त्रिलोचन शास्त्री स्मृति सम्मान - 2025

        मनुष्य के लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी ताकत है। जो इंसान स्वास्थ्य नहीं है। वह नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। जीते जी नरक का सामना करना पड़ता है। उस का परिवार भी नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। स्वास्थ्य ही जीवन का आधार है। जैमिनी अकादमी की श्रृंखला में दिया गया विषय अपने आप में महत्वपूर्ण है। अब आयें विचारों को देखते हैं :-
        स्वस्थ जीवन ही जीवन का आधार हुआ करता है।  स्वस्थ जीवन जीने के लिए जीवन में नियमितता, खान- पान में ध्यान, प्रातः जल्दी उठने की आदत, योग और ध्यान, आध्यात्मिकता का भाव, सहज एवं सरल रहने की क्रिया, दिन भर की दिनचर्या में भाग दोड़ की जिंदगी में समय निकाल कर हल्का-फुल्का आराम एवं हल्का-फुल्का खान पान का ध्यान रखकर जीवन जिया जाए तो स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। व्यक्ति स्वस्थ है उसका काम में मन लगेगा दिनभर की उसकी दिनचर्या मस्त जीवन यापनके साथ उसके जीवन को आगे बढ़ाएगी। हमेशा प्रयास रहना चाहिए कि हम सदैव निरोगी रहे। स्वस्थ जीवन ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है इसलिए कहा गया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा साथी स्वास्थ्य है। अस्वस्थ शरीर होता है तो काम में मन नहीं लगता,  दिन भर के वर्क मेंकमी हो जाती है और अपना जीवन स्वयं को नरक जैसा होना महसूस होता है। अंत में यही कहना चाहूंगा की हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखकर निरोगी रहने की कोशिश करते रहना चाहिए।

       - रविंद्र जैन रूपम       

         धार - मध्य प्रदेश

          सच मे स्वास्थ्य से बड़ा कोई सुख नही  । मनुष्य का सबसे बड़ा साथी स्वास्थ्य है ,बिना स्वास्थ्य के जीवन नरक है  । ये कहावत  है कि ,पहला सुख निरोगी काया । कोई भी आदमी तभी अपने जीवन का पूरा आनंद उठा सकता है जब वह शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहें। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है ।इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक स्वास्थ्य अनिवार्य है । ऋषि यों ने कहा है , शरीर मादयम खलु धर्म साधनम् , अर्थात शरीर ही धर्म का श्रेष्ठ साधन है । यदि हम धर्म में विश्वास करते हैं और स्वयं को धार्मिक कहते हैं तो अपने शरीर को स्वस्थ रखना होगा ,यही हमारा पहला कर्तव्य है। अतः यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो जीवन दूभर शुरू हो जाता है। वाकई पहला सुख निरोगी काया ही है। आजकल अच्छा स्वास्थ्य भगवान के दिए हुए एक वरदान की तरह ही है । अच्छा स्वास्थ्य एक व्यक्ति के जीवन भर की कमाई जाने वाली सबसे कीमती आय होती है । यदि कोई अपना स्वास्थ्य खो देता है तो जीवन के सभी आकर्षण को खो देता है । अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमें नियमित शारीरिक व्यायाम ,योग ,ध्यान ,संतुलित भोजन ,अच्छे विचार ,स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता, नियमित चिकित्सकीय जांच ,पर्याप्त मात्रा में सोना और आराम करना होता है।बिल्कुल सत्य है कि स्वास्थ्य ही धन है ,क्योंकि हमारा शरीर ही हमारी हर अच्छी और बुरी तरह की परिस्थितियों में हमारे साथ रहता है । इस संसार में कोई भी हमारे स्वास्थ्य की तरह हमारा साथ नहीं दे सकता । यदि स्वास्थ्य ठीक है तो हम अपने जीवन में किसी भी बुरी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। यदि कोई स्वसस्थ नही तो वह अवश्य ही जीवन का आनंद लेने के स्थान पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह से जीवन में पीड़ित रहेगा ।स्वास्थ्य ही धन है ,यह सत्य है। अच्छा स्वास्थ्य हमारी वास्तविक दौलत है जो हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाता है। अच्छा स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। यह हमारी सभी पहलुओं में मदद करता है। एक शारीरिक और आंतरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को अपने पूरे जीवन भर बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, यहां तक कि उसे अपनी नियमित आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए किसी और पर निर्भर रहना पड़ता है। उस व्यक्ति के लिए स्थिति बहुत शर्मनाक होती है जो इन सब का सामना कर रहा होता है ।इसलिए सभी प्रकार से खुश रहने के लिए अपने सभी कार्यों को स्वयं करने के लिए स्वास्थ्य को बनाए रखना जरूरी है।‌ यह भी सत्य है कि अच्छे स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए धन की आवश्यकता होती है ,और धन कमाने के लिए अच्छे स्वास्थ्य की। लेकिन हमारा अच्छा स्वास्थ्य हर समय हमारी मदद करता है हमें धन कमाने के साथ और भी कुछ अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस तरह स्वस्थ जीवन और सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना  जरूरी है । स्वस्थ रहने के लिए नियमित देखभाल और चिकित्सीय जांच की आवश्यकता होती है ,इसलिए शरीर की सभी जटिलताओं से छुटकारा पाने के साथ ही जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना परम आवश्यक है 

 - सुषमा दीक्षित शुक्ला

  लखनऊ - उत्तर प्रदेश 

        जीवन में सुख के आकलन और क्रमबद्धता में निरोगी काया को प्रथम स्थान दिया गया है।  यह सच्चाई भी है, यदि हम स्वस्थ हैं तो हमारे लिए सभी रास्ते खुले हैं। स्वस्थ होंगे तो हम उत्साहित  रहेंगे। हम में न निराशा होगी, न आलस्य, न असुरक्षित होने का भय। अस्वस्थता हमें हतोत्साहित, निराश और कमजोर करती है।हम डरे-डरे से ,घबराए हुए परेशान रहते हैं। संबंधित बीमारी की पीड़ा भी हमें क्लेश पहुंचाती रहती है। बैचेन करती रहती है। हम किसी कार्य को करने में असमर्थ रहते हैं। यहाँ तक कि हमें अपने व्यक्तिगत कार्य को पूरा करने के लिए सहारे की आवश्यकता पड़ती है। यानी हमारी स्थिति दयनीय होती है।बिल्कुल नरकीय जैसी।  इसीलिए तो माना गया है कि बिना स्वास्थ्य के जीवन नर्क है। इन सब को देखते हुए हमें अपने स्वास्थ्य पर न केवल ध्यान रखने की नितांत आवश्यकता है, बल्कि खान-पान आदि में सजग भी रहना है। 

      - नरेन्द्र श्रीवास्तव

   गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

      ये सच है कि मनुष्य का सबसे बड़ा साथी स्वास्थ्य है व अच्छा स्वास्थ्य हमें वो सब  हासिल करने मैं सहायता करता है जो हम पाना चाहते हैं व हमें लक्ष्य की ओर द्रुतगति से ले जाता है !! बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीवन काफी कठिन हो जाता है व कितने ही अधूरे कार्य पूर्ण नहीं हो पाते !! जब तक हमें इस बात का ज्ञान होता है , तब तक हम स्वास्थ्य खो  चुके होते हैं !! इसलिए जब हमारा स्वास्थ्य ठीक होता है या बेहतर होता है , हमें अपना लक्ष्य पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि बाद मैं केवल पछतावे रह जाते हैं !!

      - नंदिता बाली 

   सोलन -हिमाचल प्रदेश

       कहा जाता है " स्वास्थ्य ही धन है।" मनुष्य को शारीरिक एवं माानसिक रूप  दोनों से स्वस्थ होना चाहिए। स्वस्थ मनुष्य को संतुलित आहार की आवश्यकता है। संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन ,वसा ,विटामिन्स एवं खनिज आता है। वह भी संतुलन में होना चाहिए।संतुलित आहार लेने के बाद भी मनुष्य बीमार पड़ता है तो उसके पीछे कारण यही है कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है।देश का प्रत्येक मनुष्य मानसिक रूप से बीमार है,जिस कारण बाजार में दवा की दुकान जेब गर्म कर रहा है। मनुष्य की आयु घट रही है। इसलिए मनुष्य को स्वस्थ वातावरण में ही रहकर मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। अगर व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ है तो संतुलित आहार लेकर शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहेगा। तब ही "स्वास्थ्य ही धन  है"कि सार्थकता होगी।

  - डॉ.सुधांशु कुमार चक्रवर्ती

          हाजीपुर - बिहार

      बिल्कुल सही ! स्वास्थ्य वास्तव में मनुष्य का सबसे बड़ा साथी है। जब हम स्वस्थ होते हैं, तो हम अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं । और अपने प्रियजनों के साथ समय बिता सकते हैं। और जब हम बीमार पड़ते हैं  तो तीमारदार भी कुछ दिन ही  सेवा करने के बाद अलकसा जाता है।। मनुष्य का सबसे सच्चा साथी उसका स्वास्थ्य ही है क्योंकि जिस दिन स्वास्थ्य ने हाथ छोड़ा,   मनुष्य हर रिश्ते पर बोझ बन जाता है, स्वास्थ्य के बिना, जीवन वास्तव में बहुत कठिन और असहनीय हो सकता है। बीमारी और दर्द हमें अपने दैनिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।कहा भी है

धन गया ...तो कुछ नहीं गया, 

स्वास्थ्य गया...तो बहुत कुछ गया। 

चरित्र गया........तो सब कुछ गया। 

अत:  योग से इस तन मन की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। 

इसलिए, स्वास्थ्य का ध्यान रखना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अपने आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकें। मेरी राय में  स्वास्थ्य वास्तव में जीवन की सबसे बड़ी निधि है।

  - रंजना हरित 

 बिजनौर - उत्तर प्रदेश 

         स्वास्थ्य जीवन है, स्वास्थ्य ही धन है, स्वास्थ्य से परे न उन्नति, न अमन है, अगर स्वास्थ्य की बात करें तो स्वास्थ्य  जीवन ही मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धन कहा गया है क्योंकि स्वास्थ्य के बिना इंसान जीवित नरक भोगता है यह एक ऐसा अनमोल धन है जिसके बगैर  संतोष नहीं हो सकता इंसान बैचेन रहता है , सेहत के बिना कोई भी कार्य सही नहीं हो  पाता और किसी भी कार्य में मन नहीं लगता चाहे हमारे पास ढेरों सुख सुविधा हों अगर सेहत नहीं है तो सब बेकार हैं, यह सत्य है चलता फिरता इंसान ही सब को अच्छा लगता है जब उसकी सेहत इजाजत नहीं देती वोही इंसान सब को काँटों की भाँति चुभता है, नजदीक से नजदीक का रिस्ता भी उसका साथ छोड़ देता है, चाहे उसके पास लाखों करोड़ों की दौलत हो वो उस इंसान के किसी काम की नहीं रहती जिसके पास सेहत नहीं होती, सच में अच्छा स्वास्थ्य केवल शरीरिक बनावट पर ही नहीं निर्भर करता इससे आत्मा संतुष्टि, मानसिक शांति और व्यवहार पर भी असर पड़ता है, इसलिए स्वास्थ्य व्यक्ति की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, हमें सब कार्य छोड़ कर स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और नियमपूर्वक इसकी  तरफ ध्यान देना चाहिए और ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जिनसे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़े  चाहे खान पान की बात हो,  लड़ाई झगड़े की बात हो या रहन सहन के ढंग तरीकों की बात हो  कहने का भाव ऐसा कोई भी कार्य करने से परहेज करना चाहिए जिनसे हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़े और ऐसे नियम कभी नहीं तोड़ने चाहिए जिनसे हमारी सेहत कायम रहे चाहे प्रात काल भ्रमण की बात हो, कसरत की बात हो या योग आसन का अभ्यास हो हमें ऐसा हर कार्य अपनाना होगा जिससे हम तन्दरुस्त रहें, अन्त में यही कहुँगा  कि सेहत से बढ़कर कोई खजाना नहीं है, इतना खजाना किसी के पास भी नहीं है जो हमारे शरीर का एक भी अंग जैसा था बैसा खरीद सके या बना सके इसलिए जो हमें भगवान की तरफ से अनमोल खज़ाना मिला है, हमें उसे बढ़ा तो सकते नहीं लेकिन अगर उसकी रखवाली भी ऱखें तो हम से ज्यादा कोई सुखी नहीं हो सकता इसलिए सुखी जीवन के लिए सेहत से बढ़कर कोई खजाना नहीं है, और सेहत के बगैर हमारा जीवन जीते जी नरक की भाँति है, तभी तो कहा है, पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया, तीजा सुख कुलवंती नारी, चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी, कहने का भाव सेहत ही जीवन है। 

 - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

     जम्मू - जम्मू व कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से परिवार की जमा पूंजी भी खत्म होने लगती है। जो परिवार की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। स्वास्थ्य के लिए सरकार भी अनेंक योजनाएं चलातीं है।‌ जिससे गरीब या मध्यम परिवार को कुछ राहत मिल अवश्य जाती है। परन्तु परिवार फिर भी बहुत अधिक परेशानी का सामना करता है। 

        - बीजेन्द्र जैमिनी 

     (संचालन व संपादन)


Comments

  1. मनुष्य का सबसे बड़ा साथी स्वास्थ्य है. कहा भी गया है कि "एक स्वास्थ्य एक, हजार नियामत''. बिना स्वास्थ्य की जीवन नरक हो जाता है, इसमें कोई संदेह नहीं है. अस्वस्थ व्यक्ति सब सुख होते भे भी उनका आनंद नहीं उठा पाते. वे अपने स्वास्थ्य को लेकर हर समय चिंतित रहते हैं, इसलिए वे सुख को भोग पाने में असमर्थ हैं. तभी कहा गया है- "मनुष्य का सबसे बड़ा साथी स्वास्थ्य है.''
    - लीला तिवानी
    नई दिल्ली
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी