पद्म विभूषण आर के नारायण स्मृति सम्मान -2025

      जो दुनियां में जीना सीख गया है। दुनियां उसके पीछे पीछे घुमती है। बस ! सबसे मुश्किल कार्य दुनियां में जीना आना चाहिए। फिर सफ़र तो अच्छा से अच्छा रहता है। जीवन में संघर्ष ना हो, ऐसा नहीं हो सकता है। फिर भी जीवन तो जीवन है। जीना तो हर हाल मे पड़ता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ को पेश करता हूं :-
    जीवन एक यात्रा है, जिसमें सबको रास्ते मिलते हैं, पर मंज़िल तक वही पहुँचते हैं जो अपने कदमों पर विश्वास रखते हैं। जो अपने दम पर आगे बढ़ते हैं, वे कठिनाइयों को सीढ़ी बना लेते हैं और संघर्षों को प्रेरणा में बदल देते हैं।आत्मनिर्भरता का मूल्य अपने दम पर जीना मतलब आत्मनिर्भर होना — अपनी शक्ति, प्रतिभा और निश्चय पर भरोसा करना। ऐसा व्यक्ति असफलता से नहीं डरता क्योंकि उसे पता है कि गिरकर भी वह स्वयं उठ सकता है। संघर्ष और आत्मविश्वास। जिनका सहारा स्वयं का साहस होता है, उनका हर संघर्ष उन्हें और मजबूत बनाता है। उनके निर्णय भले कठिन हों, पर वे अपने विवेक से चलते हैं, इसलिए उनका सफर सामान्य नहीं — असाधारण बन जाता है जैसे- महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने सीमित संसाधनों से उठकर मिसाइल मैन बनने तक का सफर तय किया, कल्पना चावला ने अपने सपनों को पंख दिए और अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन किया। ये सब अपने दम पर जीने वाले व्यक्तित्वों की मिसाल हैं। समाज के लिए प्रेरणा है।ऐसे व्यक्ति न केवल अपना मार्ग प्रशस्त करते हैं, अपितु दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनते हैं। वे यह संदेश देते हैं कि यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं।जो अपने दम पर जीते हैं, वे दूसरों से अलग नहीं, बल्कि अपने भीतर बसे सामर्थ्य को पहचान लेते हैं। उनका सफर कठिन अवश्य होता है, पर वही सफर इतिहास बन जाता है। इस वाक्य में आत्मनिर्भरता, संघर्ष और आत्मविश्वास तीनों के भाव झलकते हैं। "जो व्यक्ति दूसरों के सहारे नहीं, बल्कि अपने परिश्रम, साहस और निश्चय से आगे बढ़ते हैं, उनका जीवन सामान्य नहीं होता। उनका हर कदम अनुभव, प्रेरणा और गर्व की कहानी बन जाता है।

 - डाॅ.छाया शर्मा, 

अजमेर - राजस्थान

      खुदी को कर बुलंद इतना,हर तकदीर से पहले कि खुदा बंदे से खुद पूछे तेरी रजा क्या है, यह पंक्तियाँ साफ साफ बता रही हैं कि व्यक्ति को  इतना दृढ़, मेहनती व चतुर होना चाहिए कि भाग्य लिखने वाला विधाता भी आपकी इच्छा पूछने आए कि आपको किस चीज की जरूरत है कहने का भाव जब व्यक्ति अपने दम पर जीता है तो उसके रास्ते खुद व खुद खुल जाते हैं उसके प्रयास उसे अपनी मंजिल तक पहुंचा देते हैं और उसकी अलग ही‌ दुनिया होती है अपने पर दृढ़ विश्वास  उसे किसी खास मुकाम पर पहुंचाने में कामयाबी  देता है तो आईये आज  इसी पर चर्चा करते हैं कि जो अपने दम पर दुनिया में जीते हैं उनका सफर कुछ खास होता है, यह शत प्रतिशत जांची व परखी हुई बात है कि अपने दम  पर जीने वालों का सफर खास होता है क्योंकि ऐसे लोगों में आत्म निर्भरता, चुनौतियों से लड़ने की‌ हिम्मत और खुद की काबिलियत पर इतना विश्वास होता है कि उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होता ऐसे लोग दुसरों के सहारों की बजाय अपने इरादों और कड़ी मेहनत तथा अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी के साथ आगे बढ़ने में माहिर होते हैं जिससे उनका जीवन व जिंदगी का‌ सफर कुछ खास तरह का  मोड़ लेता है क्योंकि ऐसे लोग अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पूरी करने के लिए खुद पर निर्भर रहना सीखते हैं तथा‌ चुनौतियों का डट कर मुकाबला करते हैं माना कि ऐसे लोगों का रास्ता मुश्किल होता है लेकिन जब वो अपने हौंसलों से आगे बढ़ते हैं तो उन्हें मिलने वाली सफलता कुछ खास होती है ,सच भी है जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है दुसरों के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे  उठाये जाते हैं कहने का भाव  जीवन का असली  अर्थ खुद के बल पर जीना है,जो लोग जीवन के खुद निर्णय लेते हैं उनकी जिंदगी के पल कुछ खास मायने रखते हैं वो दुसरों पर निर्भर नहीं रहते अपने आत्म सम्मान को बढावा देकर चलते हैं तथा अपने जीवन को पूरे नियंत्रण  में रख कर खुद के दम पर जीते हैं और उनको एहसास होता है कि उनको अपनी जिंदगी अपने दम पर जीनी है,सत्य भी है जो व्यक्ति अपने कदमों की काबिलियत पर  विश्वास रखता है वोही सफलता ग्रहण करता है,अन्त में यही कहुंगा कि व्यक्ति को अपनी जिंदगी अपने साहस,प्रभावों और विचारों के अनुसार जीनी चाहिए न कि दुसरों के‌‌ सहारे क्योंकि जीवन मे आत्मनिर्भरता और दृढ़ता जरूरी है सत्य भी है अपने दम पर जीने का सफर आत्मनिर्भरता, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी से भरा होता है यहां हमे खुद अपने फैसले लेने होते हैं,जिनका कोई मुकाबला नहीं होता और ऐसा सफर आनंदमय व खास होता है  और ऐसे लोग सर उठा कर जीना जानते हैं,शायद उन की गूंज यही कहती है,न मुँह छुपा के जिओ,न सर झुका के जिओ,गमों का दौर भी आये तो मुस्करा के जिओ।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

     बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि अपना हाथ, जगन्नाथ. भरोसा हो तो अपना, किसी और के दम पर दुनिया में जीना भी क्या जीना! मुंह ही ताकते रह जाते हैं. जो अपने दम पर दुनिया में जीते हैं उनका सफ़र कुछ खास होता है, क्योंकि एक तो वे किसी और पर निर्भर नहीं होते हैं, दूसरे उनको अपनी अपने अनुसार अपनी उन्नति करने का अवसर मिलता है, जो कि सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है. इसलिए-

अपने दम पर जियो,

अपने सफ़र को खास बनाओ,

सफलता चरण चूमेगी,

मन की दुनिया झूमेगी.

 - लीला तिवानी 

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

       हमारे जीवन में इतनी आवश्यकताएं होती हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए हमें औरों का सहयोग लेना ही पड़ता है। भले ही बदले में  प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उसकी कीमत चुकानी पड़ती हो। इन्हीं आवश्यकताओं में एक रूप  ऐसे सहयोग का भी होता है जिसे लेने वाला मदद और देने वाला एहसान समझता है। यही मदद और एहसान का रूप जीवन के लिए कई बार त्रास देने वाला साबित हो जाता है। अक्सर ऐसे मदद देने वाले लोग कई बार एहसान जताते हैं और दबाव बनाते हुए भी नजर आते हैं। इसलिए कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी भी स्थिति और परिस्थिति में स्वयं की योग्यता , समझ और विवेक से   अपनी समस्या या अपनी आवश्यकता का निदान खुद ही कर लेते  हैं और मदद या एहसान से अपना बचाव कर लेते हैं। इससे वे किसी के एहसान के दबाव में नहीं रहते और स्वच्छंद मस्त मौला बनकर रहते हैं। यानी जो अपने दम पर दुनिया में जीते हैं। उन का सफर कुछ खास होता है।

  - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

    जो अपने दम पर दुनियां में जीते हैं , उनका सफर कुछ खास होता है ... कुछ खास इसलिए होता है क्योंकि वे अपने दम पर जीते हैं , उनमें आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा होता है , स्वाभिमान से वे जीते हैं , मेहनत करते हैं , ईमानदार होते हैं व स्वयं की मेहनत के दम पर कामयाबी हासिल करते हैं !! ऐसे लोग परिश्रम करते हैं , हर संभव यत्न करते हैं , व चैन की नींद सोते हैं !! इनका सफर इसलिए खास होता है क्योंकि मेहनत का फल सदा सफलता या कामयाबी से जुड़ा होता है  !! इस कामयाबी का मजा ही कुछ खास इसलिए भी होता है क्योंकि इस सफर की डगर सत्यता , निष्ठा , लगन पर आधारित होती है !! 

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

     जो अपने दम पर दुनियां में जीते हैं उनकी बात ही कुछ और होती है. जिधर जाते हैं उधर उनकी ही तारीफ होती हैं. हर जगह उनकी मिशाल दी जाती है. अपनी और लोगों की नजर में वे ऊँचे स्थान पर रहते हैं. अपने दम पर दुनियां में जीने वाले जो चाहे वो कर लेते हैं. वो किसी चीज के लिए या किसी काम के लिए किसी पर बोझ नहीं बनते या किसी का मुहताज नहीं होते हैं. उनका सफर बहुत ही खास होता है. शान की जिंदगी जीते हैं वे लोग जो अपने दम पर अपना मुकाम हासिल करते हैं. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "

कलकत्ता - पं. बंगाल 

    ऐसी बातें हमें आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाती है और यह पूर्ण तरीके से सही है। जो आत्मनिर्भर होता है उसे खुद पर पूर्ण विश्वास होता है कि अपने संघर्ष, परिश्रम एवं जीवन में आने वाली कठिनाईयों, चुनौतियों का सामना कर मैं अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लूंगा। अपने दम पर ,स्वावलंबी बन जो अनूठा कार्य हम करते हैं ,वहीं हमें खास बना देता है। पिता की संपत्ति से तो हम आगे बढ़ जाते हैं किंतु आत्मनिर्भरता का जन्म तभी होता है जब हमारा सफर  स्वयं के संघर्ष, मेहनत एवं आत्मविश्वास के साथ बुलंदीयों को छूते हुए सम्मानित होता है । यही व्यक्ति का व्यक्तित्व है। व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसे खास बनाता है। जो आत्मनिर्भर होते हैं वे जीवन में अपनी खास जगह बना ही लेते हैं। जो अपने दम पर जीते हैं ,वे कभी हार नहीं मानते।  आत्म-विश्वासके साथ जीत हासिल कर सफर को खास बना ही लेते हैं।

 - चंद्रिका व्यास  

मुंबई - महाराष्ट्र

     यह तो शानदार संवाद है, दमदार बात है। विचार कीजिए है कोई ऐसा जो सिर्फ अपने दम पर जीता हो। उत्तर होगा शायद नहीं। जन्म और बाल्यावस्था में सब माता पिता पर आश्रित रहते हैं,दम ही कहां होता है शरीर में। फिर जब दम आता है तो आश्रित हो जाते हैं समाज के विभिन्न वर्गों पर,यथा - नाई, मोची, धोबी,दर्जी, सब्जी वाला,कपड़े वाला,बढ़ी आदि। फिर जीवन के विभिन्न चरणों में विभिन्न अवसरों पर कितने ही लोगों की सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है।उस सेवा का पारिश्रमिक भुगतान कर अपने दम पर जीने का दम भरना,एक मजाक और खुद को धोखा देने जैसा ही है। संसारी मानव की,जीव जंतुओं की बात तो छोड़िए, अवतार भी अपने ही दम पर दुनिया में न रह सके,उनको भी समाज की आवश्यकता पड़ी।समाज को साथ लिया,उसका साथ दिया तभी उनका सफर खास बना।तो अपने दम पर सफर खास होने की बात दिवास्वप्न जैसी ही है।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

     दूसरों के सहारे जीने वाले व्यक्ति अपनी ही नज़रों में गिरे रहते हैं। वे कभी स्वयं काम नहीं करते, उन्हें आदत पड़ जाती है दूसरों के सहारे जीने की। दूसरों के सहारे जीना भी क्या जीना है। अपने दम पर जीने वाले शहंशाह होते हैं।व्यक्ति सिर्फ पैसे से ही अपने दम पर नहीं जीता, एक फकीर भी बादशाह होता है। बस! कभी भी हिम्मत मत हारो, सोच समझकर कर्म करोगे तो कड़े परिश्रम  का फल भी अच्छा मिलेगा क्योंकि जो लोग पुरुषार्थ करके अपने दम पर दुनिया में जीते हैं उनके जीवन के सफ़र का आनंद ही कुछ ओर होता है। 

- डॉ. संतोष गर्ग 'तोष '

पंचकूला - हरियाणा 

     जो अपने दम पर दुनियां में जीते हैं, उन का सफ़र कुछ खास होता है,   हकीकत यही है। कई ऐसे होते है जो चरण वन्दना, परीक्षा में नकल करते हुए आगे बढ़ते हुए जाते है, इनके निर्णय अक्षम होते है, इनके मन में हमेशा डर सा समाया हुआ रहता है,  कई ऐसे होते है जो शनैः-शनै: आगे बढ़ते जाते है, इनकी अलग ही पहचान होती, इनकी कर्म ही पूजा होती है, जो शून्य से शिखर की ओर बढ़ते है और निर्णय लेने में सक्षम होते है, स्वविवेक कार्य निष्पक्ष किसी भी क्षेत्र में करने मूल स्वरूप रहता है, बकवास कम, काम ज्यादा करने की कार्य शैली रहती है। 

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

          बालाघाट- मध्यप्रदेश

    जो अपने दम पर दुनिया में जीते हैं,उनका आत्मविश्वास प्रबल होता है स्वाभिमानी प्रवृति के होते हैं। सकारात्मक सोच रखकर जीवन पथ की ओर बढ़ते चले जाते हैं।मेहनत करते हैं, कर्म पर भरोसा रखते हैं।किसी का एहसान में जीना पसंद नहीं करते।जो भी है उनके पास संतोष रहते हैं। दिखावे में जीना,किसी से मदद मांगना उनकी फितरत में नहीं होती। एकाग्रता से भगवान को सुमिरन कर दुनिया जीते हैं।जो भी परिस्थितियां निर्मित होती सबका डटकर मुकाबला करते हैं। सुख-दुख दोनों को झेलने की क्षमता रखते हैं। अपने पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर दुनिया में जीते हैं।अपना प्रेम व्यवहार,अपनी सोच, भावनाओं पर अडिग रहते हैं।किसी के बहकावे में आना गवारा नहीं। अपने जज्बा व जुनून का लोहा मनवाते हैं। अपना सफर खुद तय करते हैं। गंतव्य तक पहुंचने में सारी बाधाओं को पार लगाते हैं।कभी किसी से टकराते हैं,उनसे उलझते नहीं,बल्कि प्रेम भाव से किनारा काट लेते हैं। दुनिया उनकी सोच, स्वाभिमान की मुक्त कंठों से प्रशंसा करती है।अपनी हुनूर खुद तरासते हैं। अपने गुण-दोष बखूबी से परखते हैं।सफर जिंदगी का कैसे सुखद हो,ये भली- भांति जानते हैं।हर आने वाली झंझावतों से जूझने को तत्पर रहते हैं। अपनी शक्ति, सामर्थ्य, योग्यता, स्थिति, परिस्थिति से वाकिब होते हैं। क्या भला- क्या बुरा इनका ज्ञान होता है। तदनुसार कदम बढ़ाते हैं।अपना मुकाम हासिल करते हैं।सफर को खास बनाते हैं। हमेशा आनंद का अनुभव करते है।

- डॉ. माधुरी त्रिपाठी 

रायगढ़ - छत्तीसगढ़ 

     जो व्यक्ति अपने बल पर संसार में जीवनयापन करते हैं, वे किसी दीपक की लौ नहीं, अपितु पूर्ण सूर्य के समान आलोकित होते हैं।   विरोधी उनके तेज को निस्तेज नहीं कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तित्व न तो सत्ता के चरणों में झुकते हैं, न ही धन अथवा अनुशंसा के सहारे अपना अस्तित्व गढ़ते हैं। वे अपने पुरुषार्थ, चिंतन और आत्मबल के आधार पर उस शिखर तक पहुँचते हैं, जहाँ पर्वत भी उन्हें नमन करते हैं। जब समाज में असत्य सुसज्जित शब्दों में बिकता है और सत्य नंगे पाँव रक्तरंजित होकर चलता है, तब यही साहसी आत्माएँ न्याय और सत्य की ज्योति बनकर मानवता का पथ आलोकित करती हैं।व्यंग्यात्मक दृष्टि से कहूँ तो आज उस भारतभूमि में, जहाँ “भ्रष्टाचार” को योग्यता और “सत्यनिष्ठा” को न केवल मूर्खता, अपितु पागलपन का पर्याय समझा जाने लगा है, वहाँ एक सच्चा मनुष्य अपने एकाकीपन को भी सम्मान में रूपांतरित कर देता है। क्योंकि उसे ज्ञात है कि भीड़ से टकराने वाला ही भीड़ से बड़ा होता है।जो भी अपने बल पर जीवन जीते हैं, उनके चरणों की ध्वनि मृदुल अवश्य होती है, परन्तु वह इतिहास के पृष्ठों तक गूँजती है। उनकी दृढ़ता की प्रतिध्वनि यह उद्घोष करती है कि ऐसे यशस्वी कर्मवीर ही समाज को दिशा प्रदान करते हैं। उनकी प्रत्येक ठोकर उन्हें और सुदृढ़ बनाती है, और उनके विरोधी ही अनजाने में उन्हें प्रसिद्धि प्रदान करते हैं।अतः जो अपने पुरुषार्थ से जीवन जीते हैं, निस्संदेह वे किसी पुरस्कार के नहीं, बल्कि इतिहास के अलंकार बन जाते हैं। ऐसे जीवन का स्वाद चखने वाले वास्तव में असाधारण प्रवृत्ति और विलक्षण प्रकृति के होते हैं। 

- डॉ. इन्दु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू)- जम्मू एवं कश्मीर

        जो अपने दम पर दुनिया में जीते हैं---उनका सफर खास तो होता है निःसंदेह लेकिन दुनिया की अपेक्षाएं भी उनसे खास होती हैं। आम लोग अपनी जिंदगी के जिन मोडों पर हताश होने की कगार पर पहुंच जाते हैं उन मोडों पर ये सेल्फ मेड सेल्फ कांकर्ड लोग दुनिया मेरे ठेंगे पर वाले भाव से आगे बढते हैं अपनी सीमाओं को जानते हुए भी। दुनिया के सामने अपनी मिसाल आप बने ये लोग भीतर और बाहर दो व्यक्तित्वों का संगम होते हैं। एक ओर अपनी डफली अपना राग रखते हैं दूसरी ओर अपने अंतस्तल की भनक भी नहीं लगने देते किसी को। दुनियां के दरबार में इनका सरल व्यक्तित्व वास्तव में अभेद्य होता है। आसानी से घुलमिल जाते हैं आम लोगों में लेकिन अपनी उच्चता का भाव इनके क्रिया-कलाप में सहज दृष्टिगोचर होता है। तात्पर्य यही कि मन की पर्तों के भीतर खिलते हैं ये अपने भीतर की गवाहियां के साथ जो आम होते हुए भी कुछ खास होते हैं

- हेमलता मिश्र मानवी 

नागपुर - महाराष्ट्र 

           जो इंसान अपने दम पर जीते हैं।वे दुनिया में नाम करते हैं। हमें परिश्रमपूर्वक कार्य कर,नेक कार्य कर अपने देश की सेवा में तत्पर रहना चाहिए। परिश्रम का फल मीठा होता है।जो मनुष्य परिश्रम करेगा।वह आगे बढ़ेगा। हमलोगों को स्वावलंबी बनना चाहिए।तब सभी आगे बढ़ेंगे।नाम होगा।जो मनुष्य अपना जीवन का सफर स्वयं तय करते हैं। परिश्रम और संघर्ष करते हैं।वह अवश्य सफ़ल होते हैं।स्वयं किए कार्य लाभदायक होते हैं।जो व्यक्ति अपना सफ़र खुद तय करते हैं।चाहे परिस्थितियां कुछ भी हो।जो इंसान मुसीबत से नहीं घबराते उनकी जीत पक्की है। हमें अपने दम पर दुनिया में जीना चाहिए।किसी के सहारे जीना अच्छी बात नहीं है।जो मनुष्य अपने दम पर जीते उनका जीवन खास होता है।उनका सफर महत्वपूर्ण होता है।वे सभी के प्रेरणा स्रोत होते हैं।

 - दुर्गेश मोहन

पटना - बिहार

 " मेरी दृष्टि में" जीवन का सफ़र सभी का एक सा नहीं होता है। कर्म के अनुसार जीवन मिलता है।  कर्म सभी के एक से नहीं होते हैं। फिर जीवन का सफ़र एक जैसा कैसे हो सकता है।  फिर दुनियां में लोगों की सोच एक सी नहीं होती है। 

               - बीजेन्द्र जैमिनी 

           (संचालन व संपादन)

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