उजाले की अगवानी

पेज़ न. 39 पर  बीजेन्द्र जैमिनी की कविता " ब्राह्मणों में अस्पृश्यता " प्रकाशित किया गया है।

    आज भी
     बद्रीनाथ मंदिर के
      मुख्य पुजारी होने का अधिकार
      नम्बूदरी ब्राह्मण जमाए हैं।
      नम्बूदरी ब्राह्मण कहते हैं
       अन्य ब्राह्मण
       हमारी तुलना में तुच्छ है।
      अगर ये ब्राह्मण
      मन्दिर के भगवान का स्पर्श करेंगे तो
      भगवान अपवित्र हो जाएगा।
      जिस से
      नम्बूदरी ब्राह्मण को पाप लगेगा
      अन्य ब्राह्मण तो
      होंगे ही पाप के भागीदार।
             ____________________

           इस काव्य संकलन में 36 कवियों को प्रकाशित किया गया है। जिस में नागार्जुन से लेकर सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला तक को प्रकाशित किया गया है। इस संकलन का सम्पादन भागीरथ मेघवाल ने किया है।
            पुस्तक का प्रकाशन

            भारतीय दलित पैंथर
8, मनहरनगर सोसायटी राजपुर- गोमतीपुर ,
       अहमदाबाद - 3800021 गुजरात
प्रथम संस्करण : 14 अप्रैल 1991
   

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