बुलबुल ( हिन्दी - उर्दू में जीवनी )

रमेश चन्द्र पुहाल ' पानीपती ' द्वारा लिखित पुस्तक है । पुस्तक को दो भागों में बांट रखा है। पहले भाग में हिन्दी में बुलबुल की जीवनी तथा दूसरे भाग में उर्दू में बुलबुल की जीवनी को दिया गया है।
       पुस्तक में " बुलबुल " एक तवायफ का नाम है। जिसें अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गई थी । आज भी पानीपत में "बुलबुल" के नाम से एक अच्छा बाजार है जिसमें सोने - चांदी के जेवरों का व्यापार होता है।
        " बुलबुल " अपनी मां तथा छोटी बहन के साथ कोठें पर रहतीं थीं। कहतें है कि ये लखनऊ से आईं थीं। तवायफ होने के बाद भी धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करतीं थीं। सबसे बड़ी बात ये देशभक्त थी। इसी कारण से अंग्रेजों द्वारा " बुलबुल " को फांसी दी गई है ।
           लेखक ने काफी मेहनत से इस पुस्तक को तैयार किया है। पुराने समाचार पत्र आदि से खोजकर साम्रगी एकत्रित की है। उस समय में उर्दू - फारसी का बोलबाला था। यह बोलचाल की भाषा लेखक पर हावी रही है। यह पुस्तक हिन्दी में लिखी होने के बाद भी हिन्दी के पाठकों को पढ़ने में असुविधा हो रही है। अश्लील भाषा ने पुस्तक की गरिमा कम कर दीं है। अश्लील भाषा का प्रयोग करने वाले को साहित्यकार नहीं कहा जाता है। यही पर लेखक पुस्तक लिखने में असफल नज़र आता है। 

                     पुस्तक का प्रकाशन

                        श्रीराम आफसेट

            जोरावर सिंह गेट, जयपुर - राजस्थान

                         संस्करण : 2017


                                - बीजेन्द्र जैमिनी
                                      समीक्षक

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