कड़वे प्रवचन

मुनिश्री तरुणसागर जी ने अपनी पुस्तक " कड़वे प्रवचन " भाग -7 एक कार्यक्रम में मुझे आर्शीवाद के रूप में भेंट की गई। मैंने सहज रूप से स्वीकार करने के बाद पुस्तक को कई बार पढ़ा है। हर बार पुस्तक में कुछ ना कुछ नया अपने आप में परिवर्तन सा नज़र आया है। मैंने पुस्तकें बहुत अधिक पढ़ी हैं। ऐसा कभी देखने को नहीं मिला है। फिलहाल पुस्तक पर आते हैं।
     पुस्तक में छोटे- छोटे उपदेश दिए गए हैं। जिस में काव्य रूप अधिक देखने को मिला है। परन्तु उपदेश देते समय ऐसा कुछ प्रतीक नहीं होता है। यही तरुण जी की खासियत है। मैंने उन्हें टीवी पर भी सुना है , कार्यक्रम में भी देखा है ओर आमने-सामने बातें भी हुई है बल्कि मैंने उन के एक कार्यक्रम का संचालन भी किया है। परन्तु पुस्तक में तरूण जी का अलग रूप देखने को मिलता है।
       पुस्तक में कहीं ईश्वर की बात करते है कहीं गृहस्थी की , कहीं राजनीति की, कहीं विदेशों की, कहीं रामायण की, कहीं किस्मत की, कहीं जुबान की, कहीं मृत्यु की, कहीं आत्म विश्वास की, कहीं मां- बाप की, कहीं फिल्म से जीवन की तुलना , ईमानदारी की, कहीं गाड़ी की, कहीं क्रोध की, कहीं मिलावट की, कहीं बहस की, कहीं सफलता की, कहीं कन्या भ्रूणहत्या की, कहीं गुरु शिष्य की, कहीं बर्तन की, कहीं शान्ति की, कहीं काम की, आदि सैकड़ों विषयों पर अपने विचारों का बिना किसी रोक-टोक के पेश कियें हैं। विचारों में कहीं भी कोई भेदभाव दिखाई नहीं देता है। विचारों के अनुरूप अपनी भावनाएं स्पष्ट कियें  है। यही मुनि जी का व्यक्तित्व है । जो लोगों को पसन्द आ रहा है।
     हर पेज पर उपदेश के साथ अलग मुद्रा में मुनि जी का चित्र है। यह उपदेश को और आर्कषण बना देतें है। मुनि जी के अनेक चित्र विभिन्न कार्यक्रमों के दियें गयें हैं।
        पुस्तक " मेरी दृष्टि में " अपने आप में पूर्ण ज्ञान से भरपूर है। हर व्यक्ति अपने लिए कुछ ना कुछ खोज अवश्य लेता है । यही पुस्तक की सफलता है । मुनि जी की यही सफलता  आर्दश प्ररेणा का स्रोत हैं। प्रिंटिंग के हिसाब से सुन्दर और अच्छी पुस्तक है । पुस्तक पर लिखा है कि पुस्तक 14 भाषाओं में प्रकाशित होती है। पुस्तक अनेक भागों में प्रकाशित हो चुकी है।
           
                पुस्तक का प्रकाशन
            अहिंसा महाकुंभ प्रकाशन                       196, सैक्टर- 18, फरीदाबाद ( हरियाणा )
         दसवां संस्करण : मार्च - 2016
                              - बीजेन्द्र जैमिनी
                                    समीक्षक
      

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