क्या कल किसी ने कभी देखा है ?

कल आज तक नहीं आया है । जो कल का इतंजार करते हैं । वह जीवन में पीछे रहते हैं । ऐसा सभी कहते हैं । इसलिए आज पर विश्वास करना चाहिए । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब l 
पल में प्रलये होयगी, बहुर करेगो कब ll
   कल को किसी ने नहीं देखा है l कोई नहीं जनता है कि अगले ही पल हमारे साथ क्या घटने वाला है l अतः काम और समय की पाबंदी हमारा जीवन का लक्ष्य होना चाहिए l कल की नींव आज पर ही अवलम्बित है l अतः वर्तमान में जीना और कल को सुरक्षित करना ही श्रेष्ठ है l
"हवा खुद हवा के खिलाफ है,
आज दिये जलाओ कल के लिए l
कल आइनों का जश्न हुआ था
तमाम रात मगर कल के आग़ोश में लिपटे तमाशबीनों को पत्थर नहीं मिले ll
            -----चलते चलते
जिंदगी एक सफ़ऱ है सुहाना
जहाँ कल क्या हो किसने जाना
मुस्कराते हुए दिन बिताना
यहाँ कल क्या हो किसने जाना l
       - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
विज्ञान तो 'कल' को देखने की शक्ति रखता ही है परन्तु बात यदि मानव मन की जाये तो यही कहूंगा कि मानव मस्तिष्क की अवचेतना में कल के सन्दर्भ में बहुत सारी धारणाएं छिपी होती हैं जो समय-समय पर उभरती हैं और आज में कल को दर्शित करती हैं। बात बस यह है कि हम अपने वर्तमान से जितना जुड़े रहेंगे उतना ही हमें कल दिखाई देगा। 
कल को वही देख पाता है जो आज की सार्थकता को समझता है। मेरी समझ में 'कल' से तात्पर्य भविष्य से है। वर्तमान को संवारकर जीने वाला मनुष्य 'कल' यानि भविष्य की रूपरेखा की नींव रखता है। आज जिस कल की रूपरेखा रची जाती है वह कल की संभावनाओं के दृष्टिगत होती है। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
      " कल " दो हैं ।एक जो बीत गया और एक जो आने वाला है ।जो बीत गया उसे सब ने देखा, हमने भोगा। 
अब बात है आने वाले कल की तो इसके भी मत मतांतर हैं। कै कहते हैं कि " पूत के पाँव पालने में दिखते हैं"अर्थात बालकाल के व्यवहार को देखकर बालक के भावी जीवन को विद्वान जन जान जाते हैं ।
    दूसरे मतानुसार कल किस ने देखा है। जो भी है वो आज है। वर्तमान है। "काल करे सो आज कर
,आज करे सो अब,पल में प्रलय होएगी ,बहूरि करेगा कब"   यह सिद्ध करता है कि कल क्या होगा यह निश्चित नही है इसलिए भूतकाल से सीख कर वर्तमान को सही दिशा देना ही जरुरी है । हम अपने आने वाले कल को पूर्णतः तो नहीं देख सकते पर उस की झलक तो हमे दिख ही जाती है ।
  भगवदगीता में भी कहा गया है कि कर्म करना हमारा कर्तव्य है शेष हरि ईच्छा। 
   -  डा.नीना छिब्बर
       जोधपुर - राजस्थान
*हां* हमारे देश मे भूतकाल के समय ऐसे कई साधु संत हुए हैं जो आंख बंद कर अतीत और भविष्य में झांक लेते थे।
वेद पुराणों में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है जिसमें कहा गया है कि ब्रह्मलोक गया और वह धरती पर पुनः लौटा तो यह एक युग बीत चुका है। 
वर्तमान समय में हर व्यक्ति भविष्य के लिए काम में व्यस्त हैं। और भविष्य की जानकारी सबको है।
लेखक का विचार :--वैज्ञानिक इसी की खोज में लगे हुए है जैसे भी वेद, उपनिषद ,गीता ,पुराण अध्ययन में लगे हुए हैं आशा है एक दिन अविष्कार  में  भी सफल होंगे। जैसे :-- टीवी, इंटरनेट मोबाइल इत्यादि की आविष्कार किए हैं उसी प्रकार कल के बारे में भी आविष्कार कर लेंगे।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
यह तो ऐसी ही बात हो गई कि क्या भगवान को किसी ने देखा है ? जिस प्रकार प्रभु को पाने के लिए हम इसी जन्म में अच्छे कर्म ( सेवा ,दया ,धर्म पूजा पाठ करना एवं अपनी इंद्रियों को वश में कर ) करते हैं ताकि हमें ईश्वर की प्राप्ती यानी मोक्ष प्राप्त हो...ठीक उसी तरह हम बीता कल तो देख लेते हैं किंतु आने वाले कल के लिए वर्तमान में ही हम तैयारी करने लगते हैं !
मानाकि हम इस बात को मानते हैं कि कब क्या हो जाये  "कल किसने  देखा है " जैसे प्राकृतिक आपदा कभी भी आ सकती है किंतु ईश्वर को पाने का प्रयत्न अच्छे कर्म कर हम पहले ही करते हैं ठीक उसी तरह आने वाले कल की तैयारी भी हम वर्तमान में कर सकते हैं ! आज पर्यावरण की जो जटिल समस्या है उसे सुधार हम आने वाले कल को सुंदर बना सकते हैं ! आने वाले कल को हम नहीं देख सकते पर बीते कल की गल्तियों से सीख  सुधार कर आने वाले कल की सुंदर कल्पना तो कर ही सकते हैं ....बाकी प्रकृति के खेल निराले....ईश्वर की लीला है
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
यदि यह बात बीते कल की है, तो सबने देखा है। और आने वाले कल की है तो किसी ने नहीं। यहां तक कि अवतारी श्रीराम भी नहीं जान सके कि आने वाले जिस कल को राजतिलक की तैयारी हो रही है, उसमें वनवास जाना होगा।इसे आप लीला कह सकते हैं,पर वास्तविकता यही है कि आने वाले कल को कोई विरला ही देख पाता है।हम आशा तो करते हैं, योजनाएं बनाते हैं,
कार्य के परिणाम का आकलन करते हैं, लेकिन आने वाला कल वैसा ही होगा, नहीं जानते।
इस संबंध में ज्योतिष कुछ सही अनुमान देता है,मौसम विज्ञानी आने वाले दिन के मौसम का अनुमान देते हैं, लेकिन उन्होंने आने वाला कल देख लिया यह नहीं कहा जा सकता। यह तो हमेशा भविष्य के गर्भ में होता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कल  को किसी ने कभी नहीं देखा। हर आने वाला दिन कल होता है और आने वाले के संबंध में किसी को कोई जानकारी या प्रत्यक्ष दर्शन नहीं होता। कल हमेशा कल ही होता है। बीता हुआ कल कभी लौटकर नहीं आता और आने वाले कल का कोई गुमान नहीं होता। पल में मंजर बदल जाता है फिर कल का क्या ठिकाना क्या होगा? कोई नहीं जानता।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
     यह सत्य हैं, कि कल किसी ने देखा नहीं और कहावत भी चरित्रार्थ हैं,  आज का काम आज करें, कल किसने देखा? हमेशा आलसियों की आदतें होती हैं, आज का काम दूसरे दिन करने की, फिर धीरे-धीरे उस काम की बढ़ोत्तरी होती जाती हैं और अनन्त समय तक वह कार्य पूर्ण नहीं हो पाता । इसलिए ज्ञानी पुरुष आज का ही काम तुरंत करना चाहता हैं और समस्त प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में सफल हो रहे हैं, अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
      शरीर नाशवान है जो हर पल मृत्यु के साये में रहता है। कबीर जी ने अपनी वाणी में कहा है:---
     पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात
देखत ही छुप जाएगा,ज्यों तारा प्रभात 
     मानव की जिंदगी का एक पल भी भरोसा नहीं तो फिर कल किस ने देखा है। इस बात को हमारे भक्ति काव्य में भी कहा है:---
   कल करना सो आज कर,आज करना सो अब
पल मे प्रलय आएगी,बहुरि करेगा कब
    इन पंक्तियों से भी स्पष्ट है कि मनुष्य के तो एक पल का भरोसा नहीं। इस लिए वर्तमान में रहते हुए वर्तमान में ही जीना चाहिए। यूँ ही भविष्य की चिंता में आज को नाश नहीं करना चाहिए। कल किसी ने कभी नहीं देखा है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
नहीं ! कल किसी ने भी नहीं देखा है। जो भी हम देखते हैं सब आज ही में देखते हैं। बिता हुआ कल भी हम आज के रूप में ही देखे हैं। इसलिए कल न किसी ने कभी देखा है न देख पायेगा।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
, कल किसने देखा यह एक भ्रामक प्रश्न है ।साधारणतया कल आता ही नहीं लेकिन इस प्रश्न का दूसरा पहलू भी है । मनुष्य अपने वर्तमान की सफल योजनाओं से आने वाले कल के परिणाम कुछ हद तक देख लेता है। वर्तमान में रहकर भविष्य के बारे में सोचना, आने वाले कल को संवारना ही है।  यह सही है कि कल किसी ने नहीं देखा लेकिन वर्तमान में रहकर आने वाले कल की तस्वीर बहुत सुंदर रेखाओं से आकार दे कर सुनहरे रंगों से भरा जा सकता है आने वाला कल एक उम्मीद है जिसको हृदय में  स्थान दिया जा सकता है। जिसके सहारे जीवन जिया जाता है। 
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
 यह सभी जानते और समझते हैं कि कोई भी हो इसका उत्तर ' नहीं ' ही होगा। याने कि  इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि कोई ऐसा सामर्थ्यवान नहीं है जो कल के विषय में जानता है।      ज्योतिष और खगोल  विद्या से गणनाओं के आधार पर ग्रह, ग्रहण, मौसम आदि का आकलन लगाया जा सकता है, लेकिन ये ज्ञान असीम संसार के लिए सीमित ही माने जा सकते  हैं। 
अतः शेष को लेकर कल के लिए  समझदार- जन, सारे संभावित विकल्पों से सामना करने और सुरक्षित रहने के लिए यथा शक्ति और सामर्थ्य से तैयारी कर लेने का एक मात्र उपाय और बचाव मानते हैं।
   विद्वानों, बुजुर्गों और स्वयं के अनुभवों से कल याने भविष्य में हो सकने वाली संभावित आपदाओं, विपदाओं से निपटने और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सजग और सावधान रहते हुए, पैसों की बचत,खाद्यान्न का भंडारण, मकान की मरम्मत आदि विभिन्न बिंदुओं पर सुरक्षित उपाय करने में ही समझदारी समझते हैं और यथासंभव तैयार रखते हैं और ऐसा करना भी चाहिए। देखा भी गया है जो ऐसा नहीं करते, वे अपेक्षाकृत अधिक परेशान होते हैं।
सार यही कि कल किसी ने नहीं देखा और न ही देखा जा सकता अतः अनुमान लगाकर सभी विकल्पों के प्रति सजग और सचेत रहकर यथा शक्ति और सामर्थ्य से तैयार रहने में ही समझदारी है। यही जीवन का मूलमंत्र है।
  - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कल किसी ने नहीं देखा पर आज के कर्मों पर हमारा भविष्य टिका होता है ।जैसा कि हम अपने कर्मों में अपने आप को प्रतिनिधित्व करते हैं उसी प्रकार कल की बागडोर हमारे हाथों में आती है आज की परिधि को समेटकर कल की कल्पना की जा सकती है ।परंतु कल क्या होने वाला है और क्या होगा इसकी परिमाप सीमा बहुत ही अद्भुत होती है। कुछ हद तक अपने कर्मों की बागडोर को समेट कर हम अपने कल के कल्पना कर सकते हैं जैसे कि अगर आज हम अपने अतीत एवं वर्तमान की समस्याओं का समाधान करते हुए और बचत को लेकर आगे बढ़ते हैं तो हमारा कल सुनहरा हो सकता है। आज की परिमाप की सीमा को विश्वास की डोर से बांध कर बहुत ही संशोधित ढ़ग से आकंलन  होता है आज की परिकल्पना पर है कल का भविष्य टिका हुआ है ।अर्थात जीवन के अर्थात जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में संयम और संवेदनशील होना चाहिए कल की परिकल्पना करके आज के वातावरण को चिंतित नहीं करना चाहिए।  हमारे  हितेषी के लिए ही आज का अच्छा होना चाहिए। गीता में उल्लेखनीय है कार्य सार्थक संवाद के तुम व्यर्थ कल की चिंता करते हैं अभी जो हुआ है वह तुम्हारे लिए यह अच्छा है और जो होगा वह भी अच्छा है ।
कल किसी ने नहीं देखा पर अपने कर्मों के अनुसार अपने अपने जीवन के पहलुओं का आंकलन हम करते हैं कल की परिभाषा को देखने के लिए आज की वर्तमान को बेहतर होना चाहिए।
 यह सच है कि कल किसी ने नहीं देखा पर कल की अद्भुत कल्पना हम आज के सुनहरे पल से जोड़ते हैं ।अगर आज हमारा अच्छा है और हम अपने बचत की सीमा को अपने परिनिधि में बांध कर रखे हैं तो कल की रेखा मजबूत होगी। अर्थात हमारा अच्छा होगा ।आने जाने की प्रक्रिया अर्थात जन्म और मृत्यु का होना तय है कुछ पल में क्या हो जाए यह  कोई नही कह सकता है ।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
बीता कल देखने वाले हम वर्तमान में जीते हुए आने वाले कल को देखने की इच्छा रखते हैं जिसके बारे में केवल अनुमान लगाया जा सकता है और उसके लिए अधिकांश ज्योतिष विज्ञान का सहारा लेते हैं। हां, हम में से जो अधिकांश जिस प्रकार से जीवन जीने की व्यवस्था करते हैं, लक्ष्य तय करते हैं और उसके अनुरूप चलते हैं वे कल को देखने की कल्पना कर सकते हैं।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
आने वाले कल को केवल सपनों के ताने-बाने में बुना जा सकता है। वह वक्त का पहिया है। मंजिल तक सुरक्षित पहुँच पाने का लक्ष्य हर किसी के पास होता है, लेकिन पहुँच पाना निश्चित नहीं होता। 
 आने वाले कल के लिए अनेक चित्र तैयार किये जाते हैं। उसको संवारने के लिए आज में श्रम किया जाता है। परन्तु समय की धारा किधर मुड़ेगी कहना कठिन हो जाता है।
  अतः जो भी करना हो उसे आज में ही कर लेना चाहिए।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या कल कभी किसी ने देखा है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा यह बात सही है कि कल किसी ने नहीं देखा इसका तात्पर्य यह भी है कि आने वाले कल में किसी भी व्यक्ति के साथ क्या परिस्थितियां होंगी क्या घटनाएं घटेगी उनका आकलन करना हर किसी के बस की बात नहीं है इसलिए यह कहा जाता है कि कल किसी ने नहीं देखा परंतु कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते है जो अपने अनुभव और सूझबूझ से आने वाले समय की घटनाओं को भी भाँप जाते हैं और यदि घटनाओं को नहीं भाँप सकते तो कम से कम कल किस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है इस बात का आंकलन जरूर कर सकते हैं और वह उसी के अनुसार पूर्व निर्धारित कार्यक्रम  अपना बनाते हैं और अपने कार्यों को करते हैं जिससे उनके जीवन में कठिनाइयां कम आती है ऐसा वह अपने पूर्व अनुभव और अपने बड़ों के द्वारा प्राप्त किए गए अनुभवों के आधार पर कर पाते हैं इसीलिए कहा जाता है कि किसी भी काम को करने से पूर्व अपने बड़ों की सलाह अवश्य लेनी चाहिए और यह भी कहा जाता है की सलाह मानना ना मानना तो आपके अपने ऊपर निर्भर करता है किसी दूसरे से भी सलाह लेने में कोई हर्ज नहीं है अर्थात अनुभव का लाभ लेने में कोई हर्ज नहीं है तो इस प्रकार कह सकते हैं कि ऐसे व्यक्ति सूझबूझ और अनुभव के साथ काम करते हैं वह आने वाली परिस्थितियों का सही आंकलन कर सकते हैं अर्थात आने वाले कल को देख सकते हैं ...........
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन तीन प्रकार के समय चक्र से गुजरता है।। भूत, वर्तमान और भविष्य ।भूत जो कल था। भविष्य- आने वाला। इन दोनों के बीच जो है; वही आज का वर्तमान है। बीता कल कदापि नहीं लौटता पर उसके अनुभव की सीख अवश्य रहती है। बीता कल सबने देखा अनुभव किया होता है। वर्तमान की नीव बीते कल पर ही टिकी होती है।
         हाँ, वर्तमान तो उल्लास, उत्साह सब कुछ करने के अपूर्व जोश से भरपूर होता है इसलिए संपूर्ण क्रियाकलाप मानव जीवन की अवस्थाओं के गणितानुसार समय पर ही पूर्ण कर लेने चाहिए क्योंकि जीवन नश्वर है समय के अनुसार उसकी गति क्रियाओं में ह्रास होने लगता है इधर समय का चक्र तो अबाध गति से नियमित है बीती राते बीते दिन कभी नहीं लौटते। भविष्य भी आने वाला कल तो अनिश्चित है ही। ज्योतिष के सफलवेत्ताओं ने भले ही भविष्यवाणी कर दी हो पर वह स्वयं उसको नहीं देख पाते हैं। नेस्त्रादुम की भविष्यवाणियां कुछ सत्य हुई है पर शत-प्रतिशत नहीं।
            मानती हूँ कि भावी जीवन की सभी योजना बनाते हैं पर अच्छा यही है वर्तमान में जिएं क्योंकि जीवन का कल किसने देखा है।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
"वक्त के क्रूर छल का भरोसा नहीं, 
आज जी लो कल का भरोसा नहीं, 
दे रहे हैं वो अगले जन्म की खबर जिनको अगले  ही पल का भरोसा नहीं"
देखा जाए लोग अपने आने वाले कल की वेहद फिक्र करते हैं जिसके लिए वो अपना वर्तमान भी  नष्ट कर देते हैं कई बार तो कुछ कार्यों को कल पर छोड़ देते हैं कि यह  कार्य हम कल करेंगे तो वो कार्ये आगे के लिए टल जाता है फिर कभी  पूर्ण नहीं हो पाता, कहा भी गया है आज का काम कल पर मत छोड़ो इसका मुख्य कारण यही है  कि जब कार्य एकबार छोड़ दिया जाए तो फिर वो कार्य छूट भी सकता है, क्योंकी आने वाले कल का किसी को पता नही् कि कल क्या हो जाए, 
आईये आज इसी बात पर चर्चा करते है्ं कि क्या कल किसी ने देखा है? 
 मेरा मानना है कि कल किसी ने नहीं देखा है   फिर भी आशांए पंख लगा कर कल रूपी आशमान में उड़ती हैं क्योंकी कल की नींव आजकल से ही पड़ी है और मनुष्य मे बूरी आदत है काम को टाल देने की और अपनी इस आदत से हम बनते हुए काम को बिगाड़ देते हैं जिससे हमारी बहुत वड़ी हानि हो जाती है और हम मंजिल तक पहुंचते पहुंचते  रह जाते हैं जिन प्रश्नों का उत्तर हमें आज देना चाहिए उन्हें कल के लिए टाल देते हैं और कल से परसों तक ऐसा करते करते कार्य पीछे रह जाता है और हम अपनी मंजिल से दूर चले जाते हैं, 
सही मायने में काम को हाथ में लेते ही उसे ताजा जोश भर देने से कार्य आरंभ हो जाता है और सही समय पर मुकम्मल हो जाता है और जो व्यक्ति टालमटोल करता है उससे कार्य कभी पूरा नहीं होता ऐसे व्यक्ति  के लिए सारे कार्य अधुरे ही रह जाते हैं
सच कहा है, 
 कल करे सो आज कर, 
आज  करे सो अब, पल में प्रल्य होयेगी बहुरि करेगा कब, 
कहने का भाव यह है कार्य को टालने वाला व्यक्ति परिस्थतियों का शिकार हो जाता है जो चिन्ता का विषय बनता है और उसे अनेक समस्याएं घेर लेती हैं जिससे कार्य सफल नहीं हो पाता, 
कईबार  काम कल पर टालने से  काम का भार अधिक हो जाता है जिसे स्वभाव में चिड़चड़ापन आ जाता है और कार्य करने को मन नहीं करता और हम अपने लक्ष्य को हार देते हैं, 
अन्त मे यही कहुंगा कि कठिन से कठिन काम को आने  पर उसे आगे मत टालिए  ऐसा करने से वोही कार्य हमें वोझ के रूप में पीछे छोड़ देगा और हम अपने लक्ष्य से दूर पीछे रह जाएंगे क्योंकी कल किसने देखा है न जाने कल क्या हो जाए, 
यह तो खुद भगवान राम जी को भी नहीं पता था कि आने वाला कल उनके लिए राज के वदले वनवास लायेगा, 
इसलिए आज का काम कल पर मत छोड़ो कल न जाने क्या हो जाये क्योंकी कल किसी ने नहीं देखा है  लेकिन इंसान आने वाले कल की चिन्ता के कारण अपना आज भी खराब कर रहा है, 
यह भी सच है, 
"आज की खुशी के लिए कल को कुर्बान मत करो, 
लेकिन कल जीने को लिए आज तो जीने से इंकार मत करो"। 
 - सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कल नाम काल का .......ये मेरी सहेली की एक ऐसी पंक्ति है जिसे मैने अपनी ज़िन्दगी में उतारने का भरपूर प्रयास किया है
जिस कार्य को हम आज कर सकते उसे कल पर नहीं छोड़ना चाहिए ....वर्त्तमान तो अपने हाथ में होता है ..पर भविष्य सदा अनिश्चित होता है ......क्या पता किसी मामूली बात के के कारन छोड़ा गया कार्य कल न हो पाए !!
कल का भरोसा नहीं ......कल हो न हो .....न जाने क्या हो ....क्यूंकि भविष्य या कल का कोई पता नहीं की क्या हो !!
ज्योतिषी कल के ज्ञाता होने का दावा करते हैं पर ऐसे ज्योतिषी बहुत कम होते हैं
कल किसी ने नहीं देखा ....वर्त्तमान में जियो और जो कार्य आज कर सकते हैं उसे कल पर न छोडो ......
जो कल करना है आज कर लो
जो आज करना है अब कर लो
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
       कल नाम काल का होता है। जिसे किसी ने भी कभी नहीं देखा। जो भी है वो आज ही है।
       कहते हैं कि रावन ने अपने काल को बांध लिया था और जब वह उसे मारने लगा तो काल ने उसे उकसाते हुए कहा कि आप तो महाबली हो और मुझे मारने में आपको इतनी शीघ्रता क्या है? आप जब चाहें मुझे मार सकते हो। वैसे भी मैं बंधा हुआ हूं।
        इसलिए आप मुझे कल मार लेना। अपने काल के मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर महाविद्वान पंडित रावन अहंकार में आ गया और उसे मारने के लिए कल पर छोड़ दिया। जो रावन की मृत्यु का कारण बन गया।
       कहते हैं तभी से यह कहा जाता है कि आज का काम कल पर मत छोड़ो और जो करना है आज ही करो। क्योंकि कल किसने भी कभी नहीं देखा है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आने वाले कल को यदि लोग जान जाए तो व्यक्ति अपना जीवन को बहुत अलग प्रकार से जीने लगेगा । ये अकाट्य सत्य है कि भविष्य को कोई नहीं देख सकता । किन्तु इसका मतलब ये नहीं है कि भविष्य के लिए कोई कर्म नहीं किया जाए । हाँ, कल के लिए टालने की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कल को कोई नहीं जानता ।
- पूनम झा
कोटा - राजस्थान

कल की परिभाषा दो अर्थों में एक अतीत का कल और एक भविष्य का कार्य अतीत के कल को तो हर इंसान महसूस किया है लेकिन भविष्य का कल किसी ने नहीं देखा है कल की तो बात छोड़िए पल दो पल की बात भी नहीं जानते हैं इसलिए वर्तमान ही भविष्य है आज की जिंदगी जिसने जी ली उसने भविष्य की कल को जी ली है हो सकता है कोई ऐसा साइंस या वेद पुराण के माध्यम से कुछ ऐसे अविष्कार हो जाए जिससे कि कल की जानकारी मिले अभी तक भविष्य कि कल अनुमानित है कभी ज्योतिषी द्वारा अनुमान किया जाता है कभी वैज्ञानिकों द्वारा अनुमान किया जाता है कल क्या होने वाला है पर शत-प्रतिशत या सही नहीं उतरता है आंशिक रूप से कुछ सच्चाई दिख जाती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

" मेरी दृष्टि में " कल का कोई महत्व नहीं है । क्योंकि कल कभी आता नहीं है । जीवन सिर्फ कर्म पर आधारित है । कर्म अच्छे हैं तो कल भी अच्छा रहेगा । यही सत्य है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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