कुॅंवर नारायण स्मृति सम्मान - 2025
यह परखी हुई बात है कि गलती करना या गलती होना मानवीय स्वभाव है क्योंकि मनुष्य गलती का पुतला है मगर गलती करना काम करने या कुछ करने का ही परिणाम होता है अक्सर देखा गया है गलती वोही करता है जो कुछ नया कार्य हाथ में लेता है और उन्हीं गलतियों से सीख लेकर वोही व्यक्ति परफेक्ट बन जाता है लेकिन जो लोग कुछ करते ही नहीं उनसे क्या गलती होगी वो तो टिप्पणियां ही करेंगे,तो आईये आज का रूख इसी चर्चा की तरफ करते हैं कि गलती उन्हीं से होती है जो काम करते हैं और निकम्मे सिर्फ दुसरों में बुराई खोजते हैं, यह अटूट सत्य है कि काम करते वक्त गलतियाँ तो जरूर होंगी लोग नजर भी रखेंगे और उकसाते हुए भी नजर आएंगे क्योंकि उनको तो खुद कुछ करना नहीं होता और दुसरों को कुछ करते देख नहीं सकते और सिर्फ़ नुक्स निकालते हैं ऐसे लोग हमेशा निकम्मों की गिनती में देखे जाते हैं, अगर सही मायने में देखा जाए गलती करना इंसान का स्वाभाविक गुण है और जब भी कोई नया कार्य हाथ में लेता है तो गलती होना स्वाभाविक हो जाता है,लेकिन यह मत भूलें लोग गलतियों से सीख लेकर ही प्रगति की तरफ बढ़ने लगते हैं,और जो काम नहीं करते वो कहीं के नहीं रह सकते और निकम्मों की कतार में लगते हैं,यह कथन लगभग जांचा परखा हुआ है कि,गलती उठाने वाले ही जोखिम उठाने की हिम्मत रखते हैं और अक्सर कामयाबी हासिल कर लेते हैं क्योंकि गलतियाँ अनुभव देती हैं,और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढाती हैं तथा नया दृष्टिकोण और नये विचार बनते हैं ,अगर सीखने का अनुभव और कार्यों में सुधार तथा आगे बढ़ना चाहते हो तो गलतीयों से सीखना होगा न कि निकम्मों व आलसी लोगों से डरना अन्त में यही कहुंगा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है लेकिन निकम्में लेगों में आत्मविश्वास की कमी, नाकारात्मक मानसिकता,आपने आप को ही महान समझने की आदत,अंहकार इत्यादि पनपने के कारण दुसरों के दोष निकालने की आदत बनी रहती है ऐसे लोग खुद तो कुछ करने को तैयार नहीं होते और जो कुछ करना चाहते हैं उनको पीछे हटाने का प्रयास करते हैं जबकि उनमें खुद कई अवगुण होते हैं जो उनको दिखाई नहीं देते तभी तो कहा है,दोष पराये देखि करी चले हसंत हसंत आपना याद न आबईये जिनका आदि न अन्त।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
अक्सर किसी को किसी काम में ग़लती होने पर डांटा जाता है या बुरा-भला कहा जाता है. सोचने वाली बात यह है कि ग़लती तो उसी से ही होगी जो काम करेगा, जो काम ही नहीं करेगा, निठल्ला ही बैठा रहेगा, उससे ग़लती ही क्या होगी, जब कि निठल्ले या निकम्मे की ग़लती ही यही है कि वह निठल्ला या निक्कमा है. यह विडंबना ही है कि ग़लती तो उसी से ही होगी जो काम करेगा और डांट-डपट भी उसी के हिस्से में आती है.
- लीला तिवानी
सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया
हमारे जो दायित्व होते हैं, उन्हें ईमानदारी के साथ, समर्पित भाव से निभाना आना चाहिए। फिर इस निर्वहन में यदि कोई गलती होती है तो उसके सुधार के यथोचित उपाय करना चाहिए। अनजाने में की गई गलती को मानवीय भूल की श्रेणी में रखा गया है। इसे गैर इरादतन भी कहा गया है। काम म करने पर ही गलतियाँ हो सकती हैं, होती हैं। इसमें घबराना, अशांत हो जाना, जल्दबाजी में और कोई गलती कर लेना, गलत निर्णय ले लेना, घुटते रहना आदि ऐसी अप्रिय स्थिति से बचना चाहिए और धैर्य पूर्वक, अपनों एवं संबंधितों के सुझाव और विमर्श कर यथासंभव निदान किए जाने के प्रयास करना चाहिए। कहा भी गया है, " जब जागे,तभी सहारा।" यही सही कदम है। यही उचित है। निकम्मे लोगों की छोड़ो। उनकी परवाह भी नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता। वे हमेशा बुराई ही खोजते हैं। ईर्षालू और झगड़ालू किस्म के होते हैं। मीन-मेख निकालकर हतोत्साहित करना और बदनाम करने की, उनकी आदत में शुमार होता है। सार यही कि हमें अपने काम से काम रखना चाहिए। अपने काम में ईमानदारी रखना चाहिए। एकाग्रता होनी चाहिए।निष्पक्षता होनी चाहिए।नीतिगत होनी चाहिए। आधारभूत होना चाहिए। उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए। समय पर होना चाहिए। स्पष्ट और साफ होनी चाहिए। ऐसे में गलती नहीं होगी और यदि होती है तो क्षम्य होती है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जब हम किसी कार्य को करने की ठान लेते है , तो हम दिल से , लगन से , प्यार से , मेहनत से , निष्ठा से , ईमानदारी से उस कार्य को करने का प्रयास करते हैं !! इस क्रिया में हम ठीक कार्य भी करते हैं , व हमसे गलती भी हो सकती है !! गलती तो वो ही करता है , जो कार्य करता है , मेहनत करता है !! जो कुछ भी नहीं करता , वो गलती तो क्या करेगा , वो तो कार्य करनेवाले की गलती का इंतेज़ार करता है , व उसकी गलती का तमाशा बनाता है !! उस गलती की बुराई करते हैं निकम्मे , क्योंकि यही उनका प्रिय कार्य बन जाता है !!
दौड़ते हैं जो जिंदगी की रेस में ,
वो ही गिरते हैं , गिरकर उठते हैं !!
जो रेस का हिस्सा ही नहीं बनते ,
वो निकम्मे बुराई ही खोजते हैं !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
एकदम सही बात है यह तो।जो काम करेगा,उसी से गलती होगी, फिर सुधार करेगा और सफलता प्राप्त होगी ही।जो काम करेगा ही नहीं, उससे गलती होगी ही नहीं और फिर वो यह समझें कि मैं ही बुद्धिमान बाकी सब मूर्ख तो वह जहां है उससे आगे तो क्या बढ़ेगा निरंतर पीछे ही जाता रहेगा। ऐसे निकम्मे लोगों की संख्या समाज में बहुत है जो दूसरों की कमी निकालेंगे बस और खुद कभी कुछ नहीं करेंगे। हमेशा शिकायत भरे अंदाज में बात करेंगे। किसी की प्रशंसा करने से तो इनको जैसे एलर्जी होती है और बुराई इनके लिए टानिक का काम करती है। अच्छा है कि यदि ऐसी प्रवृत्ति है तो उसमें सुधार का प्रयास करें।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
"गलती उसी से होती है जो काम करते हैं" यह बात सही है कि जो लोग सक्रिय हैं, काम कर रहे हैं, वे ही गलतियां कर सकते हैं। जो लोग कुछ नहीं करते, निकम्मे रहते हैं, वे गलतियां करने का अवसर ही नहीं पाते क्योंकि वे कुछ कर ही नहीं रहे होते। और "निकम्मे निकम्मे सिर्फ बुराई करते हैं" यह बात थोड़ी कड़क है लेकिन इसमें एक सच्चाई है कि जो लोग कुछ नहीं करते, आलसी या निकम्मे होते हैं, वे अक्सर नकारात्मकता या बुराई की ओर झुक सकते हैं क्योंकि उनके पास सकारात्मक काम में व्यस्त रहने का अवसर नहीं होता। काम करने वाले लोग अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाते हैं।जो लोग काम करते हैं वे गलतियां कर सकते हैं लेकिन वे सीखते भी हैं और आगे बढ़ते हैं। निकम्मे रहने से अक्सर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। इसान अपनी गलतियों से ही नहीं दूसरे की गलती से भी सीखता है । परन्तु निकम्मे और आलसी लोग अपने समय को दूसरे की गलती निकालने और बुराई करने में व्यतीत किया करते हैं ।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं,वे सफ़ल होते हैं।गलती भी कभी _ कभी उन्हीं से होती है।जो इंसान काम ही नहीं करेंगे तो उनसे गलती ही नहीं होगी, लेकिन हमें हमेशा कार्य करना चाहिए।कर्मठ बनकर राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए।जो इंसान कर्मठ होते हैं,वे खुशहाल और अपने क्षेत्र में अग्रसर होते हैं। इसलिए कहा गया है _ परिश्रम का कोई विकल्प नहीं। जो इंसान अकर्मण्य होते हैं,वे सिर्फ़ दूसरों में बुराई खोजते हैं।सच्चाई यह है कि बुराई उनमें स्वयं निहित है।
- दुर्गेश मोहन
पटना - बिहार
काम करने से गलतियां हो जाती है। जानबूझकर गलतियां नहीं की जाती। ग़लती से ही हमें सीख मिलती है। सुधार करने का मौका मिलता है। कर्म को पूजा मानकर व्यक्ति हमेशा कर्म पथ पर अडिग रहता है। कर्तव्यों का निर्वहन बखूबी से करता है।चूक कार्य में अनायास हो जाती है। निकम्मे जो होते हैं वे करते नहीं, उन्हें तो बस दूसरे की गलतियां तलाशने में आनंद प्राप्त होता है।ये आनंद क्षणिक है।जब इनकी असलियत का पता चलता है,तो फिर इनकी छबि धूमिल होने में पल भर का समय लगता है। हमेशा एक सच्चे पथ प्रदर्शक बनिए लोगों को मार्गदर्शन दीजिए। गलतियों पर ध्यान आकृष्ट कर सुधार हेतु प्रेरित कीजिए।एक अच्छे प्रशंसक बनिए। निकम्मे व्यक्ति को कोई मान-सम्मान नहीं मिलता। निकृष्ट समझा जाता है।लोग दूरियां बना लेते हैं।
- डॉ. माधुरी त्रिपाठी
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
एक दम सत्य काम करने वाले से ही गलती होती है. जो काम नहीं करेंगे उनसे गलती कैसे होगी. जो राह चलते हैं उन्हें ही ठोकर लगती है. जो चलेंगे ही नहीं उन्हें ठोकर कैसे लगेगी. बारिस में जो बाहर निकलेंगे वही तो भींगेंगे. मेरे दफ्तर में मेरे सीनियर एक महिला थी जो काम नहीं करती थीं जो करती थी वह सब भूल भाल फिर मुझे करना पड़ता था. इसलिए उनसे भी सीनियर अधिकारी मुझे ही काम करने को कहते थे. मैं कहता उसका काम में क्यों करूँ तो वे कहते वह तो कुछ करती नहीं है जो करेगी सब भूल. फिर आपको ही करना पड़ेगा. इसलिए सब काम मुझे ही करना पड़ता था. इसलिए ये बात सत्य सिद्ध होता है कि कुछ करने वाला ही सही यस गलत कर सकता है. निकम्मे तो सिर्फ अपना रौब जमाने के लिए दूसरों की बुराई ही करेंगे.- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - पं. बंगाल
गलती करना उस व्यक्ति की पहचान है, जो कुछ करने का साहस रखता है। जो लोग कर्मशील होते हैं, प्रयास करते हैं, वही कभी-कभी ठोकर भी खाते हैं। परन्तु उनकी हर ठोकर उन्हें और मज़बूत बनाती है, हर चूक उन्हें अनुभव देती है।वास्तविक प्रगति उसी की होती है, जो गलती से सीखकर आगे बढ़ता है। इसके विपरीत, निकम्मे और आलसी लोग न तो स्वयं कोई काम करते हैं और न ही कुछ नया करने का जोखिम उठाते हैं। उनका पूरा जीवन दूसरों की बुराई खोजने और आलोचना करने में ही निकल जाता है। वे दूसरों के प्रयास में केवल कमियाँ गिनाते हैं, लेकिन अपने हिस्से का कोई योगदान नहीं देते। इसलिए याद रखिए—गलती करना दोष नहीं है, बल्कि निकम्मापन सबसे बड़ा दोष है। इतिहास इसका प्रमाण है कि जिन्होंने दुनिया को नया रास्ता दिखाया, उन्होंने अनेक बार असफलताओं का सामना किया। एडिसन ने बल्ब बनाने से पहले हजारों प्रयोग किए और हर गलती से नया सबक सीखा। गांधीजी भी अपने सत्य और अहिंसा के प्रयोगों में कई बार असफल हुए, किंतु उन्होंने रुकना नहीं सीखा। गलती उनके लिए पतन का कारण नहीं बनी, बल्कि प्रगति की सीढ़ी साबित हुई।सच्ची प्रतिष्ठा उसी की है, जो कर्म करता है, ठोकर खाकर भी उठता है और हर असफलता को अनुभव बनाकर आगे बढ़ता है। निष्कर्ष यही है कि "कर्म करना ही जीवन का धर्म है। गलती करके सीखना महानता है, और निकम्मापन सबसे बड़ा अपमान।"
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
किसी भी तरीके का काम करने का अपना-अपना, अलग-अलग अंदाज होता है। हर कोई चाहता है, आज का काम आज ही कर ले, कोई भी काम चाहता कल के लिए नहीं छोड़ना चाहता। इस तरह से काम करने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां नहीं होती है। अगर हमनें सोचा कल कर लें, तो दूसरे दिन कार्य अधिकांशत: बढ़ जाता और जल्द बाजी में गलतियां प्रारंभ हो जाती है, जो निकम्मे जनों को बोलने का मौका मिल जाता है वे सिर्फ दूसरों की बुराईयां खोजने में ही अपना अमूल्य समय बिताते है। ग़लती उस से भी होती है, जो काम करते है, लेकिन वे तुरंत सुधार भी लेते है। घर संसार से लेकर अपना-अपना क्षेत्र भी होता है और सफलता पूर्वक निष्पक्ष काम करते है और सम्मान अर्जित करते है।- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
देखिए! इंसान गलतियों का पुतला है यदि वह अच्छे काम करता है तो उससे गलत काम भी होंगे और दूसरी बात यदि हम गलती से डरेंगे तो हम काम ही नहीं कर पाएंगे। जो काम करेगा गलती उससे होगी। जैसे अच्छा है तो बुरा भी है, काला है तो गोरा भी है, छोटा है तो बड़ा भी है। अमीर है तो गरीब भी है। इसी प्रकार जीवन के दो पहलू हैं और जब तक दुनिया रहेगी यह दोनों पहलू रहेंगे। यदि काम ठीक होता है तो ग़लत भी होता है। हर गलती हमें सुधरने का अवसर भी देती है। हम यदि एक बार गलती करते हैं तो दूसरी बार और अच्छा काम करते हैं। इसके विपरीत जो लोग कर्म ही नहीं करते वह सिर्फ देखते हैं कि जो ठीक काम कर रहे हैं वह ग़लती कहां कर रहे हैं। जो सिर्फ गलती देखते हैं, यह उचित नहीं है और काम करने वालों को भी उन निठल्ले लोगों की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि अपना काम लगातार करते रहना चाहिए भले ही गलती हो, लेकिन कर्म करना जरूरी है और श्री कृष्ण भगवान ने भी कहा है कि पुरुषार्थ ज़रूरी है।
- डॉ. संतोष गर्ग 'तोष'
पंचकूला - हरियाणा
गलती उससे होती है ! जो काम जो पूरी ईमानदारी से काम करना जानते है ! उन्हें किसी की परवाह नहीं होती वो अपने काम में तनमन धन तल्लीनता से लीन होते है ! जब उनकी गलती दूसरे निकालते है ! तो उनके प्रशंसक कहते काम मर्म वही जानता है काम करता है ! नहीं तो चापलुस मुंह बजाने वालों की दुनिया में कमी नहीं है ! वे निकम्में होते है अक्सर दूसरों की गलतियों को ढूंढने में व्यस्त रहते हैं। जिनकी सोच सकरात्मक होती है काम करने वालों की गलतियों को सुधार कर उत्साह वर्धन कर उनके सच्चे मार्ग दर्शक होते है ! जिन्हे वो जीवन पर्यन्त तक भूल नहीं पाते अक्सर अपने मित्रों स्वजनों अफ़सर के सामने गुण गान करने से थकते नहीं कहते है आज जो कुछ भी हूँ उन्ही के बदौलत जिन्होंने ने मेरे अथक काम को देख ग़लतियों को सुधार आगे बढ़ने की प्रेरणा दी ! वो दूसरों की बुराई नहीं ढूँढते ! एकलव्य की गुरु भक्ति महाभारत में कर्ण निष्ठा भक्ति जो उन्हें विचलित नहीं किया जिन्होंने अपने लगन से दे ही प्रतिष्ठा पाई उदाहरण बने ! आपका सज्ञान मेरी प्रेरणा है
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
काम करने वाले कभी भी पीछे नहीं हटते वह अपने काम को अंजाम देते रहते हैं और गलतियां भी उनसे ही होती हैं जो काम करते हैं, परिवार में भी जो व्यक्ति पूरे परिवार को देखता है, सब की अपेक्षाएं भी उस से होती हैं और बात-बात में उसको दो बात भी सुनाई जाती है उसे ताने भी मिलते हैं बुराइयां भी मिलती हैं क्योंकि जो काम करता है वही सुनता है। जो काम नहीं करता है उसे किसी को कोई अपेक्षा नहीं रहती वह निकम्मों की तरह घर में रहता है किसी से उसका कोई मतलब नहीं रहता पर वह सब में खामिया निकालते ही रहता है यही दुनिया का दस्तूर है काम करने वाले हमेशा सुनते हैं गलिया भी ओर तारिफ भी तारिफ कम गलिया ज्यादा हिस्से आती हैं,लेकिन वह अपनी आदत से मजबूर होते हैं और सुनने के बावजूद वह हर काम करते हैं,सबकी फिक्र करते है।
- अलका पांडेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
गलती वास्तव में उस व्यक्ति से होती है जो कर्मशील होता है, जो काम करता है, प्रयास करता है। क्योंकि प्रयास करने और पग उठाने में असफलताओं और गलतियों का होना स्वाभाविक है। वहीं, जो लोग निष्क्रिय हैं, काम करने के स्थान पर केवल दूसरों की कमजोरियों और कमियों में बुराई खोजते हैं, वे कभी असली गलती नहीं करते; उनका दुष्कृत्य केवल आलोचना और नकारात्मकता में ही सीमित रहता है। ऐसे लोग न तो जोखिम उठाते हैं, न नया सीखते हैं, और इसलिए उनका जीवन स्थिर लेकिन निर्जीव बन जाता है। गलती करना सम्माननीय है यदि वह सीखने और सुधारने की प्रक्रिया का हिस्सा हो। असली निष्क्रियता और समाज के लिए हानिकारक रवैया वह है, जो दूसरों की गलतियों का लाभ उठाकर केवल आलोचना करता है। इसलिए, कर्मशीलता और प्रयास करना श्रेष्ठ है, चाहे उसमें गलती हो, क्योंकि वही हमें आगे बढ़ने और बेहतर बनने का अवसर देता है।"ऐसे निरन्तर प्रयास एक दिन कर्मवीर व्यक्ति को बिना विधिक उपाधि प्राप्त किए एक सफल "अधिवक्ता" के रूप में प्रमाणित कर देते हैं जिनकी प्रशंसा विद्वान अधिवक्ता ही नहीं बल्कि विद्वान न्यायाधीशों सहित मुख्य न्यायाधीश भी करते देखे हैं।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
जिस ने काम करना ही नहीं उससे गलती क्या होगी? वह काम का महत्व, उसमें लगी मेहनत का महत्व भी नहीं समझ पाएगा। काम ना करने वाले व्यक्ति को केवल गलतियाँ ही नज़र आएंगी अथवा उसकी नज़र केवल गलतियों पर होगी। काम करने का अनुभव ना होने के बावजूद भी वह व्यक्ति यह बताने से कभी नहीं चूकेगा कि क्या-क्या ग़लत किया है और क्या नहीं करना चाहिए । परंतु यदि उससे पूछा जाए कि सही क्या है और क्या करना चाहिए तो शायद उसके पास इसका कोई सटीक उत्तर भी नहीं होगा। इसलिए जिसने काम किया है उसे अपनी पीठ थपथपानी चाहिए कोई और थपथपाये या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं। यदि गलती हो भी गई हैं तो उस से सबक़ लें और आगे बढ़ें। रुकने, चिंता अथवा पश्चाताप करने की आवश्यकता नहीं।- रेनू चौहान
दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " समाज में निकम्में की लाइन बहुत बड़ी है। जो समाज के विकास में बांधा है। ये लोग काम करने वाले को परेशान करते रहते हैं। ऐसे लोगों से बच कर चलना चाहिए। तभी समाज में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। समाज में बहुत तरह के लोग होते हैं। बहुत कम लोग समाज के लिए काम करते हैं।
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