प्रताप नारायण मिश्र स्मृति सम्मान -2025
सड़क कभी सीधी नहीं होती। उसमें कभी मोड़, कभी चढ़ाई तो कभी ढलान आते हैं, कहीं रास्ता ऊबड़-खाबड़, तो कहीं समतल होता है। जीवन भी सड़क की ही भांति है, इसमें भी उतार-चढ़ाव, रुकावटें, मोड़ और अनिश्चितताएँ लगातार आती रहती हैं। जब हम सड़क पर चलते हैं तो हर मोड़ पर सावधानी से गाड़ी सम्भालते हैं, गति नियंत्रित करते हैं और धैर्य से लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। ठीक उसी प्रकार जीवन में भी धैर्य, संयम और साहस की आवश्यकता होती है। कठिनाइयाँ और असफलताएँ हमें तोड़ने के लिए नहीं आतीं बल्कि हमें सशक्त बनाने और जीवन का सही अर्थ समझाने के लिए आती हैं। सुख और दुख, सफलता और असफलता, ये सब जीवन की यात्रा के हिस्से हैं। सड़क पर आने वाली बाधाएँ जैसे गड्ढे, रुकावटें या लंबी यात्रा हमें मंज़िल की अहमियत का एहसास कराते हैं, वैसे ही जीवन की चुनौतियाँ हमें हमारे लक्ष्य का महत्व सिखाती हैं। यदि सड़क पर हमें विश्वास हो कि लक्ष्य तक अवश्य पहुँचना है तो हम हर कठिनाई सहते हुए आगे बढ़ते हैं, तो जीवन में भी आत्मविश्वास और परिश्रम हमें हर परिस्थिति में सही राह दिखाते हैं। सड़क का हर मोड़ हमें दिशा बदलना सिखाता है और जीवन की हर चुनौती हमें अनुभव और परिपक्वता देती है। जो व्यक्ति हर परिस्थिति को साहस और धैर्य से स्वीकार करता है, वही अंततः सफलता और सम्मान प्राप्त करता है। अतः जीवन और सड़क दोनों की कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ना ही सच्चा कर्म और सच्ची जीत है। अतः मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह बताता है कि मीठे फल और कड़वे करेलों का रस अपना अपना विशेष महत्व रखते हैं।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
सड़क कभी सीधी नहीं होती है, कहीं सीधी-सपाट होती है तो कहीं ऊबड़-खाबड़ होती है, कहीं मुड़ती है तो कहीं जुड़ती है. जिंदगी भी सड़क जैसी होती है. कभी सहज-सरल, सीधी-सपाट होती है तो कभी विकट परिस्थितियों से घिरकर ऊबड़-खाबड़ हो जाती है. कभी खुशियों की सरगम सजती है, तो कभी दुःख के नगाड़े बजते हैं. जैसे सड़क कभी सीधी नहीं होती, पर चलना पड़ता है, उसी तरह जिंदगी में खुशी हो या गम, चलना तो पड़ेगा ही, क्यों न खुशी से चलें! वैसे खुशियां मिलती नहीं, जो मिला उसी से ही संतुष्टि से ही खुशियां पानी-बढ़ानी होती हैं. खुश रहने-मुस्कुराने से जिंदगी सीधी-सपाट हो सकेगी, खुशियों की ओर मुड़ेगी, खुशियों से जुड़ेगी।- लीला तिवानी
सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया
सड़क कभी सीधी नहीं होती है, जिंदगी भी सड़क जैसी है। क्या बात कह दी, जिंदगी भी सड़क जैसी है। कभी भी दो विपरीत वस्तुओं में समानता और तुलना करना ठीक है क्या जी।सड़क निर्जीव वस्तु और जिंदगी संजीव।तो फिर दोनों को एक जैसा मानना हमें तो उचित नहीं जान पड़ता। जिंदगी, जिंदगी है, जिंदा है और सड़क,सड़क है जो निर्जीव है। सड़क के मोड़ और झटके सुनिश्चित है, जबकि जिंदगी के मोड़ और झटकों में अनिश्चितता है। जिंदगी का अपना एक विशेष रिद्म है,जो जिंदगी को जिंदगी बनाता है। सड़क और जिंदगी को समान नहीं मान सकते हम।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कितनी बढ़िया बात कि जिंदगी सड़क जैसी होती है। आडी तिरछी चलती हैं जीवन की राहें भी निःसंदेह। सड़क पर चलते समय मोड़ तो आते ही हैं लेकिन अंधे मोड़ भी आते हैं। उसी तरह जीवन में भी अचानक आपदा विपदा आ जाती हैं वहाँ आपका कौशल्य धैर्य और बुद्धि ही काम आती है। आपके धीरज की परीक्षा इन अचानक आने वाले मोडों पर ही निर्भर करती है। सिर्फ मोड़ ही नहीं अनदेखे गड्ढे भी तैयार रहते हैं आपको गिराने के लिए। अभी-अभी विभिन्न न्यूज चैनलों पर देख रहे है बारिश में सड़कों के गडर के गढ्ढों में समूची कार समा रही है - - ठीक इसी तरह आपकी जरा सी गलती आपको बहुत भारी पड़ सकती। हर अगला कदम किसी न किसी विपत्ति का आमंत्रण होता है यदि आप सँभलकर सोच समझकर कदम ना बढायें। आर्थिक सामाजिक मानसिक प्रलोभन आपकी राहों में फूल बिछाते हैं--परीक्षा आपकी है कि फूलों में छिपे काँटे आप पहचान लें समय रहते। इस का तात्पर्य यह नहीं है कि हम डर कर जीवन जियें - - हर कार्य पर हर बात पर शंका कुशंका करें---नहीं। "जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबहो शाम - -" इस गीत की तरह चलते रहें अनवरत बेहिचक। बस जरूरी है कि अपने आँख कान नाक दसों इंद्रियों को खुला रखें तो सड़क जैसी जिंदगी सुनहरा पथ बन जायेगी।- हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर - महाराष्ट्र
सड़क कभी सीधी नहीं होती.हमेशा टेढ़ी ही होती है. थोड़ी दूर जाने पर ही कुछ अंश पर मुड़ी हुई दिखती है. सड़क कितनी भी सीधी होगी तो भी थोड़ा बहुत टेढ़ी अवश्य होगी. उसी तरह से यह जिन्दगी है जो सड़क के तरह ही होती है. कभी सीधी तो कभी टेढ़ी. जिस तरह सड़क पर मोड़ आने से रफ्तार धीरे हो जाती है.फिर मोड़ खत्म होने पर बढ़ जाती है. ठीक उसी तरह जिंदगी में मोड़ यानी संकट आने पर हमें धैर्य से काम लेना चाहिए. यानी शांत हो कर निर्णय लेना चाहिए. तो संकट आसानी से दूर हो जाएगी.
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
जिंदगी और सड़क वास्तव में एक जैसी है। दोनों में कब क्या और कैसा मोड़ हो जाये कुछ भी अनुमान लगाना असंभव है। यहाँ सीधा कुछ भी नहीं। सड़क पर चलने के लिए और जिंदगी जीने के के लिए कैसी भी और कितनी भी तैयारी कर ली जाये कम ही है। अचानक एक ऐसा मोड़ आ जाता है कि सब कुछ बदल जाता है। कहा भी जाता है सावधानी हटी दुर्घटना घटी। तो सड़क पर चलने के लिए और जिंदगी को जीने के लिए अपनी पूरी तैयारी रखें, आने वाले मोड़ों के लिए भी भी तैयार रहते हुए प्रत्युपन्न मति का प्रयोग करने के लिए भी तैयार रहें। यात्रा में सड़क पर चलने का आनंद और जिंदगी बिंदास जीने का अतरंगी आनंद तभी अनुभव कर पायेंगे।
- डा.भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
जीवन की सरंचना और सड़क की भौगोलिक स्थिति दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है। हम अपने शरीर की स्थिति का सूक्ष्म अवलोकन कीजिए, अन्दर और बाहर कहीं भी सीधापन नहीं है, शारीरिकता और मानसिकता में कहीं न कहीं उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा, साथ ही एक दूसरे से जुड़े हुए आधार है। अगर एक अंग कहीं का भी कट गया, पूरे शरीर में असर प्रभावित होता है। उसी तरह सड़क कभी सीधी नहीं होती है, जिंदगी भी सड़क जैसी ही होती है। सड़क को देख लीजिए उतार-चढ़ाव, घुमावदार, बीच में अनेकों मार्गों का निर्माण, पगडण्डी, जहाँ देखों सड़क ही सड़क। खराब हो गई तो समयानुसार ठीक-ठाक करते जाओं, ज्यादा खराब तो पुनर्निर्माण, उसी प्रकार से जिंदगीभर.सबकी सुनते जाईए, मेरा-तेरा करते रहिए और जिंदगी भी चिकित्सकों के पास, आखिर जिंदगी और सड़क स्वतंत्र कहा....- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
वाकई में जिंदगी भी सड़क की तरह होती है !! सड़क पर चलते चलतेअचानक कोई मोड आ जाता है , और पता नहीं होता ये मोड हमें कहां तक ले जायेगा !! जिंदगी भी इसी तरह , ठीक चल रही होती है , और अचानक से से कोई घटना घटती है , और जिंदगी का रुख बदल देती है !! जैसे सड़क में सीधी राह होती है , कहीं सड़क टूटी होती है , कहीं कच्ची !! इसी तरह जिंदगी कहीं खुशी होती है , कहीं गम!! कहीं संघर्ष होता है , कहीं ऐशो आराम !! जिंदगी व सड़क की फितरत एक समान होती है , विविधताओं से भरी !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
सड़क कभी सीधी नहीं होती, जिंदगी भी सड़क जैसी होती है क्योंकि जैसे सड़क में उतार-चढ़ाव होते हैं, मोड़ होते हैं, तिराहे और चौराहे होते हैं। हमारी जिंदगी में भी कुछ इसी तरह के उतार-चढ़ाव और मोड़ आते हैं। अनेक लोग मिलते हैं, बिछड़ते हैं। इस तुलना में खास बात यही है कि जिस तरह सड़क हमें अपनी मंजिल तक पहुंचाने का काम करती है। परमार्थ का काम करती है। जिंदगी का भी यही काम है। जिंदगी का भी यही मर्म है, यही प्रयोजन है। जिंदगी का अर्थ खाना-पीना,सोना- उठना नहीं है। जिंदगी का अर्थ, औरों की जिंदगी को पारस्परिक सोच के साथ सहजता,सरलता और सरसता देना है। हम बने तुम बने एक-दूजे के लिए। हम औरों के हित का ध्यान रखें, वे हमारा ध्यान रखें। यही नीति है।यही न्यायसंगत है।यही तर्कसंगत है। सार यही कि सड़क को प्रतीकात्मक बनाकर हमें जिंदगी को बेहतर...और बेहतर बनाने का सतत प्रयास करते रहना चाहिए
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जिंदगी की राहें पगडंडियों की तरह होती है ! अक्सर पहड़ों नादियों उतार-चढ़ाव शांत बर्फीली पथलीरी समय धार के अनुकूल बहती सहारा लेकर देकर शिखर पहुचाती कभी कोलाहल बादल की तरह फट जाती है ! सड़क और ज़िन्दगी एक सी होती है ! सीधी संबंध कर्म व्यवहार ज्ञान मानवता के मार्ग दर्शन से बनाई जाती है टेड़े मेढ़े रास्तों को पार कर मंजिल पानी होती है ! दिशा बदलने की आवश्यकता होती है।नए अनुभव जिंदगी की सड़क पर नए अनुभव चुनौतियाँ आती हैं, जैसे कि सड़क पर नए दृश्य और अनुभव होते हैं।जिंदगी की सड़क पर आगे बढ़ना धैर्य और साहस सीख आगे प्रक्रिया निरंतर होती है। जिंदगी की सड़क पर आशा और उम्मीद बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
बिल्कुल कथन सत्य है कि सड़क कभी सीधी नहीं होती।अपनी मंजिल को अगर पाना है तो सड़क किसी भी प्रकार की हो मुझे सामना करना पड़ेगा।जिंदगी भी सड़क जैसी है। जिंदगी में सुख_दुःख लगे ही रहते हैं।हमें उसका सामना करना पड़ेगा।मुझे किसी भी मुसीबतों से नहीं घबराना है।उसके प्रतिकार के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी जिन्दगी को सड़क के समान मान लिया,उसकी जीत अवश्य होती है।जिस प्रकार सड़क लाख कठिनाइयों के बीच भी वह हमें गंतव्य स्थान पहुंचा देता है।ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी जिंदगी में विघ्नों को पार कर लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं,सफलता चरण चूमती है।
- दुर्गेश मोहन
पटना - बिहार
सड़क अगर हमेशा सीधी हो, तो सफर नीरस और एकरस लगने लगेगा। मोड़, ऊँच-नीच, चढ़ाई-उतराई ही यात्रा को अनुभवों से भरते हैं। ठीक वैसे ही ज़िन्दगी भी है—अगर इसमें केवल सीधापन होता, तो न चुनौतियाँ मिलतीं, न संघर्ष, न ही उपलब्धियों का आनंद। सड़क के मोड़ हमें सावधान रहना सिखाते हैं, वैसे ही जीवन की कठिनाइयाँ हमें परिपक्व बनाती हैं। सड़क पर गड्ढे और बाधाएँ हमें धैर्य सिखाती हैं, जीवन की रुकावटें हमें आत्मबल देती हैं। लंबी यात्रा में जैसे सड़क के किनारे विश्राम स्थल मिलते हैं, वैसे ही जीवन में रिश्ते और मित्र हमें ऊर्जा देते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि—“सड़क का हर मोड़ एक नया दृश्य दिखाता है और जीवन का हर उतार-चढ़ाव एक नया
- डाॅ.छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जाने हम सड़क के लोगों से महलों वाले क्यों जलते हैं,यह उंचे महलों वाले भी इन सड़कों पर ही चलते हैं, इस गीत में सड़क के साथ लोगों का जिक्र व जिंदगी की तुलना सड़क के साथ जोड़ी जा रही है मानो यह गीत बता रहा है कि जिंदगी चाहे अमीर की हो या गरीब की लेकिन इसका पड़ाव या सफर सड़क की तरह ही होता है न जाने कहां मोड़, उतार चढ़ाव आ जाएं लेकिन सफर तो मंजिल तक जारी रखना पड़ता है तो आईये आज हम इसी पर चर्चा करते हैं कि जिंदगी भी सड़क जैसी होती है जो कभी सीधी नहीं होती, सत्य है क्योंकि जिंदगी वह अनिश्चित और गतिमान सफर है जो कभी खत्म नहीं होता कहने का मतलब जन्म से मृत्यु तक चलता रहता है जिसमें सांसरिक,मानसिक और भावनात्मक अनुभव आते रहते हैं जिनमें कई बदलाव आते रहते हैं जिस तरह सड़क में कई मोड़, उंचे नीचे रास्ते गहरे खड्डे हमें बहुत कुछ सिखाकर मंजिल तक ले जाते हैं ठीक उसी प्रकार जिंदगी का सफर अनेक उलझने,मुसीबतें झेलते हुए हमें सड़क की तरह पार करते हुए किसी अनजान मंजिल तरफ धकेल देता है माना की समय के साथ मंजिलें बदलती हैं बचपन,जवानी ,बुढापे जैसे पड़ाव तय करते हुए हम अपनी मंजिल को हासिल करते हैं देखा जाए जिंदगी की तुलना अक्सर सड़क से की जाती है क्योंकि दोनों में मात्र मोड़ और चुनौतियां होती हैं जिस प्रकार सड़क पर पड़े गड्डे हमें सावधान रहने को कहते हैं उसी प्रकार जिंदगी की हर मुश्किल हमें कुछ नया सिखाती है, यह दोनों हमें विकल्पों और रास्तों पर ले जाती हैं और दोनों ही जीवन के उतार चढ़ाव को दर्शाती हैं और प्रभावित करती हैं जिस प्रकार सड़क पर कभी सीधा रास्ता कभी मोड़ आते हैं ऐसे ही जिंदगी में सुख दुख,खुशी ,गम इत्यादि आते रहते हैं, लेकिन चलने वालों के लिए रास्ते खुद व खुद आसान नहीं होते लेकिन हौंसले बुलन्द होने के कारण रास्ते भी आसान लगने लगते हैं,सही मायने में सड़क और जिंदगी का अर्थ , जीवन की तुलना एक सड़क से करता है जिसमें उतार-चढाव,सीधा या टेढापन मंजिल की तलाश दर्शाता है और यह एक दार्शनिक विचार है जो बताता है कि जीवन एक सफर है जिसमें मुशिकलों में चलकर मंजिल पर विश्वास रखना होता है जैसे सड़क पर चलने से विश्वास आता है कि हमें मंजिल तक पहुंचा देगी, जिस प्रकार सड़क कई रास्तों पर विभाजित होती है उसी प्रकार जीवन में भी हमें लगातार कई विकल्प चुनने पड़ते हैं,कब कहां कौन सा मोड़ आ जाए पता नहीं चलता,अन्त में यही कहुंगा कि जिंदगी और सड़क दोनों ही चुनौतियों से भरे होते हैं जबकि जिंदगी सड़क की तरह है जिसमें, कई मोड़ उतार चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन जिंदगी को स्वीकार करके धैर्य और साहस से चुनौतियों का सामना करते हुए अनुभवों से सीख लेकर हौंसलों की उड़ान भरनी पड़ती है ।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
हम सभी मुसाफ़िर हैं और यह ज़िंदगी अपनी मंज़िल अर्थात् परमात्मा तक जाने का एक मार्ग है। ज़ाहिर है कि यदि ज़िंदगी मात्र एक रास्ता है,एक सड़क है ,तो सड़क की ही तरह यह टेढ़ी-मेढ़ी और उबड़-खाबड़ भी होगी।इससे हमें परेशान नहीं होना चाहिए जो भी है समयानुसार है।समय के साथ सब परिवर्तनशील है।जो रास्ता आया है वह वैसे ही जाएगा भी।
- वर्तिका अग्रवाल 'वरदा'
वाराणसी - उत्तर प्रदेश
सड़क कभी सीधी नहीं होती है जिंदगी भी सड़क जैसी उबड़-खाबड़, कहीं फूल तो कहीं शूल से बिखरी हुई रहती है। सड़क साफ- सुथरी कभी नहीं मिलती,उसी प्रकार जिंदगी भी कई अवगुणों से संंलग्नित होती है। कोई सर्व गुण संपन्न नहीं होता अचछाई- बुराई सभी समाहित रहती है। सड़क कहीं टेढ़ी-मेढ़ी, कहीं उतार- चढ़ाव सी होती है। राहगीर सड़क पर चलता सूझबूझ अपनी समझदारी से अपने गंतव्य तक पहुंचता है। सड़क पर कई लोग टकराते हैं उनमें से कुछ अच्छे - बुरे लोग भी हुआ करते हैं। हम अच्छे लोगों का साथ पकड़कर चलते हैं।बुरे लोगों को छोड़ो देते हैं। सड़क वहीं का वही रहता है। इंसान भी सड़क के समान अपने कर्म पे लीन रहता है।समय व्यतीत करता है।जब समय आता है दुनिया को अलविदा कहकर चला जाता है।
- डॉ. माधुरी त्रिपाठी
रायगढ़ -छत्तीसगढ़
" मेरी दृष्टि में " सड़क से बहू कुछ सिखा जा सकता है। विशेष कर दिशा का ज्ञान हो जाता है। जिस से आने जाने में सुविधा होती है। इसी से देश विदेश का ज्ञान होता है । परन्तु दिशा का कोई अन्त नहीं होता है। ठीक इसी प्रकार से जिंदगी दिशा तो बदलतीं है परन्तु हासिल क्या होता है। यह बहुत कम को पता होता है।
बहुत-बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय बीजेंद्र जी 🙏😊
ReplyDelete