सोशल मीडिया पर आपकी भूमिका क्या है ?

                  सोशल मीडिया हर क्षेत्र में दखल रखता है । आज के तकनीक युग में हर कोई किसी ना किसी रूप से सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है। जिससे सोशल मीडिया का प्लेटफार्म बहुत बड़ा हो गया है । जहाँ लाभ व हानि दोनों है फिर भी सोशल मीडिया की उपयोगिता में कोई कमी नहीं है । सभी को सोशल मीडिया पर अपनी भूमिका पर ध्यान अवश्य देना चाहिए । तभी सोशल मीडिया की उपयोगिता का लाभ उठा सकेंगे । देखते है सोशल मीडिया पर विद्वानों की भूमिका : - 

      आज का युग  सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। और इसमें सोशल मीडिया की भी विशेष भूमिका है। मै भी सोशल मीडिया से जुडा हूँ और प्रयास करता हूँ कि जन हित  साहित्य कला सँस्कति हिमाचल की लोक कला  लोक सँस्कति लोक भाषा को अदान प्रदान करना अपना कर्तव्य समझता हूँ। इतना ही नहीं सुख दुख मे भागीदारी निभाने मे भी अहँ भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान परिवेश की पहचान बन चुका है सोशल मीडिया  और मानव एक दूसरे के पर्याय बन चुके है।लेकिन सोशल मीडिया का अश्लीलता अभद्रता के लिए भी दुर्पयोग हो रहा है इसके लिए जन जागरण की आवश्यकता है तथा व्यवस्था को भी जागरूक रह कर हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि सोशल मीडिया हमारे लिए अभिशाप न हो करके वरदान साबित हो सके।
                                    - आचार्य मदन हिमाचली
                                     सोलन - हिमाचल प्रदेश
    सोशल मीडिया में मेरी भूमिका एक सक्रिय- साहित्यकार,सामयिक रचनाएं रचने वाली अदना सी कवयित्री,समीक्षिका और लेखिका की है.
 दूर तलक यशस्वी  तो नहीं कह सकती ,लेकिन अपने सजग पाठक नर-नारी मित्रों में लोकप्रिय  हूं,इसका प्रमाण  है मेरी कृतियों को मिलने वाले सम्मान,पुरस्कार एवं मार्गप्रदर्शन करने वाली सटीक समीक्षाएं.
अनगिनत विद्यार्थियों ने फेसबुक पर मुझे अन्वेषित करते हुए सम्मान दिया है.
मेरी बरसों पुरानी  सहेलियां मिली हैं...आभासी मित्रों से समारोहों में यदा-कदा भेंट भी हो जाती है.
"जसपाल राणा" विश्वस्तरीय  निशानेबाज मेरा ही स्टुडेंट रहा  है,उनकी बहन सुषमा राजनाथ जी की पुत्रवधू भी है.इस बात का गर्व है मुझे.मीडिया पर उसके ज्यादा करीब हैं,जबकि मेरे घर से उसका घर करीब है.
 सोशल मीडिया से हम हर क्षेत्र में जानकारी हासिल कर लेते हैं.
 विदेश में बैठा मेरे बेटा सपरिवार बाॅटिम पर प्रत्यक्ष बातें करता है,जो सुखद अहसास है.
 बुजुर्ग मम्मी पापा से रोज ही बातें होती हैं.
कुशल-क्षेम जानने का सबसे अचूक जरिया है..
मीडिया.
सवेरे की सुप्रभात से रात की शुभ रात्रि तक सोशल मीडिया साथ रहती है.
वर्तमान का वरदान है यह.
                                                   - डा.अंजु लता सिंह
                                                  नई दिल्ली
            सोशल मीडिया पर मेरा बहुत ही अहम भूमिका है मैं मानता हूं कि आज के भागदौड़ की जिंदगी में सोशल मीडिया एक अहम भूमिका निभा रही हैं रिस्ते कि दुरियां को मिटाकर लोगों को सोशल मीडिया बहुत करीब कर दी है । जहां तक मेरे लाइफ कि सवाल है तो मैं सोशल मीडिया को एक गुरु मानता हूं जो मेरा साथ देने के लिए हमेशा तत्पर रहता है सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां से ज्ञान लिया भी जा सकता है और लोगों तक अपना ज्ञान पहुंचाया भी जा सकता हैं । इंसान आज अपने आपको बहुत सहज समझ सकता अपने बुध्दि विवेक के तर्कशक्ति से सोशल मीडिया से ज्ञान के साथ साथ रोजी रोटी भी कमा रहा और अपने आप को समय के साथ साथ परिवर्तित भी कर रहा हैं ।
                                      -  महेश गुप्ता जौनपुरी
                                          गनापुर - उत्तर प्रदेश
            मैं स्वयं सोशल मिडीया की फ़ैन हू आज फ़ेसबुक ,वाटसप हमारे जीवनमें रस बस गये है  बिना मोबाईल के हम रह ही नही सकते , ये हमें अपना ग़ुलाम बनाता जा रहा है । पर हमारी समझदारी इसी में है की हम काम के लिये उपयोग करे मनोरंजन के लिये नही इसके नुक़सान भी बहुत है आये देखे नुक़सान किया है ? सोशल मीडिया के बहुत ज्यादा उपयोग करने के मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ते हैं। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हैं। बच्चों पर सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा उपयोग करने का असर क्या पड़ रहा है, इस पर अनेक अध्ययन हो रहे हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि जो बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग बहुत ज्यादा करते है, उनके मन में जीवन के प्रति असंतुष्टि का भाव ज्यादा । हमारी जैसी महिलाओं पर भी असर करता है । हमारी अधिक समय यही ले लेता है परिवार से संवाद ख़त्म कर रहा है , सारा दिन मोबाईल इस्तेमाल से शारीरिक कस्ट भी आते है जो हम लोग नज़रअंदाज़ कर रहे है । महिलाओं के लिये। तो सोशल मिडीया बहुत ख़तरनाक साबित हो रहा है । महिलाओं के खिलाफ होने वाली ऑनलाइन हिंसा और उत्पीड़न एक बड़ी समस्या बन चुकी है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पहले ही बता चुके है कि यौन उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में ज्यादातर अभियुक्त परिचित या रिश्तेदार ही होते हैं. अब ऑनलाइन एब्यूज पर किया गया सर्वे भी बता रहा है कि महिलाओं को एब्यूज करने वाले सबसे ज्यादा उनके अपने नजदीकी होते हैं.
भारत में होने वाला कोई सर्वे भी ऐसे ही नतीजे लेकर आएगा. भारत में जहां ज्यादातर गालियां महिला रिश्तेदारों या महिलाओं की देह को लेकर दी जाती है, वहां ऑनलाइन गालियों के मामले में भी केंद्र में महिलाओं और उनकी देह का होना ही स्वाभाविक है.साइबर गुंडागर्दी से समाज के किसी भी तबके की महिला प्रभावित हो सकती है. केंद्रीय मंत्री से लेकर सोशलाइट और टीवी एंकर से लेकर अभिनेत्री और आम लड़की, कोई भी साइबर बुलिंग का शिकार बन सकती है. इसके उदाहरण हमारे आसपास बिखरे पड़े हैं.बात बहुत है करने को बस यही कहूँगी की ।हर चीज का इस्तेमाल सही हो तो नतीजा सही मिलेगा अति तो बुरी है ।अंजान लोगो से बचे अपनी गुप्त बाते व निजी बाते कभी न बताये ।अंजान व्यक्ति को फ़्रेड रिक्वेस्ट न भेजे , कुछ सावधानी जरुर रखे । 
                                              - अलका पाण्डेय 
                                               मुम्बई - महाराष्ट्र
                मेरे   विचार से सोशल मीडिया  से जो प्रगति हुई  है l  बहुत ही प्रसंसनीय  है l  घर में  बैठे  बैठे  तुरन्त  ही संदेशे  पहुँच  जाते हैं l जो पहले पत्रों   के  द्वारा  संदेशे  भेजे जाते थे तो देर से या कभी बहुत ही  लम्बा  समय  लगता  था l  तार  टेलीग्राम  की सुविधा  थी, लेकिन  अब आज हम सोशल मीडिया  से जुड़े  हैं l सामाजिक  समूह  से, काव्य  समूह ,  से देश विदेश  से, व्हाट्सएप्प  के जरिये , मेल ,  फेस बुक  के जरिये   घण्टों  का  काम मिन्टो  में होता है l सोशल मीडिया  की ये बड़ी अहम्  भूमिका है सबसे बड़ी  बात समय की बहुत ही बचत  होती है इसका छोटे  बड़े  सभी लाभ  ले रहे हैंl 
                                        - राजकुमारी रैकवार  राज 
                                         जबलपुर  - मध्यप्रदेश
            मेरे विचार से  हमारे देश में मीडिया एक चौथा स्तंभ है जो खबरोका माध्यम है मीडिया के तीन माध्यम है एक प्रिंट मीडिया दूसरा इलेक्टिक मीडिया और तीसरा सोशल मीडिया तीनों अपनी जगह सही है सोशल मीडिया में वाटशप फेसबुक यूट्यूव यही तो सोशल मीडिया है आज के वैज्ञानिक युग में हर जगह तकनीक के माध्यम से हर काम सरल होते जा रहे है साहित्य में भी तकनीक के माध्यम से बहुत सुविधा हो गई है मोवाइल की तकनीक ने चार चाँद लगा दिये है  विषय मन में आया मोवाइल में कविता कहानी आलेख जो भी लिखना है लिखो  वाटशप के माध्यम से दो चार मिनिट में देश भर में भेज दो फेसबुक यूट्यूब में डाल दो कुछ ही क्षणों मे पूरे विश्व मे पहुच जायेगी जहाँ आपके चाहने वाले है उनके पास पहुंच जायेगी मोवाइल की तकनीक ने साहित्य जगत में बहुत ही सुविधा प्रदान की है कविताओं के लिंक बन रहे हैं ब्लाग बन रहे है एक एक लिंक में 100/200 कविताये एक साथ पढ़ने को मिल जायेगा लिंक पर ऊंगुली से टच करो नाम फोटो के साथ कविताये पढने को मिल जायेगी  आडिओ वीडियो में कविता कहानी हास्य व्यग जिसका भी चाहो उसका वीडिओ बना लो अपनी आवाज में या किसी की आवाज में रिकार्डिग कर लो ऐसी तकनीक चल गई है जिसको मोवाइल चलाने वाला कोई भी तैयार कर लेता है आजकल टाइपिंग में भी सुविधा हो गई है बोलते जाओ एक बटन इन्डीकेटर वाला दवा लो बोलते जाओ टाइपिक होता जायेगा ये सब तकनीक का ही कमाल है । यही तो सोशल मीडिया का कमाल है मोवाइल में वाटशप के माध्यम से आनलाइन कवि सम्मेलन होने लगे है घर में बैठे ही आपकी कविता पूरे देश के साहित्यकार पढ़ लेते है तुरंत प्रतिक्रिया बधाइयाँ मिल जाती है आडिओ भेज दो पूरे देश में आपकी आवाज में कविता सुनी जाती है वीडिओ भेज दो आपकी तस्वीर व आवाज के साथ आपकी कविता प्रसारित होती है यह सब  सोशल मीडिया की तकनीक का ही कमाल है प्रोग्राम के दौरान आपको सम्मान पत्र भी मिल जायेंगे साहित्य मे तकनीक का कमाल ही तो है । किसी शहर में कवि सम्मेलन हो रहा है कोई भी मंच पर कविता पढता है उसका सीधा प्रसारण आपको घर बैठे देखने सुनने को मिल जायेगा  मोवाइल से फोटो खींचकर वाटशप के माध्यम से दो चार मिनिट में आपके पास पहुच जायेगी ईमेल वाटशप फेसबुक यूट्यूब इन तकनीकी माध्यमों से साहित्य जगत मे बहुत ही आसानी हुई है वाटशप मंचों के माध्यम से जब मेरी कविताये यूट्यूब फेसबुक के माध्म से देश विदेश में पढ़ी सुनी गई है  आज हर गांव शहर में ही नही देश विदेश के साहित्यकार एक दूसरे को जानते है क्योंकि सोशल मीडिया से ऐसा हुआ है दिनांक 24/1/2017 से दिनांक 20/8/2019 तक लगभग 30 माह में 141 सम्मान जो देश के 10 राज्यो से मिले है  ज्यादातर आन लाइन कवि सम्मेलनो से मिले है इस दौरान 2210 कवितायें भी अलग अलग विषयों पर लिखकर देश के वाटशप मंचो में डाली है विभिन्य मंचों में काव्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर भी आन लाइन सम्मान प्राप्त हुये है एक मंच की प्रतियोगिता में मेरी कविता को प्रथम स्थान भी मिला है उसका सम्मान भी मिला है ।एक मंच मे सबसे ज्यादा कविता भेजने का  ।। कविता शिरोमणि सम्मान ।। भी मिला है एक मंच में ।। महाकवि का सम्मान ।। भी मिला है । लगभग हजारों कवितायें भी देश के विभिन्य शहरो के पेपर पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है ये सब वाटशप की तकनीक के माध्यम से हुआ है ।पी डी एफ तकनीठ के माध्यम से किसी भी शहर में छपी कविता मोवाइल में देख सकते है । इस तरह साहित्य जगत में सोशल मीडिया की तकनीक के माध्यम से बहुत सुविधा हुई है । 29/7/2019 को दूरदर्शन भोपाल  म प्र में मेरी कविताओं का प्रसारण हुआ है ।जबलपुर शहर के टीवी चैनलों में भी मेरी कविताओं का प्रसारण हुआ है ।इस तरह सोशल मीडिया की तकनीक की सुविधा के हम बहुत आभारी है यही मेरा कहना है ।
                                            -  अनन्तराम चौबे "अनन्त "
                                              जबलपुर - मध्यप्रदेश
             सोशल मीडिया आज बहुत उपयोगी..... बल्कि कहें, जरूरत बन गया है। सशक्त माध्यम! इसकी पहुँच और व्यापकता का असर सर्व विदित है। मेरी निगाह में इस माध्यम का उपयोग अपने को विभिन्न तरह से अभिव्यक्त करने के साथ परोपकार के लिए भी करना चाहिए। किसी तरह की गंदगी, अश्लीलता, संकीर्णता, धार्मिक भावना भड़काने से बचना चाहिए।  मुझे खुशियाँ बाँटना पसंद है। खुद सकारात्मक रहते हुए दूसरे को सकारात्मक बनाना भी पसंद है। मैं व्हाट्स एप में कुछेक साहित्यिक ग्रुप और फेसबुक से जुडी़ हूँ। पिछले साल जुलाई से। अपनी साहित्यिक रचनाओं यथा - कहानी, कविता, व्यंग्य, लघुकथा, यायावरी और खुद के द्वारा ली गई तस्वीरों, वीडियो को पोस्ट करने में खाली समय का सदुपयोग करती रहती हूँ। लोगों को रचना के माध्यम से जगाने का भी। पेंटिंग, क्राफ्ट में दिलचस्पी थी पहले कभी। अब नहीं कर पाती। ज़िंदगी समय दे, तो यह शौक सोशल मीडिया के कारण ही ' शायद ' परवान चढ़े। जो शौक जीवन की आपाधापी में अधूरे रह गए, उन्हें पूरा करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करती रहती हूँ। मैं अपनी सकारात्मक टिप्णियों के सहारे हर मित्र, कभी - कभी अपरिचितों का भी हौसला बढ़ाती हूँ, उम्मीद जगाती हूँ। उनके बीच प्रसन्नता बाँटती हूँ। भरसक कोशिश रहती है कि एक छोटी सी टिप्पणी भी नकारात्मक नहीं हो। इसके माध्यम से कुछ सामाजिक कार्य करने के लिए सहर्ष तैयार।
                                                         - अनिता रश्मि 
                                                         रांची - झारखण्ड
           सोशल मीडिया  आज के दौर का सबसे लोकप्रिय माध्यम है । अपने विचार रखने के लिए दूसरों के विचारों को समझने के लिए सशक्त व सुगम माध्यम है। इस समय हमारी ज़िम्मेदारी बढ गई है और हम इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है । हमारी भूमिका दो तरह की हो सकती है एक ऐसी अफ़वाहों को फैलने से रोकना जिससे हमारे समाज  में ग़लत सन्देश फैले । लोग भाई चारे की भावना को ठेस पहुँचाए । दूसरे हम लोगों को प्रेरित करें एक दूसरे के सुख दुख में साथ देने  के लिए ,अच्छे करम करने के लिए , अपनी ऊर्जा का प्रयोग सकारात्मकता के लिए करें । समाज में फैली कुरुतियों को दूर करें । अच्छा साहित्य लिखें और लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें । 
                                                           - नीलम नारंग
                                                        हिसार - हरियाणा
               वर्तमान समय में सोशल मीडिया से कोई परिचित ना हो ऎसा हो ही नहीं सकता है l सोशल मीडिया ने वर्तमान समय में ऎसी धूम मचा रखी है जिसकी कल्पना करना नामुमकिन होता है l सोशल मीडिया वर्तमान में प्रत्येक जीव का किसी न किसी  रूप में जीवन सहयोगी बना है l वही दूसरी तरफ देखा जाए सोशल मीडिया के कारण किसी को जिंदगी से अलविदा भी कहना पड़ा है l कहने का तात्पर्य यह है कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया की भूमिका अच्छे कार्य के लिए कम और अपराधिक कार्यो को अंजाम देने में अधिक हो रही है l आईए दोस्तो जानते हैं कि सोशल मीडिया की वर्तमान में सकारात्मक भूमिका क्या है .......  
                                                                               1. शैक्षणिक भूमिका - जैसे - जैसे समय के पहिए अपने पथ पर अग्रसर हो रहे हैं, वैसे - वैसे इंसान ने शैक्षणिक क्षेत्र में तीव्रता से वृद्धि की है l सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के नवाचारों को लेकर बहुत अच्छे प्रयास किए गए हैं l ये नवाचार भविष्य में सुनहरे पंखो की तरह कार्य करेंगे l जो किसी राही के राह आसान करेंगे l सोशल मीडिया के माध्यम से वर्तमान में ई शिक्षा आसानी से घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं l ई शिक्षा से धन को अधिक खर्च होने से बचा सकते हैं l तथा समय की बचत आसानी से हो जाती है l एक ही जगह पर विभिन्न क्षेत्रों की शिक्षा प्राप्त की जा सकती है l सोशल मीडिया पर वर्तमान में विभिन्न समाचार पत्रों को आसानी अपनी सुविधा अनुसार कही भी देख सकते हैं l शिक्षा के क्षेत्र में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका यह है कि वर्तमान में माता - पिता कही पर समय निकाल कर देख सकते हैं कि अपना बच्चा किस प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर रहा है l तथा भविष्य में किस प्रकार के क्षेत्र में अपना बच्चा भागीदारी निभा सकता है l देखा जाए तो सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं l जो एक सोशल मीडिया की अच्छी पहल है l            
2. सूचनाओं का आदान - प्रदान तीव्रता से - जहाँ पौराणिक काल में किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचनाओं को आदान - प्रदान करने में अधिक समय व्यतीत करना पड़ता था l तथा सही सूचना व्यक्ति तक पहुंच नहीं पाती थी l जिससे किसी महत्वपूर्ण कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाता था l दूसरी तरफ वर्तमान में नजर डाली तो महसूस होता है कि सूचनाओं का आदान - प्रदान तीव्रता के साथ हो रहा है l जो एक सहरानीय कदम साबित हो रहा है l सूचनाओं के तीव्र गति से तथा समय पर पहुचने से महत्वपूर्ण कार्य तय समय पर पूरे होते हैं l जिससे विकास के नये क्षेत्रों में वृद्धि होती है l तथा विकास के कार्य क्षेत्र में भी प्रबल संभावनाएं विकसित होती है l और सूचनाओं के समय पर पहुचने से बढ़ते अपराधिक मामलों को समय पर घटित होने से रोका जा सकता है l किसी इंसान की जिंदगी को बचाया जा सकता है l सोशल मीडिया पर वर्तमान में सकारात्मक सूचनाओं के संप्रेषण से एक अच्छे युग की शुरुआत हो सकती है l                           3. सोशल मीडिया की नकारात्मक भूमिका - वर्तमान समय देखा जाए तो लगता है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है l जिसके कारण कहीं न कहीं वातावरण दूषित हो गया है l प्राय यह देखा गया है कि सोशल मीडिया पर सूचनाओं के तीव्र गति से आदान प्रदान से अपराधिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है l जो एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है l भविष्य में इस पर नियंत्रण नहीं किया तो परिणाम ऎसे आएंगे l जिनकी कल्पना करना नामुमकिन होगा l हम प्रतिदिन देख रहे हैं कि कुछ असामाजिक तत्वों के लोग सोशल मीडिया पर किसी धर्म विशेष, जाति विशेष या किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को सार्वजनिक कर देते हैं, या सही जानकारी में से कुछ तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर गलत तथ्यों को जोड़ कर आगे फॉरवर्ड कर देते हैं l जो आगे जाकर एक विकराल रूप धारण कर लेता है जिस पर समय रहते नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है l वर्तमान परिस्थितियों में कभी - कभी ऎसी घटना घटित हो जाती है जिसके बारे में सोचा भी नहीं गया हो l यह केवल सोशल मीडिया पर गलत संप्रेषण की वजह से उत्पन्न होती है l वर्तमान समय में युवा पीढ़ी सोशल मीडिया का ज्यादा दुरुपयोग कर रही है l जिसके कारण वर्तमान में युवा पीढ़ी में बहुत बदलाव देखने को मिल रहे हैं l छोटी - छोटी बातों को लेकर ज्यादा गुस्सा करना, बड़ो के सामने किस प्रकार से बात करना सब कुछ संस्कार भूलते जा रहे हैं, जिससे भविष्य में विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं l वर्तमान परिस्थितियों में नजर डाली तो देखने को विभिन्न प्रकार के विडियो अपलोड हो रहे हैं जिसका प्रभाव छोटे बच्चों पर ज्यादा दिखाई दे रहा है l तथा सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के गेम्स आने के कारण बच्चे इसके आदी हो जाते हैं, वर्तमान में अख़बारों के पन्नों को पलटने पर चिंतनीय खबरे देखने मिल रही है l जिसमे कई जिंदगीयां अपने जीवन से अलविदा हो जाती है l जिसमे सोशल मीडिया की मुख्य भूमिका रहती है l दूसरी तरफ देखा जा तो सोशल मीडिया के कारण कई परिवार टूटते नजर आ रहे हैं l कहने का तात्पर्य यह है कि वर्तमान में सोशल मीडिया की सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका दोनों प्रकार की देखने को मिल रही है l यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह सोशल मीडिया का उपयोग किस तरह से कर रहा है l आओ हम सभी मिलकर वर्तमान में युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया के सही उपयोग करने की जागरूकता की जानकारी देवे l                                                                  - कुमार जितेन्द्र   
                                           बाड़मेर - राजस्थान 
            आज मैं सोशल मीडिया द्वारा ही पलक झपकते ही जैमिनी जी के ब्लॉक पर परिचर्चा का हिस्सा बनी हूँ । यह मेरी कलम है । जो सोशल मीडिया पर मुझ को जुड़ने और जोड़ने का काम करती है ।मैं अपनी कलम से योग ,  पर्यावरण , सर्जनात्मक , सामयिक रचनाओं की आवाज बनकर  सोशल मीडिया में अपनी भूमिका निभाती हूँ । इस सोशल मीडिया पर मेरा व्यंग्य - 

इंटरनेट से  करते , वे दुनिया से बात ।
कौन  रहे है पड़ोस में , नहीं उसे है ज्ञात ।

यह दोहा  हमारे समाज के यथार्थ दशा को दर्शाता है ।
वाकई सोशल मीडिया जनता , लोकतंत्र की शक्ति है । देश , विश्व का यह चौथा स्तंभ सबसे ताकतवर आवाज है । जो अपनी बात कहने में सक्षम है । आज व्यक्ति सुबह उठते ही हम  कराग्रे बसते लक्ष्मी का श्लोक भूल कर कराग्रे बसते  मोबाइल  के व्हाट एप को जपते हैं ।जो हमारी जरूरत है । लेकिन मैं सोशल मीडिया पर हैश टैग और ब्रॉडकास्ट सन्देश से  नमन और अपने लिखे  सुविचार लिख के भारतीय संस्कृति को देश  , दुनिया तक पहुंचाती हूँ। ।बिना इसके मुझे चाय की मिठास का पता नहीं चलता है । आज के युग में मनुष्य को एकत्र होना मुश्किल हो गया । इन सब व्हाट एप , फ़ेसबुक , इंस्ट्राग्राम , ट्वीटर आदि सोशल साइट्स से सभी एकत्र होकर संगठित हो जाते हैं  । मुझे  कोई भी  कार्यक्रम , सन्देश , खबर पलक झपकते ही व्हाट एप और फेस बुक से पता चल जाती  है । ऐसी ही मेरी रचनाएँ , वीडियो मेरे कार्य , सम्मान प्रमाणपत्रों के साथ उपलब्धियों का विवरण लोगों का ज्ञात हो जाता है । पाठक को प्रेरणा मिलती है । परिणाम आपके सामने हैं । आप मेरे सम्मुख और मैं आपके सामने और पूरे देश , विश्व के साहित्यकार के संग पाठक और शुभचिन्तक वर्ग  और मित्रगण । हमारा गूगल  सुपर शक्ति बाबा बन गूगल द्वारा हमारे विचार समाज देश , संसार में जाते हैं । लोग जागृत होते हैं । साहित्य के क्षेत्र में सोशल मीडिया की सकारात्मक भूमिका है । मैं तो सकारात्मक पक्ष में इसका उपयोग करती हूँ ।तभी  इंटरनेटमेरे लिए  वरदान है । पलक झपकते ही अपने लेखन सामग्री , मेल को संबंधित अधिकारी पहुंचा देती हूँ । जवाब भी तुरंत मिल जाते हैं ।करोडों लोग पढ़ते हैं , प्रतिक्रिया देते हैं , पसन्द करते हैं । इसलिए मैं समझती हूँ सोशल साइट्स मैत्री व भाईचारे के प्रचार व प्रसार में बहुत सकारात्मक भूमिका अदा करती है ।हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी , राष्ट्रपति जी देश का अथवा राजदूत दूसरे देश में मैत्री का पैग़ाम ले कर जाता है तो वह उस देश का अतिथि होता है । सम्बन्धित देशों के झण्डों , राष्ट्र गानों से व गले मिल कर या दोस्ती का हाथ मिला कर स्वागत किया जाता है । संबंधित देश सांस्कृतिक  कार्यक्रम प्रस्तुत करता है ।  भाईचारे की भावना को दर्शाती है । इसी तरह से जब मैं सम्मानित अतिथि बनके साहित्यिक कार्यक्रमों में जाती हूँ । मोबाइल पर वीडियो कैद कर लेती हूँ । उन गौरवमय पलों को  सोशल साइट्स पर डाल के लोगों को प्रेरित करने का काम करती है ।जो  मैत्री व भाईचारे को बढ़ावा देते हैं । प्रेम से ही दुनिया को अपना बना सकते हैं । नकारात्मक पक्ष भी सोशल मीडिया का है ।   सोशल मीडिया पर  कितनी बार फेक समाचार आते हैं । मैं उनका विरोध कर प्रमाण देती हूँ । तब वे इसे सच नहीं मनाते हैं । सोशल मीडिया का हमें नकारात्मक पहलू नहीं छूना चाहिए ।  जो हमारे लिए सकारात्मक , प्रेरणादायी हो । उसे ही हम अपनाएँ । इस तरह मैं अपनी भूमिका निभाती हूँ । 
                                                   -  डॉ मंजु गुप्ता 
                                                 मुंबई - महाराष्ट्र
           समाज का अधिकांश भाग जिस ज्ञान से लाभान्वित हो रहा है जिसमे सोशल मीडिया अपनी महती भूमिका निभा रहा है। मीडिया को लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ बड़े ही आदर भाव से बताया गया है। सोशल मीडिया यानि सामाजिक सरोकार के तहत समाचार माध्यमों को जन-जन से जोड़ना या जन-जन तक पहुंचाना। आज देश जिस गति के साथ आगे बढ रहा है जिसका काफी श्रेय सोशल मीडिया को जाता है। जिसने आम आदमी के साथ पुरी दुनिया को जोड़ने का कार्य किया है। जिससे मैत्री और भाईचारे का रंग, सतरंगी होकर खिलने लगता है।
      सूचना प्रोद्योगिकी शब्द अग्रेजी इन्फोरमेसन टैक्नोलोजी का हिन्दी रूपांतर है। इस शब्द के अन्तर्गत वे सारे उपकरण और पद्धतिया समाविष्ट है जो सूचना के संचालन का काम करती है। सूचना का अर्जन,संसान, भंडारण और प्रसारण ही सूचना प्रौद्योगिकी का मूल लक्ष्य है। तात्पर्य सूचना प्रौद्योगिकी का संबंध केवल सूचना के संप्रेषण से नहीं है, बल्कि उसे सूत्रबद्ध, दर्ज करने और संसाधित करने से भी है। सूचना प्रौद्योगिकी उन अधुनातक यांत्रिक सुविधाओं से संबंधित है जिसे हम टेक्नोलाॅजी कहते है। टेक्नोलाॅजी का एक रूपांतर तकनीकी भी है। तकनीकी तकनीक का ई प्रत्ययांत है। तकनीक का अर्थ होता है- तरीका, ढंग, प्रकार, पद्धति आदि। हम किसी कार्य को किस ढंग से करते है वह तकनीक है अर्थात भाव संप्रेषण का प्रकार पद्धति या तरीका है। हर किसी तरह की जानकारी समाज को देना सूचना तकनीक का कार्य है। सूचना प्रौद्योगिकी का तात्पर्य है ‘जानकारी का विशिष्ट प्रयास या प्रयत्न।‘ 
      आज हम सूचना विस्फोट के ऐसे युग में पहुंच गये हैं, जहा हमारे पास पीछे मुड़कर देखने का वक्त नहीं है। हर पल कुछ न कुछ नया हो रहा है और यदि हम इस त्वरित विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढना चाहते हैं तो हमें सूचना प्रौद्योगिकी के अद्यतन अनुप्रयोगों को अपनाना होगा।
      कम्प्यूटर, टेलीविजन, टेलीफोन, दूरसंचार, टेली प्रिंटर, सैटेलाईट, माइक्रो इलेक्टाॅनिक्स, पेजिंग, सेल्युलर, वीडियो डिस्क, वीडियो टैक्स्ट, टेलीटेक्स्ट, फॅक्स, ईफॅक्स आदि अनेकों संचार उपकरण है, जो सूचना प्रौद्योगिकी के उतरातर विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। व्हाट्सअप, फेसबुक आदि तो लोगों के दिलों में घर गये है। इन सब से हम अछूते नही है। इनका उपयोग उपभोग कर विकास की क्रांति में अपनी भागीदारी निभा रहे है।
      जिस तरीके से सूचना प्रौद्योगिकी के अदभूत चमत्कार हुए है। दुनिया में कही भी बैठा व्यक्ति अपनी जरूरते घर बैठा प्राप्त कर रहा है भारत के दर्शन क्या सम्पूर्ण विश्व के नजारे देख रहा है। आज भी अगर शासन और प्रशासन पर निरंकुशता पर थोड़ा बहुत अकुंश है, तो वो सोशल मीडिया के कारण ही है। 
      मेरा मानना है कि सोशल मीडिया का प्रचार-प्रसार व उपयोग उपभोग सकारात्मक ढंग से होना चाहिये ताकि बलात्कार, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, अश्लीलता और झगड़ों की खबरों पर अकूंश लगा रहे। हमे अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सोशल मीडिया के तहत एक बेहतर समाज के निर्माण में अपनी भूमिका अदा करनी चाहिये। जिससे देश, समाज और मानवता का भला हो सके।
                                     - अब्दुल समद राही
                             प्रधान संपादक: शबनम ज्योति
                               सोजत सिटी- राजस्थान
        सोशल मीडिया की आजकल प्रचार माध्यमों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। विश्व की समस्त ज्वलंत समस्याओं की चर्चा और उनसे सम्बंधित विविध विचार इस माध्यम द्वारा व्यक्त किए जाते हैं परंतु जितना दुरुपयोग इस पटल का हो रहा है वो अत्यंत गम्भीर विचारणीय विषय है।भारत विरोधी शक्तियाँ जो भारत के विश्वमंच पर तेज़ी से बढ़ रहे क़द से परेशान हैं इस माध्यम का भारत विरोधी दुष्प्रचार के लिए दिनरात दुरुपयोग कर रही हैं। ऐसे में ज़िम्मेदार भारतीय नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम इस षड्यंत्र का मुँहतोड़ उत्तर दें और अपने देश का पक्ष पुरज़ोर ढंग से प्रस्तुत करें। किसी भी दुश्मन मुल्क या दुष्प्रचार करने वाले व्यक्ति या संस्था के बहकावे में न आएँ।हमारे देश के राजनीतिक , सामाजिक , सांस्कृतिक ,धार्मिक जो भी विषय हैं यदि उनपर कोई भी विवाद है तो हम भारतीय उसे स्वयं सुलझाने में सक्षम हैं। हमें किसी को भी किसी स्तर पर यह अवसर नहीं देना चाहिए कि वो हमारे मतभेद को मनभेद में परिवर्तित कर हमारे में फूट डाल सकें। हमें सोशल मीडिया पर स्वयं भी सावधान रहना होगा और देशवासियों को भी जागरूक रहने के लिए प्रेरित करना होगा । तभी हम देश के अंदर और बाहर से दुष्प्रचार करने वालों की साज़िशों को नाकाम कर सकेंगे । याद रहे कुरुक्षेत्र में कवि दिनकर ने शाश्वत सत्य लिखा है -
चाहता लड़ना नहीं समुदाय है
फैलती लपटें विषैली
व्यक्तियों की साँस से।
स्पष्ट है की हर जागरूक नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है । इसलिए देशहित में जागते रहो और जगाते रहो । हम क़लम के सिपाही बनकर देश के सिपाही का साथ निभा सकते हैं ।एक एक नागरिक महत्वपूर्ण है । इसलिए सोच समझकर सोशल मीडिया का प्रयोग करना परम आवश्यक है। इसमें देशहित निजी हानि लाभ से ऊपर रखना हमारी प्राथमिकता हो यही मेरा मानना है।
                                          - डाँ. नीलम अरुण मित्तु 
                                          जांलधर - पंजाब
           समाजिक विशेषताओं,  खामियों ,कमियों और जरूरतों के लिये वर्तमान में सोशल मीडिया बहुत ही सरल और सहज माध्यम है । मैं भी जब कभी सामाजिक असाधारण अनुभूतियों से उद्वेलित होता हूं,तत्समय वांछित प्रासंगिक स्थिति  के अनुसार गद्य या पद्य में मेरी बात अभिव्यक्त करने का प्रयास करता हूं और उस रचना के अनुसार संबंधित सोशल मीडिया पर प्रस्तुत करने प्रेषित करता हूं।  मेरा ऐसा मानना है कि गद्य में सरल और सरसता से आम भाषा में  निश्छलता  और निश्चलता से लिखी /कही बातों का  पाठक और दर्शक पर प्रभाव पड़ता है और वे प्रेरित होते हैं। अतः हमें अपनी प्रस्तुति में ये विशेषतायें लाना होगा।तभी हमारा कहना और लिखना सार्थक और सफल होगा। जो महत्वपूर्ण भी है और जरूरी भी। आज का पाठक और दर्शक समझदार और जागरूक हैं और हमारी बातों पर ध्यान देता है।
                                                    - नरेन्द्र श्रीवास्तव
                                                   गाडरवारा - मध्यप्रदेश
            आजकल सोशल मीडिया काफी सक्रिय है।यदि इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाय तो इससे काफी फायदे भी हैं।यह विद्यार्थियों के लिए,व्यापारियों के लिए बहुत लाभप्रद है।व्हाट्सएप के जरिये हम दूर बसे अपने परिवार से फोन,मैसेज के द्वारा जुड़े रहते हैं।मैं साहित्य प्रेमी हूँ।एक लेखिका हूँ।कहानी कविताएँ लिखा करती हूँ।एक समय थाजब लोग किताबें पढ़ना पसंद करते थे पर आज की मानसिकता बदल चुकी है अब कोई किताब पढ़ने में रुचि नहीं रखता ऐसे बदलते समय में फेस बुक काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है।लघु कथाओं एवं कविताओं के कई ग्रुप उतर आए है जिसमें नित प्रतिस्पर्धा होती है।उस प्रतिस्पर्धा से आकर्षित होकर युवा वर्गों में लिखने की प्रवृत्ति जागृत हो रही है।नए नए लेखक एवं लेखिकाओं का आगमन हो रहा है।एक समय ऐसा आ गया था कि कहीं साहित्य सृजन बन्द न हो जाये यह प्रश्न उपस्थित हो गया था पर सोशल मीडिया के जरिये साहित्य का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।मैं भी फेसबुक एवं व्हाट्सएप से जुड़ी हुई हूँ।फेसबुक परकेवल साहित्यिक समूहों से जुड़ी हुई हूँ।प्रतिस्पर्धाओं से दूर रहती हूँ।स्वान्तः सुखाय लिखती हूँ।हिंदी मेरी मातृभाषा है अतः उससे विशेष प्रेम है।साहित्य समाज का दर्पण है इसलिए मैं इस दर्पण को हमेशा स्वच्छ रखने की कोशिश करती हूँ।फेसबुक एक आभासी दुनिया है इस पर भी जब हमारे मित्र वर्गों का प्रोत्साहन मिलता है तब यह दुनिया  भासमान हो उठती है।बस मुझे केवल इतना ही कहना है कि इस दुनिया का बिम्ब नकारात्मक कार्यों से धूमिल न होने दें।अपनी दिन चर्या पर अधिक ध्यान दें।इस पर समय बर्बाद न करें।अंत में एक अनुरोध है कि बच्चों को इससे दूर रखें ताकि उनके अध्ययन पर गलत प्रभाव न पड़े।
                                                    - डाँ.इन्दिरा तिवारी
                                                      रायपुर-छत्तीसगढ़
सोशल मीडिया में मेरी भूमिका एक सहयोगी जैसी है मैं लगभग सभी तरह के लोगों के विचारों को पढ़ता हूं और जितना मुझे उसके बारे में यथावत उचित ज्ञान होता है उसमें मेरी कोशिश रहती है कि मैं उसको उस विचार के नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में जाकर लिखूं । मेरी सदा से यही पद्धति रही है मैं विरोधाभास से दूर रहने का प्रयास करता हूं और ना ही आलोचना में लिप्त होता हूं बस जो सत्य लगता है उसे ही स्पष्ट रूप से टिप्पणी योग्य समझत हूं । सोशल मीडिया में मेरी भूमिका यही है।।
                                                     - देवेन्द्र दत्त तूफान
                                                     पानीपत - हरियाणा
      सोशल मीडिया अपने आप में इतना महत्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण बन चुका है किअब चाह कर भी कोई इससे अछूता नहीं रह सकता। अपनी बात बहुत ही सरल, सहज तरीके से जन-जन तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम सोशल मीडिया बन चुका है। ऐसे में इससे जुड़े व्यक्तियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे इसका उपयोग कैसे और किस रूप में करते हैं। सोशल मीडिया में जब मैं अपनी भूमिका पर विचार करती हूँ तो यही सोचती हूँ कि इस पर जो भी लिखा जाए वह सकारात्मक होना चाहिए। नकारात्मकता फैलाने वाला कोई काम न किया जाए, कोई बुराई को प्रचारित करने वाला संदेश प्रचारित न किया जाए। इसका उपयोग अपने मोहल्ले, समाज और देशहित में करूँ। लेखन के क्षेत्र में हूँ तो जो भी लिखती हूँ उसमें मेरा प्रयास यही होता है कि सकारात्मकता को बढ़ावा दूँ, जनहित और देशहित में हो। सोशल मीडिया से ज्ञान भी लूँ और जो ज्ञान अपने पास है उसे अपने लेखन के माध्यम से व्यक्त करूँ।कहीं यात्रा का अवसर मिले तो उस स्थान की जानकारी लिखूँ।  सोशल मीडिया सकारात्मक बदलाव लाने में सशक्त भूमिका निभा रहा है, तो चाहती हूँ मैं भी इस बदलाव का एक अंग बन कर अपनी भूमिका निभाऊँ ।
                                           - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
                                             देहरादून  - उत्तराखंड 
             आज के इस युग मे सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है, यहाँ हर एक व्यक्ति सोशल मीडिया से जुड़ा है।हम अपनी रुचि, ज्ञान,विज्ञान के आधार पर  समूहों के माध्यम सेअपने परिवार,मित्र ,सहयोगी साथियों द्वारा किसी जरूरी विषयो का आदान-प्रदान करते हैं।हम यहाँ व्यक्तिगत और सामाजिक समूहों से जुड़कर परिवार मित्रो के भी करीब रहते है।सोशल मीडिया नेटवर्किंग में हम अपनी सुविधा द्वारा किसी  भी साइड का उपयोग करते है।इस नेटवर्किंग साईट ने सारे संसार को जोड़ रखा है ।इस पर हमारी भूमिका की बात करे तो उसमें हमारी कोई विशेष भूमिका नही है।पारिवारिक ,सामाजिक जरूरतों के अनुसार हम अपनी भूमिका निभाते हैं।एक घरेलू महिला के लिए तो यह एक पारिवारिक समूहों द्वारा टाईम पास का एक सशक्त माध्यम है। इससे ब्रॉड बैंक कम्पनियों के मुनाफे में इजाफा होता हैं।और कुछ नही।यदि दूसरे दृष्टिकोण से देखे तो आज हर किसी को उपयोगी और जरूरत की जानकारी आसानी से उंगलियों को घुमाने से मिल जाती हैं, तभी तो ये स्लोगन खूब घूम मचा रहा है। की पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया आज सोशल मीडिया पर हमारी कोई भूमिका नही है। हम तो सिर्फ प्रचार का माध्यम है।किसी भी नई खबर के आते ही इधर-उधर फॉरवर्ड करना ही हम आम लोगो का काम है। और इसका फायदा कम्पनियॉ बखूबी उठा रही हैं।
                                               -   वन्दना पुणतांबेकर
                                                      इंदौर - मध्यप्रदेश
              सोशल मीडिया से मेरा सम्बन्ध मुख्य रूप से फेसबुक , ईमेल , WhatsApp आदि से है । जो दुनिया को एक मुठ्ठी में करने के लिए काफी है । इससे बहुत कम समय में कोई भी काम किया जा सकता है । इसे ही आधुनिक तकनीक का कमाल कहा जाता है । आज तो छोटे - छोटे बच्चों का खिलोना मोबाइल बन गया है । फिर भी मेरे जैसे का टाईम पास के साथ - साथ देश दुनियां की जानकारी मिलती है । 
                                        - मदन मोहन ' मोहन '
                                अध्यक्ष : पानीपत साहित्य अकादमी
                                    पानीपत - हरियाणा
                सोशल मीडिया वर्तमान में जीवन का अभिन्न अंग बनगया है....।मोबाइल, ई- मेल,  व्हाटसेप, ब्लाग इंरनेट आदि सहित अनेकों एलीकेशन्स का उपयोग किया जा रहा है।इन के माध्यम से हर तरह की सूचनाएँ- स्टोरिज  अर्थात सकारात्मक  व नकारात्मक, उपलब्ध हैं। समाज का बड़ा वर्ग इसकी उपयोगिता धन्यवाद।, आभार, वाह बहुत ,खूब जैसे हल्कापन फुल्के टिप्पणियों तक सीमित रखता है। रूचि अनुसार कुछ.लोगों को अनर्गल अथवा ग्रुप, स्तर पर अनर्गल आडियो - विडिओ इतना अधिक प्रभावित करते है  कि वह उनके दिमाग की अनिवार्य खुराक बन.जाती.है।
 मेरे संबधित विषय साहित्य. संगीत और देश संबंधी   जानकारी के आदान प्रदान तक हैं। मैं अपनी भूमिका को सीमित रखती हूं।
                                              -  डा. चंद्रा सायता
                                                इन्दौर  - मध्यप्रदेश
           सोशल मीडिया से मेरा इतना ही नाता है कि मैं एक लेखिका और कवियत्री हूँ। मैं पारिवारिक सामाजिक और स्त्री विमर्श जैसे विषयों पर कहानी और लघुकथा लिखती हूँ। मेरी हर कहानियों में समाज के लिए एक संदेश छिपा होता है। जैसे -  "संस्कार" , "और भी है राहें,"   "नन्हे कदम,"  "पंख" इत्यादि। लघुकथाएं जैसे -  "मेहंदी," "जीवन,"  "उपहार" 
"तलाक,"  "अनोखा बंधन" आदि। मैं आॅनलाइन परिचर्चा में भी भाग लेती हूँ। मैंने " द फेस आॅफ इंडिया" में एक लेख लिखा "स्वच्छता... एक अभियान" जिसे बहुत पसंद किया गया। अभी एक लेख  " कामकाजी महिलाएं... और बच्चे" लिख रही हूँ। जो कि मेरी पसंदीदा विषयों से संबंधित है। कविताएं मैं हल्के - फुल्के विषयों पर लिखती हूँ, या मंच पर जो भी विषय दिया जाता है।" कबीर सिंह" पर मैंने एक समीक्षा लिखी है, जो कि एक
सामाजिक विषय पर आधारित है। मेरे द्वारा लिखी गई कहानी, लेख या रचना प्रतिलिपि पर उपलब्ध है, और कई मंच पर भी है।
                                                      -  कल्याणी झा
                                                        राँची - झारखंड
   जैसी संगत होगी रंगत भी वैसी होगी। जैसे आपके मित्र होंगे, वैसी आपकी शख़्सियत और छवि होगी। सोशल मीडिया में चयन और समय, डाटा, ऊर्जा और तकनीकों आदि का सकारात्मक उपयोग महत्वपूर्ण है। संयोग से मैंने लगभग दस वर्ष पूर्व चिकित्सकों, चिकित्सालयों और बीमारियों संबंधित अंतरराष्ट्रीय जानकारी जुटाने के लिए फेसबुक पर पदार्पण किया,  लाभ अधिक, हानि कम.का अनुपात रहा। फिर साहित्यिक समूहों, वेबसाइट्स व साहित्यसेवियों से जुड़ते जाने से बचपन की लेखन अभिरुचि पुनर्जागृत हुई। साहित्यिक विधाओं से परिचय के साथ लेखनकर्म अभ्यास का सिलसिला अनवरत जारी रहा। अकेलेपन का हल मिला। ज्वलंत मुद्दों, विषयों व समसामयिक चर्चाओं में सहभागिता व एतद द्वारा ज्ञानवर्धन संभव हो सका। तत्पश्चात सोशल मीडिया के अन्य लोकप्रिय साधन-एप्स से जुड़कर उपरोक्तानुसार लाभान्वित व सहभागी हुआ। औपचारिकताओं वाली टिप्पणियों, बधाइयों व वायरल पोस्ट्स से भ्रमित होने के अवसर भी आये, लेकिन साथियों के सहयोग व मार्गदर्शन से संयमित रह सका। सोशल मीडिया पर संगत ग़लत मिलने व ग़लत उपयोग की संभावनाएं भी हैं। असली-नकली और हैकर्स-चैकर्स-ट्रैकर्स-चीटर्ज़, रचना-फ़ोटोज़-चोरों  और फैंकुओं से तथा प्रलोभन देने वाले या ख़ुशामद कर चने के झाड़पर चढ़ाने वाले या स्मार्टनेस की फर्ज़ी हवा भरने वाले एप्लिकेशन्स (एप्स) से सावधान रहना जितना ज़रूरी है, उतना ही मुश्किल भी। मेरी अभ्यर्थी लेखनी को एक अच्छी दशा और दिशा देने व मेरी रचनाओं को बहुत से सम्मानित साहित्यिक साझा संकलनों व बेवसाइट्स में स्थान दिलाने के लिए मैं सोशल मीडिया में सक्रिय सच्चे समर्पित सुधी साहित्यसेवियों के प्रति सदा आभारी रहूंगा।
                                     - शेख़ शहज़ाद उस्मानी
                                          शिवपुरी - मध्यप्रदेश
        सोशल मीडिया बेबसाइडों, अनुप्रयोगों और अन्य प्लेटफार्मों का संग्रह है जो हमें जानकारियों का त्वरित आदान -प्रदान करने तथा हमें सोशल नेटवर्किंग में भाग लेने हेतु प्रेरित करता है.  यह एक साधन मात्र है जिसका उपयोग केवल कर्ता पर निर्भर करता है. मैं इसका उपयोग लोगों को उनके अधिकारों तक पहुँचने और उनकी राय जानने के लिए करूंगी. खोये हुए बच्चों का मिलना, गंभीर बीमारी से ग्रसित मानव सेवा, विभिन्न आपदाओं में सहायता आदि कार्यो हेतु धन संग्रहण -वितरण तथा अन्य अच्छे कार्यो के लिए करूंगी. मानस की सुंदर पंक्तियाँ हैं -"जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखि तिन तैसी "यद्यपि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं में कोई संदेह नहीं है तथापि इसके उपयोग कर्ताओं को सोशल नेटवर्किंग के उपयोग पर अपने विवेकाधिकार का उपयोग करना ही होगा. दोनों पक्षों में संतुलन बनाकर मेरे द्वारा इसका उपयोग किया जायेगा.  
                                                -  डॉ. छाया शर्मा
                                                 अजमेर - राजस्थान
     सोशल मीडिया का महत्व बहुत कद्दावर रूप ले चुका है। इससे हम सभी का जीवन बहुत हद तक प्रभावित हो चूका है। आज घर बैठे हम देश विदेश की खबरों को पल भर में जान लेते है। साहित्य जगत में भी ये महत्वपर्ण भूमिका निभा रहा। परंतु हर वस्तु या विचार के दो पहलू होते है। सकारात्मक और नकारात्मक, और इन दोनों प्रभावों से हम बच नही सकते। आज सोशल मीडिया हमे बृहत्तर स्तर पर एक दूसरे से तो जोड़ रहा, आपकी प्रतिभा से दूर दराज बैठे लोंगो से परिचय करा रहा है। वही पारिवारिक स्तर पर हमें हमारे निकट संबंधियों से दूर भी कर रहा। सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करना एक तरह से आपको सिकुड़ा कर अंतर्मुखी बना रहा। इस बिषय के हर पहलू पर गहन अध्धयन हो रहा है। और उसके नतीजों से साफ परिलाक्षित हो रहा है कि लोगों में आत्मसंतुष्टि की जगह व्यग्रता ज्यादा बढ़ती जा रही है। साथ में आत्मीय संबंधों में प्रगाढ़ता की जगह एक रिक्तता भरती जा रही है। उचित यही होगा कि हम सिर्फ अपने कार्य अनुरूप ही उपयोग करें। इससे इसकी महत्ता भी बनी रहेगी और जीवन के व्यापक आयाम तक पहुँच भी बरकरार रहेगी।
                                                - प्रतिमा त्रिपाठी
                                                     राँची - झारखण्ड
             सोशल नेटवर्किंग आज ना तो सिर्फ किशोरों के लिए जरूरी  बल्कि पुरानी पीढ़ी के सभी लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय है ।यह मित्रों और परिवार के बीच संपर्क स्थापित करने का अच्छा माध्यम है ।आज गिने-चुने लोग ही होंगे जो फेसबुक से जुड़े नहीं होंगे, जिसके माध्यम से आप दुनिया में किसी से भी मित्रता कर उनसे बातचीत कर सकते हैं ।कई ऐसे वेबसाइट है जिनका उपयोग कर आप व्यवसाय कर सकते हैं । ट्वीट कर दुनिया को अपनी रुचि के बारे में जानकारी देख सकते हैं पर इसके साथ ही यहाँ पर भी एक कहावत लागू होती है कि ”अति सर्वत्र वर्जिते” इसकी ज्यादा उपयोग से मानसिक  थकान और तनाव होता है इसलिए इसका उपयोग मैं सावधानी से करती हूँ। यह हमारी प्रगति के लिए अच्छा है पर इसका उपयोग का समय सीमित होना चाहिए यह ज्ञान का भंडार है इसलिए, इसका उपयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए।मुझे लिखने का शौक है और जब मैं अपनी लेखन को सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने लाती हूँ तब उनकी प्रतिक्रिया से मुझे लिखने का हौसला मिलता है। अतः हर सिक्के के दो पहलू होते हैं अच्छा या बुरा यह सोच कर ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
                                                   - मीनाक्षी सिंह
                                                      पटना - बिहार
                  वर्तमान समय में सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिससे कम समय में अपनी बात अधिकाधिक  लोगों तक पहुंचायी जा सकती है ।सूचना समाचारों सन्देशों का आदान-प्रदान हो जाता है लेखनी के धनी शब्दों को रूप देकर प्रचार प्रसार पा लेते हैं ।विविध कलाओं के पारंगत अपनी अपनी-अपनी कलाओं के पारखी तक पहुंचने का माध्यम पा जाते हैं ।अपनी उपलब्धियां सुखदुख आशा निराशा अपनों में बंटने का अलग अनुभव होता है ।कई बार जल्दी से आदान प्रदान की प्रक्रिया बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान करा देती है । कहा जाता है कि ज्ञज्ञान बांटने से बढता है ।उसके लिए तो सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बनकर उभरी है और मैं अपनी भूमिका इसी में सर्वाधिक पाता हूँ ।ज्ञज्ञान एप हो व्हाटशप फेसबुक ब्लॉग या अन्य प्लेटफार्म बहुत से मित्र कुछ न कुछ सीखने जानने व पढने के लिये नियमित रूप से जुड़ते हैं ।रचनाकर्म का अपना महत्व है ।वहां पर भूमिका प्रचार प्रसार के साथ-साथ सम्मान पुरस्कार दिलाने की भी कई बार होती है ।जब देश के दूर-दराज व देश के बाहर से प्रशंसा मिलती है तो वास्तव में सोशल मीडिया का महत्व समझ आता है ।अति दुरुपयोग किसी का भी बुरा होता है अतः उससे बचने का प्रयास करता हूँ ।
                                           - शशांक मिश्र भारती 
                                         शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
           वर्तमान मे आम जनों के मध्य किसी भी तात्कालिक खबर का चाहे वह सच्ची हो या फेक पल भर मे विश्व व्याप्त होते देर नहीं लगती सच्ची और अच्छी खबर हो तो देश और समाज मे सकारात्मकता को बल मिलता है। वहीं न्यूज फेक व झूठी हो तो  अनर्थ होते  देर नहीं लगती इसीलिये प्रत्येक
को चाहिये की वह जोकुछ भी पोस्ट करे वह सर्व हित मे हो कई बार कुछ न्यूज सत्य होने के बावजूद उसके प्रसार से देश मे अहित की संभावना हो तो कतई पोस्ट नहीं की जानी चाहिये.अधिकांशतया देखा गया है कि अनावश्यक सामग्री भी बहुतायत से देखने व पढ़ने मे आती है ऐसे मे स्वयं के अतिरिक्त सामने वाले की भी ऊर्जा व अमूल्य समय बर्बाद होता है ऐसी सामग्री स्व प्रेरणा से वर्जित की जानी चाहिये साथ ही ऐसी कोई भी टिका टिप्पणी नहीं की जानी चाहिये जिससे द्वेष, बैर व विवाद की संभावना हो. सोशल मीडिया विचारों के आदान प्रदान का एक बेहतर जरिया है इसका यदि सही दिशा मे उपयोग किया जाये तो लाभ ही लाभ है.
                                                 - मीरा जैन
                                             उज्जैन - मध्यप्रदेश
            कबूतर से दूत ,दूत से पत्र,पत्र से टेलिग्राम ,फ़ोन ,मोबाइल ,इंटरनेट नित नए नए अविष्कार उन से जुड़ते हम |मानो दुनिया मुटठी में समा गई हो|अपनी सहूलियत से चुनना है |चाहे फ़ेसबुक हो वाटसैप हो इन्टाग्राम हो कई रास्ते है सोशल मीडिया से जुड़ने के लिए|सकारत्मक दृष्टि ,सूझ -बूझ से अपना कर जीवन को सही दिशा प्रदान करते हैं ये सोशल मीडिया |  मेरे जीवन में भी सोशल मीडिया का अहम योगदान है|दूर बैठे अपनों से बातें हो या उनकी जीवनशैली को देखना|पल में तस्वीर सात समुन्दर पार भेजना हो या ज्ञान की बातें लेना हो या देना सब मुमकिन|रिशते ढुंढने में भी प्रभावशाली चाहे बेटे के लिए बहु हो या बिछड़े दोस्त |कविता से कहानी लेखन ,गीत से चित्रकारी हर क्षेत्र में अद्भुत योगदान मेरे जीवन में सोशल मीडिया का है|समय को गति प्रदान करता नीरसता दूर करता ,अकेलापन से दूर रखता बहुपयोगी है|
                                                           - सविता गुप्ता
                                                         रांची - झारखण्ड
                    आज के युग को हम सब "नेटवर्किंग युग "भी कह सकते हैं। सोशल मीडिया एक दूसरे का पूरक है । सोशल मीडिया का हर क्षेत्र में बहुत ही अहम भूमिका है ऐसा हम सब जानते हैं । फलत: सोशल मीडिया में हम सब की भूमिका मायने रखती है । आज कोई भी छोटी या बड़ी बात अगर मैं सोशल मीडिया पर शेयर करती  हूं ,,तो तुरंत ही बात आग की तरह फ़ैल जाती है । अतः हमें सोशल मीडिया में कुछ भी पोस्ट  करने के पहले ये जानकारी अवश्य रखनी चाहिए कि,समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ।आज अगर मैं जागरूकता अभियान हेतु समाजिक कुरितियो के विरुद्ध कुछ अच्छे संदेशात्मक विचार सोशल मीडिया पर पोस्ट करूं तो  उसका परिणाम काफी अच्छा होता है ।गलत अफवाहों से सचेत रहने की जरूरत है । सोशल मीडिया में मैं अपनी भूमिका समझती हूं कि मुझे अधिकांशतः " पोजिटिव " बातें हीं शेयर करनी चाहिए तो उसका परिणाम भी अच्छा दिखेगा । अंततः मेरा यही मानना है कि आज जब हमें सोशल मीडिया जैसी फास्ट इतनी बड़ी  सुविधा मिली है ,तो हम उसका सदुपयोग करें, और दुरुपयोग  करने से खुद भी बचे और दूसरे लोगों को भी इसके लिए सचेत करने का प्रयास करें ।
                                                      - डॉ पूनम देवा
                                                           पटना - बिहार 
          आज के समय में घर, बाजार, दफ्तर या शिक्षण संस्थान, किसी भी क्षेत्र में सोशल मीडिया की भूमिका अहम हो गई है ।कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है । मैं भी सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य के कई मंचो से जुड़ी हूँ ।अपनी लेखनी इसी के माध्यम से प्रकाशित होने के लिए भेजती हूँ, साहित्यिक विषय की जानकारी मिलती है अपने-अपने विचार बांटने का अच्छा  माध्यम है ।फेसबुक पर हूं, जब सभी मेरे लेखन की सराहना करते हैं, तो हौसला मिलता है आगे बढ़ने का ।अन्य मित्रों को पढ़ पाती हूँ ।कब के बिछङे दोस्त इसके माध्यम से मिले हैं ।कभी कभी इसके माध्यम से खरीदारी भी करती हूँ, घर बैठे सामान उपलब्ध हो जाते हैं ।हलांकि कुछ लोग इसका गलत उपयोग कर रहे हैं, अश्लीलता फैलाकर,अफवाह और गलत मैसेज भेज कर ।बच्चे परिवार से कम इससे ज्यादा जुड़े हुए हैं ।
                                                     - रेणु झा
                                                        रांची - झारखंड 
          आज विज्ञान का युग है ! विज्ञान का दूसरा विस्फोट संचार क्रांति के रूप में हुआ है! कंप्यूटर इंटरनेट मोबाइल ने भारत की तस्वीर ही बदल दी है! अब तो पूरा संसार मानों एक गांव बन गया है !फिर मैं कैसे अपने आप को इससे दूर रख सकती हू!सोशल मीडिया लोकप्रिय माध्यम है ! पहले मेरी कविता , कहानियां ,लेख ,मेरे विचार मैं समाचार पत्र अथवा कुछ पत्रिकाओं में छपवाती थी किंतु आज इंटरनेट का युग है !मैं घर बैठे अपने विचार मोबाइल के जरिए फेसबुक ,टि्वटर, व्हाट्सएप सभी में भेजती हूं और मुझे खुशी है आज मुझे बहुत से लोग जानते हैं ! बड़े बड़े साहित्यकारों , कवियों लेखकों के सुंदर विचार और उनकी लेखन शैली से मुझे काफी सीखने को मिल रहा है ! आज घर बैठे व्हाट्सएप , फेसबुक , टि्वटर के जरिए मेरे बहुत से साहित्य प्रेमी मित्र बन गये हैं ! उनमें से एक आप भी हैं !जिनके ब्लाग पर परिचर्चा का हिस्सा बनी हूं! सोशल मीडिया में मैं राजनीति ,पर्यावरण , भ्रष्टाचार , प्रकृति सौंदर्य और जाने कौन-कौन से विभिन्न विषयों पर मेरी भावनाओं को लोगों के सम्मुख लाती हूं ! देश का स्वाभिमान का खिताब लेने वाले हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने कार्य करने की नीति से विदेशों में भी अपना परचम फहराया है और साहित्यकारों कवियों और लेखकों ने अपनी लेखनी द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से उनकीपवित्र छबि को दुनियां में उजागर किया है ! परंतु इसी के साथ नई चुनौतियां भी खड़ी हो गई है ! आज मानव का सारा समय विज्ञान की उपलब्धि में अपने कमरे में कैद हो अकेला पड़ गया है मानों सुख दुख बांटने वाला उसका अपना कोई नहीं है ! मोबाइल इंटरनेट के बिना एक पल नहीं रह सकता ! मानाकि मोबाईल, इंटरनेट से व्यापार ,व्यवसाय, पल में दूरियों का मिटना ,अपने प्रियजनों से सात समंदर पार होते हुए भी उन्हें देख और सुन सकते हैं ! किंतु इसके गलत उपयोग भी हैं ! यह तो हम पर निर्भर करता है हम कैसे व्यवहार में लेते हैं ! जीवन की सहजता और संवेदना को जीवित रखने के लिए हमें अपने प्यारे दोस्त मोबाइल के साथ संतुलन बैठालना होगा और यह संदेश भी मैं अपनी लेखनी से सोशल मीडिया से सक्रिय होने की वजह से ही पहूंचा पा रही हूं ! 
                                                  - चंद्रिका व्यास
                                                  मुम्बई - महाराष्ट्र
             " सोशयल मीडिया में मेरी भूमिका नारी वादी कवयित्री के रूप में उभर कर आई । जहाँ सभी प्रेम कविताएँ लिख रहे हैं वहाँ स्त्री के दुःख की बात करनी थी अन्याय पर लिखना सहज नहीं था ।एक संघर्षशील सफर रहा । एक कवि को अपने स्थापन के लिए भी संघर्ष करना था, और स्त्री की अस्मिता ,स्त्री अस्तित्व की लड़ाई अपनी जगह सोशयल मीडिया "एक ऐसा मंच है जहाँ खड़े रह कर आप स्वयं को पहचान सकते हैं ।पुरानी पीढ़ी को नयी पीढ़ी से जुड़ना है। निरन्तर विकास के क्रम में आगे बढने का बडा मंच है ।मैंने सोशयल मीडिया में एक कवि, समीक्षक एवं कहानीकार के रूप में कार्य किया । स्त्री वादी लेखन को स्वीकृति मिली जो मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था ।यह जीवन की असाधारण उपलब्धि है मुझे पढने के बाद मेरी किताब पढ़ने की पाठकों में उत्कंठा जगी ।साहित्य में मेरा लेखन कहाँ स्थान रखता है,यह मैंने जाना । ब्लोग, लिंक एवं वेबसाइट द्वारा आप सीधे हजारों पाठकों तक जुड़ जाते हैं ।
                                            - डॉ.आशा सिंह सिकरवार 
                                                 अहमदाबाद - गुजरात 
निष्कर्ष :-                                                                    
    परिचर्चा के अन्त में स्पष्ट करता हूँ कि आज का जीवन बिना तकनीक के सम्भव नहीं है । जीवन के हर क्षेत्र में सोशल मीडिया का साहरा लेना पड़ता है । सोशल मीडिया से तो न्याय मिलना भी सम्भव हो जाता है । छोटे से छोटे - बड़ें से बड़ें कार्य में सोशल मीडिया की भूमिका देखी जा सकती है  । नई पीढी तो पूर्ण रूप से सोशल मीडिया को अपना चुकी है । अतः आजकल सोशल मीडिया ही युवावर्ग का मार्गदर्शन कर रही है । इसलिए सोशल मीडिया पर जागरूक होना परम आवश्यक है ।
                                            - बीजेन्द्र जैमिनी
                                        ( आलेख व सम्पादन )

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