क्या नर्स का जीवन मां जैसा होता है ?

आज " अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस " है । जो मानव जीवन में विशेष महत्व रखता है । नर्स के बिना मेडिकल सेवा अधूरी है । नर्स का जीवन सेवा भाव से भरा हुआ है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा "का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
   नर्स  शब्द जो अँग्रेंजी के" नर्चर "शब्द से बना है जिसका अर्थ है  स्नेहपूर्वक बड़ा करना, देखभाल कर के छोटे ,बीमार ,कमजोर को जीवन की ओर ले जाना।  मेल नर्स हो या फिमेल दोनों में धैर्य, सहनशीलता, प्रेम, सहानुभुति , कर्तव्य परायणता के गुण आवश्यक रूप से होने ही चाहिए।यह एक ऐसा काम है जो घंटों ,दिनों और महिनों में मापा नहीं जा सकता। आप के अपने निजी सुख दुख कोसों दूर.हो जाते हैं ।
यह सच है कि दुनिया में माँ जैसा कोई नहीं है । बालक के जन्म से लेकर बड़े होने ता ,कहें तो आयुपर्यन्त माँ के लिए बच्चा ...छोटा ही रहता है। जब वो बोलता नहीं है तब भी उसके रूदन की भाषा माँ ही समझती है ।
उसी प्रकार नर्स  अपने संपर्क में आये रोगी को अपनी सूझबूझ, सेवा, देखभाल,  डाक्टर के निर्देशानुसार समय पर दवाई, सार संभाल कर के करती  है ।अनेक बार तो रोगी के परिवार जन उससे कन्नी काट लेते हैं पर नर्स उस के लिए एक माँ और मसीहा बन कर सदा साथ रहती है।  अपने दुखों को भूलकर रोगी को सांत्वना और हौसला देती है ।  माँ की तरह ही कभी प्यार से ,कभी डाँट कर और.कभी धमका कर रोगी को हर रोज प्रोत्साहित  करती है।  
नर्स माँ की तरह ही प्रेमिल, अनुशासित, कठोर, कोमल, आशावादी  और  दयालु होती है । अत्यंत संपूर्णता से कहे  तो नर्स, स्त्री के हर रूप की प्रतिछाया है ।  वैसे भी आम बोलचाल की भाषा में " सिस्टर " कहा जाता है ।वह शब्द जो मन  में पाप  ला ही नहीं सकता है। 
नर्स  दुर्गा,सरस्वती , गंगा की शीतलता लिए और समयानुसार जीवन.बचाने के लिए यम से भी लड़ने की क्षमता रखती है । जग जननी माँ स्वरूपा नर्स समुदाय के हम सभी ऋणी रहेंगें । नर्स हिमालय की तरह अड़िग, गंगा की तरह पावनी और अग्नि की तरह  प्रकाश और जीवंतता की प्रतीक है।
    डा.नीना छिब्बर
      .जोधपुर - राजस्थान
"अपने भी अपनों का साथ छोड़ रहे हैंआजकल, 
तू इस महमारी के दौर का फरिस्ता है, 
तू दे रही है सेबाएं बिना भेदभाव के, 
ऐ नर्स लगता है तुमसे मेरी मां जैसा रिश्ता है"। 
आज का दिन  १२मई अंतरराष्टृीय नर्स दिवस लेडी बिथ द लैम्प नाइटिंगेल की याद में मनाया जाता है, 
देखा जाए एक नर्स अपना पूरा जीवन तन्यमता और पूर्ण समर्पण के साथ विमार, असहाय और दुखी व्यक्तियों की सेवा में बिता देती है, 
मेरे ख्याल में मानवता के लिए इससे बढ़कर कोई बात नहीं होगी, 
कोरोना महमारी में भी नर्सिंग का योगदान अतुलनिय है, 
तो आईये आज इसी विषय पर बात करते हैं कि क्या नर्स का जीवन भी मां जैसा होता है? 
मेरा मानना है कि इसमें कोई शक नहीं कि नर्स की भूमिका मां से कम नहीं आंकी जा सकती, 
इसलिए मदर्स डे के  दो दिन के बाद ही  नर्स डे  मनाया जाता है, यह विमारों की पूर्ण लगन से सेवा करती हैं, 
और एक मां की तरह अपनी परवाह किए बिना मरीज की जान बचाती हैं, 
देखा गया है कई नर्सों ने कोरोना महमारी में अपने प्राणों कीआहुति दे दी है, 
  एक नर्स मरीज की सेवा बहुत ही निष्ठा, आत्मीयता और त्याग से करती है जैसे की एक मां अपने बच्चे के लिए करती है, 
इसलिए इसे मां की संज्ञा दी गई है, 
यही नहीं मरीज को नया जीवनदान देने में नर्स की भूमिका अहम होती है, 
हरेक       नर्स   की मदद अवश्य मिलती है चाहे हमारे जन्म के समय हो या बिमार होने पर  नर्स हर जगह मरीज की मदद करने को तैयार रहती है, 
अन्त में यही कहुंगा की अंग्रेजी शब्द में नर्स का अर्थ पोषण होता है, 
जो एक मां अपने बच्चे के लिए करती है, इसलिए एक नर्स के जीवन को भी मां के बराबर आंका गया है, 
संपूर्ण विश्व जानता है कि नर्स आज की स्वास्थ प्रणाली में रीड की हड्डी साबित हुई है, 
इसका हरेक कदम  सरहानिय है व सरहानिय रहेगा वशर्ते यह अपने कार्य में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी व मेहनत और लगन  से कार्य करती रहें जैसे करती आ रही हैं। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी हाँ ,मेरे विचार में  तो नर्स का जीवन माँ जैसा ही होता है। वह तो बस ममता, त्याग ,बलिदान की मूर्ति होती है ।दूसरों की सेवा के लिए सदा तत्पर रहती है ।जैसे माँ हमारे दुःख समझती हैं ,वैसे ही वह मरीज़ का हर दुख सुख बांटती है। उसे माँ की तरह ही समय पर दवा देना नहीं भूलती ।उसकी यही इच्छा होती है कि उसका मरीज़ शीघ्र स्वस्थ हो जाये। माँ की तरह डांटना , फिक्र करना, सांत्वना देना ,भला सोचना, उसके व्यवहार में झलकता है ।अपने बच्चे की भांति उसे अपने मरीज़ की पूरी दिनचर्या का पता रहता है ।कब उठेगा , कब खाने का समय है ,कब सोएगा ,कौन सी दवा खानी है आदि । वह माँ की तरह ही हिम्मत व हौसला रखने को कहती हैं।
- अंजु बहल
चंडीगढ़
   नर्स शब्द किसी पेशा या व्यवसाय से जुड़ा हुआ शब्द नहीं है। यह जीवन जीने की पद्धति या सेवा की भावना का नाम है। अगर हम एक नर्स के गुणों की तुलना किसी से करना चाहे तो निश्चय ही इस श्रेणी में मां ही आती है। एक नर्स का जीवन व कार्य  लगभग वैसा ही  होता है जैसा माँ का होता है । दयालु स्वभाव, मरीजों के प्रति सावधानी, मरीज की  देखभाल करना,  विषम परिस्थिति में काम करने की क्षमता,हर चुनौती में सहनशक्ति बनाए रखना, अपने कार्य के प्रति समर्पण  भाव रखना आदि।
यही सब तो हम माँ के स्वभाव व व्यवहार में अपने घर की सीमा में देखते हैं ।निस्संदेह, नर्स का जीवन माँ जैसा ही होता है ।
                  आज जरूरत इस बात की है कि नर्स के कार्य व गुणों के आधार पर उसे  समाज में और अधिक  सम्मान दिया जाना चाहिए ।धन्यवाद।
-  डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया -  मध्य प्रदेश 
बिल्कुल होता है ..बहुत सी समानता होती है दोनों के गुणों में और काम भी निःस्वार्थ त्याग बलिदान और साहस से भरा हुआ है , दोनों के काम बेमिसाल बेडोड है ..
रोगी की सेवा-शुश्रूषा को परिचर्या या नर्सिंग , कहते हैं। अंग्रेजी के नर्स शब्द का अर्थ है 'पोषण'। नर्स वह स्त्री होती है जो शिशु का पोषण करती है; माँ भी एक प्रकार से नर्स है...
माँ भी अपने परिवार शिशु का वैसे ही ख़्याल करती है जैसे एक नर्स अपने रोगी का ...
नर्स व्यवसाय में मुख्यत: स्त्रियाँ ही काम करती हैं। हम संतोषपूर्वक यह कह सकते हैं कि उनका काम सम्मानित काम है, क्योंकि उनका जीवन दूसरों के जीवन के लिये समर्पित है , उपयोगी तथा सुखी बनाने में लगा रहता है। उनको इस व्यवसाय में स्वाभाविक रूप से आनंद और आत्मसंतोष मिलता है क्योंकि वे एक परदु:ख को समझती है उसे कम करती है इस सम्मानपूर्ण काम में संलग्न रहती हैं।वो अपनी पीड़ा भूल जाती है । जैसे एक माँ रात दिन जाग कर बच्चे की परिवरिश करती है , अपने दामन की हर ख़ुशी लुटाती है 
माँ और नर्स के काम एक से होते हैं दोनो -स्नेहील , परोपकारी , कोमल , आशावान , अनुशासित , होता है जो सिर्फ़ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करती है , 
माँ को बच्चे की आंखे पढ़ना आता है वैसे नर्स अपने रोगी की भावनायें समझती है आशा भरती है जीवन के ।
माँ अपने शिशु की परिवरिश करती है और परिचारिका तो हर बिमार की तिमारदारी बिना किसी स्वार्थ के करती है । दोनों को ही मेरा सत् सत् नमन है । 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
किसी भी सेवा में माँ का ही रूप होता है। बगैर माँ जैसा बने सच्ची सेवा हो ही नहीं सकती है। नर्स का जीवन सच में माँ जैसा ही होता है। जिस तरह माँ बच्चों के बारे में सब जानती है ठीक उसी तरह एक नर्स भी एक बीमार के बारे में जानती है कि उसे कब किस चीज की जरूरत है। और तत्त्त क्षण उसे पूरा करती है। कब दवाई खानी है। कब उसे इंजेक्शन देना है। कब खाना खाना है। इन सारी बातों का वह ख्याल रखती है। जिस तरह से माँ एक बच्चे की सेवा कर उसे पालती-पोषती है। उसे बड़ा बनाती है। नर्स भी उसी तरह बीमार की सेवा करती है और उसे स्वस्थ बनाती है। एक नर्स की अच्छी सेवा से ही एक बीमार जल्द स्वस्थ हो जाता है। माँ जिस तरह से बच्चों से घृणा नहीं करती है नर्स भी इसी तरह बीमार से घृणा नहीं करती है। माँ की तरह बीमार की हर ख़िदमद प्रेमभाव से करती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि नर्स का जीवन माँ जैसा होती है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
अवश्य हम नर्स की तुलना मां सम कर सकते हैं चूंकि मां का ह्रदय ममता से भरा होता है! त्याग, बलिदान ,सेवा की भावना से ओत-प्रोत होती है! मां का प्यार अपने बच्चों के लिए  निःस्वार्थ होता है इसीलिए तो कहा जाता है कि मां में बत्तीस देवों का वास होता है! मां की ममता समान रूप से बहती है कोई भेदभाव नहीं होता! बच्चों से दुख पाकर भी वह दूर से भी उम्र लंबी होने और खुश रहने का आशीर्वाद देती है
 किंतु .....नर्स का त्याग , एक सा  हर स्थिति में सभी के साथ सौहार्द पूर्ण निर्मल एवं निःस्वार्थ ममता से भरा व्यवहार उसे मां से भी उच्च श्रेणी में बैठाता है! मां अपने बच्चों के लिए सब करती है किंतु नर्स सैकड़ों लोगों की मां बन विकट स्थिति में भी मुस्कान बिखेरती हुई निःस्वार्थ सेवा करती है! कैसा भी मरीज हो, किसी भी तरह की बीमारी हो बिना घृणा के उसकी सेवा करती है! हर अनजान रोगी को अपना बना सेवा करती है! 
नर्स का रोगी से हंसकर बात करना, उसके मर्म को अपना मर्म समझ धीरज देना, समझाना, रोगी के गुस्सा हो जाने पर प्यार दे शांति से, संयम रख उसे शांत करना एक नर्स ही कर सकती है चाहे पुरुष नर्स (कंपाउंडर) ही हो! सैकड़ों लोगों को अपना बना ममता , त्याग एवं सद व्यवहार और निःस्वार्थ भाव से सेवा करती है वह मां तुल्य ही नही विशेष है! 
            - चंद्रिका व्यास
          मुंबई - महाराष्ट्र
एक नर्स का जीवन मां जैसा नहीं होता, उससे भी कहीं आगे बढ़कर भगवान जैसा होता है। जब मां देखभाल नहीं कर पाती(बीमारी की अवस्था में) तब नर्स ही देखभाल करती है। नित्य कर्म से लेकर खान-पान और औषधि तक का ध्यान रखती है। अपने घर में भले ही वह कितनी परेशानी में हो परंतु मरीज से मुस्कुराते हुए ही बात करती है, उसे सांत्वना देने के साथ साथ सकारात्मक विचार देती है। भगवान जैसा इसलिए कहा कि बिना किसी जाति,धर्म, रंग, समाज,लिंग भेद के सबके साथ सहानुभूति से मृदु व्यवहार का ईश्वरीय गुण इनमें होता है।
मानवीय संवेदनाओं को समझते हुए अपने हर मरीज से आत्मीयतापूर्ण व्यवहार करना साधारण मानव के बस की बात नहीं। वह तो अपने परिवार में भी सबसे आत्मीयतापूर्ण व्यवहार नहीं कर सकता। एक मां भी अपने सब बच़्चों के साथ समान प्रेम या क्रोध का व्यवहार नहीं करती। जबकि नर्स हर मरीज से आत्मीयतापूर्ण व्यवहार करती है।यही है वह गुण जो नर्स को मां से भी बढ़कर ईश्वर के समान बनाता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
 धामपुर -  उत्तर प्रदेश
आज के विषय के संदर्भ में मेरा जवाब है हाँ नर्स का जीवन माँ जैसा ही होता है, नर्स डॉक्टर और मरीज के बीच की मजबूत कड़ी होती है जैसे नदी पर बांध बनाकर पानी को इकट्ठा किया जाता है वैसे ही नर्स अपने सभी मरीजों के शारिरिक ओर मानसिक भावनाओं का बांध होती हैं  वह अपने सभी मरीजों का ख्याल रखने के साथ साथ मरीज को मनोवैज्ञानिक रूप से बांध कर मानसिक संबलता प्रदान करती हैं
वह उनकी पूरी देखभाल करती हैं विशेषतः उनके हर शारीरिक सफाई के साथ साथ मन में उठ रहे सभी विकारों को नकारात्मकता को दूर करती हैं उनको जीवन के प्रति हौसला दिलाती है, माँ का दायित्व अपने बच्चों तक होता है परंतु इनकी जिम्मेदारी अपने परिवार के साथ साथ उन सभी मरीजों के प्रति होती हैं जो रोगों से जूझ रहे होते हैं ।डॉ के मार्गदर्शन में ये अपनी अहम भूमिका निभाती हैं, यह पूरी तरह से सेवा भाव से निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य को पूर्ण करती है, इसलिए इन्हें माँ की श्रेणी में रखा जाता हैं है नर्स का काम बहुत ही जिम्मेदारी का होता है वो भूखी प्यासी रहकर सबसे पहले मरीजों का ध्यान रखती है,इसलिए यह कहने मे कोई अतिश्योक्ति नही होगी कि वो माँ से बढ़कर अपने दायित्वों को निभाती हैं।
- मंजुला ठाकुर
मध्यप्रदेश - भोपाल
     माँ का मातृत्व प्रेम अनन्त हैं, पूर्व से और जन्म पश्चात बच्चे की सम्पूर्णानन्द का प्रयास करते-करते हृदय निर्मल हो जाता हैं, किस तरह से बच्चे की क्रियाओं में स्वयं विश्राम करती हैं और उसे सुखे में विश्राम कराते-कराते स्वावलंबी बनाती हैं,  यही एक भविष्य का संदेश हैं!  यही प्रकृतियाँ नर्स की होती हैं। जब बच्चे का जन्म होता हैं, तो सम्पूर्ण जवाबदारी बन जाती हैं, जब तक माँ जन्म पश्चात सामान्य रुप में न हो जाये । नर्स का जीवन माँ जैसा ही होता हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता हैं। आज वर्तमान परिवेश में नर्स की सार्थक भूमिका को देखिये, कोरोना महामारी के दौरान नर्स की  मातृत्व शक्ति सेवाओं का ही प्रतिफल हैं, डाँक्टर तो बाद में आता हैं? मदर टेरेसा के पंसग प्रत्यक्ष रूप से उदाहरण परिदृश्यों में देखिए। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
बहुत अच्छा प्रश्न। वास्तविक अर्थों में देखा जाए तो नर्स का जीवन मां जैसा ही होता है। जिस तरह मां सब कुछ भूल कर केवल संतान को सुखी देखने के लिए  पूर्ण मनोयोग से सेवा भाव रखती है ,उसी तरह नर्स का भी उद्देश्य होना चाहिए। रोगी नर्स के संरक्षण में रहता है, उसकी दवा दारू, दिनचर्या, हर कार्य विधि का ,मां की तरह नर्स को ध्यान रखना पड़ता है। सही तरीके से ध्यान रखने पर ही रोगी का उपचार संभव हो पाता है। यदि ठीक तरह से ध्यान न दिया जाए तो वह रोग मुक्त नहीं हो पाता। यह एक बहुत ही प्रशंसनीय, सेवा भाव वाला कार्य है जिसे पूर्ण मनोयोग से किया जाना चाहिए। नर्स को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी रोगी को संबल प्रदान करना चाहिए। वस्तुतः अपने सेवा कार्य के समय वह रोगी के लिए मां का ही प्रतिरूप होती है जिसे निभाना उसका पूर्ण दायित्व होता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
चिकित्सा क्षेत्र में मरीज और नर्स का सबसे अधिक साथ होता है। चिकित्सक के मार्गदर्शन के पश्चात मरीज के साथ चौबीस घंटे जो व्यक्तित्व रहता है वह नर्स ही है। 
जिस प्रकार माँ अपने बच्चों के प्रति मन-वचन-कर्म से समर्पित होती है उसी प्रकार नर्स भी मरीज के साथ अपने कर्तव्यों का पालन पूर्ण समर्पण और निष्ठा से करती है। इसलिए नर्स का ममतामयी रूप नि:सन्देह उन्हें माँ के समकक्ष रखता है।
कोरोना के संकटकाल में तो नर्स जिस प्रकार अपनी जान को दाँव पर लगाकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं, वह माँ के पावन मातृत्व के समान ही है। 
इसलिए समस्त कर्तव्यनिष्ठ नर्सों का अभिनन्दन करते हुए कहता हूँ कि..... 
उनका जीवन है कठिन, कहते उनको नर्स।
माँ की ममता सा लगे, उनका पावन स्पर्श।। 
उनका पावन स्पर्श, भगा देता बीमारी। 
रोगी की अति पीर, दूर करती हैं सारी। 
रखती हैं यूँ ध्यान, रोग मिट जाये तन का। 
निष्ठा को है मान, नमन वन्दन है उनका।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
सिस्टर अर्थात बहन जो प्रेम की सागर स्नेह की गागर होती है   वह माँ तुल्य ही अपने मरीज़ की देखभाल करती है ।
        डॉक्टर का  काम भी उनके बिना अधूरा है । ऑपरेशन थिएटर, सोनोग्राफी, लैब, लेबर रूम, वैक्सीनेशन, आकस्मिक दवाएं देने आदि हर जगह पर सिस्टर समर्पित भाव से सेवा करती है । 
       डॉक्टर एवं सिस्टर मरीज के लिए एक सिक्के के दो पहलू के समान हैं । कई बार सिस्टर, डॉक्टर की अनुपस्थिति में भी यथासंभव मरीज़ को संभालने का कार्य भी बखूबी निभाती है  ।    
       वर्तमान महामारी के दौर में हम देख रहे हैं कि जब परिवार के लोग भी मरीज़ के पास नहीं जा सकते, ऐसे नाजुक हालात में  नर्स जो सेवा कर रही है उसे किसी भी कीमत पर माँ से कम नहीं आंका जा सकता  ।
       सिस्टर के बिना डॉक्टर भी स्वयं को अकेला महसूस करते हैं  क्योंकि हर वक्त इनके सहयोग की उन्हें आवश्यकता होती है । 
       इनकी सेवा से मरीज शीघ्र ही स्वस्थ होकर घर चले जाते हैं ।
         माता-पिता की सेवा से तो और उऋण  हुआ जा सकता है लेकिन इनकी सेवा से नहीं ।
        ईश्वर हर मरीज का इलाज करने स्वयं नहीं आ सकता इसलिए उसने सिस्टर को धरती पर भेजा है । 
              -  बसन्ती पंवार
           जोधपुर - राजस्थान 
         व्यवसायिक प्रशिक्षण कितना भी भला, नेक और मानवीय क्यों न हो एक प्राकृतिक रिश्ते का निर्वाह नहीं कर सकता? इसलिए नर्स का दायित्व भले ही मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण एवं पवित्र माना जाता है। परंतु उसकी तुलना "मां" से कदापि नहीं की जा सकती। 
         क्योंकि मां अपने बच्चों को स्तनपान कराने से लेकर उनका मल-मूत्र साफ करते हुए उन्हें जीवन में सफल बनाने तक की यात्रा का मूल्य नहीं बसूलती। वह स्वयं गीले में सोने और अपने जिगर के टुकड़े को सूखे में सुलाने का भी मूल्य तो क्या मूल्यांकन भी नहीं करती। क्योंकि वह नर्स नहीं बल्कि मां होती है और बच्चों की सेवा एवं परवरिश के लिए बच्चों के बाप से भी भिड़ जाती है। हालांकि मां के पवित्र रिश्ते के उपरांत कुछेक दाई माताओं द्वारा शिशु की सगी मां की मृत्यु के बाद उक्त दायित्व निभाने के साक्ष्य व कीर्तिमान इतिहास में उपलब्ध हैं।
         परंतु उसके बावजूद व्यवसायिक नर्स को मां की संज्ञा नहीं दी जा सकती। क्योंकि उसकी क्या औकात कि वह अपने रोगी के हित में डॉक्टर की अनुचित मांग का भी विरोध कर सके? इसलिए आलेख लिखना और उसमें विषय विशेष पर बढ़-चढ़कर लिखना अलग पहलु है। जबकि वास्तविकता को दर्शाना, समझना, समझाना और ईमानदारी से उसका उल्लेख करना अलग बात है। 
         उल्लेखनीय यह भी है कि वर्तमान कोरोना महामारी में नर्सों, डॉक्टरों और चिकित्सालयों के स्वार्थ की पराकाष्ठा चरम सीमा पर पहुंचने के असंख्य उदाहरण प्रकाश में आए हैं। जबकि इस सच्चाई से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता कि पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं। अर्थात किसी एक के घृणित एवं कलंकित कार्य करने से पूरे का पूरा व्यवसाय घृणित एवं कलंकित नहीं हो जाता।
         अतः मां ही अपने दोनों स्तनों से अमृत रूपी दूध की धाराओं को अपने बच्चों को पिला सकती है। यही कारण है कि बच्चे सदैव अपने सम्पूर्ण जीवन में अपनी मां के ऋणि रहते हैं और उस ऋण से युगों-युगों तक मुक्त नहीं होते। जिसके आधार पर स्पष्ट कह रहा हूं कि मां का स्थान कोई व्यवसायिक नर्स ले ही नहीं सकती। क्योंकि मां तो मां होती है जिसकी ममतामई गोद में स्वर्ग का असीम सुख प्राप्त होता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
नर्स एक सेविका है और जो सेवा करता है उसका स्थान हमेशा ऊपर रहा है मां जैसा भी है सभी सुख और दुखों को वह प्यार से सुनते हैं सह लाती है मरहम पट्टी करती है सभी व्यक्ति के यह वश की बात नहीं है।
जो दयालु है समर्पित है जिसमें सेवा की भावना है जिसमें घृणा की भावना नहीं है नफरत की भावना नहीं है वही नर्स के लिए उपयुक्त हो सकती है और इन भावनाओं से ही नर्स को मां की श्रेणी में रखा जा रहा है
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
नर्स की जीवन जो है मां जैसी व्यवहार लगता है । नर्स की जीवन रोगी के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। नर्स को हिंदी में परिचर्या भी कहा जाता है। जैसे मां अपने शिशु को पोषण करती है, तो मां भी एक तरह से नर्स ही है।नर्स जो है शिशु की, अथवा रोगी की देखभाल करती है। जिस प्रकार मां अपने शिशु को करती है।
परिचर्या शब्द से क्रियाशीलता झलकता है। यह उपकार का काम है। परिचर्या एक व्यवसाय है ईश्वरीय नियमों में दृढ़ निष्ठा रखती है।जो सत्य सिद्धांतों पर अटल रहे तथा परिणाम की चिंता किए बिना कैसे भी परिस्थिति में क्यों न हो वही करती है जो उचित है।
लेखक के विचार:--इस महामारी में नर्स की जो सेवा योगदान देशवासियों के प्रति जो है ,उसके लिए आज इंटरनेशनल नर्स डे  पर हार्दिक शुभकामनाएं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
नर्स का जीवन माँ जैसा होता है।जिस तरह माँ अपने बच्चो का देखभाल करती है उसी तरह नर्स भी रोगी व्यक्ति का देख भाल करती है। वह रोगी की हर पल हर क्षण सवा मे जुटे रहती है।  रोगी व्यक्ति  की हर इच्छाओ पर ध्यान  रखती है। ताकि रोगी जल्दी  ठीक हो  कर स्वस्थ रहे।
जिस तरह माँ अपने बच्चो के लिए हर पल उनकी खुशी  के लिए कामना  करते हुए हर इच्छाओ  की  पूर्ति करती है।और बच्चो की  खुशी  मे अपनी खुशी जाहिर करती है ठिक उसी प्रकार नर्स भी अपने रोगी की खुशी  मे अपना  खुशी जाहिर करती है।  क्योंकि रोगी व्यक्ति को स्वस्थ कर खुश  रखना उसका परम कर्तव्य  होता है। अतः माँ की तरह नर्स का जीवन होता है। 
- उर्मिला सिदार 
रायगढ - छत्तीसगढ़
12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिवस के अवसर पर मनाये जाने अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर यह विषय चुनने के लिए बधाई। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के गाथा से सभी परिचित हैं। जिस प्रकार मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में उन्होंने मानव सेवा की यह एक मार्गदर्शक बन गया। वर्तमान कोरोना काल में पीड़ित लोगों की सेवा में अपनी जान की परवाह न करते हुए नर्सें कार्य कर रही हैं। वे जिस प्रकार सेवा कर रही हैं वह एक मां ही कर सकती है। अतः यह कहने में कोई भी गुरेज नहीं है कि नर्स का जीवन मां जैसा ही होता है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
नर्स का जीवन मां से भी महान होता है। वह दया, सेवा की प्रतिमूर्ति होती है साथ ही वह तो स्वार्थ से भी रहित होती है क्योंकि मां तो मात्र अपने बच्चे एवं परिवार के प्रति ही सेवा भाव में निमग्न  रहती है परंतु नर्स अपरिचित लोगों की गहनतम विकृत और विकट रोगी की दयनीय  स्थिति में भी उसके जख्मों पर मरहम, समय से दवाइयां, शारीरिक स्वच्छता, वातावरण को शांत बनाए रखने से लेकर मृदु वाणी व कोमल स्पर्श से सेवा सुश्रुषा देकर नया जीवन देती हैं जहां उसे मरीज को शीघ्र स्वस्थ होकर अपने घर जाने तक के सेवा भाव से जुटी रहती है।
       इटली की महान नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल का चिकित्सा जगत में विशेष योगदान सभी नर्सेज के लिए विशेष उदाहरण बन पड़ा है जीवनदायिनी सेवा कार्य के लिए हम सब उन्हें विस्मृत नहीं कर सकते।
 नमन है ऐसे स्वार्थरहित सेविकाओं को।
 - डाॅ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
डॉक्टर और भर्ती हुए मरीज के बीच एक और अहम कड़ी होती है, वह है नर्स। डॉक्टर तो निर्धारित समय पर आकर मरीज को देखकर ,आवश्यक दवाएं लिखकर एवं नर्स को उचित निर्देश देकर चले जाते हैं, शेष समय नर्स ही है, जो मरीज का विशेष खयाल रखती हैं। मरीज की तत्कालिक आवश्यकताओं और समस्याओं का निदान नर्स ही करती हैं। मरीज और उनके परिजन भी नर्स से बेहतर उपचार और सेवा की उम्मीद रखते हैं।  यह भी सचाई को लिए महत्वपूर्ण मनोविज्ञान है कि मरीज के स्वस्थ होने में दवाओं, दुआओं के अलावा नर्स की सेवाओं का भी असर होता है। अच्छे स्वभाव वाली नर्स की प्रत्यक्ष सेवा और व्यवहार से मरीज को स्वस्थ होने में अपेक्षाकृत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो मरीज के लिए लाभदायक होता है।मरीज के प्रति यह सेवा भाव , लगन और उत्साह को माँ की ममता सदृश्य आँकना नर्स को सम्मान देना है, जो आवश्यक, उचित और महत्वपूर्ण भी है। जिस प्रकार माँँ  अपने बच्चे के लिए समर्पित भावना से उसकी देखभाल करती है, ऐसे ही नर्स भी अपने मरीज का खयाल रखती है। वैसे व्यवहारिक जीवन में नर्स को सिस्टर याने बहन कहा गया है।
सार यही कि नर्स का जीवन माँ जैसा ही होता है, यह कहना और समझना सौफीसदी सही है, उचित है। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
नर्स की अनेकों भूमिका होती है। वह डॉक्टर की सहयोगी, मरीज के लिए तो वह परिचारिका, माँ, बहन सभी की भूमिका निभाती है। वह डॉक्टर और मरीज के बीच की सेतु होती है। मदर टेरेसा ने भी इसी पेशे को जन-सेवा के लिए चुना था। 
  नर्स के शुश्रुषा में इतनी शक्ति होती है कि कई गंभीर मरीज घर लौट आते हैं। इसलिए इन्हें माँ का दर्जा दिया जाता है। इनकी सेवा निःस्वार्थ भाव से होती है। ये न तो किसी मरीज द्वारा फैलाए गन्दगी से घबड़ाती हैं और न ही किसी भी मरीज की गंदगी की सफाई से मुँह मोड़ती हैं। माँ तो अपने बच्चे के लिए काम करती है, लेकिन इनका काम रोगियों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की शक्ति प्रदान करना है। भावनात्मक सहारा अधिकतर राम-बाण का काम करता है।
इस पेशे को अपनाने वाले का आदर और सम्मान होना चाहिए।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
आपने ठीक कहा कि नर्स का जीवन माँ जैसा होता है परंतु किसी भी व्यक्ति के लिए जो त्याग माँ करती है जैसी देख- रेख, संभाल माँ कर सकती है वैसा नर्स नहीं करती। भले ही नर्स की ड्यूटी माँ जितनी है परंतु  वह सिर्फ ड्यूटी होती है कि मरीज को समय पर जो दवा देनी है अथवा ईलाज देना है उतनी देखभाल वह करती है। अपना कर्तव्य निभाती है।
वह देखभाल तो करती है लेकिन मां जैसी कदापि नहीं कर सकती। वह मरीज को समय पर दवा देगी, पानी देगी, इंजेक्शन देगी और खाना देगी, चद्दर तकिया भी बदल देगी लेकिन वह सिर्फ हस्पताल की ड्यूटी करती है।
हम एक माँ की ममता और देखभाल से नर्स की तुलना नहीं कर सकते। हाँ! कोविद के कारण आज कल विपरीत परिस्थितियों में उनके द्वारा दी गई सेवाएँ अतुलनीय हैं। 
- संतोष गर्ग 
मोहाली - चंडीगढ
एक सच्चे नर्स का जीवन बिल्कुल माँ जैसा ही होता है जैसे माँ दिन रात अपने बच्चों की सेवा करती है। उसी प्रकार हॉस्पिटल में अस्पताल में एक नर्स माँ की भांति अपने मरीजों का देखभाल करती है और उसे जीवित की प्रगति में आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित करती है। एक न र्स से सभी कर्तव्य को पूरा करते हुए मां की भूमिका को निभाती है ।मां की तरह ही वह दिन रात जागती और मरीजों की सेवा करती है। ताकि उसके मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए और वह जिंदगी में आगे की तरफ बढ़ने लगे नर्स आज के समय में एक भगवान का रूप होती है जिस प्रकार हम अपने मां की पूजा करते हैं उसी प्रकार हमें अस्पताल में डॉक्टर एवं नर्स की भी पूजा करनी चाहिए। भगवान का दूसरा रुप ही नर्स और डॉक्टर होता है।जो अपनी सारी तकलीफों को भूलकर मरीजों की सेवा में लग जाता है मां के जैसा ही उसका हृदय होता है जैसे कि मां दिन-रात बच्चों की सेवा में तथा परिवार की सेवा में गुजार देती है उसी प्रकार एक सच्ची नर्स अस्पताल में माँ की भांति अपने कर्तव्य की भूमिका को निभाते हुए अपने मरीजों के प्रति संवेदनशील होती है ताकि मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें उसका जीवन बीमा जैसा होता है उसके हाथों में जिंदगी होती है जिस तरह से डॉक्टर के हाथों में जिंदगी होती है अगर लापरवाही करें तो जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए माँ का जीवन में संपूरक होता है।नर्स आ जीवन माँ जैसा होता है वह सबकुछ भूल  कर सेवा भाव से लग जाती हैं।माँ कभी भी अपने जीवन के बारे मे नही सोचती है उसे सिर्फ परिवार और बच्चों के बारे मे चिंतित रहते हुए देखा जाता हैं उसी प्रकार एक नर्स भी अपने जीवन को भूल कर अपने मरीजों के बारे में लगातार सेवा में उपस्थित रहती हैं।माँ की भांति नर्स का जीवन होता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
नर्स शब्द सेवा भाव से  जुड़ा है ।नर्स की जरुरत हमें तब पड़ती है ,जब  हमारे परिवार के लोग हमारी बिमारी को संभालने में असमर्थ होते हैं । उस समय नर्स माँ की पर्याय बन जाती है । हम सभी उसे सिस्टर कहकर बुलाते हैं ,लेकिन उसका काम जन्म देने वाली माता के समान होता है । हम अभी के हालात देख लें ,जब हमारा परिवार हमसे दूर है नर्सें दिनरात सुरक्षा कवच पहन कर रोगियों की सेवा कर रहीं है ।समय पर दवा देना ,कपड़े बदलना ,खाना खिलाने का काम नर्सें कर रहीं हैं ।
मन अशांत होने पर ढ़ाढ़स देती हैं । हर रोगी से वे अपना एक रिश्ता कायम कर लेती हैं वही संबोधन देती हैं । सबसे पहले हम यह समझे , सेवाभाव जीवन की सार्थकता है , जब एक नर्स शिक्षित होती है वह सेवा की शपथ लेती है । वही वह जीवन पर्यन्त निभाती है  । ।इसी तरह सेवा शिक्षित  पुरुष वर्ग भी अपनी सेवा पुरुष रोगी को अर्पित कर रहे  हैं  ।
आदर पूर्वक सब का अभिनंदन करती हूँ  ।
आज की नर्स सोलहवीं शताब्दी में राणा सांगा के पुत्र उदयसिंह की धाय माँ थी l वीरांगना प्रसूता राजस्थान की माटी में जन्मी पन्ना किसी राज परिवार की सदस्य नहीं थीं l केवल उदयसिंह को दूध पिलाने के कारण पन्ना धाय माँ बन गई l लेकिन इस धाय माँ ने स्वामी भक्ति में अपने जायेंदा पुत्र को न्यौछावर कर दिया l
 आज उसी सेवा, त्याग तपस्या और बलिदान की प्रतिमूर्ति है नर्स उर्फ़ धाय l जो अपनों को रोता बिलखता छोड़ इस कोरोना संकट काल में परायों के आँसू पोंछने निकल पड़ती हैं l इनकी सेवाओं के लिए हर मानव श्रद्धानवत है l
 "अपने लिए जीये तो क्या जिये,
ए दिल तू जी जमाने के लिए l "
  इस ध्येय वाक्य को जीवन समर्पित करने वाली देवीय  शक्ति का नाम है नर्स l इनका दर्जा तो माँ से भी ऊपर है l ये जीवन की रक्षा करती हैं l आज पन्ना की धाय भावना नर्स के सेवा भाव को पुष्ट और प्रेरित करती हैं l
मानवता के चादर में लिपटी
परी लोक की तुम परी हो l
निश्चल भाव से सेवा करती
कर्म पथ पर हो निर्भय खड़ी l
आरोग्य मंगल कामना करते
हम,साधारण नारी नहीं तुम l
देवी की अवतार लगती हो
तुम्हारे कर्तव्यों को बारम्बार
प्रणाम हमारा है l
                चलते चलते ----
कबीरदास जी कहते हैं -
राम भरोसे बैठकर, सबका मुजरा लेय l जैसी जाकी चाकरी, तेसो ताको फल देय ll
यही हमारी सेवा धर्म को समर्पित हैं तो हमें वह सब सम्पदायें प्राप्त हो जाती हैं जो कल्प वृक्ष द्वारा प्राप्त होनी चाहिए l
  -डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी बिल्कुल नर्स की भूमिका एक मरीज के  लिए माँ जैसी ही हिती है ।एक नर्स  अपने मरीज से माँ जैसा ही प्रेम करती है ।
मरीज के जीवन में नर्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहती है। जब मरीज अस्पताल में अपनी बीमारी के इलाज के लिए जाता है तब डॉक्टर द्वारा इलाज होता है परंतु इसमें नर्स का काफी योगदान रहता है । जिस तरह से एक मां अपने बच्चे से प्रेम करती है व केयर करती है उसी तरह से एक नर्स भी अपने मरीज से प्रेम करती है और केयर करती है ।
रोगी की सेवा को परिचर्या या नर्सिंग कहते हैं ।
अंग्रेजी के शब्द नर्सिंग का अर्थ पोषण होता है।
 एक अच्छी नर्स वही है जो मां जैसी देखभाल बीमारी में करती है।
 परिचर्या शब्द से क्रियाशीलता झलकती है ।यह उपकार का काम है यह उपकार का काम ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो अपने लिए खुद नहीं कर सकता । नर्सिंग को सम्मानजनक पेशा  बनाने का श्रेय फ्लोरेंस नाइटिंगेल को  जाता है ।
जब मरीज के पास अपने जीवन के कुछ पल ही बचे होते हैं तब नर्स एक मां बनकर मरीज की देखभाल करती है ।
इलाज जरूर डॉक्टर के द्वारा किया जाता है ,लेकिन सही समय पर मरीज को दवा  व इंजेक्सन आदि तो नर्स ही देती है ।
वह दया की भावना रखती है एक नर्स का  जीवन कठिनाइयों से भरा होता है क्योंकि वह हर हालात के हिसाब से खुद को ढालती है ,क्योंकि मरीज की देखभाल करना कोई आसान काम नहीं है ।
मरीज की देखभाल के लिए समय पर अपने में बदलाव लाना पड़ता है ।
नर्स कभी-कभी  मरीज की देखभाल करने के कठोर बन जाती है तो कभी खुशनुमा बनना पड़ता है ।
दया की भावना रोगी और मनुष्य के संबंध को दर्शाती है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
बहुत हद तक दोनों में (माॅ ,नर्स)समानता पाई जाती है। दोनों देखभाल करती हैं। नर्स को सिस्टर के नाम से सभी जानते हैं यानी कि बहन की तरह प्यार देना। सच में नर्स आजीवन प्यार और देखभाल में हीं अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर देती है। 
बुरे से बुरे हालात में भी मरीज की देखभाल, साफ- सफाई , दवाई देना सच में यह कार्य बहुत मुश्किल होता है फिर भी एक नर्स यह काम बखूबी निभाती है। ठीक इसी प्रकार  एक माँ भी अपने बच्चे की देखभाल करती है। नर्स बिना डाक्टर के अपने लगातार अनुभव के द्वारा मरीज का प्राथमिक उपचार भी कर सकती है।निरन्तर डाक्टर की सहयोगी होती है फलतः काफी कुछ जानकारियां हो  हीं जाती हैं।नर्स के प्यार, दुलार  देखभाल से हम जल्द ठीक हो जाते हैं। उसी प्रकार माँ की देखभाल और सिर पर फेरा गया हाथ हमारे लिए चमत्कारी  औषधीय के समान कार्य करता है। नर्स बहुत कठिन और मेहनत वाला काम करती है, ठीक  एक माँ की तरह हीं। दोनों का एक हीं कार्य है प्यार देना।एक बात है माँ अपने बच्चों के लिए सारे कार्य करती है लेकिन नर्स अनजाने  लोगों के लिए सारे कार्य करती है इसलिए यह महानता है नर्स के कार्य का ।हाँ इसके लिए उसे पैसे मिलते हैं , फिर भी यह कार्य एक
हर कोई नहीं कर सकता है। आज अन्तरराष्ट्रीय सिस्टर दिवस पर ऐसी सारी सिस्टर को दिल से सलाम है मेरा।
- डाॅ पूनम देवा
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या नर्स का जीवन मां के जैसा होता है तो इस पर मैं  कहना चाहूंगा कि वास्तव में नर्स  का जीवन  त्याग सेवा अनुशासन  कर्तव्य परायणता की दृष्टि से बहुत ही कठिन जीवन है जिसे यदि पूरी तरह लगन और सेवा के साथ कोई करता है तो उसकी तुलना वास्तव में मां के जीवन से करना कोई गलत बात नहीं है जिस प्रकार से मां अपने बच्चे की सेवा करती है देखभाल करती है उसकी सुरक्षा करती है उसी प्रकार से एक नर्स भी अपने मरीज की देखभाल करती है सेवा करती है सुरक्षा करती है और प्रत्येक दशा में उसे लाभ पहुंचाने के लिए काम करती है इस प्रकार भी कह सकते है कि एक नर्स का जीवन माँ जैसा होता है
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस इटली की फ्लोरेन्स नाइटेन्गल की जन्म दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया में मनाया जाता है।इन्होंने ही नर्सिंग सेवा पेशे की रंग रूप बदलने की शुरूआत की थी।
नर्स के जीवन को माँ के जीवन से कोई तुलना नहीं की जा सकती।जहाँ माँ ममता की मूरत होती है वही नर्स मानवता की सेवा करती है।जहाँ माँ नि:स्वार्थ भाव से  अपने घर परिवार की सेवा करती है लेकिन नर्स को सेवा के एवज़ में पारिश्रमिक मिलती है,वह अपना कर्तव्य और ड्यूटी निभाती है।जहाँ मरीज़ एक नर्स जो (नरचर शब्द से निकला है )के हवाले रहता है जो नर्स के कार्यकुशलता ,उसके व्यवहार और सेवा भाव पर निर्भर रहता है।इसलिए तो इन्हें सिस्टर भी कहा जाता है।जो किसी की माँ ,बहन ,पत्नी होकर भी अपने मरीज़ से भावनात्मक रूप से जुड़ी होती है।हाँ !जब एक बीमार व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों से अलग दिन रात डॉक्टर ,नर्स के हवाले रहता है तब उनमें वो सभी रिश्तों से  ऊपर एक भगवान नज़र आता है।
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड


" मेरी दृष्टि " नर्स की सेवा , मां जैसी सेवा का अहसास अवश्य करवा देती हैं । यही नर्स का जीवन मानव के लिए उपहार से कम नहीं है । जो बिमारी के समय नवचेतना का संचार करती है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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