सबसे बड़ा आलसी कौन होता है ?

आलसी कौन होता है । जो अपना काम भी खुद नहीं करता है ।और दूसरों पर निर्भर रहता है । ऐसे लोगो की तरक्की नहीं के बराबर होती है ।  विशेष रूप से गरीब आदमी को आलसी नहीं होना चाहिए । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
जो समय का सदुपयोग नहीं करता है वो सबसे बड़ा आलसी होता है । प्रकृति ने हमें क्या कुछ नहीं दिया है , परन्तु हम समस्याओं का रोना ही रोते रह जाते हैं । दूसरों की ओर हमारी निर्भरता ही हमारे आलस्य को बढ़ावा देती है । 
चौबीस घण्टे का समय सभी के पास होता है, कोई इसी समय में इतिहास रच देता है तो कोई उसमें गुम होकर धरती पर बोझ बना रह जाता है ।
सही योजना बनाकर ,अपनी अक्षमता से लड़ते हुए हमें कोई न कोई ऐसा कार्य अवश्य करना चाहिए जिससे मानवता का भला हो ।
अस्त- व्यस्त जिंदगी को जीने वाला सबसे बड़ा आलसी होता है । अपने को व्यवस्थित करके समय पर जीत हासिल करना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
मेरी समझ में जो स्वयं का कार्य नहीं कर सकता दूसरों पर निर्भर रहता है उससे बडा़ आलसी कोई नहीं हो सकता !जो हर वक्त इसी सोच में रहता है की कोई दूसरा आकर उसका काम कर दे ! जिसे कर्म नाम की एलर्जी या विकार कहें हो उससे बडा़ आलसी कोई हो ही नहीं सकता ! जो स्वयं के लिये क्या भला है आलस में नहीं समझ सकते दूसरों की आशा रखना बेकार है ! आलस से बडा़ शत्रु कोई नहीं है !
आलसी के लिए  मैथिलीशरण गुप्त की दो पंक्तियां कहना चाहूंगी यह जन्म हुआ सब व्यर्थ अहो
समझो जिसमे कोई अर्थ ना हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
सबसे बड़ा आलसी वह होता है जो जीवन में निष्क्रिय रहता है।  यही निष्क्रियता व्यक्ति को सफलता से कोसों दूर रखती है।  लेकिन एक चींटी की भांति जो व्यक्ति सदैव सक्रिय रहता है और अपने कार्य के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रह कर तत्परता का प्रदर्शन करता है, वह व्यक्ति अवश्य ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊंचाई को छू लेता है। अगर हम अपने जीवन में सफलता चाहते हैं तो यह अत्यन्त आवश्यक है कि हम अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय रहें। किसी भी प्रकार की निष्क्रियता या आलस हमें अपने लक्ष्य से तो दूर रखेगा ही साथ ही हमारे सफल होने के स्वप्न की राह में अड़चन साबित होगा। अतः इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीवन में सबसे बड़ा आलसी वही होता है जो निष्क्रिय रहता है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
मेरे विचार से तो सबसे बड़ा आलसी वह है जो सही रास्ता जानते हुए भी चलने की कठिनाइयों से डर जाए। यह डर अधिकतर लोगों में पाई जाती है। 
 कुछ करने से ज्यादा वो आराम के हिमायती होते हैं । उन्हें अपने काम में कुशलता हासिल है, लेकिन अपनी कुशलता का उपयोग करके दूसरों को राह दिखाने का कार्य नहीं करते। 
 आलस व्यक्ति की शक्ति को वह मानसिक हो या शारीरिक , क्षीण करता जाता है। मानव जीवन का अर्थ खो देता है। उसी के लिए कहा गया है  'बिना पूँछ का पशु'। यह जीवन कई अलग-अलग गुणों से भरा है। आने वाली पीढ़ी के लिए उस ज्ञान से आगे बढ़ने का रास्ता प्रशस्त करना ही जीवन की सार्थकता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
 मन ,तन  रहते हुए जो व्यक्ति सदुपयोग नहीं करता है और दूसरे से अपेक्षा करता है दूसरे के आश्रित में जीता है ऐसे ही व्यक्ति सबसे बड़े आलसी कहलाता है। आलसी होने का एक कारण स्वयं को नहीं समझ पाना होता है क्योंकि हर व्यक्ति सकारात्मक सोच से ही आगे बढ़ता है लेकिन आलसी व्यक्ति को न तो सकारात्मक सोच होता है, न तो नकारात्मक का सोच होता है इसीलिए वह स्वयं को नहीं समझ पाता है और अपने मन और तन का उपयोग स्वयं के लिए नहीं कर पाता है ,न औरों के लिए नहीं कर पाता है ।ऐसे ही व्यक्ति दुनिया का सबसे बड़ा आलसी होता है ।आलसी व्यक्ति जीवन में कभी भी विकास नहीं करता। ह्राशित होकर जीता है अर्थात दुखी होकर जीता है मन और तन दोनों दुखी होकर जीता है अतः हर व्यक्ति को श्रम से समृद्धि के साथ जीने की आवश्यकता है ना कि  नासमझी मैं दुरुपयोग कर आलसी होकर जीने की आवश्यकता है अंतिम में यही कहा जा सकता है कि सबसे बड़ा आलसी नासमझी के कारण अपने मन ,तन ,का सदुपयोग नहीं कर पाता है वही व्यक्ति दुनिया का सबसे बड़ा आलसी होता है।
- उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
आलसी व्यक्ति वह है जो अपने कार्यों में टाल-मटोल करते रहे और यह सोचते रहे कि काश कोई दूसरा मेरा काम कर दे। ऐसे आलसी कई मिल जायेंगे लेकिन मेरे विचार से सबसे बड़ा आलसी वह है जो स्वयं के लिये समय निकालने में टाल-मटोल करे, कोई उनसे कहे कि हमारे ध्यान केन्द्र या व्यायाम शाला में आइये, बहुत फायदा होगा तो वे कहेंगे आज नहीं कल से जायेंगे। भगवान के द्वार जाने में भी वे आलस्य करते हैं, वैसे भगवान को उनके समय की दरकार नहीं है, वास्तव में वह समय होता उन्हीं के लिए है लेकिन वहाँ भी आलस्य के मारे वे चूक जाते हैं। हम यदि अपने लिये समय निकालने में आलस्य करेंगे तो दूसरे के लिए कुछ करने का सोचना सिर्फ सोच ही बनकर रह जायेगा।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
आलस्य इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है. आलसी का होना न होना बराबर है. आलसीपन किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं होता. न तो सेहत के लिए और न ही सफलता के लिए, फिर भी कुछ लोग आलसी ही बने रहना चाहते हैं, अपने शरीर को हिलाने की जहमत नहीं उठाते. शोध की मानें तो अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च  के अनुसार हांगकांग जहां विश्व का सबसे एक्टिव देश है तो वहीं इंडोनेशिया सबसे आलसी देश है. हांगकांग के लोग प्रतिदिन औसतन 6880 कदम चलते हैं वहीं इंडोनेशिया के लोग महज 3513 कदम ही चलते हैं. 46 देशों पर किए गए सर्वे में भारत को भी दुनिया के सबसे आलसी देशों की सूची में डाला गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भारत इन देशों में 39वीं रैंकिंग पर है. भारत में लोग औसतन एक दिन में 4297 कदम चलते हैं. दुनिया का सबसे बड़ा आलसी जानवर कोला कोला होता है. आलस्य समय भी गंवा देता है और अवसर भी. सबसे बड़ा आलसी वह होता है, जो समय और अवसर का लाभ नहीं उठाता, काम को टालता रहता है और अपने साथ-साथ अपने साथ रहने वालों को भी मुसीबत में डाल देता है.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
अपने कर्तव्यों से विमुखता, प्राप्त अवसरों को अपने अनुकूल करने हेतु श्रम न करना और आलस्य उत्पन्न करने वाली अपनी मानसिकता से संघर्ष न करने वाला ही सबसे बड़ा आलसी होता है। 
आलस्य एक ऐसी प्रवृत्ति है जो दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है। आलसी व्यक्ति स्वयं पर एक बोझ के समान तो होता ही है उसका आलस्य दूसरों के लिए भी अहितकारी होता है। 
इसलिए मनुष्य को आलस्य उत्पन्न करने वाली मानसिकता को त्याग कर उर्जावान होकर अपने जीवन में सदैव सक्रियता दिखानी चाहिए। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जो अपने कर्म से भागते हैं, अपने अधिकारों का हनन होने से नहीं रोकते, अपनी आँखों के सामने हो रहे गलत कामों को अनदेखा करते हैं, अपने कर्तव्यों को नहीं समझते, अपने देश अपनी मिट्टी अपनी माँ के लिए छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सतर पर किए कार्यों में अपना योगदान नहीं देते, अपने परिवार व समाज में हो रही समस्याओं को दूर करने का प्रयास नहीं करते मेरी दृष्टि में वो सबसे बड़े आलसी होते हैं |
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
आलस मनुष्य के अंदर का सबसे वड़ा दुश्ंन  है, जब तक इसका वास किसी के अंदर होता है तब तक वो इंसान दुखी असफल और उदास रहता है, यानी सफलता प्राप्त करने में  आलस एक बहुत बड़ा  बाधक है। 
आइयै बात करते हैं  सबसे वड़ा आलसी कौन होता है, 
 मेरा मानना है जो इन्सान चलता फिरता कम है या खुद कार्य करने से  परहेज करता है   साथ में समय का सही इस्तेमाल नहीं करता उसको आलसी का दर्जा दिया जाता है। 
आलस इंसान का सबसे वड़ा शत्रु है यह बात सब जानते हैं
अगर भारत की बात करें तो यह आलसियों की भीड़ में ११७वें स्थान पर है। 
वल्र्ड हेल्थ आर्गनाईजेशन ने दूनिया में सबसे आलसी और एनजोर्टिक देशों की रिपोर्ट जारी की है, वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाईजेशन ने १६८ देशों की लिस्ट जारी की है इन देशों के सर्वे में पाया गया जिसमें, युगाड़ा सवसे एनजर्टिक देश होने पर पहले नंबर पर है और कुवैत आखिरी नंबर पर है ।  
रिपोर्ट के अनुसार युंगाड़ा में महज पच्चास परसैंट लोग ऐसे हैं जो एकस्रसाइज नहीं करते, 
 WHo के मुताबिक इंडिया को  ११७ नंबर पर रखा गया है आलसियों की इस लिस्ट में अमेरिका १४३ नंबर पर है यूके १२३ नंबर पर और सिंगापुर१२६ नंबर पर है। 
अगर आलसी की बात करें तो  दूनिया मे़ सबसे बड़ा आलसी वोही हो सकता है जो दिनवर कामचोर सा बैठा रहता हो  और कोई काम नहीं करता हो। 
रिसर्च के मुताबिक हांगकांग विश्व का सबसै एक्टिब देश है और इंडोनेशिया सबसे आलसी देश है जबकि हांगकांग कै लोग प्रतिदिन औसतन ६८७०  कदम  चलते हैं और इंडोनेशिया के लोग महज ३५१३ कदम ही चलते हैं। लेकिन ४६  देशों के सर्वे में भारत दूनिया के सबसे आलसी देशों  की सूची में डाला गया है। 
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भारत आलसी देशों की ३९ वी रैकिंग  पर है। 
कहने का मतलब हांगकांग को एक्टिब देश माना गषा है और  इंडोनेशिया सबसे आलसी देशों में से है। 
आखिरकार यही कहुंगा  की  सबसे वड़ा आलसी वोही होता है जो कोई कार्य नहीं करता व चलने से भी परहेज करता है और जिसको समय की तनिक भी चिन्ता नहीं होती, इसलिए हर मनुष्य को दिनबर अपने शरीर को हरकत में रखना चाहिए ताकि हम तंदरूस्त जीवन व्यतीत कर सकें नहीं तो सफलता प्राप्त करने में आलस एक बहुत वड़ा बाधक है, 
सच कहा है, 
" थोड़ा सा आलस जीवन के खूबसूरत  कल को खो देता है, 
थोड़ी सी मेहनत जीवन में महत्वपूर्ण कल  लेकर आती है"। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आलस्य इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। इंसान विवेकशील प्राणी होने के नाते अपने कर्म के प्रति हर समय जागरूक व प्रयत्नशील रहता है परंतु कुछ ऐसे इंसान भी हैं जो निष्ठा पूर्वक अपने कर्म को पूरा न कर ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए हर कार्य को भगवान भरोसे पूर्ण होने में विश्वास  रखते हैं। 
  मेहनत और परिश्रम पर भरोसा न कर सिर्फ ईश्वर में आस्था रखते हुए भगवान की मर्जी कहते हुए अपने कार्य को पूर्ण करने से बचते रहते हैं। हमारे विचार से ऐसे निकम्मे और कामचोर लोग सबसे बड़े आलसी होते हैं जो अपनी सफलता अपनी लगन और कर्मठता के द्वारा हासिल न कर सिर्फ ईश्वरीय भरोसे पर बैठकर अमूल्य समय को बर्बाद करते हैं।
  प्रकृति का प्रकोप कह कर सरकार का अपने जिम्मेदारियों से बचना भी आलस्य का ही दूसरा रूप है। कुछ घंटों के मूसलाधार बारिश में जलजमाव और सड़कों से पानी न निकलना यह निकम्मी और आलसी सरकारी अधिकारियों की पहचान है जो भगवान भरोसे हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहते हैं और विपत्तियों से बचने के लिए कोई समाधान नहीं ढूंढते।
  अगर आलसी देश के बारे में कहा जाए तो अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के अनुसार इंडोनेशिया सबसे ज्यादा आलसी देश है जबकि हांगकांग विश्व का सबसे एक्टिव देश।
   भारत का आलसी देशों में 117 वां नंबर है।
   अगर देश के नागरिक अपने आलसीपन को छोड़कर कर्तव्यनिष्ठ हो समय पर अपना कार्य पूर्ण करने का दृढ़ निश्चय करें तभी देश का विकास निश्चित है क्योंकि आलस्य सबसे बड़ा दुश्मन होता है।
             - सुनीता रानी राठौर
             ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
"काग चेष्टा बकौ ध्यानम।
श्वानम निद्रा.............।"
अर्थात कौवे जैसी चेष्टा व बगुले जैसा ध्यान ओर कुत्ते जैसी नींद वाला व्यक्ति अपने सद्मार्ग पर बिना रुके अपने पथ पर अग्रसर होता है।
आज का कार्य कल पर टाल देने वाला आदमी उन्नति नहीं कर सकता सफल होने के लिए परिस्थितियों के अनुसार ढल कर मेहनत करने वाला ही विजयी होता है।
  'हे मानव आलस की चादर को छोड़ दो,मेहनत की ओढ़नी ओढ़ लो'.....वरना परिणाम बुरा ही होगा।
सत्य के अनुयायी बन जाओ।
झूठ का परित्याग कर दो।।
सफलता आपके कदम चूमेगी।
          - तरसेम शर्मा
         कैथल - हरियाणा
अपने कर्तव्य कर्मों से जी चुराने का नाम ही आलस्य है आलस्य एक ऐसा अवगुण है जिससे मनुष्य अपने वर्तमान और भविष्य दोनों का विनाश कर देता है । आलस्य के कारण मनुष्य  उन्नति के मार्ग पर कभी अग्रसर नहीं हो पाता । आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है । जो व्यक्ति केवल भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और कर्तव्य का पालन नहीं करते हैं , आलस्य की जंजीरों में अपने आप ही जकड़े रहते हैं । 
बिना मेहनत किए जब सब कुछ मिल जाता है ऐसे व्यक्ति में आलस्य की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है । समय पर कार्य न करना , नियत अवधि पर किसी प्रयोजन को सिद्ध न कर पाना आलस्य के भाव को ही गति देता है । 
बड़े-बड़े महापुरुषों ने भी आलस्य को मानव जीवन के लिए विनाशकारी बताया है । निर्माण से परे यह भाव कभी भी हितकारी नहीं बनता है बल्कि मनुष्य के जीवन- विकास में बाधक ही बना रहता है ।
 संत कबीर दास जी के शब्दों में-  'काल करे सो आज कर  ,आज करे सो अब , पल में परलय हो जावे, बहुरि करेगा कब ।'
 जीवन में निराशा और असफलता भी आलस्य को जन्म देती है आलसी व्यक्ति भाग्य को कोसता रहता है ज्ञान और विवेक का लाभ नहीं उठा पाता । आलस्य के भाव से ग्रसित व्यक्ति कभी भी समय का महत्व नहीं समझ पाता ।
 भारत देश बड़े बड़े बुद्धिमान ,ज्ञानियों ,कर्म योगियों से भरा है जिन्होंने आलस्य त्यागकर जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को स्पर्श किया है। आलस्य लोहे में लगे हुए जंग की भांति है जो मनुष्य के शरीर के लिए केवल हानि ही देता है ।
 अतः आलस्य मनुष्य के लिए कष्टदायी है इसीलिए आलस्य को त्यागने में बिल्कुल ही आलस्य न करें । ब्यसनी और नकारात्मक भाव को छोड़कर स्फूर्तिवान जीवन अपनाना चाहिए। अति भाग्यवादी न बने ।
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
      कहते हैं एक बार एक राजा के मन में आया कि देखा जाए कि मेरे देश में कितने आलसी हैं और उनमें से सबसे बड़ा आलसी कौन है?
      राजा ने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवा कर आलसियों की प्रतिस्पर्धा में सबसे बड़े आलसी को सोने की मोहरें देने की घोषणा करवा दी। पूरे राज्य से आलसियों का जमावड़ा लगने लगा। आए हुए आलसियों को राजधानी के बाहर खेतों में टेंटों में रखा गया। 
      प्रतिस्पर्धा का समय आया और वहां बताया गया कि प्रतियोगिता में मरने वाले अपनी मृत्यु के स्वयं जिम्मेदार होंगे। सभी आलसियों ने शर्त मान ली और प्रतियोगिता आरम्भ करने का आग्रह किया।
      राजा ने आदेश दिया कि सब इस मैदान में बैठ जाओ। आदेश का पालन होते ही राजा ने उनके चारों ओर आग लगवा दी। जो धीरे-धीरे आलसियों के समीप पहुंचने लगी। जिससे राजा को पागल कहते हुए मरने के भय से आलसी आग को फांद कर जान बचा कर भाग गए।
      परंतु एक आलसी अंत तक वहीं बैठा रहा। राजा को प्रसन्नता हुई कि कोई प्रतियोगी जीवन को दाव पर लगाकर विजयी हुआ है। जिस पर राजा ने उसे सर्वश्रेष्ठ आलसी का पुरस्कार देने के लिए अपने पास बुलाया। परंतु उसने वह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। राजा द्वारा कारण पूछने पर उस आलसी ने बताया कि मुझसे बड़े आलसी तो मेरे गुरु हैं। जिन्होंने इस प्रतिस्पर्धा में आने का ही आलस्य कर दिया था।
      अतः विजेता प्रतियोगी शिष्य की अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और आस्था देखते हुए राजा अत्यंत प्रसन्न हुए और प्रसन्नतापूर्वक सबसे बड़े और सर्वश्रेष्ठ आलसी का पुरस्कार विजेता के गुरु को प्रदान कर दिया।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जिसने समय का महत्व नहीं समझ सका वह सबसे बड़ा आलसी माना जाता है।
धन अर्जित किया जाता है पर यदि एक बार समय बीत गया तो वापस नहीं आ सकता है इसलिए समय अर्जन नही बचाया जाता है ।
जो आलसी होते हैं इस बारीकि को समझ नहीं पाते हैं  उन्हें समय गंवाना ज़्यादा पसंद होता है।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
संस्कृत में एक बहुत पुरानी कहावत है.. "आलस्य मनुष्य के शरीर में स्थित सबसे बड़ा शत्रु है"
मेरे विचार से सबसे बड़ा आलस अपने जिम्मेदारियों एवं दायित्वों के प्रति उदासीनता है।इस वजह से व्यक्ति पुरुषार्थ करने  से बचता है जिसकी वजह से वो  अपने जीवन में अच्छा मकाम हासिल नही कर पाता और फिर आजीवन दुःख पाता है।अगर वो अपनी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों से दूर भागता है अथवा निर्धारित या अपेक्षित सहयोग करने से बचता है तो भी आजीवन मुश्किल परिस्थितियों से जुझता रहता है।
इसलिए किसी भी मनुष्य को कर्म करने में अथवा अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में कभी आलस नही करना चाहिए।
- संगीता राय
पंचकुला -  हरियाणा
आलसपन किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं होता है ना तो सेहत के लिए और ना ही सफलता के लिए। मगर फिर भी कुछ लोग ऐसे ही बने रहना चाहते हैं अपने शरीर को हिलाने की जहमत नहीं उठाते।
आलस इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है यह बात जानते हैं सभी लोग लेकिन मानते हैं कितने लोग ?
जो नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते आलसी होते हैं। भारत में शारीरिक श्रम करने वाले में 9 प्रतिशत महिलाएं हैं और 25% पुरुष हैं। ए जानकारी WHO के रिपोर्ट से हैं।
लेखक का विचार:-शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम योगा प्रणायम जरूरी है जो इंसान यह करते हैं वे आलसी नहीं होते। इसलिए इसे अपनाना चाहिए।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
ईश्वर द्वारा प्रदत इतना सुन्दर जीवन तन ,मन ,धन सब के रहते हुए भी निराश व्यक्ति या नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति को हीं हम सब से बड़ा आलसी कह सकते हैं। हमें जब ईश्वर ने इतना सुन्दर जीवन और दुनिया  दिया है तब हमें सदैव इसका सदुपयोग करना चाहिए तभी सही मायने में इसकी साथर्कता  भी है अन्यथा सब व्यर्थ और बेकार हो जायेगा व्यक्ति के आलस्य के कारण। इसलिए हमें सदैव अपने इस जीवन का मान रखने हेतु कुछ कार्य अवश्य करना चाहिए जो भी हमें उचित लगे यही हमारे जीवन की सार्थकता है। सदैव दुःखी और अपने जीवन की कमियों को गिनते या कोसते रहने वाले व्यक्ति हीं  सबसे बड़े आलसी कहे जा सकते हैं। 
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
सबसे बड़ा आलसी मन है जो प्रत्येक कार्यों में अड़चनें पैदा करता है। जो कुछ भी करने का हम संकल्प लेते हैं उसमें विकल्प ले आएगा। जैसे मैं सोचकर सोती हूं कि सुबह पक्का- पक्का 5:00 बजे उठूंगी, सैर करने जाऊंगी, योगाभ्यास करूंगी। डॉक्टर कहते हैं कि Weight कम करो घुटने का दर्द तभी ठीक होगा। परंतु उठने के समय आलसी मन कहता है कि थोड़ी देर सो जाओ.. एक दिन से कुछ नहीं होने वाला.. कल से पक्का पक्का शुरू करेंगे। चलो जी! कल कभी नहीं आती। इसी प्रकार मैं कहती हूं कि चावल, आलू, चीनी, तली वस्तुएं नहीं खानी।  मन कहता है कि खा ले- खा ले, थोड़ा सा स्वाद देखने से कोई फर्क नहीं पड़ता, कल से नियमों अनुसार चलेंगे। 
हम यह भी भूल जाते हैं बूंद- बूंद से सागर भर जाता है, एक एक सिक्के से अपार धन इकट्ठा हो जाता है, राई- राई से पर्वत बन जाता है और टिक- टिक करती घड़ी जीवन का एक-एक दिन कम करके सारी उम्र उड़ा ले जाती है पता ही नहीं चलता। संकल्पों में विकल्प आलसी मन ही लेकर आता है।
 - संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
सब से बड़ा आलसी वो होता है जो जिंदगी में दिन कटी कर रहा हो।ऐसे लोग न तो समाज को कुछ देते हैं बल्कि उल्टा समाज और धरती पर बोझ होते हैं। 
     मनुष्य धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। भगवान ने सुन्दर शरीर, बुद्धि, विवेक और संयम आदि पुरुषार्थ करने के लिए दिए हैं। आलसी मनुष्य खुद भी दुख भोगता है और दूसरों को भी दुखी करता है। इस लिए तो कहा जाता है कि खाली मन शैतान का घर होता है। आलसी हमेशा खुराफाती होता है। आलसी परावलंबी होता है। पुरुषार्थीके पास इतना समय नहीं होता कि वो बेकार की ओह पोह में समय गंवाए। आलसी लोग मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक सभी ओर से अपाहिज हो जाते हैं 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -पंजाब
           जो व्यक्ति एक गिलास पानी भी उठा कर नहीं पी सकता, अपना हर काम दूसरों से करवाता है। मेरे ख्याल से वही सबसे बड़ा आलसी है। बचपन में मेरी माता जी इस संबंध में एक किस्सा सुनाती थीं जिसका शीर्षक था 'जामुन तरें के  अलाल'
      दो आलसी एक जामुन के पेड़ के नीचे लेटे हुए थे। पेड़ से टप टप जामुन गिर रही थी। दोनों एक दूसरे से जामुन उठाकर मुंह में डालने का कह रहे थे लेकिन कोई भी नहीं उठा रहा था। परिणाम स्वरूप दोनों में से किसी को भी जामुन खाने को नहीं मिली। कहने का अभिप्राय है जो व्यक्ति पूर्णरूपेण पर आश्रित हो वही सबसे बड़ा आलसी है।
 श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि सबसे बड़ा आलसी कौन होता है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा वह व्यक्ति जो समय और अवसर के रहते हुए भी कोई काम ठीक ढंग से नहीं करता वह लापरवाह और आलसी कहलाता है और ऐसे व्यक्ति के कोई भी काम चाहे वह कितना ही खाली क्यों ना हो समय से नहीं हो पाते और हर समय है अकर्मण्यता का नमूना पेश करता रहता है ऐसा व्यक्ति समय और अवसर को गवाँकर बेकार घूमता रहता है और अपने भाग्य को कोसता रहता है वास्तव में ईश्वर सभी को जीवन में उन्नति करने का अवसर जरूर देते हैं और यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह उन अवसरों का समय रहते सही सदुपयोग कर पाता है या नहीं कर पाता और यदि वह अवसर का सदुपयोग नहीं कर पाता तो यह उसके लिए बहुत निराशाजनक होता है और उसकी अकर्मण्यता और बढ़ती जाती है बहुत-बहुत 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
सबसे बड़ा आलसी वह होता है जो अभी के काम को आज पर आज के काम को कल पर छोड़ देता है और जब कल काम पूरा नहीं हो सका तो उसे अगले दिन तक के लिए टाल देता है। इस तरह के लोगों को सबसे बड़ा आलसी कहा जाता है। ठीक इसके विपरीत सतर्क व्यक्ति वह होता है जो कल के काम को आज पर और आज के काम को अभी तुरंत करने पर विश्वास रखता है। एक कहावत है की आलस इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। बढ़ती उम्र में यही आलस उसकी आदत बन कर जाती है। फिर ऐसी व्यक्ति कोई भी हो काम करने में टालमटोल करने लगता है। ऐसे लोग किसी भी काम को करने का सबसे सरल और आसान रास्ता ढूंढते हैं। वैसे तो अक्सर आलसी लोगों की शिकायत ही सुनने को मिलती है। हालांकि हाल में हुए एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि आलसी व्यक्ति किसी भी आम इंसान से ज्यादा बुद्धिमान होता है। ऐसे लोगों का नजरिया किसी भी साधारण इंसान से बिल्कुल अलग होता है। अमेरिका में हुए एक शोध में पाया गया है दिनभर किसी भी काम में व्यस्त रहने वाले लोग नॉर्थिंग्स की कैटेगरी में आते हैं।bजबकि आराम करो अपने शरीर को थकान भी ना ही किसी भी काम को करने का एक आसान और सरल तरीका खोज लेते हैं। दुनिया में सबसे आलसी देशों में भारत का स्थान 117 है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लू एच ओ सर्वे के अनुसार दुनिया में जो नियमित रूप से  1.9 मिलियन लोग व्यायाम करते हैं। सर्वे के अनुसार युगांडा सबसे देश होने के कारण अलसी देशों में दुनिया भर में पहले स्थान पर है। अमेरिका का 143 नंबर, यूके का 123 वा, सिंगापुर का 126 वां ऑस्ट्रेलिया का 97 और फिलीपींस का 141 वां स्थान है। भारत में एक बात और भी है कि जिस प्रकार बिना इंजन के ट्रेन नहीं चल सकती ठीक उसी तरह भारत के लोगों को चलाने वाला होना चाहिए। उसका नेतृत्व करने वाला होना चाहिए। उसको गाइडलाइंस देने वाला होना चाहिए। तब तो आगे प्रगति की राह पर चल सकता है। चाहे उसमें लाख योग्यताएं और जानकारियां हो, लेकिन बिना सलाह वह आलसी ही बने रहता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
     मनोविज्ञान में आलसी का कच्चा  चिठ्ठा चर्चा का विषय हैं। एक प्रकृति होती हैं, जिसके कारण उसे किसी भी तरह के कार्यों को सम्पादित करने में मन ही नहीं करता और मात्र बैठकर सब कुछ देखता रहता हैं, उसे सब कुछ ज्ञात हैं, सभी प्रकार के शौकीन भी हुआ करते हैं, अपनी इच्छानुसार जीवन यापन कर जीवित अवस्था में पहुँचने में सफलता भी होते हैं, स्वादिष्ट व्यंजनों में अधिकांशतः रुचियों में मन रहता। उनकी वाक शक्ति ईश्वर की देन होती, हर किसी को प्रभावित करने में माहिर होते हैं,    दूसरी ओर ध्यान केन्द्रित किया जाये तो, आलसी  मनुष्य का शत्रु हैं। जिसके परिपेक्ष्य में एक तरह से परिवार जनों को बोझ ही लगता हैं।  आलसियों पर अनेकों प्रकार से चित्रांकन, लेखांकित किया गया हैं, जिसके माध्यम से उनकी विक्रत स्थितियों को परिभाषित किया गया हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
वह मनुष्य सबसे बडा आलसी होता है। जो समय का सदुपयोग नहीं करते है। उनके पास हर समय कोई ना कोई बहाना होता है। अस्ल में उन्हें करना कुछ नहीं होता है। प्रकृति के अनुसार हम सबको एक दिन में 24 घंटे का समय दिया जाता है। कुछ उस समय को अपने जीवन में सफल होने के लिए प्रयोग करते है। तो कुछ बस समय को कोस्ते रहते है। जबकि उनको करना कुछ नहीं होता है। जिनकों अपनी जिंदगी में कुछ करना होता है। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए समय अवश्य निकाल लेते है। जो व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नहीं करते बस सोचते रहते है। अस्ल में उनसे बड़ा आलसी व्यक्ति कोई नहीं
       - नीरू देवी
    करनाल - हरियाणा
अजगर करे न चाकरी पंछी करे ना ‌काज दास मलूका कह गये सबके दाता राम
संसार में सबसे बड़ा आलसी वह है जो बिना कर्म के सब कुछ पाने की चाह रखता है धन दौलत वैभव मान सम्मान
जबकि एक पल भी कर्म किए बिना मानव की गति नहीं है इस संसार में
समय पर काम करना समय की कीमत समझना अपना दायित्व और कर्तव्य निर्वाह निरंतर करते रहना बिना हानि लाभ वह जीवन ‌ही मानव को सजग
और सकारात्मक दृष्टिकोण रखने में
निरंतर सहयोग प्रदान करता है।
बिना कर्म के बिना मेहनत की पाने की लालसा ही आलस्य है भाग्य भरोसे बैठे रहना।
*दैव दैव आलसी पुकारा*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली


" मेरी दृष्टि में " इंसान को कभी आलसी नहीं होना चाहिए । आलसी इंसान हर तरह से कमजोर होता है । इसलिए किसी को भी आलसी नहीं होना चाहिए । 
                                                - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान

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