गोपाल गणेश आगरकर स्मृति सम्मान - 2025

      बिल्कुल सही बात है हमें भविष्य में क्या होगा बिल्कुल पता नहीं होता और अतीत में हम जी नहीं सकते और मर भी नहीं सकते। इसलिए जीना है तो इसी वर्तमान में ख़ुश रहकर जीना होगा. अगर किसी की मृत्यु हो गई तो दूसरे बचे लोगों के लिए जिंदा रहना पड़ेगा। कोई बीमारी हो जाए तब भी उसी स्थिति में अपना ध्यान रखना पड़ेगा। इसलिए वर्तमान में जीना है तो खुशी से जीना चाहिए. यही जिंदा दिल इंसान की पहचान है। क्योंकि भविष्य का हमें पता नहीं होता और अतीत याद रखने का मतलब नहीं।

 - अर्चना मिश्र

भोपाल - मध्यप्रदेश 

    भविष्य अनमोल धरोहर है अतीत के गुजरे अच्छी यादें लेकर वर्तमान में जीना है 

किसने क्या बुरा किया ,

क्या अच्छा किया 

क्या अच्छा नही किया

क्या अच्छा होगा नई पीढ़ियों को आगाह करना वर्तमान को सलाह आदेश नही प्रेम भरपुर चाहिए अपने उसके वर्तमान के लिय हम अच्छे तो जग अच्छा और जग अच्छा तो हम अच्छे 💐🙏🙏

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

     हमारा भविष्य हो या अतीत उसका जनक हमारा वर्तमान ही होता है। हमारे वर्तमान का जो भी है, वह  अतीत में मधुर अथवा कटु स्मृतियों में ढलकर हमारे दिलो-दिमाग में धरोहर बनकर रह जाएगा, जिसे हम गाहे-बगाहे याद करते रहेंगे। ऐसा ही हमारा भविष्य है, उसके लिए हमने आज भले ही ख्वाब सजाए हैं। एक समय ऐसा भी आएगा कि वह वर्तमान बनकर हमारे पास...हमारे साथ होगा। हो सकता है जो ख्वाब हमने सजाए थे, वर्तमान भी ठीक वैसा ही हो या उससे बिल्कुल अलग हो या कुछ अलग हो, कुछ  ख्वाब जैसा ही। आशय यह है कि हम भविष्य के ख्वाब ही देख सकते हैं, कैसा होगा?   यह भविष्यवाणी नहीं कर सकते। हाँ, भविष्य के लिए वैकल्पिक तैयारी की जा सकती है। हम ऐसे ही अतीत के बारे में सोच सकते हैं। जो बीत गया सो बीत गया। अब उसे बदला नहीं जा सकता। यानी जो कुछ भी है, हमारे पास यह वर्तमान ही है। यही हमारे भविष्य और अतीत की कड़ी है।वर्तमान के अनुभव, हमारा अतीत बनकर , भविष्य के लिए संबल बनेगा, यही सीढी बनकर हमारे भविष्य को सहज और सरल करेगा। अत: संक्षिप्त:  वर्तमान ही हमारी सबसे बड़ी संपदा है,अवसर है। यह बेशकीमती है। इस वर्तमान में हमें स्वयं का भी ध्यान रखना है और औरों का भी। क्योंकि जीवन अकेले नहीं जिया जा सकता। औरों का सहयोग तो लेना ही पड़ता है। इसलिए  परस्पर हममें सौहार्द्रता रहेगी, प्रेम और विश्वास रहेगा, निश्चलता और निश्छलता रहेगी तो हमारा जीवन-संघर्ष कम रहेगा,आसान रहेगा। जीवन का भी यही सूत्र है। जो इस मर्म को समझ गया, वही सिकंदर।

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

 गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

    जीवन न भविष्य में है न ही अतीत में  है । वर्तमान में है । जो वक्त भविष्य का आया ही नहीँ है या फिर आ भी नहीं  सकता है क्योंकि मौत किस वक्त आएगी किसी को यह रहस्य किसी को नहीं मालूम है  और जो वक्त बीत गया तो इन दोनों काल में जीवन नहीं है। जीवटता आज यानी वर्तमान में है। जो भी काम करना है उसे आज करें । कल पर नहीं टालो।  क्योंकि कल का भरोसा नहीं है। गीता में प्रभु श्री कृष्ण ने यही बात का संदेश दिया। जो इंसान आज में जीवन जीता है , वही सुखी , समृद्ध है। मैं आज में जीती हूँ। संत कबीर ने कहा - कल करे सो आज कर , आज करे सो अब।

- डॉ मंजु गुप्ता

 मुंबई - महाराष्ट्र 

      जीवन न तो भविष्य के लिए सोचते-सोचते, वर्तमान को नष्ट करने में है। न ही अतीत में यदि भविष्य है तो सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में है। इस विषय पर इतना कहना चाहता हूं कि भूत-भूत है। उसके बारे में यदि सोचेंगे विचार करेंगे तो सिर्फ एक ही उद्देश्य लकीर पीटने की पूर्ति होगी। भूतकाल में, जिसे हम अतीत कहते हैं। किसी से या स्वयं से गलती हुई हो तो उससे केवल शिक्षा ले सकते हैं कि भविष्य में वैसी गलती न दोहराई जाए। जिससे  अपना या किसी और का अहित हो जाए। भविष्य एक रहस्य है। जिसका किसी को भी पता नहीं। हां आशावादी होने के नाते एक साकारात्मक दृष्टिकोण उसके प्रति होना बहुत जरूरी है। कि जो होगा, बहुत अच्छा होगा और अच्छे के लिए होगा। जीवन यदि जीना है ? तो वह वर्तमान में ही जिया जा सकता है।यह आपके हाथ में है। जो पल अभी है, वही जीवन है। यदि वर्तमान को भूतकाल यानी अतीत के उन पलों के बारे में जो हमने अच्छे बुरे व्यतीत किए हैं। उन्हीं के बारे में सोचते रहे तो हम वर्तमान को खो देंगे। जो कि वास्तव में जीवन है। अभी जो पल है वह पल थोड़ी देर बाद नहीं होगा। इसे हंसी और खुशी, किसी और की भलाई के लिए या अपने अच्छे के लिए तथा अपने समाज और देश के प्रति कर्तव्यों के लिए जिओ। वास्तव में इसी से जीवन को सार्थकता प्रदान की जा सकती है। जीवन का उद्देश्य भी यही है। पेट तो हर कोई भर लेता है, लेकिन अपना पेट भरना ही जीवन का उद्देश्य नहीं है। हमारी आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक किसी भी प्रकार की हैसियत क्यों न हो लेकिन उसके स्तर के बारे में न सोचकर जो आपके पास सीमित या असीमित संसाधन हैं । उनसे वर्तमान को कैसे सही ढंग से अपने और अपनों के लिए या समाज और देश के लिए दिया जाए यही जीवन की सार्थकता है। भविष्य जिसे मैंने पहले भी कहा कि वह एक रहस्य है। उसके बारे में क्यों व्यर्थ की चिंता करें और वर्तमान पलों को, उसके सोचने में क्यों गंवाएं। क्योंकि हमारे सोचने से कोई अच्छा नहीं होगा। हां यह बात ठीक है कि भविष्य को अच्छा बनाने के लिए हमारे वर्तमान में किए गए, मेहनत और ईमानदारी और नेक नियतिसे प्रयास किए  जाने चाहिए। तभी हमारा भविष्य उज्जवल और सार्थक होगा। लेकिन किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में हम वर्तमान के पलों को तो बर्बाद करते ही हैं। भविष्य के लिए भी कोई सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते। इसलिए मेरा मत है कि जो वर्तमान के पल हैं, उन्हें जितने साकारात्मक दृष्टिकोण और आनंदमय ढंग से जी लें, हालात चाहे जैसे भी मर्जी हों उन्हें अपनी सोच से अपने अनुकूल बनाते हुए। भविष्य के बारे में कि- जैसे रात के बाद दिन आता है सूर्य की किरणें जीवन में नई आशाएं लेकर आती हैं। जीवन में कोई भी बुरा समय और बुरी परिस्थितियां कभी नहीं रहती। रात के बाद उजाला होता है। इसलिए वर्तमान के पलों को सदैव उमंग- तरंग और उल्लास के साथ जिएं। यही वास्तविक जीवन है और इसी में जीवन की सार्थकता है।

- डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर 

विलासपुर - हिमाचल प्रदेश


Comments

  1. ओशो कहते हैं हर दिन को अंतिम दिन मानकर जियो। जो समय बीत गया, उसको याद करने से कोई फायदा नहीं और जो पल आने वाला है उसके लिए चिंतित होकर जीने से अच्छा है, आज में जीयो।🙏
    - प्रेम लता सिंह
    पटना - बिहार
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  2. अतीत से सबक ले
    भविष्य की योजना बनायें
    लेकिन जीवन का आनंद वर्तमान में लें
    - डॉ ऋतु अग्रवाल
    मेरठ - उत्तर प्रदेश
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  3. जो है यही पल है और इस पल को व्यर्थ गँवाने में नहीं गुजरने देना है यह मेरा सदैव का लक्ष्य है। अगला पल कल का पल मोह ग्रस्त करता है : जीवन सिर्फ वर्त्तमान में ही होता है-
    - विभा रानी श्रीवास्तव
    पटना - बिहार
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  4. शत प्रतिशत सत्य वचन व कथन है ये ,....जीवन मैं भविष्य की चिंता करते हुए और भविष्य के बारे में सोचकर समय गंवा देते हैं लोग व कुछ लोग अतीत को याद करके गंवा देते हैं कुछ लोग !!
    इस प्रक्रिया में वे इस बात से अंजान होते हैं कि वे अपना कीमती वर्तमान खो रहे है !
    भविष्य व अतीत मैं खोने के बजाय वर्तमान में जीना सर्वोत्तम है क्योंकि गुजरे हुए लम्हे कभी लौटकर नहीं आते !!
    - नंदिता बाली
    हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  5. अतीत स्मृतियों में रहता है और भविष्य गढ़ना पड़ता है, वर्तमान में जीते हुए सत्कर्मों से भविष्य बनता है इसी से वर्तमान ही जीवन है और यह केवल हमारे ही हाथ में है।
    - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून, उत्तराखंड
    (WhatsApp से साभार )

    ReplyDelete
  6. जीवन सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में ही जीना चाहिए, हाँ अतीत की यादों का पिटारा साथ में चलता है, पर उनसे सीख लेते हुए, जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहें। भविष्य का तो पता नहीं होता कि क्या होने वाला है। इससे यही सही है कि जो है वर्तमान में ही है। इसलिए खुश रहें, मस्त रहें। समय के साथ चलते हुए वर्तमान में ही जियो।
    - रश्मि पाण्डेय शुभि
    जबलपुर - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

    ReplyDelete
  7. बिल्कुल सही
    अतीत में जो हुआ वह पीछे छूट गया
    भविष्य का कुछ पता नहीं क्या होगा?
    था और होगा के चक्कर में
    क्यों करें वर्तमान को खराब?
    इसलिए आज़ को खुश होकर जियो
    जिंदगी एक बार मिलती है बार -बार नहीं।
    - नूतन गर्ग (दिल्ली)
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी