धैर्य और सत्य से जीवन में सफलता हासिल की जाती है। जो जीवन को ऊंचाइयों पर ले जाता है। तभी समय की कीमत का पता चलता है। समय कभी किसी का एक सा नहीं रहता है। जिससे समय की कीमत का पता चलता है। जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा में आयें विचारों देखते हैं : - जी हाँ सफलता का मूल मंत्र ही यही है धैर्य एवम सत्य ,लेकिन सही समय सही परिणाम का राज है । भारत के प्रधानमंत्री एवं प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की पंक्तियां याद आ गयीं :- छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता।
टूटे दिल से कोई खड़ा नहीं होता।
यदि कोई व्यक्ति किसी कारण बस अपना लक्ष्य प्राप्त करने में विफल हुआ हो तो निराशा के समंदर में गोते लगाने की बजाय यह विचार मन में लाना चाहिए कि विफलता में ही सफलता का सूत्र छिपा है । यह सोचना चाहिए कि मानव जीवन अनमोल है और कुछ विशेष करने के लिए ही जीवन प्राप्त हुआ है ।सफलता ,असफलता के पीछे नहीं जाना चाहिए और अपने जीवन को ही ईश्वर का अनमोल उपहार मानना चाहिए । ऐसे बहुत से कार्य ईश्वर ने सौपे हैं जिनकी जिम्मेदारी उस व्यक्ति के ऊपर होगी ,उनको पूरा करने का रास्ता भी ईश्वर अवश्य देगा ,इस विचार के साथ उसे असफलता के तनाव से मुक्ति मिलेगी और वह फिर नई राहों की ओर मुड़ सकेगा। वह अपनी परिस्थिति से समझौता कर नए रास्तों पर चल सकेगा व सफलता के नए आयाम नये सूत्र खोज सकेगा और वह एक दिन निश्चित ही सफल होएगा । आज के व्यस्त एवं प्रतियोगिता पूर्ण जीवन में यह बहुत बड़ा सवाल है कि सफल कैसे बने या फिर लोगों के दिलों पर राज कैसे करें । बहुत से लोगों को तो यह सवाल घोर निराशा हताशा व मानसिक तनाव में जीवन जीने के लिए विवश कर देता है, लेकिन यह बात हम सब को समझने की जरूरत है कि किसी को भी सफलता अनायास ही नहीं मिलती ,बल्कि सफल व्यक्ति बनने के लिए योजनाबद्ध तरीके से विशेष प्रयत्न करने होते हैं। फिर सफलता अगर हाथ लग भी जाए तो उसे बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। सफलता और असफलता बहुत हद तक व्यक्ति की सोच और उसके जीवन जीने के तरीकों पर निर्भर करती है, क्योंकि जिंदगी तो हर कोई जीता है पर जिंदगी जीने का सब का तरीका अलग अलग होता है ।कोई बंधन नहीं चाहता तो कोई दूसरों को बांध कर रखना चाहता है, कोई अपनी इच्छाओं का तो कोई दूसरों की इच्छाओं का अतिक्रमण करना चाहता है, कोई खुद को दोषी ठहराता है तो कोई दूसरों को। नतीजन लोग अपनी ही राहों के मकड़जाल में फंसकर भीड़ में कहीं खो जाते हैं। ऐसे में मन मुताबिक सफलता हासिल करने के लिए जिस मूल मंत्र को जीवन में अपनाने की जरूरत होती है वह कहीं नजर नहीं आता और व्यक्ति अवसाद में चला जाता है । हमें अवसाद का शिकार नहीं होना चाहिए, यदि जीवन है तो दुख सुख दोनों से साक्षात्कार तो करना ही होगा। अध्यात्मिक ज्ञान इस कार्य में हमारी विशेष मदद करता है । यदि हम अध्यात्मिक समझ के साथ विकास और परिपक्वता प्राप्त करते हैं तो कभी भी अपने जीवन को समाप्त करने की नहीं सोचेंगे न अवसाद ग्रस्त होंगे। अध्यात्मिक ज्ञान की ताकत हमें अवसाद में जाने से रोक लेगी। हताशा से बचने का सबसे बड़ा सूत्र तो यही है सबसे पहले कोई भी परिस्थिति हो उसके प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें ।कैसी भी परिस्थिति आपके सामने आए उसके आगे आप घबराएं मत। कोई भी परिस्थिति हो अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखें। किसी भी विकट परिस्थिति से उबरने की क्षमता को अपने अंदर विकसित करने का प्रयास करें एवं धैर्य के साथ यह सोच रखें की स्थिति जरूर बदलेगी। आशाओं को समाप्त नहीं होने देना चाहिए।हताशा हमारी आत्मा की दुर्गति करती हैं । अतः अपनी जिजीविषा को प्रबल और प्रखर बनाए रखना चाहिए। यह सोचना चाहिए कि आगे सब ठीक हो जाएगा ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जीवन में सत्य,अहिंसा और निश्छलता की अलग महिमा भी है और गुणधर्मिता भी। कहा भी गया है,*सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।* यानी कि सफलता के लिए सत्य की नितांत आवश्यकता होती है और इसके लिए धैर्य चाहिए होता है।क्योंकि हमें यही सिखाया गया है कि *जल्दबाजी का काम शैतान का होता है* । उतावलापन और जल्दबाजी से बने बनाए काम बिगड़ जाया करते हैं। अभी दवा खायी और अभी हम ठीक हो जाएं, ऐसा संभव नहीं। धैर्य तो रखना होगा, प्रतीक्षा तो करना ही पड़ेगी। सत्य का आशय निष्ठा से है। किसी कार्य में सफलता तभी मिलेगी जब आप उस कार्य को सत्यता से करेंगे। जैसे शुद्ध जल में एक बूंद भी अगर कोई अन्य चीज मिल जाए तो वह शुद्ध नहीं कहलाएगा। न ही असरकारक होगा। इसी तरह परिणाम में भी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। सही परिणाम के लिए सही समय की आवश्यकता पड़ती है।अत: सफल होना है तो इसके लिए धैर्य तो रखना ही पड़ेगा, प्रतीक्षा तो करनी ही पड़ेगी। जीवन में सफलता पाने के लिए इस तरह के जीवन मूल्यों और जीवन मर्म को समझना भी होगा और शुचिता से निर्वहन भी करना होगा।तभी बात बनेगी। - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जीवन की दौड़ में हर व्यक्ति सफलता की तलाश करता है। लेकिन यह सफलता केवल मेहनत या इच्छाशक्ति से नहीं मिलती। इसके लिए तीन बातें आवश्यक हैं -धैर्य, सत्य और सही समय। ये तीनों एक-दूसरे के पूरक हैं। धैर्य इंसान को कठिनाइयों के बीच स्थिर रखता है। जब जीवन की राह में बाधाएँ आती हैं तो अधीर व्यक्ति टूट जाता है, जबकि धैर्यवान व्यक्ति अपने संकल्प पर डटा रहता है। धैर्य का अर्थ है,सही अवसर का इंतज़ार करना और बिना हारे लगातार प्रयास करना। सत्य सफलता की नींव है। असत्य के सहारे मिली सफलता क्षणिक होती है, पर सत्य पर आधारित सफलता स्थायी और सम्मानजनक होती है। सत्य की राह कठिन ज़रूर है, पर वह मंज़िल को उज्ज्वल और सार्थक बनाती है। लेकिन धैर्य और सत्य भी तभी चमकते हैं जब उन्हें सही समय का साथ मिलता है। जैसे बीज को बोने का समय गलत हो जाए तो चाहे वह कितना ही अच्छा बीज क्यों न हो, वह अंकुरित नहीं होगा। उसी प्रकार इंसान का प्रयास भी तभी फल देता है जब सही समय पर किया जाए। इतिहास गवाह है कि जिन्होंने सही समय का महत्व समझा, वे महान बने। महात्मा गांधी का सत्याग्रह आंदोलन केवल उनके सत्य और धैर्य से ही नहीं, बल्कि सही समय पर शुरू करने से सफल हुआ। इसलिए कहा जाता है—“सत्य और धैर्य आपके चरित्र को मजबूत बनाते हैं,
पर सही समय ही उस चरित्र को सफलता की ऊँचाई तक पहुँचाता है।”
- सीमा रानी पटना - बिहार
धैर्य के साथ सच्चाई पर चलने से ही सफलता प्राप्त होती है. कहा गया है कि माली सिंचे सौ घड़ा ऋतु आवे फल होय. यानी धैर्य रख कर माली पौधे की सेवा करता है लेकिन समय आने पर ही उसमें फल फूल लगते हैं. रोज उसमें पानी देना और उसकी सेवा करना सत्यता का प्रमाण है और समय धैर्य का. चाहे वह जितना अधिक उसमें खाद पानी डालें लेकिन सही समय पर ही सही परिणाम आएगा. एक विद्यार्थि सत्य और धैर्य के साथ ही पढ़ाई करता है पर परिणाम साल भर के बाद ही आता है.यानी सही समय पर ही सही परिणाम आता है.
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
धैर्य रखना बहुत आवश्यक है सफलता प्राप्ति के लिए !!जिनमें धैर्य की कमी होती है वे सफलता की राह में पीछे रह जाते हैं व मन मारकर हार मान लेते हैं !! सफलता के लिए सत्य या सच्चाई होना भी उतना ही आवश्यक है क्योंकि झूठ का पुलिंदा तो एक न एक दिन खुलता ही है !! धैर्य व सत्य के बावजूद यदि किसी बात को गलत समय पर कहा जाए या प्रस्तुत किया जाए , तो वह सफलता की राह मैं बाधक बन जाती है !! बेशक सच्चाई के साथ हैं , पर सत्य कहने के लिए भी यदि गलत मौके या समय का चयन किया जाए तो सफलता विफलता मैं परिवर्तित हो सकती है !! धैर्य के साथ इंतेज़ार करके ,सत्यवचन यदि सही समय पर कहा जाए , तो सफलता निश्चित है !! - नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
कारज धीरे होतु है, काहे होत अधीर, समय पाये तरूवर फलैं केतिक सींचो नीर। इस दोहे में धैर्य की ताकत को दर्शाया गया है कि कोई भी कार्य अधीर होकर यानि जल्दबाजी में नहीं हो सकता जैसे फलदार पौधा समय आने पर ही फल देता है चाहे उसे हर रोज पानी से सींचा जाए कहने का भाव धैर्य के बिना सफलता मिलना न मुमकिन है, अगर धैर्य के साथ सच्चाई भी जोड़ दी जाए तो सफलता आपके चरण चूमेगी, मतलब सच्ची लगन और धैर्य के साथ लक्ष्य को आधारित करके कोई भी कार्य असफल नहीं हो सकता तो आईये आज का रूख धैर्य और सत्य की और करते हैं कि क्या सफलता पाने के लिए धैर्य और सत्य जरूरी है मेरा मानना है कि अगर धैर्य और सच्ची लगन के साथ कोई भी कार्य हाथ में लिया जाए तो वो कार्य सही समय आने पर अपना रंग दिखा ही देता है, लेकिन आजकल के समय में हर इंसान किसी न किसी तनाव से ग्रस्त है जिसका प्रमुख कारण धैर्य की कमी है क्योंकि हर व्यक्ति थोड़े समय में सब कुछ हासिल करना चाहता है, जिसके लिए झूठ, फरेब बेईमानी का सहारा लेना पड़ता है और ऐसा कार्य कभी नहीं फलता फूलता और व्यक्ति के हाथ परेशानी और दरिद्रता ही हाथ लगती है, कहने का भाव धैर्य के अभाव से हम अनैतिक और अपराधी बनते जा रहे हैं जिसके अभाव से मनुष्य गलत काम करने पर मजबूर हो जाता है, यह सत्य है कि धैर्य कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने में स्थिरता और संयम बनाये रखता है क्योंकि साहस वो ताकत है जो हमें भय और संकोच को दूर करने कि शक्ति प्रदान करता है लेकिन जब धैर्य के साथ साथ सच्ची लगन यानि सत्य भी मिल जाता है तो आगे बढ़ने की शक्ति तीव्र हो जाती है, यही नहीं धैर्य और सत्य मन के वो गुण हैं जिनके रखने से मनुष्य मुश्किल के समय में भी विचलित नहीं होता, धैर्य और सत्य ही जीवन को सहज, सुदर और सहज बनाते हैं तभी कहा है, सहज पके सो मीठा होये, अगर सत्य की बात करें तो सच्ची लगन और सच्चे उदेश्य से किया हुआ कार्य कभी निष्फल नहीं जाता, क्योंकि जीवन में जो भी व्यक्ति सच्ची लगन और धैर्य के साथ अपना कार्य करते हैं, वो सफलता को पाने में कामयाब होकर ही रहते हैं इसलिए सच्ची लगन और धैर्य जिन्दगी के दो महत्वपूर्ण गुण हैं अन्त में यही कहुँगा जब कोई भी व्यक्ति सच्ची लगन और धैर्य को मिलाकर कार्य अपने हाथ में लेते हैं वो अवश्य कामयाब होते हैं, इसलिए हर कार्य को हाथ में लेते हुए धैर्य और सत्य को अपनायें समय आपको सही परिणाम अवश्य देगा बशर्ते आपके कार्य में लगन विश्वास और लक्ष्य की लगन कूट कूट कर भरी हो। - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
धैर्य और सत्य संपदा की सफलता के आधार हैं । स्वरचित कविता में कहती हूँ -
विपत्तियों में होती है परीक्षा धैर्य की
संकट में देनी पड़ती परीक्षा धैर्य की
रोग , शोक , हार , असफलताओं के रोड़ें
लेने आते जीवन में परीक्षा धैर्य की
कांटों की चुभन सहकर महकता है गुलाब
देता प्रतिकूलताओं में परीक्षा धैर्य की
राजकन्या सीता ने अपने स्वयंवर में
राम को वरने हेतु दी परीक्षा धैर्य की
अधीर मन ' मंजु ' सफलता को है खो देता
अँधेरे हो रोशन दो परीक्षा धैर्य की । - डॉ मंजु गुप्ता
मानव जीवन मिलना दुर्लभ होता है । जब इंसान 84 लाख योनियों का चक्कर लगा लेता है , तब उसे मनुष्य जन्म प्राप्त होता है । 21 वीं सदी में इंसान परहित , सत्य , अहिंसा , प्रेम , करुणा , मानवता , समाज कल्याण आदि करने की बात को कम लीगों में दिखती है। इन गुणों के प्रति मनुष्य में संवेदना कम हुई । सत्य बोलने में नर को समस्याओं , संकट का सामना करना पड़ता है। सत्य शास्वत है , सच हार नहीं सकता है। सत्य की आवाज कमजोर नहीं होती है , सत्य साबित करने के लिए धैर्य धारण की आवश्यकता होती है। रसायन शास्त्र में जब छात्र ट्राई टेशन (Titration) करते हैं यह एक रासायनिक विश्लेषण तकनीक है जिसका उपयोग किसी घोल में मौजूद पदार्थों की सांद्रता (concentration) को मापने के लिए किया जाता है. इसमें एक ज्ञात सांद्रता वाले घोल का उपयोग करके एक अज्ञात सांद्रता वाले घोल के सटीक माप की गणना की जाती है. इसे टाइट्रीमेट्री भी कहते हैं और यह विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान की एक प्रक्रिया है । इस प्रयोग से घोल की वैज्ञानिक सत्यता का पता चलता है। इस प्रक्रिया के पूरे परिणाम प्राप्त करने में धैर्य से इंतजार भी करना होता है। तभी परिणाम सुखद , सफलता मिलती है। भगवान राम ने भी सीताहरण होने पर धैर्य , सत्य की परीक्षा दी थी । रावण को युद्ध में मारकर देवी सीता को प्राप्त किया । अंत में कथन सटीक है
धैर्य और सत्य से सफलता मिलती है
लेकिन सही समय सही परिणाम का राज है
- डॉ.मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
धैर्य और सत्य जीवन की दो ऐसी शक्तियाँ हैं जो व्यक्ति को स्थायी सफलता की ओर ले जाती हैं। सत्य मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति चाहे धीरे चले, पर स्थिर और सुरक्षित रहता है। धैर्य उसे कठिन परिस्थितियों में भी टिके रहने की शक्ति देता है। किन्तु, केवल धैर्य और सत्य पर्याप्त नहीं होते जब तक समय की पहचान न हो। समय ही वह तत्व है जो सही बीज को सही भूमि पर फलित करता है। यदि बीज उत्तम हो, भूमि उपजाऊ हो, पर समय गलत हो तो परिणाम नहीं मिलते। अतः यह पूर्णतः सत्य है कि — "धैर्य और सत्य सफलता के द्वार खोलते हैं, पर सही समय ही परिणाम का स्वर्ण कुँजी है।" जिसने समय को पहचाना, वही अपने कर्मों का संपूर्ण फल प्राप्त करता है। सत्य और धैर्य आपके जीवन रूपी रथ के पहिये हैं, और समय उसका सारथी है। जब यह तीनों एक दिशा में चलते हैं, तब सफलता सुनिश्चित हो जाती है। - रमा बहेड
हैदराबाद - तेलंगाना
कर्म धर्य सेवा सदभाव सत्य संग जीना सिखाती है ,क़लम की स्याही प्रेरणा से रंग ले कहतीं क़द से नही कद्र से प्रेम करोगे तो भूल अपनी सुधारेंगे । लेकिन सही समय सही परिणाम का राज है बच्चे बड़े कितने धर्य लगन से विधा में पारंगत हो पतंग काट लेते खुश हो जाते ! धर्य सत्य से सफलता मिलती जिसका अंदाजा ख़ुद को नहीं होता इंसान कर्म से अपने रास्ते चल सफल हो जाता है उन्ही के साथ बच्चें ने तालाब की ओर इशारा करते कहता - देखो इतनी सारी मछलियाँ तालाब में रह मगरमँछ से बैर नही करती , चौथा बच्चा कहता -कमल भी तालाब में खिल अपना अस्तित्व , बरक़रार कर सर्वोच्च स्थान में है । समय रहते निर्णय नहीं ले तो अस्मजस्य का सामना करना पड़ता है ना बोल सकते ना कुछ कह सकते इस तरह सही समय सही परिणाम का राज है - अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
" मेरी दृष्टि में " धैर्य से ही सत्य सम्भव है।समय की गति से परिणाम सामने आता है। जो जीवन में तरक्की लाता है। जो समाज की भूमिका में अपना योगदान देता है। जिस से समाज में उन्नति उत्पन्न आती हैं। यही जीवन चक्र है।
- बीजेन्द्र जैमिनी
(संचालन व संपादन)
ReplyDeleteअपने आप में धैर्यवान बनना गौरव की बात होती है। गीता अध्याय में अंकित है, जिसने अपनी इंद्रिया वस में कर ली, वही अजेय है। जो सर्व गुण सम्पन्न हो, युद्ध नीति में पारंगत हो, जिसने अपने लक्ष्य को भेद लिया, वैचारिक मतभेद हो सकता है। सामने वाला का चेहरा पहचान ने बुद्धिमान, कूटनीतिज्ञ, वैचारिकता, मृदुभाषी का परिचय दिया वही, सत्संग-सत्य से सफलता, समय चक्र का इंतजार जिसने कर लिया, वही सही का समय का परिदृश्य है।
-आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
(WhatsApp से साभार)
सफलता का सीधा सम्बन्ध धैर्यपूर्वक सत्य के रास्ते पर चलते हुए किये गये श्रम से है। जो भी व्यक्ति इस पर खरा उतरता है उसे सही समय पर परिणाम मिलता है और सफलता उसका वरण करती है। ऐसी सफलता कालजयी होती है।अधैर्यवान व्यक्ति में सत्य के साथ श्रम करने का गुण नहीं होता इसीलिए सही समय पर भी उसे सफलता नहीं मिल पाती है।
ReplyDelete- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखण्ड
(WhatsApp से साभार)
किसी भी क्षेत्र में सफलता तभी मिलती है,जब मैं धैर्य के साथ सत्य का पालन करूं।सही समय पर किया गया प्रयास परिणाम का राज दिलाता है।इतिहास साक्षी है कि जिनमें ये उपर्युक्त गुण होते हैं।वे अवश्य सफलता प्राप्त कर राज करते हैं।
ReplyDelete_दुर्गेश मोहन
बिहटा, पटना (बिहार)
(WhatsApp से साभार)
ये बिलकुल सही है यदि आप सच्चे हैं और कोई भी प्रयास आप धैर्य से करते हैं तो भी कई बार परिणाम शीघ्र नहीं मिलता, किंतु मानव विशेषता के बावजूद सही परिणाम उचित समय पर ही मिल पाते हैं।
ReplyDeleteइस लिए व्यक्ति को संयम, धैर्य और सत्य से सफलता अवश्य ही मिलती है किंतु ऊपर वाला सही परिणाम सही समय पर ही देता है ।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर हि प्र 174001
(WhatsApp ग्रुप से साभार)