भरोसा किस पर करना चाहिए। आज के समय में कुछ भी हो सकता है। इसलिए भरोसा हमेशा सोच समझ कर करना चाहिए। बाकि तो ये कलयुग है। भरोसे लायक कुछ बचा नहीं है। जैमिनी अकादमी परिचर्चा श्रृंखला में भरोसा विषय अपने आप में बहुत कुछ कहता है। ऐसे में आयें विचारों को देखते हैं : - भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बनती है,लेकिन दूसरों पर रखें तो कमजोरी बनती है। सही कथन है।भरोसा के पर्यायवाची शब्द हैं विश्वास, यकीन, आश्वासन,आस्था, आशा, सहारा, आसरा, और निर्भरता। ये सभी शब्द किसी पर या किसी बात पर दृढ़ विश्वास, किसी के समर्थन पर निर्भरता, या भविष्य के प्रति सकारात्मक उम्मीद को दर्शाते हैं। भरोसा भी विविध परिस्थितियों में विविध आयाम लिए हुए हैं । जब मानव टीम वर्क करता है तो सबके साथ मिलकर एक दूसरे पर भरोसा करके सफलता पाता है। क्रिकेट इसका उदाहरण है । इस संदर्भ में भरोसा पर स्वरचित चौपाई है-
तुलसी को है राम भरोसा।
रामचरितमानस को पोसा।।
काशी के असि घाट गुना था।
यह सब मैंने वहाँ सुना था।।
हुयी पांडुलिपि तुलसी चोरी ।
राम भरोसा कर वह जोरी ।।
ढूँढे मानस को बजरंगी ।
हुए भक्त के प्रभु तब संगी।।
भक्त और ईश्वर पर भरोसा होना सोने में सुहागा है।
सोने की चिड़िया वाले भारत देश के राजाओं ने अंग्रेजों पर भरोसा किया । दूसरों पर भरोसा किया । इस कमजोरी का परिणाम सामने था , देश लगभग 200 सालों तक गुलाम रहा था।इस तीन अक्षर वाले भरोसा का हृदय से अवलोकन और चिंतन करें तो इसका व्यापक आधार है और मूल यही है कि कुछ लोग स्वयं पर भरोसा रखते हैं।जैसे एवरेस्ट फतह पर्वतारोही अपने भरोसे के बल खुद के दम पर करता है। ओलंपिक में खिलाड़ी खुद के भरोसे पदक विजेता बनता है। कुछ व्यक्ति दूसरों पर भरोसा करते हैं । मनुष्य जीवन व्यक्तिगत होते हुए भी सामाजिक , पारिवारिक और संवेगात्मक स्वरूप में एक दूसरे से जुड़ा हुआ है । परिवार की इकाई भरोसा पर चलती है।रिश्ते की इमारत प्रेम , समपर्ण, त्याग , विश्वास की बुनियाद पर टिकी होती है। अगर भरोसा टूटा तो संबंधों में दरार आ जाती है।परिवार में सभी सदस्य , इंसान को लक्ष्य पाने के लिए कर्म करना पड़ता है , संघर्ष करना होता है। अगर हमारे संस्कार , हमारी वृति सदवृति , सकारात्मक सोच , खुद पर भरोसा है तो दुर्गम रास्तों पर चलकर मंजिल इंसान प्राप्त कर लेता है। मिसाल है माउंटेन मैन दशरथ मांझी।जिसने 22 वर्ष तक की कठोर तप साधना से एक हथौड़े , छेनी से एक पहाड़ काट कर 110 किलोमीटर का रास्ता बनाकर ग्रामीण लोगों , अन्य जनों के लिए असाधारण कार्य किया। उसे खुद के हाथों पर भरोसा था।
विषमताओं में अपनी पत्नी फागुनिया
जैसी अन्य लोगों के लिए रास्ता बनाया , उसकी गर्भवती पत्नी लंबे रास्ते की वजह से पहाड़ पर पैर फिसल जाने पर अस्पताल जाने में मर गयी उसके प्रेम में दशरथ ने रास्ता बनाया ।जिसे उसे ऊर्जा , गति और कुछ करने की शक्ति क्षमताओं से सामर्थ्यवान बनाया । असंभव को संभव किया। हार नहीं मानी । भरोसा का जज्बा , निरंतरता , परिश्रम और लगन ही समस्या का समाधान होता है । इंसान को ताकत देता है। अगर वह किसी और इंसान का भरोसा करता तो रास्ता भी नहीं बनता । उन हाथों की प्रतीक्षा भी करनी पड़ती। मैंने 14 किताबें लिखीं तो खुद के भरोसे ही रची और हर कलमकार लेखन करता है तो खुद के भरोसे करता है । लेखक नहीं होता तो किताबें भी नहीं होती हैं भगवान बुद्ध भरी जवानी में अपनी गृहस्थी छोड़कर खुद के भरोसे से ज्ञान की प्राप्ति में चल दिये । ज्ञान प्राप्त करके नर से नारायण बन गए। भरोसा करने में विषमताओं में सूरज की तरह खुद को तपाना होता है । स्वर्ण भी अग्नि में तपकर शुद्ध खरा कंचन बनता है। अगर यह भरोसा दूसरों पर निर्भर होगा तो उसकी गत भी सही नहीं होगी। जैसे तिनका का उड़ना खुद के भरोसे संभव नहीं है । उसका उड़ना हवा के रूख पर निर्भर है। जिधर हवा तिनके को ले जाए उधर ही उस दिशा में उड़ेगा ,यदि हवा शांत हो गयी तो धड़ाम से ऊँचाई से नीचे गिर जाएगा । ऐसे ही तिनकेवाली प्रवृति के लोग होते हैं । जो दूसरों की उंगली पकड़ कर चलते हैं उन्हें दूसरों पर भरोसा होता है तो वह जब उँगली छोड़ता है तो उसकी स्थिति तिनके की तरह हो जाती है । आज की राजनीति में विरोधी दलों का गठबंधन तिनके की तरह है। अतः हम और आप सब स्वतः पर भरोसा रखें जीवन को परहित , परमार्थ करने में सार्थक , सहायक बनाएँ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
तुम सितारों के भरोसे पऱ मत बैठे रहना अपनी तदबीर से तकदीर बनाते जाओ, अगर भरोसे की बात करें तो भरोसे पर दूनिया टिकी है लेकिन कईबार भरोसा टूटता है और बहुत दर्द देता है क्योंकि ज्यादातर अपनों पर विश्वास किया जाता है लेकिन जब उनकी तरफ से विश्वासघात हो जाता है तो दिल को गहरी चोट पहुँचती है, हम अपने लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया जाता है, इसलिए दुसरों पर भरोसा करना मँहगा पड़ता है, वोही कार्य अगर हम खुद करने का प्रयास करें तो हम अपनी मंजिल को पा सकते हैं लेकिन आजकल धोखाधड़ी के जमाने में सभी पर भरोसा करना वेबकूफी है इससे बेहतर है जिस कार्य को करने में हम खुद कामयाब हो सकते हैं उसे खुद करने का प्रयास करना चाहिए, कहने का मतलब हमें खुद पर भरोसा करना होगा, तो आज इसी विषय पर बात करते हैं कि अपने आप पर भरोसा करना एक ताकत बनती है, मेरा मानना है कि, आपने आप पर भरोसा करने से आत्मविश्वास में मजबूती बढ़ती है, हमें मुश्किल हालातों में सामना करने की ताकत मिलती है, मानसिक शक्ति में बढौतरी होती है और दिल में तसल्ली हेती है कि मैंने आज कुछ हद तक कार्य को कर लिया है और रहे सहे कार्य को भी कर के ही रहुँगा, मन में सकारात्मक सोच बढने लगती हैं, आत्म सदेंह कम होता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है जिससे संतुलन बना रहता है, जिससे जाहिर होता है कि खुद पर भरोसा करने से, अपने फैसलों और लक्ष्यों को हासिल करना का अटूट विश्वास बढता है, जबकि दुसरो पर विश्वास करने से, किसी भी कार्य पूर्ण होने की कोई पक्की उम्मीद नहीं होती और फजूल में समय नष्ट होता है और कई खुशामिदों का सामना करना पड़ता है और उसके आगे अपनी कीमत कम होने लगती है और आदमी अंदर ही अंदर कुढ़ता रहता है, काम हो या न हो अहसान फरामोश होना पड़ता है इसके साथ साथ अपने कई राज खुल कर सामने आते हैं, अन्त में यही कहुँगा कि हमें खुद पर भरोसा करके ही हर काम की शुरुआत करनी चाहिए उसी में कामयाबी मिलती है दुसरों के भरोसे अपनी नींद तक हराम हो जाती है। - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
यदि हम खुद पर भरोसा रखते हैं , तो वह हमारी ताकत बनती है क्योंकि स्वयं पर भरोसा व आत्मविश्वास हमें कठिन से कठिन कार्य पूर्ण करने की सहायक होता है !! यदि स्वयं पर भरोसा ही नहीं व्यक्ति को , तो वह सफलता की राह को , बीच रास्ते मैं ही छोड़ देता है !! खुद पर भरोसा ही लक्ष्य प्राप्ति मैं सहायक होता है !! दूसरों पर भरोसा करनेवाले अक्सर धोखा खा जाते हैं क्योंकि किसी अन्य व्यक्ति पर भरोसा करना खतरे से खाली नहीं है !!अपनी गारंटी ले सकता है व्यक्ति , किसी अन्य की नहीं !!हमें स्वयं पर विश्वास करके कार्य करना चाहिए , न कि किसी अन्य पर !! - नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बनती है सच है जीवन की पगडंडी पर कई समस्याएं आती है उन समस्याओं से निपटने के लिए दुसरो पर भरोसा कर समाधान निकाल ने का प्रयास करोगे तो संभव नहीं है।आप अपने आप पर भरोसा निष्ठा के साथ करो।राह में आने वाली हर समस्या का समाधान होता जाएगा और लोग आपसे कुछ सीखेंगे। भगवान बुद्ध ने भी अपने आप पर भरोसा कर घर से निकल पड़े और उन्हें सफलता ऐसी मिली कि वो पूरे विश्व में विख्यात हो देवतुल्य हो गए। हम आप भी अपने आप पर भरोसा करें और जीवन को सार्थक बनाएं। - विनोद कुमार सीताराम दुबे
मुंबई - महाराष्ट्र
भरोसा ख़ुद पर ही रखना चाहिए, दूसरों पर रखा भरोसा जाने कब उपलब्ध न हो अथवा हाथ से छूट जाए कोई नहीं जानता। चिड़िया को भरोसा पेड़ की डाली पर नहीं अपितु अपने पंखों पर होता है। पेड़ को काटने वाली कुल्हाड़ी पेड़ से ही बनती है। दीया भलाई वाला हाथ नहीं पहचानता। दिए को जलाने वाले हाथ को भी दीया नहीं पहचानता और जला सकता है । कहते हैं ना अपना हाथ जगननाथ। बिना आप मरे स्वर्ग नहीं मिलता। अतः दूसरों पर भरोसा करने की बजाए पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बुद्धि, विवेक और कौशल का निरंतर विकास करते रहे और उसी पर ही 100% भरोसा करें । - रेनू चौहान
नई दिल्ली
जीवन में बहुत विविधता है। अपनी-अपनी सोच और समझ से सब अपने-अपने तौर-तरीके से अपना-अपना जीवनयापन कर रहे हैं। इसमें संघर्ष भी है और सुख-दुख भी। गहराई से अवलोकन और मनन करें तो इसका मूल आधार यही है कि कुछ लोग खुद पर भरोसा रखते हैं और कुछ लोग दूसरों पर। कारण यह कि जीवन में औरों की जरूरत पड़ती ही है। हमारा जीवन व्यक्तिगत होते हुए भी सामाजिक रूप में बंधा हुआ भी है और सधा हुआ भी।हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें कर्म करना पड़ता है, जिसके संचालन में हमारे स्वभाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही हमें सामर्थ्यवान और ऊर्जावान बनाता है। स्वभाव में भरोसा उत्प्रेरक का कार्य करता है। यदि यह भरोसा खुद पर है तो ताकत बनकर हमारी सामर्थ्य और ऊर्जा को त्वरित गतिशील बनाने में सहायक होगा। वही यदि यह भरोसा दूसरों पर निर्भर होगा तो प्रतीक्षा में समय गंवाएगा। यही प्रतीक्षा कमजोरी होगी। अत: हमें सदैव प्रयास यही करना चाहिए कि हम खुद पर भरोसा रखना सीखें और आत्मनिर्भर बनें। ताकि हमारी निरंतरता बनी रहे। - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
भारत माताओं ने इतिहास रचा था कर्मठ अडिग वीरों को संस्कार दिए थे ! सत्य ,अहिंसा ,परमोधर्म जनहित में मानचित्र रेखाये अंकित वीरों की गाथायें बता विश्वास दिलाया था बापू ने इतिहास बनाया कमज़ोर नही । लाचार नही मीठी उनकी वाणी थी !स्वत्रंतता बिगुल बजा तिरंगा फहराया देशहित राष्ट्रहित उत्साह जगाया था ! आधुनिक भारत माता का लाल था मितव्यता शिक्षा साकार रूप दिया संकट की वो विषम घड़ी थी देश जगाने आया था । जय जवान जय किसान नारा दिया भारत माता के लाल ने बुद्धि विकास का ख़ज़ाना है।क़लम की ताक़त “कलाम अग्नि के पंख “ पुस्तक युवाओं को मिसाइल ,बना प्रेरित करती है! स्पेस में वैज्ञानिकता सुभांशु शुक्ला पहचान दिलाई हैं , चारों दिशाओं में समर्पित कृतियाँ आन समर्पित सितारे हो जो चाँद पर पहुँच तिरंगा लहराया , ऐसे बहुत से लोक नायक है जो जनसेवा कर बंधनों से मुक्त कराने की ताक़त रखते है । इंसानियत का दामन ना डगमगायें ,ये सोच धरा के अस्तित्व बेदाग़ बनाये रखते की ताकत है पर यही काम हम दूसरों पर रखते है !तो कमजोरी साबित होती है ! बिना बोले ही सब कुछ एहसास होना आज से बेहतर कल होगा किसी को कमजोर समझाना ख़ुद की कमजोरी को दिखाती है ! - अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
आज की सच्चाई यही है कि हम खुद पर भरोसा करें तो हम वो सब काम कर सकते हैं जो दूसरों भरोसे रहते हैं. क्योंकि अपने आप पर भरोसा करने से ताकत आती है. ये बात एकदम सत्य है. दूसरों के भरोसे रहने रहने से हमारा वह काम समय पर नहीं होता है या होता भी है तो ठीक ढंग से नहीं होता है. कहने वाले भी कहते हैं फलाने का हर काम देर से होता है क्योंकि वो हमेशा दूसरों के भरोसे रहता है. इससे हमारी कमजोरी सिद्ध होती है. जो खुद पर भरोसा करता है तो सभी कहते हैं वह खुद ताक़तवर है अपना काम स्वयं कर लेता है. इससे सिद्ध होता है कि "भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बनती है, लेकिन दूसरों पर रखो तो कमज़ोरी बनती है." अभी आप लोग एक दम ताजा उदाहरण देख सकते हैं. जब से हमारा देश आत्म निर्भर बन रहा है तब से सारी दुनिया हमारी ताकत को देख रही है. हर क्षेत्र में हम खुद पर भरोसा कर रहे हैं जो हमारी ताकत बनती जाती है. अमेरीका जैसा देश भी हमारे सामने झुकने को बाध्य हो रहा है. खुद पर भरोसा वाली हमारी ताकत को समझ गया है. पहले हम दूसरों के भरोसे रहते थे तो सभी हमें कमजोर समझते थे. मैंने स्वयं भी कई काम दूसरे के भरोसे छोड़ा तो कुछ हुआ, तो कुछ हुआ ही नहीं, कुछ देर से हुआ. जो खुद के भरोसा से किया समय पर हो गया. इसलिए हर काम में खुद पर भरोसा कीजिए अपनी ताकत बनाइये.दूसरों पर भरोसा कर कमजोर मत बनिए. - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प.बंगाल
जब हम खुद पर भरोसा रखते हैं तो हमें ताकत मिलती है और जब हम दूसरों पर भरोसे रहते हैं तो हमारी कमजोरी बनती है यह बात बिल्कुल सही है अगर हम किसी की इंतजार करते रहे हैं कि वही काम करेगा .....वो ही काम ..करेगा वही आएगा । यह काम वो ही करेगा तो हम कुछ भी नहीं कर पाते। आलसी बन जाते है।बल्कि धीरे धीरे काम करने से भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जाते हैं। करत करत अभ्यास ते।
जड़मत होत सुजान।
आज के युग में जिस तरह से AI काम करने लगी है । कुछ भी प्रॉब्लम हो ...कुछ प्रश्न हो ...तो हम एआई से प्रश्न करते हैं और वह उसका तुरंत जवाब दे देती है । तो खुद की सृजन शक्ति क्षीण होने लगी है । धीरे-धीरे अब हम कुछ लिखना भी चाहे तो खुद नहीं लिखते तुरंत एआई से प्रश्न करेंगे और जवाब तुरंत। तो इस तरह से अब हम हमारी सृजन शक्ति .. तर्क शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है और सच में जब हम जब खुद पर भरोसा हो तो हमारी ताकत बनती है किसी दूसरे पर निर्भर रहकर हम कमजोर ही बनते हैं जब हम खुद पर भरोसा रखते हैं, तो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने की ताकत मिलती है। वहीं, जब हम दूसरों पर भरोसा करते हैं, तो हम अपनी शक्ति और निर्णय क्षमता को कमजोर बना सकते हैं।आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता हमें मजबूत बनाती है, जबकि दूसरों पर निर्भरता हमें कमजोर बना सकती है। इसलिए, खुद पर भरोसा रखना और अपने निर्णयों पर विश्वास करना बहुत महत्वपूर्ण है।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जीवन में भरोसा-जीवन दीर्घकाल तक अभिन्न अंग है, जिसके परिप्रेक्ष्य में रिश्तेनाते,समसामयिक रचनात्मक, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि भाग्यवादी, कर्म वादी वाणी पर संयम रुप में केन्द्रित रहता। जीवन एक गोपनीय प्रसंग है, हर बात समय आने पर साझा करनी पड़ती है, उसी परिवेश में ताकत बनी रहती है, लेकिन समय चक्र ऐसा परिदृश्य हो जाता है, अपनी बात अपने घनिष्ठ को बतानी पड़ती है, परन्तु कटु सत्य है और अपनी कमजोरी का पता भी चल जाता है। मानव को चाहिए, मानववादी बन कर अपनी बात स्पष्ट रुप से स्वयं अपने पास रहे, किसी दूसरे को जाहिर नहीं करें, स्वयं अपने पास ही रखे। - आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
यह बात शत प्रतिशत सही है। भरोसा शब्द सुनने, कहने में कितना छोटा है किंतु यही भरोसा हमें जीवन में कितने सबक सिखा देता है। हमारे मित्र, हमारे आत्मीय जनों की परख भी इसी भरोसे पर आकर टिक जाती है। यदि हम अपने काम दूसरों पर विश्वास कर उसके भरोसे छोड़ देते हैं तो जरूरी नहीं कि वह आपके समय पर, आपकी पसंदानुसार हो ही जाएगा। ना होने पर हमें दुख के साथ गुस्सा भी आ जाता है। हमारा विश्वास उसपर से उठ जाता है। उस समय हमारे मुँह से अनायास यह कहावत निकल आती है "आप मरे बिना स्वर्ग नहीं जाया जा सकता है" हमारे संबंध खराब हो जाते हैं। दूसरों पर भरोसा कर बार बार ताने भी सुनने पड़ते हैं। यही काम हम अपनी सकारात्मक सोच के साथ स्वयं करते हैं तो पूरी लगन मेहनत , विश्वास के साथ काम को पूर्ण सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक देते हैं और सफलता मिलने पर जो उत्साह, खुशी, मान सम्मान मिलता है वहीं हमारी ताकत बन जाती है। हमारे कार्य की सफलता, अनुभव को देखते हुए हमारी शक्ति का संचार होता है, बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलते ही हम उस मौके को लपक लेते हैं चूंकि हमें अपनी मेहनत, लगन और स्वयं पर पूर्ण विश्वास आ जाता है कि सफलता उसे अवश्य मिलेगी। और स्वयं पर यही भरोसा, विश्वास उसकी ताकत बन जाता है। मैं यह नहीं कहती कि आप दूसरों पर विश्वास ना करो , विश्वास करो किंतु आँख बंद करके भी नहीं करना चाहिए। कभी धोखा भी हो सकता है। हमारा आत्म विश्वास हमें कभी धोखा नहीं देता बल्कि अनुभव का खजाना अवश्य देता है। कभी कभी सफलता नहीं भी मिलती तो क्या...इसी अनुभव के खजाने को ले, संघर्ष और परिश्रम और अपने भरोसे और आत्म-विश्वास के साथ मंजिल की ओर बढ़ सफलता की सीढ़ी चूम ही लेता है । असफल होने पर भी अपनी सकारात्मक सोच,भरोसा लिए उसी आत्म विश्वास को लिए आगे बढ़ता है और यही उसकी ताकत बनती है।स्वयं पर भरोसा ही हमारी ताकत है। - चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
यह बिल्कुल सत्य है कि अपना काम स्वयं करना चाहिए।अपने पर भरोसा रखना चाहिए।यह हमारे लिए ताकत का रूप बन जाते हैं।हम सफ़ल बन जाते हैं और प्रसिद्धि भी प्राप्त कर लेते हैं।अपने द्वारा किए कार्य से आत्म संतुष्टि भी मिल जाती है।अतः हमें अपने कार्य स्वयं करने चाहिए।अगर हम दूसरों पर हमेशा भरोसा रखेंगे तो वह कमजोरी बन जाएगी।वे हमें महत्व देना छोड़ देंगे।किसी भी क्षेत्र में अग्रसर होना हो तो अपने ऊपर भरोसा और अपने कार्य पर ध्यान देना होगा।इतिहास गवाह है कि ऐसा करने से ही हम सफलता प्राप्त करते हैं।बड़े_बड़े महापुरुषों ने भी ऐसा ही किया था। - दुर्गेश मोहन
पटना - बिहार
बिल्कुल सही कहा आपने आदरणीय, हमारी ताकत हमारा भरोसा है। जब हम कोई भी काम करने का संकल्प लेते हैं तो हमें स्वयं पर विश्वास होता है कि मैं यह काम कर सकता हूं और जब वह काम पूरा हो जाता है, तब आगे बढ़ने का हौंसला और बढ़ जाता है। ऐसे ही स्वयं के भरोसे पर जब हम बड़े-बड़े काम करते हैं तो और ज्यादा काम करने की हमारी ताकत बढ़ती रहती है। इन्हीं कामों को ले कर अगर हम यह सोचे कि मैं नहीं कर सकता, मुझ में हिम्मत नहीं है या मेरा काम कोई और करेगा। दोस्त- मित्र, रिश्तेदार अथवा घर में अन्य सदस्यों पर छोड़ देते हैं, तब किसी एक दिन हम बिल्कुल नि:सहाय हो जाते हैं अर्थात् औरों के सहारे रह जाते हैं। ऐसे में संपन्न होते हुए भी हमारी कमज़ोरी का दूसरे लाभ लेते हैं और हम शक्तिहीन होते जाते हैं। सही शब्दों में अपना भरोसा हमें ताकत देता है और, औरों पर आश्रित रहने पर हम शक्तिहीन हो जाते हैं, भीतर से टूटते हैं। - डॉ. संतोष गर्ग ' तोष '
पंचकूला - हरियाणा
" मेरी दृष्टि में " आप सब अपने चारों ओर नज़र घुमा कर देखा। कोई भरोसे लायक नज़र आता हैं ? शायद कोई नहीं है। इसलिए फिर भरोसा किस पर करना चाहिए? सिर्फ अपने ऊपर भरोसा करना चाहिए। जो हर तरह ठीक है। यह मेरे लिए अनुभव के अतिरिक्त कुछ नहीं है। बाकि सोच सब की अपनी - अपनी है।
- बीजेन्द्र जैमिनी
(संचालन व संपादन)
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