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Showing posts from August, 2025

वोटर अधिकार यात्रा

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अमृता प्रीतम स्मृति सम्मान -2025

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      अकड़ और घमंड को एक बिमारी के रूप में देखा जाता है। जिस का इलाज बहुत कठिन होता है परंतु असम्भव नहीं है। यह समय आने पर अपने आप इलाज हो जाता है। जिसे समय का चक्र कहते हैं। यही चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। जो अधिकतर  मानसिक बिमारी के रूप में देखा जा सकता है। जैमिनी अकादमी ने इस परिचर्चा के रूप में पेश किया है। अब आयें विचारों को देखते हैं : -       अकड़ और घमंड जिसमें होता है इसी के चलते न वह किसी का सम्मान करता है और न ही कुछ सीखना-समझना चाहता है। इसी के चलते लोग दूरी बनाने लगते हैं और वह अकेला पड़ता चला जाता है। एक कहावत चली आ रही है कि घमंड तो इतने योग्य और विद्वान रावण का भी नहीं रहा तो इंसान क्या चीज है? वास्तव में यह एक मानसिक व्याधि ही है जिससे ग्रसित व्यक्ति अपने आप को ही सर्वेसर्वा समझता है। समय ही एक ऐसा चिकित्सक है जो अंत समय में व्यक्ति को समझा ही देता है की वह कितना गलत था, पर तब तक समझने में बहुत देर हो जाती है।     - डा० भारती वर्मा बौड़ाई        देहरादून -...

बीजेन्द्र जैमिनी

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            बीजेन्द्र जैमिनी     ( Bijender Gemini )    वरिष्ठ पत्रकार  , लेखक  व संपादक जन्म : 03 जून 1965 , पानीपत - हरियाणा शिक्षा : एम ए हिन्दी , पत्रकारिता व जंनसंचार विशारद्           फिल्म पत्रकारिता कोर्स             कार्यक्षेत्र : प्रधान सम्पादक / निदेशक             जैमिनी अकादमी , पानीपत    ( फरवरी 1995 से निरन्तर प्रसारण ) मौलिक :- मुस्करान ( काव्य संग्रह ) -1989 प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) -1990 त्रिशूल ( हाईकू संग्रह ) -1991 नई सुबह की तलाश ( लघुकथा संग्रह ) - 1998 इधर उधर से ( लघुकथा संग्रह ) - 2001 धर्म की परिभाषा (कविता का विभिन्न भाषाओं का अनुवाद) - 2001 सम्पादन :- चांद की चांदनी ( लघुकथा संकलन ) - 1990 पानीपत के हीरे ( काव्य संकलन ) - 1998 शताब्दी रत्न निदेशिका ( परिचित संकलन ) - 2001 प्यारे कवि मंजूल ( अभिनन्दन ग्रंथ ) - 2001 बीसवीं ...

अमेरिकी अदालत ने ट्रम्प को लगाई फटकार

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लाल बिहारी लाल

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      लाल बिहारी लाल  जन्म- 10 अक्टूबर 1974 जन्म स्थान- ग्राम +पो. श्रीरामपुर,भाया- भाथा सोनहो            जिला-सारण(छपरा),बिहार-841460 माता-स्व. मंगला देवी .पिता-स्व. सत्य नरायण साह पत्नी-श्रीमती सोनू गुप्ता शिक्षा- स्नातकोतर(एम.ए.)-हिन्दी संतान - 2 पुत्र वरिष्ठ-रवि शंकर ( MCA)             कनिष्ठ-कृपा शंकर (BA,& B. Ed) ब्यवसाय- सरकारी नौकरी+समाजसेवा+लेखन संपादित कृतियाँ-   1.समय के हस्ताक्षर(2006), 2,लेखनी के लाल (2007), 3 माटी के रंग(2008), 4 धरती कहे पुकार के(2009)तथा  कोलकाता से प्रकाशित हिन्दी साहित्यिक पत्रिका साहित्य त्रिवेणी के पर्यावरण विशेषांक का संपादन (2011), बदरपुर दिग्दर्शिका (2017,2018,2019,2020 ,2022) आदी।  भाषा-  हिन्दी,भोजपुरी एवं अंग्रैजी  विशेष-  श्री लाल की हिन्दी एवं भोजपुरी की कवियाये एवं गीत देश के विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहती है। इनके सैकड़ो भोजपुरी गीत टी.सीरीज,...

चीन के लिए रवाना हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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डॉ. राकेश 'चक्र'

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        डॉ. राकेश 'चक्र' 1. रचनाकार का नाम- डॉ राकेश 'चक्र' ( अभिलेखों में नाम डॉ राकेश कुमार गुप्त ) 2. जन्मतिथि - 14/11/1954 (20 जुलाई 1954 अभिलेखों में )। 3. पिता का नाम - स्व.धीरज लाल जी। 4. माता का नाम - स्व.द्रोपदी देवी जी। 5 . पत्नी का नाम - श्रीमती रेनू गुप्ता जी। 6. जन्म स्थान- ग्राम - शाहजहांपुर, पोस्ट - जलाली, जिला अलीगढ़ ,उत्तर प्रदेश। 7. शिक्षा- एम.ए ,एलएलबी, एमडी( एक्यूप्रेशर) , डीएटी , योग विशेषज्ञ। 8. कार्यक्षेत्र ( क ).- सेवानिवृत्त अभिसूचना अधिकारी उत्तर प्रदेश पुलिस 2014। ( ख ). वर्तमान में एक्यूप्रेशर  आहार - विहार और योगादि द्वारा निःशुल्क चिकित्सा सेवा निजी आवास पर। ( ग ). वृद्धाश्रमों और विद्यालयों आदि में निःशुल्क चिकित्सा सेवा एवं पुस्तक एवं पत्रिका आदि वितरण ( घ) विद्यालयों में मोटिवेशनल आख्यान। निःशुल्क योग प्रशिक्षण देना आदि। 9. सृजित विधाएँ - प्रौढ़ साहित्य - गद्य  में - ( कहानी , लघुकथा , आलेख , प्रेरणाप्रद मोटिवेशनल साहित्य, स्वास्थ्य , योग और एक्यूप्रेशर आदि में स्वतंत्र लेखन) , पद्य में- ( कविता , गीत , दोहे , कुंड...

भगवती चरण वर्मा स्मृति सम्मान - 2025

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      प्रशंसा और निंदा में बहुत बड़ा अन्तर होते हुए भी कोई विशेष अंतर नहीं है। जिस को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। समझने के लिए संयम की आवश्यकता होती है। जो समझ गया वहीं इसी दुनिया में कामयाब है। जैमिनी अकादमी द्वारा चर्चा परिचर्चा का विषय भी ऐसा कुछ रखा गया है। अब आयें विचारों को देखते हैं :- ‌       निंदा करने वाले व्यक्ति बुरे लगते है किंतु , कबीर जी ने कहा है...निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। निंदा को अपने निकट रखना चाहिए वह पानी और साबुन के बिना हमारे स्वभाव को निर्मल बना सकता है। यदि कोई  हमारी निंदा द्वारा हमारी आलोचना करता है तो हमें ठंण्डे दिमाग से सोचना चाहिए कि वास्तव में हममें कौन सी बुराई है। यदि शांतिपूर्वक सोचने के बाद स्वयं में कोई बुराई दिख जाए तो हमें निंदक का कृतज्ञ होना चाहिए चूंकि उसने दर्पण की भांति हमारा दुर्गुण दिखाकर हमें सुधरने का मौका दिया है। मानव का एक स्वभाव होता है कि वह अपने दोष कम और दूसरे के दोष अधिक देखता है। हमें उसके सद्गुण भी देखना चाहिए यदि ...