हमें किसी की खामियां पर नहीं खूबियां पर ध्यान देना चाहिए ?

किसी की खामियां पर ध्यान ना देकर खूबियों पर ध्यान देना चाहिए । यह सकारात्मक सोच मानी जाती है । जिससे विचारधारा में बदलाव आता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को देखते हैं : - 
हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता है कि हमें अपनी खामी दिखाई नहीं पड़ती और अन्य की खूबियाँ नजर नहीं आती।
‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलियो कोय।
जो दिल खोजो आपनो, मुझसे बुरा न कोय’।
मैं अपनी खूबियों *(जो कुछ अगर है भी)* को छिपाने की कोशिश करती हूँ और खामियों को उजागर करती रहती हूँ ताकि उसे शीघ्रताशीघ्र दूर कर पाऊँ और दूसरों की खामियों को छिपाने की चेष्टा और खूबियों को खोज कर फैलाने की कोशिश करती हूँ ताकि अच्छाइयों का विस्तार हो सके।
बेशर्म/बेहया का पेड़ लगाना हो तो कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती हैं, लेकिन चन्दन का बाग लगाने के लिये पूरा जीवन खपाना पड़ता है।
करैला नीम कुनैन का मनन करें तो कड़वेपन को याद कर मुँह टेढ़ा हो जाता है लेकिन उसके लाभकारी गुण से वंचित नहीं हो सकते हैं।
 हमें कोशिश करनी है कि अपनी खामियों को देखें और दूसरों की खूबियों को उजाकर कर एक स्वस्थ्य सुदृढ़ समाज स्थापित करने में सहायक हो सकें।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
     आज प्रायः देखने में आता हैं, कि कोई ना कोई अपने अपनों की खामियां पर विभिन्न रुपों में गिनानें में समय पास कर रहा हैं। जैसा कि हमेशा गावों की चौपालों, चौक-चौराहों, विभिन्न प्रकार की दुकानों तथा राजनीतिक उखाड़ौं में देखने को मिलता हैं। जबकि देखा जाए तो आज वर्तमान परिदृश्य में गंभीरता पूर्वक सोचिए, इससे किसी भी तरह का हल-कुछ भी नहीं मिल सकता। भागम-भाग जिन्दगी में अपने विवेकानुसार अच्छे कर्मों या कार्यों में व्यतीत किया जायें तो ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हो सकती हैं साथ ही आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासतों के बारे में भलीभाँति परिचित, अवगत कराया जा सकता हैं, ज्ञानों से ही ज्ञानोदय का प्रकाश जगमगाता हैं ताकि भविष्य में अपनी खूबियों को सुनकर, अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में सफल हो सकें।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
बहुत ही अच्छी बात, हमें किसी की खामियों पर नहीं बल्कि खूबियों पर ध्यान देना चाहिए। दूसरों की कमियां खोजने की बजाए यह देखना चाहिए कि उसमें खूबी क्या है ?क्या विशेषता है, और उस खूबी को स्वीकार करके प्रशंसा भी करना चाहिए । अपने जीवन में भी यदि वह खूबी नहीं है तो लाने का प्रयास करना चाहिए। उस गुणविशेष को अपने अंदर पैदा करने का प्रयास करना चाहिए।
      दूसरे की कमियों को खोज कर हम उसके कमजोर भाग को बतला देते हैं जबकि स्वयं को नजरअंदाज कर देते हैं। अतः इंसान को दूसरों की बजाए खुद की कमियों को खोजने का प्रयत्न करना चाहिए और उन्हें सुधारना भी चाहिए।
    दूसरों के आलोचक बनने की बजाय स्वयं का आलोचक बनना अधिक श्रेयस्कर है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर -  मध्य प्रदेश
इस धरा पर प्रत्येक मनुष्य में कुछ खामियां, कुछ खूबियाँ होती है। ऐसा नहीं हो सकता है कि किसी में सिर्फ खूबियाँ हो और किसी में खामियां ही हो।
   कोई कलाकार आड़ी तिरछी रेखाओं में भी जीवन ढ़ूंढ़ लेता है।वास्तव में हमारी सोच और नज़र पर निर्भर करता है कि हमें सामने वाले पर क्या दिख रहा है। 
    हम संवेदनशील हैं, कल्पनाशील हैं, तो हमें किसी वृद्धा में भी,लावण्यता नज़र आ जायेगी,सौंदर्य दिख जायेगा।
    हम स्वयं के व्यक्तित्व पर विचार,चिंतन करेंगें तो हमें खुद में भी खामियां, कमियां आसानी से दिख जायेगी। 
    लंकापति रावण था तो राक्षस और उसमें खामियों का भंडार भी था।किन्तु रावण बलशाली,योद्धा,पांडित्य में निपुण,वेद शास्त्रों का ज्ञाता और सबसे बड़ी बात महान शिवभक्त भी था।
    इसी गुणों के कारण प्रभू श्री राम जी ने अपने अनुज लक्ष्मण को,रावण के मरणासन्न होने पर, रावण के पास ज्ञान प्राप्त करने भेजा था। 
   इसलिए हमें प्रत्येक के गुणों पर ध्यान केन्द्रित कर अपनाना चाहिए और उसके अवगुणों को त्याग देना चाहिए। 
    अगर हम इतना भी कर लें तो सभी आदमी से इंसान बन जायेंगे और रह धरती स्वर्ग के समान बन जायेंगी। 
   -  डाॅ•मधुकर राव लारोकर 
  नागपुर - महाराष्ट्र
हर व्यक्ति में कुछ-न-कुछ खामियां भी होती हैं, कुछ खूबियां भी. अक्सर हम अपनी खामियों को या तो देख नहीं पाते या देखकर भी मजरअंदाज कर देते हैं. यही खामियां अगर किसी की हुई तो हमारा ध्यान उसी पर टिका रहता है. उसकी खामियों को हम भूल ही नहीं पाते हैं. ऐसे में दो बातें होती हैं. पहला तो यह कि  अगर संभव हो सका तो हम राशन-पानी लेकर उस पर चढ़ जाते हैं, फिर चाहे वह घर का सदस्य या कोई मित्र-रिश्तेदार ही क्यों न हो! अगर हम में ऐसी हिम्मत नहीं है, तो हमारे मन से उसकी खामी की बात उतर ही नहीं पाती. ऐसे में उसकी यही खामी हमारे घुटन और अंततः तनाव का कारण बन जाती है. हमारे मन का आनंद लुप्त हो जाता है और अनेक आवश्यक बातें हम विस्मृत कर बैठते हैं. कई बार खामियों को मन में सोचते-सोचते हमारे अंदर भी वही खामियां आ जाती हैं, क्योंकि वे खामियां हमारे अंतर्मन में प्रवेश कर चुकी होती हैं. कभी-कभी इसका खामियाजा भी हमें भुगतना पड़ता है. इसी तरह हम किसी की खूबियों पर ध्यान देते हैं, तो उन खूबियों को खुद में लाने की भी कोशिश करते हैं. कई बार यह कोशिश सफल भी हो जाती है. हमारे हितैषियों, बड़े-बुजुर्गों और धर्मगुरुओं की भी यही राय होती है. इसलिए हर तरह से हमारी भलाई इसी में है, कि हमें किसी की खामियों पर नहीं खूबियों पर ध्यान देना चाहिए, 
- लीला तिवानी 
दिल्ली
कोई भी इन्सान सम्पूर्ण नहीं होता। खूबियों और खामियों की प्रतिशतता में अन्तर हो सकता है। निश्चित रूप से प्रथमतः हमें किसी की खूबियों को सराहना चाहिए परन्तु एक सच्चा शुभचिंतक किसी की खामियों को देखता भी है और उन खामियों की ओर इशारा कर उन्हें दूर करने के लिए प्रेरित भी करता है।
खूबियों की तो यह विशेषता है कि उन्हें सराहना रूपी प्रोत्साहन मिले तो वे मनुष्य को अधिकाधिक सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण कराती हैं परन्तु यदि मनुष्य की खामियों को नजरदांज किया जायेगा तो वे कभी दूर ही नहीं होंगी।
इसलिए हमें किसी की खूबियों के साथ-साथ खामियों पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए और उन खामियों पर सकारात्मक आलोचना भी करनी चाहिए। परन्तु ध्यान रहे कि आलोचना एक स्वस्थ भाव लिए हुए किसी की खामियों को सुधारने के लिए होती है न कि उसको हतोत्साहित करने के लिए। खामियों की आलोचना सुधार की प्रक्रिया को सतत् रूप से जारी रखने के लिए होती है।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
हमें किसी की खामियों पर नहीं , किसी की खूबियों पर ही ध्यान  देना चाहिए। 100 %सही सत्य को दर्शाता है ।
मनीषियों के विचार है गुण दूसरों के देखो अवगुण अपने देखो । 
 संसार में मानव ही ऐसा प्राणी है जिसमें खामियां और खूबियाँ उसके अंतर में विराजमान रहती हैं । यूँ भी कह सकते हैं कि मानव में पशुवृत्ति और देवत्व की दोनों वृत्तियाँ होती हैं लेकिन मानव को पशुता के गुण पसन्द को पसंद करता है 80 प्रतिशत मानव मूल्यों को अपने जीवन धारण नहीं करते हैं । भ्रष्टाचार , झूठ , अनैतिकता समाज में फैला हुआ है ।
 सद्गुणों , सद्भाव , मूल्यों को जिन व्यक्तियों ने अपना बना लिया । वे देवता बन जाते हैं ।
आज संसार इन्हीं देवत्व गुणों वसले लोगों से सुरक्षित है ।
पूरे संसार में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं । मानव मानव का दुश्मन बन गया है ।ऐसे स्थिति से निबटनेके लिये
मूल्यों प्रेम अहिंसा  को मानना होगा । 
हमें मनुष्यों  के नकारत्मक बातों को न माने बल्कि उनकी साकारत्मक बातों को अपनाएँ । नकारात्मक लोगों में अच्छाई को  ढूंढे । 
आस्तित्व तो इंसान अपने गुणों से सकारात्मक रहने  से ही अच्छाइयों से समाज , राष्ट्र का निर्माण करता है  जबकि  होता है । किसी व्यक्ति में खसमियों को निकालने से  फायदा नहीं है । हमें उसके खूबियों को जाने उससे कोई भी प्रेरित हो सकता है ।
गांधी ने कहा पाप से नफरत करो पापी से नहीं।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुम्बई - महाराष्ट्र
सही कहा आपने, किसी की खामियों की जगह , खूबियों पर ध्यान देना चाहिए। मानवीय स्वभाव है कि वह खूबियों पर कम, खामियों पर पहले ध्यान देता है। इसका कारण यह नहीं कि मानव लाभ उठाना नहीं चाहता, जरुर चाहता है, लेकिन कोई खतरा नहीं उठाना चाहता, इसलिए खामियां पहले देखता है। किसी इंसान की तो बात छोड़िए,जरा सी सब्जी भी लेनी है तो उसे बार बार अलट पलट कर देखता है। खाने की चीज में पहले विचार करता है, इससे फलां नुकसान संभव है,इसकी तासीर ठंडी है,इसकी तासीर गर्म है।वाहन के चयन में,इसका ऐवरेज कम है,यह कंफर्टेबल नहीं आदि आदि। रिश्ते और संबंधों में तो यह खामियां ढ़ूढ़ने की प्रवृत्ति चरम पर होती है।इसकी आमदनी कम है,घर छोटा है, परिवार बड़ा है,हाइट के हिसाब से वजन नहीं,रंग कुछ दबा हुआ है,चाल में भी फर्क सा लगता है आदि
बातें खामियां ढ़ूढंना आम बात है। पर जहां अपना लालच जुड़ा कमी भी खूबी बन जाती है अपने गोरे लड़के की शादी, काली,नाटे कद की लड़की से करवाने वाला एक बाप कह रह था, इतना पैसा मिल रहा है कि रोज ब्यूटी पार्लर जाए बहू,ऊंचीं सैंडिल पहनकर ठीक कर लगता है। यह सही है कि हमें खूबियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यूं तो खामियां, इंसान भगवान में भी निकाल देता है,उसका स्वभाव जो ठहरा यह। हम और आप भी  इससे अछूते नहीं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जी बिल्कुल व्यक्ति की खामियों को नजरअंदाज करते हुए उसकी खूबियों को देखना चाहिए क्योंकि अगर आप उसकी खूबियां देखेंगे तो उसके प्रति आपका सकारात्मक दृष्टिकोण रहेगा, अगर आप उसके खामियां देखेंगे तो आपका दृष्टिकोण अपने आप नकारात्मक हो जाएगा ।
हर व्यक्ति में कोई न कोई खूबी अवश्य होती है।
 किसी ने किसी खूबी का मालिक हर व्यक्ति होता है, बस फर्क आपके नजरिए का होता है  कि आप उसे किस तरह देखना पसंद करते हैं, खूबियों की दृष्टि से या खामियों के नजरिये से ।
 घमंड को भेदभाव में बदलते देर नहीं लगती ।एक घमंडी इंसान खुद को दूसरों से बेहतर समझता है ।ऐसी सोच किसी पर भी हावी हो सकती है ।
एक जानी-मानी किताब में लिखा है कि करीब हर समाज के लोगों का मानना है कि उनके तौर-तरीके खान-पान पहनावा  तथा उसूल दूसरे समाज के लोगों से बेहतर हैं ।
हमें ध्यान देना चाहिए कि हमें ऐसी सोच  न पनप पावे ।
व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए तो वह   घमंडी हो ही नहीं सकता।
 एक  नम्र इंसान जानता है कि दूसरा किसी न किसी मायने में उससे बेहतर है ,क्योंकि ऐसा कोई समाज नहीं ,कोई व्यक्ति नहीं जिसमें सारी खूबियां ही खूबियां हों और कोई कमी ना हो।
 यह नहीं भूलना चाहिए उसमें भी कोई न कोई कमी तो अवश्य होगी।
 जिन मामलों में आप कमजोर हैं हो सकता है कि उनसे अगला व्यक्ति कई गुना बेहतर  हो ।
यह भी नहीं सोचना चाहिए कि किसी समाज के हर व्यक्ति में एक जैसी खामियां हैं ।
किसी व्यक्ति के बारे में गलत राय कायम करने से पहले सोचिए क्या वहां सच में बुरा है या बस मुझसे अलग है ,क्या उसे भी मेरी कुछ बातें बुरी लगती होंगी ,ऐसे कौन से काम है जो वह मुझ से अच्छी तरह करता है ?
अगर आप इस तरह के सवालों के बारे में सोचेंगे तो आप खुद देख पाएंगे कि सामने वाले में से कई  ज्यादा खूबियां हैं जो आप में नहीं है और तब आप उससे भेदभाव नहीं कर पाएंगे ।
   यदि आप उसकी खामियों को नजरअंदाज करेंगे  तो उसमे खूबियां भी नजर आयेगीं ही ।
नतीजन आपका उसके साथ अच्छा सकारात्मक तालमेल बन सकेगा  जिससे एक अच्छा सामंजस्य समाज में स्थापित होगा और  सुन्दर समाज का निर्माण हो सकेगा।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
गुण और दोष सिक्के के दो पहलू की तरह है। 
किसी भी व्यक्ति में दोनों ही चीज विद्यमान रहती है।
कोई भी इंसान नहीं है जिसमें सिर्फ गुण ही गुण हो कोई दोष नहीं हो और कोई ऐसा भी इंसान नहीं है जिसमें दोष ही दोष हो उसमें गुण नहीं हो। 
अतः व्यक्ति को चाहिए सामने वाले के गुणों को देखें। 
दोष ढूंढने ही हो तो अंतर्मन में झांके।अपने अंदर दोष के दूर करके अच्छा इंसान बनने का प्रयत्न करना चाहिए।
 बच्चों को भी परिवार से ही सीख मिलता है। वे अपने आत्म अवलोकन करने की आदत डालें।
 अपनी बुद्धिमत्ता की परख करना सीखें। भावना के स्तर पर चीजों को महसूस करें। अच्छी भावना के साथ किए जाने वाले कार्यों का परिणाम भी अनुकूल होता है।
लेखक का विचार:--बच्चे हो या बड़े आत्म अवलोकन सभी को करना चाहिए। जो भी काम हम कर रहे हैं उसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए।भावनात्मक एकता, परिवार, समाज, राष्ट्र  से एक दूसरे से जोड़े रखती है।
मनुष्य के बलबुद्धि बल के सहारे ही समस्त प्राणी जगत पर शासन करता है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
अटल सत्य है खामियां हमें असफलता के पथ पर ले जाती है।खूबियां हमें सफलता के रूप मे पथ निर्माण कार्य मे सहायक सिद्ध होती है।किसी की खामियों को चिन्हित करने के बदले उसके खूबियों का व्याख्यान करके उसके हौसलों को उच्चतम स्तर पर लाने की कोशिश करनी चाहिए।समय के अनुरूप विकसित करने की क्षमताओं को खूबियों से आंका जा सकता है।किसी की बुराई या निंदा या खामियां की परिचर्चाओं से हमें कोई लाभप्रद  वस्तु प्राप्त नही होगा।हमें बुराइयों और खामियां को दूर करके उसके खूबियां को उजागर करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि सामने वाले अपनी क्षमताओं को और आगे बढ़ाने मे राहत मिलेगी।हमें कभी भी किसी को हतोत्साहित नही करना चाहिए हम भी जीवन केंद्र मे हरपल जीवन की सकारात्मकता को अपनाने की भूमिका निभा सकते हैं और किसी की नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं।किसी की खामियों को गिनाना बेहद आसान है पर उसके खूबियों को दिखाना और उसके मंजिल तक लाने की प्रक्रिया मे अपनी सकारात्मकता सोच का परिचय देन बेहद मुश्किल है लोगों मे ये अंहकार होती है कि सभी की खामियों का मजाक उड़ाते है और स्वय को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करते हैं।जीवन पथ मे उतारचढ़ाव की दिशानिर्देश आती रहती है पंरतु हमें किसी की खामियों का फायदा नहीं उठानी चाहिए हम सरलीकरण संवेदनशील की उपमा मे मानवीय मूल्यों के कार्य करने चाहिए।कभी भी भाव मे किसी की बुराइयों  को कोशने और उसकी खामियां को उजागर नही करना चाहिए उसके मनोबल को तोडऩे की कोशिश नही करनी चाहिए।हाँ अगर हमारे दोस्त या परिचित अथवा कोई अन्य अभिव्यक्ति हो तो प्रेम से उसके खामियां बतानी चाहिए और सही तरीके से सही दिशा निर्देश देने मे अपनी सकरात्मक सोच को उसके सामने रखना ही उच्च शिक्षा उच्चतम गुणवत्ता का परिचायक है। प्रेम और सरलता से खामियों को बता कर सही खूबियाँ को बताने की कला मानवीय संवेदना हृदय को भावनात्मक जुड़ाव महसूस कराते है।जीवन अनमोल उपहार स्वरूप ईश्वरीय वरदान है।इस जीवन मे छल कपट ईष्र्या द्धैष लोभ मोह माया से दूर रखना चाहिए।और किसी की खामियों को ना ही बुराइयों का मजाक उड़ाना चाहिए।हमेशा खूबियों पर ध्यान रखना चाहिए और खूबियों से हमे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।खामियां को पीछे छोड़ देन चाहिए।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
बात ठीक है हमें किसी की खामियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। किसी की कमियों से हमें क्या लेना देना। दूसरे की कमियों पर ध्यान देकर अपना समय बर्बाद करने से क्या लाभ। लेकिन जब तक खामियों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा खूबियां उजागर कैसे होगी। अच्छाई और बुराई दोनों साथ-साथ चलती है। तीखा खाने पर ही मीठा क्या होता है इसके बारे में पता चलता है। फिर भी किसी व्यक्ति के खामियों को नहीं देखना चाहिए। कहा गया है बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय, जो दिल देखा अपना मुझसे बुरा न कोय। गलत देखते-देखते गलत का प्रभाव अपने ऊपर आ सकता है इसलिए किसी की गलती नहीं देखनी चाहिए।
अवगुण अपना देखना चाहिए गुन दूसरे का। हरेक व्यक्ति में कोई न कोई खूबियाँ होती हैं उन खूबियों के सहारे उसकी खामियों को नजर अंदाज कर देना चाहिए। क्योंकि उसकी खामियों से हम कुछ पा तो नहीं सकते वरन उसकी खूबियों से कुछ सीख सकते हैं। इसलिए सदैव हमें किसी की खामियों पर नहीं खूबियों पर ही ध्यान देना चाहिए।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
व्यक्तिगत राय अच्छी है कि किसी व्यक्ति विशेष की खामियों पर नहीं बल्कि उसकी खूबियों पर ध्यान देना चाहिए है। 
       परन्तु यह बात हर जगह पर उचित नहीं हो सकती। विशेषकर डाक्टरों, अधिवक्ताओं और माननीय न्यायालयों के विद्वान न्यायाधीशों पर कदापी स्टीक नहीं बैठती। 
       क्योंकि उन्होंने जो मेरे साथ किया है। मैं नहीं चाहता कि वो किसी दूसरे कर्मचारी अथवा नागरिक के साथ पुनः करें। चूंकि सरकार सरकारी नौकरी देने से पहले स्त्री/पुरुष अभ्यर्थियों की सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक जांच करवाती है। उसके उपरांत चयनित अभ्यर्थियों का चरित्र प्रमाण पत्र लेकर ही उसे पद पर नियुक्त करती हैं और भारत के संविधान की शपथ ग्रहण करवाने पर उसे नौकरी सुचारू करने देती है।
       जिसमें उक्त कर्मचारी के मां-बाप सहित उनके बीवी-बच्चों के उपचार की भी जिम्मेदारी लेती है। परंतु मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि मैंने राष्ट्रभक्ति और भ्रष्टाचार के विरुद्ध ली गई शपथ का पूरा-पूरा पालन किया। जिसके दण्ड स्वरूप मुझे पीड़ित-प्रताड़ित किया। जिससे मुझे गम्भीर मानसिक तनाव और तपेदिक रोग हो गया। 
       उक्त पीड़ित-प्रताड़न एवं तपेदिक जैसी गम्भीर बीमारी के विरुद्ध मैं न्यायालय में गया। परंतु आज तक न्याय नहीं मिला। जो निंदनीय कृत्य के साथ-साथ संविधान विरोधी भी है। 
        अतः संविधान के अनुसार मेरा आज भी न्यायिक संघर्ष जारी है। जिसके आधार पर मेरा मानना है कि हमें राष्ट्रहित में राष्ट्रधर्म निभाते हुए संविधान के चारों सशक्त स्तम्भों का मूल्यांकन व आलोचना करते हुए उनकी यथा सम्भव खामियों व खूबियों पर न केवल ध्यान देना चाहिए बल्कि उस पर प्रकाश भी डालना चाहिए।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि हमें किसी की खामियों पर नहीं बल्कि खूबियों पर ध्यान देना चाहिए ऐसा करने से हमारा सामाजिक संपर्क ठीक रहेगा और संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी यह विचार बहुत ही सुंदर और रचनात्मक है तथा सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने वाला भी है ऐसा करने से न केवल घर परिवार समाज और देश का भला होगा एवं एकता को बल मिलेगा जिससे हम सामूहिक रूप से प्रयास करने पर किसी भी समस्या का हल बहुत ही कम समय में अपनी सूझबूझ से मिलकर निकाल सकेंगे और यह हमारे उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करने में भी सहायक होगा जिसका लाभ समूचे समाज व राष्ट्र को मिल सकेगा .....
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया, कोय। 
जों मन देखा अपना, मुझ से बुरा न कोय। 
इस दोहे में कबीर दास जी ने सच कहा है कि  दुसरों को बुरा कहने से पहले हमें अपनी बुराईयों को देख लेना चाहिए, 
आज के दौर में हम लोगों में ऐसी आदत पड़ती जा रही है कि हम दुसरों की बुराई ढूंढने लगते हैं लेकिन यह नहीं देखते उस में कितने गुण हैं, 
तो आज की शुरूआत इसी चर्चा से करते हैं कि क्या हमें हमेशा  किसी की खामियों पर ध्यान देना चाहिए या खूबियों पर, 
मेरे तर्क के मुताबिक हमें हमेशा दुसरे के गुण देखकर उनको ग्रहण कर लेना चाहिए और उसमें अगर कोई अबगुण है उसे त्याग देना चाहिए क्योंकी अच्छा इन्सान वोही होता है जो अच्छाई को ग्रहण कर ले और बुराई को पनपने न दे, हर इन्सान में अच्छे व बुरे गुण होते हैं इसलिए हमें हमेशा इन्सान की खूबियों पर ध्यान देना चाहिए न कि खामियों पर। 
आज के जमाने  में लोगों को बुराई निकालने की आदत  सी पड़ गई है, हमें ऐसी आदतें छोड़कर खुद अच्छा इन्सान बनना चाहिए, हमें हमेशा दुसरे की अच्छाई ही देखनी चाहिए न की बुराई, ऐसे लोग जो हमेशा दुसरे की बुराई निकालते रहते हैं खुद भी बुरे बन जाते हैं। 
सच कहा है, 
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप  सवाही, सार सार को गाही ऱखे, थोथा देत उड़ाई। 
 कहने का भाव यह है कि इन्सान को अच्छे गुण ग्रहण कर लेने चाहिए और बुरे अबगुण त्याग देने चाहिए, 
क्योंकी हमेशा बुराई ढूंढने वाला व्यक्ति उस मक्खी की तरह होता है जो शुद और स्वच्छ को छोड़कर गंदगी में ही रमती है, इसलिए दुसरों की गलतियों को देखने के बजाय स्वयं को बेहतर वनाएं, यह मत भुलें जब हम किसी की निंदा कर रहे होते हैं तो हम झाड़ू का काम कर रहे होते हैं और उसकी बुराई अपने सिर ले लेते हैं, 
सच कहा है, 
तिनका कबहुं न निदिंये जो पांव तले होए, कबहुं उड़ आंखों पड़े पीड़ घनेरी होए। 
कहने का भाव है कि  बुराई करने से हम भी बुरे ख्यालों में पड़ने लगते हैं इसलिए बुराई को ही उजागर मत करिए  हमेशा अच्छाई को अपनाईए। 
यही नहीं हमें अपना अवलोकन करके अंतकरण से दोष निकालकर गुणग्रही बनना चाहिए। 
अन्त में यही कहुंगा मनुष्य एक समाजिक प्राणी है वह समाज से ही सीखता है इसलिए गुणवान बनने के लिए किसी भी व्यक्ति से अच्छे गुण ग्रहण कर लेने चाहिए , क्योंकी सच है, 
बिनु सत्संग विवेक न होई। 
सभी महापुरूष, समाज सुधारक, संत महात्मा ने यही उपदेश दिया है कि हमेशा दुसरों के गुण देखकर गुणवान बनना चाहिए, 
इसलिए हमेशा दुसरों की खूबियों पर ही  ध्यान देना चाहिए। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
               प्रत्येक व्यक्ति के अंदर खूबियां व खामियां दोनों होती है।बस कोई एक पक्ष कम या अधिक हो सकता है। हम अपने जीवन को सुखी,स्वस्थ व सर्वगुण संपन्न होते हुए विकसित करना चाहते है। यह तभी संभव है,जब हम अपने अंदर खूबियों को समाहित करें।और बाहर भी खूबियों का वातावरण सृजित करें।और यह तभी संभव है जब हम किसी की खामियों पर ध्यान न दें ।
             हमें अपने विकास और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अर्थात जीवन को सफल बनाने के लिए किसी की खामियों पर ध्यान न देते हुए सिर्फ खूबियों से सीख लेनी चाहिए। किसी व्यक्ति की खामियां पर नजर रखने से व्यक्ति अपनी शक्ति/योग्यता का ह्रास/क्षीण ही करता है जो उसके पतन की ओर अग्रसर कर सकती है; इसलिए हमें किसी की भी खामियों पर ध्यान न देकर उसके गुणों को ग्रहण कर लेना चाहिए।
- सुरेंद्र सिंह 
अफ़ज़लगढ़ - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " इंसान की खूबियां ही जीवन में तरक्की दिलाती है । यहीं व्यकितत्व की पहचान है । जो दुनियां को आईना दिखाते है । अतः दुनियां का नेतृत्व करते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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