मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर

             मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर



मां त्रिपुर सुंदरी देवी का मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा शहर से उन्नीस(19) किलोमीटर की दूरी पर उमराई गांव में स्थित है। मंदिर के आसपास तीन दुर्ग थे। शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी। इन तीनों में स्थित होने के कारण देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा। मां त्रिपुर सुंदरी महाकाली, महासरस्वती और  महालक्ष्मी का संयुक्त स्वरुप हैं। इसलिये भी देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा।
यह स्थान कितना प्राचीन है? प्रमाणित नहीं है वैसे तो देवी मां की पीठ का अस्तित्व  तीसरी सदी से पूर्व का माना गया है। गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुर सुंदरी के उपासक थे। गुजरात के राजा सिद्धराज  सोलंकी की इष्ट देवी भी रहीं हैं मां त्रिपुर सुंदरी। राजा मां की उपासना के बाद ही युद्ध  हेतु प्रयाण करते थे। 
कहा जाता है कि मालव नरेश जगदेश परमार ने मां के श्री चरणों में अपना शीश काटकर अर्पित कर दिया था। मां ने पुत्रवत जगदेश को पुनः जीवित कर दिया था।
मंदिर का जीर्णोद्धार तीसरी शती के आसपास चांदा भाई पंचाल ने करवाया था। मंदिर के समीप ही खाली स्थान है जहां पर किसी समय लोहे की खदान हुआ करती थी। किंवदंती के अनुसार एक दिन मां त्रिपुर सुंदरी खदान के द्वार पर पहुंची किंतु पांचालों ने उस तरफ ध्यान नहीं दिया। देवी ने खदान ध्वस्त कर दी जिससे कई लोग काल के ग्रास बने। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए पांचालों ने मंदिर और तालाब बनवाया। इस मंदिर का सोलहवीं शती में जीर्णोद्धार करवाया। इस मंदिर की देखभाल आज भी पंचाल समाज करता है। 

           मां त्रिपुर सुंदरी का फोटों



51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ यह भी है क्योंकि यहां सती के शरीर का एक अंग गिरा था।
मां त्रिपुर सुंदरी के गर्भ गृह में देवी की विविध आयुध से युक्त 18 भुजाओं वाली श्यामवर्णीय भव्य  और आकर्षक मूर्ति है इसके प्रभा मंडल में 9 से 10 छोटी मूर्तियां हैं जिन्हें दसमहाविद्या या नवदुर्गा कहा जाता है। मूर्ति के नीचे के भाग में संगमरमर की काले चमकीले पत्थर पर श्री यंत्र उत्कीर्ण हैं जिसका विशेष तांत्रिक महत्व है। सप्ताह के सातों दिन मां त्रिपुर सुंदरी को अलग-अलग रंग की पोशाकें पहनाई जाती हैं। नवरात्रि में प्रतिदिन मां त्रिपुर सुंदरी की नित नूतन श्रृंगार की मनोहारी झांकी बरबस मनमोह लेती है। नवरात्रि में मंदिर के प्रांगण में विशिष्ट कार्यक्रम होते हैं।
यहां देवी के सिद्ध उपासकों से चमत्कारों की गाथायें सुनने को मिलती हैं। चैत्र व शारदीय नवरात्रों पर भव्य दर्शन  करने लाखों लोग आते हैं। नवरात्रों पर  मेलों का आयोजन भी होता है।

     दर्शन करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी



   नवरात्र की अष्टमी पर यहां दर्शनार्थ पहुंचने वालों में गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और महाराष्ट्र के भी लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। बड़े -बड़े राजनेता अपना कार्य शुरु करने से पहले देवी के दर्शन करने आते हैं।
नवरात्रि की अष्टमी पर यज्ञ  होते हैं। नवरात्रि में युवतियां और युवक आकर्षक परिधानों में चित्ताकर्षक गरबे खेलते हैं। शरद पूर्णिमा पर भी गरबे खेले जाते हैं। जगतजननी मां त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ के कारण यहां की लोकसत्ता प्राणवंत ऊर्जावान और शक्ति संपन्न है। एक ही दिन में मां सुबह की बेला में कुमारी  दोपहर में योवना और शाम को प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं।वर्तमान में
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर के पुजारी निकुंज मोहन पंडया और प्रधान कांतिलाल पंचाल हैं।

   - प्रज्ञा गुप्ता
 बाँसवाड़ा - राजस्थान 
==================================


सूचना को ध्यान से पढें
*****************
       जय माता दी
      

              अपने आसपास के  मन्दिर
              ********************
           

     नवरात्र के शुभ अवसर पर " अपने आसपास के मन्दिर "  ई - पुस्तक तैयार हो रही है । जिसमें आप अपने गांव / शहर के विशिष्ट  मन्दिर का फोटों ( मन्दिर के प्रमुख गेट का पूरा फोटों व मन्दिर के अन्दर किसी भी देवी का फोटों ) व  मन्दिर के इतिहास पर लेख ( लेख में मन्दिर के पुजारी का नाम व मन्दिर के प्रधान का नाम अवश्य उल्लेख करें ) तैयार कर के WhatsApp ( 9355003609) पर भेजें ।  अपना फोटों , नाम व पता अवश्य भेजें । शामिल सभी लेख को डिजिटल सम्मान से सम्मानित किया जाऐगा ।

                          निवेदन
                      बीजेन्द्र जैमिनी
                    जैमिनी अकादमी
            पानीपत - 132103 हरियाणा
         WhatsApp No. 9355003609



Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )