वायरल IITian बाबा अभय सिंह को जानने का एक प्रयास
"वायरल IITian बाबा अभय सिंह" का जन्म गाँव सासरौली जिला झज्जर ( हरियाणा) में 03 मार्च 1990 को हुआ है। पिताजी वकील है। बहन कनाडा में रहती है। शिक्षा एयरोस्पेस इंजीनियरिंग आईआईटी मुम्बई है। दो ग्रलफ्रैंड रहीं हैं। एक के साथ चार साल व दूसरी के साथ दो महीने रहा है। कनाडा में बड़ी नौकरी छोड़ कर आध्यात्मिक के रास्ते पर चलना कोई छोटी बात नहीं है। प्रयागराज महाकुंभ मेला - 2025 में वायरल होने से, सभी का ध्यान केंद्रित किया। जिससे सभी के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि आखिरी ऐसा क्या हुआ है कि इतनी बड़ी नौकरी छोड़ कर आध्यात्मिक के क्षेत्र में भटक रहा है :-
आजकल आई आई टी वाले बाबा बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा, मानो कुंभ का केंद्र बिंदु वहीं हो। उसकी आधात्यम की बातें सुन सब आश्चर्य चकित हो रहें हैं पर उसके आंसू और मुस्कुराहट के पीछे का रहस्य कोई अंतरंग ही बता सकता है ।इसे सच्चाई की खोज करने वाला वजूद समझे या सच्चाईयों से पलायन । कुछ बातें तो तर्कसंगत हैं पर कुछ विवादास्पद । मैं तो इसे एक जीनीयस की मौत ही समझता हूँ।
- सेवा सदन प्रसाद
मुंबई - महाराष्ट्र
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
अभय सिंह हैं आखिर इंसान ही क्या करते वो घर से प्रताड़ित होते रहे सब देखते रहे फिर पढ़ाई में आगे आगे बढ़ते रहे और दिल पर चोट छुपाये रहे दोस्तों गर्लफ्रेंड भी धोखेवाज ऐसे में कैसे वो अपने को सम्हाले रहे नौकरी में अच्छि खासा पैसा क्या कमीं, लेकिन बचपन जो देखा बहन मां को दुखी तो उन्हें लगा शायद भगवान ही सब कुछ और भक्ति में लगे अब चाहे कोई कुछ भी कहे। ऐसे हैं बाबा आई आई टी अभय सिंह
- राजकुमारी रैकवार राज
जबलपुर - मध्यप्रदेश
अभय सिंह उर्फ आई आई टी बाबा जी महाकुंभ में बहुत चर्चित हुए हैं जो मूलरूप से हरियाणा के निवासी हैं, जिन्होंने आई आईटी बाम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है, और एक अच्छे पैकेज को भी ठुकरा कर सत्य व ज्ञान की खोज की राह अपनाने का प्रयास किया है, सोचने की बात यह है कि एक इतने होनहार इंसान को एक ऐसा मोड़ क्यों आया इसका मूल कारण क्या रहा होगा, किन परिस्थितियों ने अभय जी को इन रास्तों पर चलने को मजबूर किया अगर इन सारी बातों पर सवाल उठाये जायें तो ऐसा महसूस होता है कि अभय सिंह अपने बचपन से ही कुछ ऐसी परिस्थितियों से गुजरें हैं जिन्होंने उन्हें मोह माया के बन्धन से मुक्त करवाने पर मजबूर कर दिया चाहे वो माता पिता के झगड़े हों या मानसिक पीड़ा की बात हो या बच्चे की आज़ादी छीनने के हक की बात हो जिनका जिक्र अभय सिंह हमेशा करते आ रहे हैं कि उनपर आई ए एस पास करने तक का जोर लगाया गया लेकिन उनका मन कहीं और ही था बात कुछ भी हो लेकिन अनके जीवन शैली से पता चलता है कि मां बाप को अपने बच्चों को कभी भी स्टृैस से नहीं पढ़ाना चाहिए व उनको आजाद हो कर अपनी चाहत के विषय को चुनने का हक देना चाहिए ताकि वो अपने विषयों का आनंद पूर्वक लाभ उठा सकें, अभय सिंह जिस तरह की बातचीत कर रहे हैं उससे सावित होता है कि वो अपने हित के लिए ही नहीं बल्कि समूचे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरे हैं, उनके मुताबिक आत्मा ही मात्र सच्चे ज्ञान और शान्ति का मार्ग है, उनके कहने के मुताबिक रूकना, फंसना, उलझना ही इंसान को नुक्सान दे सकते है तथा पीछे धकेलने का कार्य करते हैं इनके अतिरिक्त व्यक्ति स्वतंत्र हो जाता है, देखा जाए अभय सिंह भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर निकल चुके हैं और उनकी बहुत सी बातें प्ररेणा के स्रोत हैं, अगर वो नशे को त्याग कर इसी राह पर चलते रहे तो लोग लोभ, मोह अंहकार से दूर होकर अच्छे कर्मो को अपना सकते हैं जिससे लोग जागरूक हो सकते हैं कि एक जीनियस व्यक्ति जिस राह पर चले वोही राह लाभकारी हो सकती है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
आई आई टी की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छी पैकेज वाली नौकरी पाने के बाद भी जिज्ञासा का समाधान खोजने वाला व्यक्ति दुनिया वालों के लिए न साधू रहा न सन्त बल्कि एक बाबा बन गया इसमें अभय सिंह की गलती नहीं है ये कुछ साधारण समझ रखने वाले जनों के लिए बाबा है और बहुत बुद्धिमान समझने वाले जनों के लिए कौतूहलपूर्ण iitian बाबा । विषय गंभीर है जानने समझने की बात है हर एक व्यक्ति की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति होती है और जीवन में उसे जाने ये कर्तव्य, अपनी स्वतंत्रता की पहचान करना कोई ग़लत कार्य तो नही है ये तो जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह कौन है ये जाने, आई आई टी की पढ़ाई करने के बाद और तो और वह भी स्पेस के बारे जानने के बाद अगर मन शांत न हो तो निश्चित ही और क्या है और कुछ भी है का भाव मन में उठना स्वाभाविक है और वह ही शायद अभय सिंह को अनन्त के बारे में जानकारी के लिए विवश कर रहा होगा जिसके लिए बाबाओं वाली पढ़ाई पढ़ने के लिए स्वयं को तैयार करना ही वर्तमान रूप स्वरूप धारण करना पड़ा होगा । अभय सिंह की वास्तविक मनोदशा को तो अभय सिंह ही जान सकते हैं हम सब के पास केवल सामान्य दृष्टिकोण होता है जिस कारण हम कुछ अलग दिखने वाले वेशभूषा धारी जनों के लिए बाबा जैसे संबोधन करते हैं और उनके प्रति मन में अवधारणा भी बना लेते हैं । मानव चेतना का स्तर किसी डिग्री जो स्कूल कॉलेज में दाख़िला लेने के बाद मिल जाती है के आधीन नहीं रहती यह तो अलग-अलग स्तरों पर निर्भर करती है न कि किसी स्कूली शिक्षा पर, आई आईटी की डिग्री हासिल करने के बाद अभय सिंह चेतना के उच्च स्तर को जानने के लिए अपने सोचने समझने के नज़रिये को बदल कर बात करते हुए देखे गए उन्होंने ये कहा कि मुझे साधू महात्मा या बाबा कहकर पुकारो अपनी बात को सहजता से कहते हुए सरलता से रहते हैं । अपने घर माँ बाप को त्याग कर अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए अपने भूतकाल में किए गए बहुत से क्रिया कलापो को भूलकर नए तरीक़े से जीने की कोशिश करने के बाद जीवन में बदलाव स्वाभाविक है और यह पहली बार अभय सिंह के जीवन में ही नहीं देखा गया इसके लिए बुद्ध और महावीर के साथ भी देखा जा सकता है । ये बाहर से अन्दर की नीचे से उपर की ओर बढ़ने की यात्रा है मैं कौन हूँ को जानने की यात्रा है और यह तब ही संभव है जब आई आईटी जैसी पढ़ाई पढ़ने के बाद भी कुछ ऐसे प्रश्नों का उत्तर जब न मिले तो अभय सिंह से बाबा बनकर ही जीवन जीने की राह आसान लगने लगती है । बुराई भी क्या है स्वतंत्र चेतना का मालिक बनकर भी व्यक्ति जाने अनजाने किसी न किसी रूप परतंत्र होकर ही जीवन जीता है अभय सिंह ने परतंत्रता से स्वतंत्रता की दिशा में कदम बढ़ा दिया है । अपने जीवन की गुणवत्ता को निखारने व परखने का अभय सिंह जैसा अवसर किसी को मिले तो बिना किसी छल प्रपंच के अवश्य ही प्रयोग में लाना चाहिए ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
आज लोग महाकुंभ की बातें कम और अभय सिंह की चर्चा ज्यादा कर रहे हैं प्रतियोगिता के इस युग में अभिभावकों की महत्वाकांक्षा इतनी तीव्र हो गई है कि माता पिता अपने संतान की मर्जी जाने बगैर उसपर वो भविष्य थोप देते हैं जो वो हासिल नहीं कर पाए.अपवादों को छोड़कर ये हर घर की कहानी है.अभय सिंह भी इसी थोपी हुई कुप्रथा का शिकार हो गया.एक होनहार छात्र , वो पढ़ तो गया जो उसे पढ़ने के लिए कहा गया , और उम्मीदों पर खरा उतर तो गया , पर उसका मन नहीं स्थिर हुआ.आमतौर पर लोग इस कामयाबी तक पहुंच कर अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं पर वह के नहीं पाया.आज वह स्क्वाश का अर्जुन पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी व इंजीनियरिंग का होनहार छात्र कुंभ में अपने दिल के ज़ख्मों को छिपा नहीं पा रहा है.सफलता की सीमाओं को छूकर भी हालातों से बगावत करनेवाला अभय उन सभी अभिभावकों के लिए ज्वलंत चेतावनी है कि अगर बच्चों के साथ जबरदस्ती करेंगे तो घर घर से अभय सदृश अन्य छात्र भी मेलों में घूमते नजर आएंगे, ज़ख्मों को छुपाकर ज्ञान बांटते हुए !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
"वायरल IITian बाबा अभय सिंह" एक रोचक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, जो तकनीकी शिक्षा और आध्यात्मिकता के समन्वय का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। एक प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन्यास और समाजसेवा की ओर उनका झुकाव यह दर्शाता है कि ज्ञान केवल कैरियर निर्माण तक सीमित नहीं होता, बल्कि समाज के कल्याण का भी माध्यम बन सकता है। उनकी लोकप्रियता इस बात को भी दर्शाती है कि लोग केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता से भी आकर्षित होते हैं। आधुनिक समय में, जहां युवा करियर और व्यक्तिगत उपलब्धियों की दौड़ में व्यस्त हैं, बाबा अभय सिंह जैसे व्यक्तित्व एक नई दिशा दिखाते हैं कि जीवन केवल भौतिक सफलता तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि आत्मिक उत्थान, राष्ट्रीयता और समाजसेवा की ओर अपने मौलिक कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाते हुए भी ध्यान देना चाहिए।
- इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) जम्मू और कश्मीर
महाकुंभ प्रयागराज में चर्चित हुए आईटियन बाबा अभय सिंह की बातें तर्क और विज्ञान की कसौटी पर कसा आध्यात्मिक चिंतन है।हम यह भी कह सकते हैं कि अध्यात्म की कसौटी पर खरे वैज्ञानिक और तार्किक । चिंतन के धनी बाबा अभय सिंह प्रतिभावान युवा संत हैं। जिनका चिंतन बहुआयामी है। यूं तो उनको लेकर तरह तरह की चर्चाएं होती रही है, लेकिन हमने उनके जो भी विचार इन दिनों यू ट्यूब पर विभिन्न चैनल्स पर सुनें हैं उनके आलोक कह सकते हैं कि भविष्य में बाबा अभय सिंह विश्व पटल पर अपनी ओर सभी का ध्यानाकर्षण करते हुए अध्यात्म क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान बनाएंगे।
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