बीजेन्द्र जैमिनी की कुछ कविताएँ

                सोचते – सोचते

अपना कुछ नहीं
सब को सुखः दिया
फिर भी कुछ नाराज
सोचा –
फिर सोचा
सोचते – सोचते
बिमार पड़ गया
एक दिन मौत ने भी
घेर लिया
हो गया अन्तिम संस्कार
जो नाराज थे
अब वो भी कहते हैं
बहुत अच्छा था
फिर बुरा क्या था
बुरा तो समय था
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                  आया है बसंत

चली हवा फूलों सी
आया है वसंत
दिल खिले आसमान में उड़े
चली हवा फूलों सी
बागों की खशबू
घर घर पहुँचे
हर चहरें पर
आया है वसंत
खेतों की रौनक
चारों ओर नज़र आय
हर दिल पर
छाया है वसंत
घर में खुशी
सभी के चहरे पर आई
देखों सभी
आया है वसंत
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                राजनीति भाषण

नेता
बन गये पार्टी वक्ता
रोज भाषण देते है
पार्टी को मजबूत करते है
रात-दिन एक करते है
राजनीति भाषण देते है।
नेता
बन गये विधायक
रोज समस्या सुनते है
अपने क्षेत्र को मजबूत करते है
रात-दिन एक करते है
राजनीति भाषण देते है
नेता
बन गये मन्त्री
रोज लोगों के काम करते है
अपने कार्यकत्तों को मजबूत करते है
रात-दिन एक करते है
राजनीति भाषण देते है।
नेता
बन गये मुख्यमन्त्री
रोज नई-नर्इ योजना लागू करते है
राज्य की सेवा करते है
रात- दिन एक करते है
रातनीति भाषण देते है।
नेता
बन गये आंतकवादी निशान का शिकार
रोज नर्इ-नर्इ बातें होती है
प्रदेश में हर काम की बातें होती है
रात-दिन सभा होती है
रानीति भाषण होते है।
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            उल्लू महाराज की पूजा


माँ लक्ष्मी जी की सवारी
उल्लू महाराज
यह सभी जानते है
माँ की रोज-रोज पूजा देख कर
उल्लू महाराज जी नाराज हो जाते है
माँ को पता चला
उल्लू महाराज का दर्द
देख कर
माँ बेचैन हो गई
उल्लू महाराज को दरबार में बुलवाया
और समझाया
परन्तु उल्लू महाराज जी
अपना रोष जारी रखते है
गुस्सें में
माँ ने बिना सोचे समझे
उल्लू महाराज को आर्शिवाद प्रदान कर दिया
साल में एक दिन आप की पूजा होगी
मेरे सहित सभी नारियाँ
आप की पूजा करेगी
सभी देवता चौक पड़ते है
और बोले-
ये कैसे सम्भव है
माँ बोली-
नारी
करवा चौथ के व्रत बिना अधूरी रहेगी
यह व्रत पतियों की
लम्बी आयु के लिए होगा
जो उल्लू महाराज की पूजा के सामान होगा
सभी देवताओ ने आर्शीशीवाद दिया
तदाः अस्तु !

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              मेरी बेटी – मेरा वैभव

मेरी बेटी
मेरी शान
मेरी आनबान
मेरी है पहचान
मेरी बेटी – मेरा वैभव
मेरी बेटी
परिवार की शान
परिवार की आनबान
परिवार की है पहचान
मेरी बेटी – मेरा वैभव
मेरी बेटी
देश की शान
देश की आनबान
देश की है पहचान
मेरी बेटी – मेरा वैभव
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      हिन्दी है तो भारत है वरन् ये तो                गर्वमेन्ट आफँ इण्डिया है


हिन्दी है तो भारत है वरन् ये तो गर्वमेन्ट आफँ इण्डिया है
भारत माता तो आजाद है
हिन्दी भाषा आज भी
हाथ जोड़े खड़ी है
हिन्दी है तो भारत है वरन्…..
सतयुग हो या कलयुग हो
हम तो भारतवासी है
जिन में रामयण और महाभारत के
गुण विधमान है
फिर भी हम लंचार है
हिन्दी है तो भारत हे वरन्…..
कुरूक्षेत्र हो या अयोध्या हो
हम तो भारतवासी है
जिन में अनेंक धर्मा के
गुण विधमान है
फिर भी हम लचार है
हिन्दी है तो भारत है वरन्….
हनुमान हो या भीम हो
हम तो भारतवासी है
जिन में हजारों हाथियों का
बल विधमान है
फिर भी हम लंचार है
हिन्दी है तो भारत है वरन्….
लेखक हो या पत्रकार हो
हम तो भारतवासी है
जिन में सार्थकता व्यक्त करने का
गुण विधमान है
फिर भी हम लंचार है
हिन्दी है तो भारत है वरन्….
लोकतन्त्र हो या न्यायपालिका हो
हम तो भारतवासी है
जिन में बड़े से बड़ा कानून बनाने का
गुण विधमान है
फिर भी हम लंचार है

हिन्दी है तो भारत है वरन्…..

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                  मेरे दोस्तों

एक-एक पौधा लगाओ मेरे दोस्तों
पौधे को पड़े बनाओ मेरे दोस्तों
जीवन होता है अनमोल –
ऐसा संकल्प बनाओ मेरे दोस्तों !
हर नदी से नालें हटाओ मेरे दोस्तों
नदी को निर्मल बनाओ मेरे दोस्तों
जल होता है अनमोल –
ऐसा संकल्प बनाओ मेरे दोस्तों !
हर ग़दगी के ढेर हटाओ मेरे दोस्तों
स्वच्छता अभियान चलाओ मेरे दोस्तों
सफाई होती है अनमोल –
ऐसा संकल्प बनाओ मेरे दोस्तों !
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                बेटी का है सम्मान

बेटी पढा़ओ-
शिक्षा है वरदान
मानव जाति का है कल्याण
बेटी का है सम्मान
बेटी बचाओ – बेटी पढा़ओ
ये हम सब का है अभियान
बेटी बचाओ-
परिवार की है शान
बेटी से समाज का है कल्याण
बेटी का है सम्मान
बेटी बचाओ – बेटी पढा़ओ
ये हम सब का है अभियान
भारत बचाओ-
बेटी है वरदान
जन-जन का है कल्यान
बेटी का है सम्मान
बेटी बचाओ – बेटी पढा़ओ
ये हम सब का है अभियान
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                              पुरस्कार
जब से मुझे मिला है पुरस्कार
कोई मेरे पाँव छूँता है
कोई मुझे आर्शीवाद देता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे से
पुस्तक का विमोचन करवाता है
कोई मुझे से
कार्यालय का उदृधाटन करवाता है
कोई मुझे से
सरकारी नौकरी की सिफारिश करवाता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे साहित्यिक उत्सव का
मुख्य अतिथि बनता है
कोई मुझे परिचर्चा का
मुख्य वक्ता बनता है
कोई मुझे अपना
मार्ग दर्शक बतता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।
कोई मुझे पर कविता लिखता है
कोई मुझे पर लेख लिखता है
कोई मुझे से हस्ताक्षर लेता है
देखते ही देखते
मैं आम से खास हो गया हूँ।

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                           मां है तो परमात्मा है 

मां है तो बचपन है
मां है तो परमात्मा है ।

बचपन मे जब गिरते थे 
मां उठा कर प्यार करते थी 
फिर भी हम रोते थे चिल्लाते थे
मां है तो बचपन है 

मां की डाट तो ज्ञान थी
मां का प्यार संसार था 
फिर भी बचपन मेरा था 
मा है तो बचपन है 

आज मेरी मां नहीं है
कोई भी अपना नहीं है 
फिर भी मां का आर्शीवाद है
मां है तो बचपन है 
                    

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