डॉ. गंगाप्रसाद विमल



       डॉ. गंगाप्रसाद विमल

       डॉ॰ गंगा प्रसाद विमल हिन्दी साहित्य में अकहानी व अकविता आंदोलन  के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा विख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक के रूप में दुनियाभर में इन्हें ख्याति प्राप्त है। कई सरकारी सेवाओं से जुड़े रहकर, बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न इनका व्यक्तित्व बेहद विशाल है।

       इन का जन्म 3 जुलाई, 1939 को उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड में हुआ था। वे हिन्दी साहित्य के अकहानी और अकविता आंदोलन से भी संबद्ध रहे। पंजाब विश्वविद्यालय और उस्मानिया विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्राध्यापन के पेशे से संबद्ध हुए। बाद में केंद्रीय हिन्दी निदेशालय (शिक्षा विभाग) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वे भारतीय भाषा केन्द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए।

        इन के 12 से अधिक कविता और कहानी-संग्रह, 4 उपन्यास, अंग्रेज़ी में अनुवाद की 5 पुस्तकें, गद्य में हिन्दी अनुवाद की 3 पुस्तकें अन्य भाषाओं से अनुदित पुस्तकों में लगभग 15 पुस्तकें  शामिल हैं.हिंदी के ‘अकविता’ आंदोलन से संबद्ध रहे थे। ‘बोधि-वृक्ष’, ‘नो सूनर’, ‘इतना कुछ’, ‘सन्नाटे से मुठभेड़’, ‘मैं वहाँ हूँ’, ‘अलिखित-अदिखत’, ‘कुछ तो है’ उनके प्रमुख काव्य-संग्रह है। कविता के साथ ही उन्होंने गद्य की अन्य विधाओं—कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना, अनुवाद, संपादन—में योगदान किया है। ‘कोई शुरुआत’, ‘अतीत में कुछ’, ‘इधर-उधर’, ‘बाहर न भीतर’, ‘खोई हुई थाती’ उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। उनके उपन्यास ‘अपने से अलग’, ‘कहीं कुछ और’, ‘मरीचिका’, ‘मृगांतक’ शीर्षक से प्रकाशित हैं। ‘आज नहीं कल’ उनकी नाट्य-कृति है और ‘प्रेमचंद’, ‘समकालीन कहानी का रचना विधान’, ‘आधुनिकता: साहित्य का संदर्भ’ आलोचना-कृति है। उन्होंने संपादक के रूप में ‘अभिव्यक्ति’, ‘गजानन माधव मुक्तिबोध का रचना संसार’, ‘अज्ञेय का रचना संसार’, ‘लावा’ (अंग्रेजी), ‘आधुनिक कहानी’, ‘सर्वहारा के समूह गान’, ‘नागरी लिपि की वैज्ञानिकता’, ‘वाक्य विचार (उलत्सिफेरोव)’, आदि के संकलन में भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त वह अनुवाद के क्षेत्र में भी पर्याप्त सक्रिय रहे और ‘दूरांत यात्राएँ’ (एजिलाबोथा वाग्रयाना की कविताएँ), ‘पितृभूमिश्च’ (क्रिस्तो बोतेव की कविताएँ), ‘पर्वतों की वादियों के परे’ (एमिल्न्यान स्तानेव का उपन्यास), ‘हरा तोता’ (मिचियो ताकियामा का उपन्यास), ‘जन्मभूमि तथा अन्य कविताएँ’ (निकोला-व्पत्सारोव की कविताएँ), ‘उद्गम’ (कामेन काल्प्चेव का उपन्यास), ‘शाश्वत पंचांग’ (ल्यूबोमीर लेक्चेव की कविताएँ), ‘वनकथा’ (श्रेष्ठ बल्गारियाई कहानियाँ), ‘तमाम रात आगम’ (विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ), ‘मार्ग तथा अन्य कविताएँ’ (जर्मन डोगनबड्स की कविताएँ) आदि के रूप में योगदान दिया। 

        इन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जैमिनी अकादमी द्वारा  सम्मानित साहित्यकार है। इन का निधन 23 दिसम्बर 2019 को श्रीलंका में हुआ। 

                - बीजेन्द्र जैमिनी


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