आशा शैली से साक्षात्कार

जन्म :   02 अगस्त 1942 , गाँव अस्मानखट्टड़ - रावलपिण्डी - पाकिस्तान (विभाजन पूर्व)
पिता : स्व. श्री विशेशर नाथ ढल
माता : श्रीमती वीरांवाली ढल
पति : स्वर्गीय श्री मोहन लाल
शिक्षा : ललित महिला विद्यालय से हाईस्कूल , पत्रकारिता - पत्रकारिता महाविद्यालय  लाजपत नगर दिल्ली , कहानी लेखन - कहानी लेखन महाविद्यालय अम्बाला छावनी - हरियाणा
सम्प्रति : आरती प्रकाशन की गतिविधियों में संलग्न,
प्रधान सम्पादक : हिन्दी पत्रिका शैलसूत्र (त्रै.)       

प्रकाशित पुस्तकें : -

1.काँटों का नीड़ (काव्य संग्रह)
प्रथम संस्करण 1992, द्वितीय 1994, तृतीय 1997
 2. एक और द्रौपदी (काव्य संग्रह 1993)
 3. सागर से पर्वत तक (ओड़िया से हिन्दी में काव्यानुवाद) प्रकाशन वर्ष (2001)
 4.शजर-ए-तन्हा (उर्दू ग़ज़ल संग्रह-2001)
 5.एक और द्रौपदी का बांग्ला में अनुवाद (अरु एक द्रौपदी नाम से 2001),
 6.प्रभात की उर्मियाँ (लघुकथा संग्रह-2005)                 
 7.दादी कहो कहानी (लोककथा संग्रह,)
    प्रथम संस्करण-2006, द्वितीय संस्करण-2009
 8.गर्द के नीचे (हिमाचल के स्वतन्त्रता सेनानियों की जीवनियाँ) प्रथम संस्करण-2007, द्वितीय संस्करण (2014)(अमेज़न पर)
 9. हमारी लोक कथाएँ, भाग एक -2007
 10.हमारी लोक कथाएँ, भाग दो -2007
11.हमारी लोक कथाएँ, भाग तीन -2007
 12.हमारी लोक कथाएँ, भाग चार -2007
 13.हमारी लोक कथाएँ, भाग पाँच -2007
14.हमारी लोक कथाएँ, भाग छः -2007
 15.हिमाचल बोलता है (हिमाचल कला-संस्कृति पर लेख-2009
 16.सूरज चाचा (बाल कविता संकलन-2010)
 17.पीर पर्वत (गीत संग्रह-2011)
18.आधुनिक नारी कहाँ जीती कहाँ हारी (नारी विषयक लेख-2011)
 19.ढलते सूरज की उदासियाँ (कहानी संग्रह-2013)अमेज़न पर
 20.छाया देवदार की (उपन्यास-2014)  अमेज़न पर
 21.द्वन्द्व के शिखर, (कहानी संग्रह 2016) अमेज़न पर
 22. ‘हण मैं लिक्खा करनी’ (पहाड़ी कविता संग्रह)  2017
 23.चीड़ के वनों में लगी आग (संस्मरण-2018) उपन्यास छाया देवदार की अमेज़न पर।
 24. कोलकाता से अण्डमान तक (2019) बाल उपन्यास  अमेजन पर।
  25. इस पार से उस पार (बाल उपन्यास) डायमण्ड बुक्स 2022
 26.नर्गिस मुस्कुराती है (ग़ज़ल संग्रह अमेज़न पर), आरती प्रकाशन 2021
  27. मैं हिमाचल हूँ (शोध लेख अमेज़न पर)
  28. भविष्य प्रश्न (कविता संग्रह अमेज़न पर)
29.और कितनी परीक्षा* कहानी संग्रह 2021
30. नारी संघर्ष  एक चिन्तन, आलेख संग्रह। निखिल पब्लिशर 2022*

सम्मान : -

- उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 21 हज़ार की राशि सहित सम्मानित तीलू रौतेली पुरस्कार 2016
- पत्रकारिता द्वारा दलित गतिविधियों के लिए अ.भा. दलित साहित्य अकादमी द्वारा अम्बेदकर फैलोशिप -1992, 
- साहित्य शिक्षा कला संस्कृति अकादमी परियाँवां -प्रतापगढ़ द्वारा साहित्यश्री’ 1994, 
- अ.भा. दलित साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा अम्बेदकर ‘विशिष्ट सेवा पुरस्कार’ 1994, 
- शिक्षा साहित्य कला विकास समिति बहराइच द्वारा ‘काव्य श्री’,
- कजरा इण्टरनेशनल फ़िल्मस् गोंडा द्वारा ‘कलाश्री 1996, 
- काव्यधारा रामपुर द्वारा ‘सारस्वत’ उपाधि 1996,
 - अखिल भारतीय गीता मेला कानपुर द्वारा ‘काव्यश्री’ के साथ रजतपदक 1996,
-  बाल कल्याण परिषद द्वारा सारस्वत सम्मान 1996,
- भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल द्वारा ‘साहित्यश्री’ 1996, 
- पानीपत साहित्य अकादमी द्वारा आचार्य की उपाधि 1997,
- साहित्य कला संस्थान आरा-बिहार से साहित्य रत्नाकर  की उपाधि 1998,
-  युवा साहित्य मण्डल गा़ज़ियाबाद से ‘साहित्य मनीषी’ की मानद उपाधि 1998, 
- साहित्य शिक्षा कला संस्कृति अकादमी परियाँवां से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ सम्मान 1998,
-  ‘काव्य किरीट’ खजनी गोरखपुर से 1998, 
- दुर्गावती फैलोशिप’, अ.भ. लेखक मंच शाहपुर जयपुर से 1999, 
- ‘डाकण’ कहानी पर दिशा साहित्य मंच पठानकोट से 1999,
-  विशेष सम्मान, हब्बा खातून सम्मान ग़ज़ल लेखन के लिए टैगोर मंच रायबरेली से 2000। 
- पंकस (पंजाब कला संस्कृति) अकादमी जालंधर द्वारा कविता सम्मान 2000, 
- अनोखा विश्वास, इन्दौर से भाषा साहित्य रत्नाकर सम्मान 2006। 
- बाल साहित्य हेतु अभिव्यंजना सम्मान फर्रुखाबाद से 2006, 
- वाग्विदाम्बरा सम्मान हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 2006,
- हिन्दी भाषा भूषण सम्मान श्रीनाथ द्वारा राजस्थान 2006, 
- बाल साहित्यश्री खटीमा उत्तरांचल 2006, 
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा महादेवी वर्मा सम्मान, 2007 में। 
- हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला द्वारा हज़ारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान 2008, 
- साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राज) सम्पादक रत्न 2009,
 - दादी कहो कहानी पुस्तक पर पं. हरिप्रसाद पाठक सम्मान मथुरा, 
- नारद सम्मान-हल्द्वानी जिला नैनीताल द्वारा 2010,
- स्वतंत्रता सेनानी दादा श्याम बिहारी चौबे स्मृति सम्मान(भोपाल)
- म.प्रदेश.तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा 2010
- विक्रमशिला हिन्दीविद्यापीठ द्वारा भारतीय भाषा रत्न 2011,
- उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा सम्मान 2011, 
- अखिल भारतीय पत्रकारिता संगठन पानीपत द्वारा पं. युगल किशोर शुकुल पत्रकारिता सम्मान 2012, 
-  स्व. भगवती देवी प्रजापति हास्य-रत्न सम्मान 2012
- भारतेंदु हरिश्चन्द्र समिति कोटा से साहित्यश्री सम्मान -2013, 
- महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दीघाटी से साहित्य रत्न सम्मान 2013,
- विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा राष्ट्रगौरव सम्मान 2013, 
- उत्तराखण्ड बाल कल्याण साहित्य संस्थान, खटीमा (जिल ऊधमसिंह नगर) द्वारा ‘सम्पादकरत्न’ 2014, 
- हिमाक्षरा (वर्धा) द्वारा उपन्यास ‘छाया देवदार की’ के लिए‘सृजन सम्मान अलंकरण’ 2014, 
- अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल से सुमन चतुर्वेदी सम्मान, 
- हिमाचल गौरव सम्मान , बुशहर हलचल एवं बेटियाँ फाउण्डेशन रामपुर बुशहर हिमाचल प्रदेश द्वारा 2015,
 - तीलू रौतेली (उत्तराखण्ड राज्य पुरस्कार-2016)
महिला महाशक्ति सम्मान, 
- नया उजाला कल्याण समिति हल्द्वानी द्वारा 2016
ग्लोबल लिटरेरी सम्मान, 
- साहित्य महारथी सम्मान अ.भा.आध्यात्मिक संस्था
- काव्यधारा रामपुर उ.प्र. 2017 द्वारा डॉ. परमार पुरस्कार
 सिरमौर कला संगम द्वारा ;2017। 
- देहदानी सम्मान वैश्य महिला सम्मिति हल्द्वानी एवं नगर पंचायत लालकुआँ-2017
- बूईंग वीमन फलक देहरादून द्वारा 2018, 
- अमर भारती दिल्ली से सरस्वती स्मृति सम्मान 20018,
- प्रबुद्ध नागरिक ऐसोसिएशन ग़ज़ियाबाद द्वारा सम्मान 2019,
-  लॉयन्स क्लब नैनीताल द्वारा आर्यसम्मान 2019, 
- विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा शहीद स्मृति सम्मान 2019
- पंकस अकादमी जालन्धर द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय आधी दुनिया अवार्ड 2019।
- शंखनाद मीडिया विशिष्ट सम्मान 2020, 
- कालिंजर सृजन सम्मान -2020, 
- कलमवीर सम्मान 2020
- माता शबरी सम्मान 2021
- साहित्य सुधा (मानद उपाधि) 2022
- साहित्योदय शक्ति सम्मान  2022 

विशेष : -

- उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, हरियाणा, राजस्थान आदि सम्पूर्ण उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत और अण्डमान-निकोबार आदि से भी काव्य-लेखक मंचों, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि के द्वारा रचनाओं का प्रसारण
- देश के हर भाग की पत्रिका में रचनाएँ देखी जा सकती हैं।
- आशा शैली के काव्य का अनुशीलन(लघुशोध, शोधार्थी मंजु शर्मा, निदेशक डॉ. प्रभा पंत-2014), 

वर्तमान पताः-साहित्य सदन, इंदिरा नगर-2, पो. ऑ. लालकुआँ, जिला नैनीताल - उत्तराखण्ड - 262402

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैंने पहली कविता छटी कक्षा में लिखी थी।

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी प्रथम प्रकाशित रचना एक ग़ज़ल थी जो दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिन्दी मिलाप में प्रकाशित हुई थी।

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कहानी, कविता, गीत, ग़ज़ल, उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, बाल साहित्य, लेख आदि हर विधा में लिखा है।
मैं सप्रयास नहीं लिखती, शायद लिख ही नहीं पाती। जो सहज उतर आए, उसे सहेज लेती हूँ। इस तरफ कभी गीत, कभी ग़ज़ल, अतुकांत और कहानी लघुकथा कुछ भी हो सकता है। हाँ उपन्यास भीतर ही पकता रहता है और कथानक के सिरे पकड़ने में समय ले लेता है।

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य तो वही होता है जिससे सब का हित होता है। जो समाज को दिशा दे, मन को उद्वेलित करे, वही साहित्य है। अन्यथा बेकार की उठापटक।

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर - मेरे पसन्द के पिछली पीढ़ी के लेखकों में महादेवी, सुभद्रा कुमारी चौहान, शिवानी, कुशवाहा कान्त, शैलेश मटियानी, राहुल सांकृत्यायन आदि रहे हैं। हाँ, उन दिनों शरतचंद्र को भी खूब पढ़ा है और गोविंद वल्लभ पंत को भी।

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर - आकाशवाणी पर मेरा पहला कार्यक्रम शायद 1974/75 में हुआ था, शिमला में। शुरू के अनुभव कुछ अच्छे नहीं रहे। बाद में 1984/85  में दूरदर्शन पर पहला कार्यक्रम हुआ। 2002 तक निरन्तर कार्यक्रम होते रहे। उसके बाद सरकारी नीतियों के कारण कुछ व्यवधान आने लगे।

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - व्यवसायिक कार्यक्रमों से मैं हमेशा ही दूर रही हूँ। इन कार्यक्रमों के मेरे अनुभव बहुत कड़वे रहे हैं। नये और वह भी महिला चेहरों को इन मंचों पर तब तक जमने नहीं दिया जाता, जब तक इनका कोई गॉड फादर साथ न हो। हाँ साहित्यिक मंचों पर मैं अपना सिक्का जमाने में सफल रही हूँ, वह भी ख़ास तौर पर ग़ज़ल में।अब भाई भतीजावाद कितना प्रासंगिक हो सकता है, इसे तो सब जानते हैं।

प्रश्न न. 8 - आपकी  नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - मैं पूर्व विद्वानों के मत का समर्थन करते हुए कहना चाहूँगी कि जिस लेखन से समाज को सही दिशा न मिले, वह साहित्य ही नहीं। फेसबुक एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। बात सिर्फ इतनी सी है कि कचरा पहले भी रहता था, अब भी है और आगे भी रहेगा। फिर भी एक लाभ हमें फेसबुक का स्पष्ट दिखाई देता है कि आज आप की कलम की धमक दूर तक सुनाई देती है। चाहे अनचाहे, जाने अनजाने आप की रचना पूरे विश्व में पहुँच रही है। पुस्तक तो कोई एक उठाएगा, पढ़ेगा। यहाँ हज़ारों लोग  आप की रचनाओं पर नज़र डालते हैं, कुछ गम्भीरतापूर्वक उसे पढ़ते हैं और पसन्द नापसन्द का ठप्पा भी लगाते हैं। चाहे नापसन्द ही करें, पर वह भी पढ़ने के बाद ही तो करेगा। फेसबुक का बहुत बड़ा रोल साहित्य के प्रसार में नज़र आता है, बस आप क्या पढ़ रहे हैं यह आप को तय करना है।

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कारों की स्थिति पूर्ववत है। जिनको पुरस्कार  मिलना चाहिए, वे अक्सर कुचक्र का शिकार हो जाते हैं, फिर भी कहीं न कहीं ये पुरस्कार वास्तविक अधिकारी के हिस्से भी आते ही हैं। हम सब मानवीय दुर्बलताओं से घिरे हैं। बुढ़ापे तक जब हमें अपना दायित्व नहीं मिलता तो जो लोग लड़ा सकते हैं, वे दाव पेच लड़ाने हैं तो कुछ गलत भी नहीं। काम करते-करते हम मर जाएँ और पुरस्कार हमारे मरणोपरांत मिले तो न मिलने जैसा ही हुआ, हमारे काम तो न आया? बाद में न दें तो भी कोई  फर्क नहीं पड़ता।

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - महत्वपूर्ण घटना तो मेरा लेखक बनना ही है। कॉलेज का मुँह नहीं देखा, पिता के घर कड़े अनुशासन के कारण लिखने का तो सोच ही नहीं सकती थी, हाँ! रंगों से खेलने के शौक ने कलम तक पहुँचा दिया। बात शायद 1975/76 की है। मैं तब अपने गाँव के महिला मण्डल की सचिव थी। एक दिन लकड़ी के एक टुकड़े पर मैंने फेब्रिक रंगों से एक तस्वीर उकेर दी। उसी तस्वीर को देखकर हमारे खण्ड विकास अधिकारी ने मुझे उकसाया और रंगों के साथ साथ कलम  हाथ में आ गई।

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - पिता के घर में तो नहीं, हाँ मेरे पति ने मेरे हर काम में मेरा न केवल साथ दिया, अपितु सहायता भी की। चित्र कला में वे रंगों के चयन और रेखांकन में बहुत सार्थक टिप्पणीकार रहे। मेरे गीतों के सुघड़ गायक और कहानियों के समीक्षक होने के साथ साथ वे मेरे पोस्ट मैन थे और लिप्यांतरण में भी सहायक थे। मैं उन्हें देवनागरी में ग़ज़ल लिखकर देती और वे उसे उर्दू में लिखकर डाक के हवाले कर देते।

          


Comments

  1. आशा दीदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय में जानकर प्रसन्नता हुई।

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    1. हार्दिक धन्यवाद।

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