नेल्सन मंडेला स्मृति सम्मान - 2025

    जैमिनी अकादमी द्वारा चर्चा परिचर्चा में सफलता के बीच अमीरी-गरीबी नहीं आती है। यही चर्चा का प्रमुख विषय है। जो हर किसी के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। विशेष रूप से जब इंसान लाचार होता है। उस समय सही से उचित कर्म कर सफलता के शिखर पर पहुंचा जा सकता है। आये हुए विचारों को देखते हैं: -

     विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबरदस्त आंतरिक शक्ति वाले लाल बहादुर शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। रिशु अग्रवाल ने लालबहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन राजनैतिक क्रियाकलाप सैद्धांतिक न होकर व्यवहारिक और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप था। उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। भारत के किसानों व जनता का मनोबल बढ़ाया।” गुदड़ी के लाल भारत के दूसरे प्रधान मंत्री, लाल बहादुर शास्त्री के कर्म हमें इन्सान बने रहने का मार्ग प्रदर्शित करता है।

 - विभा रानी श्रीवास्तव 

     पटना - बिहार 

    अपने लक्ष्य पर अटल रहने वाले को ही सफलता मिलती है। सफलता का मूल मंत्र है, लगन मेहनत और एकनिष्ठता। सफलता व्यक्तिनिष्ठ अवधारणा है। सबके अलग अलग उद्देश्य होते हैं सफलता पाने के, लेकिन सफलता पाने का मार्ग एक है -लगन। जिन खोजा तिन पाइया।समुद्र के किनारे बैठे रहने से समुद्र आपको मोती नहीं देता।सफलता अमीरी -गरीबी नहीं देखती, अर्जुन और एकलव्य दोनो ही श्रेष्ठ धनुर्धर अपनी लगन और कर्म से बने। अटल जी, मुर्मू जी, कलाम साहब, लाल बहादुर शास्त्री ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो सामान्य घरों के होते हुए अपने कर्म के बल पर, शीर्ष में पहुँचे।

- सुनीता मिश्रा

भोपाल - मध्यप्रदेश 

      सफलता का मार्ग हमेशा मेहनत से ही खुलता है। मेहनत के लिए दृढ़ता आवश्यक है। ज्यों मेहनत करने वाले विद्यार्थी के कदम सफलता अवश्य चूमती है। परंतु बुद्धिमान, लेकिन आलसी व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो पाता है। मेहनतकश के लिए धन कोई अर्थ नहीं रखता। सफलता परिश्रम देखती है। उसके पीछे-पीछे धन आता ही है। मैने देखा है उन चार आवारा लड़कों को, जो मोबाइल में दिन भर बीते थे। किसी के परामर्श से मोटरसाइकिल के रिपेयरिंग को सीखा। आज सभी मोबाइल से बाहर की दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित कर ली है।

 - संगीता गोविल 

  पटना - बिहार 

कर्मभाव ही सृष्टि का मूल मंत्र,

यही भाव ही हमें करे सफल।

धन, दौलत केवल बनाए व्यवस्था,

पर बिन कर्म न मिल सके फल।।

  गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने यही संदेश दिया है और स्वयं करके भी दिखलाया है कि कर्म ही सफलता का सच्चा मार्ग है और इस *कर्म* शब्द में एक बात और है *सुकर्म* ..यानी कर्म की दिशा और दशा दोनों का अनुकूल होना भी आवश्यक है अन्यथा कर्म अपना वो प्रभाव नहीं दिखाएगा जो वास्तव में मिलना चाहिए और रही धन की बात तो आज के परिवेश में धन ,कर्म की सफलता में एक व्यवस्थात्मक माध्यम अवश्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता जैसे कि कोई विद्यार्थी बहुत योग्य है पर उसके पास  साधन हीनता है जैसे कि पुस्तकें,शिक्षक ,आवागमन की व्यवस्था आदि तब उसका प्रयास पूर्ण होकर भी उतना फलदाई नहीं होगा ।यहां हम अगर एकलव्य की बात करें तो वो उसका एक विशेष गुण था कि उसने साधन हीन होकर भी साध्य को पा लिया था पर आज ऐसा संभव नहीं है। इस प्रकार सफलता *कर्म आधारित* है पर धन उस सफलता को और *व्यवस्थित* कर देता है।

- ममता श्रवण अग्रवाल

    सतना - मध्य प्रदेश

         सफलता कभी किसी की अमीरी या गरीबी देखकर नहीं आती। उसका रास्ता सिर्फ कर्म से होकर गुजरता है। समाज में कई उदाहरण हैं जहाँ साधनविहीन लोगों ने सिर्फ अपनी मेहनत और लगन के बल पर ऊँचाइयाँ हासिल कीं। दूसरी ओर, कई बार सुविधाओं से भरपूर लोग सिर्फ प्रयासों की कमी के कारण पिछड़ जाते हैं। सच्ची सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हम अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहे और लगातार प्रयास करते रहे। अमीरी कोई गारंटी नहीं है और गरीबी कोई रुकावट नहीं है। सफलता उन्हें मिलती है जो थकते नहीं, रुकते नहीं और हर परिस्थिति में डटे रहते हैं। यही कारण है कि सफलता को साधन नहीं, सिर्फ कर्म चाहिए। जो अपने काम के प्रति समर्पित रहता है, वही एक दिन अपने लक्ष्य तक पहुँचता है चाहे वो किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो।

          - सीमा रानी

         पटना - बिहार 

           किसी भी उद्देश्य का मंजिल तक पहुंचना ही उसकी सफलता होती है।   दृढ़ संकल्प, सच्ची लगन, कड़ी मेहनत, समर्पित भाव और बुलंद हौसले , अपने उद्देश्य को मंजिल तक पहुंचने के पथ को सुगम तो बनाते ही हैं, निश्चिंतता भी प्रदान करते हैं। सफलता की मूल विशेषता भी यही है।यानी सफलता भी उन्हीं को मिलती है जो ऐसा कर दिखाते हैं। सफलता के लिए एक और पक्ष  उत्साहपूर्ण होता है, वह है इसकी निष्पक्षता। सफलता कभी अमीरी-गरीबी नहीं देखती। न ही किसी भी तरह का वर्ग भेद,रंग भेद आदि करती है। वह सिर्फ कर्म का ही मार्ग देखती है। इसलिए जो अपने उद्देश्य को पूरा करने में अडिग रहते हुए, डटे रहते हैं।  निराश नहीं होते, हताश नहीं होते। जो अपनी कमियों और खामियों को दूर करके ही दम लेते हैं और सदैव अभ्यास करने में रत रहते हैं। अपने मार्गदर्शक का सम्मान करते हैं। प्रतिद्वंदी के प्रति ईर्ष्या का भाव नहीं रखते। सफलता जैसे खुद-ब-खुद उनके पास पहुंचती है।

    - नरेन्द्र श्रीवास्तव

   गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

      यह सच है की सफलता कभी अमीरी ,गरीबी को पैमाने पर नहीं नापती है वह सिर्फ कर्म को ही देखती हैं ।और कर्म करने वाले के ऊपर ही निर्भर है कि उसने किस तरह से अपने काम को अंजाम दिया है ,फिर भी यह भी अति आवश्यक है कि यदि किसी काम के लिए पैसे की आवश्यकता है और पैसों की कमी की वजह से भी कोई काम पूरा नहीं हो पता है तो उसको पुरी सफलता नहीं मिल पाती है और जो अमीर है जिसने सारी चीजों को व्यवस्थित कर लिया वह सफल हो जाता है तो कहीं ना कहीं पैसा भी आवश्यक हो जाता है सफलता पाने के लिए लेकिन प्रधान तो कम है। और कई बार ऐसा भी देखा गया जाता है कि कोई व्यक्ति अभाव के बीच में भी अपनी कठिन लगन और हिम्मत से मंजिल को पा लेता है और सफलता कोई अपनी झोली मे डाल लेता है।

- अलका पांडेय

मुंबई - महाराष्ट्र 

     अगर हम सफलता के मूल मंत्र की बात करें, तो इसको प्राप्त करने के लिए अमीरी या गरीबी कोई मायने नहीं रखती, इसको प्राप्त करने के लिए हमें अपने कर्म को पूरी निष्ठा, ईमानदारी मेहनत से लक्ष्य को अपना कर  आगे चलना पड़ता है, सच कहा है, "कर्म किये जा फल की इच्छा मत करना इंसान जैसे कर्म करेगा बैसा फल देगा भगवान"। हमारे कर्म ही हमे सफल बनाते हैं बशर्ते हम उन्हें सही ढंग से इस्तेमाल करें, देखा जाए सफलता एक मजबूत और शक्तिशाली शब्द है, जो चार शब्दों से बना है लेकिन इसको प्राप्त करने के लिए भी हमें चार कदम आगे देखकर चलने की जरूरत होती है, हमें अपने  आत्मविश्वास को बनाये रखने, गलतियों से सीखने, सख्त मेहनत व समय के सदपयोग को देखते हुए आगे बढ़ने की जरूरत के साथ साथ अपने कार्य में ईमानदारी व सच्ची निष्ठा की जरूरत के साथ अपनी लगन को बनाये रखना होगा तभी जा कर हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं, अगर  सफलता के लिए अमीर होना ही अनिवार्य होता तो एकलव्य कभी सबसे शक्तिशाली धनुषधारी न कहलाता, उसकी लगन, मेहनत व आत्मविश्वास ने उसको सफलता तक पहुँचा दिया, कहने का भाव पैसा एैसो आराम दे सकता है मगर  सफलता नहीं, जीवन में आर्थिक और मानसिक स्वतंत्रता हमारी सफलता का मानक है, हमें केवल पैसे या विलासिता को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाना है, सफलता का मतलब इंसान जिस स्तर पर है उससे आगे कैसे बढ़ा जाए जिससे हमें सुख, प्रसन्नता और शांति प्राप्त हो सके, इसका मूल मंत्र हमको शरीरक और मानसिक रूप से मजबूत होने की प्रेरणा देता है तथा जीवन में आने वाली मुसीबतों में तैयार रहने के लिए प्रेरित करता है, देखा जाए संघर्ष ही सफलता का सार्थक है, अन्त में यही कहुंगा, सफल होने के लिए अपने काम के प्रति ईमानदारी, कड़ी मेहनत, समर्पण, प्रेरणा, लगन, समय का सदुपयोग इत्यादि की जरूरत है और सफलता उन लोगों के हाथ लगती है जो दृढ़ निश्चय के साथ अपने लक्ष्य का पीछा करते हैं और धैर्य रखते हैं, दूनिया में बहुत से लोग अमीर, गरीब होते हैं लेकिन  उनमें से कुछ लोग ही कामयाबी हासिल कर पाते हैं इसलिए सफलता कभी अमीरी या गरीबी  नहीं देखती क्योंकि इसका कोई शार्टकट तरीका नहीं है। 

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर

      मानव जीवन का परम ध्येय कर्मशील होकर सार्थकता को प्राप्त करना है। कर्म ही हमें सफलता का मार्ग दिखाता है। सफलता कभी अमीरी गरीबी नहीं देखती है वह केवल और केवल कर्म को महत्व देती है। मेहनत और लगन से कर्म करता हुआ मनुष्य सफल जीवन को प्राप्त करता है। हमारे इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण है जहाँ कर्म के आधार पर मनुष्य ने प्रसिद्धि प्राप्त की है। आनंद कुमार---एक गणितज्ञ और शिक्षाविद जो गरीब छात्रों को आई आई टी/जे ई ई परीक्षा के लिए तैयार करते हैं, उन्होंने अपने जीवन में गरीबी का सामना किया, लेकिन शिक्षा के प्रति अपनी कर्मठता के कारण आज सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। ऐसे अनेकों और भी उदाहरण है जिन्होंने गरीबी का सामना करते हुए कर्म को ही महत्ता दी और जीवन में सफल हुए। 

 - शीला सिंह

बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 

    सफलता असफलता एक सिक्के के दो पहलू हैं।पर हमें हमेशा सफलता की ओर कदम बढ़ाना चाहिए। सफलता पाने के लिए हमेशा कर्म पर विश्वास करें। कर्म करते रहिए सफलता मिलेगी। शिक्षक होने के नाते हमारे कक्षा के एक विद्यार्थी ने कहा कि सर दो साल से इसी कक्षा में हूं। मैंने कहा तुम मेहनत अधिक करते हुए अपने कर्म पर विश्वास करो तुम्हें सफलता मिलेगी और तुम अबकी बार अवश्य अगली कक्षा में जाओ गे। आखिर कार अगले वर्ष वह अगली कक्षा में गया और कर्म निष्ठा पूर्वक करते हुए आगे बढ़ते हुए आज एक डॉक्टर के रूप में सफल जीवन जी रहा है। यह सत्य है कर्म करते रहिए सफलता कदम चूमेगी।

- विनोद कुमार सीताराम दुबे 

मुंबई - महाराष्ट्र 

      सफलता अमीरी गरीबी को नहीं केवल कर्म संकल्प और निरंतर प्रयास को महत्व देती है। कर्म ही सफलता की असली पहचान है। सफलता उसी का अनुसरण करती है जो अपने कार्य को ईमानदारी से लगन से और दृढ़ संकल्पित  होकर करता हो। इतिहास और वर्तमान दोनों ही ऐसे अनेक उदाहरणों से भरे पड़े हैं जहां बेहद साधारण परिस्थितियों में जन्मे लोगों ने अपने कर्म से सफलता पूर्वक असाधारण ऊंँचाइयों को पाया है। वहीं दूसरी और आलसी और लक्ष्य हीन लोगों का सामना केवल असफलता से ही हुआ है। कर्म यदि सही दिशा  पर है तो सफलता खुद ब खुद चल कर आती है।

-‌ रमा बहेड

हैदराबाद - तेलंगाना 

     जो सफर की शुरुआत करते हैं, वही मंजिल को पार करते हैं।बस सिर्फ एक बार अपने लक्ष्य पर चलना प्रारंभ करे,रास्ता आपका इंतजार करता है।। निश्चित ही है सफलता कभी अमीरी गरीबी नहीं देखती किंतु सफलता पाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना एवं उस ओर कदम बढ़ाना बेहद जरूरी है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास, एवं असफलताओं को स्वीकार करते हुए भी सफलता की ओर बढ़ते कदम एक दिन सफलता की शिखरता तक अवश्य पहुंचाते है। जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान उक्त पंक्तियां कर्म की श्रेष्ठता के मार्ग ऊपर चलने का एवं सफलता का सुंदर मार्ग है। ईमानदारी और जी तोड़ मेहनत लक्ष्य की प्राप्ति में सदा सहायक है

          - रविंद्र जैन रूपम

           धार - मध्य प्रदेश

        सफलता असफलता के बीच कहानी हैं थामस अल्वा हेरिसन इलेक्टिकल बल्ब का आविष्कार बहुत बड़े विश्व आविष्कारक बने ,जिनकी कहानी माँ की सीख से शुरू हुई माँ ही पहली गुरु होती हैं ,असंख्य किस्से कहानियाँ है इंसान को जागरूक करती है एक व्यक्ति समुद्र तट पर बैठकर भगवत गीता का पाठ कर रहे थे।उसी समय एक दूसरा व्यक्ति वहाँ आया ,उनसे कहा :"क्या आप विज्ञान के इस युग में ऐसी किताब पढ़ते हैं ?"इस समय हम चाँद पर पहुँच गए हैं ,आप गीता रामायण के फेर में फंसें हैं।" उसने पूछा: तुम गीता के बारे में जानते हो ,ये सब पढ़कर क्या होगा , मैं विक्रम साराभाई रिसर्च इंस्टीट्यूट का छात्र  एक वैज्ञानिक हूं" यह गीता पाठ व्यर्थ है। लड़के की बात सुनकर वो व्यक्ति हंस पड़े।तभी दो बड़ी गाड़ियाँ वहाँ आकर रुकीं।  एक कार से कुछ ब्लैक कमांडो उतरे और दूसरी कार से एक सिपाही l जो व्यक्ति गीता का पाठ कर रहे थे, धीमी गति से कार में चढ़े और बैठ गए ,उसकी शालीनता देख अब्दुल कलाम ने सोचा हो ना हो यह प्रसिद्ध व्यक्ति विक्रम साराभाई हो , ये सच निकला उन्हें 440 वोल्ट का झटका लगा।उसके बाद डॉ. कलाम ने भगवत गीता पढ़ी।रामायण, महाभारत और अन्य पुस्तकें भी पढ़ीं।इसके बाद राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने जीवन भर मांस न खाने का वादा किया था। गीता एक विज्ञान।सारगर्भित किया! जो सिर्फ कर्म का मार्ग देखती है सफलता असफलता के बीच कहानी हैं विदेशों मे भी गीता, रामायण, महाभारत भारतीयों की अपनी सांस्कृतिक सभ्यता विरासत का गौरवपूर्ण अनुसरण किया है।विनोबा भावे “भूदान यज्ञ सर्वोदय पवनार आश्रम जयप्रकाश नारायण जन जागरण की ओर अग्रसर सावित्री बाई फूले साक्षरता अभियान , छत्तीसगढ़ की बिन्नी बाई सोनकर नगर माता स्कूल नून चटनी खा के “जी लेहव पर कोनों के आगू हाथ नहीं फैलाव “  (नमक रोटी चटनी खा जी लुंगी खुद्दारी इतनी किसे के आगे हाथ ना फैलाऊँगी!) कर्म परिश्रम ही मेरी दौलत है चरितार्थ कर दिखाया !“जोर दो खोल दो तोड़ दो दिमाग पर जोर दो दिलों को जोड़ राह परिश्रम की खोल दो  सफलता कभी भी अमीरी गरीबी नहीं देखती वो सिर्फ कर्म का मार्ग देखती है साबित कर दिया! 

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़

       " मेरी दृष्टि में " सफलता के लिए कर्म सहीं दिशा में होना चाहिए। सफलता एक दिन में नहीं मिलती है । बहुत समय व मेहनत लगती है। जो इंसान कर्म से पीछे नहीं हटता है । वहीं सफलता प्राप्त करता है।

         - बीजेन्द्र जैमिनी 

      (संचालन व संपादन)

Comments

  1. सफलता केवल मेहनत और कर्म से ही मिलती है।सफलता कभी भी अमीर गरीब, ऊंच नीच या छोटा बड़ा नहीं देखती है। ऐसे अनेकों ज्वलंत उदाहरण हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए केवल पूर्ण मनोयोग से प्रयास करने की आवश्यकता है।
    - संजीव दीपक
    धामपुर - उत्तर प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  2. सफलता का अमीरी गरीबी से कोई लेना देना नहीं होता !!
    सफलता तो केवल कर्म के मार्ग पर चलकर ही मिलती है !!
    ठीक हो कहा गया है......
    जैसे कर्म करेगा वैसे
    फल देगा भगवान !
    जीवन में केवल एक ही चीज की जीत है ......वो है सत्कर्म !! यही सफलता की कुंजी है !!
    नंदिता बाली
    हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp से साभार)

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  3. सफलता के बीच अमीरी -गरीबी नहीं आती है । लक्ष्य पाने के लिए प्रयास , लग्न दृढ़ निश्चय , आत्मविश्वास का होना आवश्यक होता है जिसने इन्हें थामा उसे मंजिल मिली जिसने इसे नहीं थामा उसने अपने कदम मोड़ लिए वह आगे नहीं बढ़ सकेगा । वह असफलता ही प्राप्त करेगा । सफलता साधना का नाम है।
    - डॉ. मंजु गुप्ता
    मुंबई - महाराष्ट्र
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  4. सफलता का अमीरी-गरीबी से कोई लेना-देना ही नहीं है।वह उसी का वरण करती है जो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिन-रात एक कर देता है, दिन का आराम और रात की नींद का मोह छोड़ कर केवल और केवल कर्म करने में लगा रहता है। ऐसे ही व्यक्तियों का मार्ग देखते हुए सफलता उनका वरण करती है।
    - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून - उत्तराखंड
    (WhatsApp से साभार)

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  5. अश्वेत समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले दक्षिण अफ्रीका के ऐसे जुझारू नेता थे नेल्सन मंडेला जिन्होंने 26 साल से ऊपर का समय जेल में रहकर बिताया । जेल से रिहा होने के बाद जनता ने उनके संघर्षों को उनकी रंगभेद के विरुद्ध लंबी लड़ाई, त्याग,समर्पण को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें परे विश्व में अफ्रीकी गाँधी के रूप में सम्बोधित करना शुरू कर दिया था। बिना किसी भेदभाव के आम लोगों के लिए किया जाने वाला प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग सदैव बड़ा होता है। धन- दौलत, सामाजिक ऊँच-नीच, जाति-धर्म,रंग-रूप से व्यक्ति की निष्ठा व उसकी आस्थाएँ कतई प्रभावित नहीं होती। समाज व राष्ट्र आज नहीं तो कल हर मनुष्य के जनहित के अच्छे क्रिया-कलापों का देर-सबेर मूल्यांकन अवश्य करता है।-अरविंद मिश्र, साहित्यकार, भोपाल
    (WhatsApp से साभार)

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