भविष्य की कल्पनाएं अपने हाथ में होती है। जिससे भविष्य तैयार होता है। कल्पनाओं को उड़ान देनी चाहिए। जिससे कल्पनाओं को साकार रूप दिया जा सके। तभी भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ विचारों को पेश करते हैं :- भविष्य की कल्पनाओं का है सागर, फिर अंधेरे में नहीं हो सकता है भविष्य...यह केवल मान्यता नहीं पूर्णतः सत्य है जब हमारी कल्पना, और हमारी रचनात्मक सोच यानी हमारे ज्ञान का विशाल भंडार दोनों मिलकर किसी योजना को मूर्त रुप देते हैं तो हमारा भविष्य उज्जवल होता है चूंकि यही कल्पना एवं ज्ञान ही हमारे नई योजनाओं, संभावनाओं को देखने और चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा शक्ति बन जाती है। और इसी कल्पना और ज्ञान की शक्ति का निर्धारण हम वर्तमान में कर लेते हैं, जो हमारे भविष्य को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाता है। यानी भविष्य में आने वाली मुसीबत को रोकने का (खाका)उपाय हम वर्तमान में ही अपनी कल्पना एवं ज्ञान शक्ति से बना लेते हैं, जिससे हमारा भवि...