संगीता राजपूत " श्यामा " से साक्षात्कार

मूल नाम- संगीता सिंह

जन्मस्थान- कानपुर - उत्तर प्रदेश
पिता का नाम- स्व• सर्जन पाल सिंह
माता का नाम- निर्मला देवी
पति का नाम- ठा• महेश पाल सिंह

प्रकाशित पुस्तके-
श्यामला, माह ,विहंगम ( कहानी संग्रह)
नव पल्लव ( कविता संग्रह)

संपादन-
आल्हाद, केसरिया, सुरसारंग,मधुकर ( काव्य संकलन)
जयघोष, इतिवृत ( कहानी संकलन)
कालजयी ( रामायण के पात्रो पर संकलित लेख)

पता :
धनीपुर ब्लाक, जी टी रोड, अलीगढ- 202001 
उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर -  बचपन से लिखना शुरु किया ठीक ठीक याद नही बस इतना याद है जब बचपन मे कोई कविता या कहानी लिखते तो मम्मी सर को जरूर दिखाती और बहुत खुश होती |

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर -  रचनाए प्रकाशित होने मे एक उम्र बीत गयी । कारण यह है कि प्रकाशित करने के बारे मे सोचा ही नही, घर गृहस्थी यही सब 2019 से रचनाए प्रकाशित होने लगी |

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर -  कहानी, गीत, सजल, संस्मरण
आल्हा छंद मेरा प्रिय छंद है|

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर -  साहित्य केवल लिखने या पढने के लिए ही नही बल्कि सामाजिक संस्कार, संस्कृति को जीवित रखने का सशक्त माध्यम है |

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर -  saraswati civilization लेखक जी • डी बख्शी द्वारा लिखित|

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर - नही अभी तक आकाशवाणी पर कोई कार्यक्रम नही हुआ |

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर -  कवि सम्मेलनो का बाजारीकरण हो चुका है | कुछ कविताए लिख लो या पैसे देकर लिखवा लो और उसी कविता को सौ कवि सम्मेलन मे सुनाकर जनता के हीरो बन जाओ | फिर भी बहुत से कवि सम्मेलन विशुद्ध रूप से कविताओ को आगे बढाकर रचनाकारो को अवसर देते है इसलिए कविता और कवि सम्मेलन की गरिमा बरकरार है |

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर -  साहित्य बौद्धिक धरोहर है | फेसबुक साहित्य चोरो के लिए खुले खजाने की भांति है तो हम जैसी गृहणियो के लिए एक वरदान जो घर से बाहर कम ही निकलती है | वह जिनके आसपास साहित्यिक माहौल नही है |
हमे वहा से सूचनाए प्राप्त होती है कि दिये गए ई मेल पर रचनाए भेजे और हम भेज देते है |

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर -  हमे नही पता लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से यह समझ मे आता है कि बहुत जगह पक्षपात होता है |

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर -  संस्मरण ~ पटरी पर खोज
बात छोटी है लेकिन मन को लग गयी और संस्मरण बन गयी| करीब चौदह साल पहले हम अपने मायके कानपुर से अलीगढ़  आने के लिए रेलवे स्टेशन पर बैठ गए | ट्रेन लेट थी रेलवे स्टेशन पर गंदगी फैली थी पटरियो पर मल बिखरा था | दिमाग खराब हो रहा था | तभी एक मैला कुचैला आदमी  जिसकी दाढी बढी हुई और शरीर पर काम मात्र के कपडे थे आसान शब्दो मे कहे कि एक भिखारी रेल की पटरियो पर कुछ  खोज रहा था | हमारी आंखे उसका पीछा कर रही थी | मन मे विचार आया क्या ढूँढ रहा है यह •••• शायद पैसे ढूँढ रहा होगा |  करीब दस मिनट तक पटरियो पर खोज बिन करने के बाद वह नीचे झुका ,हम अभी भी उसी को देख रहे थे एकटक |  उसने पटरी पर पङी रोटी उठा ली यह देखते ही आखो से आंसू बहने लगे और उबकाई आ गई हमारे मुंह से निकला, उसको रोको •••
मेरा भाई जो हमारे बच्चो के साथ खेल रहा था उसने कहा, क्या हुआ दीदी! हमने ऊँगली का इशारा किया पटरियो की ओर मुंह से शब्द नही निकल रहे थे| भिखारी रोटी लेकर थोङी दूर निकल गया था | मेरा भाई उसे नही देख पाया उसने सोचा शायद पटरियो पर पङा मल देख लिया है इसलिए उबकाई आ रही है।  भाई बोला, दीदी उधर मत देखो | गंदगी पङी है इसलिए उबकाई आ रही है |
रोटी की कीमत आज समझ मे आ रही थी |

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार की कोई भूमिका नही है |


Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )