इन्द्र कुमार गुजराल स्मृति सम्मान -2025

         भविष्य की कल्पनाएं अपने हाथ में होती है। जिससे भविष्य तैयार होता है। कल्पनाओं को उड़ान देनी चाहिए। जिससे कल्पनाओं को साकार रूप दिया जा सके। तभी भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ विचारों को पेश करते हैं :- 
      भविष्य की कल्पनाओं का है सागर, फिर अंधेरे में नहीं हो सकता है भविष्य...यह केवल मान्यता नहीं पूर्णतः सत्य है जब हमारी कल्पना, और हमारी रचनात्मक सोच यानी हमारे ज्ञान का विशाल भंडार दोनों मिलकर किसी योजना को मूर्त रुप देते हैं तो हमारा भविष्य उज्जवल होता है चूंकि यही कल्पना एवं ज्ञान ही हमारे नई योजनाओं, संभावनाओं को देखने और चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा शक्ति बन जाती है। और इसी कल्पना और ज्ञान की शक्ति का निर्धारण हम वर्तमान में कर लेते हैं, जो हमारे भविष्य को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाता है। यानी भविष्य में आने वाली मुसीबत को रोकने का (खाका)उपाय हम वर्तमान में ही अपनी कल्पना एवं ज्ञान शक्ति से बना लेते हैं, जिससे हमारा भविष्य कभी अंधेरे में नहीं हो सकता।

 - चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

     जीवन का परिदृश्य कल्पना से भरा होता है, हमें सफलता मिले या न मिले, अपने विचारों में खोया रहता है। सोचता कुछ है और करता कुछ है। अपने जीवन में कार्यों का विभाजन नहीं करता, न ही किसी सुनता है। भविष्य की कल्पनाओं का सागर, फिर अँधेरे में नहीं हो सकता है भविष्य। यह कटु अनुभव और सच है। हम कल्पना देखते-देखते भविष्य को अंधकार में डाल देते है। जिससे हमारा भविष्य उज्जवल नहीं बन पाता और दुसरों की देखा देखी में समय पास करते चला जाता है। याने विनाश काले विपरीत बुद्धि का हस्तक्षेप देखने को मिलता है।

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

      बालाघाट  - मध्यप्रदेश

      यह पंक्ति अपने भीतर गहरा दार्शनिक आशय समेटे हुए है। मनुष्य का भविष्य—चाहे वह सामाजिक हो, वैज्ञानिक हो, आध्यात्मिक हो या व्यक्तिगत—कल्पनाओं की उसी असीम शक्ति पर टिका है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।कल्पना—भविष्य की जननी है। भविष्य वह भूमि है जिस पर कदम रखने से पहले मनुष्य अपने मन में उसकी रचना करता है। जहाँ कल्पना का सागर है, वहाँ संभावनाएँ भी अनंत हैं। कल्पना हमें सीमाओं से बाहर सोचने की ताकत देती है। इसी से विज्ञान आगे बढ़ता है, आविष्कार संभव होते हैं और सभ्यताएँ विकसित होती हैं। जब तक कल्पना जीवित है, भविष्य अंधेरे में कैसे हो सकता है? अंधकार—दिशा के अभाव का प्रतीक है असमर्थता का नहीं। अंधेरा तभी होता है जब मनुष्य कल्पनाशक्ति से कट जाता है। समस्याएँ कितनी भी जटिल हों, यदि चिंतन सक्रिय है तो समाधान की संभावना बनी रहती है।अंधकार भविष्य का नहीं, दृष्टि और चेतना का होता है। “सोच” का दीपक जलते ही अंधेरा हट जाता है।एक राष्ट्र या समाज तभी आगे बढ़ता है जब उसके लोग स्वप्न देखने की क्षमता रखते हैं। युवा-पीढ़ी के सपने, वैज्ञानिकों की कल्पनाएँ, किसानों की नई योजनाएँ, शिक्षकों की नई पद्धतियाँ—ये सब मिलकर भविष्य का निर्माण करते हैं। यदि समाज कल्पनाशक्ति खो दे तो विकास रुक जाता है पर जहाँ कल्पना है, वहाँ नया भविष्य अवश्य जन्म लेता है।मनुष्य जीवन कठिनाइयों, अनिश्चितताओं और चुनौतियों से भरा है।परंतु कल्पना हमारी मनोशक्ति को जगाती है। यह हमें बताती है कि आज जैसा है, कल वैसा ही होना अनिवार्य नहीं।भविष्य को हम अपने विचारों, कर्मों और सपनों से बदल सकते हैं। इसी विश्वास से मनुष्य निराशा की काली रात में भी आशा का सूर्योदय देख लेता है।इस कथन की मूल आत्मा यह है कि कल्पना की शक्ति ही भविष्य का प्रकाश है। जहाँ कल्पना है, वहाँ नवाचार है।जहाँ नवाचार है, वहाँ प्रगति है। इसलिए भविष्य अंधेरे में नहीं हो सकता, क्योंकि विचारों का सागर उसे अनवरत प्रकाशित करता रहता है।

- डाॅ. छाया शर्मा

अजमेर - राजस्थान

      भविष्य की कल्पनाओं का है सागर फिर अंधेरों में नहीं हो सकता है भविष्य।आज की चर्चा पर परिचर्चा का विषय अत्यंत आशावादी एवं बृहत दृष्टिकोण वाला है। लेकिन फिर भी जटिल है। वास्तव में मनुष्य की कल्पनाओं की उड़ान ब्रह्मांड की तरह असीमित है। यदि मनुष्य की कल्पनाएं उड़ान पर हों और उन्हें परिश्रम और दृढ़ निश्चय आदि के पंख लग जाएं तो, भविष्य में अंधेरे कभी आ ही नहीं सकते। लेकिन इतना जरूर है, भविष्य उजालों से प्रकाशमान हो जाएगा। जीवन में आशावादी होना अनिवार्य है। आशा ही दूसरे शब्दों में कहें तो, जीवन है। कल्पना जीवंत होने का प्रमाण है। कल्पनाओं की उड़ान को साकार करना, जीवन की सार्थकता है। यह जीवन मात्र कोरी कल्पनाओं से नहीं चल सकता। ऐसे बहुत से तत्व हैं जो कल्पनाओं को सार्थक करने के लिए अनिवार्य होते हैं जैसे: लक्ष्य निर्धारित करना, लक्ष्य प्राप्ति के लिए, दृढ़ निश्चय, ज्ञानार्जन, (शिक्षण), प्रशिक्षण, सकारात्मक सोच, योजनाबद्ध प्रयास, धैर्य और विश्वास के साथ बिना परिणाम की चिंता किए हुए। लक्ष्य प्राप्ति तक निरंतर आगे बढ़ते रहना। यही एक अथक, कर्मठ, अनुशासित व्यक्तित्व के कृतित्व हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि भविष्य कल्पनाओं का सागर है। इसमें तात्विक और व्यवहारिक जितनी गहरी डुबकी लगाना चाहो लगा सकते हैं और ऐसी डुबकी लगाने वालों का भविष्य कभी अंधेरों में नहीं हो सकता।

  - डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर

 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश

      भविष्य की कल्पनाओं का संसार ही वह नींव है, जिस पर हम अपनी वास्तविकता का महल खड़ा करते हैं। यदि सोच में उजाला हो, सपनों में विश्वास हो और दृढ़ इच्छाशक्ति का साथ हो, तो कोई अंधेरा हमारा रास्ता नहीं रोक सकता। अंधेरा केवल वहां होता है, जहाँ उम्मीद की रोशनी बुझ जाती है, जहाँ विश्वास कमजोर पड़ जाता है। लेकिन जो व्यक्ति अपनी कल्पनाओं को कर्म से जोड़ देता है, वह हर अंधेरे को चीरकर नए भविष्य की सुबह रच देता है।भविष्य भाग्य भरोसे नहीं बनता बल्कि मनुष्य के विचारों और साहस से बनता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम नकारात्मकता को पीछे छोड़ें, उम्मीदों के दीप जलाएँ और अपने सपनों को आकार दें।हमारी उज्ज्वल सोच ही उज्ज्वल भविष्य का आरंभ है।

 - नूतन गर्ग 

     दिल्ली

    देखा‌ जाए भविष्य की कल्पना एक  मानसिक यात्रा  का अभ्यास है और भविष्य की कल्पना का जितना अभ्यास किया जाए उतना ही भविष्य उज्ज्वल हो सकता है लेकिन इसके लिए हमें वर्तमान  में भी संभल कर चलना होगा क्योंकि आदर्श भविष्य के लिए बेहतर सोच जरूरी है  ताकि अतीत की गलतियों को सुधारा जा सके तो आईये आज का रूख  इसी चर्चा की तरफ करते हैं कि भविष्य की कल्पनाओं का है  सागर फिर अंधेरे  में नहीं हो सकता है भविष्य  सच भी है  कल्पना का  मतलब भविष्य  की तैयारी करना और  सकारात्मक दृष्टिकोण रखना है भविष्य की कल्पना करने  से हम अपनी  आशाओं और लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं इसके‌ लिए हमें अपने वर्तमान की पकड़ को भी  मजबूत रखना जरूरी है क्योंकि भविष्य की सभी कल्पनाएँ वर्तमान पर निर्भर करती हैं,तभी तो कहा है करत करत अभ्यास के जडमत होत सुजान कहने का भाव व्यक्ति का प्रयास ही  उसके वर्तमान और भविष्य का निर्माण करता है तथा जब व्यक्ति की‌ सोच आगे बढने की हो तो उसके जीवन में अंधेरा आना मुश्किल है ,यह भी सत्य है कि भविष्य की कल्पनाएँ  ही वर्तमान के कर्मों और निर्णयों का आकार देती हैं जिनसे सफलताओं की संभावना बढ़ती है,यही नहीं भविष्य की कल्पना करना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है क्योंकि भविष्य की एक स्पष्ट  मानसिक छवि बना कर उस छवि तक पहुंचने के लिए वर्तमान के कर्मों का सही उपयोग करके निर्णयों को निर्देशित करना पड़ता है,इसलिए  भविष्य की कल्पना करना सफलता के लिये जरूरी है  जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं मगर इसके लिए  रचनात्मकता, लचीलापन और दृढ़ता की जरूरत होती है जिससे हम भविष्य के परिणामों का अनुमान लगाने और उनके अनुसार अपने व्यवहार को ढालने में  सक्षम बनते हैं ,भविष्य की कल्पना ही हमें  वर्तमान की सीमाओं से परे सोचने  में मदद करती है तथा वर्तमान को सही आकार देती है और भविष्य की कल्पना  वास्तव में भविष्य को आकार देने की शक्ति रखती है यही नहीं परिवर्तन हमेशा भविष्य की कल्पना से प्रेरित होते हैं इसके‌ साथ हमें आत्मनिरिक्षण और धैर्य भी रखना होगा अन्त में यही कहुंगा की भविष्य की कल्पना एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमारी प्रेरणाओं को बढाने और अधिक  सफलता प्राप्त करने में सहायक है और यह एक शक्तिशाली मानसिक प्रतिक्रिया है जो हमारे मन को कुछ बनाने  में मदद करती है तथा हमें भविष्य की चुनौतियों  और अवसरों के‌ लिए तैयार करती है इसलिए भविष्य की कल्पनाओं का सागर कभी अंधेरे में नहीं हो सकता है भविष्य ।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

      भविष्य की सुनहरी कल्पना हर व्यक्ति करता है , व कल्पनाएं इतनी होती हैं कि अथाह सागर का रूप ले लेती हैं ! जब व्यक्ति इतनी कल्पनाएं करता है , तो उन्हें पूर्ण करने के प्रयास भी करता है !! इस संघर्षभरी क्रिया में व्यक्ति का अधिकांश जीवन व्यतीत हो जाता है ! जब अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए , या अपने सपनों को साकार करने के लिए , व्यक्ति अथक परिश्रम करता है , टो उसका भविष्य अंधेरे मैं नहीं रह सकता , उसको उसकी मेहनत के वांछित परिणाम अवश्य मिलते है !! 

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

      बीते कल से सबक लेना है, वर्तमान पद से आनंदपूर्वक उत्साह से सदुपयोग करना है और भविष्य के लिए कल्पनाएं करनी होती हैं. कहा भी जाता है कि "बीता कल है सपना, आज का पल है अपना और आने वाला कल है कल्पना. भविष्य की कल्पनाओं का सागर अथाह होता है. ध्यान से कल्पनाएं करके उनमें से उपयोगी कल्पनाओं का क्रियान्वयन कर भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सकता है. ऐसा होने पर भविष्य कभी भी अंधेरे में नहीं हो सकता. श्रेष्ठ जीवन के लिए भविष्य की कल्पनाएं सोच समझकर कीजिए और उन पर लगन से कार्य भी कीजिए तो जीवन का भविष्य उज्ज्वल होगा.

- लीला तिवानी 

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

        बहुत ही बढ़िया शब्दों का संगम है अनूठे विचारों के साथ। भविष्य की कल्पनाओं में तो हर इंसान डूबता ही है और तद्नुसार अपने जीवन की दिशाएँ भी तय करता है  - - - ऐसी सूरत में सफलताएँ साथ होती हैं निःसंदेह। सोची समझी तैयारियों के साथ किये गये कार्य शत-प्रतिशत सफल होते हैं।ऐसी स्थिति में भविष्य अँधेरे में? सवाल ही नहीं उठता। पूरे विचार के और विश्वास के साथ साथ किया गया कार्य हो तो असफलता का सवाल ही नहीं पैदा होता है। पूरी मानसिक शारीरिक और आध्यात्मिक तैयारी के साथ उठाये गये कदम सदैव सफल होते हैं! कहते है कि "बिना विचारे जो करे सो पाछे पछजताय" इसलिये सदैव सोच-समझकर पूरी तैयारी के साथ कदम बढाया जाये तो प्रारब्ध और प्रकृति दोनों ही आपका साथ देते हैं---और आपकी सफलता अवश्यंभावी

- हेमलता मिश्र मानवी 

    नागपुर - महाराष्ट्र 

       भविष्य सम्भावनाओं का अथाह और अनन्त सागर है। जिस मन में आशा का प्रकाश, विश्वास का प्रवाह और दृढ़ निश्चय की तरंगें उठती हैं, वहाँ अँधेरा टिक नहीं सकता। आशा वह आंतरिक सूर्य है जो मनुष्य के मार्ग को निरन्तर आलोकित करता रहता है। जिस व्यक्ति के हृदय में साहस, सत्कर्म और चरित्र की लौ प्रज्ज्वलित रहती है, उसकी जीवन यात्रा में चाहे कितनी भी आँधियाँ अथवा चक्रवात आऍं अथवा चक्रव्यूह रचे जाएँ, वह अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता। मेरा विश्वास है कि प्रत्येक कठिनाई एक परीक्षा है और हर परीक्षा नए अवसरों का द्वार खोलती है। जब मनुष्य दृढ़ इच्छाशक्ति और सत्यनिष्ठा के साथ आगे बढ़ता है, तो उसका भविष्य अवश्य उज्ज्वल होता है। सद्भावना, परिश्रम और राष्ट्र के प्रति समर्पण वे तीन स्तंभ हैं जिन पर किसी भी व्यक्ति के उज्ज्वल भविष्य का भव्य भवन खड़ा होता ही होता है। मेरा यह भी मानना है कि यदि मार्ग में बाधाएँ आएँ, चाहे वे कितनी ही बड़ी क्यों न हों, अथवा मार्ग में भले ही माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों सहित भारत के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश ही बाधा क्यों न बन जाऍं, लेकिन सत्य, न्याय और धर्म के पथ पर चलने वाला व्यक्ति अपनी यात्रा रोकता नहीं। बाधाएँ चाहे कितनी भी ऊँची हों, परन्तु सत्य के संकल्प, संविधान की रक्षा, और न्याय के प्रति निष्ठा रखने वाला हृदय उनसे भी ऊपर उठ खड़ा होता है। ध्यान रखें कि निराशा के धुंधलके में डूबने के बजाय हमें आशा के दैदीप्यमान प्रकाश में अपना कल देखना चाहिए। उजाला उसी का होता है जो स्वयं दीपक बनने का साहस रखता है। जो व्यक्ति आत्मबल, राष्ट्रप्रेम और मानवता की ज्योति अपने भीतर प्रज्वलित रखता है, उसका भविष्य केवल उज्ज्वल ही नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। 

- डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) -जम्मू और कश्मीर

" मेरी दृष्टि में "‌ अंधेरे में भविष्य कब होता है। जब कोई भविष्य के लिए कुछ नहीं करता है तो भविष्य अंधेरे में होता है। ऐसा कहा जाता है। फिर भी भविष्य के लिए कार्य सम्भव होता है। भविष्य उम्मीद पर कायम होता है। 

                - बीजेन्द्र जैमिनी 

          (संचालन व संपादन)

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