गिरधारी लाल डोगरा स्मृति सम्मान - 2025

      जैमिनी अकादमी द्वारा चर्चा - परिचर्चा का प्रमुख विषय भरोसा रखा गया है। जो विषय सदाबहार भी कहा जाता है। लेकिन समय के अनुसार विषय की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। इसलिए वर्तमान में आये विचारों को पेश किया गया है : -

     जी सही कहा आपने कि भरोसा बहुत सोच समझ कर करना चाहिए लेकिन यह जीवन है और जीवन को आगे बढ़ाने के लिए हमें भरोसा करना ही पड़ता है बिना भरोसे, जिंदगी नहीं चल सकती और भरोसे से ही सारे काम भी होते हैं लेकिन यह भी सत्य है कि जो भरोसा तोड़े उसे दोस्ती नहीं रखनी चाहिए उसको की तरफ देखना भी नहीं चाहिए हम सभी लोगों के अंदर कुछ ना कुछ बुराई छिपी हुई है किसी में ज्यादा और किसी में काम जहां तक रही भरोसे की बात तो भरोसा अपनों पर किया जाता है और यदि वह भरोसा टूटा है तो बहुत तकलीफ होती है अंधेरा छा  जाता है तो फिर हमने  पलट कर उसकी तरफ नहीं देखना है।

- अलका पांडेय 

मुंबई - महाराष्ट्र 

" भरोसा बहुत सोच-समझकर करना चाहिए " ऐसा सभी अच्छी तरह समझते हैं, परंतु भरोसा तोड़ने वाले इतने स्वार्थी और  निर्मम होने के साथ-साथ इतने चतुर होते है कि वे अपनी बातों और अन्य तरीकों से दिल जीतकर, भरोसा बना ही लेते है और अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल हो ही जाते हैं। नुकसान तो भरोसा करने वाले का होता है। यह इतना संवेदनशील और पेचीदा मामला है कि हम यदि किसी पर भरोसा न करें तो जो वास्तव में भरोसे वाला होता है, उसे बुरा लग जाता है।  खैर, स्थिति कोई भी हों, हमें साहस और दृढ़ता से अपनेआप पर नियंत्रण रखते हुए,भरोसा सोच समझकर ही करना चाहिए। तभी हम अप्रिय स्थिति से बचाव कर सकते हैं। दूसरी बात यह भी सही है कि भरोसे तोड़ने वाले से फिर कोई संबंध रखना तो दूर, उसकी ओर देखना भी नहीं चाहिए। मेरे मतानुसार तो  इसके अलावा उसके भरोसे तोड़ने वाले कृत्य का प्रचार-प्रसार भी करना चाहिए ताकि वह अन्य के साथ भी ऐसा न कर पाए। ्

- नरेन्द्र श्रीवास्तव

 गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       इस सृष्टि में हर घटना, हर संबंध, हर   कर्म पूर्व निश्चित तो हैं ही साथ ही उसका समय भीं पूर्व निर्धारित है l इसीलिए जिन्हें हम जानते तक नहीं वे भीं, जड़ यह चेतन, हमारे सम्पर्क में आ ही जाते हैं और समय आने तक वहीं कर्म किए जाते है जो उनके परिणाम का कारण होता है l कभी कभी हम बिना किसी इरादे के सुदूरवासी लोगों के सम्पर्क में आते है और स्वदेशीय लोगों से अधिक भरोसा कर बैठते है l ऐसे लोग कभी स्वदेशीय से अधिक भरोसेमंद दिखाई पड़ते है तो कभी विनाश या कष्टकारी परिस्थितियों का कारण भीं l भरोसा या विश्वास एक अंतरमुखी अहसास है जिसके पात्र का निर्णय भीं आंतरिक चेतना ही लेती है l भरोसा  कभी अन्य प्राणी की प्रवृत्ति व व्यवहार पर भीं निर्भर करता है तो कभी उसके कर्म पर l एक अपराधी  परइसलिये भरोसा कर लिया जाता है क्योंकि उसने आपने कर्म से किसी की जान बचाई या किसी के बुरे समय में किसी का साथ दिया l एक हिंसक जानवर पर इसलिये भरोसा कर लिया जाता है क्योंकि उसके सामने होते हुए भीं उसने किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाई l लेकिन एक साधारण आदमी पर इसलिए भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमे अनुशासन की कमी है, उसकी विचारधारा शुद्ध नहीं है l उसकी कथनी व करनी में जमीन आसमान का अंतर है l

 - सुशीला जोशी 

मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश 

   यहां अच्छे और गलत स्वभाव के लोग सदा ही रहे हैं और हम अकेले सम्पूर्ण नहीं हो सकते, हमें एक दूसरे पर निर्भर होना ही पड़ता है और ऐसी स्थिति में अच्छे लोग भी मिलते है और गलत भी तब यदि किसी ने हमारा भरोसा तोड़ा है उस  स्थिति में हमें क्या करना है यह बात मुख्य है। हमें किसी के एक बार के भरोसे को तोड़ने से उसके प्रति गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए क्योंकि यहां कारण कुछ भी हो सकता है जैसे कि विपरीत परिस्थिति आदि ..पर फिर दुबारा ऐसा हो तो उनसे थोड़ा दूरी बना लें क्योंकि यदि यह स्वभाव वश  है तो किसी के स्वभाव को बदला नहीं जा सकता और हमें भी अपनी कोमलता को बनाए रखना है न कि उनके जैसा बनना है

- ममता श्रवण अग्रवाल

   सतना - मध्य प्रदेश

    कितना भी सोच-समझ कर भरोसा किया जाए : भरोसा टूटना होगा तो टूट ही जाएगा : भरोसा टूटना दूसरे की फ़ितरत पर निर्भर करता है : जैसी परवरिश-जैसे परिवेश मिले रहते हैं उस पर दूसरे के संस्कार बने होते हैं…! अब रही बात जो भरोसा तोड़े उसकी ओर देखना या नहीं देखना : दूसरे की जो फ़ितरत वह वैसा काम किया हमारी फ़ितरत क्षमा करने वाली होनी चाहिए : वैसे भी काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है : कोई धोखा एक बार ही दे सकता है : भरोसा एक बार ही टूट सकता है : लेकिन दुश्मनी रख हम ख़ुद को ही यातना में रखते हैं- हमारी शिक्षा साधु और बिच्छु की कहानी से मिली हुई है

- विभा रानी श्रीवास्तव 

  पटना - बिहार 

    कहते हैं कि भरोसे पर संसार टिका है। जीवन के क्षण प्रतिक्षण हमें कहीं ना कहीं किसी न किसी के ऊपर भरोसा- विश्वास रखना ही पड़ता है या यूं कहें की कई लोग हमारे ऊपर भरोसा करके अपना काम निकालते हैं। बात रही भरोसा सोच समझ के करने की तो बात तो सही है, भरोसा सोच समझ कर ही किया जाना चाहिए। कई काम ऐसे होते हैं जब ना चाहते हुए भी भरोसा करना जरूरी होता है। कहते हैं कि कुछ भरोसे भगवान भरोसे भी करना पड़ते हैं उसके परिणाम अच्छे या बुरे हो सकते हैं। जो भरोसा तोड़े उसकी ओर देखना भी नहीं चाहिए इस बात से मैं असहमत हूं। संबंध तोड़ने के बजाय उस भरोसे से दूरी बनाकर सामान्य संबंध बनाए रखना ज्यादा उचित होगा।

 - रविंद्र जैन रूपम

    धार - मध्य प्रदेश

    विश्वास कहें या भरोसा ये कभी देख समझ कर हम नहीं करते,ये एक अहसास है और ये भी सच है कि लोग कितने भी धोखा खाएं बिना विश्वास के जीवन जीना मुश्किल है। कभी-कभी तो अपने भी धोखा दे जाते हैं और अपनो का दिया धोखा ताउम्र याद रहता है, दूसरों के दिए धोखे में हम उनको पराये कहकर संतोष भी कर लेते हैं, लेकिन अपने तो हमें अच्छी तरह जानते हैं इसलिए उनका धोखा ज्यादा भयानक होता है और आज-कल तो कितने भी भरोसे वाला हो जाने कब किस मोड़ पर अपना रंग बदल लें।आज समाज में बढ़ते अपराध का कारण भी, भरोसा टूटना है। नहीं तो पहले तो दादी परदादी से सुनी थी कि चोर -डकैतों भी अपने नियम -उसूल होते थे डकैती करने के पहले वो जिस गांव में डकैती करने वाले हैं वहां पहले पत्र भिजवाते जिनमें दिन, तारीख,समय लिखा होता था और वो समय पर हाजिर हो जाते! लेकिन आज तो अपने सगे भी बातों से कब मुकर जाएं किसी को नहीं पता!अब तो संतानों से सबसे ज्यादा धोखा खाते हैं लोग!जब माता-पिता नहीं बख्शते, उनके विश्वासों की धज्जियां उड़ाने में देरी नहीं करते तो गैरों की विसात क्या? गौर करने वाली बात ये है कि किसी भी रिश्ते की नीव विश्वास पर ही टिकी होती है,आज परिवार में भी भरोसे की नींव हिल गई है, और परिवार भी बिखरता जा रहा है और जब परिवार बिखरें तो फिर समाज का क्या? विश्वास एक ऐसा नींव है जिस पर देश, समाज, खुशी,सुख का महल खड़ा है और धरती से अगर विश्वास उठ गया तो कुछ नहीं बचेगा। ईश्वर भी हमसे,विश्वास के अहसास से जुड़े हैं।जीवन को सफल -सुगम और सहजता से जीने के लिए "विश्वास, भरोसे का जीवन में होना अति आवश्यक है।

  - रेणु झा रेणुका

 रांची - झारखंड 

    सरल, सहज और निश्छल व्यक्ति भरोसा कर लेता है क्योंकि उसको लगता है कि सारी दुनिया उस जैसी ही है। इसमें शिक्षा, पद जैसी बात बीच में नहीं आती है। भरोसा एक बार तोड़कर अपनी छवि इंसान सदा के लिए धूमिल कर लेता है। क्षमा हम भले ही कर दें लेकिन भरोसा कभी न करें। यह काम घर, बाहर कोई भी कर सकता है। एक ही परिवेश में पले बच्चों में दो तरह के भी हो सकते हैं।

 - रेखा श्रीवास्तव 

 कानपुर - उत्तर प्रदेश 

    भरोसा एक ऐसा शब्द है जो अपनत्व का एहसास दिलाता है।कहते हैं ना भरोसे पर दुनिया क़ायम है। हमें सोच समझकर ही किसी पर या कभी कभार रिश्तों के महत्व को ऊपर रखकर अपनों पर विश्वास या भरोसा करना ही  चाहिए ।इंसान ऐसा प्राणी है जो स्नेह वश बेज़ुबानों पर भी आँख मूंदकर भरोसा कर लेता है। भरोसे पर ही जीवन की गाड़ी चाहें माँ -बाप हो पति -पत्नी,भाई -बहन या घर के सेवक ही क्यों ना हो संसार की गाड़ी चलती है। किंतु यह सत्य है जब भरोसे के आड़ में छल या स्वार्थ अंकुरित होता है।तब यथार्थ का सामना करना मुश्किल हो जाता है और हम विचलित होकर उस परिस्थिति में संबंधित रिश्ते से संबंध विच्छेद कर लेते हैं। कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि हम कानून को भी हाथ में ले लेते हैं। जिसका ख़ामियाज़ा जीवन पर्यंत भुगतना पड़ता है।अत: भरोसा करें पर अति नहीं और यदि टूटा तो राम राम।

 - सविता गुप्ता

  राँची - झारखंड

     भरोसे की बात चलने पर लोग अक्सर यह कहने लगते हैं कि ये दुनिया भरोसे के काबिल नहीं रही। लेकिन यह कहने भर से अपना पल्ला झाड़ लेना अच्छी बात नहीं है। और यह बहुत बड़ी सच्चाई है कि हर कदम पर मनुष्य को दूसरे मनुष्य पर भरोसा करना ही पड़ता है। यहाँ बाबा भारती का प्रेरक प्रसंग बरबस याद आ गया। जब अपाहिज बनकर रास्ते में खड़कसिंह ने उनसे घोड़ा पर बिठाने की याचना की थी। और बाद में उनका घोड़ा लेकर जाने लगा तो बाबा भारती जी ने कहा- कि यह बात किसी से कहना नहीं वरना लोग अपाहिजों पर भरोसा करना बंद कर देंगे। बाबा भारती की इस बात को सोचकर डाकू खड़कसिंह रात को चुपचाप उनका घोड़ा अस्तबल में  बाँधकर चला गया था। इसलिए यह भी उतना ही सच है कि यह सँसार भरोसे पर ही चल रहा है

- अरविंद मिश्र

भोपाल - मध्यप्रदेश

       भरोसा बहुत सोच समझ करना चाहिए,इन साँसों का क्या ? भरोसा डोर किसकी कब कहा खिंच जाए । जब मिले साथ नदिया सागर में मिले पहाड़ कठिन राह पगडंडियों से चल रास्ता दिखाए रहेगी ना दासता अधूरी ? सोच समझ से कर्म सीमाओं को पार कर जूनून फ़ितरत का नाम दे होगी पूरी ,समय की रफ़्तार बढ़ते कदमों को रोकोगे तो डरपोक बुझदिल कायर कहलाओगे ।सुकून की ज़िंदगी देकर सुकून पाजाओग़े । महल तो हौसलों की बना , ज़िंदगी की उड़ानो को उड़ना सिखा जाओग़े । सेवा मानवता का धर्म बिना कहे सुने ही बता जाओग़े ।ज़िंदगी काग़ज़ के पन्नो को समेटते रह जाओग़े । लिया दिया ज़िंदगी के हिसाब  काग़ज़ के पन्ने रह जायेंगे । ज़िंदगी की हक़ीक़त कोरे काग़ज़ में उड़ते नज़र आएँगे ।  दुनिया में कर्म धर्म ईमान की परिभाषा ,आज भी ज़िंदा है ज़िंदा रहेगी ।राहत की साँस ले खुद को देख़ आगे बढ़ जाओं आइने में आपकी तस्वीर ही ख़ूबसूरत नज़र आयेगी । हर इंसान में अपनी सूरत ही ख़ूबसूरत नज़र आयेगी । जो भरोस तोड़े उसकी और देखना भी नहीं चाहिए ,क्योंकि पाजिटिव ऊर्जा जीवन को नियम नीति के साथ चल सफल सुगम सरल बना गंतव्य तक पहुँचा कर ही दम लेती हैं जीवन को स्वस्थ प्रसन्न दीर्घायु बनाए रखती है । 

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

    अगर भरोसे या विश्वास की बात को देखा जाए, तो यहाँ विश्वास में आस्था, समपर्ण और संतोष का भाव होता है, वहीं पर भरोसे का भी भाव होता है, जैसे भगवान राम जी को हनूमान जी की वीरता पर विश्वास था और भक्ति पर भरोसा था, भरोसा या विश्वास किसी भी अटूट रिश्ते की नींव है, यह भी सत्य है कि बिना भरोसे के जीवन चलना न मुमकिन है, बिना भरोसे के शंका पैदा होती है और हमारे कई कार्यों में रूकावट आती है, कहने का भाव अगर यात्री डृाईवर पर भरोसा तोड़ दें तो वो यात्रा ही नहीं कर सकेंगे, खाने वाले रसोईये पर, मरीज डाक्टर पर  भरोसा न करें तो सृष्टि ही नहीं चलेगी, विश्वास या भरोसा किसी अटूट रिश्ते की नींव है बिना भरोसे जीवन चलना कठिन है लेकिन आँख मूंद कर भरोसा करना भी कईबार मँहगा पड़ता है, जैसे सीता जी ने रावण को संत समझ कर भरोसा किया, पर धोखा खाया, बाबा भारती ने अपाहिज पर, ऐसे ही कई बड़े बड़े लोगों ने अपने गार्डों पर भरोसे से नुकसान उठाया है आजकल इंसान के अन्दर लोभ, मोह, क्रोध भरा हुआ है जिसके कारण पता नहीं चल पाता कि किसी के दिल में क्या चल रहा है, इसलिए हमें भरोसा करने से पहले खुद पर भरोसा होना जरूरी है, कहावत भी है, जरूरी नहीं कुत्ता ही वफादारी करे, आपका वफादार भी कुत्ता हो सकता है, कहने का मतलब भरोसा एक ऐसी चीज है जिसे हम अपने जीवन में तलाशने की कोशिश करते हैं लेकिन जब तक हम अपने पर भरोसा नहीं करेंगे तो दुसरों को पहचान पाना मुश्किल है क्योंकि भरोसा किसी व्यक्ति या स्थिति पर निर्भर करता है, इसलिए सभी स्थितियों के लिए एक ही उत्तर नहीं हो सकता, अगर किसी व्यक्ति के साथ साकारात्मक अनुभव है और वो आपके लिए विश्वासनिय है तो भरोसा किया जा सकता है, आखिरकार यही कहुंगा कि  इस समय जो दौर चल रहा है वो यही दर्शाता है कि  अपना खून भी सफेद होता दिख रहा है, इसलिए पहले अपने आप पर भरोसा जताना जरुरी है कि जिस पर मैं भरोसा करने जा रहा हूँ वो मेरे लिए खरा उतरेगा या नहीं फिर भरोसा जताना होगा, आजकल भोली भाली लड़कीयों के साथ धोखा हो रहा है या लड़कों के साथ भी ऐसा देखने को मिल रहा है, सीधे साधे लोग भावनाओं में बह जाते हैं और धोखे में आ जाते हैं, यही कहुंगा कि किसी पर भरोसा करना एक व्यक्तिगत निर्णय है और कई कारणों पर निर्भर करता है, भरोसे के लिए व्यक्ति का  व्यवहार, ईमानदारी, अनुभव और सबंधो में निरंतरता महत्वपूर्ण होती है, यह वो प्रक्रिया है जो समय के साथ विकसित होती है, इसलिए किसी पर भरोसा करने से पहले उसकी क्रियाओं  और इरादों के समझना महत्वपूर्ण है। 

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर

      विश्वास और भरोसा दोनों जीवन के अनिवार्य अंग हैं, जो व्यक्ति के जीवन के साथ साथ चलते हैं। भरोसा क्षणिक का किसी कार्य विशेष तक हो सकता है। यह एक प्रकार से किसी कार्य के लिए अनुबंध माना जा सकता है। जैसे किसी को जो मात्र परिचित के हों जो बाजार जा रहा हो और पता हमें पता चलने पर कोई वस्तु लाने के लिए पैसे दे देते हैं। कोई निमंत्रण पत्र को गंतव्य तक पहुंचाने दे देते हैं। भरोसा होने पर किसी वस्तु को अंजान व्यक्ति से खरीद लेते हैं। ऐसे कई मोड़ हर किसी के जीवन में आते रहते हैं और भरोसा करना पड़ता है। विश्वास अटूट बंधन में हमें बांध देता है जैसे करीबी दोस्त का होना। विवाह के लिए रिश्ता तय होना। जमीन जायदाद खरीदना। यह सब विश्वसनीय व्यक्तियों के साथ करते हैं।भरोसा और विश्वास दोनों में कोई जरूरी नहीं कि हम सफल हों। दोनों में असफल भी हो जाते हैं कभी कभी। इसलिए भरोसा और विश्वास हमें जीवन में सीख भी देते हैं कि सतर्क रहकर किसी भी निर्णय लें, जिससे हमें नुकसान की संभावना कम हो।

 - डॉ दीनदयाल साहू 

  रायपुर - छत्तीसगढ़

       भरोसा अवश्य करना चाहिए । भरोसे पर ही दुनिया क़ायम है, प्रत्येक रिश्ते की बुनियाद भरोसा है । भरोसा एक बहुत प्यारा सा हमारे अंदर का एहसास जो बताया और समझाया नहीं जा सकता। भरोसा दिल की बात है, दिमाग़ की नहीं। हाँ भरोसा टूट सकता है क्योंकि विश्वासघात वहीं होता है जहाँ विश्वास होता है । यदि भरोसा टूट भी गया है तो बहुत अधिक परेशान होने वाली बात नहीं है विशेष रूप से पैसे को लेकर। यदि उसने पैसे नहीं लौटाए तो यह सोच कर प्रसन्न होइए कि आप या तो अपने ऋण से मुक्त हो गए हैं अथवा आपने ऋण दिया है जो वह कभी न कभी आपको चुकाएगा।भरोसा तोड़ना उसकी फ़ितरत थी, भरोसा करना आपकी। आप अपने प्यारे से एहसास के साथ प्रसन्न रहें । नकारात्मक सोच व ऊर्जा से जहाँ तक संभव हो दूर रहें । यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है । आपका स्वास्थ्य सबसे अधिक मूल्यवान है । अतः भरोसा रखें, सहजता, सरलता व निश्छलता से भरपूर ज़िन्दगी जिएँ । 

- रेनू चौहान

    दिल्ली 

    भरोसा चीज ही ऐसी है जिस पर सारा संसार चल रहा है। आस्था स्थिर है। संसारिक दृष्टि से देखा जाये तो भरोसे का बड़ा महत्व है जिसके कारण मां - बाप, पति-पत्नी, भाई-बहन तथा अन्य रिश्ते नाते चल रहे हैं। भरोसे के नींव पर मित्रता चली हुई। भरोसे के संदर्भ रिश्तेदारी में देखा जाये तो अगर रिश्ते में भरोसा टूट गया तो संबंध नहीं तोड़ा जा सकता है अपितु संबंध निभाने के लिए भरोसा करना ही पड़ेगा। मित्रता में भरोसा टूट गया तो उस संबंध में  तो उसकी तरफ कदापि नहीं देखना चाहिए क्योंकि मित्र को हर रहस्य पता होता है और उस पर भरोसा होता है।मित्र की भीतर घात असहनीय होती है। अतः भरोसा तोडने पर उसकी तरफ देखना तक नहीं चाहिए। 

 - हीरा सिंह कौशल 

सुंदरनगर - हिमाचल प्रदेश 

        भरोसा एक ऐसा शब्द है, जो बहुत ही नाजुक डोर से बॅंधा होता है। कब कौन कहाँ किसका भरोसा तोड़ दे, कहा नहीं जा सकता। जिसके जैसे संस्कार होते हैं, वह वैसा ही आचरण करता है। उसको हम आप बदल नहीं सकते। कभी-कभी तो विश्वास कर पाना मुश्किल होता है, जिसको हमने अपना सबसे बड़ा हितैषी समझा था, वही पीठ पर वार करने वाला, भरोसा तोड़ने वाला निकलता है । जो भरोसा तोड़े, उससे दूरी बनाना ही श्रेयस्कर है। परंतु उनकी ओर देखना भी नहीं चाहिए, यह गलत है क्योंकि पता नहीं किस कारण या किस परिस्थिति वश उसने ऐसा किया, यह तो वही जानता है। इससे उनसे सामान्य व्यवहार रख सकते हैं, पर बहुत सोच समझ कर। हमें उनके जैसा नहीं बनना है। कोशिश करें कभी किसी का भरोसा न तोड़े। 

- रश्मि पाण्डेय शुभि 

जबलपुर - मध्यप्रदेश

    भरोसा सोच समझ कर करना चाहिए हर कोई भरोसे के काबिल नहीं होता लेकिन भोले लोग धोखा खा जाते है, दुनिया जख़ुदगर्ज़ है अपना काम निकाल कर दूसरे का भरोसा तोड़ देती है, जो भरोसा तोड़ दें उस बेवफ़ा को दिल से भुला दो , कभी उसे अपने नज़दीक ना आने दो , 

बड़ी ख़ुदगर्ज़ है दुनिया बेपनह प्यार ना करना

भरोसा समझ के करो सब पे एतबार ना करना

भरोसा तुम किसी का दोस्त कभी तोड़ना नही

बेवफ़ा जो है उसका  तुम कभी इंतज़ार ना करना

- प्रो. सुदेश मोदगिल नूर

           यू एस

" मेरी दृष्टि में " जिस व्यक्ति पर से भरोसा टूट जाता है। वह व्यक्ति मरें समान माना जाता है। यानि जीतें जी मर जाता है। फिर इंसान का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है। इसलिए इंसान को कभी अपना भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए। स्थिति कुछ भी हो.....! इस का कोई मतलब नहीं रह जाता है। 

           - बीजेन्द्र जैमिनी 

       ( संचालन व संपादन)


Comments

  1. भरोसा बहुत सोच समझकर करना चाहिए.......ये बात सब जानते हैं पर जितना मर्जी सोचा समझा जाए , इंसान मधुर व्यवहार से वशीभूत होकर गलत जगह भरोसा कर लेते हैं !!एक बार जब कोई धोखा दे, तो दोबारा उसपर भरोसा नहीं करना चाहिए !!जिस प्रकार सांप जब काटता है तो दोबारा डसने के लिए फिर तैयार रहता है क्योंकि जहर समाप्त नहीं होता !!
    - नंदिता बाली
    हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp से साभार )

    ReplyDelete
  2. भरोसा एकदम से किसी पर नहीं करना चाहिए। भरोसा किसी के विश्वास से जुड़ना। यह संबंध बहुत नाजुक़ और आत्मीय होता है। अगर टूटा तो कांच की तरह बिखरता है। अब रही बात यह कि भरोसा तोड़ने वाले के साथ संबंध रखना उचित होगा या नहीं। मेरे मत से संबंध तोड़ना नहीं चाहिए, उसके भरोसे से दूरी बना लेना चाहिए, क्योंकि वह विश्वास के लायक नहीं रहा।

    - सुनीता मिश्रा
    भोपाल - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

    ReplyDelete
  3. कितना भी सोच समझ कर भरोसा करो लेकिन जो गले लगाता है वही पीठ पर वार करता है। आपको पता भी नहीं चलता। आजकल के जमाने में ऐसे ही मतलबी लोग पाए जाते हैं इसलिए अगर आपका विश्वास टूटे तो मातम मनाने के बजाय उससे दर किनार हो जाओ.
    अगला कदम सोच समझ कर चलो।
    - अर्चना मिश्रा
    भोपाल - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

    ReplyDelete
  4. आज के युग में लोगों पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है । विश्वास जब टूटता है वह झूठ होता है । वचन नहीं निभाता है। भरोसा तोड़ने वाले से कैसे कोई विश्वास कर सकता है। वह इंसान दिल से उतर जाता है।
    - डॉ मंजु गुप्ता
    नवी मुंबई ‌- महाराष्ट्र
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  5. वैसे तो विश्वास और भरोसा पर्यायवाची शब्द हैं लेकिन इनमें बहुत ही सुक्ष्म अंतर है । भरोसा एक भाव है । यह किसी व्यक्ति विशेष की सच्चाई और इमानदारी से जुड़ा हुआ होता है । भरोसे पर ही सब रिश्ते टिके हुए हैं । जबकि विश्वास एक मानसिक स्थिति है । कई दफा हम किसी ऐसे व्यक्ति विशेष पर विश्वास कर लेते हैं जो बार बार झूठ बोलता हो , ठगी करता हो । इसका सकारात्मक असर भी होता है ।
    - अनिल शर्मा नील
    बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

    ReplyDelete

  6. एक ऐसा अनुभव जिसे हासिल करने में वर्षों लग जाते हैं और तोड़ने में केवल चंद मिनट।
    भरोसे के बिना किसी भी कार्य को करने में अनेक कठिनाई हो सकती हैं।
    भरोसा तोड़ने वाले को सामान्य बोलचाल में आस्तीन का सांप कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति को जिंदगी से निकाल फेंकना ही उचित है क्योंकि यदि हम उससे सम्बंध रखते हैं तो वह भविष्य में और भी बड़ा धोखा देगा।
    - संजीव "दीपक"
    धामपुर (बिजनौर) उत्तर प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी