बाजारी माता मंदिर


बाजारी माता मंदिर 
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तहसील मुख्यालय  दुगूकोदल से लगभग  5 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा पखांजूर मार्ग में  आदिशक्ति बाजारी माता  मंदिर स्थित है   जो भी मन्नतें मांगते हैं पुरी होती है किंवदंती के अनुसार माता हिंगलाजी आपने वाहन पर सवार होकर उस मार्ग से  गुजर रही थी तभी माता जी का वाहन वाह फंस गया जिसे देखकर सभी देवता माता जी का उपहास करने हंस पढ जिससे रुष्ठ होकर  माता  वहीं विराजमान हो गई कालान्तर में उस स्थल का नाम हाहालद्ददी  हुआ ऐसा क्षेत्र के बुजुर्ग का  मानना है हाहालददी में प्राचीन काल में माता हिंगलाजी नाराज हो गई और बाघिन का  रुप धारण की और गांवों में   आतंक माचने लगी और मावेशियो को अपना शिकार बनाने लगी जिससे क्षेत्र के लोग दहशत में व्याप्त हो गए। गांव के लोगो ने इससे निजात पाने परहदेव   के पास जाकर समस्या बाताई और निजात दिलाने की मन्नतें की । परहदेव ने जानकारी दी की देवी हिंगलाजन को एक संकरी के रूप में बाहर निकल गया है । पललामारी में इसे ले जाकर  ग्रामीणों ने विचार किया कि यहां जीवकसा की बंजर भूमि पाया गया इस लिए इसे  माता बाजारी देवी के नाम से स्थापित करने का निर्णय लिया गया। एक घांस-फूस का एक झोपड़ी नुमा मंदिर बनाकर सकल हिंगलाजीन  और मामा एवं बाकी में घोड़े की प्रतिमा स्थापित की गई इसे माता बाजारी देवी  नाम दिया गया।इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है जन श्रुति के अनुसार वहीं इस क्षेत्र में हाहालदद्दी, गढ़ परलकोट, गढ़ प्रातापपुर, के आस पास के आबुझमाड क्षेत्र पहाड़ीयो में बांस अधिक पाया जाता था जो कि आज भी गढ़ परलकोट, गढ़ प्रातापपुर के क्षेत्र के अबूझमाड़ पहाड़ीयों  में है। इस झोपड़ी नुमा मंदिर के पास स्व श्री चम्पा लाल चोपड़ा  ग्राम मुल्ला तहसील भानुप्रतापपुर जिला उत्तर बस्तर कांकेर के ड्राइवर लाल संसार का वाहन बांस परिवाहन करते समय रोज सुखी जमीन पर वाहन के चारों पहिए ठस जाते थे ।
इसके चलते बाजारी देवी मंदिर का निर्माण सन् 1972 में ईंट सीमेंट से करवाया गया। गांव के गायता बोधीराम तुलवी ,चेतन प्रसाद पाठक ने आदिशक्ति बाजारी देवी  की मूर्ति स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की ।उस समय चम्पा लाल चोपड़ा बांस बल्ली की ठेकेदारी करते थे , गढ़ प्रातापपुर, गढ़ परलकोट ,मन्हाकाल के सनतराई , झोपड़ी नुमा मंदिर का ईंट सीमेंट से निर्माण करवाया,हांहालद्द्दी में चैतनवरात्रि पर्व 1993 में पहली बार मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित की गई ।वह भी गुप्त रूप से तीन महादेवीयों के नाम से मंदिर समिति के द्वारा जलाया गया। मंदिर समिति, भक्तों, ग्रामीणों  के समति से हाहालद्द्दी  स्थित सुमेर पर्वत में  24 माई 2004 को आदिशक्ति पहाड़ा वाली बाजारी देवी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा की गई। माता बाजारी देवी के साथ यहां भागवान शिव की प्रतिमा स्थापित  कि गाई है  कमकापाठ, पाताल गंगा , गढ़ मावली माता मंदिर को भी स्थापना किया गया । यहां जिले के अलावा  अन्य राज्यों से लोग ज्योति प्रज्ज्वलित करते हैं , यहां मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, झरखाड, दिल्ली, उत्तराखाण्ड, कलकत्ता,आन्धाप्रदेश, तेलंगाना, सहित अन्य प्रदेश के लोग माता के श्रध्दा ज्योति प्रज्ज्वलित करते हैं यहां , इस पहाड़ में लौह अयस्क एवं अन्य खनिज संपदा से परिपूर्ण है । वार्तमान में हाहालद्द्दी एवं दोडदे के ग्राम गायता श्री नोहर सिंह तुलावी है श्री श्याम लाल सिन्हा बाजारी माता पुजारी हैं, नवीन यादव बाजारी माता पुजारी पहाड़ीवाली के है, उल्लेखनीय है कि इस एतिहासिक व धार्मिक स्थल में पर्यटकों को मौन निमंत्रण है।

- तिजू राम बघेल
अन्तागढ़ - छत्तीसगढ़
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       जय माता दी
      

              अपने आसपास के  मन्दिर
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                          निवेदन
                      बीजेन्द्र जैमिनी
                    जैमिनी अकादमी
            पानीपत - 132103 हरियाणा
         WhatsApp No. 9355003609



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