परिचर्चा का विषय " कौन बनेगा करोड़पति " के विजेता आदित्य कुमार के विचारों से लिया गया है । आदित्य को सोने का सिक्का मिला तो अपनी मम्मी को दे दिया। एक्टिव मिली तो पापा को दे दिया। कार मिली तो बहन को दे दिया। इन विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया ।
जिस से परिचर्चा का विषय तैयार हुआ। जैमिनी अकादमी के माध्यम से आपके सामने पेश हैं। अच्छे लोग अच्छे ही होते हैं । यह अपने आप पहचाने जाते हैं । जैसे कोन बनेगा करोड़पति में आदित्य कुमार। व्यवहार से छलकते हैं यही अच्छे लोगों की निशानी होती है।अब आयें लोगों के विचारों को देखते हैं :-
हवा विषाक्त हो जाए, जल मैला हो जाये, भूमि बंजर हो जाए, खाद्य पदार्थों में मिलावट हो जाए तो मानव के स्वास्थ्य पर जो असर पड़ेगा : वैसा ही उतना ही घातक होता है मानव के संस्कार ग़लत होने पर उनके भविष्य में होने वाले उन्नति पर पड़ेगा। विचार ग़लत होने पर ही इन्सान भ्रष्टाचारी होता जाता है। इंसान के विचारों पर ही उसका पूरा जीवन निर्भर करता है, अगर इंसान इस दुनिया में सकारात्मकता को बाँटता है तो उसे वापस सकारात्मकता ही मिलता है इसलिए सकारात्मक नजरिया रखना बहुत जरूरी है। कोई अगर ख़ुद से खुद को कमजोर समझता रहता है तो दूसरे भी उसे कमजोर होने का ही एहसास करवाते रहते हैं, वह अपने आपको मजबूत बनाकर मेहनत करता है तो लोग उसे मेहनती और मजबूत इंसान के रूप में देखने लगते हैं! दूसरे के टाँग खींचने वाले व्यक्ति हीन भावना से ग्रसित होता है। जो उसे नहीं मिला उसे दूसरे कैसे पा रहे, उन्हें भी नहीं मिलना चाहिए यही विचार से परेशान व्यक्ति समाज के लिए विष है - विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
कहा गया है तन का खाद्य पदार्थ है अन्न और मन का खाद्य पदार्थ है विचार। इसे आगे बढ़ाते हुए कहा गया है कि हम जैसा खाते हैं या जैसा सोचते हैं, तन-मन में वैसा ही प्रभाव पड़ता है। इसलिए कहा गया है कि हमें अच्छा खाना चाहिए और अच्छा सोचना चाहिए , ताकि हमारे तन-मन पर अच्छा प्रभाव पड़े। तन और मन एक दूसरे के पूरक भी होते हैं। इसका भाव यह कि स्वस्थ तन से स्वस्थ मन का और स्वस्थ मन से स्वस्थ तन का विकास होता है। इससे स्पष्ट है कि हमारे विकास और समृद्धि का रास्ता अच्छे तन-मन से होकर जाता है। यह रास्ता जितना विशुद्ध होगा, हमारी तरक्की की मंजिल उतनी ही सुगम और सुंदर होगी। यह एक पहलू है। जो सरल, सहज, सुगम और सरस है।दूसरा पहलू यह है कि हम यदि इसमें जरा भी भ्रमित होते हैं या कोई दूसरी सोच समाहित कर लेते हैं तो भटकाव शुरु हो जाता है और फिर यह हमारे तरक्की के रास्ते को बाधित करने लगता है। ईर्ष्या, अहंकार, द्वेष हमारे ध्यान को भटकाने लगते हैं, हमारी ऊर्जा को जीर्ण-क्षीर्ण करने लगते हैं, हमारे समय को व्यर्थ में बर्बाद करने लगते हैं।एक-दूसरे की टाँगे खींचना भी इसी श्रेणी में आता है। - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
आजकल की दुनियां मैं एकदूसरे की टांग खींचना , किसी के कार्य मैं बाधा डालना , राह मैं रोड़े बिछाना , आम बात है !! जिनके विचार अच्छे होते हैं , वे अधिकांशतः ईमानदार होते है !! आजकल वो लोग भी तरक्की करते हैं , जिनके विचार अच्छे नहीं होते , या जो भ्रष्टाचारी व बेईमान होते हैं !!तरक्की अच्छे विचार वाले भी करते हैं व बुरे विचार वाले भी !! दोनों की तरक्की मैं ये अंतर है कि अच्छे विचार वाले व्यक्ति की तरक्की आत्मसंतुष्टि से परिपूर्ण होती है व स्थाई होती है व बुरे विचार वाले व्यक्ति की तरक्की अस्थाई होती है , रेत के ढेर की तरह !! वक्त और हालात की आंधी मैं वह कभी भी नष्ट हो सकती है !! - नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
ये बात एकदम सत्य है कि जिनके विचार अच्छे होते हैं वही सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ तरक्की करते हैं. क्योंकि वो समय का सही सदुपयोग करते हैं. जो समय का सदुपयोग नहीं करते व्यर्थ की बातों में एक दूसरे से उलझे रहते हैं, एक दूसरे की टांग खिंचाई करते हैं वो कभी तरक्की नहीं कर सकते हैं या करते हैं. दूसरों की बुराई देखने, उनकी कमियाँ निकलने में ही व्यस्त रहते हैं. यदि वही समय अपनी उन्नति के बारे में सोचे तो उनका भी भला हो और दूसरे का भी भला हो. लेकिन बहुत सारे इंसान ऐसा नहीं करते हैं और दूसरे की सफलता देख-देख जलते रहते हैं. अक्सर देखा गया है कि अपना बेटा फेल हो गया है तो दुःख नहीं होता परंतु दूसरे का बेटा पास कर गया है तो दुःख होता है. अपना बेटा पास करने पर खुशी कम पर दूसरे का बेटा fel होने पर ज्यादा खुशी होती हैं. आजकल यही दुनिया का चलन हो गया है. पता नहीं क्यों ? अच्छे विचार वाले कभी दूसरे के काम में टांग नहीं अहाते है और तरक्की को पाते हैं. - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
जिनके विचार अच्छे होते है वही तरक्की करते है । बिलकुल सही कहा आपने शब्द सृष्टि की रचना में अनमोल है कोरे कागज में उकेर अपना वजूद क़ायम करती है।जो जितना समझ ले गढ़ ले । विचारों को वश में रखिये,वो आपके शब्द बनेंगे.. शब्दों को वश में रखिये,
वो आपके कर्म बनेंगे"..
कर्मों को वश में रखिये,
वो आपकी आदत बनेंगे
आदतों को वश में रखिये,
वो आपका चरित्र बनेगा..जो मनुष्य प्रकृति सें छेड़छाड़ करता है !आपदाओं से जूझता है ! झुण्ड में रह अपनेआपको सुरक्षित महसूस करता है अकेलेपन पर यही इंसान सोच पहाड़ी झरने बह सुकून तलाशता है साथ साथ चल जीवन सफल बनाता है ! पर यही चीजें ख़ुद के स्वार्थ के जोड़ता है इंसान खुदगर्ज बन एक दूसरे की टांग खींचने अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते है ! फिर इनमे से ही कुछ महिमामंडित हो नाम धन यश कीर्ति कमा मुरारी बापू श्री श्रीराम , कुमार विश्वास बन नाम कमा जाते है बांकी तो एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते है ! प्रकृति हवाओं ठंडी गर्मी बारिश धूप को कहाँ पता चलता है पता हैं इंसान को ही इन सबके साथ जुड़ संबंध मस्तिष्क से मन को जोड़ अच्छे विचार पैदा कर तरक्की का रास्ता लोकहित परहित समाज के लिए चुनना पड़ता है तब मंज़िल तक पहुँचने कामयाब होते है इस तरह जीवन के दिन तो बड़े सुहाने होते है । फिर भी जब इंसान हवाओं का रूख बदल स्वार्थ की कोशिश में लग जाता हैं मंज़िल पीछे छोड़ देती हैं ।वक़्त दरकिनारा कर गति अवरोध का बोर्ड पढ़ नये सहारे की खोज में लग जाता हैं ज़िन्दगी का ये सफ़रनामा है इसी का नाम हैं ज़िंदगी है बांकी तो एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते है !
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
आज का विचार पूर्णतया समसामयिक है, वर्तमान में जहां देखो वहां टांग खींचने वाले तैयार रहते हैं। किसी का काम अच्छा न होने देना एक आदत सी बन गई है। ऐसे लोग खुद का भला करते हैं ना दूसरे का भला होने देते हैं। दूसरों को अच्छा कैसे हो जाए इसी में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों के बीच में रहकर अच्छे विचार रखना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। फिर भी इस बात को मानना पड़ेगा की जो विचार अच्छे रखते हैं, संगत अच्छी रखते हैं, सात्विक आहार करते हैं, क्रोध को हावी नहीं होने देते ऐसे लोग जीवन में निरंतर तरक्की को प्राप्त करते हैं। अंत में यही कहूंगा कि हमें अपने विचारों को अच्छे रखते हुए अपना जीवन यापन करना चाहिए। आपके अच्छे विषय का खूब-खूब धन्यवाद । - रविंद्र जैन रूपम
धार - मध्यप्रदेश
ये सच है कि जिनके विचार अच्छे होते हैं उनके ही आचरण अच्छे होते हैं अतः ये नितांत सत्य है कि सदाचार से मिलता है सम्मान । सदाचारी व्यक्ति तरक्की करते है ।बाकी कुछ लोग तो एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं । दुख की बात यह है कि आज वातावरण बहुत दूषित हो गया है अनीश्वरवाद व हिंसा तथा सेक्स से भरपूर फिल्में भी वातावरण से सदाचरण को लुप्त कर रही हैं । क्योंकि अच्छे चरित्र के निर्माण में वातावरण व संगति का बहुत प्रभाव पड़ता है । सत्संगति अगर वृक्ष है तो सदाचार उसका फल ।इसलिए बुरी संगत की अपेक्षा अकेले रहना भी अच्छा है । क्योंकि धन और स्वास्थ्य नष्ट होने से कुछ हानि ज्यादा नहीं होती, मगर चरित्र बिगड़ जाने से सर्वस्व नष्ट हो जाता है । अतः सदाचार मनुष्य के संपूर्ण गुणों का सार है जो उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करता है एवम उसे समाज में आदर व सम्मान दिलाता है। सदाचार मनुष्य का लक्षण है, सदाचरण को धारण करना मानवता को धारण करना है। सदाचार दो शब्दों से मिलकर बना है सत्य और आचरण । सदाचार शब्द से सत्याचरण की ओर संकेत किया गया है ।ऐसा आचरण जिसमें सब सत्य हो तनिक भी असत्य ना हो। जिस व्यक्ति में सदाचार होता है उसे संसार में सम्मान अवश्य मिलता है । कोई आपकी सच्चाई व बुद्धिमत्ता के बारे में नहीं जान सकता जब तक आप अपने कार्यों से उदाहरण प्रस्तुत ना करें। प्रत्येक परिवार तथा उसके सदस्य समाज का एक अंग है । इस समाज में कुछ नियम और मर्यादा में भी हैं ।इन मर्यादाओं को पालन करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी ने किसी सीमा तक आवश्यक होता है । सत्य बोलना ,चोरी ना करना, दूसरों का भला सोचना और करना ,सबके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करना ,स्त्रियों का सम्मान करना जैसे कुछ गुण हैं जो सदाचार के अंतर्गत आते हैं। सदाचार का अर्थ यह है कि व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रता का अतिक्रमण किए बिना अपना गौरव बनाए रखें। सदाचार का अर्थ है उत्तम आचरण । सदाचार की चमक के आगे संसार की समस्त फीकी पड़ जाती है।यह वो अनमोल हीरा है जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती। ईसा मसीह ,गुरु नानक ,रविंद्र नाथ टैगोर ईश्वर ,चंद्र विद्यासागर, महात्मा गांधी के पास कोई दौलत नहीं थी फिर भी बादशाह थे। उनके पास सदाचार रूपी अनमोल हीरा था ।जब तक वे जीवित थे उन्हें पूरे विश्व का सम्मान प्राप्त था ।सदाचार के कारण ही वह मरकर भी अमर हो गए । जहां सदाचार मनुष्य में समाज में सम्मान दिलाता है , वहीं दुराचारी घृणा का पात्र बन जाता है । श्री राम जैसे उच्च विचार व सदाचारी का उदाहरण संसार में कोई दूसरा नहीं है । जबकि रावण कुख्यात दुराचारी था ।आज भी संसार उससे घृणा करता है और अपनी घृणा को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतिवर्ष उसका पुतला फूंका जाता है।सदाचारी में दया ,धैर्य और अहिंसा जैसे गुण विद्यमान होते हैं। संसार में सदाचारी को सदैव सम्मान मिलता रहा है। सदाचरण ही मानवता है। - सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
न बोलना बड़ी बात है न चुप रहना बड़ी बात है, किन्तु कब कहाँ कितना और कैसे बोलना सबसे बड़ी बात है, कहने का मतलब इंसान की बातचीत, चाल चलन और उठने बैठने से पता चलता है कि उसकी संगत कैसी है, रंगत कैसी है और विचार कैसे हैं क्योंकि अच्छे विचार और तरक्की के बीच गहरा सम्बन्ध है, अच्छे विचारों के कारण ही मनुष्य अपने लक्ष्य को सही समय पर हासिल कर सकता है ऐसा इसलिए है कि अच्छे विचार ही मनुष्य को अच्छे सुधार की और धकेल सकते हैं जिनसे गुणवत्ता में वृद्धि होती है सत्य भी है कि अच्छे विचार ही तरक्की के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं, क्योंकि जब विचार अच्छे होंगे आप समय का सही उपयोग सही जगह पर करेंगे, अच्छी संगत का साथ करेंगे, आपको मेहनत, समर्पण, सीखने की इच्छा होगी इसके साथ साथ अपने लक्ष्य के लिए जोखिम उठाने के प्रयास की लालसा जागृत होगी जो आपको सफलता के रास्ते तक पहुँचा कर रहेगी, यह भी सत्य है कि अच्छे विचारों वाले लोगों की साकारात्मक सोच, अच्छा व्यवहार, झूठ फरेब से दूर रहने के गुण हासिल होते हैं जो उन लोगों को उनकी मंजिल तक पहुँचाने में कामयाबी दिलबा कर रहते हैं, यही नहीं अच्छे विचार ही मनुष्य के व्यकितत्व, दृष्टिकोण और कर्मों को निर्देशित करते हैं जिनसे समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है जिससे जाहिर होता है कि विचारों में महान शक्ति होती है क्योंकि जिस तरह के हमारे विचार होंगे बैसी ही हमारी सारी क्रियाएँ होंगी जिनसे अच्छा या बुरा परिणाम हासिल हो सकता है, यह मत भूलें कि विचारों से ही हमारे मन को किसी अच्छी या बुरी चीज़ पाने की चाहत होती है उसके वाद ही हम उस दिशा में प्रयत्न करने लगते हैं, देखा जाए अच्छे विचारों के लोगों को बहुत कम लोग चाहते हैं क्योंकि उनके पास गप्पें हाँकने, झूठे किस्से सुनाने, शरारती तत्वों के पास बैठने का समय नहीं होता और ऐसे लोग हमेशा अच्छे विचारों वाले लोगों की टाँगे खींचने का कार्य करते हैं और उनकी खिल्ली उड़ाते नजर आते हैं जिनका अच्छे लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता और वो अपने कार्य को पुरे तन मन व लगन के साथ करके अपनी कामयाबी हासिल कर लेते हैं, अन्त में यही कहुँगा कि आशा जनक विचारों में बड़ी शक्ति होती है और यह उन्हीं लोगों के पास होते हैं जिनके विचार सात्विक और पवित्र और साफ सुथरे होते हैं और जो अपने काम के प्रति आशापूर्णा, शुभ सूचक, और शुभचिंतक होते हैं, कोई चाहे उनके रास्ते में कितने भी रोड़े अटकाऐ उनको कोई असर नहीं होता बल्कि ऐसे लोग एक दुसरे की टांग खींचने में ही लगे रहते हैं और जिंदगी में कभी तरक्की नहीं कर पाते और लोगों को उलझनों में डाल कर अपने आप में खुशी को जाहिर करते हुए अपनी सारी जिंदगी नरक में डाल कर अपने आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी को भी नष्ट कर देते हैं, तभी तो कहा है, जग ते रहु ३६ हैवीय, राम चरण ६३ तुलसी देखी विचारी के यह वाक्य परवीन कहने का मतलब हमें बुद्धि हीन लोगों के साथ ३६ के आंकड़े की तरह विमुख रहना चाहिए और अच्छे लोगों की संगत के साथ ६३ के आँकड़े की तरह आमने Catch बैठना चाहिए ताकि हमारे विचार शुद्ध रहें और हम तरक्की की राह पर चलते रहें। - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
विचार जीवन की सबसे बड़ी औषधि है। विचारों से ही जीवन बनता है। सकारात्मक विचार प्रसन्नता देते हैं। ऐसे विचारों वाले व्यक्ति जहां भी पग रखते हैं वहीं सुगंध बिखेर देते हैं। वे बीमार व्यक्तियों का तनाव भी दूर कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति फ़िज़ूल में इधर-उधर की बातें नहीं करते, सिर्फ अपने काम की ओर ही ध्यान देते हैं और वे जीवन में कदम-कदम सफलता भी पाते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति प्रसन्नता छीन लेते हैं। अक्सर देखा जाता है कि उनका आभामंडल भी सही नहीं होता। वे जीवन भर शिकायतों का पिटारा लिए घूमते रहते हैं। कोई कितना भी अच्छा काम कर ले, पर वे मीन मेख निकालेंगे ही। जो लोग काम करते हैं, उनकी सफलता उनसे बर्दाश्त नहीं होती। वे निठल्ले बैठे एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं। वे न ही स्वयं काम करते हैं और न ही किसी को करने देते हैं। ऐसे व्यक्तियों से दूर रहने में ही भलाई है। - डॉ. संतोष गर्ग ' तोष '
पंचकूला - हरियाणा
बिल्कुल सही ! जिनके अच्छे विचार होते हैं, वे वास्तव में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के तरीके ढूंढते हैं और अन्य को भी अपने अनुभव के आधार पर सफलता,उन्नति की राह दिखाने में भी पीछे नहीं हटते। क्योंकि सबको खुशियाँ बांटना , मुस्कराहट देना ही उनका लक्ष्य होता है। वहीं दूसरी ओर जो लोग टांग खींचने में लगे रहते हैं, वे अक्सर नकारात्मकता और आलोचना के माध्यम से दूसरों को रोकने की कोशिश करते हैं। वो किसी का भी भला होते हुए देख ही नहीं सकतें। अत: आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें सकारात्मक और रचनात्मक विचारों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें लागू करने के लिए काम करना चाहिए। नकारात्मकता और आलोचना से हमें किसी को भी अपने लक्ष्यों से भटकने नहीं देना चाहिए। सकारात्मक और रचनात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने से हम अपने जीवन में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर तरक्की पाते हैं। जबकि नकारात्मक और विध्वंस विचारों वाले इंसान हर पल असन्तुष्टि , टांग खींचने वाले यानि दूसरों की ही नहीं अपनी तरक्की में भी बाधक बनते हैं। - रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " अच्छे लोग बहुत कम होते हैं। बाकि तो एक दूसरे की टांग खिंचने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों ना तो ख़ुद तरक्की करतें हैं और ना ही दूसरों को तरक्की करने देते हैं। ऐसे लोग बिना मतलब के लोगों को तंग करतें हैं। फिर भी इन लोगों से सावधान अवश्य रहना चाहिए। बिना मतलब के लोगों का नुक़सान करते रहते हैं।
- बीजेन्द्र जैमिनी
(संचालन व संपादन)
बिल्कुल सही ! जिनके अच्छे विचार होते हैं, वे वास्तव में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के तरीके ढूंढते हैं और अन्य को भी अपने अनुभव के आधार पर सफलता,उन्नति की राह दिखाने में भी पीछे नहीं हटते। क्योंकि सबको खुशियाँ बांटना , मुस्कराहट देना ही उनका लक्ष्य होता है।
ReplyDeleteवहीं दूसरी ओर जो लोग टांग खींचने में लगे रहते हैं, वे अक्सर नकारात्मकता और आलोचना के माध्यम से दूसरों को रोकने की कोशिश करते हैं।
वो किसी का भी भला होते हुए देख ही नहीं सकतें।
अत: आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें सकारात्मक और रचनात्मक विचारों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें लागू करने के लिए काम करना चाहिए। नकारात्मकता और आलोचना से हमें किसी को भी अपने लक्ष्यों से भटकने नहीं देना चाहिए।
सकारात्मक और रचनात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने से हम अपने जीवन में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर तरक्की पाते हैं। जबकि नकारात्मक और विध्वंस विचारों वाले इंसान हर पल असन्तुष्टि , टांग खींचने वाले यानि दूसरों की ही नहीं अपनी तरक्की में भी बाधक बनते हैं।
रंजना हरित बिजनौर