हिन्दी दिवस - 2025

     जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस -2025 के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया है।जो साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा - राजस्थान के पूर्व प्रधानमंत्री श्री भगवती प्रसाद देवपुरा जी की स्मृति में रखा गया है। जिन्होंने हिंदी भाषा व साहित्य के लिए अनगिनत कार्य किये है। जिन को आज भी किया जाता है। आप के भाई बीजेन्द्र जैमिनी को हिन्दी दिवस - 2012 को सम्पादक रत्न उपाधि सम्मानित किया गया था । यह कार्यक्रम  श्री भगवती प्रसाद देवपुरा जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ था। उसी याद को ताजा करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रभु को नमन करते हुए कवि सम्मेलन को फेसबुक व WhatsApp पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन रखा गया है।‌विषय हिन्दी उत्सव दिया गया है। विषय के अनुरूप रचनाओं को डिजिटल सम्मान दिया जा रहा है। अब रचानाओं के साथ सम्मान पत्र पेश है :-

              हिंदी हैं हम


हिंदी एक भाषा नहीं मात्र,हिंदी जन मन की धारा है।

जिसने अपने बल पर ही,खुद को जग में विस्तारा है।

तुलसी का मानस रामकथा,जो अखिल विश्व में लोकप्रिय।

गीता उपदेश,श्री केशव के,जो बसते हैं हर जन के हिय।।


भक्ति, श्रृंगार, वीर रस की,कृतियां  देती आनंद अपार।

है सात समंदर पार  तलक,हिंदी का अपरिमित विस्तार।।

साहित्य की भाषा से आगे बढ़ हिन्दी अब एक व्यवहार बनी।

हिन्दी, हिन्दी, हिन्दी, हिन्दी, हिन्दी अब एक व्यापार बनी।


हिन्दी बाजार है बहुत बड़ा, इसमें प्रगति के अवसर है।

अब विश्व समूचा समझ रहा, यह अपनाने को तत्पर है।

बाजार की भाषा बनी हिन्दी, अब आगे बढ़ती जाती है।

हरे रामा रामा हरे हरे, हरे कृष्णा  दुनिया गाती है।।


हर हिंदुस्तानी हैं हिंदी, हिंदी की अपनी संस्कृति है।

शुभ शुभ और पावन अपनापन देती है,पालन करती है।

हिंदी ने बाहें फैलाकर सबको ही गले लगाया है।

अपने ही बल पर हिंदी ने, अपना स्थान बनाया है।।


आओ मिल यह संकल्प लें हम, हिंदी का साथ निभाएंगे।

जय जय हिंदी,जय हिंदुस्तान, हिंदी हैं हम मिल गायेंगे।।

जय देवनागरी जय हिंदी,यह नारा हमको प्यारा है।

हिंदी एक भाषा नहीं मात्र, हिंदी जन मन की धारा है।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' 

     धामपुर - उत्तर प्रदेश 


    गुणों की खान है हिन्दी


हमारी आन है हिन्दी, हमारी शान है हिन्दी, 

पुरातन संस्कारों की, नयी पहचान है हिन्दी। 

यही तो मातृभाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा है, 

राष्ट्र के भाल पर शोभित, नया सम्मान है हिन्दी ।।


बड़ी गुणवान है हिन्दी, गुणों की खान है हिन्दी, 

कि तुलसी, सूर, मीरा से मिली पहचान है हिन्दी।

जिसे सुनते ही रसना, नौं रसों का पान करती है,

अलंकृत, गीत, मुक्तक, छंद खुद रसखान है हिन्दी ।।


सुनहरे प्रेम के नव पंथ, का पैगाम है हिन्दी, 

तेरी मेरी मुहब्बत का, मुकम्मल ज़ाम है हिन्दी। 

चलो हिन्दी से मिल कर, प्रेम का हम व्याकरण सीखें, 

कलम की साधना के, मार्ग का एक नाम है हिन्दी ।।

 - कवि दिनेश सिंह सेंगर 

    मुरैना - मध्यप्रदेश


  हिंदी  भाषा  है  अद्भुत  निराली

हिंदी  भाषा  है  अद्भुत  निराली

 जैसी लिखी वैसे ही पढ़ी जाने वाली

 छंद व्याकरण के गहने धारण करने वाली 

रिश्तों को प्यारा सा संबोधन देने वाली 

हिंदी   भाषा  है  अद्भुत   निराली 

बोली को शहद सा मधुर बनाने वाली 

मन के भाव सहज प्रकट कर देने वाली

 जन जन को एक सूत्र में बांधने वाली 

हिंदी  भाषा  है  अद्भुत  निराली 

अ से अनपढ़ ज्ञ से ज्ञानी बनाने वाली 

हमें अपनी संस्कृति का ज्ञान देने वाली 

विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने वाली 

हिंदी  भाषा  है  अद्भुत  निराली

    - रवि प्रकाश आर्य

  बिजनौर - उत्तर प्रदेश 

  हिंदी  भारत  की  भाषा है


हिन्दी भारत की भाषा है 

भारत में रहने वाले इस  को  अपनाएं

अंग्रेजी को छोड़ हिंदी  का नान बढ़ाएं 

हिंदी  अपना  कर इसका  यश फैलाएं

संयुक्त राष्ट्रसंघ  में इसको मान दिलाएं 

भारत माँ  की यह आशा है

हिंदी  भारत  की  भाषा है  

तुलसी ने इस  भाषा में रामायण बनाई

 सूर ने कृष्ण  स्थली की थी कीर्ति गई 

भक्त कबीर ने मानवता का पाठ पढ़ाया

सन्तों ने भी सबको धर्म का पाठ पढ़ाया 

कितनी सुन्दर सरल भाषा है

हिंदी  भारत   की  भाषा  है

सब मिलकर बैठें और सोच विचारें

हिंदी को  अपनाने की  मन में धारें 

हिंदी भाषा का  सब  ही  मन बढ़ाएं

अंग्रेजी को छोड़  हिंदी को अपनाएं 

यह ही सर्वोत्तम भाषा है 

हिंदी  भारत की भाषा है

 - डॉ. केवल कृष्ण पाठक 

     जींद - हरियाणा 

                  हिन्दी 

  लो आ ग ई हिन्दी की याद आज भी प्रसऺगवश।

 बाकी दिन सभी लोग 

 हैन्डू नौजू फूट्टू 

 अऺग्रेजी में ही करते है।

  न जाने कहां भारत की अस्मिता खो गई है।

 आपने ही देश में 

हिन्दी सौतन सी  हो गई है।।

  हिन्दी  के नाम पर 

पेट भरने वाले लोग

 हिन्दी विमुख हो गये है।

  आज जो  हिन्दी दिवस शान से मनाएंगे 

  कल बच्चों का जन्म दिन 

 हैप्पी बर्थडे कह कर 

 मनाऐऺगे।।

     - मदन हिमाचली 

 सोलन - हिमाचल प्रदेश 

           हिंदी दिवस


किया था विचार महात्मा गाँधी जी ने 

प्रेरणा दी 1918 के हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने ।

मिले हिंदी को राजभाषा का स्थान, 

बसे हैं, इसमें हमारी प्रजा के प्राण। 

14 सितम्बर को मिला इसे, 

सम्मान अधिकारीक भाषा का। 

तब बढ गया महत्व हिंदी दिवस का,

अटल बिहारी वाजपेयी के संयुक्त राष्ट्र संघ, 

महासभा के भाषण पर ,

पहुँच गयी हिंदी राजभाषा, 

वैश्विक स्तर पर। 

है यही समय राजभाषा शास्त्रीयो ,

के आदर  और  सम्मान का ।

हम गौरवान्वित हो उठते हैं 

पाकर शुभाशीष विभूतियों का ।।

   - कुमुद लाड 

   रायपुर - छत्तीसगढ़

  

            हिंद की शान


हिंदुस्तान की हिंदी से ही बनती है शान। 

संस्कृत तनया हिंदी है भारत की जान।।


फलती फूलती सुना रही लोरी की तान ।

संस्कृति के दर्शन कराती भारत को महान।। 


हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब कहते हिन्दी हिंद की जान। 

हिंदी बनी सबकी एक जान तभी बनी विश्व की पहचान ।। 


मां बाप पिता शब्द भरते हैं उससे हिन्दी बनी महान। 

हिंदी से ही करें रिश्तों भावनाओं का गुणगान।। 


हिंदी में ही हर हिंदुस्तानी करें गीतों का गायन। 

भाषाओं की सरताज हिन्दी है हिंद की शान।। 


विश्व की सरताज़ हिन्दी बनाये सारे संसार में महान। 

आओ हिन्दी में बात करके बनाये विश्व में पहचान।। 


गर्व से सीना तान कर कहे विश्व में हमारी हिन्दी की शान। 

हिंदी का जज्बा करे हर प्राणी हर दिल में अनोखी शान।। 


करे हिंदी का तहेदिल सम्मान जिससे हो भारत का गुणगान। 

हिंद ने बनायी है विश्व में भारत में अपनी पहचान।।। 

   - हीरा सिंह कौशल 

 सुंदरनगर -  हिमाचल प्रदेश

   दोहे की धड़कन में हिंदी 


तकनीकी के काल  में , वैश्विक हिंदी रूप।  

उर भावों के सिंधु से , फैली सर्जन धूप।।   १ 


हिंदी धड़कन में बहे , अभिव्यक्ति की  धार।  

अलंकार रस  से करे , काव्य संधि  श्रृंगार।। २ 


हिंदी अब वैश्विक हुई , भारत  की पहचान। 

विज्ञापन से बढ़ रही , इस भाषा की   शान।। ३ 


बॉलीवुड की फ़िल्म भी  , चलती हिंदी चाल। 

करें  कमाई लाख में   ' मंजू ' सालों साल।। ४ 


 किया अहिन्दी क्षेत्र में  ,  हिंदी  को आसान। 

  पाठ राजभाषा गढ़े ,  इसका  सरल  विधान।। ५ 


 बनी एकता राष्ट्र की ,  हिंदी  से जग  जान।  

चुनौतियों में चमकती , देवनागरी  शान ।।६ 


संस्कृत हिंदी  की लगे  , प्यारी मातु महान ।

प्रत्यय पर्यय से बढ़ा, शब्दों का भंडार।।७


देवनागरी लिपि बनी, वैज्ञानिक आधार।  

वही लिखे जो बोलते , हिंदी का यह सार।। ८ 


आंदोलन की डोर है , लोगजुड़े  दिल खोल ।  

गांधी की लाठी बनी , आजादी के  बोल।।९

 

देश एकजुट है हुआ , बाँधे हिंदुस्तान। 

हिंदी धारे प्रांत हर  , भारत की पहचान।।१०


बसते कबीर - सूर के   , हिंदी में हैं  प्राण।  

  नाची मीरा श्याम पद, गा के  प्रेम प्रमाण।।११


बिगड़े हिंदी स्तर पर  , करना सभी सुधार। 

हम सब का दायित्व है , हिंदी से हो प्यार।१२


 हिंदी भाषा में जुड़े , भाषाओं के  चाँद।  

समावेश की भावना  , भरे शब्द की नाँद।। १३ 



ज्ञान भारतम् में सजा , चेतना संसार।

 हुई पांडुलिपि  है यहाँ, जीवित पोट्रल सार।।१४


अस्सी भाषा फिर हुयी , प्रयास से जीवंत।

ज्ञान भारतम् बना , धरोहरों से बलवंत।।१५

   - डॉ. मंजु गुप्ता

    मुंबई - महाराष्ट्र 

              मेरी माँ 


मातृभाषा 

मेरी हिन्दी

इसे दाएँ-बाएँ 

जैसे चाहूँ वैसे बोल लेती हूँ

माँ है यह मेरी 

हर्ष-विषाद

क्रोध/शांति सब 

इससे कह लेती हूँ,

सीखी/पढ़ीं जाती हैं शौक से 

विभिन्न भाषाएँ 

पर जो अलौकिक सुख 

मिलता है अपनी मातृभाषा बोलने में 

वह बोलने वाला ही समझता है,

प्यार करें 

अपनी मातृभाषा/बोलियों से 

रचें उसमें प्रचुर साहित्य 

सहेजें उसमें अपने 

विलुप्त होते रीति-रिवाज 

अपने पुरखों के अनुभव 

और अनमोल विरासत।

 - डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई

     देहरादून - उत्तराखंड 


     हिंदी से  मिलता गौरव 


हिंदी हमारी शान है, 

हिंदी है अभिमान, 

हिंदी से ही मिली, 

हमें पहचान.


तुलसी और कबीर की

प्यारी भाषा हिंदी, 

राम और रहीम की

प्यारी भाषा हिंदी.


दोहा,रोला, सोरठा

चौपाई और छन्द, 


जिस में भी अभिव्यक्ति करो, 

देते  काव्य को  नये पंख, 


खुसरो की मुकरी हो, 

 या हो मीरा की पीर, 

हिंदी सुन कर ही तो, 

बहते नयन से नीर, 


हिंदी से  मिलता गौरव और सम्मान 

हिंदी को मिलें राष्ट्रभाषा की पहचान! 

 - संध्या चतुर्वेदी

बंगलौर - कर्नाटक 


   मेरा अभिमान हिंदी है


जान,आन,बान और शान जगत में महान हिंदी है, 

हमारे देश की प्यारी घर-घर की पहचान हिंदी हैं।

स्वर व व्यंजन के पथ पर हमें चलना सिखाती है, 

मेरे दिल की धड़कन और मेरा अभिमान हिंदी है।।


अमृत बन मुख से निकलती स्वाभिमान हिंदी है,

स्वत्वाधिकारी बनी है हम सबका तो गान हिंदी है।

हर मुख पर उछलती रहती मेरी मुस्कान हिंदी है,

दूर गगन में पतंग सी लहराती मेरा मान हिंदी है।।


वो बुढ़ा बरगद का छांव और मेरा गांव हिंदी है,

राह से भटका हुआ मुसाफिर का पांव हिंदी है।

जगत में सभी भाषाओं का भी सम्राट हिंदी है।

मेरी आत्मा को संतुष्ट करती मेरी आन हिंदी है।।


जगत का दरगाह मेरे मन का बागान हिंदी है,

करती जगत को लाल-लाल मेरा पान हिंदी है।

मेरा जेवर,मेरी पूंजी,मेरा हिसाब की शान हिंदी है,

मेरी मन्नत,मेरी ज्योति की छाया,गिरेबान हिंदी है।।


- प्रभात सनातनी "राज" गोंडवी

         गोंडा - उत्तर प्रदेश

       सर्वशक्तिमान है हिंदी 


युगों युगों से समर्थ भारत की

 सशक्त पहचान है हिंदी 

सत्यम शिवम सुंदरम का 

शीर्ष प्रतिमान है हिंदी


भावों की अभिव्यक्ति का

अमूल्य वरदान है हिंदी 

सरस सरस सुमधुर भाषा का

सहज परिधान है हिंदी 


विभिन्न जाति और धर्म का

व्यापक आसमान है हिंदी 

हम सब भारतवासियों का

अटूट अभिमान है हिंदी 


साहित्य,कला,दर्शन का

मूल विज्ञान है हिंदी 

नैतिक बौद्धिक विकास का

एक ही भगवान है हिंदी 


कबीर,तुलसी,भारतेंदु का

अक्षुण्ण स्वाभिमान है हिंदी 

विश्व के साहित्य जगत का

ब्रह्म ज्ञान है हिंदी 


आध्यात्म से विश्व युद्ध का

संपूर्ण निदान है हिंदी 

वसुधैव कुटुंबकम् ज्ञान देती

सर्वशक्तिमान है हिंदी

सर्वशक्तिमान है हिंदी 

 - लक्ष्मी सिंह 

 शाहजहांपुर -उत्तर प्रदेश

           हस्ताक्षर करो

भारत की तू शान है ,

हिन्दी तू अभिमान है।

शान से कहेंगे हम ,

हिंदी मेरी जान है।


माथे की यह बिंदु है,

सजी ये चँद्रबिंदु है।

स्वर देखो सज रहा ,

हिंदी मेरी शान है।


व्यंजन चमक रहे,

अक्षर दमक रहे।

मीठी सी यह भाषा है,

हिंदी ही महान है।


चलो हर काम करे,

हिन्दी का ही नाम करें ।

माता की यह बोली है ,

मुझको गुमान है।


नहीं करो शर्म हया ,

चलो करो धर्म बया ।

हिंदी की ही भाषा से,

नूतन विहान है।


बहे दिल राज भाषा,

मन में हो न निराशा 

वर्णों की सुंदर माला,

करो अभिमान है।


लोरी माँ हिंदी में गाए,

जन गण गीत गाए।

हिंदी की स्वाद जैसी,

नहीं कोई जुबान है।


घर से ही शुरू करो,

मत तुम शर्म करो

हैलो ,हाय मत कहो,

उठाओ कमान है।


हिंदी में हस्ताक्षर करो,

भाषा का प्रचार करो।

आओ सब अपनाए,

सुंदर विधान है।


हिंदी के दिवस पर

खूब गुणगान कर

कहो सभी ताल ठोक 

यही मेरी प्राण है।

  - सविता गुप्ता

 राँची - झारखंड


          हिंदी के शब्द 

हिंदी के हर शब्द 

अब बोलने लगे हैं 

निर्भय हो 

कितनों को कोसने लगे हैं,

आक्रोश, विद्रोह 

और फटकार बन

हर शब्द- शब्द 

अब बोलने लगे हैं ।

अब जनता के हर शब्द 

नेताओं को चुभने लगे हैं 

ये शब्द बार - बार 

दिमाग़ को झकझोरने लगे हैं ।

दिन ब दिन 

सशक्त हो रही हिंदी 

नज़रअंदाज़ करना अब मुश्किल 

शब्द अब नारें बन गूंजने लगे हैं ।

     -   सेवा सदन प्रसाद 

           मुंबई - महाराष्ट्र 


       हिन्दी पावन गान


निर्मल  पावन शारदे, दो हमको  उपहार।

हिन्दी सेवा नित करें, मन में भरो विचार।।


हिन्दी जन-जन का स्वर , कोमल इसका रूप। 

भाषाओं के मध्य में, हिन्दी लगे अनूप।। 


हिन्दी पावन गान है, अतिशय मधु रसयुक्त। 

भारत माँ की गोद में, रहती बन्धनमुक्त।। 


हिन्दी पावन गान है, गाते इसको संत। 

हिन्दी महिमा है अमित, करे चित्त को कंत।।


लेख सरल बोली सरस, है अति सहज विधान। 

पढ़ो-लिखो नित-नित इसे, हिन्दी पावन गान।। 


निज भाषा पर गर्व कर, यह है पावन गान। 

स्वाभिमान यह देश का, हिन्दी से है शान।। 


हिन्दी  भावों   से  भरी, भरा हुआ अनुराग।

कोयल जैसी ध्वनि हुई, बोले हिन्दी काग।।


है पश्चिम से पूर्व तक, हिन्दी भारत-प्राण। 

भाषा है यह देव की, इससे ही है त्राण।। 


हिन्दी पावन गान है, हिन्दी भारत आन।

जन-जन को अनिवार्य है, होना इसका ज्ञान।।


 - सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'

देहरादून - उत्तराखंड

    १४ सितंबर हिन्दी दिवस 

हिन्दी बने राष्ट्रभाषा छेड़े मिलकर अभियान।

हिन्दी बोलने से न कतरायें दें उचित सम्मान।

हिन्दी स्वाभिमान की भाषा,है अनमोल योगदान।

हर भारतीय के दिलों में हिंदी के लिए है अभिमान।

सरल, सुस्पष्ट, प्रांजल भाषा सदा होती प्रकाशमान।

हिन्दी भाषा कोयल कूक सी मधुर है देश की जान।

हिन्दी भाषा गुणों की भरमार,सरलता है पहचान।

रस,छंद,अलंकार से सौंदर्य बढ़ता बनती है महान।

हिन्दी भाषा भक्ति, प्रीति,रस, माधुर्य की है प्रतिमान।

हिन्दी की शौर्य पताका होती चहुंओर गूंजायमान।

हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का है योगदान।

कबीर की वाणी,सूर के अनुराग,तुलसी के भावों का बखान।

महादेवी की वेदना,पंत का प्रकृति चित्रण दिनकर का जयगान।

राष्ट्रीय चेतना का हुंकार भरती रचना होता गुणगान।

अखिल विश्व में हिन्दी का है अनुपम योगदान।

हिन्दी बढ़ाती मातृभूमि का मान,होती सदा दैदीप्यमान।

हिन्दी भाषा सबसे मीठी जाने सकल जहान।

हिन्दी ही एकता लाएगी,भारतवासियों को है संज्ञान।

आओ मनायें हिन्दी दिवस करें मुक्त कंठों से बखान।

कविता पाठ,भाषण देकर पुष्पाहार से दें सम्मान।

- डॉ. माधुरी त्रिपाठी 

रायगढ़ - छत्तीसगढ़

 

         हाँ! हिंदी हैं हम


भाषा का प्रवाह जब

 नदी की धारा बन 

सागर से मिलती है 

भाषा का संगम 

हिंदी ही होती है।


हर देश की अपनी राष्ट्र भाषा है 

भाषा से उसकी शान है 

निज भाषा में ले शिक्षा 

करता वह अभिमान है।

हाँ! हिंदी हैं हम।


हाँ ! मैं हिंदी हूँ

राष्ट्र की भाषा हूँ

जीवन की अभिलाषा हूँ

भविष्य की आशा हूँ ।


हाँ हिंदी हूँ मैं

राष्ट्रहित में जिंदी हूँ

 वह दिन जल्दी आना है 

परचम मेरा फहराना है।


देश भक्ति का गीत हूँ

 लहरों का संगीत हूँ

शब्दों की भाषा में बोलो

 मैं कर्ण प्रिय हूँ।


है भाषाओं के पुष्प अनेक

भारत की झोली में 

एकता में अनेकता की सुवास

लिये फैली है पूरे विश्व में।

वह हम हिंदी  है।


क्रांति लेकर आया डिजि़टल युग

तकनीकी को विस्तार दें।

हिंदी में टाइपिंग की शिक्षा देकर

हिंदी का हम प्रचार प्रसार करें।


हिंदी में शिक्षा लेकर

दिवाना हो जाता हिंदी का

हिंदी में लिखना हिंदी में पढ़ना

हिंदी में देखा है एक सपना

हिंदी ही जीवन अपना।


 हिंदी पुस्तक,हिंदी टीवी,

हिंदी में सिनेमा !

खिल आया सौंदर्य लेखन में

जिस दिन से पहना है 

हिंदी का गहना !   


 - चंद्रिका व्यास

   मुंबई - महाराष्ट्र 

              

      हिन्दी  है  राष्ट्रभाषा                                               

               रोती  -  रोती  ,     आई     बेटी।

               पापा ,   स्कूल   नहीं    जाऊँगी।।

               चाहे   आप , कुछ   भी  कह  दें ।

               बात    नहीं   मैं   अब    मानूँगी।।


               दौड़े     पापा - मम्मी  ,    आए ।

                थे   वे    दोनों   अति  घबराए ।।

               फूल -  सी    बेटी  , क्यों   रोये ।

                झर - झर  आँसू , बहते  जाये ।।


               बोले   दोनों    ,   एक   स्वर में ।

               देख    बेटी   को  ,  तेवर    में ।।

               क्या   हुआ   है,   ऐसा तुमको  ।

               आना   पड़ा ,   इस  दोपहर में ।।


                रोती  - रोती   ,  बोली     बेटी ।

                मैं  तो  हूँ  , ' हिंद  '  की  बेटी ।।

                हिंदी   में  , जब    मैंने  बोली ।

                मैडम ,   खींची   मेरी    चोटी  ।।


               बेंत     से    है  ,  मुझको  मारी ।

               चोट   लगी  है  , मुझको  भारी ।।

               डाँटी  - डपटी  ,   खूब  मुझको ।

               समझा  दो ,   न   मारे  मुझको ।।

  

                जान   आज ,  दिवस  है  हिंदी।

                मैंने    खूब   ,   बोली      हिंदी।।

                मना   करती   मैडम ,   मुझको।

                नहीं     बोलना    है  ,    हिन्दी ।।


                लगती  मुझे    ,   प्यारी    हिंदी ।

                अच्छी - न्यारी  ,   मेरी     हिंदी।।

                तुम्हीं    बताओ ,    पापा    मेरे ।

                क्यों    न   बोलूँगी ,  मैं   हिन्दी ?

                   

                 हिंदी -  अंग्रेजी    का    झगड़ा ।

                 बोलो   यह ,   कैसा    है रगड़ा ?

                हिंदी   है , जब  देश   की भाषा ।

                तब  ,  कैसे  है  हिन्दी   पिछड़ा ?


                 हिंदी    है   ,  प्रेम   की    भाषा ।

                 हिंदी    है  ,  सहज  मेरी  भाषा।।

                अंग्रेजी         भी          जानूँगी ।

                 बैरी    नहीं    ,    कोई    भाषा ।।


                 चाहिये      सभी    को   जानना

                 हर   देश    की    विभिन्न भाषा ।।

                 फिर भी   हिंदी   को    मानूँगी ।

                 हिंदी        है      ,     राष्ट्रभाषा ।।


  - डा. बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता

            पटना - बिहार

     हमारी जान है हिन्दी 


बहुत मीठी-मधुर भी है, गुणों की खान है हिन्दी 

सहज है सीखना इसको, बड़ी आसान है हिन्दी  


कहानी और कविता से सजा इतिहास हिन्दी का 

कबीरा सूर तुलसी जायसी  रसखान है हिन्दी 


हमारी आपकी ये मातृभाषा, राजभाषा है

बनेगी राष्ट्रभाषा,देश का अभिमान है हिन्दी 


गज़ल ठुमरी सुने हम गीत दोहे और चौपाई 

शरद गुरुदेव के लफ्जों में,न्यारा गान है हिन्दी 


जहाँ की बोलियों में भी, मिला है दूसरा दर्जा 

कि मेरी शान है ये हिन्दी, हिन्दुस्तान है हिन्दी 


भले तुम अन्य भाषा सीख लो, बस ज्ञान के ख़ातिर 

मगर सरला कहे सबसे, हमारी जान है हिन्दी 

   - सरला मेहता 

 इंदौर - मध्यप्रदेश 

          अभागिन माँ

हिन्दी हमारी आन-बान-शान है

हम सबका मान और सम्मान है

भारत माता के भाल की बिंदी 

सब के दिलों का सुनहरा ख्वाब है

परंतु वर्षों से वह है ख़ुद पर शर्मिंदा 

अपने भाग्य को है कोस रही अहर्निश

पा सकी न राष्ट्रभाषा का दर्जा

बन कर रह गयी है राजभाषा

भले ही आज हिंग्लिश के रूप में

विश्व बाज़ार में हो रही है काबिज़


काश! वह मातृभाषा के रूप में

मनोभावों की अभिव्यक्ति का सशक्त

माध्यम बन, गर्व से मस्तक ऊंचा कर

दिलों की दास्तान बयान कर पाती


बहुत मना चुके हिन्दी पखवाड़े

करते हर वर्ष हम चंद दिनों के लिए

हिन्दी का मनन, वंदन और अभिनंदन

गढ़ते कसीदे उसकी शान में

परंतु वह अभागिन कहाँ ठहर पायी

सौतन अंग्रेज़ी के ऐश्वर्य के सम्मुख


आओ! हम सब मिलकर दुखियारी

माँ को चिर-प्रतीक्षित सम्मान दिलाएं

हिन्दी हैं हम और वह हमारा ग़ुरूर 

उसे मनोयोग से जीवन में अपनाएँ

भुलाकर सब ग़िले-शिक़वे,तज राग-द्वेष 

जन-मानस हित पावन निर्झरिणी बहाएं

        - डॉ• मुक्ता

    गुरुग्राम - हरियाणा 

     हिन्दी हमारी पहचान है

क्योंकि - -


हिन्दी हमारी आन है,

हिन्दी हमारी शान है,

हिन्दी हमारी पहचान है,

हिन्दी हमारा अभिमान है,


इसलिए

सोचो जरा...

हिन्दी से दूरी क्यों ?

जबकि 

हिन्दुस्तानी हैं हम,

हिन्दी भाषी हैं हम,

खुद को हिन्दी से दूर न कर,

अंग्रेजी के लिए मजबूर न कर । 


     - पूनम झा 'प्रथमा'

      जयपुर - राजस्थान


              हिंदी

हिंदी अपनी है प्यारी, हर भाषा में है न्यारी,

जय वासी बलिहारी ,बोली हिंदुस्तान की ।।


मातृभाषा प्रिय हिंदी ,खेले खेल एक बिंदी ,

बोली में बसे आनंदी ,भाषा अभिमान की ।।


हिंदी से जिसे शर्म है ,बातें भी बड़ी गर्म है ,

कभी न जिह्वा नर्म है,छवि न दे ज्ञान की ।


वंदे मातरम् करूँ,अंजुलि भाव से भरूँ,

 नहीं किसी से मैं डरूँ,हिंदी हिंद शान की।।

 - वर्तिका अग्रवाल 'वरदा'

  वाराणसी - उत्तर प्रदेश 

       मैं हिन्दी प्यारी

 धुन: छोड़ो कल की बातें,कल की बात पुरानी ---

तुम भी मुझको प्यारे, मैं भी तुमको प्यारी

कल थी तुम्हारी,आज तुम्हारी,कल भी रहूंगी तुम्हारी

मैं हिन्दी तुम्हारी मैं हिन्दी तुम्हारी 

मैं हिन्दी प्यारी, मैं हिन्दी प्यारी ------

     मैं तो भारत माता के माथे की बिंदी

 बच्चो मुझको अपनालो मैं तुम्हारी हिन्दी 

 मैं तो मीठी बोली हूं दिल खोल के बोलो

करलो मेरा बखान ना अंग्रेजी से तोलो

हिन्दुस्तान की जान हूं मैं और हूं सबसे न्यारी 

 मैं हिंदी तुम्हारी मैं हिंदी तुम्हारी 

 मैं हिंदी प्यारी मैं हिंदी प्यारी--- 

      देवनागरी लिपि है मेरी यह सभी जानते

 देती लेखक कवि महान तुम क्यों न मानते

 मैं ही हूं जो अज्ञान को दूर भगाती 

सोए भाग्य भी मैं देखो सबके जगाती 

आन बान और शान से मेरी खिलती हर फुलवारी

 मैं हिंदी तुम्हारी  मैं हिंदी तुम्हारी 

 मैं हिंदी प्यारी मैं हिंदी प्यारी---

     हिंदी लेखन से अपनी पहचान बनाओ 

भारत के गांवों संग कस्बों में पहुंचाओ

 राष्ट्र का गौरव हूं मैं यह जन जन को बताओ

 खुद भी सीखो व बड़े प्यार से सबको सिखाओ

 मातृभाषा मैं सहज सरल हूं और हूं कितनी प्यारी 

मैं हिंदी तुम्हारी मैं हिंदी तुम्हारी

मैं हिंदी प्यारी मैं हिंदी प्यारी 

     तीन दिनों तक बहस छिड़ी संविधान सभा में

 राजभाषा हम किसे बनाएं हिंदुस्तान में

 अंग्रेजी को एक दो प्रतिशत ही पढ़ते थे

 46(छियालिस) प्रतिशत हिंदी भाषा को गढ़ते थे

न्यायमुक्त था दावा मेरा

 मैं बन गई राज दुलारी

 राजभाषा तुम्हारी मैं हिंदी तुम्हारी

 मैं हिंदी प्यारी मैं हिंदी प्यारी...

 - मधु गोयल मधुल

  कैथल - हरियाणा 

 अपनी हिंदी देवनागरी   

हिन्दी कोई नई नहीं,

ना ही अंजानी है 

फिर अपनी पहचान बनाने 

संघर्ष क्यों तुम करती हो हिंदी 

तुम तो सदियों से चली आ रही हो

इतिहास गवाह है अभी थोड़े आई हो

ऋषि मुनि की तुम कलम की संगति हो

ऋषि मुनि वेद पुराण हिन्दी से ही तो सुसज्जित करते थे

देश विदेश सभी तुम्हें गले से लगाते हैं 

सभी तुम्हें मन से अपनाते हैं 

फिर क्यों तुम सबकी प्रिय होकर अपनी लड़ाई लड रही हूं 

हम तुम्हारे साथ है

तुम्हें हम अपनी पहचान दिलायेगा

राष्ट्र की भाषा का दर्जा की माला से तुम्हें सुसज्जित करेंगे 

मोदीजी हिंदी को बना दो राष्ट्र की भाषा  । 

देश के विकास में तुम्हें हाथ पकड़ कर आगे ले जायेगी।

जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती उन्हें का नहीं मिलता 

हिन्दी सभी जगह होगी हर क्षेत्र में काम होगा

हर युवा वर्ग को काम मिलेगा देश का विकास होगा।

देश आगे बढ़ेगा

बना दो मोदीजी इसे राष्ट्र की भाषा यह किसी से गैर अंजानी नहीं है 

आप अकेले नहीं हम हिन्दी को लेकर आपके साथ खड़े हैं 

बना दो इसे राष्ट्र की भाषा यह अपनी हिंदी देवनागरी लिपि ऋषि-मुनियों की राज माता 

तुम्हारा मान सम्मान है

हिंदूस्थान की बेटी है। नहीं पराई है।

 - अंजली तिवारी मिश्रा 

 जगदलपुर - छत्तीसगढ़


      हिन्दी की आरती

ॐ जय हिंदी भाषा, हो मैया जय हिंदी भाषा ၊

तुमको निशिदिन भाषित, तुम सबकी भाषा ၊ ၊ॐ၊ ၊

बावन वर्ण कलेवर, सुंदर लिपि भाषा ၊

देवनागरी कहते, तुम सबकी आशा ၊ ၊ॐ၊ ၊

सरस,सरल, वैज्ञानिक, गणकों की भाषा ၊

राजभाषा पद राजत,तुम राष्ट्रीय भाषा ၊ ၊ॐ၊ ၊

विचारों की वाहिनी, अभिव्यक्ति भाषा ၊

अपने सेवक जन की, सुख शांति भाषा၊ ၊ॐ၊ ၊

नर्मदा सी निर्मल, कोटि जनों की भाषा ၊

अजर-अमर-अविनाशी, भारत की भाषा ၊ ၊ॐ၊ ၊

हिंदी पढ़िए लिखिए,हिंदी बोलिए भाषा ၊

न अबला न दुर्बला, शक्ति की भाषा ၊ ၊ॐ၊ ၊

भावों से भरी हुई, है सक्षम भाषा ၊

अपना ज्ञान बढ़ाओं,पढ़ हिंदी भाषा ၊ ၊ॐ၊ ၊

जस लिखते तस पढ़ते,एक स्वर- लिपि भाषा ၊

संस्कृत की तुम कन्या,जन-जन की भाषा ၊ ၊ ॐ၊ ၊

तन-मन-धन न्यौछावर, हो विकसित भाषा ၊

जो जन तुमको भाषित , भक्ति भरी आशा ၊၊ॐ၊ ၊

भाषा भेद मिटाओ,तुम पूरण भाषा ၊

है कृतज्ञ माँ हिंदी , आरती रच प्यासा ၊ ၊ॐ၊၊

- आचार्य गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी

             जबलपुर - मध्यप्रदेश 


      हिंदी हमारा गर्व है

               

हिन्दी हमारी शान है ,हिन्दी भाषा रुप,

हिन्दी हमारी जान है, हिन्दी हमारा गर्व। 


हिन्दी से हम है, हमसे हमारा देश आज,

भाषा विभिन्न क्षेत्र में पली पुत्री भारती।


प्रवाह नदी गंगा सा भारती वाणी का,

अपनों में अपनापन दिखलाती बहती।


हर बार चुनना अपनी भाषा  प्रयोग में

हर बार तब अपनी अस्मिता को बनाती।


चाहे हो भारतेंदु जी हो प्रेमचंद जी सहज,

हिन्दी में कर निर्माण साहित्य हो सार्थक।


मातृ भूमि की महक, भारती शब्दों में,

मिट्टी में जान डालती उजियारा भरती।


मीठी वाणी में रस मधु भर कोमलता,

भर देती नवल रस एकता के भावा से।


पहाचान देने भारतीय अपनी अपनों की,

पुकार लगाती रहती आवाज़ आत्म भाव ।


- डा. दक्षा एच. निमावत " पृथा"

 ‌  गांधीनगर - गुजरात 

     हिंदी हमारी जान है

हिंदी हमारी जान है

   हिंदी हमारी शान है

     हिंदी गौरवशाली भाषा

         हिंदी हमारी पहचान है।


हमारी मातृभाषा हिंदी है

    भारत माता की बिंदी है

         प्रेम करना सिखाती है

             भारत की शान  हिंदी है।


मीरा तुलसी सूर ने गाया हिंदी में 

   कबीर रसखान ने सुनाया हिंदी में 

           वेद पुराण गीता और रामायण 

                 सबकी  जननी बनी है  हिंदी ।


महादेवी ने काव्य रचा यहां हिंदी में 

    निराला ने दिल को छुआ यहां हिंदी में 

             गीत  लिख लिख कर कवियों ने 

                 विश्व पटल पर पहचान दिलाई हिंदी को ।


वीणा के तारों की गूंजन है हिंदी

     कान्हा की बांसुरी की धुन है हिंदी 

            इसको अब संवर जाने दो यारों।   

                 हमारे राष्ट्रगान में बसी है हिंदी ।

- पं .पुरूषोत्तम शाकद्वीपीय"प्रेमी" 

          उदयपुर -राजस्थान

   ये हिंदुस्तान की शान है

अस्तित्व हिंद का है हिंदी, ये हिंदुस्तान की शान है,

 हिंदीभाषी होने पर हर हिंदुस्तानी को अभिमान है।


पर चुभते है कुछ दृश्य जब मातृभाषा तिरस्कृत होती है,

 यह भाषा स्वयं ही अपने भीतर अनेक अर्थों को संजोती है।


हिंदी साधारण भाषा न है, ये प्रत्येक भाषा की रानी है,

 जिसने आज अपनी पहचान बिसराई, बनती जा रही कहानी है।


जिस हिंदी में शब्दों के, अद्वितीय रूप सुसज्जित होते हैं, 

उस भाषा को अपनाने में, हम क्यों लज्जित होते हैं।


गूंगा सा है भारत देश, राष्ट्रभाषा के अभाव में,

 जीना चाहता है प्रत्येक हिंदीप्रेमी, हिंदी भाषा के प्रभाव में।


स्वप्न यही सजा है मन में, अब हर दिन हिंदी का सम्मान हो, राजभाषा में ही नहीं, अब राष्ट्रभाषा के रूप में इसका नाम हो।।


    - सिमरन तोमर

 मुरैना - मध्यप्रदेश

          मै हिंदी हूँ 

मै हिंदी हूँ, 

रही सदा ही, 

मै तुम्हारे जेहन में, 

हर दिल में, हर धड़कन में, 

भारत के हर इक मन में।


मै हिंदी हूँ, 

रही सदा ही। 


मै सखी बन साथ रही थी, 

स्वतंत्रता रण में खड़ी थी, 

क्या लाठी क्या गोली तुम  पर ,

तुमने हर बेड़ी तोड़ी थी। 


आजादी पाई फिर तुमने, 

मै अभी भी वहीं खड़ी हूँ, 

मै हिंदी हूँ,

रही सदा ही। 


कितने कितने कष्ट मिले पर, 

हाथ कभी न छोड़ी मै, 

कितने कितने अपमान मिले पर,

मुख कभी न मोड़ी मै।  


तुमने लाया विकास बहुतायत, 

मै गुलामी में जकड़ी हूँ, 

मै हिंदी हूँ, 

रही सदा ही। 


आज भी सुनते हो तुम सब, 

हक अपना न पाई हूँ, 

बस यूँ ही चलती फिरती हूँ, 

एक उपादान बन पाई हूँ। 


राष्ट्रभाषा कहलाऊँ शायद, 

बस यह अंदेशा भरती हूँ,

मै हिंदी हूँ, 

रही सदा ही। 


शायद कोई पल वह पाऊँ, 

जो सबको मेरा महत्व बताये, 

भाव स्वदेशी याद कराये, 

मुझको मेरा हक दिलवाये।


तब मानूँ सचमुच कि मै, 

तुम्हारे माथे की बिंदी हूँ, 

मै हिंदी हूँ, 

रही सदा ही। 


    - संतोष श्रीवास्तव "सम"

        कांकेर - छत्तीसगढ़ 

             हिंदी में 

         भारत  का विकास  हिंदी में 

          संस्कृति का प्रकाश हिंदी में। 

         जन के सभी भाव हिंदी में 

        मनोकामना भी हिंदी में। 


रोम रोम पुलकन  हिंदी में 

सुख दुःख पीड़ा भी हिंदी में। 

माँ की ममता है हिंदी में 

पिता की मेहनत भी हिंदी में। 


रूठ मनौवल है हिंदी में 

सखा भाव भी है हिंदी में। 

लिखना पढ़ना सब हिंदी में 

पूजा अर्चन भी हिंदी में। 


करुणा दया प्रेम हिंदी में

साधु संगति भी हिंदी में। 

मीरा तुलसी सूर रसायन 

पद गाते उनके हिंदी में। 


देश प्रेम भी हिंदीमय है

राज्य प्रेम भी है हिंदी में। 

हिंदी बोले सारी दुनिया 

है मिठास भारी हिंदी में। 


सहज सरल वैज्ञानिक हिंदी 

सारा ज्ञान भरा हिंदी में। 

ऐसी कोई ध्वनि नहीं है 

जो ना हो मेरी हिंदी में। 


आओ हम सब मिलकर गायें 

सोचें समझें सब हिंदी में। 

हिंदी मेरी माता सम है 

उसको नमन करें हिंदी में। 


- डॉ अवधेश कुमार चंसौलिया

       ग्वालियर - मध्यप्रदेश 

   मेरी हिन्दी  के सप्त स्वर 

मेरे हिन्दुस्तां की पहचान

मेरे भारत की आन और शान

     वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ - - -।। 


देवांगन जन-गण-मन आवाज

देवनागरी लिपि की परवाज! 

हाँ जिसकी वर्णव्यवस्था में

युगों युग वैज्ञानिक संधान !!

    वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ----1


पाणिनी वाचस्पति के सार

अक्षरों का अक्षय भंडार! 

शक्तिपीठ वैवस्वत आकार

गंगा-जमुनी संस्कृति अवधान!! 

      वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ ---2


नियति जिसमें सीता की बान

पीर में उर्मिला द्रौपदी गान!

यशोधरा गांधारी की पुकार 

शकुंतला तारामति की आन!! 

     वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ---3


वो जिसमें मीरां की वाणी

वो जिसमें गंगू तुका गाणी

महकती गज़ल जफर की जहाँ

औ' हंँसते खुसरो अमिर दिलशान!!

       वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ - - - 4


वेद शास्त्रों का अतुल आगार

भानु भास्कर सम जग-मग द्वार! 

विश्वगुरु का अग-जग आभार

व्याकरण के अद्भुत सुधि ज्ञान!! 

       वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ - - -5 


भावना भाषा बोली वेश

अवधि ब्रज बुंदेली संदेश! 

सूर तुलसी कबीर दरवेश

हाँ जिसमें रच गये कोटि सुजान!! 

     वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ - - -6

  

सहोदरा तेईस भाषा ज्ञान 

दासी अब इंग्लिश की ना जान! 

राष्ट्र भाषा मेरी बहुमान

हाँ देश की संप्रभुता की शान!! 

        वो हिन्दी ढूँढ रही हूँ - - 7


- हेमलता मिश्र "मानवी "

     नागपुर - महाराष्ट्र 


            मैं हिंदी हूं 

मेरी जननी है संस्कृत

शब्द भंडार मेरा विस्तृत ,

जो शब्द होते हैं विलक्षण , 

कर लेती मैं उन्हें ग्रहों!!


संस्कृत से प्राकृत ,

प्राकृत से अपभ्रंश ,

मुझमें सम्मिलित इन

भाषाओं के अंश  !!


अधिकाधिक प्रयोग से 

मैं नित दिन निखरती  !

इस बात की अज्ञानता ,

मुझे है कुछ खटकती !!


कोई शब्द नहीं मूक,

मैं तो हूं बस दो टूक !

बोलने लिखने में सरल ,

भाषा प्रवाह अविरल !!


कई महान व्यक्तियों ने

किया मुझे प्रतिष्ठित !!

मुझे मिला वो सम्मान ,

जो था मुझे अपेक्षित !!


मेरे अदभुत बाल का

इतिहास है गवाह !!

निरंतर उपयोग से 

बहता मेरा अनंत प्रवाह !!


विश्व की हूं मैं

भाषा एक महान!

भारतवासी समझते 

हैं मेरा योगदान !!


मुझमें समाया हिंदुस्तान ,

मुझसे है भारत की शान ,

मेरी छवि देखो निराली ,

इसमें भारत की खुशहाली !!


हर भारतीय के दिल 

में मैं रहना चाहती हूं !!

प्यार चाहती हूं , दुलार 

चाहती हूं , राष्ट्रीयता की


भावना से ओत 

प्रोत ,अपने निर्मल 

रूप सहित, रहना ,  

बसना चाहती हूं !!


मैं हिंदी हूं ,

मैं हिंदी हूं !!

- नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

        साँस हिन्दी है

उपहास उड़ाने वालों को

दर्पण भेंट देना भूल जाते हैं।

हिन्द के वासी हिन्दी की बधाई देते हैं!



इक दिवस की नहीं प्यासी हिन्दी

आंग्ल की है नहीं न्यासी हिन्दी 

हँसते-रोते हैं, कभी हम उदास होते हैं

साँस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।


आँचलिक शब्द हमें रास नहीं आते हैं

हम इन्हें हिन्दी का दुश्मन तलक बताते हैं।

और अंग्रेजी हेतु सूरदास होते हैं

साँस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।


कौन कितना गलत नहीं हमें बहस करनी है।

राष्ट्रभाषा हेतु प्रवाहित समर करनी है।

निर्णीत अपने धर्म का पालन सहर्ष करते हैं,

साँस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।


- विभा रानी श्रीवास्तव

    पटना - बिहार 

          जय हिन्दी 

जय हिन्दी मेरी प्यारी भाषा हिन्दी। 

भारत माता के माथे की है बिन्दी। 

हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार तो होगा ऐसे। 

शुद्ध लिखें शुद्ध ही बोलें सुप्रभात के जैसे। 

हिन्दी में एक शब्द का अर्थ अनेक मिलेगा। 

ऐसी ही है हिन्दी जैसे कमल खिलेगा। 

जीवन का प्यार दुलार है मेरी माँ हिन्दी। 

मधुर गीत है मीठी लोरी मेरी हिन्दी। 

हमारे जीवन का अनुराग है मेरी हिन्दी। 

जनजन की प्यारी है ये जीवन हिन्दी। 

फिर क्यों परदा पड़ा है हिन्दी पर। 

राष्ट्रभाषा सरकार बनायें ये छाई  है जगभर। 

 - राजकुमारी रैकवार राज 

    जबलपुर - मध्यप्रदेश 

       हिंदी भाषा उत्सव 

ज्ञान  मान बढ़ाती विश्व के जबान में बस जाती है

 शब्दों के संसार में 

माथे की बिन्दी कहलाती 

भारत माता के दिलो में 

शब्दों के दुनिया बस 

आपरेशन सिंदूर की तरह सम्मान दिला रही है 

माथे की बिन्दी हिन्दी है !

भारतमाता का अस्तित्व बचाती है!

विकसित भारत खुशहाल बना ,

विकसित भारत अभियान चला

इतिहास गढ़ नारी को श्रेष्ठ बना 

आने वाले कल मुखरित करती

सुरक्षित नवभारत इतिहास रच

मातृभूमि कर्मभूमि से जोड़ती है 

माथे की बिन्दी अस्तित्वउजागर 

हिन्दीभाषा का अभिमान चाहती

युवा भविष्य सुरक्षित चाहती 

विद्रोह भेद भाव का भाव ना हो ,

भावनाओं में समझ समझाती , 

माथे की बिंदी शांति बिगुल बजाती न्याय पालिका ,

कार्य पालिका संविधान सामंजस्य 

स्थापित कर हिन्दी की बिन्दी चाहत भारतमाता कहती 

मत बाँध मुझे बंदिशों को तोड़ 

मैं बन जाऊँ सुखद एहसास 

नहीं भागे मुझसे दूर कोई 

मेरे शब्दों को गुन कर 

हर पीड़ा को सह कर 

मधुर कंठ मुस्कान बन जाऊँ मैं 

हताशा निराशा को दूर भगा 

पथ प्रदर्शक बन जाऊँ मैं 

या बन ज्ञान का मोती 

नभ सितारों में जड़ जाऊ मैं 

कभी ना बनू मूक दर्शक 

बन जाऊ दिलों में दीपक की तरह उजाले बाँट जाऊ मैं 

नहीं अभिलाषा मुझे निर्माता 

ना ही निर्देशक की बस मंज़िलों की पहुँच बन जाऊँ 

हर बंदिशों को दूर भगा सबके दिलों में बस जाऊँ!

  - अनिता शरद झा 

  रायपुर - छत्तीसगढ़ 


     हिंदी मेरी मातृभाषा

हिंदी है भारत की आत्मा,

जन-जन की मधुर परिभाषा।

राष्ट्र की पहचान है हिंदी,

भारत माँ की शान है हिंदी।


स्नेह, सद्भाव की सरिता है,

संस्कृति की सच्ची गरिमा है।

धर्मनिरपेक्षता की आधारशिला,

एकता की सबसे प्यारी कड़ी है।


सभी भाषाओं की जननी है,

भारत की बोली की ध्वनि है।

गाँव-गाँव में गूंजे स्वर हिंदी,

माथे की शोभा है बिंदी हिंदी।


विश्व में जिसका मान निराला,

सबसे अधिक बोली जाने वाला।

कवियों की प्रेरणा की भाषा,

विद्वानों की साधना की आशा।


युगों से देती संदेश अमर,

सत्य, प्रेम और करुणा का स्वर।

चलो हम सब मिलकर गाएँ,

हिंदी का गौरव जग में फैलाएँ।

- डॉ. अशोक जाटव व्याख्याता 

          भोपाल - मध्यप्रदेश   


        हिंदी से प्यार करो

हिंदुस्तान के रहने वालों ,

हिंदी से तुम प्यार करो ।


ये पहचान है भारत माँ  की,

 हिंदी  का सत्कार  करो ।


हिंदी के  विद्वानों  ने तो ,

परचम जग में फहराए।


 संस्कार  के सारे  पन्ने,

 हिंदी से ही हैं पाए ।


 देवनागरी लिपि में अपनी,

 छुपा  हुआ अपनापन है ।


अपनी प्यारी भाषा हिंदी,

 भारत मां का दरपन है ।


हिंदुस्तानी  होकर तुमने ,

यदि इसका अपमान किया ।


तो फिर समझो भारत वालों ,

खुद का ही नुकसान किया।


 हिंदुस्तान के रहने वालों,

 हिंदी से तुम प्यार करो ।


यह पहचान है  भारत  माँ की ,

हिंदी  का सत्कार  करो ।


  - सुषमा दीक्षित शुक्ला

    लखनऊ - उत्तर प्रदेश 

              हिन्दी        

हम सबकी है प्यारी हिन्दी।

लगती सबसे न्यारी हिन्दी।।


सारे जग की हर भाषा पर,

पड़ती सबसे भारी हिन्दी।।


सजी कंठ पर छन्दों में ये,

गाते गीत दुलारी हिन्दी।।


जिसको पढ़कर बनते ज्ञानी,

पढ़ते सब नर नारी हिन्दी।।


देख कबीरा तुलसी मीरा,

लिखते सूर बिहारी हिन्दी।।


अपनाएँ हम इसको सारे,

नहीं रहे लाचारी हिन्दी।


संस्कृत भाषा जननी इसकी,

रही समृद्ध हमारी हिन्दी।


 - बलबीर सिंह वर्मा 'वागीश'

       सिरसा - हरियाणा


        हिन्दी दिवस 

विविध रंग में एकता, हिन्दी की है शान।

हिन्दी तुलसी जायसी, हिन्दी है रसखान।।

हिन्दी अपने देश की, आन बान अरु शान।

हिन्दी से हैं हम सभी, हिन्दी हिन्दुस्तान।।

हिन्दी मेरी देह है, हिन्दी इसमें जान।

हिन्दी से मैं कवि बना, हिन्दी है पहचान।।

सोना चांदी है यही, यही गले का हार।

सचमुच हिन्दी है सदा, जीवन का शृंगार।।

हिन्दी अपनी आत्मा, हिन्दी है सर्वस्व।

नित्य बढ़ाएं मिल सभी, हिन्दी का वर्चस्व।।

संस्कृत का मैं पौत्र हूँ, हिन्दी का हूँ पूत।

शिक्षण दोनों का करा, पाऊं मान अकूत।।

-  कवि महावीर शर्मा "सरस"

        पावटा - राजस्थान 


       राष्ट्रभाषा हिंदी 

मुख्य रूप से एक ही भाषा,

हिन्दी जब से राष्ट्रभाषा 

मन से इसका वरण करें 

मात्र यही तो अभिलाषा।।


किन्तु अभी अंग्रेज़ी भारी ,

अंग्रेज़ी भरमाती है ।

अंग्रेज़ी के बीच हमारी ,

हिंदी भी शर्माती है॥

हिंदी में हो काम न सारा ,

भाषा अच्छी ख़ासी है ।

अंग्रेज़ी के आगे लगती,

जैसे हिंदी दासी है॥

हम तो इसकी शान बढ़ायें,

न्यारी हिंदी भाषा हैं ।

आएं  हम सब गर्व करें,

 हिन्दी अपनी राष्ट्रभाषा है ॥


जन गण की ये भाषा होगी,

सबकी ज़िम्मेदारी हो ।

दफ़्तर में प्रयोग ये होगी 

सबकी भागीदारी हो॥

सारे जन को प्यारी होगी ,

कोई ना लाचारी हो ।

प्रयुक्त हिंदी भाषा होगी ,

पूरी ये तैयारी हो॥

मन से आज नमन करें हम , 

हिंदी राष्ट्रभाषा है॥

आएं  हम सब गर्व करें ये 

अपनी राष्ट्रभाषा है॥


- डॉ पूनम देवा 

पटना - बिहार

                हिन्दी

हिन्दी,हिन्दुस्तान की पहचान है,

हरेक भारतीय की शान है,

हिन्दी है जन जन की भाषा,

हिन्दी से है हर भारतवासी को नाता,

 मधुर मिसरी है हिन्दी भाषा, 

इसके बिना हमें कुछ नहीं भाता,

आओ हम सब एक‌ मुहिम बनायें,घर -घर

हिन्दी की अलख जगायें,

देश के हर कोने में इसे फैलाएं,

हिन्दुस्तानी करते‌ हैं हिन्दी से‌ प्यार,

इससे ही चलता है हर भारतीय का व्यवहार ।

 - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

   जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

               हिन्दी 

हिन्दी है मस्तक की बिन्दी 

जन्मदात्री मेरी है हिन्दी 

 देश की तरक़्क़ी भाषा से 

अस्तित्व न खोने देंगे 

भाषा सबकी एक रहे


क्यों आता हिन्दी पखवाड़ा 

इसका हो हर दिन सम्मान 

बिना भाषा बोली बिना 

कहाँ मिलता है अंजाम 


भाषा से ही जुड़ते हैं हम 

मातृभाषा से होता संवाद 

हिन्दी ईमान हिन्दी पहचान 

हम सबका हिन्दी अभिमान 


हिंदी से ही है हिंदुस्तान 

अलख जगाता दिल तक लाता 

लोगों का बढ़ाता स्वाभिमान 

हिन्दी हमारी एकता की जान 


हिन्दी भाषा का इतिहास पुरातन 

भावों का मिलता उद्गार 

बोली कि सरलता है इतनी 

बच्चा बच्चा सीखता व्यवहार 


रामायण महाभारत है और पुराण

 बुद्धि का भंडार बढ़ाता ज्ञान 

 संस्कृत इसका उद्गम स्थान 

मधुर सौम्य वाणी से घिस जाता पाषाण ।


 - सुधा पाण्डेय (यूके)

     पटना - बिहार 

     हिन्दी का करें सम्मान                 

  हिन्दी बढ़ाये मातृभूमि का मान

    हिन्दी से बढ़े जन- जन का सम्मान।

      हिन्दी है स्वाभिमान की भाषा,करें 

      गुणगान ।

     हिन्दी भाषा सरल मधुर है विशिष्ट

     पहचान।

     हिन्दी में कबीर की वाणी,करते सभी 

     बखान।

    हिन्दी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का है महती 

    योगदान।

   सुस्पष्ट,सरस, प्रांजल भाषा करते हिन्दी 

   का सम्मान।

   हिन्दी बोलो, हिन्दी पढ़ो, बढ़ाओ 

  हिन्दुस्तान का मान।

   राष्ट्रीय एकता में हिंदी साहित्य का है 

  अनुपम योगदान।

  भारत की संस्कृति की पोषक, हिन्दी

   भाषा पर है अभिमान।

,,हर प्रांत की भाषा निराली,हर की बोली 

  है।

 सबके मन को भाये, हिन्दी सबकी 

 हमजोली है।

  हिन्दी भाषा ने भारत को एक सूत्र में 

  बांधा।

  इसमें भावों के संप्रेषण की नहीं आई

  कोई बाधा।

     - डॉ. मनीषा त्रिपाठी 

       रायगढ़ - छत्तीसगढ़

          मन की भाषा

ये होंठ भले कुछ भी कहें।

पर मन की भाषा हिंदी है।।

जिसके श्रृंगार में गोल- गोल सी

माथे लगती बिंदी है।

मेरे मन की भाषा हिंदी है।।


जिसने सब का कल्याण किया।

है जन-जन को सम्मान दिया।।

जो पुल की भांति काम करे।

नहीं थकती सुबह- शाम करे।। 

जिसने है वेद- ग्रंथ रचे। 

बड़ी सहज है भाषा प्रिय सखे!

कागज भी धन्य- धन्य हुआ।

मन भी लिखकर प्रसन्न हुआ।।

मेरे मन की भाषा हिंदी है ।

जिसके श्रृंगार में गोल-गोल सी,

माथे लगती बिंदी है।।। 

जो गद्य- पद्य में, सजती है। 

दोहों में प्यारी, लगती है।। 

चौपाइयों का तो क्या कहना। 

तुलसी के आँगन का गहना।।

यदि गीत-छंद की बात करूं।

बातों- बातों में रात करूँ।।

जब गा कर उसे रिझाऊँ मैं।

परम आनंद को पाऊँ मैं।।

मेरे मन की भाषा हिंदी है।।

जिसके सिंगार में गोल-गोल सी,

माथे लगती बिंदी है।

मेरे मन की भाषा हिंदी है।।

- डॉ. संतोष गर्ग

 पंचकूला - हरियाणा 

    हिन्दी भाषा मेरी जान है

हिन्दी भाषा, तुम्हारी सुंदरता अनमोल है

तुम्हारे शब्दों में जीवन का सार है

तुम्हारी धुन में दिल की गहराई है

तुम्हारी भाषा में संस्कृति की झलक है


हिन्दी भाषा, तुम्हारी शक्ति अपार है

तुम्हारे शब्दों में ज्ञान का सागर है

तुम्हारी भाषा में साहित्य की दुनिया है

तुम्हारी सुंदरता में कला की झलक है


हिन्दी भाषा, तुम्हारी महत्ता अनोखी है

तुम्हारे शब्दों में भावनाओं का संचार है

तुम्हारी भाषा में संवाद की शक्ति है

तुम्हारी सुंदरता में प्रेम की झलक है


हिन्दी भाषा, तुम्हारी सुंदरता अटूट है

तुम्हारे शब्दों में जीवन का सार है

तुम्हारी भाषा में संस्कृति की दुनिया है

तुम्हारी सुंदरता में कला की झलक है

 

  - अमन रंगेला "अमन" सनातनी

             सावनेर - महाराष्ट्र


      हिंदी हमारी शान है

 

हिंदी हमारी जान है, हिंदी हमारी शान है

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर हमें अभिमान है


मेरे हिंदुस्तान में है,कई तरह की बोलियाँ

आपस में जो मेल कराती,ऐसी हैं 

हम बोलियों उनमें हिंदी एक है 

जिसका, ऊँचा वो स्थान है

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर  हमें अभिमान है


जो नहीं समझते हिंदी,टूटी फूटी कहते हैं

फिर भी हिंदी बालों के, बीच में जो रहते हैं

प्रेम भाव से हिंदी का वो,करें सदा सम्मान है 

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर हमें अभिमान है


उत्तर क्षेत्र में काम काज सब,हिंदी में होता है

जमकर हिंदी बोली जाती,हिंदी में ही खोता है

ऐसी हिंदी पे देश फिदा,जो हर मुख करे बखान है

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर  हमें अभिमान है


आओ मिलकर आज बनाएं ,हिंदी राष्ट्रभाषा

हिंदी नाम जगत में गूंजे,ऐसी हो अभिलाषा

हिंदी नाम जुवां पर सबके,ऐसा हो यशगान है

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर हमें अभिमान है


सरकारों से करते विनती,ऐसा कानून बना दो

हिंदी बने राष्ट्रभाषा,नाम ये संसद में गूँजा दो

चमकेगी जब धरा पे हिंदी,करें सभी गुणगान है

हिंदी पे कुर्वा हुए, उस पर हमें अभिमान है


हिंदी हमारी जान है, हिंदी हमारी शान है

हिंदी पे कुर्बा हुए,उस पर हमें अभिमान है

              - अनिल राही

          ग्वालियर - मध्यप्रदेश


       हिन्दी मेरी माँ है


मैं हिन्दी का बेटा हूँ

हिन्दी के लिए जीत हूँ। 

हिन्दी में ही लिखता हूँ

हिन्दी को ही पढ़ता हूँ। 

मेरी हर एक सांस पर 

हिन्दी का ही साया है। 

इसलिए मैं हिन्दी पर

समर्पित करता ये जीवन।। 

मैं हिंदी का ...........।। 


करें हिन्दी से सही में प्यार 

तो कैसे करे लिखने से इंकार। 

अगर मातृभाषा है हिंदी तो

बोलने से क्यों करते हो इंकार। 

हिंदी बस्ती है हिंदुस्तानीयों के

दिलकी हर धड़कनों में। 

इसलिए तो प्रेम-भक्त गीत 

लिखे जाते है हिंदी में। 

जो हर भारतीयों का

सदा गौरव बढ़ते है।। 

मै हिंदी का.......। 


करो हिन्दी का प्रचार-प्रसार

तभी बन पायेगी राष्ट्रभाषा। 

और भारतीयों के दिलों में

ये बस पायेगी। 

चलों आज लेते हैं

हम सब एक शपथ। 

की करेंगे आज से हमसब

सारा कामकाज हिंदी में। 

तभी तो मातृभाषा का 

उतार पाएंगे हम कर्ज।। 

मैं हिंदी का..........।। 


अगर सच्चे और अच्छे 

हम भारतीय कहलाना है।

तो हिंदी भाषा को ही

हमें अब आगे बड़ना है। 

संजय की ये रचना 

समर्पित है हिंदी को। 

करो उपयोग हिंदी का

तुम सब अपने जीवन में। 

बहुत उपकार होगा तब

हमारी हिंदीभाषा पर।। 

मैं हिंदी का बेटा हूँ

हिंदी के लिए जीता हूँ।। 

           - संजय जैन "बीना" 

              मुंबई - महाराष्ट्र 

       हिन्दी अभिमान है

रही भाषा हिन्दी लग,भाल माता बिंदी जग। 

बिन हिन्दी भाषा लगे,हिन्द सुनसान है।। 


लिखते अगर नही,हिन्दी इतिहास गर। 

कोई पद पाते नही, खोते संविधान है।। 


काला वर्ण जैसी भैस,हवा-हवा लगी गैस। 

होती नहीं हिन्दी भाषा,रहते बेजान है।। 


हिन्द से ही हिन्दूस्तान,मातृभाषा पहचान। 

बूढ़े बच्चे बोले यश,हिन्दी अभिमान है।। 


     - डॉ यशवंत यश सूर्यवंशी

            भिलाई - छत्तीसगढ़ 

 ‌     

  सबसे सरल सलोनी हिंदी 


जिस देश की अपनी भाषा न हो,

वो राष्ट्र भला कब उत्थान करेगा।

संप्रेषण की गति होगी मंद - मंद,

वह देश भला कब मान भरेगा।।


देशज के कुछ जन ऐसे हैं,

जिनको अंग्रेजी से प्यार है।

हिंदी से उनका नफ़रत करना,

जैसे जन्मसिद्ध अधिकार है।।


कुर्सी पाने की कोशिश में,

भाषा विवाद हैं पैदा करते।

पद लोलुपता में फँसकर,

दरकिनार वे हिंदी करते।।


भारत की अनमोल धरोहर,

इसकी सब भाषाएँ हैं।

सबसे सरल सलोनी हिंदी,

दो गद्य - पद्य धाराएं हैं।।


देश - प्रेम की साधक हिंदी,

नहीं किसी की बाधक है।

अखंड बनाए यही देश को,

देशभक्ति की आराधक है।।


मेरे देश की सब भाषाएँ,

तस्वीर बनाती भारत की।

हिंदी उदार विस्तृत आनन,

परिभाषा है भारत की।।


हिंदी अपनाओ हे! भारतवासी,

यदि देश चाहते एक रहे।

संप्रेषण की इसमें भाव- शक्ति,

मन हिंदी के प्रति नेक रहे।।

- डॉ. शेषधर त्रिपाठी ' शेष ' 

            पुणे - महाराष्ट्र

 हिन्दी हिन्द का ह्रदय स्पन्दन


हिन्दी के लिये खूब बढ़े जागरूकता,

हो सरल सुबोध,हिन्दी का ही प्रचार,

यही भारत का गर्व,गरिमा,अभिमान,

इसी का ही तो  करना है खूब प्रसार।


अंग्रेजी अंग्रेजी रटने वालो,तुमने स्वयं,

ही अपनी मातृभाषा का मान घटाया है,

क्या कभी अंग्रेजों ने भी, अपने देश में,

किसी भी तरह,अंग्रेजी दिवस मनाया है।


हिन्दी, मनभावन हिन्दी,दुलारी हिन्दी,

हिन्दी पूरे भारत वर्ष की, ह्रदय स्पन्दन,

आओ लिखें हिन्दी,पढ़े हिन्दी,बोलें हिन्दी,

यही तो है,सही में,हिन्दी का अभिनन्दन।


साहित्य,सिनेमा,सोशल मीडिया,दूरदर्शन में,

हिन्दी प्रयोग से मिट गई हैं अब,सभी दूरियाँ

हिन्दी को ह्रदय में बसा लो, अपना बना लो,

फिर तो मिट जायेंगी, बाकी सब मजबूरियां।


नित नये बदलते युग में, हिन्दी के प्रचार की,

प्रसार की,हर ओर सम्भावना कितनी अपार,

फिर देखना,यही हिन्दी,जन जन का आधार,

हरेक के ह्रदय में बसी,माँ  भारती का श्रंगार।


राष्ट्र की अस्मिता की निराली शान है ये हिन्दी,

हिन्दी से मिलता हर दिन,कितना मान सम्मान,

जरूरत है इक ज़ज़्बे की,खूब मजबूत इरादे की,

तब ही तो हर चुनौती का होगा सम्पूर्ण समाधान।         

 - राजकुमार अरोड़ा 

    बहादुरगढ़ - हरियाणा 


     हिंदी मन को भाये


अँग्रेजी विदेशी भाषा,

मुझको रास ना आये।


गणित के गुना-भाग से,

सिर मेरा चकराये।


इतिहास सदा हमसे,

गड़े मुर्दे उखड़वाये।


विज्ञान निज प्रयोगों से,

मेरे भेजे को खाये।


संस्कृत है वैदिक भाषा,

जननी हिंदी की कहलाये।


हिंदी मेरी मातृभाषा,

हिंदी मन को भाये।


      - भूपसिंह 'भारती'

      नारनौल - हरियाणा 





Comments

  1. आदरणीय बीजेन्द्र जी आपको बहुत-बहुत बधाई 🙏सभी रचनाकारों को सम्मान पत्र मिलने पर हार्दिक शुभकामनाएं बधाई 🙏😊

    ReplyDelete
  2. हिन्दी दिवस के अवसर पर दिए गए आपके अमूल्य व उत्कृष्ट सम्मान को
    स्वीकार करते हुए मुझे हर्ष है ।...
    मुझे आपने इस योग्य समझा , जिसके लिए
    .... बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद, शुक्रिया और आभार आदरणीय ।
    🙏💐🌹

    --डा.बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता, पटना (बिहार)
    (WhatsApp से साभार)

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