सत्यं शिवं सुन्दरं । शिव ही तो जीवन का आधार है,शिव के बिना शव ही शेष रह जाता है। सत्य ही शिव है,शिव ही सुन्दर है और यह सौंदर्य सत्य ही जीवन का आधार है। कोई कितना भी छल फरेब चालाकी करे,जीत सत्य की होती है । सत्य जो सुंदर है,शिव है। सत्य जो सार्वभौमिक, सार्वकालिक है। सत्य जो किसी भी कारक से प्रभावित होकर अपना मार्ग नहीं बदलता।सत्य जो हरिश्चंद्र को डोम का सेवक बनने पर मजबूर कर दे, लेकिन पथ से विचलित नहीं होता। सत्य की मर्यादा ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। सत्य की विजय हमेशा होती है।कहा भी गया है, सत्यमेव जयते।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
सत्य वह चमकता सोना है , जिसकी चमक के आगे सभी झूठ , षडयंत्र , फीके पड़ जाते हैं ! सत्य ही सबके जीवन का आधार होता है ! सत्य ही एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति के जीवन को संवारता है , कामयाबी भी दिलाता है , और चैन भी ! सत्य की राह बेशक सरल नहीं होती , संघर्ष रूपी कांटों पर चलना पड़ता है , नाकामयाबी भी मिलती है , पर अंततः जीत सत्य की होती है ! सत्य की राह पर चलनेवालों को कठिनाइयों का सामना तौ करना पड़ता है , पर उन्हें चैन की नींद नसीब होती है , क्योंकि बेचैन करनेवाला कुकर्म, उन्होंने किया ही नहीं !! सच की होती जीत सदा , झूठ सदा ही हारता है !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
सत्य जीवन का आधार है। सत्य के साथ ईश्वर भी सदैव रहते हैं। सत्य संजीवनी होता है। कोई कितना भी झुठलाने का प्रयास करे,झूठ का कैसा भी,कैसे भी,कितना भी लबादा ओढ़ाने चाहे, एक दिन पर्दाफाश होता ही है और जीत सत्य की ही होती है। एक सत्य ही है, जिसकी जीत होना तय है। कहा भी गया है सत्य परेशान हो सकता है,पराजित नहीं।सत्य यही है कि सत्य के लिए न आडंबर की जरूरत होती है,न सजाने की, न बखान की, न बहाने की। यह अलग बात है कि लोग सत्य के साथ खड़े नजर नहीं आते बल्कि झूठ के साथ तत्पर रहते हैं। क्योंकि झूठ नकली होता है इसलिए उसे सुन्दर गढ़ा जाता है ताकि लोग आकर्षित हों। अपनावें। लेकिन लोग ऐसी समझ नहीं रख पाते और बहकावे में आकर झूठ को अपना लेते हैं।बादमें फिर जब झूठ का भंडाफोड़ होता है और सत्य उजागर होता है, तब केवल पश्चाताप करना रह जाता है। सार यही कि हमेशा सत्य का साथ दें,सत्य को अपनावें। सरसता और सरलता इसी में निहित है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कहते हैं न कि झूठ के पाँव नहीं होते अर्थात झूठ ज़्यादा देर तक चलता नहीं। सच उजागर हो ही जाता है। झूठ हमें बेचैनी, अशांति, अविश्वास तथा इनसे जुड़ी नकारात्मकता व अस्वास्थ्ता देगा जबकि सत्य हमें प्रसन्नता, मन की शांति, बेफिक्री, चैन व सुकून देता है। बेशक़ हमें लगे कि क्षणिक झूठ हमारा रास्ता सुगम कर रहा है, लाभप्रद प्रतीत हो रहा है परंतु वास्तविकता यह है की यह हानिकारक है । एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पड़ते ही और हम झूठ व पाप के गर्त में गिरते चले जाते हैं। सच का रास्ता संघर्षपूर्ण हो सकता है पर अंततः लाभकारी होता है व जीत हमेशा सत्य की ही होती है। अतः जीवन का आधार सत्य ही है।
- रेनू चौहान
नई दिल्ली
आजकल झूठ का बोलबाला है लेकिन सच्चाई की तरफ कम लोगों का ध्यान जाता है जबकि यह सभी जानते हैं कि जीत आखिर सच्चाई की ही होती है और झूठ ज्यादा देर नहीं टिकता और सच्चाई कभी छिपी नहीं रह सकती तो आईये आज हम सत्य पर आधारित जीवन के विषय में बात करते हैं की सत्य जीवन का आधार है और सत्य की जीत हमेशा होती है, मेरा मानना है कि सत्य सचमुच जीवन का आधार है क्योंकि यह चरित्र और मुल्यों का निर्माण करता है,आंतरिक शांति और आत्मविश्वास का भी आधार है तथा समाज में सम्मान और भरोसा भी सत्य ही दिलाता है यही नहीं सत्य वह नींव है जिस पर व्यक्ति का चरित्र टिका होता है इसके पालन से मन निर्मल व शांत रहता है और इसी से मन में संतुष्टि और विश्वास को जीता जा सकता है,यह केवल गुण ही नहीं है बल्कि जीवन का मूल आधार है क्योंकि बिना सत्य जीवन टिक ही नहीं सकता इसी से जीवन का मूल उदेश्य,पथ और शक्ति को ग्रहण किया जा सकता है, यह मत भूलें की सत्य और जीत एक दुसरे से जुड़े हुए हैं क्योंकि सत्य का मार्ग अपनाने से ही वास्तविक और स्थायी जीत हासिल होती है और सत्यमेव जयते में भी झलकता है जिसका अर्थ सत्य की जीत होता है,तभी तो सत्य और जीवन को एक दुसरे के पूरक माना गया है,क्योंकि सत्य ही जीवन की दिशा,शान्ति ,शक्ति और अर्थ प्रदान करता है,इसी से ईमानदारी, संतुष्टि व मेल जोल का भाव मिलता है ,इसी पर चलमे वाला व्यक्ति निर्भय और आत्मबल से युक्त होता है,अगर हम महाराजा हरिश्चन्द्र की बात करें तो उनका नाम दुनिया में सत्य के कारण ही अजर और अमर है और उनको सत्यवादी की उपाधि से युगों युगों से पुकारा जाता है अन्त में यही कहुंगा की सत्य ही जीवन का आधार है और सत्य की जीत हमेशा होती आई है और होती रहेगी।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
सत्य जीवन का आधार है सोच सत्य कर्म ,धर्म ,मानवता जीवन के आधार स्तंभ चार हैं ! जिसे इंसान मजबूती से पकड़ जीवंत बनाए रखने में कामयाब होते है जिसका पालन कर सत्य की जीत हमेशा होती है ! सत्य हमेशा साहस प्रेरणा दे आँख से आँख मिला अपनी बात का दंभ अटल विश्वास पाने देने प्रेरित करती कर्म की रुपरेखा तैयार करती है ,नीति निर्धारक गुणों के साथ साथ चले बाध्य करती है जिसे दैनिक नियमो का उल्लंघन ना हो ! इन सभी बातों को मानवता से जोड़ मानव शृंखला बना की सेवा धर्म घर से ले बाहर तक स्थायी बने और हस्तरांत्रित रहें ज्ञान दे ! समय के अनुसार मजबूती से पकड़ बनाए रखती है ! जिसे परिवार समाज राज्य राष्ट्र में विस्तार कर अंतराष्ट्रीय बना विश्व कल्याण के लिए जनहित परहित में योगदान देने वाले वालों को समाहित हो सम्मानित कर ! सत्य की जीत गीता का ज्ञान सार बताती हैं ! जीवन का आधार स्तंभ बताती है !
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
जीवन में जीना है, तो सत्य पर ही आधारित होना चाहिए, तभी हम प्रगतिशील बन सकते है। मानव की मानसिकता और शारीरिकता पर निर्भर करता है। उसे किस ओर विकेंद्रित किया जाए। सत्य जीवन का आधार है, सत्य की जीत हमेशा होती है। यह कटु सत्य है। हम किसी का कितना भी बुरा भला कर लें, हर राह में बाधक क्यों न बन जाए। परंतु वास्तविक सत्य को झूठला नहीं सकते। जीत दर्ज उसी की होती .....।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
सत्य जीवन का आधार है, सत्य की जीत हमेशा होती है.... इसमें कोई दो राय नहीं है .. इसीलिए तो कहा जाता है 'सत्य मेव जयते'.. हमारे जीवन का आधार भी सत्य ही है... हमें बचपन से ही घुट्टी पिलाई जाती है कि सत्य पर ही हमें अडिग रहना है, चाहे हमें जीवन में कितनी भी कठिनाईयों का सामना करना पड़े...किंतु यह भी एक कड़वा सच है कि न्याय की देवी भी अंधी बन उसका साथ नहीं देती। माना आखिर में सत्य की ही जीत होती है किंतु सब कुछ तबाह हो जाने के बाद सत्य की जीत होती है तो वह क्या जीत होती है...? जबकि बुरा व्यक्ति सब कुछ पा चैन की बंसरी सुख की छांव में बजा रहा हो।उसके कर्म के फल तो जब मिलेंगे तब किंतु देखा जाय तो न्याय की देवी भी झूठ का साथ दे उसे वर्तमान में मीठा फल देती है.. यह आज की स्थिति को देखकर मेरे विचार हैं....।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
सत्य जीवन का आधार है ये बात पूर्णतः सत्य है. सत्य पर ही ये जीवन टीका है. यदि सच्चाई न रहे तो ये जीवन भी न रहे. प्रायः जीवन की अधिकांश बातेँ घटनायें सत्य ही है. पृथ्वी सत्य है, जल, आकाश ,सूर्य चंद्र,वायु, आग इत्यादि सब सत्य है और जीवन इन्हीं पर आधारित है तो ये जीवन का आधार भी सत्य है. लेकिन सत्य की जीत हमेशा होती है ये बात ही सत्य नहीं लगता. मैं खुद भुक्तभोगी हूँ. यदि उन घटनाओं का यहां वर्णन किया जाय तो बड़ा हो जाएगा. मैं अनेकों बार सत्य बोल कर देखा हूँ और मुश्किल में फंसा हूँ. सत्य बोलने से बहुत सारा काम नहीं हुआ है. इसलिए मेरे हिसाब से सत्य की जीत हमेशा नहीं होती है.
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
यह सच है कि जीवन का आधार सत्य है और अन्ततः सत्य की ही जीत हमेशा होती है पर कब ? केवल हम सबको दिखाने के लिए कह दें कि मैं महात्मा हूं या विद्वान हूं तो यह तो दिखावटी जीवन है। वास्तविक जीवन में मेरा व्यवहार दूसरों के प्रति कैसा है यह देखें तब स्वयं को महात्मा या विद्वान कहने की आवश्यकता नहीं होगी सत्य केवल बोलना ही नहीं वह हमारे आचरण में व्यवहार में भी हो। सही मायने में तभी वह जीवन का आधार होता है और जीत की स्वर्णिम उपाधि से विभूषित भी होता है । तुलसीदास ने मानस में राजा दशरथ के माध्यम से कहा भी है -- "प्राण जाए पर वचन न जाए" । इसी प्रकार से राजा हरिश्चंद्र के विषय में भी कहा गया है---- "चंद्र टरे, सूरज टरे, टरे जगत व्यवहार। पै दृढ़ श्री हरिश्चंद्र को, टरे न सत्य विचार"। राजा राम , राजा हरिश्चंद्र जैसे भारत के विभिन्न व्यक्तित्वों की कथनी और करनी की एकरूपता के कारण एक युग सतयुग से नामांकित है। भले ही सत्य के मार्ग पर चलने से जीवन में कठिनाइयां आती हैं लेकिन सत्य हमेशा पूजित होता है। वर्तमान समय में तो यह भारत का राष्ट्रीय और आदर्श वाक्य है "सत्यमेव जयते" जो कि हमारे भारत की मुद्राओं में और राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह में अंकित है।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
सत्य केवल एक गुण नहीं है बल्कि मानव जीवन का मूल आधार है। सत्य से ही चरित्र की शक्ति जन्म लेती है और सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता। इतिहास साक्षी है कि कठिन परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी क्यों न हों, अन्ततः सत्य ही विजयी होता है, क्योंकि सत्य में ईश्वर बसता है और असत्य का अस्तित्व क्षणिक होता है भले ही कलियुग में उसका विस्तार हो चुका है। इसके बावजूद सत्य का पालन करने वाला मनुष्य न केवल स्वयं को ऊँचा उठाता है बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त करता है। क्योंकि सत्य बोलना, सत्य का साथ देना और सत्य के लिए खड़े रहना ही वास्तविक राष्ट्रधर्म है। उल्लेखनीय है कि सत्य की शक्ति अदृश्य होते हुए भी असीमित होती है जो न्याय को जन्म देती है, भय को नष्ट करती है और मनुष्य को निर्भीक बनाती है और यही शक्तियॉं संचित होकर एक दिन उच्चतम न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश को भी चुनौती देने का आधार बनती हैं। अतः हम सभी का मौलिक कर्तव्य है कि सत्य को अपना जीवन मन्त्र बनाएं और न्याय, नैतिकता तथा संविधान की मर्यादा को सर्वोपरि रखें। आप देखेंगे कि सत्य की राह कठिन अवश्य है, पर विजय निश्चित है।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
सत्य जीवन का आधार है सच बोलने वालों को याद नहीं रखना पड़ता कि किसको क्या कहा है. सच हमेशा सच होता है सच बोलने वालों को मन में संतुष्टि रहती है और वे हमेशा खु़श रहते हैं. इसके अतिरिक्त सत्य की जीत हमेशा होती है, भले ही देर लगे पर सत्य की जीत होना निश्चित है. कहते भी हैं कि सच का बोल बाला झूठे का मुहं काला. झूठ भले ही कुछ देर के लिए प्रसिद्धि पा जाए लेकिन पोल खुलने पर झूठों की अच्छी तरह मरम्मत भी होती है. इसलिए कहते हैं कि सत्य जीवन का आधार है और सत्य की जीत हमेशा होती है.
- लीला तिवानी
सम्प्रति -ऑस्ट्रेलिया
सत्य केवल एक नैतिक मूल्य नहीं, बल्कि मानव जीवन की वह नींव है जिस पर विश्वास, संबंध और समाज—तीनों टिके होते हैं। जब हम कहते हैं कि “सत्य जीवन का आधार है”, तो इसका अर्थ यह है कि किसी भी व्यक्ति का चरित्र, उसकी पहचान और उसकी प्रतिष्ठा सत्य पर ही स्थिर रहती है। असत्य कुछ समय के लिए आकर्षक लग सकता है, परंतु उसका कोई भविष्य नहीं होता। इतिहास गवाह है कि सत्य को चुनौती देने वाले अनेक झूठ लंबे समय तक भ्रम तो पैदा कर सकते हैं, पर अंततः जब पर्दे उठते हैं तो सत्य ही विजयी होता है। महात्मा गांधी ने भी कहा था—
“सत्य और अहिंसा मेरी विरासत हैं, और सत्य की राह कठिन अवश्य है, पर असंभव नहीं।”
सत्य की सबसे बड़ी शक्ति यह है कि उसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती—वह अपने आप में प्रमाण है। झूठ को ढकने के लिए हजार बहानों की जरूरत होती है, पर सत्य को केवल एक दृढ़ मनुष्य की।
जीवन के अनुभव भी यही बताते हैं।
• परिवार में विश्वास सत्य से बनता है।
• समाज में सम्मान सत्य से मिलता है।
• मन में शांति भी सत्य से ही उत्पन्न होती है।
जो लोग क्षणिक लाभ के लिए असत्य का सहारा लेते हैं, वे अंततः अपने ही बनाए जाल में फँस जाते हैं। जबकि सत्य को अपनाने वाला व्यक्ति कठिनाइयों का सामना करते हुए भी भीतर से संतुलित रहता है, क्योंकि उसका आधार मजबूत होता है।
इसीलिए कहा गया है—
“सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।”
आज की इस परिचर्चा का उद्देश्य केवल सत्य के महत्व पर बात करना नहीं, बल्कि यह समझना है कि सत्य को जीवन में कैसे जिया जाए—
• निर्णय लेते समय
• संबंधों में पारदर्शिता रखते हुए
• समाज और कार्यक्षेत्र में नैतिकता निभाते हुए
जब व्यक्ति सत्य का साहस रखता है, तब उसका हर कदम आत्मविश्वास से भरा होता है। और यही आत्मविश्वास उसे विजय की ओर ले जाता है।
अंत में, यही कहना पर्याप्त है
“सत्य न दीपक है, न तलवार।
सत्य स्वयं में प्रकाश है, और उसी प्रकाश में जीवन का असली स्वरूप दिखाई देता है।”
- डाॅ.छाया शर्मा
अजमेर- राजस्थान
"सत्यमेव जयते " - - - भावभीनी ये पंक्तियाँ भारत में बच्चों को घुट्टी में घोलकर पिलाई जाती हैं। स्कूल में पहला दिन हो या विद्यालय में अंतिम दिन - - "सत्य शिवम सुंदरम "यह उक्ति हर समय आपका पथ निर्देशित करती है--सहज समझ सकते हैं कि हम भारतीय "सत्य की जीत" के सिद्धांत पर चलते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि "सत्य मेव जयते" हमारे देश का घोष-वाक्य है। हम भारतवासी सत्य की जीत का अटूट विश्वास लेकर जीवन की राहों पर आगे बढ़ते हैं जब तक हमारे जीवन में सत्य की धूप है--सत्य के सात इंद्रधनुषी रंग हैं तब तक हम भरत खंड के वासी जीवन की राहों पर संतुलित कदम रखते हुये आगे बढते हैं--प्रगति पथ पर अग्रसर होते हैं और देश-हित में काम करते हैं। दादी नानी घुट्टी में घोलकर पिलाती हैं बच्चों को सत्य का घोल। रग रग में सत्य के रक्त बीज पनपते हैं मेरे भारत महान में--सत्य की जीत के साथ।।
- हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर - महाराष्ट्र
आदरणीय जैमिनी अकादमी परिवार नमन-वंदन।
ReplyDelete💐💐🙏🙏आदरणीय,
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद स्मृति सम्मान प्रदान कर मुझे जो सम्मानित किया गया है, उसके लिए मैं अपनी हार्दिक एवं विनम्र कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।
प्रतिष्ठित मंच की सराहना मेरे लिए किसी पुरस्कार से बढ़कर है— यह वह स्पर्श है, जो लेखक के भीतर छिपी थकान, संदेह और अकेलेपन को मिटा देता है।
इस प्रतिष्ठित अलंकरण को प्राप्त करना मेरे लिए अत्यंत गौरव का विषय है।
यह न केवल मेरी साहित्यिक साधना का मूल्यांकन है, अपितु उन भावनात्मक मूल्यों और सामाजिक सरोकारों का भी सम्मान है, जिन्हें मैं अपनी लेखनी में प्रतिबिंबित करने का प्रयास करती हूँ।
आप सभी के स्नेह और आशीष ने मेरी कलम को फिर यह भरोसा दिया है कि शब्दों की छोटी-सी लौ भी किसी हृदय को रोशन कर सकती है।
जैमिनी अकादमी के विद्वतजनों द्वारा दिया गया यह विश्वास मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा और मुझे भविष्य में भी साहित्य एवं समाज की सेवा हेतु अधिक मनोयोग से कार्य करने का संबल प्रदान करेगा।
आपकी सराहना और आशीष के लिए पुनः हृदय से आभार।
सादर
डॉ. छाया शर्मा
अजमेर, राजस्थान
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आदरणीय जैमिनी अकादमी परिवार सादर नमन-वंदन।
ReplyDelete💐💐🙏🙏
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद स्मृति सम्मान से मुझे विभूषित किया जाना मेरे लिए अत्यंत गर्व और विनम्रता का क्षण है।
यह सम्मान भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद जी की उस अद्भुत सरलता, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रहित के प्रति अटूट समर्पण की स्मृति को भी नमन करने का अवसर है।
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद जी भारतीय संस्कृति, नैतिकता, स्वाभिमान और निष्ठा के ऐसे प्रकाशस्तंभ रहे,
जिन्होंने स्वतंत्र भारत की नींव को मूल्यों की आधारशिला पर स्थापित किया।
उनके नाम पर सम्मान प्राप्त करना मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धि ही नहीं,
बल्कि उस आदर्श का स्मरण है जिसे साहित्यकार भी अपने लेखन में जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
जैमिनी अकादमी द्वारा प्रदत्त यह सम्मान मेरी साहित्यिक साधना को नया उत्साह देगा
और मुझे समाज तथा राष्ट्र के हित में और अधिक सार्थक लेखन के लिए प्रेरित करता रहेगा।
आप सभी का हार्दिक आभार।
सादर
डॉ. छाया शर्मा
अजमेर, राजस्थान
(WhatsApp से साभार)