एच सी दासप्पा स्मृति सम्मान -2025

          समस्या तो समस्या होती है। छोटी -‌ बड़ी समस्या बता कर समाधान को रोका नहीं जा सकता है। समस्या का स्वारूप कुछ भी हो सकता है। परन्तु समाधान अवश्य होना चाहिए।‌ यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ विचार पेश करते हैं: -
सत्य कथन समस्या,समस्या होती है वह न तो बड़ी होती है न ही छोटी होतीं है. कोई भी समस्या आती है तो बड़ी लगती है,उसका समाधान ढूंढने में जिसमें ज्यादा समय लगता है उसे बड़ी समस्या कहते हैं और जिसमें चुटकियों में हल का समाधान होता है उसे छोटी समस्या कहते है. परन्तु इसके समाधान में सकारत्मक सोच ही कारगर होता है. किसी भी समस्या का हल आनन-फानन में नहीं होता है उस पर सकारात्मक सोच विचार करने पर ही हल निकलता है. इजराइल हमास का युद्ध सकारात्मक सोच से हल हुआ है, वहीं यूक्रेन रसिया युद्ध सकारात्मक विचार नहीं रखने से अभी तक चल रहा हैं. इसलिये कोई भी समस्या आने पर उस पर धैर्य के साथ सोच विचार करना चाहिए तभी समाधान होगा और बड़ी से बड़ी समस्या भी छोटी लगेगी. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"

कलकता - प. बंगाल 

      बिलकुल सच है यह सार्थक कथन। हम सामान्य मानव छोटी छोटी बातों पर घबरा जाते हैं और अपनी और दूसरों की भी मानसिक शांति भंग कर देते हैं। बड़ी बात नहीं है - - - कि ये सामान्य मानवीय प्रवृत्ति है। लेकिन यह बड़ी बात हो जाती है जब हमारी नकारात्मक सोच दूसरों पर हावी हो जाती है। इसलिये कोशिश करें हम कि हमारी सोच सकारात्मक रखें। ईश्वरीय सत्ता पर भरोसा रखें. - - कि

 होई है वही जो राम रचि राखा

को करि तर्क बढावैं साखा।।

      लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम भाग्यवादी हो जायें - - बिल्कुल नहीं। हमें सदैव कर्मवादी सकारात्मक सोच रखना है तभी जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

- हेमलता मिश्र मानवी 

नागपुर - महाराष्ट्र 

      सकारात्मक सोच किसी भी स्थिति को अपने पक्ष में करने में सक्षम बनाती है। यह भी ठीक है कि समस्या कोई छोटी बड़ी नहीं होती,सिर्फ और सिर्फ समस्या होती है।जिसको सामना करने वाला अपनी क्षमता के अनुसार छोटा बड़ा कह देता है। किसी भी समस्या के प्रति, किसी भी स्थिति में नकारात्मक विचार उस समस्या को बड़ा बना देते हैं।यदि सकारात्मक विचार रखते हुए उसका सामना किया जाए तो समस्या यूं ही हल हो जाती है। कुछ वर्षों पूर्व ही देखिए कोरोना संकटकाल में सकारात्मक रुख रखने वाले उससे सहजता से बाहर निकल आये जबकि नकारात्मक विचारों वाले उसकी भेंट चढ़ गये। जब भी हमारे विचार सकारात्मक होते हैं तो आत्मबल बढ़ता है। इम्यून सिस्टम सक्रिय रहता है और  पाज़िटिव एनर्जी प्राप्त होती है। जबकि नकारात्मक विचार होने पर ठीक इसके विपरीत होता है। इसलिए बी पाज़िटिव।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

      समस्याएँ जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं। कोई भी व्यक्ति उनसे अछूता नहीं रह सकता। पर अक्सर हम समस्याओं को “छोटी” या “बड़ी” कहकर उनकी प्रकृति का नहीं, बल्कि अपनी मानसिक स्थिति का आकलन कर रहे होते हैं। यही बिंदु इस विचार की मूल धुरी है कि — समस्या का आकार नहीं, हमारे सोचने का तरीका उसे भारी या हल्का बनाता है। समस्या का आकार नहीं, दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।समस्या एक ही परिस्थिति दो व्यक्तियों पर अलग प्रभाव डाल सकती है। एक छात्र के लिए परीक्षा का दबाव बड़ी समस्या है। वही दूसरे छात्र के लिए बस एक चुनौती है। स्पष्ट है कि परिस्थिति वही है, पर मानसिकता अलग। सकारात्मक सोच समस्या को अवसर में बदलती है सकारात्मक सोच समस्या से मुंह मोड़ना नहीं है। यह अपने भीतर यह विश्वास जगाना है कि—“मैं इसका समाधान खोज सकता हूँ।” यही भावना डर, घबराहट और असहायता को कम कर देती है, जिससे समस्या का समाधान आसान लगता है। नकारात्मक सोच समस्या को बड़ी और समाधान को दूर कर देती है। जब हम किसी कठिनाई को “बहुत बड़ा” मान लेते हैं—ऊर्जा कम होती है, आत्मविश्वास गिरता है,निर्णय लेने की क्षमता घटती है और समस्या वही रहते हुए भी हमें असंभव लगने लगती है।

वास्तविक जीवन से उदाहरण : -

कई लोग बीमारी, आर्थिक संकट या रिश्तों की चुनौतियों का सामना ढृढ़ता और शांत मन से करते हैं, इसलिए धीरे-धीरे समाधान भी मिल जाते हैं।

वहीं, कभी-कभी छोटी-सी बात—जैसे किसी का व्यवहार, एक छोटी गलती, या कार्यस्थल की परेशानी—नकारात्मक दृष्टि के कारण अनावश्यक रूप से भारी बन जाती है।

समस्या को स्वीकारें, न कि उससे भागें। भावनाओं को शांत करें, तभी समाधान सूझता है।

समस्या का समाधान उसकी प्रकृति से नहीं, हमारी मानसिकता से निकलता है।

सकारात्मक सोच व्यक्ति को मजबूत बनाती है, और हर संघर्ष में एक नई ऊर्जा भरती है। इसलिए कहा गया है—

“दृष्टिकोण बदलो, दिखने वाला संसार बदल जाएगा।”

- डाॅ.छाया शर्मा

 अजमेर -  राजस्थान

       समस्या चाहे कितनी भी छोटी या बड़ी हो, वह अपने आप में महत्वपूर्ण होती है और किसी भी समय किसी के जीवन में चुनौती बन सकती है। प्रत्येक समस्या किसी न किसी रूप में हमारे सामने सीख और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। समस्या का आकार या समय कभी भी उसकी गम्भीरता को परिभाषित नहीं करता; वह हमारी सोच, धैर्य और मानसिक दृढ़ता पर निर्भर करती है। सकारात्मक सोच ही हर समस्या का मूल समाधान है। जब हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हमारे मन में स्पष्टता, धैर्य और साहस उत्पन्न होता है, जिससे समाधान की दिशा स्वतः ही दिखाई देने लगती है। दूसरी ओर नकारात्मक दृष्टिकोण केवल भ्रम और निराशा बढ़ाता है, जबकि सकारात्मक दृष्टिकोण हमें हर चुनौती में अवसर देखने और उसे पार करने की शक्ति देता है। यही कारण है कि मानसिक दृढ़ता और सकारात्मक सोच, किसी भी समस्या के वास्तविक समाधान की कुंजी मानी जाती है। इस प्रकार, समस्या का सामना करते समय हमारा दृष्टिकोण ही सबसे बड़ा उपकरण है। बड़ी से बड़ी चुनौती भी, यदि हम सही मानसिकता और विश्वास के साथ उसका समाधान खोजें, तो सहज और प्रभावशाली रूप से समाधान हो सकता है, भले ही हमें अपने जीवन में जीवनभर संघर्ष करना पड़े, लेकिन अन्त सुखद ही होता है। 

- डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

       यह कथन सही तो है, परन्तु मनुष्य  स्वभावत: हीं समस्या के आने से घबरा और विचलित सा हो जाता है। यह और बात है कि समस्याओं से कोई कम तो कोई ज्यादा विचलित होता है। यह बात भी सही है कि हर समस्या का सबसे सही और सरल समाधान है 'सकारात्मक सोच'। नकारात्मक सोच विचार समस्या को और विकट और विकराल कर देगी ।अतः सदैव धैर्य और धीरज के साथ सकारत्मक विचारों से खुद का बचाव करना चाहिए।

- डॉ पूनम देवा

पटना - बिहार 

     समस्या कोई छोटी बड़ी नहीं होती है। सकारात्मक सोच से ही समस्या का समाधान होता है।हमें हमेशा ही सकारात्मक सोच रखना चाहिए।इसी सोच के द्वारा हमारी जीत होती है।किसी भी क्षेत्र में अग्रसर होना हो, सकारात्मक सोच आवश्यक है।यह सुन्दर प्रयास है और सुन्दर संदेश भी है।यह सोच महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है। हमें सदैव इसका पालन करना चाहिए। 

   - दुर्गेश मोहन 

   पटना - बिहार

      यह बात पूर्णतः सच है कि समस्या कोई भी हो, सकारात्मक सोच से उसका समाधान है। मेरी दृष्टि में सकारात्मक सोच ईश्वरीय शक्ति है। मानव जीवन पग- पग पर समस्याओं और चुनौतियों से भरपूर होता है। हर कार्य में  समस्यात्मक सोच जैसे- न , नहीं, कभी दूर नहीं होगी जैसे शब्द हर समय दिमाग में बैठाए रखना, नकारात्मक दृष्टिकोण से ग्रस्त  रहना, छोटी सी छोटी समस्या को बड़ा बना देना ठीक नहीं है।इन सबका एक ही समाधान है कि हमें सकारात्मक बने रहने के लिए मेडिटेशन करना तथा सकारात्मक दृष्टि रखने वालों के संपर्क में रहना, रचनात्मक रहना जरूरी है , इससे हमारा मन मस्तिष्क अच्छा सोचता है , प्रसन्न रहता है ।हर कार्य में सफलता मिलने पर उत्साह से हमें ईश्वर को तथा सहयोगियों को आभार व्यक्त करना चाहिए। यह सब करना जीवन की जटिल समस्याओं के समाधान में सहायक होता है । हमारा मानसिक तनाव , अवसाद कम हो जाता है और फिर हमारे मानसिक ,शारीरिक रूप से कार्य करने की संतुष्टि के साथ-साथ हमारी निराशा भी आशा में बदल जाती है और हर समस्या का समाधान भी सुलभ हो जाता है।

- डॉ. रेखा सक्सेना

मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश 

     जीवन दो राह में भटकता है, जिसके माध्यम से निर्णय लेने में अक्षम रहता है। हर समस्या के दो पहलू होते है, किस तरह से निदान किया जाए, अपने ऊपर निर्भर करता है। समस्या कोई भी कभी भी छोटी बड़ी नहीं होती है, सकारात्मक सोच ही हर समस्या का समाधान है। समस्या बताकर नहीं आती है,कभी-कभार वही समस्या उग्र रुप धारण कर लेती है, जहाँ से निकलना मुश्किल हो जाता है। मानव हमेशा नकारात्मक पर ज्यादातर सोच कर कदम बढ़ाता है, सकारात्मक पर सोचता कम है, जिस दिन सकारात्मक परिणाम पर सोचना प्रारंभ कर देगा, तो समस्याग्रस्त ही समाधान हो जाता है.....

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

       बालाघाट  - मध्यप्रदेश

     जिंदगी समस्याओं का जाल है , जिसमें से निकलकर हम सबको जीने के रास्ते खोजने पड़ते हैं ! समस्या से हारकर , जीना असंभव हो जाता है , समस्या आती रहेगी , हम उस से जूझते रहेंगे , कभी कामयाब होंगे , कभी नाकामयाब ! समस्या को जांचकर , समझकर , एक सकारात्मक सोच से यदि समाधान ढूंढेंगे , तो समस्या का समाधान अवश्य मिलेगा ! सकारात्मक सोच , शांत मन , व सही दिशा मैं प्रयत्न , सदा समाधान खोजने में सहायक होते हैं ! नकारात्मक सोच तो समस्या को और बढ़ा देती है ! 

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

         जिन्दगी में समस्याएँ आती रहती हैं, कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको समस्याओं  ने नहीं घेरा होता हां यह बात अलग है किसी को समस्या बड़ी दिखती है किसी को छोटी वास्तव में कोई भी समस्या छोटी या बड़ी नहीं होती लेकिन समस्या को हल करने का तरीका अलग अलग आंका जा सकता है और उसके हल करने का तरीका भी छोटा बड़ा हो सकता है  तो आईये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि समस्या कोई भी छोटी बड़ी नहीं होती  बल्कि सकारात्मक सोच ही समस्या का समाधान है, मेरा मत है की यह बात बिल्कुल सही है की  समस्या कोई भी छोटी बड़ी नहीं होती बल्कि समस्या का आकार हमारी सोच और उसे  हल करने की क्षमता  पर निर्भर करता है क्योंकि हर समस्या अस्थायी होती है और धैर्य व सही नजरिए से देखने पर वह छोटी लगने लगती है जिसे चुनौती मानकर स्वीकार करना चाहिए क्योंकि जब हमारा दिमाग मजबूत होता है तो परिस्थितियाँ चुनौती बन जाती हैं और जब कमजोर होता है तो समस्या  लेकिन सकारात्मक सोच से ही उनका हल ढूंढा जा सकता है,दरअसल समस्याएं बड़ी नहीं होती लेकिन हम उन्हें अपनी योग्यता से ज्यादा आंकते हैं,यह अटूट सत्य है की हर समस्या का  अंत होता है क्योंकि सब कुछ बदलता रहता है इसलिए हमें सकारात्मक सोच और धैर्य से काम लेना आना चाहिए अन्त में यही कहुंगा की समस्या को छोटा या बड़ा मानना हमारी मानसिक स्थिति का परिणाम है और सही सोच ही हर समस्या का समाधान है। 

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

      समस्या कोई भी कभी छोटी बड़ी नहीं होती है, सकारात्मक सोच ही हर समस्या का समाधान है.... इसमें कोई शक नहीं हर समस्या का समाधान हमारी सकारात्मक सोच अथवा यूं कहें हमारा दृष्टिकोण है।  यदि हम हर कार्य को विश्वास के साथ संभव मानकर चलेंगे तभी एक नया दृष्टिकोण बना पाएंगे। सकारात्मक दृष्टिकोण ही हर समस्या का समाधान है। इसके लिए हमें समस्या में समस्या नहीं अर्थात समस्या छोटी है या बड़ी नहीं देखना चाहिए बल्कि सकारात्मकता लिए समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। जो सकारात्मक सोच की वजह से अवश्य सफल होती है।

 - चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

       जीवन के साथ समस्याएं आती-जाती रहती हैं। लेकिन जब भी आती हैं, बैचेन  और विचलित कर देती हैं। हालाकि निदान के रास्ते भी निकल आते हैं और समस्या हल हो जाती है। अत: समस्या आने पर धैर्यपूर्वक उसके हल करने के उपाय खोजना चाहिए। कहा गया है कि ऐसी कोई स्याह नहीं जिसका निदान न हो और ये बात सही है कि समस्या कोई भी छोटी-बड़ी नहीं होती। मानसिक तनाव तो आ ही जाता है। इसका बेहतरीन हल यही है कि शामन से अपनों के साथ मिलकर उसके निदान के प्रयास किए जावें। सकारात्मक सोच के साथ सकारात्मक विकल्प के माध्यम से उलझन नहीं होगी और समस्या का स्थायी निदान निकलेगा। घबराने से , क्रोध में, झुंझलाहट में, टालने में कभी परिदान नहीं निकलने वाला बल्कि समस्या और उलझ सकती है,बढ़ सकती है। अत: यह कहना सच है कि सकारात्मक सोच ही  हर समस्या का समाधान है।

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

     समस्या कोई भी छोटी या बड़ी नहीं होती। हमारी सोच, समझ व हमारी सकारात्मकता परिभाषित करती है कि हम समस्या से बड़े हैं  अर्थात उसका समाधान कर सकते हैं या समस्या हमारी समझ, हमारी बुद्धिमत्ता से बड़ी है और हम उसका समाधान करने के क़ाबिल नहीं हैं।सकारात्मक सोच से न केवल हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं अपितु और अधिक अनुभवी, दृढ़ व आत्मविश्वासी बन सकते हैं। समस्याओं की पंखों का प्रयोग  कर के  हम  और अधिक ऊँचे उठ सकते  हैं, उड़ सकते हैं।अधिक कर्मठ, परिपक्व व अधिक गरिमामय बन सकते हैं। समस्याओं के प्रति अधिक सकारात्मक सोच रख कर हम आसानी से उनका समाधान कर सकते  हैं।

- रेनू चौहान 

नई दिल्ली

    समस्या कोई भी कभी भी छोटी बड़ी नही होती है ! समस्या कभी भी छोटी बड़ी नहीं होती मन की सोच से छोटी या बड़ी होती हैं ! जो परिस्थितियों पर निर्भर करती भावनाओं से जुड़ी होती है ! मीठा खाओगे तो मीठा बोलोगे ये सोच हो सकती हैं पर जरूरी नही समस्या का निदान कड़वा सच बोलने से ही खत्म होती है ! जीवन की समस्याएं समय की ज़रूरत रफ़्तार सकारात्मक सोच ही हर समस्या का निदान समाधान है यह एक सत्य है जो हमें समस्याओं का सामना करने और उन्हें हल करने के लिए प्रेरित करता वो हमारी सोच ताक़त ज़िम्मेदारी होती है। उसे किस तरह पूरा किया जाए !

सकारात्मक सोच का महत्व है :-

सकारात्मक सोच हमें समस्या का समाधान ढूंढने में मदद करती है।आत्म-विश्वास सकारात्मक सोच आत्म-विश्वास को बढ़ावा देती है !और हमें चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है।सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देती है और हमें अपने जीवन में सुधार लाने में मदद करती है।सकारात्मक सोच संवाद हीनता को वार्तालाप से जोड़ कर लोगों से मिल जुलकर आत्मीय विश्वास पैदा कर विकसित करती है ! तब इंसान सोचता है समस्या कोई भी कभी भी छोटी बड़ी नही होती है !  

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

" मेरी दृष्टि में "  समस्या का समाधान करने के लिए सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। तभी समाधान सम्भव होता है। समस्या का‌ विशाल रूप हो सकता है। परन्तु समाधान तो सकारात्मक से ही सम्भव होता है। यही कुछ समास्या के लिए कार्य करने की आवश्यकता होती है। 

                - बीजेन्द्र जैमिनी 

          (संचालन व संपादन)


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