अमृतलाल वेगड़ स्मृति सम्मान - 2025

       सपने देखने का अधिकार सबको है। जिस का कोई मोल नहीं लगता है। परन्तु सपने बहुत कम के पूरे होते हैं । सपने पूरे करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है। बहुत कुछ करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है। इसी संघर्ष में सपने पैदा होते है और कुछ के सपने पूरे भी हो जाते हैं। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का विषय है ।अब आयें कुछ विचारों को देखते हैं :-
     सपने देखना तो सहज, सरल और स्वाभाविक है, हर कोई सपने देख सकता है। लेकिन उन सपनों को पूरा करने की राह में जो परिश्रम, संघर्ष, धैर्य और समर्पण लगता है—वहीं असली मूल्यवान होता है। सपना सिर्फ संभावना है, जबकि उसे पूरा करना सिद्धि है। सपना देखना बीज बोने जैसा है। उसे पूरा करना मेहनत से उस बीज को सींचकर फल देना है इसलिए सपनों का मोल तभी है जब उन्हें कर्म, साहस और निरंतर प्रयास से वास्तविकता में बदला जाए। कह सकते हैं कि “सपनों की उड़ान का मूल्य तभी है जब पंख मेहनत और कर्म से बने हों।”

 - डॉ. अशोक जाटव व्याख्याता 

     भोपाल - मध्यप्रदेश

         सपने देखने का , अपने भविष्य को उज्वल बनाने का हक सबका होता है , व सपने अवश्य देखने चाहिए !! जब सपने नहीं देखेंगे , या अपना लक्ष्य नहीं तय करेंगे , तो पूरे कैसे करेंगे सपनों को ?? सबसे अच्छी बात यह है कि सपने देखने के लिए कोई कीमत नहीं देनी पड़ती , ये तो केवल आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय मांगते हैं !! इन सपनों को पूरा करने का मूल्य लगता है... मूल्य मैं लगता है अथक परिश्रम , कुछ कर गुजरने की चाह , व अमूल्य समय व अनमोल जिंदगी के लम्हे !! 

     - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

      बड़े - बड़े सपने सभी के आँखों में बसते हैं और  अभिलाषा भी सभी बड़ी - बड़ी ही रखते हैं मगर पूरा करने में जो परिश्रम और प्रयास किया जाना चाहिए उसमें आलस्य या लापरवाही कर देते हैं। न समर्पित भाव रखते हैं, न उत्साह, न लगन और जो ऐसा सब कर गुजरते हैं। उनके सपने जरूर साकार होतै हैं, उनकी अभिलाषा जरूर पूरी होती है। वे अपने मुकाम तक पहुंचने में सफल होते हैं। उनके सपने पूरे करने का उन्हें श्रेय और सम्मान दोनों मिलते हैं। यानी उनकी मेहनत और प्रयास का मोल होता है। कहने का आशय यही कि केवल मन बनाने या सपने देखने का कोई मतलब नहीं कोई मोल नहीं। मोल तभी होगा, जब वह पूरा होगा, सफल होगा। हितोपदेश में एक श्लोक इसी संदर्भ में  हम सभी के लिए बहुत बढ़िया तरीके से समझाइश है :-  उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।। जिस प्रकार सोते हुए सिंह के मुख में हिरण यूँ ही प्रवेश नहीं हो सकता जब तक सिंह कोई मेहनत न करे। इसी तरह केवल इच्छा से कुछ नहीं होगा, कार्य परिश्रम से ही सिद्ध होते हैं। 

    - नरेन्द्र श्रीवास्तव

  गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

    सपना देखना वह तितली के समान है जो आँखों को मन मोहक लगती है,और सुकून देती है। किंतु उन्हें साकार करना उस संघर्ष के समान है जैसे एक नाविक हवा के विपरीत दिशा में नाव खेता है।उसे अपनी मंज़िल तक जाने के लिए संघर्ष करके मोल तो चुकाना ही पड़ता है।कभी लहरों के थपेड़ों को झेलता है,कभी चट्टान से टकराता है।कभी पानी के पौधों-जानवरों से उलझता है। लक्ष्य आसान नहीं होता है।ठीक उसी तरह सपना देखना तो आसान है,मगर उस सपने को दौड़कर पकड़ना संघर्ष से भरा है।

 -  वर्तिका अग्रवाल 'वरदा'

    वाराणसी - उत्तर प्रदेश 

     इंसान को सिर्फ़ सपने देखने का कोई मोल नहीं होता।उस सपने को साकार करने के लिए इंसान को काफी परिश्रम और संघर्ष करना पड़ता है।जो ऐसा करते हैं।वे अवश्य सफल होते हैं।सपने साकार करने में सक्षम होते हैं। इसलिए मनुष्य को सपने पूरे करने हेतु उसे परिश्रमी बनना पड़ता है।जिस क्षेत्र में उसे सपने पूरे करने होते हैं,उस क्षेत्र में अधिक परिश्रम करने होते हैं।अतः सपने पूरे करने का मोल अवश्य होता है और सपने जरूर पूरे हो जाते हैं।

    - दुर्गेश मोहन 

    पटना - बिहार

          सपने देखना बहुत आसान है लेकिन पूरे करने के लिए शिद्दत से मेहनत करनी पड़ती है और संघर्ष भी करना पड़ता है. भले ही सपने देखने का कोई मोल नहीं होता पूरे करने का मोल अवश्य होता है. सपने देखो, ऊंचे देखो लेकिन उनको पूरा करने के लिए दिल से डट जाओ. फिर यह मोल ही अनमोल हो जाएगा.

   - लीला तिवानी 

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

     राष्ट्रधर्म और राष्ट्रभक्ति में विजयश्री, सफलता और बुलंदियों को छूने के सपने देखना प्रत्येक मनुष्य का स्वाभाविक गुण है, यह उसकी आशा और आकांक्षाओं का प्रतीक होता है। किंतु केवल सपने देखना किसी कार्य की पूर्णता नहीं है जब तक उनका कोई निश्चित मोल नहीं चुकाया जाता। वास्तविकता यह है कि सपना तो एक बीज के समान होता है, जिसकी कीमत तब तक शून्य है जब तक उसे श्रम, संघर्ष और समर्पण की भूमि में बोया न जाए। जब वह सपना कर्म और परिश्रम के जल से सींचा जाता है, तब धीरे-धीरे उसका अंकुर फूटता है और समय आने पर वह सफलता और उपलब्धि का वटवृक्ष बन जाता है। परन्तु ध्यान रहे कि कभी कभी राष्ट्रभक्ति करते समय राष्ट्रद्रोह का भी आरोप लग जाता है। क्योंकि राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रद्रोह के बीच बहुत बारीक रेखा होती है इसलिए, किसी भी सपने का वास्तविक मोल तभी है जब उसे पूरा किया जाए। अधूरे सपने केवल कल्पनाओं की कहानी बनकर रह जाते हैं, जबकि पूरे हुए सपने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन बनते हैं। जो लोग सपनों को कार्यरूप देते हैं, वही इतिहास के पन्नों पर अमर होते हैं। यह सच है कि सपना देखने में कोई लागत नहीं है, किंतु उसे पूरा करने का मोल अथक परिश्रम, कठिन संघर्ष और त्याग से चुकानी पड़ती है। यही मोल सपनों को अनमोल बना देती है और व्यक्ति को उसके असली गौरव तक पहुँचाती है और गौरवान्वित होने से पूर्व परिवार भी उक्त संघर्ष की तपिश में झुलस जाता है।

 - डॉ. इंदु भूषण बाली 

 ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर 

    हसीन लाल के सपनें बहुत सुने, लेकिन अपने जीवन के सपने सच होते हुए नहीं देखे। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है। हम जब बहुत थक जाते है, हमारी इंद्रिया जब पूर्णत: विश्राम की ओर पहुंच जाती है, तब प्रतिदिन की दिनचर्या के विपरित सपने दिखाई देने लग जाते है, लेकिन  प्राय: बहुत कम सच होते है, कई दिन में भी सपनें देखते है, सपनें देखने का कोई मोल नहीं होता है, पूरे करने का मोल अवश्य होता है, यह सत्य है। अगर हम किसी कार्य को तत्परता से करे तो सौभाग्य होता है, किसी काम को न करना, आश्वासन देना, यह जमता नहीं इससे हम नैतिक जिम्मेदारी से हट रहे है और सामने वाले को मुर्ख समझ रहे है, इसलिए पूरें करने के लिए मोल होना चाहिए या किसी को आश्वस्त भी नहीं कीजिए, स्पष्ट कह दीजिए हो नहीं सकता, ताकि आगे वाला भरोसे पर जीवन यापन नहीं करेगा....? 

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

        बालाघाट - मध्यप्रदेश

      सपने देखने का विचार सही है किंतु सपने को हकीकत में बदलने‌ के लिए मेहनत और प्रयास की जरूरत होती है।  यदि कोई टाटा बिड़ला के जैसे बनने का सपना देखता है यानी उसने एक लक्ष्य को  प्राप्त कर लिया  है , उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास है कि वह अपने सपने अवश्य पूर्ण करने में सफल होगा। उससे अधिक यदि उसे अपनी मेहनत, प्रयास , जीवन में आने वाले संघर्ष से लड़ कर वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा तब तो उसका मोल है वर्ना ख्याली सपने देखने का कोई  मोल नहीं है।

- चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

      सपने वो नहीं होते जो नींद में देखे जाते हैं,सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते,बात सपनों की हो रही है क्या‌ सपने लेने से ही सपने पूर्ण हो जाते हैं या‌ सपनों को सजोया जाता है,वास्तव ‌में सपने हमारे जीवन की उर्जा का स्रोत  होते हैं जो हमें संकोच और निराशा के समय भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तथा खुशी और संतोष के अनुभव के साथ तनाव और चिंता को भी कम करते हैं तो आईये आज  इसी बात पर चर्चा करते हैं कि सपने देखने का कोई मोल नहीं होता मगर उन्हें पूरा करने का मोल अवश्य होता है,यह अटूट सत्य है कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है  इनको देखना आसान है लेकिन पूरे करने का मोल तो चुकाना पड़ता है जिनको पाने के लिए हमें स्पष्ट  योजना, कड़ी मेहनत, सही साधनों का उपयोग, आत्मविश्वास, निरंतर प्रयास और सकारात्मक सोच जैसी अनमोल चीजों को खर्च करना पड़ता है तब जा कर सपनों को पूरा किया जा सकता है,इसमें कोई दो राय नहीं की सपनों  को मुफ्त में देखा जा सकता है लेकिन पूरा करने में मोल अवश्य चुकाना पड़ता है, मगर यह भी सच है कि सपने ही जीवन को दिशा देते हैं,प्रेरणा जगाते हैं और मन को आकर्षित करते हैं लेकिन इनको पूरा करने के लिये सही कदम सही समय पर उठाने की जरूरत होती है, सपने केवल रात की कल्पना नहीं होते बल्कि इनको पूरा करने के लिए इरादों का पक्का होना भी बहुत जरूरी है अगर इन्हें हम ख्याली पुलाब समझ लें तो इन्हें हकीकत में नहीं बदला जा सकता ,सपनों को पूरा करने के लिए कर्म  करना पड़ते हैं तथा लक्ष्य को निधार्रित करके  एक योजना तैयार करके कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास  के साथ नियमित प्रयास की जरूरत पड़ती है,अन्त‌ में यही‌ कहुंगा कि  सपनों को केवल देखने से कुछ हासिल नहीं होता उनको पूरा करने के लिए हमें अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए,  कार्यों के प्रति ईमानदारी निभाते हुए, बाधाओं को दूर करते हुए कड़ी मेहनत के साथ अपनी मंजिल तय करनी पड़ती है तभी जाकर हम अपने सपनों को पूरा करने में कामयाब हो सकते हैं और अपनी आंकी गई छवि ‌को‌ पूरा करने में सफल हो सकते हैं ताकि हम अपनी जिंदगी का सही मोल हासिल कर सकें नहीं तो सपने देखने से कुछ नहीं होगा तभी तो कहा है,आवाज दे रहा था कोई मुझे ख्वाब में लेकिन खबर नहीं  कि बुलाया कहां गया,कहने का भाव जब तक हम खुद जागृत नहीं होंगे तो हमें कामयाबी नहीं मिल सकती हमें  सपनों को खुली आंखों से देखना होगा सत्य है,आंखें खुली तो जाग उठी हसरतें तमाम,उसको भी खो‌ दिया जिसे पाया था ख्वाबों में।

 - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

  जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

         सपने देखने का कोई मोल नहीं होता, उनका असली मूल्य तब सामने आता है जब हम उन्हें पूरा करने का साहस जुटाते हैं। सपने तो हर कोई देखता है, लेकिन उन्हें साकार करने के लिए दृढ़ निश्चय, तप और परिश्रम चाहिए। यदि हम केवल सपनों में ही खोए रहें तो वे आकाश के बादलों की तरह क्षणभर में बिखर जाते हैं। पर जब वही सपने कर्म की मिट्टी में बोए जाते हैं, तो वे सफलता के वृक्ष बनकर जीवन को छाया और फल प्रदान करते हैं। इतिहास साक्षी है कि जिन लोगों ने अपने सपनों को संकल्प और मेहनत से जोड़ा, वही समाज के पथप्रदर्शक बने। इसलिए सपनों की कीमत देखने में नहीं, उन्हें पूरा करने में है—क्योंकि सपनों को साकार करना ही जीवन को अर्थ और गौरव प्रदान करता है। हर व्यक्ति जीवन में असंख्य सपने देखता है, परंतु केवल वही लोग सफल कहलाते हैं जो अपने सपनों को कर्म की शक्ति से साकार करते हैं। सपनों के पीछे श्रम, त्याग और धैर्य की आवश्यकता होती है। यदि सपने बिना प्रयास के रह जाएँ तो वे केवल कल्पनाएँ बनकर धुंध की तरह विलीन हो जाते हैं। किंतु जब वही सपने संकल्प और पुरुषार्थ से जुड़ते हैं, तब वे जीवन की दिशा और पहचान बन जाते हैं। अतः सपने देखना आवश्यक है, पर उनसे कहीं अधिक आवश्यक है उन्हें पूरा करने का साहस और निरंतरता रखना।

- डाॅ.छाया शर्मा 

अजमेर - राजस्थान

       सपना तो वैसे सोने के बाद देखा जाता है. लेकिन वह पूरा नहीं होता है. सोने वाला सपना कभी बहुत हसीन तो कभी बहुत डरावना होता है लेकिन वह हकीकत में पूरा नहीं होता है. इसलिए उस सपना का कोई मोल नहीं होता है. जो सपना हम जीते जागते देखते हैं उसी का मोल होता है अगर वह पूरा हो जाता है. बगैर पूरा हुए सपने का कोई मोल नहीं होता है चाहे कोई कितने भी सपने देख ले. सपना तो हम कुछ भी देख सकते हैं.  पर उन सपनों का क्या जो कभी पूरा ही न हो. ऐसे सपनों का कोई मोल नहीं होता है.और n उसे देखने का कोई फायदा है, हाँ मन को थोड़ी देर के लिए संतुष्टि मिल जाती है. इसलिए सपना वही देखें जो कि पूरा हो सके. और लोग कहें कि उसने ये सपना देखा था और पूरा कर लिया. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

     कलकत्ता - पं. बंगाल 

" मेरी दृष्टि में " सपने पूरे करने के लिए रात दिन एक करना पड़ता है। तभी कहीं जा करें सफलता मिलती है। सफलता का मूल मंत्र कर्म होता है। कर्म से ही सफलता का द्वार खुलता है। यही से ही सपने पूरे होते हैं।

        - बीजेन्द्र जैमिनी 

     (संचालन व संपादन)


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