीं , विधा: काव्य
6. चंद्रिका , विधा:काव्य
7.ढाई अक्षर (लघुकथा संग्रह)
8.कविता कल्पतरु है ,विधा: काव्य
9.मगवा काव्य , (काव्य -संग्रह)
10. भारतमाता का मंदिर ,विधा:( हाइकु काव्य)
सम्मान : -
180 सम्मान विभिन्न संस्थानों से सम्मानित
विशेष : -
- अभिरुचि: रक्तदान, गौ सेवा और वृक्षारोपण।
- साहित्यिक प्रसार माध्यम में दूरदर्शन हिसार, आकाशवाणी रोहतक,
- पत्र - पत्रिकाएं में रचनाएं प्रकाशित
- 15 सांझा संग्रह में प्रकाशित
- अप्रकाशित कृतियां - 35
पता :
ग्राम : ब्राह्मणवास जिला रोहतक - हरियाणा 124001
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - आदरणीय मैंने बारहवीं कक्षा के बाद अच्छे से लिखना प्रारंभ किया, उस समय मेरी आयु 19 वर्ष की रही होगी। मैट्रिक तक मेरे लेखन के संस्कार उभरने लगे थे। मेरे प्रेरणा स्रोत- मैथिलीशरण गुप्त, दिनकर, निराला रहे। बाद में तुलसीदास जी से भी मैं बहुत प्रभावित रहा हूं। स्कूल की दीवारों पर लिखे स्लोगन अपनी कॉपी में उतारता और महात्मा बुध, लिंकन, शिवाजी, अन्य महान विभूतियों की जीवनी पढ़कर भी मुझे जीवन में कुछ बनने कुछ की प्रेरणा मिलती थी। पिताजी के एक भजन गायक के संस्कार और माता जी के भक्ति के संस्कारों ने मुझे चिंतनशील बना दिया था।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना बी ए प्रथम वर्ष मैं गौड ब्राह्मण डिग्री कॉलेज रोहतक, की एक पत्रिका में *गौरव गाथा* नाम से भेजी गई थी। वैसे मेरी सबसे पहली रचना स्वर्ग और नर्क भी रही है। जहां तक आकाशवाणी के प्रसारण का सवाल है, 1997 में मैं आकाशवाणी रोहतक से काव्य पाठ करता रहा हूं।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं कविता ,कहानी ,लघुकथा, निबंध आदि विधाओं में अपनी लेखनी चलाता हूं। मुझे सबसे प्रिय काव्य विधा है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मैं साहित्य के माध्यम से समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि साहित्य जीवन की अभिव्यक्ति है, इसलिए सत्साहित्य से समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसर किया जा सकता है, साहित्य में वह ऊर्जा होती है जो एक अणु बम में भी नहीं होती। शब्दों की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है इसलिए शब्दों के माध्यम से समाज को और राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जाना हर साहित्यकार का दायित्व है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - आजकल सभी साहित्यकार बहुत अच्छा लिख रहे हैं। सामाजिक विसंगतियों पर भी अच्छा लिखा जा रहा है। मुझे कविवर दुष्यंत कुमार की भाषा- शैली बहुत अच्छी लगती है और नीरज जी की भाषाशैली भी बहुत अच्छी लगती है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - मैंने आकाशवाणी रोहतक से लगभग 12 वर्षों तक काव्य- पाठ किया, इसके अतिरिक्त दो तीन बार दूरदर्शन हिसार से भी मेरा प्रसारण रहा है और कई प्रसिद्ध चैनलों से भी रचनाओं का प्रसारण रहा है। आधुनिक काल में हिंदी साहित्य के प्रचार ,प्रसार के लिए मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। इसलिए दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रसारण करते मुझे बहुत अच्छा अनुभव हुआ और साहित्य की गति को आगे और अधिक गतिमान करने के लिए मुझे हर्ष का अनुभव हुआ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलनों का मेरे लिए अर्थ- शुद्ध साहित्यिक शब्दावली का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर बोलना ही है और इसे मैं आम जनता के लिए अच्छा प्रेरणा स्रोत मानता हूं।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में साहित्य जीवन का मात्र प्रतिबिंब नहीं है ,अभी तो दीपक भी है और वह दीपक जो न केवल आंधी में अपने अस्तित्व को बचाए रखता है बल्कि अंधेरे में भटकते जन-जन को वह रास्ता दिखाता है जिसके लिए उनका मनुष्य होना सफल हो। जहां तक फेसबुक साहित्य की बात करते हैं, वैसे तो आज का मीडिया खासकर ,सोशल मीडिया एक साहित्य के प्रचार- प्रसार और विभिन्न गतिविधियों का प्रमुख माध्यम है और हिंदी साहित्य के प्रचार- प्रसार के लिए अच्छा स्रोत है ,किंतु जब हम किसी भी साधन का दुरुपयोग करते हैं तो अपनी महत्ता खोने लगता है , यदि मौलिक साहित्य के साथ किसी की छेड़छाड़ ना की जाए तो फेसबुक प्रसारण का सशक्त माध्यम हो सकता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार प्राप्ति किसी साहित्यकार के लिए कोई मानदंड नहीं होता हां, इतना अवश्य है कि साहित्य सेवी अपने अथक प्रयास से समाज की सेवा में लीन रहता है ।इस कारण उसको उत्साहित और हौसला अफजाई के लिए समय-समय पर पुरस्कारों का आयोजन किया जाता है, श्रेष्ठ को सम्मान मिलना ही चाहिए।जहां तक मेरे सम्मान में पुरस्कारों का प्रश्न है ,विभिन्न संस्थानों और सरकारी विभाग से मुझे 180 से अधिक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - साहित्यकार का पूरा जीवन घटना और संस्मरणों से भरा हुआ होता है, इसलिए किसी एक संस्मरण का क्या जिक्र करूं।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसके लिए उसका परिवार उसका दायरा होता है , यह उसका प्रारंभिक लेखन का क्षेत्र होता है चाहे फिर उसे परिवार से सहयोग मिले या ना मिले, क्योंकि मैं प्रारंभ से ही छिपकर लिखता था ,मेरा लेखन के कार्य में कोई सहयोग परिवार से नहीं मिला बल्कि मुझे प्रतिकार के रूप में कुछ कर गुजरने की ऊर्जा जरूर मिली है।
क्रमांक - 23
जन्म : 07 सितम्बर 1978
शिक्षा :12 वीं
व्यवसाय : गृहिणी
रुचियाँ : साहित्यिक प्रोग्राम ऑर्गेनाइज करना और गद्य तथा पद्य में लेखन।
संस्थापिका : सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद बिजनौर
प्रकाशित पुस्तकें : -
स्त्री तंत्र की व्याख्या
स्त्री तंत्र की व्याख्या भाग 2
सुमन साहित्यिक परी प्रकाशन केंद्र पर ऑनलाइन प्रकाशित
संपादित पुस्तकें : -
सुमन साहित्य परी साझा काव्य संकलन अंक 1 और 2
सुमन साहित्यिक परी कविता संग्रह, चौपाई संग्रह, स्त्री तंत्र की व्याख्या और स्त्री तंत्र की व्याख्या भाग 2
प्रमुख सम्मान : ~
ऑनलाइन कार्यक्रमों में ही हिस्सा लेती हूं विभिन्न पटलों पर विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए हैं
अब तक सबसे ज्यादा सम्मान मुझे ई- अभिव्यक्ति पटल पर प्राप्त हुए हैं नए-नए आयोजनों से सुसज्जित अनिल ई अभिव्यक्ति पटल और प्रकाशन केंद्र हम जैसे लेखक को की रीढ़ की हड्डी है।
पता ~
श्रीमती दीपिका महेश्वरी सुमन (अहंकारा)
W/o श्री विशाल महेश्वरी
महेश्वरी धर्मशाला के सामने, बालकराम स्ट्रीट नजीबाबाद बिजनौर - 246763 उत्तर प्रदेश
उत्तर - लेखन का नवी कक्षा से शौक हुआ जो कुदरती था इस चरण में मैंने अनगढ़ कविताएं और नारी सशक्तिकरण के लिए काफी लेख लिखे थे लेकिन लेखन के प्रति सही प्रेरणा फेसबुक से मिली सन 2014 में फेसबुक पर ही मुझे साहित्यिक गुरु प्राप्त हुए और मैंने साहित्यिक विधाओं में लिखना शुरू किया
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - ऑनलाइन मई दो हजार अट्ठारह सर्व भाषा ट्रस्ट पर कविता का शीर्षक करूं शुक्रिया ! ऑफलाइन जून दो हजार अट्ठारह मानस गंगा पत्रिका देहरादून कविता सोचती हूं जिंदगी
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - पद्य में कविता, गीत, ग़ज़ल, सजल, द्विपदी, दोहा, दीपिका दोहा छंद, दीपिका सोरठा छंद।
गद्य में लेख, आलेख, कहानियां, लघुकथा। मैं सभी विधाओं में सहजता के साथ लिख लेती हूं
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - नारी में स्थित वैदिक ज्ञान सभी पहलुओं को समाज के सामने रखकर पुरुष द्वारा शिक्षा से नारी का नवीनीकरण रोकना चाहती हूं
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - पुस्तके नहीं पढ़ती मैं नई विचारधारा को जन्म देने के लिए अध्ययन करती हूं मेरे अध्ययन क्षेत्र का जो हिस्सा मुझे पसंद आता है अपने अध्ययन में समाहित करती जाती हूं लिखने वाली हर स्त्री की कलम में मुझे अपनी झलक दिखाई देती है विभिन्न पड़ाव पर विभिन्न साहित्यकारों से शिक्षा ली है इसलिए सभी का प्रभाव मुझ में सम्मिलित है
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी हां मैंने नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र पर कई बार प्रस्तुति की है इस सुअवसर का खजाना मुझे कई बार मिल चुका है
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - मैं केवल ऑनलाइन प्रोग्राम में पार्टिसिपेट करती हूं कवि सम्मेलन नहीं काव्य गोष्ठी में प्रतिभाग किया है और जहां तक ऑनलाइन कवि सम्मेलनों और काव्य गोष्ठियों की बात है, यह प्रासंगिक इसलिए हैं क्योंकि देश, काल और समाज को इस तरह के आयोजनों की जरूरत है
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य काव्य के रूप में साधना है और गद्य में विचारक के रूप में समाज सुधार का साधन बन जाता है
गृहिणी होने के नाते मेरे लिए घर से बाहर जाकर प्रोग्राम करने संभव नहीं घर की जिम्मेदारियों के चलते मेरे लिए फेसबुक एनीव्हेयर डोर है जिसे खोलकर मैं आसानी से कहीं भी प्रस्तुति देने जा सकती हूं मेरी पहचान फेसबुक से ही बनी है और साहित्य में सबका अपना-अपना अध्ययन होता है सिर्फ का खा गा जानकर कलम चलाना साहित्य नहीं होता यह बात हर कलम चलाने वाले को समझनी चाहिए
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जी सरकारी सम्मान तो अभी तक कोई प्राप्त नहीं हुआ इसलिए उसके अनुभव के बारे में कुछ नहीं कह सकती परंतु विभिन्न पटलो पर प्रस्तुति अनुसार सम्मान मिलने से मनोबल भरता है और लिखने का जज्बा निकल कर बाहर आता है
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मेरे जीवन में घटने वाली सबसे महत्वपूर्ण घटना मेरा अध्ययन है जब से मैंने क्षेत्र में कदम रखा है तब से अपने अध्ययन द्वारा अपने दृष्टिकोण अपने विचार स्तर में बहुत बड़ा फर्क पाया है मैं वर्तमान काल की शिक्षा नीति की अपेक्षा अपने अध्ययन में लिप्त रहने की सलाह समाज को दूंगी
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार नियम बंधनों से चलता है और परिवार के क्या नियम बंधन होते हैं एक स्त्री से ज्यादा कोई नहीं जानता मेरी परवरिश ऐसे वातावरण में हुई है जहां शुरू से ही मुझे अपने निर्णय लेने की आजादी है मैं अपने सारे डिसीजन खुद लेती हूं पारिवारिक नियम बंधनों के अकॉर्डिंग एडजस्ट करते हुए ताकि परिवार और मेरे साहित्य साधना में मैं आसानी से तालमेल बिठा सकूं
क्रमांक - 24
जन्म : ०५ नवम्बर १९५९
शिक्षा : स्नातक, विद्यावचस्पति
प्रकाशित पुस्तकें -
अगर इजाजत हो - काव्य संग्रह
प्रमुख सम्मान -
१.भारतीय वांग्मय पीठ कलकत्ता द्वारा सारसत्व 'सम्मान '
२.साहित्य गंगा संस्थान जलगांव (महाराष्ट्र)द्वारा गंगा ज्ञानेश्वरी गौरव सम्मान
३.पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग (मेघालय) द्वारा 'महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान '
४.विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर (बिहार) द्वारा 'कवि शिरोमणि सम्मान '
५.के. बी. हिंदी साहित्य संस्थान, बदायूं (उत्तर प्रदेश) द्वारा ' सर्वेश्वर दयाल सक्सेना सम्मान.
६.जैमिनी अकादमी हरियाणा द्वारा 'विश्व हिंदी दिवस सम्मान'
७. राष्ट्रीय इतिहास एवम पुरातत्व शोध संस्थान बालाघाट (मध्य प्रदेश) द्वारा 'राष्ट्रीय स्वर्णिम रत्न विदश्री सम्मान '
८.बाल साहित्य संस्था बनौली दरभंगा (बिहार) द्वारा 'बाल साहित्य सम्मान '
और बहुत सारे सम्मान बहुत सारे संस्थाओं से प्राप्त हुए हैं।
विशेष : -
- प्रकाशनाधीन : चार कविता की,एक लघुकथा की,एक लघुकियां एवम चुभकियां की,एक हाइकु की और दो पुस्तकें अलग तरह की हैं
पता -
DC-११९/४ ,street n.३१०,
न्यू टाउन कलकत्ता -७००१५६ प. बंगाल
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - दस वर्ष की उम्र में विचार आया था गीत के रूप में। एक बार मैं बीमार था।बिस्तर पर लेटा हुआ था। घर में लक्ष्मी जी के दो कैलेंडर टंगा था।एक में वो बैठी थी एक में वो खड़ी थी।एक हाथ से धन गिर रहा था एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में उठा था। इसी पर मन में विचार आया कि एक फोटो में बैठी एक में खड़ी है तो मैं इसी पर कविता कम गीत बना कर गुनगुनाया करता था। फिर बाद में किसी पत्रिका में एक कविता पढ़ने को मिली जो समुंदर और नौका के ऊपर थी।उसे पढ़कर ही मेरे मन में विचार आया की मैं भी कविता लिखूं। तब से ही धीरे- धीरे लिखने लगा। पर उसे संग्रहित न कर सका।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - पहली रचना कलकत्ता से प्रकाशित " आकूत" नामक एक तिमाही पत्रिका में कविता प्रकाशित हुई। "धुआं" नामक एक तिमाही पत्रिका में लघुकथा।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं हर विधा में लिखता हूं। विशेष कर कविता, लघुकथा, हाइकु, लघुकियाँ और चुभकियाँ,लेख व आलेख,बाल रचना भी। कविता व लघुकथा।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मैं कविता और लघुकथा के माध्यम से समाज फैले कुरीतियों के बारे में संदेश देना चाहता हूं। जाति धर्म के कारण मानवता के विरुद्ध हो रहे अत्याचार के बारे में, ऊंच नीच से फैलता वैमनस्य, नारी शोषण, नारी अत्याचार के विरुद्ध संदेश देना चाहता हूं। देश है तो हम हैं, प्रकृति है तो हम हैं। इन सब के बारे में संदेश देना चाहता हूं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - बहुत से हैं पर कौन बेहतर है, किसकी कौन सी पुस्तक बेहतर है। इस पर ठीक से विचार ही नहीं किया हूं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - एक बार मौका मिला था पर किसी कारण वश हो नहीं पाया। फिर मैंने कोशिश नहीं की। हर जगह सिफारिश की जरूरत पड़ती है। कोई कितना भी अच्छा लिखे जबतक कोई सिफारिश या जान पहचान नहीं होती मौका मिलना मुश्किल हो जाता है। जान पहचान होने पर ऐरे गैरे भी सफल हो जाते हैं। सब जगह ग्रुप बाजी चलती है।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - वर्तमान में कविसम्मेलनों की प्रासंगिकता बढ़ गई है। जहां देखिए भी कवि सम्मेलन हो रहा है। लेकिन इसे कवि सम्मेलन नहीं चुटकुला सम्मेलन का सकते हैं। कुछ ही सम्मेलन अच्छे होते हैं। बाकी सबको तो मंच पर जाने और फ़ोटो खिंचवाने की व्यस्तता रहती है। कवि सम्मेलन जरूरी है क्योंकि इससे छिपी प्रतिभा को सामने आने का मौका मिलता है। किसके अंदर क्या है? कौन क्या लिख रहा है इसकी जानकारी मिलती है। मनोरंजन के बहाने ही कुछ साहित्य की चर्चा हो जाती है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - मेरी नजर में साहित्य एक साधना है,साहित्य एक पूजा है, साहित्य एक तपस्या है। साहित्य जीवन का दर्शन है। साहित्य है तो समाज है। मानवता है और ये सृष्टि है।मैं फेसबुक चलाता नहीं हूं इसलिए इस बारे में मुझे कुछ जानकारी नहीं है। बनावटी जानकारी मैं नहीं दे सकता।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?उत्तर - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की स्थिति के बारे में मुझे पूर्ण जानकारी नहीं है। सुनी हुई बात बताना ठीक नहीं। शायद यहां भी प्रतिभा कम जान पहचान और सिफारिश की जरूरत होती है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जीवन की महत्वपूर्ण घटना का जिक्र यहां संभव नहीं है। क्योंकि घटना वर्णन करने में समय और पृष्ट अधिक लग जायेंगे। बड़ा आलेख कोई पढ़ना नहीं चाहता है।सबके पास समय का अभाव है या यों कहें सही कार्य में कोई समय देना नहीं चाहता। फिर किसी दूसरे आयोजन में मैं अपना संस्मरण सुनाऊंगा।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार का सहयोग रहता है। कोई मुझे बाधा नहीं देता। मेरी श्रीमती थोड़ा कम पढ़ी लिखी है तो कभी -कभी सुनने को मिलता है कि हमेशा उसी में लगे रहते है। वैसे कवि सम्मेलनों में जाने से मना नहीं करती क्योंकि वो भी कभी -कभी साथ जाती है। इसलिए परिवार से कोई प्राब्लम नहीं। सभी खुश रहते हैं मेरे इस कार्य से।
क्रमांक - 25
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जन्मतिथि : 2 जनवरी 1967
शिक्षा : बी एस सी,एल एल बी
सम्प्रति: सहायक आबकारी आयुक्त, उ0प्र0 सरकार
प्रकाशित पुस्तकें : -
तृष्णा कविता संग्रह,
खेत के पांव ग़ज़ल संग्रह,
सौगंध एकांकी,
साली मय की प्याली व्यंग्य संग्रह
पुरस्कार : -
- उ0प्र0 राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा 2018 में शिव मंगल सिंह सुमन पुरस्कार
पता -
10 , स्वप्न लोक कालोनी , कमता चिनहट ,
लखनऊ-226028 उत्तर प्रदेश , भारत
उत्तर - 12 वर्ष की उम्र में , जनमानस व निजी पीड़ा से आहत होकर लिखने का सिलसिला शुरू हुआ।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - पहली रचना लखनऊ के क्रिश्चियन कॉलेज की मैगजीन में 1985 में छपी थी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं छंदमुक्त कविताएं, व्यंग्य , गीत व ग़ज़ल लिखता हूं,पर सबसे अधिक ग़ज़ल विधा में लिख रहा हूं।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य के माध्यम से आपसी भाईचारा और सामाजिक सिद्धांत का संदेश देना चाहता हूं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - दुष्यन्त कुमार का ग़ज़ल संग्रह साये में धूप
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर -आकाशवाणी लखनऊ, नजीबाबाद वह दूरदर्शन लखनऊ से प्रसारण का मौका मिला है, जबकि रामपुर व बरेली आकाशवाणी अवकाश के अभाव में नहीं जा सका। छात्र जीवन से ही लखनऊ केन्द्र से जुड़ गया था, बहुत ही सहृदयी स्टाफ रहा करता था।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कविसम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन अब भीषण गुटबाजी का शिकार हो गए हैं, बहुत प्रासंगिक नहीं रहे, श्रोताओं का टोटा है ही।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण होता है, फेसबुक पर कुछ लोग अच्छा लिख रहे हैं, प्रचार का एक मजबूत माध्यम बनकर फेसबुक उभरा है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार में भी जुगाड़ सिस्टम चल रहा है,कुछ बड़े पुरस्कार ही मानदंड पर दिए जा रहे हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - उ0प्र0 राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा 2018 में एक लाख रुपए के शिव मंगल सिंह सुमन पुरस्कार हेतु कविता संग्रह तृष्णा का चयन ।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार का शुरू से ही सहयोग रहा है।
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क्रमांक - 27
क्रमांक - 28
जन्म : २८ जुलाई १९५९ में मण्डला के एक साहित्यिक परिवार में जन्म
माँ : स्व दयावती श्रीवास्तव ...सेवा निवृत प्राचार्या
पिता : प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध ... वरिष्ठ साहित्यकार
पत्नी : श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ... स्वतंत्र लेखिका
शिक्षा : इंजीनियरिंग की पोस्ट ग्रेडुएट शिक्षा के बाद विद्युत मण्डल में शासकीय सेवा
संप्रति : जबलपुर मुख्यालय में मुख्य अभियंता के रूप में सेवारत . परमाणु बिजली घर चुटका जिला मण्डला के प्रारंभिक सर्वेक्षण से स्वीकृति , सहित अनेक उल्लेखनीय लघु पन बिजली परियोजनाओ , १३२ व ३३ कि वो उपकेंद्रो , केंद्रीय प्रशिक्षण केंद्र जबलपुर आदि के निर्माण का तकनीकी गौरव . बिजली का बदलता परिदृश्य , जल जंगल जमीन आदि तकनीकी किताबें . हिन्दी में वैज्ञानिक विषयों पर निरंतर लेखन
पुस्तकें : -
- १९९२ में नई कविताओ की पहली किताब आक्रोश तार सप्तक अर्ध शती समारोह में भोपाल मे विमोचित , इस पुस्तक को दिव्य काव्य अलंकरण मिला ..
- व्यंग्य की किताबें :-
रामभरोसे ,
कौआ कान ले गया ,
मेरे प्रिय व्यंग्य ,
धन्नो बसंती और बसंत ,
बकवास काम की ,
जय हो भ्रष्टाचार की ,
समस्या का पंजीकरण ,
खटर पटर
सम्मानित : -
- म प्र साहित्य अकादमी ,पाथेय मंथन ,वर्तिका , हिन्दी साहित्य सम्मेलन , तुलसी साहित्य अकादमी व अनेक साहित्यिक़ संस्थाओं , सामाजिक लेखन के लिये रेड एण्ड व्हाईट सम्मान से सम्मानित
- हिन्दोस्तां हमारा , जादू शिक्षा का नाटक संग्रह चर्चित व म. प्र. साहित्य अकादमी से सम्मानित, पुरस्कृत
विशेष : -
- व्यंग्य के नवल स्वर , आलोक पौराणिक व्यंग्य का ए टी एम , बता दूं क्या , अब तक 75 , इक्कीसवीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार , 251 श्रेष्ठ व्यंग्यकार , निभा आदि संग्रहो में सहभागिता
- पाठक मंच के माध्यम से नियमित पुस्तक समीक्षक
- https://e-abhivyakti.com के साहित्य सम्पादक
- वर्तिका पंजीकृत साहित्यिक सामाजिक संस्था के संयोजक
- टी वी , रेडियो , यू ट्यूब , पत्र पत्रिकाओ में निरंतर प्रकाशन .
- ब्लॉग http://vivekkevyang.blogspot.com
व अन्य ब्लॉग
- प्रिंट व किंडल आदि प्लेटफार्म पर .मिली भगत , एवं लाकडाउन नाम से सँयुक्त वैश्विक व्यंग्य संग्रह का संपादन
- स्वतंत्र लेखक हिंदी व अंग्रेजी में
पता :
ए २३३ , ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी , भोपाल - ४६२०२३ मध्यप्रदेश
क्रमांक - 29
नाम-ममता श्रवण अग्रवाल
उपनाम-अपराजिता
पति का नाम -श्री श्रवण अग्रवाल
पिता का नाम - स्वर्गीय श्री श्याम सुंदर अग्रवाल
माता का नाम - श्रीमती कमला अग्रवाल
जन्म तिथि - 13 अप्रैल
शिक्षा - एम ए हिंदी साहित्य और कई डिप्लोमा कोर्स
विधा छंद मुक्त काव्य सृजन, गजल, कहानी , लघु कथा ,संस्मरण ,आलेख आदि।
प्रकाशित कृतियाँ : -
श्री साई सच्चरित्र( प्रश्नोत्तरी)
धरती की पुकार (वृहद कविता)
नारी तू नारायणी (नारी की शक्तियों को दर्शाती माँ अम्बे की नव दिवसीय आराधना)
नानी और बेटू(बाल रचना)
अग्र कीर्ति कथा
और अभी 10 अक्टूबर 20 को प्रकाशित हुई मेरी अनुपम कृति
सरल रामायण (जो कि सम्पूर्ण राम कथा है और बाल कांड से उत्तरकांड तक पूरी सरल भाषा में हैऔर अमेजॉन में भी उपलब्ध है )
विशेष : -
- इसके अलावा भारत और विदेश की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन
- आकाशवाणी रीवा से रचनाओं का नियमित प्रसारण
- प्रकाशन के लिये 15,000 दोहों की एक *साई दोहावली* के नाम से दीर्घ कृति
- भारत माता अभिनंदन संगठन राजस्थान की सतना इकाई की जिलाध्यक्ष
- अभी फरवरी को पैंतीस महिलाओं को उनके अलग अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्यों के लिए ऑफ लाइन कार्यक्रम में सम्मानित किया
- वाट्स अप ग्रुप के तीन पटल में सचिव और एक पटल में सह सचिव पद
- हिंददेश परिवार की मध्यप्रदेश इकाई की संरक्षिका का दायित्व भार
- हिन्ददेश की अमेरिका इकाई में समीक्षक और लाइव काव्य पाठ सह प्रभारी
- अभी बाइस मार्च को हिंददेश के स्थापना दिवस पर हिंददेश परिवार की *प्रचार मंत्री* के पद का भी दायित्व का भार मिला है।
- पांचवी कक्षा में ही मैने अंताक्षरी के दौरान पहला दोहा लिखा था।
- दो वर्षों से नियमित सुविचारों के लेखन से लोगों में सकारात्मक भावों का प्रवाह करने का भाव।
पता : अपर्णा निकेतन
श्री श्रवण कुमार अग्रवाल
श्री साईनाथ मंदिर के बाएं गेट के सामने धवारी
सतना - 485001 मध्यप्रदेश - भारत
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - पहले मैं मां स्वर,शब्द दायिनी को🙏 नमन करती हुए मैं बताना चाहूंगी कि मैने पांचवी कक्षा में पहला दोहा लिखा था जो दोहे के मापदंड पर सही नही था पर सुनने में सटीक था। हुआ यह है कि हमारे विद्यालय में उन दिनों शनिवार को आधी कक्षा लगने के बाद अंताक्षरी होती थी जिसमे हमारी टीम *ड* अक्षर पर फंस गई ।उन्हीं दिनों हम *रामलीला* देखते थे जिसमें मैने यह दृश्य देखा था कि परशुराम जी को प्रभु श्री राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा कर अपना अस्तित्व बताते हैं । इसी बात को मैने दोहे में कहा :-
डोर खींच संदेह मिटाई,
परशुराम उर राम लगाई।
और मुझे नही ज्ञात था कि मेरी जीवन की यह शुरुआत आगे जाकर मुझसे *रामायण जैसा* ग्रंथ भी लिखवा लेगी ।
अब बात आती है प्रेरणा की तो यह तो मेरा जन्मजात गुण था जिससे कि मैं हमेशा ही निबंध आदि लिखते समय अंत में चार लाइन का पद्य अवश्य लिखती थी और फिर मैं तो लोगों की शादियों ,जन्म दिन , आलेख ,संपादकीय आदि बहुतायत में लिखने लगी पर मेरे लेखन को कोई मान नहीं मिला था तभी करीब बीस वर्ष पूर्व जब मुझे मेरे गुरुजी मुझे मिले और उन्हें मेरी लेखनी का भान हुआ और उन्होंने कहा कि मेरे अंदर अध्यात्म का पुट है तो मैं अध्यात्म दर्शन पर अपनी लेखनी चलाऊं और लोगों के लिए लिखना बंद करूं और सच ,प्रभु की महिमा और गुरु जी का आशीष कि आज मैने बड़े बड़े चार ग्रंथ और छोटी छोटी कितनी पुस्तकें लिख डाली और सुविचार जो कि करीब दो वर्ष से लगातार लिख रही हूं उनका पठन भी फेस बुक पटल पर कर रही हूं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मैं अग्रवाल समाज से हूं तो मेरी पहली रचना करीब इक्कीस वर्ष पूर्व *अग्र कीर्ति* *कथा* के नाम से हमारे पितृ पुरुष महाराजा अग्रसेन जी जयंती जो कि अक्तूबर नवरात्रि की प्रतिपदा को होती है मुझे अपनी कृति।उनकी जयंती के एक दिवस पहले मिली थी और जयंती के दिन सुबह प्रभात फेरी में बांटी गई थी ।फिर इसी पुस्तक को देखकर गुरुजी ने मुझे आगे लेखन की आज्ञा दी थी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं, मूलतः आलेख लेखन करती हूं पर बड़ी कहानियां, लघु कहानी, लघुकथा,छंद मुक्त काव्य,गजल (परंपरा से अलग ) मुक्तक आदि लिखती हूं ।लोग मुझे आशु कवि कहते हैं।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - ये मेरे जीवन का सबसे अमुल्यतम प्रश्न है🙏
मेरा जीवन ही साहित्य को समर्पित है एवम मेरा सदैव यही प्रयास रहता है कि मैं लोगों को एक दिशा दे सकूं और मेरे प्रतिदिन लिखे जाने वाले सुविचार ,मेरी छोटी रचनाएं आदि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है । मैं ज्यादा क्या बोलूं ,मेरा काम बोलेगा । मेरी लिखी *सरल रामायण* भी *किशोर * से *युवा वर्ग के लिए ही लिखी* गई है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मैं वैसे तो शांत स्वभाव की हूं और सौंदर्य की उपासक भी हूं पर गलत चीजों को सहन नहीं कर पाती हूं तो इस स्वभाव के कारण मैं माननीय जयशंकर प्रसाद जी और दिनकर जी को बहुत मानती हूं और देखिए सभी साहित्यकार इतने उम्दा और गहन सृजनकारथे कि उन्हें और खुद को मैं किसी परिधि से नहीं बांध सकती। मैं सभी से कुछ सीखने की कोशिश सदैव ही करती हूं । मैं सभी को पढ़ती हूं।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी ।दूरदर्शन तक तो अभी नही गई हूं पर रीवा आकाशवाणी में जाने का अवसर कई बार मिला और अभी भी मिल रहा है तो जब पहली बार गई तो बड़ा ही गर्व हुआ मुझे भी और परिवार के लोगों को भी और उनका मानना है कि मेरी आवाज थोड़ा मधुर है तो लोग मेरी कहानियां सुनना ज्यादा पसंद करते हैं और मैं वहां कहानीकार के रूप में जानी जाती हूं।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कविसम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - ये बड़ा ही गंभीर और समय के अनुसार पूंछा गया प्रश्न है। मैने कभी पढ़ा था कि कवि बनते नही पैदा होते हैं पर आज तो मैने देखा कि कवि बन रहे हैं ।मुझे कितने लोग बताते हैं कि वो दो साल से लिखने लगे या छह महीने से लिख रहे हैं और उन्हें इतने पुरस्कार भी मिल गए तो मैं आश्चर्य में पड़ जाती हूं । मैं कहना यह चाहती हूं कि *साहित्य समाज का दर्पण होता* *है और साहित्यकार* *उस दर्पण* का *बोधक* और यदि एक कवि इस श्रेणी का है कि उसकी रचना किसी का मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकती तो फिर ऐसे कवि सम्मेलन जैसे आयोजनों का क्या औचित्य और यदि लोग कवि की रचनाओं से प्रभावित होते हैं तो यह तो एक नेक कार्य है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - जैसा कि मैने बताया कि समाज में पूर्व में घटित या संभावित घंटना या वर्तमान की स्थितियों से साक्षात्कार करवाना साहित्यकार का उद्देश्य होना चाहिए । *एक सच्चा साहित्यकार* *युग दृष्टा होता है और उसका* *सृजन कालजयी* और आपका दूसरा प्रश्न, तो इस पर मैं कहूंगी कि मुझे तो फेस बुक ने ही मेरा परिचय अपनों से भी और दुनिया से भी करवाया और यह आज के साहित्यकारों के लिए श्रेष्ठतम और सुविधा जनक साधन है बस रचनाओं का दुरुपयोग न हो तो।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं इस बारे में ज्यादा सटीक नहीं कह पाऊंगी ।कहीं मुझे अच्छे अनुभव हुए हैं और कहीं ऐसे भी कि पुरस्कार दाता को हिंदी तक तो आती नहीं तो वे रचना की श्रेष्ठता को क्या समझेंगे ।मुझे अभी तक सरकारी कोई पुरस्कार नही मिला है और मैं पूरे प्रयास में हूं कि भारत सरकार से एक पुरस्कार प्राप्त करूं । मैने अभी अपनी दो *कृतियां अखिल भारतीय साहित्य सम्मान* हेतु भेजी भी हैं
और गैर सरकारी सम्मान तो दो सौ तीन सौ होंगे।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जी बिलकुल 🙏😄 यह एक हास्य की बात भी है ।
मैं उन दिनों बीए के द्वितीय वर्ष में थी तभी २८फरवरी को दीदी की शादी थी और १०मार्च की होली । चूंकि दीदी की शादी घर की पहली शादी थी तो सभी में बड़ा उत्साह था ।
इसी के चलते हमने दीदी की ससुराल से उनके देवर , ज्येष्ठ ननद सभी को एक पत्र लिखकर बुलाया था और वे कोई नही आए थे और एक हफ्ते बाद उनके देवर जिन्हें पत्र की कोई जानकारी नहीं थी , वे अपनी भाभी यानी दीदी से मिलने आए और हम कई सारी चचेरी बहनों ने उन्हें यह कहकर परेशान किया कि आप हम लोगों से डर कर होली में नही आए जबकि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था वे इलाहाबाद से आए थे और दीदी की ससुराल बांदा में है ।
जब वे बांदा गए और पत्र को देखा तो उन्हें यह समझ में नहीं आया कि पत्र लिखा किसने है पर थोड़ा थोड़ा उन्हें मेरे लेखन के बारे में पता लग चुका था । उन्होंने एक मूल पत्र लिखा और तीन कार्बन कॉपी की और हम चार बहनों को अलग अलग भेजा दिया । मेरे हिस्से में मूल कॉपी आई और पिताजी के हांथ लग गई।संस्कारी परिवार में बाबूजी को यह बात बड़ी अनर्गल लगी कि बड़ी होती बच्ची रिश्तेदारी में ऐसा पत्र व्यवहार करे और थोड़ा पत्र की भाषा भी एक नई उम्र के अनुसार प्रेम पत्र जैसी भी थी जो बाबूजी को बिलकुल स्वीकार्य नहीं थी और इस बात के लिए उन्होंने मुझे कड़ी डांट लगाई और यह बात जब मेरे ताऊ जी को पता लगी तो जो पहला पत्र था ,वह भी ताऊजी की मर्जी से ही लिखा गया था। अतः उन्होंने मेरा पक्ष लिया और बोले इसमें रोने की क्या बात है ।तुम भी अपनी बात लिख कर भेज दो और जो मैने लिखा वह मेरे जीवन की पहली पूरी लंबी कविता थी । उनके पत्र की शुरुआत थी आपका दर्द निवारक पत्र प्राप्त हुआ और मेरी लाइनें थी
दर्द का ऐसा क्या कारण था, पत्र ने किया जिसका निवारण आदि आदि। यह पत्र मेरे अपने जीजाजी के हांथ लगा और उन्हें बहुत डांट पड़ी और हमारे बीच फिर कोई पत्र व्यवहार नहीं हुआ और फिर उनकी शादी मेरी दूसरी बड़ी बहन से हो गई और वे भी हमारे जीजाजी बन गए लेकिन यह मेरा यह लेखन अविस्मरणीय हो गया।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - सबसे पहले तो बता दूं कि मैं उस पिता की संतान हूं जिनके न रहने पर आज तीन वर्ष बाद भी उस गांव के लोग आज भी रोते हैं जिनके बीच वे रहते थे और परिवार की तो कोई बात ही नहीं । वे और मेरे एक बड़े चचेरे भाई मेरी प्रतिभा को पूरी ऊंचाई तक पहुंचाना चाहते थे पर तब संभव नहीं हो पाया और अब ससुराल में पतिदेव का मुझे भरपूर सहयोग है ।बिना उनकी मदद के मैं एक कदम भी नही चल सकती हूं । मेरी एक बेटी है जिसकी शादी हो गई है ।दामाद तहसीलदार हैं और उनका हर तरह का संबल मुझे मिलता रहता है और आज जब इस ऊंचाई पर हूं तो सभी मुझे मान और सहयोग देते हैं । पहले वे मेरे लेखन को समझ नही पाते थे।
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क्रमांक - 30
जन्म: दिल्ली
शिक्षा: डी एम ई ( ऑनर्स) रुड़की विश्वविद्यालय
प्रकाशित पुस्तकें :-
काव्य संग्रह:-
बैंजनी हवाओं में
गुलाब कारखानों में बनते हैं
धूप में बैठी लड़की
सिहरन सांसों की
खंड काव्य :-
अक्षर हो तुम
सुनो राधिके सुनो
कहानी संग्रह:
बड़े भाई
वापसी
लघुकथा संग्रह :-
एक कतरा सच
सम्मान : -
- राष्ट्रीय हिन्दी सहस्त्राब्दी सम्मान 2000,
- टैगोर अवार्ड ,
- लेखक सम्मान ,
- साहित्य सम्मान ,
- आचार्य ,
- काव्य महारथी ,
- पृथ्वी पुत्र ,
- हिरदे कवि रत्न,
- काव्य मर्मज्ञ सम्मान ,
- देव भूमि साहित्य रत्न,
- फनकार ऐ गज़ल,
- दिव्य प्रकाश पुंज सम्मान,
- हिंदी लघुकथा सम्मान ,
- विशिष्ट प्रतिभा सम्मान ,
- अक्षर वाणी काव्य दर्शी सम्मान ,
- यशपाल साहित्य सम्मान
- शिवालिक गौरव सम्मान व अनेकों अन्य सम्मान
विशेष : -
- बैंजनी हवाओं में काव्य संग्रह, 1972 भाषा विभाग हरियाणा
- अक्षर हो तुम खंड काव्य,2014 हरियाणा साहित्य अकादमी
- विशिष्ट: एचएमटी पिंजौर के मुख गीत " पिंजौर गीत" का रचयिता
- 49 संकलनों में विभिन्न रचनाएं प्रकाशित
- संपादन: कलादीप (लघु पत्रिका) 1971 से 1975)
पता :
एस जे - 41 , शास्त्री नगर, गाज़ियाबाद - 201002 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न. 1 - आपने किस उम्र से लिखना प्रारंभ किया और प्रेरणा स्त्रोत क्या है?
उत्तर : लगभग 18 वर्ष की आयु से लेखन प्रारंभ किया । प्रेरणा स्त्रोत बनी दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की वह अनगिनत पुस्तकें जिन्हे स्कूल जाते व स्कूल से आते समय सड़क पर पढ़ते हुए चलता था।
प्रश्न न.2 - आपकी पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित हुई।
उत्तर - पहली रचना मामा व गुरु श्री विजय निर्वाध जी के आशीर्वाद से " आर्य वीर जालंधर" के जून 1960 के अंक में प्रकाशित हुई।
प्रश्न न. 3 - आप किन किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पसंद करते हैं।
उत्तर - मैं कविता, कहानी व लघुकथा लिखता हूं व सबसे अधिक कविता लिखने में रूचि है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं।
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण होता है । लेखन के माध्यम से समाज में फैली विसंगतियों को उजागर कर उनके निराकरण का संदेश देकर एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग करना चाहता हूं।
प्रश्न न. 5 -वर्तमान साहित्य में आपके पसंदीदा लेखक की कौन सी पुस्तक है।
उत्तर - धर्मवीर भारती की कनुप्रिया व दुष्यंत कुमार की साए में धूप ।
प्रश्न न.6 - क्या आपको आकाशवाणी व दूरदर्शन से प्रसारित होने का अवसर मिला है, यह कैसा अनुभव रहा।
उत्तर - आकाशवाणी जालंधर से 8 नवंबर 1967 को कविता पाठ कार्यक्रम के अंतर्गत पहली बार मेरी कविताएं प्रसारित हुई थी। तभी और श्रेष्ठ कविताएं लिखने की प्रेरणा मिली। अब तक मेरी 100 से अधिक कविताएं आकाशवाणी जालंधर, रोहतक व रामपुर से तथा दूरदर्शन जालंधर, चंडीगढ़ व दिल्ली से प्रसारित हो चुकी हैं
प्रश्न न.7- आप वर्तमान में कवि सम्मेलन को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों ?
उत्तर - आज कवि सम्मेलन मनोरंजन का प्रतीक बनकर रह गए हैं। हास्य कविता व गीत ही मंच पर अपनी जगह बना पाते हैं। कविता गोष्ठियों तक सिमट कर रह गई है।
प्रश्न न.8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेस बुक साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं।
उत्तर - साहित्य वही है जो समाज का मार्गदर्शन कर पाए। उसे अंधेरे मार्ग से निकाल कर प्रकाश की ओर अग्रसर कर सके। फेस बुक पर अच्छा साहित्य कम मिलता है, ज्यादातर साहित्य लाईक, कमेंट व चाटुकारिता की अपेक्षा रखने वाला होता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र मे मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरुस्कारों की क्या स्थिति है।
उत्तर - आज पुरुस्कार चाहे सरकारी हों या गैर सरकारी,सभी के लिए ऊंची सिफारिश,व्यक्तिगत परिचय व चाटुकारिता अनिवार्य मापदंड है। विद्वता गौण होकर रह गई है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेंगे।
उत्तर - आकाशवाणी जालंधर से 13 दिसंबर 1971 को परिमल कार्यक्रम के अंतर्गत "कवि आलोचकों के बीच " में मेरा कवितापाठ था और आलोचक थे प्रख्यात आलोचक डा रमेश कुंतल मेघ व डा चंद्र शेखर । कविताएं थी हंस व वें - यह मेरे जीवन का अविस्मरणीय क्षण था
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मुझे लेखन में जीवन सहचरी वीणा जी, पुत्र विवेक व बिटिया निधि का भरपूर सहयोग मिला। मेरे मूड को देखते हुए उन्होंने अपने मनोरंजन के समय को मुझे सहर्ष दे दिया।मेरी हर पुस्तक प्रकाशन के लिए जाने से पूर्व विदुषी वीणा जी पढ़ती हैं व आवश्यक सुझाव भी देती हैं।
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क्रमांक - 31
क्रमांक - 32
जन्म : तिथि : 29 अप्रैल 1964
माता : स्व० कमलावती देवी
पिता : स्व० विश्वनाथ ओझा
शिक्षा : इंटरमीडिएट सह हिंदी पत्रकारिता,
व्यवसाय : कर्मकाण्ड,
प्रकाशित कृतियां : -
01. राम - समर्पण(खण्ड - काव्य)
02.श्री गुरु चालीसा
03.गजराज पुकारे हरि आए (स्तुति - काव्य)
04.सरल गायत्री साधना
05.सरस्वती चालीसा
06.शक्तिमाला (स्तुति - काव्य)
07.सीताराम ब्रह्म चालीसा
08.सुमन के गांव में (गीतिका - काव्य )
09; इन्द्र की श्रेष्ठ रचनाएं: पद्य
10. इन्द्र की श्रेष्ठ रचनाएं: गद्य
11. समीक्षानामा
12. जय गणेश
13. मां क्या होती है ?
सम्मान : -
- मंजिल ग्रुप साहित्यिक संस्थान का शतकवीर
- मातोश्री व श्रेष्ठ दैनिक लेखन सम्मान
- फेस ऑफ़ इण्डिया अवार्ड २०२२
व विविध सम्मान
विशेष : -
- संस्थापक : अन्तर्ज्योति सेवा संस्थान, गोला - गोकर्णनाथ,खीरी, ऊ ०प्र० व शक्ति सेवा संस्थान अजुवाॅ,आजमगढ़, ऊ ०प्र० ।
- अनुभव : अन्तर्ज्योति त्रयमासिक पत्रिका का संपादन
- अतिरिक्त: सरस्वती - वन्दना और इतिहास कारोना काल मोबाइल एप्स और काव्य - क्रांति /सीप में मोती/काव्य प्रभा/स्नेह अनुबंध/कोरोना काल /नव सृजन , कृतिका,वामिका ,काव्याश्रम,विदित,काव्य के मोती,खूबसूरत लम्हें,काव्यानुभूति,प्रेमानुभूति , शक्ति पुंज,फिसलती रेत सी जिन्दगी आदि साझा संकलनों में प्रकाशन
स्थाई पता : -
कोठिया, आजमगढ़, ऊ ०प्र०-276124
पत्र सम्पर्क : -
डा ० विजय प्रताप सिंह जी, शक्ति सेवा संस्थान,श्री दुर्गा शक्ति पीठ, अजुवाॅ,आजमगढ़, उत्तर प्रदेश -276127
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - दसवीं कक्षा पास करने के उपरान्त मैं लिखने लगा था। आरम्भ में तो मैं पत्रकारिता से जुड़ा।कई पत्र - पत्रिकाओं के प्रतिनिधि / संवाददाता के रूप में कार्य विगत में हमने किया जिसमे तंत्र इंडिया,सेवाग्राम,जगदीश स्वर आदि शामिल हैं। अन्त में लाजपतनगर,दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पत्राचार पाठ्यक्रम किया।उसके बाद हमारे लेखन में गति आई।वह समय मुझे याद है जब लखनऊ के सेवाग्राम में अपनी खबर छपी थी और मैं फूला नहीं समाया,घर गांव में बतासे भी बांटे गए थे।कुल मिलाकर मेरा रुझान साहित्य लेखन में आरम्भ से ही रहा।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - हमारी प्रथम रचना एक समाचार के रूप में लखनऊ के पत्र सेवाग्राम में छपी।फिर लेख,कविताएं ,फीचर आदि देश में भिन्न भिन्न पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए,जिसकी केटिंग्स हमारे पास पत्र के संपादक भेजते थे जिससे मैं प्रसन्न होता था।एक बार मेरा छोटा भाई शैलेश मेरी पांच किलो प्रकाशित रचनाओं की कटिंग एक दुकान पर ले जाकर मुझसे पूछे बिना रद्दी के भाव में बेच आया।पता चलने पर मुझे बहुत कष्ट भी हुआ,मगर मैं हाय - हाय के अतिरिक्त कुछ भी नही कर सका।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - गद्य / पद्य दोनों विधाओं में मेरा लेखन होता है। पद्य विधा में सहजता के साथ मेरी सर्जना -साधना होती है।कहानी,लघुकथा,संस्मरण,फीचर,लेख ,यात्रा - वृत्त का भी लेखन यथा - समय होता रहता है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर- साहित्य समाज का दर्पण है।समाज मेरे लेखन से अपने स्वरूप में कुछ सुधार यदि कर सके तो अपने लेखन को मैं धन्य से धन्य मानूंगा।मेरे एक शब्द से समाज का एक बिन्दु भी अपने में कुछ सुधार ला सका तो मेरा लेखन सफल है,ऐसा मेरा विचार है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - आचार्य चतुर्सेन शास्त्री जी की पुस्तक " अहम ब्रह्मास्म" मुझे सबसे अधिक पसन्द है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - नहीं मिला।विगत में इसके लिए कुछ प्रयास भी हमने किया था मगर सम्भव नहीं हो सका।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर : मेरा लेखन मंचीय धूम - धाम से अलग एक शांति पूर्ण वातावरण में जीना चाहता है फिर भी दो - चार बार मंच पर भी काव्य - पाठ हमने किया।वास्तव में मंच साधनामय लेखन में बाधक है ऐसा मेरा मानना है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - फेसबुक और व्हाट्स ऐप साहित्य लेखन में विशेष रूप से सहयोगी और उपयोगी भी हैऐसा मेरा विश्वास है।मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच,मुंबई से मेरा लेखन जुड़ा हुआ है और इस संस्थान से ५ कृतियां भी मेरी इस वर्ष में प्रकाशित हुई हैं।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सरकारी पुरस्कार तो आजकल मरने के बाद ही किसी को एक्स पाता है ऐसा मेरा मानना है।जुगाड के बिना कोई भी रचनाकार सरकारी सम्मान नहीं पा सकता।अगर आपके पास परिचय और जुगाड है तो एक चौपतीया पर भी आप बड़ा सम्मान पा सकते हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - अपने लेखन काल में एक ऐसा समय भी आया,जब तीन साल तक हमने एक भी रचना नहीं लिखा।यह समय ऐसे निराशा का थी कि मन में सबकुछ बेकार लगता था।यह संसार असार लगता था।फिर मन को काबू में किया और बहुत समझाया।सबकुछ के बात कलम फिर से पकड़ी तो यह देखकर मुझे अचरज हुआ कि मेरा लेखन एक दम से परिपक्व हो चुका था।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार में हमारी भतीजी मधु भी कभी कभी कुछ न कुछ लिखती रहती है।हमारे लिखने पर मधु रुचि लेती है,समय - समय पर लेखन के बिंदुओं पर चर्चा भी मधु से होती रहती है।भतीजी हेमावती भी हमारे साहित्य - सृजन में अपना रचनात्मक सहयोग करती है।
क्रमांक - 33
नाम :- अनुराधा प्रियदर्शिनी
जन्मस्थान:- सोनभद्र
पिता:- श्री काली प्रसाद पाठक
माता:- श्रीमती रमा पाठक
पति:- श्री अरुण कुमार दुबे
शिक्षा: -M SC (BIOCHEMISTRY),BLIS,BED,CTET,UPTET
संप्रति-स्वतंत्र लेखन,समाज सेवा, गृहणी।
लेखन विधा-कहानी, कविता,संस्मरण, लघुकथा आदि।
विशेष : -
- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं,अखबारों(अमर उजाला, अमृत राजस्थान, द ग्राम टुडे, इंदौर समाचार,द वूमेन एक्सप्रेस,युग जागरणआदि) व वेब पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित ।
- विश्व साहित्य सेवा संस्थान प्रांत स्तर उत्तर प्रदेश में महासचिव, डॉ देवेन्द्र तोमर अंतरराष्ट्रीय फेसबुक पटल की एडमिन,साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई में पंचपरमेश्वरी।
- विभिन्न साहित्यिक मंचों पर आनलाइन काव्यपाठ एवं लेखन कार्य के साथ ही विश्व साहित्य सेवा संस्थान में प्रत्येक शनिवार को काव्यगोष्ठी की आयोजनकर्ता।
- यूट्यूब चैनल:https://youtube.com/channel/UCVVZye2Ufgdy7Nv-x4-jR8w,
https://youtu.be/kQmxIIOW8hU,https://youtu.be/5jd1cMa3yTI
पता :
पत्नी श्री अरूण कुमार दुबे
3/51 सिविल लाइंस, कलेक्ट्रेट के सामने बहराइच -271801 उत्तर प्रदेश - भारत
क्रमांक - 34
क्रमांक - 35
जन्म - 28 मार्च , परलाखेमुंडी -ओडिशा
पिता : स्व गोलती शाम्भूमुर्ती आचारी
माता : श्रीमती लक्ष्मीबाई आचारी
मातृभाषा: तेलुगु
शिक्षा : डिग्री, ओड़िया , अंग्रेजी व हिंदी
विधाएँ : कविता, संस्मरण, लघुकथा, कहानी, उपन्यास, समीक्षा, आलेख आदि 4भाषाओं में सृजन
प्रकाशित पुस्तकें : -
1.मैं साक्षी इस धरती की, काव्यसंग्रह
2. हवेली, उपन्यास
3. The waves of Life, अंग्रेजी में काव्य और कहानी संग्रह
4. चाँदनी रात में तुम, काव्यसंग्रह
5. सैलाब, उपन्यास
6. भावनाएँ महकतीं हैं, काव्यसंग्रह
7. सुनो हे भागीरथी, काव्यसंग्रह
8. लहराता चाँद, उपन्यास
संपादन : -
1.सीप के मोती (21श्रेष्ठ रचनाकारों का काव्य संकलन),
2.गुलिस्ताँ (25रचनाकारों की कविताएं 21भाषाओं में संकलित)
प्रमुख सम्मान :-
- 2 राष्ट्र स्तरीय सम्मान, और
- रीडर्स चॉइस अवार्ड,
- विद्योत्तमा सम्मान ,
- नारी गौरत सम्मान,
- बहुभाषी लेखिका सम्मान,
- महादेवी वर्मा सम्मान,
सहित कुल 15सम्मानों से सम्मनित।
विशेष : -
- राष्ट्रीय और विश्व स्तरीय सम्मेलन भूटान और मॉरीशस के 11वी विश्व हिंदी साहित्य सम्मेलन में भागीदारी
- 'विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम' न्यू पनवेल का संस्थापिक और अध्यक्षा जक भारतीय भाषाओं के उत्थान में कार्यरत है।
- 6संकलनों में संकलित, इसके अलावा करीब 50विख्यात पत्र, पत्रिकाओं में और अखबारों, ब्लॉग व अंतर्जाल में प्रकाशित
- उपन्यास लहराता चाँद मातृभारती पर ऑनलाइन सीरियल तहत प्रकाशित।
- आकशवाणी, राजस्थान रेडियो, कई बाहर के और मेरे खुदके यू ट्यूब चैनल और ब्लॉग साहित्य संकल्प पर भी रचनाएँ और संस्था के कार्यक्रमों का प्रसारण।
पता :
सैक्टर -3, प्लाट-2, फ्लैट-4 ,रिद्धि सिद्धि को हा सो,
न्यू पनवेल , नवी मुम्बई -410206 महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर.- हमने 12साल के उम्र से ओड़िआ में कविता लिखना शुरू किया पर प्रकाशित नहीं हो पाई। कभी-कभी अपने नोट्स में या छोटे टूकूड़ों में लिखकर रख देते थे जब साल पूरा होता रद्दी में वह नोट्स भी चले जाते, कभी प्रकाशन का ख्याल नहीं आया ना ही कोई इसका सुझाव देने वाले कवि लेखक जानकारी में थे। उस उम्र में प्रेरणा का स्रोत मेरी दीदी विजया थीं जिन्होंने एक उपन्यास लिखा था लेकिन सही मार्गदर्शक न होने की वजह से प्रकाशित नहीं हो पाई।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना 2007 में प्रकाशित हुई। मेरे पति तेजेश्वर जी रिलायंस इंडस्ट्रीज, जामनगर में काम कर रहे थे तब उसी कंपनी की ओर से दो पन्ने का एक त्रैमासिक पत्रिका निकलता था (नाम याद नहीं) उस पत्रिका में मेरी पहली कविता छपी थी शीर्षक था 'आर्तनाद'।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैंने जब लिखना शुरू किया तब पहली चरण में मैं कविताएँ लिखती रही, 40-50 कविताएँ लिखने बाद एक काव्य संग्रह निकाला 'मैं साक्षी इस धरती की'। उसके बाद मैंने उपन्यास लिखना शुरू किया जिसका नाम 'हवेली' रखा। इस तरह अब तक मेरी चार काव्य संग्रह और तीन उपन्यास प्रकाशित हैं। एक किताब अंग्रेजी में भी प्रकाशित हुई है। मैंने अब तक काव्य, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, आलेख, हाइकू, मुक्तक, उपन्यास आदि विधाओं में कलम चलाई है, गज़ल का भी प्रयास किया है। मुझे सभी विधाओं में लिखना पसंद होने के बावजूद जब से उपन्यास लिखना शुरू किया तब से उपन्यास लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। हाँ कविताओं को मैं नहीं भुला सकती।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मानव कल्याण के हित में लिखनेवाले लेखन को मैं साहित्य मानती हूँ, साहित्य यानी सब के हित में लिखना, चाहे आप किसी भी विधा में लिखते हों अगर उसमें आपके द्वारा जनता के हित में कोई संदेश जाता है तभी साहित्य को सार्थक है। मैं जीवन में 'आप जिओ और सब को जीने दो' यही संदेश देना चाहूँगी। साथ ही एक ऐसी जिंदगी जीने के लिए कहूँगी जिससे आप के जीवन का कोई मतलब निकले। जीना तो सभी जी लेते हैं, मरने के बाद कोई किसी का नहीं लेकिन अगर अपनी जिंदगी में कुछ व्यक्तियों का भी भला कर सकें या आपके द्वारा किसी की जिंदगी सुधर सके तो ऐसी जिंदगी सार्थक बन जाएगी।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - मैं अमृता प्रीतम की कविताएं बहुत पढती थी मुझे पसंद भी है, एक तरह से कहा जाए तो मैं हिंदी में लिखना शुरू किया ही अमृता प्रीतम की कविताओं को पढ़कर। फिर महादेवी, कुँवर नारायण आदि के रचनाओं से प्रेरित हुई। जहाँ तक वर्तमान साहित्य की बात है शोधपरक और मिथक और आत्मकथ्या को पसंद करती हूँ। कोई एक पुस्तक तो नहीं बल्कि अभी संतोष श्रीवास्तव जी का एक पुस्तक कैथरिन अंग्रेजी अनुवाद के लिए मेरे पास आई है जो नागा साधुओं को लेकर रची गई है, वही पढ़ रही हूँ और पसन्द भी है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - हाँ आकशवाणी में मैने एक संस्मरण पढ़ा है, और राजस्थान रेडियो में भी कई कविताएँ प्रसारित हुई है। दूरदर्शन यानी DD में न सही लेकिन अन्य बहुत सी चैनलों में मेरी कविताएँ प्रसारित होती रहती है। KCN headlines में खबर के अलावा इसी चैनल के कवि चौपाल में, india tv, kalinga tv, अपनी रचनाओं को रेडियो में और tv पर सुनना देखने का अनुभव बहुत अच्छा है। मैंने अपनी संस्था की ओर से sahitya_sankalp नाम से एक यूट्यूब चैनल भी खोला है, जिसमें मेरी काफी रचनाओं को प्रसारित किया है, हमारे संस्था के सम्मेलनों, संस्था की सदस्यों के एकल कविता-पाठ, कवि-सम्मेलन आदि के अलावा लाइव प्रोग्राम भी कराती हूँ। जैसे काव्य, लघुकथा, कहानी, किताब-समीक्षा, और बात - चीत(sakshatkar) आदि ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि-सम्मेलनों की जरूरत बहुत है। कवियों को आमलोगों तक पहुँचने का यह एक ही जरिया है, लेकिन हर बार कवि को एक काव्य पढ़ने दूर-दूर यात्रा कर सम्मेलन की जगह तक पहुंचना बड़ा ही कष्टसाध्य काम है। फिर भी कविसम्मेलन होता रहे और साहित्य और कवियों के प्रयास को लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है ऐसा मैं मानती हूँ। आजकल लोग अपने जीवन मे इतने उलझे हुए होते हैं कि उन्हें मनोरंजन की जरूरत बहुत है, जिससे मन की कुंठा, डिप्रेशन, स्ट्रेस से कुछ बाहर निकलें। कवि सम्मेलनों में एक स्वस्थ और भावनात्मक से जुड़ी काव्य सुनने को मिलते हैं जिन्हें कई बार लोगों को अपने आप से मिला देता है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य जैसे मैंने पहले भी कहा है सब के हित के लिए जो साहित्य लिखी जाती है वही साहित्य है, बाकी मनोरंजन के लिए लिखी साहित्य को मैं असाहित्य कहूँगी। फेसबुक एक जरिया है लोगों तक पहुँचने का अपने शब्दों से लिखी रचनाओं को पढ़ाने का, लेकिन वहाँ साहित्य कम असहित्य ज्यादा होता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सभी एक सिक्के के दो पहलू हैं। चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी सब कुछ दिखावा के लिए होता है और चुने वही जाते हैं जो या तो पर्दे के पीछे के पहचान हो या आपस में सम्मानों का एक्सचैंज।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जी जरूर, मैं मेरी आत्मकथा लिख रही हूँ जो आखरी पड़ाव पर है, जल्दी ही इस आत्मकथा को प्रकाशन के लिए भेजूँगी। और ओड़िआ एबं तेलुगु में अनुवाद करने की इच्छा भी है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे परिवार की प्रेरणा से ही आज मैं 8किताब प्रकाशन कर पाई हूँ। मेरे साथ मेरा परिवार हमेशा खड़ा है। मेरी माँ लक्ष्मीबाई मेरी प्रेरणा हैं, मेरे पिताजी शाम्भुमुर्ती आचारी उनके रहते वे कहीं भी जाते तो मेरी पुस्तक को अपने हाथ में ही रखते और गर्व से उनके पहचान में सभी को कहते मेरी बेटी ने इस पुस्तक को लिखा है। मेरे पति तेजेश्वर जी ने मेरी पुस्तकों का प्रकाशन के लिए हमेशा ही साथ दिया। मेरे बच्चे प्रेम और मेघा जब भी कुछ जरूरत रहती है मेरे साथ खड़े होते हैं और तुरन्त ही समाधान कर देते हैं, जैसे इंटरनेट हो या कैमरा सेटअप या हमारे संस्था की साहित्यिक गोष्ठी के लिए जरूरी कोई काम। मेरा परिवार के बिना एक कदम भी चल नहीं सकती थी।
क्रमांक - 36
जन्म स्थान:- बजही,खोदावन्द पुर , बेगूसराय - बिहार
पिता का नाम:- श्री उमेश चौरसिया
माता का नाम:-श्रीमति जानकी देवी
शिक्षा: उत्तर मध्यमा से दशवीं उत्तीर्ण,मंडन मिश्र संस्कृत महाविद्यालय संजात बेगूसराय बिहार।
सम्प्रति :-
वर्तमान में गुड़गांव हरियाणा में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यरत।
विशेष : -
- अभी तक कोई पुरस्कार प्राप्त नहीं है। हां मैथिली भाषा के लिए एक बार सांत्वना पुरस्कार मिला था। कोई किताब प्रकाशित नहीं लेकिन अलग अलग मैथिली व हिन्दी भाषा के पुस्तक व पत्रिकाओं में प्रकाशित होना जारी है।
वर्तमान पता :
भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
२८८/२२, गली नंबर ६एच , निकट हनुमान मंदिर, गांधी नगर गुरूग्राम हरियाणा:-१२२००१
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर:- सत्रह साल की उम्र में सन १९९२.
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर:- पहली रचना नेहरू प्लेस दिल्ली से प्रकाशित पत्रिका 'पिटारा' में एक लघुकथा प्रकाशित हुई। यह पत्रिका मुझे बहुत अच्छा लगा था। प्रकाशक ने लेखकों से आग्रह किया था कि पाठक भी इस पत्रिका को अपनी रचना भेज सकते हैं। और पहली बार जो मन में आया लिख दिया और प्रकाशित हो गया। किसी ने मुझे प्रोत्साहित नहीं किया था। शीर्षक था "मेरे जैसा".
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पसंद करते हैं ?
उत्तर:- लघुकथा, कविता पैरोडी क्षणिकाएं। हाइकु भी कभी कभार लिख लेते हैं। लघुकथा मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करता है लिखना और पढ़ना दोनों।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर:- साहित्य हमें मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना की शिक्षा देता है। साहित्य समाज का सजीव चित्र है जो कि शब्दों के माध्यम से विभिन्न लेखकों द्वारा अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर:- जीवन एक खोज-त्रिलोकचंद छावड़ा, मिट्टी के दीए- आचार्य ओशो रजनीश, देहाती दुनिया-आचार्य शिवपूजन सहाय, मां- मैक्सिम गोरकी,गवन - ईदगाह मुंशी प्रेमचंद!
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर:-अवसर मिला लेकिन उपस्थित नहीं हुए।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर:- अब कवि सम्मेलन में कविता नहीं चुटकुला सुनाया जाता है इसलिए जाना छोड़ दिया। अब कविता पाठ पहले जैसा नहीं है। भर दो झोली मेरे ऐ मोहम्मद दर से खाली न जाए कोई सवाली।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर:- मेरी नजर में साहित्य समाज का न दिखने वाला वह आईना जो कागज पर लिखा होता और लोग पढ़कर समाज के संबंध में ज्ञान अर्जित करते हैं। फेसबुक आज के समय में सबसे सुलभ साधन है जैसे चट मंगनी पट ब्याह, अभी लिखो और अभी प्रकाशित न किसी प्रकाशक से जी हजूरी करने और न ही छपने के लिए पैसे देने की जरूरत। बिल्कुल स्वतंत्र बिल्कुल नि: शुल्क।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर:- दयनीय चाटुकारिता ने लील लिया है जिसे नहीं मिलना चाहिए उसे सबसे पहले मिलता है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर:-उसके लिए विस्तार से लिखना पड़ेगा। यहां संभव नहीं चुकी संस्मरण बहुत हैं लेकिन लिखने का समय नहीं है। लोग जल भून जाएंगे।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- अनपढ़ पत्नी से हमेशा ताना मिलता रहा लेकिन अनपढ़ मां से प्रोत्साहन क्योंकि किसी किताब या पत्रिका में प्रकाशित मेरी फोटो उसे बहुत पसन्द है। पिता जी पढ़ना जानते हैं तो पढ़कर अपने सागिरदों से चर्चा करते हैं बहुत अच्छा लगता है।
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जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : बी.एस.सी, एम.ए.(अंग्रेजी साहित्य),एम.एड ,आई. जी. डी. (बाम्बे ),सत्यार्थ विशारद आदि।
प्रकाशित पुस्तक : -
'अभिव्यंजना' एकल काव्य संग्रह ( वर्ष 2021)
सम्पादन : -
'पारिजात' साझा काव्य संग्रह (प्रकाशित वर्ष 2020)
सम्मान : -
- महादेवी वर्मा जी सम्मान,
- उत्तर प्रदेश पुरुषार्थी विभूति सम्मान,
- काव्यश्री सम्मान,
- शक्ति स्वरूपा प्रणयन सम्मान,
- नारी गौरव सम्मान,
- सद्भावना सम्मान,
- बसंत श्री सम्मान,
- साहित्य ज्योति सम्मान,
- साहित्य संगम सलिला सम्मान,
- श्रेष्ठ समालोचक सम्मान
- शब्द कमल सम्मान,
- श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान,
- काव्य कुंदन सम्मान,
- दोहा दिवाकर सम्मान
- काव्य विवेचक सम्मान
- लघुकथा शिरोमणि सम्मान,
- श्रेष्ठ बुद्ध पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश नारी गौरव सम्मान
- 75वें स्वतन्त्रता दिवस पर तथा गणतंत्र दिवस पर दो बार साहित्य सम्मान( मेडल व प्रशस्ति पत्र )प्
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला स्मृति सम्मान
विशेष : -
- शिक्षिका ,कवयित्री ,लेखिका, चित्रकार ,समीक्षक, समालोचक
- शहर समता विचार मंच महिला गोष्ठी कानपुर इकाई जिलाध्यक्ष
-लगभग 11वर्ष की उम्र से लिखना प्रारम्भ किया था। कुछ वर्षों पश्चात कलम ठहर गयी और प्रारंभ हुआ दायित्वों का दौर । पुनः कलम उठायी है और चल पड़े हैं साहित्य की अनंत यात्रा की ओर ।
- अन्य साझा संग्रह : मनोगत ,साझा स्वप्न , कथार्चना ,मिट्टी की सुगंध
-लघुकथा साझा संकलन : उम्मीद की किरण , सिरफिरे पंरिदे , जज्बात का समंदर
पता :
67-इनकॅम टैक्स हाउसिंग सोसायटी विनायक पुर ,
कानपुर-208024 उत्तर प्रदेश - भारत
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - 11वर्ष की उम्र से लिखना आरंभ किया । दैवीय प्रेरणा से लिखना आरंभ किया था और माता पिता ने बहुत प्रोत्साहित किया।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - पहली रचना बुंदेलखंड के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में फिर मुंबई से प्रकाशित होने वाली स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पत्रिका 'काॅलीग' में मेरी कविताएँ छपी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, चौपाई, आल्हा छंद, लेख, कहानी, लघुकथा आदि विधाओं में सहजता से सृजन करती हूँ। सबसे अधिक तुकान्त कविता लिखती हूँ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य सृजन मात्र रूचि का विषय नहीं यह एक समाज के प्रति दायित्व भी है आने वाली पीढ़ियों को दिशा-निर्देश, अनुभवों की अथाह सम्पदा व समाज की झलक देता है। मेरा समाज को स्पष्ट संदेश है कि आपका भाग्य, जीवन और आने वाले कई जन्मों का निर्धारण आपके कर्म व संस्कार के अनुसार होता है यदि आपके कर्म व संस्कार अच्छे हैं तो आपको सौभाग्य की सहज प्राप्ति होती है और विपत्तियाँ सरलता से पार हो जातीं हैं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - अरूंधति राॅय ,चेतन भगत
फाइव प्वॉइंट समवन (चेतन भगत)
द गाॅड ऑफ स्मैल (अरूंधति रॉय)
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - फिलहाल कोई नहीं
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - वर्तमान में कवि सम्मेलनों पर फिल्मीकरण का भूत सवार हो गया है जिससे कभी कभी कविता, गीत व ग़ज़ल की उत्कृष्टता का अभाव दृष्टिगत होता है केवल प्रस्तुतिकरण पर जोर रहता तथा चुटकुलेवाजी तथा जुमलेवाजी भी मिलती है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब है । फेसबुक साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए सहज साधन बन गया है इसके लाभ भी हैं साथ ही हानियाँ भी। इससे किताबों को पढ़ने की रूचि घटी है।साहित्य का स्तर घटा है साहित्यिक समूह पटल पर भीड़ जमा करने के लिए निम्न स्तरीय रचनाएँ भी पुरस्कृत की जाती हैं। दूसरी ओर दुनिया मुट्ठी में आ गयी है एक साधारण से भी साहित्य साधक को पहचान बनाने के लिए संघर्ष नहीं करना होता। पहचान मिलती है। सीखने के अवसर सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजकल पुरस्कार योग्यता का मापदंड नहीं रह गये हैं । पहुँच वालों को मिलते हैं इनाम। बहुत सारे लोगों को तो पता ही नहीं होता । वह आवेदन तक से वंचित रह जाते हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - यूँ तो जीवन में अक्सर ही कुछ न कुछ घटता रहता है और नित मस्तिष्क सबक सीखने की प्रक्रिया में रहता है। फिर भी जीवन में कुछ बड़ा घट जाता है और जीवन यात्रा की दिशा बदल देता है। कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण मेरी नौकरी चली गई । मेरा मन विक्षिप्त सा हो गया था मनःस्थिति रेत सरीखी हो गयी थी कण-कण बिखरा था ।एक बुद्धिजीवी से एक मानसिक रोगी के रूप में पहचान होने लगी। कोई नहीं समझता था मन मस्तिष्क की हालत । लगने लगा था कि घर की चार दीवारी में गुमनामी की मौत मर जाएंगे । मेरे मन ने कभी हारना नहीं सीखा था मेरी सकारात्मक सोच रोज हिम्मत बँधाती । एक दिन लगभग 20साल की लम्बे अंतराल के बाद हमने कागज कलम उठा लिया। अब तक तो कलम चलना भूल गयी थी । गिरते पड़ते डगमगाती कलम जल्दी ही सधने लगी और निरंतर प्रयास ने कलम को गति दे दी ।आज परिणाम स्वरूप सीमा सक्सेना सीमा वर्णिका के रूप में आपके समक्ष है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार का सहयोग ही हमें आगे बढ़ने में सहायक होता है। सभी परिवार के सदस्यों से यथोचित सहयोग प्राप्त होता है हालांकि अन्य कोई साहित्य से जुड़ा नहीं है।
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क्रमांक - 40
जन्म तिथि : 18 मार्च 1936
योग्यता : एम.ए. बी.एड साहित्य रत्न
व्यवसाय : सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी
शिक्षा सेवा : राजकीय - 26 वर्ष
सेवा निवृत्ति : 31 मार्च 1994
पुस्तक : -
‘‘यादों के झरोखे से ’’ पुस्तक का लेखन
सम्मान : -
- विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर (बिहार) विद्यावाचस्पति की उपाधि से विभुषित।
- साहित्य मण्डल नाथद्वारा, राजस्थान द्वारा साहित्य भूषण की उपाधि से सम्मानित।
- श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम में जिला स्तर पर कई बार सम्मानित।
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय पत्र वाचन पत्रियोगिता में राज्य स्तर पर द्वितीय स्थान।
- जिला यूनेस्को फेडरेशन द्वारा हिन्दी सौरभ सम्मान प्राप्त।
विशेष : -
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित सैकण्डरी कक्षाओं के अनिवार्य हिन्दी के लिए एकांकी सुषमा का सम्पादन।
- निम्नलिखित पत्रिकाएं जिनमें रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं: -
श्री माहेश्वरी टाइम्स, केन्द्र भारती, निरामय जीवन, पे्ररणा अंशु, अदबनामा, प्राची प्रतिभा, सुरभि समग्र, रुचिर संस्कार, अध्यात्म अमृत, शिक्षक प्रभा, भक्ति ज्योति, मधुमति, साक्षात्कार, साहित्य निधि, साहित्यांचल, मोमदीप, मरु गुलशन, एक रोटी, शब्द सामयिकी, हिन्दी ज्योति बिंब, माहेश्वरी, समाज धर्म, शिविरा, कल्याण, तमिल साहित्य, नूतन भाषा सेतु, प्रतियोगिता दर्पण, प्रभावित, नवज्योति, राजस्थान पत्रिका, शिक्षा दर्शन, बुलन्द राहें, समाज प्रवाह, बाल वाटिका, बोर्ड शिक्षण पत्रिका, शिविभी, विश्वविधायक, गिरीराज, हिमप्रस्थ, ज्ञान विज्ञान बुलेटिन, बाल प्रहरी, दिवान मेरा, साहित्यायन, पाथेय कण, हिन्दी प्रचार वाणी, वीणा, नवल, नया कारवां, सदीनामा, आरोग्य, साहित्य समीर दस्तक, प्रोत्साहन, उपनिधि, मानस स्तम्भ, जनप्रवाह, सौगात, पूर्वी प्रकाश, गीता से जुडे़, भिलाई वाणी,विचार नवनीत, नये क्षितिज, नव निकष, कौशिकी, तामिलनाड बुलेटिन, युग पक्ष, कल्याणिका, पंचायतन, पहुँच, कुसुम, समाज कल्याण, वर्तमान हलचल, लल्लु जगधर, साहित्य प्रोत्साहन, भाग्य दर्पण, नया भाषा भारती संवाद, अभिनव प्रयास, राष्ट्र किंकर, शुभतारिका, पँखुड़ी, राष्ट्र समर्पण, बुधवार, मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका, साहित्याजंलि प्रभा, सुजस, ब्राह्नण अन्तर्राष्ट्रीय समाचार आदि
- लगभग 10 पुस्तकों की समीक्षाएं समीक्षा पत्रिका एवं बोर्ड शिक्षण पत्रिका में प्रकाशित हुई।
- गौ सेवा के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी,
- शिक्षण संस्थाओं में निशुल्क सेवा प्रदान करना,
- जरुरत मंद रोगियों के लिए आवश्यकता होने पर रक्त उपलब्ध करवा कर जीवन रक्षा करना।
- सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिये ब्लड हेल्पलाइन का संचालन। - अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के कार्यकारी सदस्य के रूप में कार्य किया तथा माहेश्वरी पत्रिका, नागपुर के सम्पादन हेतु सलाहकार समिति का संयोजक रह कर कार्य किया।
निवास स्थान : ग्राम आगूचा जिला-भीलवाडा( राजस्थान) 311022
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - मार्च 1994 में जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृति के बाद निरन्तर लेखन कार्य से सम्बद्ध हूॅ। शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में लेखन कार्य की प्रेरणा प्रसिद्ध शिक्षाविद् स्वर्गीय डाॅ श्री जमना लाल जी बायती के द्वारा मिली। वैसे विद्यार्थी जीवन में भी विद्यालय पत्रिकाओं में मेरी रचनायें प्रकाषित होती रही है। यह भी मुझे प्रोत्साहन प्राप्ति का विषेष संयोग रहा। जैसे-जैसे मेरी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाषित होती रही, मैं निरन्तर लेखन की दिशा में प्रवृत होता रहा और अब तक लगभग राष्ट्र व राज्य स्तरीय लगभग 150 पत्रिकाओं में मेरी रचनायें प्रकाषित हो चुकी है। मुझे लेखकीय प्रेरणा में स्वर्गीय श्री रामचन्द्र जी देवपुरा का भी सहयोग रहा।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर- मेरी पहली रचना शिक्षा विभाग राजस्थान के मुख पत्र ‘‘शिविरा’’ पत्रिका में ‘‘भारतीय प्रधानाध्यापक इग्लैंड की शिक्षण संस्था में’’ एक साक्षात्कार के रूप में सन् 1973 में प्रकाशित हुई।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर- मैं साहित्य की सभी विधाओं में लिखता रहा हॅॅू। विषेषकर निबन्ध लेखन पर मेरा अधिक ध्यान रहा है। कविता लेखन की दिशा में भी अग्रसर हॅू।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर- सामाजिक विकास और राष्ट्रीय एकता के विकास में साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। समाज के लिये एक साहित्यकार पथ प्रदर्शक का काम करता है। समाजगत विद्रुपताओं को दूर करना, नैतिकता को प्रश्रय देना, मूल्यहीन शिक्षा में सुधार लाना, सांस्कृतिक गिरावट को दूर करना, पर्यावरण संरक्षण, आतंकवाद से मुक्ति, अनाचार व उग्रवाद की समाप्ति तथा सांस्कृतिक सद्भाव और महिला सशक्तिकरण की दिषा में साहित्यकार द्वारा प्रस्तुत साहित्य का प्रमुख उद्देष्य वांछित है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर- भगवती चरण वर्मा के उपन्यास चित्रलेखा तथा अमृत लाल नागर के मानस के हंस उपन्यास ने मुझे अधिक प्रभावित किया है। वैसे विद्यार्थी जीवन से ही प्रेमचंद साहित्य का पाठक रहा हूॅं। जिससे मेरे लेखन को विषेष गति मिली है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर- मुझे दूरदर्षन और आकाषवाणी पर प्रस्तुत होने का अवसर नहीं मिला है।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर- कवि सम्मेलनों के आयोजन से नवोदित साहित्यकारों को साहित्य सृजन की प्रेरणा मिलती है तथा समाज में व्याप्त विसंगतियों के समाहार की दिशा में लोग जागरूक बनते है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर- वस्तुतः साहित्य वही है जो हितकर हो तथा सामाजिक परिवर्तन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सके। राष्ट्रीयता की भावना को पोषण मिले तथा सद्कार्यों द्वारा राष्ट्रोत्थान में योगदान मिल सके। फेसबुक द्वारा युवा वर्ग के ज्ञानवर्धन के लिये एक ओर जहाॅं विषिष्ट ज्ञान वर्धन के लिये अपेक्षित सामग्री उपलब्ध होती है वहीं लोकव्यवहार से सम्बद्ध सन्देषों द्वारा ज्ञान वर्धन भी होता है। व्यावहारिक जगत में फेसबुक का उपयोग सही ढंग से किया जाये तो यह लाभ प्राप्ति का उपयुक्त साधन भी है। इससे नवोदित साहित्यकारों को साहित्य लेखन की प्रेरणा भी मिलती है। फेसबुक साहित्य का मन-मानस पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। कई प्रकार की कुत्सित सामग्री भी फेसबुक द्वारा परोसी जाती है जिससे युवा वर्ग दिशा भ्रमित होता है। बहुत कम ही उपयोगी साहित्य का दर्शन हो पाता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर- सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की व्यवस्था साहित्यकारों के लिये प्रेरणादायी है किन्तु चयन प्रक्रिया में भी पारदर्शाता की आवश्कता है। सही साहित्यकार उन पुरस्कारों से वंचित भी रह जाते है तथा कई साहित्यकारों की उपेक्षा भी होती है। यदि पुरस्कारों का सही उपयोग हो तो साहित्य जगत में क्रान्तिकारी परिवर्तन की सम्भावनायें बढ़ सकती है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर- जब मैं पहली बार राजस्थान खादी संघ में कार्यरत हुआ तब की विशेष घटना जो आज भी मेरे हृदय पटल पर धरना देती है जो इस प्रकार है-
अजनबी अपना बन गया-
घटना उन दिनों की हैं जब मैं राजस्थान खादी संस्था संघ के मन्त्री श्री रामेष्वर जी अग्रवाल का निजी सहायक था। मातृ मंगल केन्द्र रींगस में मन्त्री निवास तथा उनका कार्यालय था। वहां की समग्र कार्य व्यवस्था का उत्तरदायित्व मुझ पर ही था। संस्था संघ से संबंधित महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेजों की सुरक्षा और रख-रखाव की जिम्मेदारी भी मेरी ही थी।
एक दिन हुआ यों, मैं किसी कार्य हेतु स्थानीय शहर में किसी से मिलने चला गया जब वहां से लौटा तो देखा कि एक अधेड़ उम्र का आदमी कमरे में लेटा हुआ हैं। उसे देखकर मेरा पारा चढ़ गया। मैंनें गुस्से ही गुस्से में अतिथि मर्यादा, घरेलू संस्कार एवं सामान्य शिष्टता संबंधी एक भाषण दे ड़ाला। वे महाषय सुनते रहे और उनके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दिखाई दी। मैंनें उनसे कहा महाषय ! ‘‘आपको पूर्व स्वीकृति के बिना इस कक्ष में नहीं ठहरना चाहिये और फिर आपने अपने बोरी बिस्तर भी रख दिए, जूतों को भी यथा स्थान नहीं रखा। ’’आप ही बताइये ? हैं न यह अशिष्टता का परिचायक।
आपके इस कृत्य से मेरा मूल्यवान समय भी नष्ट हुआ तथा कार्य भी बाधित हुआ। मुझे जो पगार मिलती हैं उसमें काम के घण्टों का कम और जिम्मेदारी का अधिक पैसा हैं। इतना सब कुछ सुनने के बाद भी वे महानुभव विचलित नहीं हुए, उनके चेहरे पर न तो आक्रोष और नहीं किसी प्रकार की खिन्नता दिखाई दी। थोड़ी देर बाद मन्त्री महोदय वहां आ गये। उन्हे देखते ही मन्त्री जी ने उनके चरण स्पर्ष किए तथा मुझे इस प्रकार उनका परिचय दिया। ‘‘ आप आदरणीय गोकुल भाई भट्ट सा. हैं तथा ‘‘राजस्थान के गांधी’’ कहे जाते हैं। कई समाज सेवी संस्थाओं का संचालन इनकी छाया तले होता हैं। सर्वोदय आन्दोलन, भूदान यज्ञ, गौसेवा संघ, खादी संघ तथा हरिजन सेवा संघ आदि अन्यान्य संस्थाओं के संचालन में इनका ही सान्निध्य व मार्गदर्षन रहता हैं। आप ‘‘भाईजी’’ के नाम से भी जाने जाते हैं।
अब क्या था, यह सब सुनकर मैं हकबका रह गया और आत्मग्लानि से ग्रसित हो गया । उन्हे शीघ्र ही वहां से प्रस्थान करना था । अतः उन्हे रेल्वे स्टेशन पहुंचाया। तीन-चार दिन बाद मुझे एक पत्र प्राप्त हुआ । जिसके द्वारा सूचित किया गया था कि ‘‘आपकी पदोन्नति कार्यालय सचिव पद पर की जाती हैं तथा जयपुर स्थित कार्यालय में पदभार संभालना हैं।’’ मैं जयपुर चला आया वहां भाई जी का संरक्षण मिला। वे शिक्षाप्रेमी और अंग्रेजी भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे और मुझे अंग्रेजी भी पढाया करते थे। शिक्षाप्रेमी होने के नाते मुझे प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने का अवसर भी उनके द्वारा मिलता रहा और उन्ही की पे्ररणा से एक दिन जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुआ।
इस प्रकार एक अजनबी ने भी अपना बनकर मुझे प्रगति पथ पर अग्रसर होने का सुअवसर प्रदान किया।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर- मेरे परिवार में अधिक सदस्य शिक्षा से जुड़े हुए है और सूचना क्रान्ति के इस युग में पारिवारिक सदस्यों का कम्प्यूटर के क्षेत्र में विषेष रूचि और ज्ञान है अतः मेरे लेखन कार्य को गति प्रदान करने में परिवार के सदस्यों का टंकण व इमेज व्यवस्थाओं में विषेष योगदान मिलता रहा है। जिससे मैं कम से कम समय में अधिकतम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाषनार्थ अपनी रचनाओं को प्रेषित कर पाया हॅॅू और समयबद्ध रचनाओं के प्रकाशन से मुझे विशेष प्रोत्साहन मिला है।
क्रमांक - 41
जन्म-स्थान : 24 जुलाई प्रयागराज उ.प्र.
पिता : स्व. श्याम नारायण पाठक
माता : श्रीमती सरस्वती पाठक
पति : श्री दिनेश मिश्रा
शिक्षा : डबल एम. ए.,बी.एड.
शिक्षिका : खेलगांव पब्लिक स्कूल प्रयागराज(10 वर्ष )
लिखने का शौक- 1994
पुस्तक :-
एकल काव्य संग्रह "पल्लव"
सम्मान :-
- पं. केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा " साहित्य भूषण सम्मान" से सम्मानित।
- पं युगल किशोर सम्मान, पत्रकारिता रत्न सम्मान, कर्मवीर सम्मान
- लक्ष्मी कान्त वर्मा की स्मृति चिह्न से सम्मानित,
- गाँधी सेवा रत्न 2020,
- मातृका विवेक साहित्यिक मंच से 'दीपशिखा 'साहित्यिक अलंकरण ,
- चित्रांश बुलेटिन स्मृति चिन्ह
- मुक्तक काव्य रचना हेतु सम्मान पत्र,
- अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच द्वारा प्राप्त सम्मान पत्र,
- काव्य रंगोली परिवार से परशुराम जयंती सम्मान पत्र
- गायत्री आत्मोत्थान सम्मान पत्र,
- अखिल भारतीय अग्निशिखा सम्मान पत्र,
- रामगढ़ महोत्सव सम्मान पत्र आदि,
विशेष : -
- काव्य मंजरी,प्रेरणा , अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य ,अंतरा शब्दशक्ति आदि साहित्यिक मंचो में सक्रिया
- आकाशवाणी में काव्यपाठ
- साहित्यनामा व अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कविता व
कहानी छपती रहती है।
- आदर्श समाज समिति इंडिया संस्था जनपद प्रयागराज की अध्यक्षा
- अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी लेखक संगठन प्रयागराज की जिलाध्यक्ष।
-अंतरराष्ट्रीय मातृका विवेक साहित्यिक मंच प्रयागराज ईकाई की अध्यक्षा ।
- पत्रकार-कंट्री आफ इंडिया न्यूज पेपर(लखनऊ)
- काव्य साझा संग्रह : 'नई लेखनी के शब्द सुमन भाग-२' , 'ख्वाहिशें अभी और भी है'," अपराजिता" , "प्रयागराज की कवयित्रियां"
पता : -
503/168 ए मीरापुर, प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - 14 वर्ष की थी ,तब से लिख रही हूं। प्रेरणा स्रोत मेरी मां है।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - आत्मग्लानि लघुकथा स्कूल की पत्रिका में 2015
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कविता,कहानी,लघुकथा निबंध,लेख आदि।मुझे कविता व कहानी लिखना पसंद है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - समाज मे व्याप्त अज्ञानता का काला बादल हटाना चाहती हूं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - डॉ कौशल नाथ उपाध्याय-क्योकि रचना बोलती है?
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - 15-फरवरी 2021 अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के परिप्रेक्ष्य में।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - अच्छे और बुरे दोनों परिणाम होते हैं।सुन्दर रचनाओं का कवि सम्मेलन समाज में सफल क्रान्ति लाती है।जबकि अनुचित प्रकार की रचनाएं समाज में गन्दगी फैलाती है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण होता है।साहित्य समाज को दिशा-निर्देश देने में सहायक होता है।महाकाव्य रामायण,महाभारत, श्रीमद्भागवतगीता आदि के अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुन्दर सफल परिवर्तन आता है।फेसबुक में साहित्य का अंश कम होता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - स्थिति बहुत अच्छी नही है।लोग पुरस्कार के पीछे धन तक खर्च करने को तैयार है।सच्चा साहित्यकार पुरस्कार के पीछे नही दौड़ता है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मेरे जीवन से मेरे पापा का जाना जीवन की सबसे बड़ी दुखद घटना है जिसे मैं जीवनभर नही भूल नही सकती हूं।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरे पति का पूर्ण सहयोग है व मेरे बच्चों का अथाह स्नेह है।
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क्रमांक - 42
पिता : अनिरुद्ध शर्मा
जन्म : 01 जनवरी 1954
शिक्षा : एम, ए. हिन्दी अंग्रेजी सी.टी.
शिक्षा सेवा : 39 वर्ष शिक्षण , प्रवक्ता अंग्रेजी
सेवा निवृत्ति : 2014 रा,इ कालेज उत्तराखंड सरकार
गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखंड से
सम्पादन : अनिरुद्ध समग्र
सम्मान : -
- उत्तराखंड सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में शत प्रतिशत परीक्षा फल के लिए सम्मानित
- वर्ड रिकॉर्ड सरटिफिकेट
- तीन इन्डियन वेस्टीज एवार्ड ,
- काव्य रत्न,
- काव्यश्री,
- साहित्यिक मार्तण्ड,
- शब्द शक्ति,
- उत्तम सृजन सम्मान,
- साक्षी साहित्य सम्मान,
- कावयधारा गौरव,
- साहित्य वारिधि,
- इणटरनेशनल मैत्री सम्मान,
- अभिव्यक्ति हिन्दी रत्न,
- साहित्य गौरव सम्मान,
- सारस्वत सम्मान,
- बृह्मशारदे ऋतु राजसम्मान,
- साहित्य भास्कर,
- कावयधारा मधुकर,
- गणतंत्र प्रहरी सम्मान,
- अनुरागी सम्मान, ,
- गीत रत्न सम्मान ,
- पंतनगर आकाश वाणी सम्मान आदि।
विशेष : -
- आकाशवाणी पंतनगर से कविताओं का नियमित प्रसारण
व विश्व विद्यालय से सम्मानित।
- हिन्दी प्रसार हेतु कवि सम्मेलन व गोष्ठियों का आयोजन।
- शिक्षा भारती हरिद्वार से मनोनीत सदस्य
- ऊधमसिंह नगर के समरसता प्रमुख का दायित्व ।
- संस्कार भारती के नगर अध्यक्ष
- निशुल्क शिक्षण।
- संस्थापक : अनिरुद्ध कावयधारा
- काव्य संग्रह व विभिन्न पत्रिकाओं में कविता प्रकशित
पता : सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी
गदरपुर ऊधमसिंह नगर ,श्रीराम डेरी्वाली गली ,
गूलर भोज रोड , गदरपुर- 263152 उत्तराखंड
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - 14 वर्ष की उम्र में । प्रेरणा श्रोत पूज्य पिता जी , स्मृति शेष श्री अनिरुद्ध शर्मा शेरकोटी जी ।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - सन 1972 मे विद्यालय पत्रिका में दो रचनायें।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं दोहेंऔर सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - गीत गीतिका , मुक्तक, दोहे,धनाक्षरी,गजल
आदि छन्द।गीत गीतिका अधिक पसंद है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण होता है अतः.समाज कादर्शन ,पृकृति का सानिध्य व साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न तथा हिन्दी साहित्य के प्र ति रुचि जागृत करना।साहित्यिक गतिविधियां समाज में परिवर्तन कर सकती है ।परंतु सत्य साहित्य मे कमी आ रही है।मंचों पर कोईसुनना नहीं चाहते।अतः स्वस्थ्य साहित्य समाज को देना चाहिए।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - तुलसी रामचरित मानस विनय पत्रिका , प्रसादकामायनी रामधारी सिंह दिनकर कुरुक्षेत्र ,पंत , रश्मि बन्ध । मैथिली शरण साकेत , नीरज आदि।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी हाँ आकाश वाणी पंतनगर से मासिक प्रसारण।
अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन. समाज के लिए अति उपयोगी हैं यह बाल,युवा, वृद्ध सभी के हृदय पर अमिट छाप छोड़ता है। आज मुबाईल युग मे कमी आई हैं ऑनलाइन का प्रचलन बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि युवाओं पर कवि सम्मेलन का बहुत प्रभाव होता है सृजन के अंकुर फूटते है।मेरे अनिरुद्ध कावयधारा मे कई नवयुवकों ने लिखना प्रथम बार मंच पर पढ़ना पटल के मंच से किया है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का दर्पण है साहित्यकार समाज से प्रभावित होता है समाज का दर्शन कविता मे आ ही जाता है। साहित्य में इहीलोक व परलोक का दर्शन होता है।
फेसबुक का साहित्य आजकल काफी प्रचलित हो रहा है गूगल सहयोग कर रहा है लेकिन कुछ वर्ग इससें भी वंचित रह जाते है। फेसबुक से साहित्यिक परिचय मे वृद्धि हुई है। मानसिक भेंट हो रही है देश विदेशों से लोग जुड़ रहे है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सरकारी पुरस्कारो में उत्तराखंड सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में चार पुरस्कार मिले । राशि वाला कोई नहीं मिला। इतना सोर्स नहीं हुआ। गैर सरकारी अनेक पुरस्कार है।
सौ के लगभग है
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - मेरे जीवन की महत्वपूर्ण धटना सन् 1972 की है मैं इण्टर में विज्ञान का विद्यार्थी था साहित्य मे रुचि थी
विद्यालय में साहित्य परिषद का चुनाव होना था मित्रों ने मेरा नाम भी दे दिया। तीन हजार से अधिक संख्या थी सबको जानता भी नहीं था । खुला चुनाव था भाषण देना था। सबके बाद मेरा भाषण हुआ और मुझे बहुमत से अध्यक्ष चुना गया । यह धटना मेरे जीवन मे साहित्य सृजन मे सदैव प्रेरक रही।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - लेखन व साहित्य के प्रति रुचि उत्तराधिकारी केरूप मे पूज्यनीय पिता जी से मिली । परिवार सदैव सहयोगी रहा है। अतः परिवार की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
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क्रमांक - 43
जन्म तिथि : १३ अप्रैल १९७२
जन्म स्थान : निमापडा - ओडिशा
पिता : बंशीघर षडंगी
पति : स्वप्नेन्दु मिश्र
लेखनी : ओडिआ और हिंदी भाषा में कहानी और कविताएँ
प्रकाशित
पुस्तकें : -
- कहानियों के चार पूस्तकें ओड़िया में
- अनुवाद कविता पूस्तक "जवाहर टनल,"(हिंदी से ओड़िया में)
- कविता पूस्तक हिंदी में -'इज्या'
सम्मान :-
- साहित्य दर्पण श्रेष्ठ गाल्पिका,
- तिसरा किताब ब्रह्मपुर साहित्य संसद द्वारा पुरस्कृत ,
- बॉम्बे ओडिया महिला संगठन (Bowa) द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में सम्मानित,
- वीरभाषा हिन्दी साहित्य पीठ द्वारा सम्मानित,
- युबा उत्कर्ष साहित्यिक मंच द्वारा 'काव्य गौरव सम्मान' प्राप्त
- प्रवासी साहित्य सम्भार से सम्मानित
- ओड़िया साहित्य महामंच से सम्मानित
- विरजा साहित्य सदन से सम्मानित
- स्टोरी मिरर से कविता केलिए ६ बार सम्मानित
- ईन्कडियू लिटफेस्ट से सम्मानित
- जय मा विरजा साहित्य संसद से कविता के लिए सम्मान पत्र प्राप्ति
- राष्ट्रिय नव साहित्य कुंभ से सम्मान पत्र प्राप्ति
- सी एफ एम से , उत्कृष्ट कविता प्रस्तुति के लिए सम्मानित
- साहित्य सेतु परिषद से काव्य श्री सम्मान प्राप्त
- साहित्य पीडिया से उत्कृष्ट कविता प्रस्तुति के लिए प्रशस्ति पत्र प्राप्ति
- विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम से हिंदी भाषा साहित्य सम्मान प्राप्ति
- सि एफ एम से हास्य कवि सम्मेलन में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु
प्रशस्ति पत्र प्राप्त
- जय मा विरजा साहित्य सदन से कहानी प्रतियोगिता में तिसरी स्थान के लिए सम्मानित
- सि एफ एम से प्रेम कविता के लिए काव्य श्री सम्मान प्राप्त
- साहित्य सेतु परिषद से साहित्य गौरव सम्मान प्राप्त
- कौणिडन्य साहित्य सेवा समिति, उत्तर प्रदेश , से ' काव्य गोरव' सम्मान प्राप्त
- सि. एफ . एम से 'नारी रत्न' सम्मान प्राप्त
- कुछ बात कुछ जज़्बात कवि मंच से अहिल्या बाई होलकर सम्मान प्राप्त
- कहानी "शुन्य इलाका" ब्रह्मपुर साहित्य परिषद के एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।
पता : -
स्वप्नेन्दु मिश्र ,२-डी -२०४ ,सनसिटी,फेज -१
ठाकुर विलेज ,कांदिवली पूर्व , मुंबई -४००१०१ - महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - १३साल की उम्र में मैंने प्रथम कहानी लिखी थी जो स्कूल पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। मेरे पिताजी ओडिशा साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि हैं। ओड़िया कविता जगत को उन्होंने नई दिशा दी हैं। बचपन से ही घर में साहित्य आलोचना को सुनती थी।जब पिताजी भागवत के दशम स्कंध का शोध कर रहे थे तब फोटो काॅपी मशीन नहीं थी।हम (तीन बहनें) कार्बन पेपर रख कर उनके शोध कार्य की चार/पाँच काॅपी करते थे। कभी कभी पिताजी पौराणिक कथाएं भी हमें सुनाते थे।तब बहुत कुछ समझ नहीं पाई थी (शायद मेरी उम्र नौ/ दस साल की होगी)।वहीं से कथाएं और कविताओं से अनजाने में ही संपर्क हो गया। मीथ के प्रयोग से रचित पिताजी की कविताएं दिल को छू लेती हैं।शायद यही प्रेरणा का स्त्रोत है।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर : मेरी पहली रचना ओड़िया में एक कहानी थी, जो 2006 में प्रकाशित हुई थी। उस से पहले 1986/1989 स्कूल और कॉलेज की पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थी मगर उसका अभी कोई प्रमाण नहीं है। मैं कहानी लिखती थी ,यह सिर्फ मेरी छोटी बहन (इप्सिता) को पता था। 2006 में इप्सिता के कहने पर फिर से कहानी लिखने की प्रक्रिया शुरू कर दी, और प्रकाशित होने की प्रक्रिया शुरू हो गई ।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - साहित्य की विधाओं में, मैंने कहानी, कविता, समीक्षा, लेख (जगन्नाथ जी के उपर), और लघुकथाएं लिखी हैं। मुझे समीक्षा करने में मज़ा आता है। रचनाओं के माध्यम से लेखकों की भावनाओं को छूने की कोशिश कर आलेख लिखना एक चुनौती है,जिसे स्वीकार कर मैं रोमांचित होती हूँ।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - सद्भावना,उत्तम चरित्र और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना – ये सब मेरी रचनाओं के मूलतत्व है। मेरा मानना है कि परिस्थितियाँ ही वास्तविक खलनायक होती है। इसलिए मनुष्य को सही ग़लत की पहचान होनी चाहिए।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - बहुत नाम है जिनकी रचनाएँ पढ़कर उन पुस्तकों से बाहर निकल ने को मन नहीं करता। मेरे पिताजी के "स्वरोदय", रमाकांत रथ जी के "श्रीराधा", प्रतिभा राय जी के"याज्ञसेनी",फकिरमोहन सेनापति जी की सारे रचनाएँ, चित्रा मुद्गल जी के "पोस्ट बॉक्स नं २०३ नाला सोपारा", अनामिका जी की "टोकरी में दिगंत", मैथिली साहित्य के लेखक प्रदीप बिहारी जी की"सरोकार" आदि अनेक पुस्तकें हैं जो दिल को छू लेती है।सब के नाम लिखना संभव नहीं है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी, आकाशवाणी में कहानी प्रसारित होने का अवसर मिला है। अपने आप को किसी और माध्यम से सुनने का अनुभव तो हटकर है। उसे वर्णन किया नहीं जा सकता है। दूरदर्शन का अभी इंतजार है।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन होना चाहिए, और ये राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होना चाहिए। इसलिए कि हमें एक दूसरे की भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने तथा समझने का मौका मिल सके। आजकल तो आनलाईन ,सोशल मीडिया में भी मौका मिलता है। हमारे पास आधुनिक टेक्नोलॉजी है तो क्यों नहीं उसका लाभ उठाया जाए। सच कहूं तो कवि सम्मेलन में भाग लेने के बाद मुझे और कविताएँ लिखने की प्रेरणा मिलती है। जबकि गृहणी होने के कारण बाहर निकलना कभी कभी मुश्किल होता है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - हित का साथ होना ही साहित्य है। मैं बोलूंगी , सभ्यता और संस्कृति को धारण करने वाला, समाज को बदलने की क्षमता रखने वाला और मानवीय चेतना की भूख को मिटाने वाला साहित्य ही होता है। फेसबुक हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक प्लैटफॉर्म है। आसानी से हम लिख सकते हैं,एक दूसरे को पढ़ सकते हैं।
डिजिटल हमें एक प्लैटफाॅर्म देता है लिखने और पढ़ने के लिए।इस से हम सहजता से दूसरों के साथ जुड़ जाते हैं। साहित्य का विस्तार हो सकता है मगर कितने उन्नत साहित्य की सृष्टि होगी बोल नहीं सकते।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैर सरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - कुछ स्थानों पर सिफारिश और कुछ स्थानों पर पैसा खर्च कर पुरस्कार मिल जातें हैं। यह चिंताजनक है। मगर निरपेक्ष विवेचना से भी पुरस्कार दिया जाता है। सबसे ज्यादा गुरुत्व पूर्ण भुमिका तो आप जैसे पारखी नजर रखने वाले प्रकाशकों की है । अच्छी रचनाएं प्रकाशित करना और रचनाकारों को पुरस्कृत कर और कुशल रचनाएं लिखने के लिए प्रेरणा देना प्रकाशकों का दायित्व है। अगर रचनाएं अच्छी होगी तो अवश्य पाठकों की संख्या में वृद्धि होगी।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - जी जरूर ।एक घटना के बारे में बताने की इच्छा है। बचपन में माँ ने एक बार मंदिर में दीया लगा कर भगवान को फ़ूल चढ़ाने के लिए कहा तो मैंने कहा"जिन्हें मैं देख नहीं सकती ,तो उनकी पूजा कैसे करूं, मुझे तो विश्वास ही नहीं है कि ईश्वर होतें है।"तब तो पिताजी चुप रहे। बाद में बोले,"पता नहीं मच्छली पानी में कैसे साँस लेती हैं, हमारी नाक में पानी घुस जाता है तो कितनी तकलीफ होती है।" फिर एक दिन बोले ,"हम खाना खा कर हजम कर लेते हैं,मगर ये गुड्डा न खाना खा सकता है न हज़म कर सकता है। पता नहीं हमें किसी ने ऐसे बनाया?" तब मैं अपनी ग़लती समझ सकी। उन्होंने कहा "सृष्टि है तो कोई न कोई इसको बनाने वाला भी है। तेरे सामने इन्सान है तो वह इंसान रूप में और पेड़ है तो पेड़ के रूप में है,पर है।" पिताजी के समझाने का तरीका अलग होता है और उनकी बातों का मुझ पर प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - अवश्य परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है। पहले कहा है पिताजी के बातों का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ता है। मेरे पिताजी कहते हैं ‘जिस रस में रहस्य नहीं वह कविता नहीं ' मतलब पाठकों बांधकर रखने की कला आना चाहिए।माँ ' मेरी रचनाओं की पहली प्रशंसक है।अब घर में बच्चें और पति भी मुझे समय निकालने में मदद करते हैं। उनके साथ बिताने वाले समय से कुछ समय चुरा लेती हूँ, इसलिए मन में क्षमा भी माँग लेती हूँ। मुंबई में रेहती हूँ और घर का एक कोना ऐसा है जो मुझे समाधी अवस्था में ले जाता है। फिर जाके कुछ शब्द उतरते हैं कागज़ में।
क्रमांक - 44
जन्मतिथि : जून 1969
पिता : श्री कृष्ण कुमार शर्मा
माता : श्रीमती मुनेश बाला शर्मा
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी साहित्य,बी.टी.सी.,
एल एल बी, आयुर्वेदरत्न,बी.ई.एम.एस.,
डी.एन.वाई.एस.,सी.एक्यू.,कहानी लेखन, पत्रकारिता प्रशिक्षण।
विधाएं :कविता,गीत, गीतिका, कहानी, आलेख,लघुकथा, व्यंग्य,परिचर्चा,समीक्षा, साक्षात्कार व अन्य विधाएं
कृतियां : -
मुझको जग में आने दो,
प्रकृति का ऐसे न शोषण करो,
जिंदगी गीत हो जाएगी (काव्य कृतियां),
शिक्षा जगत की लघुकथाएं,
धामदेव की नगरी धामपुर,
प्राकृतिक रंग-उर्जा चिकित्सा (शोध पुस्तक)।
संपादन -
अनुभूतियां,
अभिव्यक्ति,
अन्तर्मन,
अनुगूंज अभिप्राय,
अर्पण, अनुसंधान (काव्य संकलन),
अविरल प्रवाह (स्मारिका).
सम्मान : -
- विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं द्वारा शताधिक सम्मान।
- मानद उपाधि: विद्यावाचस्पति, विद्यासागर
विशेष : -
- 1986-87 से निरंतर लेखन
- विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों,परिचय ग्रंथों, अभिनन्दन ग्रंथों और सन्दर्भ कोशों सहित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन।
- सहसंपादन - समय की पुकार,दीप वलय (काव्य संकलन), साहित्यकार निर्देशिका(परिचय ग्रंथ), अविराम,सोने पे सुहागा,युवा भारत साप्ताहिक का सहसंपादन
- कई शोध ग्रंथों में रचनाओं का मूल्यांकन और चर्चा।
- ई - पत्रिका अभिव्यक्ति का संपादन प्रकाशन।
पता :
82, मुहल्ला-गुजरातियान ,धामपुर-246761, जिला - बिजनौर उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है?
उत्तर - सबसे पहले तो आपका हार्दिक आभार,जो आपने इस आयोजन में शामिल कर अपनी बात करने का अवसर दिया। मैंने अठारह उन्नीस वर्ष की आयु में लिखना शुरू किया। मेरे प्रेरणा स्रोत रहे मेरा पिता श्री कृष्ण कुमार शर्मा और वह सब वरिष्ठ साहित्यकार जिन्होंने उस शुरुआत के दौर में प्रोत्साहित किया।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना 1987 में एक स्थानीय साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई। मुझे स्मरण है उस पत्र के प्रबंध संपादक महोदय हमारे ही मुहल्ले में रहते थे। उन्होंने संपादक जी से मिलवाया । फिर तो प्रकाशन का सिलसिला चल पड़ा।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - सभी विधाओं में लिखा है। पत्रकारिता से भी जुड़ाव रहा कुछ बरस,तो साक्षात्कार, रिपोर्ताज,आलेख भी लिखे। यहां तक कि संपादक के नाम पत्र कालम भी लिखा। सहज रुप से ही हर विधा में लिखा जाता है। लघुकथा
और कविता में अधिकतर भावाभिव्यक्ति होती है।यही अधिक पसंद भी है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य के द्वारा प्रतीकात्मक रूप से संदेश दिया जाता है। साहित्य को पढ़कर पाठक के मन तक रचना में निहित संदेश स्वत:पंहुचता है। समय समय पर समाज की आवश्यकता अनुरूप संदेश देने वाली रचना सृजित, प्रकाशित, प्रसारित होती रहती है।
जीवन मूल्यों को बचाए रखने का संदेश ही मुख्य उद्देश्य रहा है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य में किसी एक का नाम
उल्लेखित करना बेमानी होगा। बहुत से नये
साहित्यकारों की बेहतरीन कृतियां आई है।
कुछ का उल्लेख करना चाहूंगा डॉ शंकरलाल शर्मा क्षेम जी का खंडकाव्य शर शैय्या पर भीष्म। जगदीश चौहान की कृति यशोदा वात्सल्य। डॉ अशोक रस्तोगी जी का उपन्यास समर्पण,और कहानी संग्रह चातक। चारु राजपूत की मोटिवेशनल कृति सफलता के मूलमंत्र। मनोज मानव की काव्यकृति दो आने की चिट्ठी। आदि आदि।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी हां, आकाशवाणी पर अवसर मिला
युववाणी में,कृषि जगत में,एकल काव्यपाठ में, गोष्ठी में राष्ट्रीय प्रसारण में। आकाशवाणी के नजीबाबाद, पंतनगर सामूदायिक रेडियो यूनिवर्सिटी कैम्पस पर। दूरदर्शन का आशय डी डी सरकारी चैनल से है आपका, तो अवसर नहीं मिला अब तक कभी। वैसे प्राइवेट चैनल पर अवसर मिला है। आकाशवाणी में मिले अवसर अविस्मरणीय हैं,रिकार्डिंग करते,कराते ,कोई प्रतिक्रिया तो मिलती नहीं,जैसा लाइव में होता है। प्रसारण बाद ही पता चलता है प्रतिक्रिया का।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कविता और कवि सम्मेलन की प्रासंगिकता हमेशा रही है। कवि ने कविता के माध्यम से हमेशा सत्ता को झकझोरा है,चेताया है। आंदोलन खड़े कर दिए हैं।समय समय पर गीतों और गीतकारों पर लगे प्रतिबंध इसके ज्वलंत प्रमाण है। वर्तमान में भी यह अपना काम कर रहे हैं, मनोरंजन के साथ साथ व्यंग्य के द्वारा समाज और सत्यता को आईना दिखा रहे हैं। हां यह कहने में संकोच नहीं कि ऐसे जागरुक करने वालों का प्रतिशत घटा है अब।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - जो समाज का हित करें,वही साहित्य है। ऐसा मेरा मानना है। फेसबुक एक ऐसा मंच बन गया है, जिस पर भड़काऊ और सामाजिक विद्वेष फैलाने वाले छद्म और कथित साहित्यकारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।कभी कभी तो भाषा और भाव अश्लीलता की हद पार करते मिलते हैं। फिर भी अभी गंभीर और समझदार लोगों की संख्या अधिक है। फेसबुक का साहित्य भी अपने समाज का आईना है,जिसकी अनदेखी कर समाज की नब्ज की गति को नहीं समझा जा सकता।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सरकारी पुरस्कार कोई मिला नहीं,कभी आवेदन भी नहीं किया तो पता नहीं। गत वर्ष एक मित्र ने बताया था कि फिफ्टी फिफ्टी के फार्मूले से सरकारी पुरस्कार मिल जाएगा,यह अलग बात है कि तमाम जोड़-तोड़ के बाद वह मित्र भी सरकारी पुरस्कार नहीं पा सके।खैर,यह तो अंगूर खट्टे हैं जैसी बात रही।अब बात गैर सरकारी पुरस्कार की तो अनेक मिले हैं हमें भी। आपने भी यानि जैमिनी अकादमी ने भी समय समय पर सराहा और पुरस्कृत किया है। गैर सरकारी में कोई जोड़-तोड़ की जरूरत नहीं कृति के आधार पर ही चयन होता है। मेरा तो यही अनुभव है। हम स्वयं ऐसे पुरस्कार देते रहते हैं।यह पुरस्कार रचनाकार को उर्जित करते हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - अनेक संस्मरण और घटनाएं हैं साहित्यिक जीवन की।एक शुरूआती घटना बताना हूं। एक समाचार पत्र का लोकार्पण समारोह था,हम भी शामिल थे।कुछ पंक्तियां लिखी थी हमने,संचालक को नाम भी नोट करा दिया था लेकिन अंत तक नंबर न आना था,न आया(यह बाद में जाना कि ऐसे आयोजन सब पूर्व निर्धारित होते हैं,और होने भी चाहिए ताकि अव्यवस्था न हो) खैर मायूसी होना स्वाभाविक था,एक अन्य समाचार पत्र के प्रबंध संपादक, जिनका इस बातचीत में पहले भी मैंने जिक्र किया है, उन्होंने अपने समाचार पत्र में मुझे स्थान दिया।अब विशेष बात यह कि कुछ साल बाद ही उस समाचार पत्र में कार्यकारी संपादक के रुप में मुझे सम्मानित स्थान मिला, जिसके लोकार्पण में दो शब्द बोलने का समय भी नहीं मिल सका था। अविस्मरणीय है यह घटना।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - बिना परिवार के सहयोग के, लेखन के लिए समय निकाल सकना बहुत कठिन होता है। इसके लिए परिवार के हर सदस्य का योगदान होता है। मैं समझता हूं हर लेखक के पीछे परिवार का योगदान है,जो अपने हिस्से के समय को लेखन के लिए देने की अनुमति लेखक को सहर्ष दे देता है।
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क्रमांक - 45
जन्म दिन : 02 नवम्बर 1964
पिता का नाम : सीताराम दुबे
माता जी का नाम : सामवन्ती दुबे
शिक्षक : गुरु नानक इंग्लिश हाई स्कूल एंड जूनियर कालेज भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
लघु शोध पुस्तक : -
जगदीश पियूष की रचना धार्मिता 2009
सम्मान : -
- हिंदी सेवा हेतु ब्रजशिरोमणी मानद उपाधि,
- जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी सेवी सम्मान,
- कृष्ण कुमार गुप्ता आदर्श शिक्षक सम्मान,
- विद्यावाचस्पति सम्मान,
- समाजसेवी रत्न,
- साहित्य शिरोमणि सम्मान,
- पत्रकारिता भूषण सम्मान,
- मधुशाला काव्य गौरव सम्मान,
- भारतीय भाषा रत्न सम्मान,
- हिंदी साहित्य भूषण,
- महात्मा ज्योतिबा फुले पुरस्कार
इन के अलावा अन्य बहुत से पुरस्कार और सम्मान मिले हैं।
विशेष : -
- शिक्षक / हिंदी प्रचारक/ स्वतंत्र पत्रकारिता/ लेखन/ समाजसेवा/
- हिंदी प्रचारक : हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग अलाहाबाद की ओर से और मुंबई हिंदी विद्यापीठ मुंबई के माध्यम से करता हूं।
- आरोग्यधाम पत्रिका , निरोगसुख पत्रिका,कमर एक्सप्रेस, अमरदीप,नयी शिक्षा, आधुनिक जीवनलीला, जनप्रिय ज्योति, नेपथ्य, व्यंग्य विविधा,शिला लेख,स्केपटिक्स इंडिया, भोजपुरी लोक इसके अलावा अन्य पत्र पत्रिकाओं में लेखन।
- संस्थापक : इन्द्रजीत पुस्तकालय, सीताराम ग्रामीण साहित्य परिषद, सामवन्ती ग्राम महिला विकास मंडल, जुडपुर, रामनगर विधमौवा, मड़ियाहूं, जौनपुर उत्तर प्रदेश/
पता :
3/3 सुख सागर सोसायटी जयदेव सिंह नगर भांडुप मुंबई 400078 महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर -19 वर्ष की आयु से लेखन और स्वतंत्र पत्रकारिता में लगा हूं।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - हमारी पहली रचना मुंबई हिंदी विद्यापीठ की मासिक पत्रिका भारती में प्रकाशित हुई थी।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कविता लेखन और लघुकथा।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य के माध्यम से समाज को जागरूक करना चाहता हूं।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - डॉ रमाकांत क्षितिज/जगदीश पियूष/राजकुमार यादव/बर्वे जी
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - जी नहीं
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन हिंदी के विकास में तथा मनोरंजन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य ज्ञान का भंडार होता है। सामाजिक ढांचे की जानकारी साहित्य पढ़ने से मिलती है।हम पुस्तकी साहित्य को प्राथमिकता देते हैं।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाली सरकारी व गैरसरकारी पुस्तकों का मूल्य बहुत अधिक है।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर -हमने अपने हिन्दी सेवी श्री बालकृष्ण बागवे के प्रयास को देखते हुए उनसे प्रेरित हो हिंदी प्रचारक प्रसार और साहित्य क्षेत्र में आया। मुंबई हिंदी विद्यापीठ से जुड़कर हिंदी साहित्य से जुड़े और भारती पत्रिका में लेखन जारी किया।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - हमारे लेखन में हमारे दादा, माता पिता का पूरा योगदान रहा इनके योगदान से इन्द्रजीत पुस्तकालय, सीताराम ग्रामीण साहित्य परिषद ग्रामांचल में चला रहे हैं।
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शिक्षा : एम ए (हिन्दी,अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र)बीएड
पत्रकारिता,पीएचडी हिन्दी,यू जी सी नेट हिन्दी
सम्पत्ति : असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी )
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज , गया- बिहार
प्रकाशित कृति : -
खुले दरीचे की खुशबू -हिन्दी ग़ज़ल
खुशबू छू कर आई है -हिन्दी ग़ज़ल
चाँद हमारी मुट्ठी में है -बाल कविता
परवीन शाकिर की शायरी आलोचना
ग़ज़ल लेखन परम्परा और हिन्दी ग़ज़ल का विकास -आलोचना
मैं आपी से नहीं बोलती -बाल कविता
लड़की तब हंसती है -सम्पादन
पुरस्कार /सम्मान : -
- बिहार जन शताब्दी सम्मान
- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन लेखन पुरस्कार
- यशपाल सम्मान- असम
- साहित्य साधक सम्मान -छ.ग
- पत्रकारिता सम्मान उत्तर प्रदेश
- मधुशाला गौरव सम्मान राजस्थान
- शब्द श्री सम्मान बिहार
- शिक्षक गौरव सम्मान हरियाणा
- गोस्वामी साहित्य शिल्पी सम्मान उत्तर प्रदेश
- अखिल भारतीय पत्र लेखन पुरस्कार म.प्र
- बाल साहित्य पुरस्कार, उत्तर प्रदेश
- शारद साहित्य सम्मान छ.ग
- जन अभिव्यक्ति सम्मान
विशेष : -
- प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता
- आकाशवाणी पटना, दरभंगा और भागलपुर से प्रसारण
- पाठ्यक्रम में कविताएं शामिल
- हिन्दी उर्दू और मैथिली की तमाम राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन
- देश -विदेश की सौ से अधिक सेमिनारों में शिरकत
- स्तंभ लेखन एवं अनुवाद कार्य
- भारत सरकार का पीएचडी फैलोशिप
- बिहार सरकार से पुस्तक प्रकाशन अनुदान
- दस से अधिक शोध पुस्तकों के सहयोगी रचनाकार
- जागृति, बाल प्रभा, और दूसरा मत का सम्पादन
- भगवद गीता, बाइबिल, योग और खाद्य एवं पोषण में डिप्लोमा
पत्राचार -स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज, गया - 823001 बिहार
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - तब क्लास सिक्स में था,जब मेरी पहली कविता बेगूसराय टाइम्स दैनिक पत्र में प्रकाशित हुई थी. शीर्षक था -मेरी खाला.जो अपनी मौसी के विरोध में लिखी गई थी. वो मेरी हम उम्र थीं और मुझसे रोज़ पंगे लेती थीं. मैंने कविता लिखकर उन्हें डरा दिया था कि अब तुम्हारी शादी नहीं होगी.अख़बार में छप गया है. सब ने जान लिया तुम लड़ाकिन हो.
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - वही दस साल की उम्र रही होगी.कविता लिखकर डाक से भेज दिया था, न मात्र वो कविता छपी बल्कि संपादक ने उसमें अपनी तारीफी टिप्पणी भी लिख दी थी. जिससे लिखने का और उत्साह बढ़ गया था.
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - ये रूचि बदलती रही. बाल कविता से शुरुआत हुई. जम कर बच्चों की पत्र-पत्रिकाओं में लिखा. दो बाल कविता की पुस्तक प्रकाशित हुई. दो बाल पत्रिका का सम्पादन किया. फिर कॉलेज में पढ़ते हुए ग़ज़ल की तरफ रूचि गई. मुशायरों में खूब वाहवाही मिली, पर आज आलोचना मेरी पसंद की विधा बनी हुई है. हिन्दी ग़ज़ल के आलोचक के तौर पर लोग जानने लगे हैं.
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य और समाज की दूरी काफ़ी बढ़ गई है. क्या लिखा जा रहा है. समाज को इससे मतलब नहीं है. जो लिखा जा रहा है समाज उसे समझ ही नहीं पा रहा है. जो लिख रहे हैं. फ़ाइल बनाकर सबको दिखला रहे हैं. भक्तिकाल के बाद जो साहित्य रचा गया, उसमें समाज की बात तो हुई पर समाज के स्तर का ख्याल नहीं रखा गया. कितने गांव के लोग ऐसे हैं जो मुक्तिबोध या तारसप्तक की कविता को समझ सकते हैं .
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - यह रूचि भी बदलती रही, पर प्रेमचंद, मन्नू भंडारी, परवीन शाकिर और दुष्यंत हमेशा पसंदीदा लेखक रहे.
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - बहुत कम उम्र से ही आकाशवाणी जा रहा हूं.पर रेडियो बंद होने के कगार पर है. साहित्य के लिए वहां कोई स्पेस नहीं है. अब वहां जाकर घुटन ही महसूस होती है.
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलन ने कविता को लोकप्रियता दी है, पर आज जो मंच पर कविताएं पढ़ी जा रही हैं, वो कविता नहीं है. एक भीड़ के बीच की चुटकुलेबाजी है.गवैये और नचनिये ने मंच को संभाल रखा है.पैसे की बर्बादी हो रही है.
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य में हित जरूरी है, पर आज के कवि भी राजनीति पार्टियों के हो गये गई. साहित्य प्रचार होकर रह गया है. फेसबुक में जो चाहें पोस्ट कर दें. कोई सम्पादन करने वाला नहीं. बिना पढ़े लाइक किया जा रहा है.
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार चाहे जो भी हो लेखन के साथ पहुंच और सिफारिश उसकी शर्त है. कभी डॉ. नगेन्द्र और आज अशोक वाजपेयी के पास वो सामर्थ्य है कि जिसे चाहें पुरस्कार दिलवा दें. थोड़ी बहुत साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ की इज़्ज़त बची हुई है.
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - संस्मरण में क्या लिखें क्या छोड़ें. बस एक शेर है कि -
यादे माज़ी अज़ाब है यारब
छीन ले मुझसे हाफ्ज़ा मेरा.
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार में लिखने का पूरा माहौल मिला. पिता जी केंद्रीय साहित्य अकादमी के सलाहकार थे. उन्हें मैथिली में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. फातमी लाइब्रेरी के नाम से घर में एक बड़ा सा पुस्तकालय था. नदीम, शफक, कारवां, एक -एक क़तरा, दूसरा मत जैसी पत्रिकाएं घर से निकलती थीं. भाई और बहनें भी अख़बारों में छपती थीं .दूसरा मत राष्ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन दिल्ली से अब भी पावंदी के साथ हो रहा है. करीब आधा दर्जन लोग हमारे यहां पावंदी से साहित्य रच रहे हैं. इसी माहौल के कारण मैंने हिन्दी ग़ज़ल पर हिन्दी से पीएचडी कर ली.ज़ाहिर है परिवार से माहौल और प्रोत्साहन मिलता रहा.
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http://bijendergemini.blogspot.com/2022/02/blog-post_18.html
आपके परिश्रम व साहित्य साधना को सादर नमन बीजेन्द्र भैया ! 🙏 😊
ReplyDeleteसभी वरिष्ठ रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई शुभ मंगल कामनाएँ 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏
हार्दिक आभार
Deleteबहुत ही महत्वपूर्ण ई पुस्तक है यह। शोधार्थी इससे भरपूर लाभ उठाएंगे ऐसा विश्वास है।श्री बीजेन्द्र जैमिनी का यह कार्य मील का पत्थर साबित होगा।
ReplyDelete- डॉ. अनिल शर्मा अनिल
धामपुर - उत्तर प्रदेश
( फेसबुक से साभार )