इनसे मिलिए ( ई - साक्षात्कार संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
शिक्षा : M.A. (Eng.lit) B.ed (English, social)
M.A ( Hindi), M.Phil,Ph.d. Sahitya Ratna,TET
भाषा ज्ञान : हिंदी, अंग्रेजी, मारवाड़ी, मराठी, गुजराती
कार्यक्षेत्र - शिक्षक, प्रवक्ता
विधा : कविता,कहानियां, लेख, आलेख, समीक्षा, हाइकु , लघुकथा, नाटक
पुस्तकें : -
चित्रा मुद्गल की कहानियों में यथार्थ और कथाभाषा
साझा संकलन : -
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन )
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन )
हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई- लघुकथा संकलन )
सम्मान : -
- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
- माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर लघुकथा दिवस रत्न सम्मान -2020
- फादर्स डे रत्न सम्मान - 2020
- महार्षि दधीचि जंयती के अवसर पर सम्मान पत्र - 2020
- 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
विशेष : -
- सूत्रधार साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था से जुड़ना,
- विश्व भाषा अकादमी की सदस्य,
- आदरणीय बीजेंद्र जैमिनी जी के विभिन्न प्रतियोगिताओं में विभिन्न विषयों पर लघुकथाएं अन्य ग्रुप में भी लघुकथाएं
- स्टोरी मिरर पर कविताएं,
- कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा मेरे लिखे नाटकों का मंचन,
- कई लाइव काव्य पाठ व लाइव एकल काव्य पाठ
- अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण मंच की तेलंगाना इकाई की अध्यक्ष
पता :
मकान नं. 4-7-156/19 , छोटा शिव हनुमान मंदिर
भानोदया स्कूल के पास , पांडुरंगा नगर, अत्तापुर
हैदराबाद - 500048 तेलंगाना
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण उसका कथ्य होता है जो उसे प्रमाणित करता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ?
उत्तर - यूं तो अनेक साहित्यकार इस विधा को साहित्य के शिखर पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।परंतु मेरी जानकारी में पांच नाम है जिनमें - बीजेन्द्र जैमिनी जी, सुकेश साहनी जी, डॉ. मंजू गुप्ता जी, रश्मि लता मिश्रा जी, अनिल शर्मा अनिल जी ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए मापदंड है - कथ्य, उद्देश्य और संदेश।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - साहित्य की हर विधा के प्रचार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
उनमें हैं - भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के परिंदे, स्टोरी मिरर, मोमस्प्रेसो, प्रतिलिपि इत्यादि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा हर विधा के बीच अपने अस्तित्व का परचम लहरा रही है। इस विधा नें साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण मुकाम बनाया है और इसमें लोग रुचि भी ले रहे हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से आप संतुष्ट है ?
उत्तर - नहीं , अभी तो यह कुछ कदम ही चल पाई है। अभी इसे साहित्य में अपना मुक्कमल स्थान बनाना है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएं आप किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर - पढ़ाई के लिए मैंने जीवन में बहुत संघर्ष किया।अच्छे लेखकों को साहित्य की इस विधा को उभारने में पूरा सहयोग करना चाहिए ताकि लघुकथा भी साहित्य के उस आदर्श मुकाम तक पहुंचे जहां आज अन्य विधाएं हैं। मुझसे प्ररित हो परिवार के दूसरे सदस्य भी इसमें रूचि दिखा रहे हैं।
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार, गुरुवर, पति, पुत्र, मेरी प्रेरणा, इन सब ने अहम भूमिका निभाई है।
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अर्थ लाभ तो कोई नहीं हुआ पर इससे मुझे हर स्थान पर प्रतिष्ठा, मान सम्मान और आदर मिला।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - यह विधा मुझे बहुत पसंद है। यह एक ऐसी कला है। जिसमें हम संक्षेप में बहुत कुछ व्यक्त कर सकते हैं। घटी घटनाओं के विवरण के साथ यह संदेशात्मक भी होती है।इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। आजकल लोग लघुकथा लिखने व पढ़नें में विशेष रूचि दिखा रहे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - दूसरी विधाओं में लिखने में बहुत समय लगता है और विस्तार से लिखना होता है रोचक बनाना होता है पर लघुकथा के साथ ऐसा नहीं है संक्षेप में सुंदर शब्द संयोजन से अपनी बात कह सकते हैं समय की बचत के साथ-साथ दूसरे साहित्यकारों को पढ़ने जानने का भी सुअवसर मिलता है जो सचमुच प्रेरणादायक और संदेशात्मक होते हैं समस्त साहित्यकारों का धन्यवाद जिन्होंने इस विधा को अपनाया जिससे हमें उन्हें व उनके भावों को संक्षेप में समझने का अवसर मिला।
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क्रमांक - 002
विधा : लघुकथा, कविता, कहानी, समीक्षा, आलेख, संस्मरण आदि।
पुस्तक: -
सेतु : कथ्य से तत्व तक ( लघुकथा संकलन ) - सम्पादन
साझा पुस्तकें : -
जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
मां ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
सम्मान/पुरस्कार: -
- सीहोर साहित्य सम्मान (काव्य-खंड)2021 ।
- कथादेश लघुकथा प्रतियोगिता 2020 में प्रथम दस में चयनित।
- प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था लेख्य मंजुषा(पटना) द्वारा 2019 में लघुकथा सम्मान।
- लघुकथा कलश समीक्षा प्रतियोगिता 2019 में प्रथम स्थान।
विशेष : -
- मार्च 2017 से लेखन प्रारम्भ
- आकाशवाणी, बोल हरियाणा और बोलता साहित्य से लघुकथा व कविता का प्रसारण।
- अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं स्तरीय संकलन में लघुकथा, कविता, समीक्षा का प्रकाशन।
- किस्सा कोताह(हिन्दी) और समय संकेत(मैथिली) में सम्पादन कार्य में सहयोग।
- पलाश:नगर प्रतिनिधि(समस्तीपुर)।
- साहित्य सम्वेद समूह के माध्यम से साहित्यिक उन्नयन में सहयोग
- क्या लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधा जा सकता है ? ( ई- परिचर्चा ) में शामिल
पता : मृणाल आशुतोष द्वारा- श्री तृप्ति नारायण झा
ग्राम+पोस्ट- एरौत ,भाया-रोसड़ा
जिला-समस्तीपुर (बिहार) पिन-848210
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण है कथ्य। कथ्य का सम्प्रेषण सही से होना चाहिए। लेखक क्या कहना चाहता है? क्या वह सही से पाठक से पहुँच पा रहा है?
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ, जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - संख्या पाँच तक सीमित कर आपने इस प्रश्न को दुरूह बना दिया है। सर्वश्री सुकेश साहनी, मधुदीप गुप्ता, उमेश महादोषी, कांता राय आदि बढ़िया कार्य कर रहे हैं। कुछ और नाम भी इसमें जोड़े जाने लायक हैं। आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) भी अपने कार्य से प्रभावित कर रहे हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा अर्थात सम्यक इच्छा। इसकी सार्थकता के लिए आवश्यक है कि समीक्षा में ये गुण हों:-
1.पुर्वाग्रह मुक्तता
2.वस्तुनिष्ठता
3.प्रासङ्गिकता
4.सोद्देश्यता
5.निजता और
6.सहज,सरल , सारगर्भित , सम्प्रेषणीयता।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - लघुकथा डॉट कॉम, ओपन बुक्स ऑनलाइन' और 'लघुकथा वार्ता' जैसे ब्लॉग, कई साहित्यिक समूह जैसे लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, नया लेखन नया दस्तखत, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा सफर सम्वेदनाओं का, फलक, लेख्य मंजूषा आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति अच्छी है मगर मात्रा, गुणवत्ता पर बुरी तरह हावी हो रही है। अच्छी लघुकथा ढूंढ़ना मुश्किल साबित हो रहा है। गम्भीर लघुकथाकारों को इस पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - सन्तुष्ट तो कभी नहीं हो सकूँगा। खुश भी हूँ और थोड़ा चिंतित भी। जिस प्रकार से लघुकथा का फलक विस्तृत हो रहा है, उससे प्रसन्न हूँ मगर जिस तरह से सोशल साइट्स और समाचार पत्रों में गुणवत्तापूर्ण लघुकथा की संख्या कम होती जा रही है, उससे चिंतित भी हूँ। कई संकलन/संग्रह में दो-चार अच्छी लघुकथायें भी नहीं मिल पाती। पुस्तक आने से पहले उनका उचित चयन और संपादन होना चाहिए। वरिष्ठ, विज्ञजनों से सहयोग लिया जाय पर पुस्तक जब सार्वजनिक हो तो बेहतर रूप में आये।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं और बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। मेरे गाँव में सुप्रसिद्ध कवि हुए हैं आरसी प्रसाद सिंह। उन दोनों का मुझ पर प्रभाव है। मार्गदर्शक शब्द मुझे उचित नहीं लगता। जो भी जानकारी मेरे पास है, वह सबसे साझा कर लेता हूँ। साहित्य सम्बन्धी कार्य या किसी रचना पर सहयोग हेतु कोई भी सम्पर्क करता है तो वह निराश नहीं हो, इसका हरसम्भव प्रयत्न करता हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? मेरे
उत्तर - पिताजी कवि हैं, चाचाजी कवि थे पर लेखन के प्रारंभ में इन दोनों की कोई भूमिका नहीं रही। लेखन के लगभग आठ महीने बाद जब किसी स्तरीय पत्रिका में रचना छपी तब पिताजी को पता चला तो वह बहुत खुश हुए। उसके बाद पिताजी से यथासम्भव सहयोग मिलता रहा। चूँकि घर पर रहना कम होता है तो सहयोग भी कम ही मिल पाता है। हाँ, नैतिक समर्थन और आशीर्वाद माँ-पिताजी से हमेशा मिलता रहा। कनियाँ भी सहयोग करती हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। कभी कभार कुछ पैसे आ जाते हैं पर उससे बहुत अधिक तो खर्च ही हो जाते हैं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है, मगर इसके लिए हम लघुकथाकारों को सतत गम्भीरतापूर्वक कार्य करते रहना होगा। अगर हाथ पर हाथ धरे बैठ गए तो भविष्य के अंधकारमय होने की आशंका है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - एक युवा साहित्यकार के रूप में पहचान मिली। मेरे लेखन का प्रारंभ लघुकथा विधा से ही हुआ था। अनेक मित्र भी लघुकथा साहित्य से मिले। वरिष्ठजनों का आशीष मिलता रहा है। सबसे महत्वपूर्ण आत्मसंतुष्टि मिली। कुछ अलग करने का जज़्बा मिला।
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क्रमांक - 004
लेखन: लघुकथा, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, बालकथा, बोधकथा, लेख, पत्र
साझा संकलन : -
पड़ाव और पड़ताल” के खंड 26 (साझा लघुकथा संग्रह)
लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह)
लाल चुटकी (रक्तदान विषय पर साझा लघुकथा संग्रह) नयी सदी की धमक (साझा लघुकथा संग्रह)
अपने अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह)
सपने बुनते हुए (साझा लघुकथा संग्रह)
अभिव्यक्ति के स्वर (साझा लघुकथा संग्रह)
स्वाभिमान (साझा लघुकथा संग्रह)
जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन )
मां ( ई - लघुकथा संकलन )
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन )
लघुकथा - 2020 ( ई - लघुकथा संकलन )
कोरोना ( ई - काव्य संकलन )
विशेष :-
- यू आर एल: http://chandreshkumar.wikifoundry.com
- ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/
- पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे अनुसार यों तो लघुकथा में कोई ऐसा तत्व नहीं हैं जिसका महत्व कम हो क्योंकि जब कम-से-कम शब्दों में अपनी बात कहनी है तो शीर्षक से लेकर अंत तक सभी शब्दों, शिल्प आदि पर पूरा ध्यान देना होता ही है। मैं अपने लेखन में सबसे अधिक विषय (विशेष तौर पर जो समकालीन यथार्थ पर आधारित हो) के अध्ययन को समय देता हूँ फिर कथानक और उसके प्रस्तुतिकरण के निर्धारण में।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - हालांकि पांच से अधिक नाम जेहन में आ रहे हैं, फिर भी प्रश्न की सीमा न लांघते हुए मैं सर्वश्री योगराज प्रभाकर, अशोक भाटिया, मधुदीप गुप्ता व उमेश महादोषी के नाम लेना चाहूंगा। वस्तुतः आप (बीजेंद्र जैमिनी) सहित कई अन्य वरिष्ठ व कई नवोदित भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मेरे अनुसार निम्न तत्वों पर एक लघुकथा समीक्षक को ध्यान देना आवश्यक है:-
रचना का उद्देश्य, विषय, लाघवता व पल विशेष, कथानक, शिल्प, शैली, शीर्षक, पात्र, भाषा एवं संप्रेषण, संदेश / सामाजिक महत्व, न्यूनतम अतिशयोक्ति व सांकेतिकता। इनके अतिरिक्त मेरा यह भी मानना है कि कोई लघुकथा अपने पाठकों को कितना प्रभावित कर सकती है इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया ने लघुकथा को स्थापित करने में सहायता की है। फेसबुक, व्हाट्सएप्प, यूट्यूब, फोरम व ब्लोग्स द्वारा फिलवक्त लघुकथा पर काफी कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यथा इन्स्टाग्राम, पिनट्रेस्ट, लिंक्डइन, ट्वीटर आदि पर अच्छे कार्य होने की उम्मीद है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - फिलहाल लघुकथाएं मात्रात्मक दृष्टि से एक अच्छी संख्या में कही जा रही हैं, हालांकि गुणात्मकता पर विचार करें तो उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। संपादकों व प्रकाशकों को भी पुस्तकों, संग्रहों, संकलनों आदि में कहीं न कहीं समझौता करना ही पड़ता है। इसके अतिरिक्त रचनाओं में समसामयिक विषयों की भी कमी प्रतीत होती है। ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रदूषण, राजनीतिक पतन, साइबर क्राइम, दिव्यांग जैसे वर्ग की समस्याएं, पुरातन लोक संगीत / वास्तुकला आदि के सरंक्षण सहित कई विषय ऐसे हैं जिन पर कलम बहुत अधिक नहीं चली है। कहीं-कहीं लघुकथा की समीक्षा में निष्पक्षता की आवश्यकता भी महसूस होती है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - यह एक अच्छी बात है कि लघुकथा अब अधिकतर साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। इससे प्रबुद्ध पाठकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। गुणात्मकता के अतिरिक्त प्रकाशित रचनाओं में कभी-कभी प्रूफ रीडिंग, सम्पादन व कुछ निष्पक्षता की आवश्यकता ज़रूर प्रतीत होती है। मैं उन सभी लघुकथाकारों की हृदय से प्रशंसा करना चाहूँगा, जिन्होंने इस विधा को स्थापित करने में अपना समय और धन दोनों को बिना सोचे खर्च किया है। आप सभी के परिश्रम से जो स्थान इस विधा को प्राप्त हुआ है उससे मुझ सहित अन्य लघुकथाकारों को काफी संतुष्टि मिलना स्वाभाविक ही है। हालांकि, मुझे अपने लेखन से स्वयं को संतुष्टि मिल पाए, ऐसा समय अभी नहीं आया।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं?
उत्तर - मैं यों तो विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ, लेकिन हिन्दी व अन्य भाषाओं और साहित्य में रूचि प्रारम्भ से ही रही। पढ़ने के नाम पर मैं जो कुछ भी मिले पढ़ लेता था। शिक्षा समाप्ति के बाद देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के लिए सॉफ्टवेयर व वेबसाइट निर्माण किए और कुछ समय पश्चात् शिक्षण व शोध के क्षेत्र में आ गया। फिलहाल मैं कम्प्यूटर विज्ञान के छात्रों का ही मार्गदर्शक बन पाया हूँ। नवीन विषयों तथा भिन्न शिल्प को लेकर लेखन करना मुझे पसंद है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - परिवार से मुझे सदैव प्रोत्साहन ही मिला है। वस्तुतः जो समय मुझे परिवार को देना चाहिए, उसी में से कुछ वक्त निकाल कर मैं साहित्य सृजन कर पाता हूँ, लेकिन कभी शिकायत नहीं मिली। परिवार के सदस्यों को मैं समय-समय पर लेखन कार्य में प्रवृत्त करने का प्रयास भी करता हूँ और उनसे प्रेरणा भी प्राप्त करता हूँ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अभी इस बारे में सोचा नहीं। हालांकि साहित्यिक पुस्तक बिक्री, प्रतियोगिताओं, शोध-कार्य आदि से कुछ आय हुई भी है लेकिन अधिकतर बार उसे अन्य पुस्तकें खरीदने में ही खर्च किया है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - जिस तरह से लघुकथा विधा उन्नति कर रही है, यह प्रतीत होता है कि गद्य विधा में जल्दी ही लघुकथा का ही युग होगा। इस हेतु उचित सृजन महती कार्य है। मेरा मानना है कि किसी लेखक को लघुकथा को सिद्ध करना है तो सबसे पहले उसके विषय व कथानक को आत्मसात कर उसमें निहित पात्रों को स्वयं जीना होता है। वे बातें भी दिमाग में होनी चाहिए जो हम रचना में तो नहीं लिख रहे हैं लेकिन रचना को प्रभावित कर रही हैं। इसीसे लेखन में जीवन्तता आती है। इस प्रकार का लेखन पर्याप्त समय लेता है और इसके विपरीत जल्दबाजी में विधा और साहित्य दोनों को हानि होती है। हालांकि समय स्वयं अच्छी रचनाओं को अपने साथ भविष्य की ओर बढाता है तथा अन्य को पीछे छोड़ देता है। लेकिन यह भी सत्य है कि इन दिनों कई रचनाएं ऐसी भी कही जा रही हैं, जो विधा की उन्नति के समय को बढ़ा रही हैं। लघुकथा पर शोध व नवीन प्रयोग भी आवश्यकता से कम हो रहे हैं। लघुकथा में नए मुहावरे भी गढ़े जा सकते हैं। बहरहाल, इन सबके बावजूद भी मैं विधा के अच्छे भविष्य के प्रति आश्वस्त हूँ क्योंकि वर्तमान अधिक बिगड़ा हुआ नहीं है बल्कि अपेक्षाकृत बेहतर है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - कहीं पढ़ा था कि, “Literature is a bridge from disappointment to hope.” यह बात लेखन पर भी लागू होती है। लघुकथा में लेखकीय प्रवेश वर्जित है, इस बात का अपनी तरफ से जितना रख सकता हूँ, ध्यान रखते हुए, कई बार अपनी बात जुबानी न कहने की स्थिति में उसे लघुकथा के रूप में ढाल देता हूँ, उससे मानसिक शांति तो प्राप्त होती ही है और साथ ही अपनी बात इस प्रकार कह देने का अवसर भी मिलता है। कई विषयों को पढ़ कर समझने की प्रवृत्ति को एक नई दिशा भी मिली तथा सोच का दायरा भी विस्तृत हुआ। साथ ही शोध हेतु यह एक और विषय भी मिला। इनके अतिरिक्त मुझे गुरुओं का जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, वरिष्ठ लघुकथाकारों का जो आशीर्वाद मिला और समकालीन व मेरे लेखन प्रारम्भ करने के बाद आए लघुकथाकारों का जो स्नेह प्राप्त हुआ, उसे शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए असंभव है।
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क्रमांक - 006
पुस्तकें : -
- कहानी -संग्रह :महक रिश्तों की , एक सच यह भी
- लघुकथा -संग्रह : उसी पगडण्डी पर पाँव, कभी भी- कुछ भी, मेरी चुनिंदा लघुकथाएं
- कविता -संग्रह : दूर होते हम, कविता से पूछो, कचरे के ढेर पर जिंदगी,कब चुप होती है चिडि़या, खिडक़ी से झाँकते ही, मासूम गंगा के सवाल
- बाल कहानी-संग्रह: बचपन के आईने से, धूप का जादू, करें तो क्या करें, माशी की जीत, रुनझुन और टिन्नू
- बालकविता-संग्रह: बिल्लो रानी
- पंजाबी बालकथा-संग्रह:रिमोट वाली गुड्डी
अनुवादित पुस्तकें: -
- एक सच यह भी (कहानी-संग्रह) का पंजाबी अनुवाद द्वारा प्रो.स्वर्ण कौर नौरंग तथा
- कभी भी-कुछ भी (लघुकथा-संग्रह) का पंजाबी अनुवाद द्वारा जगदीश राय कुलरियां ,
- खिड़की से झांकते ही अंग्रेजी में अनुवाद ‘पीपिंग थ्रू दी विंडो' द्वारा डॉ.मेजर शक्तिराज
आलोचना व समीक्षात्मक पुस्तकें: -
- हरियाणा की महिला रचनाकार : विविध आयाम
- मधुकांत की कथा-यात्रा,
- रूप देवगुण की कहानियों में सामाजिक संदर्भ
सम्पादित पुस्तकें: -
- सिरसा जनपद की काव्य सम्पदा,
- सिरसा जनपद की लघुकथा सम्पदा,
- सिरसा लघुकथा का स्वर्णिम इतिहास,
- बहुआयामी व्यक्तित्व रूप देवगुण,
-भावुक मन की लघुकथाएं, लघुकथा-पर्व(2018-19)
लेखिका पर पुस्तक: -
खिड़की से झांकते ही: आधार एवं मूल्यांकन
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सम्मान व पुरस्कार : -
- 2014 में श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान,
- 2018 में हरियाणा साहित्य रत्न(पंडित माधवप्रसाद मिश्र सम्मान)
- लघुकथा-संग्रह 'कभी भी-कुछ भी' को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार
सहित देश भर की प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा 60 से भी अधिक सम्मान
शोध कार्य: -
कहानी, लघुकथा, कविता तथा बाल कहानी की पुस्तकों पर तीन पीएच.डी. व छह लघु शोध प्रबंध सम्पन्न सम्पन्न ।
पता : मेजर हाउस-17, हुडा सेक्टर-20 ,पार्ट-1,सिरसा-125056 हरियाणा
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - लघुकथा का कथ्य और उसकी संप्रेषणीयता
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सर्वश्री बलराम अग्रवाल, कांता राय, डॉ कमल चोपड़ा, योगराज प्रभाकर, बीजेन्द्र जैमिनी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - संप्रेषणीयता के तत्व, उद्देश्य, शिल्प-शैली, कलात्मकता का ध्यान रखना आवश्यक है
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे, अविराम साहित्यिकी, लघुकथा जगत, भारतीय लघुकथा विकास मंच आदि
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान में बहुत लिखा जा रहा है। सोशल मीडिया ने लघुकथा के प्रचार-प्रसार में गुणात्मक वृद्धि की है, परंतु लघुकथा को ऊंँचाई पर ले जाने के लिए समीक्षा/आलोचना के क्षेत्र में बहुत कुछ होना बाकी है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मैं साइंस के विद्यार्थी रही और स्वास्थ्य विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हूं। लेखन के गुणसूत्र मुझ में मौजूद थे और अवकाश पाते ही सक्रिय हो गए।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - साहित्य मेरे लिए आत्मोन्नति का साधन है और यह मुझे अपने आसपास झाँकने की सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करता है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे पति डॉ. मेजर शक्तिराज भी साहित्यकार हैं। इसलिए एक-दूसरे की लेखन संबंधी सुविधाओं का ध्यान रखने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - परमात्मा ने अर्थ की कोई कमी नहीं रखी। साहित्य से जो भी पुरस्कार व सम्मान राशि प्राप्त होती है, साहित्य के निमित्त ही खर्च करती हूं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वैश्वीकरण और तकनीकी अर्थ प्रधान युग में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते, समय अभाव के कारण अन्य कथात्मक विधाओं यथा कहानी, उपन्यास से आगे निकल लघुकथा पाठकों की चहेती विधा बन गई मालूम देती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो भविष्य लघुकथा का है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा समीक्षक व लघुकथाकार के क्षेत्र में विशेष पहचान मिली है। यह क्या कम है? आत्म संतुष्टि मिलती है और साहित्य सेवा का भाव सदैव बना रहता है।
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क्रमांक - 007
जन्मतिथि : 21 जून 1949
जन्म स्थान : गाँव - बरहन , जिला आगरा, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : बी. एस. सी. (जीव विज्ञान), एम. ए. (समाज शास्त्र),पी. जी. डिप्लोमा (पर्सनल मैनेजमैंट )
व्यवसाय : सेवा निवृत - कार्मिक एवं प्रशासनिक अधिकारी (केंद्र सरकार)
प्रकाशित पुस्तकें -
श्रंखला ( लघुकथा संग्रह ) -2019
साँझे लघुकथा संकलन -
1 - बूंद बूंद सागर- (2016)
2 - अपने अपने क्षितिज – (2017)
3 - सफ़र संवेदनाओं का – (2018)
4- आस पास से गुजरते हुए – (2018)
5 - लघुत्तम महत्तम - (2018)
6 - परिंदों के दरमियां - (2018)
7 - स्वाभिमान (2019)
8 - समकालीन प्रेम विषयक लघुकथायें (2019)
9 - पड़ाव और पड़ताल - खंड -30 (2019)
10 - जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
वर्तमान आवासीय डाक पता :
फ़्लैट नंबर 1102/03, बिल्डिंग - सी - 1,
मार्गोसा हाइट्स, मुहम्मद वाड़ी, पुणे - 411060 महाराष्ट्र
स्थाई आवासीय पता : 588, बसंत बिहार, कोटा -324009, राजस्थान
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरी राय में लघुकथा का सबसे सशक्त पहलू उसका कथ्य होता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - जिन लोगों के संपर्क में मैं आया हूँ ,उनके नाम गिना सकता हूँ। आदरणीय स्वर्गीय सतीशराज पुष्करणा जी , आदरणीय योगराज प्रभाकर ज़ी, आदरणीय डॉ नीरज शर्मा जी, आदरणीय कांता रॉय जी और आदरणीय मुकेश शर्मा जी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा का मुझे कोई विशेष अनुभव नहीं है। लेकिन अध्ययन से जो जानकारी मुझे प्राप्त हुई है, उसके आधार पर कह सकता हूँ कि लघुकथा में कथ्य, शैली, व्याकरण (वर्तनी की त्रुटियां ), संदेश, शीर्षक चयन एवं पंच पंक्ति और रोचकता अनिवार्य है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के प्रचार प्रसार में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है। मैं खुद मीडिया के माध्यम से ही इस लाजवाब विधा से जुड़ सका। मैंने जिन मीडिया ग्रुपों में सक्रियता से भाग लिया । उनके नाम निम्न लिखित हैं। 1. नया लेखन नये दस्तखत 2.लघुकथा के परिंदे 3. गागर में सागर 4.ओपिन बुक्स ओन लाइन 5 .साहित्य संवेद
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे विचार से वर्तमान में लघुकथा की स्थिति संतोष जनक कह सकते हैं। वैसे लघुकथा के क्षेत्र में बहुत नये लोग आ रहे हैं लेकिन उनमें लंबी दौड़ के घोड़े इक्के दुक्के ही निकल रहे हैं। लघुकथायें बहुतायत में लिखी जा रही हैं लेकिन स्तरीय रचनायें नगन्य हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मैं खुद अपने कार्य से ही संतुष्ट नहीं हूँ। अन्य लोगों के विषय में अधिक कहना असभ्यता होगी।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं केंद्र सरकार के एक उद्योग में कार्य रत था। लघुकथा से मेरा लगाव सेवा निवृति के बाद हुआ। इस पड़ाव पर मैंने अपनी क्षमता और काबिलियत के अनुरूप कभी भी मार्ग दर्शन करने का ना तो सोचा और ना ही कोशिश की। इसके बावज़ूद अगर किसी नये लघुकथाकार ने कोई परामर्श मांगा तो उसे निराश नहीं किया।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरी धर्मपत्नी हिंदी से एम ए हैं। व्याख्याता रह चुकी हैं। वे भी लिखती हैं। इसलिये उनका सहयोग निरंतर मिलता रहता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन कार्य का मेरी आजीविका में कोई योगदान नहीं है। वैसे मैंने लेखन कार्य को इस उद्देश्य से अपनाया भी नहीं था। यह कार्य मैं व्यस्त रहने और मानसिक शांति हेतु करता हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं एक आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं सदैव उत्तम और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। लघुकथा मेरे लिये एक प्रेरणा है। मानसिक शांति का श्रोत है।अतः मैं सदैव उसकी उत्तरोत्तर प्रगति की आशा करता हूँ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - जैसा कि मैंने पिछले प्रश्न के उत्तर में भी कहा कि लघुकथा लेखन से मुझे मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और व्यस्तता तो मिलती ही है लेकिन इसके साथ कितने मशहूर और विद्वान लेखकों का सानिध्य प्राप्त हुआ। मैंने दस बारह लघुकथा संकलनों में साझेदारी की तथा एक अपना निजी लघुकथा संग्रह निकाला , उसकी वजह से समाज में एक सम्मान जनक स्थान मिला ।
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क्रमांक - 008
जन्म : 08 जून 1969 , सोनीपत - हरियाणा
शिक्षा : पी एच डी (हिंदी ), एम ए ( पत्रकारिता ,मानवाधिकार)
सम्प्रति : प्रशासनिक अधिकारी, आयकर विभाग ( सेवानिवृत)
प्रकाशित पुस्तकें : -
कस्तुरी गन्ध ( लघुकथा संग्रह ) -2009
कहानी संग्रह , कविता संग्रह , निबंध संग्रह , दोहा संग्रह , आदि सहित 23 पुस्तकें प्रकाशित
प्रमुख पुरस्कार व सम्मान : -
- भारत सरकार द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित - हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत
- हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कृत
आदि अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत
विशेष : -
- नई दिशाएं हेल्पलाइन संस्था की चेयरपर्सन
- Youtub चैनल का संचालन
पता : 839 , सेक्टर - 21 सी , फरीदाबाद - 121001 हरियाणा
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - लघुकथा का उद्देश्य महत्वपूर्ण तत्व है.
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्री रूप देवगुण, श्री सुकेश साहनी , श्रीमती कमल कपूर, श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा का आकार कैसा है, लघुकथा में उद्देश्य है या नहीं है ,लघुकथा का शीर्षक लघुकथा से मिलता है या नहीं, गहराई है या नहीं, क्या लघुकथा का कथानक नए कलेवर का है ,क्या उसमें भूमिका बड़ी है, वाक्य सुगठित है या नहीं, और पाठकों को समझ में आएगी या नहीं । ये सभी लघुकथा की समीक्षा के मापदंड हैं।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - लघुकथा के लिए फेसबुक पर जो लघुकथा ग्रुप हैं वे महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा की स्थिति बेहद मजबूत है
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हूं क्योंकि लघुकथाकारों की संख्या में वृद्धि हो रही है
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं कहानीकार हूं, उपन्यास लिखे हैं, कवयित्री हूँ। लघुकथा का एक संग्रह आया है , दूसरा जनवरी 2022 में आने वाला है। मैंने नए लेखकों की लघुकथाओं को ठीक किया है, उनकी प्रूफ्ररीडिंग की, उनकी भूमिका लिखी है। इसके अलावा यूट्यूब पर मैंने अपने चैनल पर लघुकथा कैसे लिखें, पर एक वीडियो बनाया है जिससे नए लेखक लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार मेरे लेखन के आड़े नहीं आता , मैं अपना लेखन इसलिए कर पा रही हूं क्योंकि मेरे परिवार ने कभी अवरोधक की भूमिका नहीं निभाई , उल्टा मुझे बढ़ावा ही दिया है ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका के साधन के रूप में , मैंने लेखन को कभी नहीं लिया। लेकिन जहां सुख की बात है, संतुष्टि की बात है तो लेखन ने मुझे हमेशा सहारा दिया है मेरा मार्गदर्शन बना है और मुझे अनुभव कराया कि जीवन कैसे जीना चाहिए
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य सुनहरा है क्योंकि धीरे-धीरे लोगों को समझ में आ रहा है कि लघुकथा लिखना कठिन नहीं है, पाठकों के बीच पैठ बनाए रखना भी उतना ही आसान है । हां, लघुकथा कैसे लिखी जाए उसके लिए सबसे पहले नए लेखकों को वरिष्ठ लघुकथाकारों से मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करना चाहिए
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे संतुष्टि मिली । छोटी-छोटी कहानियां पढ़कर , परोक्ष रूप से सही शिक्षा मिली और काफी कुछ जानने को मिला। हमारे समाज में क्या घट रहा है, यह तुरंत जानने को मिल जाता और सबसे बड़ी बात है कि समस्याओं का समाधान मिलता है लघुकथाओं में ...।
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क्रमांक - 009
जन्म : 01जुलाई 1955 , सीरेगाँव ( नरसिंहपुर ) मध्यप्रदेश
शिक्षा : विज्ञान स्नातक
सम्प्रति : विघुत विभाग से सेवानिवृत्त
प्रकाशित पुस्तकें : -
इतने लोगों में ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
ऐसा भी ... ( लघुकथा संग्रह ) - 2015
इनके अतिरिक्त विभिन्न विधाओं की 17 पुस्तकें
सम्मान एवं पुरस्कार :-
1. म.प्र.साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा बाल कविता संग्रह के लिए " ज़हूर बख़्श पुरस्कार - 2015 "
2. म.प्र.तुलसी साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा " तुलसी साहित्य सम्मान - 2017 "
3.जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा " म.प्र.रत्न - 2015 "
4.मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच,दिल्ली द्वारा " लाल बहादुर शास्त्री रत्न सम्मान "
5. हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली द्वारा " हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान "
6. श्री गोविंद हिन्दी साहित्य समिति, मुरादाबाद, उ.प्र. द्वारा " हिन्दी भाषा रत्न सम्मान "
7. सलिला संस्थान सलूम्बर, राजस्थान द्वारा " स्वतंत्रता सैनानी श्री औंकार लाल शास्त्री स्मृति पुरस्कार "
8.शब्द प्रवाह मंच, उज्जैन द्वारा व्यंग्य कृति 'लाइन में आइए ' को प्रथम पुरस्कार
9. हिन्दी सेवा समिति, जबलपुर द्वारा "साहित्य शिरोमणि सम्मान"
10. अखिल भारतीय हाइकु मंच,छत्तीसगढ़ द्वारा " हाइक मंजुषा रत्न सम्मान-2017 "
11. म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा " स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान "
आदि अनेक सम्मान एवं पुरस्कार।
पता : पलोटनगंज , गाडरवारा , जिला : नरसिंहपुर - 487551 - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे अनुसार कथानक महत्वपूर्ण तत्व है, जिस पर पूरी लघुकथा तैयार होती है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस7 संबंध में यूँ तो अनेक नाम हैं जो समर्पित भावना से तन,मन,धन से सतत सेवा-साधना में जुटे हुए हैं, उनमें से जिन्हें मैं व्यक्ति गत रूप से जानता हूं वो हैं : -
1. पानीपत - हरियाणा के आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी,
2.बरेली - उत्तर प्रदेश के आदरणीय सुकेश साहनी जी, 3.प्रयागराज (इलाहाबाद) के आदरणीय डॉ.गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी जी,
4.जबलपुर - मध्यप्रदेश के आदरणीय कुँवर प्रेमिल जी, 5.अजमेर - राजस्थान के डॉ.अखिलेश पालरिया जी, इन सभी का लघुकथा को लेकर विशेष अंक का सतत संपादन, समय-समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन और लघुकथाकारों का सम्मान आदि महत्वपूर्ण कार्य के रूप में अनवरत योगदान दिया जा रहा है। जो प्रशंसनीय है, वंदनीय है।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के लिए उचित शीर्षक का चुनाव, प्रेरक कथ्य, सरस भाषा शैली, पात्रों के अनुरूप भाषा- संवाद, लघुकथा की शब्द सीमा आदि बिंदुओं पर निष्पक्षता से अपनी राय रखी जाना उचित और महत्त्वपूर्ण होगा।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - व्हाट्सएप ऐसे सरल और सशक्त सामाजिक माध्यम हैं जो पाठकों के लिए सहज एवं त्वरित उपलब्ध होते हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर- मेरे अनुसार हास्य-व्यंग्य के बाद पाठकों द्वारा पसंद की जाने वाली द्वितीय प्राथमिकता होती हैं , लघुकथाएं।
अतः रचनाकारों के लिए लघुकथा लेखन, अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का सहज और सरल माध्यम बनता जा रहा है। सुखद पहलू यह भी है कि पाठकों द्वारा लघुकथाओं को पसंद भी किया जा रहा है। इस आधार पर यह कहना उचित होगा कि लघुकथाएं, साहित्यिक परिवेश में सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण सशक्त माध्यम तो हैं ही, बल्कि सक्षम भी हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्ट तो हैं फिर भी लघुकथा लेखन में अभी अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर संयम बरतने की अत्यंत आवश्यकता है। कभी- कभी ऐसा देखने में आता है कि लघुकथा अपने उद्देश्य से भटक गई है। शीर्षक का चुनाव ठीक नहीं किया गया है। भाषा शैली एवं संवाद पात्रों के अनुरूप नहीं है।
इस कारण से कभी-कभी लघुकथाकार की अच्छी बन सकने वाली लघुकथा भी इन महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीरता से अमल न करने के कारण, शीघ्र प्रस्तुति के लिए उतावलेपन की वजह से लघुकथा के स्वरूप और उद्देश्य को अस्पष्ट, अपूर्ण व असफल बना देती है। अतः लघुकथा को लिखने के बाद उस पर स्वयं के द्वारा चिंतन और मंथन अवश्य किया जाना चाहिए। इसके बाद फिर अपने साहित्यिक मित्रों से विमर्श कर लेना चाहिए और फिर उनके सुझावों पर विचारकर, उचित और वांछित सुधार कर लेने से अच्छी लघुकथा तैयार की जा सकती है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यम परिवार से हूं और मेरे परिवार में मुझे लेखन विरासत में नहीं मिला है। आज जो भी है , वह ईश्वर की अनुकंपा और माता-पिता का आशीर्वाद है। मैं अपनेआप को किसी को मार्गदर्शन देने के योग्य नहीं मानता हूं। कभी कभार कोई जब मुझसे मार्गदर्शन चाहता है तो मैं उन्हें यही सुझाव देता हूं कि लेखन में उतावलेपन से बचें। रचना लिखने के बाद मंथन करें। अपनों से सुझाव लेकर, वांछित संशोधित कर रचना को रुचिकर और सार्थक बनावें।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे लेखन में परिवार की ओर से मुझे सदैव प्रोत्साहन ही मिला है और कभी किसी भी रूप में नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसकी एक वजह यह भी रही है कि मैंने भी अपने पारिवारिक दायित्वों को प्राथमिकता और शुचिता से निभाया है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन से मेरी आजीविका को कोई मदद कभी नहीं मिली और न ही मैंने अपेक्षा की और न ही प्रयास। हाँ, अपने लेखन को जरूर अपनी आजीविका से सशक्त बनाया है। पुस्तकों का प्रकाशन और प्रसारण का व्यय आजीविका के कोष से ही पूरा किया है। मेरी पुस्तकों का वितरण मैंने सदैव ही निशुल्क किया है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं लघुकथा को लेकर पूर्णतः आशान्वित हूं और मैं ऐसा मानता हूं कि लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है और शनैः शैनः पाठकों के लिए रुचिकर बनता जा रहा है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लघुकथा लेखन , समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रमुख माध्यमों में से एक सरल और सरस महत्वपूर्ण माध्यम है। भविष्य में समाज और शिक्षा जगत में इसकी उपयोगिता और महत्ता दिनोंदिन बढ़ेगी, निखरेगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे खुशी है कि मेरी लघुकथाओं को पसंद किया जाता है। जैमिनी अकादमी,पानीपत ,हरियाणा द्वारा मेरे लघुकथा संग्रह ' ऐसा भी...' को मध्यप्रदेश रत्न-2015 और म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा 'स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान ' प्राप्त हुआ है। इससे मेरा उत्साहवर्धन हुआ है। जिससे मुझे सामाजिक विशेषताओं, कमियों, खामियों को समझने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ है और मैं अपने लेखन को सशक्त बनाने की ओर निरतंर अग्रसर होता जा रहा हूं।
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क्रमांक - 010
जन्म : 15 अक्टूबर, शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एम. ए. (हिंदी , संस्कृत), बी.एड., पीएच.डी.
सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व प्रध्यापिका : स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बरखेड़ा, पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
विधाएंँ- लघुकथा, कहानी,साझा उपन्यास,(आइना सच नहीं बोलता), कविताएंँ (छंद मुक्त), रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रावृत्त , डायरी, रिपोर्ताज,आलेख,पत्र, समीक्षा आदि।
पुस्तकें : -
- 'राजा नंगा है' (ई बुक संग्रह)2016
- 'ततःकिम' लघुकथा संग्रह, (माननीय राज्यपाल श्री राम नाइक के कर कमलों द्वारा लोकार्पित)2016
- 'अंधेरा उबालना है' लघुकथा संग्रह 2020
सम्पादन : -
काफी हाउस किताब (विविध विधा रचना संग्रह)
साँझा संकलन-
श्रेष्ठ काव्य माला,
मुट्ठी भर अक्षर,
बूंद बूंद सागर,
लघुकथा अनवरत,
क्षितिज अपने अपने,
पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 26),
नई सदी की धमक,
आस-पास से गुजरते हुए,
समकालीन प्रेम विषयक लघुकथाएं,
गहरे पानी पैठ,
मास्टर स्ट्रोक,
हमारा साहित्य (जे ऐंड के एकैडमी आॅफ आर्ट कल्चर एंड लैंग्विज आॅफ जम्मू )आदि।
सम्मान : -
- दिशा प्रकाशन द्वारा दिशा सम्मान,
- हिंदी चेतना पत्रिका कनाडा द्वारा हिंदी चेतना सम्मान
- प्रतिलिपि पत्र सम्मान 2016
- शब्दनिष्ठा समीक्षा सम्मान 2020
विशेष : -
- अविराम साहित्यिकी (त्रैमासिक पत्रिका) का सम्पादन
- समीक्षा कार्य पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 28,सीमा जैन की ग्यारह लघुकथाएं एवं सम्पूर्ण खण्ड 9)
पता : डाॅ सन्ध्या तिवारी , पत्नी श्री राजेश तिवारी
38, बेनी चौधरी, निकट वाटर वर्क्स ,
पीलीभीत, 262001- उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है विशाल कथ्य को समेटे उसका लघु कलेवर, उसकी भाषा शैली और उसकी अचूक मारक क्षमता ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - कोई पांँच नाम लेना तो अत्यंत कठिन काम हैं क्योंकि विधा के हित में इतने लोग अपना योगदान दे रहे कि उनके नाम के बिना लघुकथा का महत्त्व ही अपूर्ण रह जायेगा। सुकेश साहनी, भगीरथ परिहार , कांता राॅय, योगराज प्रभाकर , बीजेन्द्र जैमिनी आदि नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के मापदंडों में समीक्षक की पैनी दृष्टि, कथा कहन के भाव की गहरी समझ, भाषा पर अधिकार, आलोचना की विकसित समझ, ईर्ष्या एवं भेदभाव रहित तीक्ष्ण बुद्धि, प्रमाद एवं मत्सर रहित समीक्षा ही विधा के हित में है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - वर्तमान समय में सोशल मीडिया अपने में एक बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरा है ऐसे में लघुकथा विधा इस ताकत से अछूती रह जाए कैसे हो सकता है कुछेक सोशल मीडिया के मंचों का उल्लेख निम्नगत है-
लघुकथा ब्लाॅग एवं वेब पत्रिकाएंँ : -
जनगाथा
लघुकथा डॉट कॉम
रचनाकार
ओपन बुक आॅनलाइन
सेतु
लघुकथा समूह : -
नया लेखन नये हस्ताक्षर
गागर में सागर
लघुकथा साहित्य
साहित्य सागर
भारतीय लघुकथा विकास मंच
आधुनिक लघुकथाएंँ
लघुकथा सृजन संगम संवेदनाओं का
उद्गार साहित्यिक मंच
कलमकार मंच
लघुकथा के परिंदे
साहित्य संवेद
नया लेखन और नया दस्तखत
साहित्य प्रहरी
साहित्य अर्पण
लघुकथा:गागर में सागर
सार्थक साहित्य मंच
शब्दशः
ज़िन्दगीनामा: लघुकथाओं का सफ़र
अनुपम साहित्य
चिकीर्षा- ग़ज़ल एवम् लघुकथा को समर्पित एक प्रयास
क्षितिज
फलक (फेसबुक लघु कथाएं)
बोल हरियाणा रेडियो से रवि यादव तथा विगत वर्ष से 'अविरामवाणी" यूट्यूब के मंच से लघुकथा पर निरंतर चर्चा हो रही। इनके अतिरिक्त भी सोशल मीडिया ग्रुप आदि होंगे लेकिन मुझे ज्ञात नहीं अथवा भूलवश मुझे याद नहीं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतरीन है। नये प्रतिभावान लेखक इसकी मशाल उठाये हुए हैं। लेकिन जैसा कि प्राचीन भारत में छोटी-छोटी रियासतों के राजा आपस में लड़ते रहते थे और उनके लड़ने से इसका लाभ बाहर वालों ने बखूबी उठाया, ठीक यही दशा लघुकथा की भी है सब अपनी अपनी रियासत को लेकर आत्ममुग्ध बैठे हैं...। परन्तु फिर भी कितने ही ऐसे उल्लेखनीय नाम हैं जो निस्वार्थ भाव से लघुकथा के प्रतिष्ठार्थ कार्य कर रहे हैं। आशा है जल्दी ही इसे अपना लक्ष्य हासिल होगा।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कोई भी जड़ जंगम तब तक संतुष्टि नहीं देता जब तक वह मुख्य धारा में न आ जाए, जब तक समाज हित के लिए उसका उपयोग न होने लगे । कहते हैं- " जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?" लघुकथा का विधाओं में नाम न होना उसे राजकीय ,राष्ट्रीय विधा में शामिल न किया जाना,कोई लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार न मिलना, बड़े लेखकों के द्वारा इस विधा से दूरी बनाए रहना, संतुष्ट तो नहीं करते लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। इसलिए मैं इस विधा के प्रति आशान्वित हूंँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं बेहद परिष्कृत और अध्यवसायी, धार्मिक तथा नैतिक पृष्ठभूमि से हूंँ। मार्गदर्शक के रूप में अभी अपने को नहीं देखती । क्योंकि अधकचरा ज्ञान ज़हर के समान होता है। जो न अपना भला करता और दूसरे को तो ख़त्म ही कर देता है। इसलिए अभी मैं राही ही हूंँ, सिद्ध नहीं ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार, मेरे लेखन की पृष्ठभूमि में रहता है। मेरी चमक (यदि है तो) उसी की आभा से मंडित है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे जीवन यापन में लेखन से धन-लाभ की स्थिति नगण्य है। यदा कदा हजार पांँच सौ से घर नहीं चलता। मेरी आजीविका का साधन मुख्यत: नौकरी है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - कोई भी चीज एक एनर्जी बनकर जब एक दिशा में प्रवाहित होती है तो वहांँ एक बड़े बदलाव को आने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि कई अच्छे लेखकों ने लघुकथा की पतवार थाम रखी है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - साहित्य, लघुकथा का हो अथवा कविता का या कि कहानी का, साहित्य हमेशा से समाज का दर्पण रहा है। लघुकथा साहित्य से भी समाज की ढ़की छुपी विडम्बनाएंँ, मन की ग्रंथियांँ,समाज में व्याप्त कुरीतियांँ अच्छाइयांँ आदि सभी का दर्शन होता है तथा हांँ हम भी यही कहना चाहते थे ऐसा भाव आता है। और यदि बात करें लघुकथा की तो लघुकथा ने मुझे साहित्य जगत से न केवल रूबरू करवाया अपितु स्थापित भी किया है आज जितनी भी मेरी कीर्ति अपकीर्ति है यह लघुकथा के कारण ही है।
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क्रमांक - 011
प्रकाशित पुस्तकें : -
लघुकथा संग्रह : मेरी सौ लघुकथाएं
सम्पादित लघुकथा संकलन : पड़ाव और पड़ताल ( आठ भाग )
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, सेज गगन में चांद की, आखेट महल, अकाब, जल तू जलाल तू, राय साहब की चौथी बेटी, ज़बाने यार मनतुर्की।
कहानी संग्रह: अंत्यास्त, थोड़ी देर और ठहर, ख़ाली हाथ वाली अम्मा, सत्ताघर की कंदराएं, प्रोटोकॉल।
आत्मकथा (तीन खंड): इज्तिरार, लेडी ऑन द मून, तेरे शहर के मेरे लोग।
सम्प्राप्ति : पूर्व प्रोफ़ेसर(पत्रकारिता व जनसंचार) एवं निदेशक, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान)
पता : बी -301 , मंगलम जाग्रति रेसीडेंसी, 447 कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर-302004 - राजस्थान
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - किसी सीमित कलेवर में प्रवाह, प्रभाव, संवेदना अथवा विवेचना "क्षणिक" होना श्रेयस्कर है। अतः क्षणिकता ही लघुकथा का मूल तत्व है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सुश्री कांता राय , बीजेन्द्र जैमिनी, चित्रा मुद्गल, भगीरथ परिहार और सुकेश साहनी।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - भाषा, प्रवाह, प्रभाव, क्षणिकता, कथ्य की नवीनता।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फ़ेसबुक और ब्लॉगिंग से पर्याप्त चर्चा/प्रतिक्रिया तथा अभिलेखन संभव है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - इसे स्वीकार्यता मिली है किंतु अभी कई पाठकीय व लेखकीय कसौटियां बाक़ी हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मात्रात्मकता की दृष्टि से स्थिति पर्याप्त संतोष जनक है पर गुणवत्ता पर निरंतर कार्य करने की ज़रूरत है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं शैक्षणिक परिवेश से हूं तथा लिखने- पढ़ने में "पाठक- लेखक समीकरण" को महत्व देता रहा हूं।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - ज़्यादा भूमिका नहीं है किंतु कोई अवरोध भी नहीं हैं। पूरी स्वतंत्रता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखकीय सरोकारों ने आजीविका में हमेशा बाधा ही पहुंचाई है। मैं इन दोनों को अलग- अलग मानता हूं। लेखन को आजीविका से जोड़ना श्रेयस्कर नहीं होता।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - भविष्य अच्छा है, इसे लोकप्रियता मिलेगी किंतु इससे किसी लेखक की ज़्यादा अपेक्षा दोनों को नुक्सान पहुंचायेगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - समय से समायोजन तथा लेखक समुदाय से विहंगम और विशाल संपर्क।
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क्रमांक - 012
प्रकाशित पुस्तकें : -
कविता संग्रह –
- मैं बरगद - पहले पहल प्रकाशन ,भोपाल (बरगद पर 131 कविता, गोल्डन बुक ऑफ़ रिकार्ड , इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड में शामिल )
- आँचल (माँ पर 111 कविता) मीरा पब्लिकेशन , इलाहाबाद
- सिसकती दास्तान (किन्नरों पर 121 कविता ) विकास पब्लिकेशन कानपुर
- हस्ताक्षर हैं पिता ( पिता पर 1111 कविताएँ ) पहले पहल प्रकाशन भोपाल,
- कहती हैं किताबें (किताबों पर 80 कविताओं ) की ई बुक
बाल साहित्य : -
- असर आपका’, (विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन -आगरा )(गद्य काव्य)
- ‘मुझे क्यूँ मारा (जय माँ पब्लिकेशन ,भोपाल) (गद्य काव्य)
- मेरा क्या कुसूर ( जय माँ पब्लिकेशन ,भोपाल ) (गद्य काव्य)
- पुस्तक मित्र महान (मून पब्लिशिग हाऊस ,भोपाल) (काव्य संग्रह)
- मुस्कान ( बाल कल्याण एवं शोध संस्थान भोपाल) (काव्य संग्रह)
- लघुकथा संग्रह :-
तितली फिर आएगी ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- लकी हैं हम ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- मूल्यहीनता का संत्रास ( जी एस पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूटर, दिल्ली )
- गांधारी नहीं हूँ मैं ( विकास पब्लिकेशन कानपुर )
- धीमा जहर (वनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- दहलीज का दर्द ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
साक्षात्कार संग्रह : -
लघुकथा का अंतरंग (लघुकथा पर पहला ऐतिहासिक साक्षात्कार )
उपन्यास : -
मंगलमुखी (किन्नर पर) विकास पब्लिकेशन कानपुर
कहानी संग्रह-
- सिंदूर का सुख ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध संस्थान आगरा )
- साँझीबेटियाँ ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध आगरा )
समीक्षा :–
- पयोधि हो जाने का अर्थ (कौशल प्रकाशन, फैजाबाद)
- उत्तर सोमारू ( कौशल प्रकाशन, फैजाबाद )
- मधुकांत की इक्यावन लघुकथाओं का समीक्षात्मक अध्ययन ( मोनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए (ई बुक )
- लघुरूपक – 20 पुस्तकें (माँ पब्लिकेशन भोपाल)
विशेष : -
- पिछले 9 वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर संचालन, कहानी तथा कविताओं का प्रसारण
- फिल्मांकन : उपन्यास ‘मंगलामुखी के एक अंश पर पायल फाउन्डेशन लखनऊ द्वारा 30 मिनट की फिल्म का निर्माण ‘यह कैसी सोच’
- पाठ्यक्रम : मध्यप्रदेश बोर्ड में रक पाठ स्कूली शिक्षा में , तथा 5 लघुकथाएं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल
- मेरे लघुकथा संग्रहों पर महाराष्ट्र की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है |
- हस्ताक्षर हैं पिता - 1145 पृष्ठ , दो खंडों में कविता संग्रह पर राजस्थान की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है
सम्मान : -
- अंतराष्ट्रीय सम्मान – 4
14 राज्यों से सम्मानित - 52 राज्य एवं राष्ट्रीय सम्मान
पता : 30 सीनियर एमआईजी, अप्सरा काम्प्लेक्स, इंद्रपुरी, भेल क्षेत्र ,भोपाल- 462022 मध्यप्रदेश
व्यवसाय- सहायक शिक्षक
लेखन- बालकहानी, लघुकथा व कविता
संपादन- लघुकथा मंथन, बालकथा मंथन, चुनिंदा लघुकथाएं, मनोभावों की अभिव्यक्ति, मप्र की बाल कहानियाँ
प्रकाशित पुस्तकें-
1- कुँए को बुखार
2- आसमानी आफत
3- काँव-काँव का भूत
4- कौनसा रंग अच्छा है?
5- लेखकोंपयोगी सूत्र और 100 पत्रपत्रिकाएं
6- चाबी वाला भूत
7 - संयम की जीत उपन्यास
8 - हाइकु संयुक्ता
9 - घमंडी सियार और अन्य कहानियां
10- कसक लघुकथा संग्रह
11- चुनिंदा लघुकथाएं संपादन
12- रोचक विज्ञान बालकहानियाँ
13- पहाड़ की सैर
14- चूँचूँ की कहानियाँ
15- मनोभावों की अभिव्यक्ति
16- संयम की जीत
17- हाइबन: चित्र-विचित्र
18- पहाड़ी की सैर
19- आजरी विहीर (मराठी अनुवाद)
20- काव काव चे भूत (मराठी अनुवाद)
21- आसमानी संकट (मराठी अनुवाद)
22- कोणता रँग चाँगला आहे? (मराठी अनुवाद)
23- लघुकथाकारों की मेरी चुनिंदा लघुकथाएं
24- देश-विदेश की लोककथाएं
संकलन में सहभागिता--
1- बून्द-बून्द सागर
2- अपने अपने क्षितिज
3- नई सदी की धमक
4- शत शताब्दी हाइकू संग्रह
5- हमारे समय की श्रेष्ठ बालकथाएं
6- सांझ के दीप
7- चुनिंदा लघुकथाएं
8- हाइकु मंथन
9- चले नीड की ओर
10- अपने-अपने क्षितिज
11- बूंद बूंद सागर
12- कहानी प्रसंग
13- विविध प्रसंग
14- आस पास से गुजरते हुए
15- सफर संवेदनाओं का
16- नई सदी की लघुकथाएं
17- विश्व हिंदी लघुकथाकार कोश
18- चमकते सितारे भाग 1
19- नया आकाश आदि ।
उपलब्धि- 141 बालकहानियों का 8 भाषा में प्रकाशन व अनेक कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित
इ-बुक-- 121 ई- बुक प्रकाशित
पुरुस्कार-
●इंद्रदेवसिंह इंद्र बालसाहित्य सम्मान-2017,
●स्वतंत्रता सैनानी ओंकारलाल शास्त्री सम्मान-2017 ,
●बालशौरि रेड्डी बालसाहित्य सम्मान- 2015 ,
●विकास खंड स्तरीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय 2017 ,
●लघुकथा में जयविजय सम्मान-2015 प्राप्त,
●काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान- 2017 प्राप्त,
●26 जनवरी 2018 को नगर पंचायत रतनगढ़ द्वारा _वरिष्ठ साहित्यकार_ सम्मान 2018 ,
●सोमवंशीय क्षत्रिय समाज इंदौर द्वारा _क्षत्रिय गौरव_ सम्मान 2018 ,
● नेपाल में _वरिष्ठ साहित्य साधक_ सम्मान 2018 ,
●मेघालय के राज्यपाल के हाथों _महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान_-2018 प्राप्त,
●बालसाहित्य संस्थान उत्तराखंड द्वारा अखिल भारतीय राजेंद्रसिंह विष्ट स्मृति सम्मान बालकहानी प्रतियोगिता 2018 में तृतीय स्थान का सम्मान प्राप्त,
●नेपाल-भारत साहित्य सेतु सम्मान- २०१८,
●नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय रत्न सम्मान- २०१८ (बीरगंज नेपाल )में प्राप्त .
●मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा *रजत-पदक* से सम्मानित ।
● क्रान्तिधरा अंतरराष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान-2019 से सम्मानित।
● आचार्य रतनलाल विद्यानुग स्मृति अखिल भारतीय बालसाहित्य प्रतियोगिता में शब्द निष्ठा सम्मान 2019
● साहित्य मंडल श्री नाथद्वारा द्वारा राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह 2020 में श्रीभगवतीप्रसाद देवपुरा बालसाहित्य भूषण सम्मान से सम्मानीत।
पता- पोस्ट ऑफिस के पास , रतनगढ़ जिला-नीमच - 458226 मध्यप्रदेश
रूचि : लेखन, संगीत
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन, कई मंचों से जुड़कर साहित्य सेवा
विधा : कहानी, लघुकथा, कविताओं आदि
सम्मान : -
1.साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान।
2.आगमन द्वारा तीन बार सम्मनित।
3. पूर्वाषा हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सौरभ सम्मान.
4. अलग अलग मंचों द्वारा मेरी कहानी, लघुकथाएं को श्रेष्ठ रचना का सम्मान।
Address : 5C ,5th floor , pink House , A, K. Azad Road , Rehabari -781008 Guwahati - Assam
उत्तर - लघुकथा में मेरे हिसाब महत्वपूर्ण तत्व एक कसा हुआ कथातत्व और कुछ संदेश अवश्य छुपा होना चाहिए।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर- समकालीन लघुकथा साहित्य में आ. ओम नीरव जी, आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी, आ. सतीशराज पुष्करणा जी, आ सुकेश साहनी जी, आ. योगराज प्रभाकर जी आदि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में जो जरूरी मापदंड होने चाहिए वह है कि आवश्यकता से अधिक एक शब्द भी ना हो दूसरा पंचलाइन उसकी ऐसी हो की अनकहे शब्दों से ही पाठक बहुत कुछ समझ जाय तीसरा शीर्षक ऐसा हो कि पाठक पढ़ने को मजबूर हो जाए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, आदि प्लेटफार्म की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत ही सम्मानजनक है। कम और नपे तुले शब्दों में समाज के सामने अपने सशक्त शब्दों से अपना उद्देश्य रखने में सफल होती दिख रही हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि की बात करें तो मैं कहूंगी कि पूरी तरह तो संतुष्ट हम कभी नहीं हो सकते।लेकिन लघुकथा की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर संतुष्टि जरूर होती हैं।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि की बात करूं तो मैं एक व्यवसायिक परिवार में पली - बढ़ी हूं। साहित्य जगत से हमारा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। लेकिन मेरी रुचि बचपन से ही साहित्य में रही है। मुझे बड़े बड़े साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ना अच्छा लगता था। फिर धीरे-धीरे लिखना शुरू किया और कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाएं भेजने लगी, साहित्य की ओर मेरा रुझान बढ़ता ही गया। आज कई साहित्य मंचों से जुड़कर मैं सक्रिय और स्वतंत्र लेखन कर रही हूं।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है खासकर मेरे पति जो सदैव मेरी रचना को पढ़ते सुनते हैं और यथासंभव मेरा मार्गदर्शन भी करते हैं । सब के सहयोग के बिना लेखन में समय देना शायद संभव नहीं होता। अपने पति, बच्चों और अपने पुरे परिवार से मुझे भरपूर सहयोग और सराहना मिलती है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैंने लेखन को कभी आजीविका से जोड़ा ही नहीं। मैं अपनी आत्म संतुष्टि के लिए लिखती हूं और प्रयास करती हूं की मेरे लेखन से समाज में कुछ अच्छा संदेश जाए।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। यह एक लोकप्रिय विधा बन कर उभर रही हैं। आज की दौड़ती भागती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है कि वह लंबी-लंबी कहानियां पढ़ें। ऐसे में लघुकथा को सभी बहुत पसंद करने लगे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - जी लघुकथा साहित्य से मुझे एक नई पहचान मिली है। देश की कई पत्र-पत्रिकाओं ने ससम्मान मेरी लघुकथाओं को प्रकाशित किया है। मैंने काफी लघुकथाएं लिखी है। मेरा एक लघुकथा संग्रह भी प्रकाशन में है।
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क्रमांक - 015
लेखन : -
कहानियां, शोधपरक आलेख ,कविताएं ,व्यंग्य, बाल साहित्य तथा लघुकथा
प्रकाशित : -
शपथयात्रा (लघुकथा संग्रह), किताबघर, दिल्ली से "लघुकथाओं का पिटारा" प्रकाशित तथा पुरस्कृत।
अनुवादित कृतियां : -
"शपथयात्रा" (100 लघु कथाएं मराठी में )
"लघुत्तम कथांचा गुलदस्ता"(112 लघुकथाएं मराठी में )
" कथांजलि:"(55 लघुकथाएं ,मूल पाठ सहित संस्कृत में )(संस्कृत में अनूदित पहला लघुकथा संग्रह)
"बदलते पैमाने"(117 लघुकथाएं उर्दू में अनूदित)(पाकिस्तान में पढ़ा जा रहा)
"सतरंगी लघुकथाएं"(72 लघुकथाएं सिंधी में )
"डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल दीयां मिन्नी कहाणीयां"(90 लघुकथाएं पंजाबी में )।
संपादन-
"समय का साथी"(काव्य संग्रह)
"समप्रभ"(लघु कथा संकलन)"दैनिक भास्कर",
"अंतरराष्ट्रीय मानस संगम", "वाग्धारा"(लघुकथा विशेषांक)
"रिसर्च 2000","हरिद्रा""काफला इंटरनेशनल"शोध-पत्रिकाओं का संपादन
सम्मान-
- 21वें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में " डॉ परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान" से सम्मानित।
- साहित्य में अविस्मरणीय योगदान के लिए देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
विशेष : -
लगभग 35 वर्षों से साहित्य लेखन में सक्रिय
लगभग 625 लघुकथाएं प्रकाशित
पता : 390, सुदामा नगर, अन्नपूर्णा मार्ग, ए सेक्टर, इंदौर, मध्य प्रदेश 452009
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - कथावस्तु। कथावस्तु के बिना कहानी अथवा लघुकथा की कल्पना नहीं की जा सकती। इसका स्थान सर्वोपरि है। कथाविन्यास पर ही तो लघुकथा निर्भर करती है। तथाकथित लेखकों ने बिना कथावस्तु के लिखने की कोशिश की है ,परंतु पाठकों ने उन रचनाओं को अधिक पसंद नहीं किया। कथावस्तु की सुसंबद्धता और कथ्य प्रभावान्विति होना जरूरी है। कथावस्तु मूलतः तीन प्रकार की मानी गई है-मौलिक ,उत्पाद्य और अनूदित। वैसे शोध (सत्य), बोध (कही गई बात) और क्रोध (व्यंग्य) का उचित मेल लघुकथा को श्रेष्ठता प्रदान करता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइए ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
उत्तर - वैसे तो लघुकथा की विकास यात्रा में अनेक लेखकों ने अपना योगदान दिया है । कुछ महत्वपूर्ण नाम निम्नानुसार हैं : - सतीशराज पुष्करणा जी, मधुदीप गुप्ता जी, योगराज प्रभाकर जी, सुकेश साहनी जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी आदि।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के लिए कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - दरअसल लघुकथा, कहानी का छोटा रूप है। बस थोड़े अलग तेवर वाली विधा है। इसमें घटना का वह रूप सामने आता है ,जो कहानी अथवा उपन्यास में नहीं उभर पाता। छोटा फलक होने पर भी ,यह अपने भीतर एक बड़े फलक को छिपाए रखती है। जो लघुकथा अपने अंदर जितना बड़ा फलक छिपाए रखती है, वह उतनी ही श्रेष्ठ मानी जाती है अतः इस बिंदु पर भी ध्यान देना चाहिए। लघुकथा के क्षेत्र में नए नए विचार, कथ्य, शिल्प, प्रयोग होते रहते हैं। उन पर विशेष ध्यान देकर समीक्षा की जानी चाहिए। वैसे इसके तात्विक विवेचन में औत्सुक्य, भाव, वस्तु, शब्द तत्वों को महत्व दिया गया है। नए-नए प्रयोगों के कारण इसमें प्रयोग तत्व को भी जोड़ा गया है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - टेक्नोलॉजी के संदर्भ में पिछड़ा हुआ हूं। अधिक नहीं जानता। चार, पांच व्हाट्सएप ग्रुप से अवश्य जुड़ा हूं इसलिए मैं इसका परिपूर्ण उत्तर नहीं दे पाऊंगा।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - यह आज सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। सर्वाधिक पाठक होने के कारण इसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाएं, सम्मान के साथ प्रकाशित कर रही हैं। वह पाठको के साथ तादात्म्य स्थापित कर रही हैं। वह पाठकों के जख्मों में मरहम लगाने का काम कर रही है । उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर रही है।
इस प्रश्न के उत्तर के लिए यदि हम गहराई में जाते हैं तो पाते हैं कि आज तीन प्रकार की लघुकथाएं दृष्टिगोचर हो रही हैं। एक तो वे लघुकथाकार है ,जो इसके लेखन को बहुत आसान मानकर, इसे वह फैशन की तरह ले रहे हैं। सपाट लेखन कर रहे हैं। वे रिपोर्ताज और लघुकथा के अंतर को नहीं समझ पा रहे हैं। नए-नए प्रयोगों पर उनका जरा भी विश्वास नहीं है। ना हीं वे लघुकथा के शिल्प पर ध्यान दे रहे हैं और ना हीं लघुकथा की गंभीरता पर। दूसरे प्रकार के लेखक वे हैं जो इनोवेशन के नाम पर विदेशी साहित्य का अंधानुकरण कर लघुकथा के शिल्प को इतना जटिल बना रहे हैं कि आमजन को उसे समझ पाना बहुत कठिन हो रहा है। दरअसल वे अपनी क्लिष्ट रचनाओं से आमजन को लघुकथा से दूर करने का काम कर रहे हैं। उनकी रचनाओं में थोपे गए शिल्प से संप्रेषणीयता को क्षति पहुंच रही। ऐसे लेखक सिर्फ विद्वानों के लिए ही लिख रहे हैं, आमजन से उनका कोई लेना देना नहीं है। वे या तो पुरस्कारों के लिए लिख रहे हैं या अपनी विद्वत्ता के प्रदर्शन के लिए अथवा समूह विशेष को खुश करने के लिए लिख रहे हैं। वे यह समझना ही नहीं चाहते कि साहित्य की रचना जीवन और समाज की रक्षा के लिए की जाती है, लोक कल्याण की भावना को केंद्र में रखकर साहित्य रचा जाता है। मेरा मानना है कि समाज की जरूरत और मांग के आधार पर साहित्य रचा जाता रहा है, तभी साहित्य का अभीष्ट पूरा होता है। आज समाज हमसे सकारात्मक सोच, प्रेरणादाई, संप्रेषणीय रचनाएं मांग रहा है और तथाकथित लेखक उसे मानसिक व्यायाम करने वाली रचनाएं दे रहे। ऐसे लघुकथाकारों की तुलना में नीरो से करता हूं। रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजाने में लगा था। तीसरे वे लघुकथा लेखक हैं, जो सरल भाषा में गहराई वाली बात कर रहे हैं। लघुकथा को गंभीरता से ले रहे हैं। वे लघुकथा को समाज की बुराईयों को दूर करने का वाला अस्त्र-शस्त्र मान रहे हैं। वे संप्रेषणीयता को ध्यान में रखकर , जनजागृति का लक्ष्य लेकर लेखन कर रहे हैं। वह नए-नए समसामयिक विषय तलाश रहे हैं। नए-नए प्रयोग भी कर रहे हैं। जनता जनार्दन को जगाने, उसे प्रेरणा देने का उद्देश्य रखकर लिख रहे हैं। अपनी लघुकथाओं के माध्यम से समाज में वे राष्ट्रीयता का भाव पैदा कर रहे हैं। वे बधाई के पात्र हैं। मेरा आशय यह कदापि नहीं कि हम शिल्प पर ध्यान ही नहीं दें या नए नए प्रयोग ना करें। आशय यह है कि आमजन को लक्ष्य कर रचनाएं लिखें ,ताकि उनके लिए रचना बौद्धिक व्यायाम सिद्ध न हो सके। संसार में जितने भी महान लेखक हुए हैं उन्होंने आमजन को जगाने के लिए सहज शिल्प का सहारा लिया है। उन्होंने भी इनोवेशन पर ध्यान दिया है। उन्होंने सिर्फ पुरस्कारों के लिए नहीं लिखा और ना ही सिर्फ बुद्धिजीवियों के लिए लिखा। मुंशी प्रेमचंद, टॉलस्टॉय, शेक्सपियर, ईब्शन, थॉमस हार्डी, ओ हेनरी, जेन ऑस्टन, आर के नारायण आदि के नाम सहज ही दिमाग में आ जाते हैं। हमें इन लेखकों को अपना आदर्श बनाना होगा तभी साहित्य के उद्देश्य की पूर्ति होगी और जनता में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न होगी।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - मेरा मानना है कि समाज को जगाने का जो कार्य स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कविता ने किया था, आज बिगड़ते जा रहे समाज को सुधारने का वही कार्य लघुकथा कर सकती है। आज कविता, चुटकुलेबाजी और अति बौद्धिकता में फंस गई है। इस कारण सर्वप्रिय होने के कारण यह जिम्मेदारी लघुकथा पर आ गई है। लेखकों को केवल पश्चिम देशों से आए आयातित विचारों को त्याग कर, भारतीय संस्कृति के व्यापक तत्वों को स्वीकारना चाहिए। ऐसा ना हो जाए कि शब्द हमारे हों और आत्मा विदेशी।।! तथाकथित लेखकों ने अपना अपना समूह बना लिया है जिससे लघुकथा विधा को क्षति पहुंच रही है। लेखक समूह और आत्मश्लाघा में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। राजनीति की तरह वे जीते जी खुद की मूर्ति बनवा कर ,खुद को स्थापित करने में लगे हुए हैं। समीक्षा का हाल यह है कि मैं आपकी प्रशंसा करूं और आप मेरी। लघुकथा को अच्छे समीक्षकों की दरकार है। तथाकथित लेखक प्रयोगों के नाम पर अनर्गल लिख रहे हैं। कुछ ऐसे भी लेखक हैं जो अपनी लघुकथाओं में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग ज़बरदस्ती कर रहे हैं ,जबकि हिंदी एक समृद्ध भाषा है। हां, जिन विदेशी शब्दों को हमने अपना लिया ,उनकी बात अलग है। यूं तो लघुकथाएं बहुत लिखी जा रही हैैं परंतु उनमें जो राष्ट्र की आत्मा नजर आनी चाहिए, वह नजर नहीं आ रही। यदि लेखक थोड़ा सावधान हो जाए तो निश्चित तौर पर लघुकथा, कला के उच्च आयामों को स्पर्श करेगी और समाज में स्वस्थ तथा व्यापक मूल्यों को भी स्थापित करेगी।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं? किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - मैं मध्यमवर्गीय परिवार से रहा। महाविद्यालय में 'वार्षिक पत्रिका' का संपादन किया। बहुत सारे विद्यार्थियों को साहित्य से जोड़ने की कोशिश की। अनेक विद्यार्थियों को सृजन की प्रेरणा दी ,उनका मार्गदर्शन किया। नए लेखकों को प्रोत्साहन दिया। बहुत सारे साहित्यकारों की पुस्तकों में भूमिका या टिप्पणी लिखी। 30 - 35 वर्षों में ढेरों पुस्तकों का लोकार्पण किया। राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त साहित्यकारों के अभिनंदन ग्रंथ अथवा स्मारिकाओं का संपादन किया। दैनिक भास्कर अखबार में साहित्य संपादन किया। साहित्य कलश मध्य प्रदेश, साहित्यिक संस्था में महासचिव रहा । तब प्रदेश स्तर का " ईश्वर पार्वती सम्मान "मध्य प्रदेश के लघुकथाकारों की प्रविष्ठियां बुलाकर, समिति द्वारा चयन होने पर, प्रतिवर्ष एक लघुकथाकार को यह सम्मान प्रदान किया। देश के ख्यात 16 लघुकथाकारों की लघुलघुकथाओं का संकलन "समप्रभ" का संपादन किया। अनेक शोध पत्रिकाओं का संपादन किया।
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - परिवार में पिता जी तथा बड़ी बहन एम.ए.हिंदी थे। यद्यपि पिताजी और दीदी ने सृजन तो नहीं किया । परंतु वे अच्छे पाठक जरूर रहे। घर में साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं आती थी। उनसे प्रेरणा पाकर , मैं सृजन करने लगा।
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - महाविद्यालय में हिंदी का प्राध्यापक रहा, प्राचार्य रहा। बुद्धिजीवियों के बीच रहा इसलिए साहित्य सृजन में रत रहने के कारण मुझे उनसे खूब प्रोत्साहन और सम्मान मिला।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - उज्ज्वल। बस लेखकों से सावधानी अपेक्षित है कि वह अपनी रचनाओं को अति बौद्धिकता या सपाट पन से बचाएं। नए नए प्रयोग करें लेकिन उसे जटिलता से मुक्त रखें अन्यथा जैसे आज कविता चारदीवारी में बंद होकर केवल बुद्धिजीवियों के लिए बौद्धिक विलास बन गई है, वही स्थिति लघुकथा की भी हो जाएगी। लेखकों से निवेदन है कि वे देश की सभ्यता, संस्कृति ,रीति नीतियों, श्रेष्ठ परंपराओं, भावों और विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली लघुकथाओं का सृजन करें ताकि समाज में बदलाव आए और साहित्य के उद्देश्य की पूर्ति हो सके।
प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - मैंने लोक कल्याण की भावनाओं को ध्यान में रखकर लघु कथाएं लिखने की कोशिश की है। विद्वानों या किसी समूह विशेष को प्रसन्न करने या पुरस्कारों का लक्ष्य लेकर साहित्य नहीं रचा। यश भी प्राप्त हुआ। अनुवादकोंं को मुझे खोजना नहीं पड़ा ,उन्होंने आगे बढ़कर रुचि दिखाई। परिणामस्वरूप मराठी, उर्दू, संस्कृत, सिंधी ,पंजाबी भाषाओं में 6 अनुवादित कृतियां प्रकाशित हुईं। गुजराती और अंग्रेजी में भी अनुवाद का कार्य चल रहा है।
"किताबघर" दिल्ली जैसे प्रकाशन ने पांडुलिपि मांग कर प्रकाशित की। "अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच" ने " लघुकथाओं का पिटारा " कृति पुरस्कृत की। मंच ने " डॉ परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान " से सम्मानित किया। ईश्वर की कृपा से जो मिला , उससे संतुष्ट हूं।
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क्रमांक - 016
विधा : कविता , लघुकथा , कहानी , हाइकु लेखन इत्यादि
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन
उद्देश्य : समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं विसंगतियों को अपने लेखन से दूर करने का एक छोटा सा प्रयास ।
विदेश यात्रा :-अमेरिका , इंग्लैंड , पेरिस , आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड , नीदरलैंड आदि
पुस्तकें :-
1 धूप के रंग -कविता संग्रह(2014)
2 छोटी सी आशा - लघुकथा संग्रह (2015)
3 सुरमई उजाला -काव्य संग्रह (2018 )
4 चाहत का आकाश -कविता संग्रह (2020)
5 शीशे की दीवार -कहानी संग्रह (2021)
6 पिघलता मन- कविता संग्रह,
7 क्षितिज के उजाले -लघुकथा संग्रह (अमेजन किंडल पर )
8 केरल सरकार द्वारा मेरी बाल कहानी 'बिखरते सपने' मलयालम में अनुवादित होकर बाल कहानी संग्रह में प्रकाशित । (2018)
प्रसारण : -
जयपुर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारण
पुरस्कार एवं सम्मान:-
- अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर 2015में कविता’आक्रोश’पुरस्कृत
- कुमुद टिक्कु लघुकथा प्रतियोगिता 2015 में लघुकथा ’वसीयत’पुरस्कृत
- म ग स म द्वारा वर्ष 2015 में लाल बहादुर शास्त्री पुरस्कार
- अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर 2016 में लघुकथा ’गृह प्रवेश’
- जगमग दीप ज्योति द्वारा वर्ष 2016 में अ .भा.साहित्यकार सम्मान
- कुमुद टिक्कु कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2016 में कहानी ’आखरी फैसला’ पुरस्कृत
- शब्द निष्ठा द्वारा कविता के लिये वर्ष 2016 में पुरस्कार
- अ.भा. राष्ट्र समर्पण द्वारा 2017 में बाल कहानी ’अंधेरे कोनों के उजाले " पुरस्कृत
- शब्द निष्ठा लघुकथा प्रतियोगिता वर्ष 2017 में ’बाबूजी का श्राद्ध’ पुरस्कृत
- कुमुद टिक्कु कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2017 में कहानी ’सोने का कड़ा ’ पुरस्कृत
- आचार्य महाप्रज्ञ कविता संग्रह में कविता प्रकाशित एवं (ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड)से सम्मानित ।
पता : 140 , न्यु कालोनी , वाल स्ट्रीट होटल के पास,
एम.आई.रोड., पाँच बत्ती , जयपुर - राजस्थान 302001
उत्तर - लघुकथा की विषय वस्तु मुख्य है। कथ्य रोचक होना चाहिये। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अन्त ऐसा हो जो सोचने को विवश कर दे ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य में असंख्य प्रबुद्ध जन हैं जो दिन-रात इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। किसी एक का नाम लेना मेरे लिये बहुत कठिन है। उनमें से कुछ हैं : -
सतीशराज पुष्करणा जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, डॉ. उमेश महादोषी जी ,सुकेश साहनी जी ,शकुन्तला किरण जी आदि ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - 1 लघु में विराटता के दर्शन कराती हो,
2 कथ्य रुचिकर एवं संदेश परक हो,
3 अंत प्रभावशाली हो,
4 भाषा सरल,सहज एवं समृद्ध हो,
5 वर्तनी में त्रुटियाँ ना हों ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर है ?
उत्तर - इस आधुनिक युग में ई-पत्रिका, वाट्स-एप ग्रुप एवं जूम मीटिंग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्य परिवेश में लघुकथा बहुत लोकप्रिय हो रही है। लघु रूप एवं रुचिकर होने की वजह से पाठक इसे तुरंत पढ़ लेना चाहता है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हाँ। लघु होते हुए भी लघुकथा ने वर्तमान साहित्य जगत में अपना योगदान दिया है और अपना आधिपत्य जमा लिया है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी प्रसिद्ध चिकित्सक थे,माँ मेरी हिन्दी प्रेमी रहीं। मैं विज्ञान की विद्यार्थी थी । मैनें विज्ञान विषय में ही शिक्षण किया । मैंने सदा ही अपने लेखन से कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया है । चाहती हूँ कि अपने लेखन से लोगों में जागरुकता फैलाने की और ,अँधेरे से उजाले की ओर ले जाने का कार्य , मैं करती रहूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मुझे परिवार से पूरा पूरा सहयोग मिला । इस नये जमाने में नयी तकनीकी सहायता और कम्पयूटर मुझे परिवार में अपने पति एवं बच्चों से सीखने को मिला ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन का आजीविका से कोई संबंध नहीं है । मेरा लेखन तो स्वांत:सुखाय ही है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा अपने आप में एक सशक्त विधा है। यह लघु में विराटता को उजागर करती है ,अत: इसका भविष्य उज्जवल दिखायी दे रहा है ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मैं तो इतना ही कहना चाहती हूँ कि लघुकथा साहित्य से मुझे मन का सुख तो मिला ही साथ ही मैंने कथा वस्तु का मंथन करना और उसे कम शब्दों में लिखना / पढ़ना भी सीखा ।
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क्रमांक - 017
जन्म तिथि : 9 नवम्बर , 1951
जन्म स्थान :जगाधरी (यमुना नगर - हरियाणा )
पिता : स्वर्गीय श्री मोहन लाल
माता : स्वर्गीय श्रीमति धर्मवन्ती ( जमनी बाई )
गुरुदेव : स्वर्गीय श्री सेवक वात्स्यायन ( कानपुर विश्वविद्यालय )
पत्नी : श्रीमती कृष्णा कुमारी
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( प्राणी - विज्ञान ) कानपुर
बी . एड . ( हिसार - हरियाणा )
लेखन विधा : -
लघुकथा , कहानी , बाल - कथा , कविता , बाल - कविता , पत्र - लेखन , डायरी - लेखन , सामयिक विषय आदि
आजीविका :
शिक्षा निदेशालय , दिल्ली के अंतर्गत 32 वर्ष तक जीव - विज्ञानं के प्रवक्ता पद पर कार्य करने के पश्चात नवम्बर 2013 में अवकाश प्राप्ति : (अब तक के लेखन से सन्तोष )
पुस्तकें : -
- आज़ादी ( लघुकथा - संगृह – 1999 )
- विष - कन्या ( लघुकथा – संगृह 2008 )
- तीसरा पैग ( लघुकथा – संगृह 2014)
- बन्धन - मुक्त तथा अन्य कहानियां ( कहानी – संगृह 2006)
- मेरे देश कि बात ( कविता - संगृह 2006)
- सपने और पेड़ से टूटे पत्ते ( कविता - संगृह 2019)
- बर्थ - डे , नन्हें चाचा का ( बाल - कथा - संगृह 2014) - उतरन ( लघुकथा – संगृह 2019 ) ,
- सफर एक यात्रा ( लघुकथा – संगृह 2020 )
- मुमताज तथा अन्य कहानियां ( कहानी – संगृह 2021) - रुखसाना ( इ - लघुकथा – संग्रह 2019 )
- शंकर की वापसी ( इ - लघुकथा – संग्रह 2019 )
सम्पादन पुस्तकें : -
- तैरते - पत्थर डूबते कागज़ (लघुकथा - संगृह - 2001)
- दरकते किनारे ( लघुकथा - संगृह – 2002 ) ,
- अपूर्णा तथा अन्य कहानियां ( कहानी - संगृह - 2004)
- इकरा एक संघर्ष ( लघुकथा - संगृह – 2021 )
पुरूस्कार : -
1 . हिंदी अकादमी ( दिल्ली ) , दैनिक हिंदुस्तान ( दिल्ली ) से पुरुस्कृत
2 . भगवती - प्रसाद न्यास , गाज़ियाबाद से कहानी बिटिया पुरुस्कृत
3 . " अनुराग सेवा संस्थान " लाल - सोट ( दौसा - राजस्थान ) द्वारा लघुकथा – संगृह ”विष कन्या“ को वर्ष – 2009 में सम्मान
4. स्वर्गीय गोपाल प्रसाद पाखंला स्मृति - साहित्य सम्मान
विशेष : -
- प्रथम प्रकाशित रचना : कहानी " लाखों रूपये " क्राईस चर्च कालेज पत्रिका - कानपुर ( वर्ष –1971 ) में प्रकाशित
- मृग मरीचिका ( लघुकथा एवं काव्य पर आधारित अनियमित पत्रिका वर्ष 2015 से सम्पादन )
पता :
डी-184, श्याम आर्क एक्सटेंशन,
साहिबाबाद -201005 उत्तरप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर : उसका कथ्य अर्थात विषय वस्तु , उसका प्रस्तुतिकरण एवं शब्दों का चुनाव।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : कोई एक नहीं , ढेर सारे नाम है , जो अपने - अपने ढंग से इस विधा को स्थापित एवं समृद्ध कर रहे हैं। , फिर भी बीजेन्द्र जैमिनी जी , बलराम अग्रवाल जी ,योगराज प्रभाकर जी एवं कमल चोपड़ा जी का नाम केवल इसलिए लेना चाहूंगा क्योंकि वे साहित्य की इस विधा में निःस्वार्थ भाव और पूरी लगन के साथ लघुकथा विधा को समृद्ध करने में लगे हैं । इतना ही नहीं वे ढेर सारे नए हस्ताक्षरों को भी इस विधा में लेकर आये हैं। साथ ही स्वर्गीय जगदीश कश्यप जी को भी याद करूँगा जिन्होंने पहली बार मुझे एहसास करवाया कि मैं भी लघुकथा का एक सिपाही बन सकता हूँ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर : मैं लघुकथा को किसी प्रकोष्ठ में कैद करने में विश्वास नहीं करता। कम शब्दों में यदि लघुकथा एक सामान्य पाठक की संवेदनाओं को स्पर्श कर लेती है तो वही उस लघुकथा विशेष का उदेश्य पूरा कर देती है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : सभी के अपने - अपने पाठक हैं , इसलिए सभी का अपना महत्व है। साहित्य का सामान्य पाठक तक पहुंचना आवश्यक है। डिजिटल माध्यम यह कार्य अच्छे ढंग से कर रहा है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर : लघुकथाओं मेँ गंभीर तत्वों के साथ , सर्वकालिक विषयों का अभाव है। राष्ट्र - चिंतन को लेकर भी कम लघुकथाएं लिखी जा रही हैं। देश को मजहबी कट्टरवाद ने घेर रखा है और इस पर रचनाये कम देखने को मिलती हैं तो असुविधा होती है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर : हाँ , यह विधा निरंतर प्रगति पर है और सामान्य पाठक इन्हें पढ़ना भी चाहता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर : एक अति सामान्य परिवार , जिसमें सह्त्यिक रूचि या लेखन से कभी कोई जुड़ाव् नहीं था। सामान्य पाठक मेरी रचनाओं को पढ़कर जब अपनी प्रतिक्रिया देता है , तब संतोष का अनुभव होता है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर : कुछ भी नहीं। हाँ , माँ - पिता का आभारी आवश्य हूँ कि उन्हीं के माध्यम से मुझे लेखन की क्षमता ईश्वर ने दी। लेखन को मैं एक नैसर्गिक गुण मानता हूँ जो हमारे गुणसूत्रों में होता है और गुणसूत्र हमें माँ - पिता से मिलते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर : स्वांत सुखाय , लेखन से कोई आय नहीं , निवेश आवश्य होता है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर : लघुकथा साहित्य का भविष्य उज्जवल है। खूब अपनाया जायेगा इस विधा को। संख्या होगी तो गुणवत्ता भी निकलेगी। निकल भी रही है। तेजी से भागते समय में लोगों के पास समय का अभाव है , इसलिए पाठक लघुकथाओं को पढ़ते हैं और स्तरीय लघुकथाओं को सराहते भी हैं । इसलिए लघुकथा के भविष्य को लेकर आश्वस्त हूँ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर : आत्म संतोष , रूचि का पोषण , मानसिक सुख ईश्वर ने जो सामर्थ्य बक्शी , उसके प्रति आभार की अभ्व्यक्ति।
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क्रमांक - 018
लेखन विधा : लघुकथा, कहानी, आलेख, समीक्षा
प्रकाशित संग्रह :-
एक लघु संग्रह 'दिन अभी ढला नहीं' (2021,जन लघुकथा साहित्य समूह, नवीन शाहदरा दिल्ली द्वारा)
भागीदारी के स्तर पर कुछ प्रमुख संकलन :-
'बूँद बूँद सागर’ 2016,
‘अपने अपने क्षितिज’ 2017,
‘लघुकथा अनवरत सत्र 2’ 2017,
‘सपने बुनते हुये’ 2017,
‘भाषा सहोदरी लघुकथा’ 2017,
'स्त्री–पुरुषों की संबंधों की लघुकथाएं’ 2018,
‘नई सदी की धमक’ 2018,
'लघुकथा मंजूषा’ 2019,
‘समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019
लघुकथा -2019 ( ई- लघुकथा संकलन )
जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019
साहित्य क्षेत्र में पुरस्कार / सम्मान :-
पहचान समूह द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा’ प्रतियोगिता (२०१६) में प्रथम स्थान।
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथ मंच द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता (२०१७) में ‘लघुकथा स्वर्ण सम्मान’।
मातृभारती डॉट कॉम द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता (२०१८) ‘जेम्स ऑफ इंडिया’ में प्रथम विजेता।
प्रणेता साहित्य संस्थान एवं के बी एस प्रकाशन द्वारा आयोजित “श्रीमति एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान” 2018 (कहानी प्रतियोगिता) और 2019 (लघुकथा प्रतियोगिता) में प्रथम विजेता।
जैमिनी अकादमी द्वारा 24 वी अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2018 में सात्वना पुरस्कार
पता :
एफ - 62 , फ्लैट नं - 8 , गली नं - 7, मंगल बाजार के पास , लक्ष्मी नगर , दिल्ली - 110092
जन्म तिथि - 1 जनवरी 1966
जन्म स्थान - ग़ाज़ीपुर (उ.प्र.)
शिक्षा - एम.एस-सी; एम.एड् ; एम.ए. (हिंदी)
संप्रति - अध्यापन ( राजकीय सेवा )
लेखन विधा - लघुकथा, कविता, कहानी, व्यंग्य
प्रकाशित पुस्तक : -
संवेदनाओं के स्वर (लघुकथा संग्रह)
प्रकाशित साझा संग्रह : -
(1) आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ (बोधि प्रकाशन)
(2) सहोदरी कथा - 1 (लघुकथा)
(3) दीप देहरी पर (लघुकथा) - उदीप्त प्रकाशन
(4 )सहोदरी सोपान - 4 (काव्य संग्रह)
(5) यादों के दरीचे ( संस्मरण)
(6) परिंदो के दरमियाँ ( सं. - बलराम अग्रवाल)
(7) कलमकार संकलन - 1, 2, 3 - कलमकार मंच
(8) प्रेम विषयक लघुकथाएँ ( अयन प्रकाशन)
(9) नयी सदी की लघुकथाएँ (सं. - अनिल शूर आजाद)
(10) लघुकथा मंजूषा -2, 3, 5 ( वर्जिन साहित्यपीठ)
(11) चुनिंदा लघुकथाएँ (विचार प्रकाशन)
(12) मेरी रचना (रवीना प्रकाशन )
(13) स्वाभिमान ( मातृभारती )
(14) मिलीभगत (साझा व्यंग्य संकलन)
(15) इन्नर (सं. - विभूति बी.झा)
(16) श्रमिक की व्यथा - काव्य संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(17) लम्हे - लघुकथा संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(18)चलें नीड़ की ओर - लघुकथा संकलन (अपना प्रकाशन)
(19) नयी लेखनी नये सृजन - कहानी संकलन (इंक पब्लिकेशन)
(20) इक्कीसवीं सदी के श्रेष्ठ व्यंग्यकार (सं. लालित्य ललित, राजेश कुमार)
(21) जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(22) मां ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(23) लोकतंत्र का चुनाव ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(24) नारी के विभिन्न रूप ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(25) लघुकथा - 2020 ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना ( ई- काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान : -
- अखिल भारतीय शब्द निष्ठा सम्मान ( लघुकथा ) - 2017 (राजस्थान)
- प्रेमनाथ खन्ना सम्मान - 2017 (पटना)
- भाषा सहोदरी सम्मान - 2017
- प्रतिलिपि कथा सम्मान - 2018
- साहित्य भूषण सम्मान - 2018(काव्य रंगोली पत्रिका समूह)
- भारतीय लघुकथा विकास मंच , पानीपत - हरियाणा द्वारा " कोरोना योद्घा रत्न सम्मान - 2020 " से सम्मानित
विशेष : -
अतिथि संपादन - देवभूमि समाचार, देहरादून
सह संपादक - राइजिंग बिहार साप्ताहिक, पटना
संपादन, डायमंड बुक्स की बाल साहित्य योजना - 2021
पता : आनंद निकेत , बाजार समिति रोड ,पो. - गजाधरगंज
बक्सर ( बिहार ) - 802103
उत्तर - कथ्य, शिल्प, भाषा और उद्देश्य की स्पष्टता लघुकथा सृजन के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं। लघुकथा प्रभावशाली कथ्य, सुघड़ शिल्प और भाषाई सौंदर्य के माध्यम से अपने उत्कर्ष को प्राप्त होती है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - अगर पाँच नाम लूँ तो कांता राय , संतोष सुपेकर , बीजेन्द्र जैमिनी , मृणाल आशुतोष,घनश्याम मैथिल अमृत आदि समकालीन लघुकथाकार हैं, जो लघुकथा विधा को समृद्ध करने में अपना महती योगदान दे रहे हैं।समकालीन लघुकथाकारों की एक लंबी श्रृंखला है, जो अधिकांश संकलनों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती रही है।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षक को प्रथमतः तो एक सुधी पाठक होना चाहिए।लघुकथा के हर पहलू का सागोपांग अवलोकन करते हुए समीक्षक को उसके गुण-दोष पर भी समुचित चर्चा करनी चाहिए और अगर कहीं गुंजाइश हो, तो उसके परिमार्जन और परिवर्धन हेतु उचित मार्गदर्शन भी दिया जाना चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, किस्सा कोताह, क्षितिज, लघुकथा साहित्य, स्वर संवेदनाओं के, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा वाटिका, भारतीय लघुकथा विकास मंच , साहित्य संसद, लघुकथा लोक इत्यादि अनेकों फेसबुक समूह हैं, जो लघुकथा के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। इससे जुड़े वरिष्ठ लघुकथाकारों के मार्गदर्शन में लघुकथाकारों की नयी पीढ़ी भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जहाँ तक मैं देख रहा हूँ, आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान हासिल कर रखा है। आज ऐसा कोई समाचार पत्र और ऐसी कोई पत्रिका नहीं है जिसमें लघुकथाएं न छप रही हों। विभिन्न पत्रिकाओं ने लघुकथा विशेषांक भी निकालने शुरू किए हैं।लघुकथा संकलन और लघुकथा संग्रहों ने भी लघुकथा विधा को समृद्ध किया है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। इस लिहाज से मैं आज के समय को लघुकथा का स्वर्ण काल कहूँगा।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिल्कुल। मैं आज लघुकथा विधा में नयी संभावनाओं का उदय देख रहा हूँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मूलत: मैं ग्रामीण परिवेश से रहा हूँ। परवरिश व पढ़ाई-लिखाई शहर में हुई है।विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण की है। उसी दरम्यान रचनात्मक लेखन म़े रूचि जगी।मेरे संपर्क में आई नयी पीढ़ी के कई लघुकथाकारों को मैंने भाषाई और शिल्पगत स्तर पर प्रेरित और प्रोत्साहित किया है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार और स्वजनों की भूमिका काफी उत्साहवर्धक व सराहनीय रही है। उनके सहयोगात्मक समर्थन के बिना मैं वो कर नहीं पाता, जो मैं करना चाहता था।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं चूँकि पेशे से अध्यापक हूँ, इसलिए अपनी और अन्य स्रोतों से प्राप्त प्रेरणास्पद लघुकथाओं को अपनी कक्षा में छात्रों के बीच भी प्रस्तुत करता रहा हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - उज्जवल व स्वर्णिम।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लेखन से आत्मिक संतुष्टि मिलती है। लघुकथा मेरी प्रिय विधा रही है और लघुकथा लेखन ने मुझे मेरी पहचान बनाने में मदद की है।=================================
क्रमांक - 026
जन्म तिथि : 10 जनवरी 1970
जन्म स्थान : पटना
पति का नाम : राजीव कुमार झा
शिक्षा : B.Sc. Chemistry honours ,B.Ed.
M.A. Hindi
अभिरुचि: कविताएँ, लघुकथा और आलेख लेखन (हिन्दी एवं मैथिली)
प्रकाशित पुस्तकें : -
1. प्रथम रश्मि ( काव्य संकलन )
2. भाव प्रसून ( काव्य संकलन )
आनलाइन और आफलाइन सम्मान :-
1. आगमन काव्योत्सव सम्मान
2. आगमन स्थापना दिवस सम्मान
3. प्राइड आफ वीमेन अवार्ड - 2019
4. महादेवी वर्मा नारी रत्न सम्मान
5. माँ भारती सम्मान, साहित्योदय
6. हिन्दी दिवस सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान
7. नारी रत्न सम्मान
8. सशक्त नारी सम्मान
विभिन्न आनलाइन काव्य प्रतियोगिताओं में सक्रिय सहभागिता एवं श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में निरंतर सम्मानित
विशेष : -
- कई साहित्यिक समूहों की सक्रिय सदस्य
- कुछ समूहों में समीक्षक का दायित्व निर्वहन
Address : Flat no. B. 6B
The Green Garden Apartments
Hesag, Hatia ,Ranchi , Jharkhand - 834003
उत्तर -- कथावस्तु, संवाद एवं भाषा शैली के साथ साथ एक सशक्त लघुकथा के लिए एक सार्थक उद्देश्य अर्थात कथा के माध्यम से समाज को क्या संदेश मिल रहा है, ये अति आवश्यक तत्व हैं।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -- समकालीन लघुकथा साहित्य में कई सक्रिय महती लघुकथाकार हैं जिन्होंने अपनी भावपूर्ण कथाओं के माध्यम से साहित्य के इस क्षेत्र को समृद्ध करने का प्रयास किया है। आ. सुकीर्ति भटनागर जी, आ. रचना गौड़ भारती जी के अलावा भी कई प्रतिष्ठित नाम हैं जिन्हें इस विधा में महारत हासिल है। आ. अनिता रश्मि जी और आ. सारिका भूषण जी को तो व्यक्तिगत तौर पर भी जानने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी तो इस क्षेत्र को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए कई प्रकार से सतत प्रयत्नशील भी हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर -- किसी भी लघुकथा की समीक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण मापदंड यही है कि उस कथा में आवश्यक सभी तत्वों का समावेश कितनी कलात्मकता के साथ किया गया है और उसका शीर्षक किस हद तक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण है।कथा के माध्यम से प्राप्त संदेश भी समीक्षा की दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -- आज की वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में सोशल मीडिया का अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है। अतः साहित्य के क्षेत्र में भी इसके सहयोग को नकारा नहीं जा सकता है। विभिन्न फेसबुक और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से विभिन्न प्रांतों के रचनाकार एक दूसरे को सरलता से जानने समझने लगे हैं तथा पठन पाठन में अभिरुचि रखने वालों के लिए बैठे बिठाए ही साहित्य का भंडार सहजतापूर्वक उपलब्ध हो जाता है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर -- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक अत्यंत ही रोचक और अत्यधिक प्रचलित विधा के रूप में उभरकर आया है। कम से कम शब्दों में सशक्त संदेश देकर इस विधा ने साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर -- वर्तमान में लघुकथा की जो स्थिति है वह अत्यंत ही संतोषजनक है। जितनी शीघ्रता से ये विधा रचनाकारों के मध्य प्रचलित होता जा रहा है इसका अति उज्ज्वल भविष्य भी परिलक्षित होता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -- मैं तो विज्ञान की छात्रा रही हूँ लेकिन मेरे घर में साहित्यिक परिवेश ही रहा है। बचपन से ही इस माहौल को देखती रही हूँ और साहित्य में अभिरुचि मुझे विरासत में ही मिली है। इन्हीं बातों के परिणामस्वरूप आज मैं साहित्य सृजन के पथ पर अग्रसर हूँ और जो कुछ भी अल्पज्ञान प्राप्त किया है उसके आधार पर अपने साथी रचनाकारों का सदैव सहयोग करती हूँ। किसी मंच विशेष पर निर्णायक, समीक्षक, मार्गदर्शक आदि का दायित्व यदि दिया जाता है तो उसका भी निर्वहन करने का क्षमतानुसार प्रयास करती हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर -- परिवार की सहमति और सहयोग के बिना किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना किसी के लिए भी संभव नहीं है। मुझे भी अपने पति और बच्चों के साथ ही साथ माता-पिता और सास-श्वसुर का सदैव यथोचित समर्थन और प्रोत्साहन प्राप्त होता है जिसके फलस्वरूप मैं इस इगर पर अग्रसर हूँ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर -- आजीविका में तो लेखन से कोई सहयोग नहीं मिलता है। मात्र आत्मसंतुष्टि ही मिलती है और समाज में एक छोटी सी पहचान भी।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर -- आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में जहाँ लोगों के पास सदैव ही समयाभाव रहता है, कोई लंबी कहानी या उपन्यास पढ़ने के लिए समय निकालना कठिन होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी भी पाठक को एक लघुकथा आकृष्ट करती है। अतः लघुकथा का एक अत्यंत ही उज्ज्वल भविष्य हम देख सकते हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -- जहाँ तक व्यक्तिगत तौर पर मेरा प्रश्न है तो मैं ज्यादातर पद्य विधा में ही, विशेषतौर पर छंदबद्ध सृजन करती हूँ। किन्तु कुछ लघुकथाएँ भी मैंंने लिखी हैं जिन्हें पाठकों से प्रोत्साहन भी प्राप्त हुआ है और कभी कभी आवश्यकतानुसार कभी कभी श्रेष्ठ रचनाकारों का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ है।
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क्रमांक - 027
शिक्षा: एम.ए . हिन्दी, एमएड , पीएचडी
प्रेरणा: मात-पिता-गुरु-मित्र और परिवार
सम्प्रति : प्रधानाचार्य , शिक्षा विभाग, राजस्थान
विधा : गीत, कविता, लेख और लघुकथा
रूचि:
1) लेखन
2) चित्रकारी
3) नृत्य-संगीत
सम्मान: -
1) राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान, राजस्थान सरकार, सत्र -2017
2) प्रशस्ति पत्र : उत्कृष्ट शिक्षक एवं सराहनीय जन-सेवा पर शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार सत्र -2017
3) प्रशंसा पत्र: आदर्श विद्यालय में संस्थाप्रधान के कार्यो का श्रेष्ठ संपादन एवं सराहनीय सेवा पर शासन सचिव, स्कूल शिक्षा एवं भाषा विभाग, राजस्थान सरकार, सत्र -2017
4) अनेक ब्लॉक स्तरीय सम्मान, शिक्षा विभाग, अजमेर, राजस्थान
5) विभिन्न साहित्यिक सम्मान
विशेष : -
1) साहिल वृद्धाश्रम अजमेर, अपना घर वृद्धाश्रम अजमेर में सेवा कार्य
2) बालिका शिक्षा प्रसार
3) बेटी बचाओ अभियान
4) अंध्विश्वास दूर भगाओ
5) घूँघट प्रथा उन्मूलन
6) राष्ट्रीय कार्यक्रम- "एक पेड़ सात ज़िन्दगी" अभियान
7) 200+ घरों में विशेष हस्त लिखित पाती द्वारा जागृति संदेश।
8) स्वयं 151 वृक्ष लगा कर जन जन को संरक्षण का उत्तरदायित्व सौंपा गया|
9) शिक्षा में नवाचार का प्रयोग
10) भामाशाह को प्रेरित कर विद्यालय में विकास कार्य
11) जिलाध्यक्ष: अजमेर महिला प्रकोष्ठ
12) रेडियो प्रसारित कार्यक्रम : शिक्षक दिवस, 2019 को आकाशवाणी केंद्र जोधपुर द्वारा वार्ता प्रसारण
13) लेखनी उद्देश्य : सामाजिक समरसता एवं आत्म सम्मान के साथ निर्भीक लेखक
प्रकाशन: -
1) भरतपुर हिंदी साहित्य समिति से डुगडुगी में समय समय पर लेख प्रकाशित
2) माँ की पाती, बेटी के नाम पुस्तक में पाती का प्रकाशन
3) शिविरा प्रत्रिका और विभिन्न समाचार पत्रों में समय समय पर रचना प्रकाशन
पता : -
528/22 बालूपुरा रोड,आदर्श नगर,
देवनारायण गली नंबर -8 , अजमेर - 305001 राजस्थान
उत्तर - लघुकथा में कथ्य महत्त्वपूर्ण है, जो जीवन से जुडा होता है l
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री गोविन्द भारद्वाज, डॉo सतीशराज पुष्करणा, कांता राय एवं अशोक जैन जी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है l
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होनेचाहिए ?
उत्तर -सरल , सहज , शिल्प शैली का समन्वय होना चाहिए l
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक, वाट्सएप, ब्लाग, ई - पुस्तकें, भारतीय लघुकथा विकास मंच एवं कथा दर्पण साहित्य मंच l
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान युग में लघुकथा लिखी और पढ़ी जा रहीं हैं l प्रतियोगितायें भी आयोजित हो रही हैं l एकल एवं साझा लघुकथा संकलन का प्रकाशन, ई -संकलन, यूट्यूब द्वारा किया जा रहा है जो स्तुत्य है l
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - अभी तो लघुकथा प्रथम सीढ़ी चढ़ी है l संतुष्टि कहाँ... कुछ लोग चुटकले एवं रिपोर्टिंग लिखकर इस विधा पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ l शिक्षा विभाग, राजस्थान में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हूँ और राजकीय सेवनुराग पेशा नहीं अपितु उस "प्रभु " की पूजा उपासना है जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कह कर पुकारते हैं l
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे परिवार को मेरी लेखनी पर गर्व है l सदा परिवार ने आगे बढ़ने को प्रेरित ही किया है l
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - चाह बचपन से थी, कुछ कुछ लिखा आज मेरी जीविका लेखन में कभी बाधा नहीं बनी l जैसे समय मिला, लिखना प्रारम्भ किया l
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - आज डिजिटल युग और भाग- दौड़ भरी जिंदगी मेंअल्प समय में लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं से जुड़ "लघुकथा " गागर में सागर कहावत को चरितार्थ करती हुई मील का पत्थर साबित हो रही है l
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - आत्मसंतुष्टि, अपनत्व और गौरव के साथ पुनः आगे बढ़ने का प्रयास ।
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क्रमांक - 029
जन्म : 19 जनवरी 1961, भोपाल - मध्यप्रदेश
शिक्षा : हायर सेकेंडरी
सम्प्रति : मध्यप्रदेश वन मुख्यालय भोपाल मे सहायक
लघुकथा यात्रा :
विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं तथा कुछ साझा लघुकथा संकलन में लघुकथाएं प्रकाशित
पता : एच ए 118/71 , शिवाजी नगर , भोपाल - 462016 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर- कथ्य, शीर्षक, काल खंड, समापन।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मधुदीप गुप्ता, डॉक्टर उमेश महादोषी, बीजेन्द्र जैमिनी, कांता राय, योगराज प्रभाकर आदि।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुता में प्रभुत्व, कालखंड दोष, संदेशवाहक, शीर्षक, उत्कर्ष, समापन बिन्दु आदि।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - डॉक्टर चन्द्रेश छतलानी और बीजेन्द्र जैमिनी के ब्लॉग। लघुकथा के परिदें, साहित्य संवेद समूह व भारतीय लघुकथा विकास मंच ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा विधा अपना मार्ग प्रशस्त कर रही है। लेकिन अभी आमजन पाठकों से दूर है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- लघुकथा विधा में अभी बहुत कार्य की गुजांइश है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताश्री बी.ए पास कर शासन की सेवा में थे। उन्हें अंग्रेजी साहित्य से लगाव था। माताश्री आठवीं पास थी। उन्हें मराठी और हिन्दी साहित्य में रूचिच थी। मार्गदर्शन स्वरूप लघुकथा लेखन संबंधी मंच संचालन किए है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार से प्रोत्साहन मिला है।
प्रश्न न.9 -आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - कभी नहीं रही।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - अनेकानेक मनीषी विधा के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। भविष्य उज्ज्वल ही हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - आत्मविश्वास।
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क्रमांक - 30
प्रकाशित पुस्तक : -
1. अनकही कथाएँ ( एकल लघुकथा संग्रह )
2. आठ साझा संग्रह
सम्मान : -
कुछ फेसबुक पर प्राप्त सम्मान पत्र
Address: -
A /57, MECON cooperative colony , Katahal mod, Ranchi - 835303 Jharkhand
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व 'कथ्य' है। उसी के आधार पर ताना-बाना बुना जाता है।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सुकेश साहनी , ओम नीरव , कान्ता रॉय
पवन जैन और बीजेन्द्र जैमिनी, इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा का मापदंड तीन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर करनी चाहिए : -
कथ्य
कम शब्दों बहुत कुछ कह जाना
(गागर में सागर भरना)
और तीसरा
अंत चिन्तन पूर्ण।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मैं और कहीं तो नहीं जुड़ी हूँ। अतः मैं दो ही नाम दे सकती हूँ। ह्वाट्सऐप और फेसबुक।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। सुदृढ स्थिती है। लोगों के पास लम्बी-लम्बी कहानियाँ या उपन्यास पढ़ने का वक्त ही नहीं रहता है। लघुकथा कम समय में बहुत कुछ कह जाती है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिल्कुल। मैं संतुष्ट हूँ। आगे भी इस पर बहुत काम हो रह है। भविष्य उज्जवल है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यवर्गीय पृष्ठ भूमि से आई हूँ। साहित्यि परिवेश तो था, पर इस तरफ कभी सोची नहीं। बचपन में डाॅक्टर बनना चाहती थी, पर... पिता हिन्दी के प्रोफेसर थे। अब मेरी बहन भी एक साहित्यकार है। पर मेरी रुचि पहले नहीं थी। मैं एक-डेढ़ साल से ही साहित्य से जुड़ी हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - बच्चों के साथ बहन के प्रोत्साहन के अलावा किसी की कोई भूमिका नहीं है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं साहित्य को साधना मानती हूँ। इसे आजीविका का माध्यम नहीं यह साहित्य सेवा है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। इसपर बहुत काम भी हो रहे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे आत्मिक सुख मिला।
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क्रमांक - 031
जन्म : 26 जनवरी 1941 दिल्ली
शिक्षा : डी एम ई आनर रुड़की
सम्प्रति : एच एम टी पिंजौर से डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त
प्रकाशित पुस्तकें :-
एक क़तरा सच ( लघुकथा संग्रह ) - 2018
अन्य मौलिक पुस्तकें : -
बैंजनी हवाओं में ( काव्य संग्रह ) - 1976
गुलाब कारख़ानों में बनते हैंं ( काव्य संग्रह ) -1995
धूप में बैठी लड़की ( काव्य संग्रह ) -2010
सिहरन साँसों की ( काव्य संग्रह ) -2013
अक्षर हो तुम ( खंड काव्य ) - 2013
बड़े भाई ( कहानी संग्रह ) -1995
वापसी ( कहानी संग्रह ) -2003
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति पुरस्कार : -
बैंजनी हवाओं में - 1972
अक्षर हो तुम - 2014
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा तीन लघु शोध प्रबन्ध : -
विष्णु सक्सेना व्यक्तित्व व कृतित्व - 1998
कहानीकार विष्णु सक्सेना - 2004
अक्षर हो तुम में मानवीय मूल्य - 2017
पता : एस जे 41 , शास्त्री नगर ग़ाज़ियाबाद 201002 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - महत्वपूर्ण तत्व लघुकथा में व्याप्त उसका आंतरिक तीखापन उसका महत्वपूर्ण तत्व है। लघुकथा का आकस्मिक धारदार अंत व उसका अंतिम वाक्य ही उसे पाठक के मन के साथ जोड़ता है
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य को आगे बढ़ाने में यूँ तो कई नाम हैं पर अपने विशिष्ट प्रयासों के कारण बलराम, सुकेश साहनी, बीजेन्द्र जैमिनी , अशोक जैन व योगराज प्रभाकर का योगदान सराहनीय है ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के मापदंड- लघुकथा मन में चिंतन के स्वर अंकुरित करने में, अपनी तीखी चोट से मन संवेदित करने और कविता की तरह नपे तुले शब्दों में अपना संदेश देने में व समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ हो व उसमें कथा तत्व भी हो तभी यह लघुकथा की कसौटी पर खरी उतरती है ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण प्लेट फार्म हैं : - फ़ेसबुक , वाटस एप , लघुकथा ग्रूप तथा लेखकों के ब्लाग आदि । जो लघुकथा के प्रचार व प्रसार में योगदान दे रहे हैं ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश में लघुकथा आज अपनी पहचान बना चुकी है व आंदोलनों के दौर से गुजर कर एक सशक्त विधा का रूप ले चुकी है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्तिथि से संतुष्ट तो नहीं, क्योंकि सोशल मीडिया पर आसानी से पहुँच के कारण लघुकथाकार केवल प्रकाशित होने के लिए लिखे जा रहे हैं ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं इंजीनियरिंग पृष्ठ भूमि से हूँ व एच एम टी पिंजौर में डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त हुआ हूँ । वहाँ रहकर मालिक मज़दूर के सम्बन्ध सुधारने के लिए चौपाल कथाएँ ( लघुकथा) लिखी । जो एच एम टी के मुख पत्र में प्रकाशित होती रही व बाद में संकलित कर ‘ बड़े भाई ‘ पुस्तक रूप में प्रकाशित करवाई ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - लेखन में परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, विशेष तौर पर जीवन सहचरी के सहयोग के बिना लेखक साहित्य धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका के लिए लेखन कार्य करना जोखिम भरा है । बहुत कम लोग इस क्षेत्र में सफल हो पाए हैं । आजकल तो समाचार पत्र भी परिश्रमिक तो क्या लेखकीय प्रति देने से भी परहेज़ करते हैं ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य व्यवधानों के बावजूद भी उज्ज्वल है । लघुकथा अपनी पहचान बना कर निरंतर विकास की ओर बढ़ रही है ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा लेखन से आत्म संतुष्टि मिलती है व सकारात्मक विचारों से समाज को मार्गदर्शन करने का आत्म सुख भी मिलता है ।
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क्रमांक - 032
व्यवसाय : कई वर्ष तक पब्लिक स्कूल में शिक्षण कार्य।
सम्प्रति : सह सम्पादक - अविराम साहित्यिकी (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका)।
विधाएं : छंद मुक्त कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, संस्मरण, आलेख समीक्षा, डायरी।
प्रकाशित संग्रह -
कहानी संग्रह- प्यासी नदी बहती रही,
लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत
उपन्यास - उर्वशी ( मातृभारती द्वारा प्रकाशित ) ,
सम्पादन -
- लघुकथा संकलन : आस पास से गुजरते हुए (विश्व पुस्तक मेला 2018,नई दिल्ली ),
- समकालीन प्रेमविषयक लघुकथाएं ( विश्व पुस्तक मेला 2019,नई दिल्ली),
सम्मान -
- नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान द्वारा ' शकुंतला कपूर स्मृति लघुकथा सम्मान(लघुकथा - चुनौती, द्वितीय पुरस्कार )
- हिंदी विभाग बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी एवम अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वाधान में, रविन्द्र फाउंडेशन द्वारा ' डॉ माधुरी शुक्ला स्मृति कथा साहित्य पुरस्कार ( प्यासी नदी बहती रही ) ',
- प्रादेशिक लघुकथा मंच गुरुग्राम द्वारा ' लघुकथा शिरोमणि सम्मान (लघुकथा - रोबोट , तृतीय पुरस्कार ) '
- प्रेरणा अंशु - अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता सम्मान ( कब तक : सांत्वना पुरस्कार ),
- भारतीय संस्थान- मानव सेवा क्लब द्वारा ' शांति सुरेन्द स्मृति साहित्य सम्मान ',
- लेखिका संघ मध्य.प्रदेश भोपाल द्वारा ' श्रीमती सुशीला जिनेश स्मृति पुरस्कार ( लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत )
- दीपशिखा साहित्यिक एवम सांस्कृतिक मंच द्वारा ' ज्ञानोदय अकादमी दीपशिखा सम्मान ( लघुकथा - किस ओर, प्रथम पुरस्कार )।
विशेष : -
- बरेली में एक वर्ष तक लघुकथा की कार्यशाला, सुश्री निरुपमा अग्रवाल के सहयोग से लगाई।
- आकाशवाणी बरेली द्वारा निरन्तर कहानी एवम लघुकथाओं का प्रसारण।
- साझा संकलन - कविता अभिराम, लघुकथा अनवरत, नई सदी की लघुकथाएं, प्रतिनिधि लघुकथाएं, बून्द बून्द सागर, सपने बुनते हुए,अपने अपने क्षितिज, नई सदी की धमक, पड़ाव और पड़ताल।
- विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र, पत्रिकाओं एवम वेबसाइट में रचनाओं का प्रकाशन : चम्पक, साहित्य अमृत, गगनांचल, मिन्नी एवम प्रतिमान ( पंजाबी में ), कथा समवेत, सरस्वती सुमन, हिंदी चेतना, कादम्बिनी, प्रेरणा अंशु, खुशबू मेरे देश की, अविराम साहित्यकी, साहित्य समीर दस्तक , पुरवाई, हस्ताक्षर, प्रतिलिपि, मातृभारती, सेतु, जय विजय, साहित्य सुधा।
निवास :
पता : 18- ए, विक्रमादित्य पुरी, स्टेट बैंक कॉलोनी, बरेली - 243005 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व यकीनन कथानक है, जो कि लघुता में विराटता को समेटे हुए हो। अर्थात एक ऐसा कथानक जो गूढ़ अर्थ लिए हुए, परन्तु आकार में लघु भी हो।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा में, यूँ तो बहुत सारे लोग हैं जो इस महती कार्य में संलग्न हैं। उनमें से पाँच नाम लेना बहुत मुश्किल है। एक ओर भगीरथ परिहार जी हैं तो दूसरी ओर कांता रॉय। एक ओर योगराज प्रभाकर जी है तो दूसरी ओर बीजेन्द्र जैमिनी जी व सन्तोष सुपेकर जी है ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा का अर्थ है किसी भी रचना की बहुत सूक्ष्मता के साथ, व्यापक पड़ताल करना, जिसमें समीक्षा के सभी तत्वों का समावेश हो सके। लघुकथा की समीक्षा में उसका उद्देश्य, कथानक, चरम, शीर्षक, उसकी सम्प्रेषणीयता, भाषा शिल्प आदि की व्यापक पड़ताल होनी चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य के प्रचार - प्रसार व विकास में, वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि सोशल मीडिया से ,आज प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है। ऐसे में पाठक की रुचि, लघुकथा की ओर उन्मुख एवम जाग्रत करने में फेसबुक समूह, व्हाट्सएप, ब्लॉग, वेबसाइट, यूट्यूब, शार्ट फिल्में, लघुकथा का सस्वर पाठ, ऑनलाइन गोष्ठियों की महती भूमिका है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी में, जब व्यक्ति के पास समय की अत्यधिक कमी है, ऐसे में लघुकथा अत्यंत लोकप्रिय हो चुकी है। इसका सूक्ष्म कलेवर इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण है। इसी वजह से लघुकथा को लिखा भी खूब जा रहा है और पढ़ा भी खूब जा रहा है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा पर बहुतायत में कार्य हो रहा है। वरिष्ठों के साथ , नवोदित एवम युवा पीढ़ी बहुत उत्साह से लघुकथा के उत्थान, प्रचार प्रसार में सहयोग दे रही है। भूतकाल से यदि तुलना की जाए तो लघुकथा को आज के दौर में बहुत महत्व दिया जा रहा है। अब अधिकतर साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं लघुकथा को पूरे सम्मान के साथ प्रकाशित कर रही हैं।बिना अधूरी हैं। यही कारण है इसमें बहुत काम हो रहा है। आगे चलकर सबके सम्मिलित प्रयास सफल होंगे, एवम लघुकथा साहित्य के आकाश में दैदीप्यमान होगी, ऐसा मेरा अनुमान एवम विश्वास है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ, जहाँ पठन पाठन का वातावरण रहा था। घर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन पुस्तकें थीं। खाली समय में सभी पढ़ना पसन्द करते थे। तो ऐसे में मेरी रुचि भी अध्ययन की ओर उन्मुख होना लाज़मी था। पढ़ने के बाद ही लेखन में भी रुचि जाग्रत हो गई। गुणवत्तापूर्ण साहित्य की समझ विकसित हो चुकी है। अच्छा लिखने की दिशा की ओर भी प्रयासरत हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - एक महिला के लिए अपनी रुचियों के फलने फूलने एवम विकास के लिए पारिवारिक सहयोग और सकारात्मक वातावरण अपरिहार्य होता है। मेरे भी लेखन व उपलब्धियों पर, मेरे परिवार को गर्व एवम प्रसन्नता होती है। मेरे बच्चे तो खासतौर पर मुझे लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं काफी समय पहले तो शिक्षण करती थी, परन्तु वर्तमान एक गृहणी ही हूँ। कई बार लेखन द्वारा कुछ अर्थोपार्जन हो जाता है। तो बहुत प्रसन्नता महसूस होती है। चाहे वह अर्थोपार्जन प्रकाशन, प्रसारण अथवा पुरुस्कार द्वारा हो। मन में उत्साह का संचार तो करता ही है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वर्तमान काल में लघुकथा विधा की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। इसकी लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण उसकी मारक क्षमता है। यह एक ऐसी विधा है , जो देखन में छोटी लगे, पर घाव करे गम्भीर । यह विद्या पाठक को चिंतन मनन करने को विवश करती है । सोशल मीडिया भी इसकी लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। अतः मैं दावा कर सकती हूँ कि लघुकथा का भविष्य बेहद उज्ज्वल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा ने, एक रचनाकार के तौर पर मेरी पहचान बनाई, मुझे एक लघुकथाकार के रूप में स्थापित किया। कभी - कभी रचनाओँ के प्रकाशन एवम आकाशवाणी पर उनके प्रसारण से थोड़ा बहुत अर्थलाभ भी हो जाता है। कई पुरस्कार भी लघुकथा के कारण ही मेरी झोली में आये। जब दूर दूर से लोग फोन करके बताते हैं कि आपकी फलां रचना पढ़ी, बहुत पसंद आयी, मन में बहुत खुशी महसूस होती है, हौसला बढ़ता है। आगे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। उम्मीद करती हूँ कि भविष्य में कुछ यादगार रचनाओँ का सृजन कर जाऊँ।
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क्रमांक - 033
प्रकाशित पुस्तकें : -
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- मनोवैज्ञानिक परीक्षण
( पीएच.डी. शोध निबंध ) 1971
- सामान्य ज्ञान पुस्तिका
( अंग्रेज़ी)1996 से समय- समय पर संशोधित संस्करण
- अंत:यात्रा एक मनोवैज्ञानिक लेखमाला 2005
- देशभक्ति गीत संग्रह 2007
- मानव मैनेजमेंट( अंग्रेज़ी) 2007
- भक्ति साधना ( भक्ति गीत संग्रह ) 2014
- नाटक संग्रह ( कौन सीखे कौन सिखाए )2014
- शुक्रिया ज़िन्दगी ( ग़ज़ल संग्रह ) 2019
- चलो ज़िन्दगी (काव्य संग्रह) 2019
- भक्ति साधना ( भक्ति गीत संग्रह भाग-2 )2021
सम्मान / पुरस्कार : -
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- MEND संस्था द्वारा आयोजित गुजरात राज्य के शिक्षकों की “ निबंध स्पर्धा” में प्रथम स्थान
- लोकप्रिय फिल्म अभिनेता सुनील दत्त जी से पुरस्कार प्राप्त किया , 1991
- सिल्वर मेडल फ़ॉर “डिवोटेड टीचर “ शिवाजी फ़ाऊण्डेशन, जयपुर - 1996
- द्रोणाचार्य पुरस्कार ( सिल्वर मेडल ) शिवाजी फ़ाऊण्डेशन, 2003
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस खेल एवं कल्याण समिति, द्वारा "प्रतिभा एवं समाज सेवक सम्मान", 2018
- फोगाट स्कूल ,फरीदाबाद द्वारा "विशिष्ट सम्मान", 2018
- नारी अस्मिता पत्रिका वडोदरा गुजरात के द्वारा "नारी अस्मिता सम्मान", 2018
- ” गौरवशाली भारतीय महिला सम्मान “ by NNHSA
8 मार्च 2020
- डॉ० शिव शरण द्विवेदी स्मृति “ काव्य शिरोमणि “सम्मान by अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच , 2020
- ” Award Of Honour “ by Prakrithee NGO, 2020
- ” सर्वश्रेष्ठ रचनाकार “ सम्मान by. उड़ान सामाजिक - सांस्कृतिक संस्था फ़रीदाबाद
2021
- श्रेष्ठ रचनाकार “ सम्मान by आगमन संस्था
- ”कवयित्री सम्मान “ by FLCC ( फ़रीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र )2021
- अनेकों अन्य सम्मान एवं पुरस्कार ई-सम्मान व पुरस्कार
- विद्यालय, विश्वविद्यालय स्तर पर ,एकल व समूह नृत्य तथा खेल में प्रथम , द्वितीय पुरस्कार
विशेष : -
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- अंतर्राष्ट्रीय महासचिव : महिला काव्य मंच( रजि.)
- संरक्षक—अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच
- संरक्षक -नारी अस्मिता ( बड़ोदरा)
- मार्गदर्शक - विश्व भाषा अकादमी
- कार्यकारिणी सदस्य—दधीचि देह दान समिति
- कार्यकारिणी सदस्य —- संत साहित्य अकादमी
- सदस्य : लायन्स क्लब, GAP, TIE, TWB आदि
- सदस्य : साहित्यालोक ( अहमदाबाद 30 वर्ष से ) , R.S.Foundation.
- फ़रीदाबाद की नई दिशाएँ: हेल्प लाइन , नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान , सार्थक प्रयास , संस्कार भारती , अखिल भारतीय साहित्य परिषद् आदि संस्थाओं की सदस्य
- मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन नि:शुल्क 1970 से आज तक
- देहदान किया है जनजागृति हेतु कृतसंकल्प
- भ्रमण- भारत ( कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से
इम्फ़ाल तक )
- विदेश भ्रमण :अमेरिका, मैक्सिको,हॉंगकॉंग, मकाऊ, दुबई, भूटान
- दूरदर्शन ( गुजरात)पर नाटक प्रसारित
- साक्षात्कार - टाइम्स ऑफ़ इंडिया में
- दूरदर्शन दिल्ली - वार्ता
- गुजराती और अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद
- 30 सॉंझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित ।
- ई-पत्रिकाओं व संकलनों में रचनाएँ प्रसारित
- लेख , रचनाएँ , साक्षात्कार पत्र-पत्रिकाओं में सतत प्रकाशित होते रहते हैं।
पता :
2326/9, “ उदार विला “ , डी.सी.मॉडल स्कूल के पास
फ़रीदाबाद - 121006 हरियाणा
उत्तर - कथ्य , संदेश
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बहुत होंगे किन्तु , जिनसे मैं परिचित और प्रभावित हूँ वे हैं : -
कान्ता रॉय जी,
संतोष श्रीवास्तव जी,
सतीशराज पुष्करणा जी ,पवन जैन जी ,
और आप जी ( बीजेन्द्र जैमिनी )
अच्छा लेखन करने वालों में अनेक हैं किन्तु मैं जिन्हें पढ़ना पसंद करती हूँ ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - तीन हो सकते हैं : -
- प्रारम्भ उत्सुकता वर्धक हो
- कथ्य ज्वलन्त , रोचक हो
- अंत का पंच सोचने को मजबूर करे
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे
भारतीय लघुकथा विकास मंच
नया लेखन_ नया दस्तख़त
यहाँ लिखना और भेजना मुझे भाता है उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिलती हैं ।आपका प्रयास उत्तम है ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - विकास पथ पर है आशान्वित हूँ, शोध हो रहे हैं ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी ! पूर्णतया ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिता कलेक्टर थे । तीन भाई और मैं Ph. D. ( मनोविज्ञान) उच्चशिक्षा प्राप्त । सभी उच्च पद पर, मेरे पति भी इंजीनियर HOD रहे। शिक्षित , पढ़ने का शौक़ीन परिवार। जो सीखा , जीवन में उतारा और वही सिखाया । मेरे दो बच्चे भी इंजीनियर , योग्य भारतीय नागरिक उच्च पद पर कार्य रत हैं । मेरे विद्यार्थी भी मेरी सीख आज भी संजोए हुए हैं। सुख देती हैं ये बातें। मैंने BHU में लेक्चरर के रूप कार्य किया है ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार प्रोत्साहित करता है , बाधक नहीं बनता । यह बहुत महत्वपूर्ण है लेखन हेतु
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका लेखन नहीं ,यह जीवन है , शौक़ है । शिक्षक हूँ , पेंशन पर्याप्त है प्रकाशित आठ पुस्तकें भेंट स्वरूप दी हैं । मेरे शब्द, मेरी लेखनी ईश्वर का वरदान है । इसे बाँटती हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - कहानी , उपन्यास से अधिक लोकप्रिय होगा ।
लघु आकार के कारण ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - साहित्य आत्मिक सुख देता है। लघुकथा से भी वही मिला है। मैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार के रूप में समाज सेवा दे रही हूँ। जीवन की समस्याओं को संक्षेप में समाधान दे पाना लघुकथा द्वारा अधिक आसान हो पाता है। उम्मींद है आपको प्रश्नों के समुचित उत्तर मिल गए होंगे ।
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क्रमांक - 034
जन्म तिथि : 28 जुलाई 1972
जन्म स्थली,शिक्षा दीक्षा,मायका ससुराल राँची
पति का नाम:श्री रामजी
पिता : दिवंगत सुरेंद्र प्रसाद सिंह
माता : अरुणलता
पति की कार्यस्थली -एच.ई.सी. राँची
शिक्षा: राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक
रुचि : हिंदी साहित्य में बचपन से रुचि रही। सामाजिक विसंगतियों पर छंदमुक्त कविताएँ ,लघुकथा और कहानियाँ का लेखन
पुस्तकें :-
कल आज और कल (काव्य संग्रह)
पंख अरमानों के (कथा संग्रह)
सम्मान: -
साहित्योदय शक्ति सम्मान,
साहित्योदय श्रमवीर सम्मान,
लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
शेयर योर ह्यूमैनिटी अंतरराष्ट्रीय पटल द्वारा काव्यपाठ हेतु विशेष सम्मान
विशेष : -
- कुछ एक सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी संलग्न हूँ आंशिक रूप से
- दो साझा काव्यसंग्रह और एक साझा कथासंग्रह में रचनाएँ प्रकाशित।
पता: एफ -2, सेक्टर-3 , एचईसी कॉलोनी, पो.धुर्वा, जिला: राँची , झारखंड - 834004
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है उसका कथ्य,शीर्षक और अंत ,जो सवालों के घेरे में छोड़ जाए पाठक को।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - पाँच नाम लूं तो सर्वप्रथम बीजेन्द्र जैमिनी जी, जिन्होंने लघुकथा समंदर में गोते लगाने का अवसर दिया ,फिर आदरणीया अनिता रश्मि जी,जिनकी कथाएँ, छोटा नागपुरी संस्कृति से लबरेज होती हैं। फिर आदरणीया चित्रा मुद्गलजी, आदरणीय सुकेश साहनी , कांता राय जैसे उत्कृष्ट लघुकथाकारों का नाम लुंगी।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - सर्वप्रथम कथानक,उसका संदेश, उसके पात्र और कसाव के आधार पर समीक्षा निरपेक्ष भाव से होनी चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - जाहिर है व्हाट्सएप समूह और फेसबुक सशक्त प्लेटफार्म हैं, ब्लॉग,ई बुक ,किंडल जैसे माध्यम से अधिकाधिक पाठकों तक अपनी रचनाएं पहुँचाई जा सकती हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं स्वयं इस विधा में कुछ ही समय से जुड़ी हूँ पर इसकी लोकप्रियता अपार है और साहित्यिक क्षेत्र में इसने अति महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित कर लिया है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिलकुल,लेखक पाठक दोनों में साहित्यिक समझ बढ़ी है इसे लेकर । व्यस्ततम दिनचर्या की वजह से लोग लंबी कहानियों की जगह इसे तरजीह दे रहे हैं ,क्योंकि कम शब्दों में गहरी छाप एक उत्कृष्ट लघुकथा छोड़ जाती है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि साहित्यिक नहीं रही है , हालांकि पिता और बड़े भाई को पढ़ने का बेहद शौक था जो मुझमें भी आ गया,पर लेखन की कोई पृष्ठभूमि नहीं रही।विवाह के बाद आदरणीय श्वसुर जी के रूप में एक उत्कृष्ट साहित्यकार से परिचय हुआ। हालांकि मेरा लेखकीय सफर उनके गुजर जाने के बाद शुरू हुआ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - बेहद महत्वपूर्ण, पारिवारिक सहयोग किसी भी क्षेत्र में सफलता का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है। मुझे सदैव लेखन,प्रकाशन ,आदि कार्य में अपने परिवार का पूरा सहयोग रहा है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - फिलहाल तो नगण्य। प्रकाशित पुस्तकों की रॉयल्टी के अलावा अन्य कोई आर्थिक लाभ नहीं। फिलहाल अपनी संवेनाएँ व्यक्त कर , एक छोटी सी ही सही पर अपनी पहचान बनाकर संतुष्ट हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरे ख्याल से बेहद उज्जवल है इसका भविष्य , लघुकथा लेखन में और लघुकथा पढ़ने में लोगों की अभिरुचि बढ़ी है। उत्कृष्ट संकलन प्रकाशित हो रहे हैं।भारतीय लघुकथा विकास मंच जैसे मंच भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - सबसे बड़ी चीज जो मिली वो है आत्मसंतुष्टि। मुख्यता छंदमुक्त कविताएँ ही लिखती रही हूं, सामाजिक विसंगतियों पर,एक कथा संग्रह भी प्रकाशित हुई है पर लघुकथा के माध्यम से अपनी बेचैनी, कुंठा बेहतर तरीके से निकाल कर खुश हो लेती हूँ। फिर पाठकों की प्रशंसा प्रोत्साहित करती है।
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क्रमांक - 036
सम्पादन:क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी 'क्षितिज' का वर्ष 1983 से निरंतर संपादन । इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए 'सरोकार' एवं 'लकीर' पत्रिका का संपादन।
प्रकाशन:
पुस्तकें शब्द साक्षी हैं (निजी लघुकथा संग्रह),
पिघलती आंखों का सच (निजी कविता संग्रह )
कोहरे में गांव (गजल संग्रह) शीघ्र प्रकाश्य।
संपादित पुस्तकें -
तीसरा क्षितिज(लघुकथा संकलन),
मनोबल(लघुकथा संकलन),
जरिए नजरिए (मध्य प्रदेश के व्यंग्य लेखन का प्रतिनिधि संकलन),
साथ चलते हुए(लघुकथा संकलन उज्जैन से प्रकाशित),
सार्थक लघुकथाएँ( लघुकथा की सार्थकता का समालोचनात्मक विवेचन),
शिखर पर बैठकर (इंदौर के 10 लघुकथाकारों की 110 लघुकथाएं संकलित)
कोरोना काल की लघुकथाओं पर एक संपादित पुस्तक का प्रकाशन।
साझा संकलन-
समक्ष (मध्य प्रदेश के पांच लघुकथाकारों की 100 लघुकथाओं का साझा संकलन)
कृति आकृति(लघुकथाओं का साझा संकलन, रेखांकनों सहित),
क्षिप्रा से गंगा तक(बांग्ला भाषा में अनुदित साझा संकलन),
शिखर पर बैठ कर (दस लघुकथाकारों का साझा संकलन)
अनुवाद:
निबंधों का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला भाषा में अनुवाद ।
लघुकथाएं मराठी, कन्नड़ ,पंजाबी,नेपाली, गुजराती,बांग्ला भाषा में अनुवादित । बांग्ला भाषा का साझा लघुकथा संकलन 'शिप्रा से गंगा तक वर्ष 2018 में प्रकाशित।
विशेष:
लघुकथाएं दो पुस्तकों में,( छोटी बड़ी कथाएं एवं लघुकथा लहरी ) मेंगलुर विश्वविद्यालय कर्नाटक के बी ए प्रथम वर्ष और बी बी ए के पाठ्यक्रम में शामिल।
लघुकथाएं विश्व लघुकथा कोश, हिंदी लघुकथा कोश, मानक लघुकथा कोश, एवं पड़ाव और पड़ताल के विशिष्ट खंड(11) में शामिल।
शोध:
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एम फिल में मेरे लघुकथा लेखन पर शोध प्रबंध प्रस्तुत । कुछ पी एच डी के शोध प्रबंध में विशेष रूप से शामिल ।
पुरस्कार सम्मान:
साहित्य कलश, इंदौर के द्वारा लघुकथा संग्रह' शब्द साक्षी हैं' पर राज्यस्तरीय ईश्वर पार्वती स्मृति सम्मान वर्ष 2006 में प्राप्त।
लघुकथा साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मां शरबती देवी स्मृति सम्मान 2012 मिन्नी पत्रिका एवं पंजाबी साहित्य अकादमी से बनीखेत में वर्ष 2012 में प्राप्त ।
सरल काव्यांजलि साहित्य संस्था,उज्जैन से वर्ष 2020 में सारस्वत सम्मान से सम्मानित।
सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होकर इंदौर शहर में निवास, और लघुकथा विधा के लिए सतत कार्यरत।
पता : -
सतीश राठी
त्रिपुर ,आर- 451, महालक्ष्मी नगर,
इंदौर 452010 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथानक होता है। बिना कथानक के कोई भी लघुकथा, लघुकथा के स्वरूप में स्थापित नहीं हो सकती है। वैसे भाषा शिल्प पंच का अपना महत्व होता है लेकिन कथानक सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्री रामकुमार घोटड़ ,श्री संतोष सुपेकर,श्री सुकेश साहनी ,श्री मधुदीप गुप्ता , श्रीमती कांता राय।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा उसकी भाषा, उसका कथानक, प्रयुक्त किया गया शिल्प ,लेखन शैली,उद्देश्य आदि पर निर्भर होती है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक,ब्लॉग, व्हाट्सएप आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा सर्वाधिक लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित होती जा रही है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पुरानी पीढ़ी के द्वारा निर्मित की गई जमीन और नई पीढ़ी के द्वारा किया गया सशक्त बीजों का बीजारोपण यह दोनों इस विधा के बारे में संतुष्ट करते हैं और इस विधा का भविष्य बहुत उज्जवल दिखता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक सामान्य मध्यमवर्ग परिवार से हूं एवं लेखन में बचपन से रुचि रही है। लघुकथा के क्षेत्र में वर्ष 1977 से लेखन जारी है तथा लघुकथा विधा के पालन पोषण के लिए वर्ष 1983 से 'क्षितिज 'संस्था, इंदौर के माध्यम से निरंतर आयोजन ,गोष्ठिया, पत्रिका प्रकाशन, कार्यशाला इस तरह के कार्य मेरे द्वारा एवं मेरी टीम के द्वारा किए जा रहे हैं ,जो इंदौर का नाम समूचे देश के नक्शे पर स्थापित कर रहे हैं ।वर्ष 2018 से निरंतर एक वार्षिक सम्मेलन पूरे देश में लोकप्रिय हो गया है और लघुकथा विधा को शिखर पर पहुंचाने में उसका बड़ा योगदान रहा है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार मेरे लेखन में सदा सहयोगी और प्रेरक की भूमिका में रहा है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन से जीवन नहीं चलता। आजीविका के लिए बैंक की नौकरी की और अब सेवानिवृत्त हूं। पेंशन से जीवन चल रहा है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से जीवन दर्शन प्राप्त हुआ है।
लेखन : -
2014 से गद्य एवं पद्य में हिंदी व मैथिली में लेखन
सम्पादन : -
डेढ़ वर्ष तक H for Hindi के संपादक
एकल पुस्तक -
1) चौंक क्यों गए (लघुकथा संग्रह)।
2) एकल ई बुक - बेवफा हो तुम
ब्लॉग- दो
सांझा संकलन - 23
सम्मान -- 15
फेसबुक और वाट्सएप पर भी कई सम्मान प्राप्त हुए हैं ।
पत्र - पत्रिकाएं : -
अक्सर पत्रिकाओं एवं अखबारों में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । अभी तक 350 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है ।
पता : -
मकान नं. बी / 9 , के टी पी एस , थर्मल कालोनी , साकातपुरा , कोटा - राजस्थान - 324008
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - कथ्य
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - आद0 योगराज प्रभाकर जी ,आ0 चंद्रेश कुमार छतलानी जी, आद0 अशोक जैन जी, आद0 बीजेन्द्र जैमिनी जी, आद0 अनिल सूर आजाद जी ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - शीर्षक, कथ्य, लघुता, शिल्प, पंच लाइन ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य के लिए सोशल मीडिया में फेसबुक अहम् भूमिका निभा रहा है । फेसबुक पर कई समूह हैं जो लघुकथा पर विशेष कार्य कर रही है , जिसमें 'लघुकथा के परिंदे' , 'भारतीय लघुकथा विकास मंच' आदि ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश में आज लघुकथा की स्थिति चमकता सितारा की तरह है, जो हर तरफ से चमकता दिखाई दे रहा है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जिस प्रकार लघुकथा का विस्तार हो रहा है , तो वहीं कई बार लघुकथा में मतभेद भी देखने को मिलता है । वैसे ये स्वाभाविक भी है । इसी वजह से कई बार लघुकथाकार असमंजस में पड़ जाते हैं ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं साधारण और शिक्षित परिवार से हूँ । जहाँ शिक्षा का बहुत महत्व है । मैं स्वयं को एक विद्यार्थी ही समझती हूँ, किन्तु जो लोग भी मुझसे मार्गदर्शन लेने के लिए आते हैं तो , मैं अवश्य मदद करती हूँ ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की कोई भूमिका नहीं है । बल्कि शुरुआत में कुछ लोगों ने हतोत्साहित ही किया मुझे । हाँ! जब कुछ-कुछ लिखने लगी तो मेरे बच्चों ने मेरे लेखन की प्रसंशा जरूर किया है ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - शून्य
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरा मानना है कि लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - आत्मसंतुष्टि और एक लेखिका के रूप में पहचान ।
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क्रमांक - 039
जन्म : ग्यारह सितंबर 1942
जन्म स्थान : मोण्टगुमरी ( पाकिस्तान )
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी , बी.एड्
प्रकाशित पुस्तकें :-
कहानी संग्रह :-
1.फूलों की सुगंध
2.दोष किस का था
3.बस, अब और नहीं
4.मैंने क्या बुरा किया है
5.नहीं, यह नहीं होगा
6.मैं नहीं जानती
7.कितने महायुद्ध
8.चुनिंदा कहानियाँ
9.अलकनंदा
माहिया एवं हाइकु संग्रह :-
10.तिरते बादल
11. मन पंछी- सा
ताँका संग्रह-
12.हवा गाती है
लघुकथा संग्रह :-
13.साँझा दर्द
उपन्यास :-
14.क्या वृंदा लौट पाई!,
15.यादों के झरोखे
कविता संग्रह:-
16.युग बदल रहा है
17.आसमान मेरा भी है
18.एक नदी एहसास की
19.उठो, आसमान छू लें
पुरस्कार : -
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान -2019
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ' श्रेष्ठ महिला रचनाकार' से 2013 में सम्मानित।
- 'दोष किसका था' कहानी -संग्रह को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार ।
- हरियाणा साहित्य अकादमी से चार बार कहानियाँ पुरस्कृत ।
- शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
- दो दर्जन से अधिक देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थानों द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।
विशेष : -
- पंजाबी, उर्दू, सिन्धी, अवधी, नेपाली ,गढ़वाली एवं अंग्रेज़ी में कुछ रचनाएँ अनूदित।
- वेब -साइट पर प्रकाशन:- अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्य कुंज, त्रिवेणी, सहज साहित्य ,लघुकथा डॉट कॉम, हिन्दी हाइकु आदि।
- देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
- दस देशों की विदेश यात्रा
- आकाशवाणी रोहतक, शिमला दिल्ली एवं अम्बर रेडियो स्टेशन यू.के से कविता, कहानी, वार्ता, चर्चाओं का प्रसारण।
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित हरिगंधा पत्रिका के हाइकु विशेषांक का 2017 में सम्पादन
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.फिल तथा पी.एच.डी की उपाधि हेतु छात्रों द्वारा शोध कार्य सम्पन्न।
- भाषा चंद्रिका स्वर संगम,‘भाषा मंजरी’पाठ्य पुस्तकों में रचनाएँ
पता : ई - 29 , नेहरू ग्राउण्ड , फरीदाबाद - 121001 हरियाणा
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?उत्तर - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कथ्य है । यह वह केन्द्र बिन्दु होता है जिसके इर्द-गिर्द ताना -बाना बुना जाता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पाँच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन हिन्दी लघुकथा साहित्य की यात्रा इतनी सुगम नहीं रही । कई बाधाएँ रास्ते में आई हैं। आरम्भ से आज तक सैंकड़ों लेखकों ने इस विधा को स्थापित करने और आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है।सभी का अपना अपना महत्व रहा है। लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिनके कारण इस विधा का गौरव बढ़ा है ,तथा इसे लोकप्रिय बनाने में वे आज भी जुटे हुए हैं। उनमें से पाँच नाम बहुत कम हैं।शेष के प्रति नाइंसाफ़ी होगी ।फिर भी क्षमा के साथ उत्तर दे रही हूँ : - सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, सतीश राज पुष्करणा, योगराज प्रभाकर, बलराम
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - किसी भी अन्य विधा की समीक्षा की तरह लघुकथा की समीक्षा के भी कुछ माप दंड हैं।जिसके अनुसार उसका मूल्यांकन किया जा सकता है। जैसे : - कथानक, उसका आकार ,शिल्प,भाषा-शैली कैसी है ।कथा में निहित संदेश देने और समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ है कि नहीं। शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप होना। संप्रेषणीयता पाठकों को प्रभावित करने, चिंतन करने की कितनी क्षमता है।इसके साथ केवल प्रशंसा ही नहीं, कमियों की ओर भी इंगित किया जाना चाहिए ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन -कौन से प्लेटफ़ॉर्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है?
उत्तर - आज हज़ारों की संख्या में लघुकथाकार हैं ।उनमें से कुछ ऐसे रचनाकार हैं जो इस विधा के विकास के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। उनके परिश्रम एवं लगन के परिणाम स्वरूप रचनाकारों को स्पेस मिला है उनकी रुचि बढ़ी है।तथा उनकी संख्या में वृद्धि हुई है इसीलिए लघुकथा विकास की ओर अग्रसर है। जो भी प्लेटफ़ॉर्म हैं सभी का काम सराहनीय है, अपना -अपना महत्व है । किस का नाम लें और किस का छोड़ें। केवल उदाहरण स्वरूप कुछ उदाहरण ।लघुकथा.कॉम (स.सुकेश साहनी,रामेश्वर काम्बोज हिमांशु), लघुकथा कोश सं योगराज प्रभाकर , भारतीय लघुकथा विकास मंच ( बीजेन्द्र जैमिनी )
दृष्टि (अशोक जैन) , पड़ाव और पड़ताल ( मधुदीप गुप्ता ) ,सरंचना (कमल चोपड़ा ) , क्षितिज ( सतीश राठी ) अविराम साहित्यिकी (उमेश महादोशी )उदंती, हिन्दी चेतना आदि। इसके अतिरिक्त वटसऐप, फ़ेसबुक ब्लॉग, रेडियो, यूट्यूब आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी है।लड़खड़ाती लघुकथा संघर्षों को झेलती शैशवावस्था से निकल कर यौवनावस्था में पहुँच गई है तथा वयस्क होकर आज लोकप्रियता की ऊँचाइयों को छू रही है।लघुकथाकारों की संख्या में वृद्धि हुई है। विकास हेतु कई मंच संलग्न हैं ।लघुकथा गोष्ठियों,प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है । लघुकथा विशेषांक निकाले जाते हैं। अधिक से अधिक स्तरीय पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है। उन पर शोध कार्य सम्पन्न हो रहे हैं ,लघु फ़िल्में बन रही हैं।पुरस्कारों के लिए भी स्वीकृत किया जा रहा है।यही नहीं अब विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी लघुकथाओं को स्थान दिया जा रहा है।लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - नव लेखन का लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है ।सोशल मीडिया के कारण पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई है। लघुकथा लोकप्रिय भी हो रही है।लेकिन गुणात्मक दृष्टि से स्तरीय एवं प्रभावी रचनाओं का प्रतिशत कम है। नवीन,समसामयिक विषयों की भी कमी है ।बहुत सारे विषय अभी अछूते हैं।लघुकथा लेखन उतना आसान नहीं जितना समझा जाता है। बहुत कुछ केवल प्रकाशित होने के लिए लिखा जा रहा है।लेकिन स्थापित एवं नए लेखकों के उत्तम लेखन तथा उनके द्वारा लघुकथा के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों से संतुष्ट हूँ।
प्रश्न न.7-आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - शिक्षित एवं उदारवादी विचारों वाले परिवार में जन्म हुआ।दादा और पिता जी साहित्य प्रेमी थे।उनका प्रभाव मुझ पर भी हुआ।हिन्दी साहित्य की शिक्षिका रही हूँ।बहुत कुछ लिख लेने के बाद भी लगता है अभी और सीखना है। अवसर मिलता है तो नव लेखकों को लघुकथा लेखन के लिेए प्रेरित करती हूँ और अच्छे लेखन के लिए सुझाव दे देती हूँ।
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - लेखन में मेरे परिवार से मुझे सदैव सहयोग मिला है।मैं सौभाग्यशाली रही हूँ बचपन से ही मेरी लेखन प्रतिभा को देख कर पहले मेरे पिताजी एवं भाई प्रोत्साहित करते रहे ,फिर विवाहोपरांत ससुराल भी साहित्यकारों का मिला।जिसके कारण मुझे सहयोग और प्रोत्साहन दोनों मिलते रहे हैं।
प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में, आपके लेखन में क्या स्थिति है?
उत्तर - मैं शिक्षिका रही हूँ । लेखन मेरी आजीविका का साधन कभी नहीं रहा।मैं लिखती हूँ ताकि समाज को अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ दे सकूँ। उसके बदले में पाठकों एवं साथियों का प्यार ,सम्मान मिलता है। हाँ, कभी-कभी पुरस्कारों की राशि मिल जाती है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - लघुकथा पल्लवित होकर विकास की सीढ़ियाँ चढ़ रही है । ख़ूब लिखा जा रहा है।मैं लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - मैं लिखती हूँ क्योंकि मुझे लिखना है, समाज को कुछ देना है, प्राप्ति की आशा कभी नहीं की कथाकार के रूप में पहचान मिली है, सम्मान मिला है । आत्म संतुष्टि मिली है।
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क्रमांक - 40
शिक्षा : बी.ए. , बी.एड.
सम्प्रति : मुंबई में १५ वर्ष प्रधानाचार्या तथा दस वर्ष हिंदी अध्यापन.
लेखन : काव्य, कहानी तथा स्क्रिप्ट
ई - पुस्तकें : -
मंद-मंद मुस्कान
काव्य बीथिका
कथा मंजरी
साझा संकलन : -
अनवरत,
मुंबई की कवयित्रियाँ,
१४ काव्य रश्मियाँ,
प्रेमाभिव्यक्ति,
सिर्फ़ तुम,
मुम्बई के कवि.
बुजुर्ग ( ई- लघुकथा संकलन )
सम्मान : -
- जनवरी २०१४ में बाबा साहब अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (देहली).
- जून २०१५ में 'हिंदी गौरव सम्मान' (लंदन).
- मार्च २०१६ में 'हम सब साथ साथ'द्वारा 'प्रतिभा सम्मान' (बीकानेर).
- नवंबर २०१७ में सिद्धार्थ तथागत साहित्य सम्मान
- जून २०२०आखर आखर सम्मान - २०२०
- जुलाई २०२१ हिन्दी अकादमी शिक्षा रत्न सम्मान
अगस्त २०२१ ' सुभद्रा कुमारी चौहान' सम्मान
- 'नया लेखन नये दस्तखत' द्वारा लघुकथा प्रतियोगिता में बहुत सी कहानियाँ सर्वश्रेष्ठ घोषित.
- 'शीर्षक साहित्य परिषद' द्वारा आयोजित दैनिक प्रतियोगिता में कविताएँ, लघुकथाएँ तथा कहानी 'माँ' सर्वोत्कृष्ट घोषित.
- साहित्य प्रहरी समूह द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में कहानी 'ज्योति-पुंज' को प्रथम पुरस्कार.
- यश पब्लिकेशन द्वारा आयोजित 'कलम की कसौटी' कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त.
- स्टोरी मिरर द्वारा लघुकथा 'काठ की हाँडी' तथा कहानी 'ज्योति पुंज' पुरस्कृत.
- अगस्त २०११ में 'द संडे टाइम्स' के स्पेशल इश्यू में इक्कीसवीं सदी की १११ लेखिकाओं में नाम घोषित.
- जून २०२१ में भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार सरेश शर्मा स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान
विशेष : -
- विद्यार्थी जीवन में अनेक नाटकों, लोकनृत्यों तथा साहित्यिक प्रतियोगिताओं में सफलतापूर्वक प्रतिभाग एवं पुरस्कृत.
- दूरदर्शन पर काव्य-गोष्ठियों में प्रतिभाग, संचालन तथा साक्षात्कारों का प्रसारण.
- आकाशवाणी के मुंबई केंद्र से रेडियो तथा ज़ी टी.वी. पर कहानियों का प्रसारण. प्रसारित कहानियाँ -'परंपरा का अंत' 'तोहफ़ा प्यार का', 'चुटकी भर सिन्दूर,' 'अंतिम विदाई', 'अनछुआ प्यार' 'सहेली', 'बीस साल बाद' 'अपराध-बोध' आदि .
- बच्चों के लिए नृत्य- नाटिकाओं का लेखन, निर्देशन तथा मंचन.
- कहानियों के नाट्यीकरण ,साक्षात्कार,कॉन्सर्ट्स तथा स्टेज शो के लिए स्क्रिप्ट लेखन.
- हिंदी से अंग्रेज़ी तथा मराठी से हिंदी अनुवाद कार्य-
'टेम्स की सरगम ' हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद.
- एक मराठी फिल्म 'स्पंदन' का हिंदी में स्क्रीनप्ले लेखन.
- अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में सहभागिता : विषय- पर्यटन और मनोविज्ञान ,ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी, विश्व मैत्री और भाईचारे पर सोशल मीडिया का प्रभाव
- आलेख प्रकाशित : एक सवाल हूँ मैं (ज्योतिर्मयी पत्रिका)
पर्यटन और मनोविज्ञान (अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'लेखनी')
स्त्री पुरुष का पर्याय- शिखंडी (अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लेखनी), पत्रकारिता का बदलता स्वरूप: आम आदमी की नज़र में (न्यू मीडिया) , आदिवासी कला: एक झलक (आदिवासी साहित्य एवं संस्कृति)
विदेश भ्रमण : -
युनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर,जर्मनी,हॉलैण्ड, फ्राँस,फ़िनलैंड तथा मालदीव्स.
पता : बी, ४०१/४०२, मधुबन अपार्टमेन्ट, फिशरीस युनीवरसिटी रोड, सात बंगला के पास, वर्सोवा,
अंधेरी (पश्चिम), मुंबई-६१ महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर- कथ्य महत्वपूर्ण तो और तत्व भी हैं पर कथ्य पर ही लघुकथा की संरचना टिकी होती है.
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्रीमती कांता राय , श्री वीरेन्द्र वीर मेहता ,श्री राम देव धुरन्दर , श्री योगराज प्रभाकर , सुश्री चित्रा मुद्गल
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर-समीक्षा की दृष्टि से लधुकथा की समीक्षा के लिये जिन मुद्दों या तत्वों पर ध्यान देना चाहिये वे हैं- कथावस्तु,चरित्र,संवाद,वातावरण,शैली और संप्रेषणीयता. वातावरण और शैली को गौण मान लिया जाय तो बाकी चार महत्वपूर्ण है.परन्तु लघुकथा किसी बने-बनाये साँचे में फिट हो जाने वाली विधा नहीं है. क्षणिक घटना, संक्षिप्त कथन तथा तीक्ष्ण प्रभाव होना जरूरी है. इन में से कोई एक भी न हो या कमजोर हो तो लघुकथा प्रभावहीन होगी. लघुकथा बिना भूमिका के लिखी जाती है.इस में पात्र और कथा एक दूसरे के पूरक होते हैं कभी-कभी कथा में पात्र की उपस्थिति लेखकीय प्रवेश मान ली जाती है जो एक भ्रम है. "मैं" करके यदि पूरी लघुकथा लिखी जाये तो उसमें लेखकीय प्रवेश नहीं माना जाता है.नये लेखकों का भ्रम तब दूर होता है जब वे गुरुजनों से सही निर्देश लेते हैं या दोनों प्रकार की लघुकथाओं को पढ़ कर मनन करके समझने का प्रयास करते हैं.इसी प्रकार पंचलाइन के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता.किन्तु केवल पंचलाइन को ही पूर्ण रूप से संप्रेषणता का आधार मान लेना सही नहीं. वैसे तो बहुत सी बातें हैं जो समीक्षक को ध्यान में रखनी चाहिये.हर लघुकथा एक नये रंग-रूप व आकार ले कर जन्म लेती है तथा प्रस्तुत की जाती है.पर समीक्षक को नियमों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा करनी चाहिये.
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी जानकारी में हैं- 'नया लेखन नये दस्तख़त' व 'लघुकथा के परिन्दे' , भारतीय लघुकथा विकास मंच
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जो लेखक सीखने की अवस्था में हैं वे छोटी छोटी गलतियों से सीख कर स्वयं को सुधारने की कोशिश करते हैं.जो नियमों का पालन करते हैं वे सही दिशा की ओर बढ़ जाते हैं.जिन्हें नियमों का कुछ अता-पता ही नहीं वे कुछ भी लिख कर लघुकथा का नाम दे देते हैं.वरिष्ठ जन पूरी तरह जानकार हैं उनके लिये लघुकथा लिखना चुुटकियों का काम है.पर आज के साहित्यिक परिवेश में वे लेखक दिगभ्रमित हैं जो नहीं जानते कि किसको लघुकथा माने किसको नहीं.उनके लिये सही दिशा निर्देशन की आवश्यकता है.
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- पूरी तरह नहीं.
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- मैं शिक्षा के क्षेत्र से लेखन में आई हूँ.शिक्षा के क्षेत्र में ही मार्गदर्शन कर सकती हूँ.
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर- सर्वप्रथम, मेरी लेखन की गतिविधियों के चलते मेरे परिवार की दिनचर्या प्रभावित नहीं होती.हालांकि परिवार की देख-रेख उनकी आवश्यक्ताओं की पूर्ति तथा घर संभालने की पूरी जिम्मेदारी मेरी है और मैं उन सब कामों को पूर्णतया ईमानदारी से निभाती हूँ फिर भी लेखन कार्य के लिये समय निकाल लेती हूँ.परिवार का योगदान इतना है मुझे कंप्यूटर व मोबाइल पर टाइप करना,इ मेल भेजना वगैरह मेरे बच्चों ने ही सिखाया.यहाँ तक कि मेरी कुछ समस्याएँ मेरी नातिनें ही सुलझा देती हैं जैसे मोबाइल तथा प्रिंटर की मदद से प्रिंटआउट निकालना,मेरे सारे पेपर्स की फाइल बनाना,कहीं साहित्यिक कार्यक्रम में जाना हो तो अपने पर्स में अपना पॉकेट मनी डाल कर मुझे हिदायतें दे कर भेजना जैसे मैं कोई छोटी बच्ची हूँ.विशेषकर जब मैं उनके साथ विदेश में होती हूँ तो किसी साहित्यिक कार्यक्रम में मेरे दामाद जी मुझे गंतव्य तक छोड़ने-लेने जाते है कि मम्मी कहीं खो न जायें.इन सब से मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है और लिखने की प्रेरणा मिलती है.जब मेरी कोई रचना पुरस्कृत होती है तो हम सब मिलकर विशेष आयोजन करते हैं बाहर कहीं जा कर या घर पर. बच्चे मेरी उपलब्धियाँ अपने मित्रों को बताते हैं जिससे उनके मित्र मेरे भी और निकट आ जाते हैं. मेरी हर रचना मेरी बहन ( जो फ़िनलैंड में रहती है ) बड़े ध्यान से पढ कर टिप्पणी करती है. उसके पति और मेरे पति भी मुझे प्रोत्साहन देते हैं. यही नहीं मेरा बेटा मेरी रचनाओं को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करके यू टयूब पर प्रस्तुत करता है. घर परिवार की ओर से इतना प्रोत्साहन मिलने पर मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझती हूं.
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- मैं स्वांत सुखाय लिखती हूँ.मानदेय की अपेक्षा नहीं रखती, फिर भी जब चेक मिलता है तो लिखने का उत्साह और बढ़ जाता है.
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर- लघुकथा का भविष्य उज्जवल है पर वरिष्ठ जनों का दिशा-निर्देश बहुत आवश्यक है. यहाँ मैं श्रीमती कांता राय के कठोर अनुशासन का उदाहरण देना चाहूँगी जिस तरह वे लघुकथा के परिन्दों को ठोक-पीट कर तैयार करती हैं वैसे भी और गुरुजनों के आगे आने की आवश्यकता है.
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- मैंने 'नया लेखन नये दस्तखत' समूह में लघुकथा लिखना शुरू किया. 'करत करत अभ्यास के...'मैं लिखती चली गई और जब मेरी कई लघुकथाएँ पुरस्कृत हुईं तो अन्य समूहों में भी भेजने लगी.स्टोरी मिरर में मेरी लिखी लघुकथा 'काठ की हाँडी पुरस्कृत हुई तो मुझे अपार प्रसन्नता हुई.नया लेखन नये दस्तख़त में 'ब्लैक ब्यूटी',मुखौटे,मिलन, कलमकांड, नया सवेरा स्वाद अधिवेशन तथा 'शीर्षक साहित्य परिषद' द्वारा 'वात्सल्य' आदि पुरस्कृत हुई तो लघुकथा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती गई.
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क्रमांक - 041
जन्म तिथि - 5 मई 1963
पिता का नाम - डॉ ब्रज बल्लभ सहाय
माता का नाम - श्रीमती माधुरी सहाय
पति का नाम - श्री गिरिजेश प्रसाद श्रीवास्तव
निवास स्थान - पटना (बिहार)
पेशा - गृहणी , स्व रुचि लेखन
शिक्षा - एम.ए. (अर्थशास्त्र)
पुस्तकें : -
'निहारती आँखें' काव्य संग्रह,
'वर्तमान सृजन' साझा काव्य संकलन,
'श्रद्धांजलि से तर्पण तक' एकल कहानी संग्रह ।
'नदी चैतन्य हिन्द धन्य',
'अमृत अभिरक्षा', 'नसैनी',
'जागो अभय', 'समय की
दस्तक',साझा संकलन,
बासंती अंदाज़' साझा काव्य संग्रह
सम्मान -
भोजपुरी बाल कहानी प्रतियोगिता में पुरष्कार प्राप्त
उन्वान प्रकाशन एवं लेख्य मंजूषा साहित्यिक संस्थान
द्वारा "सम्मान प्रतीक" की प्राप्ति,
story mirror एवं फेसबुक के कई ग्रुप द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान,
पता : -
305, इंद्रलोक अपार्टमेंट, न्यू पाटलिपुत्र कॉलनी, पटना - बिहार 800013
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - जैसे किसी सम्मिलित कार्य के सम्पन्न होने पर किसी एक को विशेष महत्व नहीं दिया जा सकता उसी तरह लघुकथा में भी विषय वस्तु, शीर्षक और प्रस्तुति सभी का अपना अपना महत्व है। पर कभी-कभी शीर्षक लघुकथा के भाव को स्पष्ट करने में सहायक होता है। लघुकथा के पितामह 'सतीशराज पुष्करणा' की लघुकथा 'बोफर्स कांड' इसका अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा का संसार बहुत विस्तृत हो चुका है। आज इस क्षेत्र में अनेक लेखक अनेक तरह से कार्य कर रहे हैं। जो मेरे प्रेरणा के स्रोत रहे वैसे पांच लघुकथाकारों के नाम लिखती हूँ। - सतीशराज पुष्करणा, मधुदीप गुप्ता, बीजेन्द्र जैमिनी , योगराज प्रभाकर और कांता राय।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - कथानक सरल और प्रभावपूर्ण हो। कथानक का अनावश्यक विस्तार न हो। शीर्षक पर विशेष ध्यान अशुद्धियों पर ध्यान, जिससे पढ़ने में असुविधा न हो।लघुकथा अपना प्रभाव छोड़े, लेखकीय प्रवेश से मुक्त हो तथा उपदेशात्मक न हो।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे, भारतीय लघुकथा विकास मंच,नया लेखन: नए दस्तक इसके अलावा फेसबुक के अन्य कई ग्रुप, व्हाट्स एप्प ग्रुप, इंस्टाग्राम आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा अपना पांव जमा चुकी है। पाठक और लेखक दोनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि का अर्थ है तृप्त होना। साहित्य में संतुष्टि हो जाए तो विकास अवरुद्ध हो जाएगा। साहित्य का विकास दिनोंदिन बढ़ते रहना चाहिए।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि सेआए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं
उत्तर - मैं ऐसे मध्यवर्गीय परिवार से हूँ, जहाँ दो पीढ़ी ऊपर से नारी शिक्षा का महत्व रहा।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे माता-पिता लेखक नहीं थे पर अच्छे पाठक थे। माँ के साथ भाई-बहन और पति मेरी रचना को पढ़ते हैं सुनते हैं और अपनी राय अवश्य व्यक्त करते हैं। बड़ी दो बहन भी लिखती हैं, एक भाभी कवयित्री हैं। थोड़ा बहुत गद्य लेखन भी करती हैं। ससुराल में एक देवरानी और एक भतीजी लेखन से जुड़ी हुई हैं। सभी एक दूसरे की रचनाएं पढ़ते हैं और यथासम्भव मार्गदर्शन करते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरे जीविकोपार्जन का साधन नहीं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा के लेखक और पाठक की संख्या बढ़ रही है अतः ये कहा जा सकता है कि भविष्य में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी होगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - पहले मैं कहानी और कविता लिखती थी। लघुकथाएं भी लिखी पर लघुकथा विधा से अनभिज्ञ रह कर अतः वह लघु कथा तो थी । लघुकथा नहीं। लघुकथा विधा को जानने के बाद लिखी लघुकथाएं आत्मसंतुष्टि प्रदान करती है खुशी मिलती है। हर उस घटना पर कलम सरलतापूर्वक बढ़ जाती है जो दिल को झकझोड़ देती है।
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क्रमांक - 043
विधा : -
लघुकथा, कविता, गीत, मुक्तक, दोहा, हाइकु, कहानी, संस्मरण आदि ज्यादातर सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है।
व्यवसाय: -
अध्यापिका, लेखिका कम गृहणी, महिला काव्य मंच दिल्ली की कार्यकारिणी सदस्या, समाज सेवा में संलग्न।
सांझा संकलन : -
जागो अभया, काव्यस्पंदन, समाज ज्योति, अविरल प्रवाह, समय की दस्तक, भाषा सहोदरी, आरूषि, साहित्य अर्पण, प्राज्ञ साहित्य, कोरोना काल में साहित्य आदि।
सम्मान: -
'हिंदी योद्धा' सम्मान 2020, उत्तराखंड में प्राज्ञ साहित्य सम्मान, जय विजय पत्रिका द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ लघुकथाकार 2019' ,लघुकथा श्री, भाषा सहोदरी, 'हिन्दी साहित्य कर्नल' स्टोरी मिरर, गुरु वशिष्ठ सम्मान, जागो अभया सम्मान, नदी चैतन्य हिंद गौरव सम्मान, गीत गौरव सम्मान, मां वीणापाणि साहित्य सम्मान - 2020 ,स्वामी विवेकानन्द साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ श्रोता सम्मान, देश में जल बचाने हेतु जागरूकता सम्मान, पृकति प्रहरी सम्मान, काव्य भूषण सम्मान, जैमिनी अकादमी हरियाणा द्वारा स्वामी विवेकानंद सम्मान 2021, भारत गौरव सम्मान 2021, टेकचंद गुलाटी स्मृति सम्मान, उत्तम चंद स्मृति सम्मान ,हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा भिन्न-भिन्न सम्मानों से नवाजा गया है। आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
पता : -
ई-708, नरवाना अपार्टमेंट, 89 आई०पी०एक्सटैंशन,
दिल्ली -110092
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व संदेश होता है जो कथा में छिपा होता है। वस्तु और चरित्र उसी पर केंद्रित रहते हैं।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?
उत्तर - आ० कांता राय जी, आ० अशोक जैन जी, आ० योगराज प्रभाकर जी, आ० उमाकांत भारती जी आदि ऐसे कई लघुकथाकार हैं जो समकालीन लघुकथा साहित्य में अपने कार्यो द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मेरी नज़र में आ० बीजेन्द्र जैमिनी जी की है, जिनके अथक प्रयासों के कारण लघुकथाओं को एक जगह संकलित किया जा रहा है और हम जैसे छोटे लघुकथाकारों को भी अपनी बात कहने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा हेतु कथा, वस्तु, नायक, शैली और संप्रेषण आदि मापदंड प्रयुक्त किए जाते हैं। समीक्षक को लेखक के नाम पर नहीं बल्कि उसकी लिखी लघुकथा पर समीक्षा करने की जरूरत है। जो आलोचना का प्रारूप भी धारण कर सकती है। तभी सही मापदंड उजागर हो सकता है।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - शोशल मीडिया ने लघुकथा साहित्य को एक नई पहचान दिलाई है। यहां अनेक ऐसे प्लेटफार्म हैं जहां लेखक लघुकथा लिखकर पोस्ट करता है और वह तुरंत पाठकों की प्रतिक्रियाओं से रूबरू होने लगता है। फेसबुक, वाट्सअप, ई-बुक, ब्लॉग , यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, साईट्स आदि अनेक प्लेटफार्म हैं।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्य ने आज़ अपनी चरम सीमा को प्राप्त कर लिया है। हिन्दी के बढ़ते प्रभाव के कारण यह संभव हो पाया है। भागमभाग वाली जिंदगी में लघुकथाएं पढ़कर सभी अपने जीवन में परिवर्तन को महसूस कर पा रहे हैं। इसलिए मेरे नज़रिए से साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतर समझी जा सकती है।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - तो मैं कहना चाहूंगी कि अभी हमें और इस पर गहराई से काम करना होगा। आज़ जहां देखो वहां लघुकथाकार आपको दिखाई दे जाएंगे क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से कई प्लेटफार्म आज़ प्रचलन में हैं। सभी अपने मन की बात कहने को आतुर हैं।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक पढ़े-लिखे परिवार से हूं। जहां सभी बहन-भाइयों की पढ़ाई पर जोर रहता था। पापा जीवन बीमा में थे, तो बच्चों को भी उन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन दिया। आर्य समाजी होने के कारण सात्विक विचार व समाज सेवा करना भी पापा-मम्मी से प्राप्त हुए। मुझे नहीं पता कि मैं किस प्रकार की मार्गदर्शक बन पाई हूं, परन्तु इतना ज़रूर कहूंगी कि किसी भी प्राणी, बुजुर्गों को सताओ नहीं बल्कि उनकी सेवा करो क्योंकि पता नहीं कब किसी की दुआ आपके काम आ जाए।
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - मेरा परिवार ही मेरी दुनिया है। मेरे परिवार ने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया है। लेखन की शुरुआत में उन्हीं को सुनाती थी। जिससे मुझे अपनी कमियों को पूरा करने में मदद मिलती। शादी के पच्चीस साल बाद अपनी लेखनी को उठाया और अपने परिवार की सहायता से आज़ भी लिखने में सक्षम महसूस कर पा रही हूं। मेरे बच्चे मुझे रूकने ही नहीं देते।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। मेरा लेखन करने का एक ही औचित्य है कि सभी को सकारात्मकता प्रदान कर सकूं और कोई किसी को कभी भूल से कष्ट दे भी दे तो शायद मेरे लेख पढ़कर अपने आप को बदल सके। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया की सोच में परिवर्तन लाना चाहती हूं। मैं तब तक लिखती रहूंगी जब तक बदलाव को महसूस न कर लूं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - मुझे लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई पड़ रहा है। जिस प्रकार इस पर काम हो रहा है उसके अनुसार तो लघुकथाएं ही सबसे ऊंचा पायदान प्राप्त कर पाएंगी। आज़ बच्चों के पास समय का अभाव है तो जो शिक्षा हम कम शब्दों में उनको परोसकर दे रहे हैं वह उनका भविष्य सुधारने में मदद जरूर करेगा और लघुकथा पढ़ने में छोटी जरूर है परन्तु सीधे मस्तिष्क पर वार करती है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मैंने उड़ान भरनी सीखी है। अपने आप को आत्मसात करना सीखा है। कुछ परिवर्तन जो जिंदगी में नहीं ला पा रही थी । वे भी कर पाई हूं। मेरा मानना है...
'लघुकथा देखन में छोटी लागे,
पर मस्तिष्क पर घाव करे गंभीर।'
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क्रमांक - 044
साहित्यिक उपनाम : -डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
साहित्य सेवा-
हिंदी व अंग्रेजी में लिखित व संपादित पुस्तकें, गाईड्स व सीरीज 106 से अधिक ,बच्चों के लिए विद्यालय हेतु कई नाटकों का लेखन
सम्पादन : पत्रिकाओं का संपादन-4 मासिक, अर्धवार्षिक,वार्षिक पत्रिकाएं
अभिनय: डाॅक्यूमेंट्री फिल्म 'बिटिया रानी ' में महत्वपूर्ण भूमिका ,कई नाटकों में विद्यालय स्तर पर अभिनय
आकाशवाणी के तीन केंद्रों से संबद्धता-कहानी वाचन,आलेख वाचन,काव्य पाठ
वीडियो एल्बम-आज का वातावरण, प्रेम के रंग (काव्य पाठ)-इंदौर व मुंबई से निर्गत
सम्मान :
विदेश में : (मास्को रूस, काठमांडू तथा म्यान्मार बर्मा में) 7 सम्मान
देश में : लोकसभा अध्यक्ष श्री* *ओमकृष्ण बिरला जी द्वारा 'साहित्य श्री ' सम्मान सहित 140 से अधिक* सम्मान ।
महत्वपूर्ण दायित्व-
अध्यक्ष-एकल अभियान परिषद जिला-दतिया, संरक्षक-संस्कार भारती जिला-दतिया, संयोजक-मगसम दतिया जिला,*
एवं लगभग 7 अन्य साहित्यिक व समाज सेवा से संबंधित संस्थाओं में राज्य व जिला स्तरीय शीर्ष पदभार ।
विशेष-जून 2018 में मास्को में 2पुस्तकों का विमोचन ,जनवरी 2020 में 3 पुस्तकों का विमोचन रंगून (बर्मा)में सम्पन्न ।
पता : 150 छोटा बाजार दतिया - मध्यप्रदेश 475661
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - उद्देश्य
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -1श्री विष्णु प्रभाकर 2 श्री हरिशंकर परसाई जी 3 श्री अमृतलाल नागर जी 4 श्री रमेश बत्तरा 5 श्री भगीरथ परिहार
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - अपनी बात कब,कहाँ, कैसे कहना है? शैली, तीक्ष्ण प्रभाव ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - व्हाट्स एप,फेसबुक
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - बहुत संतोषजनक ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी,हाँ ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - शिक्षा की पृष्ठभूमि से।अपने अनुभव नवोदित रचनाकारों को प्रदान करता हूँ ।कई पत्रिकाओं में समीक्षक हूँ ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन कार्य में कभी व्यवधान नहीं करते हैं ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अंग्रेजी के शैक्षणिक लेखन से पैसा तथा हिन्दी के लेखन से सम्मान व आत्म संतोष ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - आने वाले समय में अधिक लेखक व अधिक पाठक होंगे ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - अपनी बात कम शब्दों में रखने का संतोष व पाठकों की संवेदनाओं को छू पाने में सफलता ।
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क्रमांक - 048
जन्म : 05 सितम्बर 1979 रामपुर - उत्तर प्रदेश
माता:श्रीमती सरोज शर्मा
पिता:श्री राम निवास शर्मा
शिक्षा : बी एस सी , बी.डी.एस
संप्रति :दंत चिकित्सक
लेखन की विधाएँ : लघुकथा, कहानी, कविता, यात्रा वृतांत, हाइकु
विशेष : -
अनेक सांझा संकलनों में लघुकथाएं संकलित
अनेक लघुकथा की आडियो रिकार्डिंग
सम्मान : -
सत्य की मशाल द्वारा साहित्य शिरोमणि सम्मान
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , गुरुग्राम द्वारा लघुकथा मणि सम्मान
लघुकथा शोधकेंद्र भोपाल के दिल्ली अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
प्रतिलिपि सम्मान
संपर्क : बी-1/248, यमुना विहार, दिल्ली-110053
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर – जिस तरह किसी भी रेसिपी को बनाने के लिए उसमें आवश्यक सभी इनग्रेडियेंटस जरूरी होते हैं लेकिन नमक के बिना रेसिपी बेस्वाद हो जाती है। वैसे ही लघुकथा के लिए कथातत्व होना अति अनिवार्य है। लघुता के साथ कथातत्व उपस्थित होना लघुकथा की अनिवार्यता है।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है
उत्तर – समकालीन लघुकथा साहित्य में पाँच नामों का लेना मेरे लिए बहुत मुश्किल काम है। लघुकथा की मशाल को जलाये रखने में हमारे वरिष्ठ ने बहुत महत्वपूर्ण काम किया है़। सब अलग अलग ही सही । लेकिन लघुकथा के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं। बीजेन्द्र जैमिनी जी आप निरन्तर लघुकथाकारों को एकजगह एकजुट करने का काम कर रहे हैं। बलराम अग्रवाल , भगीरथ, सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ये सभी लघुकथा के लिए निरन्तर समर्पित हैं।
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर – समीक्षक का कर्तव्य है वह लघुकथा के भीतर तत्कालीन परिस्थितियों से सम्बन्धित घटनाओं की खोज करके उसकी व्याख्या करे और अगर लघुकथा में कोई समाधान भी दिखाई देता है तो उसका भी वर्णन करे।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर – लघुकथा साहित्य के इस सारस्वत यज्ञ में सब अपने अपने तरीके से आहुति डाल रहे हैं। फेसबुक पर लघुकथा के विभिन्न समूह, यू ट्यूब, ऑडियो - वीडियो ये सभी लघुकथा के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर – आज लघुकथा बहुतायत में लिखी जा रही है। सम्भवतः आकार में छोटी होने के कारण इसके लेखकों की संख्या में वृद्धि हो रही है।प्रयास होंगे तभी अच्छी रचनाएं भी निकलकर आयेंगी।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर – आज लघुकथा हर जगह अपना परचम लहरा रही है लेकिन संतुष्ट होना अर्थात विकास का रुक जाना।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर – मेरे पापा इन्टरकॉलिज के प्रधानाचार्य रहे हैं। पढ़ाई को बेहद समर्पित। अपने विद्यार्थी काल में मैंने सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया है। मेरी कोई लेखकीय पृष्ठभूमि नहीं है। मेरी मम्मी बहुत अच्छी किस्सागो होने के साथ सुंदर भजन भी रच लेती हैं। मुझे लेखनी की यह विरासत वहीं से मिली है। मेरे भाई भी , तुकांत अतुकांत कविता लिखते हैं। सीखने को समुद्र भर है। अभी उसकी एक बूंद भर भी नहीं सीख पाई हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर – बिना पारिवारिक सहयोग लेखन सम्भव ही नहीं।सहयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों रुप में हो सकता है। मैं और मेरे पति दोनों दंत चिकित्सक हैं।मेरी दो छोटी बेटियाँ हैं।मुझे लिखने के लिए समय देना, लेखन कार्य के लिए कहीं आने जाने पर घर पर रुककर बच्चों पर ध्यान देना, छोटे बच्चों का मम्मी के बिना घर पर अकेले रुक जाना, इन सब सहयोग के बिना मेरी लेखन यात्रा असंभव थी। मैं प्रभु की शुक्रगुज़ार हूँ मुझे इतना प्यारा, सहयोगी परिवार दिया।
प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर –मैं दंतचिकित्सक हूँ। लेखन मेरा पैशन है। मेरे विचार से लेखन को आजीविका बनाने के लिए दायरे में बाँधना होगा। दायरे में बंध कर मेरी लेखनी उन्मुक्त नहीं रह सकती।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर – लघुकथा के लिए हमारे वरिष्ठों ने बहुत मेहनत की है।हमारे साथी भी इसके लिए पूरे मन से समर्पित हो काम कर रहे हैं।किसी विधा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं पर होती है और सौभाग्य से आज की पीढ़ी लघुकथा के लिए समर्पित है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल ही नहीं बहुत उज्जवल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर – साहित्य सदैव कुछ न कुछ सिखाता है।लेखन अनुभव का निचोड़ होता है।मैंने भी लघुकथाएं पढ़ कर बहुत कुछ सीखा है और निरन्तर सीख रही हूँ।
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क्रमांक - 049
जन्मतिथि : 29 अगस्त 1960
जन्मस्थान : सीवान - बिहार
शिक्षा : बी.ए , बी. एड् , एल.एल. बी
सम्प्रति : 2016 से 'साहित्यिक स्पंदन' त्रैमासिक पत्रिका का सम्पादन
विशेष : -
- 2011 में ब्लॉग जगत से जुड़ी
–2012 से हाइकु और लघुकथा लेखन
–2014 में अपना हाइकु समूह बनायी और हाइकु पुस्तक हेतु इवेंट कराया
–2014 में ही वेब जय विजय पर लेखन शुरू किया
–हस्ताक्षर वेब पत्रिका में हाइकु चयन शुरू किया
- 2015 में *साझा नभ का कोना* हाइकु साझा संग्रह और *कलरव* सेदोका - तानका साझा संग्रह का सम्पादन किया
- 2016 में लेख्य-मंजूषा की स्थापना और लघुकथा पुस्तक का सम्पादन शुरू किया
- 2016 में हाइकु शताब्दी वर्ष में लगभग 125 हाइकुकार को शामिल कर .. *साल शताब्दी , शत हाइकुकार, साझा संग्रह* और *अथ से इति : वर्ण पिरामिड* 51 प्रतिभागियों का साझा संग्रह सम्पादित किया –छोटी-छोटी कोशिश है..
–2016 में लगभग 125-130 प्रतिभागियों की हाइकु की दूसरी पुस्तक
साल शताब्दी
शत हाइकुकार
साझा संग्रह
का सम्पादन किया
पता : -
104–मंत्र भारती अपार्टमेंट ,रुकनपुरा , बरेली रोड ,
पटना – 800014 बिहार
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर – यह कहना बहुत कठिन है कि एक शरीर में कौन सा अंग सबसे महत्त्वपूर्ण है फिर भी अगर एक अंग की बात तय की जाये तो वह दिल और उसकी धड़कन.. उसी तरह मैं लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व शीर्षक को मान रही हूँ... लघुकथा पितामह सतीशराज पुष्करणा की लिखी लघुकथा 'बोफोर्स कांड', 'अपाहिज' 'मन के सांप' को उदाहरणार्थ प्रस्तुत कर रही हूँ
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर – सैकड़ों में से सिर्फ पाँच नाम... डॉ. सतीशराज पुष्करणा, सतीश राठी, बीजेन्द्र जैमिनी , मधुदीप गुप्ता, बलराम अग्रवाल, कमल चोपड़ा
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - रंजनात्मक सरल कथानक लघुकथा लेखन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है
-शीर्षक सटीक या अनुपयोगी/अनुपयुक्त है
–शिल्प में नयापन है कि नहीं
–लिखने की गुणवत्ता, कथानक से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण बात छूटा न हो और न ही अनावश्यक विस्तार किया गया हो।
-समीक्षा लिखते समय यह कोशिश करनी चाहिए कि लेखन की समस्या न बता कर यह बताना चाहिए कि उसमें क्या सुधार करना है। स्व-समीक्षा सुधार की गतिविधि का हिस्सा है। समीक्षा करना लाभप्रद होता है, जिससे जो गलतियाँ या कमियाँ रही उसे सुधारा जा सकता है। उसी के आधार पर विश्वसनीयता बनी रहती है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर – नया लेखन : नए दस्तखत
– लघुकथा के परिंदे
– भारतीय लघुकथा विकास मंच
– लघुकथा विश्वकोश
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर – बेहद मजबूत स्थिति है... पाठक और लेखक दोनों की संख्या बढ़ रही है...।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर – सौ प्रतिशत सन्तुष्ट नहीं हूँ... काल के साथ परिवर्त्तनशील के साथ सन्तुष्टि कैसे आ सकती है... !
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर – गृहणी हूँ... सामान्य स्त्री का जीवन
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर – लेखन को सुन लेना , उपयुक्त सुझाव देना
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर – जब अपनी बी. एड. और वकालत की पढ़ाई (जो आजीविका हेतु ही की जाती है) को धन उपार्जक नहीं बनायी तो लेखन से आजीविका...
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - कवि - कवयित्री , लघुकथा लेखन में जुट रहे..अतः मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर – मानसिक सन्तुष्टि और मनोबल ऊँचा रख पाना...!
नाम : डॉ. क्षमा सिसोदिया
अंतराष्ट्रीय,कवियत्री,लघुकथाकार,हास्य व्यंग्य, हाइकु,
मुकरी विधा की स्वतंत्र लेखिका।
शिक्षा - इलाहाबाद वि.वि. से स्नातक।
लखनऊ वि. वि से स्नातकोत्तर।
विक्रम वि.वि से पीएचडी ।
इंटिरियर डिप्लोमा कोर्स।
इंडस्ट्रियल डिप्लोमा कोर्स।
पर्सनालिटी डिप्लोमा कोर्स।
शैक्षणिक योग्यता -
सांदीपनी कालेज,उज्जैन में तीन वर्ष शिक्षण योगदान।
विक्रम वि.वि में काॅमर्स,एम.ए,एमफिल तक।
उपलब्धियाँ -
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1-देवी अहिल्या वि. वि. में गवर्नर
नामिनी कार्यपरिषद की सदस्या।2005
2-"रेकी थैरेपी" (प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति) में उत्कृष्ट कार्य हेतु राज्यपाल से गोल्ड मेडल प्राप्त - 2006
3- लखनऊ वि. वि. से उत्कृष्ट छात्रा के रूप में
"मिस हिन्दी" अवार्ड प्राप्त -1996
4-छात्र-जीवन से ही लेखन में रूझान,समाचार पत्रों में लेखन।
5-आकाशवाणी पर कई बार कविता पाठ।
6- महाकवि कालिदास-स्मृति समारोह समिती उज्जयिनी द्वारा साहित्यिक सम्मान 2014
7-नीरजा सारस्वत सम्मान, उज्जैन। 2009
सामाजिक क्षेत्र :-
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1-वर्धमान क्रिएटिव एंड वेलफेयर सोसाइटी महिला विंग उज्जैन द्वारा - मातृत्व दिवस पर मातृत्व सम्मान - 2011
2- दिगम्बर जैन महिला परिषद अवंति उज्जैन द्वारा सम्मान -2009
3-पंजाबी महिला विंग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान
4-अखिल भारतीय क्षत्राणी पद्मिनी समिति महाराष्ट्र द्वारा "Achieve ment Award"-2019
5-8मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मान - 2003 to 2005
6-नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा सामाजिक गतिविधियों हेतु नायिका अवार्ड 2010
7-राजपूत महिला ग्रुप उज्जैन द्वारा - समाजिक गतिविधियों हेतु सम्मान।
8-पंजाबी महिला ग्रुप उज्जैन द्वारा सामाजिक गतिविधियों हेतु सम्मान।
9-राॅयल पद्मिनी राजपूतानी समिति-मंदसौर द्वारा 'क्षत्राणी' सम्मान। 2018
10- महिला सोशल विंग द्वारा सम्मान। 2019
साहित्यक क्षेत्र:-
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1-अभिव्यक्ति विचार मंच (नागदा) द्वारा सम्मान - 2008
हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग संस्था द्वारा साहित्यिक सम्मान,2011 उज्जैन।
2-अग्नि पथ समाचार पत्र द्वारा साहित्यिक सम्मान - 2013
3-दैनिक भास्कर, समाचार पत्र द्वारा सम्मान- 2015
4-पत्रिका समाचार द्वारा-प्रशस्ति-पत्र (सामाजिक क्षेत्र में योगदान हेतु- "Creator...,celebrate the Success of woman Award-2016
5-नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा-वुमन अचीवर्स अवार्ड- 2018
6-हिन्दी शब्द साधिका सम्मान
7-अवध ज्योति रजत जयंती द्वारा -साहित्यक सम्मान 2019
8-अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रान्त द्वारा -"शब्द साधिका सम्मान।"
9--स्वर्णिम भारत मंच युवा संगम उज्जैन द्वारा साहित्यिक सम्मान 2021।
10-:स्टोरी मिरर अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में लघुकथा विजेता।
11- अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कविताएं विजेता।
13- मध्यांतर मंच- से लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा (मय राशि) विजेता।
14-नया लेखन-नया दस्तखत मंच पर कई लघुकथाएं विजेता।
15- इंदुमति श्री स्मृति लघुकथा योजना में लघुकथा सम्मिलित हो राशि प्राप्त।
16- लोकरंग संस्कृति मंच और लोकगीत कजरी गायन पर सम्मान।
17-साहित्य संगम संस्थान दिल्ली से
स्थानीय भाषा भोजपुरी में कव्य प्रसारण।
18-यूट्यूब पर रचनाओं का प्रसारण।
प्रकाशित संग्रह -
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1-केवल तुम्हारे लिए" - काव्य संग्रह।
2-'कथा सीपिका '- लघुकथा संग्रह ।
3- 'भीतर कोई बंद है।' लघुकथा संग्रह।
4- तीन अन्य पुस्तकें प्रकाशनार्थ हैं।
5- कई साझा संग्रह में रचनाओं का प्रकाशन।
6-कलश,अविराम साहित्यिकी लघुकथा स्वर्ण जयंती विशेषांक में लघुकथाओं का चयन।
एवं अन्य कई पत्रिकाओं में लघुकथा,कविता, आलेख प्रकाशित।
अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ -
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1-नेपाल साहित्य धरा से प्रकाशित साहित्य 'भोजपुरी दर्शन' में प्रांतीय भाषा (भोजपुरी में) भी लघुकथा, कविता का प्रकाशन।
2- पुस्तक-भारती (कनाडा) में रचनाएं प्रकाशित।
3-विश्व हिन्दी ज्योति (कैलिफोर्निया से प्रकाशित ') में रचना प्रकाशित।
4-12वाँ अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव 2020
परिकल्पना उत्सव सम्मान (शारजाह,दुबई, ,मालदीव)
अन्य गतिविधियाँ :-
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1-साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था त्रृचा विचार मंच की कार्यकारिणी सदस्य।
2-मध्य प्रदेश लेखक संघ समिति की कार्यकारिणी सदस्य।
3- स्वर्णिम भारत मंच उज्जैन (सामाजिक सेवा संस्थान) की कार्यकारिणी सदस्य।
विशेष :-
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लेखन के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता ।
सेवा के रूप में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर
1-"भैरोगढ जेल (उज्जैन)में कैदी महिलाओं के चर्चा कर साथ समय व्यतीत किया।
2-14 फरवरी वेलेंटाइन डे पर (स्व खर्च से) स्टूडेंट के साथ गंभीर नदी की सफाई में कर सेवा कार्य।
3- नारी-निकेतन की कन्याओं के विवाह में योगदान।
पता :-
आशीर्वाद
10/10 सेक्टर बी , महाकाल वाणिज्य केन्द्र
उज्जैन-456010 मध्यप्रदेश
शिक्षा - विज्ञान स्नातिका, राँची महिला महाविद्यालय से।
पुस्तकें :-
पहला लघुकथा संग्रह 'कचोट'
विविध विधा की दस पुस्तकें
विशेष -
- पहला उपन्यास - 19-20 की उम्र में।
- पहली लघुकथा - 1977 में।
नवतारा के ( संपादक-भारत यायावर) लघुकथांक 1979 में प्रकाशित।
- 1991 में अखिल भारतीय लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी आकार ( मधुबनी, बिहार ) में एक लघुकथा पोस्टर प्रदर्शित ।
- 1981 में भोपाल सूद जी द्वारा दिल्ली दूरदर्शन के लिए लघुकथा संबंधी साक्षात्कार। जो स्टिल फोटो के साथ बाद में प्रसारित किया गया था। ( राज की बात कि भूपाल जी के आने के तीन-चार दिन बाद ही मेरा विवाह... )
- लघुकथाओं का - तारिका, लघु आघात, लघुकथा. काम, लघुकथा कलश, कथाक्रम, जनसत्ता सबरंग, राष्ट्रीय सहारा, पायोनियर, दै. हिंदुस्तान, प्रभात खबर, विश्व गाथा, सर्व भाषा, राँची एक्सप्रेस, जागरण आदि में प्रकाशन
- दस वर्ष तक शिक्षण कार्य।
प्रमुख पुरस्कार / सम्मान :-
- उपन्यास ' पुकारती जमीं ' को 1990 में नवलेखन पुरस्कार, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार से।
- प्रथम स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान ।
- तृतीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान।
- रामकृष्ण त्यागी स्मृति कथा सम्मान
पता : -
1 - सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, डोरंडा, राँची -834002 झारखण्ड
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उ० - स्पष्ट कथ्य और पंच लाइन।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - अशोक भाटिया जी, कांता राय जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, रामेश्वरम काम्बोज जी , सुकेश साहनी जी ।
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ० - जो किसी भी विधा की समीक्षा के लिए जरूरी हैं। जैसे निष्पक्षता, तटस्थता, गुणवत्ता। लघुकथा की समीक्षा के लिए उसके शीर्षक की उपयुक्तता, पंच लाइन और छिपे संदेश को भी पहचान कर समीक्षीय दायित्व निभाने की जरूरत है।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - फेसबुक, व्हाइट्स एप, वेब साइट्स, ब्लॉग, ई पत्रिकाएँ, ई पुस्तक, यू ट्यूब आदि।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ० - आज लघुकथा साहित्य की अन्य विधाओं से टक्कर लेने की बजाय आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। निरंतर अपने को निखारने का प्रयास और लघुकथाकारों की प्रतिबद्धता के कारण इसने विशेष दर्जा हासिल कर लिया है। अब लघुकथा के बिना कोई पत्र-पत्रिका आगे नहीं बढ़ सकती है। इसने अन्य विधाओं के साथ कदमताल करना काफी पहले ही सीख लिया था।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ० - हाँ भी, नहीं भी। इसके बढ़ते कदम, इस पर निरंतर की जानेवाली मेहनत, शोधादि जहाँ संतुष्टि प्रदान करते हैं, वहीं भेड़चाल असंतुष्ट भी करती है। बिना पढ़े अर्थात बिना अध्ययन, बिना समझे धड़ाधड़ लघुकथा के नाम पर लघु कहानियांँ परोसना निराश भी करता है।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ० - मैं मध्यम परिवार से हूँ। घर में ही अनगिन पुस्तकें, पत्रिकाओं के पठन-पाठन के कारण साहित्यिक रुचि जगी।
शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों को काव्य, कथा लेखन के लिए प्रेरित किया, राह सुझाई, सुधारा बारंबार।
अब भी नए लघुकथाकारों को लघुकथा में कमी पर सुझाव देती हूँ
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ० - पाठक की, दर्शक की, प्रसंशक की। परिवार में कोई साहित्यकार नहीं पर बहुत सारे सजग साहित्यप्रेमी थे तो किताबों की अधिकता ने बचपन में ही कलम थमा दी थी। पति प्रारंभ में मेरी रचनाओं के प्रथम पाठक हुआ करते थे। उनकी प्रतिक्रिया सुधार का मार्ग प्रशस्त करती है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ० - जो हर हिन्दी के लेखक की होती है। लेखन को आजीविका बनाना कठिन। कुछेक पारिश्रमिक से जीवन नहीं चलता।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ० - बेहद उज्ज्वल। पुरोधाओं सहित निरंतर लगे रहनेवाले साधकों की कसौटी पर खरी उतरेगी। पूत के पाँव दिखाई पड़ने लगे हैं। लेकिन सावधानी अपेक्षित कि लघुकथा लघु कथा न बन जाए।
प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ० - साहित्य कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं। कुछेक विसंगतियों-विडंबनाओं से विचलित हो, कुछ बदलाव की चाहत में, सुधार करने के लिए लेखन करती हूँ। यह एक साधना है। लघुकथा में यह जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। अन्य लघुकथाकारों से परिचय-घनिष्ठता को प्राप्ति कह सकते हैं।
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क्रमांक - 055
जन्म तारीख- 13 जुलाई1959
जन्म स्थान- सीहोर - मध्यप्रदेश
पति का नाम- दिलीप कुमार गुप्ता
पिता का नाम- गोपीवल्लभ नेमा
माता का नाम- त्रिवेणी नेमा
शिक्षा- एम.एस-सी.(रसायन शास्त्र),एम.एड.
व्यवसाय- 26 वर्षों तक विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में अध्यापन कार्य ,केन्द्रीय वि. लेक्चरर (रसायन शास्त्र)
2013 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति
प्रकाशित पुस्तकें:-
1. बाल काव्य-संग्रह- ‘आओ बच्चों याद करें’
2. काव्य संग्रह- ‛प्रेरणा’
3. पर्यावरण कविताऐं- ‛धरोहर’
4. क्षणिकाओं का संग्रह- ‘क्या यही सच है?’
5. कहानी संग्रह- ‘अपराजिता’
6. लेख संग्रह- ‘बच्चों को सशक्त बनाएं’ ।
7. लघुकथा संग्रह- ‛दुर्गा'
विशेष : -
1991 से 2002 तक आकाशवाणी बाँसवाड़ा(राज)से ‛वातायन' कार्यक्रम में 25 कहानियों का प्रसारण।
अतिथि सम्पादक: 2007 में जगमग दीपज्योति,अलवर के जून-जुलाई बाल-विशेषांक की अतिथि संपादक
पता : -
म. न. 14, प्रकाशपुंज, श्रीमाधव विला कॉलोनी,
मयूर नगर , मेन गेट के सामने, गाँव-लोधा,
बाँसवाड़ा - 327001राजस्थान
प्र.1- लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उ. - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व -कथातत्व है जो प्रभावशाली,धारदार, पैना, लघु तथा पाठक के हृदय को उद्वेलित करने वाला होना चाहिए।
प्र.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?
उ. - डॉ सतीश दुबे,डॉ.बलराम अग्रवाल, डॉ.अशोक भाटिया,डॉ.स्वर्णकिरण और बीजेन्द्र जैमिनी।
प्र.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए?
उ. - लघुकथा सुस्पष्ट,लघु,सुगठित,भावपूर्ण और सांकेतिक हो। लघुकथा शुरु से अंत तक लयबद्ध तथा संप्रेषणीय होनी चाहिए।
प्र.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं?
उ. - सोशल मीडिया के प्लेटफार्म:-फेसबुक,व्हाट्सएप,इंस्टाग्राम,टि्वटर,यूट्यूब,ब्लॉग,वेबसाइट,ऑनलाइन मैगजीन्स, न्यूज़पेपर, ई-साहित्य।
प्र.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उ.- आज के परिवेश में लघुकथा पाठक वर्ग में बहुत ज्यादा पसंद की जा रही है।यह दिन पर दिन लोकप्रिय होती जा रही है।यह अन्य विधाओं की तुलना में अधिक संप्रेषणीय है। छोटी और कम समय में पढ़ ली जाती है।
प्र.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है?
उ.- वर्तमान समय में यह अधिकाधिक लोकप्रिय होती जा रही है। आज की व्यस्ततम दिनचर्या में लघुकथा, लघु होने के कारण पाठकों को रुचिकर लग रही है।
प्र.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं?आप किस तरह के मार्ग दर्शक बन पाये हैं?
उ. - मैं साहित्यिक पृष्ठभूमि से हूँ। मेरे पिता हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं। मैं भी शिक्षण कार्य से जुड़ी रही हूँ। मेरा कार्य छात्र और छात्राओं का मार्गदर्शन करना रहा। स्कूल में होने वाली साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया और उन्होंने पुरस्कार भी अर्जित किये। इसके साथ ही अच्छा और रोचक साहित्य लिखना मेरा उद्देश्य है।
प्र.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उ.- लेखन में परिवार की भूमिका अहं है। मेरे पिता डॉ.गोपीवल्लभ नेमा व मेरी मां मेरा उत्साह वर्धन करते रहते हैं। मेरे पति श्री दिलीपकुमार गुप्ता मुझे लिखने की प्रेरणा देते हैं। वे अच्छे आलोचक भी हैं। बच्चे भी मुझे उत्साहित करते हैं और अपना मंतव्य भी बताते हैं। इससे मेरी साहित्यिक चेतना में भी वृद्धि होती है।
प्र. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उ.- लेखन से मानदेय भी प्राप्त हुआ है। आकाशवाणी से मुझे पारिश्रमिक मिला। आजीविका से लेखन का संबंध नहीं है। मैं 1975 से लेखन कार्य कर रही हूँ। मेरे साहित्यिक ज्ञान में वृद्धि हो रही है। इससे मैं अच्छा साहित्य लिख पाती हूँ।
प्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उ.- लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। यह दिन-प्रतिदिन जनमानस में लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि विषय की विविधता लघुकथा में जितनी है उतनी किसी भी विधा में नहीं है और लघुकथा को पढ़ने में समय कम लगता है।
प्र.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उ. - लघुकथा लिखने से आत्म संतोष मिलता है। विभिन्न साहित्यिक ग्रुप से जुड़े रहने के कारण लघुकथा विधा में लिखने के प्रति रुझान बढ़ता जाता है। आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता ( जैमिनी अकादमी द्वारा वार्षिक) में पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। 'लघुकथा के रंग' साहित्यिक ग्रुप में ऑनलाइन प्रोग्राम में दस लघुकथायें प्रस्तुत कर चुकी हूँ। मेरी सभी लघुकथाओं को साहित्यकारों और समीक्षकों द्वारा सराहा गया। यह सम्मान का विषय है मेरे लिये।
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क्रमांक - 57
पुस्तकें : -
1. बगुलाभगत एवम
2. नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
विशेष : -
- 1983से पहले कविता,कहानियाँ लिखी । फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य
- दस से अधिक साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
- रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
- पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
- कनाडा से वसुधा पत्रिका में निरंतर प्रकाशन।
- भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
- आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:
वसंत - 51, कालेज रोड़ ,
महासमुंद - छत्तीसगढ़ - 493445
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा का मूल तत्व विषय वस्तु है। यह लेखन की आत्मा है।कथानक,शिल्प और शैली बाद की बात है।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बहुत सारे नाम जेहन में है : -
१.डा.बलराम अग्रवाल
२.डा.अशोक भाटिया
३.डा.कांता राय
४.बीजेन्द्र जैमिनी
५.एम.आई.सिद्दिकी।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा मूल्यांकन के दो पक्ष है : -
१.समीक्षा २.आलोचना
समीक्षक को गिद्ध दृष्टि रखनी चाहिये
विवेक,मन और विश्वशनीयता से यह धर्म निभाना चाहिये
आलोचना बौद्धिक कार्य है पक्षपात रहित कार्य जरूरी
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और इंन्स्टा्ग्राम
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज कल लघुकथा के क्षेत्र में नित नये शोध कार्य हो रहे है।नये लोग,नये विचार।
स्थिति उत्साह वर्धक है।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी मैं रोजाना ही लिखताहूँ
और,रोज कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूँ।आज के दौर में लिखी जा रही रचनाऐं पसंदहै,उनमें विविधता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - शुरूआती दौर में कुछ प्रेम कविताएं लिखी,लेख लिखता था,फिर कहानी।मेरे बड़े भाई अरुण राजा उन दिनों लिखा करते है।उन्हें देखकर पठन पाठन,लेखन में रूचि हुयी। पूर्ण गंभीरत आदरणीय गुरु वर स्व.श्री लतीफ घोंघी जी के सानिध्य में लघुव्यंग्य और लघुकथाऐं लिखनी शुरु की।अब डा.बलराम जी,डा.अशोक भाटिया और श्रीमति काँता राय से सीख रहा हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार में मेरे बच्चे जो इंजीनियर है,बाहर रहते है।मेरी लेखन की रूचि से काफी खुश है। पत्नी भारती राजा रेसिपी राइटर और फीचर लिखती है,पूर्व दिनों में मेरी रचनाएं टाइप राइटर पर टाइप कर देती थी। अब तो सीधे मोबाइल पर डायरी में लिखता हूँ। दोनों बहुऐं बहुत चाव से मुझे पढ़ती है।पढ़ी लिखी है,डिस्कस भी करती है।पोता कुश राजा बच्चों पर लिखी लघुकथाऐं पसंद करता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन का कोई योगदान नहीं है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है। इस पर बहुत काम हो रहा है। नये लेखक नयापन लाने की कोशिश कर रहे है। हम पुरानी पीढ़ी भी इसी कोशिश में है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा लेखन से सम्मान और आत्मसंतुष्टि मिला। फुरसत के क्षण व्यस्तता में बदल गये। एक आत्मिक आनंद और ढ़ेर सारे पाठक मित्र मिले।
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क्रमांक - 059
जन्म : १८ सितंबर १९७३ , धामपुर - उत्तर प्रदेश
पिताजी : स्व० श्री सुखपाल सिंह
माता जी : श्रीमति गंगा देवी
पत्नी : श्रीमति निर्देश चौहान
पुत्री : डॉ स्वाति चौहान बी.ए.एम.एस (रूहेलखण्ड)
पुत्र : डॉ अनुज चौहान एम.बी.बी.एस
शिक्षा : एम. ए. (समाज शास्त्र, हिन्दी),
व्यवसायिक शिक्षा : एम. डी. इ.एच. आइरिडोलॉजिस्ट, डिप्लोमा मास्टर हर्बलिस्ट यू के, बी.एन.वाई.एस, सी.एक्यू
मेम्बर आफ ई.आर.डी.ओ (दिल्ली)
अभिरुचि : - औषधियों का बिज़नेस, अध्ययन, संगीत, साहित्य लेखन
साहित्यिक कृतियां - सुधियों की अनुगंध कविता संकलन , सत्यवादी हरिश्चंद्र गीतिका काव्य, अखिल जग में गीत गूंजे कविता संकलन
कलात्मक कार्य - सुन राधा सुन भजन टी सीरीज़, सारे जहां से अच्छा देशभक्ति गीत (गणपति सिने विजन),
साईं प्रकट भए भजन (श्री राम एन्टीटेनमैंट मुम्बई ), क्या पता क्या हो कल सी.डी. फ़िल्म
कार्य स्थल : १. स्वाति होम्यो स्टोर नूरपुर रोड जैतरा, धामपुर बिजनौर उ०प्र०
२. इलेक्ट्रो होम्योपैथिक (नॉन सर्जिकल हैल्थ केयर सेंटर) टीचर्स कालोनी, धामपुर, बिजनौर उ०प्र०)
विशेष उपलब्धि : - सी.एम.डी. यूथ एनर्जी हैल्थ मार्केटिंग प्रा०लि०
सम्मान: - अनेकानेक साहित्यिक, सामाजिक सम्मान
पता : २५७ शहीद शरद मार्ग, टीचर्स कालोनी, धामपुर बिजनौर - २४६७६१ उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1. लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उ०- एक समय में घटित घटना को कम से कम शब्दों में व्यक्त करना ।
प्रश्न न.2. समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ०- १- बीजेन्द्र जैमिनी
२- डॉ अनिल शर्मा अनिल
३- भारती वर्मा बोडाई
४- डॉ पूनम देवा
५- महेश राजा
प्रश्न न. 3. लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ०- एक समय में एक घटना व कम पात्रों के साथ ही शिक्षाप्रद भावों का कम शब्दों के साथ सामंजस्य,
प्रश्न न.4. लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ०- लघु कथा आकार में छोटी होने के कारण सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म स्थान देते हैं फिर भी प्रिंट मीडिया और चैनल के साथ ही मोबाइल पर वाट्सऐप व फ़ेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ।
प्रश्न न.5. आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ०- वर्तमान में कहानियों की अपेक्षा लघु कथा को पसंद किया जाता है जबकि लघु कथा के लिखने वाले साहित्यकारों की बेहद कमी है ।
प्रश्न न.6. लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ०- पूर्णतः सन्तुष्ट तो नही है पर असन्तुष्ट भी नही हैं क्योंकि कुछ पीछे देखते हैं तो वर्तमान में कभी प्रचार प्रसार बढ़ा है ।
प्रश्न न.7. आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ०- ग्रामीण परिवेश पले बढ़े हैं जहां पर हर क़दम मार्गदर्शन मिलता रहा है जो पाया है उसे सहज ही दूसरों को देने में सफल रहे हैं ।
प्रश्न न.8. आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ०- परिवार की सहयोग पूर्ण भूमिका सराहनीय है
9. आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ०- भागदौड़ और तनाव भरे माहौल में लेखन से सहजता और सरलता मिलती है जो एक उपचार से कम नही है ।
प्रश्न न.10. आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ०- लघु कथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि समयाभाव के चलते लोग पढ़ेंगे ।
प्रश्न न.11. लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ०- विभिन्न साहित्यकारों को एक साथ पढ़ने का अवसर और वह भी निःशुल्क =================================
क्रमांक - 063
जन्मतिथि : २७ नवम्बर १९७६
जन्मस्थान : गोपालपुर )फैज़ाबाद ) उत्तर प्रदेश
पिता : स्व श्री इन्द्र स्वरूप खरे
माता : श्रीमती विभा खरे
पत्नी : श्रीमती आरती खरे
पुत्री : शांभवी खरे
शिक्षा : एम ए राजनीति, समाजशास्त्र,अंग्रेजी, एल एल बी, डिप्लोमा इन जर्नलिजम, डिप्लोमा इन कंप्यूटर अकाउंटेंसी एंड फाइनेंस एक्जीक्यूटिव
सम्प्रति : विधि व्यवसाय और फिल्म लेखन तथा साहित्य साधना
विधा : गद्य एवम् पद्य
प्रकाशित कृति : -
कारवां लफ्जो का सच का सामना ( काव्य संग्रह )
जीवन के रंग ( काव्य संग्रह )
विशेष : -
- तीस से अधिक सहयोगी संकलन में रचना प्रकाशित
- एसोसिएट मेंबर भाभा इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट साइंस उदयपुर - एसोसिएट मेंबर स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई
पता : आद्या वास , ९४६, मोहल्ला सुन गढ़ी , पीलीभीत - २६३००१ उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - कथ्य,तत्व एवम् संदेश लघुकथा के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - 1. लाडो कटारिया 2. डॉ. अनिल शर्मा अनिल 3. बीजेन्द्र जैमिनी 4. हितेश कुमार शर्मा 5. मनोरमा जैन 'पाखी'
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में उसका कथ्य,तत्व संदेश और कालखंड प्रमुख मानक है।लघुकथा जितनी संक्षिप्त हो उतनी ही सटीक होगी।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - वॉट्सएप,ब्लॉग और यूट्यूब मेरे विचार से अधिक महत्वूर्ण हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा अपनी विकासशील अवस्था में कहीं जा सकती है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूरी तरह तो नहीं लेकिन आश्वस्त हूं कि आने वाले समय में लघुकथा का साहित्य बहुत समृद्ध होगा।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक साधारण पारिवारिक और गैर साहित्यिक पृष्टभूमि से हूं।अपनी क्षमताओं के साथ जो भी औरों को सिखा सका वह सिखाया और और उचित मार्गदर्शन दिया है।बाकी तो साहित्यिक मित्र ही बता पाएंगे।
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - सहयोगी भूमिका रही है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन विषम परिस्थितियों में भी मुझे सचेत रखता है और दूसरों को समझने में मदद करता है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - बेहतरीन
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - अनेक सशक्त हस्ताक्षर से संपर्क हुआ और खुद को भी पहचानने में सहायता मिली है।
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क्रमांक - 066
जन्म तिथि - 07 जुलाई ,राँची, झारखंड
पति का नाम - सुभाष चन्द्र मिश्र
शिक्षा - एम. ए. हिन्दी (इग्नू)
व्यवसाय - शिक्षिका
लेखन : कहानी, कविता, लघुकथा, संस्मरण, लेख, समीक्षा
प्रकाशित पुस्तक - "और भी है राहें" कथा संग्रह
प्रकाशित साझा संकलन : -
नीलाम्बरा,
विचार विथिका,
कथादीप,
लघुकथा संकलन - 2019
चित्रगंधा
साहित्य प्रसंग
साहित्योदय
विशेष : -
- महिला काव्य मंच राँची की सक्रिय सदस्य।
- प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच झारखंड इकाई अध्यक्ष।
प्राप्त सम्मान : -
- भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा विभिन्न सम्मान से सम्मानित
- आदिशक्ति फाउंडेशन द्वारा सशक्त नारी सम्मान
- बाल नारी जागृति युवा मंडल द्वारा नारी रत्न सम्मान
- अखिल भारतीय प्रसंग मंच द्वारा कथा शिल्पी सम्मान
- साहित्य संवेद मंच से पाठक पुरस्कार
पता : - फ्लैट नं बी 304, ईश्वरी इन्कलेव , विद्यापति नगर,
काॅके रोड ,राँची - 834008 झारखंड
प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथा की पृष्ठभूमि, कम से कम शब्दों में अपनी बात रखने की कोशिश (आकार) और पात्र है।
प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्रीमती कांता राय, श्री सुकेश साहनी, श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री पवन जैन, श्रीमती मीरा जैन
प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - विसंगतियों को उजागर करने की कोशिश, पंच का करारा चोट, शिल्प, पात्र, प्रस्तुति, कथ्य की लिखावट।
प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर - आडियो, विडियो के माध्यम से प्रस्तुति, आजकल शार्ट फिल्में भी बन रही है।कई उच्चस्तरीय लघुकथा संग्रह भी प्रकाशित हो रहे हैं।
प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा धीरे-धीरे अपना विस्तार कर रही है, हर रचनाकार लघुकथा लिखने की ओर अग्रसर हो रहे हैं,और आज की जरूरत है, जैसे क्रिकेट में T20
प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथाएं पढ़ी जा रही है, अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है , फिर भी सम्मानित लेखक /लेखिका के समक्ष कथा और लघुकथा में अंतर थोड़ा स्पष्ट होना अति आवश्यक है।
प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - बचपन से ही पढ़ने की तरफ झुकाव रहा (जैसे नंदन, चंपक इत्यादि) ।घर का माहौल कुछ ऐसा था कि, मेरी मम्मी सुप्रसिद्ध लेखिका शिवानी की कहानियाँ और उपन्यास पढ़ा करती थी। पापा मधुशाला सुनते थे। इस तरह मम्मी के साथ पढ़ते-पढ़ते ही मैं लिखने लगी।शायद बचपन में हमारे अंदर कोई बीज रह जाता है, और खाद पानी मिलते ही प्रस्फुटित हो जाता है। कहानियों से मेरा विशेष लगाव का होना, इसी का परिचायक है।
प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार में, मेरे अलावा कोई नहीं लिखते है। हाँ, सराहना जरूर मिलती है।
प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं कहानी, लघुकथा, लेख, कविता, छंद कभी-कभी गजल इत्यादि लिखती हूँ। इससे मुझे कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला है।
प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वर्तमान भागती-दौड़ती जीवन शैली में लघुकथा का भविष्य उज्जवल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मेरी लघुकथाएं समाचार पत्र और पत्रिकाओं में छपती रहती है। आनलाइन मंचों पर आडियो - वीडियो में लघुकथा की प्रस्तुति देती रहती हूँ।
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क्रमांक - 067
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - 1 श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी
2 श्री योगराज प्रभाकर जी
३ श्रीमती कांता राय
४ श्री मधुदीप गुप्ता जी
५ श्री विनय कुमार जी.
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा में ज्यादे से ज्यादा लगभग २५० -३०० शब्द और कम से कम 1५० शब्द हो तो बेहतर है। कालखण्ड दोष नहीं हो। मूल्यों पर आधारित सन्देशयुक्त लघुकथा हो और अंत में पंच ऐसा हो नयी लघुकथा की कल्पना की संभावना हो।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा को हल्की –फुल्की होने के कारण नेटवर्किग सुलभ है सोशल मीडिया के सारे प्लेटफार्म जैसे फेसबुक , व्हाट्सएप पर अनेक लघुकथा समूह , विविध ई पत्रिकाएँ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति
सराहनीय , मजबूत , शिक्षाप्रद है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी , हाँ ! लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं बिल्कुल सतुष्ट हैं ।इसी दौर में लघुकथा उद्देश्यपरक होने के कारण फली -फूली , उच्च साहित्यिक प्रगति के स्तर पर पहुँची है ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी जन्मस्थली पटियाला. पंजाब की है , जहाँ सांस्कृतिक सौंदर्य , कभी पांच आंब थे अब तीन हैं , पहाड़ , आध्यात्मिक , शैक्षणिक , भौगोलिक , पौराणिक , राजाओं की पहचान बनी है।
ऐतिहासिक की पृष्ठभूमि भूमि से आयी हूँ। हमारी माँ - पिता में शैक्षिक और सरकारी नौकरी में थे । यहाँ पुलिस में सेवा शुरू से करते आए हैं । अब सभी कलम को ही जीना मानते है.
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - जी हाँ ,जी हाँ ..परिवार का पूर्ण सहयोग है
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?.
उत्तर - लेखन तो मैं शौक़िया लिखती हूँ। मुझे सरकारी पत्रिकाओं से मान - देय मिला है । कई लघुकथाएँ पुरस्कृत हुई हैं । मेरी सात किताबें छपी हैं । लेखन ने मुझे देश ,समाज़ से जोड़ दिया।
प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य सुदृढ़ , प्रगति पर है । आज दौड़ती -भागती तनाव भरी जिंदगी में छोटी -छोटी कथा इंसान के जीवन में बूस्टर , टॉनिक का काम करती है । लघुकथा समय की बचत के साथ मूल्यों से निर्मित होने के कारण इंसान को सकारात्मक ऊर्जा , शक्ति , आशा और मानसिक स्तर को मनोरंजन की खुराक के साथ सद्साहित्य भी देती है। कलम की बड़ी ताकत, हृदय को प्रेरणा दे ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे मान -देय के साथ यश , सम्मान और कलम को पहचान मिली।
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क्रमांक - 068
जन्मतिथि : 15 मार्च 1963
जन्म स्थान: मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : स्नातक विज्ञान
लेखन : कहानी, लघुकथा और कविता लेखन
संग्रह : -
सहोदरी सोपान
सहोदरी लघुकथा
समय की दस्तक,
अक्षरा
ई-बुक :-
चिकीर्षा
संगिनी
हिंदी चेतना
पुरवाई
लघुकथा - 2019
सम्मान : -
- दिल्ली लघुकथा अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
- ब्लॉग बुलेटिन द्वारा आयोजित ब्लॉग साहित्य प्रतियोगिता के कहानी वर्ग में ब्लॉग रत्न सम्मान
- स्टोरी मिरर द्वारा लिटररी कर्नल
- पटना पुस्तक मेला में लेख्य मंजूषा की ओर से कविता पाठ के लिये प्रथम पुरस्कार
- प्रतिलिपि की ओर से ऑडियो कथा वाचन में प्रथम पुरस्कार
विशेष : -
- लेखकीय सफर ऑल इंडिया रेडियो के युवा-वाणी प्रोग्राम में अपनी रचना पढ़ने से हुआ।
- पिछले कुछ वर्षों में फेसबुक पर लघुकथाओं के कई ग्रुप से सक्रिय जुड़ाव
- हिंदी कहानियों के कई ऐप पर भी रचनाएँ हैं जिसमें पाठकों की संख्या चार लाख से ऊपर जा चुकी है।
- कई संपादकों ने अपनी ई-बुक में लघुकथा ,कहानी , कविता संकलन में रचनाएँ संग्रहित की हैं
- एक लघुकथा 'अकल्पित' का चुनाव कर, मातृभारती ने उस पर शार्ट फिल्म बनवाई तथा द्वितीय पुरस्कार से नवाज़ा, फिर गली इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में कई देशों की प्रस्तुतियों के बीच, इस फिल्म ने 'बेस्ट स्टोरी' का अवार्ड भी जीता।
- दूरदर्शन बिहार के 'खुला आकाश' और 'बेस्ट माॅम' जैसे प्रोग्राम में उपस्थिति।
पता : अचल, जस्टिस नारायण पथ , नागेश्वर कालोनी,
बोरिंग रोड , पटना- 800001 बिहार
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा से निकलना चाहिए कोई संदेश या कोई ऐसी अनुभूति जो बस, अंदर कहीं जाकर अटक जाए।
कभी-कभी किसी अच्छी कथा में पूरा जीवन दर्शन बदल कर रख देने की ताकत हो सकती है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए मैं स्वयं को सही पात्र नहीं समझती हूँ क्योंकि मैं बहुत सारे लोगों, जो अच्छा काम कर रहे हैं, से परिचित ही नहीं हूँ। फिर भी अपनी सीमित जानकारी में मैं 1 - श्री बलराम अग्रवाल, 2 - कांता राॅय जी, 3 - श्री बीजेंद्र जैमिनी जी, 4 - श्री योगराज प्रभाकर जी और 5 - श्री मधुदीप गुप्ता, जिनको इस क्षेत्र में लगातार काम करते देख रही हूँ, का नाम दे रही हूँ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - भाषागत अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिये। संदेश या कथोपकथ्य स्पष्ट तथा कथा में कसावट और निरंतरता आवश्यक है। विषयों में दोहराव होने पर भी ध्यान दिलाया जा सकता है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - दुर्भाग्य से मैं सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नहीं हो सकी हूँ। फेसबुक, लघुकथा के परिंदे जैसे कतिपय ग्रुप और प्रतिलिपि और मातृभारती जैसे पोर्टल के अतिरिक्त ब्लाग पर कथाएँ पढ़ती रहती हूँ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - इसपर काम तो काफी हो रहा है पर पूरी तरह पहचान बनाने के लिये इस विधा को अभी भी एक लंबा सफर तय करने की आवश्यकता है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूरी तरह संतुष्ट होने की स्थिति तो शायद अभी नहीं आई है क्योंकि अभी तो बहुत सारे लेखक ही इसके महत्व को, इसके स्वरूप को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। फिर भी मैं लघुकथा के भविष्य को लेकर काफी आशान्वित हूँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं केवल अपने पढ़ने के शौक के कारण इस क्षेत्र में आई हूँ।थोड़ा सा श्रेय अपने पिता के उस साहित्यिक किताबों के संकलन को भी दूँगी जिसे मैंने कई-कई बार पढ़ डाला है। विज्ञान विषय लेने के कारण साहित्यिक हिंदी मेरा विषय नहीं थी न ही मेरे परिवार में किसी ने लेखन को चुना था। पर यह सही है कि जब-जब मुझे कुछ अच्छा, स्तरीय साहित्य पढ़ने के लिए मिला, मुझे अवर्णणीय आनन्द प्राप्त होता रहा है। मैं लेखिका से कहीं बेहतर पाठक हूँ अतः स्वयं को मार्गदर्शक की भूमिका में नहीं पाती। सही शब्दों में मैं तो बस शब्दों को अपने विचारों का जामा पहना, उनसे खेल रही हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - दूर-दूर तक कोई इस क्षेत्र में नहीं है। वो लोग तो बस मेरी उपलब्धियों पर मेरे साथ खुश हो लेते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैंने अभी तक लेखन को शौक की तरह ही लिया है, आजीविका के लिये मेरा अलग काम/व्यवसाय है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - साहित्यकारों की एक बड़ी संख्या को इस विधा में समर्पण के साथ काम करते देख रही हूँ। मेहनत तो रंग लाएगी ही!
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - आत्मविश्वास! प्रतिष्ठित लघुकथाकारों के साथ अपना नाम आता देख कर मिलने वाला रोमांच और खुशी! इसके अतिरिक्त मैं महसूस करती हूँ कि इस विधा ने मुझे चीजों को एक दूसरी नजर से देखना सिखा दिया है और चुपचाप मेरी सोच में, एक ऐसी परिपक्वता का समावेश कर दिया है जिसका लाभ न केवल लेखन में, वरन रोज़ाना के जीवन में... आपसी रिश्तों में भी महसूस कर रही हूँ।
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क्रमांक - 069
पता : -
माँ नर्मदे नगर, म. न. 12, फेज -1, बिलहरी
जबलपुर - 482020 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - कथ्य सम्प्रेषण
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बलराम अग्रवाल जी , सुकेश साहनी जी , मधुकांत जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , कांता राय जी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - कथ्य , शैली, विसंगति, सम्प्रेषण, चिंतन हेतु प्रश्न क्या उठाया गया ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक व व्हाट्सएप में सीखने -सिखाने का जो कार्य हो रहा है निश्चित रूप से ये बहुत महत्वपूर्ण है ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा की स्थिति सुदृढ़ है , हर लेखक इससे जुड़कर सामाजिक उत्थान के कार्यों को एक नया आकार दे सकता है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - एक लेखक कभी संतुष्ट नहीं हो सकता है । निरंतर इसी तरह सभी लोग इस पर कार्य करते रहें , अवश्य ही सुखद पारिणाम आएंगे ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - शैक्षिक , सुलझी हुई विचारधारा की पृष्ठभूमि रही है । संस्कारों को प्राथमिकता देने के साथ- साथ विज्ञान के तथ्यों को भी निर्णयों में शामिल करती हूँ । सकारात्मकता पूर्ण लेखन ही मेरा मुख्य आधार है ,सबको मैं यही संदेश देती हूँ जोड़ने वाला साहित्य ही लिखें ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - सभी का सहयोग रहता है । कई बिंदुओं पर सृजनात्मक चर्चा भी होती है । सिक्के के दोनों पहलुओं पर विचार - विमर्श होकर ही आगे के कार्य तय होते हैं ।
प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मन के भावों को व्यक्त करने व सकारात्मक चिंतन हेतु ही करती हूँ । मेरी आजीविक में इसका कोई योगदान नहीं है ।
प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - उज्ज्वल भविष्य होगा क्योंकि लोग अब जागरुक हो चुके हैं उन्हें चिंतन व नए विचारों वाले कथ्य ही पसंद आते हैं जिनसे भ्रांतियाँ दूर हो सकें ।
प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मानसिक सुकून, सामाजिक जन चेतना , दृढ़ निश्चय, स्वयं पर अटूट विश्वास ।
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क्रमांक - 073
प्रकाशित पुस्तकें :-
1. नर्सरी पाठ्यक्रम
2. साँझा संकलन - महानगरिए लघुकथाएँ
सम्मान : -
कलम शिरोमणि २०२०
लघुकथा भूषण सम्मान
लघुकथा श्रेष्ठ समीक्षक सम्मान
विशेष : -
फ़ेसबुक पर सुहाना सफ़र
अनु कपूर की गेम शो की मुख्य संचालिका
पता : -
333 , डॉ मुखर्जी नगर , दिल्ली 110009
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा महत्वपूर्ण तत्व है - रोचकता , पाठकों को बाध्य रखने की क्षमता ।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?
उत्तर - कांता राय जी , सतीश राठी जी , अशोक भाटिया , सुभाष नीरव जी और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी )
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के बारे में कहना छोटा मुँह बड़ी बात होगी एक पाठक को जो पसंद आए वही सफल है । कालजयी पर वर्तमान स्तिथि को उजागर करना भी ज़रूरी है क्योंकि कल वह इतिहास होगा 2050 में 2020 में करोना काल की लघुकथा पढ़ के पाठक उसे समझ पाएँगे |
मुझे व्यक्तिगत तौर पर कांता रॉय जी की ‘सावन की झड़ी ‘ पूनम झा जी की ‘ आवाज़’ लता अग्रवाल जी की ‘ रीता आकाश’ की लघुकथाएँ मुझे पसंद है कारण कोई भाषा शैली या मापदंड नहीं है एक पाठक की नज़र से है
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फ़ेसबुक और WhatsApp
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजकल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में लघुकथा साहित्य से जोड़ने में कारगर साबित हुई है
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की बाढ़ आयी हुई है लोग कुछ भी लिख देते है पर इस स्तिथि ने नए लेखकों को अवसर भी दिया है ।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं शहरी परिवेश में पली बड़ी एक व्यावसायिक परिवार की पुत्री , पुत्रवधू हूँ अभी स्वयं पैरों पर खड़ा होना सीख रही हूँ मार्गदर्शक बनना अभी बहुत दूर है
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - मैं एक गृहिणी हूँ , अपनी एक पहचान बनाना चाहती हूँ जिसे परिवार ने स्वीकारा है पर पारिवारिक जिम्मेदारियाँ पहले है ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - शून्य
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - उज्ज्वल , प्रगति की बरसात है कुछ बूँदे मोती बन जाएँगी कुछ कीचड़ बन कमल खिलाने में सक्षम होंगी
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - बहुत कुछ सीखा और कुछ ना सही ज्ञान ज़रूर प्राप्त किया । कितनी अच्छी लघुकथाकार बन पाती हूँ पता नहीं , विचार ज़रूर बेहतर होंगे ।
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क्रमांक - 074
जन्म दिन - ५ मई १९६७
जन्म स्थान- बांदीकुई जंक्शन - राजस्थान
शैक्षणिक योग्यता- Bsc ; M.A English and Hindi) ; MPhil (E.L.T); PhD ( English); Diploma in French; P.G.C.T.E.; L.L.B ; Vidya Vachaspati (double): Vidya Sagar
सम्प्रति - शेठ पी टी कला एवम् विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोधरा (गुजरात)में स्नातको्तर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर
प्रकाशित पुस्तकें : -
1 कुछ क्षण अपने - प्रथम काव्य संग्रह 1995
2 A Comprehensive English Grammar - 2002
3 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य 2004
4 दर्द जब हद से - प्रथम ग़ज़ल संग्रह 2008
5 गीत सुनो तुम मीत - प्रथम गीत संग्रह 2015
6 गज़ल गुच्छ - द्वितीय गज़ल संग्रह 2016
7 गीत तर्पण - द्वितीय गीत संग्रह 2017
8 चुटकी भर हास्य - प्रथम हास्य व्यंग संग्रह 2017
9 कविता सागर - द्वितीय काव्य संग्रह 2018
10 A Comprehensive English Grammar for Success 2018
11 मन उपवन में सांझ गुलाबी - तृतीय गज़ल संग्रह 2019
12 कुछ क्षण अपने - काव्य संग्रह द्वितीय आवृति 2019
13 हास्य फुहार - द्वितीय हास्य व्यंग संग्रह 2020
14 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य द्वितीय आवृति 2020
15 पंच - पुष्प - तृतीय काव्य संग्रह 2021
सम्मान- पुरस्कार प्राप्त -
1. मेरे हास्य व्यंग संग्रह चुटकी भर हास्य को गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर गुजरात का 5000 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ । इसी संग्रह को बिसौली, बदायूं उत्तर प्रदेश से 1100 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
2. जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर गोधरा - रत्न सम्मान - 2020
3. जैमिनी अकादमी द्वारा 2020 के एक सौ एक साहित्यकार में 2020 - रत्न सम्मान
4. जैमिनी अकादमी द्वारा विश्व कविता दिवस सम्मान 2021
5. भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार सरेश शर्मा स्मृति लघुकथा सम्मान -2021
आदि साहित्य, समाज सेवा एवम् शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवम् राज्य स्तार के लगभग साढ़े तीन सौ (350) सम्मान एवम् पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।
विशेष -
1.आकाशवाणी , टेलीविजन कलाकार एवम् यू ट्यूब पर अनेक प्रवचन उपलब्ध।
2. लगभग 650 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय काव्य संकलनों , पत्रिकाओं वगैरह में रचनाएं प्रकाशित ।
पता - जी- ५, जगदम्बे निवास, आनंद नगर सोसायटी, साइंस कॉलेज के पीछे, गोधरा (गुजरात)३८९००१
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है इसकी तीव्रता और गागर में सागर समा लेने की इसकी योग्यता ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरे विचार से ये पांच नाम हैं
श्री विनय कुमार मिश्रा, पदम गोधा , विनिता राहुरिकर , रामेश्वरम काम्बोज , सुकेश साहनी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा का आधार उसकी संप्रेक्षण कला और विचारों की तीव्रता में होता है । कम से कम शब्दों में लघुकथाकार ऐसा कुछ कह जाए कि दिमाग में बत्ती सुलग जाए यही लघुकथा और लघुकथाकार की सफलता है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर वगैरह । और भी हो सकते है जो मुझे ज्ञात नहीं हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा की बहुत अच्छी स्थिति है क्योंकि अब समय का अभाव है और सोशल मीडिया का दौर है। जीवन की विषमताएं बढ़ती ही जा रहीं हैं और इन विषमताओं को कम से कम शब्दों में बयां करती लघुकथाएं अब लोगों द्वारा खूब पढ़ी जा रहीं और सराही जा रहीं हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - काफी हद तक संतोष है । अभी तो इसका श्रेष्ठ आना बाकी है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे घर में पढ़ने का ठीक-ठाक शौक लगभग सभी को है । हम सभी तीनों भाई और चारों बहिनें साहित्य के विद्यार्थी रहे और सभी पढ़ लिख कर सरकारी/ गैरसरकारी नौकरियां कर रहें हैं । हमारे परिवार और कुटुंब में कभी किसी को साहित्य की रचना करने का कोई शौक कभी भी नहीं रहा । मैने मेरी पढ़ाई घोर आर्थिक संकट के बीच पूरी की । तभी से मेरी यह मन में ख्वाइश थी कि नौकरी लगने के बाद हिंदी साहित्य में ही कुछ सृजन करूंगा। सन 1990 में मैं महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का व्याख्याता बनने में सफल रहा और उसके बाद से मैंने अपने आप को हिंदी साहित्य लेखन हेतु समर्पित कर दिया जिससे मुझे काफ़ी संतोष है। मैं एक हिंदी भाषी राज्य राजस्थान में जन्म लेकर एक अहिंदीभाषी राज्य गुजरात के एक बहुत छोटे और अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र गोधरा में रह और नौकरी करते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी की यथासंभव सेवा कर रहा हूं और मेरी अभी तक सोलह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
यहीं गुजरात में रह कर मैने अनेक प्रकार के साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं । इन कार्यक्रमों से प्रेरणा प्राप्त कर हमारे अनेक विद्यार्थी अब हिंदी में रचनाएं लिख रहें हैं और अनेक पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छप भी रही हैं ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका अत्यधिक सकारात्मक रही है । मेरी धर्मपत्नी प्रो डॉ अनसुया जी यहीं मेरे साथ महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय की प्रोफेसर हैं और मूल रुप से वे गुजराती भाषी हैं । मगर उन्होंने मेरे लेखन के इस शौक को हमेशा सराहा है और मुझे प्रोत्साहित किया है । मेरी अनेक पुस्तकों के शीर्षक मैंने उनकी और मेरी बेटी, जो कि एक एम बी बी एस डॉक्टर है , की सलाह पर ही रखे हैं। मेरी बेटी डॉ इशाना और पुत्र पुरंजन , जो कि एक कंप्यूटर इंजीनियर है , हमेशा मुझे लिखने हेतु नए नए आइडिया देने में सहयोग करते हैं।
प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं एक अनुदानित स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का प्रोफेसर हूं और इस प्रकार एक विदेशी भाषा अंग्रेजी पढ़ाना मेरी आजीविका है जिससे मुझे जीवन यापन हेतु तनख्वाह मिल जाती है । अपनी मातृभाषा हिंदी में लेखन मेरा शौक है जिससे मुझे आत्मसंतोष मिलता है ।
प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य अत्यधिक उज्ज्वल होगा और समय के साथ इसमें नए नए संशोधन किए जाएंगे।
प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - ज्यादातर संतोष प्राप्त हुआ है और एक मर्तबा अंबाला की महाराज कृष्णदेव अकादमी से मुझे एक लघुकथा पर एक सौ रुपए का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। मेरा एक लघुकथा संग्रह तैयार है और निकट भविष्य में इसको छपवाने की इच्छा है।
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क्रमांक - 075
जन्मतिथी -27 फरवरी 1965
जन्म स्थान :जानसठ (मुजफ्फर नगर ) उत्तर प्रदेश
माता : प्रतिभा रानी
पिता : धर्मेंद्र मोहन गुप्ता
शिक्षा : एम.ए. इक्नोमिकस,इतिहास
साझा संकलन : -
अन्तरा शब्द शक्ति ,
अन्तरा शब्द शक्ति होली रंगारंग
रत्नावली
स्वच्छ भारत
चमकते कलमकार
विशेष : -
अनेक राष्ट्रीय समाचार पत्रों व अनेक ई - पत्रिकाओं मे लघुकथा प्रकाशित ।
जैमिनी अकादमी से अनेक डिजीटल सम्मान और अनेक ई - पुस्तको मे प्रकाशित।
Address:-
Pankaj Consul, S-469/10,
4th floor, School Block, Shakarpur, Delhi-110092
प्रश्न न. 1 - लघुकथा मे सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - सही मायनें में मेरी दृष्टि में समाज की विसंगतियों को बताये,कथ्य,लिखनें का उद्देश्य स्पष्ट हो।पाठक के मन मे गहरे तक उतर जाये ।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य मेंकोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - आदरणीय कान्ता राय जी,बलराम अग्रवाल जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी , सुकेश सहानी जी , सुभाष नीरव जी ,
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा केकौन कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा की दृष्टि से लघुकथा तब ही कसौटी पर खरी उतरती है जब उद्देश्य,कथ्य,शैली विसंगति ,सरल भाषा सम्प्रेषण,संदेश देनें में सक्षम हो ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेट फार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - वाटसैप , फ़ेसबुक पर, ई - पुस्तक , पत्र - पत्रिकाओं का प्रचार प्रसार इन दिनों बढा है। इस माध्यम से सीखनें सीखानें का जो काम हो रहा है वह सराहनीय है ।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ।
उत्तर - लघुकथा की स्थिति सुदृढ़ है। वरिष्ठ लघुकथाकार,नवोंदित दोनों नयें नयें प्रयोग कर इस विधा को नवीनता देनें का कार्य कर रहे है।
प्रश्न न.6 - की लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है ?
उत्तर - मै एक लघुकथाकार हूँ लघुकथा सृजन मे प्रयासरत हूँ । और इस विधा को और अधिक समझनें का प्रयास, मै वरिष्ठ लघुकथाकारों को पढ कर ,उन के समक्ष अपनी लघुकथा प्रस्तुत कर अच्छा सृजन करनें सीखनें का प्रयास कर रही हूँ ।
प्रश्न न.7 - आप किस पृष्ठभूमि से आये है ?बतायेंकिस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाये ?
उत्तर - मेरा परिवार संयुक्त रहा जहां मानव मूल्यों को प्राथमिकता दी जाती थी ।और शिक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता था । मेरी यही कोशिश रहती है कि मेरा साहित्य सृजन सकारात्मकता का संदेश दे और समाज की फैली विसंगति पर प्रहार कर, समाज के बिखराव को कम करनें वाला हों ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आप के परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे परिवार नें हमेशा लेखन कार्य मे सहयोग किया है । मेरी उपलब्धि पर सब प्रशंसा करतें है ।
प्रश्न न.9 - आप की आजिविका में ,आपकें लेखन की क्या स्थिति है ।
उत्तर - लेखन मै अपनी आत्म संतुष्टि और मन के भावों को व्यक्त करने के लिए करती हूँ ।इस का मेरीआजिविका में कोई योगदान नही है ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा है ?
उत्तर - आज लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल दिखायी पड़ता है ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ।
उत्तर - आत्मसंतुष्टि ,आत्म सम्मान, मेरी पहचान और लेखन सृजन पर मिलनें वाले सम्मान से परिवार उल्लासित होता है । यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है ।
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क्रमांक - 076
जन्म तिथि : ०८ मई १९७० (वास्तविक)
०७ जनवरी१९६८ (प्रमाण पत्र में)
जन्म स्थान : राधानगर (धनबाद)
शिक्षा : स्नातकोत्तर, बीएड, नेट, डीसीएस
संप्रति : अध्यापन एवं लेखन
प्रकाशित पुस्तकें : -
बहादुर दोस्त (बाल उपन्यास)
The Trio (बाल उपन्यास)
यह जो कड़ी है, (कविता संग्रह)
बिखरे हुए मनके (कविता संग्रह)
सारंग भाग -१,२ (कहानी संग्रह)
क्षितिज की ओर (लघुकथा संग्रह)
विशेष : -
अनेक संग्रहों, पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
पता : फुटलाही, पत्रालय - बिजुलिया ,चास,
बोकारो - 827013 झारखण्ड
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका कथ्य है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उत्तर - सुकेश साहनी, सतीशराज पुष्करणा, कृष्ण मनु , बीजेन्द्र जैमिनी , नीरज सुधांशु
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - कथ्य, शिल्प, भाषा
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - ब्लॉग, फेसबुक
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - लोकप्रिय
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - बिल्कुल
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आई हैं? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - शिक्षण एवं लेखन। हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति रुचि जगाने में
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - सहयोगी
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - अल्प
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - उन्नत
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - संतोष, अर्थ, सम्मान
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क्रमांक - 077
सम्पर्ति : हिंदी प्राध्यापक
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, हाबड़ी - जिला कैथल हरियाणा
लेखन : कविता, कहानी, लघुकथाएंँ, समीक्षा, संस्मरण, आलेख आदि
पत्र-पत्रिकाएँ : --
हंस, हरिगंधा, साहित्य अमृत, शीराज़ा, स्रवन्ति, मधुमती, न्यामती, जन आकांक्षा, सप्तसिन्धु, सोच विचार, वैष्णव सेवक, संयोग साहित्य, शैल-सूत्र, दैनिक ध्वज, अक्षर पर्व, संरचना, युद्धरत आम आदमी, लघुकथा कलश, शुभ तारिका, बालभारती और बालवाटिका। आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथाएंँ, समीक्षा, संस्मरण, आलेख, पत्र और साक्षात्कार प्रकाशित।
पता : ग्राम व डाकघर ढुराना, तहसील -गोहाना, जिला सोनीपत - 131306 हरियाणा
उत्तर - लघुकथा की महत्ता इसके अलग-अलग अंशों में नहीं बल्कि इसकी समग्रता में है। फिर भी कथानक, सरल भाषा, सुगठित शैली, पात्र और घटना, कथारस या जिज्ञासा तत्व और उद्देश्य पूर्ण अंत आदि अनेक तत्व हैं। मेरे विचार से कथानक की बुनावट और कसावट बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघु साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है?
उत्तर - लघुकथा के विकास में अनेकानेक रचनाकारों, संपादकों, प्रकाशकों और समीक्षकों की भूमिका है। फिर भी कान्ता राय मधुदीप गुप्ता , बीजेन्द्र जैमिनी , रामकुमार आत्रेय , रूप देवगुण आदि की भूमिकाएँ रेखांकित करने योग्य हैं।
प्रश्न नं 3 - लघुकथा की समीक्षा में कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा वैसे तो समीक्षक की विचार दृष्टि पर निर्भर करती है फिर भी कुछ मानक मापदंड है जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए। जैसे रचना का लघुआकार, सरल व सरल भाषा, सामासिक शैली, संक्षिप्त और जीवंत संवाद और बड़ा उद्देश्य। 'देखन में छोटे लगें, घाव करे अति गंभीर।' वाली उक्ति चरितार्थ होनी चाहिए। इसके साथ ही कोई भी रचना व्यक्ति और समाज को सही दिशा देकर उसे नकारात्मक विचारों से बचाए, यही रचना सबसे बड़ी उपलब्धि है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - फेसबुक, यूट्यूब, ब्लॉग , इंस्टाग्राम और वेब पेज लिंक आदि सभी प्लेटफार्मों से लघुकथा निरंतर फल-फूल रही है।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की
क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के दौर में लघुकथा कथा साहित्य में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप कर रही है। बड़ी-बड़ी साहित्यिक पत्रिकाएँ अब लघुकथा के विशेषांक प्रकाशित कर रही हैं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश की अनेक ऑनलाइन और ऑफलाइन पत्रिकाएँ लघुकथा को ससम्मान प्रकाशित कर रही हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, दिनकर, प्रेमचंद और विष्णु प्रभाकर जैसे बड़े-बड़े दिग्गज एवं ख्याति प्राप्त साहित्यकारों के साहित्य में लघु कथा के चित्र- प्रसंग ढूँढ-ढूँढ कर सामने लाए जा रहे हैं ताकि इसकी पूर्व की भूमिका और प्रारंभिक स्वरूप को नए पाठकों के सामने लाया जा सके। लघुकथा एक बहुआयामी और परिवर्तनशील विधा है और यह समय व समाज की नब्ज को परखने में योग्य है। सबसे बड़ी बात साहित्य का जो उद्देश्य या प्रयोजन होता है उसे सहृदयों तक संप्रेषित करने में पूर्ण सक्षम है। कह सकते हैं की वर्तमान में लघुकथा की स्थिति बहुत ही सम्मानित और सशक्त है।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - हाँ, लघुकथा सही दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन यह अंत नहीं है। जैसा कि मैंने पहले कहा लघुकथा एक बहुआयामी और परिवर्तनशील विधा है और यह नित नया कलेवर और शैली ग्रहण कर रही है। लघुकथा गहन अंधकार में भी उजाले को टटोल रही है और इसमें अभी बहुत सी संभावनाएँ शेष हैं।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि संसाधनों के अभाव में निरंतर जी तोड़ श्रम करने वाले किसानी परिवार की है। पिताजी अनुशासन और स्वभाव के बहुत सख्त हैं। डर के कारण क्या मजाल कभी पिताजी से कभी दस पैसे की स्याही की पुड़िया के पैसे मांगे हों। एक-एक रोशनाई और पेंसिल के लिए कई-कई दिनों तक माँ के आगे-पीछे चक्कर काटने पड़ते थे। पिताजी अपने जमाने के मैट्रिक पास किसान थे और शिक्षा का महत्व बखूबी समझते थे इसीलिए हम भाइयों को कभी कोई काम नहीं बताया न ही करने दिया। विशेषकर जब हम पढ़ रहे होते थे।
रही बात मार्गदर्शक बनने की, तो आज के इस घोर भौतिकवादी और भागमभाग के दौर में कौन किसका मार्गदर्शन लेता है और कौन मार्गदर्शन दे सकता है। समय और खुद अपने आप से अच्छा कोई मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता।
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार की भूमिका बहुत प्रोत्साहन देने वाली या उत्प्रेरक नहीं रही। पिताजी -दादाजी और कई पीढ़ियों पीछे तक कोई साहित्यिक संस्कार नहीं रहे। जितना भी सीखा स्वाध्याय और बड़ों के सानिध्य से ही सीखा। रोजगार और कैरियर की चिंता परिवार में हमेशा बनी रहती थी। अब राजकीय सेवा में आने और अनेक जगह छपने के बाद स्थिति कुछ सुधरी है।
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या
स्थिति है?
उत्तर - माफ करना! मैं जीविका चलाने के लिए लेखन नहीं करता। मैं आत्मसंतोष के लिए लिखता हूँ। समाज की विसंगतियाँ और अव्यवस्थाएँ जब तन-मन में खलबली मचाती हैं तब कलम उठा लेता हूँ। हाँ, मेरी रचनाएंँ पढ़कर किसी को खुशी या सही दिशा मिलती है तो मेरे लिए यही सबसे बड़ा संबल है। बाकी आत्मिक खुशी से बढ़कर कोई धन-सुख प्राप्ति नहीं है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा
होगा?
उत्तर - लघुकथा वर्तमान समय में प्रासंगिक और समय की मांग है। आजकल ट्वेंटी-ट्वेंटी का जमाना है और बड़ी रचनाएँ पढ़ने का समय कम ही लोगों के पास है। जैसे-जैसे हमारे संस्कार, विचार और परिवेश सिकुड़ता जा रहा है, ठीक वैसे ही हमारी आदतें, स्वभाव और जीवनशैली बनती जा रही है। मुझे लगता है लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है और यह अभी फले-फूलेगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य में आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से वैश्विक जीवनशैली में हो रहे परिवर्तनों का सम्यक ज्ञान होता है और लेखन के संस्कार भी मिलते हैं। इसके अध्ययन से संवेदना, जिज्ञासा और रुचि का परिष्कार और विस्तार भी होता है। चिंतन का दायरा बढ़ता है जिससे हमारा मन कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होता है।
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क्रमांक - 081
जन्म तिथि : ०६ अक्टूबर १९५८
जन्म स्थान : राँची- झारखंड
पिता : श्री ललिता प्रसाद
माता :श्रीमती लक्ष्मिनी देवी
पति : श्री विनय कुमार सिन्हा
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर
राँची विश्वविद्यालय से एल. एल. बी.
पुस्तक : -
काव्यांजलि और नमामि गंगे नामक
दो पुस्तकों में लेखन सहभागिता
एक लघुकथा संग्रह प्रकाशन की प्रक्रिया में।
आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी की ई-लघुकथा संकलन हिंदी के प्रमुख लघुकथाकार में प्रकाशित।
कई साहित्यिक मंच पर रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान : -
- यशपाल साहित्य सम्मान
- समग्र साहित्य लेखन मंच पर दो पद्य रचना में द्वितीय और तृतीय पुरस्कार और सम्मानपत्र।
- प्रतिलिपि के मंच पर गद्य और पद्य दोनों विधाओं में दसियों पुरस्कार और ई-सर्टिफिकेट
विशेष : -
- १९७७ से १९८९ तक-स्थानीय और राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में लेख , परिचर्चा , कहानी और कविताएँ नियमित प्रकाशित।
- आकाशवाणी राँची से आलेख और कहानियाँ प्रसारित।
१९८२ से१९८५ तक आकाशवाणी राँची में कैजुअल अनाउंसर। इसके बाद कुछ व्यक्तीगत कारणों से साहित्य से दूर रही।
२०१९ से लेखन की पुनः शुरुआत
पता : फ्लैट संख्या-एफ -३, कल्लोल ,सामबेय आबासन,
ए एल/१/एफ/१,ए एल-३७,
मार्ग संख्या-१६ , एक्शन एरिया १ए, न्यू टाउन,
कोलकाता-७००१५६ प. बंगाल
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन
सा है ?
उत्तर : लघुकथा में कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। फिर कथा की कसावट और अंतिम निर्णायक पंक्ति जी लघुकथा में छिपे सन्देश को अपनी तीक्ष्ण शब्दों से व्यक्त करती है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - यूँ तो अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस क्षेत्र में कार्यरत हैं लेकिन जिन्होंने मुझे इस ओर प्रेरित और प्रभावित किया वो हैं ! आदरणीया श्रीमती कांता रॉय जी ,आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी ,आदरणीय श्री सुकेश साहनी जी , आदरणीया डॉ. नीना छिब्बर जी और आदरणीय श्री अशोक भाटिया जी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - वैसे समीक्षा की बात करना अभी मेरे लिए उचित न हो फिर भी अपनी बात रखना चाहूँगी। लघुकथा में कथानक के साथ लेखन में तीखी धार हो। शीर्षक पूरी लघुकथा का सार बतलाए और लघुकथा में छिपे सन्देश पर विचार कर की गई समीक्षा ही उचित होगी।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक, वाट्सएप, यू ट्यूब, और साहित्यिक मंच जैसे भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के परिंदे, प्रतिलिपि और कई साहित्यिक मंच की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में, साहित्य के अन्य विधाओं के बीच लघुकथा अपना स्थान बनाने में सफल हुआ है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूर्ण संतुष्टि तो नहीं कह सकती पर इतना अवश्य है कि जिस प्रकार साहित्य में लघुकथा अपनी पहचान बना प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस दिशा में जो संघर्ष और मेहनत कर रहे हैं वह अतुलनीय है। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने चीते से कलेवर में बड़ी बात कह स पाठकों को आनन्द देती है। आने वाले समय में यह हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक मध्यवर्गीय, उच्च शिक्षित परिवार से हूँ।
जहाँ तक मार्गदर्शक बनने का सवाल है तो परिवार में हमेशा, हर विषय पर और जहाँ ज़रूरत हो एक सशक्त विचार रखती रही हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे पिता अपने जीवनकाल में लेखक के रूप में साहित्य से जुड़े रहे। तो लेखन विरासत के रूप में मिली। घर में हमेशा पठन-पाठन का माहौल मिला। घर में ही पिताजी की संग्रहित हज़ारों किताबें पढ़ने को मिली और स्वतः ही स्कूली दिनों से ही लिखने की छिटपुट शुरुआत हो गई थी। अभी भी सभी का सहयोग मिलता है। यहाँ तक कि मैंने अपने बेटे अभिनव अंकित और बेटी अर्पिता अंकित की ज़िद की वजह से ही दोबारा लिखने की शुरुआत कर सकी।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं अभी ऐसे मुकाम पर नहीं हूँ जहाँ लेखन को आजीविका के रूप में देख सकूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - निसन्देह उज्ज्वल। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने छोटे से कलेवर में बड़ी बात कह पाठकों को आनन्द देती है। साथ ही साहित्य प्रेमियों को ज्ञानवृद्धि करवाती है। आने वाले समय में लघुकथा हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - साहित्य एक आत्मिक सन्तोष देता है मुझे। बहुत से साहित्यकारों को पढ़ने का मौका मिला। बहुत सालों के साहित्यिक बनवास के बाद जब मैंने लेखन आरम्भ किया तो ऐसा लग जैसे स्वयं को ढूंढने की कोशिश में पहला कदम रखा है।
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क्रमांक - 082
विधा - लघुकथा, कविता, हाइकु, आलेख
साझा संकलन : -
मुट्ठी में आकाश
सृष्टि में प्रकाश
लघुकथा साझा संकलन है
विशेष : -
- आ0 मधुकांत जी ने 'नमिता सिंह' की लघुकथा के साथ
जुड़ना
- आ0 बीजेन्द्र जैमिनी जी के विभिन्न ब्लॉग पन्नों पर विभिन्न विषयों पर लघुकथा देने का अवसर प्राप्त हुआ है।
- समाज में हिन्दी के उत्थान के लिए
- गरीब बच्चों की पढ़ाई
- सप्तरंग सेवा संस्थान का संचालन
- लेख्य-मन्जूषा के अन्तर्गत हिन्दी को बढावा देना
पता : -
201, महेश्वरीकुंज अपार्टमेंट ,रोड न0 6,
पूर्वी पटेल नगर , पटना - 23 बिहार
जन्म तिथि : 18 मई 1971
जन्म स्थान :पटना - बिहार
माता : स्वर्गीय शकुंतला वर्मा
पिता : श्री अर्जुन कुमार वर्मा
शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा- दर्शनशास्त्र ,पटना विश्वविद्यालय
स्नातकोत्तर हिन्दी , पूना विश्वविद्यालय, N.T.T B.Ed
व्यवसाय : (सेवानिवृत्त अध्यापिका)
रूचि : साहित्य लेखन, अध्ययन, अध्यापन, सिलाई प्रशिक्षण व समस्त गृह कार्य
विधा : कविता, कहानी, लघुकथा , संस्मरण, संवाद लेखन, निबंध,समसामयिक विचार आदि
संस्थाओ से सम्पर्क : -
- साहित्य संगम संस्थान समस्त इकाई,
- जैमिनी अकादमी (कविता, लघुकथा, समसामयिक विचार)
- नवकृति काव्य मंच,
- साहित्य रचना,
- साहित्य आजकल,
- साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर मध्य प्रदेश
सम्मान : -
- गुरु रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान,
- उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान,
- तिरंगा सम्मान,
- शिक्षक उत्थान रत्न सम्मान,
- आजाद-ए- हिंद सम्मान,
- गोस्वामी तुलसीदास सम्मान,
- कवि रत्न सम्मान,
- काव्य गौरव सम्मान,
- शहीद भगत सिंह सम्मान,
- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन सम्मान इत्यादि
विशेष : -
- काव्य संग्रह दिल से -फेसबुक पेज, ब्लॉग
- पटना आकाशवाणी केंद्र से विविध कार्यक्रम की प्रस्तुति (सन्1985-88तक)
- एयर फोर्स स्टेशन के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विविध कार्यक्रमों में सहभागिता
पता : छपरौला ,गौतम बुद्ध नगर - 201009 उत्तर प्रदेश
जन्म तिथि- 6 अप्रैल
जन्म स्थान- पटना
पिता - स्व.उमेश्वर नारायण श्रीवास्तव
माता- श्रीमती प्रभा श्रीवास्तव
पति- दीपेन्द्र कुमार वर्मा
शिक्षा- स्नातकोत्तर (इतिहास) B.Ed ( बिहार )
रूचि- कविता, कहानी,नाटक,आलेख, लघुकथा लेखन एवं संगीत
प्रकाशित पुस्तक : -
कुछ कहती है जिन्दगी (लघुकथा एवं छोटी कहानियों का संग्रह )
सम्मान : -
श्री साहित्य विभूति,
साहित्योदय शक्ति सम्मान,
2020 रत्न सम्मान,
लघुकथा मैराथन सम्मान,
कोरोना योद्धा सम्मान,
वृक्ष सखा सम्मान,
अटल रत्न सम्मान,
हिन्द गौरव सम्मान ।
पता : फ्लैट न.-C3F, ग्रीन गार्डेन अपार्टमेंट्स, हेसाग,हटिया,राँची,झारखंड -834003
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथावस्तु, पात्र का चरित्र चित्रण, वातावरण, कथोपकथन तथा उद्देश्य होते हैं ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बहुत सारे बेहतरीन लघुकथाकार हुए हैं जिसमें समकालीन लघुकथाकार जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही हैं,आ. पवन जैन जी, कान्ता राय , अनिता रश्मि, डाॅ.ध्रुव कुमार और आ.बीजेन्द्र जैमिनी जी का नाम उल्लेखनीय है।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - चुस्त एवं सटीक कथानक, कथ्य एवं सपष्ट उद्देश्य के होने से बेहतरीन लघुकथा बनती है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - आज कल साहित्यिक क्षेत्र में सोशल मीडिया बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिसमें फेसबुक, ब्लॉग , वाट्सअप, यूट्यूब, टीवी ऐवं न्यूज़ पेपर उल्लेखनीय हैं ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजकल के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा लोकप्रियता की चरम सीमा पर अवस्थित है।लेकिन अभी भी बहुत सारे साहित्यकार इसकी विधा से अनभिज्ञ हो सृजन कर रहे हैं ।अतः वरिष्ठ लघुकथाकारों का मार्गदर्शन अति आवश्यक है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बहुत संतुष्ट नहीं हूँ ।अभी भी बहुत सारे लोग बगैर इसकी विधा को जाने इसका सृजन कर रहे हैं । मेरा वरिष्ठ लघुकथाकारों से सविनय अनुरोध है कि वे विशेषकर नवोदित लघुकथाकारों का मार्गदर्शन अवश्य करें ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक हाउस वाइफ हूँ । लिखने का शौक बचपन से ही था। सारी जिन्दगी घर गृहस्थी में फंसी रही। चार पांच साल से सक्रिय रूप से लिख रही हूँ । अभी नियमित रूप से काव्य गोष्ठियों में जाती हूँ और मेरी रचनाओं का एकल संकलन, साझा संकलन और उनका प्रायः पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - बिना परिवार के सहयोग से इंसान आगे नहीं बढ़ सकता है। मेरे भी लेखन में मेरे पति और मेरे बच्चों का सहयोग मुझे निरंतर प्राप्त होता रहता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन से कुछ भी सहायता नहीं प्राप्त होती है। मुझे बेहद दुख के साथ कहना पड़ता है कि कुछ लोगों ने साहित्य को पैसा कमाने का व्यवसाय बना लिया है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य निःसंदेह उज्जवल है। इसके पीछे कुछ महान साहित्यकारों की निःस्वार्थ भाव से साहित्य की सेवा ही है
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा से मुझे एक पहचान मिली है और " झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार " ( ई- लघुकथा संकलन ) में अपना नाम देखकर मैं अत्यंत गौरान्वित भी महसूस करती हूँ । अंत में यह जरूर कहना चाहूँगी कि बीजेन्द्र जैमिनी जी द्वारा सारे लघुकथाकारों को एक पृष्ठभूमि पर सुसज्जित करने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
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क्रमांक - 86
जन्म तिथि : 14 जुलाई 1954 , ग्वालियर - मध्यप्रदेश
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी , एम. एड् , पीएचडी , डी सी एच इग्नू
विधा : लघुकथा , कहानी , हास्य व्यंग, कविता
सम्प्रति : शासकीय सेवा के बाद स्वतन्त्र लेखन व समाज सेवा
प्रकाशित पुस्तकें : -
अतीत का प्रश्न ( लघुकथा संग्रह ) - 1991
बुढ़ापे की दौलत ( लघुकथा संग्रह ) - 2004
शिक्षा और संस्कार ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
व विभिन्न विधाओं की 26 पुस्तकें
सम्पादन पुस्तक : -
नारी संवेदना की लघुकथाएं
सम्मान : -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का पुरस्कार
राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार ( भारत सरकार )
पता : ९२, सुरेन्द्र माणिक , (विद्या सागर कालेज के सामने )
अवध पुरी , भोपाल -४६२०२२ मध्य प्रदेश
जन्मतिथी : 04 जनवरी 1950
जन्म स्थान - मिर्जापुर - उत्तर प्रदेश
पति :स्वर्गीय कन्हैया प्रसाद(उच्चतम न्यायलय अधिवक्ता )
शिक्षा :1967 में इन्टर मिडियेट आर्य कन्या इंटर कालेज
रुचि : साहित्य पढ़ना , बागवानी और लेखन
विधा : कविता ,लघुकथा, कहानी व सामयिक विषय पर विचार लिखना पसन्द है ।
साझा पुस्तकें : -
मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
जल ही जीवन है ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
बुजुर्ग ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
सम्मान : -
- जैमिनी अकादमी द्वारा अटल रत्न सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा कबीर सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर सम्मान
- जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा " 2020 के एक सौ एक साहित्यकार " में 2020 - रत्न सम्मान प्राप्त
- जैमिनी अकादमी द्वारा गणतंत्र दिवस पर भारत गौरव सम्मान - 2021
- जैमिनी अकादमी द्वारा विश्व कविता दिवस सम्मान - 2021
आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए
विशेष : -
- आ०बीजेन्द्र जैमिनी के ब्लाक के लिए सामयिक विषय पर लिखना बहुत पसंद था ।
- आ० मधुदीपजी गुप्ता द्वारा रचित चरित्र नारी शक्ति नमिता सिंह का चरित्र चित्रण करना मेरे लिए अद्भुत तजुर्बा रहा
- पहली कविता 'साँझपरे घर आजाना ' को दिल्ली इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल की मैग्जीन में जगह मिली ।
- साहित्य की कई संस्थाओं से जुड़ी हूँ । जैमिनी अकादमी- पानीपत ,लेख्यमंजूषा - पटना ,साहित्य संवेद , भारतीय लघुकथा विकास मंच ।
- हेल्पिंग ह्यूमेन क्लब की सदस्यता ।
पता : 3A-031, जी.सी. ग्रैंड , 2/C वैभव खंड
इन्दिरापुरम - गाजियाबाद -201010 उत्तर प्रदेश
उ० - लघुकथा की उद्देश्य पूर्ति के लिए तीखी शैली का होना आवश्यक होता है, जो चेतना को जगाने के लिए जनमानस के हृदय को झकझोर सके ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ०- आ०सतीशराज पुष्करणा जी , आ०मधुदीप गुप्ता जी ,आ० बीजेन्द्र जैमिनी जी , आ०सुकेश सहानी जी ,और डा० मधुकान्त जी की भूमिका लघुकथा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रही है ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ०- लघुकथा की समीक्षा के समय ,लघुकथा के सभी मानकों का ध्यान रखना चाहिए ,चाहे कथानक हो ,शिर्षक हो ,विषय वस्तु या शैली ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - भारतीय लघुकथा विकास मंच ,साहित्य संवेद ,लेख्यमंजूषा ,लघुकथा के रंग ,आदि अनेक प्लेट फार्म हैं जो लघुकथा को आगे बढ़ाने में काफी महत्व पूर्ण योगदान दे रहे हैं ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ० - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा समाज के द्वारा पसंद की जा रही है । कम समय में लोग पढ़ और समझ रहे हैं ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ० - वर्तमान स्थिति में अनेक लेखक, लघुकथा लेखन में आगे आये हैं । इसे महत्व दिया जा रहा है ।स्थिति अच्छी जान पड़ती है ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ० - मेरे परिवार में कई पुश्तों से वकालत का पेशा रहा है ।सभी समाजिक कार्य से जुड़े हैं ।मुझे भी समाज केप्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करना अच्छा लगता है और लघुकथा के माध्यम से यह संभव हो पाया है ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ० - मेरे परिवार वाले मेरे लेखन को लेकर उत्साहित रहते हैं ।मेरी मदद को हमेशा तैयार रहते हैं । जैसे - मेरे समय में इन्टरनेट नहीं था ।परिवार के सहयोग से मैं इस दुनिया के बारे में जान सकी ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ० - लेखन केप्रति समर्पण ही मेरा उद्देश्य है ।आजीविका में कोई रुचि नहीं है ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ०- मेरी दृष्टि में लघुकथा भविष्य में ऊच्चतम शिखर पर पहुँचेगी ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ० - मैं एक गृहणी हूँ ।लघुकथा लेखन ने मान -सम्मान और पहचान दिलाई है ।
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क्रमांक - 92
जन्म : 19 जून 1969 , धामपुर - उत्तर प्रदेश
पिता : श्री कृष्ण कुमार शर्मा
माता : श्रीमती मुनेश बाला शर्मा
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी साहित्य,बी.टी.सी.,
एल -ं बी, आयुर्वेदरत्न,बी.ई.एम.एस.,
डी.एन.वाई.एस.,सी.एक्यू.,कहानी लेखन, पत्रकारिता प्रशिक्षण
मानद उपाधि : विद्यावाचस्पति, विद्यासागर
विधाएं : कविता,गीत, गीतिका, कहानी, आलेख, लघुकथा, व्यंग्य,परिचर्चा,समीक्षा, साक्षात्कार व अन्य विधाएं 1986 - 87 से निरंतर लेखन।
प्रकाशित कृतियां :-
मुझको जग में आने दो,
प्रकृति का ऐसे न शोषण करो,
जिंदगी गीत हो जाएगी ,
शिक्षा जगत की लघुकथाएं,
धामदेव की नगरी धामपुर,
प्राकृतिक रंग-उर्जा चिकित्सा ,
सम्पादन : -
अनुभूतियां,
अभिव्यक्ति,
अन्तर्मन,
अनुगूंज अभिप्राय,
अर्पण,
अनुसंधान (कार्य संकलन),
अविरल प्रवाह (स्मारिका).
संप्रति: - ई पत्रिका अभिव्यक्ति का संपादन प्रकाशन
सम्मान : -
विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं द्वारा शताधिक सम्मान
अन्य : -
विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों,परिचय ग्रंथों, अभिनन्दन ग्रंथों और सन्दर्भ कोशों में प्रकाशित
पता : 82, मुहल्ला-गुजरातियान,
धामपुर-246761,जिला - बिजनौर ,उत्तर प्रदेश
जन्म : 06 जनवरी 1965 , दरभंगा - बिहार
पति- श्री गजानन मिश्रा
शिक्षा : स्नातकोत्तर
सम्प्रति : गृहणी व स्वतंत्र लेखन
प्रकाशित रचनाएं : -
दृष्टि , किस्सा कोतहा ,लघुकथा कलश , अट्टहास,चंद्रहास कहानियाँ,चुनिंदा लघुकथाएँ, साहित्य कलश ,कलमकार मंच, क्षितिजऔर संगिनी, मधुरिमा, अहा! ज़िंदगी, हंस, सुरभि, लोकचिंतन ,अविराम साहित्यिकी,लघुकथा काॅम, अक्षरा, समाज्ञा, हिन्दुस्तान, सलाम दुनिया , आदि कई पेपर व पत्रिकाओं में
सम्मान : -
लघुकथा लेखन में ...
लघुकथा श्री सम्मान,
कलमकार मंच ,
भाषा सहोदरी ,
लघुकथा स्टोरी मिरर प्रतियोगिता ,
साहित्य विचार प्रतियोगिता आदि से सम्मानित किया जा चुका है |
पता : Minni Mishra
Shivmatri Apartment,
Flat no.- 301, Road Number---3,
Maheshnagar, Patna - 800024
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - पंच (अंतिम पंक्ति)
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बलराम अग्रवाल, सुकेश साहनी, कमल चोपड़ा सतीशराज पुष्करणा , कान्ता राॅय ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - कथानक , पंच पंक्ति, शीर्षक , कथ्य, शैली ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - गद्य कोश, लघुकथा डाॅट काम, जनगाथा, भारतीय लघुकथा विकास मंच , नया लेखन नये दस्तखत ग्रुप , लघुकथा के परिंदे ग्रुप , साहित्य संवेद ग्रुप ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - यद्यपि लघुकथा लेखन में बाढ़ आ गई है, फिर भी मुझे लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी नजर आती है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल । एक तरफ जहाँ हमें दिग्गज लघुकथाकार की रचना, आलेख आदि को पढकर सीखने का मौका मिलता है तो दूसरी तरफ , नये- नये लेखकों को पढने का अवसर भी प्राप्त होता है ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ?
बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं गृहणी हूँ । नौकरीपेशा परिवार मेरी पृष्ठभूमि रही है। मैं लगभग विगत चार सालों से लघुकथा विधा को जान रही हूँ और लिख भी रही हूँ । अभी मैं मार्गदर्शक के काबिल नहीं हूँ। साधारण सी लेखिका हूँ, लेकिन जो भी लिखती हूँ आसपास के परिवेश को देख कर। ईमानदारी से कलम बद्ध करने का भरसक प्रयास करती हूँ ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार के लोगों को लघुकथा लेखन में कोई रूचि नहीं है, फिर भी सभी लोग मुझे बहुत प्रोत्साहित करते रहते हैं । जरूरत पड़ने पर मदद भी करते हैं ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- लेखन मेरा व्यक्तिगत शौक है । आजीविका से इसका कोई लेना-देना नहीं है ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर- लघुकथा का भविष्य बहुत सुनहरा है। क्योंकि, आजकल के भागम-भाग जिंदगी में , समयाभाव के कारण लोग लघुकथा पढना पसंद करते हैं ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - बहुत कुछ प्राप्त हुआ । सामाज और पारिवार के लोग अब मुझे एक लेखिका के रूप में देखने लगे हैं । मुझे अहसास हुआ कि अब मैं केवल गृहणी, माँ, पत्नी, भाभी और चाची ही नहीं एक सम्मानित लेखिका भी हूँ । अनेक मंच पर जाकर मैंने लघुकथा पाठ भी किया है । लघुकथा लेखन विधा में कई बार मुझे सम्मान मिल चुका है । जिससे बहुत संतुष्ट मिली। मेरे अंदर का आत्मसम्मान जगा । मुझे साहित्य जगत में अभी बहुत आगे जाने की अभिलाषा है ।
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क्रमांक - 98
लेखकीय कोना - ( साहित्य मेरी नजर में) : -
"साहित्य सृजन मेरे लिए महज मनोरंजन या समय व्यतीत करने का माध्यम नहीं है। बल्कि एक साधना है। जो पूरे मनोयोग से करती हूँ।क्योंकि सृजन का गुण, मुझे आत्मिक सुकून और आनंद पाने, ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अलौकिक वरदान है।"
साथ ही मेरा लेखन को लेकर नजरिया है कि....
"लेखक होने के लिए,.. सबसे पहले एक अच्छा पाठक होना नितांत जरूरी सोपान है।
क्योंकि...
सतत् पठन- पाठन हमारे शब्द भंडार में ही वृद्धि नहीं करता है, बल्कि भावों के दायरे को भी विस्तृत करता है।
साझा संकलन :-
- इक्कीसवीं सदीं की प्रतिनिधि लघुकथाए
- लघुकथा संगम में पांच लघुकथाओं का प्रकाशन साथ ही संपादक मंडल में सम्मिलित
- जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- मां ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन )
- कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020
- मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
- पड़ाव और पड़ताल के खंड- 32,खंड- 33 में लघुकथाओं का चयन।
सम्मान :-
- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
- फेसबुक पर अनेक साहित्यिक समूहों में आयोजित प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत।
- फेसबुक समूह 'धर्म संसार' द्वारा आयोजित धार्मिक कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान।
- मातृभारती द्वारा स्वाभिमान विषय पर आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में 50 लघुकथाओं में स्थान
- साहित्य संवेद साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- समीक्षा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- अन्तर्राष्ट्रीय लघुकथा समीक्षा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित अखिलभारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता- 2019 में तृतीय स्थान.
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित नाटक लेखन प्रतियोगिता- 2020 में विशेष स्थान प्राप्त किया.
- साहित्य संगम संस्थान से वीणा पाणी सम्मान,
- दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान ,
- नारी मंच संगम सुवास से दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, - संगम सुवास सम्मान
विशेष : -
- जबलपुर दैनिक अखबार में रचनाओं का प्रकाशन,
- लघुकथा वृत्त में भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन।
- शब्द अभिव्यक्ति पत्रिका में प्रकाशित कहानियाँ,
- ई- पत्रिका अविचल प्रवाह में रचनाओं का प्रकाशन, एवं संपादक मंडल में सम्मिलित।
- बीजेन्द्र जैमिनी जी लघुकथा ब्लॉग में सम्मिलित रचनाएं
- उदंति पर भी लघुकथा प्रकाशित।
- शैल अग्रवाल जी की बेव- पत्रिका लेखनी के लघुकथा विशेषाॅंक में पाॅंच लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा. काॅम पर भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन
- लघुकथा- वापसी का भाषांतर के अंतर्गत गुजराती भाषा में अनुवाद का प्रकाशन।
- मेरी पसंद के अंतर्गत दो लघुकथाओं की समीक्षा प्रकाशित।
- पंजाबी भाषा की प्रतिष्ठित पत्रिका 'मिन्नी' में लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा- कलश, दृष्टि, हिन्दी चेतना, क्षितिज, शैल शूत्र, आदि में लघुकथा प्रकाशित।
- कविता भट्ट जी के संपादन में गद्य कोष में रामेश्वर कांबोज जी की लघुकथा- नवजन्मा की समीक्षा प्रकाशित।
- सहज साहित्य बेवसाइट पर अनेक कविताओं का प्रकाशन
पता : आदर्श होटल , भेड़ाघाट ,
जबलपुर - 483053 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा सीमित शब्दों में लिखी जाने वाली, अर्थात गागर में सागर समाहित करने वाली विधा है.इसलिए इसके सभी तत्व महत्वपूर्ण होते हैं.परंतु कथा तत्व और सकारात्मक संदेश का होना ही लघुकथा की सार्थकता के लिए बेहद जरुरी है.जब तक किसी लिखित विवरण में कथा तत्व मौजूद नहीं होगा तब तक वह विवरण, सत्य घटना, रिपोर्ट या संस्मरण आदि बनकर ही रह जाएगा.
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी नजर में प्रत्येक लघुकथाकार जो लघुकथा विधा के ककहरे को समझते हुए लघुकथा को उन्नत करने के लिए कार्यरत हैं.उसकी भूमिका लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण हैं.वर्तमान समय में देखा जाए तो कई वरिष्ठों के साथ नवोदित रचनाकार भी इस विधा को उन्नत कर रहे हैं जहाँ वरिष्ठों में रामेश्वर कांबोज हिमांशु जी, सुकेश साहनी जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, योगराज प्रभाकर जी, और अशोक भाटिया जी उल्लेखनीय नाम हैं.
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - किसी भी लघुकथा की समीक्षा करना अत्यंत गंभीर कार्य है.समीक्षा ही लघुकथा और पाठक के बीच में सेतु का कार्य करती है.लघुकथा के अंतर्निहित उस अनकहे को उजागर करना, जो लघुकथा का मर्म है, समीक्षक की महती जिम्मेदारी है. साथ ही पाठक के मन में लघुकथा के लिए उपजे प्रश्नों का समाधान देना भी समीक्षक का काम है. समीक्षा के द्वारा लघुकथा के सकारात्मक पहलुओं के साथ उसकी कमियों या नकारात्मक बिंदुओं का भी सधे हुए शब्दों में उद्धरण करना भी समीक्षक का कार्य होता है.
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के आगमन से साहित्य की सभी विधाओं में उन्नति की है, फिर लघुकथा भी इससे अछूती नहीं है.सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म व्हाट्सएप, फेसबुक, ब्लॉग , यूट्यूब...आदि अनेक प्लेटफार्म ने विधा को आगे बढ़ाने का कार्य किया है.
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा, उपन्यास और कहानी परिवार की सबसे छोटी सदस्य है.गर्व की बात यह है कि अब इसे भी दोनों की तरह स्वतंत्र पहचान मिल चुकी है.आज लघुकथा अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में केवल फिलर की तरह नहीं बल्कि आवश्यक सामग्री की तरह प्रकाशित की जाने लगी है.लघुकथा का यह स्वर्णिम काल है.सोशल मीडिया ने भी लघुकथा के विकास में महती भूमिका निभाई है.
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कुछ हद तक संतुष्ट हूँ पर पूरी तरह से नहीं..... ऐसा कहा गया है कि 'अति सर्वत्र वर्जयते'.... मुझे ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के आगमन से वर्तमान में थोक में लघुकथाएँ लिखी और पोस्ट की जा रहीं हैं.जहाँ एक ओर विधा का विकास हुआ है तो कहीं न कहीं विधा को नुक्सान भी हुआ है. सोशल मीडिया पर बने अनेक साहित्यिक समूहों में अपनी रचना पोस्ट करने और वाहवाही पाने की होड़ में लेखक धैर्य खो रहे हैं. परिणाम स्वरूप लघुकथा पर पूर्ण चिंतन मनन न कर कच्ची पक्की कैसी भी कथा पोस्ट कर रहे हैं. अर्थात संख्या की दृष्टि में वृद्धि हो रही है, पर गुणवत्ता के लिए अभी और समय देना होगा.
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि में साहित्य का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.बचपन से ही मुझे पढ़ने में बहुत रुचि थी.जब भी मौका मिलता या फुर्सत के पल होते, मैं अपने किताब के संग बिजी हो जाती थी.यही पढ़ते रहने का हुनर धीरे-धीरे साहित्य लेखन की ओर भी मुझे ले गया.फिर सोशल मीडिया पर अनेक साहित्यिक समूहों में अन्य लेखकों की रचनाएं पढ़ते और अपनी रचनाएं प्रेषित करते हुए आगे बढ़ती गई.
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे परिवार ने सदा ही मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया है.
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरे लिए कोई आजीविका चलाने का साधन नहीं है.मेरे लिए लेखन आत्म संतुष्टि या यूं कहें सुकून पाने का मार्ग है. हाँ कुछ प्रतियोगिताओं में मैंने नगद राशि,पुरस्कार के रुप में अर्जित जरूर की है.पर उनका व्यय में प्रतियोगिताओं में शामिल होने या पुस्तक ग्रह में ही करती हूं.
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी नजर में लघुकथा का भविष्य सुनहरा है. क्योंकि जहाँ वरिष्ठ और नवोदित दोनों ही एक दूसरे का हाथ पकड़,कदम ताल मिलाते हुए लघुकथा के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं. यही समय लघुकथा के विकास का स्वर्णिम काल है.
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य ने मुझे स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए पृष्ठभूमि प्रदान की है. समाज में व्याप्त विसंगतियों और कुरूतियों को देख कर मन खिन्न हो जाता है.मन में भावनाओं का तूफान घुमड़ने लगता है.तब वही तूफान कलम के रास्ते कागज पर लघुकथा के रूप में जन्मता है. तब मन में एक सुकून और शांति महसूस होती है.
लघुकथा लेखकों के मध्य लघुकथाकार के रूप में अदना- सा ही सही अपना नाम देखकर गर्व महसूस करती हूँ. साथ ही अनेक लेखकों से जान पहचान ही नहीं हुई है बल्कि उनका सानिध्ध्य और सहयोग भी मिला है ।
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क्रमांक - 99
जन्मतिथि : 20 मार्च 1961
पति : श्री प्रदीप गुप्ता (रिटायर्ड सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर)
शैक्षणिक योग्यता : बी.एससी., एम.ए.(अंग्रेजी), सी.लिब., बी.एड.
लेखन विधा : लेख, लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, ब्लॉग
संप्रति : जयपुर के प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में 17 वर्षों के कार्यकाल के उपरांत प्रधानाध्यापिका के पद से सेवानिवृत।
लेखन विधा : -
लेख, लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, ब्लॉग
विशेष -
- अनेक पत्र पत्रिकाओं तथा प्रतिष्ठित समाचारपत्रों
में लघुकथाओं, कहानियों तथा लेखों का निरंतर प्रकाशन।
- प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, मातृभारती पर लघुकथाएँ एवं कहानियां प्रकाशित।
- dusbus.com पर 120 से अधिक लेखों एवं कहानियों का प्रकाशन।
- कुछ लघुकथा संकलनों यथा समय की दस्तक, बाल मन की लघुकथाएँ, स्वरांजली में कुछ लघुकथाएँ प्रकाशित।
- कई वार्ताएं आकाशवाणी, गुवाहाटी से प्रसारित
- संगीत सुनना एवं लेखन
पता : जी-2, प्लाट नंबर - 61, रघु विहार, महारानी फार्म, दुर्गापुरा, जयपुर - राजस्थान
प्रश्न न.1 लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर - जितना मैं लघुकथा के विषय में समझ पाई हूं, लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है,लघुता के माध्यम से व्यापकता की ऐसी अभिव्यक्ति, जो अपनी लघुता में सिमटी संदर्भगत संवेदना की गहनता के दम पर मन के तारों को छू सके और उसे चिंतन के लिए झकझोर सके।
प्रश्न न.2 समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उत्तर - सम्मानीय बलराम अग्रवाल जी, सम्मानीय योगराज प्रभाकर जी, सम्मानीय सतीश राज पुष्करणा जी, सम्मानीय बीजेंद्र जैमिनी जी एवं सम्मानीया कांता राय जी ने साहित्य की इस विधा को समृद्ध करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इस संदर्भ में मैं आदरणीया कांता रॉयजी का नाम लेना चाहूंगी, जिन के सानिध्य में मैंने लघुकथा लेखन की राह पर पहला कदम रखा, और उनके मार्ग निर्देशन में सतत आगे बढ़ती गई। कांताजी लघुकथा के क्षेत्र में एक मूर्धन्य साहित्यसेवी हैं, जो इस विधा को समृद्ध करने की दिशा में तन मन धन से अपना बेशकीमती नि:स्वार्थ योगदान दे रही हैं।
प्रश्न न.3 लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - मेरे मत से एक सार्थक लघुकथा वही है जिसके माध्यम से कहा जाने वाला कथ्य कथानक के अनुकूल हो।
इसके अतिरिक्त समीक्षक द्वारा यह देखा जाना चाहिए कि पंच लाइन से निकला कथ्य स्पष्ट है या नहीं, और यह पाठकों के मन की माटी में चिंतन के बीज बो रहा है या नहीं। उन्हें सोचने के लिए झकझोर रहा है या नहीं।
इसके साथ ही लघुकथा यथार्थ का परिचायक हो। इसकी पृष्ठभूमि में कोई अपवाद ना हो। समीक्षक को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि लघुकथा एक इकहरे भाव को लेकर रची गई हो और न्यूनतम शब्दों में कोई गंभीर और गहरी बात कही गई हो।
प्रश्न न.4 लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - विभिन्न ईपत्रिकाएँ, साहित्यिक पोर्टल, फेसबुक एवं व्हाट्सऐप , ब्लॉग
प्रश्न न.5 आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में यदि कहा जाए कि लघुकथा सम्मानजनक स्थिति में है, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी । आज की व्यस्त आपाधापी भरी जिंदगी में व्यस्त से व्यस्त व्यक्ति लघुकथाओं को अखबारों, पत्रिकाओं, ईपत्रिकाओं, फेसबुक, व्हाट्साऐप समूहों में उनके छोटे आकार के कारण पढ़ लेता है, जबकि आज उसके पास कहानी, उपन्यास आदि को पढ़ने का समय ही नहीं होता। अतः वक्त के साथ इसकी लोकप्रियता का ग्राफ़ निरंतर बढ़ता जा रहा है।
प्रश्न न.6 लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - आज आवश्यकता इस बात की है कि लघुकथाकार जिंदगी के अनछुए पहलुओं और सर्वकालिक विषयों पर भी अपनी लेखनी चलाएं, और ऐसी लघुकथा रचें जिनका कथानक अभिनव हो। यदि ऐसा हो, तभी अधिक से अधिक पाठक अपने रुझान के अनुरूप लघुकथाएं पढ़ने में अपना समय देंगे।
प्रश्न न.7 आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आई हैं? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार मैं पली-बढ़ी हूं, जहां बच्चों के मानसिक विकास के लिए पुस्तकों को बहुत अहम माना जाता था। मेरे माता-पिता दोनों ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि हम शुरुआती बचपन से स्तरीय साहित्य पढ़ें। मुझे याद नहीं, मेरे पिता कभी कोई हल्की पुस्तकें घर में लाए हों। मेरी किशोरावस्था और बचपन शिवानी, प्रेमचंद, अमृता प्रीतम, भगवती चरण वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, आचार्य चतुरसेन, रबींद्र नाथ टैगोर, शरत चंद्र आदि की रचनाओं को पढ़ते बीता।
प्रश्न न.8 आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की महत भूमिका रही है। विवाह से पूर्व माता-पिता ने लेखन के लिए भरपूर प्रोत्साहन दिया। मेरी मां मुझे लिखने पढ़ने में व्यस्त देखकर कभी कोई घरेलू काम नहीं बताती थीं। विवाह के बाद पति ने कभी लेखन की राह में किसी भी तरह की कोई बंदिश नहीं लगाई। उनके बेशर्त प्रोत्साहन और सहयोग की वजह से ही अब रिटायरमेंट के पश्चात मैं दिन भर में 5 से 8 घंटे रोज़ाना लेखन को दे पाती हूं। मेरी दो बेटियां भी मुझे लिखने के लिए सतत प्रेरित करती हैं। मेरे भाई बहन भी मेरी हर रचना को पढ़ते हैं, और उस पर चर्चा करते हैं ।
प्रश्न न.9 आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मात्र साहित्य सेवा ही मेरा उद्देश्य है।
प्रश्न न.10 आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य बेहद उज्जवल है, क्योंकि आज की भागमभाग भरी जिंदगी में जब सोशल मीडिया के विभिन्न पक्षों जैसे टीवी, व्हाट्सऐप, फेसबुक, टि्वटर आदि ने लोगों के समय के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा कर रखा है, लोगों का साहित्य पढ़ने का समय कम से कम होता जा रहा है। लेकिन वह फिर भी पत्र पत्रिकाएँ, फ़ेससबुक अथवा व्हाट्सऐप समूहों में लघुकथाएं पढ़ लेते हैं। इस तरह लघुकथा की पाठक संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो इसके आशाजनक भविष्य का शुभ संकेत देती है।
प्रश्न न.11 लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - लघुकथा साहित्य रचना से मुझे निरंतर नियमित रूप से लेखन कर पाने की खुशी और आत्मिक संतुष्टि हासिल हुई है।
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जन्म : 03 जून 1965
शिक्षा : एम ए हिन्दी , पत्रकारिता व जंनसंचार विशारद्
फिल्म पत्रकारिता कोर्स
कार्यक्षेत्र : प्रधान सम्पादक / निदेशक
जैमिनी अकादमी , पानीपत
( फरवरी 1995 से निरन्तर प्रसारण )
मौलिक :-
मुस्करान ( काव्य संग्रह ) -1989
प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) -1990
त्रिशूल ( हाईकू संग्रह ) -1991
नई सुबह की तलाश ( लघुकथा संग्रह ) - 1998
इधर उधर से ( लघुकथा संग्रह ) - 2001
धर्म की परिभाषा (कविता का विभिन्न भाषाओं का अनुवाद) - 2001
सम्पादन :-
चांद की चांदनी ( लघुकथा संकलन ) - 1990
पानीपत के हीरे ( काव्य संकलन ) - 1998
शताब्दी रत्न निदेशिका ( परिचित संकलन ) - 2001
प्यारे कवि मंजूल ( अभिनन्दन ग्रंथ ) - 2001
बीसवीं शताब्दी की लघुकथाएं (लघुकथा संकलन ) -2001
बीसवीं शताब्दी की नई कविताएं ( काव्य संकलन ) -2001
संघर्ष का स्वर ( काव्य संकलन ) - 2002
रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी ( समारोह संकलन ) -2002
हरियाणा साहित्यकार कोश ( परिचय संकलन ) - 2003
राजभाषा : वर्तमान में हिन्दी या अग्रेजी ? ( परिचर्चा संकलन ) - 2003
ई - बुक : -
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लघुकथा - 2018 (लघुकथा संकलन)
लघुकथा - 2019 ( लघुकथा संकलन )
नारी के विभिन्न रूप ( लघुकथा संकलन ) - जून - 2019
लोकतंत्र का चुनाव ( लघुकथा संकलन ) अप्रैल -2019
मां ( लघुकथा संकलन ) मार्च - 2019
जीवन की प्रथम लघुकथा ( लघुकथा संकलन ) जनवरी - 2019
जय माता दी ( काव्य संकलन ) अप्रैल - 2019
मतदान ( काव्य संकलन ) अप्रैल - 2019
जल ही जीवन है ( काव्य संकलन ) मई - 2019
भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( काव्य संकलन ) मई - 2019
लघुकथा - 2020 ( लघुकथा का संकलन ) का सम्पादन - 2020
कोरोना ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2020
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन-2020
पशु पक्षी ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन- 2020
मन की भाषा हिन्दी ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2021
स्वामी विवेकानंद जयंती ( काव्य संकलन )का सम्पादन - 2021
होली (लघुकथा संकलन ) का सम्पादन - 2021
मध्यप्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
हरियाणा के प्रमुख लघुकथाकार (ई - लघुकथा संकलन ) -
2021
मुम्बई के प्रमुख हिन्दी महिला लघुकथाकार (ई लघुकथा संकलन ) - 2021
दिल्ली के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- महाराष्ट्र के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
- उत्तर प्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- भोपाल के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
बीजेन्द्र जैमिनी पर विभिन्न शोध कार्य :-
1994 में कु. सुखप्रीत ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लालचंद गुप्त मंगल के निदेशन में " पानीपत नगर : समकालीन हिन्दी साहित्य का अनुशीलन " शोध में शामिल
1995 में श्री अशोक खजूरिया ने जम्मू विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजकुमार शर्मा के निदेशन " लघु कहानियों में जीवन का बहुआयामी एवं बहुपक्षीय समस्याओं का चित्रण " शोध में शामिल
1999 में श्री मदन लाल सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी के निदेशन में " पानीपत के लघु पत्र - पत्रिकाओं के सम्पादन , प्रंबधन व वितरण " शोध में शामिल
2003 में श्री सुभाष सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. रामपत यादव के निदेशन में " हिन्दी लघुकथा : विश्लेषण एवं मूल्यांकन " शोध में शामिल
2003 में कु. अनिता छाबड़ा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लाल चन्द गुप्त मंगल के निदेशन में " हरियाणा का हिन्दी लघुकथा साहित्य कथ्य एवम् शिल्प " शोध में शामिल
2013 में आशारानी बी.पी ने केरल विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. के. मणिकणठन नायर के निदेशन में " हिन्दी साहित्य के विकास में हिन्दी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं का योगदान " शोध में शामिल
2018 में सुशील बिजला ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा , धारवाड़ ( कर्नाटक ) के अधीन डाँ. राजकुमार नायक के निदेशन में " 1947 के बाद हिन्दी के विकास में हिन्दी प्रचार संस्थाओं का योगदान " शोध में शामिल
सम्मान / पुरस्कार
15 अक्टूबर 1995 को विक्रमशिला हिन्दी विद्मापीठ , गांधी नगर ,ईशीपुर ( भागलपुर ) बिहार ने विद्मावाचस्पति ( पी.एच.डी ) की मानद उपाधि से सम्मानित किया ।
13 दिसम्बर 1999 को महानुभाव विश्वभारती , अमरावती - महाराष्ट्र द्वारा बीजेन्द्र जैमिनी की पुस्तक प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) को महानुभाव ग्रंथोत्तेजक पुरस्कार प्रदान किया गया ।
14 दिसम्बर 2002 को सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी , खण्डवा - मध्यप्रदेश द्वारा इक्कीस हजार रुपए का आचार्य सत्यपुरी नाहनवी पुरस्कार से सम्मानित
14 सितम्बर 2012 को साहित्य मण्डल ,श्रीनाथद्वारा - राजस्थान द्वारा " सम्पादक - रत्न " उपाधि से सम्मानित
14 सितम्बर 2014 को हरियाणा प्रदेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा के क्षेत्र में इक्कीस सौ रुपए का श्री रमेशचन्द्र शलिहास स्मृति सम्मान से सम्मानित
14 सितम्बर 2016 को मीडिया क्लब , पानीपत - हरियाणा द्वारा हिन्दी दिवस समारोह में नेपाल , भूटान व बांग्लादेश सहित 14 हिन्दी सेवीयों को सम्मानित किया । जिनमें से बीजेन्द्र जैमिनी भी एक है ।
18 दिसम्बर 2016 को हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा सेवी सम्मान से सम्मानित
अभिनन्दन प्रकाशित :-
डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : बिम्ब - प्रतिबिम्ब
सम्पादक : संगीता रानी ( 25 मई 1999)
डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : अभिनन्दन मंजूषा
सम्पादक : लाल चंद भोला ( 14 सितम्बर 2000)
विशेष उल्लेख :-
1. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से प्रतिवर्ष अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन
2. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से प्रतिवर्ष अखिल भारतीय हिन्दी हाईकू प्रतियोगिता का आयोजन । फिलहाल ये प्रतियोगिता बन्द कर दी गई है ।
3. हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , आंध्रप्रदेश , उत्तराखंड , छत्तीसगढ़ , पश्चिमी बंगाल आदि की पंचास से अधिक संस्थाओं से सम्मानित
4. बीजेन्द्र जैमिनी की अनेंक लघुकथाओं का उर्दू , गुजराती , तमिल व पंजाबी में अनुवाद हुआ है । अयूब सौर बाजाखी द्वारा उर्दू में रंग में भंग , गवाही , पार्टी वर्क , शादी का खर्च , चाची से शादी , शर्म , आदि का अनुवाद हुआ है । डाँ. कमल पुंजाणी द्वारा गुजराती में इन्टरव्यू का अनुवाद हुआ है । डाँ. ह. दुर्रस्वामी द्वारा तमिल में गवाही , पार्टी वर्क , आर्दशवाद , प्रमाण-पत्र , भाषणों तक सीमित , पहला वेतन आदि का अनुवाद हुआ है । सतपाल साहलोन द्वारा पंजाबी में कंलक का विरोध , रिश्वत का अनुवाद हुआ है ।
5. blog पर विशेष :-
शुभ दिन - 365 दिन प्रसारित
" आज की चर्चा " प्रतिदिन 22 सितंबर 2019 से प्रसारित हो रहा है ।
6. भारतीय कलाकार संघ का स्टार प्रचारक
7. महाभारत : आज का प्रश्न ( संचालन व सम्पादन )
8. ऑनलाइन साप्ताहिक कार्यक्रम : कवि सम्मेलन व लघुकथा उत्सव ( संचालन व सम्पादन )
9. भारतीय लघुकथा विकास मंच के माध्यम से लघुकथा मैराथन - 2020 का आयोजन
10. #SixWorldStories की एक सौ एक किस्तों के रचनाकार ( फेसबुक व blog पर आज भी सुरक्षित )
11. स्तभ : इनसे मिलिए ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकाशित )
स्तभ : मेरी दृष्टि में ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकशित )
पता : हिन्दी भवन , 554- सी , सैक्टर -6 ,
पानीपत - 132103 हरियाणा
ईमेल : bijender1965@gmail.com
WhatsApp Mobile No. 9355003609
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सार्थक साक्षात्कार
ReplyDeleteअच्छा जोड़ भाग बना है नये पुराने रचनाकारों को जोड़कर। लगभग सभी लघुकथाकारों के एक से ही उत्तर हैं और इसका कारण है एक से प्रश्न। सभी को तो नहीं पढ़ पाए, परन्तु जिन लोगों को मैंने पढ़ा है, उनमें से किसी ने भी डॉक्टर महाराज कृष्ण जैन की चर्चा नहीं की जबकि शुभ तारिका का बहुत बड़ा योगदान है लघुकथा के क्षेत्र में। चलिए सभी का अपना अपना मत है। इसी तरह मेरा भी अपना मत है। बहरहाल आपका काम महत्वपूर्ण है। बढ़ते रहिए।
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Deleteआदरणीय चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री , पंचकूला - हरियाणा ने अपने साक्षात्कार में आदरपूर्वक डॉ. महाराज कृष्ण जैन जी उल्लेख किया है ।
Deleteसर्वप्रथम तो इस सम्मान के लिए आभार आपका।
ReplyDeleteसाक्षात्कार के जरिए जो सर्वे आपने किया है वह सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए बहुत बहुत बधाई।
एवं मुझे जो मान आप सभी ने दिया है उसके लिए भी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।
बहुत दिनों से बीजेन्द्र जैमिनी जी के लिए मन में कुछ बातें घूम रही थी। आज इस मौके पर कहना उचित प्रतीत हो रहा है।
बीजेन्द्र जैमिनी : मेरी नजर में एक समर्पित लघुकथाकार
लघुकथा के प्रति रुचि होना, पढ़ते हुए अच्छी लघुकथाओं का सार सम्भाल करने की इच्छा जागृत होना, उसके लिए विभिन्न तरीकों से विचार करने के उपरांत मूर्त रूप देने के लिए उस पर चल पड़ना, लघुकथा के लिए काम करते हुए नवीन ऊर्जा का संचार महसूस करना ही लघुकथा के लिए समर्पित एक अच्छे कार्यकर्ता की पहचान है।
यह पहचान आज के कार्यों को देखते हुए नहीं बल्कि हमने बीजेंद्र जैमिनी के कार्यों में विविधता और निरंतरता देखने के बाद बनाया है।
पिछले 7 सालों से लगातार लघुकथा के क्षेत्र में कुछ ना कुछ करते हुए उन्हें पाया है। कभी तो वह किसी विषय विशेष को लेकर लोगों से लघुकथाएं मंगवाते हैं और कभी अन्य जानकारी।
फिर उन सामग्रियों को संयोजित कर तरीके से अपने ब्लॉग पर स्थान देना। सालों निर्बाध गति से बिना किसी अपेक्षा के अपने काम में लगे हुए बीजेन्द्र जैमिनी मुझे दशरथ मांझी के समान लगते हैं।
पूर्व में लघुकथा में कार्य करते हुए कई बार ऐसा भी हुआ कि जब कभी मुझे किसी व्यक्ति विशेष की लघुकथा पर बात करने की जरूरत महसूस हुई थी तब मैंने गूगल क्रोम में जाकर उस व्यक्ति के नाम से लघुकथाएं ढूंढने की कोशिश की। सर्च करने पर वह लघुकथा जो सोशल मीडिया पर समूहों में नहीं मिल रहा था जो मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन में उपलब्ध नहीं हो पाया था वह मुझे बीजेंद्र जैमिनी के ब्लॉग पर आसानी से मिल गया। उस दिन यह एक बड़ी बात थी मेरे लिए।
उस दिन मैंने इस ब्लॉग पर संकलित लघुकथाओं की उपादेयता को समझा था।
कुछ ऐसे रचनाकार जो फेसबुक, वेबसाइटों पर बहुत कम या नहीं के बराबर सक्रिय होते हैं, उनकी रचनाएँ व्हाट्सएप पर सम्पर्क कर उनसे मांगी जाती है तो वे आसानी से प्रेषित कर देते हैं।
ये रचनाएं पाठकों, शोधकर्ताओं, संपादकों के साथ ही आलोचना के लिए सामग्री तलाशने वालों को भी सहज सुलभ हो जाया करती है।
हम सब जानते हैं कि किसी भी संग्रह, संकलन, पत्र पत्रिकाओं का उद्देश्य पाठकों तक रचनात्मक कार्यों को पहुंचाया जाना ही मुख्य रूप से है।
हम सब जानते हैं कि प्रिंट मीडिया में प्रकाशन का खर्च हम लेखकों पर बहुत भारी पड़ता है। प्रकाशन चाहे में प्रिंट मीडिया के माध्यम से हो अथवा अंतर्जाल पर उपलब्ध माध्यमों से, रचनाओं को सुरक्षित रखना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। सामग्रियों का दस्तावेजीकरण होना महत्वपूर्ण है। उसे किस तरह से किया जा रहा है वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है।
बीजेद्र जैमिनी का कार्य इस लिए भी अधिक महत्व रखता है कि उनका उद्देश्य लघुकथा है। वे व्यक्ति विशेष के लिए काम नहीं करते। वे अपनी योजनाओं के संदर्भ में विज्ञप्ति जारी करते हैं। उनके साथ जो जुड़ता है, वे उन्हें साथ में लेकर आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए चलते रहते हैं।
आपने जिस तरह से अपने कार्य को अंजाम दिया है यह बात मुझे बहुत प्रभावित करती है।
मैं अपनी व्यस्तता के चलते आपको अपना साक्षात्कार नहीं भेज सकी इसका मुझे अफसोस है।
आपने जिस पथ का चुनाव किया है उस पथ पर सदा अग्रसर रहें यह कामना करती हूँ। - कान्ता रॉय
( फेसबुक से साभार )
नमस्कार बीजेन्द्र जी 🙏
ReplyDeleteआपने देश के सभी प्रांतों के साहित्यकारों को अपने ब्लॉग में केवल स्थान ही नहीं दिया अपितु उनका आत्मीय परिचय के साथ विभिन्न विषयों पर उनके विचारों को भी सम्मान दिया ! मैं अपने आप को आपसे जुड़कर बहुत ही गौरवान्वित महसूस करती हूं! इतने लोगों का साक्षात्कार ग्यारह प्रश्नों को दे लेना कोई मामूली नहीं जो आपने कर दिखाया ! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹
लघुकथा के क्षेत्र में आपका यह भागीरथी प्रयास अभूतपूर्व है ! आपके इस संकलन में मैं भी शामिल हूं! मैं बहुत खुश हूँ ! इसके लिए में आपका तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार करती हूँ!
धन्यवाद 🙏
- चन्द्रिका व्यास , मुम्बई - महाराष्ट्र
( WhatsApp से साभार )