वृद्धाश्रमों की आवश्यकता दिनों दिन बढती जा रही है । जो चिंता का विषय है । परिवार दिनों दिन टूट रहे हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - भारत की सनातन भारतीय संस्कृति संयुक्त परिवार की है । समाज में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से देश में परिवर्तन आया है । संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल गए । परिवार में बड़े , बूढ़ों की अवेहलना होने लगी और उनकी अहमियत शनैःशनैः खत्म होने लगी । मानव में मूल्यों , संस्कारों का ह्रास होने लगा । माता -पिता जिन्होंने संतान को स्वाबलंबी , आत्मनिर्भर बनाया । उन्हीं की औलाद अपने माता -पिता को बोझ मानते हैं । वे अपने संग रखना पसंद नहीं करते हैं । बुढापे में बच्चों की सेवा की जरूरत होती है तो वे बच्चे सेवा करना पसंद नहीं करते है । सन्तान को उनकी बात भी बुरी लगती है । माता - पिता की सेवा न करने से सन्तान आजाद रहना चाहती है इसलिए उन्हीं की संतान उन्हें वृद्धाश्रम में रखना पसंद करते हैं । समाज में यही नकारकात्मक भाव प...
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ReplyDeleteप्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’ अब हमारे बीच नहीं रहे!
पूर्व महानिदेशक, प्रकाशन विभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार एवं नागरी लिपि परिषद के संरक्षक और प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि आज अपराह्न में, स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए हैं। भाषा, साहित्य और लिपि के लिए समर्पित ऐसा विद्वान मिलना असम्भव है। हिंदी और अंग्रेजी साहित्य जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति है।
वे बड़े शिष्ट, सहज, कुशल एवं सहयोगी व्यक्तित्व के थे! मेरा उनका परिचय 1972 से था! सदैव सम्पर्क में रहे!
जब भी मेरा भारत जाना हुआ पिछले 27 वर्षों से उनसे मिलना होता रहा। साहित्य, सृजन, अध्यात्म, समाज, विश्व, आदि पर सदैव विचार विनिमय हुआ! उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। पुस्तकें पत्रिकाएँ परस्पर साँझा करते रहे। व्हाट्सएप पर संदेशों का आदान प्रदान होता रहा!
आज उनके जाने से हम सब लोग मन ही मन दुखी हैं!
परमात्मा से मिल कर उनकी परम आत्म परमानंद पाए और महाविश्व को आनन्द देती रहे!
भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि
ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति!!!
विनीतः
गोपाल बघेल ‘मधु’
अखिल विश्व हिंदी समिति
आध्यात्मिक प्रबंध पीठ
मधु प्रकाशन
टोरोंटो, ओन्टारियो, कनाडा
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( WhatsApp से साभार))