अगस्त - 2019


- सुषमा स्वराज की याद में भूटान नरेश ने एक हजार दीपक जलाएं
- सोनिया गांधी बनी काग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष
- कश्मीर पर रूस ने भारत का समर्थन किया
- ईद के बाद अमेरिका और तालिबान में हो सकता है समझोता
- लंदन की संसद में गूंजेगे गीता के श्लोक
- अमेरिका में अरबपति दुष्कर्मी फाइनेंसर जेफ्री एपस्टीन ने की खुदकुशी
- राष्ट्र के नाम संबोधन में मोदी ने धारा 370 को हटाना      उचित ठहराया
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी , जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख , और दिवगंत गायक भूपेन हजारिका को भारतरत्न से सम्मानित 
- पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक
- उन्नाव कांड के सारे केस दिल्ली में
- विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर पाँक्सो व दुष्कर्म सहित कई धाराओं में आरोप तय 
- भारत के विदेश मन्त्री एस जयशंकर की चीन यात्रा  तय हुई 
- डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह की पैरोल याचिका खारिज हुई 
- भारतीय स्टेट बैंक आँफ इण्डिया को 2,312 करोड़ का
    लाभ
  - आरबीआइ ने नौ सरकारी बैंकों पर करोड़ों का जुर्माना लगाया
 - पूरे देश में लागू होगा एन आर सी 
 - चंद्रमा और बुध पर अनुमान से अधिक बर्फ हो सकती है 
 - 66 साल बाद रंग लाई श्याम प्रसाद मुखर्जी की कुर्बानी
 - कश्मीर में सिखों को मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा
- रक्षाबंधन पर हरियाणा सरकार की बसों में 36 घंटे मुफ्त सफर करेगी महिलाएं
- प्रदेश में बीस साल पुरानी दुकानों के बेसमेंट और स्टोरी होगें वैध 
- प्रदेश में कैंसर से भी ज्यादा एड्स के मरीज
- गोतस्करी मे शामिल वाहनों को किया जाएगा जब्त
- लाल डोरे से हाईटेंशन तारें हटाई जाऐगी 
- जोखिम के कार्यों में लगें कर्मचारियों का दस लाख का बीमा
- हरियाणा सरकार पंद्रह अगस्त को खिलाड़ियों को सम्मानित करेगी 
- हरियाणा मे एक हजार लड़कों के पीछे 918 लड़कियां
- फरीदाबाद एनआइटी से इनेलो विधायक नगेंद्र भडाना ने पद से बिना इस्तीफा के भाजपा में शामिल
- प्रदेश के 303 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में विज्ञान की पढाई बन्द
- कुरुक्षेत्र में महर्षि भागीरथ के नाम पर बनेगी धर्मशाला
- हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया बर्थ सर्टिफिकेट में लिखी जन्मतिथि ही मान्य रहेगी
- पूर्व मुख्य सचिव ढेसी बनगे विघुत विनियामक आयोग के चेयरमैन
कविता                                                             

                           मैं सडक हूँ                                 
                                            - सीमा गर्ग " मंजरी "
                                               मेरठ - उत्तर प्रदेश
मैं सडक हूँ 
हाँ, काली सर्पीली ,
बलखाती,रपटीली 
अंतहीन,अनथक 
चलती डगर, डगर 
फैली शहर, शहर 
मैं सडक हूँ.. 

लोगों के सफर का सुभीता हूँ  
वन, कानन ,नगर, डगर 
विस्तृत फैली हूँ 
 चहुँओर खिले रंग बिरंगे 
सुगन्धित प्रसून महकते,
हँसते, खेलते, गाते, बाल मन झूमते 
दीवाने प्रेमी आँखों में आँखे डाले 
मुस्कुराते 
 खुशी से मुझे झूमाते हैं 
अपने वजूद पर 
अनछुये सुखद स्पर्श से हर्षित
हो चलती चली 
चलती हूँ 
हाँ, मैं सडक हूँ... 

कहीं अवसाद गहरे
उतरता मन में 
भारी बोझ लेकर मेरे सीने को
वाहनों से रौंदते, अंधाधुंध 
आवागमन करते, व्यसनी 
मदिरापान कर 
परिवहन करते 
दुर्घटना से रक्तलिप्त 
मेरा आँचल लाल होता 
परिजनों के अश्रुजल से 
ये दिल दहलता 
 दिल गम से रो पडता है 
मैं मौन पीडा से व्यथित हूँ 
हाँ मैं सडक हूँ... 

मैं कुछ वार्तालाप 
करना चाहती हूँ ~
अपने राहगीरों से,
अपने पथगामियों से 
कहूँ भी क्यों न ,
मैं शुभचिंतक हूँ उनकी ,
चाहती हूँ भला उनका ,
जब भी मुझ पर चलो 
सावधान, सजग चलो ,
जीवन की अहमियत 
समझो,
धीरे चलो, घर पहुँचों 
घरवाले इन्तजार करते हैं 
नैन बिछाये बाट देखा 
करते हैं ,कभी भी 
मद्यपान कर 
आवागमन 
न करें मुझ पर ,

और हाँ, 
यह भी ध्यान रखिये कि 
मेरे सीने में गड्डे करके मुझे 
बदसूरत न बनायें 
सुन्दर सर्पीला रूप 
कुरूप ना बनायें 
ना उखाडे, ना पछाडे 
बना रहने दे,
सुविधाजनक मेरा रूप 
 थकित पथिक के लिए 
विश्रान्ति से ओतप्रोत ,
मेरा यथार्थ प्रयोग,
 मेरा प्रयोजन,
सिद्ध हो सके 
सफल हो सके 
तभी मैं लहराती रहूँगी 
इस पार से उस पार 
इठलाती चलती 
रहूँगी ||
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श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं

जाने वाले चले जाते हैं
अपनी यादें छोड़ जाते है ।
काम वो कुछ ऐसा कर जाते
हमारी यादों में बस जाते हैं ।

देश की नेता कर्णधार थी
प्रखर एक बक्ता वो थी ।
देश विदेश में जाकर करके
अपनी छाप वो छोड़ी थीं ।

पूर्व विदेश मंत्री भी थी
देश की सच्ची नेता थी ।
सच्ची राह पर चलकर ही
सबके मन की  चहेती थी ।

देश आज शोकाकुल है
उनके जाने से व्याकुल हैं ।
शत शत नमन हम करते है
श्रद्धाजली अर्पित करते है ।

ओम् शांति ओम् शांति
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं
देश की नेता सुषमा जी को
नमन वंदन सब करते हैं ।

ओम् शांति शांति शांति

     - अनन्तराम चौबे अनन्त
     जबलपुर - मध्यप्रदेश
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लघुकथा                                                               
                              संजोग                              

                                            - सुदेश मोदगिल “नूर”
                                                       यू एस

१९४६ में लाहौर स्टेशन के स्टेशन मास्टर थे हंसराज शर्मा जी और रेलवे पुलिस चौकी लाहौर के अफ़सर थे चमन लाल खन्ना जी, उन दिनों पाकिस्तान बनने की बातें चल रही थी, पंजाब के दो टुकड़े होने की सुगबुगाहट भी चल रही थी, खन्ना  जी के और शर्मा जी का अच्छा सम्बंध था लेकिन खन्ना जी की बदली शिमला हो गई और वे चले गये, अचानक शर्मा जी को टाईफाईड हुआ और उनका देहान्त हो गया, चार महीने बाद शर्मा जी के घर बेटा हुआ और जब बच्चा आठ महीने का था तो पाकिस्तान बन गया ,पंजाब दो भागों मे बँट गया,  लाहौर पाकिस्तान को मिल गया, हिन्दु सब क़ाफ़िलों मे भारत के लिए रवाना होने लगे, मुसलमानों ने क़त्लेआम मचा दिया,रेलगाड़ियाँ कई लाशों से भरी अटारी स्टेशन पहुँची ,सब हिन्दुओं को अपनी जान बचा कर वहाँ से निकलना था, शर्मा जी की पत्नि शान्ती देवी अपने छोटे छोटे पाँच बच्चों के साथ सब घर बार वही छोड़  एक क़ाफ़िले मे अपने पिता के साथ खेतों मे से छुपते छुपाते भारत की सीमा रेखा तक पहुँचने की कोशिश में थी, रावी नदी के एक किनारे पर था ननकाना साहब जो पाकिस्तान में था और दूसरे किनारे पर डेरा बाबा नानक जो हिंदुस्तान में था,लाहौर से पैदल चल कर राबी नदी के किनारे बसे  क़स्बे डेरा बाबा नानक पहुँचने में तीन दिन लग गये, बिना खाये पिये क्या हाल अपना और क्या हाल बच्चों का हुआ होगा यह सोच कर रूह काँप जाती है, छोटा बच्चा जो केवल आठ महीने का था  भूख प्यास के कारण रो रो कर बेहाल था, शान्ती देवी के पिता बार  बार उस बच्चे को रास्ते मे छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे,उसे रास्ते में तीन बार छोड़ने के लिए बिठा दिया इस डर से कि उस का रोना सुनकर कही मुसलमान मारने के लिए पहुँच गये तो सब मारे जायेंगे , एक को छोड़ देंगे तो बाक़ी चार बच्चे तो बचा कर भारत  ले जायेंगे लेकिन माँ का दिल जो हर बार छोटे को जाकर फिर उठा लेती, ख़ुशनसीबी से भारत आ गये, वह छोटा बेटा बीस साल के बाद  चंदीगढ में पंजाब इंजीनियरिंग कालेज मे पढ रहा था कि होसटल मे उसके कमरे मे चोरी हो गई उसी सिलसिले मे उसकी मुलाक़ात पुलिस अफ़सर खन्ना जी से हो गई जो चंदीगढ मे पोसटिड थे, चोरी में एक पंखा और स्लाइड रूल गया था, जिस बदमाश लड़के ने चुराया था वो किसी दूसरे की फ़ाईल कमरे मे रख गया, वो लड़का बड़ा शरीफ़ था, प्रिंसिपल ने खन्ना जी से निवेदन किया कि इस केस को ऐसे निपटाये कि किसी बच्चे को इक्सपेल ना करना पड़े, किसी का साल ख़राब ना हो,खन्ना जी  ने बच्चों का भविष्य ख़राब ना हो यह सोचकर फ़ैसला करा दिया लेकिन इस दौरान शर्मा जी का बेटा अपने अच्छे वर्ताब से खन्ना जी के बहुत क़रीब आ गया, खन्ना जी उसको बहुत पसंद करते थे क्योंकि वह बड़ा मेहनती और लायक़ था, इसी साल उसकी इंजीनियरिंग पूरी होने वाली थी वह अपनी माँ को चंदीगढ दिखाने लाया और खन्ना जी के परिवार को मिलाने भी ले गया, बातचीत में खन्ना जी ने उसकी माँ से शर्मा जी के बारे में पूछा तो शान्ती देवी ने लाहौर का सारा क़िस्सा सुनाया, खन्ना जी ने अपने पुराने मित्र शर्मा जी की पत्नी और बेटे को मिलने की बड़ी ख़ुशी जताई,१९४६ के बाद १९६८ में अपने मित्र के परिवार से भेंट हुई थी, पाँच साल के बाद खन्ना जी की बेटी जो चंदीगढ यूनिवर्सिटी मे प्रोफ़ेसर थी उसकी शादी उस लड़के से हुई, शान्ती देवी ने खन्ना जी से कहा आपकी बेटी का संजोग मेरे बेटे से था शायद इसी लिए तीन बार रास्ते में छोड़ देने के बाद भी मै इसे वापिस उठा कर ले आई और बाईस साल के बाद अचानक दो परिवारों की मुलाक़ात हुई ! **
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                             *बाय  370*                             

धारा 370 एकांगी बदरंगी थी
सत्तर  सालो  से   रक्त - सनी 
कश्मीरी  फिज़ा  दुरंगी   थी।।
स्वर्णिम प्रभात तब भारत का 
सन्  सैंतालिस  में देखा था।
स्वर्गिक प्रभात अब भारत का
सन्   उन्नीस   में   देखा  है।।

 तब अगस्त अब भी अगस्त 
तब  लुटे  लुटे और  बँधे  बँधे
अब मुक्त  हुए सब हँसे  हँसे।।
यह महामानव का महत्कायॆ
जन -जन  को  है स्वीकार्य ।।
ह्यूमन राइट्स ह्यूमन राइट्स   
सच में है  सबका अधिकार।।

जब सबके रक्त का रंग एक।
 क्यों मजहबी रोटियाँ सेक।
पाक की नापाकी को सहना।
अपने अंग को कटते देखना।।
ये आस्तीन के नाग विषैले।
पत्थरबाज़  महा  जहरीले ।। 

भारत  का अन्न ये  खाते हैं।
फिर  भी  देखो  घुर्राते   हैं।।
नहीं  इरादे  नेक  थे  इनके।
वीर जवान अधीन थे इनके।।
आये दिन होता  था  हमला।
अब जब धारा को बंद किया
तो करते फिरते  हो हल्ला।।

अब  बहुत हो चुकी बर्बादी ।
सुख  चैन चाहती  आबादी ।।
कश्मीरी - आंसू   का  मूल्य
बस  मोदी  ने   पहचाना  है ।
एक विधान और एक निशान।
फिर क्यों कैसी अलग पहचान  

एक   देश  है   एक  वेश  है ।
तभी तो एक विधान पेश है।।
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्खिन।
सर्वत्र स्वतन्त्र अब विचरण।।
नमो नमो विकासाय भारतम्।
नमो  नमो   रक्षाय   भारतम् ।

वंदेमातरम्  🙏 वंदेमातरम्।।
    370  बाय  भारतम् ।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित :डाॅ.रेखा सक्सेना 
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कविता                                                            

                         सुन मेरे आक्का                      
                         
                                           - डा. प्रभाकिरण जैन
    ‌                                                नई दिल्ली

सुन मेरे आक्का  
 बजा पटा खा
 धूम धड़ाक्का
    शोर मचा
राजा आया है बिन रानी
 नई कहानी
है चर्चा।
 सुन मेरे आक्का
 फोड़ ना मात्था
केसर    चंदन
 तिलक लगा

 भंग छनी है आजा पी ले
   बंद है धंधा
  क्या परवाह।

 सुन मेरे आक्का
  संवर जरा सा
  तान ले छाती
    बन बक  रा

 सज धज ले तू, सींग मांझ ले
  वध से पहले
   ले बदला।

   सुन मेरे आक्का
   करतब कर कुछ
    नाच कूद कर
    रंग       जमा

   एक जमूरा एक मदारी
     भीड़ जुटी
  डुगडुगी बजा। 
              **
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 लघुकथा                                                             

                               बदलें हम                         
                                                   - अनिता रश्मि 
                                                  रांची - झारखंड


रजनीश आज अत्यधिक चिढ़ गया। चिल्लाया - क्या पानी, पानी का रट लगाए रहती हो। बूँद-बूँद बचाने के पीछे पागल। 
- बचाना जरूरी है। आप समझते क्यों नहीं, कुछ दिनों बाद पानी के लिए मर्डर होगा। 
- बस! अब और एक फिकरा नहीं। छोड़ो और जाओ उधर नाश्ता लगाने। 
उसने बाल्टी छीन पानी जमीन में बहा दिया। उसे गुस्सा था, बचपन में पानी की किल्लत झेल चुकी पत्नी रेवा जैसे मैनिया का शिकार हो चुकी है। हर फ्लैट में थोड़ी-बहुत तकलीफ़ रही, यह भी असर कर रहा है शायद। हर समय पानी बचाने की फिक्र में दुबली हुई जाती है। 
- यहाँ तो पानी की बहा-बही है, फिर क्यों संजोना। जब चाहो, जितना चाहो मोटी धार से ले लो। 
 पति की नाराज़गी चरम पर। 
रेवा ने हौले से अपनी उँगली बाहर की ओर उठा दी। बाहर पाँच-छः छोटी लड़कियाँ अपनी माँओं संग सर पर घड़ा, डेगची, हाथों में बाल्टी थामे बहुत दूर से चली आ रही थीं। आस-पास के सारे जल स्त्रोत सूखे। 
अब सब्जी धोकर बचे जल को रजनीश पौधों में डालता है, तब रेवा के होठों पर मुस्कान रहती है। **
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- अफसरों पर होगा केस दर्ज : हाऊस में फैसला
- पानीपत के उघोगों को सीटीपी का पानी मिलेगा
- जिले में प्ले - वे स्कूलों को पंजीकरण अनिवार्य
- सिवाह गोशाला में हवन कर के पांच सौ पौधे लगाए
- जनसेवा दल ने तीन सौ पचास महिलाओं को बांटा राशन
- 23 हवलदारों को स्टार लगा कर एएसआइ बनाया
- अब एक क्लिक में मिलेगी रजिस्ट्री की नकल
- बाल विवाह में फंंसते खोजकीपुर के संरपंच
- जिलें में छह साल तक के करीब दस प्रतिशत कुपोषण का शिकार
- विदेश भेजने के नाम पर 41 लाख की ठगी करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार
- पचास किलो से अधिक का कचरा उत्पन्न करने वाले संस्थान खुद करें कूडे का निस्तारण
- सिविल अस्पताल में एक्सपायरी इंजेक्शन मिलें
- इंद्रजीत गेरा को रोटरी पानीपत सेंट्रल का 2019 -20 के लिए प्रेसिडेंट पद की शपथ दिलाई गई ।
- चुलकाना धाम में लकीसर बाबा का मेला शुरू
- योग दिवस कार्यक्रम का भुगतान  समालखा प्रशासन ने अभी तक नहीं किया
- बाजारों के चौक पर संस्थाओं के सहयोग से लगेंगे कैमरे
- प्रदर्शन के बाद भी स्ट्रीट लाइट  ठीक नहीं हुई
- वकीलों के चैंबर की नीलम पांच लाख से शुरू होकर नौ लाख से भी पार गई
- रिफाइनरी व रिफाइनरी टाऊनशिप में धारा 144 दो महीने तक लागू रहेगी ।
- लाँयस क्लब ने 17 वाँ आइ स्क्रीनिंग कैप में 260 बच्चों की मशीनों से जांच की गई
- अमृतसर में हुएं हमलें के विरोध में बैठी पचास छात्राएं
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