यह मंच “चर्चा परिचर्चा” केवल विचारों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह समाज को सही दिशा देने का पवित्र प्रयास है। आपने जो संदेश दिया है कि “लोगों की बातें कभी दिल पर नहीं लेनी चाहिए, जीवन कर्म और सत्य के आधार पर चलता है” — यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा-स्रोत है। आज जब समाज आलोचना, निंदा और नकारात्मक सोच के बोझ तले दबा है, तब आपकी यह पहल एक नयी चेतना जगाती है। वास्तव में, सकारात्मक चिंतन ही जीवन का ईंधन है, और यही हमें संघर्षों के बीच भी आगे बढ़ने की शक्ति देता है। मैं मानता हूँ कि यह परिचर्चा सिर्फ चर्चा नहीं बल्कि राष्ट्र के नवजागरण का स्वर है। यह डिजिटल युग में विचारों की क्रांति का मंच है, जहाँ शब्द हथियार हैं और सत्य उनका प्रकाश। आपका यह आह्वान हम सबको प्रेरित करता है कि हम निरंतर अपने कर्तव्यों का पालन करें, समाज को जागृत करें और राष्ट्र को सशक्त बनाएँ। सम्माननीयों जय हिन्द
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
कहने को तो हम कहते हैं कि लोगों की बातों को हमें दिल पर नहीं लेना चाहिए , पर जिंदगी की सच्चाई यह है कि लोगों की बातें कभी कभी दिल पर लगती हैं , व चाहकर भी हम उन्हें भुला नहीं पाते !! इसलिए कुछ बातों को भूला नहीं पाते , क्योंकि वे महज बातें न होकर ऐसे नुकीले तीर होते हैं या ऐसे जहरीले कांटे होते है , जिनकी चुभन दिल तक होती है !! अक्लमंदी , समझदारी , इसीमें है कि उन बातों को भूलकर हम आगे बढ़ें क्योंकि वे और कुछ नहीं , केवल दर्द दे सकती हैं !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
लोगों की बातें दिल पर नहीं लेनी चाहिए अर्थात् कोई मुझे गुस्से में कुछ कह भी दे तो उसे नज़र अंदाज कर देना चाहिए।कोई गलती भी कर दे तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम उसे क्षमा कर दें।किसी की बातों से ही किसी इंसान की जिंदगी नहीं चलती।कोई व्यक्ति हमें अच्छा कह रहा है अथवा बुरा , हमें उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए।हमें सिर्फ अच्छे कर्म करना चाहिए।किसी की बात की बग़ैर परवाह किए,अपने कार्यों से लोगों को संतुष्ट करना चाहिए।जो इंसान ऐसा करते हैं, वे सभी की भलाई करते हैं।इसलिए कहा गया है कि कर्म प्रधान होता है।इसका हमेशा महत्व रहेगा।
- दुर्गेश मोहन
पटना - बिहार
बातों से कभी जिंदगी नहीं चलती।यह एकदम सही बात कही है किंतु कभी कभी किसी के द्वारा कही गई बात हमारे दिल को चोट पहुंचा जाती है और यहीं वह अपनी जीत दर्ज कर लेता है और हम मात खा जाते हैं...किंतु बात यहीं खत्म नहीं होती.. हम उनकी बातों में इतने उलझ जाते हैं कि अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। जीवन में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं हमें नकारात्मक बातों को धकेल कर धैर्यता के साथ सकारात्मकता की ओर कदम बढ़ाना है। हमें जीवन में आगे बढ़ता देख जलन से भी लोग ऐसी बातें करते हैं। कहते हैं ना "जीवन में सुनों सबकी करो मन की" जिसका जैसा व्यवहार होता है वह वैसा ही करता है। उसका व्यवहार ही जीवन में उसके व्यक्तित्व का आइना होता है। कुत्ते भौंकते हैं और हाथी बिना कुछ सुनें आगे बढ़ता रहता है। ठीक उसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य की ओर बिना किसी की नकारात्मक बातों को लिए, स्वयं का आत्म विश्लेषण कर पूर्ण विश्वास एवं धैर्य के साथ बढ़ते रहना है।यही जीवन का मूल-मंत्र है।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
जीवन में वैचारिक मतभेद हमेशा मौजूद रहते है, सभी गणमान्य जन है, छोटे से लेकर बड़े तक, किसका कैसा मन है, हमें पता नहीं रहता है, और हम उससे हंसी-मजाक तो कह देते है, कौन किस परिस्थितियों से गुजर रहा है, हमें मालूम नहीं रहता है, हम सब कुछ कह देते है,किससे कैसे संबंध बनाना हमारे ऊपर निर्भर करता है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है, कौन कब किसके काम आये, हमें पता नहीं रहता है, इसलिए लोगों की बातें कभी दिल पर नहीं लेनी चाहिए साथ ही बातों से कभी जिंदगी भी नहीं चलती। चलती है तो एकता पूर्ण जीवन प्रसंग रहा तो हमें समझौता वादी बनने एक कदम आगे रहना चाहिए। किसने कुछ कहा नहीं की प्रारंभ हो गए, मार-पीट,पत्राचार,मंच पर भाषण देने, उतार रहे अपनी-अपनी भरास? जो कह रहा है उसे तो अच्छा लग रहा होता है, परन्तु अपने-अपनों के बीच संदेश गलत जाता है। छोटी-छोटी बातों में उलझ कर पुलिस थाना, कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ जाते है, वहीं से प्रारंभ होती है बातों की लीलाओं का अंत....
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
“ करे कोई निंदा दिन-रात
सुयश का पीटे कोई ढोल
किये अपने कानों को बंद
रही बुलबुल डालों पर डोल।”
कविवर बच्चन जी के गीत की ये पंक्तियाँ भी तो यही कह रही हैं कि लोगों की अच्छी-बुरी कैसी भी बातों को कभी भी गंभीरतापूर्वक नहीं लेना चाहिए क्योंकि वे केवल बोली जाने के लिए ही बोली जाती हैं। उनसे लाभ किसी का होता नहीं, हानि भले ही हो जाये। लोगों की बातें कभी-कभी ऐसा नकारात्मक प्रभाव डालती हैं जिससे निकलने में कई दिन-महीने लग जाते हैं।अपनी सकारात्मकता भी प्रभावित हो जाती है। इसलिए लोगों की बातों को एक कान से सुनें और दूसरे कान से निकालते जायें। सूखे पत्तों की तरह हवा के साथ उड़ने के लिए छोड़ दें। उन्हें महत्व देने का तो प्रश्न ही नहीं होना चाहिए। सब जानते- समझते हैं कि केवल बातों से जीवन नहीं चलता। कर्म प्रधान विश्व में कर्म महत्वपूर्ण है। बातें तो मात्र खाली समय को बिताने का एक साधन है। जो इसमें उलझा वह फिर उलझा ही रह जाता है दिल पर ले लिया तो स्वे के लिए दुखी होने का कारण खड़ा कर लेता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
कहा गया है बीती ताहि बिसारिये आगे की सुध लेय. लोगों की बातों को कभी भी दिल पर नहीं लेना चाहिए. हजारों लोग मिलेंगे जो तरह तरह की बातें करेंगे. सबकी बातों पर अगर ध्यान दिया जाय तो यह जिंदगी चलानी मुश्किल हो जाएगी. इसलिए भले सबकी सुन लीजिए पर कीजिए अपने मन की. जो आपको अच्छा लगे. आपके कार्यों के अनुरूप हों. किशोर कुमार का एक गीत है-"कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना----'" लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ही. उसे कान से सुन दूसरे से निकाल देना चाहिए. दिल पर बोझ बढ़ाने की जरूरत नहीं है. अगर बातों से जिंदगी चलती तो सब चुपचाप बैठे रहते ज़िंदगी चलती रहती. लेकिन जिंदगी तो कर्म से चलती है, मेहनत से चलती है. इसलिए ये भी कहा गया है कि काम अधिक बातेँ कम. तब जिंदगी सरपट शताब्दी एक्सप्रेस की तरह चलेगी.
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
लोगों की बातें दिल पर लेना अक्सर हमें थका देता है, मन को बोझिल कर देता है। लोग अपनी सोच, अनुभव और स्वभाव के आधार पर बोलते हैं। उनकी बातें हमेशा सच या सही नहीं होतीं। किसी की राय या आलोचना आपके व्यक्तित्व की पूरी तस्वीर नहीं होती, यह बस उनके नजरिये का एक छोटा हिस्सा है। अगर हर किसी की बात को दिल पर लेंगे तो जीवन अपने हिसाब से नहीं, बल्कि दूसरों की जुबान के हिसाब से चलने लगेगा। अतः जो बात उपयोगी लगे, उसे सीख में बदल लीजिए। जो बेवजह चोट पहुँचाए, उसे हवा में उड़ने दीजिए। अपने काम, अपनी अच्छाई और अपनी मेहनत पर भरोसा रखिए। बातें हवा की तरह हैं—कभी ठंडी, कभी गरम। अगर हर झोंके से विचलित होंगे तो रास्ता नहीं चल पाएँगे। जीवन दूसरों के शब्दों से नहीं, अपने कर्म और आत्मविश्वास से चलता है। लोग कहे हजारों बातें,मन क्यों उनसे हारा । सच्चा कर्म वही रहता जो चलता अपनी धारा ।।
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इस दुनियां में विभिन्न स्वभाव एवं सोच वाले लोग होते हैं। हमारे सामाजिक जीवन में जीविकोपार्जन के लिए ऐसी व्यवस्था है कि हमें एक-दूसरे की मदद लेनी ही होती है। कब किससे, किस काम के लिए मदद लेनी पड़ जाए, कुछ भी कहा नही सकता। सामान्यत: उन लोगों से जो हमारे आसपास रहते हैं। विशेषकर हमारे मित्र,पड़ोसी, रिश्तेदार। ऐसे में हमारी समझदारी यही होनी चाहिए कि हम सबसे सामंजस्य बनाकर रखें। उनके प्रति सकारात्मक सोच रखें। कभी भी आवेश में आकर, जल्दबाजी में, सुनी हुई बातों को लेकर अपने संबंधों को खराब न करें। कटुता से बात बिगड़ती चली जाती है, क्रोध, दुख पनपता है और अनावश्यक तनाव पैदा होता है। यह स्थिति स्वास्थ्य और सौहार्द्र दोनों के लिए ठीक नहीं। इसीलिए लोगों की बातें कभी दिल पर नहीं लेनी चाहिए। बातों से कभी जिंदगी नहीं चलती है। कभी-कभी अनजाने में, गलतफहमी में, भावातिरेक में, हाँ में हाँ मिलाने के चक्कर में, किसी के साथ ऐसी बातें निकल जाती हैं। अत: ऐसी स्थिति और ऐसी बातों को टाल देना ही बेहतर होता है। फिर हमें जीवन मे क्षमा करना और क्षमा माँगना भी सिखलाया जाता है। ऐसे अवसर पर क्षमाशील बनना भी बहुत काम आता है। सार यही कि मधुर रिश्ते, जीवन में सरसता लाते हैं, संबल का कार्य करते हैं।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हमारे विचार समाज को सही राह दिखाने की कोशिश, लोगों की बाते कभी दिल पर नहीं लेनी चाहिए !लोगों की बातें अक्सर हमारे आत्मविश्वास कमजोर बनाती हैं ! हमारी ऊर्जा को ख़त्म कर देती हैं ! और हमारे मानसिक शारारिक स्वास्थ् पर बुरा असर डालती ,घड़ी की चाबी की तरह टन टन बोलती ,झूठ ,सच न्याय का एहसास ले ताले कुंडी खुलती ! कहती है किसी के बुरा कहने हम बुरे नहीं होते बुराई तो शरीर की गंदगी की तरह होती है ! जिसे साफ़ कर पवित्र और निर्मल बना बातों को लोगों तक पहुंचाई जाती हैं सच्चाई महज़ एक कुंजी होती है! मानव मस्तिष्क ,मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है । हमें अपने लक्ष्यों से भटका सकती हैं। हमे तनाव, चिंता और अवसाद से घेर रखती है! हमे अपने निर्णयों पर नियंत्रण भरोसा होना चाहिए ।लोगों को बातों को गर्म और शीतल हवा का एहसास कर शीतल हो शीतलता प्रदान करना भी अपने आप में सबसे सकारात्मक गुण होता है! जो जन सामान्य के लिए औषधि का काम कर जीवन सफल उद्देश्य पूर्ण बातों चर्चापरिचर्चा में संवाद हीनता ना लाकर खुशहाल जीवन जीने के लिए उत्साहित करती हैं बातों पर जिंदगी जीने बाध्य नहीं करती ! समय के साथ मौन स्वीकृति को महत्व दे राहे सुगम सरल बना मुक्त कंठ हास्य परिहास को सर झटक आगे बढ़ जीना सिखा ,जिंदगी कहती है कभी तो हंसाए कभी तो रुलाए ,हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और दूसरों की बातों को नजरअंदाज करना चाहिए !
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
लोगों का काम है कहना,कुछ तो लोग कहेंगे इस गीत के बोलों से साफ जाहिर होता है कि लोग राई का पहाड़ तक बना देते हैं,छोटी सी बात को लम्वी खींचना,किसी के काम में उलझन डाल आगे न बढने देना अक्सर देखने को मिलता है तो आईये आज इसी बिषय पर बात करते हैं कि क्या लोगों की बातें दिल पर लेनी चाहिए ऐसा करने से जिंदगी चल सकती है,मेरा मानना है कि जब लोगों की बातों पर ध्यान देकर हम अपने काम को करना चाहेंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते क्योंकि लोगों की बातें हमारे जीवन में बुरा प्रभाव डाल सकती हैं जिससे हमारे जीवन की दिशा और निर्णय लेने की ताकत पर प्रभाव पड़ता है इसलिए हमें लोगों की बातों को अनदेखा करके अपने कार्य की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि निर्णय हमारे हाथ में होता है और हमें अपने निर्णय लेने का खुद हक होना चाहिए ताकि आपने जीवन को अपने ढंग से चला सकें क्योंकि अपने निर्णय खुद लेने से अपना आत्मविश्वास बढता है और हम अपने जीवन को सुरक्षित महसूस करते हैं और लोगों की नकारात्मक बातें हमें काफी हद तक पीछे धकेल सकती हैं हमारा मनोबल कम करती हैं, अगर जिंदगी में शान्ति, उन्नति व अपने लक्ष्य को पाना चाहते हो तो लोगों की बातों पर भरोसा करके दिल पर नहीं लेना चाहिए क्योंकि लोगों की नकारात्मक बातों से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है जिससे अनावश्यक तनाव और चिंता बढ़ती है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है और हमारे आत्म मुल्यों पर प्रभाव पड़ता है और हम अपने मापदंडो से पीछे रह जाते हैं इसलिए हमें सकारात्मक सोच रख कर आगे बढ़ने पर ध्यान देना चाहिए ना कि लोगों की बातों में आकर अपनी आंकी गई सिमाओं को पीछे छोड़ देना चाहिए,अन्त में यही कहुंगा कि लोगों की बातों से जिंदगी नहीं चलती हमें अपने निर्णय स्वयं लेकर अपने जीवन को अपने ढंग से आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए जिससे हम अपने जीवन में अधिक आत्म विश्वास और संतुष्टता प्राप्त करके सफल हो सकें क्योंकि जिंदगी में सफल होने के लिए स्वयं को निरंतर सुधारना पड़ता है ना की लोगों की बातों को दिल में लगा कर।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
लोगों की बातें कभी दिल पर नहीं लेनी चाहिए या यूँ कहें कि लोगों की ऐसी बातें जो नाकारात्मक हों, हमें नीचा दिखलाने के ध्येय से कही जा रही हों, हमारा अपमान करने के लिए की जा रही हों उसे लेना ही नहीं चाहिए। बातें लेंगे तभी तो दिल पर असर करेंगी। ऐसी बातों को लेने से किसी की ज़िन्दगी ठहर जा सकती है। व्यक्ति अवसाद में जा सकता है। ऐसी बातों पर नहीं लेने से वे बातें देने वालों के पास ही रह जायेंगी ठीक उसी तरह हम किसी के द्वारा दी गई वस्तु को नहीं थामें तो वह वस्तु तो देने वाले के पास ही रह जाएगी। और उसका असर उसी व्यक्ति पर ज़्यादा होगा। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहेगी। उसको बैचेनी होती रहेगी। नाकारात्मक बातें को नहीं लेने का तात्पर्य यह है कि उसका असर ही अपने पर बिलकुल नहीं होने दें। नाकारात्मक बातें करने वालों से दूरी बना कर रखनी चाहिए। ऐसे लोगों में चुग़ली करने की भी आदत होती है- दूसरे को मोहरा बना कर अपने मन का भड़ास निकालते रहते है। दो के बीच झगड़ा लगाने में माहिर होते हैं- ऐसी बातों से कभी ज़िन्दगी नहीं चलती है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
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