पानीपत नगर : समकालीन हिन्दी - साहित्य का अनुशीलन
बीजेन्द्र कुमार जैमिनी
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जैमिनी जी का जन्म 1965 में हुआ है । आपने बी. ए. , आई बी कालेज , पानीपत से तथा एम. ए. पंजाब विश्वविद्यालय , चण्डीगढ़ से उत्तीर्ण की । आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उपाधि प्राप्त की है ।
" मुस्करान " आपका प्रथम काव्य संग्रह है । यह कृति अत्यन्त लघु आकार की है । इसमें 72 कविताओं को स्थान मिला है जो रोमांस तथा मानव - मूल्यों पर आधारित हैं। " भूमिका " में कवि लिखता है --- " ये रचनाएँ युवा वर्ग का मनोरंजन तो करेगी परन्तु भूलें भटके युवाओं को सीधे रास्ते पर लाने का प्रयास भी करेगी । समाज में फैले भ्रष्टाचार पर कवि की टिप्पणी देखिये ---
" देखों --
मैं भ्रष्टाचारी हूँ
रिश्वत लेकर मैं जीता हूँ
ना जाने कौन , कब , किस वक्त मुझे रिश्वत दे जाये
शायद इस देश में मेरे जैसों की कमी नही होगी "
शराब की लत मनुष्य को किटाणु की तरह भीतर ही भीतर खोखला बना देती है , परन्तु शराबी - शराब का दुष्प्रभाव जानते हुए भी शराब पीना नहीं छोड़ता ---
" शराबी का शरीर चलती फिरती बनी लाश है ,
पेसा हमने बार - बार देखा है हमने सुना है ।
शराबी जानता है मैं जी रहा हूँ मौत के मुँह में
फिर भी दिन पे दिन पीते जाते हैं हमने सुना है।
आज शिक्षा नकल के बिना तथा नौकरी रिश्वत के बिना प्राप्त करने वाले व्यक्ति गिने - चुने ही होगें । ऐसी ही विडम्बना का सामना कवि को भी करना पड़ा है ---
" शिक्षा के लिए रात - दिन एक करना पड़ा ।
नकल वालों के आगे फिर झुकना ।।
नौकरी के लिए जगह - जगह परीक्षा देनी पड़ी ।
रिश्वत वालों के आगे फिर भी कुछ न चली ।।
रोजगार के लिए संविधान ने मौलिक अधिकार दिया ।
भाई - भतीजावाद ने फिर से अधिकार छीन लिया ।।
" जैमिनी " की दूसरी पुस्तक " चाँद की चाँदनी " ( सम्पादित ) एक लघुकथा संकलन है । इसमें विभिन्न लेखकों की लिखी हुई 51 लघुकथाओं को स्थान मिला है जिनके मूल विषय सामाजिक हैं। भूमिका में जैमिनी लिखते हैं " पानीपत में प्रकाशित होने वाला प्रथम लघुकथा संकलन है । इससे पानीपत के इतिहास में एक नया पेज जुड़ गया है । लघुकथाओं का चुनाव बहुत सजगता से किया गया है। लघुकथा में जो एक टीस उत्पन्न करने की शक्ति होनी चाहिए , वह इममें है । बहुत कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी गई है।
इस पुस्तक में जैमिनी जी की लिखी " फैशन " नामक एक लघुकथा है जो युवा पीढी , जो निरन्तर पश्चिम के रंग में रंग रही है पर व्यंग्य है --
" मैं ट्रेन में बैठा जा रहा था । मेरी नज़र एक औरत प पड़ती है, जिसका अधिकतर बदन नंगा था । इसको देखकर पिछले स्टेशन की याद आ गई कि एक गरीब औरत का नंगा बदन नज़र आ रहा था । जिसको मैं बरदास नहीं कर पाया और मैंने अटैची में से अपनी घरवाली का नया का नया लेडीज सूट निकाल कर दे दिया था। परन्तु जिसका अब नंगा बदन नज़र आ रहा है वह गरीबी से मजबूर नहीं है , इस का फैशन है "
" जैमिनी " की तीसरी पुस्तक " प्रातःकाल " है । इसमें 77 लघुकथाओं को स्थान दिया गया है। " प्रस्तुति " लघुकथाकार कहता है --- " ये लघुकथाएं सामाजिक विडम्बनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं , जिसमें स्पष्ट होगा कि आज समाज की क्या स्थिति है ? यही मेरा मुख्य उद्देश्य है । "
( शोध से साभार )
कुमारी सुखप्रीत ने एम.फिल ( हिन्दी ) हेतु " पानीपत नगर : समकालीन हिन्दी - साहित्य का अनुशीलन " विषय पर डॉ. लालचन्द गुप्त ' मगंल ' जी के निदेशन में 1993 में शोध प्रस्तुत किया ।
शोध के तीन अध्याय हैं । प्रथम अध्याय का शीषर्क " पानीपत नगर : एक सिंहावलोकन " है जिसमें भूमिका , भौगोलिक स्थिति , ऐतिहासिक महत्व , ओधोगिक स्थिति , धार्मिक स्थिति , साहित्यिक परम्परा पर विस्तार से आलेख दिये गये हैं । द्वितीय अध्याय का शीषर्क " पानीपत का समकालीन हिन्दी साहित्य " है । जिसमें पानीपत के समकालीन 19 साहित्यकारों पर शोध आलेख दिये गये हैं । क्रमशः डॉ. निरंजन सिंह " योगमणि " , डॉ. योगेश्वर देव , दीपचन्द " निर्मोही " , श्री पद्मप्रकाश सिंगला , सुदर्शन " पानीपती " , श्री रमेशचन्द्र " जलोनिया " , सुरेन्द्र कुमार सलूजा , टेकचन्द गुलाटी , श्री उत्तम चन्द शरर , श्री सूरज प्रकाश भारद्वाज , बीजेन्द्र कुमार जैमिनी , डॉ. आर. के. चतुर्वेदी , योगेन्द्र मोदगिल , सत्यप्रकाश बेकरार , कृष्णदत्त " तूफान " , राजेश्वर कुमार वशिष्ठ , जमनादास , डॉ. हरिशरण शर्मा " हरि " , प्रो. इन्दिरा खुराना पर शोध आलेख दिये हैं ।इसके अतिरिक्त कतिपय शोधक और समीक्षक , समाचार पत्र पर भी आलेख हैं । तृतीय अध्याय का शीषर्क " उपसंहार " है जो आलेख के रूप में दिया है । अन्त में सन्दर्भ ग्रन्थ सूची दी गई है ।
अत: इस पूरे शोध की फोटोकॉपी " बीजेन्द्र जैमिनी " के पास आज भी सुरक्षित है । विशेष एक बात और भी है यह शोधकर्ता " सुखप्रीत " बीजेन्द्र जैमिनी की बी. ए में सहपाठी रही है ।
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