जय भोलेनाथ नमः


     सावन का महीना प्राकृतिक दृष्टि से हरा भरा होता है । जिस का अनुभव सभी जीव जन्तु करते है । इस महीनें में नाग पंचमी , रक्षाबंधन , तीज ,शिवरात्रि आदि आते हैं । सावन को भोलेनाथ का महीना भी कहते हैं । इस महीने में कावडिय़ों का मेला हरिद्वार से चारों ओर देखने को मिलता है । कोई कावड़ लेकर आता है कोई कावडिय़ों की सेवा में लगा होता है । इस तरह से हर कोई इस महीनें में भोलेनाथ की सेवा करता है । यह हिन्दुओं को पवित्र महीना कहाँ जाता है ।
     सावन में अनेंक कवियों ने गीत आदि लिखे है और वर्तमान में भी लिख रहें हैं । वर्तमान के कुछ कवियों को पेश किया जाता है :-

                                सावन है आया
                                               - शशांक मिश्र भारती 
                                            शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
बम बम भोले
कोई शिव बोले
सावन है आया ।
सिर पे जटा हैं
चंदा की छटा है
गंगा को समाया ।
सावन है आया
शिव की शक्ति है
मन में भक्ति है
सावन जो लाया ।
सावन है आया
हे ओंकारेश्वर
हे महाकालेश्वर
सबको है भाया ।
सावन है आया
कालों के हो काल
प्रभु महाकाल
कष्टों को भगाया।
सावन है आया
हर हर गूंजे
घर घर बूंझे
सावन जो आया।
सावन है आया
भोले का प्यारा
भक्तों का न्यारा
सबका सहारा ।
सावन है आया
बम बम भोले
कोई शिव बोले
कांबड सजाया
सावन है आया ।।

                             सावन                             
                                             - डाँ. रेखा सक्सेना
                                          मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
          
    जब हो कुरीति का शमन
         मास  वो  सावन ।
  हरिकथा  श्रवण  का मास
         यह   तो   पावन ।।

  जब  रिमझिम - रिमझिम 
      रिमझिम पड़े फुहारें।
  तब   हर्षित  होते   जड़ 
       चेतन  भी   सारे ।।

 विष- पीकर  भोले  शंकर
    वह नीलकंठ कहलाते।
बदरा  उन्हे  शीतल  करने
    जल की झड़ी लगाते।।

  बम बम बम महादेव के 
    नारों से पूजन अर्चन।
काॅवरिये  भक्त  भोला  के 
    करते हैं मन से नर्तन।।

 पेड़ों  पर  पड़े   हिंडोले
    राग छेड़ती कोयल ।
 गौरा  सी    हर  नारी  ने 
    पहने हैं कंगन पायल।।

 मायके को दे दो सन्देशा
    वीरा लेने  घर आये ।
 पाहुना  बने     मेरे  भोले
    सजनी के संग जायें।।

 हर हर   हर हर    दर पे
   हरियाली का सावन।
घन  घुमड़- घुमड़  बरसाते
  खुशियों का जल पावन।।
                            ओम नमः शिवायः      
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी
                                                    पानीपत - हरियाणा  

बरसात का महीना
टप टप पानी टपकें
पेड़ पौधे भी खिलखिलाए 
बोलो बमबम भोले 
ओम नमः शिवायः ।


कावडियों का महीना
कदम कदम लगें शिविर
सभी करें कावडियों की सेवा
बोलो बमबम भोले 
ओम नमः शिवाय: ।

सावन का महीना
शिवरात्रि जैसे त्योहार आये 
सभी शिवलिंग पर जल चढायें
बोलो बमबम भोले 
ओम नमः शिवायः ।

घर घर में सावन की खुशबू
घेवर बन जाऐ बाजार की रौनक
सभी तीज जैसा त्योहार मनायें
बोलो बमबम भोले 
ओम नमः शिवायः ।

                             ओम नम: शिवायें                        
                                               - अलका पाण्डेय 
                                               मुम्बई - महाराष्ट्र

ओम नम: शिवाये , ओम न: शिवाये 
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

सिर तेरे जटा विराजे और गंग की धारा , गंग की  धारा 
चंद्र कलाएँ साथ सोहे 
नीलकंठ मतवाला ...
ओम नम: शिवाय ....
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

गले में शोभित सर्पों की माला 
तन लपेटे मृगछाला , 
भंग का रंग जमाये 
आशुतोष अावढर दानी 
ओम नम: शिवाय....  
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

एक हाथ शोभित डमरु 
, दूजे त्रिशूल विराजे 
तन में भस्म लिपटायें 
बाबा भोलेनाथ 
ओम नम: शिवायें ....
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

खाने को माँगे धतूर के फलवा
और भंग का गोला , 
चढ़ने को माँगे बैला सवारी 
शंकर भोले भंडारी 
ओम नम: शिवायें ....
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

बाय अंग मे गौरा विराजे 
गोदी में गणपति लाला 
ओम नाम का प्याला 
पिते सारे भक्त 
ओम नम: शिवाये ...
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....

सब से प्यारे , सबसे निराले 
बाबा भोले भंडारी 
जब डोले जीवन नैया 
बाबा ही नाव खिवैया 
संकट काटे कस्ट मिटाये 
जीवन में ख़ुशियाँ लाये 
ओम नम:शिवाये ...
हर हर गंगे महादेव शंभु 
ओम नम: शिवाये ....
         सावन आया       
                                     - अनन्तराम चौबे अनन्त
                                        जबलपुर - मध्यप्रदेश

धानी चुनरिया ओढ़के देखो
सावन आया सावन आया ।
भाई बहिन के स्नेह प्यार का
वर्षा के साथ में सावन आया ।

वर्षा के इस मौसम से
चारो तरफ हरियाली है ।
पशु पक्षी इन्सान सभी की
सूरत देखो खिली खिली है ।

नदी नाले और ताल तलैया
खेतों में भी पानी भरे हुआ है।
काले बादल उमड़ घुमड़ कर
चहूं ओर देखो बरस रहे हैं ।

सावन का महीना आया है
त्योहारों के साथ में आया है
सावन के बादल बरस रहे हैं।
तन मन सभी का हर्षाया है ।

नागपंचमी रक्षाबंधन और
हरियाली अमावश भी है ।
हरियाली ही हरियाली से
पर्यावरण का सरक्षण है । 

भाई बहिन के स्नेह प्यार का
सावन में होता रक्षाबंधन है ।
राखी का ये त्योहार सभी भाई
बहिन के स्नेह प्यार का बंधन है ।

शिव शंकर भोले वावा को
सावन का महीना प्यारा है ।
भोले वावा की महिमा न्यारी है
सारे जगत के पालन हारी है ।
                   डम  डम  है  डमरू बाजे                  
                                           - राजकुमारी  रैकवार  राज 
                                           जबलपुर - मध्यप्रदेश
गुरुपूर्णिमा  के  बाद  आया मनोहारी, 
शिव भोलेनाथ  का  पावन  मास l
करें  आराधना पायें  मनभर, 
जो सबकी  रक्षा  करते  हर  लेते  हैं  त्रास l
सावन  आया  हे  भोले  भण्डारी, 
पूजा  करूँ  नित मैं लागे बड़ा  मनोहारी l
गंगा  जल  मैं  लाऊँ वेल पत्र  फल  फूल  चढ़ाऊँ, 
आंक फूल  धतूरा,  भाँग शिव  जी को और  गुण  गाउँ l
साथ  में  गौरा रानी  गोदी  में  गणपति  लाला, 
नाचें  गायें  खुशियाँ  मनाएं  सब  भूत  बैताला l
शिव शंकर  भोलेनाथ  कहलाते  औघड़ दानी, 
महिमा  है  अपरम्पार  महिमा न है  कोई  जानी l
जो मांगो  पल में  दे  देते दुःख  सबका  हर  लेते, 
ऐसे  हैं  भोले  भण्डारी भक्तों  की  झोली  भर देते l
डम  डम  है  डमरू बाजे  हाथ  त्रिशूल है  साजे, 
माथे  चंदा  गले  में  नाग  काले जटों  पे गंगा  साजे l
तन  भभूत  रमाये बाघम्बर लपटाये, 
नंदी की  सवारी हाथ  में  बिच्छु  कंकन भाये l
छवि मनोहारी भोलेनाथ  त्रिनेत्र धारी, 
अद्भुत  है  लीला  न्यारी  भोले  भण्डारी l
शिव भोले भंडारी भक्तों  के  रखवाले, 
शिव शंकर भोले  भाले  शिवशंकर  भोले भाले, 
भक्तों  के रखवाले हैं भक्तों  के रख  वाले l

भोले जी का प्रिय सावन आया

                                       - महाराज सिंह ' परदेसी '
                                          चम्बा - हिमाचल प्रदेश

भोले जी का प्रिय सावन आया 
लगता बड़ा मनभावन आया। 

उत्तरी धरा पर गंगा जैसे
नहलाने शिव साजन आया। 

गौरा गणेश संग साथी सारे
अवसर कितना पावन आया। 

देव लोक से जैसे फूल हैं बरसे
खुशियों से महक आंगन आया। 

प्रकृति ने अपने रंग बिखेरे 
हरा भरा हो मधुवन आया। 

कोयल कूके मोर भी नाचे 
दृश्य सुहाना है बन आया। 

जब से शरण हूँ भोले तुम्हारी 
जीना मुझको जीवन आया।


                               मेरे शिव                              
                               
                                          - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
                                              देहरादून - उत्तराखण्ड

सकल जग में मेरे शिव 
कण कण में मेरे शिव
कहाँ नहीं मेरे शिव 
कोई तो बताइए।

शीश धारे गंगा शिव 
भाल धारे चंद्र शिव 
गले सोहे सर्पमाल 
देखते ही जाइए।

भस्म मले तन शिव 
बाघ चर्म पहने शिव 
त्रिशूल डमरू लिए 
दर्शन को आइए।

उमा संग डोले शिव 
अभय दें सबको शिव 
विष अपने कंठ धारे 
धतुरा बेल लाइए।

भाल पर बंद त्रिनेत्र है 
अगम्य न कोई क्षेत्र है 
दुष्कर्म कर, इनसे कभी 
तांडव न कराइए।

 महाकाल बाबा की जय हो
                                          - डाँ. क्षमा सिसोदिया 
                                             उज्जैन - मध्यप्रदेश

भक्ति में ही है शक्ति 
और शक्ति में है संसार 
है  त्रिलोक में  जिनकी चर्चा 
उस शिव बाबा का आज है त्यौहार 
"महाकाल महाराज" निकले हैं आज 
देखो जनता का पूछने उनका हाल, 
कर लो जो जहाँ भी रहते हो वही से 
बाबा का अद्भुत दर्शन अपरंपार  ।                         
कालों के काल महाकाल की 
नित्य हो जय जयकार..........।

महाकाल की नगरी में रहती हूँ
हो निर्भय,निर्भीक ............।
कुशल-खैर माँगती सबकी हूँ, 
किसी की किसी से ना हो बैर। 
देना सभी को इतनी खुशियां बाबा
कि सबकी झोली खुशियों से जाए भर। 
आए न लेकर कभी कोई तेरे द्वारे......, 
शिकायतों और फरियादों से भरी गठरी। 
तरह-तरह के पुष्पों से सजता है तेरा
यह दरबार................।

भांग-धतूरे से भी होता है सुंदर श्रृंगार। 
भभूत से करते हो तुम दिन की शुरुआत, 
शव की राख से प्रतिदिन करते हो 
तुम सुबह-सबेरे श्रृंगार का रसपान
होते हैं दुनिया भर के भक्त भोले
बाबा पर हृदयातल श्रद्धानवत्।
खींचे चले आते हैं ऐसे जैसे चुम्बक,
लगा हो तेरे द्वार की चौखट पर....।

तेरे दरबार पर होती है भक्तों की खूब भीड़ 
सावन में मेला लगाते हो ऐसे, 
जैसे हो बारिश की हो सुहानी फुहार
कावड़ियों की जोश-शोर से भर जाती है 
नगरी यह उज्जयिनी
भोले की नगरी में जो रहते हैं, 
वह कभी न हुए भयभीत। 
आँधी आए या तूफान बाबा लेता है
सब सम्भाल................... ।

भोले के संग संग, है भुजंग 
                    
                                            - विजय जोशी 'शीतांशु'
                                                खरगोन - मध्यप्रदेश

फूलों के संग संग, है सुगंध।
भोले के संग संग, है भुजंग।

जय भाल चंद्र, जटा में गंगा
तक्षक रूप, गले की शोभा
देवधरा,पर करते पूजन 
भक्तों के मन में  भरे उमंग 
भोले के संग संग, है भुजंग।1।

सावन मास में दर्शन देवा
भक्तों को मिलता अमृत मेवा।
शेषनाग की शैया साजे
हरयाली का ले वो आनन्द 
भोले के संग संग, है भुजंग।2।

नदी पहेट में मूल विराजे
नाग पंचमी बजे है बाजे
स्यामसिंग दुल्लव राजा
चले बराती, सजे संग संग
भोले के संग संग, है भुजंग।3।

ख्वाजा बैडी, नागलवाड़ी
वासुकी नाग चले अगाडी
रथ की शोभा है फुलवारी
चौगट भोग सब ले भंडारी
सावन बाजे शिव की मृदंग।4।

सरपट चाल चले वो आँगन
रूप सजा है,शीतु' मनभावन
रिमझिम वरष रहा वो सावन
खुशियाँ वरषे संग -संग 
गले मे लिपटा हो भुजंग।5।

मेरे भोलेश्वर 
                                             - सीमा गर्ग " मंजरी "
                                              मेरठ - उत्तर प्रदेश

तेरी सेवा करूँगी, तेरी पूजा करूँगी 
आऊँगी तेरे दर 
ओ मेरे भोलेश्वर, ओ मेरे परमेश्वर..

औघडदानी हो तुम बाबा,
आशुतोष हो स्वामी 
अश्रुबिन्दु जल से भी ,
प्रसन्न हो जाते अन्तर्यामी 
तेरी महिमा अपार, तुझे पूजे संसार 
आऊँगी तेरे दर... 

अजर, अमर तुम हो शिवयोगी 
तुम सा ना होगा कोई वियोगी 
 मात सती के भस्म होने पर 
युगों तक तूने किया था सबर 
ओ मेरे परमेश्वर, ओ मेरे भोलेश्वर 
आऊँगी तेरे दर...

छमक ~छमक छम छम 
डमक ~डमक डम डम डमरू बोले 
अगम निगम के भेद ये खोले 
काँपें सृष्टि सारी जब क्रोध की डालो नजर 
ओ मेरे भोलेश्वर, ओ मेरे परमेश्वर 
आऊँगी तेरे दर... 

छूकर हमको पावन कर दो, 
दयादृष्टि की कोर तुम डालो 
चरण शरण में हमको रख लो 
हम धूलि तेरी शंकर 
ओ मेरे भोलेश्वर, ओ मेरे परमेश्वर.. 
आऊँगी तेरे दर.. 

तेरी सेवा करूँगी, तेरी पूजा करूँगी 
आऊँगी तेरे दर 
ओ मेरे भोलेश्वर, ओ मेरे परमेश्वर.. 

                           महाकाल                            
                                            - उदय बहादुर सिंह
                                            जबलपुर - मध्यप्रदेश 
                                            
अनोखा है, मौजी है, पराक्रमी एक मतवाला है तू,
तेरा ही मैं भक्त भोले, अद्भुत है और निराला है तू।
रूप तेजस्वी, भस्म श्रृंगार, तांडव तेरा अति विकराल,
मुझको अपना अंश बना ले, मेरा सब कुछ तू महाकाल।।

दानवों का संहारक तू है, तेरा न कोई कभी पार है,
नीलकंठ तू बना विष पी, सर्प तेरे गले का हार है।
गंगाधारी, शंकर तू महान, जटाधारी तेरा प्रताप विशाल,
मुझको अपना अंश बना ले, मेरा सब कुछ तू महाकाल।।


दर्शन दे देना भोले
                                               - डा.वर्षा चौबे
                                               भोपाल - मध्यप्रदेश


 हाथ जोड़कर 
खड़ी द्वारे,
सुन लेना भोले,
 मेरी सुध लेना भोले
  दर्शन दे देना भोले।

 शीश जटा गंगाजी बिराजे
 संग में गोरा मैया।
 नंदी सवारी सोहे तुमको
 ओरे जगत खिवैया।
जीवन की सब साथ हो पूरी
जिसके संग में तू होले।
मेरी सुध लेना भोले 
दर्शन दे देना भोले।


हाथ में डमरू डम डम बाजे 
कर में  त्रिशूल खप्पर।
मृगझाला को पहन के तुम
 तो जगत के काटो चक्कर।
 देख के तुमको दुनिया बोले
 जय जय बम भोले।
 मेरी सुध लेनाभोले 
 दर्शन दे देना भोले।

नीलकंठ हो तुम कहलाते
 तीन नेत्र हो धारी।
 अन्तरयामी, अगम,
 अगोचर
  अवतारी त्रिपुरारी।
 कोप के आगे धरती कांपे
 अंबर भी डोले।
मेरी सुध लेना भोले 
दर्शन दे देना भोले।
बोलो बमबम भोले 

                                                  - सुशीला शर्मा 
                                               जयपुर - राजस्थान

बोलो बमबम भोले 
बोलो बमबम भोले ।

सावन में भोले बाबा का 
मन हर्षित हो जाता है 
भक्त मंडली कांवड़ लेकर 
मान सरोवर जाता है ।

बोलो बमबम भोले 
बोलो बमबम भोले ।

शीश बिराजे गंगा मैया 
गल सर्पों की माला है 
हाथ में डमरू धारण करते 
अद्भुत रूप निराला है ।

बोलो बमबम भोले 
बोलो बमबम भोले 

अंग भभूति जटा निराली 
सावन सोम सवेरा है 
डमडम डमरू बजा के नाचे 
भूत प्रेत का डेरा है ।

बोलो बमबम भोले 
बोलो बमबम भोले ।

रिमझिम रिमझिम बरखा में 
कांवड़िए दौड़े जाते हैं
रल मिल कर सब जोर-जोर से 
शिव के जयकारे गाते हैं ।

बोलो बमबम भोले 
बोलो बमबम भोले।
आज  शिवमय  है  संसार
                                   - सीमा शिवहरे "सुमन"
                                       भोपाल - मध्यप्रदेश

विषधर  मोरे  शिव-शंकर
आज  शिवमय  है  संसार
सजनी राखें तीज का व्रत
और  करें साज -श्रृंगार!

जगराता  भोले  का  करें
श्रद्धा रखें  अपार
कहानी  इसकी सभी सुने
बड़ी  ही  अपरम्पार!

फल  खाये  बंदरिया बने
चीनी से चींटी बने गवांर
दूध  पिये   सर्पणी   बने
व्रत   रख्खें  जो  नार!

पांचो  पहर आरती  करें
पति का  चाहें  दुलार
ना  ले जल की एक बूंद
ना  करें कोई  फलाहार !

साजन की हो लम्बी उम्र
बस   एक  यही  आधार
कुंवारी कन्या भी व्रत रखें
पति  का  चाहें  प्यार!

घर  -आंगन हो  हरा-भरा
नाती -पोतों की  हो बहार
जब  तजुं  दुनिया  निर्मोही
सजना  बने कहार!!


Comments

  1. सभी रचनाकारों को बधाई ..बह ब सुंदर रचनाएं ..जय शिव शंकर

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  2. सभी रचनाएं बहुत बेहतरीन हैं👌👌
    अन्तर्मन प्रसन्न हो गया इतनी भक्तिमय रचनाएँ पढ़कर ,आप सब पर भोलेनाथ की कृपा है🙏
    ॐ नमः शिवाय🙏🙏

    ReplyDelete

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