लोगों का पेट दर्द
सिद्धेश्वर , पटना - बिहार का WhatsApp आज (10 फरवरी 2025) सुबह आया है। जिसमें कुछ फोटो है। जो बलराम अग्रवाल के Facebook account के है। जिसमें जैमिनी अकादमी के 04 अक्टूबर 2002 रामवृक्ष बेनीपुरी जन्मशताब्दी समारोह से सम्बन्धित है। जिस पर बलराम अग्रवाल ( दिल्ली) के कुछ मित्रों ने टिप्पणी कर रखी है। इन का जबाब देना चाहिए : -
1. समाज में दो तरह के आदमी होतें है। एक तो काम करने वाले होते हैं। दुसरे जो काम करना, जानते ही नही है। ये लोग, काम करने वाले पर कीचड़ उछालने का काम करते है। उन में से बलराम अग्रवाल है।
2. बलराम अग्रवाल, मेरे किसी भी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं रहें है। फिर आलोचना किस आधार पर कर रहे है? बात स्पष्ट है कि मैने पुस्तक पढ़ी नहीं है और पुस्तक की समीक्षा यानि आलोचना कर रहा हूँ।
3. क्या किसी विद्वान यानि साहित्यकार की जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन नहीं करना चाहिए?
4. क्या सौ - सौ, दो सौ - दो सौ रूपये एकत्रित कर के कार्यक्रम करना अपराध है? हमने एकत्रित कर के कार्यक्रम कर के दिखाये हैं।
5. क्या सिद्धेश्वर (पटना - बिहार) ने कभी कोई सम्मान प्राप्त नहीं किया है? फिर अन्य किसी को सम्मान मिलें तो विरोध क्यों करते हैं ?
रही बात " रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी समारोह " की, लगभग 22 साल बाद भी समारोह की चर्चा हो रही है। इस से स्पष्ट है कि समारोह सफल रहा है। इस समारोह पर पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी। जिस का विमोचन (29 जून 2003) राजस्थान के राज्यपाल श्री रमेश जैन ने किया था।
बलराम अग्रवाल कितना डरपोक आदमी है? जिसने अपने फेसबुक पर पोस्ट डालने के बाद, लगभग आठ - नौ घण्टे के बाद पोस्ट को एडिट कर के " प्रतिलिपि " की पोस्ट में बदल दिया है। यानि पोस्ट के सबूत नष्ट कर दियें। परन्तु सिद्धेश्वर (पटना - बिहार)ने स्क्रीन फोटो लेकर अपने फेसबुक पर भी पोस्ट कियें तथा मुझे भी WhatsApp के माध्यम से भेजें दियें हैं।
एक दिलचस्प बात बताना चाहूंगा कि प्रसिद्ध लघुकथाकार श्री जगदीश कश्यप ( गाजियाबाद) जी ने कहा था कि बलराम अग्रवाल को लघुकथा लिखना छोड़ देना चाहिए। इससे लघुकथा साहित्य का बहुत अधिक भला होगा। ये वो व्यक्ति है।
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