पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति सम्मान - 2025

      सफलता सभी को मिलनी चाहिए। यह सभी का अधिकार है। परन्तु कुछ लोग दूसरों को गिराने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। यही इंसान की सोच बहुत छोटी हो जाती है। जिससे सोच का पता चलता है कि यह इंसान किसी सोच का है। यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों को देखते हैं :-
     जीवन में सफलता पाना निस्संदेह गौरवपूर्ण उपलब्धि होती है, जो स्वयं को रोमांचित तो करती ही है, समाज में सम्मान और प्रशंसा भी दिलाती है। सफलता का आशय , संबंधित एक उदेश्य का सार्थक समापन और सम्मान के साथ पूरा होना भी होता है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए किसी उदेश्य का होना आवश्यक होता है और अधिकार भी। भले ही वह एकाकी हो या प्रतिस्पर्धा के साथ। इससे मंजिल स्पष्ट और निर्धारित होती है। मेहनत के प्रयास में भटकाव नहीं होता, परंतु विकल्प होते हैं।हमें इन विकल्प के चयन में ही सावधान रहने की जरूरत होती है। अक्सर भूल और गलती इन विकल्प के चयन में ही हो जाती है। जो कभी-कभी यह इतनी बड़ी होती है कि हमारे पूरे जीवन को पश्चाताप के धूमिल अँधेरे में धकेल देती है। अत: हमें ऐसी स्थितियों और मनोवृतियों से सदैव बचाव करते रहना चाहिए।नैतिक मूल्यों के निर्वहन के साथ मिली सफलता ही सच्ची सफलता है और यह तभी सार्थक भी है। किसी को गिराकर, या अनैतिक और अनुचित ढंग से प्राप्त सफलता दिखावटी होगी, भीतर से संताप और पाप से भरी हुई, निर्मूल।     

     - नरेन्द्र श्रीवास्तव

    गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

      सफलता पाना सबका अधिकार है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हमारी सफलता किसी की असफलता पर आधारित हो। हमारी जीत में किसी की हार निहित हो। सभी अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी विशेषताओं के साथ सफल हो सकते हैं।किसी को गिराना मतलब पहले स्वयं गिरना,   छोटी सोच रखना। जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है, जिनमें सुरक्षा की भावना कम होती है उनका ध्यान अपने आप को उठाने, स्वयं सफल बनाने से अधिक दूसरों को नीचे गिराने में व ऊपर न उठने देने में लगा रहता है। वे लोग सोचते हैं अच्छे, व्यक्ति  की एक ही कुर्सी है हमारे पास, यदि उस पर दूसरा कोर्ड बैठ गया तो उन्हें नीचे गिरना ही पडेगा। यह सही नहीं है। एक से अधिक व्यक्ति अच्छे व सफल हो सकते हैं । अपने पर ध्यान केंद्रित कर अपने को ऊंचा उठाएँ न कि दूसरे पर ध्यान केंद्रित  कर गंदी राजनीति करें ।

   - रेनू चौहान

       दिल्ली 

        जीवन में सफलता पाना सब का अधिकार है परन्तु सोच विचार कर किसी को भी गिराना पाप है मानव की सोच अजिबोगरिब होती है।उसका विचार कब बदल जायेंगे यह बता पाना मुश्किल है।कभी अपनी सफलता या कुर्सी पाने के लिए वह दूसरे को नीचे गिरा देता है। हमें अपनी सोच बदलनी चाहिए अपनी सफलता के साथ दूसरे को भी जोड़कर सफल होने की प्रेरणा देना चाहिए। इसलिए हमें सफलता पाने के बाद अपने विचार में बदलाव नहीं लाना चाहिए।

 - विनोद कुमार सीताराम दुबे 

       मुंबई  -महाराष्ट्र 

       सफलता व असफलता जीवन के दो पहलू हैं !! सफलता पाना सबका अधिकार है , व सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति यथासंभव यत्न करता है !! इस क्रिया मैं कई रुकावटें आती हैं, कष्ट आते हैं और व्यक्ति इनसे जूझता हुआ , आगे बढ़ता है !! एक स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए , ईमानदारी से प्राप्त की गई सफलता , कठिन संघर्ष से गुजरते हुए , प्राप्त होती है !! ये हम सब जानते हैं कि बहुत कठिन है डगर सफलता की , पर इसे प्राप्त करने के लिए स्वयं के स्वाभिमान से समझौता करना , व स्वयं को गिराकर नीच हरकतें करना , सर्वथा अनुचित है !! गिरी हुई हरकतें व्यक्ति की छवि को धूमिल कर देती हैं , व ऐसा करना महापाप है !! सत्य कभी न कभी उजागर हो ही जाता हैं, व व्यक्ति की कीमत , साख , सब गिर जाते हैं !! स्वयं के स्वाभिमान से सौदा करके , सफलता प्राप्त की , तो कैसी सफलता प्राप्त की !! 

     - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

     सफलता पाने के लिए सोच विचार करके किसी को नीचे गिराना पाप ही माना जाएगा। षड़यंत्र ही तो है सोच विचार कर किसी को गिराने की ,नीचा दिखाने की साज़िश करना और खुद को बड़ा बताने की कोशिश करना।यह षड्यंत्र कोई साधारण बात नहीं है,यह तो एक ऐसा पाप है जिसमें मन वचन कर्म तीनों से ही यह कुकृत्य होता है।यह पाप तो महापाप होगा ‌इसलिए जानबूझकर योजनाबद्ध तरीके से ऐसे कृत्य करने से बचना चाहिए ‌।

  - डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

      धामपुर - उत्तर प्रदेश 

जी बिलकुल! जीवन में सफलता पाना सबका अधिकार है! तो प्रश्न उठता है कि “आख़िर, सफलता कैसे मिलती है?”उसका उत्तर है, “कठिन परिश्रम से सफलता प्राप्त करना पड़ता है!” थाली में परोस कर दिया गया भोजन नहीं है सफलता। वैसे भी थाली में जो भोजन मिलता है, उस भोजन के पीछे कितने वर्ग के लोग लगे होते हैं, इसका अवलोकन किया जाए तो बात समझ में आएगी। साधारण भोजन में क्या होता है, दाल, रोटी, सब्जी, या रोटी सब्जी, या चावल दाल सब्जी या चावल, रोटी, सब्जी, दाल या इसमें जितने रईसी से बढ़ाते जाएँ- खेत तैयार करने से लेकर, अन्न-सब्जी-मसाले उगाने तक : घर में लाके ईंधन के संग पकाने तक जो जद्दोजहद है तब जाकर किसी के मुँह में निवाला जाता है- उसी तरह अन्य किसी कार्य में भी मिलने वाली सफलता उतनी ही जद्दोजहद की माँग रखती है। सफलता प्राप्त करने में कोई सुगम मार्ग (शॉर्टकट) नहीं होता है।लेकिन कुछ लोग परिश्रम से बचने के लिए, जद्दोजहद से बचने के लिए, किसी अन्य के प्रलोभन में फँसकर सुगम रास्तों पर चलने के लिए मजबूरी में फँसने के लिए तैयार हो जाते हैं जो उनके लिए ग़लत राह, दलदल साबित हो जाता है! ऐसा भूलभुलैया/ चकव्यूह होता है कि उसमें फँसा व्यक्ति सफलता क्या प्राप्त करेगा अपना जीवन ही नारकीय बना लेता है!

- विभा रानी श्रीवास्तव 

     पटना - बिहार 

        जीवन में सफलता प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का नैसर्गिक अधिकार है। परिश्रम, धैर्य, ईमानदारी और सतत् प्रयास से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में उच्च शिखरों तक पहुँच सकता है। सफलता केवल पद, धन, प्रतिष्ठा या मान्यता तक सीमित नहीं है, अपितु आत्मसंतोष, सदाचार और समाज में सकारात्मक योगदान से भी मापी जाती है। किन्तु, दूसरों को नीचा दिखाना, उनकी मेहनत का अपमान करना अथवा उनकी उपलब्धियों में विघ्न डालना पाप और अनुचित है।  ईर्ष्या, तिरस्कार और नकारात्मकता न केवल समाज के लिए हानिकारक हैं, बल्कि व्यक्ति के आत्मिक विकास में भी बाधक हैं। सोच-समझकर, सहानुभूति और सहयोग से हम जीवन की राह को सुगम और सार्थक बना सकते हैं। सच्ची महानता वही है, जो स्वयं सफलता अर्जित करते हुए दूसरों को प्रोत्साहित, सहयोग और सम्मान प्रदान करें।  अतः सफलता की आकांक्षा रखते हुए हमें सदैव नैतिकता, परोपकार और संवेदनशीलता के मार्ग पर चलना चाहिए, ताकि जीवन केवल व्यक्तिगत उन्नति का नहीं, अपितु सामाजिक प्रगति का भी प्रतीक बने। 

 - डॉ. इंदु भूषण बाली 

 ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर 

          जीवन में हर मनुष्य सफलता की आकांक्षा रखता है। यह आकांक्षा स्वाभाविक भी है, क्योंकि मेहनत करने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि उसके प्रयासों का सुंदर परिणाम मिले। सफलता पाना केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर उस इंसान का अधिकार है जो ईमानदारी और लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। परंतु प्रश्न यह है कि सफलता पाने के लिए हम कौन-सा मार्ग चुनते हैं? यदि कोई अपनी मेहनत, संघर्ष और सदाचार के आधार पर आगे बढ़ता है तो उसकी उपलब्धि सच्चे अर्थों में प्रशंसनीय होती है। लेकिन जब कोई व्यक्ति सोच-समझकर दूसरों को गिराने की कोशिश करता है, उनकी प्रगति में बाधा डालता है, या छल-कपट का सहारा लेता है, तब उसकी सफलता खोखली हो जाती है। किसी को गिराना केवल सामाजिक दृष्टि से अन्याय नहीं है, बल्कि यह आत्मा के विरुद्ध किया गया पाप है। ऐसी सफलता क्षणिक होती है और अंततः व्यक्ति को आत्मग्लानि और अपयश की ओर धकेल देती है। जबकि सच्ची सफलता वह है जो न केवल व्यक्ति को ऊँचा उठाए, बल्कि समाज में सकारात्मक उदाहरण भी प्रस्तुत करे।अतः हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि सफलता पाना हमारा अधिकार है, परंतु दूसरों को गिराकर आगे बढ़ना पाप है। सफलता का वास्तविक सौंदर्य तभी है जब वह परिश्रम, संयम और नैतिकता से अर्जित की जाए।

- डाॅ.छाया शर्मा

अजमेर - राजस्थान

     जीवन में इच्छा शक्ति सर्वोपरि है और सफलता पाना सब का आधिपत्य है, परन्तु सोच विचार कर किसी को भी गिराना पाप भी है। यह कटुसत्य भी है। सब चाहते रहते है, जीवन में प्रतिस्पर्धात्मक हो आचार विचार सबके एक जैसे हो और हम अधिकार जमाकर रखे, यह एक मानसिक प्रवृत्ति होती है, जिसमें हम किसी का स्वभाव परिवर्तित नहीं कर सकते, उसे कितना भी खिलाईऐं,  सांप जैसा डंक जरुर मारेगा अपनी इच्छा पूर्ण जरुर मारेगा। इतिहास गवाह है, किस तरह अपने साम्राज्यवाद को स्थापित करने के मीठी-मीठी बात करता है, वहां कुछ नहीं होता तो, उन्हीं के बीच में फूट डालकर अपना साम्राज्य का विस्तारीकरण करता है, इसी तरह घर संसार से लेकर अनेकों स्थानों में देख लीजिए। मैं शब्द याने अंहकार का प्रतीकात्मक है। आज वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह भी श्रृंखला देखने को मिल रही है.....?

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

        बालाघाट - मध्यप्रदेश

    जीवन में सफलता पाना सबका अधिकार है। सफलता प्राप्त करने हर व्यक्ति प्रयास करता है।पूरी मेहनत,लगन, दृढ़संकल्पित होकर अपने कर्म पर जुटा रहता है।लक्ष्य हासिल करने की जिज्ञासा जेहन में बनी रहती है। सफलता का सेहरा बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ता।उसकी इच्छा कामयाबी का परचम लहराने की होती है। परंतु इस सफलता को हासिल करने के लिए अनैतिक कर्म करना,गलत हथकंडे अपनाना पाप है।इसका परिणाम भी ग़लत होता है।छबि धूमिल होती है। मान-प्रतिष्ठा भी समाप्त हो जाती है। हर कार्य सोच - विचार कर करें।खुद पर विश्वास रखें। सकारात्मक सोच के साथ कार्य का निर्वहन करें।क्योंकि कहा गया है सत्य की हमेशा जीत होती है।सत्य कभी परास्त नहीं होता परेशान जरूर करता है। लेकिन सत्य की विजय सुनिश्चित होती है। सफलता सत्य के पथ पर चलने वाले कर्मी को हासिल होती है।जौ अपने परिश्रम से सफलता अर्जित करता है।

- डॉ. माधुरी त्रिपाठी

   रायगढ़ - छत्तीसगढ़

        ये सत्य है कि जीवन में सफलता हासिल करना सबका अधिकार है. परंतु सोच विचार कर किसी को उसकी सफलता से वंचित करना बहुत बड़ा पाप है. ईश्वर ने सबको समान अधिकार दिए हैं. यहां के संविधान में भी सबको समान अधिकार मिला है. इसलिये सबको सफलता पाने का अधिकार है. उसे सोच समझ कर किसी को वंचित करना या उसको नीचा दिखाना या उसके पद से उसको हटाना निहायत ही पाप का काम है. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

     कलकत्ता - प. बंगाल 

       जीवन में सफलता पाना सबका अधिकार है परंतु सोच विचार कर किसी को भी गिराना पाप है. सफलता पाने के लिए किसी को गिराना ठीक नहीं है. किसी को गिराकर सफलता पा भी ली तो संतुष्टि नहीं होगी और अपनी आत्मा भी कचोटती रहेगी. सफलता के लिए किसी की लकीर को मिटाना या छोटा नहीं करना चाहिए, अथक प्रयास करके अपनी लकीर को बड़ा करना श्रेयस्कर है.

 - लीला तिवानी 

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

        जो इंसान जीवन में परिश्रम और संघर्ष करते हैं, उन्हें सफलता पाने का अधिकार रहता है।उसे सफलता चरण चूमती है। हमें सोच विचार कर कार्य करना चाहिए।जब हम सोच समझ कर काम करेंगे तब वह काम सही एवं अच्छा होगा, निर्णायक होगा।हमें बुद्धि के सहारे चलना चाहिए।वह हमें जैसे प्रेरित करता है,वैसे ही करना चाहिए।मनुष्य को जिंदगी में सफलता पाना सबका अधिकार है, लेकिन सोच समझकर किसी को गिराना पाप है।अतः हमें किसी को गिराना नहीं चाहिए।

    - दुर्गेश मोहन

    पटना - बिहार

      देखा जाए जीवन और सफलता एक अटूट संबंध रखती है,जबकि सफलता सिर्फ बाहरी उपलब्धियों तक ही  सीमित नहीं है बल्कि आंतरिक शान्ति, संतुष्टि तथा लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता  होती है और इसको पाने के लिए निरंतर प्रयास,सकारात्मक सोच शारिरिक और मानसिक संतुलन बनाये रखना भी जरूरी है,तो आईये आज की चर्चा में यही विचार रखते हैं कि जीवन में सफलता पाना सब का अधिकार है परंतु सोच विचार कर किसी को भी गिरना पाप है,मेरा मानना है कि  जीवन में सफलता को सिर्फ कड़ी मेहनत दृढ़ संकल्प और उचित प्रयासों से प्राप्त किया जा‌ सकता है,यह कोई ‌जन्मसिद्द अधिकार नहीं है, हां हर किसी को  सफलता हासिल करने का   अवसर मिलने का अधिकार  जरूर है मगर यह व्यक्तिगत प्रयास,सही मानसिकता और नैतिक मुल्यों पर निर्भर करता है,इसलिए ‌कडी मेहनत और दृढ संकल्प की‌ जरूरत होती है, यह एक अर्जित की‌ जाने वाली चीज है जिसके लिए मेहनत,धैर्य तथा‌ सही चुनाव की जरूरत होती है,अगर सोच‌‌‌ विचार की बात करें तो विचार हमेशा‌ कर्म की तरफ ले जाते हैं जबकि बुरे विचार बुरे कर्म करवाते हैं और अच्छे विचार अच्छे कर्म  अगर बुरे विचारों पर ध्यान नहीं दिया जाए तो पाप नहीं माना जाता लेकिन उस पर विचार‌  विमर्श ‌किया‌‌ जाए तो  वो पाप के दोषों में आता है क्योंकि ‌किसी‌ के बारे में गलत या बुरा सोचना पाप ही माना जाता है,इसलिए सोच‌ समझ कर ‌भी बुरे कर्मों में गिरना या किसी‌के प्रति बुरी सोच रखना पाप है जो स्वयं के लिए भी अहितकारी होता है और नकारात्मक विचारों को जन्म देता है, इसलिये विचार और इरादों से किए गए कर्मों‌‌ से गिरना जानबूझकर गलत काम और पाप है,अन्त में यही कहुंगा कि जीवन  पर सफलता  पाना सभी का अधिकार है मगर चेतना और जागरूकता के साथ किए गए कार्य अधिक गंभीर होते हैं और उनके परिणाम भुगतने पड़ते हैं क्योंकि सोच समझ कर किया गया गलत काम निश्चित रूप से पाप है और उसका परिणाम भी घातक होता है, देखा जाए विचार कर्मों के बीज होते हैं जो हमारे जीवन को आकार देते हैं इसलिए बुरे विचारों को रोकना और अच्छा ‌सोचना बुदिमानी है,देखा जाए विचार और कर्म दोनों जब गलत‌ हों तो पाप माने जाते हैं लेकिन  विचार  ‌तब तक पाप नहीं है जब तक हम बुरे विचारों पर अमल नहीं करते लेकिन जब बुरे विचार हम पर स्थायी‌ होने लगते हैं‌ तब हम जानबूझकर कोई गलत‌ काम करना   शुरू कर देते हैं तो महापाप के अधिकारी कहलाते हैं,दरअसल पाप तब होता है जब ‌विचार‌ और कर्म मिल जाते हैं,जैसे धृतराष्ट्र ‌को पता भी था‌ कि‌ सबकुछ गलत‌‌‌ हो रहा है लेकिन उसके पुत्र मोह के विचारों और कर्मों ने उस‌े कहीं का नहीं छोडा ,इसलिए जीवन मे सफलता वोही है‌ जिससे ‌आप‌ दुसरों के दिलों पर‌‌ राज कर सकें और आपको देखते ही सामने ‌वाला प्रसन्न हो उठे और आप का  दिल से‌ मान सम्मान करे लेकिन जिंदगी में कोई शोहरत को कोई दौलत को और कोई सुख,शांति व आनंद को ‌सफलता का आधार  मानता है।

 - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

   जम्मू -  जम्मू व कश्मीर 

" मेरी दृष्टि में " सोच से ही सफलता मिलती है। अच्छी सोच से ही सफलता के द्वार खुलते हैं। जो सोच को आगे चलकर बढ़ने में सहायक साबित होते हैं। ऐसे इंसान सफलता पे सफलता प्राप्त करते हैं। यही सफलता का गुरु मंत्र है।

            - बीजेन्द्र जैमिनी 

         (संचालन व संपादन)


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