कलिखो पुल स्मृति सम्मान - 2025

     जैमिनी अकादमी द्वारा चर्चा - परिचर्चा के अंतर्गत आदतें को परिभाषित किया गया है। जिस से उज्ज्वल भविष्य की कामना की जा सकती हैं । ऐसा कुछ चर्चा का शीर्षक रखा गया है । परन्तु यह सब अपने आप को करना होता है । यानि अपने आप में परिवर्तन लाना होता है । अब आयें चर्चा में विचारों को देखते हैं : -

     बिल्कुल सच बात है यह कि आदतें बदल कर व्यक्ति अपना भविष्य बना सकता है जैसे कि ,,वाल्मीकि,, के रचनाकार वाल्मीक जी ने किया कि वे एक राहजनी करने वाले भील थे पर देवर्षि नारद के कहने पर उन्होंने अपने अंतर्ज्ञान को पहचाना और आज वे विश्व विख्यात महाकवि हुए। इस प्रकार यहां दो बात आती है ,पहली यह कि आपको कोई सच्चा पथ प्रदर्शक मिल जाए और आप उसके निर्देशों को स्वीकार कर  उस अनुसार कर्म करे और अपनी क्षमता को पहचान लें तो निश्चय ही सफलता का श्रेष्ठतम मार्ग मिलेगा।

   - ममता श्रवण अग्रवाल

       सतना - मध्य प्रदेश

    आदत एक जैविक घड़ी है। अगर किसी को बुरी आदत लग जाती है तो परिवर्तन मुश्किल सा होता है। किसी व्यक्ति के अंदर अगर बुरी आदत है तो उसके व्यवहार में मनोवैज्ञानिक ढंग से धीरे - धीरे उनमें वातावरण परिवर्तन कर अच्छी आदत डाली जा सकती है। जब एक बार धीरे - धीरे अच्छी आदतें आने लगती हैं तो वह व्यवहारिक रूप ले लेता है और वह उस व्यक्ति के लिए अच्छी आदतों का जैविक घड़ी बन जाएगी। वह बाद में अच्छी आदतों के कारण जीने की कला सीख लेगा।

- डॉ.सुधांशु कुमार चक्रवर्ती

          वैशाली - बिहार 

    अपनी आदतें वही बदल सकता है ! को कर्मठ कर्तव्य परायण प्रेम ,त्याग समर्पण की भावना लेकर राष्ट्रहित समाजहित से निः स्वार्थ जुड़ा होता है ! जो ख़ुद की चरित्र की रक्षा करता वही दूसरों की रक्षा कर सकता है ।जिसकी सोच आदतों में सुधार लाना मन का उत्साह जगाता है डर को दूर भगाता ज़िंदगी को सेहत मंद बनाता है ! अपने दूसरों के भविष्य को उज्जवल बना सकता है ! ऐसे अनेकों उदाहरण पौराणिक कथाओं रामायण में मिलते है !पहले डाकू फिर आदतों में सुधार लेकर आए,महर्षि बाल्मीकि रामायण लिखी ऐसे ही गोस्वामी तुलसीदास पत्नी रत्नावली से मोह भंग कर आदत में बदलाव ला रामचरित मानस रचना की ! इसी तरह रावण ने अपने अंतिम समय में राम से कहा-बुद्धिमान होते हुए,मैं मयवान मृत्यु का कारण बना ,तुम्हारी तरह चरित्रवान न बन सका और राम अपने शालीन आदत से क्रोध त्याग कर लक्ष्मण को गुरु दक्षिणा रावण से दिलवाई! राम पिता हिफ़ाज़त अयोध्या की मिट्टी मज़बूत बनाये जड़ को सिचने सीता माता की आदत बन गए ! आने वालो पीढ़ियाँ ,तने टहनियो को इतना मज़बूत बनाए ,पत्ते फूलों का रूप श्रृंगार सूरत सीरत बना जाए ! प्रकृति जीवन के हर आगंन चहका महका जाए ,फलों से लदे पेड़ को वो झुकना सीखा जाए, घर आगंन का हर कोना मधुबन व्यवहार की बेल आदत में बन सीचना सीख जाए ,हर व्यक्ति उज्ज्वल भविष्य लिख सकता है ! हमारेऋषि ,मुनि ,ज्ञानी ध्यानी महात्मा ,राजा राजमोहन राय ,वियवेकानंद  की तरह जीना सीखा जाए!

    - अनिता शरद झा

    रायपुर - छत्तीसगढ़ 

   जो अपनी आदतों को बदलने का साहस रखता है, वही अपने भविष्य को नया आकार दे सकता है। आदतें हमारे जीवन की धारा बनती हैं, और जब हम इन्हें सकारात्मक दिशा में मोड़ते हैं, तो हमारा भविष्य भी स्वर्णिम बन जाता है। किसी भी व्यक्ति की असली ताकत उसकी आदतों में ही छुपी होती है। यदि हम रोज़ कुछ नया सीखने, मेहनत करने और सुधारने की आदत डालते हैं, तो सफलता को पाना मुश्किल नहीं होता। आदतें धीरे-धीरे हमारी सोच, दृष्टिकोण और कार्यों को प्रभावित करती हैं। यदि हम किसी खराब आदत को छोड़ने की ठान लें, तो हम अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। यही बदलाव हमें नए अवसरों और संभावनाओं की ओर ले जाता है। अंततः, हमारा भविष्य हमारी आदतों का परिणाम होता है। इसलिए, अगर हम चाहते हैं कि हमारा भविष्य उज्जवल हो, तो हमें अपनी आदतों को सुधारना और उन्हें सकारात्मक दिशा में ले जाना होगा। लकीर का फकीर बनकर हम अपने भविष्य को नहीं लिख सकते हैं।

              -  सीमा रानी 

               पटना ‌- बिहार 

      आदतें ही असली ताक़त होती हैं। हमारी आदतें सकारात्मक, अनुशासित और लक्ष्य की ओर बढ़ाने वाली हैं, तो सफलता निश्चित है। लेकिन अगर हम उन्हीं पुरानी, आलसी या हानिकारक आदतों से चिपके रहते हैं, तो हम चाहें जितना सपना देख लें, वो केवल सपना ही रह जाएगा।भविष्य कोई अचानक नहीं बदलता,वो धीरे-धीरे, हर रोज़ के छोटे-छोटे फैसलों से बनता है। और हर फैसला, हमारी आदतों पर आधारित होता है। अगर भविष्य सुनहरा चाहिए, तो आदतें सुधारो — क्योंकि आदतों की कलम से ही भविष्य की कहानी लिखी जाती है।

              - रमा बहेड

        हैदराबाद - तेलंगाना 

" करता था तो क्यों करता रहा, अब काहे पछताये , बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाये"। यह सत्य है कि आदतें ही हमारे भविष्य को तय करती हैं, क्योंकि आदतें ही हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, अगर हमारी आदतें  अच्छी होंगी तो हमारा बर्तमान और भविष्य उज्जवल रहेगा लेकिन अगर हमें कुछ बुरी आदतों ने घेरे रखा तो हमारा ही नहीं  सारे परिवार का भविष्य अन्धकार में डूब जायेगा, यह सत्य है कि इन्सान के जीवन में  कोई न कोई बुरी आदत होती है जिससे  वो छुटकारा तो पाना चाहता है लेकिन छोड़ नहीं पाता , जिससे वो खुद भी परेशान रहता है और दुसरों को भी करता है, क्योंकि हमारे व्यवहार में   कुछ प्रतिशत हिस्सा आदतों पर निर्भर करता है, इंसान कितना तन्दरुस्त है  खुश मिजाज है, चिड़चिड़ा है, आलसी है सब आदतों का ही परिणाम होता है, वो सफल होगा या असफल, जो हम सोचते हैं वोही हमारे विश्वासों और व्यकितत्व को  आकार मिलता है जबकि बुरी आदतों अपने लक्ष्यों  से रोकने का प्रयास करती हैं और अच्छी आदतें  हमें सफल बनाने में मदद करती हैं, आजकल  के दौर में नशे की लत  जोरों पर है, चाहे नशीले पदार्थों का नशा हो सिगरेट , शराब  या फास्ट फूड्स या कोई अन्य पदार्थ का नशा हो, नशे की लत ने घरों के घर बर्बाद कर दिए हैं बहुत कम लोग चैन की सांस ले रहे हैं वास्तव में यह सब हमारी आदतों पर निर्भर करने के साथ साथ हमारी संगति पर निर्भर करता है, नशा चन्द समय आनंद देता है,  लेकिन अन्दर ही अन्दर बर्बाद करके रख देता है जब एकबार इसकी लत लग जाती है फिर इससे निकलना मुश्किल हो जाता है, जब संगत की रंगत चढ़ जाए तो उसका उतरना मुश्किल हो जाता है, अगर संगत अच्छी होनी तो परिणाम भी अच्छे ही होंगे इसलिए संगत का प्रभाव भी हमें  अच्छी या बुरी आदतों से रोक सकता है,  लेकिन बुरी संगत कुछ देर के लिए बहुत अच्छी लगती है क्योंकि उसमें भरपूर आजादी मिलती है लेकिन उसका अन्त बहुत बुरा होता है,  इससे जागरूकता पाना एक अच्छा कदम है लेकिन  बुरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए व्यकितगत समझने की जरूरत है या जागरूकता की जरूरत है क्योंकि आदतें नियमित दोहराये जाने वाले नियमित व्यवहार हैं जितना अधिक आनंद होगा उसी व्यवहार को दोहराने की संभावना अधिक होगी यह भी सत्य है बार बार दोहराने से आदतें बढती हैं और एक दिन इंसान उनके जाल में फंस कर अपने आपको बर्वाद कर  लेता है, उनकी लत  उसे कहीं का नहीं छोड़ती जिसका असर समस्त परिवार पर ही नहीं अपितु समाज पर भी पड़ता है,  इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए इनसे दूर रहा जाए अगर एक आदि आदत पड़ भी गई हो तो उसे दूर करके अच्छा जीवन जीया जाए क्योंकि अच्छी  आदतें अपनाना भी अनुशासन अपनाने का एक तरीका है, जीओ और जीने दो एक अच्छी आदत है लेकिन बुराई को अच्छाई में तब्दील करना चुनौतीपूर्ण होता है फिर भी हमारे विचार हमारी बुद्धि अगर सही दिशा में लग जाए तो कोई भी प्रयास असंभव नहीं होता क्योंकि हर दिन व्यक्ति अपने जीवन को  आकार देने वाले विकल्पों  से जुझता है चाहे आदत को छोडने या पाने का प्रयास  कर रहा हो लेकिन हमें अच्छी आदतों को ही चुनने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह आदतें हमारे शरीर पर मानसिक, भावनात्मक और साकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जिससे हमारा स्वास्थ्य, हमाराी मनोदशा खुशहाल रह सकती है,यही नहीं अच्छी आदतें  हमें भविष्य के लिए प्रेरित करती हैं जैसे नियमित रूप से पढ़ाई करना, कसरत करना, परिवार के  साथ मिलजुल कर रहना  अच्छी संगत के साथ उठना बैठना इत्यादि   लेकिन यह तभी मुमकिन है जब हम अपनी भावनाओ की शक्तियों का उपयोग करके अपनी मानसिक को दिशा देकर अच्छी आदतों को न्योता दें और हम मन में बदलाव लाने के लिए गंभीर हों और अपने प्रति ईमानदार  हों तो आदतें जरूर बदल सकती हैं जिससे हमारा जीवन उज्जवल व शानदार बन सकता है, अन्त में यही कहुंगा हमारी आदतें ही हमारा भविष्य तय करती हैं  यह हमारे दैनिक व्यवहार, सोचने के तरीकों और निर्णयों को प्रभावित करती हैं जिससे हमारे जीवन का आकार बनता है, जिसने बुरी आदतों को बदल लिया वो अपने भविष्य को भी बदल सकता है जो बीत गया उसको हम वापिस नहीं ला सकते लेकिन वर्तमान हमारे हाथों में है, इसे अतीत मत बनने दें। 

   - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

      जम्मू - जम्मू व कश्मीर

      अपनी आदतें बदलना संसार का सबसे कठिन काम है। नब्बे प्रतिशत लोग अपनी आदतों के ऐसे गुलाम हो जाते हैं कि उसी एक ढर्रे पर चलते हुए अपना पूरा जीवन बिता देते हैं और इस पर गर्व का अनुभव भी करते हैं। ऐसे लोग एक झूठी शान का प्रदर्शन करते हुए प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। केवल दस प्रतिशत लोग ही ऐसे होते हैं जो अपनी आदतें बदलने की क्षमता रखते हैं। वे अपने जीवन का लक्ष्य तय करते हैं, उसके लिए आराम, नींद, मनोरंजन, गप्पे मारना..इन सब को छोड़ कर अपना नियमित कार्य क्रम निश्चित करके उस पर चलते हैं। अपना आत्मविश्लेषण करके अपनी उन आदतों को छोड़ते हैं जो उनके लक्ष्य में बाधक सिद्ध हो सकती हैं। ऐसे ही असाधारण लोग अपना उज्जवल भविष्य तो लिखते ही हैं साथ ही अपने घर-समाज, देश को भी उन पर गर्व करने का अवसर प्रदान करते हैं।अटल बिहारी वाजपेयी जी, सुषमा स्वराज, सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, महेंद्र सिंह धोनी, मिल्खा सिंह आदि ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

   - डा० भारती वर्मा बौड़ाई 

        देहरादून - उत्तराखंड

    आदत जो निरंतर समय काल परिस्थितियों एवं अपने आसपास के माहौल से बदलती रहती है, हमारा दायित्व है कि हम उसे अच्छी आदत  की और अपने जीवन व्यवहार को मोड़ेंगे तो सफलताएं कदम चूमेगी। किंतु देखा यह गया है की जो आदत  हो जाती है वह मुश्किल से बदलती है। असंभव को संभव करना हमारे हाथ में ही है बस प्रयास की आवश्यकता है व असफलताओं से घबराएं नहीं, सफलता निश्चित मिलती है।

     - रविंद्र जैन रूपम 

        धार - मध्य प्रदेश

     महाकाव्य के रचनाकार महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना कर, लोगों को सत्य एवं कर्तव्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा, विचार और आदर्श युगों-युगों तक एक प्रगतिशील समाज बनाने में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे। लेकिन वे कभी एक डाकू थे जो राह चलते लोगों को लूटते थे लेकिन फिर समय का चक्र ऐसा बदला और उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटना जिसने उनके जीवन की धारा को हमेशा के लिए मोड़ दिया। उनका एक ऋषि रूप में चरित्र सुनकर शायद ही किसी को इस बात का यकीन हो सकता है कि ऐसा इंसान कभी एक लुटेरा और डाकू रहा होगा। अत: सत्य कथन है “जो अपनी आदतें बदल सकता है वही अपना उज्ज्वल भविष्य लिख सकता है

   - विभा रानी श्रीवास्तव 

       पटना - बिहार 

        जीवन जीने लिए ईश्वर ने सामर्थ्य दी है और प्रकृति ने संसाधन। यह हमारे पर निर्भर है कि हम इनका कितना और कैसे लाभ ले सकते हैं और  अपना उज्जवल भविष्य बना सकते हैं। इस सामर्थ्य को पाने के लिए हमारा शारीरिक और मानसिक रूप से भी परिपक्व होना महत्वपूर्ण कारक है। इसके लिए सदैव सजग रहना आवश्यक है। यदि किसी आदत से,  ये  मुख्य कारक कुप्रभावित हो रहे हैं तो उस आदत को छोड़ना या बदलना नितांत आवश्यक है। वर्ना हमारा उज्जवल भविष्य का सपना धूमिल तो होगा ही, एक भटकाव भी प्रारंभ हो जाएगा जिसमें हम उलझते चले जाएंगे। अक्सर यही होता है , हम में कोई एक ऐसी आदत घर कर लेती है जो हमारी  पसंदगी बन जाती है और फिर हम उसे छोड़ नहीं पाते हैं, न ही बदलना चाहते हैं। हमारी यही कमजोरी, हमारे सामर्थ्य को कमजोर करती है और हमारे उज्जवल भविष्य को बाधित कर देती है। इसलिए इस कमजोर कड़ी को दूर करने के लिए हमें अपने दिलो-दिमाग में यह बात बिठा लेनी चाहिए कि " जो अपनी आदतें बदल सकता है,वही अपना उज्जवल भविष्य लिख सकता है। " तभी हम अपने उज्जवल भविष्य को बनाने में समर्थ भी होंगे और सफल भी रहेंगे।       

        - नरेन्द्र श्रीवास्तव

     गाडरवारा - मध्यप्रदेश

" मेरी दृष्टि में " सभी इंसान अपनी आदतें पर नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं होते हैं । जिसके कारण से जीवन भर दु:ख में जीते रहते हैं। जैसे शराबी देखा जा सकता है। फिर भी कुछ लोग अपनी गंदी आदतें छोड़ने में सफल हो जाते हैं । यही कुछ इस परिचर्चा का उद्देश्य रहा है। 

          - बीजेन्द्र जैमिनी 

        (संचालन व संपादन)


Comments

  1. अपनी आदतें वही बदल सकता है जिसका अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण हो। यदि इंद्रियों पर नियंत्रण है और दृढ़ इच्छाशक्ति है तो वह व्यक्ति अपना उज्जवल भविष्य तो बना ही सकता है साथ ही साथ समाज को भी नयी दिशा दे सकता है
    - संजीव दीपक
    धामपुर - उत्तर प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  2. सुनीता मिश्रा
    भोपाल
    बहुत आवश्यकत है अपनी आदतों पर नियंत्रण करना यदि आप अपना भविष्य उज्जवल बनाना चाहते हैं तो।मै उन आदतों की बात कर रहीं हूँ जो हमारे जीवन को अच्छा स्वास्थ्य, अच्छे विचार, अच्छे कार्य की तरफ नहीं ले जाते बल्कि अहित करते हैं। तो अगर भविष्य को सही दिशा पर ले जाना है तो आदतों को बदलना होगा,तभी परिवार, समाज देश के हित में हमारा, जन्म लेना सार्थक होगा।
    - सुनीता मिश्रा
    भोपाल - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  3. वक्त के अनुसार जिसे ढलना आ गया अथवा हालात के अनुसार जो व्यक्ति अपने अंदर बदलाव लाकर स्थिति को संभाल सकता है , उस व्यक्ति का भविष्य उज्वल हो सकता है !!
    परिवर्तन प्रकृति का नियम है व जो व्यक्ति अपनी आदतों में बदलाव लाता है , निश्चय ही उसका भविष्य उज्वल होता है !!
    नंदिता बाली
    हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  4. आदतों में अगर नकारात्मक भाव है तो जीवन में उन्नति के लिए उन्हें बदलना अति आवश्यक होगा। मेरे विचार से आदतों में बदलाव लाना आसान नहीं होता। उसके लिए मानसिक प्रबलता चाहिए। यदि आपकी कोई आदत आपके स्वास्थ्य, परिवार, सामाजिक दायरे पर गलत असर डाल रही है तो उसे बदलना ही श्रेयस्कर होगा।
    - अंजु निगम
    देहरादून - उत्तराखंड
    ( WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  5. जो अपनी आदतें बदल सकता है, वही अपना उज्जवल भविष्य लिख सकता है। यह बात अक्षरसः सत्य है कि बिना अपने मन को मोड़े, बिना आदतों को बदले मानव कभी भी सन्मार्ग पर नहीं चल सकता। जब अपने अंर्तमन में झांकना आ जायेगा, इंद्रियों पर नियंत्रण करना भा जायेगा तभी उसे श्रेष्ठतम सफलता मिलेगी, जिससे तन मन शांत होगा।
    - रश्मि पाण्डेय शुभि
    जबलपुर - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  6. दूसरे के गिराते खुद गिर जाते है नकारात्मक गुण हमारे चरित्र में घुसपैठ कर लेता है जैसे फ़िल्म में विलेन का रोल होता है। फ़िल्म में वह अपनी कथा के अनुसार किरदार निभाता है। जो उसके लिए सही है।
    - डॉ. मंजु गुप्ता
    मुंबई - महाराष्ट्र
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  7. हां यह सच है कि ६५ '/'.लोग इसी तरह से लगातार अपने जीवन में आगे बढ़ ने की चेष्टा कर रहे हैं। लेकिन इसी जहां मैं वह इंसान भी हैं जो बिना किसी स्वार्थ के अपने उसूलों पर चलते हुए नैतिकता की राह स्तंभ का सहारा लेकर आज भी वहीं खड़े हैं जहां से चले थे। आदमी भौतिकता की आड़ में मानवीय मूल्यों को पर रखकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है भले ही ही उसके दुष्परिणाम। कुछ भी हो,उसका चेतन मन धिक्कारता है पर आगे बढ़ने की चाह में बिना परिणाम सोचें निरंतर चलता ही जा रहा है। यदि इस पर काबू न पाया गया तो निश्चित ही कलयुग की छाया दिखाई देगी।
    - डॉ मनीषा सक्सेना
    सतना - मध्य प्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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