इनसे मिलिए ( ई - साक्षात्कार संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

      1990 के आसपास का समय है  जब " इनसे मिलिए " स्तम्भ को साप्ताहिक आमख्याल ( जयपुर ) में प्रकाशित होना शुरू हुआ । यह अशेष फीचर के माध्यम से होता था ।  उसके बाद 1995 से जैमिनी अकादमी ( समाचार पत्र ) में प्रकाशित होना शुरू हुआ ।  
      यह व्यक्तितत्व व कृतित्व पर आधारित होता  रहा है । जो लेख के रूप में होता था । जिसमें विभिन्न तरह के व्यक्तियों को पेश किया जा चुका है। जिन की सख्या चार सौ से ऊपर है ।  जैसे : - राज्यकवि तूफान पानीपती , चौ. बन्सीलाल ( मूख्य मन्त्री : हरियाणा ) , श्रीमाता प्रसाद ( राज्यपाल ) , डॉ. जय नारायण कौशिक ( निदेशक : हरियाणा साहित्य अकादमी ) , डॉ. कुमार पानीपती , कृष्ण चन्द बेरी , बाबू परमानन्द ( राज्यपाल ) , के . आर. नारायण ( राष्ट्रपति ) , डॉ. केवल कृष्ण पाठक , सूरज प्रकाश भारद्धाज , पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि , भारत भूषण सांधी आदि ।
      अब यह नये रूप में पेश किया गया है । जिसमें व्यक्तितत्व व कृतित्व के साथ ग्यारह प्रश्नों के उत्तर दिये गये है । यह प्रश्न लघुकथा साहित्य से सम्बंधित हैं । जो मील का पत्थर साबित होंगे । ऐसा मेरा विश्वास है । लघुकथा से सम्बंधित " इनसे मिलिए " सौ से अधिक किस्तों में ब्लॉग पर प्रसारित किया है । आगे भी हो रहा है । ई - पुस्तक के रूप में " इनसे मिलिए " ( ई - साक्षात्कार संकलन ) के रूप में तैयार किया गया है । जो ब्लॉग पर पेश है । इस संकलन में सिर्फ उन को शामिल किया गया है । जिन्होंने प्रश्न के अनुरूप उत्तर दिये हैं । आशा करता हूँ कि " संकलन " का स्वागत होगा और लघुकथा साहित्य के शोध में विशेष भूमिका निभाने के काबिल साबित होगा । बाकी आपकी क्या राय है ? वह टिप्पणी द्वारा स्पष्ट अवश्य करें । 
         सधन्यवाद ! 
001. डॉ. संगीता शर्मा - हैदराबाद - तेलंगाना
002. मीरा जैन - उज्जैन - मध्यप्रदेश
003. मृगाल आशुतोष - समस्तीपुर - बिहार 
004. डॉ. विभा रजंन 'कनक ' - स्वामी नगर - दिल्ली
005. डॉ. चंदेश कुमार छतलानी - उदयपुर - राजस्थान
006. डॉ. शील कौशिक - सिरसा - हरियाणा
007. तेज वीर सिंह " तेज " - कोटा - राजस्थान
008. डॉ. अंजु दुआ जैमिनी - फरीदाबाद - हरियाणा
009. नरेन्द्र श्रीवास्तव - नरसिंहपुर - मध्यप्रदेश
010. डॉ. संध्या तिवारी - पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
011. प्रबोध कुमार गोविल - जयपुर - राजस्थान
012. डॉ. लता अग्रवाल - भोपाल - मध्यप्रदेश
013. ओमप्रकाश क्षत्रिय ' प्रकाश ' - नीमच - मध्यप्रदेश
014. कंचन शर्मा ' कौशिका ' - गुहावटी - असम 
015. डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल - इन्दौर - मध्यप्रदेश
016. रेणु चन्द्रा माथुर - जयपुर - राजस्थान
017. सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा - साहिबाबाद - उत्तर प्रदेश
018. डॉ. पूनम देवा - पटना - बिहार
019. विरेंदर ' वीर ' मेहता - लक्ष्मी नगर - दिल्ली
020. सुषमा दीक्षित शुक्ला - लखनऊ - उत्तर प्रदेश
021. कुसुम पारीक - वलसाड - गुजरात
022. मनोज रत्नाकर सेवलकर - इन्दौर - मध्यप्रदेश
023. गीता चौबे " गूँज " - रांची - झारखंड
024. सुशीला जोशी - मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
025. विजयानंद विजय - बक्सर - बिहार
026. रूणा रश्मि " दीप्त " - रांची - झारखंड
027. डॉ. विजेंद्र प्रताप सिंह - अलीगढ़ - उत्तर प्रदेश
028. डॉ. छाया शर्मा - अजमेर - राजस्थान
029. उदय श्री ताम्हणे - भोपाल - मध्यप्रदेश
030. पुष्पा पाण्डेय - रांची - झारखंड
031. विष्णु सक्सेना - गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
032. ज्योत्स्ना ' कपिल ' - बरेली - उत्तर प्रदेश
033. डॉ. दुर्गा सिन्हा ' उदार ' - फरीदाबाद - हरियाणा
034. सेवा सदन प्रसाद - मुम्बई - महाराष्ट्र
035. रश्मि सिंह - रांची - झारखंड
036. कनक हरलालका - धूबरी - असम
037. सतीश राठी - इन्दौर - मध्यप्रदेश
038. पूनम झा - कोटा - राजस्थान
039. सुदर्शन रत्नाकर - फरीदाबाद - हरियाणा
040. शील निगम - मुंबई - महाराष्ट्र
041. आभा दवे - मुंबई - महाराष्ट्र
042. प्रियंका श्रीवास्तव ' शुभ्र ' - पटना - बिहार
043. नूतन गर्ग - दिल्ली
044. मनोरमा जैन पाखी - भिण्ड - मध्यप्रदेश
045. अलका पाण्डेय - मुंबई - महाराष्ट्र
046. सविता गुप्ता - रांची - झारखंड
047. डॉ. अरविंद श्रीवास्तव ' असीम ' - दतिया - मध्यप्रदेश
048. डॉ. उपमा शर्मा - यमुना विहार - दिल्ली
049. विभा रानी श्रीवास्तव - पटना - बिहार
050. डॉ. क्षमा सिसोदिया - उज्जैन - मध्यप्रदेश 
051. डॉ. रेखा सक्सेना - मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
052. चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री - पंचकूला - हरियाणा
053. सरला मेहता - इन्दौर - मध्यप्रदेश
054. अनिता रश्मि - रांची - झारखंड
055. सुनिता मिश्रा - भोपाल - मध्यप्रदेश
056. प्रज्ञा गुप्ता - बॉसवाड़ा - राजस्थान
057. डॉ. अंजुलता सिंह ' प्रियम ' - दिल्ली
058. महेश राजा - महासमुंद - छत्तीसगढ़
059. डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई - देहरादून - उत्तराखंड
060. बसन्ती पंवार - जोधपुर - राजस्थान
061. डॉ. मंजु गुप्ता - मुंबई - महाराष्ट्र
062. डॉ. भूपेन्द्र कुमार - बिजनौर - उत्तर प्रदेश
063. अशोक दर्द - चंबा - हिमाचल प्रदेश
064. संतोष गर्ग - पंचकूला - हरियाणा
065. प्रवेश स्वरूप खरज " आकाश " - पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
066. कल्याणी झा ' कनक ' - रांची - झारखंड
067. रेखा मोहन - पटियाला - पंजाब
068. श्रुत कीर्ति अग्रवाल - पटना - बिहार
069. निहाल चन्द्र शिवहरे - झांसी - उत्तर प्रदेश
070. उमा मिश्रा " प्रीति " - जबलपुर - मध्यप्रदेश
071. चन्द्रिका व्यास - मुंबई - महाराष्ट्र
072. डॉ. छाया सक्सेना प्रभु - जबलपुर - मध्यप्रदेश
073. शिवानी खन्ना - दिल्ली
074. प्रो. डॉ. दिवाकर दिनेश गौड़ - गोधरा - गुजरात
075. बबिता कंसल - दिल्ली
076. भोला नाथ सिंह - बोकारो - झारखंड
077. शर्मिला चौहान - ठाणे - महाराष्ट्र
078. राजेन्द्र पुरोहित - जोधपुर - राजस्थान
079. दर्शना जैन - खण्डवा - मध्यप्रदेश
080. डॉ. अशोक बैरागी - सोनीपत - हरियाणा
081. मधुलिका सिन्हा - कोलकाता - पं. बंगाल
082. अलका जैन आनंदी - मुंबई - महाराष्ट्र
083. संगीता गोविल - पटना - बिहार
084. सुनीता रानी राठौर - गौतम बुद्ध नगर - उत्तर प्रदेश
085. रंजना वर्मा ' उन्मुक्त ' - रांची - उत्तर प्रदेश
086. डॉ. बीना राघव - गुरुग्राम - हरियाणा
087. डॉ. मालती बसंत - भोपाल - मध्यप्रदेश
088. अपर्णा गुप्ता - लखनऊ - उत्तर प्रदेश
089. मोनिका सिंह - चंबा - हिमाचल प्रदेश
090. हीरा सिंह कौशल - मंडी - हिमाचल प्रदेश
091. कमला अग्रवाल - गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
092. नीलम नारंग - हिसार - हरियाणा
093. अनिल शर्मा अनिल - धामपुर - हिमाचल प्रदेश
094. अर्विना गहलोत - गौतम बुद्ध नगर - उत्तर प्रदेश
095. प्रतिभा सिंह - रांची - झारखंड
096. रेनुका सिंह - गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
097. मिन्नी मिश्रा - पटना - बिहार
098. अर्चना राय - जबलपुर - मध्यप्रदेश
099. रंजना हरित - बिजनौर - उत्तर प्रदेश
100. रेणु गुप्ता - जयपुर - राजस्थान 
क्रमांक - 001
जन्म तिथि : 31 जनवरी 1969
माता : स्व. रुकमणी देवी जी
पिता : स्व. गोवर्धनलाल जी
पति : राजेश कुमार शर्मा

शिक्षा :  M.A. (Eng.lit) B.ed (English, social)
M.A ( Hindi), M.Phil,Ph.d. Sahitya Ratna,TET
भाषा ज्ञान : हिंदी, अंग्रेजी, मारवाड़ी, मराठी, गुजराती
कार्यक्षेत्र - शिक्षक, प्रवक्ता
विधा : कविता,कहानियां, लेख, आलेख, समीक्षा, हाइकु , लघुकथा, नाटक

पुस्तकें : -

चित्रा मुद्गल की कहानियों में यथार्थ और कथाभाषा
साझा संकलन : -
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन )
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन )
हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई- लघुकथा संकलन )

सम्मान : -

- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
- माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर लघुकथा दिवस रत्न सम्मान -2020
- फादर्स डे रत्न सम्मान - 2020
- महार्षि दधीचि जंयती के अवसर पर सम्मान पत्र - 2020
- 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )

विशेष : -

- सूत्रधार साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था से जुड़ना,
- विश्व भाषा अकादमी  की सदस्य,
- आदरणीय बीजेंद्र जैमिनी जी के विभिन्न प्रतियोगिताओं में विभिन्न विषयों पर लघुकथाएं अन्य ग्रुप में भी लघुकथाएं
- स्टोरी मिरर पर कविताएं,
- कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा मेरे लिखे नाटकों का मंचन,
- कई लाइव काव्य पाठ व लाइव एकल काव्य पाठ
- अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण मंच की तेलंगाना इकाई की अध्यक्ष
    
पता :
मकान नं. 4-7-156/19 , छोटा शिव हनुमान मंदिर
        भानोदया स्कूल के पास , पांडुरंगा नगर, अत्तापुर
          हैदराबाद - 500048 तेलंगाना

 प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण उसका कथ्य होता है जो उसे प्रमाणित करता है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ?
उत्तर - यूं तो अनेक साहित्यकार इस विधा को साहित्य के शिखर पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।परंतु मेरी जानकारी में पांच नाम है जिनमें  - बीजेन्द्र जैमिनी जी, सुकेश साहनी जी, डॉ. मंजू गुप्ता जी, रश्मि लता मिश्रा जी, अनिल शर्मा अनिल जी ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए मापदंड है - कथ्य, उद्देश्य और संदेश।

प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - साहित्य की हर विधा के प्रचार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
उनमें हैं - भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के परिंदे, स्टोरी मिरर, मोमस्प्रेसो, प्रतिलिपि इत्यादि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा हर विधा के बीच अपने अस्तित्व का परचम लहरा रही है। इस विधा नें साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण मुकाम बनाया है और इसमें लोग रुचि भी ले रहे हैं।

प्रश्न न.6 -  लघुकथा की वर्तमान स्थिति से आप संतुष्ट है ?
उत्तर -  नहीं , अभी तो यह कुछ कदम ही चल पाई है। अभी इसे साहित्य में अपना मुक्कमल स्थान बनाना है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएं आप किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर -  पढ़ाई के लिए मैंने जीवन में बहुत संघर्ष किया।अच्छे लेखकों को साहित्य की इस विधा को उभारने में पूरा सहयोग करना चाहिए ताकि लघुकथा भी साहित्य के उस आदर्श मुकाम तक पहुंचे जहां आज अन्य विधाएं हैं। मुझसे प्ररित हो परिवार के दूसरे सदस्य भी इसमें रूचि दिखा रहे हैं।

प्रश्न न.8 -  आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार, गुरुवर, पति, पुत्र, मेरी प्रेरणा, इन सब ने अहम भूमिका निभाई है।

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अर्थ लाभ तो कोई नहीं हुआ पर इससे मुझे हर स्थान पर प्रतिष्ठा, मान सम्मान और आदर मिला।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - यह विधा मुझे बहुत पसंद है। यह एक ऐसी कला है। जिसमें हम संक्षेप में बहुत कुछ व्यक्त कर सकते हैं। घटी घटनाओं के विवरण के साथ यह संदेशात्मक भी होती है।इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। आजकल लोग लघुकथा लिखने व पढ़नें में विशेष रूचि दिखा रहे हैं।

प्रश्न न.11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - दूसरी विधाओं में लिखने में बहुत समय लगता है और विस्तार से लिखना होता है रोचक बनाना होता है पर लघुकथा के साथ ऐसा नहीं है संक्षेप में सुंदर शब्द संयोजन से अपनी बात कह सकते हैं समय की बचत के साथ-साथ दूसरे साहित्यकारों को पढ़ने जानने का भी सुअवसर मिलता है जो सचमुच प्रेरणादायक और संदेशात्मक होते हैं समस्त साहित्यकारों का धन्यवाद जिन्होंने इस विधा को अपनाया जिससे हमें उन्हें व उनके भावों को संक्षेप में समझने का अवसर मिला।

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क्रमांक - 002

जन्मस्थल- जगदलपुर - छत्तीसगढ़
जन्म तारीख- 2. नवंबर
शिक्षा- स्नातक

संप्रति: पूर्व सदस्य बाल कल्याण समिति, पद- प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट. वर्ष 2019 मे भारत सरकार ने विद्वानों की सूची मे शामिल किया.

प्रकाशित किताबें-

मीरा जैन की सौ लघुकथाएं,
 101 लघुकथाएं,
 सम्यक लघुकथाएं, 
 मानवमीत लघुकथाएं, 
 कविताएं मीरा जैन की,
दीन बनाता है दिखावा,
 श्रेष्ठ जीवन की संजीवनी. हेल्थ हदसा , 
जीवन बन जाए आनंद का पर्याय

सम्मान : -

- अनेक स्थानीय. राज्य. राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पुरस्कार तथा सम्मान.
- 2014 मे नई दुनिया तथा टाटा शक्ति प्राइड स्टोरी सम्मान से सम्मानित व पुरस्कृत
- पुस्तक 101लघुकथाएं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत.
-  पुस्तक सम्यक लघुकथाएं राष्ट्रीय स्तर पर शब्द गुंजन,  सम्मान से अलंकृत .अनेक लघुकथाएं राज्य व राष्ट्र स्तर पर पुरस्कृत, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्था जैज़ 

विशेष :-

- आकाशवाणी इंदौर . जगदलपुर , बोल हरियाणा बोल  रेडियो तथा म. प्र. दूरदर्शन से प्रसारण. 
- लघुकथाओं का कई भाषाओं मे अनुवाद
- वर्ष 2011 में मीरा जैन की 16 कथाएं पर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा लघु शोध कार्य.
- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किताबों का क्रय.
- जीआईएफ के अंतर्गत चेयर पर्सन गर्ल्स सेव चाइल्ड कमेटी सन 2016 से सन 2018 
- पिछले पच्चीस वर्षों मे राष्ट्र स्तरीय की पत्र पत्रिकाओं मे लगभग एक हजार रचनाओं  का प्रकाशन 

पता : 516,साँईनाथ कालोनी , सेठी नगर
 उज्जैन - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - संक्षिप्तता के साथ सोउद्देश्य  होना अति आवश्यक है ।
 
प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा के क्षेत्र में किन्हीं पांच नामों का उल्लेख करना सर्वथा मुश्किल कार्य है इस क्षेत्र में अनेक  विद्वजनों द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये जा रहा है फिर भी श्री बलराम जी अग्रवाल , श्री बीजेन्द्र जी जैमिनी, श्री योगराज जी प्रभाकर के साथ जिन दो नामों का और उल्लेख मैं करना चाहती हूं वह पिछले पांच-छह वर्षों से बाल साहित्य में लघुकथा को स्थापित करने हेतु पूर्ण तत्परता से कार्यरत हैं - वे हैं मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास जी दवे एवं मासिक बाल पत्रिका देवपुत्र के कार्यकारी संपादक श्री गोपाल जी माहेश्वरी ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
 उत्तर - न्यूनतम शब्द संख्या, सरल भाषा-शैली एवं लघुकथा की  प्रभावशीलता अर्थात कुल मिलाकर गागर में सागर ।
 
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - व्हाट्सएप , फेसबुक , यूट्यूब , ब्लॉग आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
 उत्तर - वर्तमान में जन सामान्य की अति व्यस्ततम दिनचर्या के चलते साहित्यिक जगत में लघुकथाएं लगभग समस्त पाठकों की पहली पसंद बन चुकी हैं  पूर्व में कहानी , कविताएं , व्यंग्य, क्षणिकाएं, आलेख आदि विधाएं मेरी लेखनी की महत्वपूर्ण अंग थी किंतु शनै: शनै: लघुकथाओं की मांग इतनी ज्यादा हो गई थी शेष विधाएं पीछे छूट गई अब लघुकथाओं पर ही ध्यान केंद्रित है ।
 
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान में निश्चित ही लघुकथाएं पाठकों द्वारा पूर्ण तन्मयता से पढ़ी जा रही है किंतु वास्तव में जो लघुकथाएं लिखी जा रही हैं उनसे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं मेरी नजर में मात्र 10-15 प्रतिशत लघुकथाएं ही प्रभावी व लघुकथाओं की श्रेणी में आती हैं शेष मे तो पात्रों के माध्यम से समाचार ही परोसे जा रहे हैं या फिर घर-परिवार , समाज में आए दिन होने वाली घटनाओं की हू ब हू नकल होती हैं और सबसे बड़ी विडंबना पत्र-पत्रिकाओं के संपादक इन्हें प्रकाशित भी कर रहे हैं इससे लघुकथा की गुणवत्ता मे कमी स्वभाविक है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
 उत्तर - जिस परिवेश में में पली-बढ़ी वहां साहित्य को छोड़ शेष सब कुछ बेहतर था । रहा मार्गदर्शक का सवाल तो मैंने स्वयं को कभी स्वयं के अतिरिक्त किसी और का मार्गदर्शक माना ही नहीं, हर रचनाकार के अपने विचार मौलिक होते हैं वह उसी के अनुरूप लिखे तो बेहतर है हां कभी-कभी जब कोई लघुकथाकार मुझसे लेखन से संबंधित किसी प्रकार का सहयोग चाहता है तो मैं अपने सामर्थ्यानुरूप  सुझाव अवश्य देती हूं कभी किसी को निराश नहीं किया ।
 
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरा लेखन पूर्णत: नैसर्गिक है ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन और आजीविका का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।
 
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
 उत्तर - भविष्य में पठन-पाठन की दृष्टि से लघुकथाओं का स्थान निश्चित ही अति महत्वपूर्ण होगा यह विधा साहित्यिक जगत की प्रमुख विधा बन जाए तो भी कोईअतिशयोक्ति नहीं है ।
 
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - ईमानदारी से कहूं तो कुछ प्राप्ति के लिए कभी कुछ लिखा ही नहीं हमेशा समाज को कुछ श्रेष्ठ देने के भाव से ही लिखती आ रही हूं आज नि:स्वार्थ लेखन मेरे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है लघुकथा प्रकाशन एवं प्रियजनों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं से जो आत्मसंतोष एवं संतुष्टि मिलती है वह शब्दों में वर्णित करना असंभव है हां इतना अवश्य है कि माननीय संपादकों ने मेरी लघुकथाओं को प्रमुखता से प्रकाशित कर मेरे नाम को साहित्यिक जगत में अवश्य ही महत्वपूर्ण बना दिया है ।
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क्रमांक - 003
जन्मतिथि : 27 अगस्त 1981
जन्म स्थान : एरौत (महाकवि स्वर्गीय आरसी प्रसाद सिंह की पुण्य भूमि),समस्तीपुर - बिहार
शिक्षा : एम बी ए (मार्केटिंग) एम डी यूनिवर्सिटी रोहतक, एम ए(इतिहास) इग्नू यूनिवर्सिटी।
भाषा : हिंदी, मैथिली

विधा : लघुकथा, कविता, कहानी, समीक्षा, आलेख, संस्मरण आदि।

पुस्तक: -

सेतु : कथ्य से तत्व तक ( लघुकथा संकलन ) - सम्पादन

साझा पुस्तकें : -

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
मां ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) -2019

सम्मान/पुरस्कार: -

- सीहोर साहित्य सम्मान (काव्य-खंड)2021 ।
- कथादेश लघुकथा प्रतियोगिता 2020 में प्रथम दस में चयनित।
- प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था लेख्य मंजुषा(पटना) द्वारा 2019 में लघुकथा सम्मान।
- लघुकथा कलश समीक्षा प्रतियोगिता 2019 में प्रथम स्थान।

विशेष : -

- मार्च 2017 से लेखन प्रारम्भ
- आकाशवाणी, बोल हरियाणा और बोलता साहित्य से लघुकथा व कविता का प्रसारण।
- अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं स्तरीय संकलन में लघुकथा, कविता, समीक्षा का प्रकाशन।
- किस्सा कोताह(हिन्दी) और समय संकेत(मैथिली) में सम्पादन कार्य में सहयोग।
- पलाश:नगर प्रतिनिधि(समस्तीपुर)।
- साहित्य सम्वेद समूह के माध्यम से साहित्यिक उन्नयन में सहयोग
- क्या लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधा जा सकता है ? ( ई- परिचर्चा ) में शामिल

पता : मृणाल आशुतोष द्वारा- श्री तृप्ति नारायण झा
ग्राम+पोस्ट- एरौत ,भाया-रोसड़ा
जिला-समस्तीपुर (बिहार) पिन-848210

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण है कथ्य। कथ्य का सम्प्रेषण सही से होना चाहिए। लेखक क्या कहना चाहता है? क्या वह सही से पाठक से पहुँच पा रहा है?

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ,  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - संख्या पाँच तक सीमित कर आपने इस प्रश्न को दुरूह बना दिया है। सर्वश्री सुकेश साहनी, मधुदीप गुप्ता, उमेश महादोषी, कांता राय आदि बढ़िया कार्य कर रहे हैं। कुछ और नाम भी इसमें जोड़े जाने लायक हैं। आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) भी अपने कार्य से प्रभावित कर रहे हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा अर्थात सम्यक इच्छा। इसकी  सार्थकता के लिए आवश्यक है कि समीक्षा में ये गुण हों:-
1.पुर्वाग्रह मुक्तता
2.वस्तुनिष्ठता
3.प्रासङ्गिकता
4.सोद्देश्यता
5.निजता और
6.सहज,सरल ,  सारगर्भित , सम्प्रेषणीयता।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं? 
उत्तर - लघुकथा डॉट कॉम, ओपन बुक्स ऑनलाइन' और 'लघुकथा वार्ता' जैसे ब्लॉग, कई साहित्यिक समूह जैसे लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, नया लेखन नया दस्तखत, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा सफर सम्वेदनाओं का, फलक, लेख्य मंजूषा आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति अच्छी है मगर मात्रा, गुणवत्ता पर बुरी तरह हावी हो रही है। अच्छी लघुकथा ढूंढ़ना मुश्किल साबित हो रहा है। गम्भीर लघुकथाकारों को इस पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - सन्तुष्ट तो कभी नहीं हो सकूँगा। खुश भी हूँ और थोड़ा चिंतित भी। जिस प्रकार से लघुकथा का फलक विस्तृत हो रहा है, उससे प्रसन्न हूँ मगर जिस तरह से सोशल साइट्स और समाचार पत्रों में गुणवत्तापूर्ण लघुकथा की संख्या कम होती जा रही है, उससे चिंतित भी हूँ। कई संकलन/संग्रह में दो-चार अच्छी लघुकथायें भी नहीं मिल पाती। पुस्तक आने से पहले उनका उचित चयन और संपादन होना चाहिए। वरिष्ठ, विज्ञजनों से सहयोग लिया जाय पर पुस्तक जब सार्वजनिक हो तो बेहतर रूप में आये।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं और बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। मेरे गाँव में सुप्रसिद्ध कवि हुए हैं आरसी प्रसाद सिंह। उन दोनों का मुझ पर प्रभाव है। मार्गदर्शक शब्द मुझे उचित नहीं लगता। जो भी जानकारी मेरे पास है, वह सबसे साझा कर लेता हूँ। साहित्य सम्बन्धी कार्य या किसी रचना पर सहयोग हेतु कोई भी सम्पर्क करता है तो वह निराश नहीं हो, इसका हरसम्भव प्रयत्न करता हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? मेरे
उत्तर - पिताजी कवि हैं, चाचाजी कवि थे पर लेखन के प्रारंभ में इन दोनों की कोई भूमिका नहीं रही। लेखन के लगभग आठ महीने बाद जब किसी स्तरीय पत्रिका में रचना छपी तब पिताजी को पता चला तो वह बहुत खुश हुए। उसके बाद पिताजी से यथासम्भव सहयोग मिलता रहा। चूँकि घर पर रहना कम होता है तो सहयोग भी कम ही मिल पाता है। हाँ, नैतिक समर्थन और आशीर्वाद माँ-पिताजी से हमेशा मिलता रहा। कनियाँ भी सहयोग करती हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। कभी कभार कुछ पैसे आ जाते हैं पर उससे बहुत अधिक तो खर्च ही हो जाते हैं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है, मगर इसके लिए हम लघुकथाकारों को सतत गम्भीरतापूर्वक कार्य करते रहना होगा। अगर हाथ पर हाथ धरे बैठ गए तो भविष्य के अंधकारमय होने की आशंका है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - एक युवा साहित्यकार के रूप में पहचान मिली। मेरे लेखन का प्रारंभ लघुकथा विधा से ही हुआ था। अनेक मित्र भी लघुकथा साहित्य से मिले। वरिष्ठजनों का आशीष मिलता रहा है। सबसे महत्वपूर्ण आत्मसंतुष्टि मिली। कुछ अलग करने का जज़्बा मिला।

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क्रमांक - 004

जन्म : 2 नवम्बर 1951, पटना - बिहार
शिक्षा : हिन्दी में स्नातकोत्तर , विद्या वाचस्पति 
पिता : स्व. चन्द्र देव प्रसाद श्रीवास्तव
माता : स्व.विदेहनंदनी देवी
पति : स्व. ज्ञान रजंन सदस्य (राज्य सभा) 
व्यवसाय : भूतपूर्व प्राचार्य महेंद्र प्रसाद महिला महाविद्यालय राँची झारखंड
(झारखंड एकेडमी काउंसिल से मान्यता प्राप्त)
संप्रति :बिहार विधान परिषद से मनोनीत सदस्या

लेखन विधा :  कविता ,कहानी एवं लघुकथा

साझा पुस्तकें : -
 
1. नीलाम्बरा ( काव्य संकलन )
2. साहित्य दर्पण ( काव्य संकलन )
3. सेदोका छंद ( काव्य संकलन )
4. काब्य सागर ( काव्य संकलन )
5. मां ( ई - लघुकथा संकलन )
6. जय माता दी ( ई - काव्य संकलन )
7. मतदान ( ई - काव्य संकलन )
8. जल ही जीवन है ( ई - काव्य संकलन )
9. भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( ई-काव्य संकलन )
10. लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन )
11. लघुकथा - 2020 ( ई - लघुकथा संकलन )
12. कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन )

सम्मान : -

1. कोरोना योद्घा रत्न सम्मान - 2020
2. जगदीश कश्यप लघुकथा रत्न सम्मान - 2020
3. 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
          स्थूल रुप से अपने शारीरक अक्षमता के कारण किसी भी साहित्यिकी कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाती है इस कारण पुरस्कार से वंचित रह जाती है।  पाठको के स्नेह और उनके उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को ही अपना पुरस्कार मानती  है ।

विशेष :-

विभिन्न साहित्यिकी पत्रपत्रिकाओं में निरतंर रचनाओं का प्रकाशन..।

पता : डा.विभा रजंन ' कनक '
    बी/३८ आखिरी तल्ला , स्वामी नगर , नई दिल्ली
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - कथा तत्व, प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण  , उपयुक्त परिवेश एवं उचित शब्दों का चयन..!

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के क्षेत्र मे बहुत से साहित्यकारों ने अपने योगदान से इसे समृद्ध किया है उनमें से पाँच नाम चुनना तारे गिनने जैसा है। फिर भी श्री योगराज प्रभाकर जी,श्री मधुदीप गुप्ता जी, श्रीमती कांता राय जी, , श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री कमलेश भारतीय,

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - कथ्य सरल स्पष्ट एवं कम शब्दों में हो लघुकथा गागर में सागर भरने जैसा है।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर -  आजकल साहित्य को घर घर पहुँचाने का कार्य डिजिटल मीडिया बहुत कुशलता से कर रहा है। जैसे :- फेसबुक , ब्लॉग , WhatsApp आदि

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्य मे लघुकथा का स्थान बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, लघुकथा अब समृद्ध हो गई है। इसने पत्रिकाओं के अतिरिक्त समाचारपत्रों में भी अपना स्थान बना लिया है। पत्रिकाओं ने लघुकथा विशेषांक निकालना आरम्भ कर दिया है। लघुकथा संग्रह एवं संकलन ने इस विधा को और भी विशिष्ट बना दिया है। अभी लघुकथा पर शोध भी किया जा रहा है, इसका भविष्य उज्जवल है। 
 
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर -   संतुष्टि किसी भी प्रभाव को क्षति पहुँचा सकती है। परन्तु लघुकथा निरंतर अपने पथ पर आगे बढ रही है। आशा है यह अभी और निखरेगी।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक सामान्य परिवार से हूँ परन्तु साहित्यिक पृष्ठभूमि रही है। मेरे बडे बाबुजी साहित्य में रुची रखते थे कदाचित उनके गुण मुझमें आये। मुझे भी साहित्य में रुचि थी। कॉलेज के समय से मैं पटना तथा राँची आकाशवाणी से स्वरचित कहानियों का वाचन करती थी। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
 उत्तर -  साहित्य में रुचि की विरासत मुझे मेरे परिवार से मिली।मेरे बडे बाबुजी को साहित्य में रुचि थी, वह कविताएं एवं शायरी लिखा करते थे। मुझे साहित्य की विरासत उनसे मिली। 
 
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन कला से कोई आय नहीं होती है, परन्तु लेखनी आत्मा को संतुष्ट अवश्य करती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का स्वर्णयुग चल रहा है। आज यह हर समाचारपत्र , साहित्यिकी पत्रिकाओं में प्रतिष्ठा पूर्वक अपना अस्तित्व बनायें हुई है। लघुकथा का रुप लघु होने के कारण यह पाठकों को बहुत पसंद भी आ रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लेखनी आत्मा को संतुष्ट करती है। गागर में सागर भरने की कला से परिचय होता है।
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क्रमांक - 005
जन्म : 29 जनवरी 1974,  उदयपुर - राजस्थान
शिक्षा: पीएच.डी. (कंप्यूटर विज्ञान) 
सम्प्रति: सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)

लेखन: लघुकथा, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, बालकथा, बोधकथा, लेख, पत्र

साझा संकलन : -

पड़ाव और पड़ताल” के खंड 26 (साझा लघुकथा संग्रह)
लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह)
लाल चुटकी (रक्तदान विषय पर साझा लघुकथा संग्रह) नयी सदी की धमक  (साझा लघुकथा संग्रह)
अपने अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह)
सपने बुनते हुए (साझा लघुकथा संग्रह)
अभिव्यक्ति के स्वर (साझा लघुकथा संग्रह)
स्वाभिमान (साझा लघुकथा संग्रह)
जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन )
मां ( ई - लघुकथा संकलन )
लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन )
लघुकथा - 2020 ( ई - लघुकथा संकलन )
कोरोना ( ई - काव्य संकलन )

विशेष :-

- यू आर एल:  http://chandreshkumar.wikifoundry.com
- ब्लॉग:  http://laghukathaduniya.blogspot.in/
- पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित

डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे अनुसार यों तो लघुकथा में कोई ऐसा तत्व नहीं हैं जिसका महत्व कम हो क्योंकि जब कम-से-कम शब्दों में अपनी बात कहनी है तो शीर्षक से लेकर अंत तक सभी शब्दों, शिल्प आदि पर पूरा ध्यान देना होता ही है। मैं अपने लेखन में सबसे अधिक विषय (विशेष तौर पर जो समकालीन यथार्थ पर आधारित हो) के अध्ययन को समय देता हूँ फिर कथानक और उसके प्रस्तुतिकरण के निर्धारण में।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं?  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - हालांकि पांच से अधिक नाम जेहन में आ रहे हैं, फिर भी प्रश्न की सीमा न लांघते हुए मैं सर्वश्री योगराज प्रभाकर, अशोक भाटिया, मधुदीप गुप्ता व उमेश महादोषी के नाम लेना चाहूंगा। वस्तुतः आप (बीजेंद्र जैमिनी) सहित कई अन्य वरिष्ठ व कई नवोदित भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मेरे अनुसार निम्न तत्वों पर एक लघुकथा समीक्षक को ध्यान देना आवश्यक है:-
रचना का उद्देश्य, विषय, लाघवता व पल विशेष, कथानक, शिल्प, शैली, शीर्षक, पात्र, भाषा एवं संप्रेषण, संदेश / सामाजिक महत्व, न्यूनतम अतिशयोक्ति व सांकेतिकता। इनके अतिरिक्त मेरा यह भी मानना है कि कोई लघुकथा अपने पाठकों को कितना प्रभावित कर सकती है इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया ने लघुकथा को स्थापित करने में सहायता की है। फेसबुक, व्हाट्सएप्प, यूट्यूब, फोरम व ब्लोग्स द्वारा फिलवक्त लघुकथा पर काफी कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यथा इन्स्टाग्राम,  पिनट्रेस्ट, लिंक्डइन, ट्वीटर आदि पर अच्छे कार्य होने की उम्मीद है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - फिलहाल लघुकथाएं मात्रात्मक दृष्टि से एक अच्छी संख्या में कही जा रही हैं, हालांकि गुणात्मकता पर विचार करें तो उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। संपादकों व प्रकाशकों को भी पुस्तकों, संग्रहों, संकलनों आदि में कहीं न कहीं समझौता करना ही पड़ता है। इसके अतिरिक्त रचनाओं में समसामयिक विषयों की भी कमी प्रतीत होती है। ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रदूषण, राजनीतिक पतन, साइबर क्राइम, दिव्यांग जैसे वर्ग की समस्याएं, पुरातन लोक संगीत / वास्तुकला आदि के सरंक्षण सहित कई विषय ऐसे हैं जिन पर कलम बहुत अधिक नहीं चली है। कहीं-कहीं लघुकथा की समीक्षा में निष्पक्षता की आवश्यकता भी महसूस होती है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - यह एक अच्छी बात है कि लघुकथा अब अधिकतर साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। इससे प्रबुद्ध पाठकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। गुणात्मकता के अतिरिक्त प्रकाशित रचनाओं में कभी-कभी प्रूफ रीडिंग, सम्पादन व कुछ निष्पक्षता की आवश्यकता ज़रूर प्रतीत होती है। मैं उन सभी लघुकथाकारों की हृदय से प्रशंसा करना चाहूँगा, जिन्होंने इस विधा को स्थापित करने में अपना समय और धन दोनों को बिना सोचे खर्च किया है। आप सभी के परिश्रम से जो स्थान इस विधा को प्राप्त हुआ है उससे मुझ सहित अन्य लघुकथाकारों को काफी संतुष्टि मिलना स्वाभाविक ही है। हालांकि, मुझे अपने लेखन से स्वयं को संतुष्टि मिल पाए, ऐसा समय अभी नहीं आया।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं?  बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं?
उत्तर - मैं यों तो विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ, लेकिन हिन्दी व अन्य भाषाओं और साहित्य में रूचि प्रारम्भ से ही रही। पढ़ने के नाम पर मैं जो कुछ भी मिले पढ़ लेता था। शिक्षा समाप्ति के बाद देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के लिए सॉफ्टवेयर व वेबसाइट निर्माण किए और कुछ समय पश्चात् शिक्षण व शोध के क्षेत्र में आ गया। फिलहाल मैं कम्प्यूटर विज्ञान के छात्रों का ही मार्गदर्शक बन पाया हूँ। नवीन विषयों तथा भिन्न शिल्प को लेकर लेखन करना मुझे पसंद है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - परिवार से मुझे सदैव प्रोत्साहन ही मिला है। वस्तुतः जो समय मुझे परिवार को देना चाहिए, उसी में से कुछ वक्त निकाल कर मैं साहित्य सृजन कर पाता हूँ, लेकिन कभी शिकायत नहीं मिली। परिवार के सदस्यों को मैं समय-समय पर लेखन कार्य में प्रवृत्त करने का प्रयास भी करता हूँ और उनसे प्रेरणा भी प्राप्त करता हूँ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अभी इस बारे में सोचा नहीं। हालांकि साहित्यिक पुस्तक बिक्री, प्रतियोगिताओं, शोध-कार्य आदि से कुछ आय हुई भी है लेकिन अधिकतर बार उसे अन्य पुस्तकें खरीदने में ही खर्च किया है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - जिस तरह से लघुकथा विधा उन्नति कर रही है, यह प्रतीत होता है कि गद्य विधा में जल्दी ही लघुकथा का ही युग होगा। इस हेतु उचित सृजन महती कार्य है। मेरा मानना है कि किसी लेखक को लघुकथा को सिद्ध करना है तो सबसे पहले उसके विषय व कथानक को आत्मसात कर उसमें निहित पात्रों को स्वयं जीना होता है। वे बातें भी दिमाग में होनी चाहिए जो हम रचना में तो नहीं लिख रहे हैं लेकिन रचना को प्रभावित कर रही हैं। इसीसे लेखन में जीवन्तता आती है। इस प्रकार का लेखन पर्याप्त समय लेता है और इसके विपरीत जल्दबाजी में विधा और साहित्य दोनों को हानि होती है। हालांकि समय स्वयं अच्छी रचनाओं को अपने साथ भविष्य की ओर बढाता है तथा अन्य को पीछे छोड़ देता है। लेकिन यह भी सत्य है कि इन दिनों कई रचनाएं ऐसी भी कही जा रही हैं, जो विधा की उन्नति के समय को बढ़ा रही हैं। लघुकथा पर शोध व नवीन प्रयोग भी आवश्यकता से कम हो रहे हैं। लघुकथा में नए मुहावरे भी गढ़े जा सकते हैं। बहरहाल, इन सबके बावजूद भी मैं विधा के अच्छे भविष्य के प्रति आश्वस्त हूँ क्योंकि वर्तमान अधिक बिगड़ा हुआ नहीं है बल्कि अपेक्षाकृत बेहतर है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - कहीं पढ़ा था कि, “Literature is a bridge from disappointment to hope.” यह बात लेखन पर भी लागू होती है। लघुकथा में लेखकीय प्रवेश वर्जित है, इस बात का अपनी तरफ से जितना रख सकता हूँ, ध्यान रखते हुए, कई बार अपनी बात जुबानी न कहने की स्थिति में उसे लघुकथा के रूप में ढाल देता हूँ, उससे मानसिक शांति तो प्राप्त होती ही है और साथ ही अपनी बात इस प्रकार कह देने का अवसर भी मिलता है। कई विषयों को पढ़ कर समझने की प्रवृत्ति को एक नई दिशा भी मिली तथा सोच का दायरा भी विस्तृत हुआ। साथ ही शोध हेतु यह एक और विषय भी मिला। इनके अतिरिक्त मुझे गुरुओं का जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, वरिष्ठ लघुकथाकारों का जो आशीर्वाद मिला और समकालीन व मेरे लेखन प्रारम्भ करने के बाद आए लघुकथाकारों का जो स्नेह प्राप्त हुआ, उसे शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए असंभव है।

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क्रमांक - 006

जन्म: 19 नवम्बर 1957, फरीदाबाद (हरियाणा)
शिक्षा: एम.एससी, एल.एलबी,  एम.एच.एम(होम्यो)
सम्प्रति: सेवानिवृत्त जिला मलेरिया अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा

पुस्तकें : -

- कहानी -संग्रह :महक रिश्तों की , एक सच यह भी
- लघुकथा -संग्रह : उसी पगडण्डी पर पाँव, कभी भी- कुछ भी, मेरी चुनिंदा लघुकथाएं
- कविता -संग्रह : दूर होते हम, कविता से पूछो, कचरे के ढेर पर जिंदगी,कब चुप होती है चिडि़या, खिडक़ी से झाँकते ही, मासूम गंगा के सवाल
- बाल कहानी-संग्रह: बचपन के आईने से, धूप का जादू,  करें तो क्या करें, माशी की जीत, रुनझुन और टिन्नू
- बालकविता-संग्रह: बिल्लो रानी
-  पंजाबी बालकथा-संग्रह:रिमोट वाली गुड्डी

अनुवादित पुस्तकें: -

- एक सच यह भी (कहानी-संग्रह) का पंजाबी अनुवाद द्वारा प्रो.स्वर्ण कौर नौरंग तथा
-  कभी भी-कुछ भी (लघुकथा-संग्रह) का पंजाबी अनुवाद द्वारा जगदीश राय कुलरियां ,
-  खिड़की से झांकते ही  अंग्रेजी में अनुवाद  ‘पीपिंग थ्रू दी विंडो' द्वारा डॉ.मेजर शक्तिराज

आलोचना व समीक्षात्मक पुस्तकें: -

- हरियाणा की महिला रचनाकार : विविध आयाम
-  मधुकांत की कथा-यात्रा,
-  रूप देवगुण की कहानियों में सामाजिक संदर्भ

सम्पादित पुस्तकें: -

- सिरसा जनपद की काव्य सम्पदा,
- सिरसा जनपद की लघुकथा सम्पदा,
- सिरसा लघुकथा का स्वर्णिम इतिहास,
- बहुआयामी व्यक्तित्व रूप देवगुण,
-भावुक मन की लघुकथाएं, लघुकथा-पर्व(2018-19)

लेखिका पर पुस्तक: -

खिड़की से झांकते ही: आधार एवं मूल्यांकन

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सम्मान व पुरस्कार : -

- 2014 में श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान,
- 2018 में हरियाणा साहित्य रत्न(पंडित माधवप्रसाद मिश्र सम्मान)
- लघुकथा-संग्रह 'कभी भी-कुछ भी' को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार
         सहित देश भर की प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा 60 से भी अधिक सम्मान

शोध कार्य: -

कहानी, लघुकथा, कविता तथा बाल कहानी की पुस्तकों पर तीन पीएच.डी. व छह लघु शोध प्रबंध सम्पन्न सम्पन्न ।

पता : मेजर हाउस-17, हुडा सेक्टर-20 ,पार्ट-1,सिरसा-125056 हरियाणा

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा का कथ्य और उसकी संप्रेषणीयता

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सर्वश्री बलराम अग्रवाल, कांता राय, डॉ कमल चोपड़ा, योगराज प्रभाकर, बीजेन्द्र जैमिनी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - संप्रेषणीयता के तत्व, उद्देश्य, शिल्प-शैली, कलात्मकता का ध्यान रखना आवश्यक है

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे, अविराम साहित्यिकी, लघुकथा जगत, भारतीय लघुकथा विकास मंच आदि

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान में बहुत लिखा जा रहा है।  सोशल मीडिया ने लघुकथा के प्रचार-प्रसार में गुणात्मक वृद्धि की है, परंतु लघुकथा को ऊंँचाई पर ले जाने के लिए समीक्षा/आलोचना के क्षेत्र में बहुत कुछ होना बाकी है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर -  मैं साइंस के विद्यार्थी रही और स्वास्थ्य विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हूं। लेखन के गुणसूत्र मुझ में मौजूद थे और अवकाश पाते ही सक्रिय हो गए।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  साहित्य मेरे लिए आत्मोन्नति का साधन है और यह मुझे अपने आसपास झाँकने की सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे पति डॉ. मेजर शक्तिराज भी साहित्यकार हैं। इसलिए एक-दूसरे की लेखन संबंधी सुविधाओं का ध्यान रखने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - परमात्मा ने अर्थ की कोई कमी नहीं रखी। साहित्य से जो भी पुरस्कार व सम्मान राशि प्राप्त होती है, साहित्य के निमित्त ही खर्च करती हूं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वैश्वीकरण और तकनीकी अर्थ प्रधान युग में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते, समय अभाव के कारण अन्य कथात्मक विधाओं यथा कहानी, उपन्यास से आगे निकल लघुकथा पाठकों की चहेती विधा बन गई मालूम देती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो भविष्य लघुकथा का है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा समीक्षक व लघुकथाकार के क्षेत्र में विशेष पहचान मिली है। यह क्या कम है? आत्म संतुष्टि मिलती है और साहित्य सेवा का भाव सदैव बना रहता है।

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क्रमांक - 007

जन्मतिथि : 21 जून 1949
जन्म स्थान : गाँव - बरहन , जिला आगरा, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : बी. एस. सी. (जीव विज्ञान), एम.  ए. (समाज शास्त्र),पी.  जी. डिप्लोमा (पर्सनल मैनेजमैंट )
व्यवसाय :  सेवा निवृत -  कार्मिक एवं प्रशासनिक अधिकारी (केंद्र सरकार)

प्रकाशित पुस्तकें -  
श्रंखला ( लघुकथा संग्रह ) -2019

साँझे लघुकथा संकलन -    
1 -  बूंद बूंद सागर- (2016)
2 - अपने अपने क्षितिज – (2017)
 3 - सफ़र संवेदनाओं का – (2018)
4-  आस पास से गुजरते हुए – (2018) 
  5 - लघुत्तम महत्तम - (2018)
  6 - परिंदों के दरमियां  - (2018)
  7 - स्वाभिमान (2019)
  8 - समकालीन प्रेम विषयक लघुकथायें (2019)
  9 - पड़ाव और पड़ताल - खंड -30  (2019)
10 - जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
                                            
वर्तमान आवासीय  डाक  पता : 
फ़्लैट नंबर 1102/03, बिल्डिंग - सी - 1, 
मार्गोसा हाइट्स, मुहम्मद वाड़ी, पुणे - 411060 महाराष्ट्र

स्थाई आवासीय पता : 588, बसंत बिहार, कोटा -324009, राजस्थान

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरी राय में लघुकथा का सबसे सशक्त पहलू उसका कथ्य होता है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - जिन लोगों के संपर्क में मैं आया हूँ ,उनके नाम गिना सकता हूँ। आदरणीय स्वर्गीय सतीशराज पुष्करणा जी , आदरणीय योगराज प्रभाकर ज़ी, आदरणीय डॉ नीरज शर्मा जी, आदरणीय कांता रॉय जी और आदरणीय मुकेश शर्मा जी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा का मुझे कोई विशेष अनुभव नहीं है। लेकिन अध्ययन से जो जानकारी मुझे प्राप्त हुई है, उसके आधार पर कह सकता हूँ कि लघुकथा में कथ्य, शैली, व्याकरण (वर्तनी की त्रुटियां ), संदेश, शीर्षक  चयन एवं पंच पंक्ति  और रोचकता अनिवार्य है।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म  बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के प्रचार प्रसार में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है। मैं खुद मीडिया के माध्यम से ही इस लाजवाब विधा से जुड़ सका। मैंने जिन मीडिया ग्रुपों में सक्रियता से भाग लिया । उनके नाम निम्न लिखित हैं। 1. नया  लेखन नये दस्तखत 2.लघुकथा के परिंदे 3. गागर में सागर 4.ओपिन बुक्स ओन लाइन 5 .साहित्य संवेद

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे विचार से वर्तमान में लघुकथा की स्थिति संतोष जनक कह सकते हैं। वैसे लघुकथा के क्षेत्र में बहुत नये लोग आ रहे हैं लेकिन उनमें लंबी दौड़ के घोड़े इक्के दुक्के ही निकल रहे हैं। लघुकथायें बहुतायत में लिखी जा रही हैं लेकिन स्तरीय रचनायें नगन्य हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मैं खुद अपने कार्य से ही संतुष्ट नहीं हूँ। अन्य लोगों के विषय में अधिक कहना असभ्यता होगी।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं केंद्र सरकार के एक उद्योग में कार्य रत था। लघुकथा से मेरा लगाव सेवा निवृति के बाद हुआ। इस पड़ाव पर मैंने अपनी क्षमता और काबिलियत के अनुरूप कभी भी मार्ग दर्शन करने का ना तो सोचा और ना ही कोशिश की। इसके बावज़ूद अगर किसी नये लघुकथाकार ने कोई परामर्श मांगा तो उसे निराश नहीं किया।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरी धर्मपत्नी हिंदी से एम ए हैं। व्याख्याता रह चुकी हैं। वे भी लिखती हैं। इसलिये उनका सहयोग निरंतर मिलता रहता है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन कार्य का मेरी आजीविका में कोई योगदान नहीं है। वैसे मैंने लेखन कार्य को इस उद्देश्य से अपनाया भी नहीं था। यह कार्य मैं व्यस्त रहने और मानसिक शांति हेतु करता हूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं एक आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं सदैव उत्तम और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। लघुकथा मेरे लिये एक प्रेरणा है। मानसिक शांति का श्रोत है।अतः मैं सदैव उसकी उत्तरोत्तर प्रगति की आशा करता हूँ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - जैसा कि  मैंने पिछले प्रश्न के उत्तर में भी कहा कि लघुकथा लेखन से मुझे मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और व्यस्तता तो मिलती ही है लेकिन इसके साथ कितने मशहूर और विद्वान लेखकों का सानिध्य प्राप्त हुआ।  मैंने दस बारह लघुकथा संकलनों  में साझेदारी की तथा एक अपना निजी लघुकथा संग्रह निकाला , उसकी वजह से समाज में एक सम्मान जनक स्थान मिला ।

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क्रमांक - 008

जन्म : 08 जून 1969 , सोनीपत - हरियाणा
शिक्षा : पी एच डी (हिंदी ), एम ए ( पत्रकारिता ,मानवाधिकार)

सम्प्रति : प्रशासनिक अधिकारी, आयकर विभाग ( सेवानिवृत)

प्रकाशित पुस्तकें : -

कस्तुरी गन्ध ( लघुकथा संग्रह ) -2009
कहानी संग्रह , कविता संग्रह , निबंध संग्रह , दोहा संग्रह , आदि सहित 23 पुस्तकें प्रकाशित

प्रमुख पुरस्कार व सम्मान : -

- भारत सरकार द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित - हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत
- हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कृत
              आदि अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत

विशेष : -

- नई दिशाएं हेल्पलाइन संस्था की चेयरपर्सन
- Youtub चैनल का संचालन

पता : 839 , सेक्टर - 21 सी , फरीदाबाद - 121001 हरियाणा

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा का उद्देश्य महत्वपूर्ण तत्व है.

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्री रूप देवगुण, श्री सुकेश साहनी , श्रीमती कमल कपूर, श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा का आकार कैसा है, लघुकथा में उद्देश्य है या नहीं है ,लघुकथा का शीर्षक लघुकथा से मिलता है या नहीं,  गहराई  है या नहीं, क्या लघुकथा का कथानक नए कलेवर का है ,क्या उसमें भूमिका बड़ी है, वाक्य सुगठित है या नहीं, और पाठकों को समझ में आएगी या नहीं । ये सभी लघुकथा की समीक्षा के मापदंड हैं।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - लघुकथा के लिए फेसबुक पर जो लघुकथा ग्रुप हैं वे  महत्वपूर्ण  हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा की स्थिति बेहद मजबूत है

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हूं क्योंकि  लघुकथाकारों की संख्या में वृद्धि हो रही है

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं कहानीकार हूं, उपन्यास लिखे हैं, कवयित्री हूँ। लघुकथा का एक संग्रह आया है , दूसरा जनवरी 2022 में आने वाला है। मैंने नए लेखकों की लघुकथाओं को ठीक किया है,  उनकी प्रूफ्ररीडिंग की, उनकी भूमिका लिखी है। इसके अलावा यूट्यूब पर मैंने अपने चैनल पर लघुकथा कैसे लिखें, पर एक वीडियो बनाया है जिससे नए लेखक  लाभान्वित हो रहे हैं।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार मेरे लेखन के आड़े नहीं आता , मैं अपना लेखन इसलिए कर पा रही हूं क्योंकि मेरे परिवार ने कभी अवरोधक की भूमिका नहीं निभाई , उल्टा मुझे बढ़ावा ही दिया है ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका के साधन के रूप में , मैंने लेखन को कभी नहीं लिया। लेकिन जहां सुख की बात है, संतुष्टि की बात है  तो लेखन ने मुझे हमेशा सहारा दिया है मेरा मार्गदर्शन बना है और मुझे अनुभव कराया कि जीवन कैसे जीना चाहिए

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य सुनहरा है क्योंकि धीरे-धीरे लोगों को समझ में आ रहा है कि लघुकथा लिखना कठिन नहीं है, पाठकों के बीच पैठ बनाए रखना भी उतना ही आसान है । हां, लघुकथा कैसे लिखी जाए उसके लिए सबसे पहले नए लेखकों को वरिष्ठ लघुकथाकारों से मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करना चाहिए

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर -  लघुकथा साहित्य से मुझे संतुष्टि मिली । छोटी-छोटी कहानियां पढ़कर , परोक्ष रूप से सही शिक्षा मिली और काफी कुछ जानने को मिला। हमारे समाज में क्या घट रहा है, यह तुरंत जानने को मिल जाता और सबसे बड़ी बात है  कि समस्याओं का समाधान मिलता है लघुकथाओं में ...।

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क्रमांक - 009

जन्म : 01जुलाई 1955 , सीरेगाँव ( नरसिंहपुर ) मध्यप्रदेश
शिक्षा : विज्ञान स्नातक
सम्प्रति : विघुत विभाग से सेवानिवृत्त

प्रकाशित पुस्तकें : -

इतने लोगों में ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
ऐसा भी ... ( लघुकथा संग्रह ) - 2015
    इनके अतिरिक्त विभिन्न विधाओं की 17 पुस्तकें

सम्मान एवं पुरस्कार :-

1. म.प्र.साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा बाल कविता संग्रह के लिए " ज़हूर बख़्श पुरस्कार - 2015 "
2. म.प्र.तुलसी साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा " तुलसी साहित्य सम्मान - 2017 "
3.जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा " म.प्र.रत्न - 2015 "
4.मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच,दिल्ली द्वारा " लाल बहादुर शास्त्री रत्न सम्मान "
5. हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली द्वारा " हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान "
6. श्री गोविंद हिन्दी साहित्य समिति, मुरादाबाद, उ.प्र. द्वारा " हिन्दी भाषा रत्न सम्मान "
7. सलिला संस्थान सलूम्बर, राजस्थान द्वारा " स्वतंत्रता सैनानी श्री औंकार लाल शास्त्री स्मृति पुरस्कार "
8.शब्द प्रवाह मंच, उज्जैन द्वारा व्यंग्य कृति 'लाइन में आइए ' को प्रथम पुरस्कार
9. हिन्दी सेवा समिति, जबलपुर द्वारा "साहित्य शिरोमणि सम्मान"
10. अखिल भारतीय हाइकु मंच,छत्तीसगढ़ द्वारा " हाइक मंजुषा रत्न सम्मान-2017 "
11. म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा " स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान "
          आदि अनेक सम्मान एवं पुरस्कार।

पता : पलोटनगंज , गाडरवारा , जिला : नरसिंहपुर - 487551 - मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे अनुसार कथानक महत्वपूर्ण तत्व है, जिस पर पूरी लघुकथा तैयार होती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है, इस7 संबंध में यूँ तो अनेक नाम हैं जो समर्पित भावना से तन,मन,धन से सतत सेवा-साधना में जुटे हुए हैं, उनमें से जिन्हें मैं व्यक्ति गत रूप से जानता हूं वो हैं : -
1. पानीपत - हरियाणा के आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी,
2.बरेली - उत्तर प्रदेश के आदरणीय सुकेश साहनी जी, 3.प्रयागराज (इलाहाबाद) के आदरणीय डॉ.गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी जी,
4.जबलपुर - मध्यप्रदेश के आदरणीय कुँवर प्रेमिल जी, 5.अजमेर - राजस्थान के  डॉ.अखिलेश पालरिया जी,  इन सभी का  लघुकथा को लेकर विशेष अंक का सतत संपादन, समय-समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन और लघुकथाकारों का सम्मान आदि महत्वपूर्ण कार्य के रूप में  अनवरत योगदान दिया जा रहा है। जो प्रशंसनीय है, वंदनीय है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के लिए उचित शीर्षक का चुनाव, प्रेरक कथ्य, सरस भाषा शैली, पात्रों के अनुरूप भाषा- संवाद, लघुकथा की शब्द सीमा आदि बिंदुओं पर निष्पक्षता से अपनी राय रखी जाना उचित और महत्त्वपूर्ण होगा।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -  व्हाट्सएप ऐसे सरल और सशक्त सामाजिक माध्यम हैं जो पाठकों के लिए सहज एवं त्वरित उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर-  मेरे अनुसार हास्य-व्यंग्य के बाद पाठकों द्वारा पसंद की जाने  वाली द्वितीय प्राथमिकता होती हैं , लघुकथाएं।
अतः रचनाकारों के लिए लघुकथा लेखन, अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का सहज और सरल माध्यम बनता जा रहा है। सुखद पहलू यह भी है कि पाठकों द्वारा लघुकथाओं को पसंद भी किया जा रहा है। इस आधार पर यह कहना उचित होगा कि  लघुकथाएं, साहित्यिक परिवेश में सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण सशक्त माध्यम तो हैं ही, बल्कि सक्षम भी हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्ट तो हैं फिर भी लघुकथा लेखन में अभी अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर संयम बरतने की अत्यंत आवश्यकता है। कभी- कभी ऐसा देखने में आता है कि  लघुकथा अपने उद्देश्य से भटक गई है। शीर्षक का चुनाव ठीक नहीं किया गया है।  भाषा शैली एवं संवाद पात्रों के अनुरूप नहीं है।
इस कारण से कभी-कभी लघुकथाकार की अच्छी बन सकने वाली लघुकथा भी इन महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीरता से  अमल न करने के कारण, शीघ्र प्रस्तुति के लिए  उतावलेपन की वजह से लघुकथा के स्वरूप और उद्देश्य को अस्पष्ट, अपूर्ण व असफल बना देती है। अतः लघुकथा को लिखने के बाद उस पर स्वयं के द्वारा चिंतन और मंथन अवश्य किया जाना चाहिए। इसके बाद फिर अपने साहित्यिक मित्रों से विमर्श कर लेना चाहिए और फिर उनके सुझावों पर विचारकर, उचित और वांछित सुधार कर लेने से अच्छी लघुकथा तैयार की जा सकती है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यम परिवार से हूं और मेरे परिवार में मुझे लेखन विरासत में नहीं मिला है। आज जो भी है , वह ईश्वर की अनुकंपा और माता-पिता का आशीर्वाद है। मैं अपनेआप को किसी को मार्गदर्शन देने के योग्य नहीं मानता हूं। कभी कभार कोई जब मुझसे मार्गदर्शन चाहता है तो मैं उन्हें यही सुझाव देता हूं कि लेखन में उतावलेपन से बचें। रचना लिखने के बाद मंथन करें। अपनों से सुझाव लेकर,  वांछित संशोधित कर रचना को रुचिकर और सार्थक बनावें।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे लेखन में परिवार की ओर से मुझे सदैव प्रोत्साहन ही मिला है और कभी किसी भी रूप में नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसकी एक वजह यह भी रही है कि मैंने भी अपने पारिवारिक दायित्वों को प्राथमिकता और शुचिता से निभाया है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन से मेरी आजीविका को कोई मदद कभी नहीं मिली और न ही मैंने अपेक्षा की और न ही प्रयास। हाँ, अपने लेखन को जरूर अपनी आजीविका से सशक्त बनाया है। पुस्तकों का प्रकाशन और प्रसारण का व्यय आजीविका के कोष से ही पूरा किया है। मेरी पुस्तकों का वितरण  मैंने सदैव ही निशुल्क किया है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं लघुकथा को लेकर पूर्णतः आशान्वित हूं और मैं ऐसा मानता हूं कि लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है और शनैः शैनः पाठकों के लिए रुचिकर बनता जा रहा है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लघुकथा लेखन , समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रमुख माध्यमों में से एक सरल और सरस  महत्वपूर्ण माध्यम है। भविष्य में समाज और शिक्षा जगत में इसकी उपयोगिता और महत्ता दिनोंदिन बढ़ेगी, निखरेगी।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे खुशी है कि मेरी लघुकथाओं को पसंद किया जाता है। जैमिनी अकादमी,पानीपत ,हरियाणा द्वारा मेरे लघुकथा संग्रह ' ऐसा भी...' को मध्यप्रदेश रत्न-2015 और म.प्र.लघुकथाकार परिषद जबलपुर द्वारा 'स्व.बाबूलाल उपाध्याय स्मृति कथा सम्मान ' प्राप्त हुआ है। इससे मेरा उत्साहवर्धन हुआ है। जिससे मुझे सामाजिक विशेषताओं, कमियों, खामियों को समझने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ है और मैं अपने लेखन को सशक्त बनाने की ओर निरतंर अग्रसर  होता जा रहा हूं।

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क्रमांक - 010

जन्म : 15 अक्टूबर, शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एम. ए. (हिंदी , संस्कृत), बी.एड., पीएच.डी. 
सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व प्रध्यापिका : स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बरखेड़ा, पीलीभीत - उत्तर प्रदेश

विधाएंँ- लघुकथा, कहानी,साझा उपन्यास,(आइना सच नहीं बोलता), कविताएंँ (छंद मुक्त), रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रावृत्त , डायरी, रिपोर्ताज,आलेख,पत्र, समीक्षा आदि।

पुस्तकें : -
- 'राजा नंगा है' (ई बुक संग्रह)2016
- 'ततःकिम' लघुकथा संग्रह, (माननीय राज्यपाल श्री राम नाइक के कर कमलों द्वारा लोकार्पित)2016
- 'अंधेरा उबालना है' लघुकथा संग्रह 2020

सम्पादन : -
काफी हाउस किताब (विविध विधा रचना संग्रह)

साँझा संकलन-
श्रेष्ठ काव्य माला,
मुट्ठी भर अक्षर,
बूंद बूंद सागर,
लघुकथा अनवरत,
क्षितिज अपने अपने,
पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 26),
नई सदी की धमक,
आस-पास से गुजरते हुए,
समकालीन प्रेम विषयक लघुकथाएं,
गहरे पानी पैठ,
मास्टर स्ट्रोक,
हमारा साहित्य (जे ऐंड के एकैडमी आॅफ आर्ट कल्चर एंड लैंग्विज आॅफ जम्मू )आदि।

सम्मान : -
- दिशा प्रकाशन द्वारा दिशा सम्मान,
- हिंदी चेतना पत्रिका कनाडा द्वारा  हिंदी चेतना सम्मान
- प्रतिलिपि पत्र सम्मान 2016
- शब्दनिष्ठा समीक्षा सम्मान 2020

विशेष : -
- अविराम साहित्यिकी (त्रैमासिक पत्रिका) का सम्पादन
- समीक्षा कार्य पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 28,सीमा जैन की ग्यारह लघुकथाएं एवं सम्पूर्ण खण्ड 9)

पता : डाॅ सन्ध्या तिवारी , पत्नी श्री राजेश तिवारी
38, बेनी चौधरी, निकट वाटर वर्क्स ,
पीलीभीत, 262001- उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है विशाल कथ्य को समेटे उसका लघु कलेवर, उसकी भाषा शैली और उसकी अचूक मारक क्षमता ।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - कोई पांँच नाम लेना तो अत्यंत कठिन काम हैं क्योंकि विधा के हित में इतने लोग अपना योगदान दे रहे कि उनके नाम के बिना लघुकथा का महत्त्व ही अपूर्ण रह जायेगा। सुकेश साहनी,  भगीरथ परिहार , कांता राॅय, योगराज प्रभाकर , बीजेन्द्र जैमिनी आदि नाम उल्लेखनीय हैं।

 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?

 उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के मापदंडों में समीक्षक की पैनी दृष्टि, कथा कहन के भाव की गहरी समझ, भाषा पर अधिकार, आलोचना की विकसित समझ, ईर्ष्या एवं भेदभाव रहित तीक्ष्ण बुद्धि, प्रमाद एवं मत्सर रहित समीक्षा ही विधा के हित में है। 


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ? 

उत्तर - वर्तमान समय में सोशल मीडिया अपने में एक बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरा है ऐसे में लघुकथा विधा इस ताकत से अछूती रह जाए कैसे हो सकता है कुछेक सोशल मीडिया के मंचों का उल्लेख निम्नगत है-

लघुकथा ब्लाॅग एवं वेब पत्रिकाएंँ : -

जनगाथा

लघुकथा डॉट कॉम

रचनाकार

ओपन बुक आॅनलाइन

सेतु


लघुकथा समूह : -


नया लेखन नये हस्ताक्षर

गागर में सागर

लघुकथा साहित्य

साहित्य सागर

भारतीय लघुकथा विकास मंच

आधुनिक लघुकथाएंँ

लघुकथा सृजन संगम संवेदनाओं का 

उद्गार साहित्यिक मंच

कलमकार मंच

लघुकथा के परिंदे

साहित्य संवेद

नया लेखन और नया दस्तखत

साहित्य प्रहरी

साहित्य अर्पण

लघुकथा:गागर में सागर

सार्थक साहित्य मंच 

शब्दशः

ज़िन्दगीनामा: लघुकथाओं का सफ़र 

अनुपम साहित्य

चिकीर्षा- ग़ज़ल एवम् लघुकथा को समर्पित एक प्रयास

क्षितिज

फलक (फेसबुक लघु कथाएं)

बोल हरियाणा रेडियो से रवि यादव तथा विगत वर्ष से 'अविरामवाणी" यूट्यूब के मंच से लघुकथा पर निरंतर चर्चा हो रही। इनके अतिरिक्त भी सोशल मीडिया ग्रुप आदि होंगे लेकिन मुझे ज्ञात नहीं अथवा भूलवश मुझे याद नहीं।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतरीन है। नये प्रतिभावान लेखक इसकी मशाल उठाये हुए हैं। लेकिन जैसा कि प्राचीन भारत में छोटी-छोटी रियासतों के राजा आपस में लड़ते रहते थे और उनके लड़ने से इसका लाभ बाहर वालों ने बखूबी उठाया, ठीक यही दशा लघुकथा की भी है सब अपनी अपनी रियासत को लेकर आत्ममुग्ध बैठे हैं...। परन्तु फिर भी कितने ही ऐसे उल्लेखनीय नाम हैं जो निस्वार्थ भाव से लघुकथा के प्रतिष्ठार्थ कार्य कर रहे हैं। आशा है जल्दी ही इसे अपना लक्ष्य हासिल होगा।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - कोई भी जड़ जंगम तब तक संतुष्टि नहीं देता जब तक वह मुख्य धारा में न आ जाए, जब तक समाज हित के लिए उसका उपयोग न होने लगे ।  कहते हैं- " जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?" लघुकथा का विधाओं में नाम न होना उसे राजकीय ,राष्ट्रीय विधा में शामिल न किया जाना,कोई लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार न मिलना, बड़े लेखकों के द्वारा इस विधा से दूरी बनाए रहना, संतुष्ट तो नहीं करते लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। इसलिए मैं इस विधा के प्रति आशान्वित हूंँ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं बेहद परिष्कृत और अध्यवसायी, धार्मिक तथा नैतिक पृष्ठभूमि से हूंँ।  मार्गदर्शक के रूप में अभी अपने को नहीं देखती । क्योंकि अधकचरा ज्ञान ज़हर के समान होता है। जो न अपना भला करता और दूसरे को तो ख़त्म ही कर देता है। इसलिए अभी मैं राही ही हूंँ, सिद्ध नहीं ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?

उत्तर - मेरा परिवार, मेरे लेखन की पृष्ठभूमि में रहता है। मेरी चमक (यदि है तो) उसी की आभा से मंडित है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मेरे जीवन यापन में लेखन से धन-लाभ की स्थिति नगण्य है। यदा कदा हजार पांँच सौ से घर नहीं चलता। मेरी आजीविका का साधन मुख्यत: नौकरी है। 

 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - कोई भी चीज एक एनर्जी बनकर जब एक दिशा में प्रवाहित होती है तो वहांँ एक बड़े बदलाव को आने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि कई अच्छे लेखकों ने लघुकथा की पतवार थाम रखी है।

 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है 

उत्तर - साहित्य, लघुकथा का हो अथवा कविता का या कि कहानी का, साहित्य हमेशा से समाज का दर्पण रहा है। लघुकथा साहित्य से भी समाज की ढ़की छुपी विडम्बनाएंँ, मन की ग्रंथियांँ,समाज में व्याप्त कुरीतियांँ  अच्छाइयांँ आदि सभी का दर्शन होता है तथा हांँ हम भी यही कहना चाहते थे ऐसा भाव आता है। और यदि बात करें लघुकथा की तो लघुकथा ने मुझे साहित्य जगत से न केवल रूबरू करवाया अपितु स्थापित भी किया है आज जितनी भी मेरी कीर्ति अपकीर्ति है यह लघुकथा के कारण ही है।

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क्रमांक - 011

जन्म : 11 जुलाई 1953 , अलीगढ़ - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : एम. कॉम , पत्रकारिता में उपाधि

प्रकाशित पुस्तकें : -

लघुकथा संग्रह : मेरी सौ लघुकथाएं
सम्पादित लघुकथा संकलन : पड़ाव और पड़ताल ( आठ भाग )

उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, सेज गगन में चांद की, आखेट महल, अकाब, जल तू जलाल तू, राय साहब की चौथी बेटी, ज़बाने यार मनतुर्की।

कहानी संग्रह: अंत्यास्त, थोड़ी देर और ठहर, ख़ाली हाथ वाली अम्मा, सत्ताघर की कंदराएं, प्रोटोकॉल।

आत्मकथा (तीन खंड): इज्तिरार, लेडी ऑन द मून, तेरे शहर के मेरे लोग।

सम्प्राप्ति : पूर्व प्रोफ़ेसर(पत्रकारिता व जनसंचार) एवं निदेशक, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान)

पता : बी -301 , मंगलम जाग्रति रेसीडेंसी, 447 कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर-302004 - राजस्थान

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - किसी सीमित कलेवर में प्रवाह, प्रभाव, संवेदना अथवा विवेचना "क्षणिक" होना श्रेयस्कर है। अतः क्षणिकता ही लघुकथा का मूल तत्व है।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - सुश्री कांता राय , बीजेन्द्र जैमिनी,  चित्रा मुद्गल, भगीरथ परिहार और सुकेश साहनी।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - भाषा, प्रवाह, प्रभाव, क्षणिकता, कथ्य की नवीनता।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - फ़ेसबुक और ब्लॉगिंग से पर्याप्त चर्चा/प्रतिक्रिया तथा अभिलेखन  संभव है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - इसे स्वीकार्यता मिली है किंतु अभी कई पाठकीय व लेखकीय कसौटियां बाक़ी हैं।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - मात्रात्मकता की दृष्टि से स्थिति पर्याप्त संतोष जनक है पर गुणवत्ता पर निरंतर कार्य करने की ज़रूरत है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं शैक्षणिक परिवेश से हूं तथा लिखने- पढ़ने में "पाठक- लेखक समीकरण" को महत्व देता रहा हूं।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - ज़्यादा भूमिका नहीं है किंतु कोई अवरोध भी नहीं हैं। पूरी स्वतंत्रता है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लेखकीय सरोकारों ने आजीविका में हमेशा बाधा ही पहुंचाई है। मैं इन दोनों को अलग- अलग मानता हूं। लेखन को आजीविका से जोड़ना श्रेयस्कर नहीं होता।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - भविष्य अच्छा है, इसे लोकप्रियता मिलेगी किंतु इससे किसी लेखक की ज़्यादा अपेक्षा दोनों को नुक्सान पहुंचायेगी।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - समय से समायोजन तथा लेखक समुदाय से विहंगम और विशाल संपर्क।

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क्रमांक - 012

जन्मतिथि : 26 नवम्बर 1966
जन्म : शोलापुर - महाराष्ट्र
शिक्षा : एम ए अर्थशास्त्र, हिन्दी, एमएड, पी एच डी (हिन्दी)
सम्प्रति : महाविद्यालय में प्राचार्य

प्रकाशित पुस्तकें  : -

कविता संग्रह –
- मैं बरगद  - पहले पहल प्रकाशन ,भोपाल (बरगद पर 131 कविता, गोल्डन बुक ऑफ़ रिकार्ड , इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड में शामिल )
- आँचल (माँ पर 111 कविता)  मीरा पब्लिकेशन ,  इलाहाबाद
- सिसकती दास्तान (किन्नरों पर 121 कविता ) विकास पब्लिकेशन कानपुर 
- हस्ताक्षर हैं पिता ( पिता पर 1111 कविताएँ ) पहले पहल प्रकाशन भोपाल,
- कहती हैं किताबें (किताबों पर 80 कविताओं ) की ई बुक
बाल साहित्य : -
- असर आपका’, (विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन -आगरा )(गद्य काव्य)
- ‘मुझे क्यूँ मारा (जय माँ  पब्लिकेशन ,भोपाल) (गद्य काव्य)
- मेरा क्या कुसूर ( जय माँ पब्लिकेशन ,भोपाल ) (गद्य काव्य)
- पुस्तक मित्र महान (मून पब्लिशिग हाऊस ,भोपाल) (काव्य संग्रह)
- मुस्कान ( बाल कल्याण एवं शोध संस्थान भोपाल) (काव्य संग्रह)
- लघुकथा संग्रह :-
तितली फिर आएगी ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- लकी हैं हम ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- मूल्यहीनता का संत्रास ( जी एस पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूटर, दिल्ली )
- गांधारी नहीं हूँ मैं ( विकास पब्लिकेशन कानपुर )
- धीमा जहर (वनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- दहलीज का दर्द ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
साक्षात्कार संग्रह : -
लघुकथा का अंतरंग (लघुकथा पर पहला ऐतिहासिक साक्षात्कार )
उपन्यास : -
मंगलमुखी (किन्नर पर) विकास पब्लिकेशन कानपुर
कहानी संग्रह-
- सिंदूर का सुख ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध संस्थान आगरा )
- साँझीबेटियाँ ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध आगरा )
समीक्षा :–
- पयोधि हो जाने का अर्थ (कौशल प्रकाशन, फैजाबाद)
- उत्तर सोमारू ( कौशल प्रकाशन, फैजाबाद )
- मधुकांत की इक्यावन लघुकथाओं का समीक्षात्मक अध्ययन ( मोनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए (ई बुक )
- लघुरूपक – 20 पुस्तकें (माँ पब्लिकेशन भोपाल)

विशेष : -
- पिछले 9 वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर  संचालन, कहानी तथा कविताओं का प्रसारण 
- फिल्मांकन : उपन्यास ‘मंगलामुखी के एक अंश पर पायल फाउन्डेशन लखनऊ द्वारा 30 मिनट की फिल्म का निर्माण ‘यह कैसी सोच’
- पाठ्यक्रम : मध्यप्रदेश बोर्ड में रक पाठ स्कूली शिक्षा में , तथा 5 लघुकथाएं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल
- मेरे लघुकथा संग्रहों पर महाराष्ट्र की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है |
- हस्ताक्षर हैं पिता - 1145 पृष्ठ , दो खंडों में कविता संग्रह पर राजस्थान की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है

सम्मान : -
- अंतराष्ट्रीय सम्मान – 4
14 राज्यों से सम्मानित - 52 राज्य एवं राष्ट्रीय सम्मान

पता :  30 सीनियर एमआईजी, अप्सरा काम्प्लेक्स, इंद्रपुरी, भेल क्षेत्र ,भोपाल-  462022 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर – यूं तो सभी तत्व महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनके होने से ही लघुकथा पूर्ण होती है | किन्तु इसमें प्राणतत्व फूंकता है तेजाबी वाक्य जिसे हम पंच वाक्य कहते हैं । 

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर –  यूं तो बहुत हैं मगर भौतिक रूप से उपस्थिति की बात करूं तो - चित्रा मुद्गल, भागीरथ परिहार , स्व. सतीश दुबे, स्व. रमेश बतरा जी के बाद मैं अपना नाम भी रखना चाहूंगी ।  क्योंकि लघुकथा के क्षेत्र में मेरे सारे लघुकथा संग्रह समस्यात्मक विषयों पर हैं और साक्षात्कार संग्रह ये सभी लघुकथा में कई क्षेत्रों में नवीनता दर्शाते हैं, प्रथम प्रयास कहे जा सकते हैं  ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर – कथावस्तु, पात्र, चरित्र की सार्थकता , प्रस्तुति, भाषा, परिवेश तथा कहन की शैली, जिसमें पंच भी आता है | इसके आलावा काल दोष, लेखक की उपस्थिति, कह सकते हैं पंच और कल दोष के अतिरिक्त वाही कसौटी है जो कहानी की है ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर – मैं सोशल मीडिया में अधिक हूँ नहीं इस वजह से किसी मंच से परिचित नहीं | हाँ लघुकथा विश्वकोश, लघुकथा सृजन ये नाम भी देखकर बता रही हूँ | सच कहूँ तो परिचित नहीं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर – अगर साहित्य की दृष्टि से कह रहे हैं तो आवश्यकता है , क्योंकि शोर्टकट का जमाना है | अगर लेखन की बात करें तो बाढ़ है ।

 प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
 उत्तर – नहीं ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 
उत्तर – लेखन को लेकर मेरी कोई विरासत नहीं रही, स्व अर्जित है जो है | बस प्रयास है जिस भी विषय में लिखूं ईमानदारी पूर्वक कार्य करूं , अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए | यही बात मार्गदर्शन लेने वालों को कहती हूँ ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर – मैंने परिवार और लेखन को कभी मिलाया नहीं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 
उत्तर – आजकल लेखन को आजीविका के रूप में देखने और सोचने का समय नहीं | जहाँ लेखक पैसे देकर पुस्तकें प्रकाशित करा रहे हैं वहां संतोष है कि मैं बिना शुल्क प्रकाशित हो रही हूँ | अब तक 62 के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है | तो इसे ही बड़ी उपलब्धि मानती हूँ ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर – अगर किसी भी विधा को समर्पित साहित्यकार मिले तो उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है | यही बात लघुकथा के लिए भी कहूँगी ।
 
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर – निश्चित रूप से कई मित्र, प्रशंसक और सम्मान तथा एक नई विधा में पहचान भी ।
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क्रमांक - 013
जन्म दिनांक-  26 जनवरी 1965
शिक्षा-  5 विषय में एम ए, पत्रकारिता, कहानी-कला, लेख-रचना, फ़ीचर एजेंसी का संचालन में पत्रोपाधि

व्यवसाय- सहायक शिक्षक

लेखन- बालकहानी, लघुकथा व कविता

संपादन- लघुकथा मंथन, बालकथा मंथन, चुनिंदा लघुकथाएं, मनोभावों की अभिव्यक्ति, मप्र की बाल कहानियाँ

प्रकाशित पुस्तकें-
1- कुँए को बुखार
2- आसमानी आफत
3- काँव-काँव का भूत
4- कौनसा रंग अच्छा है?
5- लेखकोंपयोगी सूत्र और 100 पत्रपत्रिकाएं
6- चाबी वाला भूत
7 - संयम की जीत उपन्यास
8 - हाइकु संयुक्ता
9 - घमंडी सियार और अन्य कहानियां
10- कसक लघुकथा संग्रह
11- चुनिंदा लघुकथाएं संपादन
12- रोचक विज्ञान बालकहानियाँ
13- पहाड़ की सैर
14- चूँचूँ की कहानियाँ
15- मनोभावों की अभिव्यक्ति
16- संयम की जीत
17- हाइबन: चित्र-विचित्र
18- पहाड़ी की सैर
19- आजरी विहीर (मराठी अनुवाद)
20- काव काव चे भूत (मराठी अनुवाद)
21- आसमानी संकट (मराठी अनुवाद)
22- कोणता रँग चाँगला आहे? (मराठी अनुवाद)
23- लघुकथाकारों की मेरी चुनिंदा लघुकथाएं
24- देश-विदेश की लोककथाएं
संकलन में सहभागिता--
1- बून्द-बून्द सागर
2- अपने अपने क्षितिज
3- नई सदी की धमक
4- शत शताब्दी हाइकू संग्रह
5- हमारे समय की श्रेष्ठ बालकथाएं
6- सांझ के दीप
7- चुनिंदा लघुकथाएं
8- हाइकु मंथन
9-  चले नीड की ओर
10- अपने-अपने क्षितिज
11- बूंद बूंद सागर
12- कहानी प्रसंग
13- विविध प्रसंग
14- आस पास से गुजरते हुए
15- सफर संवेदनाओं का
16- नई सदी की लघुकथाएं
17- विश्व हिंदी लघुकथाकार कोश
18- चमकते सितारे भाग 1
19- नया आकाश आदि ।

उपलब्धि- 141 बालकहानियों का 8 भाषा में प्रकाशन व अनेक कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित

इ-बुक-- 121 ई- बुक प्रकाशित

पुरुस्कार-

●इंद्रदेवसिंह इंद्र बालसाहित्य सम्मान-2017,
●स्वतंत्रता सैनानी ओंकारलाल शास्त्री सम्मान-2017 ,
●बालशौरि रेड्डी बालसाहित्य सम्मान- 2015 ,
●विकास खंड स्तरीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय 2017 ,
●लघुकथा में जयविजय सम्मान-2015 प्राप्त,
●काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान- 2017 प्राप्त,
●26 जनवरी 2018 को नगर पंचायत रतनगढ़ द्वारा _वरिष्ठ साहित्यकार_ सम्मान 2018 ,
●सोमवंशीय क्षत्रिय समाज इंदौर द्वारा _क्षत्रिय गौरव_ सम्मान 2018 ,
● नेपाल में _वरिष्ठ साहित्य साधक_ सम्मान 2018 ,
●मेघालय के राज्यपाल के हाथों _महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान_-2018 प्राप्त,
●बालसाहित्य संस्थान उत्तराखंड द्वारा अखिल भारतीय राजेंद्रसिंह विष्ट स्मृति सम्मान बालकहानी प्रतियोगिता 2018 में तृतीय स्थान का सम्मान प्राप्त,
●नेपाल-भारत साहित्य सेतु सम्मान- २०१८,
●नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय रत्न सम्मान- २०१८ (बीरगंज नेपाल )में प्राप्त .
●मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा *रजत-पदक* से सम्मानित ।
● क्रान्तिधरा अंतरराष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान-2019 से सम्मानित।
● आचार्य रतनलाल विद्यानुग स्मृति अखिल भारतीय बालसाहित्य प्रतियोगिता में शब्द निष्ठा सम्मान 2019
●  साहित्य मंडल श्री नाथद्वारा द्वारा राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह 2020 में श्रीभगवतीप्रसाद देवपुरा बालसाहित्य भूषण सम्मान से सम्मानीत।

पता- पोस्ट ऑफिस के पास , रतनगढ़ जिला-नीमच - 458226 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 - एक लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन-सा है?
उत्तर - यह थोड़ा मुश्किल प्रश्न है। ठीक उसी तरह जैसे यह पूछा जाए कि शरीर में महत्वपूर्ण अंग कौन-सा है? शरीर में प्रत्येक अंग में होता है। सभी का महत्व अपनी जगह होता है। बस, किसी का महत्व हम कम समझते हैं। किसी का महत्व ज्यादा समझते हैं। ठीक उसी तरह लघुकथा में सभी तत्व महत्वपूर्ण होते हैं। आप कहानी के कथानक पर लघुकथा को खड़ी नहीं कर सकते हैं। इसी तरह किसी लघुकथा में पंच लाइन कितनी भी महत्वपूर्ण हो सकती हैं, उसका आरंभिक भाग और उसमें कथातत्व का अभाव हो तो वह लघुकथा प्रभावहीन हो जाती है। लघुकथा का महत्व सभी तत्वों से मिलकर होता है। उसमें कथातत्व होना चाहिए। उचित संवाद या वर्णन के साथ बेहतरीन पंच पंक्ति ही लघुकथा को प्रभावी बनाती है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा को इस मुकाम तक पहुंचाने में बहुत से रचनाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हरेक रचनाकार का अपना नजरिया होता है। कोई किसे महत्वपूर्ण मानता है, कोई किसे? इसके अपने-अपने मापदंड हैं। हरेक रचनाकार उसी मापदंड पर कसकर लघुकथाकार की भूमिका को रेखांकित करता है। कई लघुकथाकार इस क्षेत्र में विवादित भी रहे हैं।  कुछ ने लघुकथा को शार्ट स्टोरी, लघु कहानी, व्यंग्यकथा, तंजकथा, छोटी कहानी, मिनीकथा, बिना निदान वाली कहानी आदि अनेक नामों से नवाजा है। आज भी कुछ रचनाकार लघुकथा को लघु + कथा = लघुकथा मानते हैं। समकालीन लघुकथाकारों की बात की जाए तो अनेक नाम लिए जा सकते हैं। इन सभी लघुकथाकारों ने अपने-अपने क्षेत्रों में लघुकथा में महत्वपूर्ण काम किया है। इन सभी या समकालीनों में से किसी पांच लघुकथाकारों का नाम रेखांकित करना मुश्किल काम है। वैसे ही जैसे ओलंपिक में हॉकी की जीती हुई टीम से पांच नाम रेखांकित करना। इस तरह किसी पांच नाम को रेखांकित करके दूसरे के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाना ठीक नहीं है। इसलिए मैं किसी पांच नाम को रेखांकित करना उचित नहीं समझता हूं। फिर भी जगदीश कश्यप, सतीशराज पुष्करणा, रामेश्वरलाल कांबोज, कमल चोपड़ा,  सुकेश साहनी आदि की भूमिका लघुकथा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रही हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होना चाहिए?
उत्तर - लघुकथा और कहानी में एकमात्र अंतर यह है कि कहानी में समस्या का समाधान भी बताया जाता है। यह बात दूसरी है कि कभी-कभी उसमें निदान बताकर कहानी को समाप्त कर दिया जाता है। लघुकथा में कहानी की तरह विस्तार की संभावना नगण्य रहती है। आपको कम शब्दों में कसावट के साथ अपनी बात इस तरह रखनी होती है कि व्यक्ति ठगा सा खड़ा रह जाए। उसे लगे कि अरे! ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसका अंत तो इस तरह कैसे हो गया? उसे तो इस तरह होना चाहिए था। यानी वह लघुकथा का अंत पढ़कर भौचक्का रह जाए। यहां  उसे लगे कि नहीं इसके आगे ऐसा होना चाहिए था। तभी लघुकथा की सार्थकता है। इस हिसाब से देखें तो लघुकथा के मापदंड का सबसे पहला गुण उसमें  कथातत्व की संक्षिप्त होना है। कम से कम शब्दों में कथा कही जाए। यह प्रयास अनिवार्य होना चाहिए। दूसरा तत्व उसका अनकहा तत्व है। जिस पर लघुकथा को कसौटी पर कहा जाता है। लघुकथा में 'कहे गए' कथन से ज्यादा महत्व उसमें 'अनकहे' कथन का होता है। यह लघुकथा के अंत में ध्वनित होना चाहिए। यही महत्वपूर्ण तत्व लघुकथा के प्राण होते हैं। इन्हीं दो महत्वपूर्ण तत्वों पर लघुकथा को कसा जा सकता है। संवाद यानी कथोपकथन इसका गौण तत्व है। इसकी पूर्ति वर्णन से हो सकती है। सीधे संवाद की जगह मनोभाव के वर्णन में कथोपकथन को सम्मिलित किया जा सकता है। इसलिए लघुकथा में दोनों ही महत्वपूर्ण तत्वों का समावेश किया जाना चाहिए।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है?
उत्तर - सोशल मीडिया पर लघुकथाओं की भरमार है। जहां यहां-वहां नए-नए प्लेटफार्म कभी-न-कभी आते रहते हैं। ये सब लघुकथा के क्षेत्र में कोई ना कोई काम कर रहे हैं। इनके द्वारा एक ही काम महत्वपूर्ण तरीके से हो रहा है। वह है नए-नए व्यक्तियों को लघुकथा की ओर आकर्षित करना।
इसके फलस्वरूप नए-नए रचनाकार की क्षेत्र में आ रहे हैं। इससे सोशल मीडिया पर लघुकथाओं  और इससे इतर कथाओं की भरमार हो रही है। इससे एक और नया प्रचलन भी इस सोशल मीडिया में चलने लगा है- तू मेरी पीठ खुजा मैं तेरी पीठ खुजाता हूं। इस से सोशल मीडिया का पाठक वर्ग भी भ्रमित हो रहा है। किसे अच्छी लघुकथा माना जाए, किसे नहीं ? यही वजह है कि लघुकथा के पैरोकार इन लघुकथाओं पर कुछ भी कहने से बचते हैं। फलत: लघुकथा पर उचित क्रिया-प्रतिक्रिया नहीं मिल पाती हैं। इसके अलावा भी सोशल मीडिया पर कुछ प्लेटफार्म है जो लघुकथा के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। नया लेखन, लघुकथा के परिंदे, लघुकथा साहित्य, लघुकथा सृजन, भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के रँग, लघुकथा दुनिया, लघुकथा प्रांतर, लघुकथा लोक, जन लघुकथाएं, लघुकथा वर्कशॉप, लघुकथा वाटिका, लघुकथा अभिव्यक्ति, लघुकथा संवाद, प्रादेशिक लघुकथा मंच हिसार, चिकीर्षा,  अभिधा मंच आदि ऐसे ही प्लेटफार्म है जो लघुकथा के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। इसके अलावा भी लघुकथा की अपनी वेबसाइट है। कुछ ब्लॉग भी इसमें अच्छा काम कर रहे हैं। इसमें लघुकथा डॉट कॉम, लघुकथा विश्वकोश, ओपन बुक्स ऑनलाइन आदि उम्दा प्लेटफार्म व साइड है, जो लघुकथा के क्षेत्र में बहुत बढ़िया काम कर रही हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - एक समय था जब उपन्यास का बोलबाला था। सभी उपन्यास पढ़ने और लिखना पसंद करते थे। यही मनोरंजन का एकमात्र साधन था। एक व्यक्ति दो-तीन दिन में 500 या 600 पृष्ठ का उपन्यास पढ़ लिया करता था। तब भाई - बहनों में उसे पढ़ने के लिए लड़ाई होती थी। पहले मैं पढूंगा। पहले मैं पढूंगी। उस समय उपन्यास किराए पर मिलते थे। मगर तब एक पाठक खाना खा रहा होता था, मगर उपन्यास को कोई दूसरा पाठक पढ़ रहा होता था। यानी उपन्यास को कोई ना कोई रात-दिन पढ़ा करता था। उस समय उपन्यास खूब पढ़े लिखे जा रहे थे। फिर कहानी का दौर आया। आजकल लघुकथा का दौर है। आज सूचना की क्रांति का दौर है। मोबाइल हर हाथ में आ गए हैं। पल-पल की खबरें पल-पल में फैल जाती है। सूचना का इस तरह विस्फोट हो रहा है कि एक पल पहले घटी घटना दूसरे पल विश्व के हर एक कोने में पहुंच जाती है। इससे पाठक वर्ग मोबाइल के तिलस्म में कैद होकर रह गया है। मोबाइल धारक के पास अधिकांश समय काम नहीं होता है। मगर उसे फुरसत एक कोड़ी की नहीं मिलती है। वह बिना काम के मोबाइल में लगा रहता है। सूचना क्रांति, वीडियो गेम, नई-नई बातें, मोबाइल पर हर तरह की तस्वीरें, हर तरह के वीडियो ने उसे बहुत ही व्यस्त बना दिया है। आज के पाठक के पास समय नहीं है। इससे उसे ऐसा कथा साहित्य चाहिए जिसे 2-3 मिनट में पढ़ा जा सके। इसी समय की कमी ने उसे लघुकथा साहित्य की ओर मोड़ दिया है। इस समय साहित्य की जो सबसे चर्चित लोकप्रिय विधा है वह लघुकथा ही है। आज के परिवेश में लघुकथा ही परिवर्तन और बदलाव की रूपरेखा ला सकती है। इसी की स्थिति आज बहुत बेहतरीन है। सभी इसे पढ़ना चाहते हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - यह एक पेचीदा सवाल है। लघुकथा की वर्तमान स्थिति का मापदंड हमें देखना पड़ेगा। हम किस संदर्भ में इसे देखना चाहते हैं। उस नजरिए को पकड़कर हम लघुकथा की वर्तमान स्थिति की बात कर सकते हैं। हरेक पाठक की अपनी रुचि होती है। उस की रुचि के विषय या लेखक को ही पढ़ता है। मैं स्वयं भी कुछ चुनिंदा लघुकथाकारों की लघुकथाएं ही ज्यादा पढ़ता हूं। ताकि उनसे कुछ सीख सकूं। इस स्थिति में हमें हम कह सकते हैं कि लघुकथा की वर्तमान स्थिति बहुत बढ़िया है। हर जगह बहुत बेहतरीन लघुकथाएं आ रही है।

प्रश्न न.7 - आप किस पृष्ठभूमि से आए हैं बताएं ? किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए ?
उत्तर - पृष्ठभूमि की बात की जाए तो मेरे पिता एक शासकीय सेवक थे। पुलिस में रहते हुए उन्होंने कभी अनैतिक ढंग से रुपए नहीं कमाए। इस कारण बचपन से हमें कुछ न कुछ काम-धंधा यानी पार्ट टाइम कार्य करना पड़ा। इसी दौरान अध्ययन और मनन किया। इस कारण अभावों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। इसी समय यानी पढ़ाई के दौरान धर्मयुग में कहानी लेखन महाविद्यालय अंबाला छावनी के कहानी-कला व लेख रचना के पाठ्यक्रम के बारे में पढ़ा। फिर वहां से यह कोर्स किया। लेखन शुरू हुआ। लघुकथा, लेख, बाल कहानियां खूब लिखी। इस कारण में बाल कहानियों में बहुत ज्यादा सफल रहा हूं। इस वजह से बाल साहित्यकार के रूप में ज्यादा पहचान बन पाई है। इसका मार्गदर्शन करने में ज्यादा मजा आता है। क्योंकि कहानियां बहुत लिखी और छपी हैं। इस कारण इसकी बारीकी से अच्छी तरह वाकिफ हूं।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या रही है?
उत्तर - मेरे परिवार में आज तक लेखन से कोई जुड़ा हुआ नहीं रहा है। मेरे पिताजी की धारणा थी कि लेखन एक बेकार चीज़ है। इससे आजीविका कमाई नहीं जा सकती है। उनका सोच था कि लेखन से रुपएपैसे नहीं मिलते हैं । मगर जब भास्कर व नईदुनिया में छपी कविता से ₹20 का मनीऑर्डर आया तो पिताजी की धारणा टूट गई। वे समझ गए कि लेखन का शौक अच्छा शौक है। मेरी पत्नी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वह कभी लिखते समय मुझे कभी नहीं टोकती थी। यही हाल बच्चों का है ।मेरे पुत्र राहुल ने मुझे मोबाइल पर फेसबुक चलाना सिखाया। पुत्री ने व्हाट्सएप से अवगत कराया। एक तरह से अप्रत्यक्ष रुप से मेरे परिवार ने मेरे लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कदम-कदम पर मेरा साथ दिया है।

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन ने मेरी बहुत सहायता की है। क्योंकि मैं प्राथमिक कक्षा में शिक्षक हूं। बच्चों के संग-साथ उठता-बैठता, पढ़ता-पढ़ाता हूं। बाल मनोविज्ञान पढ़ चुका हूं। इससे बच्चों के मन के बहुत करीब रहता हूं। इसलिए बालकथा लिखना, बच्चों को सुनना- सुनाना, उनसे कथा-कहानी सुनना आदि से मेरा लेखन में बहुत सहायता मिली है।मेरा लेखन व मेरी जीविका के साधन- दोनों एक-दूसरे के पूरक होने से मुझे साहित्य के क्षेत्र में शीघ्र सफलता मिली है। तभी मैं बाल कहानीकार के रूप में स्थापित हो पाया हूं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - हरेक कथा साहित्य अथवा साहित्य का भविष्य उज्जवल ही होता है। वह समय के साथ चलता है। यह बात दूसरी है कि समय किसी साहित्य की महत्ता को बढ़ा देता है। मगर कुछ साहित्यिक सदाबहार बने रहते हैं। कविता को ही लीजिए। इसका भविष्य सदाबहार रहा है और रहेगा।
वैसी ही स्थिति लघुकथा साहित्य की है। लघुकथा अलग रूप में पहले से ही विद्यमान रही है। यह स्वरूप बदल कर आज लघुकथा के रूप में हमारे सामने हैं। इसलिए लघु होने के कारण इस कथा का महत्व भविष्य में सब से बेहतर है और बेहतर ढंग से बढ़ेगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - साहित्य से रस की प्राप्ति होती है। यह रस यानी आनंद जीवन की अमूल्य निधि है।  इसी रस के लिए व्यक्ति अनेक कार्य करता है। मुझे भी इस लघुकथा के साथ-साथ कथा-साहित्य में रस की प्राप्ति हुई है। साथ ही मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिली है। यही इस साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ी देन है।
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क्रमांक - 014
जन्मतिथि : 14अक्टूबर
शिक्षा : स्नातक (राजनितिक शास्त्र )
पति :  बिस्वंभर शर्मा (अधिवक्ता )

रूचि : लेखन, संगीत
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन, कई मंचों से जुड़कर साहित्य सेवा

विधा : कहानी, लघुकथा, कविताओं आदि
                        
सम्मान : -

1.साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान।
2.आगमन द्वारा तीन बार सम्मनित।
3. पूर्वाषा हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सौरभ सम्मान.
4. अलग अलग मंचों द्वारा मेरी कहानी, लघुकथाएं को श्रेष्ठ रचना का सम्मान।

Address : 5C ,5th floor , pink House ,  A, K. Azad Road , Rehabari -781008 Guwahati - Assam

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर -  लघुकथा में मेरे हिसाब महत्वपूर्ण तत्व एक कसा       हुआ कथातत्व और कुछ संदेश अवश्य छुपा होना चाहिए।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर-  समकालीन लघुकथा साहित्य में आ. ओम नीरव जी, आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी, आ. सतीशराज पुष्करणा जी, आ सुकेश साहनी जी, आ. योगराज प्रभाकर जी आदि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हैं।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?

उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में जो जरूरी मापदंड होने चाहिए वह है  कि आवश्यकता से अधिक एक शब्द भी ना हो दूसरा पंचलाइन उसकी ऐसी हो की अनकहे शब्दों से ही पाठक बहुत कुछ समझ जाय तीसरा शीर्षक ऐसा हो कि पाठक पढ़ने को मजबूर हो जाए।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, आदि प्लेटफार्म की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत ही सम्मानजनक है। कम और नपे तुले शब्दों में समाज के सामने अपने सशक्त शब्दों से अपना उद्देश्य रखने में सफल होती दिख रही हैं।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - संतुष्टि की बात करें तो मैं कहूंगी कि पूरी तरह तो संतुष्ट हम कभी नहीं हो सकते।लेकिन लघुकथा की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर संतुष्टि जरूर होती हैं।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि  की बात करूं तो मैं एक व्यवसायिक परिवार में पली - बढ़ी हूं। साहित्य जगत से हमारा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। लेकिन मेरी रुचि बचपन से ही साहित्य में रही है। मुझे बड़े बड़े साहित्यकारों की रचनाओं  को पढ़ना अच्छा लगता था। फिर धीरे-धीरे लिखना शुरू किया और कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाएं भेजने लगी, साहित्य की ओर मेरा रुझान बढ़ता ही गया। आज कई साहित्य मंचों से जुड़कर मैं सक्रिय और स्वतंत्र लेखन कर रही हूं।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है खासकर मेरे पति जो सदैव मेरी रचना को पढ़ते सुनते हैं और यथासंभव मेरा मार्गदर्शन भी करते हैं । सब के सहयोग के बिना लेखन में समय देना  शायद संभव नहीं होता। अपने पति, बच्चों और अपने पुरे परिवार से मुझे भरपूर सहयोग और सराहना मिलती है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैंने लेखन को कभी आजीविका से जोड़ा ही नहीं। मैं अपनी आत्म संतुष्टि के लिए लिखती हूं और प्रयास करती हूं की मेरे लेखन से समाज में कुछ अच्छा संदेश जाए।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। यह एक लोकप्रिय विधा बन कर उभर रही हैं। आज की दौड़ती भागती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है कि वह लंबी-लंबी कहानियां पढ़ें। ऐसे में लघुकथा को सभी बहुत पसंद करने लगे हैं।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - जी लघुकथा साहित्य से मुझे एक नई पहचान मिली है। देश की कई पत्र-पत्रिकाओं ने ससम्मान मेरी लघुकथाओं को प्रकाशित किया है। मैंने काफी लघुकथाएं लिखी है। मेरा एक लघुकथा संग्रह भी प्रकाशन में है।

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क्रमांक - 015

जन्मतिथि : 04 मार्च 1956
शैक्षणिक योग्यता-एम. ए.,पी-एच.डी.
सम्प्रति :  पूर्व प्राचार्य, शासकीय निर्भयसिंह पटेल विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर

लेखन : -

कहानियां, शोधपरक आलेख ,कविताएं ,व्यंग्य, बाल साहित्य तथा लघुकथा  

प्रकाशित : -

शपथयात्रा (लघुकथा संग्रह), किताबघर, दिल्ली से "लघुकथाओं का पिटारा" प्रकाशित तथा पुरस्कृत।

अनुवादित कृतियां : -

"शपथयात्रा" (100 लघु कथाएं मराठी में )
"लघुत्तम कथांचा गुलदस्ता"(112 लघुकथाएं मराठी में )
" कथांजलि:"(55 लघुकथाएं ,मूल पाठ सहित संस्कृत में )(संस्कृत में अनूदित पहला लघुकथा संग्रह)
"बदलते पैमाने"(117 लघुकथाएं उर्दू में अनूदित)(पाकिस्तान में पढ़ा जा रहा)
"सतरंगी लघुकथाएं"(72 लघुकथाएं सिंधी में )
"डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल दीयां मिन्नी कहाणीयां"(90 लघुकथाएं पंजाबी में )।

संपादन-
"समय का साथी"(काव्य संग्रह)
"समप्रभ"(लघु कथा संकलन)"दैनिक भास्कर",
"अंतरराष्ट्रीय मानस संगम", "वाग्धारा"(लघुकथा विशेषांक)
"रिसर्च 2000","हरिद्रा""काफला इंटरनेशनल"शोध-पत्रिकाओं का संपादन

सम्मान-

- 21वें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में " डॉ परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान" से सम्मानित।
- साहित्य में अविस्मरणीय योगदान के लिए देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित

विशेष : -
लगभग 35 वर्षों से साहित्य लेखन में सक्रिय
लगभग 625 लघुकथाएं प्रकाशित   

पता : 390, सुदामा नगर, अन्नपूर्णा मार्ग, ए सेक्टर, इंदौर, मध्य प्रदेश 452009

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - कथावस्तु। कथावस्तु के बिना कहानी अथवा लघुकथा की कल्पना नहीं की जा सकती। इसका स्थान सर्वोपरि है। कथाविन्यास पर ही तो लघुकथा निर्भर करती है। तथाकथित लेखकों ने बिना कथावस्तु के लिखने की कोशिश की है ,परंतु पाठकों ने उन रचनाओं को अधिक पसंद नहीं किया। कथावस्तु की सुसंबद्धता और कथ्य प्रभावान्विति होना जरूरी है। कथावस्तु मूलतः तीन प्रकार की मानी गई है-मौलिक ,उत्पाद्य और अनूदित। वैसे शोध (सत्य), बोध (कही गई बात) और क्रोध (व्यंग्य) का उचित मेल लघुकथा को श्रेष्ठता प्रदान करता है।


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा  साहित्य में कोई पांच नाम बताइए ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।

उत्तर - वैसे तो लघुकथा की विकास यात्रा में अनेक लेखकों ने अपना योगदान दिया है । कुछ महत्वपूर्ण नाम निम्नानुसार हैं : - सतीशराज पुष्करणा जी, मधुदीप गुप्ता जी, योगराज प्रभाकर जी, सुकेश साहनी जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी आदि।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के लिए कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?

उत्तर - दरअसल लघुकथा, कहानी का छोटा रूप है। बस थोड़े अलग तेवर वाली विधा है। इसमें घटना का वह रूप सामने आता है ,जो कहानी अथवा उपन्यास में नहीं उभर पाता। छोटा फलक होने पर भी ,यह अपने भीतर एक बड़े फलक को छिपाए रखती है। जो लघुकथा अपने अंदर जितना बड़ा फलक छिपाए रखती है, वह उतनी ही श्रेष्ठ मानी जाती है अतः इस बिंदु पर भी ध्यान देना चाहिए। लघुकथा के क्षेत्र में नए नए विचार, कथ्य, शिल्प, प्रयोग होते रहते हैं। उन पर विशेष ध्यान देकर समीक्षा की जानी चाहिए। वैसे इसके तात्विक विवेचन में औत्सुक्य, भाव, वस्तु, शब्द तत्वों को महत्व दिया गया है। नए-नए प्रयोगों के कारण इसमें प्रयोग तत्व को भी जोड़ा गया है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर - टेक्नोलॉजी के संदर्भ में पिछड़ा हुआ हूं। अधिक नहीं जानता। चार, पांच व्हाट्सएप ग्रुप से अवश्य जुड़ा हूं इसलिए मैं इसका परिपूर्ण उत्तर नहीं दे पाऊंगा।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?

उत्तर - यह आज सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। सर्वाधिक पाठक होने के कारण इसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाएं, सम्मान के साथ प्रकाशित कर रही हैं। वह पाठको के साथ तादात्म्य स्थापित कर रही हैं। वह पाठकों के जख्मों में मरहम लगाने का काम कर रही है । उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर रही है।

   इस प्रश्न के उत्तर के लिए यदि हम गहराई में जाते हैं तो पाते हैं कि आज तीन प्रकार की लघुकथाएं दृष्टिगोचर हो रही हैं। एक तो वे लघुकथाकार है ,जो इसके लेखन को बहुत आसान मानकर, इसे वह फैशन की तरह ले रहे हैं। सपाट लेखन कर रहे हैं। वे रिपोर्ताज और लघुकथा  के अंतर को नहीं समझ पा रहे हैं। नए-नए प्रयोगों पर उनका जरा भी विश्वास नहीं है। ना हीं वे लघुकथा के शिल्प पर ध्यान दे रहे हैं और ना हीं लघुकथा की गंभीरता पर। दूसरे प्रकार के लेखक वे हैं जो इनोवेशन के नाम पर विदेशी साहित्य का अंधानुकरण कर लघुकथा के शिल्प को इतना जटिल बना रहे हैं कि आमजन को उसे समझ पाना बहुत कठिन हो रहा है। दरअसल वे अपनी क्लिष्ट रचनाओं से आमजन को लघुकथा से दूर करने का काम कर रहे हैं। उनकी रचनाओं में थोपे गए शिल्प से संप्रेषणीयता को क्षति पहुंच रही। ऐसे लेखक सिर्फ विद्वानों के लिए ही लिख रहे हैं, आमजन से उनका कोई लेना देना नहीं है। वे या तो पुरस्कारों के लिए लिख रहे हैं या अपनी विद्वत्ता के प्रदर्शन के लिए अथवा समूह विशेष को खुश करने के लिए लिख रहे हैं। वे यह समझना ही नहीं चाहते कि साहित्य की रचना जीवन और समाज की रक्षा के लिए की जाती है, लोक कल्याण की भावना को केंद्र में रखकर साहित्य रचा जाता है। मेरा मानना है कि समाज की जरूरत और मांग के आधार पर साहित्य रचा जाता रहा है, तभी साहित्य का अभीष्ट पूरा होता है। आज समाज हमसे सकारात्मक सोच, प्रेरणादाई, संप्रेषणीय  रचनाएं मांग रहा है और तथाकथित लेखक उसे मानसिक व्यायाम करने वाली रचनाएं दे रहे। ऐसे लघुकथाकारों  की तुलना में नीरो से करता हूं। रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजाने में लगा था। तीसरे वे लघुकथा लेखक हैं, जो सरल भाषा में गहराई वाली बात कर रहे हैं। लघुकथा को गंभीरता से ले रहे हैं। वे लघुकथा को समाज की बुराईयों को दूर करने का वाला अस्त्र-शस्त्र मान रहे हैं। वे संप्रेषणीयता  को ध्यान में रखकर , जनजागृति का लक्ष्य लेकर लेखन कर रहे हैं। वह नए-नए समसामयिक विषय तलाश रहे हैं। नए-नए प्रयोग भी कर रहे हैं। जनता जनार्दन को जगाने, उसे प्रेरणा देने का उद्देश्य रखकर लिख रहे हैं। अपनी लघुकथाओं के माध्यम से समाज में वे राष्ट्रीयता का भाव पैदा कर रहे हैं। वे बधाई के पात्र हैं। मेरा आशय यह कदापि नहीं कि हम शिल्प पर ध्यान ही नहीं दें या नए नए प्रयोग  ना करें। आशय यह है कि आमजन को लक्ष्य कर रचनाएं लिखें ,ताकि उनके लिए रचना बौद्धिक व्यायाम सिद्ध न हो सके। संसार में जितने भी महान लेखक हुए हैं उन्होंने आमजन को जगाने के लिए सहज शिल्प का सहारा लिया है। उन्होंने भी इनोवेशन पर ध्यान दिया है। उन्होंने सिर्फ पुरस्कारों के लिए नहीं लिखा और ना ही सिर्फ बुद्धिजीवियों के लिए लिखा। मुंशी प्रेमचंद, टॉलस्टॉय, शेक्सपियर, ईब्शन, थॉमस हार्डी, ओ हेनरी, जेन ऑस्टन, आर के नारायण आदि के नाम सहज ही दिमाग में आ जाते हैं। हमें इन लेखकों को अपना आदर्श बनाना होगा तभी साहित्य के उद्देश्य की पूर्ति होगी और जनता में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न होगी।

              

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?

उत्तर - मेरा मानना है कि समाज को जगाने का जो कार्य स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कविता ने किया था, आज बिगड़ते जा रहे समाज को सुधारने का वही कार्य लघुकथा कर सकती है। आज कविता, चुटकुलेबाजी और अति बौद्धिकता में फंस गई है। इस कारण सर्वप्रिय होने के कारण यह जिम्मेदारी लघुकथा पर आ गई है। लेखकों को केवल पश्चिम देशों से आए आयातित विचारों को त्याग कर, भारतीय संस्कृति के व्यापक तत्वों को स्वीकारना चाहिए। ऐसा ना हो जाए कि शब्द हमारे हों और आत्मा विदेशी।।! तथाकथित लेखकों ने  अपना अपना समूह बना लिया है जिससे लघुकथा विधा को क्षति पहुंच रही है। लेखक समूह और आत्मश्लाघा  में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। राजनीति की तरह वे जीते जी खुद की मूर्ति बनवा कर ,खुद को स्थापित करने में लगे हुए हैं। समीक्षा का हाल यह है कि मैं आपकी प्रशंसा करूं और आप मेरी। लघुकथा को अच्छे समीक्षकों की दरकार है। तथाकथित लेखक प्रयोगों के नाम पर अनर्गल लिख रहे हैं। कुछ ऐसे भी लेखक हैं जो अपनी लघुकथाओं में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग ज़बरदस्ती कर रहे हैं ,जबकि हिंदी एक समृद्ध भाषा है। हां, जिन विदेशी शब्दों को हमने अपना लिया ,उनकी बात अलग है। यूं तो लघुकथाएं बहुत लिखी जा रही हैैं परंतु उनमें जो राष्ट्र की आत्मा नजर आनी चाहिए, वह  नजर नहीं आ रही। यदि लेखक  थोड़ा सावधान हो जाए तो निश्चित तौर पर लघुकथा, कला के उच्च आयामों को स्पर्श करेगी और समाज में स्वस्थ तथा व्यापक मूल्यों को भी स्थापित करेगी।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं? किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?

उत्तर -  मैं मध्यमवर्गीय परिवार से रहा। महाविद्यालय में 'वार्षिक पत्रिका' का संपादन किया। बहुत सारे विद्यार्थियों को साहित्य से जोड़ने की कोशिश की। अनेक विद्यार्थियों को सृजन की प्रेरणा दी ,उनका मार्गदर्शन किया। नए लेखकों को प्रोत्साहन दिया। बहुत सारे साहित्यकारों की पुस्तकों में भूमिका या टिप्पणी लिखी। 30 - 35 वर्षों में ढेरों पुस्तकों का लोकार्पण किया। राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त साहित्यकारों के अभिनंदन ग्रंथ अथवा स्मारिकाओं का संपादन किया। दैनिक भास्कर अखबार में साहित्य संपादन किया। साहित्य कलश मध्य प्रदेश, साहित्यिक  संस्था में महासचिव रहा । तब प्रदेश स्तर का " ईश्वर पार्वती सम्मान "मध्य प्रदेश के लघुकथाकारों की प्रविष्ठियां बुलाकर, समिति द्वारा चयन होने पर, प्रतिवर्ष एक लघुकथाकार को यह सम्मान प्रदान किया। देश के ख्यात 16 लघुकथाकारों की लघुलघुकथाओं का संकलन "समप्रभ" का संपादन किया। अनेक शोध पत्रिकाओं का संपादन किया।


प्रश्न न.8 - आपके लेखन में परिवार की भूमिका क्या है?

उत्तर - परिवार में पिता जी तथा बड़ी बहन एम.ए.हिंदी थे। यद्यपि पिताजी और दीदी ने सृजन तो नहीं किया । परंतु वे अच्छे पाठक जरूर रहे। घर में साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं आती थी। उनसे प्रेरणा पाकर , मैं सृजन करने लगा।


प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उत्तर - महाविद्यालय में हिंदी का प्राध्यापक रहा, प्राचार्य रहा। बुद्धिजीवियों के बीच रहा इसलिए साहित्य सृजन में रत रहने के कारण मुझे उनसे खूब प्रोत्साहन और सम्मान मिला।


प्रश्न न.10 -  आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?

उत्तर -  उज्ज्वल। बस लेखकों से सावधानी अपेक्षित है कि वह अपनी रचनाओं को अति बौद्धिकता या सपाट पन से बचाएं। नए नए प्रयोग करें लेकिन उसे जटिलता से मुक्त रखें अन्यथा जैसे आज कविता चारदीवारी में बंद होकर केवल बुद्धिजीवियों के लिए बौद्धिक विलास बन गई है, वही स्थिति लघुकथा की भी हो जाएगी। लेखकों से निवेदन है कि वे देश की सभ्यता, संस्कृति ,रीति नीतियों, श्रेष्ठ परंपराओं, भावों और विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली लघुकथाओं का सृजन करें ताकि समाज में बदलाव आए और साहित्य के उद्देश्य की पूर्ति हो सके।


प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर - मैंने लोक कल्याण की भावनाओं को ध्यान में रखकर लघु कथाएं लिखने की कोशिश की है। विद्वानों या किसी समूह विशेष को प्रसन्न करने या पुरस्कारों का लक्ष्य लेकर साहित्य नहीं रचा। यश भी प्राप्त हुआ। अनुवादकोंं को मुझे खोजना नहीं पड़ा ,उन्होंने आगे बढ़कर रुचि दिखाई। परिणामस्वरूप मराठी, उर्दू, संस्कृत, सिंधी ,पंजाबी भाषाओं में 6 अनुवादित कृतियां प्रकाशित हुईं। गुजराती और अंग्रेजी में भी अनुवाद का कार्य चल रहा है।

      "किताबघर" दिल्ली जैसे प्रकाशन ने पांडुलिपि मांग कर प्रकाशित की। "अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच" ने " लघुकथाओं का पिटारा " कृति पुरस्कृत की। मंच ने " डॉ परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान " से सम्मानित किया। ईश्वर की कृपा से जो मिला , उससे संतुष्ट हूं।

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क्रमांक - 016

जन्म तिथि:- 4 मार्च 1951
शिक्षा : एम. एस. सी ( जूलोजी ) , बी. एड .

विधा :  कविता , लघुकथा , कहानी , हाइकु  लेखन इत्यादि
सम्प्रति  : स्वतंत्र लेखन

उद्देश्य : समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं विसंगतियों को अपने लेखन से दूर करने का एक छोटा सा प्रयास ।

विदेश यात्रा :-अमेरिका , इंग्लैंड , पेरिस , आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड , नीदरलैंड  आदि

पुस्तकें :-

1 धूप के रंग -कविता संग्रह(2014)
2  छोटी सी आशा - लघुकथा संग्रह (2015)
3   सुरमई उजाला -काव्य संग्रह (2018 )
4  चाहत का आकाश -कविता संग्रह  (2020)
5  शीशे की दीवार -कहानी संग्रह   (2021)
6  पिघलता मन-  कविता संग्रह, 
7  क्षितिज के उजाले -लघुकथा संग्रह (अमेजन किंडल पर )
8  केरल सरकार द्वारा मेरी बाल कहानी 'बिखरते सपने' मलयालम में अनुवादित होकर बाल कहानी संग्रह में प्रकाशित । (2018)
             
प्रसारण : -    
      
जयपुर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारण
             
पुरस्कार एवं  सम्मान:-

- अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर 2015में कविता’आक्रोश’पुरस्कृत                                                  

  - कुमुद टिक्कु लघुकथा प्रतियोगिता  2015 में लघुकथा ’वसीयत’पुरस्कृत    
- म ग स म द्वारा वर्ष 2015 में  लाल बहादुर शास्त्री पुरस्कार
  - अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर 2016 में लघुकथा ’गृह प्रवेश’
    - जगमग दीप ज्योति द्वारा वर्ष 2016 में अ .भा.साहित्यकार सम्मान
- कुमुद टिक्कु कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2016 में कहानी ’आखरी फैसला’ पुरस्कृत
-  शब्द निष्ठा द्वारा कविता के लिये वर्ष 2016 में पुरस्कार
- अ.भा. राष्ट्र समर्पण द्वारा 2017 में बाल कहानी ’अंधेरे कोनों के उजाले " पुरस्कृत
- शब्द निष्ठा लघुकथा प्रतियोगिता वर्ष 2017 में ’बाबूजी का श्राद्ध’ पुरस्कृत
-  कुमुद टिक्कु कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2017 में कहानी ’सोने का कड़ा ’ पुरस्कृत
-  आचार्य महाप्रज्ञ कविता संग्रह में कविता प्रकाशित एवं (ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड)से सम्मानित  ।
           
  पता : 140 , न्यु कालोनी , वाल स्ट्रीट होटल के पास,
एम.आई.रोड., पाँच बत्ती ,  जयपुर - राजस्थान 302001

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

 उत्तर  -  लघुकथा की विषय वस्तु मुख्य है। कथ्य रोचक होना चाहिये। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अन्त ऐसा हो जो सोचने को विवश कर दे ।

 

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

 उत्तर  - लघुकथा साहित्य में असंख्य प्रबुद्ध जन हैं जो दिन-रात इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। किसी एक का नाम लेना मेरे लिये बहुत कठिन है। उनमें से कुछ हैं : -

सतीशराज पुष्करणा जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, डॉ. उमेश महादोषी जी ,सुकेश साहनी जी ,शकुन्तला किरण जी आदि  ।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - 1 लघु में विराटता के दर्शन कराती हो,

          2 कथ्य रुचिकर एवं संदेश परक हो,

          3 अंत प्रभावशाली हो,

          4 भाषा सरल,सहज एवं समृद्ध हो,

         5 वर्तनी में त्रुटियाँ ना हों ।

         

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर है ?

उत्तर - इस आधुनिक युग में ई-पत्रिका, वाट्स-एप ग्रुप एवं जूम मीटिंग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

 उत्तर - आज के साहित्य परिवेश में लघुकथा बहुत लोकप्रिय हो रही है। लघु रूप एवं रुचिकर होने की वजह    से पाठक इसे तुरंत पढ़ लेना चाहता है।

 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

 उत्तर - जी हाँ। लघु होते हुए भी लघुकथा ने वर्तमान साहित्य जगत में अपना योगदान दिया है और अपना आधिपत्य जमा लिया है।

 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मेरे पिताजी प्रसिद्ध चिकित्सक थे,माँ मेरी हिन्दी प्रेमी रहीं। मैं विज्ञान की विद्यार्थी थी । मैनें विज्ञान विषय में ही शिक्षण किया । मैंने सदा ही अपने लेखन से कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया है । चाहती हूँ कि अपने लेखन से लोगों में जागरुकता फैलाने की और ,अँधेरे से उजाले की ओर ले जाने का कार्य , मैं करती रहूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मुझे परिवार से पूरा पूरा सहयोग मिला । इस नये जमाने में नयी तकनीकी सहायता और  कम्पयूटर मुझे  परिवार में अपने पति एवं बच्चों से सीखने को मिला ।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लेखन का आजीविका से कोई  संबंध नहीं है । मेरा लेखन तो स्वांत:सुखाय ही है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा अपने आप में एक सशक्त विधा है। यह लघु में विराटता को उजागर करती है ,अत: इसका भविष्य उज्जवल दिखायी दे रहा है ।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - मैं तो इतना ही कहना चाहती हूँ कि लघुकथा साहित्य से मुझे मन का सुख तो मिला ही साथ ही मैंने कथा वस्तु का मंथन करना और उसे कम शब्दों में लिखना / पढ़ना भी सीखा ।

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क्रमांक - 017

              जन्म तिथि  : 9 नवम्बर , 1951 

जन्म स्थान :जगाधरी (यमुना नगर - हरियाणा )                                                    
पिता  : स्वर्गीय  श्री मोहन लाल
माता :  स्वर्गीय  श्रीमति धर्मवन्ती ( जमनी बाई )
गुरुदेव : स्वर्गीय  श्री सेवक वात्स्यायन ( कानपुर विश्वविद्यालय )                                                                                                                                            
पत्नी  : श्रीमती  कृष्णा कुमारी                                
शिक्षा  : स्नातकोत्तर ( प्राणी - विज्ञान ) कानपुर 
            बी . एड . ( हिसार - हरियाणा )
           
लेखन विधा  : -
लघुकथा , कहानी , बाल  - कथा ,  कविता , बाल - कविता , पत्र - लेखन , डायरी - लेखन , सामयिक विषय आदि

आजीविका  :
शिक्षा निदेशालय , दिल्ली के अंतर्गत 32 वर्ष तक जीव - विज्ञानं के प्रवक्ता पद पर कार्य करने के पश्चात नवम्बर  2013 में  अवकाश प्राप्ति : (अब तक के लेखन से सन्तोष )

पुस्तकें : -

- आज़ादी ( लघुकथा - संगृह – 1999    )
- विष - कन्या   ( लघुकथा – संगृह 2008 )
-   तीसरा पैग   ( लघुकथा – संगृह 2014)
-  बन्धन - मुक्त तथा अन्य कहानियां  ( कहानी – संगृह 2006) 
- मेरे देश कि बात ( कविता - संगृह  2006) 
- सपने और पेड़ से टूटे पत्ते  ( कविता - संगृह  2019)     
- बर्थ -  डे , नन्हें चाचा का ( बाल -  कथा - संगृह  2014)  - उतरन ( लघुकथा – संगृह 2019 ) ,
- सफर एक यात्रा ( लघुकथा – संगृह 2020 )
-  मुमताज तथा अन्य कहानियां  ( कहानी – संगृह 2021) - रुखसाना ( इ -  लघुकथा – संग्रह 2019 ) 

- शंकर की वापसी ( इ -  लघुकथा – संग्रह 2019 )                    


सम्पादन पुस्तकें   : -
        
- तैरते - पत्थर  डूबते कागज़ (लघुकथा - संगृह - 2001)   
- दरकते किनारे (   लघुकथा - संगृह – 2002 )  ,
- अपूर्णा  तथा अन्य कहानियां  ( कहानी - संगृह - 2004)
- इकरा एक संघर्ष ( लघुकथा - संगृह – 2021 )
        
पुरूस्कार : - 
1 . हिंदी अकादमी ( दिल्ली ) , दैनिक हिंदुस्तान ( दिल्ली ) से  पुरुस्कृत
2 . भगवती - प्रसाद न्यास , गाज़ियाबाद से कहानी बिटिया  पुरुस्कृत
  3 . " अनुराग सेवा संस्थान " लाल - सोट ( दौसा - राजस्थान ) द्वारा लघुकथा – संगृह ”विष कन्या“  को वर्ष – 2009 में सम्मान
  4. स्वर्गीय गोपाल प्रसाद पाखंला स्मृति -  साहित्य सम्मान

विशेष : -
- प्रथम प्रकाशित रचना :  कहानी  " लाखों रूपये " क्राईस चर्च कालेज पत्रिका - कानपुर ( वर्ष –1971 ) में प्रकाशित
-  मृग मरीचिका  ( लघुकथा एवं काव्य पर आधारित अनियमित पत्रिका वर्ष 2015 से सम्पादन )
                                                                       पता : 

डी-184, श्याम आर्क एक्सटेंशन,

 साहिबाबाद -201005 उत्तरप्रदेश  

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

 उत्तर : उसका कथ्य  अर्थात विषय वस्तु , उसका प्रस्तुतिकरण एवं शब्दों का चुनाव। 


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर : कोई एक नहीं , ढेर सारे नाम है , जो  अपने - अपने ढंग से इस विधा को स्थापित एवं समृद्ध कर रहे हैं। , फिर भी   बीजेन्द्र जैमिनी जी , बलराम अग्रवाल जी ,योगराज प्रभाकर जी एवं कमल चोपड़ा जी  का नाम केवल इसलिए लेना चाहूंगा क्योंकि वे साहित्य की इस विधा में  निःस्वार्थ भाव और पूरी लगन के साथ लघुकथा विधा को समृद्ध करने में लगे हैं । इतना ही नहीं वे  ढेर सारे नए हस्ताक्षरों को भी इस विधा में लेकर आये हैं। साथ ही  स्वर्गीय जगदीश कश्यप जी को भी याद करूँगा जिन्होंने पहली बार मुझे एहसास करवाया कि मैं भी लघुकथा का एक सिपाही बन सकता हूँ।   


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?   

उत्तर : मैं लघुकथा को किसी प्रकोष्ठ में कैद करने में विश्वास नहीं करता।  कम शब्दों में यदि लघुकथा एक सामान्य  पाठक की संवेदनाओं को स्पर्श कर लेती है तो वही उस लघुकथा विशेष का उदेश्य पूरा कर देती है। 


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर : सभी के अपने - अपने पाठक हैं , इसलिए सभी का अपना महत्व है। साहित्य का  सामान्य पाठक तक पहुंचना आवश्यक है। डिजिटल  माध्यम  यह कार्य अच्छे ढंग से कर रहा  है।  


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर : लघुकथाओं मेँ गंभीर तत्वों  के साथ , सर्वकालिक  विषयों  का अभाव  है।  राष्ट्र - चिंतन  को लेकर भी कम लघुकथाएं लिखी जा रही हैं। देश को  मजहबी कट्टरवाद ने घेर रखा है और इस पर रचनाये कम देखने को मिलती हैं तो असुविधा होती है।   


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर : हाँ , यह विधा निरंतर प्रगति पर है और सामान्य पाठक इन्हें पढ़ना भी चाहता है। 


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर : एक अति सामान्य परिवार , जिसमें सह्त्यिक रूचि या लेखन से कभी कोई जुड़ाव्  नहीं था। सामान्य पाठक मेरी रचनाओं को पढ़कर जब अपनी प्रतिक्रिया  देता है , तब संतोष का अनुभव  होता है।   


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर :   कुछ भी नहीं। हाँ , माँ - पिता का आभारी आवश्य हूँ कि उन्हीं  के माध्यम से मुझे लेखन की क्षमता ईश्वर ने दी। लेखन को मैं एक नैसर्गिक गुण मानता हूँ जो हमारे गुणसूत्रों में होता है और गुणसूत्र हमें माँ - पिता से मिलते हैं।   


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर : स्वांत सुखाय , लेखन से कोई आय नहीं , निवेश आवश्य होता है।   


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर : लघुकथा  साहित्य  का भविष्य उज्जवल है।  खूब अपनाया  जायेगा इस विधा को। संख्या होगी तो गुणवत्ता  भी निकलेगी।  निकल भी रही है। तेजी  से भागते समय में लोगों के पास समय का अभाव है , इसलिए  पाठक लघुकथाओं को पढ़ते हैं और स्तरीय लघुकथाओं को सराहते भी हैं । इसलिए लघुकथा के भविष्य को लेकर आश्वस्त हूँ।   


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर : आत्म संतोष , रूचि का पोषण , मानसिक सुख ईश्वर ने जो सामर्थ्य बक्शी , उसके प्रति आभार की अभ्व्यक्ति।  

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क्रमांक - 018

जन्म तिथि- 28 दिसम्बर 
जन्म स्थान : गया - बिहार
शिक्षा : एम ए (हिन्दी ) पी एच डी
पति -श्री एच एन  देवा
भारतीय पुलिस सेवा (सेवानिवृत्त )

अभिरूचि: -
कहानी लेखन, लघुकथा,कविता,आलेख, संस्मरण इत्यादि। 
समान्य अभिरूचि--गाना सुनना,पाक कला,देश-विदेश भ्रमण, बागवानी,किताबे पढना, ड्राइविंग। साहित्यिक एवं सामाजिक गोष्ठी में सक्रियता।

प्रकाशित रचनाएं :-
साझा संग्रह, संरचना, सिटी फ्रटं, एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं  में।

सम्मान : -
जैमिनी अकादमी द्वारा नेता सुभाष चंद्र बोस स्मृति सम्मान 2020 , गोस्वामी तुलसीदास सम्मान 2020, 
एक सौ एक साहित्यकार : 2020 रत्न सम्मान , 
 भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा  माधवराव सप्रे की जयंति पर लघुकथा दिवस रत्न सम्मान 2020 
लेख्य मंजूषा, जागरण संगिनी क्लब (सावन सौन्दर्य  प्रतियोगिता,में द्वितीय) द्वारा विभिन्न प्रकार के सम्मान प्राप्त। अंताक्षरी में राज्य स्तरीय विजेता (द्वितीय स्थान )

अन्य : -
फिलहाल वर्चुअल संगोष्ठी में लगातार पठन- पाठन में सक्रियता ।डी डी बिहार के कार्यक्रम में आमंत्रित " एक मुठ्ठी धूप " में लाइव वार्ता। 
रेनबो संस्था में बच्चों के उत्थान हेतु समय- समय पर  सक्रिय योगदान।
 दृष्टिहीन बालिका विद्यालय में कुमरार में भी सक्रिय  योगदान। 

 पता : - 
श्री एच एन  देवा
ए/201 , एस बी रेसीडेंसी 
पिलर न0  -70 ,शेखपुरा  , पटना - 14 बिहार
प्रश्न न.१ - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य कौन सा है? 
उत्तर - शीर्षक, कथ्य और सकारात्मक संदेश मेरे विचार से।

प्रश्न न.२ - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताए ?  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है? 
उत्तर -  वैसे तो बहुत सारे लोग हैं,  लेकिन  पाँच हीं नाम लिखना है तो,  डाॅ  सतीश राज पुषकरणा पितामह स्वरूप लघुकथा के,  बीजेन्द्र जैमिनी (आप) , मधुदीप गुप्ता, योगराज प्रभाकर,  डाॅ धुव्र कुमार।

प्रश्न न.३ - लघुकथा की  समीक्षा के कौन- कौन से मापदंड होने चाहिए? 
उत्तर - सरल, सहज, नयापन, शिल्प शैली का ताल-मेल सही होना, अंत में पढ़ कर वाह या सोचने पर बाध्य जो कर दे। सटीक शीर्षक अतिआवश्यक पहलू है।

प्रश्न न. ४ - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन- कौन  से प्लेटफार्म  बहुत ही महत्वपूर्ण है? 
उत्तर - फेसबुक,  वाटसअप एप, ब्लाग, ई पुस्तकें, भारतीय लघुकथा विकास मंच,  लघुकथा के परिन्दे, कथा दर्पण साहित्य मंच। 

प्रश्न न.५ - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है? 
उत्तर - बहुत आशाजनक है, निरन्तर विकास पथ पर है। इसलिए उम्मीद है आज से बेहतर कल होगा ही। 

प्रश्न न.६ - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं? 
उत्तर - निरन्तर सफलता के प्रदान पर  लघुकथा अग्रसर है, लेकिन अभी और भी ऊंचाईयों और बुलन्दियो पर लघुकथा  का परचम लहराना बाकी है। फिर भी पहले से बहुत बेहतर स्थिति में लघुकथा है इसलिए सन्तुष्ट  नहीं पर खुश अवश्य हूँ। 

पश्न न.७ - आप किस प्रकार के पृष्टभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं? 
उत्तर - मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता प्रशासनिक  विभाग में कार्यरत थे। हम सब पाँच  भाई- बहन  हैं। शिक्षा और लेखनी के बल पर हीं हमारा वर्ग निर्भर करता है। लिखने की रूचि बचपन से हीं थी लेकिन सारी जिम्मेवारी निभाते हुए समयाभाव रहा।  अब अपने इस शौक को मैं बखुबी निभाने की कोशिश में सतत प्रयासरत हूँ।  अच्छी लघुकथा में छिपे संदेश निश्चित रूप से मार्गदर्शक स्वरूप होते हैं। जिसके लिए मैं सजग हूँ। 

प्रश्न न.८ - आपके लेखन में ,आपके परिवार की भूमिका क्या है? 
उत्तर - किसी भी कार्य की सफलता का आधार उसका परिवार हीं होता है। मेरी शादी जल्दी हो गई थी। मेरे पतिदेव एक ( एक्स आई ए एस) बाद में पुलिस सेवा (आई पी एस) हैं।  मैंने शादी के बाद स्नातक, स्नातकोत्तर और पी0एच0 डी0 भी किया।  जिसका सारा श्रेय मेरे पतिदेव को जाता है। उन्होंने सदैव मेरी पढ़ने की इच्छा का मान रखा और मुझे सहयोग दिया। पढ़ाई का असर तो मेरी लेखनी  पर आना ही था। मेरी माँ मुझे डाक्टर बनाना चाहती थीं। माँ की आकस्मिक मृत्यु  बचपन में हीं हो गई थी। मैं डाक्टर (चिकित्सक) तो ना बन पाई,  लेकिन नाम के आगे डाक्टर की उपाधि लगना मुझे लगता है कि अपनी माँ  की इच्छा को कुछ हद तक साकार कर पाने में सफल रही।

पश्न न.९ - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका मेरी 'लेखनी ' तो नहीं है लेकिन इससे मिली संतुष्टि और खुशी अनमोल और अमूल्य है। पर हाॅ एक बार अखबार में छपी और बिहार दूरदर्शन पर मेरी लाइव प्रसारण से प्राप्त राशि  बहुत प्रिय है और आनन्दित करती है।

पश्न न.१० - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - जब आज अच्छा है तो कल और भी अच्छा हीं होगा ऐसा मेरा विश्वास है। लघुकथा संक्षिप्त और संदेशातमक और लघु स्वरूप में होने के कारण काफी रोचक लगता है। आज समयाभाव के कारण इसका लघु स्वरूप निश्चित  हीं  सभी को आकर्षित करता है। उपन्यास और लम्बी कहानियां लोग कम पढ़ना चाहते हैं।समयाभाव के कारण,  इसलिए लघुकथा "गागर में सागर" सरीखा है। 

पश्न न.११- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है? 
उत्तर - एक नयी विधा की जानकारी हुई। कम समय में सुन्दर सारगर्भित कथानक सुन्दर शीर्षक और असीम अर्थ समेटे एक झटके में या एक पंच में , जैसे सिनेमा समाप्त जैसी अनुभूति होती है। आत्मिक सुखद अनूभति प्रदान करती है लघुकथा मुझे। मेरा मनोविज्ञान  और हिन्दी विषय रहा है। अतः उस नजरिए से भी लघुकथा मुझे काफी बार कुछ सोचने और समझने को प्रेरित करती है।
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क्रमांक - 019
जन्म : 10 दिसंबर 1967 , शाहदरा - दिल्ली
शिक्षा : स्नातक
सम्प्रति : एक निजी कंपनी में कनिष्ठ प्रबंधक

लेखन विधा : लघुकथा, कहानी, आलेख, समीक्षा

प्रकाशित संग्रह :-

एक लघु संग्रह 'दिन अभी ढला नहीं' (2021,जन लघुकथा साहित्य समूह, नवीन शाहदरा दिल्ली द्वारा)

भागीदारी के स्तर पर कुछ प्रमुख संकलन :-
'बूँद बूँद सागर’ 2016,
‘अपने अपने क्षितिज’ 2017,
‘लघुकथा अनवरत सत्र 2’ 2017,
‘सपने बुनते हुये’ 2017,
‘भाषा सहोदरी लघुकथा’ 2017,
'स्त्री–पुरुषों की संबंधों की लघुकथाएं’ 2018,
‘नई सदी की धमक’ 2018,
'लघुकथा मंजूषा’ 2019,
‘समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019

लघुकथा -2019 ( ई- लघुकथा संकलन )

जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019

साहित्य क्षेत्र में पुरस्कार / सम्मान :-
पहचान समूह  द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा’ प्रतियोगिता (२०१६) में प्रथम स्थान।
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथ मंच द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता (२०१७) में ‘लघुकथा स्वर्ण सम्मान’।
मातृभारती डॉट कॉम  द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता (२०१८) ‘जेम्स ऑफ इंडिया’ में प्रथम विजेता। 
प्रणेता साहित्य संस्थान एवं के बी एस प्रकाशन द्वारा आयोजित “श्रीमति एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान” 2018 (कहानी प्रतियोगिता) और 2019 (लघुकथा प्रतियोगिता) में प्रथम विजेता।

जैमिनी अकादमी द्वारा 24 वी अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2018 में सात्वना पुरस्कार

पता :
एफ - 62 , फ्लैट नं - 8 , गली नं - 7, मंगल बाजार के पास , लक्ष्मी नगर , दिल्ली - 110092

 प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - निःसन्देह लघुकथा में कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि एक सशक्त कथ्य का केंद्रीय भाव ही लघुकथा को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाता है, बाकी सभी 'चीजें' को तो श्रृंगार के तौर पर देखा जा सकता है जो किसी भी लघुकथा की साज-सज्जा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री सुकेश साहनी, उमेश महादोषी , बीजेन्द्र जैमिनी और भगीरथ परिहार के साथ कांता रॉय ! ये वो नाम है जिनकी समकालीन लघुकथा में भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - प्रभावी कथ्य, भाषा का चुनाव, लेखन शैली और रचना की कसावट पर एक समीक्षक द्वारा अवश्य गौर किया जाना चाहिए। 

प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - वैसे तो सोशल मीडिया में फेसबुक समूह भी एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका है, लेकिन मैं इनकी अपेक्षा 'ओपन बुक्स ऑनलाइन' जैसे मंच और 'लघुकथा वार्ता' जैसे ब्लॉगस को लघुकथा साहित्य के भविष्य के लिए अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मुझे लगता है आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक ऐसे पायदान पर खड़ी है, जहां पर इसकी चर्चा ने भविष्य के प्रति बहुत अधिक आशाएं जगा दी हैं, और हमारी आज की पीढ़ी उन आशाओं को पूरा करने के लिए तत्परता से प्रयासरत है। रास्ता अभी लंबा है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - शायद नहीं ! मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भले ही बीते दशक में लघुकथा ने बहुत लोकप्रियता 
अर्जित की है, लेकिन शायद हम विधा में गुणवत्ता के स्तर पर उतना सर्वश्रेष्ठ योगदान नहीं कर पाए हैं; जितना हमारे वरिष्ठजनों ने दिया है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं सामान्य वर्ग और मध्यम शैक्षिक पृष्ठभूमि से हूँ और हमेशा इस बात का प्रयास करता हूँ कि पठन-पाठन के स्तर पर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकूं। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - यदि प्रत्यक्ष में देखा जाए, तो मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका न के बराबर है। लेकिन अप्रत्यक्ष में उनके द्वारा दिया गया समय और सहयोग काफी मायने रखता है। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - बतौर आजीविका लेखन को पर्याय मानने वालों की संख्या हमेशा नगण्य ही रही है। मेरी आजीविका और लेखन दोनों की स्थिति इस संदर्भ में पूरी तरह विपरीत धुरी पर हैं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है और आने वाले वर्षों में कहानी का पर्याय यही विधा बनेगी, ऐसा मुझे लगता है। भले ही सोशल मीडिया पर इसका दायरा निकट भविष्य में सीमित होता दिखाई दे रहा है।

प्रश्न न.11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा में एक पुख़्ता पहचान और विधा के समृद्ध अतीत काल की जानकारी सहित विधा की बारीकियां सीखने को मिली। और ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है।
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क्रमांक - 020
 जन्म स्थान : कफारा , लखीमपुर खीरी - उत्तर प्रदेश
पिता का नाम : स्व० डॉ० देव व्रत दीक्षित ( स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवम राष्ट्रीय कवि )
पति का नाम :  स्व० श्री अनिल शुक्ल ( प्रधान संपादक राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचर पत्र )
माता का नाम : स्व श्रीमती प्रभावती दीक्षित
सन्तान : कुलदीप शुक्ल ,दुर्गमा शुक्ला
शिक्षा : Msc ,  B ed,   LLB, Btc  
सम्प्रति :  शाषकीय शिक्षिका बहराइच  उत्तर प्रदेश( बेसिक शिक्षा परिषद )

विधा :  लेख, कविता ,नज़्म ,ग़ज़ल, तराना, संस्मरण ,कहानी ,गीत  क्षणिका, रूबाई ,निबंध ,बाल कथा ,बाल कविता ,लेख ,आलेख , वृतान्त लोक गीत ,एकांकी आदि का लेखन 

प्रकाशित पुस्तके : - 

 मेरे बापू ,
 तुम हो गुरूर मेरे ,
 जीवन धारा

सम्मान : -

1 अटल रत्न सम्मान 
2,गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान
3 जनचेतना अक्षर सम्मान
 4 प्रतिभाग  प्रतिष्ठा सम्मान 
5 हिन्दी साहित्य संगम प्रशस्ति पत्र 
 6  साहित्य साधक सम्मान 
7 अरुणिमा स्मृति सम्मान 
8 गुरु गौरव सम्मान
9 श्री राम कृष्ण कला सम्मान
10 मुंशी प्रेम चन्द स्मृति सम्मान
11 गोस्वामी तुलसीदास सम्मान
12 अभिव्यक्ति रत्न सम्मान
13 काव्य रंगोली भारत गौरव सम्मान
14 हिन्द गौरव सम्मान
15 भारत विभूति सम्मान
     आदि विभिन्न सम्मान प्राप्त
     
विशेष : -
- वॉलीवुड फिल्म के लिए भी गीत व पठकथा  लिखी 

पता : ई -3423 , राजाजीपुरम , लखनऊ - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - सन्देश पूर्ण कथ्य  है सबसे महत्वपूर्ण ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी ने लघुकथा साहित्य को उत्कृष्ट मुकाम दिया है । श्री सतेंद्र शर्मा तरंग जी , डॉ अनिल शर्मा अनिल जी , श्री हरि शंकर परसाई जी ,  श्रीमती चित्रा मुदगल जी ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - सन्देशप्रद एवम सुरुचिपूर्ण कथानक जो दिल पर छाप छोड़ दे ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आजकल तो सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म है जो साहित्यकारों के उद्देश्यप्राप्ति के लिए वरदान साबित हुए हैं जैसे फेसबुक, गूगल  ,व्हाट्सअप  आदि । इन माध्यमो ने  साहित्यजगत में नवचेतना व क्रांति ला दी है ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज लघुकथा साहित्य व्यापक रूप ले रहा है । लघुकथाओं की तर्ज पर अब भारतीय फिल्म जगत में शॉर्ट फिल्में भी बहुत तेजी से बन रही हैं ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल सन्तुष्ट हूँ क्योंकि अब पाठको की रुचि  समय की कमी के चलते  बड़ी कहानियो व उपन्यास के बजाय लघुकथा पढ़ने में ज्यादा हो रही है तो एक लेखिका होने के नाते सन्तुष्ट होना स्वाभाविक भी है  ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर  - मैं एक साहित्यिक पृष्ठभूमि से हूँ ,मेरे दादा स्व पण्डित पुत्तू लाल दीक्षित अरबी और फ़ारसी के शायर थे व मेरे पिता जी स्व डॉ देवव्रत दीक्षित संस्कृत ,हिंदी व उर्दू के महान कवि थे जिन्होंने सात हजार शिखरिणी श्लोकों से रामायण के रचना की ,साथ ही सत्याग्रह के क्रांतिकारी भी थे । जिन्होंने अपनी वीररस की कविताओं के माध्यम से क्रांति की मशाल  की ज्वाला जला रहे थे । मेरे पति स्व श्री अनिल शुक्ल भी श्रंगार रस के गीतकार  थे ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरी माँ स्व श्रीमती प्रभावती दीक्षित व पिताजी स्व डॉ देवव्रत दीक्षित मेरे प्रेरणा स्रोत थे । उन्होंने हमेशा मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया । मेरे भाईबहनों  व पति ने भी मेरी कवितायें रुचि से सदैव सुनी व मेरी प्रशंसा भी की ,  कमियां  बताकर सुधार भी करवाया । वर्तमान में मेरे बच्चे कुलदीप व दुर्गमा मुझे निरन्तर कुछ नया लिखने को प्रोत्साहित करते रहते हैं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर -  मैंने जब से एक कहानीकार व स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार के रूप में  इंडियन फ़िल्म इंड्रस्ट्री जॉइन की है  तब से  लेखन के जरिये कुछ कमाई भी होने लगी है । 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - पहले से बेहतर हो रही है लघुकथा साहित्य की स्थिति ,पाठकों की संख्या में  इज़ाफ़ा हो रहा है । नए नए लेखक भी सामने आ रहे हैं ।
 
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य से मुझे एक लेखिका होने के नाते आत्म सन्तुष्टि मिली है ,कि मैं लधुकथा के माध्यम से  समाज को कोई सार्थक व सकारात्मक संदेश देने में सफल हो रही हूँ । इसके साथ ही साहित्य जगत में मेरी ख्याति भी  हो रही है । लघुकथा लेखन से प्रोत्साहित होकर ही मैं शॉर्ट फिल्में भी लिख रही हूँ ।
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क्रमांक - 021
जन्मस्थान : रतनगढ़ 
जन्मतिथि : 15 नवम्बर
शिक्षा : एम ए, बी एड बनस्थली विद्यापीठ
व्यवसाय : -
पति के व्यवसाय में सहयोग व गृह संचालन

विधाएं : -
लघुकथा,कहानी ,आलेख, संस्मरण इत्यादि

सम्मान : -

-  प्रतिलिपि द्वारा आयोजित ' प्रतिलिपि पर्यावरण सम्मान, में  रचना "अवलम्बन " को तृतीय पुरस्कार मिला।
- श्रीमती कांता रॉय जी द्वारा आयोजित लघुकथा अधिवेशन दिल्ली में " लघुकथा श्री " से नवाजा गया 
-  श्रीमति कृष्णा  स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता में रचना " समर्पण " प्रथम स्थान के लिए पुरस्कृत हुई।
- सोशल मीडिया पर विभिन्न समूहों द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में  कई बार विजेता।

विशेष : -

-  बीजेन्द्र जैमिनी जी द्वारा सम्पादित " हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार " ( ई - लघुकथा संकलन )  ऑनलाइन प्रकाशित 101 लघुकथाकारों की 1111 लघुकथाओं में 11 लघुकथाओं को स्थान प्राप्त।
-  राष्टीय स्तर समाचार पत्र- राजस्थान पत्रिका , दैनिक भास्कर। क्षेत्रिय- युग पक्ष, जनसंसार आदि
- ऑन लाइन पत्र पत्रिकाएं- एम पी मीडिया पोर्टल, चिकिर्षा, जय विजय , मुस्कान एक एहसास, प्रखर गूंज, रचनाकार ,सुदर्शनिका आदि
- -विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में ,कहानी ,आलेख व लघुकथाएं प्रकाशित  लघुकथा कलश ,अविराम साहित्यिकी,गृह स्वामिनी,शैक्षिक-दखल,  किस्सा कोताह,सहित्यनामा आदि प्रमुख हैं।

पता : बी 305 राजमोती 2 छरवाड़ा रोड
        पो.ओ.वापी जिला वलसाड - गुजरात
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा, शब्द सुनते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है क्योंकि यह वह विधा है जिसे लिखने की चाह हर लेखक की होती है और यह मेरी खुशनसीबी है कि लघुकथा लेखन  मेरी पसंदीदा विधा है। जब बात आती है इसके मुख्य तत्व की तो सबसे प्रमुख तत्व  'कथ्य' मानती हूँ। क्योंकि जब तक आपका कथ्य स्पष्ट नहीं होता आपका कथानक ,शीर्षक या पंचलाइन कोई भी मारक नहीं बन सकता। इसलिए लघुकथा को लिखने से पहले लेखक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह कहना क्या चाहता है। जब यह उसके दिमाग मे स्पश्ग तौर पर अंकित होगा तब उसके कथानक चुनाव में आसानी होगी।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - मेरे लिए  इतने कम नाम लेना मुश्किल काम होगा क्योंकि पिछले तीन सालों के लेखन में मैंने अनेकों उत्कृष्ट लेखकों को पढ़ा,समझा और उनसे सीखा है फिर भी जब नाम बताने है तो  श्री मधुदीप गुप्ता , योगराज जी प्रभाकर, बीजेन्द्र जैमिनी जी, कान्ता राय जी , सुकेश साहनी जी आदि ऐसे नाम हैं जो लघुकथा के पर्याय माने जा सकते हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - बात समीक्षा की आए तब सबसे पहली नजर जाती है ,कथ्य पर , कथ्य को प्रस्तुत करने के लिए कथानक का चुनाव कितना सही है कितना गलत।यह बात लघुकथा को बहुत मजबूत या कमजोर बना सकती है। कथानक  स्पष्ट है तब इसमें पंच लाइन को देखना चाहिए कि वह किस प्रकार प्रयुक्त हुई है जिससे कथ्य स्पष्ट हो और कथानक प्रभावशाली बने। इन सबके बाद शीर्षक को देखना चाहिए कि उस शीर्षक में इस कथा का सार है या नहीं। शीर्षक ही ऐसा होता है जो कई बार पूरी कथा का सार कह जाता है। इन सबकी मजबूती से कथा प्रभावोत्पादक बनती है जिन्हें हर समीक्षक को ध्यान में रखना चाहिए लघुकथा जनसामान्य को उद्देलित करने में सक्षम है या केवल खाना पूर्ति ही हुई है क्योंकि कई बार लेखक अपने मन की भड़ास निकालने के लिए लघुकथा लेखन करते है लेकिन वह केवल ब्लॉग साबित होकर रह जाती है।  कुछ लघुकथाएं  ऐसी घटनाएं होती हैं जो अक्षरशः घटित हुई वैसे ही लिख दी जाती है। यह सब लघुकथा लेखन का हिस्सा नही बनना चाहिए इसलिए समीक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि जब उसके आगे लघुकथा आए तब उसे सहज सरल व ग्राह्य रूप से आम या विशिष्ट पाठक को गहराई तक सोचने पर मजबूर करती हों ऐसी कथाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बीजेंद्र जैमिनी जी का ब्लॉग , लघुकथा के परिंदे आदि ऐसे नाम हैं जो हर लेखक को लिखने का सुकून देने के साथ पढ़ने में भी रुचि जागृत करते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्य समय अनुसार हमेशा खुद में बदलाव लाता हुआ आगे बढ़ा है और ऐसे ही परिवर्तन की लहर के साथ बढ़ता रहेगा। आज के दौर में देखे तो सच में लघुकथा ने अपनी एक विशिष्ट जगह बना ली है। आज का व्यक्ति इतना व्यस्त हो चुका है कि कहानी या उपन्यास पढ़ने का उसके पास समय नही होता लेकिन  लघुकथा को वह अनदेखा करके कभी नहीं निकलता। चाहे वह एक सरसरी नजर से ही उसे पढ़े , पढ़ता अवश्य है और जब लघुकथा मारक होती है तब वह उसी में डूब जाता है।  दैनिक जीवन मे हम पाते है कि काफी लघुकथाएं ऐसी होती हैं जो जनमानस को उनके जीवन से जुड़ी हुई लगती हैं। 
विसंगतियों से भरी हुई लघुकथाएं हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर करती हैं। समाज मे फैली विद्रूपता को भी वह दर्शाती प्रतीत होती हैं लेकिन आदर्शवादी लघुकथाओं को कमी खलती है।  उन्हें बोधकथाओ का रूप दे दिया जाता है। क्या सच में समाज को आदर्शवाद व नैतिकता की आवश्यकता नहीं रह गई है?   जब हम बड़े मूल्य स्थापित करने वाली लघुकथाओं को लिखे तो यह कह कर नकार दी जाती हैं कि यह वास्तविकता से दूर है या ऐसा होना सम्भव नहीं है। इस सोच में बदलाव की आवश्यकता है।
फिर भी बहुत सी  लघुकथाएं इतनी मारक क्षमता वाली होती हैं कि हर व्यक्ति उन्हें खुद की जिंदगी से जोड़ता हुआ महसूस करता है व काफी दिनों तक उसी में डूबा रहता है। इसलिए मेरा मानना है कि लघुकथा एक ऊंचाई को प्राप्त करती जा रही है। यदि सभी मिलजुलकर काम करें तो लघुकथा बहुत आगे जाएगी।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा अपने पूरे शबाव पर है। 
इस सोशल मीडिया ने हर किसी को कलम चलाने के लिए प्रेरित किया है। मैं यह नहीं कह रही कि सभी अच्छे लेखक या लेखिकाएं ही हैं लेकिन उस भीड़ में भी कई बहुत ही प्रतिभावान लेखक लेखिकाएं  उभर कर आएं हैं जिनकी लघुकथाएं समाज की विअंगतियो पर जबरदस्त प्रहार करती हुई हैं और उन्ही में से कोई न कोई कालजयी रचना भी निकल आती है। दूसरी ओर जगह जगह समूह राजनीति के शिकार लोगो से लघुकथा लेखन को हानि हो रही है।  नवोदित लेखक , जिसने बहुत उत्कृष्ट रचना रची हो लेकिन उसकी कथाओं पर टिप्पणी करने कोई भी प्रतिष्ठित साहित्यकार नहीं आते। या तो उनकी हेठी होती है या वह किसी का अच्छा लेखन बर्दाश्त नहीं कर सकते। कम से कम साहित्य को  इस समूहबाजी व चापलूसी से दूर रखना चाहिए।
 
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार से हूं जहाँ केवल जरूरतें पूरी की जाती थीं लेकिन किताबो पर हमेशा पैसा खर्च किया जाता था। हमारे घर में पापा के लाये ही उपन्यास मैंने बचपन से ही पढ़ने शुरू कर दिए थे फिर कॉलेज तक यह सिलसिला चलता रहा। मैं और मेरे भाई ने देवकीनंदन खत्री के उपन्यास रात रात भर जागकर  पढ़े थे। मैंने धार्मिक पुस्तकें ज़्यादा पढ़ी है जिनका असर कभी- कभार मेरे लेखन में भी दिख जाता है। आज भी पापा के घर में मेरे दादाजी के नाम से ही कल्याण आता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे परिवार से मुझे उत्साह और ऊर्जा दोनों मिलती है। मेरी बेटी जो अभी कॉलेज में है वह मुझमें जुझारूपन पैदा करती है और सभी अन्य सदस्य मुझे प्रेरित करते हैं।
मेरे पति को साहित्य का शौक नहीं है लेकिन मेरी हर उपलब्धि पर खुश  होते हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - कोई भूमिका नहीं है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - उत्कृष्ट व उज्ज्वल भविष्य होगा क्योंकि लघुकथा का जन्म विसंगतियों से होता है और समाज से न कभी विसंगतियां खत्म होंगी और न ही लघुकथा लेखन।
 हर समाज,देश, काल के बहुत सारे मुद्दे स्थायी होते है जिन्हें नए नए कथ्य कथानक के माध्यम से पाठकों के सामने लाने की कला केवल लघुकथा में ही है इसलिए यह भविष्य में लेखन में शीर्ष स्थान पर होगी।
 
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - सबसे पहली चीज  'खुशी' इसके साथ-साथ विद्जनो से मिलना,सीखना,सम्मान अत्मविश्वास,  आत्मसंतुष्टि की ओर अग्रसर ,शानदार मित्रगण ऐसी कई चीजें हैं जो मुझे लघुकथा लेखन दे रहा है।
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क्रमांक - 022
नाम :- मनोज रत्नाकर सेवलकर
जन्म :-  15 अगस्त 1962 जबलपुर - मध्यप्रदेश
शिक्षा :- एम. ए. हिन्दी साहित्य

प्रकाशित कृति :- "मकड़जाल" लघुकथा संग्रह (2011)

लेखन :- बाल कहानियां, व्यंग्य लेख, कविताएं व     
            लघुकथाएं विगत चौदह-पन्द्रह वर्षों से ।
            
प्रकाशन :- अखिल भारतीय स्तर की विभिन्न   
               पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित ।
               
कृति संपादन :- "पाठक-मंचों के समीक्षा-पटल पर
               कृति"समकालीन सौ लघुकथाएं" " (2015)
               
संकलनों में :- 
"काली माटी" व "बुजुर्ग जीवन की लघुकथाएं" 
(संपादक श्री सुरेश शर्मा)
                
 "निमाड़ी मा नानी वार्ताना"
  ( संपादक श्री जगदीश जोशीला) 
                 
  "लघुकथा संसार : मां के आसपास" 
    (संपादक श्री प्रताप सिंह सोढ़ी) 
                 
    संवाद सृजन 
    (संपादक श्री बी. एल.आच्छा) 
    
  "स्वर्ग में लाल झण्डा" 
  (संपादक श्री सूर्यकांत नागर) 
  
 "लघुकथा वर्तिका" 
 ( संपादक श्रीमती उषा अग्रवाल "पारस") 
 
  संरचना-6 
  (संपादक श्री कमल चोपड़ा) 
  
अनुवाद :-    
पंजाबी में बचपन लघुकथा का अनुवाद।

सम्मान :-    
भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा आयोजित आनलाईन  कार्यक्रम में विभिन्न  सम्मान प्राप्त किये ।
                
सम्प्रति :-   
शिक्षक के पद पर कार्यरत एव निरंतर लेखन।

सम्पर्क :-  2892/ई सेक्टर सुदामा नगर, इन्दौर - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - सशक्त कथ्य एवं संदेश तथा कथा के सागर को गागर में समाहित करने की क्षमता ।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - सर्वप्रथम मेरे परम पूज्य गुरू स्व. डॉ. सतीश दुबे जी, सदैव प्रोत्साहन देने वाले स्व. श्री सुरेश शर्मा जी, मार्गदर्शक श्री सतीश राठी जी , श्री योगेन्द्र नाथ शुक्ल जी एवं आप श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी  । इन सभी की भूमिका मेरे लघुकथा लेखन में महत्वपूर्ण है । 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - सशक्त शुरुआत, रोचक कथ्य एवं प्रभावी अंत ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - भारतीय लघुकथा विकास मंच जैसे व्हाट्सएप समूह, फेसबुक, ब्लॉग जैसे लघुकथा.काम आदि ई - मीडिया साईड्स के प्लेटफार्म , लघुकथा साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्य की सभी विधाऐं अपने आप में महत्वपूर्ण है। इनमें रुचि रखने वाले अपने अपने साहित्य को उच्च स्थान देते हैं। परन्तु वर्तमान समय में साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली विधा "लघुकथा" है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हां । साहित्य में निरन्तर प्रयोगवाद होते रहते हैं ।  ऐसे में लघुकथा की वर्तमान स्थिति में भी निरन्तर विकास हो रहा है। वर्तमान स्थिति में कोई भी साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं लघुकथा के बिना अधूरी है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं । मेरी कोई साहित्यिक पृष्ठभूमि नहीं है । घर में मराठी व हिंदी भाषा समानरूप से बोली जाती है । जब मेरी मुलाकात लघुकथा के जनक स्व. डॉ सतीश दुबे जी से हुई । तब से लघुकथा लेखन की ओर प्रेरित हुआ । आज जो कुछ भी लिख पा रहा हूं उनका ही आशीर्वाद रहा है । मैं शासकीय विद्यालय में शिक्षक हूं। मेरा सदैव प्रयास रहता है कि विद्यार्थियों में साहित्य के प्रति जागरूकता आए ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन की प्रथम पाठक मेरी अर्धांगिनी, पुत्री व पुत्र के साथ ही मित्रगण समीक्षक बन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन में मेरी रूचि है । आजीविका हेतु नहीं । अपितु जब भी लघुकथा कहीं प्रकाशित होती है तब उत्साह चौगुना हो जाता है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा लेखन ने मुझे मान-सम्मान के साथ साहित्य जगत में एक पहचान प्रदान की । इसके लिए साहित्य जगत के सभी विद्वतजनों को मेरा शत शत नमन ।
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क्रमांक - 023
जन्मदिन - 11 अक्टूबर, 1967
माता का नाम - श्रीमती तारा देवी
पिता का नाम - स्व. डॉ इंद्रदेव उपाध्याय
पति का नाम - श्री सुरेंद्र कुमार
शिक्षा :  स्नातकोत्तर 

प्रकाशित पुस्तकें : -

दो एकल कविता-संग्रह : 
1.क्यारी भावनाओं की
2.'मन-सरगम' 
3.एक उपन्यास - 'बंद घरों के रोशनदान' 

प्रकाशित साझा - संकलन : -

1 नीलाम्बरा
2 काव्य-शिखा
3 बज़्में हिंद
4 काव्य सागर
5. जिंदगी जिंदाबाद 
6. कोरोना काल 

सम्मान : - 

1.महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान - 2020 
2.अटल काव्यांजलि - अटल गुंजन सम्मान 
3.लघुकथा दिवस रत्न सम्मान - 2020 
4.कलम बोलती है - साहित्य सितारे सम्मान 
5.साहित्योदय कलम सारथी सम्मान 
6.साहित्योदय शक्ति सम्मान 2020 
7.साहित्योदय अष्टसिद्धि सम्मान 
8.साहित्योदय साहित्य गौरव सम्मान 
9.स्टोरी मिरर लिटररी कर्नल
10.शक्ति ब्रिगेड - हिन्दी के सिपाही 
11.शक्ति ब्रिगेड - सर्वश्रेष्ठ रचनाकार पाँच बार
12.काव्य संग्रह - दोहा सम्राट 
13.प्रखर गूँज - रत्नावली सम्मान 
14.Innerwheel district 314clubs of jone 4 हास्य रत्न सम्मान
15.आगमन: एक खूबसूरत शुरुआत - पूरे वर्ष भर सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति करता सम्मान 
16.साहित्य संवेद स्टोरी मिरर कहानी प्रतियोगिता 
17.जैमिनी अकादमी - टेकचंद गुलाटी सम्मान 
18.हिन्दी साहित्य परिषद - सावन मनभावन सम्मान 
19.अटल काव्यांजलि - काव्य केतु सम्मान 
20.कृष्ण कलम मंच-काव्य धारा सम्मान 
21.सार्थक साहित्य मंच - प्रोत्साहन पुरस्कार 
22.नूतन साहित्य कुंज - छंद प्रतियोगिता प्रथम स्थान - कुंज कुंजेश्वरी सम्मान 
डेढ़ सौ से ऊपर हो गए हैं सम्मान पत्र

विशेष : -

- हिन्दी के साथ-साथ भोजपुरी में भी लघुकथा, कविता, संस्मरण, छंदबद्ध रचनाओं का लेखन
- ब्लॉग : मन के उद्गार
- वर्तमान अंकुर - आडियो विडियो 
- लघुकथा कलश, किस्सा कोताह पत्रिका, साहित्योदय पत्रिका, चिकीर्षा पत्रिका,महिला अधिकार अभियान, अविराम साहित्यिकी, पलाश, कविता कानन, संझवत भोजपुरी पत्रिका, भोजपुरी साहित्य सरिता, सिरजन पत्रिका, अविरल प्रवाह, शुभतारिका पत्रिका, आदित्य संस्कृति, साहित्यनामा, हिंददेश आदि पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन होते रहना
- विरासत में मिले साहित्यिक माहौल में मन के उद्गार को शब्दों में पिरोने की कोशिश 

पता : जी 4 ए , द ग्रीन गार्डन अपार्टमेंट
हेसाग, हटिया, राँची -  झारखंड
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व  कथातत्त्व के साथ उसकी लघुता होती है। 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में आ सुकेश साहनी जी, आ. कांता राय जी , श्री सतीशराज पुष्करणा जी, श्री योगराज प्रभाकर जी, श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी आदि। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा में आवश्यकता से एक शब्द भी अधिक न हों और मारक पंचलाइन हो जो पाठक को अनकहा सोचने पर मजबूर कर दे। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य के प्रसार और विकास में सोशल मीडिया के ह्वाट्सऐप, फेसबुक और  यू ट्यूब प्लेटफार्म काफी मददगार सिद्ध हो रहे हैं। 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक सम्मानीय स्थिति में है और समाज में अपना उद्देश्य पहुँचाने में समर्थ भी। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि किसी भी चीज के विकास में बाधक होती है। अगर संतुष्ट हो गए तो हम उसके लिए कार्य करना छोड़ देंगे। एक लोकप्रिय विधा के रूप में लघुकथा को देखकर खुशी अवश्य होती है। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - वैसे तो मेरी पृष्ठभूमि साहित्यिक ही रही है। पिताजी अपने क्षेत्र के एक जाने-माने साहित्यकार थे। रूचि नहीं रहने पर भी बचपन से ही साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच उठना-बैठना रहा है, परंतु सही मायने में साहित्य के प्रति रूझान पिताजी के जीवनकाल के बाद ही हुआ। तीन-चार वर्षों से सक्रिय लेखन कर रही हूँ। जितना भी जानती हूँ, लोगों को स्वेच्छा से बताती हूँ। कहीं भी गलती पकड़ में आने पर उनका मार्गदर्शन करने में खुशी महसूस होती है मुझे। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में पिताजी के संस्कार बीज रूप में तो थे ही, मेरे पति और बच्चों , संबंधियों के साथ-साथ मेरे मित्रों जो एक परिवार ही होते हैं, की सराहना का भी सहयोग रहा। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अभी तक लेखन का मेरी आजीविका में कोई स्थान नहीं रहा है। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य काफी उज्ज्वल है। यह हर वर्ग की एक लोकप्रिय विधा बनती जा रही है। आज के इस भागदौड़ के जीवन में लंबी कहानियों को पढ़ने का समय नहीं है लोगों के पास। ऐसे लोग लघुकथा को खूब पसंद कर रहे हैं। 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मेरी मूल विधा काव्य-लेखन है। एक उपन्यास भी लिखा है। मैंने लघुकथाएँ कम ही लिखी हैं, फिर भी एक पहचान बनती जा रही है जो खुश रहने का एक पर्याप्त कारण बन रहा है। 
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क्रमांक - 024
जन्म : 5सिम्बर 1941
पिता : स्व०काशीनाथ शर्मा 
माता : स्व०रामकली देवी 
पति : डॉ०  आर०  डी०  जोशी

शिक्षा :- 
MA -हिंदी ,अंग्रेजी। BEd।  संगीतप्रभाकर -सितार ,तबला , कथक ,गायन 
(प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद)

व्यवसाय : -
Engilsh Medium Residancial Public  Schools 
सैनिक स्कूल कुंजपुरा करनाल,
पंजाब पब्लिक स्कूल नाभा ,
 यादवेंद्र पब्लिक स्कूल पटियाला ,
 एपीजे पब्लिक स्कूल फरीदाबाद , 
मोतीलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल राई , 
दयावती मोदी पब्लिक स्कूल मोदीनगर  में अध्यापन व प्रिंसिपल ।

प्रकाशन -
9पुस्तकें प्रकाशित 
2 ईबुक -अमेजोन ,किल्डल पर उपलब्ध 
 68 साझा संकलन 
                             
सम्मान :-

अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन संस्था के दूसरे अधिवेशन बंगलौर में कर्नाटक के महामहिम श्री डी०,एन० तिवारी द्वारा सम्मानित 2006 ।
 कृषि औद्योगिक प्रदर्शनी में जनपद मुजफ्फरनगर के जिलाध्यक्ष द्वारा सम्मानित 
 उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य संस्थान लखनऊ द्वारा अज्ञेय पुस्कार 
 जनपद प्रशासन द्वारा *मलाला* सम्मान के लिये चयनित । 
  आगमन संस्था हापुड़ द्वारा विशिष्ट अतिथि सम्मान 
   नेहरू युवा केन्द्र द्वारा विशिष्ट अतिथि सम्मान 
अर्णव कलश द्वारा प्रदत्त सम्मान: -
  डॉ कमलेश भट्ट " कमल" सम्मान --,हाइकु 
  रामचरन गुप्त सम्मान -लघुकथा 
  मुंशी प्रेमचंद कहानीकार सम्मन -कहानी 
  श्रीमती महादेवी वर्मा सम्मान -संस्मरण 
  राहुल सांकृत्यायन सम्मान-   यात्रा वृतांत 
  जयशंकर प्रसाद सम्मान -एकांकी 
  काका हाथरसी सम्मान -व्यंग 
  प्रताप नारायण मिश्र सम्मान-निबन्ध 
  बलकृष्ण भट्ट सम्मान -,साक्षत्कार 
  गिरधर कविराय सम्मान-कुंडलिया 
  रोला शतकवीर सम्मान -रोला लेखन 
   मुक्तक शतकवीर कलम की सुगंध सम्मान -मुक्तक 
  मनहर शतकवीर कलम की सुगंध सम्मान -घनाक्षरी 
   श्रेठ हाइकुकार सम्मान -,हाइकु 
  स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू वार्षिक साहित्य सम्मान 
  मात्सुओ "बासो"कलम की सुगन्ध सम्मान -,हाइकु
   
अन्य संस्थाओं द्वारा प्रदत्त सम्मान:-

काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका द्वारा -- काव्य रंगोली दादी माँ सम्मान 
 अखिल भारतीय साहित्यिक कला मंच मुरादाबाद द्वारा - साहित्य श्री
 राष्ट्रीय कवि चैपाल द्वारा -*रामेश्वर दयाल दुबे* साहित्य सम्मान 
 जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पीलीभीत द्वारा प्रदत्त - *वागेश्वरी -पुंज अलंकरणज़*  
 नव सृजन कला साहित्य एवं संस्कृति न्यास द्वारा - *नवसृजन हिंदी रत्न* सम्मान 
  के० बी०हिंदी साहित्य समिति द्वारा साहित्यकार सम्मान के अंतर्गत - *गौरा पन्त शिवानी स्मृति* सम्मान 
मधुशाला साहित्यक परिवार द्वारा - *साहित्य रत्न 2018सम्मान*
 शिवेत रक्षिति साहित्य मंच द्वारा- *सहित्य सृजक* 
  मधुशाला साहित्यिक परिवार द्वारा -- *काव्य दिग्गज अलंकरण* सम्मान 

अन्य गतिविधियां :-

अखिल भरतीय कविसम्मेलनों में काव्य पाठ 
1961 में दिल्ली आकशवाणी से ध्वन्यात्मक नाटको में ध्वनि प्रसारण 
नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र से कवितापाठ 19 65 
1969 व  2009 में रंगमंच अभिनय 
मंच पर शास्त्रीय गायन व कथक की प्रस्तुती 1968 से 2000 तक 

पैदल पर्वतीय भ्रमण : -

काठगोदाम से नैनीताल 
 नैनीताल से रानीखेत 
 रानीखेत से काठगोदाम 
चकरौता से व्यास शिला ,वापसी 35किलोमीटर 
चकरौता से मसूरी 90 किलोमीटर
कुल्लू से मनाली 
मनाली से रोहतांक पास 
रोहतांक पास से कुल्लू 

पता : -
948/ 3 योगेंद्र पुरी ,रामपुरम गेट
मुजफ्फरनगर -251001 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका यथार्थ जो पाठक को उसके लघुसमय में घटित घटना से जोड़ता है ।लघुकथा स्वयं यथार्थ के लिये प्रतिबद्ध है ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - चित्रा मुद्गल, हरिशंकर परसाई, विष्णु प्रभाकर , युगल , पृथ्वीराज अरोड़ा

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - यथार्थ और प्रस्तुति इसके मुख्य मापदंड है इसके अतिरिक्त जीवन से जुड़ा कथ्य, कथोपकथन , संयत चरित्र और विशिष्ट शैली भी लघुकथा की समीक्षा के मापदंड है

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में प्रिंट मीडिया ,व्हाट्सएप , लाइव वाचन में तो पहले से अपने पैर जमाये थी लेकिन अब तो इनके ऊपर लघु फ़िल्म भी बनने लगी है । फ़िल्म और लाइव- वाचन  दो मीडिया बहुत सशक्त है जी लघुकथा के प्रसार प्रचार में बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज की लघुकथा ने कहानी लेखन को  पिछाड़ दिया और तेजी से आगे बढ़ रही है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - उपन्यास कहानियों में सिमटे और कहानियाँ लघुकथाओं में जिन पर आज जम कर लिखा जा रहा है ।इसीलिए लघुकथा नव विधा के रूप में विकसित हो रही है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक बहुत ही शिक्षित व सुसंस्कृत पृष्ठभूमि से हूँ । कुछ परम्पराएँ तोड़ के आगे बढ़ी और अपनी बहनों को भी उसी पथ पर बढ़ने में मदद की । ससुराल में आ कर परिवेश में आमूलचूल परिवर्तन किया । अपने परिवार को प्रगतिशील बनाया ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - लेखन तो 13 वर्ष की अवस्था से आरम्भ हुआ ।पति ने बहुत उत्साहित किया ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तम - शून्य । मैने लेखन  को कभी व्यापार नही बनाया क्योकि मुझे व्यापार करना आता ही नही । लेखन पाठकों के लिए किया और आत्मतुष्टि के लिए किया ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - आज की भागमभाग वाली जिंदगी में किसी गम्भीर घटना को लघुकथा के रूप में प्रस्तुत कर सार्वजनिक करने का एक उत्तम माध्यम ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - संतुष्टि कि साहित्य की एक नई विधा लिखना सीख गए ।
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क्रमांक - 25

जन्म तिथि - 1 जनवरी 1966
जन्म स्थान - ग़ाज़ीपुर (उ.प्र.)
शिक्षा - एम.एस-सी; एम.एड् ; एम.ए. (हिंदी)
संप्रति - अध्यापन ( राजकीय सेवा )

लेखन विधा - लघुकथा, कविता, कहानी, व्यंग्य

प्रकाशित पुस्तक : -

संवेदनाओं के स्वर (लघुकथा संग्रह)

प्रकाशित साझा संग्रह : -

(1) आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ (बोधि प्रकाशन)
(2) सहोदरी कथा - 1 (लघुकथा)
(3) दीप देहरी पर (लघुकथा) - उदीप्त प्रकाशन
(4 )सहोदरी सोपान - 4 (काव्य संग्रह)
(5) यादों के दरीचे ( संस्मरण)
(6) परिंदो के दरमियाँ ( सं. - बलराम अग्रवाल)
(7) कलमकार संकलन - 1, 2, 3 - कलमकार मंच
(8) प्रेम विषयक लघुकथाएँ ( अयन प्रकाशन)
(9) नयी सदी की लघुकथाएँ (सं. - अनिल शूर आजाद)
(10) लघुकथा मंजूषा -2, 3, 5 ( वर्जिन साहित्यपीठ)
(11) चुनिंदा लघुकथाएँ (विचार प्रकाशन)
(12) मेरी रचना (रवीना प्रकाशन )
(13) स्वाभिमान ( मातृभारती )
(14) मिलीभगत (साझा व्यंग्य संकलन)
(15) इन्नर (सं. - विभूति बी.झा)
(16) श्रमिक की व्यथा - काव्य संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(17) लम्हे - लघुकथा संकलन (प्राची डिजिटल पब्लिकेशन)
(18)चलें नीड़ की ओर - लघुकथा संकलन (अपना प्रकाशन)
(19) नयी लेखनी नये सृजन - कहानी संकलन (इंक पब्लिकेशन)
(20) इक्कीसवीं सदी के श्रेष्ठ व्यंग्यकार (सं. लालित्य ललित, राजेश कुमार)
(21) जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(22) मां ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(23) लोकतंत्र का चुनाव ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(24) नारी के विभिन्न रूप ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(25) लघुकथा - 2020 ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई- लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
(26) कोरोना ( ई- काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

सम्मान : -

-  अखिल भारतीय शब्द निष्ठा सम्मान ( लघुकथा ) - 2017 (राजस्थान)
-  प्रेमनाथ खन्ना सम्मान - 2017 (पटना)
-  भाषा सहोदरी सम्मान - 2017
-  प्रतिलिपि कथा सम्मान - 2018
- साहित्य भूषण सम्मान - 2018(काव्य रंगोली पत्रिका समूह)
- भारतीय लघुकथा विकास मंच , पानीपत - हरियाणा द्वारा " कोरोना योद्घा रत्न सम्मान - 2020 " से सम्मानित

विशेष : -

अतिथि संपादन - देवभूमि समाचार, देहरादून
सह संपादक - राइजिंग बिहार साप्ताहिक, पटना
संपादन, डायमंड बुक्स की बाल साहित्य योजना - 2021

पता : आनंद निकेत , बाजार समिति रोड ,पो. - गजाधरगंज
बक्सर ( बिहार ) - 802103

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - कथ्य, शिल्प, भाषा और उद्देश्य की स्पष्टता लघुकथा सृजन के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं। लघुकथा प्रभावशाली कथ्य, सुघड़ शिल्प और भाषाई सौंदर्य के माध्यम से अपने उत्कर्ष को प्राप्त होती है।

 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - अगर पाँच नाम लूँ तो कांता राय , संतोष सुपेकर , बीजेन्द्र जैमिनी , मृणाल आशुतोष,घनश्याम मैथिल अमृत आदि समकालीन लघुकथाकार हैं, जो लघुकथा विधा को समृद्ध करने में अपना महती योगदान दे रहे हैं।समकालीन लघुकथाकारों की एक लंबी श्रृंखला है, जो अधिकांश संकलनों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती रही है।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षक को प्रथमतः तो एक सुधी पाठक होना चाहिए।लघुकथा के हर पहलू का सागोपांग अवलोकन करते हुए समीक्षक को उसके गुण-दोष पर भी समुचित चर्चा करनी चाहिए और अगर कहीं गुंजाइश हो, तो उसके परिमार्जन और परिवर्धन हेतु उचित मार्गदर्शन भी दिया जाना चाहिए।

 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - लघुकथा के परिंदे, साहित्य संवेद, किस्सा कोताह, क्षितिज, लघुकथा साहित्य, स्वर संवेदनाओं के, लघुकथा गागर में सागर, लघुकथा वाटिका, भारतीय लघुकथा विकास मंच , साहित्य संसद, लघुकथा लोक इत्यादि अनेकों फेसबुक समूह हैं, जो लघुकथा के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। इससे जुड़े वरिष्ठ लघुकथाकारों के मार्गदर्शन में लघुकथाकारों की नयी पीढ़ी भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही है। 


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - जहाँ तक मैं देख रहा हूँ, आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान हासिल कर रखा है। आज ऐसा कोई समाचार पत्र और ऐसी कोई पत्रिका नहीं है जिसमें लघुकथाएं न छप रही हों। विभिन्न पत्रिकाओं ने लघुकथा विशेषांक भी निकालने शुरू किए हैं।लघुकथा संकलन और लघुकथा संग्रहों ने भी लघुकथा विधा को समृद्ध किया है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। इस लिहाज से मैं आज के समय को लघुकथा का स्वर्ण काल कहूँगा।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - बिल्कुल। मैं आज लघुकथा विधा में नयी संभावनाओं का उदय देख रहा हूँ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मूलत: मैं ग्रामीण परिवेश से रहा हूँ। परवरिश व पढ़ाई-लिखाई शहर में हुई है।विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण की है। उसी दरम्यान रचनात्मक लेखन म़े रूचि जगी।मेरे संपर्क में आई नयी पीढ़ी के कई लघुकथाकारों को मैंने भाषाई और शिल्पगत स्तर पर प्रेरित और प्रोत्साहित किया है।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार और स्वजनों की भूमिका काफी उत्साहवर्धक व सराहनीय रही है। उनके सहयोगात्मक समर्थन के बिना मैं वो कर नहीं पाता, जो मैं करना चाहता था।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में  आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं चूँकि पेशे से अध्यापक हूँ, इसलिए अपनी और अन्य स्रोतों से प्राप्त प्रेरणास्पद लघुकथाओं को अपनी कक्षा में छात्रों के बीच भी प्रस्तुत करता रहा हूँ। 

 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - उज्जवल व स्वर्णिम।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लेखन से आत्मिक संतुष्टि मिलती है। लघुकथा मेरी प्रिय विधा रही है और लघुकथा लेखन ने मुझे मेरी पहचान बनाने में मदद की है।=================================

क्रमांक - 026

जन्म तिथि : 10 जनवरी 1970
जन्म स्थान : पटना
पति का नाम : राजीव कुमार झा
शिक्षा : B.Sc.   Chemistry honours ,B.Ed.
M.A. Hindi
अभिरुचि: कविताएँ, लघुकथा और आलेख लेखन (हिन्दी एवं मैथिली)

प्रकाशित पुस्तकें : -
1. प्रथम रश्मि ( काव्य संकलन )
2. भाव प्रसून ( काव्य संकलन )

आनलाइन और आफलाइन सम्मान :-

1. आगमन काव्योत्सव सम्मान
2. आगमन स्थापना दिवस सम्मान
3. प्राइड आफ वीमेन अवार्ड - 2019
4. महादेवी वर्मा नारी रत्न सम्मान
5. माँ भारती सम्मान, साहित्योदय
6. हिन्दी दिवस सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान
7. नारी रत्न सम्मान
8. सशक्त नारी सम्मान
              विभिन्न आनलाइन काव्य प्रतियोगिताओं में सक्रिय सहभागिता एवं श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में निरंतर सम्मानित

विशेष : -
- कई साहित्यिक समूहों की सक्रिय सदस्य
- कुछ समूहों में  समीक्षक का दायित्व निर्वहन

Address : Flat no. B. 6B
The Green Garden Apartments
Hesag, Hatia ,Ranchi , Jharkhand - 834003

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर --  कथावस्तु, संवाद एवं भाषा शैली के साथ साथ एक सशक्त लघुकथा के लिए एक सार्थक उद्देश्य अर्थात कथा के माध्यम से समाज को क्या संदेश मिल रहा है, ये अति आवश्यक तत्व हैं।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -- समकालीन लघुकथा साहित्य में कई सक्रिय महती लघुकथाकार हैं जिन्होंने अपनी भावपूर्ण कथाओं के माध्यम से साहित्य के इस क्षेत्र को समृद्ध करने का प्रयास किया है। आ. सुकीर्ति भटनागर जी, आ. रचना गौड़ भारती जी के अलावा भी कई प्रतिष्ठित नाम हैं जिन्हें इस विधा में महारत हासिल है। आ. अनिता रश्मि जी और आ. सारिका भूषण जी को तो व्यक्तिगत तौर पर भी जानने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी तो इस क्षेत्र को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए कई प्रकार से सतत  प्रयत्नशील भी हैं।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -- किसी भी लघुकथा की समीक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण मापदंड यही है कि उस कथा में आवश्यक सभी तत्वों का समावेश कितनी कलात्मकता के साथ किया गया है और उसका शीर्षक किस हद तक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण है।कथा के माध्यम से प्राप्त संदेश भी समीक्षा की दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण होता है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -- आज की वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में सोशल मीडिया का अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है। अतः साहित्य के क्षेत्र में भी इसके सहयोग को नकारा नहीं जा सकता है। विभिन्न फेसबुक और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से विभिन्न प्रांतों के रचनाकार एक दूसरे को सरलता से जानने समझने लगे हैं तथा पठन पाठन में अभिरुचि रखने वालों के लिए बैठे बिठाए ही साहित्य का भंडार सहजतापूर्वक उपलब्ध हो जाता है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर -- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक अत्यंत ही रोचक और अत्यधिक प्रचलित विधा के रूप में उभरकर आया है। कम से कम शब्दों में सशक्त संदेश देकर इस विधा ने साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर -- वर्तमान में लघुकथा की जो स्थिति है वह अत्यंत ही संतोषजनक है। जितनी शीघ्रता से ये विधा रचनाकारों के मध्य प्रचलित होता जा रहा है इसका अति उज्ज्वल भविष्य भी परिलक्षित होता है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर -- मैं तो विज्ञान की छात्रा रही हूँ लेकिन मेरे घर में साहित्यिक परिवेश ही रहा है। बचपन से ही इस माहौल को देखती रही हूँ और साहित्य में अभिरुचि मुझे विरासत में ही मिली है। इन्हीं बातों के परिणामस्वरूप आज मैं साहित्य सृजन के पथ पर अग्रसर हूँ और जो कुछ भी अल्पज्ञान प्राप्त किया है उसके आधार पर अपने साथी रचनाकारों का सदैव सहयोग करती हूँ।  किसी मंच विशेष पर निर्णायक, समीक्षक, मार्गदर्शक आदि का दायित्व यदि दिया जाता है तो उसका भी निर्वहन करने का क्षमतानुसार  प्रयास करती हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर -- परिवार की सहमति और सहयोग के बिना किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना किसी के लिए भी संभव नहीं है। मुझे भी अपने पति और बच्चों के साथ ही साथ माता-पिता और सास-श्वसुर का सदैव यथोचित समर्थन और प्रोत्साहन प्राप्त होता है जिसके फलस्वरूप मैं इस इगर पर अग्रसर हूँ।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर -- आजीविका में तो लेखन से कोई सहयोग नहीं मिलता है। मात्र आत्मसंतुष्टि ही मिलती है और समाज में एक छोटी सी पहचान भी।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर -- आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में जहाँ लोगों के पास सदैव ही समयाभाव रहता है, कोई लंबी कहानी या उपन्यास पढ़ने के लिए समय निकालना कठिन होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी भी पाठक को एक लघुकथा आकृष्ट करती है। अतः लघुकथा का एक अत्यंत ही उज्ज्वल भविष्य हम देख सकते हैं।

 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर -- जहाँ तक व्यक्तिगत तौर पर मेरा प्रश्न है तो मैं ज्यादातर पद्य विधा में ही, विशेषतौर पर छंदबद्ध सृजन करती हूँ। किन्तु कुछ लघुकथाएँ भी मैंंने लिखी हैं जिन्हें पाठकों से प्रोत्साहन भी प्राप्त हुआ है और कभी कभी आवश्यकतानुसार कभी कभी श्रेष्ठ रचनाकारों का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ है।

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क्रमांक - 027

जन्म : 04 जून 1975 , नगला खन्ना ( हाथरस ) उत्तर प्रदेश
पिता : श्री ओम प्रकाश 
माता : श्रीमती कैलाशी देवी
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी
          प्रयोजनमूलक हिन्दी एवं अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
          भारत सरकार के गृह मंत्रालय से अनुवाद में डिप्लोमा
          उर्दू एंव आशुलिपि में डिप्लोमा
          पी. एच. डी.
सम्प्रति : सहायक प्रोफेसर : राजकीय माँडल डिग्री कालेज , अरनियां , बुलन्दशहर - उत्तर प्रदेश 

विधा : आलोचना , कहानी व लघुकथा 

प्रकाशित पुस्तकें : -

1. हिन्दी साहित्य विविधा
2. व्यतिरेकी भाषा विज्ञान
3. ऋषभदेव शर्मा का कविकर्म
4. ब्रज का भाषा विज्ञान
5. उपन्यासों के आइने में थर्ड जेंडर
6. वेटिंग रूम हास्य व्यंग्य एकांकी
7. हिन्दी साहित्य में आदिवासी दिशा एवं दशा
8. थर्ड जेंडर इन हिन्दी नोवेल्स

प्रमुख पुरस्कार एवं सम्मान : -

- विशिष्ट हिन्दी सेवा पुरस्कार
- रेलवे निबंध अभिनय पुरस्कार
- बाबा साहेब डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप पुरस्कार 
- लक्ष्मी नारायण स्मृति सम्मान 
- डॉ भोलानाथ तिवारी सम्मान 
- साहित्य गौरव सम्मान 
- निर्मल स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान
- सरस्वती साहित्य भास्कर सम्मान 

विशेष : -

- एडिटर इन चीफ : ऐबेकार मासिक बेब पत्रिका
- सम्पादक : ऋचा पत्रिका
- मुख्य संपादक : युगधारा बेब पत्रिका

पता : डी -154 हेवन स्टीट, सांगवान सिटी , अलीगढ़ - उत्तर प्रदेश 
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर- संक्षिप्त कलेवर एवं उद्देश्य की पूर्ति

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - रामेश्वर कंबोज ‘हिमांशु’ , डॉ. शील कौशिक , विष्णु प्रभाकर, पारस दासोत, बीजेन्द्र जैमिनी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर- कथा, विषयवस्तु, परिवेश चित्रण, भाषा एवं शैली

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- फेसबुक, व्हाट्सअप 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर- तेजी से स्वरूप बदलते हुए स्थापित होती विधा है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- प्रगति अच्छी है और भी प्रयास हो रहे है। किये जाने भी जरूरी हैं।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- प्रोफेसर, आलोचना, कहानीकार, लघुकथाकार

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर-  सबसे महत्वपूर्ण , बिना परिवार के सहयोग के लेखन संभव नहीं । क्योंकि , लेकिन के लिए मानसिक शांति आवश्यक है जो परिवार के सहयोग से मिलती है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- कुछ नहीं, सिर्फ साहित्य सेवा है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर- आने वाला समय लघुकथा का होगा । क्योंकि दिन प्रति दिन बढ़ती व्यस्तता में साहित्य का संक्षिप्त से संक्षिप्त रूप ही प्रचलन में रह जायेगा। लंबी रचनाओं को पढ़ने का समय आज भी नहीं हैं पाठकों के पास। जो पाठक हैं उनमें भी कमी होती जा रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- मन की शांति। लिखकर गुबार निकल जाता है। आज के दौर में किसी सुनने वाला कोई नहीं ।  इसलिए जब कोई बात मन को उद्दवेलित करती हैं वो जब लघुकथा के रूप में पेपर पर उतर जाती है तो मन को बहुत शांति मिलती है।
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क्रमांक - 028

शिक्षा: एम.ए . हिन्दी, एमएड ,  पीएचडी
प्रेरणा: मात-पिता-गुरु-मित्र और परिवार
सम्प्रति : प्रधानाचार्य , शिक्षा विभाग,  राजस्थान

विधा : गीत,  कविता, लेख और  लघुकथा

रूचि:
1) लेखन
2) चित्रकारी
3) नृत्य-संगीत

सम्मान: -

1) राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान,  राजस्थान सरकार,  सत्र -2017
2) प्रशस्ति पत्र : उत्कृष्ट शिक्षक  एवं सराहनीय जन-सेवा पर शिक्षा विभाग,  राजस्थान सरकार सत्र -2017
3) प्रशंसा पत्र: आदर्श  विद्यालय में संस्थाप्रधान  के  कार्यो का श्रेष्ठ संपादन एवं सराहनीय सेवा पर शासन  सचिव,  स्कूल शिक्षा  एवं  भाषा  विभाग,  राजस्थान  सरकार, सत्र -2017
4) अनेक ब्लॉक स्तरीय सम्मान,  शिक्षा  विभाग,  अजमेर, राजस्थान
5)  विभिन्न साहित्यिक  सम्मान

विशेष : -
1) साहिल वृद्धाश्रम अजमेर,  अपना घर वृद्धाश्रम अजमेर में  सेवा कार्य
2) बालिका  शिक्षा प्रसार
3) बेटी  बचाओ अभियान
4) अंध्विश्वास दूर  भगाओ
5) घूँघट प्रथा उन्मूलन
6) राष्ट्रीय कार्यक्रम- "एक पेड़ सात ज़िन्दगी" अभियान
7)   200+ घरों में विशेष हस्त लिखित पाती द्वारा जागृति संदेश।
8) स्वयं 151 वृक्ष लगा कर जन जन को संरक्षण का उत्तरदायित्व सौंपा गया|
9) शिक्षा में नवाचार का प्रयोग
10) भामाशाह को प्रेरित कर विद्यालय में विकास कार्य
11) जिलाध्यक्ष: अजमेर  महिला  प्रकोष्ठ
12) रेडियो प्रसारित कार्यक्रम : शिक्षक दिवस, 2019 को  आकाशवाणी केंद्र जोधपुर द्वारा वार्ता प्रसारण
13) लेखनी उद्देश्य : सामाजिक  समरसता एवं आत्म सम्मान के साथ  निर्भीक लेखक

प्रकाशन: -
1) भरतपुर हिंदी साहित्य समिति से डुगडुगी में समय समय पर लेख प्रकाशित
2) माँ की पाती, बेटी के नाम पुस्तक में पाती का प्रकाशन
3) शिविरा प्रत्रिका और विभिन्न समाचार पत्रों में समय समय पर रचना प्रकाशन

पता : -
528/22 बालूपुरा रोड,आदर्श नगर,
देवनारायण गली नंबर -8 , अजमेर - 305001 राजस्थान

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा में कथ्य महत्त्वपूर्ण है, जो जीवन से जुडा होता है l


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री गोविन्द भारद्वाज, डॉo सतीशराज पुष्करणा, कांता राय एवं अशोक जैन जी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है l


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होनेचाहिए ?

उत्तर -सरल , सहज , शिल्प शैली का समन्वय होना चाहिए l


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - फेसबुक, वाट्सएप, ब्लाग, ई - पुस्तकें, भारतीय लघुकथा विकास मंच एवं कथा दर्पण साहित्य मंच l


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - वर्तमान युग में लघुकथा लिखी और पढ़ी जा रहीं हैं l प्रतियोगितायें भी आयोजित हो रही हैं l एकल एवं साझा लघुकथा संकलन का प्रकाशन, ई -संकलन, यूट्यूब द्वारा किया जा रहा है जो स्तुत्य है l


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - अभी तो लघुकथा प्रथम सीढ़ी चढ़ी है l संतुष्टि कहाँ... कुछ लोग चुटकले एवं रिपोर्टिंग लिखकर इस विधा पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ l शिक्षा विभाग, राजस्थान में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हूँ और राजकीय सेवनुराग पेशा नहीं अपितु उस "प्रभु " की पूजा उपासना है जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कह कर पुकारते हैं l


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?

उत्तर - मेरे परिवार को मेरी लेखनी पर गर्व है l सदा परिवार ने आगे बढ़ने को प्रेरित ही किया है l


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - चाह बचपन से थी, कुछ कुछ लिखा आज मेरी जीविका लेखन में कभी बाधा नहीं बनी l जैसे समय मिला, लिखना प्रारम्भ किया l


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - आज डिजिटल युग और भाग- दौड़ भरी जिंदगी मेंअल्प समय में लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं से जुड़ "लघुकथा " गागर में सागर कहावत को चरितार्थ करती हुई मील का पत्थर साबित हो रही है l


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - आत्मसंतुष्टि, अपनत्व और गौरव के साथ पुनः आगे बढ़ने का प्रयास । 

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क्रमांक - 029

जन्म : 19 जनवरी 1961,  भोपाल - मध्यप्रदेश
शिक्षा : हायर सेकेंडरी

सम्प्रति : मध्यप्रदेश वन मुख्यालय भोपाल मे  सहायक

लघुकथा यात्रा :
विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं तथा कुछ साझा लघुकथा संकलन में लघुकथाएं प्रकाशित

पता : एच ए 118/71 , शिवाजी नगर , भोपाल - 462016 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर- कथ्य, शीर्षक, काल खंड,  समापन। 


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  मधुदीप गुप्ता, डॉक्टर उमेश महादोषी, बीजेन्द्र जैमिनी, कांता राय, योगराज प्रभाकर आदि। 


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - लघुता में प्रभुत्व,  कालखंड दोष, संदेशवाहक,  शीर्षक, उत्कर्ष,  समापन बिन्दु आदि। 


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - डॉक्टर चन्द्रेश छतलानी और बीजेन्द्र जैमिनी के ब्लॉग। लघुकथा के परिदें, साहित्य संवेद समूह व भारतीय लघुकथा विकास मंच ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ? 

उत्तर - लघुकथा विधा अपना  मार्ग प्रशस्त कर रही है। लेकिन अभी आमजन पाठकों से दूर है।  


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ? 

 उत्तर- लघुकथा विधा में अभी बहुत कार्य की गुजांइश है। 


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 

उत्तर - मेरे पिताश्री बी.ए पास कर शासन की सेवा में थे। उन्हें अंग्रेजी साहित्य से लगाव था। माताश्री आठवीं पास थी। उन्हें  मराठी और हिन्दी साहित्य में रूचिच थी।  मार्गदर्शन स्वरूप  लघुकथा लेखन संबंधी मंच संचालन किए है। 


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार से प्रोत्साहन मिला है। 


प्रश्न न.9 -आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 

उत्तर - कभी नहीं रही। 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - अनेकानेक मनीषी विधा के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। भविष्य उज्ज्वल ही हैं। 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ? 

उत्तर - आत्मविश्वास। 

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क्रमांक - 30

जन्मतिथि: 04 फरवरी1960
जन्मस्थान: बिहार
सम्प्रति : गृहिणी
शिक्षा: स्नातकोत्तर, बीएड, पटना विश्वविद्यालय, पटना(बिहार)

प्रकाशित पुस्तक : -

1. अनकही कथाएँ ( एकल लघुकथा संग्रह )
2. आठ साझा संग्रह

सम्मान : -
कुछ फेसबुक पर  प्राप्त सम्मान पत्र

Address: -
A /57, MECON  cooperative  colony   , Katahal mod,  Ranchi - 835303  Jharkhand

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व 'कथ्य' है। उसी के आधार पर  ताना-बाना बुना जाता है।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - सुकेश साहनी , ओम नीरव , कान्ता रॉय

पवन जैन और बीजेन्द्र जैमिनी, इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षा का मापदंड तीन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर करनी चाहिए : -

कथ्य

कम शब्दों बहुत कुछ कह जाना

(गागर में सागर भरना)

और तीसरा

अंत चिन्तन पूर्ण।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - मैं और कहीं तो नहीं जुड़ी हूँ। अतः मैं दो ही नाम दे सकती हूँ। ह्वाट्सऐप और फेसबुक। 


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। सुदृढ स्थिती है। लोगों के पास लम्बी-लम्बी कहानियाँ या उपन्यास पढ़ने का वक्त ही नहीं रहता है। लघुकथा कम समय में बहुत कुछ कह जाती है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - बिल्कुल। मैं संतुष्ट हूँ। आगे भी इस पर बहुत काम हो रह है। भविष्य उज्जवल है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं मध्यवर्गीय पृष्ठ भूमि से आई हूँ। साहित्यि परिवेश तो था, पर इस तरफ कभी सोची नहीं। बचपन में डाॅक्टर बनना चाहती थी, पर...  पिता हिन्दी के प्रोफेसर थे। अब मेरी बहन भी एक साहित्यकार है। पर मेरी रुचि पहले नहीं थी। मैं एक-डेढ़ साल से ही साहित्य से जुड़ी हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - बच्चों के साथ बहन के प्रोत्साहन के अलावा किसी की कोई भूमिका नहीं है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं साहित्य को साधना मानती हूँ। इसे आजीविका का माध्यम नहीं यह साहित्य सेवा है। 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। इसपर बहुत काम भी हो रहे हैं।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे आत्मिक सुख मिला।

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क्रमांक - 031

जन्म : 26 जनवरी 1941 दिल्ली
शिक्षा : डी एम ई आनर रुड़की
सम्प्रति : एच एम टी पिंजौर से  डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त

प्रकाशित पुस्तकें :-

एक क़तरा सच ( लघुकथा संग्रह ) - 2018
अन्य मौलिक पुस्तकें : -

बैंजनी हवाओं में ( काव्य संग्रह ) - 1976
गुलाब कारख़ानों में बनते हैंं ( काव्य संग्रह ) -1995
धूप में बैठी लड़की ( काव्य संग्रह ) -2010
सिहरन साँसों की ( काव्य संग्रह ) -2013
अक्षर हो तुम ( खंड काव्य ) - 2013
बड़े भाई ( कहानी संग्रह ) -1995
वापसी ( कहानी संग्रह ) -2003

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति पुरस्कार : -
बैंजनी हवाओं में - 1972
अक्षर हो तुम - 2014

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा तीन लघु शोध प्रबन्ध : -

विष्णु सक्सेना व्यक्तित्व व कृतित्व - 1998
कहानीकार विष्णु सक्सेना - 2004
अक्षर हो तुम में मानवीय मूल्य - 2017

पता :  एस जे 41 , शास्त्री नगर ग़ाज़ियाबाद 201002  उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर -  महत्वपूर्ण तत्व लघुकथा में व्याप्त उसका आंतरिक तीखापन उसका महत्वपूर्ण तत्व है। लघुकथा का आकस्मिक धारदार अंत व उसका अंतिम वाक्य ही उसे पाठक के मन के साथ जोड़ता है

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य को आगे बढ़ाने में यूँ तो कई नाम हैं पर अपने विशिष्ट प्रयासों के कारण बलराम, सुकेश साहनी, बीजेन्द्र जैमिनी , अशोक जैन व योगराज प्रभाकर का योगदान सराहनीय है ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के मापदंड- लघुकथा मन में चिंतन के स्वर अंकुरित करने में, अपनी तीखी चोट से मन संवेदित करने और कविता की तरह नपे तुले शब्दों में अपना संदेश देने में व समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ हो व उसमें कथा तत्व भी हो तभी यह लघुकथा की कसौटी पर खरी उतरती है ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर -  सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण प्लेट फार्म हैं : - फ़ेसबुक , वाटस एप , लघुकथा ग्रूप तथा लेखकों के ब्लाग आदि । जो लघुकथा के प्रचार व प्रसार में योगदान दे रहे हैं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश में लघुकथा आज अपनी पहचान बना चुकी है व आंदोलनों के दौर से गुजर कर एक सशक्त विधा का रूप ले चुकी है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्तिथि से संतुष्ट तो नहीं, क्योंकि सोशल मीडिया पर आसानी से पहुँच के कारण लघुकथाकार केवल प्रकाशित होने के लिए लिखे जा रहे हैं ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  मैं इंजीनियरिंग पृष्ठ भूमि से हूँ व एच एम टी पिंजौर में डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त हुआ हूँ । वहाँ रहकर मालिक मज़दूर के सम्बन्ध सुधारने के लिए चौपाल कथाएँ ( लघुकथा) लिखी । जो एच एम टी के मुख पत्र में प्रकाशित होती रही व बाद में संकलित कर ‘ बड़े भाई ‘ पुस्तक रूप में प्रकाशित करवाई ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - लेखन में परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, विशेष तौर पर जीवन सहचरी के सहयोग के बिना लेखक साहित्य धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका के लिए लेखन कार्य करना जोखिम भरा है । बहुत कम लोग इस क्षेत्र में सफल हो पाए हैं । आजकल तो समाचार पत्र भी परिश्रमिक तो क्या लेखकीय प्रति देने से भी परहेज़ करते हैं ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य व्यवधानों के बावजूद भी उज्ज्वल है । लघुकथा अपनी पहचान बना कर निरंतर विकास की ओर बढ़ रही है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा लेखन से आत्म संतुष्टि मिलती है व सकारात्मक विचारों से समाज को मार्गदर्शन करने का आत्म सुख भी मिलता है ।

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क्रमांक - 032

जन्म :  2 अगस्त 1974, लखनऊ - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( अंग्रेजी साहित्य ),बी एड ।

व्यवसाय : कई वर्ष तक पब्लिक स्कूल में शिक्षण कार्य।
सम्प्रति : सह सम्पादक - अविराम साहित्यिकी (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका)।
विधाएं : छंद मुक्त कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, संस्मरण, आलेख समीक्षा, डायरी।

प्रकाशित संग्रह -

कहानी संग्रह- प्यासी नदी बहती रही,
लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत
उपन्यास - उर्वशी ( मातृभारती द्वारा प्रकाशित ) ,


सम्पादन -

- लघुकथा संकलन : आस पास से गुजरते हुए (विश्व पुस्तक मेला 2018,नई दिल्ली ),
- समकालीन प्रेमविषयक लघुकथाएं ( विश्व पुस्तक मेला 2019,नई दिल्ली),

सम्मान -

- नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान द्वारा ' शकुंतला कपूर स्मृति लघुकथा सम्मान(लघुकथा -  चुनौती, द्वितीय पुरस्कार )
-  हिंदी विभाग बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी एवम अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वाधान में, रविन्द्र फाउंडेशन द्वारा ' डॉ माधुरी शुक्ला स्मृति कथा साहित्य पुरस्कार ( प्यासी नदी बहती रही ) ', 
-  प्रादेशिक लघुकथा मंच गुरुग्राम द्वारा ' लघुकथा शिरोमणि सम्मान (लघुकथा - रोबोट , तृतीय पुरस्कार ) '
-   प्रेरणा अंशु - अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता सम्मान ( कब तक : सांत्वना पुरस्कार ),
-   भारतीय संस्थान- मानव सेवा क्लब द्वारा ' शांति सुरेन्द स्मृति साहित्य सम्मान ',
-   लेखिका संघ मध्य.प्रदेश भोपाल द्वारा ' श्रीमती सुशीला जिनेश स्मृति पुरस्कार ( लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत )
-   दीपशिखा साहित्यिक एवम सांस्कृतिक मंच द्वारा  ' ज्ञानोदय अकादमी दीपशिखा सम्मान ( लघुकथा - किस ओर, प्रथम पुरस्कार )।

विशेष : -

- बरेली में एक वर्ष तक लघुकथा की कार्यशाला, सुश्री निरुपमा अग्रवाल के सहयोग से लगाई।
  -  आकाशवाणी बरेली द्वारा निरन्तर कहानी एवम लघुकथाओं का प्रसारण।
  -  साझा संकलन - कविता अभिराम, लघुकथा अनवरत, नई सदी की लघुकथाएं, प्रतिनिधि लघुकथाएं, बून्द बून्द सागर, सपने बुनते हुए,अपने अपने क्षितिज, नई सदी की धमक, पड़ाव और पड़ताल।
  - विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र, पत्रिकाओं एवम वेबसाइट में रचनाओं का प्रकाशन : चम्पक, साहित्य अमृत, गगनांचल, मिन्नी एवम प्रतिमान ( पंजाबी में ), कथा समवेत, सरस्वती सुमन, हिंदी चेतना, कादम्बिनी, प्रेरणा अंशु, खुशबू मेरे देश की, अविराम साहित्यकी, साहित्य समीर दस्तक , पुरवाई, हस्ताक्षर, प्रतिलिपि, मातृभारती, सेतु, जय विजय, साहित्य सुधा।

निवास :
पता : 18- ए, विक्रमादित्य पुरी, स्टेट बैंक कॉलोनी, बरेली - 243005 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व यकीनन कथानक है, जो कि लघुता में विराटता को समेटे हुए हो। अर्थात एक ऐसा कथानक जो गूढ़ अर्थ लिए हुए, परन्तु आकार में लघु भी हो।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - समकालीन लघुकथा में, यूँ तो बहुत सारे लोग हैं जो इस महती कार्य में संलग्न हैं। उनमें से पाँच नाम लेना बहुत मुश्किल है। एक ओर भगीरथ परिहार जी हैं तो दूसरी ओर कांता रॉय। एक ओर योगराज प्रभाकर जी है तो दूसरी  ओर बीजेन्द्र जैमिनी जी व सन्तोष सुपेकर जी है ।


 प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षा का अर्थ है किसी भी रचना की बहुत सूक्ष्मता के साथ, व्यापक पड़ताल करना, जिसमें समीक्षा के सभी तत्वों का समावेश हो सके। लघुकथा की समीक्षा में उसका उद्देश्य, कथानक, चरम, शीर्षक, उसकी सम्प्रेषणीयता, भाषा शिल्प आदि की व्यापक पड़ताल होनी चाहिए।

 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  लघुकथा साहित्य के प्रचार - प्रसार व विकास में, वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि सोशल मीडिया से ,आज प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है। ऐसे में पाठक की रुचि, लघुकथा की ओर उन्मुख एवम जाग्रत करने में फेसबुक समूह, व्हाट्सएप, ब्लॉग,  वेबसाइट, यूट्यूब, शार्ट फिल्में, लघुकथा का सस्वर पाठ, ऑनलाइन गोष्ठियों की महती भूमिका है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी में, जब व्यक्ति के पास समय की अत्यधिक कमी है, ऐसे में लघुकथा अत्यंत लोकप्रिय हो चुकी है। इसका सूक्ष्म कलेवर इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण है। इसी वजह से लघुकथा को लिखा भी खूब जा रहा है और पढ़ा भी खूब जा रहा है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर  - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा पर बहुतायत में कार्य हो रहा है। वरिष्ठों के साथ , नवोदित एवम युवा पीढ़ी बहुत उत्साह से लघुकथा के उत्थान, प्रचार प्रसार में सहयोग दे रही है। भूतकाल से यदि तुलना की जाए तो लघुकथा को आज के दौर में बहुत महत्व दिया जा रहा है। अब अधिकतर साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं लघुकथा को पूरे सम्मान के साथ प्रकाशित कर रही हैं।बिना अधूरी हैं। यही कारण है इसमें बहुत काम हो रहा है। आगे चलकर सबके सम्मिलित प्रयास सफल होंगे, एवम लघुकथा साहित्य के आकाश में दैदीप्यमान होगी, ऐसा मेरा अनुमान एवम विश्वास है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ, जहाँ पठन पाठन का वातावरण रहा था। घर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन पुस्तकें थीं। खाली समय में सभी पढ़ना पसन्द करते थे। तो ऐसे में मेरी रुचि भी अध्ययन की ओर उन्मुख होना लाज़मी था। पढ़ने के बाद ही लेखन में भी रुचि जाग्रत हो गई। गुणवत्तापूर्ण साहित्य की समझ विकसित हो चुकी है। अच्छा लिखने की दिशा की ओर भी प्रयासरत हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर  - एक महिला के लिए अपनी रुचियों के फलने फूलने एवम विकास के लिए पारिवारिक सहयोग और सकारात्मक वातावरण अपरिहार्य होता है। मेरे भी लेखन व उपलब्धियों पर, मेरे परिवार को गर्व एवम प्रसन्नता होती है। मेरे बच्चे तो खासतौर पर मुझे लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर  - मैं काफी समय पहले तो शिक्षण करती थी, परन्तु वर्तमान एक गृहणी ही हूँ। कई बार लेखन द्वारा कुछ अर्थोपार्जन हो जाता है। तो बहुत प्रसन्नता महसूस होती है। चाहे वह अर्थोपार्जन प्रकाशन, प्रसारण अथवा पुरुस्कार द्वारा हो। मन में उत्साह का संचार तो करता ही है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - वर्तमान काल में लघुकथा विधा की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। इसकी लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण उसकी मारक क्षमता है। यह एक ऐसी विधा है , जो देखन में छोटी लगे, पर घाव करे गम्भीर । यह विद्या पाठक को चिंतन मनन करने को विवश करती है । सोशल मीडिया भी इसकी लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। अतः मैं दावा कर सकती हूँ कि लघुकथा का भविष्य बेहद उज्ज्वल है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा ने, एक रचनाकार के तौर पर मेरी पहचान बनाई, मुझे एक लघुकथाकार के रूप में स्थापित किया। कभी - कभी रचनाओँ के प्रकाशन एवम आकाशवाणी पर उनके प्रसारण से थोड़ा बहुत अर्थलाभ भी हो जाता है। कई पुरस्कार भी लघुकथा के कारण ही मेरी झोली में आये। जब दूर दूर से लोग फोन करके बताते हैं कि आपकी फलां रचना पढ़ी, बहुत पसंद आयी, मन में बहुत खुशी महसूस होती है, हौसला बढ़ता है। आगे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। उम्मीद करती हूँ कि भविष्य में कुछ यादगार रचनाओँ का सृजन कर जाऊँ।

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क्रमांक - 033

जन्म तिथि : 01 जुलाई 1948
स्थान : बस्ती - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : एम.ए.,एम.एड( गोल्ड मेडलिस्ट ) पीएच.डी.(मनोविज्ञान, 1969
व्यवसाय : अध्ययन-अध्यापन
रुचि : लेखन,नृत्य,संगीत, खेल

प्रकाशित पुस्तकें : -
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- मनोवैज्ञानिक परीक्षण
       ( पीएच.डी. शोध निबंध ) 1971 
- सामान्य ज्ञान पुस्तिका
     ( अंग्रेज़ी)1996 से समय- समय पर संशोधित संस्करण
- अंत:यात्रा एक मनोवैज्ञानिक लेखमाला  2005
- देशभक्ति गीत संग्रह 2007
- मानव मैनेजमेंट( अंग्रेज़ी) 2007
- भक्ति साधना ( भक्ति गीत संग्रह ) 2014
-  नाटक संग्रह ( कौन सीखे कौन सिखाए )2014
- शुक्रिया ज़िन्दगी ( ग़ज़ल संग्रह ) 2019
- चलो ज़िन्दगी (काव्य संग्रह) 2019
- भक्ति साधना ( भक्ति गीत संग्रह भाग-2 )2021
  
सम्मान / पुरस्कार : -
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- MEND संस्था द्वारा आयोजित गुजरात राज्य के शिक्षकों की “ निबंध स्पर्धा” में प्रथम स्थान
- लोकप्रिय फिल्म अभिनेता सुनील दत्त जी से पुरस्कार   प्राप्त किया , 1991
- सिल्वर मेडल फ़ॉर “डिवोटेड टीचर “ शिवाजी फ़ाऊण्डेशन, जयपुर - 1996
- द्रोणाचार्य पुरस्कार ( सिल्वर मेडल ) शिवाजी फ़ाऊण्डेशन, 2003
-  नेताजी सुभाष चंद्र बोस खेल एवं कल्याण समिति, द्वारा "प्रतिभा एवं समाज सेवक सम्मान", 2018
-  फोगाट स्कूल ,फरीदाबाद द्वारा "विशिष्ट सम्मान", 2018
- नारी अस्मिता पत्रिका वडोदरा गुजरात के द्वारा "नारी अस्मिता सम्मान", 2018
- ” गौरवशाली भारतीय महिला सम्मान “ by NNHSA
8 मार्च 2020
- डॉ० शिव शरण  द्विवेदी स्मृति “ काव्य शिरोमणि “सम्मान by अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच , 2020
- ” Award Of Honour “ by Prakrithee NGO, 2020
- ” सर्वश्रेष्ठ रचनाकार “ सम्मान by. उड़ान सामाजिक - सांस्कृतिक संस्था फ़रीदाबाद
2021
- श्रेष्ठ रचनाकार “ सम्मान by आगमन संस्था
- ”कवयित्री सम्मान “ by FLCC ( फ़रीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र )2021
- अनेकों अन्य सम्मान एवं पुरस्कार ई-सम्मान व पुरस्कार
- विद्यालय, विश्वविद्यालय स्तर पर ,एकल व समूह नृत्य तथा खेल  में प्रथम , द्वितीय पुरस्कार 
 

विशेष : -
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- अंतर्राष्ट्रीय महासचिव : महिला काव्य मंच( रजि.) 
-  संरक्षक—अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच        
- संरक्षक -नारी अस्मिता ( बड़ोदरा)      
- मार्गदर्शक - विश्व भाषा अकादमी                       
- कार्यकारिणी सदस्य—दधीचि देह दान समिति    
-  कार्यकारिणी सदस्य —- संत साहित्य अकादमी
- सदस्य :  लायन्स क्लब, GAP, TIE, TWB आदि

- सदस्य : साहित्यालोक ( अहमदाबाद 30 वर्ष से ) , R.S.Foundation.
-   फ़रीदाबाद की नई दिशाएँ: हेल्प लाइन , नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान ,  सार्थक प्रयास , संस्कार भारती , अखिल भारतीय साहित्य परिषद् आदि संस्थाओं की सदस्य
-  मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन नि:शुल्क 1970 से आज तक
-  देहदान किया है जनजागृति हेतु कृतसंकल्प
-  भ्रमण- भारत ( कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से
   इम्फ़ाल तक )
- विदेश भ्रमण  :अमेरिका, मैक्सिको,हॉंगकॉंग, मकाऊ, दुबई, भूटान
- दूरदर्शन ( गुजरात)पर नाटक प्रसारित
- साक्षात्कार - टाइम्स ऑफ़ इंडिया में
- दूरदर्शन दिल्ली - वार्ता
- गुजराती और  अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद
- 30 सॉंझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित ।
-  ई-पत्रिकाओं व संकलनों में रचनाएँ प्रसारित
-  लेख , रचनाएँ , साक्षात्कार पत्र-पत्रिकाओं में सतत प्रकाशित होते रहते हैं।

पता :
     2326/9, “ उदार विला “ , डी.सी.मॉडल स्कूल के पास
    फ़रीदाबाद - 121006 हरियाणा

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - कथ्य , संदेश 


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर -  बहुत होंगे किन्तु , जिनसे मैं परिचित और प्रभावित हूँ वे हैं : -

    कान्ता रॉय जी, 

    संतोष श्रीवास्तव जी,

   सतीशराज पुष्करणा जी ,पवन जैन जी ,

 और आप जी ( बीजेन्द्र जैमिनी )

         अच्छा लेखन करने वालों में अनेक हैं किन्तु मैं जिन्हें पढ़ना पसंद करती हूँ ।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  तीन  हो सकते हैं : -

   - प्रारम्भ  उत्सुकता वर्धक हो 

   - कथ्य ज्वलन्त , रोचक हो 

   - अंत का पंच सोचने को मजबूर करे 


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - लघुकथा के परिंदे

    भारतीय लघुकथा विकास मंच

    नया लेखन_ नया दस्तख़त 

    यहाँ लिखना और भेजना मुझे भाता है उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिलती हैं ।आपका प्रयास उत्तम है ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ? 

उत्तर - विकास पथ पर है आशान्वित हूँ, शोध हो रहे हैं ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ? 

उत्तर - जी ! पूर्णतया ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 

उत्तर - मेरे पिता कलेक्टर थे । तीन भाई और मैं  Ph. D. ( मनोविज्ञान) उच्चशिक्षा प्राप्त । सभी उच्च पद पर, मेरे पति भी इंजीनियर HOD रहे। शिक्षित , पढ़ने का शौक़ीन परिवार। जो सीखा , जीवन में उतारा और वही सिखाया । मेरे दो बच्चे भी इंजीनियर , योग्य भारतीय नागरिक उच्च पद पर कार्य रत हैं । मेरे विद्यार्थी भी  मेरी सीख आज भी संजोए हुए हैं। सुख देती हैं ये बातें। मैंने BHU में लेक्चरर के रूप कार्य किया है ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार प्रोत्साहित करता है , बाधक नहीं बनता । यह बहुत महत्वपूर्ण है लेखन हेतु


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 

उत्तर -  आजीविका लेखन नहीं ,यह जीवन है , शौक़ है । शिक्षक हूँ , पेंशन पर्याप्त है प्रकाशित आठ पुस्तकें भेंट स्वरूप दी हैं । मेरे शब्द, मेरी लेखनी ईश्वर का वरदान है । इसे बाँटती हूँ। 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - कहानी , उपन्यास से अधिक लोकप्रिय होगा ।

लघु आकार के कारण । 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - साहित्य आत्मिक सुख देता है। लघुकथा से भी वही मिला है। मैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार के रूप में समाज सेवा दे रही हूँ। जीवन की समस्याओं को संक्षेप में समाधान  दे पाना लघुकथा द्वारा अधिक आसान हो पाता है। उम्मींद है आपको प्रश्नों के समुचित उत्तर मिल गए होंगे ।

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क्रमांक - 034

जन्मतिथि: 15 मार्च 1950
जन्मस्थान : पटना ( बिहार)
शिक्षा-- बी,काॅम   डी बी एम

संप्रति: -
एयर इंडिया में कार्य करते हुए डिप्टी मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त 

प्रकाशित कृतियाँ: -
1) टुकड़ा टुकड़ा सच ( लघुकथा संग्रह 2011)
2) सच का दर्पण  ( लघुकथा संग्रह 2017)
3) मेरी सर्वश्रेष्ठ लघुकथाएं ( लघुकथा संग्रह 2019)
4) चेहरे पर चेहरा ( कहानी संग्रह 2021 ) लोकार्पण को तैयार 

सम्पादन कृति : -
शब्द लिखेंगे इतिहास (लघुकथा संकलन का संपादन 2018)

सम्मान: -
एयर इंडिया राजभाषा पुरस्कार, कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 
पहचान, जैमिनी अकादमी, राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता, एवं कई अन्य प्रतियोगिताओं में लघुकथाएं पुरस्कृत 

पता : -
महावीर दर्शन सोसायटी प्लाट नं--11 सी सेक्टर-20, खारघर नवीं मुंबई--410210 महाराष्ट्र 
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है - कथानक , जो आम जीवन से जुङा हुआ हो और यथार्थ के करीब होना चाहिए।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - डाॅ सतीशराज पुष्करणा ,  मधुदीप गुप्ता , बीजेन्द्र जैमिनी, कांता राय एवं अशोक जैन

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा में शिल्प- शैली का समन्वय हो, कालदोष न हो और पंच लाइन प्रभावशाली होनी चाहिए ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फेसबुक , वाट्सएप , ब्लॉग , ई - पुस्तकें , भारतीय लघुकथा विकास मंच ,एवं कथा दर्पण साहित्य मंच 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ? 
उत्तर - इन दिनों काफी लघुकथाएं लिखी एवं पढी जा रही है, प्रतियोगिताएं भी आयोजित हो रही है, एकल एवं साझा लघुकथा संकलन का प्रकाशन, ई - संकलन ,  'यू ट्यूब ' द्वारा लघुकथाओं का प्रसारण बहुत अच्छा लगता है। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ? 
उत्तर - पूर्ण संतुष्ट तो नहीं हूं। कुछ लोग चुटकुले एवं रिपोर्टिंग लिखकर इस विधा पर  प्रश्नवाचक चिन्ह लगा रहें हैं। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 
उत्तर - मै मिडिल क्लास फैमिली से आया हूं , निर्धनता को बहुत करीब से देखा है। आभाव में भी इंसान को जी लेना चाहिए , हौसला बुलंद हो ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे परिवार वालों को मेरी लेखनी पे गर्व है। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 
उत्तर - एयर इंडिया की नौकरी मेरी जीविका का साधन रहा। वहां मैनेजर के पद पे था तो हिंदी बहुत कम बोलने का अवसर मिलता था। हां 14 सितम्बर को जी भर कर कविता 'कहानी के माध्यम से हिंदी बोल लेता था।अगर ये कहूं कि खाया अंग्रेजी से और यश पाया हिंदी लेखन से।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर -  आज के डिजिटल युग में लोगों के पास कहानी एवं उपन्यास पढने का वक्त नहीं है।सब भौतिक सुखों को पाने के लिए दौड़ रहे हैं। ऐसे वक्त "लघुकथा " गागर में सागर या एक बूंद में महासागर बन कर आम लोगों की भावनाओं एवं संवेदनाओं से जुङ जाता है। लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल और सुनहरा है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य से मुझे मिली-- आत्मसंतुष्टी , परिवार स्वरूप बुद्धिजीवी वर्ग , अपनापन जताता पाठक एवं श्रोता और पुनः लिखने की प्रेरणा देता है ।
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क्रमांक - 035

जन्म तिथि : 28 जुलाई 1972
जन्म स्थली,शिक्षा दीक्षा,मायका ससुराल राँची
पति का नाम:श्री रामजी
पिता : दिवंगत सुरेंद्र प्रसाद सिंह
माता : अरुणलता
पति की कार्यस्थली -एच.ई.सी. राँची
शिक्षा: राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक

रुचि : हिंदी साहित्य में बचपन से रुचि रही। सामाजिक विसंगतियों पर छंदमुक्त कविताएँ ,लघुकथा और कहानियाँ का लेखन

पुस्तकें :-
कल आज और कल (काव्य संग्रह)
पंख अरमानों के (कथा संग्रह)

सम्मान: -
साहित्योदय शक्ति सम्मान,
साहित्योदय श्रमवीर सम्मान,
लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
शेयर योर ह्यूमैनिटी अंतरराष्ट्रीय पटल द्वारा काव्यपाठ हेतु विशेष सम्मान

विशेष : -
- कुछ एक सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी संलग्न हूँ आंशिक रूप से
- दो साझा काव्यसंग्रह  और एक साझा कथासंग्रह में  रचनाएँ प्रकाशित।

पता: एफ -2, सेक्टर-3 , एचईसी कॉलोनी, पो.धुर्वा, जिला: राँची , झारखंड - 834004

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है उसका कथ्य,शीर्षक और अंत ,जो सवालों के घेरे में छोड़ जाए पाठक को।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - पाँच नाम लूं तो सर्वप्रथम बीजेन्द्र जैमिनी जी, जिन्होंने लघुकथा समंदर में गोते लगाने का अवसर दिया ,फिर आदरणीया अनिता रश्मि जी,जिनकी कथाएँ, छोटा नागपुरी संस्कृति से लबरेज होती हैं। फिर आदरणीया चित्रा मुद्गलजी, आदरणीय सुकेश साहनी , कांता राय  जैसे उत्कृष्ट लघुकथाकारों का नाम लुंगी।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - सर्वप्रथम कथानक,उसका संदेश, उसके पात्र और कसाव  के आधार पर समीक्षा निरपेक्ष भाव से होनी चाहिए।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - जाहिर है व्हाट्सएप समूह और फेसबुक सशक्त प्लेटफार्म हैं, ब्लॉग,ई बुक ,किंडल जैसे माध्यम से अधिकाधिक पाठकों तक अपनी रचनाएं पहुँचाई जा सकती हैं।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं स्वयं इस विधा में कुछ ही समय से जुड़ी हूँ पर इसकी लोकप्रियता अपार है और साहित्यिक क्षेत्र में इसने अति महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित कर लिया है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - बिलकुल,लेखक पाठक दोनों में साहित्यिक समझ बढ़ी है इसे लेकर । व्यस्ततम दिनचर्या की वजह से लोग लंबी कहानियों की जगह इसे तरजीह दे रहे हैं ,क्योंकि कम शब्दों में गहरी छाप एक उत्कृष्ट लघुकथा छोड़ जाती है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि साहित्यिक नहीं रही है , हालांकि पिता और बड़े भाई को पढ़ने का बेहद शौक था जो मुझमें भी आ गया,पर लेखन की कोई पृष्ठभूमि नहीं रही।विवाह के बाद आदरणीय श्वसुर जी के रूप में एक उत्कृष्ट साहित्यकार से परिचय हुआ। हालांकि मेरा लेखकीय सफर उनके गुजर जाने के बाद शुरू हुआ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - बेहद महत्वपूर्ण, पारिवारिक सहयोग किसी भी क्षेत्र में सफलता का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है। मुझे सदैव लेखन,प्रकाशन ,आदि कार्य में अपने परिवार का पूरा सहयोग रहा है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - फिलहाल तो नगण्य। प्रकाशित पुस्तकों की रॉयल्टी के अलावा अन्य कोई आर्थिक लाभ नहीं। फिलहाल अपनी संवेनाएँ व्यक्त कर , एक छोटी सी ही सही पर अपनी पहचान बनाकर संतुष्ट हूँ।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - मेरे ख्याल से बेहद उज्जवल है इसका भविष्य  , लघुकथा लेखन में और लघुकथा पढ़ने में लोगों की अभिरुचि बढ़ी है। उत्कृष्ट संकलन प्रकाशित हो रहे हैं।भारतीय लघुकथा विकास मंच जैसे मंच भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - सबसे बड़ी चीज जो मिली वो है आत्मसंतुष्टि। मुख्यता छंदमुक्त कविताएँ ही लिखती रही हूं, सामाजिक विसंगतियों पर,एक कथा संग्रह भी प्रकाशित हुई है पर लघुकथा के माध्यम से अपनी बेचैनी, कुंठा बेहतर तरीके से निकाल कर खुश हो लेती हूँ। फिर पाठकों की प्रशंसा प्रोत्साहित करती है।

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क्रमांक - 036

जन्मतिथि  :-  15 अगस्त      

जन्मस्थान  :-  कलकत्ता  ( पश्चिम बंगाल )

शिक्षा  :-  स्नातकोत्तर हिन्दी , श्री शिक्षायतन कॉलेज , कलकत्ता (पश्चिम बंगाल )

प्रकाशन : -

कई पत्र पत्रिकाओं में यथा लघुकथा साहित्य कलश भाग -१ , भाग -२ , भाग -३ , भाग -४ ,भाग - ५ , अविराम साहित्यिकि , अट्टहास , आधुनिक साहित्य , ऊषा ज्योति , क्षितिज , दृष्टि आदि आदि।

संपादित लघुकथा संकलन 'सफर संवेदनाओं का ' में , साझा संग्रह बालमन की लघुकथा , 
किन्नर समाज की लघुकथा., स्वाभिमान.,
कलम की कसौटी में द्वितीय पुरुष्कृत.।

सम्प्रति  :- पठन पाठन , एंव स्वतंत्र लेखन

पता :- 
हरलालका बिल्डिंग
एच . एन. रोड , धूबरी - 783301 असम
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर  -  लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है संक्षिप्त कथानक में विस्तृत कथ्य का आकलन कर पाठक के मन में विसंगतियों के प्रति आक्रोश उत्पन्न कर उसे दूर कर सकने की मनोवृत्ति का जागरण कर सकने की सक्षमता..

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बतलाएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - 1. मधुदीप गुप्ता , 2. कान्ता राय, 3. बीजेन्द्र जैमिनी , 4. योगराज प्रभाकर, 5. संतोष सुपेकर
          मधुदीप गुप्ता जी ने दिशा प्रकाशन से लघुकथा के पड़ाव और पड़ताल के 33 खण्डों के प्रकाशन के साथ लघुकथा एवं उसकी समीक्षा के क्षेत्र में होने वाली प्रत्येक नवीन संचेतना को प्रकाशित कर लघुकथा के विकास को जन साधारण तक पंहुचाने का हर सम्भव प्रयास किया है।
           कान्ता राय जी का लघुकथा के क्षेत्र में सहयोग बहुत विशेष है। इन्होंने लघुकथा के परिंदे मंच के माध्यम से नवोदित रचनाकारों की प्रतिभा को प्रस्फुटित होने का जो प्रशस्त मार्ग दिया है वह अवर्णनीय है । साथ ही लघुखथा वृत्त नामक पत्र द्वारा भी वे निरन्तर लघुकथा के विभिन्न स्वरूप को विकास के मार्ग पर चलाने के लिए एवं नवोदितों का मार्ग निर्देशन कर लघुकथा के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं ।
          बीजेन्द्र जैमिनी जी निरन्तर लघुकथा के क्षेत्र में नवीन एवं प्रस्थापित लेखकों के प्रकाशन को अपने ब्लॉग में स्थान देकर लघुकथा के विकास में अवर्णनीय सहयोग प्रदान करते रहते हैं। अभी उन्होंने 101 लघुकथाकारों की एक हजार से ऊपर लघुकथाओं का सम्पादन कर के लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा और समालोचना किसी भी विधा की व्याख्या के लिए बहुत आवश्यक तत्व है । लघुकथा की समीक्षा के लिए हमें लघुकथा में कथ्य, कथानक, शीर्षक, भाषा, शैली के साथ साथ लघुकथा की प्रभावोत्पादकता एवं तीक्षणता का अवलोकन सबसे आवश्यक तत्व है ।लघुकथा नावक के तीर सदृश्य गहरी चोट करने में सक्षम होनी चाहिए.।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर - आज का समय सोशल मीडिया का समय है। साहित्य के क्षेत्र में भी सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। फेसबुक के लघुकथा समूहों ने लघुकथा को विकास के लिए विस्तृत प्लेटफार्म दिया है। इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप में भी बहुत से समूह लघुकथा को लेकर सक्रिय हैं। जूम, मीट आदि पर लघुकथा की गोष्ठियां, सभी वरिष्ठों के ब्लॉग, मातृभारती, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर आदि एप्स ने भी लघुकथा के विकास में  पूर्ण सहयोगिता प्रदान कर उसे विकास के अभूतपूर्व अवसर प्रदान किए हैं ।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान युग त्वरित गतिविधियों का युग है। आज हर व्यक्ति हर कहीं जेट की स्पीड से पंहुचने को उत्सुक रहता है। उसके पास समय का अभाव है। ऐसी स्थिति में उसके इतना समय नहीं रहता कि वह लम्बी कहानियां या उपन्यास पढ़ सके। फलस्वरूप वह अपनी मानसिक क्षुधा की परितृप्ति के लिए लघुकथा जैसी अल्प समयावधि का साधन खोज कर उसकी शान्ति करना चाहता है। अतः लघुकथा आजकल साहित्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण विधा के रूप में स्थापित हो रही है।

प्रश्न न.6 -  लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा आज के साहित्यिक क्षेत्र में जिस मुकाम पर पंहुच कर लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही है वह निश्चित रूप से विकास की चरम सीमा तक पंहुच कर साहित्य में विशिष्ट स्थान की अधिकारिणी होगी.।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएं किस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी नाट्य, लेखन इत्यादि के क्षेत्र में सक्रिय थे । माताजी स्वयं कवियित्री थीं। घर पर पुस्तकों का ढेर लगा रहता था । उन्हीं की प्रेरणा से लेखन क्षेत्र में मेरी रुचि बनी। मैं कविता ,निबन्ध , लघुकथाएं लिख कर अपनी भावाभिव्यक्ति को वाणी देने का प्रयास करती हूँ। मैं साहित्य द्वारा अपनी विचारधारा के कुछ परिदृश्य प्रस्तुत कर सकूँ यही मेरे लेखन का उद्देश्य है ।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मुझे मेरे परिवार से लेखन में पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। मेरी रचनाओं की प्रथम पाठक व आलोचक मेरी बेटी है । यद्यपि परिवार में लेखन कार्य मैं अकेली ही करती हूँ।

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरा लेखन मेरे लिए आजीविका का नहीं वरन् आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य में लघुकथा निश्चित ही अपनी मंजिल तक पंहुच कर उच्च एवं लोकप्रिय स्थान ग्रहण करने में सक्षम होगी।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य की वह विधा है जो व्यक्ति को समाज की विसंगतियों से अवगत करवा कर सामाजिक बुराइयों को दूर करने की मनोवृत्ति बनवाने में सहायक सिद्ध हुई है।
लघुकथा साहित्य से आत्मसंतुष्टि के साथ जीवन को समझने का एक नया नजरिया प्राप्त हुआ है । कुछ सम्मान व कई वरिष्ठ लेखकों से परिचय व साहित्य क्षेत्र में कुछ करने की प्रेरणा मिली है ।
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क्रमांक - 037
                        
               जन्म :23 फरवरी 1956 को इंदौर में जन्म।                शिक्षा: एम काम, एल.एल.बी ।
लेखन: लघुकथा ,कविता ,हाइकु ,तांका, व्यंग्य, कहानी, निबंध आदि विधाओं में समान रूप से निरंतर लेखन । देशभर की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।

सम्पादन:क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी 'क्षितिज' का वर्ष 1983 से निरंतर संपादन । इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए 'सरोकार' एवं 'लकीर' पत्रिका का संपादन।

प्रकाशन:
पुस्तकें  शब्द साक्षी हैं (निजी लघुकथा संग्रह),
पिघलती आंखों का सच (निजी कविता संग्रह )
कोहरे में गांव (गजल संग्रह) शीघ्र प्रकाश्य।

संपादित पुस्तकें -
तीसरा क्षितिज(लघुकथा संकलन),
मनोबल(लघुकथा संकलन),
जरिए नजरिए (मध्य प्रदेश के व्यंग्य लेखन का प्रतिनिधि संकलन),
साथ चलते हुए(लघुकथा संकलन उज्जैन से प्रकाशित),
सार्थक लघुकथाएँ( लघुकथा की सार्थकता का समालोचनात्मक विवेचन),
शिखर पर बैठकर  (इंदौर के 10 लघुकथाकारों की 110 लघुकथाएं संकलित)
कोरोना काल की लघुकथाओं पर एक संपादित पुस्तक का प्रकाशन।

साझा संकलन-
समक्ष (मध्य प्रदेश के पांच लघुकथाकारों की 100 लघुकथाओं का साझा संकलन)
कृति आकृति(लघुकथाओं का साझा संकलन, रेखांकनों सहित),
क्षिप्रा से गंगा तक(बांग्ला भाषा में अनुदित साझा संकलन),
शिखर पर बैठ कर (दस लघुकथाकारों का साझा संकलन)

अनुवाद:
निबंधों का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला भाषा में अनुवाद ।
लघुकथाएं मराठी, कन्नड़ ,पंजाबी,नेपाली, गुजराती,बांग्ला भाषा में अनुवादित । बांग्ला भाषा का साझा लघुकथा संकलन 'शिप्रा से गंगा तक वर्ष 2018 में प्रकाशित।

विशेष:
लघुकथाएं दो पुस्तकों में,( छोटी बड़ी कथाएं एवं लघुकथा लहरी ) मेंगलुर विश्वविद्यालय  कर्नाटक के  बी ए प्रथम वर्ष और बी बी ए के पाठ्यक्रम में शामिल।

लघुकथाएं विश्व लघुकथा कोश, हिंदी लघुकथा कोश, मानक लघुकथा कोश, एवं पड़ाव और पड़ताल के विशिष्ट खंड(11) में शामिल।

शोध:
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एम फिल में मेरे लघुकथा लेखन पर शोध प्रबंध प्रस्तुत । कुछ पी एच डी के शोध प्रबंध  में  विशेष रूप  से शामिल ।

पुरस्कार सम्मान:
साहित्य कलश, इंदौर के द्वारा लघुकथा संग्रह' शब्द साक्षी हैं' पर राज्यस्तरीय ईश्वर पार्वती स्मृति सम्मान वर्ष 2006 में प्राप्त।
लघुकथा साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मां शरबती देवी स्मृति सम्मान 2012 मिन्नी पत्रिका एवं पंजाबी साहित्य अकादमी से बनीखेत में वर्ष 2012 में प्राप्त ।

सरल काव्यांजलि साहित्य संस्था,उज्जैन से वर्ष 2020 में सारस्वत सम्मान से सम्मानित।

सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होकर इंदौर शहर में निवास, और लघुकथा विधा के लिए सतत कार्यरत।

 पता : -
 सतीश राठी
 त्रिपुर ,आर- 451, महालक्ष्मी नगर,
 इंदौर 452010 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथानक होता है। बिना कथानक के कोई भी लघुकथा, लघुकथा के स्वरूप में स्थापित नहीं हो सकती है। वैसे भाषा शिल्प पंच  का अपना महत्व होता है लेकिन कथानक सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - श्री रामकुमार घोटड़ ,श्री संतोष सुपेकर,श्री सुकेश साहनी  ,श्री मधुदीप गुप्ता , श्रीमती कांता राय।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - लघुकथा की समीक्षा उसकी भाषा, उसका कथानक, प्रयुक्त किया गया शिल्प ,लेखन शैली,उद्देश्य आदि पर निर्भर होती है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - फेसबुक,ब्लॉग, व्हाट्सएप आदि।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ? 

उत्तर - लघुकथा सर्वाधिक लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित होती जा रही है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ? 

उत्तर - पुरानी पीढ़ी के द्वारा निर्मित की गई जमीन और नई पीढ़ी के द्वारा किया गया सशक्त बीजों का बीजारोपण यह दोनों इस विधा के बारे में संतुष्ट करते हैं और इस विधा का भविष्य बहुत उज्जवल दिखता है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 

उत्तर - मैं एक सामान्य मध्यमवर्ग परिवार से हूं एवं लेखन में बचपन से रुचि रही है। लघुकथा के क्षेत्र में वर्ष 1977 से लेखन जारी है तथा लघुकथा  विधा के पालन पोषण के लिए वर्ष 1983 से 'क्षितिज 'संस्था, इंदौर के माध्यम से निरंतर आयोजन ,गोष्ठिया, पत्रिका प्रकाशन, कार्यशाला इस तरह के कार्य मेरे द्वारा एवं मेरी टीम के द्वारा किए जा रहे हैं ,जो इंदौर का नाम समूचे देश के नक्शे पर स्थापित कर रहे हैं ।वर्ष 2018 से निरंतर एक वार्षिक सम्मेलन पूरे देश में लोकप्रिय हो गया है और लघुकथा विधा को शिखर पर पहुंचाने में उसका बड़ा योगदान रहा है।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरा परिवार मेरे लेखन में सदा सहयोगी और प्रेरक की भूमिका में रहा है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 

उत्तर - लेखन से जीवन नहीं चलता। आजीविका के लिए बैंक की नौकरी की और अब सेवानिवृत्त हूं। पेंशन से जीवन चल रहा है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर -  लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा साहित्य से जीवन दर्शन प्राप्त हुआ है।

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क्रमांक - 038
जन्म स्थान - मधुबनी (बिहार)

लेखन : -
2014 से गद्य एवं पद्य में हिंदी व मैथिली में लेखन

सम्पादन : -
डेढ़ वर्ष तक H for Hindi के संपादक

एकल पुस्तक -
1)  चौंक क्यों गए (लघुकथा संग्रह)।
2) एकल ई बुक - बेवफा हो तुम

ब्लॉग- दो
सांझा संकलन  - 23

सम्मान  -- 15
फेसबुक और वाट्सएप पर भी कई सम्मान प्राप्त हुए हैं ।

पत्र - पत्रिकाएं : -
अक्सर पत्रिकाओं एवं अखबारों में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । अभी तक 350 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है ।

पता : -
मकान नं. बी / 9 , के टी पी एस , थर्मल कालोनी , साकातपुरा , कोटा - राजस्थान - 324008

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - कथ्य 


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - आद0 योगराज प्रभाकर जी ,आ0 चंद्रेश कुमार छतलानी जी, आद0 अशोक जैन जी, आद0 बीजेन्द्र जैमिनी जी, आद0 अनिल सूर आजाद जी  ।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - शीर्षक,  कथ्य, लघुता, शिल्प, पंच लाइन ।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - लघुकथा साहित्य के लिए सोशल मीडिया में फेसबुक  अहम् भूमिका निभा रहा है । फेसबुक पर कई समूह हैं जो लघुकथा पर विशेष कार्य कर रही है , जिसमें 'लघुकथा के परिंदे' , 'भारतीय लघुकथा विकास मंच' आदि ।

 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - साहित्यिक परिवेश में आज लघुकथा की स्थिति चमकता सितारा की तरह है, जो हर तरफ से चमकता दिखाई दे रहा है ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - जिस प्रकार लघुकथा का विस्तार हो रहा है , तो वहीं कई बार लघुकथा में मतभेद भी देखने को मिलता है । वैसे ये स्वाभाविक भी है । इसी वजह से कई बार लघुकथाकार असमंजस में पड़ जाते हैं ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं साधारण और शिक्षित परिवार से हूँ । जहाँ शिक्षा का बहुत महत्व है । मैं स्वयं को एक विद्यार्थी ही समझती हूँ, किन्तु जो लोग भी मुझसे मार्गदर्शन लेने के लिए आते हैं तो , मैं अवश्य मदद करती हूँ । 


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की कोई भूमिका नहीं है । बल्कि शुरुआत में कुछ लोगों ने  हतोत्साहित ही किया मुझे । हाँ! जब कुछ-कुछ लिखने लगी तो मेरे बच्चों ने मेरे लेखन की प्रसंशा जरूर किया है । 


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - शून्य 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - मेरा मानना है कि लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है ।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - आत्मसंतुष्टि और एक लेखिका के रूप में पहचान । 

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क्रमांक - 039

जन्म : ग्यारह सितंबर 1942
जन्म स्थान : मोण्टगुमरी ( पाकिस्तान )
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी , बी.एड्

प्रकाशित पुस्तकें :-

कहानी संग्रह :-

1.फूलों की सुगंध
2.दोष किस का था
3.बस, अब और नहीं
4.मैंने क्या बुरा किया है
5.नहीं, यह नहीं होगा
6.मैं नहीं जानती
7.कितने महायुद्ध
8.चुनिंदा कहानियाँ
9.अलकनंदा

माहिया एवं हाइकु संग्रह :-

10.तिरते बादल
11. मन पंछी- सा

ताँका संग्रह- 

12.हवा गाती है

लघुकथा संग्रह :-

13.साँझा दर्द

उपन्यास :-

14.क्या वृंदा लौट पाई!,
15.यादों के झरोखे

कविता संग्रह:- 

16.युग बदल रहा है
17.आसमान मेरा भी है
18.एक नदी एहसास की
19.उठो, आसमान छू लें

पुरस्कार : -

- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान -2019
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ' श्रेष्ठ महिला रचनाकार'  से 2013 में सम्मानित।
- 'दोष किसका था' कहानी -संग्रह को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार ।
- हरियाणा साहित्य अकादमी से  चार बार कहानियाँ पुरस्कृत ।
- शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
- दो दर्जन से अधिक देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थानों द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।

विशेष : -

- पंजाबी, उर्दू, सिन्धी, अवधी, नेपाली ,गढ़वाली एवं अंग्रेज़ी में कुछ रचनाएँ अनूदित।
- वेब -साइट पर प्रकाशन:- अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्य कुंज, त्रिवेणी, सहज साहित्य ,लघुकथा डॉट कॉम, हिन्दी हाइकु आदि।
- देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
- दस देशों की विदेश यात्रा
- आकाशवाणी रोहतक, शिमला दिल्ली एवं अम्बर रेडियो स्टेशन यू.के से कविता, कहानी, वार्ता, चर्चाओं का प्रसारण।
- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित  हरिगंधा पत्रिका के हाइकु विशेषांक का 2017 में सम्पादन
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.फिल तथा पी.एच.डी की उपाधि हेतु छात्रों द्वारा शोध कार्य सम्पन्न।
- भाषा चंद्रिका स्वर संगम,‘भाषा मंजरी’पाठ्य पुस्तकों में रचनाएँ

पता : ई - 29 , नेहरू ग्राउण्ड , फरीदाबाद - 121001 हरियाणा

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कथ्य है । यह वह केन्द्र बिन्दु होता है जिसके इर्द-गिर्द ताना -बाना बुना जाता है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पाँच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन हिन्दी लघुकथा साहित्य की यात्रा इतनी सुगम नहीं रही । कई बाधाएँ रास्ते में आई हैं। आरम्भ से आज तक सैंकड़ों लेखकों ने इस विधा को स्थापित करने और आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है।सभी का अपना अपना महत्व रहा है। लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिनके कारण इस विधा का गौरव बढ़ा है ,तथा इसे  लोकप्रिय बनाने में वे आज भी जुटे हुए हैं। उनमें से पाँच नाम बहुत कम हैं।शेष के प्रति नाइंसाफ़ी होगी ।फिर भी क्षमा के साथ  उत्तर दे रही हूँ : - सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु,  सतीश राज पुष्करणा, योगराज प्रभाकर, बलराम

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - किसी भी अन्य विधा की समीक्षा की तरह लघुकथा की समीक्षा के भी कुछ माप दंड हैं।जिसके अनुसार उसका मूल्यांकन किया जा सकता है। जैसे : - कथानक, उसका आकार ,शिल्प,भाषा-शैली कैसी है ।कथा में निहित संदेश देने और समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ है कि नहीं। शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप होना।  संप्रेषणीयता पाठकों को प्रभावित करने, चिंतन करने  की कितनी  क्षमता है।इसके साथ केवल प्रशंसा ही नहीं, कमियों की ओर भी इंगित किया जाना चाहिए ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन -कौन से प्लेटफ़ॉर्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है?
उत्तर - आज हज़ारों की संख्या में लघुकथाकार हैं ।उनमें से कुछ ऐसे  रचनाकार हैं जो इस विधा के विकास के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। उनके परिश्रम एवं लगन के परिणाम स्वरूप रचनाकारों को स्पेस मिला है उनकी रुचि बढ़ी है।तथा उनकी  संख्या में वृद्धि हुई है इसीलिए लघुकथा विकास की ओर अग्रसर है।  जो भी प्लेटफ़ॉर्म हैं सभी का काम सराहनीय है, अपना -अपना महत्व है । किस का नाम लें और किस का छोड़ें। केवल उदाहरण स्वरूप कुछ उदाहरण ।लघुकथा.कॉम  (स.सुकेश साहनी,रामेश्वर काम्बोज हिमांशु), लघुकथा कोश सं योगराज प्रभाकर , भारतीय लघुकथा विकास मंच ( बीजेन्द्र जैमिनी )
दृष्टि (अशोक जैन) , पड़ाव और पड़ताल ( मधुदीप गुप्ता ) ,सरंचना (कमल चोपड़ा ) , क्षितिज ( सतीश राठी ) अविराम साहित्यिकी (उमेश महादोशी )उदंती, हिन्दी चेतना आदि। इसके अतिरिक्त वटसऐप, फ़ेसबुक ब्लॉग, रेडियो, यूट्यूब आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी है।लड़खड़ाती लघुकथा संघर्षों को झेलती शैशवावस्था से निकल कर यौवनावस्था में पहुँच गई है तथा वयस्क होकर आज लोकप्रियता की ऊँचाइयों को छू रही है।लघुकथाकारों की संख्या में वृद्धि हुई है। विकास हेतु कई मंच संलग्न हैं ।लघुकथा गोष्ठियों,प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है । लघुकथा विशेषांक निकाले जाते हैं। अधिक से अधिक स्तरीय पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है। उन पर शोध कार्य सम्पन्न हो रहे हैं ,लघु फ़िल्में बन रही हैं।पुरस्कारों के लिए भी स्वीकृत किया जा रहा है।यही नहीं अब विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी लघुकथाओं को स्थान दिया जा रहा है।लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - नव लेखन का लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है ।सोशल मीडिया के कारण  पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई है। लघुकथा लोकप्रिय भी हो रही है।लेकिन गुणात्मक दृष्टि से स्तरीय एवं प्रभावी रचनाओं  का प्रतिशत कम है। नवीन,समसामयिक विषयों की भी कमी है ।बहुत सारे विषय अभी अछूते हैं।लघुकथा लेखन उतना आसान नहीं जितना समझा जाता है। बहुत कुछ केवल प्रकाशित होने के लिए लिखा जा रहा है।लेकिन स्थापित एवं नए लेखकों के उत्तम लेखन तथा उनके द्वारा लघुकथा के विकास के लिए किए जा रहे  प्रयासों से संतुष्ट हूँ।

प्रश्न न.7-आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं? बतायें किस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - शिक्षित एवं उदारवादी विचारों वाले परिवार में जन्म हुआ।दादा और पिता जी साहित्य प्रेमी थे।उनका प्रभाव मुझ पर भी हुआ।हिन्दी साहित्य की शिक्षिका रही हूँ।बहुत कुछ लिख लेने के बाद भी लगता है अभी और सीखना है। अवसर मिलता है तो नव लेखकों को लघुकथा लेखन के लिेए प्रेरित करती हूँ और अच्छे लेखन के लिए सुझाव दे देती हूँ।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - लेखन में मेरे परिवार से मुझे सदैव सहयोग मिला है।मैं सौभाग्यशाली रही हूँ  बचपन से ही मेरी लेखन प्रतिभा को देख कर पहले मेरे पिताजी एवं भाई प्रोत्साहित करते रहे  ,फिर विवाहोपरांत ससुराल भी साहित्यकारों का मिला।जिसके कारण मुझे सहयोग और प्रोत्साहन दोनों मिलते रहे हैं।

प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में, आपके लेखन में क्या स्थिति है?
उत्तर - मैं शिक्षिका रही हूँ । लेखन मेरी आजीविका का साधन कभी नहीं रहा।मैं लिखती हूँ ताकि समाज को अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ दे सकूँ। उसके बदले में पाठकों एवं साथियों का प्यार ,सम्मान मिलता है। हाँ, कभी-कभी पुरस्कारों की राशि मिल जाती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - लघुकथा पल्लवित होकर विकास की सीढ़ियाँ चढ़ रही है । ख़ूब लिखा जा रहा है।मैं लघुकथा के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ।

प्रश्न न.11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - मैं लिखती हूँ क्योंकि मुझे लिखना है, समाज को कुछ देना है, प्राप्ति की आशा कभी नहीं की कथाकार के रूप में पहचान मिली है, सम्मान मिला है । आत्म संतुष्टि मिली है।

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क्रमांक - 40

शिक्षा : बी.ए. , बी.एड.
सम्प्रति : मुंबई में १५ वर्ष प्रधानाचार्या तथा दस वर्ष  हिंदी अध्यापन.
लेखन : काव्य, कहानी तथा स्क्रिप्ट

ई - पुस्तकें : -

मंद-मंद मुस्कान
काव्य बीथिका
कथा मंजरी

साझा संकलन : -

अनवरत, 
मुंबई की कवयित्रियाँ,
१४ काव्य रश्मियाँ,
प्रेमाभिव्यक्ति,
सिर्फ़ तुम,
मुम्बई के कवि.
बुजुर्ग ( ई- लघुकथा संकलन )

सम्मान : -

- जनवरी २०१४ में बाबा साहब अम्बेडकर राष्ट्रीय  पुरस्कार (देहली).
- जून २०१५ में 'हिंदी गौरव सम्मान' (लंदन).
- मार्च २०१६ में  'हम सब साथ साथ'द्वारा 'प्रतिभा सम्मान' (बीकानेर).
- नवंबर २०१७ में  सिद्धार्थ तथागत साहित्य सम्मान
- जून २०२०आखर आखर सम्मान - २०२०
- जुलाई २०२१ हिन्दी अकादमी शिक्षा रत्न सम्मान
अगस्त २०२१ ' सुभद्रा कुमारी चौहान' सम्मान
- 'नया लेखन नये दस्तखत' द्वारा लघुकथा प्रतियोगिता में बहुत सी कहानियाँ सर्वश्रेष्ठ घोषित.
- 'शीर्षक साहित्य परिषद' द्वारा आयोजित दैनिक प्रतियोगिता में कविताएँ, लघुकथाएँ तथा कहानी 'माँ' सर्वोत्कृष्ट घोषित.
- साहित्य प्रहरी समूह द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में कहानी 'ज्योति-पुंज' को प्रथम पुरस्कार.
- यश पब्लिकेशन द्वारा आयोजित 'कलम की कसौटी' कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त.
- स्टोरी मिरर द्वारा लघुकथा 'काठ की हाँडी' तथा कहानी 'ज्योति पुंज' पुरस्कृत.
- अगस्त २०११ में 'द संडे टाइम्स' के स्पेशल इश्यू में इक्कीसवीं सदी की १११ लेखिकाओं में नाम घोषित. 
- जून २०२१ में भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार सरेश शर्मा स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान

विशेष : -

- विद्यार्थी  जीवन  में  अनेक  नाटकों, लोकनृत्यों तथा साहित्यिक प्रतियोगिताओं में  सफलतापूर्वक  प्रतिभाग एवं पुरस्कृत.
- दूरदर्शन  पर  काव्य-गोष्ठियों  में  प्रतिभाग, संचालन तथा साक्षात्कारों  का प्रसारण.
- आकाशवाणी के मुंबई केंद्र से  रेडियो तथा ज़ी टी.वी. पर कहानियों का प्रसारण. प्रसारित  कहानियाँ -'परंपरा का अंत' 'तोहफ़ा प्यार का', 'चुटकी भर सिन्दूर,' 'अंतिम विदाई', 'अनछुआ प्यार' 'सहेली', 'बीस साल बाद' 'अपराध-बोध' आदि .
- बच्चों  के लिए नृत्य- नाटिकाओं का लेखन, निर्देशन  तथा मंचन.
- कहानियों के नाट्यीकरण ,साक्षात्कार,कॉन्सर्ट्स तथा स्टेज शो के लिए  स्क्रिप्ट लेखन.
- हिंदी से अंग्रेज़ी तथा मराठी से हिंदी अनुवाद कार्य-
'टेम्स की सरगम ' हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद.
- एक मराठी फिल्म 'स्पंदन' का हिंदी में स्क्रीनप्ले लेखन.
- अंतरराष्ट्रीय  सेमिनार में सहभागिता : विषय- पर्यटन और मनोविज्ञान ,ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी, विश्व मैत्री और भाईचारे पर  सोशल मीडिया का प्रभाव
- आलेख प्रकाशित : एक सवाल हूँ मैं (ज्योतिर्मयी पत्रिका)
  पर्यटन और मनोविज्ञान (अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'लेखनी')
  स्त्री पुरुष का पर्याय- शिखंडी (अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लेखनी),  पत्रकारिता का बदलता स्वरूप: आम आदमी की नज़र में (न्यू मीडिया) , आदिवासी कला: एक झलक (आदिवासी साहित्य एवं संस्कृति)

विदेश भ्रमण : -

युनाइटेड  किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर,जर्मनी,हॉलैण्ड, फ्राँस,फ़िनलैंड तथा मालदीव्स.

पता : बी, ४०१/४०२, मधुबन अपार्टमेन्ट, फिशरीस युनीवरसिटी  रोड, सात बंगला के पास, वर्सोवा,
अंधेरी (पश्चिम), मुंबई-६१ महाराष्ट्र

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर- कथ्य महत्वपूर्ण तो और तत्व भी हैं पर कथ्य पर ही लघुकथा की संरचना टिकी होती है.
       
प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर -  श्रीमती कांता राय , श्री वीरेन्द्र वीर मेहता ,श्री राम देव धुरन्दर , श्री योगराज प्रभाकर , सुश्री चित्रा मुद्गल
    
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर-समीक्षा की दृष्टि से लधुकथा की समीक्षा के लिये जिन मुद्दों या तत्वों पर ध्यान देना चाहिये वे हैं- कथावस्तु,चरित्र,संवाद,वातावरण,शैली और संप्रेषणीयता. वातावरण और शैली को गौण मान लिया जाय तो बाकी चार महत्वपूर्ण है.परन्तु लघुकथा किसी बने-बनाये साँचे में फिट हो जाने वाली विधा नहीं है. क्षणिक घटना,  संक्षिप्त कथन तथा तीक्ष्ण प्रभाव होना जरूरी है. इन में से कोई एक भी न हो या कमजोर हो तो लघुकथा  प्रभावहीन होगी. लघुकथा बिना भूमिका के लिखी जाती है.इस में पात्र और कथा एक दूसरे के पूरक होते हैं कभी-कभी कथा में पात्र की उपस्थिति लेखकीय प्रवेश मान ली जाती है जो एक भ्रम है. "मैं" करके यदि पूरी लघुकथा लिखी जाये तो उसमें लेखकीय प्रवेश नहीं माना जाता है.नये लेखकों का भ्रम तब दूर होता है जब वे गुरुजनों से सही निर्देश लेते हैं या दोनों प्रकार की लघुकथाओं को पढ़ कर मनन करके समझने का प्रयास करते हैं.इसी प्रकार पंचलाइन के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता.किन्तु केवल पंचलाइन को ही पूर्ण रूप से संप्रेषणता का आधार मान लेना सही नहीं. वैसे तो बहुत सी बातें हैं जो समीक्षक को ध्यान में रखनी चाहिये.हर लघुकथा एक नये रंग-रूप व आकार ले कर जन्म लेती है तथा प्रस्तुत की जाती है.पर समीक्षक को नियमों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा करनी चाहिये.

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी जानकारी में हैं- 'नया लेखन नये दस्तख़त' व 'लघुकथा के परिन्दे' , भारतीय लघुकथा विकास मंच

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जो लेखक सीखने की अवस्था में हैं वे छोटी छोटी गलतियों से सीख कर स्वयं को  सुधारने की कोशिश करते हैं.जो नियमों का पालन करते हैं वे सही दिशा की ओर बढ़ जाते हैं.जिन्हें नियमों का कुछ अता-पता ही नहीं वे कुछ भी लिख कर लघुकथा का नाम दे देते हैं.वरिष्ठ जन पूरी तरह जानकार हैं उनके लिये लघुकथा लिखना चुुटकियों का काम है.पर आज के साहित्यिक परिवेश में वे लेखक दिगभ्रमित हैं जो नहीं जानते कि किसको लघुकथा माने किसको नहीं.उनके लिये सही दिशा निर्देशन की आवश्यकता है.

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- पूरी तरह नहीं.

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- मैं शिक्षा के क्षेत्र से लेखन में आई हूँ.शिक्षा के क्षेत्र में ही मार्गदर्शन कर सकती हूँ.

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर- सर्वप्रथम, मेरी लेखन की गतिविधियों के चलते मेरे परिवार की दिनचर्या प्रभावित नहीं होती.हालांकि परिवार की देख-रेख उनकी आवश्यक्ताओं की पूर्ति तथा घर संभालने की पूरी जिम्मेदारी मेरी है और मैं उन सब कामों को पूर्णतया ईमानदारी से निभाती हूँ फिर भी लेखन कार्य के लिये समय निकाल लेती हूँ.परिवार का योगदान इतना है मुझे कंप्यूटर व मोबाइल पर टाइप करना,इ मेल भेजना वगैरह मेरे बच्चों ने ही सिखाया.यहाँ तक कि मेरी कुछ समस्याएँ मेरी नातिनें ही सुलझा देती हैं जैसे मोबाइल तथा प्रिंटर की मदद से प्रिंटआउट निकालना,मेरे सारे पेपर्स की फाइल बनाना,कहीं साहित्यिक कार्यक्रम में जाना हो तो अपने पर्स में अपना पॉकेट मनी डाल कर मुझे हिदायतें दे कर भेजना जैसे मैं कोई छोटी बच्ची हूँ.विशेषकर जब मैं उनके साथ विदेश में होती हूँ तो किसी साहित्यिक कार्यक्रम में मेरे दामाद जी मुझे गंतव्य तक छोड़ने-लेने जाते है कि मम्मी कहीं खो न जायें.इन सब से मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है और लिखने की प्रेरणा मिलती है.जब मेरी कोई रचना पुरस्कृत होती है तो हम सब मिलकर विशेष आयोजन करते हैं बाहर कहीं जा कर या घर पर. बच्चे मेरी उपलब्धियाँ अपने मित्रों को बताते हैं जिससे उनके मित्र मेरे भी और निकट आ जाते हैं. मेरी हर रचना मेरी बहन ( जो फ़िनलैंड में रहती है ) बड़े ध्यान से पढ कर टिप्पणी करती है. उसके पति और मेरे पति भी मुझे प्रोत्साहन देते हैं. यही नहीं मेरा बेटा मेरी रचनाओं को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करके यू टयूब पर प्रस्तुत करता है. घर परिवार की ओर से इतना प्रोत्साहन मिलने पर मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझती हूं.

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- मैं स्वांत सुखाय लिखती हूँ.मानदेय की अपेक्षा नहीं रखती, फिर भी जब चेक मिलता है तो लिखने का उत्साह और बढ़ जाता है.

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर- लघुकथा का भविष्य उज्जवल है पर वरिष्ठ जनों का दिशा-निर्देश  बहुत आवश्यक है. यहाँ मैं श्रीमती कांता राय के कठोर अनुशासन का उदाहरण देना चाहूँगी जिस तरह वे लघुकथा के परिन्दों को ठोक-पीट कर तैयार करती हैं वैसे भी और गुरुजनों के आगे आने की आवश्यकता है.

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- मैंने 'नया लेखन नये दस्तखत' समूह में लघुकथा लिखना शुरू किया. 'करत करत अभ्यास के...'मैं लिखती चली गई और जब मेरी कई लघुकथाएँ पुरस्कृत हुईं तो अन्य समूहों में भी भेजने लगी.स्टोरी मिरर में मेरी लिखी लघुकथा 'काठ की हाँडी पुरस्कृत हुई तो मुझे अपार प्रसन्नता हुई.नया लेखन नये दस्तख़त में 'ब्लैक ब्यूटी',मुखौटे,मिलन, कलमकांड, नया सवेरा स्वाद अधिवेशन तथा 'शीर्षक साहित्य परिषद' द्वारा 'वात्सल्य' आदि पुरस्कृत हुई तो लघुकथा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती गई.

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क्रमांक - 041

जन्म : 07 सितंबर , दमोह (मध्यप्रदेश)
संप्रति- स्वतंत्र लेखन

प्रकाशित पुस्तकें : -

काव्य संग्रह-अलौकिक 2017
दूसरा काव्य संग्रह -'काव्य धारा' प्रकाशित सितंबर 2020
साझा संकलन-11  (2018-2021)


सम्मान व पुरस्कार : -

कोकण ग्राम विकास मंडल द्वारा 2017
सजल गौरव पुरस्कार 2018 बनारस 
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मारीशस 2018
(11वे विश्व हिंदी सम्मेलन राष्ट्रीय प्रचार समिति छत्तीसगढ़ द्वारा)
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान 2018 इजिप्ट 
(विश्व मैत्री मंच की ओर से)
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान ताशकंद (2019)
विश्व मैत्री मंच द्वारा
जलगांव ,पटियाला, मुंबई, भोपाल , केरल 2018
साहित्य सम्मान प्राप्ति
 अन्य संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मान पत्र प्राप्ति।

उपलब्धि : -

फेसबुक पर काव्य अँकुर पेज़ एवं बाल साहित्य एडमिन । खुद के ब्लाग और अन्य ब्लागों पर लेखन । यूट्यूब पर रचनाएं प्रकाशित। अंकशास्त्र और हस्त रेखा ज्ञान। संगीत, नृत्य, पेंटिंग, बागवानी, बेडमिंटन, टेबल टेनिस खेल में रूचि।
प्रकाशित कृतियाँ-100 से अधिक । सभी  समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।
 गुजराती से हिंदी पुस्तकों का अनुवाद। 

प्रवास- (इंडोनेशिया) जकार्ता में 2007 से 2015 तक लेखन और सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय।

पता : -
बी-7/103 , साकेत काम्प्लेक्स ठाणे पश्चिम
मुंबई -  400601 महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में कथ्य यानि संदेश का होना अत्यंत आवश्यक है। पंच में से निकला वह संदेश जो चिंतन को जन्म दे और पाठकों को चिंतन करने पर मजबूर कर दे।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बलराम अग्रवाल , चित्रा  मुद्गल, रमेश बतरा, डॉ सतीश दुबे। यह सभी लघुकथाकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लघुकथा लेखन में। आदरणीय बीजेंद्र जैमिनी जी लघुकथा साहित्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वह नए-नए लघुकथाकारों को लघुकथा लिखने का अवसर प्रदान कर रहे हैं और उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा करते समय निष्पक्ष होकर समीक्षा करनी चाहिए एवं कथ्यों को चिह्नित करने के क्रम में यह अवश्य देखें कि लेखक ने जिस उद्देश्य से उन्हें रचा है, उसमें वह खरा उतरा है या नहीं।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य को आगे बढ़ाने में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। फेसबुक ,ई पत्रिका, ब्लॉग व्हाट्सएप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम एवं टि्वटर आदि सोशल मीडिया के  ये सशक्त प्लेटफार्म हैं जो नए लेखकों को जन्म दे रहे हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश को देखते हुए लघुकथा का तीव्र गति से विकास हो रहा है। लघुकथा कम शब्दों में बहुत बड़ा संदेश दे जाती है जो कि पाठकों के मन को छू जाता है । बड़ी - बड़ी कहानियाँ पढ़ने का दौर धीरे-धीरे समाप्त होता चला जा रहा है। लघुकथा ने अपनी एक खास जगह बना ली है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति अपनी गति से आगे बढ़ रही है और सशक्त लघुकथाकार अपनी लघुकथाओं के माध्यम से उसका विस्तार कर रहे हैं एवं नए लघुकथाकारों को मार्गदर्शन भी दे रहे हैं। लघु कथा की स्थिति अच्छी है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत ही उन्नत रही है। मेरे पापा एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर थे। ईमानदार अफसर के लिए अपने क्षेत्र में कार्य करना चुनौतीपूर्ण होता है पर उसका फल अंत में मीठा होता है यही सीख बचपन से प्राप्त की है। मेरी माँ सीधी- सादी धार्मिक महिला थी जिन्होंने हमेशा हम सभी को आगे बढ़ाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। मेरे माता - पिता का आशीर्वाद सदा मेरे साथ है। मैं मार्गदर्शक नहीं बल्कि जिंदगी भर विद्यार्थी बनकर निरंतर सीखना चाहती हूँ।

प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे परिवार में सभी लोग मुझे लेखन के लिए प्रेरित करते हैं और अपना मार्गदर्शन भी देते हैं वे मेरे अच्छे आलोचक भी हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन के द्वारा मैंने काफी कमाई की है और अभी भी कई समाचार- पत्रिकाओं द्वारा थोड़ी बहुत राशि मिल जाती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है। वर्तमान में कई अच्छे लघुकथाकार इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं और नाम कमा रहे हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लेखन में स्वांत: सुखाय ही करती हूँ। लघुकथा लिखने से अपनी कई कमियों का पता चला है जो कि लेखन के लिए अति आवश्यक है। लघुकथा साहित्य ने मुझे एक नई पहचान दी है। मेरी लेखनी को एक नई दिशा प्रदान की है ,जिस पर मुझे बहुत अधिक मेहनत करनी है ताकि अच्छा सृजन कर पाऊँ।
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क्रमांक - 042

जन्म तिथि - 5 मई 1963
पिता का नाम - डॉ ब्रज बल्लभ सहाय
माता का नाम - श्रीमती माधुरी सहाय
पति का नाम - श्री गिरिजेश प्रसाद श्रीवास्तव
निवास स्थान - पटना (बिहार)
पेशा - गृहणी , स्व रुचि लेखन
शिक्षा - एम.ए. (अर्थशास्त्र)

पुस्तकें :  -

'निहारती आँखें' काव्य  संग्रह,
  'वर्तमान सृजन'  साझा काव्य संकलन,
    'श्रद्धांजलि से तर्पण तक' एकल कहानी संग्रह । 
      'नदी चैतन्य हिन्द धन्य',
     'अमृत अभिरक्षा', 'नसैनी',
     'जागो अभय', 'समय की
      दस्तक',साझा संकलन,
      बासंती अंदाज़' साझा काव्य  संग्रह
         
सम्मान -

भोजपुरी बाल कहानी प्रतियोगिता में पुरष्कार  प्राप्त
उन्वान प्रकाशन एवं लेख्य मंजूषा साहित्यिक संस्थान
  द्वारा "सम्मान प्रतीक" की प्राप्ति,
story mirror एवं फेसबुक के कई ग्रुप द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान,

पता : -
305, इंद्रलोक अपार्टमेंट, न्यू पाटलिपुत्र कॉलनी, पटना - बिहार 800013

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर -  जैसे किसी सम्मिलित कार्य के   सम्पन्न होने पर किसी एक को  विशेष महत्व नहीं  दिया जा सकता उसी तरह लघुकथा में भी विषय वस्तु, शीर्षक और प्रस्तुति सभी का अपना अपना महत्व है। पर कभी-कभी शीर्षक लघुकथा के   भाव को स्पष्ट करने में सहायक  होता है।  लघुकथा के पितामह  'सतीशराज पुष्करणा' की लघुकथा  'बोफर्स कांड' इसका अच्छा उदाहरण है। 


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - लघुकथा का संसार बहुत विस्तृत हो चुका है। आज इस क्षेत्र में अनेक लेखक अनेक तरह से कार्य कर रहे  हैं। जो मेरे प्रेरणा के स्रोत रहे वैसे  पांच लघुकथाकारों के  नाम लिखती हूँ।  - सतीशराज पुष्करणा, मधुदीप गुप्ता, बीजेन्द्र जैमिनी , योगराज प्रभाकर और कांता राय।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  कथानक सरल और प्रभावपूर्ण हो।   कथानक का अनावश्यक विस्तार न  हो। शीर्षक पर विशेष ध्यान अशुद्धियों पर ध्यान, जिससे पढ़ने में  असुविधा न हो।लघुकथा अपना प्रभाव छोड़े, लेखकीय प्रवेश से मुक्त हो तथा उपदेशात्मक न हो।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया  के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?  

उत्तर - लघुकथा के परिंदे, भारतीय लघुकथा विकास मंच,नया लेखन: नए दस्तक इसके अलावा फेसबुक के अन्य कई ग्रुप, व्हाट्स एप्प ग्रुप, इंस्टाग्राम आदि।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लघुकथा अपना पांव जमा चुकी है। पाठक और लेखक दोनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - संतुष्टि का अर्थ है तृप्त होना। साहित्य में संतुष्टि हो जाए तो   विकास अवरुद्ध हो जाएगा। साहित्य का विकास दिनोंदिन बढ़ते रहना   चाहिए। 


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि सेआए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं 

उत्तर - मैं ऐसे मध्यवर्गीय परिवार से हूँ,  जहाँ दो पीढ़ी ऊपर से नारी शिक्षा का महत्व रहा।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे माता-पिता  लेखक नहीं थे पर अच्छे पाठक थे। माँ के साथ भाई-बहन और पति मेरी रचना को पढ़ते हैं सुनते हैं और अपनी राय अवश्य व्यक्त करते हैं। बड़ी दो बहन भी लिखती हैं, एक भाभी  कवयित्री हैं। थोड़ा बहुत गद्य लेखन भी करती हैं। ससुराल में एक देवरानी और एक भतीजी लेखन से जुड़ी हुई हैं। सभी एक दूसरे की रचनाएं पढ़ते हैं और यथासम्भव मार्गदर्शन करते हैं।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लेखन मेरे जीविकोपार्जन का साधन  नहीं।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा के लेखक और पाठक की संख्या बढ़ रही है अतः ये कहा जा सकता है कि भविष्य में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी होगी।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - पहले मैं कहानी और कविता लिखती थी। लघुकथाएं भी लिखी पर लघुकथा विधा से अनभिज्ञ रह कर अतः वह लघु कथा तो थी । लघुकथा नहीं। लघुकथा विधा को जानने के बाद लिखी लघुकथाएं आत्मसंतुष्टि प्रदान करती है खुशी  मिलती है। हर उस घटना पर कलम सरलतापूर्वक बढ़ जाती है जो दिल को झकझोड़ देती है।

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क्रमांक - 043

पति का नाम : श्री मुदित गर्ग
पिता का नाम : श्री विधासागर
माता का नाम : श्रीमती कौशल रानी
शिक्षा : एम० ए० (अर्थशास्त्र), ‌बी एड०

विधा : -
लघुकथा, कविता, गीत, मुक्तक, दोहा, हाइकु, कहानी, संस्मरण आदि ज्यादातर सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है।

व्यवसाय: -
अध्यापिका, लेखिका कम गृहणी,  महिला काव्य मंच दिल्ली की कार्यकारिणी सदस्या, समाज सेवा में संलग्न।

सांझा संकलन : -
जागो अभया, काव्यस्पंदन, समाज ज्योति, अविरल प्रवाह, समय की दस्तक, भाषा सहोदरी, आरूषि, साहित्य अर्पण, प्राज्ञ साहित्य, कोरोना काल में साहित्य आदि।

सम्मान: -
'हिंदी योद्धा' सम्मान  2020, उत्तराखंड में प्राज्ञ साहित्य सम्मान,  जय विजय पत्रिका द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ लघुकथाकार 2019' ,लघुकथा श्री, भाषा सहोदरी, 'हिन्दी साहित्य कर्नल' स्टोरी मिरर, गुरु वशिष्ठ सम्मान, जागो अभया सम्मान, नदी चैतन्य हिंद गौरव सम्मान, गीत गौरव सम्मान, मां वीणापाणि साहित्य सम्मान - 2020 ,स्वामी विवेकानन्द साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ श्रोता सम्मान, देश में जल बचाने हेतु जागरूकता सम्मान, पृकति प्रहरी सम्मान, काव्य भूषण सम्मान, जैमिनी अकादमी हरियाणा द्वारा स्वामी विवेकानंद सम्मान 2021, भारत गौरव सम्मान 2021, टेकचंद गुलाटी स्मृति सम्मान, उत्तम चंद स्मृति सम्मान ,हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा भिन्न-भिन्न सम्मानों से नवाजा गया है। आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।

पता : -                                  
ई-708, नरवाना अपार्टमेंट, 89 आई०पी०एक्सटैंशन,
दिल्ली -110092

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व संदेश होता है जो कथा में छिपा होता है। वस्तु और चरित्र उसी पर केंद्रित रहते हैं।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?

उत्तर -  आ० कांता राय जी, आ० अशोक जैन जी, आ० योगराज प्रभाकर जी, आ० उमाकांत भारती जी‌ आदि‌ ऐसे कई लघुकथाकार हैं जो समकालीन लघुकथा साहित्य में अपने कार्यो द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मेरी नज़र में आ० बीजेन्द्र जैमिनी जी की है, जिनके अथक प्रयासों के कारण लघुकथाओं को एक जगह संकलित किया जा रहा है और हम जैसे छोटे लघुकथाकारों को भी अपनी बात कहने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।


प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा हेतु कथा, वस्तु, नायक, शैली और संप्रेषण आदि मापदंड प्रयुक्त किए जाते हैं। समीक्षक को लेखक के नाम पर नहीं बल्कि उसकी लिखी लघुकथा पर समीक्षा करने की जरूरत है। जो आलोचना का प्रारूप भी धारण कर सकती है। तभी सही मापदंड उजागर हो सकता है।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  शोशल मीडिया ने लघुकथा साहित्य को एक नई पहचान दिलाई है। यहां अनेक ऐसे प्लेटफार्म हैं जहां लेखक लघुकथा लिखकर पोस्ट करता है और वह तुरंत पाठकों की प्रतिक्रियाओं से रूबरू होने लगता है। फेसबुक, वाट्स‌अप, ई-बुक, ब्लॉग , यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, साईट्स आदि अनेक प्लेटफार्म हैं।


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर -  साहित्य ने आज़ अपनी चरम सीमा को प्राप्त कर लिया है। हिन्दी के बढ़ते प्रभाव के कारण यह संभव हो पाया है। भागमभाग वाली जिंदगी में लघुकथाएं पढ़कर सभी अपने जीवन में परिवर्तन को महसूस कर पा रहे हैं। इसलिए मेरे नज़रिए से साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतर समझी जा सकती है। 


प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - तो मैं कहना चाहूंगी कि अभी हमें और इस पर गहराई से काम करना होगा। आज़ जहां देखो वहां लघुकथाकार आपको दिखाई दे जाएंगे क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से क‌ई प्लेटफार्म आज़ प्रचलन में हैं। सभी अपने मन की बात कहने को आतुर हैं।


प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक पढ़े-लिखे परिवार से हूं। जहां सभी बहन-भाइयों की पढ़ाई पर जोर रहता था। पापा जीवन बीमा में थे, तो बच्चों को भी उन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन दिया। आर्य समाजी होने के कारण सात्विक विचार व समाज सेवा करना भी पापा-मम्मी से प्राप्त हुए। मुझे नहीं पता कि मैं किस प्रकार की मार्गदर्शक बन पाई हूं, परन्तु इतना ज़रूर कहूंगी कि किसी भी प्राणी, बुजुर्गों को सताओ नहीं बल्कि उनकी सेवा करो क्योंकि पता नहीं कब किसी की दुआ आपके काम आ जाए। 


प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है? 

उत्तर - मेरा परिवार ही मेरी दुनिया है। मेरे परिवार ने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया है। लेखन‌ की शुरुआत में उन्हीं को सुनाती थी। जिससे मुझे अपनी कमियों को पूरा करने में मदद मिलती। शादी के पच्चीस साल बाद अपनी लेखनी को उठाया और अपने परिवार की सहायता से आज़ भी लिखने में सक्षम महसूस कर पा रही हूं। मेरे बच्चे मुझे रूकने ही नहीं देते।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। मेरा लेखन करने का एक ही औचित्य है कि सभी को सकारात्मकता प्रदान कर सकूं और कोई किसी को कभी भूल से कष्ट दे भी दे तो शायद मेरे लेख पढ़कर अपने आप को बदल सके। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया की सोच में परिवर्तन लाना चाहती हूं। मैं तब तक लिखती रहूंगी जब तक बदलाव को महसूस न कर लूं।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा? 

उत्तर - मुझे लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई पड़ रहा है। जिस प्रकार इस पर काम हो रहा है उसके अनुसार तो लघुकथाएं ही सबसे ऊंचा पायदान प्राप्त कर पाएंगी। आज़ बच्चों के पास समय का अभाव है तो जो शिक्षा हम कम शब्दों में उनको परोसकर दे रहे हैं वह उनका भविष्य सुधारने में मदद जरूर करेगा और लघुकथा पढ़ने में छोटी जरूर है परन्तु सीधे मस्तिष्क पर वार करती है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर - लघुकथा साहित्य से मैंने उड़ान भरनी सीखी है। अपने आप को आत्मसात करना सीखा है। कुछ परिवर्तन जो जिंदगी में नहीं ला पा रही थी । वे भी कर पाई हूं। मेरा मानना है...

'लघुकथा देखन में छोटी लागे, 

पर मस्तिष्क पर घाव करे गंभीर।'

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क्रमांक - 044

शिक्षा : एम. ए हिन्दी साहित्य

पति : सुनील कुमार जी जैन (निवर्तमान पार्षद)
रुचि दर्शन शास्त्र मनोविज्ञान ,धर्म, लेखन और पढ़ने के साथ कुछ नया सीखना सिखाना

प्रमुख : गृहिणी 

लेखन : -
लेखन की साहित्यिक यात्रा में  लघुकथा के साथ कविता, छंद, गीत,नवगीत...आदि अनेक विधाओं में समान रूप से कार्य 
विभिन्न साहित्यिक मंचों से उपनाम यथा मनीषी -अटल कवि परिवार, विभा--विज्ञात की कलम  व अनुभूति

सम्मान : -
 -जैन आचार्य 108विराग सागर जी महाराज 
साहित्य वाचस्पति, 
ब्रिट्रिश वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर (जैनिज्म राइटिंग)
तीन बार इंटरनेशनल सम्मान (जैनिज्म राइटिंग)
बेस्ट कंटेट राइटर अवार्ड, 
वुमन इंस्पायर्ड अवार्ड ,
नारी रत्न 2019सम्मान,
 बाबूमुकुंद लाल गुप्त सम्मान ,
 फणीश्वरनाथ रेणु सम्मान ,
 वीणापाणि सम्मान
 साहित्य दीप प्रज्ञा सम्मान , 
 साहित्य दीप शलभ सम्मान ,
विष्णुप्रभाकर स्मृति लघुकथा सम्मान

 2021,ब्लैकब्यूटी काव्य प्रहरी सम्मान सम्मान,
 प्रेम भूषण सम्मान,
 कालीचरण प्रेमी स्मृति लघुकथा सम्मान
 ........लगभग 80

साझा संकलन --ये कुंडलियाँ बोलती हैं, दोहे बोलते हैं,चौपाई ,नवगीत ,गीत शतक ,के अलावा चार अन्य काव्य संग्रह , दो लघुकथा संग्रह, एक साझा उपन्यास बरनाली,के अलावा आसाम नराकास में विगत तीन वर्षों से  रचनाएँ प्रकाशित , झारखंड के जागरण अंक व अन्य मंच व पत्र पत्रिकाओं से रचनाएँ प्रकाशित।
जिसमें अमेरिका की साहित्यिक पत्रिका हम भारतीय में भी रचना को स्थान ... आदि ।

सम्पादन : -
जैन पत्रिका भावना की अतिथि संपादिका, शालेय पत्रिका शारदा की मुख्य संपादिका, लघुकथा संग्रह की सहसंपादिका, प्रखरगूंज से पब्लिश्ड  कलरव वीथिका की संपादिका, विचार वीथिका की सहसंपादिका। 

विभिन्न संस्थाओं में : -
 जैन संस्थाओं में पदाधिकारी व आँचलिक प्रभारी ,व फाउंडर अध्यक्ष 

पता : - शाह गन हाउस
            देवनगर कालोनी भिण्ड - 477001, मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर -  लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व संदेश है। कथानक सकारात्मक और संदेशप्रद हो।

प्रश्न न. 2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वर्तमान में लघुकथा साहित्य लोकप्रिय विधा है। मेरे अनुसार अशोक जैन जी, सुकेश साहनी जी,विभा रानी श्रीवास्तव जी , कांताराय जी जैसे नाम हैं जो लघुकथा क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं। इस क्रम में बीजेन्द्र जैमिनी जी का नाम भी अपना विशेष स्थान रखता है। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा करते वक्त कथानक, देश-काल-वातावरण, उद्देश्य, संदेश आदि पर ध्यान देना चाहिये। अगर लघुकथा समस्या प्रधान है तो निराकरण सुझाव भी उसमें निहित अवश्य हो।

प्रश्न न. 4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा हेतु सोशलमीडिया पर बहुत प्लेटफार्म उपलब्ध हैं । पर मैं कुछेक से ही जुड़ी हूँ। आज से चार साल पहले नवलेखन से जुड़ी थी जहाँ लघुकथायें लिखना सीखा। फलक,सार्थक, जैसे मंच हैं जो अच्छा काम और मार्गदर्शन कर रहे हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान समय गतिशील अधिक है । पाठक वर्ग पढ़ना कम चाहता है।और लंबी रचनायें पढ़ने का धैर्य नहीं है। अतः लघुकथा दिन-ब-दिन साहित्यिक दृष्टि से अपना स्थान बनाने में सफल है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा अभी उस मुकाम तक नहीं पहुँच सकी , जहाँ उसे होना चाहिये। कारण यह है कि प्रत्येक विधा समय और चिंतन चाहती है। नकल या पुराने विषय ही सामने आ रहे हैं। वक्त है कि मानवेत्तर लघुकथायें, मनोवैज्ञानिक लघुकथायें, वैज्ञानिक लघुकथाओं के साथ गलत रूढ़ियों पर प्रहार हो। अतः मैं संतुष्ठ होते हुये भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूँ।

प्रश्न न.7 -  आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूँ। जहाँ हजारों विसंगतियां व समस्यायें हैं। हमने अपनी लघुकथाओं में इसी परिवेश से लघुकथा के विषय चुने हैं जो आम शहरी के जीवन से भी संबंधित दिखते हैं। रही बात मार्गदर्शक की तो सृजन कुंज समूह के सदस्यों , मित्रों को लघुकथा के विषय और कथानक को प्रभावी बनाना सिखाया है ,सिखा रही हूँ और स्वयं भी सीख रही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - एक स्त्री दो परिवारों से जुड़ी होती है। तो जहाँ प्रथम परिवार शिक्षित और पाठक है वहीं ग्रामीण पृष्ठभूमि के दूसरे परिवार में शिक्षा या पठन-पाठन का महत्व बिल्कुल अलग है। हाँ यह अवश्य है जन्मदाता परिवार से पढ़ने के गुण और संस्कार मिले । जिन के कारण लेखन का गुण मुझमें आया। पर आज सब जानते हैं कि मैं लिखती हूँ पर सक्रिय भूमिका या सहयोग बिल्कुल नहीं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - एक लेखक या लेखिका का दृष्टिकोण विस्तृत हो जाता है और सोचने व चीजों को देखने का नज़रिया भी अलग होता है। यह डिपेंड करता है कि आपकी आजीविका का साधन क्या है?

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है। अपने लघु आकार व गागर में सागर भरने वाले कथानक के साथ पंच लाइन अच्छा असर डालती हैं। 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे एक पहिचान मिली है। मैं इसे लिखते वक्त सहज महसूस करती हूँ। क्यों कि बड़ी कहानियों के लिए अक्सर तारतम्य जोड़ने हेतु उचित घटनाक्रम नहीं मिल पाते। अक्सर मित्रों की सराहना प्रोत्साहित करती है।
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क्रमांक - 045
पिता का नाम : डा.शिव दत्त  शुक्ल 
माता का नाम : ऋषिकुमारी शुक्ल 
पति का नाम : देवेन्द्र पाण्डेय 
शिक्षा : बी  .ए
व्यवसाय : समाज सेविका और लेखिका 

प्रकाशित पुस्तकें -
१)महिलाओं के अधिकार कानून के दायरे में - लेख संग्रह 
२) बैचेन हुए हम - काव्य संग्रह 
३) लघु आकाश - लघुकथा संग्रह 
४) ओस थी बूंद- हाइकु संग्रह 
५) एक अकेली औरत - काव्य संग्रह 

सम्पादन  पुस्तकें : -
१) अग्निशिखा काव्य धारा 
२) अग्निशिखा कथा धारा 
३) काव्य जीवन चक्र 
४) जन्मदाता 
५) शब्दाचे शिल्पकार मराठी 
६) नवांकुर 

पत्र - पत्रिकाओ मे -मंगल दीप , नवभारत टाईम्स , मेरी सहेली , केरियर , आदि 

समाज सेवा पिछले तीस वर्षों से 
अखिल भारतीय अग्निशिखा के माध्यम से 
१) अश्लिलता विरोधी आंदोलन
 २) घरेलू हिंसा के विरुध 
३) एड्स जनजाग्रति के लिये नुक्कड नाटक पूरे महाराष्ट्र में 
४) कुटुम्ब विघटन को रोकना 
५) महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम 
६) हर साल अग्निशिखा गौरव सम्मान समारोह 
७) आदिवासियों के लिये 
८) वृक्षा रोपण हर साल 
९) डा शिवदत् शुक्ल स्मृति सम्मान समारोह 
१०) महिलादिवस पर आदि 

 संसथाओ से सम्मान - 
महिला गौरव 
विघावाचस्पति सम्मान - विक्रमशिला विघापीठ से 
रत्न ,हिरणी सम्मान , समाज गौरव सम्मान , समाज 
भूषण सम्मान , इस तरह से तीन सौ ( 400) से अधिक सम्मान मिले है 

 पता -
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर -१ कौपरखैरीन् नवी मुम्बई  ४००७०९ - महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - कथा वस्तु , शिल्प और शैली महत्वपूर्ण तत्व है । 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत महत्व पूर्ण है ? 
उत्तर - १) हरिशंकर परसाई २) बलराम अग्रवाल ३) बीजेन्द्र जैमिनी ४)सूर्यकांत नागर ५) सतीश दुबे आदि

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा के केलिये वस्तु , चरित्र , संवाद , वातावरण , शैली , सम्प्रेषणीयता , 
आदि माप दंड माने गये हैं । समीक्षक को हर दृष्टि से लघुकथा को देखना परखना होगा और एक आलोचक की दृष्टि से समीक्षा करनी होगी । तभी लेखक व लघुकथा की सही समीक्षा होगी ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फ़ेस बुक , यू ट्यूब, इस्टाग्राम, ट्यूटर, वाट्सप , ब्लाक , पेज , कई वाट्सप ग्रुप,  ई पत्रिका आदि 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के समय लघुकथा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है । समय के अभाव में लघुकथा पाठक को चलते फिरते मंनोरजन करती है , चट पट पढ लेते है । 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं बहुत अधिक नही पर कुछ हद तक संतुष्ट हूँ । क्योंकि आज लघुकथा को लोग पढ़ने लगे है काफी लघुकथा कार सामने आये हैं लघुकथा पर काम हो रहा है । भविष्य में साहित्य में इसका नाम होगा । 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरा जन्म गाँव में हुआ शिक्षा शहर में हुई मेरे पिता जी प्रोफ़ेसर थे । घर का वातावरण सात्विक था । मैं शादी के बाद मुम्बई आई समाज सेवा करते करते लेखन भी करती हूँ नवी मुम्बई के  “सेवा सदन प्रसाद “ ज़ायक़ों की गोष्ठीयों में जाकर लघुकथा लिखने लगी । अभी बहुत कुछ सिखना बाकी हैं । 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार का कोंई हस्तक्षेप नहीं रहता , मेरा बेटा भी लिखता है तो एक दूसरे का कभी पढ़ कर विचार विमर्श कर लेते है । पर सब अपने कामों में बहुत व्यस्त रहते है । कम समय ही मिलता है। लेखन पर चर्चा करने के लिये । 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन में आजीविका का कोई सहयोग नहीं है । 
मैं लेखन आत्मसतुष्टी और शौक के लियें करती हूँ । 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल हैं । परन्तु लघुकथाकार को बहुत मेहनत करनी होगी क्यो की लेखक दमदार होगा तो ही पाठक को झकझोर के रख पायेगा और लघुकथा को ऊचाईयां दिला पायेगा 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघकथा साहित्य से मैंने आत्मबल पाया है । हौसलों की उड़ान भरने लगी , तमाम लघुकथा पढ़ कर सकारात्मक ऊर्जा पाई है । कई नये साहित्यकारो , साहित्यक मंचों से परिचय हुआ । गोष्ठी और संगोष्ठी में आना जाना होता है । बहुत कुछ पाया है बता नहीं सकती । 
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क्रमांक - 046
पति- अरुण कु गुप्ता 
माता का नाम-सरस्वती गुप्ता 
जन्मतिथि-१६ सितंबर 
शिक्षा-स्नातक (दर्शनशास्त्र)ऑनर्स -राँची विश्वविद्यालय 
बी एड -प्रयाग राज विधा पीठ

संप्रति- गृहिणी व लेखन

प्रकाशित पुस्तकें-

  लघुकथा संकलन-घरौंदा।
साहित्यनामा साँझा संग्रह,
भोर पत्रिका ,संझावत भोजपुरी पत्रिका,
अविरल प्रवाह पत्रिका आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएँ ।

सम्मान-
१)जैमिनी अकादमी (पानीपत)द्वारा झारखंड रत्न सम्मान ।
२)स्टोरी मिरर द्वारा प्राप्त सम्मान।
३)नवीन कदम द्वारा प्राप्त सम्मान।
४)साहित्योदय मंच से प्राप्त सम्मान।

कई पत्र ,पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएँ व ब्लॉग लेखन

पता : -
 श्री ए.के.गुप्ता 
न्यू ए जी कोऑपरेटिव काॅलोनी
एच.नं. 72 / कडरु ,रांची - झारखंड
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथा की बुनावट होती है।जिसे पात्रों के संवादों और कथानक से बुनकर प्रस्तुत किया जाता  है ताकि कथा मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ जाए।जिसमें कुछ सीख या समाज के लिए एक सार्थक संदेश हो।

प्रश्न न. 2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में सुकेश साहनी, चित्रा मुग्दल, अशोक भाटिया, हरिशंकर परसाई, बीजेन्द्र जैमिनी आदि लघुकथाकार हैं।
    बीजेन्द्र जैमिनी जी एक उत्कृष्ट लघुकथाकार हैं। जिन्होंने समकालीन लघुकथा साहित्य को काफ़ी आगे बढ़ाया है।इन्होंने आज के लेखकों को प्रोत्साहित कर एक विशाल मंच प्रदान किया है। समय समय पर लेखकों को मंच प्रदान कर लघुकथा साहित्य को काफ़ी ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। आप प्रेरणा के स्त्रोत हैं। आपकी भूमिका लघुकथा साहित्य में अत्यंत ही प्रशंसनीय है।

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - उत्कृष्ट लघुकथा की समीक्षा के कई श्रेणियों में मापदंड तय होने चाहिए मसलन रोचक , संवाद, प्रवाह, कथानक, संदेश और सबसे महत्वपूर्ण अंत असरदार हो। जैसे खाने के बाद मीठा खाने से मुँह में स्वाद आ जाता है। ठीक वैसे ही कथा समाप्त होते ही आह! या वाह मुँह से निकल जाए।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वैसे तो साहित्य को प्रचार की कोई आवश्यकता नहीं होती है।साहित्य प्रेमी निरंतर सृजनशील रहते हैं। आज से पंद्रह साल पहले तक सोशल मीडिया नगण्य था। समाचार पत्र या रेडियो के माध्यम से साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित या प्रचारित होती थी ।
आज फ़ेसबुक,वाह्टसैप ,गूगल ने तो क्रांति ला दी है।हर क्षेत्र में सोशल मीडिया ने लोगों को जोड़ने में एक मज़बूत सेतु का काम किया है।आज सात समुंदर भी चुटकी में क़रीब आ जाता है।आसानी से एक दूसरे की रचनाओं को भेजना हो या पढ़ना सब कुछ सुगम हो गया है।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्य का परिवेश काफी विशाल,वृहद् हो चुका है।पुरूष से लेकर महिलाओं का रुझान लघुकथा लेखन की  ओर अग्रसर है।लघुकथा कारों की बाढ़ सी आ गई है।अल्प शब्दों में भावों ,घटनाओं को उकेरना और सजाकर परोसना काफ़ी प्रचलित हो रहा है।अपने आस पास की घटनाओं को या विचारों को कलम बद्ध कर सुंदर कथा में गूँथ कर लिखने की कोशिश करते हैं। अच्छी लघुकथाओं के संग्रह प्रकाशित हो रहे हैं । वहीं एक ओर शीघ्रातिशीघ्र ख्याति प्राप्त करने के लिए कुछ लेखक गण लिख तो लेते हैं पर कथा मानदंडों पर खरा नहीं उतर पाता।वह ना तो लघुकथा की श्रेणी में आती है ,ना ही कहानी की श्रेणी में। कई लेखक तो चोरी पर उतारू हो गए हैं। दूसरों की रचनाओं को तोड़ मोड़ कर अपना नाम दें देते हैं।अंत:लेखकों को लिखने से ज़्यादा अच्छे रचनाकारों को पढ़ना चाहिए ताकि उनकी रचना में निखार आए।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - हाँ,आज अधिक से अधिक लघुकथा ही लिखी जारी है।बड़ी कहानियाँ कम लिखी जा रही। समयाभाव के कारण लोग उपन्यास और लंबी कहानियाँ लिखने और पढ़ने में कम रुचि दिखाते है। परंतु साहित्यकारों की इस भीड़ में कुकुरमुत्ते की तरह लेखक उग आए हैं। जो जल्द से जल्द अपनी पुस्तक प्रकाशित करने के होड़ में शामिल हैं। जिस वजह से वर्तनी या व्याकरण की अशुद्धियाँ या भावों का अभाव साफ़ नज़र आता है। मेरे विचार से नवोदित लेखकों को पहले अच्छे लेखकों को पढ़ने की आवश्यकता है। तभी भीड़ में पहचान बना पाएँगे और उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन संभव हो पाएगा।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठ भूमि उच्च मध्यम वर्गीय रही है। लेखन में रुचि स्कूल के दिनों में जागृत हुई थी पर समय के गर्त में कहीं दब गई थी। गाहें बगाहे सुप्त पड़ी लेखनी सोती जागती रही।कभी कभार छोटे -मोटे कार्यक्रमों में कविता पाठ करती।
     गत तीन साल से नियमित निरंतर लेखन कार्य जारी है। जहाँ तक मार्गदर्शक बनने की बात है। अभी मैं उस लायक़ अपने आप को नहीं मानतीं। एक लघुकथा संग्रह “घरौंदा “प्रकाशित हुई है जिसे संगी साथियों का प्यार मिला तो एक विश्वास की बीज अंकुरित हुई। जिसे लहलहाते वृक्ष बनाने के लिए मुझे ख़ुद को सींचने की आवश्यकता है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार ,रिश्तेदारों और दोस्तों की भूमिका बिलकुल वैसी है जैसे लंगड़े को लाठी का सहारा मिल गया हो। उनका सहयोग मुझे निरंतर मिलता रहा मानो एक सूख रहे वृक्ष को खाद्य पानी समय पर मिल जाने से वह खिल उठता है ठीक उसी तरह मुझे मेरे परिवार वालों ने हौसला अफ़जाई किया। मेरी कलम में ताक़त की स्याही परिवार के उत्साहवर्धन ने भरा। उनके वजह से लिखने की चाहत को गति मिली।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन में मेरी आस्था है जिसकी मैं पूजा करती हूँ ।इसे पैसा कमाने का ज़रिया बनाऊँ ,कभी सपने में भी नहीं सोच सकती।इसलिए मेरी पुस्तक अमेजन पर बिकती हैं पर मैं पब्लिशर से एक पैसा नहीं लेती हूँ।पाठकों की समीक्षा ही मेरी पूँजी है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।निरंतर शिखर छू रहा  है।पहले लघुकथा को लिखने का दायरा सीमित लेखकों तक ही था पर अब ज़्यादातर कहानी लेखक ,उपन्यासकार धड़ल्ले से लघुकथा पर अपनी लेखनी चला रहे हैं।आज मनुष्य के पास समय और संयम की कमी है।वे जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते हैं।यही वजह है कि लंबी कहानियाँ,उपन्यास कम लिखे जा रहे है।
लघुकथा के पाठकों का विस्तार हुआ है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य मेरे लिए एक ऐसा वरदान साबित हुआ । जिसके माध्यम से मेरे भावनाओं के उद्गार पन्नों पर बहने लगे। अपने विचारों के उड़ान को गति मिल गई। समाज तक संदेश पहुँचाने का बेहतरीन माध्यम साबित हुआ। अल्प वाक्यों और सीमित दायरे में रहकर अपनी कथा को गढ़कर मूर्त रूप में प्रस्तुत करने का मज़बूत स्तंभ मिला और यहाँ वहाँ डायरी के पन्नों पर पड़े लघुकथाओं को समेट कर एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित करवाने में सफल हुई।
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क्रमांक - 047

साहित्यिक उपनाम : -डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
साहित्य सेवा-

हिंदी व अंग्रेजी में लिखित व संपादित पुस्तकें, गाईड्स व सीरीज 106 से अधिक ,बच्चों के लिए विद्यालय हेतु कई नाटकों का लेखन

सम्पादन : पत्रिकाओं का संपादन-4 मासिक, अर्धवार्षिक,वार्षिक पत्रिकाएं

अभिनय: डाॅक्यूमेंट्री फिल्म 'बिटिया रानी ' में महत्वपूर्ण भूमिका  ,कई नाटकों में विद्यालय स्तर पर  अभिनय
आकाशवाणी के तीन केंद्रों से संबद्धता-कहानी वाचन,आलेख वाचन,काव्य पाठ
वीडियो एल्बम-आज का वातावरण, प्रेम के रंग (काव्य पाठ)-इंदौर व मुंबई से निर्गत

सम्मान :

विदेश में : (मास्को रूस, काठमांडू तथा म्यान्मार बर्मा  में) 7 सम्मान
देश में : लोकसभा अध्यक्ष श्री* *ओमकृष्ण बिरला जी द्वारा 'साहित्य श्री ' सम्मान सहित 140 से अधिक* सम्मान ।

महत्वपूर्ण दायित्व-
  अध्यक्ष-एकल अभियान परिषद जिला-दतिया,  संरक्षक-संस्कार भारती जिला-दतिया, संयोजक-मगसम दतिया जिला,*
एवं लगभग 7 अन्य साहित्यिक व समाज सेवा से संबंधित संस्थाओं में राज्य व जिला स्तरीय शीर्ष पदभार ।

विशेष-जून 2018 में मास्को में 2पुस्तकों का विमोचन ,जनवरी 2020 में 3 पुस्तकों का विमोचन रंगून (बर्मा)में सम्पन्न  ।

पता : 150 छोटा बाजार दतिया - मध्यप्रदेश 475661

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - उद्देश्य 


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -1श्री विष्णु प्रभाकर  2 श्री हरिशंकर परसाई  जी 3 श्री अमृतलाल नागर  जी 4 श्री रमेश बत्तरा 5 श्री भगीरथ परिहार  


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - अपनी बात कब,कहाँ, कैसे कहना है? शैली, तीक्ष्ण प्रभाव ।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - व्हाट्स एप,फेसबुक 


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - बहुत संतोषजनक ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - जी,हाँ ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - शिक्षा की पृष्ठभूमि से।अपने अनुभव नवोदित रचनाकारों को प्रदान करता हूँ ।कई पत्रिकाओं में समीक्षक हूँ ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे लेखन कार्य में कभी व्यवधान नहीं करते हैं ।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - अंग्रेजी के शैक्षणिक लेखन से पैसा तथा हिन्दी के लेखन से सम्मान व आत्म संतोष ।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - आने वाले समय में अधिक लेखक व अधिक पाठक होंगे ।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - अपनी बात कम शब्दों में रखने का संतोष व पाठकों की संवेदनाओं को छू पाने में सफलता ।

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क्रमांक - 048

जन्म : 05 सितम्बर 1979 रामपुर - उत्तर प्रदेश
माता:श्रीमती सरोज शर्मा
पिता:श्री राम निवास शर्मा
शिक्षा : बी एस सी ,  बी.डी.एस
संप्रति :दंत चिकित्सक

लेखन की विधाएँ :  लघुकथा, कहानी, कविता, यात्रा वृतांत, हाइकु

विशेष : -
अनेक सांझा संकलनों में लघुकथाएं संकलित
अनेक लघुकथा की आडियो रिकार्डिंग

सम्मान : -

सत्य की मशाल द्वारा साहित्य शिरोमणि सम्मान
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , गुरुग्राम द्वारा लघुकथा मणि सम्मान
लघुकथा शोधकेंद्र भोपाल के दिल्ली अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
प्रतिलिपि सम्मान

संपर्क : बी-1/248, यमुना विहार, दिल्ली-110053

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? 

उत्तर – जिस तरह किसी भी रेसिपी को बनाने के लिए उसमें आवश्यक सभी इनग्रेडियेंटस जरूरी होते हैं लेकिन नमक के बिना रेसिपी बेस्वाद हो जाती है। वैसे ही लघुकथा के लिए कथातत्व होना अति अनिवार्य है। लघुता के साथ कथातत्व उपस्थित होना लघुकथा की अनिवार्यता है। 


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है 

उत्तर – समकालीन लघुकथा साहित्य में पाँच नामों का लेना मेरे लिए बहुत मुश्किल काम है। लघुकथा की मशाल को जलाये रखने में हमारे वरिष्ठ ने बहुत महत्वपूर्ण काम किया है़। सब अलग अलग ही सही । लेकिन लघुकथा के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं। बीजेन्द्र जैमिनी जी आप निरन्तर लघुकथाकारों को एकजगह एकजुट करने का काम कर रहे हैं। बलराम अग्रवाल , भगीरथ, सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ये सभी लघुकथा के लिए निरन्तर समर्पित हैं। 


प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर – समीक्षक का कर्तव्य है वह लघुकथा के भीतर तत्कालीन परिस्थितियों से सम्बन्धित घटनाओं की खोज करके उसकी व्याख्या करे और अगर लघुकथा में कोई समाधान भी दिखाई देता है तो उसका भी वर्णन करे।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर – लघुकथा साहित्य के इस सारस्वत यज्ञ में सब अपने अपने तरीके से आहुति डाल रहे हैं। फेसबुक पर लघुकथा के विभिन्न समूह, यू ट्यूब, ऑडियो - वीडियो ये सभी लघुकथा के लिए निरंतर कार्यरत हैं। 


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर – आज लघुकथा बहुतायत में लिखी जा रही है। सम्भवतः आकार में छोटी होने के कारण इसके लेखकों की संख्या में वृद्धि हो रही है।प्रयास होंगे तभी अच्छी रचनाएं भी निकलकर आयेंगी। 


प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर – आज लघुकथा हर जगह अपना परचम लहरा रही है लेकिन संतुष्ट होना अर्थात विकास का रुक जाना।


प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर – मेरे पापा इन्टरकॉलिज के प्रधानाचार्य रहे हैं। पढ़ाई को बेहद समर्पित। अपने विद्यार्थी काल में मैंने सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया है। मेरी कोई लेखकीय पृष्ठभूमि नहीं है। मेरी मम्मी बहुत अच्छी किस्सागो होने के साथ सुंदर भजन भी रच लेती हैं। मुझे लेखनी की यह विरासत वहीं से मिली है। मेरे भाई भी , तुकांत अतुकांत कविता लिखते हैं। सीखने को समुद्र भर है। अभी उसकी एक बूंद भर भी नहीं सीख पाई हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर – बिना पारिवारिक सहयोग लेखन सम्भव ही नहीं।सहयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों रुप में हो सकता है। मैं और मेरे पति दोनों दंत चिकित्सक हैं।मेरी दो छोटी बेटियाँ हैं।मुझे लिखने के लिए समय देना, लेखन कार्य के लिए कहीं आने जाने पर घर पर रुककर बच्चों पर ध्यान देना, छोटे बच्चों का मम्मी के बिना घर पर अकेले रुक जाना, इन सब सहयोग के बिना मेरी लेखन यात्रा असंभव थी। मैं प्रभु की शुक्रगुज़ार हूँ मुझे इतना प्यारा, सहयोगी परिवार दिया। 


प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर –मैं दंतचिकित्सक हूँ। लेखन मेरा पैशन है। मेरे विचार से लेखन को आजीविका बनाने के लिए दायरे में बाँधना होगा। दायरे में बंध कर मेरी लेखनी उन्मुक्त नहीं रह सकती। 


प्रश्न न.10 -  आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर – लघुकथा के लिए हमारे वरिष्ठों ने बहुत मेहनत की है।हमारे साथी भी इसके लिए पूरे मन से समर्पित हो काम कर रहे हैं।किसी विधा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं पर होती है और सौभाग्य से आज की पीढ़ी लघुकथा के लिए समर्पित है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल ही नहीं बहुत उज्जवल है। 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर – साहित्य सदैव कुछ न कुछ सिखाता है।लेखन अनुभव का निचोड़ होता है।मैंने भी लघुकथाएं पढ़ कर बहुत कुछ सीखा है और निरन्तर सीख रही हूँ।

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क्रमांक - 049

 जन्मतिथि   :  29 अगस्त 1960

जन्मस्थान : सीवान - बिहार

शिक्षा : बी.ए , बी. एड् , एल.एल. बी

सम्प्रति : 2016 से 'साहित्यिक स्पंदन' त्रैमासिक पत्रिका का सम्पादन

विशेष : -
-  2011 में ब्लॉग जगत से जुड़ी
–2012 से हाइकु और लघुकथा लेखन
–2014 में अपना हाइकु समूह बनायी और हाइकु पुस्तक हेतु इवेंट कराया
–2014 में ही वेब जय विजय पर लेखन शुरू किया
–हस्ताक्षर वेब पत्रिका में हाइकु चयन शुरू किया
- 2015 में *साझा नभ का कोना* हाइकु साझा संग्रह और *कलरव* सेदोका - तानका साझा संग्रह का सम्पादन किया

- 2016 में लेख्य-मंजूषा की स्थापना और लघुकथा पुस्तक का सम्पादन शुरू किया
- 2016 में हाइकु शताब्दी वर्ष में लगभग 125 हाइकुकार को शामिल कर .. *साल शताब्दी , शत हाइकुकार, साझा संग्रह* और *अथ से इति : वर्ण पिरामिड*  51 प्रतिभागियों का साझा संग्रह सम्पादित किया –छोटी-छोटी कोशिश है..

–2016 में लगभग 125-130 प्रतिभागियों की हाइकु की दूसरी पुस्तक
साल शताब्दी
शत हाइकुकार
साझा संग्रह
का सम्पादन किया

पता : -
104–मंत्र भारती अपार्टमेंट ,रुकनपुरा , बरेली रोड ,
पटना – 800014 बिहार

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर – यह कहना बहुत कठिन है कि एक शरीर में कौन सा अंग सबसे महत्त्वपूर्ण है फिर भी अगर एक अंग की बात तय की जाये तो वह दिल और उसकी धड़कन.. उसी तरह मैं लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व शीर्षक को मान रही हूँ... लघुकथा पितामह सतीशराज पुष्करणा की लिखी लघुकथा 'बोफोर्स कांड', 'अपाहिज' 'मन के सांप' को उदाहरणार्थ प्रस्तुत कर रही हूँ


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर – सैकड़ों में से सिर्फ पाँच नाम... डॉ. सतीशराज पुष्करणा, सतीश राठी, बीजेन्द्र जैमिनी , मधुदीप गुप्ता, बलराम अग्रवाल, कमल चोपड़ा


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?

उत्तर - रंजनात्मक सरल कथानक लघुकथा लेखन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है

-शीर्षक सटीक या अनुपयोगी/अनुपयुक्त है

–शिल्प में नयापन है कि नहीं

–लिखने की गुणवत्ता, कथानक से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण बात छूटा न हो और न ही अनावश्यक विस्तार किया गया हो।

-समीक्षा लिखते समय यह कोशिश करनी चाहिए कि लेखन की समस्या न बता कर यह बताना चाहिए कि उसमें क्या सुधार करना है। स्व-समीक्षा सुधार की गतिविधि का हिस्सा है। समीक्षा करना लाभप्रद होता है, जिससे जो गलतियाँ या कमियाँ रही उसे सुधारा जा सकता है। उसी के आधार पर विश्वसनीयता बनी रहती है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?

उत्तर – नया लेखन : नए दस्तखत

– लघुकथा के परिंदे

– भारतीय लघुकथा विकास मंच

– लघुकथा विश्वकोश


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर – बेहद मजबूत स्थिति है... पाठक और लेखक दोनों की संख्या बढ़ रही है...।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर – सौ प्रतिशत सन्तुष्ट नहीं हूँ... काल के साथ परिवर्त्तनशील के साथ सन्तुष्टि कैसे आ सकती है... !


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर – गृहणी हूँ... सामान्य स्त्री का जीवन


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर – लेखन को सुन लेना , उपयुक्त सुझाव देना


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर – जब अपनी बी. एड. और वकालत की पढ़ाई (जो आजीविका हेतु ही की जाती है) को धन उपार्जक नहीं बनायी तो लेखन से आजीविका... 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - कवि - कवयित्री , लघुकथा लेखन में जुट रहे..अतः मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर – मानसिक सन्तुष्टि और मनोबल ऊँचा रख पाना...!

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क्रमांक - 050

नाम : डॉ. क्षमा सिसोदिया
      अंतराष्ट्रीय,कवियत्री,लघुकथाकार,हास्य व्यंग्य, हाइकु,   
      मुकरी विधा की स्वतंत्र लेखिका।

शिक्षा - इलाहाबाद वि.वि. से स्नातक।
          लखनऊ वि. वि से स्नातकोत्तर।
           विक्रम वि.वि से पीएचडी ।
           इंटिरियर डिप्लोमा कोर्स।
            इंडस्ट्रियल डिप्लोमा कोर्स।
             पर्सनालिटी डिप्लोमा कोर्स।

शैक्षणिक योग्यता -

सांदीपनी कालेज,उज्जैन में तीन वर्ष शिक्षण योगदान।

विक्रम वि.वि में काॅमर्स,एम.ए,एमफिल तक।

उपलब्धियाँ -
--------------
1-देवी अहिल्या वि. वि. में  गवर्नर
नामिनी कार्यपरिषद की सदस्या।2005

2-"रेकी थैरेपी" (प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति) में उत्कृष्ट कार्य हेतु राज्यपाल से गोल्ड मेडल प्राप्त - 2006

3- लखनऊ वि. वि. से उत्कृष्ट छात्रा के रूप में
"मिस हिन्दी" अवार्ड प्राप्त -1996

4-छात्र-जीवन से ही लेखन में रूझान,समाचार पत्रों में लेखन।

5-आकाशवाणी पर कई बार कविता पाठ।

6- महाकवि कालिदास-स्मृति समारोह समिती उज्जयिनी द्वारा साहित्यिक सम्मान 2014

7-नीरजा सारस्वत सम्मान, उज्जैन। 2009

सामाजिक क्षेत्र :-
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1-वर्धमान क्रिएटिव एंड वेलफेयर सोसाइटी महिला विंग उज्जैन द्वारा - मातृत्व दिवस पर मातृत्व सम्मान - 2011

2- दिगम्बर जैन महिला परिषद अवंति उज्जैन द्वारा सम्मान -2009
3-पंजाबी महिला विंग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान
4-अखिल भारतीय क्षत्राणी पद्मिनी समिति महाराष्ट्र द्वारा "Achieve ment Award"-2019

5-8मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मान - 2003 to 2005

6-नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा सामाजिक गतिविधियों हेतु नायिका अवार्ड 2010
7-राजपूत महिला ग्रुप उज्जैन द्वारा - समाजिक गतिविधियों हेतु सम्मान।
8-पंजाबी महिला ग्रुप उज्जैन द्वारा सामाजिक गतिविधियों हेतु सम्मान।
9-राॅयल पद्मिनी राजपूतानी समिति-मंदसौर द्वारा 'क्षत्राणी' सम्मान। 2018
10- महिला सोशल विंग द्वारा सम्मान। 2019

साहित्यक क्षेत्र:-
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1-अभिव्यक्ति विचार मंच (नागदा) द्वारा सम्मान - 2008
हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग संस्था द्वारा साहित्यिक सम्मान,2011 उज्जैन।

2-अग्नि पथ समाचार पत्र द्वारा साहित्यिक सम्मान - 2013

3-दैनिक भास्कर, समाचार पत्र द्वारा सम्मान- 2015

4-पत्रिका समाचार द्वारा-प्रशस्ति-पत्र (सामाजिक क्षेत्र में योगदान हेतु-  "Creator...,celebrate the Success of woman Award-2016

5-नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा-वुमन अचीवर्स अवार्ड- 2018

  6-हिन्दी शब्द साधिका सम्मान

7-अवध ज्योति रजत जयंती द्वारा -साहित्यक सम्मान 2019

8-अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रान्त द्वारा -"शब्द साधिका सम्मान।"

9--स्वर्णिम भारत मंच युवा संगम उज्जैन द्वारा साहित्यिक सम्मान 2021।

10-:स्टोरी मिरर अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में लघुकथा विजेता।
11- अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कविताएं विजेता।
13- मध्यांतर मंच- से लघुकथा प्रतियोगिता में  लघुकथा (मय राशि) विजेता।
14-नया लेखन-नया दस्तखत मंच पर कई लघुकथाएं विजेता।

15- इंदुमति श्री स्मृति लघुकथा योजना में लघुकथा सम्मिलित हो राशि प्राप्त।

16- लोकरंग संस्कृति मंच और लोकगीत कजरी गायन पर सम्मान।
17-साहित्य संगम संस्थान दिल्ली से
स्थानीय भाषा भोजपुरी में कव्य प्रसारण।

  
18-यूट्यूब पर रचनाओं का प्रसारण।

प्रकाशित संग्रह -
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1-केवल तुम्हारे लिए" - काव्य संग्रह।
2-'कथा सीपिका '-     लघुकथा संग्रह ।
 3- 'भीतर कोई बंद है।' लघुकथा संग्रह।
4- तीन अन्य पुस्तकें प्रकाशनार्थ हैं।
5- कई साझा संग्रह में रचनाओं का प्रकाशन।
6-कलश,अविराम साहित्यिकी लघुकथा स्वर्ण जयंती विशेषांक में लघुकथाओं का चयन।
एवं अन्य कई पत्रिकाओं में लघुकथा,कविता, आलेख प्रकाशित।

अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ -
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1-नेपाल साहित्य धरा से प्रकाशित साहित्य 'भोजपुरी दर्शन' में प्रांतीय भाषा (भोजपुरी में) भी लघुकथा, कविता का प्रकाशन।

2- पुस्तक-भारती (कनाडा) में रचनाएं प्रकाशित।

3-विश्व हिन्दी ज्योति (कैलिफोर्निया से प्रकाशित ') में रचना प्रकाशित।

4-12वाँ अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव 2020
परिकल्पना उत्सव सम्मान (शारजाह,दुबई, ,मालदीव)

अन्य गतिविधियाँ :-
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1-साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था त्रृचा विचार मंच की कार्यकारिणी सदस्य।

2-मध्य प्रदेश लेखक संघ समिति की कार्यकारिणी सदस्य।

3- स्वर्णिम भारत  मंच उज्जैन (सामाजिक सेवा संस्थान) की कार्यकारिणी सदस्य।
                                 

विशेष :-
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लेखन के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता ।
सेवा के रूप में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर

1-"भैरोगढ जेल (उज्जैन)में कैदी महिलाओं के चर्चा कर साथ समय व्यतीत किया।   

2-14 फरवरी वेलेंटाइन डे पर (स्व खर्च से) स्टूडेंट के साथ गंभीर नदी की सफाई में कर सेवा कार्य।

3- नारी-निकेतन की कन्याओं के विवाह में योगदान।
       
पता :-                
आशीर्वाद
10/10 सेक्टर बी , महाकाल वाणिज्य केन्द्र
उज्जैन-456010 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर- कथानक। सटीक संप्रेषणीयता ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री उमेश महादोषी, श्री बलराम अग्रवाल, श्री प्रभाकर बंधु, श्री अनिल शूर आजाद , श्री बीजेन्द जैमिनी इत्यादि-इत्यादि। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन -कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - सर्वप्रथम शीर्षक,फिर कथानक,संदेशप्रद संप्रेषणीयता,कथ्य,शिल्प, पंच लाइन। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन -कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- लघुकथा के परिंदे,फलक,लघुकथा विश्वकोश,नया लेखन -नया दस्तखत,भारतीय लघुकथा विकास मंच इत्यादि-इत्यादि। 
उपरोक्त उन्ही मंचो से मै परिचित हूँ,जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया है और आगे बढ़ाया है। 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज साहित्यिक क्षेत्र में लघुकथा चरम पर पहुँच कर अपना परचम अवश्य लहरा रहा है लेकिन अभी शीर्ष पर पहुँचना शेष और है। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- असंतुष्ट होने जैसा अब कुछ नही है । क्योंकि साहित्यिक क्षेत्र में कोई विधा अपना एक-पथ्य, एकाधिकार जमा नही सकता है। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- मैं एक सामान्य परिवेश से निकल कर आज साहित्यिक रूप से कार्यरत हूँ। मेरे पारिवारिक पृष्ठभूमि में साहित्य और साहित्यकारों को पसंद अवश्य किया जाता था/है । लेकिन मेरे लेखन के लिए न प्रोत्साहन था और न समय। "मेरी रचनाओं से अवश्य ही पाठकों को कुछ मार्गदर्शन मिलता होगा,तभी वो पर्दें के पीछे आकर मुझसे सलाह-मशविरा माँगते हैं। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में सिर्फ़ और सिर्फ़ 'सरस्वती-माँ' की भूमिका है। उनकी कृपा से ही मेरी कलम आज तक गतिमान है। अन्य किसी भी प्राणी की कोई भूमिका नही है,बल्कि रोकने और बंद करने के लिए अवश्य बोलते रहें हैं।
" लेखन के लिए प्रोत्साहन मिलना,कलम के लिए एक टानिक का का काम करता है।" 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में ,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - शून्य, लेकिन कुछ एक मंच से प्रतियोगिता में और कुछ एक रचनाओं पर पराश्रमिक प्राप्त हुए हैं। उदाहरणार्थ - इंदुमती लघुकथा मंच और मध्यांतर मंच से। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर -उत्तम। 

प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - संतुष्टि और सोशल मीडिया पर पहचान। 
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क्रमांक - 051
 माता : श्रीमती रमा सक्सेना
 पिता:श्री जगदीश सरन 
 पति: श्री यू.सी.सक्सेना (Sr.EDPM N.Rly)
 शिक्षा : एम.ए. प्रशिक्षित ,पी-एच.डी (हिन्दी)

 संप्रति: -
 इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य से सेवानिवृत्त होकर स्वतन्त्र लेखन में व्यस्त

उपलब्धि : -
सन् 1980 से आकाशवाणी रामपुर से कविता प्रसारित। पांच काव्य-संग्रहों में 20 कविताएं छप चुकी हैं।
लघुकथा,कहानी एवं परिचर्चा इत्यादि ब्लाग तथा मंचों पर प्रकाशित हो चुकी है ;जिनमे कई रचनाओं पर सम्मान प्राप्त हो चुका है

पता : -
 सी -  2/202 मानसरोवर कालोनी , 
मुरादाबाद - 244001 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में लघुता के आगोश में परिवर्धित ,प्रभावकारी  संप्रेषणीयता एवं सशक्त कसावट से युक्त कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ। जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो?
उत्तर - सुकेश साहनी जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , योगराज प्रभाकर जी , कांता राय जी , मीरा जैन जी 

प्रश्न न. 3 -  लघुकथा समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में समीक्षा के महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं : -
      (क) विषय की नवीनता 
      (ख) प्रस्तुतिकरण की गहराई की शिष्टता 
      (ग) कथ्य के मर्म पर दृष्टिपात 

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - साहित्यिक मंचो पर लघुकथा के प्रचार एवं प्रसार के लिए व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम,ब्लॉग,ऑडियो वीडियो, ज़ूम मीटिंग के साथ-साथ 'ई' लघुकथा साझा संकलन, पत्र-पत्रिका आदि सशक्त प्लेटफॉर्म हैं।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है? 
उत्तर - आज की लघुकथा पुराने प्रतिमानों को भंग करती प्रगतिशील एवं उत्तरोत्तर विकास पथगामिनी है, जिसमें मानवीय चेतना को मथने की शक्ति है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सन्तुष्ट हैं? 
उत्तर - समयाभाव के कारण आज पाठक द्वारा लघुकथा खूब पढ़ी जा रही है जो सन्तुष्टि का विषय तो है पर कथा और लघुकथा के विवादास्पद अंतर को भलीभांति समझकर लिखना ही श्रेयस्कर है, वरना लघुकथा के साथ बेईमानी है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं और बताये किस प्रकार के माग्रदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताश्री जगदीश "वियोगी" अच्छे साहित्यकार थे। बचपन से ही मुझे साहित्यिक परिवेश मिला। घर में गोष्ठियां होती थीं जिससे बहुत कुछ सीखने को मिला। हमारी भावी पीढ़ी भी हमारे लेखन से स्वयं लिखने की ओर प्रेरित हुई है।

प्रश्न न.8 आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है ? 
उत्तर -  शादी से पहले पितृपक्ष तो साहित्यिक रहा ही है। आकाशवाणी रामपुर से रचनाएँ सन 80 से प्रसारित हो रही है। माता-पिता ,भाई-बहन सभी सुनते हैं, सुझाव देते हैं और स्वयं भी लिखते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद अब ससुराल में पति का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।

प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आकाशवाणी से जो मुझे चेक मिलते हैं वह मुझे प्रफ़ुल्लित करते हैं और लेखन की ओर मुझे अग्रसर करते हैं। आजीविका की दृष्टि से मैं  सेवानिवृत्त शिक्षिका होने के नाते पेंशनभोगी हूँ।

प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उत्तरोत्तर, विकासोन्मुखी और उज्ज्वल होगा क्योंकि यह क्षणवादी जीवन की माँग है।

प्रश्न न. 11-  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ? 
उत्तर - आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता एवं विभिन्न स्मृतियों में लघुकथा उत्सव एवं मैराथन हेतु एवम महिला रचनाकारों  के 'ई - संकलन में लिखी गई लघुकथाओं से मुझे आत्मिक सुख की असीम प्राप्ति होती है अन्य कई मंचों पर मेरी लघुकथाएं सम्मान प्राप्ति के साथ-साथ सराही एवं प्रशंसा की पात्र रही हैं, जो लेखन में मेरी प्रसन्नता एवं मनोबल को बढ़ाती हैं।
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क्रमांक - 052
पति का नाम : श्री केवल कृष्ण अग्निहोत्री
जन्मतिथि : 30.अक्टूबर 1945
जन्म स्थान : लायल पुर

सम्प्रति : –

सेवा-निवृत ऐसोशिएट प्रोफेसर व पूर्वाध्यक्ष हिंदी –विभाग ,राजकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय।

प्रकाशित पुस्तकें –

ओशो दर्पण (ओशो –साहित्य पर आधारित )
वान्या –काव्य संग्रह 
सच्ची बात –लघुकथा संग्रह 
गुनगुनी धूप के साये  -- दूसरा काव्य संग्रह

विशेष : -

1973 से किया लघुकथा लेखन का प्रारंभ।सबसे पहली लघुकथा  दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित हुई---"औरत होने का अर्थ"।
स्तभ लेखन भी

सम्मान : -

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत (कहानी –अकेली )

सांझा संग्रह : -

गीतिका लोक-सांझा काव्य –संग्रह  में गीतिकायें प्रकाशित  
साहित्य -त्रिवेणी कलकत्ता में छन्दों पर आधारित लेख
दोहा -दोहा नर्मदा सांझा संकलन में दोहे प्रकाशित 

पता : -
#404,सेक्टर----6 पंचकूला (हरियाणा)134109
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर - यूं तो लघुकथा में सभी तत्व अपने अपने स्थान पर महत्वपूर्ण हैं  लेकिन  संवाद से प्रारंभ होने वाली  लघुकथा श्रेष्ठ मानी जा सकती है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि संवाद भी पात्र , परिस्थिति और वातावरण के  अनुकूल होने  चाहिए ।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताएं जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - अगर प्राचीन काल के साहित्यकारों का नाम लिया जाए तो उनमें प्रेमचंद ,उपेंद्रनाथ अश्क और अमृतलाल नागर आदि का नाम लिया जा सकता है| लेकिन समकालीन लघुकथा साहित्य में राजेंद्र  यादव, महाराज कृष्ण जैन,  रमेश बत्रा , बीजेन्द्र जैमिनी ,  सुकेश साहनी  आदि के नाम लिए जा सकते हैं। बीजेन्द्र जैमिनी जी ने लघुकथा के विकास में बहुत ही सराहनीय योगदान दिया है ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - लघुकथा का प्रारंभ पंचतंत्र की कहानियों से हुआ लेकिन वे  उपदेश परक कहानियां थीं  इसलिए उन कहानियों के कथ्य समकालीन सामाजिक यथार्थ  को प्रस्तुत नहीं कर पाए| लघुकथा की संरचना ऐसे ही साहित्यिक आंदोलनों के बीच हुई। इन लघुकथाओं में समाज के अंतर्द्वंद, मानव मूल्य और सभी वर्गों के चरित्र- उनका वर्गीकरण विकास  व   पतन इत्यादि को प्रस्तुत किया गया । अतः लघुकथा कथ्य और शिल्प की दृष्टि से  उत्तम होनी  चाहिए । किसी छोटे से अनुभव को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करना ही लघुकथा की विशेषता हो सकती है और मेरे विचार में एक सही मापदंड भी  यही है । लघुकथा की सफलता इस बात में निहित है कि   उसकी यह छोटी सी दुनिया पाठक के हृदय तक पहुंच जाए और एक नया एहसास  दे।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है?
उत्तर - मीडिया की समाज के प्रति देश के प्रति एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि मीडिया आम जनता की आवाज को श्रोता या पाठक तक पहुंचाता है लेकिन आजकल मीडिया  पूर्णतया स्वतंत्र है  और  कई बार तो वह अपनी स्वतंत्रता का  लाभ भी उठाता है । लेकिन सभी मीडिया कर्मी एक जैसे नहीं है । वे समाज के उत्थान में अपना योगदान दे रहे हैं  और जन सरोकार की खबरें जनता तक पहुंचाते हैं । और  कोरोना  काल में  मीडिया की भूमिका अहम रही है मीडिया ने शिक्षा जागरूकता आदि के मामले में बड़ी विश्वसनीय भूमिका निभाई है| आज के दौर में व्हाट्सएप और फेसबुक भी किसी से पीछे नहीं है ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघु कथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज का लेखक लघुकथा लेखन में लगभग सभी प्रकार की शैलियों को  अपनाता है । और इसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन  किसी भी शैली में अपने कथ्य को ले जाते हुए इस बात का ध्यान रखना परम आवश्यक है  कि उसके लेखन में  लेखक की  उपस्थिति  प्रतीत नहीं होनी चाहिए बेशक परोक्ष रूप से लेखक  उपस्थित तो रहता ही है । लेकिन प्रत्यक्ष रूप से उसे कोई सुझाव इत्यादि देने की कोई आवश्यकता नहीं| लघुकथा ऐसी भी नहीं होनी चाहिए कि वह  संस्मरण जैसी प्रतीत हो । लघुकथा का संवेदनात्मक व विचारात्मक प्रभाव पाठक पर अवश्य पढ़ना चाहिए| लघु कथा ऐसी हो कि पढ़ने के बाद  पाठक के मुंह से या तो आह निकले या वाह ।

प्रश्न न.6 -  लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - हर विधा का प्रत्येक युग में क्रमिक विकास होता रहता है । हम यह नहीं कह सकते कि हमने  साहित्य की  मांग को पूरा कर दिया है । हर युग की परिस्थिति अलग होती है इसलिए  परिस्थितियों के अनुरूप ही  साहित्य का निर्माण होता है ?  कमियां भी होती  हैं  और विकास भी । हम यह नहीं कह सकते कि सारा लघुकथा साहित्य  उत्कृष्ट है हां वह अपने विकास की ओर अग्रसर है और आगे भी  इसकी संभावनाओं का विकास होता रहेगा । ऐसी मेरी प्रतीति है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक  बन पाए हैं ?
उत्तर - मेरे परिवार में मेरे नाना जी ने श्रीमद्भागवत का चौपाइयों में अनुवाद किया था ।मेरे भाई डॉ बृज लाल गोस्वामी जी जो पहले राजकीय महाविद्यालय लुधियाना में प्राचार्य थे जब पंजाब का बंटवारा नहीं हुआ था। बाद में यहां चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में निदेशक भी रहे। उन्होंने छंद शास्त्र व काव्य शास्त्र पर कई पुस्तकें लिखीं जो आज भी पंजाब यूनिवर्सिटी में उपलब्ध हैं। मैं  राजकीय  स्नातकोत्तर  कन्या महाविद्यालय में  प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थी । अतः मैं साहित्य पृष्ठभूमि से ही आई हूं । साहित्य की अन्य विधाओं में भी मेरी भरपूर दिलचस्पी है। लेकिन लघुकथा लेखन  का प्रारंभ मैंने शुभ तारिका के संपादक डॉक्टर महाराज कृष्ण जैन जी के  निर्देशन में किया । सतीशराज पुष्करणा, रमेश बत्रा इत्यादि लेखक मेरे समकालीन लेखक थे| उन दिनों मेरी बहुत सी लघुकथाएं प्रकाशित हुई और सराही भी गई । लेकिन कुछ समय के लिए मेरा लेखन जैसे बंद हो गया । मैंने फिर लिखना शुरू किया ।  तो पाठक जब किसी की रचना पढ़ता है तो  वह  ही यह अनुमान लगा सकता है कि लेखक कहां तक सफल हुआ है ? लेखक के लेखन में ही उसका मार्गदर्शन छिपा हुआ है ।

प्रश्न न. 8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे परिवार ने मुझे हमेशा ही उत्साहित किया है|  परिवार की क्षमता के अनुसार  हर प्रकार का   सहयोग प्राप्त हुआ ।

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति  है?
उत्तर - लेखन मेरी  जरूरत रहा  आजीविका का माध्यम बिल्कुल नहीं ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - लघुकथा सभी साहित्यिक विधाओं से आगे निकलती हुई प्रतीत हो रही है । बड़े-बड़े कथा लेखक भी  लघुकथा लेखन में  रुचि ले रहे हैं । अतः निश्चित है  कि लघुकथा अपने पथ पर तीव्र गति से अग्रसर हो रही है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ।
उत्तर - कथा लेखन के साथ-साथ लघु कथा लेखन में भी मेरी रुचि समान रूप से रही है । लघु कथा लेखन  से मुझे  सटीक दिशा निर्देश प्राप्त होते रहे हैं । और मैं अपने भावों  को अभिव्यक्त  करने में सफल रही हूँ । पाठक तक अपने भावों को पहुंचाना ही मेरा उद्देश्य और मेरी संतुष्टि का माध्यम रहा है और यही मेरा  प्राप्य  है ।
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क्रमांक - 053
जन्म दिनांक:-20 दिसंबर 1945
शिक्षा:- स्नाकोत्तर अंग्रेजी व बी एड
संप्रति:- सेवानिवृत शिक्षिका निजी विद्यालय
लेखन:-हिंदी अंग्रेजी व मालवी भाषाओं में गद्य पद्य की अधिकतर विधाएँ

प्रकाशित पुस्तकें:-

संजोई कहानियाँ
ठूठ से झांकती कोपलें (काव्य संग्रह)

विशेष : -

- वामा मंच, जलधारा समूह, अखण्ड सन्डे, साहित्य  अर्पण आदि साहित्यिक समूहों की सक्रिय सदस्या 
- आभासी पटलों पर भागीदारी करती 

पता : 94, गणेशपुरी खजराना , इंदौर - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है कथानक या प्लॉट। जैसे भवन निर्माण में बगैर प्लॉट के आगे का ढाँचा तैयार नहीं हो सकता है। कथानक आत्मा है व शिल्प शरीर है। आसपास की घटनाओं, अनुभवों व विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों की कोख से लघुकथा जन्म लेती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के पाँच नाम मेरे मतानुसार हैं अनिल माकरिया जी,  मधु जैन जी, कांता रॉय जी, पवन जैन जी। और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) तो हैं ही।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के मापदंड निम्नानुसार हैं : -
* लघुकथा यानी गागर में सागर। 
*दूरबीनी दृष्टि से देखी किसी एक घटना या विलक्षण पल को लेकर लघुकथा लिखी जाती है, एक से अधिक नहीं।
उसमें संवेदनाएँ हो जिन्हें रचनाशीलता द्वारा विशेष पुट दिया गया हो।
* विषय प्रासंगिक हो जो समाज का सच उजागर कर सके। पुराने विषय पर भी नए तरीके से लिखा जाए।
*शिल्प व शैली से कथ्य का तानाबाना बुना जाता है। भाषा समृद्ध हो किन्तु   सरल सहज व स्वाभाविक हो, समुचित शब्द संयोजन के साथ।
*सँवादों द्वारा उत्कृष्ट सम्प्रेषण हो। संवाद छोटे सारगर्भित होकर पात्रों के चरित्र चित्रण में भी सहायक हो।
*कथा का उद्देश्य अंत में पता चलना चाहिए।
*शीर्षक लघुकथा का अभिन्न अंग है जिसे देखकर ही कथा पढ़ने की व्यग्रता हो। किन्तु ऐसा नहीं कि कथा आरंभ में ही समझ आ जाए। उत्सुकता बनी रहना चाहिए।
*काल दोष से बचने के लिए फ्लेशबेक का सहारा लेना अति उत्तम हैं। इकहरा कथानक एक ही समय मे घटित हो।
* अंत ततैया के डंक जैसा हो, कुछ अनकहा, ऐसा प्रश्न चिन्ह जो सोचने को मजबूर कर दे। हाँजी, भाले की नोक सा।
*संदेश के बिना लघुकथा अधूरी है।
*अंतर्द्वंद हो पर लेखकीय प्रवेश ना हो।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के जमाने में लेखन को एक नई दिशा मिली है। लघुकथा के परिंदे में साठ हज़ार के करीब परिन्दे हैं। साहित्य सम्पदा भी लघुकथा के लिए ही बना है। अन्य समूह जहाँ सभी विधाएँ स्वीकार की जाती हैं,,,
साहित्य संवेद, साहित्य अर्पण, जलधारा, साहित्य आरिणी, कहानियाँ जो दिल को छू जाए, शुभ संकल्प आदि। और आपके ( भारतीय लघुकथा विकास मंच ) समूह की जितनी तारीफ़ करूँ, कम है। आप अपनी निस्वार्थ सेवाओं से सबको उत्साहित कर रहे हैं। सबकी लघुकथाओं को प्लेटफार्म दे रहे हैं। साधुवाद !

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा लेखन चरमोत्कर्ष पर है। आज की आपाधापी में उपन्यास कहानी पढ़ने का समय किसी के पास नहीं है। बहुत लेखन हो रहा है गद्य की इस विधा में।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कुछ हद तक मैं सन्तुष्ट हूँ। किन्तु कई लघुकथाकार ऐसे भी हैं जो बस लिख रहे हैं, छोटी कहानी के रूप में। 
सारे तत्वों का गहन अध्ययन व प्रसिद्ध लेखकों की लघुकथाएँ पढ़ना जरूरी है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं ठेठ गाँव के परिवेश से हूँ। लेखन में मुझे अपने पिता से प्रेरणा मिली। एम ए अंग्रेजी में किन्तु लिखती हूँ हिंदी व मालवी में भी। हाँ ! लघुकथा लिखना मैंने दो साल पहले प्रारम्भ किया। अभी भी सीख ही रही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - चूँकि मैं आज़ादी से एक साल बड़ी व शिक्षिका पद से सेवानिवृत हूँ, और कुछ काम नहीं है। बहू बेटे घर सम्भालते हैं। बस समय का सदुपयोग लेखन में करती हूँ।

प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - जी स्वान्तःसुखाय

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य अति उज्जवल है। कई शोध हो रहे हैं इस दिशा में।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे आत्मसंतोष मिला है।
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क्रमांक - 54
जन्म - 25 अप्रैल, 1958 राँची में
माता - श्रीमती लीलावती देवी
पिता - श्री सच्चिदानन्द प्रसाद
पति - श्री ओम प्रकाश

शिक्षा - विज्ञान स्नातिका, राँची महिला महाविद्यालय से।

पुस्तकें :-
पहला लघुकथा संग्रह 'कचोट'
विविध विधा की दस पुस्तकें

विशेष -
- पहला उपन्यास - 19-20 की उम्र में।
- पहली लघुकथा - 1977 में।
नवतारा के ( संपादक-भारत यायावर)  लघुकथांक 1979 में प्रकाशित।
- 1991 में अखिल भारतीय लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी आकार ( मधुबनी, बिहार ) में एक लघुकथा पोस्टर प्रदर्शित ।
- 1981 में भोपाल सूद जी द्वारा दिल्ली दूरदर्शन के लिए लघुकथा संबंधी साक्षात्कार। जो स्टिल फोटो के साथ बाद में प्रसारित किया गया था। ( राज की बात कि भूपाल जी के आने के तीन-चार दिन बाद ही मेरा विवाह... )
- लघुकथाओं का  - तारिका, लघु आघात, लघुकथा. काम, लघुकथा कलश, कथाक्रम, जनसत्ता सबरंग, राष्ट्रीय सहारा, पायोनियर, दै. हिंदुस्तान, प्रभात खबर, विश्व गाथा, सर्व भाषा, राँची एक्सप्रेस, जागरण आदि में प्रकाशन
- दस वर्ष तक शिक्षण कार्य।

प्रमुख पुरस्कार / सम्मान :-
- उपन्यास '  पुकारती जमीं ' को 1990 में नवलेखन पुरस्कार, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार से।
-  प्रथम स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान ।
-  तृतीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान।
-  रामकृष्ण त्यागी स्मृति कथा सम्मान

पता : -
1 - सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, डोरंडा, राँची -834002  झारखण्ड

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उ० - स्पष्ट कथ्य और पंच लाइन।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - अशोक भाटिया जी, कांता राय जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, रामेश्वरम काम्बोज जी , सुकेश साहनी जी  ।

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ० - जो किसी भी विधा की समीक्षा के लिए जरूरी हैं। जैसे निष्पक्षता, तटस्थता, गुणवत्ता। लघुकथा की समीक्षा के लिए उसके शीर्षक की उपयुक्तता, पंच लाइन और छिपे संदेश को भी पहचान कर समीक्षीय दायित्व निभाने की जरूरत है।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - फेसबुक, व्हाइट्स एप, वेब साइट्स, ब्लॉग, ई पत्रिकाएँ, ई पुस्तक, यू ट्यूब आदि।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ० - आज लघुकथा साहित्य की अन्य विधाओं से टक्कर लेने की बजाय आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। निरंतर अपने को निखारने का प्रयास और लघुकथाकारों की प्रतिबद्धता के कारण इसने विशेष दर्जा हासिल कर लिया है। अब लघुकथा के बिना कोई पत्र-पत्रिका आगे नहीं बढ़ सकती है। इसने अन्य विधाओं के साथ कदमताल करना काफी पहले ही सीख लिया था।

प्रश्न न. 6 -  लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ० - हाँ भी, नहीं भी। इसके बढ़ते कदम, इस पर निरंतर की जानेवाली मेहनत, शोधादि जहाँ संतुष्टि प्रदान करते हैं, वहीं भेड़चाल असंतुष्ट भी करती है। बिना पढ़े अर्थात बिना अध्ययन, बिना समझे धड़ाधड़ लघुकथा के नाम पर लघु कहानियांँ परोसना निराश भी करता है।

प्रश्न न. 7 -  आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ० - मैं मध्यम परिवार से हूँ। घर में ही अनगिन पुस्तकें, पत्रिकाओं के पठन-पाठन के कारण साहित्यिक रुचि जगी।
शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों को काव्य, कथा लेखन के लिए प्रेरित किया, राह सुझाई, सुधारा बारंबार।
अब भी नए लघुकथाकारों को लघुकथा में कमी पर सुझाव देती हूँ

प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ० - पाठक की, दर्शक की, प्रसंशक की। परिवार में कोई साहित्यकार नहीं पर बहुत सारे सजग साहित्यप्रेमी थे तो किताबों की अधिकता ने बचपन में ही कलम थमा दी थी। पति प्रारंभ में मेरी रचनाओं के प्रथम पाठक हुआ करते थे। उनकी प्रतिक्रिया सुधार का मार्ग प्रशस्त करती है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ० - जो हर हिन्दी के लेखक की होती है। लेखन को आजीविका बनाना कठिन। कुछेक पारिश्रमिक से जीवन नहीं चलता।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ० - बेहद उज्ज्वल। पुरोधाओं सहित निरंतर लगे रहनेवाले साधकों की कसौटी पर खरी उतरेगी। पूत के पाँव दिखाई पड़ने लगे हैं। लेकिन सावधानी अपेक्षित कि लघुकथा लघु कथा न बन जाए।

प्रश्न न. 11 -  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ० - साहित्य कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं। कुछेक विसंगतियों-विडंबनाओं से विचलित हो, कुछ बदलाव की चाहत में, सुधार करने के लिए लेखन करती हूँ। यह एक साधना है। लघुकथा में यह जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। अन्य लघुकथाकारों से परिचय-घनिष्ठता को प्राप्ति कह सकते हैं।

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क्रमांक - 055

जन्म तिथि : 15अगस्त 1949 , भोपाल
शिक्षा : स्नातकोत्तर मनोविज्ञान

सम्प्रति : सेवा निवृत प्रचार्य,शा उ मा वि कन्या विद्यालय ग्वालियर

लेखन :-
आलेख,व्यंग्य,संस्मरण ,नुक्कड़ ,नाटक,कहानियाँ,लघुकथा ,कवितायें आदि का लेखन 

पुस्तक : -
दोराहा ( लघुकथा संग्रह )

सम्मान : -
- भोपाल की समाजिक संस्था "उड़ान"तथा "समाज कल्याण समिति" द्वारा "भोपाल रत्न"से सम्मानित
- लेखिका संघ म प्र द्वारा "दोराहा" लघुकथा संग्रह के लिये     नव लेखन पुरस्कार से सम्मानित
- विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा साहित्य लेखन के लिये सम्मानित।

पता :-
140 - सी-सेक्टर,सर्व धर्म कॉलोनी, कोलार रोड,
भोपाल - मध्यप्रदेश 
प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - यूँ तो लघुकथा के सभी तत्व मिलकर एक मानक लघुकथा को जन्म देते है। विषय,शीर्षक,कथ्य, शिल्प,शैली,तेवर,जीवन दर्शन (जिसे हम पंच भी कह सकते हैं)मेरे मतानुसार लघुकथा का आखिरी तत्व (पंच) सबसे महत्वपूर्ण है। लघुकता का पूरा कथन ,पंच की दीवार पर टिका  है। जो पाठक के हृदय को झकझोर दे,चिंतन पर मजबूर करे। आह या वाह की स्तिथि पर लाकर खड़ा कर दे। विद्वानों के कथनानुसार लघुकथा  विसंगतियों से जन्म लेती है। इसमे समस्या का समाधान नहीं,वरन एक लघुकथा दूसरी लघुकथा का विषय तैयार करती है।

प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के पाँच नाम -
कान्ता रॉय , बीजेन्द्र जैमिनी , महेश राजा , राम मूरत राही , प्रेरणा गुप्ता 

प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा करते समय ये मापदंड सुनिश्चित करना आवश्यक है:-
शीर्षक-लघुकथा के कथानक पर युक्ति-संगत है या नहीं।
लघुकथा भूमिका विहीन हो। अनावश्यक शब्दों का विस्तार न हो। लघुकथा, क्षण विशेष की घटना है, अत:काल खंड दोष न हो। लघुकथा का कथ्य,विषय के साथ न्याय-संगत हो। लघुकथा मे  उसके तेवर,बुनावट और कसावट हो।
लघुकथा की शैली । लघुकथा में व्याकरण सम्मत शुद्धि होना भी आवश्यक है। लेखकीय प्रवेश न हो। अन्त मारक हो,अर्थात पाठकों को  चिंतन के लिये प्रेरित करे।

प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य को विस्तार देने के लिये,जीवन्त आयाम देने के लिये,साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ठ स्थान बनाने के लिये,सोशल मीडिया में आनन पटल (फेस बुक), ब्लॉग,लघुकथा समूह, लघुकथा ई  संकलन,(जिस पर बीजेन्द्र जैमिनी जी,श्रम साध्य कार्य कर रहें हैं) की भूमिका बहुत महत्व पूर्ण है।

प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश मे लघुकथा अपना स्थान बनाने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रही है। बहुत से साहित्यविद लघुकथा को स्थापित करने में अपना अथक श्रम और सहयोग दे रहें हैं।

प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?
उत्तर - एकदम तो संतुष्ट नहीं हैं।बहुत से कलमकार अभी लघुकथा के प्रारूप को समझ ही नहीं पायें है।उनके विचार से लघुकथा यानी छोटी कहानी।पहले लघुकथा क्या है,यह समझना आवश्यक है।

प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - शहर में ही रहें हैं।परिवार में सभी शिक्षित और नौकरी पेशा हैं।सीखने और सिखाने पर विश्वास रखते हैं।

प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर -  परिवार का सहयोग है।मेरी लघुकथा पढ़ते हैं।अपने विचार भी प्रेषित करते हैं।जब मैने उन्हें बताया कि हरियाणा के बीजेन्द्र जैमिनी जी मेरी लघुकथाओं को अपनी ई-संकलन मे स्थान दे रहें हैं तो सभी ने बधाई दी।

प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - चूंकि सेवा निवृत है।सरस्वती पूजन के लिये पर्याप्त समय है।

प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में वर्तमान सुखमय चल रहा है,सभी साहित्यकार श्रम कर रहें हैं,समर्पित हैं, लघुकथा साहित्य के लिये। बीजेन्द्र जैमिनी जी जैसे गुणीजन,अपना समय,श्रम,सहयोग दें रहें तो नि:सन्देह लघुकथा साहित्य का भविष्य श्रेष्ठ होगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - बहुत नया सीखने को मिला।कभी हम भी इसी मुगालते में रहते थे कि लघुकथा मतलब लघु-कथा।पर धीरे धीरे दोनों मे अंतर समझ में आने लगा। इसके लिये मैं अपनी गुरू कान्ता राय जी को धन्यवाद कहना चाहूँगी।
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क्रमांक - 56

जन्म तारीख- 13 जुलाई1959
जन्म स्थान- सीहोर - मध्यप्रदेश
पति का नाम- दिलीप कुमार गुप्ता
पिता का नाम- गोपीवल्लभ नेमा
माता का नाम- त्रिवेणी नेमा
शिक्षा- एम.एस-सी.(रसायन शास्त्र),एम.एड.

व्यवसाय-  26 वर्षों तक विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में अध्यापन कार्य ,केन्द्रीय वि. लेक्चरर (रसायन शास्त्र)
2013 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति

प्रकाशित पुस्तकें:-
1. बाल काव्य-संग्रह- ‘आओ बच्चों याद करें’
2. काव्य संग्रह-  ‛प्रेरणा’
3. पर्यावरण कविताऐं-  ‛धरोहर’
4. क्षणिकाओं का संग्रह- ‘क्या यही सच है?’
5. कहानी संग्रह- ‘अपराजिता’
6. लेख संग्रह- ‘बच्चों को सशक्त बनाएं’ ।
7. लघुकथा संग्रह- ‛दुर्गा'

विशेष : -
1991 से 2002 तक आकाशवाणी बाँसवाड़ा(राज)से ‛वातायन' कार्यक्रम में 25 कहानियों का प्रसारण।
अतिथि सम्पादक: 2007 में जगमग दीपज्योति,अलवर के जून-जुलाई बाल-विशेषांक की अतिथि संपादक

पता : -
म. न. 14, प्रकाशपुंज, श्रीमाधव विला कॉलोनी,
मयूर  नगर , मेन गेट के सामने, गाँव-लोधा,
बाँसवाड़ा - 327001राजस्थान

प्र.1- लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उ. - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व -कथातत्व  है जो प्रभावशाली,धारदार, पैना, लघु तथा पाठक के हृदय को उद्वेलित करने वाला होना चाहिए।


प्र.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?

उ. - डॉ सतीश दुबे,डॉ.बलराम अग्रवाल, डॉ.अशोक भाटिया,डॉ.स्वर्णकिरण और बीजेन्द्र जैमिनी।


प्र.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए?

उ. - लघुकथा सुस्पष्ट,लघु,सुगठित,भावपूर्ण और सांकेतिक हो। लघुकथा शुरु से अंत तक लयबद्ध तथा संप्रेषणीय होनी चाहिए।


प्र.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं?

उ. - सोशल मीडिया के प्लेटफार्म:-फेसबुक,व्हाट्सएप,इंस्टाग्राम,टि्वटर,यूट्यूब,ब्लॉग,वेबसाइट,ऑनलाइन मैगजीन्स, न्यूज़पेपर, ई-साहित्य।


प्र.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?

उ.- आज के परिवेश में लघुकथा पाठक वर्ग में बहुत ज्यादा पसंद की जा रही है।यह दिन पर दिन लोकप्रिय होती जा रही है।यह अन्य विधाओं की तुलना में अधिक संप्रेषणीय है। छोटी और कम समय में पढ़ ली जाती है।


प्र.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है?

उ.-  वर्तमान समय में यह अधिकाधिक लोकप्रिय होती जा रही है। आज की व्यस्ततम दिनचर्या में लघुकथा, लघु होने के कारण पाठकों को रुचिकर लग रही है। 


प्र.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं?आप किस तरह के मार्ग दर्शक बन पाये हैं?

उ. - मैं साहित्यिक पृष्ठभूमि से हूँ। मेरे पिता हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं। मैं भी शिक्षण कार्य से जुड़ी रही हूँ। मेरा कार्य छात्र और छात्राओं का मार्गदर्शन करना रहा। स्कूल में होने वाली साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में  विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया और उन्होंने पुरस्कार भी अर्जित किये। इसके साथ ही अच्छा और रोचक साहित्य लिखना मेरा उद्देश्य है।


प्र.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?

उ.-   लेखन में परिवार की भूमिका अहं है। मेरे पिता डॉ.गोपीवल्लभ नेमा व मेरी मां मेरा उत्साह वर्धन करते रहते हैं। मेरे पति श्री दिलीपकुमार गुप्ता मुझे लिखने की प्रेरणा देते हैं। वे अच्छे आलोचक भी हैं। बच्चे भी मुझे उत्साहित करते हैं और अपना मंतव्य भी बताते हैं। इससे मेरी साहित्यिक चेतना में भी वृद्धि होती  है।


प्र. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उ.-  लेखन से मानदेय भी प्राप्त हुआ है। आकाशवाणी से मुझे पारिश्रमिक मिला। आजीविका से लेखन का संबंध नहीं है। मैं 1975 से लेखन कार्य कर रही हूँ। मेरे साहित्यिक ज्ञान में वृद्धि हो रही है। इससे मैं अच्छा साहित्य लिख पाती हूँ। 


प्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?

उ.- लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। यह  दिन-प्रतिदिन जनमानस में लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि विषय की विविधता लघुकथा में जितनी है उतनी किसी भी विधा में नहीं है और लघुकथा को पढ़ने में समय कम लगता है।


प्र.11-  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उ. - लघुकथा लिखने से आत्म संतोष मिलता है। विभिन्न साहित्यिक ग्रुप से जुड़े रहने के कारण लघुकथा विधा में लिखने के प्रति रुझान बढ़ता जाता है।  आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी द्वारा आयोजित  लघुकथा प्रतियोगिता ( जैमिनी अकादमी द्वारा वार्षिक) में पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। 'लघुकथा के रंग' साहित्यिक ग्रुप में ऑनलाइन प्रोग्राम में दस लघुकथायें प्रस्तुत कर चुकी हूँ। मेरी सभी लघुकथाओं को  साहित्यकारों और समीक्षकों द्वारा सराहा गया। यह सम्मान का विषय है मेरे लिये।

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क्रमांक - 57

पिता का नाम : डा.विजयपाल सिंह (सेवानिवृत्त प्राचार्य)  
माता का नाम : सरस्वती देवी सिंह                
शिक्षा : एम.ए,पी एच.डी(हिंदी) , बी.एड 

अनुभव : चौंतीस ( 2+ 32) वर्षों का हिंदी व्याख्याता पद पर  अध्यापनानुभव क्रमशः हरि सिंह गौर वि.वि.,सागर,म.प्र. में दो वर्ष एवं केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली में 

चार पुस्तकें प्रकाशित : -

1.शोध प्रबंध-"आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में फणीश्वरनाथरेणु का विशेष अध्ययन"-2004
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली 
2.काव्यांजलि-( प्रेरक कविता संग्रह)2010
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली 
3."सारे जमीन पर"(बाल कविता संग्रह)
सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,नई दिल्ली, 2014
4."महकता हरसिंगार" (लघुकथा संग्रह)
अयन प्रकाशन,महरौली,नई दिल्ली,2021

विशेष : -

चार बैस्ट टीचर्स अवार्ड्स से सम्मानित 
 केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा कारगिल विजय पर रचित नाटिका 'उजाले की ओर' पर पुरस्कृत एवं सम्मानित, 
 राजभाषा समिति,भारत सरकार द्वारा राजभाषा शील्ड से सम्मानित.
साहित्य लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र  में व्यास पुरस्कार से सम्मानित.
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में  लगभग आठ सौ साठ रचनाएं प्रकाशित.
जल मंत्रालय, भारत सरकार,दिल्ली  द्वारा मेरी स्वरचित नाटिका "बिन पानी सब सून" के लेखन और मंचन हेतु पुरस्कृत एवं सम्मानित (2015) 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वार्षिक पत्रिका "शिक्षायण" में  दो दीर्घकाय लेख प्रकाशित एवं सम्मानित .
नगर राजभाषा समिति,फरीदाबाद की पत्रिका "नगर सौरभ" में सात बार रचना प्रकाशन पर सम्मान पत्र प्राप्त .
संप्रति : - 

गैर सरकारी समाज सेवी संस्था "प्रतिभा विकास मिशन" की  मुख्य  संचालिका पद पर कार्यरत.
अंतर्राष्ट्रीय  महिला काव्य मंच (रजि.) दक्षिणी दिल्ली इकाई में  वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर सक्रिय.

सम्पर्क : -
सी-211,212
पर्यावरण (ट्री)काम्पलेक्स , समीपस्थ-नगर निगम स्कूल ,
सैदुलाजाब , नई  दिल्ली-30
प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर- किसी विशेष घटना के कथ्य को आम बोलचाल की भाषा में , प्रभावी शैली में, सीमाबद्ध शब्दों में प्रस्तुत करना।

प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- बीजेन्द्र जैमिनी जी ,कांता राय जी ,विनय अंजू कुमार
मीरा जैन जी ,कल्पना मिश्रा जी

प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - घटना का विवरण, विषय वस्तु का समुचित चयन,
पात्रों के संवाद,पाठकीय जिज्ञासा,भाषा, प्रभान्विति एवं संक्षिप्तता।  

प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ? 
उत्तर - लघुकाय,रोचक,प्रभावी,संदेशपूर्ण और पठनीय गद्य विधा होने के कारण लघुकथा को सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म अपनाना चाहते  हैं।  जैसे दूरदर्शन,रेडियो, मोबाइल, वाट्सएप एवं फ़ेसबुक आदि पर भी इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है। थियेटर के रंगमंच पर भी इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी है। पाठकों, दर्शकों एवं श्रोताओं का रुझान इस ओर अधिक हुआ है।

प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान समय में "लघु कथा" को एक लोकप्रिय गद्य विधा के रूप में बेहद पसंद किया जा रहा है। मीडिया में लघुकथा-संग्रह , साझा- संग्रह एवं लघुकथा समीक्षा साहित्य तीव्र गति से दिखाई देने लगा है। नए-नए लघुकथाकार रोज ही संचार माध्यमों में दिखाई दे रहे हैं।लघु की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से हो जाता है।लघुकथा की वर्तमान स्थिति संतोषजनक है, लेकिन फिर भी अच्छे और उम्दा कथाकार साहित्य के क्षेत्र में आएं, यह बेहद जरूरी है।

प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हाँ.. वर्तमान काल में लघुकथा का प्रचार प्रसार बढ़ा है। असंख्य पाठक, दर्शक और श्रोतागण लघु कथा के दीवाने होने लगे हैं। दूरदर्शन पर शॉर्ट स्टोरीज, रेडियो पर झलकियां और मीडिया के अन्य माध्यमों में लघु कथाओं को खासी तवज्जो मिली है।

प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - पढ़े-लिखे परिवार से संबंध रखने के कारण माता पिता द्वारा लगातार समुचित मार्गदर्शन के कारण शहरी परिवेश की पृष्ठभूमि में सदैव आगे बढ़ने, जागरूक पाठक बने रहने और लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम मैं हरदम ही करती रही हूँ । जीवन की प्रेरक घटनाओं को लेकर लघुकथा लेखन का जज्बा मेरी कलम में भी जन्म ले चुका है।

प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - परिवार की भूमिका ही एक निष्पक्ष, श्रमजीवी और लोकप्रिय कलमकार को सफल बनाती है। मेरे परम पूज्य एवं सम्माननीय  प्रोफ़ेसर पिता और ममतालु माता का अक्षुण्ण प्रभाव सदैव मेरे लेखन को निखारता रहा है।

प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरी आजीविका हिंदी व्याख्याता के रूप में लगभग 30 वर्ष तक सरकारी नौकरी ही रही है। अब सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन माध्यम है। फिर भी कुछ स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं से मानदेय प्राप्ति, स्वरचित पुस्तकें  प्रकाशित होने के बाद परिचित लोगों की लाइब्रेरी में क्रय होने पर संतोषजनक राशि मिलना अतिरिक्त खुशी बन जाती है।

प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - गद्य विधा "लघुकथा" का भविष्य समुज्ज्वल है,क्योंकि शॉर्टकट परंपरा से लगाव होने के कारण पाठक इन्हें रुचि से पढ़ेंगे, दर्शक देखेंगे और श्रोता सुनेंगे। हर काम झटपट करना अब हमारी फितरत हो चली है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - कम समय में ही अधिकाधिक आनंद की प्राप्ति, ज्ञान का विकास, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का सार ग्रहण करके समरसता का सुख प्राप्त हुआ है।
स्वयं भी कविताओं के लेखन के साथ-साथ उभरती हुई इस 
गद्य विधा "लघुकथा" लेखन क्षेत्र में  कदम बढ़ाया है।   
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क्रमांक - 058
जन्म : 26 फरवरीशिक्षा : बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञानसम्प्रति : जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।

पुस्तकें : -
1. बगुलाभगत एवम
2. नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।

विशेष : -
- 1983से पहले कविता,कहानियाँ लिखी । फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य
- दस से अधिक साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
- रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
- पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
- कनाडा से वसुधा पत्रिका में निरंतर प्रकाशन।
- भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
- आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।

पता:
वसंत - 51, कालेज रोड़ ,
महासमुंद - छत्तीसगढ़ - 493445

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा का मूल तत्व विषय वस्तु है। यह लेखन की आत्मा है।कथानक,शिल्प और शैली बाद की बात है।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - बहुत सारे नाम जेहन में है : -

१.डा.बलराम अग्रवाल

२.डा.अशोक भाटिया

३.डा.कांता राय

४.बीजेन्द्र जैमिनी 

५.एम.आई.सिद्दिकी।

प्रश्न न.3 -  लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - लघुकथा मूल्यांकन के दो पक्ष है : -

१.समीक्षा २.आलोचना

समीक्षक को गिद्ध दृष्टि रखनी चाहिये

विवेक,मन और विश्वशनीयता से यह धर्म निभाना चाहिये

आलोचना बौद्धिक कार्य है पक्षपात रहित कार्य जरूरी

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और इंन्स्टा्ग्राम

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज कल लघुकथा के क्षेत्र में नित नये शोध कार्य हो रहे है।नये लोग,नये विचार।

स्थिति उत्साह वर्धक है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?

उत्तर - जी मैं रोजाना ही लिखताहूँ

और,रोज कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूँ।आज के दौर में लिखी जा रही रचनाऐं पसंदहै,उनमें विविधता है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - शुरूआती दौर में कुछ प्रेम कविताएं लिखी,लेख लिखता था,फिर कहानी।मेरे बड़े भाई अरुण राजा उन दिनों लिखा करते है।उन्हें देखकर पठन पाठन,लेखन में रूचि हुयी।  पूर्ण गंभीरत आदरणीय गुरु वर स्व.श्री लतीफ घोंघी जी के सानिध्य में लघुव्यंग्य और  लघुकथाऐं लिखनी शुरु की।अब डा.बलराम जी,डा.अशोक भाटिया और श्रीमति काँता राय से सीख रहा हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार में मेरे बच्चे जो इंजीनियर है,बाहर रहते है।मेरी लेखन की रूचि से काफी खुश है। पत्नी भारती राजा रेसिपी राइटर और फीचर लिखती है,पूर्व दिनों में मेरी रचनाएं टाइप राइटर पर टाइप कर देती थी। अब तो सीधे मोबाइल पर डायरी में लिखता हूँ। दोनों बहुऐं बहुत चाव से मुझे पढ़ती है।पढ़ी  लिखी है,डिस्कस भी करती है।पोता कुश राजा बच्चों पर लिखी लघुकथाऐं पसंद करता है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आजीविका में लेखन का कोई योगदान नहीं है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?

उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है। इस पर बहुत काम हो रहा है। नये लेखक नयापन लाने की कोशिश कर रहे है। हम पुरानी पीढ़ी भी इसी कोशिश में है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा लेखन से सम्मान और आत्मसंतुष्टि मिला। फुरसत के क्षण व्यस्तता में बदल गये। एक आत्मिक आनंद और ढ़ेर सारे पाठक मित्र मिले।

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क्रमांक - 059

जन्म तिथि- 04 अक्टूबर 1957 
माँ - श्रीमती कमला वर्मा 
पिता - श्री बाबूराम वर्मा 
संतान -  एक पुत्री, एक पुत्र 

शिक्षा- एम० ए०, बीएड, डी फिल (शोध द्वारा) गद्यकार “ बच्चन : एक आलोचनात्मक अध्ययन “ विषय पर 

कार्य क्षेत्र/ व्यवसाय-—24 वर्ष अरूणाचल प्रदेश में अध्यापन। 2005 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति। वर्तमान में स्वतंत्र अध्ययन और लेखन।

रुचि
यात्रा करना, फोटोग्राफी, कुकिंग, सिक्कों का संग्रह करना, विवाह के निमंत्रण पत्रों से फोटो काट कर कोलॉज बनाना 


ब्लॉग - www.kamalvithi.com
वेबसाइट - www.kamalvithi.com

लेखन :-
 कविता, गीत, नवगीत, मुक्त छंद, लेख, दोहे, संस्मरण, कहानी, लघुकथा, समीक्षा, मुक्तक, वर्ण पिरामिड, पत्र विधा, व्यंग्य आदि।

प्रकाशित कृतियाँ : -
एकल (१२ ):-

एकल कविता संग्रह—०७
आलोचना पुस्तक—०१
सृजन समीक्षा—०१
लघुकथा संग्रह—०२
आलेख संग्रह—०१

साझा संग्रह - ८०

साझा काव्य संग्रह—६८
साझा लघुकथा संग्रह— १०
साझा आलेख संग्रह—०१
साझा पत्र संग्रह— ०१

लगभग ८० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 

संपादित कृतियाँ—१– प्रवाह विद्यालय पत्रिका)
२– आदर्श कौमुदी ( मासिक पत्रिका बिजनौर) के गंगा 
विशेषांक का संपादन
३- माँ (संस्मरण संग्रह)
४- पिता (संस्मरण संग्रह )

 सम्मान— 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( पूर्व रक्षा मंत्री ) द्वारा हिंदी साहित्य सेवा के लिए सम्मान सहित अब तक अन्य ३० सम्मान प्राप्त।

सामाजिक कार्य: -
अपने पति के “ अविराम प्रवाह” ट्रस्ट द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों में सहयोग 

मेरी प्रेरणा : मेरे पापा और मेरी माँ 

लेखन का उद्देश्य— 
अपने पापा से मिली लेखन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए माँ हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए प्रयत्नशील।

पता : -
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
95, ब्लॉक- H, दिव्य विहार , डांडा धर्मपुर, 
डाकघर- नेहरूग्राम ,देहरादून-248001 ( उत्तराखंड )
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका लघु होना है। गागर में सागर भरने के समान।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - १-  विभा रानी श्रीवास्तव २- बीजेन्द्र जैमिनी  ३-  योगराज प्रभाकर ४-  अनिल शूर आजाद ५-  सतीशराज पुष्करणा

प्रश्न न.3 -  लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए शिल्प, कथानक, कम पात्र, प्रस्तुति और अंत का रोचक होना… ये मापदंड होने चाहिए।

प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा के लिए सोशल मीडिया के…वाट्सअप, फेसबुक, यू ट्यूब, ब्लॉग, लघु फ़िल्में , लघुकथा समूह …सभी प्लेटफार्म  अपनी अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा अपनी बहुत मजबूत स्थिति में है। जीवन में इतनी आपाधापी और भाग दौड़  है जिसके कारण पाठकों के पास लम्बी कहानियाँ, उपन्यास पढ़ने का समय नहीं होता है। लघुकथा वे आराम से और बहुत चाव से पढ़ लेते है। इसी कारण आज लघुकथाएँ बहुत लिखी और पढ़ी जा रही हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं संतुष्ट तो हूँ पर इसे अभी और बड़ा मार्ग तय करना है। मैं तो स्वयं अभी लघुकथा के क्षेत्र में  विद्यार्थी हूँ और सीख रही हूँ। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। लेखन और हिन्दी प्रेम मुझे अपने पिता से विरासत में मिला। घर में भी पढ़ने-लिखने का साहित्यिक वातावरण रहता था। इसी के मध्य लेखन में मेरी रूचि विकसित हुई। पिता का मार्गदर्शन मिलता था और वे मेरी रचनाओं के पहले पाठक और आलोचक होते थे। जीवन और समाज के प्रति एक दृष्टि एक दिशा प्रदान करने में वे सदा सहायक बने रहे । तभी उद्देश्यपरक, सन्देशपरक  लेखन करने की ओर प्रवृत्त हुई।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - जैसा मैंने ऊपर कहा कि मेरे जीवन और लेखन में मेरे पिता और माँ का  बहुत योगदान और प्रोत्साहन रहा। मैं सौभाग्यशाली  इस अर्थ में हूँ कि विवाह के पश्चात मेरे पति और बाद में बेटी-बेटे ने भी मेरे लेखन को बहुत गंभीरता से लिया और अपना पूरा सहयोग दिया। बच्चों के कारण ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म की जानकारी प्राप्त कर लिखने में उनका उपयोग कर पा रही हूँ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं स्वान्त: सुखाय लिखती हूँ।लिखना मेरी हॉबी, मेरा पैशन है। लिखने से धन मिलना ही चाहिए ऐसा मैं नहीं सोचती। यदा-कदा मानदेय भी मिलते रहे हैं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर -  मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल और स्वर्णिम होगा। लघुकथा ने आम जन जीवन में बहुत गहराई से अपनी पैठ बना ली है। युवा पीढ़ी भी इस विधा की ओर पढ़ने और लिखने के लिए आकर्षित हुई है। लघुकथाएँ लिखी-पढ़ी और सराही जा रही हैं, विधा की जानकारी देने के लिए सेमिनार हो रहे हैं, प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही है। लघुकथा निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रही है। इसके विकास- रथ को अब कोई नहीं रोक पाएगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मेरे दो लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए हैं, तीसरा भी आएगा। कई संग्रहों में, पत्रिकाओं में भी लघुकथाएँ प्रकाशित हुई हैं। लघुकथा साहित्य से मुझे लघुकथा लेखिका के रूप में एक पहचान मिलनी शुरू हुई है जिसने मुझे ऊर्जा और प्रोत्साहन देने का कार्य है। प्रेरणा मिली है कि इसमें मैं और अच्छा करूँ।
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क्रमांक - 060
जन्म:- 5 फरवरी, 1953 (बसन्त पंचमी), बीकानेर 
माता-पिता:- स्व. श्रीमती रूकमा देवी , स्व. श्री राणालाल 
शिक्षा:- एम. ए. (राजस्थानी भाषा), बी. एड.

व्यवसाय:-
"निरामय जीवन’’ एवं ’’केन्द भारती’’ मासिक पत्रिका जोधपुर के प्रकाशन विभाग कार्यालय में निःशुल्क कार्यरत, रिटायर्ड वरिष्ठ अध्यापिका 

जुड़ाव:- 
महिलाओं की साहित्यिक संस्था ’’सम्भावना’’ की सचिव, ’’खुसदिलान-ए-जोधपुर’’, ’‘नवोदय सबरंग साहित्यकार परिषद’’, ’‘लॅायंस क्लब जोधपुर’’ की सक्रिय सदस्य । 

प्रकाशन:- 
1’‘सौगन‘’, 2 ’’ऐड़ौ क्यूं ?’’ (दो राजस्थानी उपन्यास), एक हिन्दी कविता संग्रह ’’कब आया बसंत’’ । 
राजस्थानी कहानी संग्रह ’‘नुवाै सूरज‘’ ।
 एक राजस्थानी कविता संग्रह-’‘जोवूं एक विस्वास’’
हिन्दी व्यंग्य संग्रह ’नाक का सवाल’, ( अंग्रेजी में अनुवाद भी )
हिन्दी काव्य संग्रह ’’नन्हे अहसास’’ प्रकाशित । दो बाल साहित्य की पुस्तकें-राजस्थानी में एक-‘‘खुश परी’’ कहानी संग्रह एवं एक कविता संग्रह, हिन्दी उपन्यास ’प्यार की तलाश में प्यार’ 

पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशन : -
        राजस्थानी और हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, लेख, लघुकथा, संस्मरण, पुस्तक 
समीक्षा आदि का लगातार प्रकाशन । 

आकाशवाणी/ दूरदर्शन : -
        आकाशवाणी जोधपुर, जयपुर दूरदर्शन से वार्ता, कहानी, कविता आदि का प्रसारण ।     
 राजस्थानी भाषा के ’’आखर’’ कार्य क्रम में भागीदारी (जयपुर) 

विशेषः-
राजस्थानी भाषा की पहली महिला उपन्यासकार । 
 यू ट्यूब पर ’’मैं बसंत’’ नाम से चेनल 

पुरस्कार और सम्मान:
1. ‘राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर’ से ’’सौगन‘’, राजस्थानी उपन्यास पर 
’‘सावर दैया पैली पोथी पुरस्कार’’ -1998 
2. पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग मेघालय की तरफ से ’‘डा. महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान
’’-2011 
3. तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी चैन्नई और तमिलनाडु बहुभाषी लेखिका संघ चैन्नई की तरफ से 
‘‘साहित्यसेवी सम्मान’’-2011 
4. ’आकाश गंगा चेरीटेबल ट्ष्ट’ लूणकरणसर, बीकानेर से सम्मान-2011 
 5.’‘नवोदय सबरंग साहित्यकार परिषद’’ जोधपुर से ’‘बेस्ट स्टोरी राइटर’’ सम्मान -2011 
 6. ’‘जगमग दीपज्योति ‘मासिक पत्रिका अलवर की तरफ से ’’श्रीमती नवनीत गांधी स्मृति’’ 
 सम्मान-2013 
 7. बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, जोधपुर से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोज्य कवयित्री सम्मेलन में सम्मान-2014 
 8. ’मरूगुलशन’ त्रैमासिक पत्रिका के 75 वें अंक के लोकार्पण समारोह में सम्मान-2014 
 9. लाॅयनेस क्लब जोधपुर द्वारा कवयित्री सम्मेलन में सम्मान-2015 
 10. ‘सर्जनात्मक संतुष्टी संस्थान ’द्वारा प्रो. प्रेम शंकर श्रीवास्तव स्मृति पर आयोज्य कार्य क्रम में मरूगुलश में प्रकाशित ’’नारी संवेदना’’ रचना पर ’’गुणवंती सम्मान’’-2015 
 11. न्यू ऋतभरा साहित्य मंच कुम्हारी, जिला दुर्ग -छ. ग. द्वारा न्यू ऋतंभरा मुंशी प्रेमचंद एवं साहित्य 
 अलंकरण-2015 
 12. महिमा प्रकाशन -छ.ग. द्वारा ’’त्रिवेणी साहित्य सम्मान’’-2015 
 13. ‘डाॅ.नृसिंह राजपुरोहित राजस्थानी साहित्य प्र तिभा पुरस्कार’’-2016 
 14. बृजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी, फतेहाबाद (आगरा) उ. प्र. द्वारा ’‘श्रेष्ठ साहित्य साधिका सम्मान-2017 
 15. ’’वीर दुर्गा दास राठौड सम्मान’’ (रजत पदक )-2017 
 16. ’’शब्द निष्ठा सम्मान’’ (अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता अजमेर)-2017 
 17. ’’दिव्यतूलिका साहित्यायन’’ सम्मान-2017 (ग्वालियर, मध्य प्रदेष) 
 18. ’’शब्द निष्ठा सम्मान’’ (अखिल भारतीय व्यंग्य प्रतियोगिता अजमेर)-2018 
 19. ’’महादेवी वर्मा सम्मान’’(साहित्य कला एवं संस्कृति संस्थान, हल्दीघाटी नाथद्वारा)-2018 
 20. ’’पत्र लेखन सम्मान’’(डाॅ. सूरज सिंह नेगी, सनातन प्रकाशन, जयपुर)-2019
 21. साहित्य क्षेत्र में सतत् सराहनीय योगदान हेत कुं ’’मधेशवाद के प्रणेता गजेन्द्ररायण सिंह सम्मान’’ 
 (नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउंडेशन, काठमांडौ रौतहट, नेपाल)-2019 
 22. ’’मत प्रेरणा सम्मान’’-2019 (निखिल पब्लिशर्स, आगरा, उत्तर प्रदेश) 
 23. राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ़  (बीकानेर) द्वारा ’’पं.मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार’’ (14 सितम्बर 2019) 
 24. स्टोरी मिरर द्वारा ’’लिटरेरी केप्टिन’’ सम्मान-2019 
 25. ’’अखिल भारतीय माॅ की पाती बेटी के नाम’’ प्रतियोगिता-2019, सम्मान (जिला प्रसाशन एवं महिला अधिकारिता, बून्दी द्वारा) 
 26. अखिल हिन्दी साहित्य सभा (अहिसास) नासिक (महाराष्ट्र) द्वारा पुस्तक-’’नाक का सवाल’’ पर ’’साहित्य श्री’’ सम्मान-2019 
 27. ’’क्ररान्तिधरा अन्तर्राष्ट्रीय  साहित्य साधक सम्मान’’ (क्रान्तिधरा मेरठ, साहित्यिक महाकुंभ  -2019 में ) 
 28. ’’आध्यात्मिक काव्यभूषण’’ की मानद उपाधि (भारतीय संस्कृति एवं भाषा प्रचार परिषद करनाल 
(हरियाणा) तथा कलमपुत्र काव्य कला मंच मेरठ उ. प्र. (भारत) द्वारा हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में आयोजित 
कार्य क्रम में । 
 29. ’’अग्निशिखा गौरव रत्न’’ सम्मान (साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए, अखिल 
भारतीय अग्निशिखा मंच मुम्बई द्वारा ) - 2019 
 30. ’’मैना देवी पाण्डया स्मृति राजस्थानी लेखिका पुरस्कार-2019 (नेम प्रकाशन, नागौर, डेह) -
 31. "चौपाल साहित्य रत्न सम्मान "- दौसा ( राजस्थान )-2020
 32. " नव सृजन कला प्रवीर्ण अवार्ड " छत्रपति प्रशिक्षण संस्थान, कानपुर  ( उ. प्र. ) द्वारा-2020
 33. "शब्द तरंग सम्मान " वसई ( महाराष्ट्र )  2020
 34. " शब्द निष्ठा ( श्रेष्ठ समीक्षक )सम्मान "-2020
 35. "मनांजली साहित्य सम्मान "- चंडीगढ़  2020
 36. जैमिनी अकादमी पानीपत ( हरियाणा ) अटल रत्न, कोरोना योद्धा, तिरंगा, शिक्षक उत्थान, गोस्वामी तुलसीदास, 101 साहित्यकार,विवेकानंद, भारत गौरव, सम्मान-2020-21
 37. " विशिष्ट साहित्यकार सम्मान " - अदबी उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2021
 38. "भामाशाह सम्मान " लायन्स क्लब इंटरनेशनल-2021
39.  " लोक साहित्य रत्न सम्मान " इंदौर - मध्यप्रदेश
40.  " हिन्दी साहित्य मनीषी " मानद उपाधि- साहित्य मंडल नाथद्वारा  से-2021
 
 पता : -
 ’विष्णु’, 90, महावीरपुरम,  चैपासनी फनवर्ल्ड पीछे,
 जोधपुर -342008 राजस्थान
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथानक और पात्र हैं ।
   
प्रश्न न 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री बलराम अग्रवाल, श्री कमल चोपड़ा, श्री बीजेन्द्र जैमिनी , श्री सुकेश साहनी,  श्री राम कुमार घोटड़ ।

प्रश्न न 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर -  कथ्य, शिल्प, पात्र, आकार, प्रयोजन, पंच, प्रस्तुति, विविधता और अंत ।

 प्रश्न न  4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत महत्वपूर्ण है ?
 उत्तर - शॉर्ट फिल्में, यूट्यूब चैनल, प्रोत्साहन कार्यक्रम इत्यादि ।
 
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथाएं खूब लिखी, पढ़ी व पसंद की जा रही है ।
      
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - यूं तो लघुकथाएं खूब लिखी, पढ़ी जा रही हैं परंतु अधिकतर स्तरीय लघुकथाओं का अभाव नजर आता है, अधिकांश लोग छोटी कहानी और लघुकथा में अंतर स्पष्ट नहीं कर पाते ।

 प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं ?
 उत्तर -  मैं मध्यवर्गीय परिवार से हूं । मेरे पिता श्री ने  सुसंस्कारों का बीजारोपण किया । उन्हें लिखने पढ़ने का शौक था उन्हीं की प्रेरणा से आज मेरी लेखन के क्षेत्र में एक विशेष पहचान बनी है ।

प्रश्न न. 8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - बाल विवाह होने के कारण ससुराल पक्ष से तो कोई सहयोग नहीं मिला लेकिन जब बच्चे बड़े हुए उन्होंने पूरा सहयोग दिया और आज भी दे रहे हैं ।

प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरी हॉबी है जिसमें मैं अपनी भावनाएं उपन्यास, कहानियां, कविताएं, व्यंग्य, आलेख आदि के रूप में व्यक्त करती हूं । इससे मुझे कभी कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है क्योंकि वर्तमान समय आपाधापी का है, समय की कमी से सभी जूझ रहे हैं, ऐसे में लघुकथा जैसा इसके नाम से ही पता चलता है कि यह छोटी होती है अतः इसके पाठकों की कमी नहीं रहती और ना ही रहेगी ।

प्रश्न न. 11-  लघुकथा साहित्य में आपको क्या प्राप्त हुआ ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में वैसे तो मेरी कोई पुस्तक अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है । हां अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती हूं परंतु आदरणीय  बीजेंद्र जैमिनी जी, पानीपत, हरियाणा द्वारा "हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार" , "राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार" की ई - बुक में मुझे स्थान मिला है, इसके लिए मैं उनकी ह्रदय से आभारी हूं ।
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क्रमांक - 061
जन्मतिथि : 21 दिसम्बर 1953  
जन्मस्थान  ऋषिकेश - उत्तराखंड  
 शिक्षा : एम.ए ( राजनीति शास्त्र ) , बी.एड

संप्रति : :सेवा निवृत  हिंदी शिक्षिका, जयपुरियार सीबीएससी हाईस्कूल, सानपाड़ा नवीमुंबई 

कृतियाँ :- 
प्रांतपर्वपयोधि (काव्य) ,दीपक ( नैतिक कहानियाँ),सृष्टि (खंडकाव्य),संगम (काव्य)   अलबम (नैतिक कहानियाँ) , भारत महान (बालगीत) सार (निबंध), परिवर्तन सामाजिक प्रेरणाप्रद कहानियाँ। 
 दोहों में :  मनुआ हुआ कबीर (923 दोहे )


प्रकाशन :   
देश - विदेश की विभिन्न समाचारपत्रों ,पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित , जारी हैं । 

उपलब्धियां : 
समस्त भारत की विशेषताओं को प्रांतपर्व पयोधि में समेटनेवाली प्रथम महिला कवयित्री , मुंबई दूरदर्शन से सांप्रदायिक सद्भाव पर कवि सम्मेलन में सहभाग , गांधी जीवन शैली निबंध स्पर्धा में तुषार गांधी द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित , माडर्न कॉलेज वाशी द्वारा गुण गौरव सावित्री बाई फूले पुरस्कार से सम्मानित , भारतीय संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा प्रीत रंग में स्पर्धा में पुरस्कृत , आकाशवाणी मुंबई से कविताएँ , कहानियाँ, आलेख  प्रसारित , विभिन्न व्यंजन स्पर्धाओं में पुरस्कृत,  दूरदर्शन पर अखिल भारतीय कविसम्मेलन में सहभाग । भागलपुर विश्वविद्यालय  बिहार से विद्या वाचस्पति से सम्मानित । नवभारत में प्रकाशन , नवभारत टाइम्स में मेरे मत , बोध कथा आदि प्रकाशित .सम्मान : वार्ष्णेय सभा मुंबई , वार्ष्णेय चेरिटेबल ट्रस्ट नवी मुंबई , एकता वेलफेयर असोसिएन नवी मुंबई , मैत्री फाउंडेशन विरार , कन्नड़ समाज संघ , राष्ट्र भाषा महासंघ मुंबई ,  प्रेक्षा ध्यान केंद्र , नवचिंतन सावधान संस्था मुंबई कविरत्न से सम्मानित , हिन्द युग्म यूनि पाठक सम्मान , राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच दिल्ली द्वारा महिला शिरोमणी अवार्ड के लिए चयन , काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान , जैमिनी अकादमी लघुकथा प्रथम पुरस्कार , अग्निशिखा काव्य मंच काव्य सम्मान , मगसम रचना रजत प्रतिभा सम्मान , आशीर्वाद २४ घंटे कवि सम्मेलन काव्य पाठ , के जे . सोमैया मुबई पुरस्कृत , गुरु ब्रह्मा सन्मान , सबरंग कवि रत्न अवार्ड , कोपरेटर नवी मुंबई साहित्यसम्मान , इपीक लीटरी कौंसिल सम्मान , विश्व हिंदी संस्थान कनाडा से विश्व हिन्दी कथा शिल्पी सम्मान और हिंदी उपन्यास रचना सहभागी सम्मान ओंकार प्रतिष्ठान सम्मान , हिन्दुस्तानी  प्रचार सभा मुम्बई , सेलिब्रेटिंग आईडिया जूरी पेनल सम्मान , नेपाल आकाशवाणी में मेरा साक्षात्कार , काव्य वाचन ,  आदि। मुंबई आकाशवाणी से जारी हैं कविता , कहानी  , आलेख , मेरा  साक्षात्कार  आदि प्रसारण।

विशेष : 
 अन्तर्राष्ट्रीय  मंच पर गोल्डन बुक में प्रूडेंट पब्लिकेशन द्वारा मेरा बायोग्राफी 21 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ प्रकाशित ।
लाइव कार्यक्रम फेसबुक पर भजन , काव्य , हाइकू , लघुकथा पाठ आदि का जारी ।

पता: -
 वाशी, नवी मुंबई  - 400703 महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - बिना भूमिका के कम पात्रों में एक ही समय में  घट रही  घटना को यथार्थ रूप देकर  कम शब्दों में गागर में सागर भरना है 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर -  1श्री योगराज प्रभाकर जी
2 श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी
3 श्रीमती कांता राय
4 श्री सतीश राठी
5 डॉ उमेश महदोशी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा में   ज्यादे से ज्यादा लगभग 500 शब्द और  कम से कम 100 शब्द हो तो बेहतर है।  कालखण्ड दोष नहीं हो। मूल्यों पर आधारित सन्देशयुक्त लघुकथा हो और अंत में  पंच ऐसा हो नयी लघुकथा की कल्पना की संभावना हो।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - सोशल मीडिया के सारे प्लेटफार्म जैसे फेसबुक , व्हाट्सएप  पर अनेक लघुकथा समूह ,  विविध ई पत्रिकाएँ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की  स्थिति  
सराहनीय , मजबूत , शिक्षाप्रद  है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी , हाँ ! लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं  बिल्कुल सतुष्ट हैं ।इसी दौर में लघुकथा उद्देश्यपरक होने के कारण फली -फूली  , उच्च साहित्यिक प्रगति के  स्तर पर पहुँची है ।

प्रश्न न.7 -  आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी जन्मस्थली ऋषिकेश , उत्तराखण्ड की है , जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य , जैसे  गंगा   नदी , पहाड़ , आध्यात्मिक , शैक्षणिक , भौगोलिक , पौराणिक , 
ऐतिहासिक की पृष्ठभूमि भूमि से आयी हूँ। हमारी  माँ -  पिता ने  1942 में शैक्षिक क्रांति की थी । यहाँ देश -विश्व हस्तियाँ  जैसे  भारत के महामहिम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी , महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री प्रकाश , मीरा बैन , अभिताभ बच्चन आदि आए हैं , उनसे मेरी मुलाकात  । उनके भाषण , व्यक्तित्व -कृतित्व ,  माता -पिता  के द्वारा दिए संस्कार, परिवेश , समाज की कुरीतियाँ ,  सामाजिक बुराई आदि मूल्य मुझे लघुकथा लिखने को प्रेरित करते हैं।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - आज मैं अपने परिवार की वजह से शिक्षिका के पद पर कार्यरत रही हूँ ,अब मैं सेवा निवृत्त हूँ और 9 किताब लिख सकी हूँ , संकल्प लघुकथा संग्रह प्रेस में है । मेरी दोनों डॉ बेटियाँ मेरी लघुकथा की पहली पाठक होती थीं , अब उनकी शादी हो गयी ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन तो मैं शौक़िया लिखती हूँ।  मुझे सरकारी पत्रिकाओं से मान -  देय मिला है । कई लघुकथाएँ पुरस्कृत हुई हैं । मेरी 9 किताबें  विद्यालयों , कॉलिज, आदि में बिकी हैं । लेखन ने मुझे  देश ,संसार से जोड़ दिया।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य  सुदृढ़ , प्रगति पर है । आज दौड़ती -भागती तनाव भरी  जिंदगी में छोटी -छोटी कथा इंसान के जीवन में बूस्टर , टॉनिक का काम करती है । लघुकथा  समय की बचत के साथ मूल्यों से निर्मित होने के कारण इंसान को सकारात्मक ऊर्जा , शक्ति ,  आशा  और मानसिक स्तर को मनोरंजन की खुराक के साथ सद्साहित्य भी देती है। मेरी लघुकथा 'वात्सल्य की ताकत' समाज  कल्याण में प्रकाशित हुई , पाठकों के फोन आए तो उस लघुकथा से लोगों की  समस्याओं का समाधान मिला । कलम की इससे बड़ी ओर क्या ताकत हो सकती है , हृदय परिवर्तित कर दे।

प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे मान -देय के साथ यश , सम्मान और कलम को पहचान मिली। 
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क्रमांक - 062

जन्म : १८ सितंबर १९७३ , धामपुर - उत्तर प्रदेश
पिताजी : स्व० श्री सुखपाल सिंह
माता जी : श्रीमति गंगा देवी
पत्नी : श्रीमति निर्देश चौहान
पुत्री : डॉ स्वाति चौहान बी.ए.एम.एस (रूहेलखण्ड)
पुत्र : डॉ अनुज चौहान एम.बी.बी.एस
शिक्षा : एम. ए. (समाज शास्त्र, हिन्दी),
व्यवसायिक शिक्षा : एम. डी. इ.एच. आइरिडोलॉजिस्ट, डिप्लोमा मास्टर हर्बलिस्ट यू के, बी.एन.वाई.एस, सी.एक्यू
मेम्बर आफ ई.आर.डी.ओ (दिल्ली)

अभिरुचि : - औषधियों का बिज़नेस, अध्ययन, संगीत, साहित्य लेखन

साहित्यिक कृतियां - सुधियों की अनुगंध कविता संकलन , सत्यवादी हरिश्चंद्र गीतिका काव्य, अखिल जग में गीत गूंजे कविता संकलन

कलात्मक कार्य - सुन राधा सुन भजन टी सीरीज़, सारे जहां से अच्छा देशभक्ति गीत (गणपति सिने विजन),
साईं प्रकट भए भजन (श्री राम एन्टीटेनमैंट मुम्बई ), क्या पता क्या हो कल सी.डी. फ़िल्म

कार्य स्थल : १. स्वाति होम्यो स्टोर नूरपुर रोड जैतरा, धामपुर बिजनौर उ०प्र०
२. इलेक्ट्रो होम्योपैथिक (नॉन सर्जिकल हैल्थ केयर सेंटर) टीचर्स कालोनी, धामपुर, बिजनौर उ०प्र०)

विशेष उपलब्धि : - सी.एम.डी. यूथ एनर्जी हैल्थ मार्केटिंग प्रा०लि०

सम्मान: - अनेकानेक साहित्यिक, सामाजिक सम्मान

पता : २५७ शहीद शरद मार्ग, टीचर्स कालोनी, धामपुर बिजनौर - २४६७६१ उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1. लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उ०- एक समय में घटित घटना को कम से कम शब्दों में व्यक्त करना ।

प्रश्न न.2. समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उ०- १- बीजेन्द्र जैमिनी 

२- डॉ अनिल शर्मा अनिल 

३- भारती वर्मा बोडाई 

४- डॉ पूनम देवा

५- महेश राजा 

प्रश्न न. 3. लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उ०- एक समय में एक घटना व कम पात्रों के साथ ही शिक्षाप्रद भावों का कम शब्दों के साथ सामंजस्य, 

प्रश्न न.4. लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उ०- लघु कथा आकार में छोटी होने के कारण सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म स्थान देते हैं फिर भी प्रिंट मीडिया और चैनल के साथ ही मोबाइल पर वाट्सऐप व फ़ेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ।

प्रश्न न.5. आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उ०- वर्तमान में कहानियों की अपेक्षा लघु कथा को पसंद किया जाता है जबकि लघु कथा के लिखने वाले साहित्यकारों की बेहद कमी है ।

प्रश्न न.6. लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उ०- पूर्णतः सन्तुष्ट तो नही है पर असन्तुष्ट भी नही हैं क्योंकि कुछ पीछे देखते हैं तो वर्तमान में कभी प्रचार प्रसार बढ़ा है ।

प्रश्न न.7. आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उ०- ग्रामीण परिवेश पले बढ़े हैं जहां पर हर क़दम मार्गदर्शन मिलता रहा है जो पाया है उसे सहज ही दूसरों को देने में सफल रहे हैं ।

प्रश्न न.8. आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उ०- परिवार की सहयोग पूर्ण भूमिका सराहनीय है 

9. आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उ०- भागदौड़ और तनाव भरे माहौल में लेखन से सहजता और सरलता मिलती है जो एक उपचार से कम नही है ।

प्रश्न न.10. आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उ०- लघु कथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि समयाभाव के चलते लोग पढ़ेंगे ।

प्रश्न न.11. लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उ०- विभिन्न साहित्यकारों को एक साथ पढ़ने का अवसर और वह भी निःशुल्क =================================

क्रमांक - 063

 पिता :श्री भगत राम 
माता : श्रीमती रोशनी
जन्मतिथि २३ अप्रैल १९६६
जन्म स्थान : गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा - हिमाचल प्रदेश
शिक्षा : शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड
भाषा ज्ञान :हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत ,हिमाचली पहाड़ी
व्यवसाय : राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक

लेखन विधाएं : कविता , कहानी ,  लघुकथा  , बाल कवितायेँ  व हिमाचली लोककथाएं एवं सांस्कृतिक लेखन |

प्रकाशित कृतियाँ – 

अंजुरी भर शब्द ---[कविता संग्रह ]
संवेदना के फूल  -  [कविता संग्रह ]

सम्पादन कृतियाँ --
मेरे पहाड़ में [कविता संकलन ]
महकते पहाड़ हिमाचल के चौदह कवियों का कविता संकलन

सम्मान : -

- हिमाचल प्रदेश राज्य  पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में  प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत 
- हिमाचल प्रदेश सिरमौर कला संगम  द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य चन्द्रमणि विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ 
- सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | 
- हिंदी भाषा सम्मेलन ,पटियाला द्वारा –सारस्वत सम्मान
- चंबा शिल्प परिषद [पंजीकृत ]द्वारा सम्मानित
- प्रेरणा बहुआयामी संस्था छत्तीसगढ़ द्वारा निखिल शिखर सम्मान २०१३
- जी वी प्रकाशन जालंधर द्वारा –काव्य शिरोमणि तुलसीदास सम्मान
- हिम साहित्यकार सभा बिलासपुर द्वारा सम्मानित
- साहित्यायन साहित्यकार सम्म्मेलन २०१७ , ग्वालियर म प्रद्वारा दिव्य तूलिका साहित्यायन सम्मान
- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक द्वारा – ज्ञानोदय साहित्य भूषण २०१४ सम्मान
- हिमखंड पत्रिका मंडी हिमाचल प्रदेश  द्वारा नीला आसमान साहित्य सम्मान
- त्रिवेणी साहित्य अकादमी जालन्धर द्वारा सारस्वत सम्मान कायाकल्प साहित्य कला फाउन्डेशन नोएडा द्वारा साहित्य भूषण सम्मान २०१८
           इनके आलावा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित

विशेष : -

- विगत बीस वर्षों से निरंतर हिंदी व हिमाचली  की विभिन्न विधाओं में    देश की दर्जनों नामचीन पत्र - पत्रिकाओं में लेखन व प्रकाशन  |
- कई कैसेट्स में हिमाचली गीत व भजन लेखन |
- हिमाचली कविता लेखन व सांस्कृतिक लेखन के आलावा बच्चों को नवाचार के द्वारा अध्यापन  में निरंतर साधनारत |
- विद्यालय  की पत्रिका   बुरांस में सम्पादन सहयोग |
- लगभग पच्चीस संकलनों में रचनाएँ [काव्य ] संकलित  | - - कुछ राष्ट्रीय लघुकथा संकलनों में लघुकथाएं  
-  कहानी संकलनों में कहानियाँ व लोककथाएँ संकलित |
- दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना पाठ व  प्रसारण
-  कई प्रादेशिक व राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में भागीदारी |
- इरावती साहित्य एवं कला मंच  बनीखेत का  अध्यक्ष | [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों  का आयोजन] | 
- हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति अकादमी शिमला का सदस्य

वर्तमान पता : अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा - हिमाचल प्रदेश

स्थायी पता : गाँव घट्ट , डाकघर बनीखेत , जिला चंबा - हिमाचल प्रदेश 
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? 
उत्तर - मेरे ख्याल में लघुकथा में  कथावस्तु ,आकार, शिल्प, पंच सब महत्वपूर्ण तत्व हैं ।  

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - मैंने जिन्हें पढ़ा है उस हिसाब से मैं कह सकता हूं कि लघुकथा साहित्य में योगराज प्रभाकर , अशोक जैन , मधुदीप गुप्ता ,  सुकेश साहनी , उर्मि कृष्ण और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) जैसे कई महत्वपूर्ण उल्लेखनीय नाम हैं। मैं दर्जनों ऐसे लघुकथाकारों को जानता हूँ जिनका लघुकथा साहित्य में विशेष दखल है उनके उल्लेखनीय योगदान को लघुकथा साहित्य में कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

प्रश्न न.3 - लघुकथा समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
 उत्तर - लघुकथा समीक्षा में कथावस्तु ,आकार, शिल्प, पंच,सामाजिक उपादेयता इत्यादि सारे तत्वों  को देखा जाना चाहिए किसी एक तत्व को देखकर समीक्षा करना एकांगी हो जाएगा।

प्रश्न  न. 4 - लघुकथा साहित्य में  सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर - आजकल लघुकथा साहित्य को विकासमान करने के लिए कितने ही प्लेटफार्म सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं इनमें व्हाट्सएप ग्रुप , फेसबुक , यूट्यूब , ऑडियो - वीडियो इत्यादि सबकी अपनी-अपनी भूमिका है और ये सब लघुकथा  साहित्य को और समृद्ध करने में जुटे हुए हैं किसी एक का नाम लेना उचित नहीं।

प्रश्न न.5 - आज के  साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति संतोषजनक है क्योंकि हर पत्र-पत्रिका में लघुकथा को स्थान दिया जा रहा है और सोशल मीडिया पर भी लघुकथा को लिखा पढ़ा जा रहा है अतः कहा जा सकता है की लघुकथा अपने विकास की ओर अग्रसर है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - कम से कम मैं तो लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हूं, क्योंकि साहित्यिक क्षेत्र में लघुकथा अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है , आज लघुकथाएं लिखी पढ़ी जा रही हैं पत्र-पत्रिकाओं में सोशल मीडिया में हर जगह लघुकथा अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है ।अतः मैं कह सकता हूं कि लघुकथा अपने विकास की ओर तेज गति से बढ़ रही है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर - मुझे साहित्य में कोई पैतृक योगदान नहीं मिला है। मैं एक साधारण परिवार से आया हूं जहां परिवार का साहित्य से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है । आज यहां तक मार्गदर्श बन पाने की बात है,  मैं स्वयं को लघुकथा का विद्यार्थी मानता हूं आज भी लघुकथा को लिखना सीख रहा हूं मार्गदर्शक बनना अभी दूर की बात है  ।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन मैं मेरे परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण है उनके सहयोग के बिना मैं कदापि साहित्य में आगे न बढ़ पाता। मेरे लिए परिवार का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है जिस कारण मैं निरंतर लेखन में सक्रिय रहा पाया हूं।

प्रश्न न.9 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - हमें सदैव आशावादी होना चाहिए और मैं हमेशा सकारात्मक रहता हूं इसलिए कह सकता हूं की लघुकथा का भविष्य भी उज्जवल है इसमें कोई दो राय नहीं ।

प्रश्न न.10 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका मेरे लेखन से नहीं चलती आजीविका के लिए मैं नौकरी करता हूं लेखन और आजीविका मेरे लिए दोनों अलग-अलग हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य में थोड़ा बहुत योगदान करने के बाद मुझे देश के नामचीन लघुकथाकारों से रूबरू होने का मौका मिला और मेरे लेखन में उनको पढ़ने गुनने के बाद सुधार भी हुआ । किसी रचना को जब साहित्य के धुरंधर विद्वानों के द्वारा प्रशंसा मिली तो मेरे लेखन को और उर्जा मिली । सोचता हूं लघुकथा लेखन के कारण मुझे बहुत से अच्छे-अच्छे साहित्यिक मित्रों से मिलने का सौभाग्य मिला ।यदि नहीं लिखता होता तो यह सौभाग्य कदापि न मिलता । एक बात और, लघुकथा को लिखते लिखते एक नई दृष्टि भी विकसित हुई जीवन को नए नजरिए से देखने की दृष्टि  ।
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क्रमांक - 064
जन्म स्थान: बुढ़लाड़ा (पंजाब)
जन्म तिथि: 12 नवम्बर 1960
पति:  डॉ. एस एल गर्ग 
शिक्षा: बी ए, फैशन डिजाइनिंग कोर्स 
सेवा: उपाध्यक्षा : अ.भा.सा.परिषद, हरियाणा प्रांत 

 प्रकाशित 15 पुस्तकें : -
 
 हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित दो पुस्तकें : -
 
1. सूख गए नैनन के आँसू (काव्य संग्रह) 
2. मनांजलि (डायरी के पन्ने) 

3. दिल मुट्ठी में (काव्य संग्रह )
4. अपनी-अपनी सोच ( लघुकथा संग्रह)
5. लघुता कुछ कहती है (लघुकथा संग्रह)
6. नानी, निक्की और कुंभ (बाल उपन्यास)
7. कागज़ की नाव' (बाल काव्य संग्रह) 

आध्यात्मिक चिंतन 6 पुस्तकें:- 

8. संवाद
9.  सनातन-वार्ता
10. मानस मोती
11. सहस्त्र मानक
12.  यात्रा गुरू के गाँव की
 13.  पंचामृत

हरियाणा की स्वर्ण जयंती पर संपादित पुस्तकें : -

14.  दुनिया गोल मटोल (बाल काव्य संकलन)
15.  कोरोना काल कवियों के झरोखे से ( काव्य संकलन)
  

सम्मान पुरस्कार :-
 
 - श्रेष्ठ कृति पुरस्कार ,हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला द्वारा
- श्री टेक चंद गोरखपुरिया सम्मान-2000 , अखिल भारतीय साहित्य परिषद, हिसार द्वारा
- वूमैन एम्पावरमैंटअवार्ड-2017  चंडीगढ़ 
- लघुकथा सेवी सम्मान- वर्ष 2018' सिरसा
- लघुकथा स्वर्ण सम्मान- 2017,गुरूग्राम 
 - श्री विजय कृष्ण राठी समृति साहित्य सम्मान- 2017'कैथल।
- महादेवी वर्मा कविता गौरव सम्मान-2019' सिरसा।
- कायाकल्प साहित्य श्री सम्मान-2019,नोएडा।
- साहित्य सम्मेलन शताब्दी सम्मान'-2019' पटना में गोवा की गवर्नर दीदी श्रीमती मृदला सिन्हा के करकमलों द्वारा ।
- शब्द कोविद सम्मान-2020'नागपुर महाराष्ट्र। 
- अग्नि शिखा साहित्य गौरव सम्मान'- 2020,मुंबई महाराष्ट्र। 
- आचार्य की मानद उपाधि-1998 में जैमिनी अकादमी द्वारा 

 डिजिटल सम्मान: -  
 
 जैमिनी अकादमी द्वारा
-  गुरु रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान- 2020, 
-  गोस्वामी तुलसीदास सम्मान- 2020, 
- मोहाली रत्न सम्मान- 2020, 
- कबीर सम्मान- 2020, 
- अटल रत्न सम्मान- 2020

    कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ द्वारा
- साहित्य श्री सम्मान-2020, 
- कोरोना योद्धा सम्मान- 2020 झारखंड व चंडीगढ से  
      व अन्य अनेक।
      
विशेष : -

- अ.भा.सा.परिषद व राष्ट्रीय कवि संगम के अनेक साहित्यिक सम्मेलनों में भाग लिया। 
- कोरोना के दिनों आरंभ से अब तक 12-12 घंटे की ड्यूटी क्लीनिक में। 
- स्वतंत्र लेखन हिन्दी व पंजाबी में।
- मैनेजिंग डायरेक्टर : एन जी डायग्नोस्टिक,पंचकूला।
- अध्यक्षा:- राष्ट्रीय कवि संगम, इकाई चंडीगढ।
- संयोजिका:- मनांजलि मंच। 
- स्वयं बनवाए गए शिव मंदिर की, शिव मंदिर महिला समिति की 21 वर्ष अध्यक्षा रही। 
- मातृशक्ति समिति, संयोजिका भारत माता मंदिर, हिसार।
-  तीन शिवालय मंदिर स्थापित, हिसार  
-  यात्राएं: चारों कुंभ, चारों धाम, कैलाश मानसरोवर, युरोप,  स्विट्जरलैंड देश-विदेश आदि- आदि।
      
पता : एन जी डायग्नोस्टिकस 
SCF: 59, सेक्टर-6 ,पंचकूला - हरियाणा
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व जो लघुता में संवेदनशील, सार्थक, सकारात्मक भाव की अभिव्यक्ति जो पाठक के मन में गहरी छाप छोड़े महत्वपूर्ण है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बड़ा मुश्किल प्रश्न है : -डॉ रूप देवगुण, डॉक्टर शील कौशिक, बीजेन्द्र जैमिनी, प्रद्युम्न भल्ला, महेश राजा आदि।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर -  समीक्षा के ज़रूरी मापदंड:- भावपूर्ण, प्रभावपूर्ण, आरंभ और अंत कैसा है, भाषा शैली, कथ्य का चुनाव, लघुता, समाज की विकृतियों को दर्शाती सकारात्मक सोच, लघुकथा हो न कि लघुकहानी, संदेश आदि- आदि। 
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब , ब्लॉग आदि- आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान आपाधापी में किसी के पास लंबी- लंबी रचनाएँ पढ़ने का समय नहीं है इसलिए लघुकथा की स्थिति अति उत्तम है। प्रत्येक पाठक सबसे पहले लघुकथा को पढ़ना चाहता है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - ऐसा है किसी भी काम में सौ पर्सेंट नहीं मिलता है। यदि अन्य विधाओं की तुलना में देखा जाए तो पाठक की दृष्टि से लघुकथा की स्थिति अच्छी है लेकिन लघुकथा पर जितनी संगोष्ठियाँ होनी चाहिए वह नहीं हो रही। जो सम्मान एक कवि को मिलता है वह लघुकथाकार को नहीं मिल रहा।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - परिवार में कोई लेखक नहीं था लेकिन माता-पिता, दादा- दादी व पूज्य गुरूदेव से संस्कार मिले। सौभाग्य है कि मुझे बड़े- बड़े साहित्यकार राज्यकवि प्रोफेसर उदयभानु हंस जी, डॉ राधेश्याम शुक्ल जी, प्रोफ़ेसर रामनिवास मानव, कमलेश भारतीय, डॉक्टर प्रदीप नील आदि का हिसार में रहते हुए सान्निध्य प्राप्त हुआ। उनके संग लगभग 24 वर्ष गोष्ठियाँ हुईं। बहुत कुछ सीखने को मिला। मार्गदर्शक के रुप में बहुत से नए लेखकों को अपने संग जोड़ा है। उन्हें लेखन के लिए तैयार किया, उनकी पुस्तकें भी प्रकाशित हुई, वह गोष्ठियों में भाग भी लेने लगे हैं और उन्हें सम्मान भी दिया है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर -  परिवार के पूरे सहयोग के बिना तो मेरी 15 पुस्तकें तैयार न हो पाती। गोष्ठियों में लगातार 88 से भाग ले रही हूं। तीन संस्थाओं को स्वयं चला रही हूं। हां! मैं स्वयं भी परिवार को पहल देती हूँ। परिवार की मेरी लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन में आजीविका की ओर कभी ध्यान नहीं दिया। मैं स्वयं की संतुष्टि के लिए लिखती हूँ।  हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला के सौजन्य से 2 पुस्तकें पहले प्रकाशित हुई थीं। अभी 2019 की पुस्तक पर श्रेष्ठ कृति पुरस्कार में ₹31000 पुरस्कार मिला।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर:- लघुकथा के उज्जवल भविष्य को शंका की दृष्टि से देख ही नहीं सकते। अभी लघु कथाओं को चित्र पुस्तकों के रूप में, लघुनाटकों के रूप में, लघु फिल्मों के रूप में पर्दे पर आना है। समय लगेगा परंतु मेरा विश्वास है ऐसा पक्का होगा। 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लेखन में आत्मसंतुष्टि, आत्मसम्मान उत्साह मिला है। मेरे दो लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए हैं जो पाठकों द्वारा पसंद किए गए हैं। लघुकथा लेखन पर 'लघुकथा स्वर्ण सम्मान' भी प्राप्त हुआ है। सबसे बड़ी बात वर्तमान समय के अनुसार कम शब्दों में मुझे समाज को जो संदेश पहुंचाना है अपने मन की कह पाती हूँ । डॉ हरीश चंद्र वर्मा जी, प्रोफेसर उदयभानु हंस जी, प्रोफेसर रूप देवगुण जी, कमलेश भारतीय जी आदि प्रमुख साहित्यकारों द्वारा लिखित आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। सौभाग्य है लघुकथाकारों में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
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क्रमांक - 065

 जन्मतिथि : २७ नवम्बर १९७६
जन्मस्थान : गोपालपुर )फैज़ाबाद ) उत्तर प्रदेश
पिता : स्व श्री इन्द्र स्वरूप खरे
माता : श्रीमती विभा खरे
पत्नी :  श्रीमती आरती खरे
पुत्री : शांभवी खरे
शिक्षा :  एम ए राजनीति, समाजशास्त्र,अंग्रेजी, एल एल बी, डिप्लोमा इन जर्नलिजम, डिप्लोमा इन कंप्यूटर अकाउंटेंसी एंड फाइनेंस एक्जीक्यूटिव

सम्प्रति : विधि व्यवसाय और फिल्म लेखन तथा साहित्य साधना

विधा : गद्य एवम् पद्य

प्रकाशित कृति : -

कारवां लफ्जो का सच का सामना ( काव्य संग्रह )
जीवन के रंग ( काव्य संग्रह )

विशेष : -

- तीस से अधिक सहयोगी संकलन में रचना प्रकाशित
- एसोसिएट मेंबर भाभा इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट साइंस उदयपुर - एसोसिएट मेंबर स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई

पता : आद्या वास , ९४६, मोहल्ला सुन गढ़ी , पीलीभीत -  २६३००१ उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - कथ्य,तत्व एवम् संदेश लघुकथा के महत्वपूर्ण तत्व हैं। 


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - 1. लाडो कटारिया 2. डॉ. अनिल शर्मा अनिल 3. बीजेन्द्र जैमिनी 4. हितेश कुमार शर्मा 5. मनोरमा जैन 'पाखी' 


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में उसका कथ्य,तत्व संदेश और कालखंड प्रमुख मानक है।लघुकथा जितनी संक्षिप्त हो उतनी ही सटीक होगी।

 

 प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

 उत्तर - वॉट्सएप,ब्लॉग और यूट्यूब मेरे विचार से अधिक महत्वूर्ण हैं।

 

 प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

 उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा अपनी विकासशील अवस्था में कहीं जा सकती है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - पूरी तरह तो नहीं लेकिन आश्वस्त हूं कि आने वाले समय में लघुकथा का साहित्य बहुत समृद्ध होगा।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक साधारण पारिवारिक और गैर साहित्यिक पृष्टभूमि से हूं।अपनी क्षमताओं के साथ जो भी औरों को सिखा सका वह सिखाया और और उचित मार्गदर्शन दिया है।बाकी तो साहित्यिक मित्र ही बता पाएंगे।


प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - सहयोगी भूमिका रही है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लेखन विषम परिस्थितियों में भी मुझे सचेत रखता है और  दूसरों को समझने में मदद करता है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - बेहतरीन


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - अनेक सशक्त हस्ताक्षर से संपर्क हुआ और खुद को भी पहचानने में सहायता मिली है।

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क्रमांक - 066

जन्म तिथि - 07 जुलाई  ,राँची, झारखंड

पति का नाम - सुभाष चन्द्र  मिश्र
शिक्षा - एम. ए. हिन्दी (इग्नू)
व्यवसाय - शिक्षिका

लेखन : कहानी, कविता, लघुकथा, संस्मरण, लेख, समीक्षा

प्रकाशित पुस्तक - "और भी है राहें" कथा संग्रह

प्रकाशित साझा संकलन : -

नीलाम्बरा,
विचार विथिका,  
कथादीप, 
लघुकथा संकलन - 2019
चित्रगंधा
साहित्य प्रसंग
साहित्योदय

विशेष : -

- महिला काव्य मंच राँची की सक्रिय सदस्य।
-  प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच झारखंड इकाई अध्यक्ष।

प्राप्त सम्मान : -

- भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा विभिन्न सम्मान से सम्मानित
- आदिशक्ति फाउंडेशन द्वारा सशक्त नारी सम्मान
- बाल नारी जागृति युवा मंडल द्वारा नारी रत्न सम्मान
- अखिल भारतीय प्रसंग मंच द्वारा कथा शिल्पी सम्मान
-  साहित्य संवेद मंच से पाठक पुरस्कार
                                    
पता : -  फ्लैट नं बी 304, ईश्वरी इन्कलेव , विद्यापति नगर,
  काॅके रोड ,राँची - 834008 झारखंड 

प्रश्न क्र.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथा की पृष्ठभूमि, कम से कम शब्दों में अपनी बात रखने की कोशिश (आकार) और पात्र है।


प्रश्न क्र. 2- समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइये ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  श्रीमती कांता राय,  श्री सुकेश साहनी, श्री बीजेन्द्र जैमिनी,  श्री पवन जैन,  श्रीमती मीरा जैन


प्रश्न क्र.3- लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - विसंगतियों को उजागर करने की कोशिश, पंच का करारा चोट, शिल्प, पात्र, प्रस्तुति, कथ्य की लिखावट।


प्रश्न क्र.4- लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ? 

उत्तर - आडियो, विडियो के माध्यम से प्रस्तुति, आजकल शार्ट फिल्में भी बन रही है।कई उच्चस्तरीय लघुकथा संग्रह भी प्रकाशित हो रहे हैं। 


प्रश्न क्र.5- आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लघुकथा धीरे-धीरे अपना विस्तार कर रही है, हर रचनाकार लघुकथा लिखने की ओर अग्रसर हो रहे हैं,और आज की जरूरत है, जैसे क्रिकेट में  T20


प्रश्न क्र.6- क्या आप लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं ?

उत्तर - लघुकथाएं पढ़ी जा रही है, अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है , फिर भी सम्मानित लेखक /लेखिका के समक्ष कथा और लघुकथा में अंतर थोड़ा स्पष्ट होना अति आवश्यक है। 


प्रश्न क्र.7- आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताइये  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - बचपन से ही पढ़ने की तरफ झुकाव रहा (जैसे नंदन, चंपक इत्यादि) ।घर का माहौल कुछ ऐसा था कि, मेरी मम्मी सुप्रसिद्ध लेखिका शिवानी की कहानियाँ और उपन्यास पढ़ा करती थी। पापा मधुशाला सुनते थे। इस तरह मम्मी के साथ  पढ़ते-पढ़ते ही मैं लिखने लगी।शायद बचपन में हमारे अंदर कोई बीज रह जाता है, और खाद पानी मिलते ही प्रस्फुटित हो जाता है। कहानियों से मेरा विशेष लगाव का होना, इसी का परिचायक है। 


प्रश्न क्र.8 - आप के लेखन में,आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - परिवार में, मेरे अलावा कोई नहीं लिखते है। हाँ, सराहना जरूर मिलती है।


प्रश्न क्र.9 - आप की आजीविका में,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं कहानी, लघुकथा, लेख, कविता, छंद कभी-कभी गजल इत्यादि लिखती हूँ। इससे मुझे कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला है।


प्रश्न क्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - वर्तमान भागती-दौड़ती जीवन शैली में लघुकथा का भविष्य उज्जवल है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - मेरी लघुकथाएं समाचार पत्र और पत्रिकाओं में छपती रहती है। आनलाइन मंचों पर आडियो - वीडियो में लघुकथा की प्रस्तुति देती रहती हूँ।

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क्रमांक - 067

जन्म तिथि : ७ अक्टूबर 
पति : श्री योगीन्द्र मोहन 
पिता : श्री सोम प्रकाश
माता : श्रीमती कृष्णा चोपड़ा 
शिक्षा :  एम.ए. हिन्दी, एम.ए. पंजाबी, इंग्लिश एलेक्टिव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं
 
प्रकाशित पुस्तकें : -

स्मर्तियाँ (कहानी संग्रह )
रिदिमा (लघुकथा संग्रह)
प्रतिबम्ब (काव्य संग्रह )
बेटी (काव्य संग्रह )
कौसे  कुज़ह (ग़ज़ल संग्रह )

सम्मान : -

-  बैस्ट अध्यापक सम्मान 
- बैस्ट लेखक सम्मान
- पंजाब केसरी द्बारा बैस्ट वुमन अवार्ड
- पटियाला मानव रत्न सम्मान माननीय श्रीमती महारानी परनीत कौर जी भूतपूर्व विदेश मंत्री के कर कमलों से मिलने का सोभाग्य मिला 

विशेष : -
१५ साँझा संग्रह में रचनाएँ छप चुकी हैं|

पता : हाउस न० २०१ , 
माडल टायून, पटियाला - १४००१  पंजाब 
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में कथा" तत्व विद्यमान है ..थोड़े शब्दों में पूरी घटना कह देना ही  गागर में सागर भरना है

प्रश्न न. 2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - 1 श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी
2  श्री योगराज प्रभाकर जी
३ श्रीमती कांता राय
४ श्री मधुदीप गुप्ता जी
५ श्री विनय कुमार जी.

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा में   ज्यादे से ज्यादा लगभग २५० -३००   शब्द और  कम से कम 1५०  शब्द हो तो बेहतर है।  कालखण्ड दोष नहीं हो। मूल्यों पर आधारित सन्देशयुक्त लघुकथा हो और अंत में  पंच ऐसा हो नयी लघुकथा की कल्पना की संभावना हो।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा को हल्की –फुल्की होने के कारण नेटवर्किग सुलभ है सोशल मीडिया के सारे प्लेटफार्म जैसे फेसबुक , व्हाट्सएप  पर अनेक लघुकथा समूह ,  विविध ई पत्रिकाएँ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की  स्थिति
सराहनीय , मजबूत , शिक्षाप्रद  है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी , हाँ ! लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं  बिल्कुल सतुष्ट हैं ।इसी दौर में लघुकथा उद्देश्यपरक होने के कारण फली -फूली  , उच्च साहित्यिक प्रगति के  स्तर पर पहुँची है ।

प्रश्न न.7 -  आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  मेरी जन्मस्थली  पटियाला. पंजाब की है , जहाँ  सांस्कृतिक सौंदर्य , कभी पांच आंब थे अब तीन हैं , पहाड़ , आध्यात्मिक , शैक्षणिक , भौगोलिक , पौराणिक , राजाओं की पहचान बनी है।
ऐतिहासिक की पृष्ठभूमि भूमि से आयी हूँ। हमारी  माँ -  पिता में शैक्षिक और सरकारी नौकरी में थे । यहाँ पुलिस में सेवा शुरू से करते आए हैं  । अब सभी कलम को ही जीना मानते है.

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - जी हाँ ,जी हाँ ..परिवार का पूर्ण सहयोग है

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?.
उत्तर - लेखन तो मैं शौक़िया लिखती हूँ।  मुझे सरकारी पत्रिकाओं से मान -  देय मिला है । कई लघुकथाएँ पुरस्कृत हुई हैं । मेरी सात किताबें  छपी हैं । लेखन ने मुझे  देश ,समाज़ से जोड़ दिया।

प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य  सुदृढ़ , प्रगति पर है । आज दौड़ती -भागती तनाव भरी  जिंदगी में छोटी -छोटी कथा इंसान के जीवन में बूस्टर , टॉनिक का काम करती है । लघुकथा  समय की बचत के साथ मूल्यों से निर्मित होने के कारण इंसान को सकारात्मक ऊर्जा , शक्ति ,  आशा  और मानसिक स्तर को मनोरंजन की खुराक के साथ सद्साहित्य भी देती है। कलम की बड़ी ताकत, हृदय को प्रेरणा दे ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे मान -देय के साथ यश , सम्मान और कलम को पहचान मिली।

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क्रमांक - 068

जन्मतिथि : 15 मार्च 1963
जन्म स्थान: मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश 
शिक्षा  : स्नातक विज्ञान 

लेखन : कहानी, लघुकथा और कविता लेखन

संग्रह : -

सहोदरी सोपान
सहोदरी लघुकथा
समय की दस्तक,
अक्षरा

ई-बुक :-

चिकीर्षा
संगिनी
हिंदी चेतना
पुरवाई
लघुकथा - 2019

सम्मान : -

- दिल्ली लघुकथा अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
- ब्लॉग बुलेटिन द्वारा आयोजित ब्लॉग साहित्य प्रतियोगिता के कहानी वर्ग में ब्लॉग रत्न सम्मान
- स्टोरी मिरर द्वारा लिटररी कर्नल
- पटना पुस्तक मेला में लेख्य मंजूषा की ओर से कविता पाठ के लिये प्रथम पुरस्कार
- प्रतिलिपि की ओर से ऑडियो कथा वाचन में प्रथम पुरस्कार

विशेष : -
- लेखकीय सफर  ऑल इंडिया रेडियो के युवा-वाणी प्रोग्राम में अपनी रचना पढ़ने से हुआ।
- पिछले कुछ वर्षों में  फेसबुक पर लघुकथाओं के कई ग्रुप से सक्रिय जुड़ाव
-  हिंदी कहानियों के कई ऐप पर भी रचनाएँ हैं जिसमें पाठकों की संख्या चार लाख से ऊपर जा चुकी है।
-  कई संपादकों ने अपनी ई-बुक में लघुकथा ,कहानी , कविता संकलन में  रचनाएँ संग्रहित की हैं
- एक लघुकथा 'अकल्पित' का चुनाव कर,  मातृभारती ने उस पर शार्ट फिल्म बनवाई तथा द्वितीय पुरस्कार से नवाज़ा, फिर गली इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में कई देशों की प्रस्तुतियों के बीच, इस फिल्म ने 'बेस्ट स्टोरी' का अवार्ड भी जीता।
- दूरदर्शन बिहार के 'खुला आकाश' और 'बेस्ट माॅम' जैसे प्रोग्राम में उपस्थिति।

पता :  अचल, जस्टिस नारायण पथ , नागेश्वर कालोनी,     
          बोरिंग रोड , पटना- 800001 बिहार 

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा से निकलना चाहिए कोई संदेश या कोई ऐसी अनुभूति जो  बस, अंदर कहीं जाकर अटक जाए।

कभी-कभी किसी अच्छी कथा में पूरा जीवन दर्शन बदल कर रख देने की ताकत हो सकती है।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए मैं स्वयं को सही पात्र नहीं समझती हूँ क्योंकि मैं बहुत सारे लोगों, जो अच्छा काम कर रहे हैं, से परिचित ही नहीं हूँ। फिर भी  अपनी सीमित जानकारी में मैं 1 - श्री बलराम अग्रवाल, 2 - कांता राॅय जी, 3 - श्री बीजेंद्र जैमिनी जी, 4 - श्री योगराज प्रभाकर जी और 5 - श्री मधुदीप गुप्ता,  जिनको  इस क्षेत्र में लगातार काम करते देख  रही हूँ, का नाम दे रही हूँ। 


प्रश्न न.3 -  लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - भाषागत अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिये। संदेश या कथोपकथ्य स्पष्ट तथा कथा में कसावट और निरंतरता आवश्यक है। विषयों में दोहराव होने पर भी ध्यान दिलाया जा सकता है।


प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर  - दुर्भाग्य से मैं सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नहीं हो सकी हूँ। फेसबुक, लघुकथा के परिंदे जैसे कतिपय ग्रुप और प्रतिलिपि और मातृभारती जैसे पोर्टल के अतिरिक्त ब्लाग पर कथाएँ पढ़ती रहती हूँ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर  - इसपर काम तो काफी हो रहा है पर पूरी तरह पहचान बनाने के लिये इस विधा को अभी भी एक लंबा सफर तय करने की आवश्यकता है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर  - पूरी तरह संतुष्ट होने की स्थिति तो शायद अभी नहीं आई है क्योंकि अभी तो बहुत सारे लेखक ही इसके महत्व को, इसके स्वरूप को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं।  फिर भी मैं लघुकथा के भविष्य को लेकर काफी आशान्वित हूँ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर  - मैं केवल अपने पढ़ने के शौक के कारण इस क्षेत्र में आई हूँ।थोड़ा सा श्रेय अपने पिता के उस साहित्यिक किताबों के संकलन को भी दूँगी जिसे मैंने कई-कई बार पढ़ डाला है। विज्ञान विषय लेने के कारण साहित्यिक हिंदी मेरा विषय नहीं थी न ही मेरे परिवार में किसी ने लेखन को चुना था। पर यह सही है कि जब-जब मुझे कुछ अच्छा, स्तरीय साहित्य पढ़ने के लिए मिला, मुझे अवर्णणीय आनन्द प्राप्त होता रहा है। मैं लेखिका से कहीं बेहतर पाठक हूँ अतः स्वयं को मार्गदर्शक की भूमिका में नहीं पाती। सही शब्दों में मैं तो बस शब्दों को अपने विचारों का जामा पहना, उनसे खेल रही हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर  - दूर-दूर तक कोई इस क्षेत्र में नहीं है। वो लोग तो बस मेरी उपलब्धियों पर मेरे साथ खुश हो लेते हैं। 


प्रश्न न.9 -  आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर  - मैंने अभी तक लेखन को शौक की तरह ही लिया है, आजीविका के लिये मेरा अलग काम/व्यवसाय है। 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - साहित्यकारों की एक बड़ी संख्या को इस विधा में समर्पण के साथ काम करते देख रही हूँ। मेहनत तो रंग लाएगी ही! 


 प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर  - आत्मविश्वास!  प्रतिष्ठित  लघुकथाकारों के साथ  अपना नाम आता देख कर मिलने वाला रोमांच और खुशी! इसके अतिरिक्त मैं महसूस करती हूँ कि इस विधा ने मुझे चीजों को एक दूसरी नजर से देखना सिखा दिया है और चुपचाप  मेरी सोच में, एक ऐसी परिपक्वता का समावेश कर दिया है जिसका लाभ न केवल लेखन में, वरन रोज़ाना के जीवन में... आपसी रिश्तों में भी महसूस कर रही हूँ।

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क्रमांक - 069

जन्मतिथि : 24 जून 1956
पिता: श्री चतुर्भुज शिवहरे 
माता : स्वर्गीय श्रीमती बेटीबाई
शिक्षा : एम.एस.सी.(गणित ), सी.ए.आई.आई.बी ,हिन्दी उन्मुख परीक्षा , डिप्लोमा इन मैनेजमेंट,एडवांस मैनेजमेंट, फाइनेंशियल मैनेजमेंट,एच.आर.डी., मार्केटिंग,इन्र्टीडेट माडयूल ।

लेखन: -

लघुकथा, कविता , शोधपत्र,प्रबन्धन, वित्तीय साक्षरता आदि 

व्यवसाय : -

 सेवानिवृत बैंक प्रबन्धक , नाबार्ड एवं प्रथमा यू. पी.ग्रामीण बैंक के संयुक्त वित्तीय साक्षरता केन्द्र झॉंसी के निदेशक पद पर कार्यरत । पूर्व में बुन्देलखण्ड महाविधालय , झॉंसी में छ: बर्षों तक गणित विषय में अध्यापन।

साझा संकलन: -

 काव्य रत्नावली ,
 सपनों से हक़ीकत तक , 
 कोरोना ( काव्य संकलन ) ,
 सहोदरी सोपान , 
 काव्या सतित साहित्य यात्रा ,
 साहित्य कलश , 
 वंदन कुंज अग्रवन के , 
 अपनी जमीं अपना आसमान , 
 काव्य स्पन्दन भावांजलि ,
 साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन अमर  उजाला पोर्टल, प्रतिलिपि ,आगाज पोर्टल आदि में कविताओं एवं लघुकथाओं का प्रकाशन । 

सम्मान : -
 
-  झॉंसी के गौरवशाली व्यक्तित्व 
 - शिवहरे साहित्य रत्न, अमृतादित्य साहित्य गौरव ,
 - शब्दवेल साहित्य सम्मान , 
 - साहित्य रत्न सम्मान , 
 - लक्ष्मी बाई मेमोरियल सम्मान ,
 - सृजन साहित्य सम्मान, 
 - श्रेष्ठ लघुकथा शिल्पी चड्ढा सम्मान , 
 - साहित्य गौरव सम्मान ,
 - सजग धैर्य सम्मान ,
 - गांधी पीस फाउन्डेशन सम्मान नेपाल आदि प्रमुख हैं 

विशेष : -

- स्थानीय एवं आनलाइन मंचों पर सक्रिय सहभागिता 
-  महिला एवं ग्रामींणों को वित्तीय साक्षरता के माध्यम से जागृत करने हेतु प्रयासरत ।
-  आदिवासी बस्ती में राष्ट्रीय युवा योजना के कार्क्रमों में सहभागिता ।
 -  विभिन्न संस्थाओं में आमंत्रित वक़्ता के रूप में सहभागिता।
- प्रांतीय अध्यक्ष : विश्व मैत्री मंच उ.प्र. ईकाई 
- आकाशवाणी छतरपुर से कविताओं ,लघुकथाओं एवम् वित्तीय साक्षरता पर वार्ताओं का प्रसारण , ,
- दूरदर्शन नई दिल्ली से समाज सेवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित साक्षात्कार प्रसारित ।
- अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में विज्ञान भवन में सहभागिता 
 -  महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के सौ समूह गठित करने पर परम आदरणीय गाँधीवादी एस.एन.सुब्बाराव जी के कर कमलों से आशीर्वाद व उनकी पत्रिका यूथ कल्चर  " में समाचार प्रकाशित ।

पता : 374, नानक गंज, सीपरी बाज़ार, झॉंसी - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - स्थूल में से सूक्ष्म को ढूंढने की कला ही लघुकथा है ।भीड़ के शोर शराबे में भी बच्चे की खनकती आवाज को साफ साफ सुन लिया जाय वही लघुकथा है ।भूसे के ढेर में सुई ढूंढ लेना ही लघुकथा है ।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बीजेन्द्र जैमिनी  , मिथिलेश दीक्षित , श्रीमती संतोष श्रीवास्तव एवं श्रीमती कान्ता राय । स्वर्गीय डा.सतीश राज पुष्करण जी जो अब हमारे मध्य नहीं हैं ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर -  विषय वस्तु ,शीर्षक एवं कथ्यशिल्प जो सीधा जनसाधारण के हृदय को उद्वेलित करे और जनसंदेश भी हो ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फेसबुक , वाटसएप , मैसेन्जर ,  आन लाइन संगोष्ठीयाँ , आन लाइन ई बुक आदि ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अब लघुकथाकारों के अनेकों समूह सक्रिय हैं , पत्र पत्रिकाओं में स्थान मिल रहा है । संगोष्ठीयाँ आयोजित हो रही हैं , ई बुक ,साझा संकलन छप रहे हैं ,अखबार में भी छप रही हैं ।
    
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - साहित्य में कभी भी किसी भी स्थिति में संतुष्ट नहीं रहा जा सकता है । उत्तरोत्तर प्रगति एवं सुधार का विकल्प बना रहता है ।
        
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मुझे बैंक प्रबंधक के रुप में ग्रामीण क्षेत्र में अनेकों  शाखाओं में काम करने ,ग्रामीणों को नजदीक से देखने समझने का अवसर प्राप्त होता रहा है वही अनुभव काम आ रहा है ।  उ.प्र.के राज्यपाल स्व.चेन्ना रेड्डी जी ने मुझे अपने ओटोग्राफ के साथ अग्रेंजी में  लिख कर दिया था "यू फील मोर प्लेजर टू गीव अदर्स दैन रिसीविंग फ्राम दैम " यही मूलमंत्र मुझे जीवन में प्रेरित करता है ।
    
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - परिवार का पूर्ण सहयोग ही मेरा सम्बल है ।
    
प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - बैंक प्रबंधक के रुप में कार्य के दौरान तत्पश्चात सेवा निवृत्त होने के बाद लेखन से आत्मसंतुष्टि और तनाव से मुक्ति मिलती है ।समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का बोध भी रहता है ।
      
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - भविष्य उज्जवल है । फिर भी संधर्ष जारी रहेगा ।
         
 प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
 उत्तर - साहित्य की विभिन्न विभूतियों से परिचय । साहित्य क्षेत्र में हो रहे नवप्रयागों की जानकारी एवं पहचान भी मिली ।
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क्रमांक - 070
W/O : एस. के. मिश्रा
पद:  भूतपूर्व शिक्षिका/स्वतंत्र लेखन

विधा - 
दोहा, गीत ,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। 

भाषा ज्ञान - 
हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत
साहित्यिक सेवा हेतु भाषा - हिंदी 

शिक्षा -
M.A ( समाजशास्त्र) , 
B.Ed (हिंदी साहित्य सामाजिकअध्ययन) 

उपलब्धि : -
साहित्यिक समूहों में अनेक पुरस्कार।
लाइव काव्य पाठ व लाइव गोष्ठियों में सहभागिता।

पता -  
बिलहरी  , जबलपुर - मध्य प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उ० - लघुकथा का महत्वपूर्ण तत्व कथानक शिल्प और शैली है। यह लेखन की आत्मा है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उ0 - १.डॉ बलराम अग्रवाल २.डॉ अशोक भाटिया
३.आदरणीय कांता राय 4.आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी
5.आदरणीय सिद्दीकी जी 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उ0 - समीक्षा का मूल्यांकन के दो पक्ष हैं ।समीक्षा और आलोचना । समीक्षक को गिद्ध दृष्टि रखनी चाहिए। अपने विवेक से ,मन को शांत रखें जो सही निर्णय हो उसी को देना चाहिए।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उ0 - व्हाट्सएप , फेसबुक , टि्वटर , इंस्टाग्राम। बहुत सारे फेसबुक में ग्रुप भी है भारतीय लघुकथा विकास मंच/लघु कथा के परिंदे।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ0 - आज के साहित्य परिपेक्ष में लघु कथा की स्थिति बहुत ही सरल है क्योंकि लोग चलते फिरते अपने जीवन जीवन शैली में लघु कथा को पढ़ना और सुनना ही पसंद करते हैं।और लेखन के लिए भी लघुकथा बहुत ही अच्छा क्षेत्र है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ0 - वर्तमान परिवेश में लघुकथाएं पढ़कर मैं बहुत दुखी होती हूं क्योंकि लोग लघुकथा कैसे लिखनी चाहिए यह सही ढंग से सीखते ही नहीं है किसी गुरु से उन्हें अवश्य सीखना चाहिए। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ0 - मैं शहर में रहती हूं लेकिन मुझे प्रकृति और ग्रामीण परिवेश भी बहुत आकर्षित करता है, मुझे प्रेमचंद जी की लघुकथाएं बहुत पसंद थी और मैं छोटी-छोटी कहानियां लघुकथा लिखती थी । हमारे जबलपुर शहर में एक लघुकथा संगोष्ठी में मेरी मुलाकात कांता राय दीदी से हुई और कांता राय दीदी ने ही मुझे समझाया। कि मैं लघुकथा कैसे लिखूं, और लघुकथा की बारीकियां भी मुझे कांता राय दीदी ने बताई। मेरी गुरु कांता राय दीदी हैं। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उ0 -  लेखन में मेरे परिवार का बहुत योगदान है मेरे बच्चे और मेरे पति दोनों ही बहुत सहयोग करते हैं ।
वे लोग मेरी लघुकथाएं सुनते हैं और और मुझे सलाह भी देते हैं कि मुझे क्या लिखना चाहिए। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ0 - मेरे लेखन का सहयोग मेरी आजीविका में नहीं है। 
मैं अपने आत्म संतुष्टि के लिए करती हूं। लघुकथा लिखना मेरा शौक है। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उ0 - लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है  क्योंकि हम लघुकथा के माध्यम से बहुत ही कम शब्दों में अपनी बात पहुंचा सकते हैं और लघुकथा बहुत ही शिक्षा देने का सशक्त माध्यम है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ0 - लघुकथा साहित्य से मैंने बहुत कुछ सीखा ।
लघुकथा के माध्यम से मेरे अंदर बहुत धैर्य आया और अपनी कथाएं लिखते लिखते  कथानक का ताना-बाना बुनते  मैंने जीवन के हर पहलू को महसूस किया।
समाज को देखने का मेरा दृष्टिकोण भी बदला और मुझे लोगों को शिक्षा देने का यह एक सशक्त माध्यम लगा। 
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क्रमांक - 071
उम्र : 69 वर्ष
संप्रति -----शिक्षिका (सेवा निवृत्त) 
रुचि--------साहित्य लेखन और पठन पाठन

प्रकाशित कृतियां : -

1.  अभिव्यक्ति साझा काव्य संकलनमें कविता प्रकाशित 
2.   काव्य करुणा साझा काव्य संग्रह में कविता प्रकाशित
3.   भाषा सहोदरी -हिन्दी में कविता प्रकाशित 
4.    दिल्ली की "जीवन मूल्य संरक्षक न्यूज पत्रिका "में कविता और कहानी प्रकाशित 
5. हैदराबाद में डेली हिन्दी मिलाप पेपर में कविता मुक्तक प्रकाशित
6. Georgia ( USA ) राष्ट्रदर्पण पेपर  में कहानी , लघुकथा ,लेख ,कविता प्रकाशित 
7. नवसारी में साप्ताहिक पूर्णेश्वर टाइम्स में मेरी रचनाएं प्रकाशि

उपलब्धियां : -

1.    काव्य करुणा सम्मान उदीप्त प्रकाशन द्वारा 
2. अग्निशिखा गौरव रत्न सम्मान अग्निशिखा जनिका काव्यमंच द्वारा 
3.  महाकवि कालिदास काव्य संध्या प्रतियोगिता में सम्मानित 
4.  काव्य साधक सम्मान उदीप्त प्रकाशन द्वारा 
5.  जैमिनी अकादमी द्वारा 25 वी अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता में मेरी लघुकथा "स्वाभिमान" को सांत्वना पुरुष्कार प्राप्त
6. साहित्य सफर में मेरी कहानी पुरुष्कृत

पता : -
501 ,महावीर दर्शन सोसायटी 
प्लॉट नं 11सी , सेक्टर - 20 , खारघर ,
नवी मुंबई -महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में कथानक का विशेष महत्व है! लघुकथा का अंत सशक्त और प्रभावशाली विचारोत्तेजक  होना चाहिये ! कम शब्दों में गागर में सागर की धारणा को पुष्ट करे! 

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - योगराज प्रभाकर जी, कांताराय जी, बलराम अग्रवाल जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , मीरा जैन जी! 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में समालोचना और आलोचना दोनों आते हैं अतः समीक्षक को काफी सूक्ष्म दृष्टि (गिद्ध दृष्टि) रखना एवं निष्पक्ष न्याय देना चाहिए! 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया में ,फेसबुक व्हाटसेप और ऐसे कई प्लेटफार्म के जरिये फल-फूल रही है! 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज की साहित्यिक परिवेश में लघुकथा का भविष्य सराहनीय मजबूत और उज्जवल है! 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी समय समय पर परिवेश के अनुसार कुछ शोधकार्य भी चल रहे हैं! 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरा जन्म छत्तीसगढ़ के छोटे से गाँव  धमतरी  में एक सुखी संपन्न ,शिक्षित परिवार से जहाँ बेटी को स्वयं अपना प्रगति का क्षेत्र चुनने की इजाजत थी ऐसे घर में हुआ! साहित्य में मेरी रुचि बचपन से ही माँ के गीत सुनकर  जागी थी! मां स्वयं गीत बना स्वर भी देती थीं !

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार का मुझे पूर्ण योगदान मिला! मेरी कविता, लघुकथा को पहले मेरी दोनों बेटियाँ  पढ़ती और सुनती हैं! हाँ पति महोदय को साहित्य में रस नहीं है किंतु मुझे प्रोत्साहन  उन्हीं से मिलता है! 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन का कोई योग नहीं है! हाँ कभी कभी किसी रचना पर मानदेय राशि मिल जाती है!लेखन मेरा शौक है जो स्वान्तः सुखाय है! 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में आगे लघुकथा का भविष्य सराहनीय और मजबूत है !

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मेरी कलम को पहचान मिली ! यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि  है! 
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क्रमांक - 072
जन्म स्थान : रीवा (म.प्र.)
शिक्षा : बी एस सी , बी एड, एम ए राजनीति विज्ञान, एम फिल ( नीति  शोध ) 
व्यवसाय:  पूर्व उच्च श्रेणी शिक्षिका

लेखन विधा: -
सभी विधाओं पर 

प्रकाशित कृतियाँ- 
ई पुस्तक धवल काव्य, 
ई लघुकथा संग्रह -ड्योढ़ी के पार, 
ई उपन्यास- चंपा के फूल , बाल कविता ,कहानी संग्रह- आहुति।

सम्प्रति- 
प्रधान सम्पादक अविचल प्रभा, मासिक ई पत्रिका
कोषाध्यक्ष - साहित्य संगम संस्थान
अधीक्षिका- संगम सुवास नारी मंच

संपादन-
लघुकथा संगम, 
बरनाली- साझा उपन्यास, 
भाव स्पंदन काव्य संग्रह, 
रचनाकार विशेषांक- सहित्यमेध, शब्द समिधा ,अंतर्मन 

पता : - 

माँ नर्मदे नगर, म. न. 12, फेज -1,  बिलहरी 

जबलपुर - 482020  मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?  

उत्तर - कथ्य सम्प्रेषण


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - बलराम अग्रवाल जी , सुकेश साहनी जी , मधुकांत जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , कांता राय जी


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - कथ्य , शैली, विसंगति, सम्प्रेषण, चिंतन हेतु प्रश्न क्या उठाया गया ।


प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - फेसबुक व व्हाट्सएप में सीखने -सिखाने का जो कार्य हो रहा है निश्चित रूप से ये बहुत महत्वपूर्ण है ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लघुकथा की स्थिति सुदृढ़ है , हर लेखक इससे जुड़कर सामाजिक उत्थान के कार्यों को एक नया आकार दे सकता है ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - एक लेखक कभी संतुष्ट नहीं हो सकता है । निरंतर इसी तरह सभी लोग इस पर कार्य करते रहें , अवश्य ही सुखद पारिणाम आएंगे ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - शैक्षिक , सुलझी हुई विचारधारा की पृष्ठभूमि रही है । संस्कारों को  प्राथमिकता देने के साथ- साथ विज्ञान के तथ्यों को भी निर्णयों में शामिल करती हूँ । सकारात्मकता पूर्ण लेखन ही मेरा मुख्य आधार है ,सबको मैं यही संदेश देती हूँ जोड़ने वाला साहित्य ही लिखें ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - सभी का सहयोग रहता है । कई बिंदुओं पर सृजनात्मक चर्चा भी होती है । सिक्के के दोनों पहलुओं पर विचार - विमर्श होकर ही आगे के कार्य तय होते हैं ।


प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लेखन मन के भावों को व्यक्त करने व      सकारात्मक चिंतन हेतु ही करती हूँ । मेरी आजीविक में इसका कोई योगदान नहीं है ।


प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - उज्ज्वल भविष्य होगा क्योंकि लोग अब जागरुक हो चुके हैं उन्हें चिंतन व नए विचारों वाले कथ्य ही पसंद आते हैं जिनसे भ्रांतियाँ दूर हो सकें ।


प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - मानसिक सुकून, सामाजिक जन चेतना , दृढ़ निश्चय, स्वयं पर अटूट विश्वास ।

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क्रमांक - 073

जन्मतिथि 24 मई 1975
पिता - श्री अशोक खन्ना
पति - श्री हरीश बाबू
शिक्षा :  बी कॉम ( हॉन)

प्रकाशित पुस्तकें :-
1.  नर्सरी पाठ्यक्रम
2. साँझा संकलन - महानगरिए  लघुकथाएँ

सम्मान : -

कलम शिरोमणि २०२०
लघुकथा भूषण सम्मान
लघुकथा श्रेष्ठ समीक्षक सम्मान

विशेष : -
फ़ेसबुक पर सुहाना सफ़र
अनु कपूर की गेम शो की मुख्य संचालिका

पता : -
333 , डॉ मुखर्जी नगर , दिल्ली 110009

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा महत्वपूर्ण तत्व है - रोचकता , पाठकों को बाध्य रखने की क्षमता ।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?

उत्तर - कांता राय जी , सतीश राठी जी , अशोक भाटिया , सुभाष नीरव जी और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी )


प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षा के बारे में कहना छोटा मुँह बड़ी बात होगी एक पाठक को जो पसंद आए वही सफल है । कालजयी पर वर्तमान स्तिथि को उजागर करना भी ज़रूरी है क्योंकि कल वह इतिहास होगा 2050 में 2020 में करोना काल  की लघुकथा पढ़ के पाठक उसे समझ पाएँगे |

मुझे व्यक्तिगत तौर पर कांता रॉय जी की ‘सावन की झड़ी ‘ पूनम झा जी की ‘ आवाज़’ लता अग्रवाल जी की ‘ रीता आकाश’ की लघुकथाएँ मुझे पसंद है कारण कोई भाषा शैली या मापदंड नहीं है एक पाठक की नज़र से है 


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - फ़ेसबुक और WhatsApp


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आजकल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में लघुकथा साहित्य से जोड़ने में कारगर साबित हुई है 


प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - लघुकथा की बाढ़ आयी हुई है लोग कुछ भी लिख देते है पर इस स्तिथि ने नए लेखकों को अवसर भी दिया है ।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं शहरी परिवेश में पली बड़ी एक  व्यावसायिक परिवार की पुत्री , पुत्रवधू हूँ अभी स्वयं पैरों पर खड़ा होना सीख रही हूँ मार्गदर्शक बनना अभी बहुत दूर है 


प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है? 

उत्तर -  मैं एक गृहिणी हूँ , अपनी एक पहचान बनाना चाहती हूँ जिसे परिवार ने स्वीकारा है पर पारिवारिक जिम्मेदारियाँ पहले है । 


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उत्तर - शून्य 


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा? 

उत्तर -  उज्ज्वल , प्रगति की बरसात है कुछ बूँदे मोती बन जाएँगी कुछ कीचड़ बन कमल खिलाने में सक्षम होंगी 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर -  बहुत कुछ सीखा और कुछ ना सही ज्ञान ज़रूर प्राप्त किया । कितनी अच्छी लघुकथाकार बन पाती हूँ पता नहीं , विचार ज़रूर बेहतर होंगे ।

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क्रमांक - 074

जन्म दिन - ५ मई १९६७
जन्म स्थान- बांदीकुई जंक्शन - राजस्थान
शैक्षणिक योग्यता-  Bsc ; M.A English and Hindi) ; MPhil (E.L.T); PhD ( English); Diploma in French; P.G.C.T.E.; L.L.B ; Vidya Vachaspati (double): Vidya Sagar

सम्प्रति - शेठ पी टी कला एवम् विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय  गोधरा (गुजरात)में स्नातको्तर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर

प्रकाशित पुस्तकें : -

1 कुछ क्षण अपने - प्रथम काव्य संग्रह 1995

2 A Comprehensive English Grammar - 2002

3 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य  2004 

4 दर्द जब हद से - प्रथम ग़ज़ल संग्रह  2008

5 गीत सुनो तुम मीत - प्रथम गीत संग्रह  2015

6 गज़ल गुच्छ - द्वितीय गज़ल संग्रह  2016

7 गीत तर्पण - द्वितीय गीत संग्रह 2017

8 चुटकी भर हास्य - प्रथम हास्य व्यंग संग्रह 2017

9 कविता सागर - द्वितीय काव्य संग्रह 2018

10 A Comprehensive English Grammar for Success  2018

11 मन उपवन में सांझ गुलाबी - तृतीय गज़ल संग्रह 2019

12 कुछ क्षण अपने - काव्य संग्रह द्वितीय आवृति 2019

13 हास्य फुहार - द्वितीय हास्य व्यंग संग्रह 2020

14 जीवन तो बहता जाता है - खंड काव्य द्वितीय आवृति 2020

15 पंच - पुष्प - तृतीय काव्य संग्रह 2021

सम्मान- पुरस्कार प्राप्त -
1.  मेरे हास्य व्यंग संग्रह चुटकी भर हास्य को गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर गुजरात का 5000 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ । इसी संग्रह को बिसौली, बदायूं उत्तर प्रदेश से 1100 रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
2. जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर गोधरा - रत्न सम्मान - 2020
3. जैमिनी अकादमी द्वारा 2020 के एक सौ एक साहित्यकार में 2020 - रत्न सम्मान
4. जैमिनी अकादमी द्वारा विश्व कविता दिवस सम्मान 2021
5. भारतीय लघुकथा विकास मंच  द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार सरेश शर्मा स्मृति लघुकथा सम्मान -2021
    आदि  साहित्य, समाज सेवा एवम् शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवम् राज्य स्तार  के लगभग साढ़े तीन सौ (350) सम्मान एवम् पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।

विशेष -
1.आकाशवाणी , टेलीविजन  कलाकार एवम् यू ट्यूब पर अनेक प्रवचन उपलब्ध।
2. लगभग 650 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय काव्य संकलनों , पत्रिकाओं वगैरह में रचनाएं प्रकाशित ।

पता - जी- ५, जगदम्बे निवास, आनंद नगर सोसायटी, साइंस कॉलेज के पीछे, गोधरा (गुजरात)३८९००१

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?  

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है इसकी तीव्रता और गागर में सागर समा लेने की इसकी योग्यता ।


प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - मेरे विचार से ये पांच नाम हैं

  श्री विनय कुमार मिश्रा, पदम गोधा , विनिता राहुरिकर , रामेश्वरम काम्बोज  , सुकेश साहनी 

  

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा का आधार उसकी संप्रेक्षण कला और विचारों की तीव्रता में होता है । कम से कम शब्दों में लघुकथाकार ऐसा कुछ कह जाए कि दिमाग में बत्ती सुलग जाए यही लघुकथा और लघुकथाकार की सफलता है।


प्रश्न न.4 -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर वगैरह । और भी हो सकते है जो मुझे ज्ञात नहीं हैं।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - लघुकथा की बहुत अच्छी स्थिति है क्योंकि अब समय का अभाव है और सोशल मीडिया का दौर है। जीवन की विषमताएं बढ़ती ही जा रहीं हैं और इन विषमताओं को कम से कम शब्दों में बयां करती लघुकथाएं अब लोगों द्वारा खूब पढ़ी जा रहीं और सराही जा रहीं हैं।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - काफी हद तक संतोष है । अभी तो इसका श्रेष्ठ आना बाकी है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर -  मेरे घर में पढ़ने का ठीक-ठाक शौक लगभग सभी को है । हम सभी तीनों भाई और चारों बहिनें साहित्य के विद्यार्थी रहे और सभी पढ़ लिख कर सरकारी/ गैरसरकारी नौकरियां कर रहें हैं । हमारे परिवार और कुटुंब में कभी किसी को साहित्य की रचना करने का कोई शौक कभी भी नहीं रहा । मैने मेरी पढ़ाई घोर आर्थिक संकट के बीच पूरी की । तभी से मेरी यह मन में ख्वाइश थी कि नौकरी लगने के बाद हिंदी साहित्य में ही कुछ सृजन करूंगा।  सन 1990 में मैं महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का व्याख्याता बनने में सफल रहा और उसके बाद से मैंने अपने आप को हिंदी साहित्य लेखन हेतु समर्पित कर दिया जिससे मुझे काफ़ी संतोष है। मैं एक हिंदी भाषी राज्य राजस्थान में जन्म लेकर एक अहिंदीभाषी राज्य गुजरात के एक बहुत छोटे और अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र गोधरा में रह और नौकरी करते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी की यथासंभव सेवा कर रहा हूं और मेरी अभी तक सोलह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 

 यहीं गुजरात में रह कर मैने अनेक प्रकार के साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं । इन कार्यक्रमों से प्रेरणा प्राप्त कर हमारे अनेक विद्यार्थी अब हिंदी में रचनाएं लिख रहें हैं और अनेक पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छप भी रही हैं ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका अत्यधिक सकारात्मक रही है । मेरी धर्मपत्नी प्रो डॉ अनसुया जी यहीं मेरे साथ महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय की प्रोफेसर हैं और मूल रुप से वे गुजराती भाषी हैं । मगर उन्होंने मेरे लेखन के इस शौक को हमेशा सराहा है और मुझे प्रोत्साहित किया है । मेरी अनेक पुस्तकों के शीर्षक मैंने उनकी और मेरी बेटी,  जो कि एक एम बी बी एस डॉक्टर है , की सलाह पर ही रखे हैं। मेरी बेटी डॉ इशाना और पुत्र पुरंजन , जो कि एक कंप्यूटर इंजीनियर है , हमेशा मुझे लिखने हेतु नए नए आइडिया देने में सहयोग करते हैं। 


प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मैं एक अनुदानित स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का प्रोफेसर हूं और इस प्रकार एक विदेशी भाषा अंग्रेजी पढ़ाना मेरी आजीविका है जिससे मुझे जीवन यापन हेतु तनख्वाह मिल जाती है । अपनी मातृभाषा हिंदी में लेखन मेरा शौक है जिससे मुझे आत्मसंतोष मिलता है ।


प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा का भविष्य अत्यधिक उज्ज्वल होगा और समय के साथ इसमें नए नए संशोधन किए जाएंगे।


प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - ज्यादातर संतोष प्राप्त हुआ है और एक मर्तबा अंबाला की महाराज कृष्णदेव अकादमी से मुझे एक लघुकथा पर एक सौ रुपए का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। मेरा एक लघुकथा संग्रह तैयार है और निकट भविष्य में इसको छपवाने की इच्छा है।

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क्रमांक - 075

जन्मतिथी -27 फरवरी 1965
जन्म स्थान :जानसठ (मुजफ्फर नगर ) उत्तर प्रदेश
माता : प्रतिभा  रानी
पिता : धर्मेंद्र मोहन  गुप्ता
शिक्षा :  एम.ए. इक्नोमिकस,इतिहास

साझा संकलन : -
अन्तरा शब्द शक्ति ,
अन्तरा शब्द शक्ति होली रंगारंग
रत्नावली
स्वच्छ भारत
चमकते कलमकार

विशेष : -
अनेक राष्ट्रीय समाचार पत्रों व अनेक ई - पत्रिकाओं मे लघुकथा प्रकाशित ।
जैमिनी अकादमी से अनेक डिजीटल सम्मान और अनेक ई - पुस्तको मे प्रकाशित।

Address:-
Pankaj Consul, S-469/10,
4th floor, School Block, Shakarpur, Delhi-110092

प्रश्न न. 1 - लघुकथा मे सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

 उत्तर - सही मायनें में मेरी दृष्टि में समाज की विसंगतियों को बताये,कथ्य,लिखनें का उद्देश्य स्पष्ट हो।पाठक के मन मे गहरे तक उतर जाये  ।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य  मेंकोई पांच नाम बताओ ?  जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?

उत्तर - आदरणीय कान्ता राय जी,बलराम अग्रवाल जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी , सुकेश सहानी जी , सुभाष नीरव जी ,

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की  समीक्षा केकौन कौन से मापदंड होने चाहिए ?

उत्तर - समीक्षा की दृष्टि से लघुकथा तब ही कसौटी पर खरी उतरती है जब उद्देश्य,कथ्य,शैली विसंगति ,सरल भाषा सम्प्रेषण,संदेश देनें में सक्षम हो ।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेट फार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?

उत्तर - वाटसैप , फ़ेसबुक पर, ई - पुस्तक , पत्र - पत्रिकाओं का प्रचार प्रसार इन दिनों बढा है। इस माध्यम से सीखनें सीखानें का जो काम हो रहा है वह सराहनीय है ।


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ।

उत्तर - लघुकथा की स्थिति सुदृढ़ है। वरिष्ठ लघुकथाकार,नवोंदित दोनों  नयें नयें प्रयोग कर इस विधा को नवीनता देनें का कार्य कर रहे है।


प्रश्न न.6 - की लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है ?

उत्तर - मै एक लघुकथाकार हूँ लघुकथा सृजन मे प्रयासरत  हूँ । और इस विधा को और अधिक समझनें का प्रयास, मै वरिष्ठ लघुकथाकारों को पढ कर ,उन के समक्ष अपनी लघुकथा प्रस्तुत कर अच्छा सृजन करनें सीखनें का प्रयास कर रही हूँ ।


प्रश्न न.7 - आप किस पृष्ठभूमि से आये है ?बतायेंकिस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाये ?

उत्तर - मेरा परिवार संयुक्त रहा जहां मानव मूल्यों को प्राथमिकता दी जाती थी ।और शिक्षा का विशेष ध्यान रखा  जाता था । मेरी यही कोशिश रहती है कि मेरा  साहित्य सृजन  सकारात्मकता का संदेश दे और समाज की फैली विसंगति पर प्रहार कर,  समाज के बिखराव को कम करनें वाला हों ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में आप के परिवार की क्या भूमिका है?

उत्तर - मेरे परिवार नें हमेशा लेखन कार्य मे सहयोग किया है । मेरी उपलब्धि पर सब प्रशंसा करतें है ।


प्रश्न न.9 - आप की आजिविका में ,आपकें लेखन की क्या स्थिति है ।

उत्तर - लेखन मै अपनी आत्म संतुष्टि और मन के भावों को व्यक्त करने के लिए करती हूँ ।इस का  मेरीआजिविका में कोई योगदान नही है ।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा है ?

उत्तर - आज लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल दिखायी पड़ता है ।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ।

उत्तर - आत्मसंतुष्टि ,आत्म सम्मान, मेरी पहचान और लेखन सृजन पर मिलनें वाले सम्मान से परिवार उल्लासित होता है । यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है ।

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क्रमांक - 076

जन्म तिथि : ०८ मई १९७० (वास्तविक)
०७ जनवरी१९६८ (प्रमाण पत्र में)
जन्म स्थान : राधानगर (धनबाद)
शिक्षा : स्नातकोत्तर, बीएड, नेट, डीसीएस
संप्रति :  अध्यापन एवं लेखन

प्रकाशित पुस्तकें : -
बहादुर दोस्त (बाल उपन्यास)
The Trio (बाल उपन्यास)
यह जो कड़ी है, (कविता संग्रह)
बिखरे हुए मनके (कविता संग्रह)
सारंग भाग -१,२ (कहानी संग्रह)
क्षितिज की ओर (लघुकथा संग्रह)

विशेष : -
अनेक संग्रहों, पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित

पता : फुटलाही, पत्रालय - बिजुलिया ,चास,
बोकारो - 827013 झारखण्ड

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका कथ्य है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उत्तर - सुकेश साहनी, सतीशराज पुष्करणा, कृष्ण मनु , बीजेन्द्र जैमिनी , नीरज सुधांशु

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
उत्तर -  कथ्य, शिल्प, भाषा

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर -  ब्लॉग, फेसबुक

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - लोकप्रिय

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - बिल्कुल

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आई हैं? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - शिक्षण एवं लेखन। हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति रुचि जगाने में

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर -  सहयोगी

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - अल्प

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - उन्नत

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर -  संतोष, अर्थ, सम्मान

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क्रमांक - 077

पति- राजेंद्र सिंह चौहान
जन्मस्थान- रायपुर (छत्तीसगढ़)
शिक्षा- एम.एच.एससी.  बी.एड.

 लेखन : 

पिछले कुछ सालों से लेखन में सक्रिय हूँ। लघुकथाएं, कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। समय समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं।

प्रकाशित पुस्तकें : -

एकल संग्रह-  मुट्ठी भर क्षितिज ( कहानी संग्रह)
साझा संकलन- सेदोका की सुगंध।
विभाजन त्रासदी की लघुकथाएं में   "अपना अपना सच"
डाॅ. रामकुमार घोटड़ जी संपादक
पड़ाव एवं पड़ताल 32 में लघुकथा "मन की बात"
भूख आधारित संकलन - गिरगिट एवं  बोध
समसामयिक लघुकथाओं का दस्तावेज- सारथी, गर्म रजाई।
समसामयिक लघुकथाएं- सृजन बिंब प्रकाशन, महिला दिवस एक अभिव्यक्ति एवं जिंदगी जिंदाबाद सभी में लघुकथाएं।


पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशन : - 

दैनिक भास्कर मधुरिमा, युग जागरण, इंदौर समाचार, चिकीर्षा ई-पत्रिका, नवभारत साहित्यनामा में लघुकथाएं प्रकाशित होती हैं ‌

सम्मान / पुरस्कार : -
लघुकथा आयोजन २०२० में मेरी लघुकथा "सौधी महक" को प्रथम पुरस्कार मिला। वनिका प्रकाशन ने पुस्तक रुप दिया" आयोजन २०२०, एक समग्र प्रयास"।

 Address : _
C_1401, Niharika kankia Spaces
Opposite Lokpuram mandir
Thane (west)400610 Maharashtra
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - शरीर की तरह ही लघुकथा भी तत्वों से बनती है। इसका प्राणतत्व "भाव" है। विषय, चिंतन, प्रस्तुति एवं सहजता इसे पाठकों के साथ जोड़ देते हैं। विषयों पर संस्मरण, कथा के रुप से अलग, लघुकथा अपनी कसावट से कम शब्दों में बड़ी अभिव्यक्ति करने की क्षमता रखती है।
सरल भाषा, बिंबों का उपयोग लघुकथा को सटीक और सार्थक बनाते हैं। लेखक के दिल की बात सहजता से पाठक तक पहुँच जाए । लघुकथा की सफलता इसी में है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा विधा के विकास क्रम में बहुत विज्ञजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  मेरा सौभाग्य है कि दिनों दिन  मुझे कुछ वरिष्ठ लघुकथाकारों  का मार्गदर्शन एवं प्रतिक्रिया स्वरूप सुझाव प्राप्त हुए। आदरणीय अशोक भाटिया सर, आ.मधुदीप गुप्ता सर, आ. योगराज प्रभाकर सर, आ. कांता राॅय दीदी एवं आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी सर ने समय समय पर प्रोत्साहित किया है। इनके अलावा भी कई  वरिष्ठों के सहयोग, सुझाव एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुए हैं । कुछ वरिष्ठों के आलेख, लघुकथाएँ नवोदित लघुकथाकारों के लिए आधार हैं। उनके द्वारा संपादित पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएं  एवं आयोजित प्रतियोगिताओं से सीखने का अवसर मिला है।

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - वरिष्ठों की समीक्षाएंँ पढ़कर पता चलता है कि लघुकथा लेखन से ज्यादा जिम्मेदारी समीक्षक की होती है। समीक्षा में प्रशंसा और आलोचना, दोनों की समान अहमियत है। आलोचना का उद्देश्य, लघुकथा विधा को समृद्ध करने में लेखक की सहायता करना होता है। भाषा की शुद्धता, कथानक की स्पष्टता एवं शीर्षक की सार्थकता समीक्षा के प्रमुख बिंदु होने चाहिए।  लघुकथाकार से जो कुछ छूट जाता है, समीक्षक की पैनी दृष्टि उसे ढूँढकर लेखकीय सुधार के लिए मार्गदर्शन देती है।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा विधा के विकास में सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। फेसबुक, व्हाट्स अप और गूगल की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। आज विभिन्न समूहों में लघुकथाओं की संगोष्ठी, प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। फोन से ही लेखक अपनी लघुकथा कहीं भी भेज सकते हैं। गूगल में संग्रहित जानकारियां, आलेख एवं संकलनों से बहुत सहायता मिलती है। लेखक पर निर्भर करता है कि वह सोशल मीडिया का कितना सदुपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा अपने पूरे निखार पर है। लेखकों एवं पाठकों की बढ़ती रुचि, इस विधा को समृद्ध बना रही है। वरिष्ठ एवं नवोदित लघुकथाकारों का सुंदर समन्वय हो रहा है। वरिष्ठों के अनुभव, मार्गदर्शन का लाभ नये लघुकथाकारों को मिल रहा है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाओं, पुस्तकों में लघुकथाएं अपना विशिष्ट स्थान बना रहीं हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल! विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाकर लघुकथाकार संतुष्टि और आनंद का अनुभव कर रहे हैं। नए विषयों, अलग शैलियों में अपने भावों को डालने का प्रयास, सभी लघुकथाकार कर रहें हैं।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक मध्यमवर्गीय, नौकरीपेशा परिवार से हूँ। मेरे परिवार में स्त्रियों की शिक्षा का बहुत ध्यान रखा गया। 
मुझे बचपन से ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेना पसंद था, बाल कहानी लेखन, निबंध प्रतियोगिता, लघुकथा कथन प्रतियोगिता, वाद विवाद आदि। धीरे-धीरे यह लेखन के रुप में बदलता गया। एक संग्रह "मुट्ठी भर क्षितिज" के प्रकाशन के बाद से दो-तीन सालों से मैं लघुकथा विधा को समझने का प्रयास कर रही हूँ। मार्गदर्शन का क्या कहूँ, मैं खुद अभी सीख रहीं हूँ और जीवन भर लघुकथा की बारीकियों को सीखते रहना चाहती हूँ।

प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे परिवार वालों के सहयोग, उत्साह वर्धन से ही, मैंने एक बार फिर से लेखन शुरू किया है। मित्रों एवं परिवार के लोगों के विश्वास का ही परिणाम है कि आज मैं लघुकथा लिखना सीख रहीं हूँ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में ,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लिखना मुझे आनंद देता है। यह आजीविका का साधन नहीं है। पुरस्कार में मिली राशि एवं पुस्तकों से, लेखन को एक नया जोश मिलता है। लेखन आजीविका का साधन नहीं है परंतु पुरस्कार के एक रुपए का भी बहुत महत्व है। वरिष्ठों के सुझाव, मार्गदर्शन एवं प्रतिक्रियाएँ मेरा संबल है। पाठकों का प्रेम, उनकी प्रतिक्रियाएं मुझे संतुष्टि देतीं हैं।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - वर्तमान समय में लघुकथाएँ पढ़ी भी जा रहीं हैं और लिखी भी जा रहीं हैं। समीक्षकों ने भी इस विधा को परिपूर्ण करने में मेहनत की है।
कम शब्दों में गहरी बात कहने का सामर्थ्य रखने वाली विधा, भविष्य में हर हृदय पर राज करेगी। गागर में सागर वाली कहावत को चरितार्थ करती लघुकथा विधा, नई पीढ़ी को भी आकृष्ट कर रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा को समझना, उसकी बारीकियों को जानने का अवसर मुझे मिला। लघुकथा आयोजन 2020 में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने पर, निर्णायक मंडल, समीक्षकों की प्रशंसा और बतौर उपहार पुस्तकें प्राप्त हुईं। पाठकों का प्यार, सबसे बड़ी उपलब्धि है। मुझे हमेशा कुछ अच्छा, कुछ नया सोचने के लिए प्रेरणा मिल रही है।
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क्रमांक - 078

आयु : 56 वर्ष
संप्रति : राजस्थान सरकार में जलदाय विभाग में अधिशाषी अभियंता पद पर
 विधा : कहानी, लघुकथा, कविता, हाइकु, वर्ण पिरामिड, ग़ज़ल आदि। 
अन्य अभिरुचियां : संगीत, क्रिकेट आदि
 
साझा संकलन : -

मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019 
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020

सम्मान : - 
कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
2020- रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार ) 

पता : 1 बी 36, प्रतापनगर , जोधपुर - राजस्थान
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर : सोद्देश्यता

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : १  स्व सतीश राज पुष्करणा
२. सतविंदर कुमार
३. विभा रानी श्रीवास्तव
४. योगराज प्रभाकर
५. बीजेन्द्र जैमिनी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर : १. भाव
२. कथानक
३. कथोपकथन
४. काल निरंतरता
५. सामाजिक सोद्देश्यता
६. शीर्षक
७. समग्र प्रभाव
 
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : फेसबुक पर  लघुकथा संवेद, भारतीय लघुकथा मंच तथा लेख्य मंजूषा।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर : बहुत अच्छी। नवांकुरों का उदय शुभ संकेत है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर : बहुत। मेरा विश्वास है कि लघुकथा ही वह माध्यम है, जो आधुनिक युवा वर्ग को एक दिन पुनः साहित्य तथा पुस्तकों की तरफ़ लौटा सकेगा।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर : मैं राजस्थान में सरकारी नौकर हूं। अभी तो स्वयं ही सीख रहा हूं। मार्गदर्शक बनने में अभी बहुत समय तथा श्रम लगेगा।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर : मेरे परिवार का मुझे समर्थन, प्रेम व विश्वास प्राप्त है। मेरी लघुकथाओं को परिवार के लोग पसंद करते हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर : शून्य। मेरी आजीविका मेरी नौकरी से ही चलती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर : बहुत उज्ज्वल। परंतु लेखकों को परिश्रम तथा निष्ठा से काम करते रहना होगा।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर : आंतरिक संतुष्टि तथा जीवन के प्रति एक प्रगतिशील रवैया।
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क्रमांक - 079
जन्म तिथि : 2 जून 1977
माता का नाम : श्रीमती सरोज जैन
पिता का नाम - श्री प्रवीण जैन

शिक्षण- बी. काम, कम्प्यूटर डिप्लोमा 

विधा- मुख्य लघुकथा, कविता, लेख आदि

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे मधुरिमा, नायिका, परिवार, अक्षरा, विभोम स्वर,में लेख कथाएँ आदि का प्रकाशन, 
साहित्य संवाद खंडवा की नियमित सदस्य जिसमें प्रति सप्ताह एक कहानी भेजने के साथ समय-समय पर लघुकथाओं का वाचन व पुस्तकों की समीक्षा। अब तक करीब दो सौ लघुकथाएं लिख चुकी है व सब लोगों के आग्रह से पुस्तक प्रकाशन के प्रयास जारी हैं। 

विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान - 
इनरव्हील क्लब खंडवा, इनरव्हील मंडल मप्र, भारतीय लघुकथा विकास मंच  पानीपत - हरियाणा , जे.सी.आई. क्लब, लघुकथा शोध केंद्र भोपाल, जैमिनी अकादमी पानीपत , जैन सोशल ग्रुप खंडवा, जैन संघटना आदि द्वारा समय-समय पर सम्मानित होती रही है। आकाशवाणी खंडवा पर भी वार्ता व लघुकथाओं का वाचन कर चुकीं है व शहर की एकमात्र दिव्यांग लघुकथाकार है। 

जीवन - 
चौदह वर्ष की उम्र में एक अॉपरेशन के बाद व्हीलचेयर पर आ गयी लेकिन उसने इसे अपनी नियति मानकर समतापूर्वक स्वीकार कर लिया। उसके हौसले बुलंद है, वह इसे अपने मम्मी पापा विशेषत: अपनी मम्मी से मिली प्रेरणा मानती है। घर पर कई सालों से बच्चों को पढ़ा रही है।

पता : -
खण्डवा - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर -  कथावस्तु, शैली और प्रभाविकता

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आ. कांता रॉय जी , आ. कृष्णा शर्मा जी, आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी, आ. सतीश राठी जी, आ. विजय जोशी जी

प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा ये मापदंड सामने रखते हुए की जानी चाहिये -  लघुकथा का स्तर क्या है, वह क्या संदेश छोड़ती है, भाषा व शब्द संयत हैं या नहीं, अनावश्यक विस्तार तो नहीं है और पंच लाइन का भी ध्यान रखा गया हो।

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म है और फेसबुक पर 'लघुकथा के परिंदे' जैसे समूह भी लघुकथा को सही दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - एक समय था जब उपन्यास, कहानियाँ, नाटक, एकांकी आदि पढ़े जाते थे। ये विधाएँ महत्वपूर्ण थीं व रहेंगी लेकिन इन सबके बीच लघुकथा का सशक्ता से उभरना आज के साहित्यिक परिवेश को मजबूती प्रदान करता है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान में लघुकथा लेखकों की बाढ़ सी आ गयी है। इनमें से कई अच्छा लिख रहे हैं, कुछ जरूर लघुकथा के मापदंडों पर खरे न उतर रहे हो लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन मिलें तो सुधार की पूरी गुंजाइश है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  मैं मध्यप्रदेश के खंडवा शहर से हूँ। मुझे कहानी, लघुकथा पढ़ने का शौक है।  जब मैंने लघुकथा लिखने का प्रयास प्रारंभ किया तो आ. गोविंद गुंजन जी ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया और लघुकथा शोध केन्द्र भोपाल, साहित्य संवाद समूह खंडवा से जोड़ा। व्हील चेयर पर होने से गोष्ठी, संगोष्ठियों में जाना कम हो पाता है परंतु फिर भी साहित्य संवाद समूह के सभी सदस्यों विशेषत: गुंजन जी, गोविन्द शर्मा जी और राजश्री शर्मा जी का सटीक मार्गदर्शन बराबर मिलता रहता है।

प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लघुकथा लेखन में मेरे परिवार की बड़ी भूमिका है। मेरी मम्मी (श्रीमती सरोज जैन) बहुत अच्छा लिखती हैं, उनके आलेख पत्रिकाओं में छपते  रहते हैं। लेखन के क्षेत्र में यदि मैं उन्हें अपना गुरू कहूँ तो यह कदापि गलत नहीं होगा। वे मेरी लघुकथा को ध्यान से पढ़ती हैं, उसे तराशती हैं और लघुकथा के एकदम सही नहीं हो जाने तक वे संतुष्ट नहीं होती।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन का आजीविका से कोई लेनादेना नहीं है, मैं तो बस अपनी संतुष्टि व खुशी के लिये लिखती हूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - आज समयाभाव की वजह से लोगों की बड़े उपन्यास, लंबी कहानियाँ पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रह गयी है। आजकल लघुकथाओं के प्रति लोगों का रूझान अधिक है। पहले वाचनालय से कहानी संग्रह लाकर पढ़ते थे, लघुकथा का नाम ज्यादा सुनने में नहीं आता था परंतु अब तो कई लघुकथा संग्रह प्रकाशित होने लगे हैं, लोग इन्हें पढ़ने में रूचि भी ले रहे हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे हुई प्राप्ति को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। जब से मैंने लघुकथा लिखना शुरू किया । मेरे विचारों को नयी और सही दिशा मिली।  मेरा मन जो मनोग्रंथियों में बहुत उलझा रहता था । वह शनैः शनैः उन ग्रंथियों से मुक्त होकर शांति का अनुभव करने लगा।
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क्रमांक - 080
नाम : अशोक कुमार
साहित्यिक नाम : अशोक बैरागी
जन्म तिथि : 06 मई 1979
स्थान : ढुराना (सोनीपत) हरियाणा
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी, बी. एड, प्रभाकर, नेट/ जेआरएफ - जून 2007।
पी. एच. डी. : "हिन्दी पत्रकारिता को अज्ञेय का अवदान" विषय पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार

सम्पर्ति : हिंदी प्राध्यापक
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, हाबड़ी -  जिला कैथल हरियाणा

लेखन : कविता, कहानी, लघुकथाएंँ, समीक्षा, संस्मरण, आलेख आदि
                  
पत्र-पत्रिकाएँ : --
    हंस, हरिगंधा, साहित्य अमृत, शीराज़ा, स्रवन्ति, मधुमती, न्यामती, जन आकांक्षा, सप्तसिन्धु, सोच विचार, वैष्णव सेवक, संयोग साहित्य, शैल-सूत्र, दैनिक ध्वज, अक्षर पर्व, संरचना, युद्धरत आम आदमी, लघुकथा कलश, शुभ तारिका, बालभारती और बालवाटिका। आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथाएंँ, समीक्षा, संस्मरण, आलेख, पत्र और साक्षात्कार प्रकाशित।
                  
पता :  ग्राम व डाकघर ढुराना, तहसील -गोहाना, जिला सोनीपत - 131306 हरियाणा

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर - लघुकथा की महत्ता इसके अलग-अलग अंशों में नहीं बल्कि इसकी समग्रता में है। फिर भी कथानक, सरल भाषा, सुगठित शैली, पात्र और घटना, कथारस या जिज्ञासा तत्व और उद्देश्य पूर्ण अंत आदि अनेक तत्व हैं। मेरे विचार से कथानक की बुनावट और कसावट बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघु साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है?
उत्तर - लघुकथा के विकास में अनेकानेक रचनाकारों, संपादकों, प्रकाशकों और समीक्षकों की भूमिका है। फिर भी कान्ता राय  मधुदीप गुप्ता , बीजेन्द्र जैमिनी , रामकुमार आत्रेय , रूप देवगुण आदि की भूमिकाएँ  रेखांकित करने योग्य हैं।

प्रश्न नं 3 - लघुकथा की समीक्षा में कौन-कौन से  मापदंड होने चाहिए?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा वैसे तो समीक्षक की विचार दृष्टि पर निर्भर करती है फिर भी कुछ मानक मापदंड है जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए। जैसे रचना का लघुआकार, सरल व सरल भाषा, सामासिक शैली, संक्षिप्त और जीवंत संवाद और बड़ा उद्देश्य। 'देखन में छोटे लगें, घाव करे अति गंभीर।' वाली उक्ति चरितार्थ होनी चाहिए। इसके साथ ही कोई भी रचना व्यक्ति और समाज को सही दिशा देकर उसे नकारात्मक विचारों से बचाए, यही रचना सबसे बड़ी उपलब्धि है।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - फेसबुक, यूट्यूब, ब्लॉग , इंस्टाग्राम और वेब पेज  लिंक आदि सभी प्लेटफार्मों से लघुकथा निरंतर फल-फूल रही है।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की
क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के दौर में लघुकथा कथा साहित्य में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप कर रही है। बड़ी-बड़ी साहित्यिक पत्रिकाएँ अब लघुकथा के विशेषांक प्रकाशित कर रही हैं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश की अनेक ऑनलाइन और ऑफलाइन पत्रिकाएँ लघुकथा को ससम्मान प्रकाशित कर रही हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, दिनकर, प्रेमचंद और विष्णु प्रभाकर जैसे बड़े-बड़े दिग्गज एवं ख्याति प्राप्त साहित्यकारों के साहित्य में लघु कथा के चित्र- प्रसंग ढूँढ-ढूँढ कर सामने लाए जा रहे हैं ताकि इसकी पूर्व की भूमिका और प्रारंभिक स्वरूप को नए पाठकों के सामने लाया जा सके। लघुकथा एक बहुआयामी और परिवर्तनशील विधा है और यह समय व समाज की नब्ज को परखने में योग्य है। सबसे बड़ी बात साहित्य का जो उद्देश्य या प्रयोजन होता है उसे सहृदयों तक संप्रेषित करने में पूर्ण सक्षम है। कह सकते हैं की वर्तमान में लघुकथा की स्थिति बहुत ही सम्मानित और सशक्त है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - हाँ, लघुकथा सही दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन यह अंत नहीं है। जैसा कि मैंने पहले कहा लघुकथा एक बहुआयामी और परिवर्तनशील विधा है और यह नित नया कलेवर और शैली ग्रहण कर रही है। लघुकथा गहन अंधकार में भी उजाले को टटोल रही है और इसमें अभी बहुत सी संभावनाएँ शेष हैं।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि संसाधनों के अभाव में निरंतर जी तोड़ श्रम करने वाले किसानी परिवार की है। पिताजी अनुशासन और स्वभाव के बहुत सख्त हैं। डर के कारण क्या मजाल कभी पिताजी से कभी दस पैसे की स्याही की पुड़िया के पैसे मांगे हों। एक-एक रोशनाई और पेंसिल के लिए कई-कई दिनों तक माँ के आगे-पीछे चक्कर काटने पड़ते थे। पिताजी अपने जमाने के मैट्रिक पास किसान थे और शिक्षा का महत्व बखूबी समझते थे इसीलिए हम भाइयों को कभी कोई काम नहीं बताया न ही करने दिया। विशेषकर जब हम पढ़ रहे होते थे।
रही बात मार्गदर्शक बनने की, तो आज के इस घोर भौतिकवादी और भागमभाग के दौर में कौन किसका मार्गदर्शन लेता है और कौन मार्गदर्शन दे सकता है। समय और खुद अपने आप से अच्छा कोई मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार की भूमिका बहुत प्रोत्साहन देने वाली या उत्प्रेरक नहीं रही। पिताजी -दादाजी और कई पीढ़ियों पीछे तक कोई साहित्यिक संस्कार नहीं रहे। जितना भी सीखा स्वाध्याय और बड़ों के सानिध्य से ही सीखा। रोजगार और कैरियर की चिंता परिवार में हमेशा बनी रहती थी। अब राजकीय सेवा में आने और अनेक जगह छपने के बाद स्थिति कुछ सुधरी है।

प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या
स्थिति है?
उत्तर - माफ करना! मैं जीविका चलाने के लिए लेखन नहीं करता। मैं आत्मसंतोष के लिए लिखता हूँ। समाज की विसंगतियाँ और अव्यवस्थाएँ जब तन-मन में खलबली मचाती हैं तब कलम उठा लेता हूँ। हाँ, मेरी रचनाएंँ पढ़कर किसी को खुशी या सही दिशा मिलती है तो मेरे लिए यही सबसे बड़ा संबल है। बाकी आत्मिक खुशी से बढ़कर कोई धन-सुख प्राप्ति नहीं है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का  भविष्य कैसा
होगा?
उत्तर - लघुकथा वर्तमान समय में प्रासंगिक और समय की मांग है। आजकल ट्वेंटी-ट्वेंटी का जमाना है और बड़ी रचनाएँ पढ़ने का समय कम ही लोगों के पास है। जैसे-जैसे हमारे संस्कार, विचार और परिवेश सिकुड़ता जा रहा है, ठीक वैसे ही हमारी आदतें, स्वभाव और जीवनशैली बनती जा रही है। मुझे लगता है लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है और यह अभी फले-फूलेगी। 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य में आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से वैश्विक जीवनशैली में हो रहे परिवर्तनों का सम्यक ज्ञान होता है और लेखन के संस्कार भी मिलते हैं। इसके अध्ययन से संवेदना, जिज्ञासा और रुचि का परिष्कार और विस्तार भी होता है। चिंतन का दायरा बढ़ता है जिससे हमारा मन कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होता है।

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क्रमांक - 081

जन्म तिथि : ०६ अक्टूबर १९५८
जन्म स्थान : राँची- झारखंड
पिता : श्री ललिता प्रसाद
माता :श्रीमती लक्ष्मिनी देवी
पति : श्री विनय कुमार सिन्हा
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर
राँची विश्वविद्यालय से एल. एल. बी.

पुस्तक : -

काव्यांजलि और नमामि गंगे नामक
दो पुस्तकों में लेखन सहभागिता
एक लघुकथा संग्रह प्रकाशन की प्रक्रिया में।
आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी की ई-लघुकथा संकलन हिंदी के प्रमुख लघुकथाकार में प्रकाशित।
कई साहित्यिक मंच  पर  रचनाएँ प्रकाशित।

सम्मान : -

- यशपाल साहित्य सम्मान
- समग्र साहित्य लेखन मंच पर दो पद्य रचना में द्वितीय और तृतीय पुरस्कार और सम्मानपत्र।
- प्रतिलिपि के मंच पर गद्य और पद्य दोनों विधाओं में दसियों पुरस्कार और ई-सर्टिफिकेट

विशेष : -
- १९७७ से १९८९ तक-स्थानीय और राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में लेख , परिचर्चा , कहानी और कविताएँ नियमित प्रकाशित।
- आकाशवाणी राँची से आलेख और कहानियाँ प्रसारित।
१९८२ से१९८५ तक आकाशवाणी राँची में कैजुअल अनाउंसर। इसके बाद कुछ व्यक्तीगत कारणों से साहित्य से दूर रही।
२०१९ से लेखन की पुनः शुरुआत

पता :  फ्लैट संख्या-एफ -३, कल्लोल ,सामबेय आबासन,
ए एल/१/एफ/१,ए एल-३७,
मार्ग संख्या-१६ , एक्शन एरिया १ए, न्यू टाउन,
कोलकाता-७००१५६ प. बंगाल

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन
सा है ?
उत्तर : लघुकथा में कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। फिर कथा की कसावट और अंतिम निर्णायक पंक्ति जी लघुकथा में छिपे सन्देश को अपनी तीक्ष्ण शब्दों से व्यक्त करती है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - यूँ तो अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस क्षेत्र में कार्यरत हैं लेकिन जिन्होंने मुझे इस ओर प्रेरित और प्रभावित किया वो हैं ! आदरणीया श्रीमती कांता रॉय जी ,आदरणीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी ,आदरणीय श्री सुकेश साहनी जी , आदरणीया डॉ. नीना छिब्बर जी और आदरणीय श्री अशोक भाटिया जी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - वैसे समीक्षा की बात करना अभी मेरे लिए उचित न हो फिर भी अपनी बात रखना चाहूँगी।  लघुकथा में कथानक के साथ लेखन में तीखी धार हो। शीर्षक पूरी लघुकथा का सार बतलाए और लघुकथा में छिपे सन्देश पर विचार कर की गई समीक्षा ही उचित होगी।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक, वाट्सएप, यू ट्यूब, और साहित्यिक मंच जैसे भारतीय लघुकथा विकास मंच, लघुकथा के परिंदे, प्रतिलिपि और कई साहित्यिक मंच की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में, साहित्य के अन्य विधाओं के बीच लघुकथा अपना स्थान बनाने में सफल हुआ है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूर्ण संतुष्टि तो नहीं कह सकती पर इतना अवश्य है कि जिस प्रकार साहित्य में लघुकथा अपनी पहचान बना प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अनेकों प्रबुद्ध साहित्यकार इस दिशा में जो संघर्ष और मेहनत कर रहे हैं वह अतुलनीय है। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने चीते से कलेवर में बड़ी बात कह स पाठकों को आनन्द देती है। आने वाले समय में यह हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक मध्यवर्गीय, उच्च शिक्षित परिवार से हूँ।
जहाँ तक मार्गदर्शक बनने का सवाल है तो परिवार में हमेशा, हर विषय पर और जहाँ ज़रूरत हो एक सशक्त विचार रखती रही हूँ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे पिता अपने जीवनकाल में लेखक के रूप में साहित्य से जुड़े रहे। तो लेखन विरासत के रूप में मिली। घर में हमेशा पठन-पाठन का माहौल मिला। घर में ही पिताजी की संग्रहित हज़ारों किताबें पढ़ने को मिली और स्वतः ही स्कूली दिनों से ही लिखने की छिटपुट शुरुआत हो गई थी। अभी भी सभी का सहयोग मिलता है। यहाँ तक कि मैंने अपने बेटे अभिनव अंकित और बेटी अर्पिता अंकित की ज़िद की वजह से ही दोबारा लिखने की शुरुआत कर सकी।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं अभी ऐसे मुकाम पर नहीं हूँ जहाँ लेखन को आजीविका के रूप में देख सकूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - निसन्देह उज्ज्वल। लघुकथा गागर में सागर की अनुभूति करवाती है। आज समयाभाव के कारण लंबी कहनियाँ पढ़ना लोगों के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में लघुकथा अपने छोटे से कलेवर में बड़ी बात कह  पाठकों को आनन्द देती है। साथ ही साहित्य प्रेमियों को ज्ञानवृद्धि करवाती है। आने वाले समय में लघुकथा हर विधा को पीछे छोड़ने की ताकत रखता है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - साहित्य एक आत्मिक सन्तोष देता है मुझे। बहुत से साहित्यकारों को पढ़ने का मौका मिला। बहुत सालों के साहित्यिक बनवास के बाद जब मैंने लेखन आरम्भ किया तो ऐसा लग जैसे स्वयं को ढूंढने की कोशिश में पहला कदम रखा है।

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क्रमांक - 082

शिक्षा : बी काम,एनटी टी पीटी टी  टीचर टेनिंग

प्रकाशित : -
एकल संग्रह- 
काव्यमेध
अद्धभुत भंडार
श्री कांत भंडार 

 साझा संग्रह- 
काव्य प्रवाहिनी
जब कभी याद आए 
काव्यांगन
गूँजते गीत 
काव्य गंगा 
साहित्य एक्स

सम्मान- 
गुरु गोविंद सम्मान  
राष्ट्र प्रेमी सम्मान 
2019 का श्रेष्ठ गौरव सम्मान
2020 का लघुकथा मैराथन सम्मान
यशपाल साहित्य सम्मान 2021
और पिछले 4 वर्षों से लगभग 80 सम्मान

दिल्ली नोएडा व मुंबई के कई समाचार पत्रों में रचनाये प्रकाशित होती रहती हैं।

पता : -
17/202 ग्रीन व्यू अपार्टमेंट अंधेरी वेस्ट मुंबई - महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा के लिए हम क्या बात कहना चाहते हैं।पाठक तक यह जितनी सफलता से पहुँचें यही मुख्य तत्व है। और अंत मे निष्कर्ष के तौर पर कही गई बात जो कोई संदेश देती हो।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - आ सतीशराज पुष्करणा, कांता राय, बीजेन्द्र जैमिनी, सतीश दुबे, योगीराज प्रभाकर । इन नामों से कौन परिचित नहीं होगा। इन्होंने लघुकथा के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। और हमेशा प्रयासरत रहते हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - सबसे पहली बात लघुकथा की समीक्षा हो निष्पक्ष रुप से की जानी चाहिए। जिस लघुकथा में निम्न बिंदु हो :-
1- लघुकथा को शीर्षक दिया गया हो।
2- बहुत ज्यादा पात्र न हो जिससे पढ़ने वाले को बोरियत महसूस न हो ।
3- कम शब्दों में पूरी बात कही गई हो ।
4- अंत में कोई संदेश देती हो । जिस लघुकथा में ये सब बिंदु है उसे उत्तम माना जाएगा।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - इसके लिए हमें लगता है  सोशल मीडिया में फेसबुक ,ई पत्रिका , ब्लॉग , व्हाट्सएप , यूट्यूब , इंस्टाग्राम टि्वटर, आदि सशक्त व सर्वोत्तम है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ? 
उत्तर - इसका भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। लोग बहुत बड़ी संख्या में पढ़ना चाहते हैं । पर लघु से लघु कथा।
गागर में सागर भरना जेसे। पढ़ने में समय भी ज्यादा नहीं लगना चाहिए। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ? 
उत्तर - हम लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट ही नहीं अचंभित है। इस की बढ़ती माँग को देखकर । जिस तरह से इसका प्रकाशन बढ़ रहा है। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ? 
उत्तर - हमारा एक संयुक्त परिवार रहा है। जिसमें मेरे मम्मी पापा भाई-बहन दादा दादी सभी थे और ससुराल में भी सास -ससुर देवर नंदे। अब कुछ समय से हम एकल परिवार में रह रहे हैं। पढ़ने के लिए पिताजी तो बहुत प्रोत्साहित करते थे। कहते थे एक विद्या ही है जिसे कोई चुरा नहीं सकता। जितना पढ़ोगे और बाँटोगे ,  उतना ही बढ़ता जाएगा।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मुझे मेरी माता जी ( मेरी ताई ) जी मार्गदर्शक लगती हैं। हर लघुकथा या किसी भी काव्य में उनकी कोई ना कोई बात छुपी होती है। उन्हीं के आशीर्वाद से मैं जो कुछ भी लिख पा रही हूँ । हालांकि उनके सामने मैंने लिखना शुरू नहीं  किया था। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 
उत्तर - अभी तो हम सिर्फ खर्च कर रहे हैं। तीन एकल संग्रह आए हैं।15साझा संग्रह है। कभी कभी बच्चे बोल देते है। उनकी मजाक होती है पर आजीविका मेरी निजी तौर पर कुछ नहीं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य सुनहरा लगता है ।पुरुष वर्ग प्रेम कथा उत्साह से पढते है। बच्चे भी इसके प्रति अग्रषित हो रहे हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुझे लघुकथा लिखकर आत्म संतोष प्राप्त होता है। मैं जो बात कहना चाहती हूँ वो कथा के जरिए काफी हद तक कह पाती हूँ।
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क्रमांक - 83
जन्म तिथि - 12 जून 1964
माता - शशिप्रभा अग्रवाल 
पिता - स्व0 हीरा लाल अग्रवाल 
पति का नाम- श्री प्रभात कुमार गोविल 
शिक्षा - बी0 एस सी0, कंप्यूटर साईन्स, डी0सी0एच0
कार्य क्षेत्र - अपना विद्यालय का संचालन 

विधा - लघुकथा, कविता, हाइकु, आलेख 

साझा संकलन : -

मुट्ठी में आकाश

सृष्टि में प्रकाश 

लघुकथा साझा संकलन है 

 विशेष : -

- आ0 मधुकांत जी ने 'नमिता सिंह' की लघुकथा के साथ    

जुड़ना

 - आ0 बीजेन्द्र जैमिनी जी के विभिन्न ब्लॉग पन्नों पर विभिन्न विषयों पर लघुकथा देने का अवसर प्राप्त हुआ है। 

 - समाज में हिन्दी के उत्थान के लिए

 - गरीब बच्चों की पढ़ाई

 - सप्तरंग सेवा संस्थान का संचालन

 - लेख्य-मन्जूषा के अन्तर्गत हिन्दी को बढावा देना

पता : -

201,  महेश्वरीकुंज अपार्टमेंट ,रोड न0 6, 

पूर्वी पटेल नगर , पटना - 23 बिहार

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण है उसका कथ्य, जो उसे प्रमाणित करता है। 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - यूँ तो अनेकों साहित्यकार इस विधा का मान-सम्मान बढ़ाने में दिन-रात लगे हैं। परन्तु मेरी जानकारी में पाँच नाम हैं - 1) डॉ0 सतीशराज पुष्करणा 2) आ0 मधुदीप गुप्ता 3) आ0 बीजेन्द्र जैमिनी  4) सुकेश साहनी  5) कमल चोपड़ा 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए मापदंड है - शीर्षक , कथ्य और संदेश का सम्प्रेषण। क्योंकि इस विधा में शब्दों के अर्थ गूढ़ता से सम्प्रेषित होते हैं। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - साहित्य की किसी भी विधा के प्रचार-प्रसार में आज सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। अब तो अनेकों प्लेटफॉर्म कार्यरत हैं । उनमें से - भारतीय लघुकथा विकास मंच, साहित्य संवेग, अखिल भारतीय लघुकथा मंच, लेख्य-मंजूषा आदि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा हर विधा के साथ प्रतियोगिता कर रही है। यह  नई ऊँचाइयों को छूने के लिए बढ़ चली है।  यह ज्यादा आकर्षण का केंद्र बन रही है। साहित्य जगत में इस विधा को जानने समझने की रुचि बढ़ रही है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - नहीं, क्योंकि इसके जिस प्रारूप के लिए वरिष्ठ साहित्यकारों ने संघर्ष किया । वर्तमान में अभी तक उस रूप को नहीं अपनाया जा रहा है। काफी हद तक लेखनी चल रही है लेकिन वो संप्रेषण या तीर नजर नहीं आ रहा । जो समाज की बुराइयों पर प्रहार कर सके। मेरा मानना है कि लेखक इस विधा की गहराई को समझ नहीं पा रहे। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे परिवार में माता-पिता पढ़े-लिखे थे। उन्होंने सभी बेटियों को इंजीनियर , पायलट व शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। ससुराल में भी सभी पढ़े-लिखे हैं। इसलिए साहित्य के मर्म को समझते हैं। जहाँ तक मार्गदर्शन का सवाल है तो अभी मैं खुद ही विद्यार्थी हूँ। आ0 पुष्करणा जी और उनके बाद विभा रानी श्रीवास्तव हमारी गुरु हैं। जितना तक मेरी जानकारी है मैं सभी की मदद करना चाहती हूँ। मेरी भी इच्छा है कि साहित्य में अच्छी लघुकथाएँ आएँ ताकि समाज के नए रूप का उदय हो सके। सशक्त समाज का निर्माण हो।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में मेरी बेटियाँ और बहनें प्रथम पाठक की भूमिका अदा करती हैं। लिखने में रुचि नहीं रखतीं परन्तु मेरे लेखन को ज्यादा उम्दा बनाने का प्रयास अवश्य करतीं है। सभी की सलाह लेने की मैं पूरी कोशिश करती हूँ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरी आजीविका तो नहीं, लेकिन मेरे कार्यक्षेत्र में लेखन का बहुत प्रभाव पड़ा है। शब्दों का ज्ञान, उनका सही उपयोग , सुस्पष्ट भाषा तथा अपने आचरण में बदलाव , मैं खुद महसूस करती हूँ। क्योंकि मैं एक विद्यालय की संचालिका हूँ तो इनसे होने वाले लाभ को मैं प्रत्यक्ष देखती हूँ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मैं खुद इस विधा की कायल हो गई हूँ। क्योंकि कोई जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति कहानी, कविता या दूसरी किसी भी विधा में कुशल हो। तो फिर उसे अपनी अभिव्यक्ति के कोई साधन नहीं दिखते सिवा लघुकथा के। बाकी विधाओं के लिए लंबे चिंतन की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन लघुकथा एक छोटी घटना में ही संदेश ढूंढ लेती है, जो आजकल आम रास्तों पर भी घटित होती है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मुख्य रूप से मैं लघुकथा की ही विद्यार्थी हूँ। साहित्य जगत से इतने कम दिनों में ही मुझे जो मान-सम्मान मिला है, वह मेरी अपनी पूँजी है। इसे कोई नहीं छीन सकता। हमारे व्यक्तित्व में निखार इसी ने दिया है। साथ ही पहचान जो हमारी अभिलाषा थी, इसी से मिली है। मंजिल तक पहुँचूँ या न पहुँचूँ कदम आगे ही बढ़ेंगे। आप सभी साहित्यकारों का धन्यवाद जिन्होंने पथ प्रशस्त किया है।
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क्रमांक - 84

जन्म तिथि : 18 मई 1971
जन्म स्थान :पटना - बिहार
माता : स्वर्गीय शकुंतला वर्मा
पिता : श्री अर्जुन कुमार वर्मा

शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा- दर्शनशास्त्र ,पटना विश्वविद्यालय
   स्नातकोत्तर हिन्दी , पूना विश्वविद्यालय,  N.T.T    B.Ed
व्यवसाय : (सेवानिवृत्त अध्यापिका)

रूचि : साहित्य लेखन, अध्ययन, अध्यापन, सिलाई प्रशिक्षण व समस्त गृह कार्य

विधा : कविता, कहानी, लघुकथा , संस्मरण, संवाद लेखन, निबंध,समसामयिक विचार आदि

संस्थाओ से सम्पर्क : -
   - साहित्य संगम संस्थान समस्त इकाई,
   - जैमिनी अकादमी (कविता, लघुकथा, समसामयिक विचार)
  - नवकृति काव्य मंच,
  - साहित्य रचना,
  - साहित्य आजकल,
  - साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर मध्य प्रदेश
        
सम्मान : -
-  गुरु रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान,
- उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान,
-   तिरंगा सम्मान,
- शिक्षक उत्थान रत्न सम्मान,
- आजाद-ए- हिंद सम्मान,
-  गोस्वामी तुलसीदास सम्मान,
-  कवि रत्न सम्मान,
- काव्य गौरव सम्मान,
- शहीद भगत सिंह सम्मान,
- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन सम्मान इत्यादि

विशेष : -
- काव्य संग्रह दिल से  -फेसबुक पेज, ब्लॉग
- पटना आकाशवाणी केंद्र से विविध कार्यक्रम की प्रस्तुति (सन्1985-88तक)
- एयर फोर्स स्टेशन के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विविध कार्यक्रमों में सहभागिता

पता : छपरौला ,गौतम बुद्ध नगर - 201009 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व : - कथ्य और उद्देश्य की स्पष्टता का होना अनिवार्य है। साथ ही साथ सटीक शीर्षक और भाषा का सरल सुगम्य होना भी अति आवश्यक है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर -  हरिशंकर परसाई जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, डॉ० रानू मुखर्जी जी, चित्रा मुद्गल जी, पृथ्वीराज अरोड़ा जी।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा के समीक्षा में गुणवत्ता, निष्पक्षता और तटस्थता का मापदंड जरूरी है। साथ ही विषय वस्तु से संबंधित शीर्षक की उपयुक्तता, संदेशप्रद होना, लघुकथा समाज के लिए हितकारी होना । समीक्षक को इन विंदुओं पर ध्यान रखने की जरूरत है। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फेसबुक पेज, फेसबुक पर चलाए जा रहे अनेकों साहित्यिक पटल जैसे : - प्रसिद्ध पटल जैमिनी अकादमी ,  भारतीय लघुकथा विकास मंच, साहित्य संगम संस्थान की 20 इकाइयां, ब्लॉग, व्हाट्सएप, यूट्यूब, ई - पत्रिका, ई - पुस्तक, ऑनलाइन लाइव वाचन आदि वर्तमान में बहुत ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति सभी विधाओं में अच्छी और मजबूत दिखती है। सरल सुगम्य, बोधगम्य भाषा में संक्षिप्त रूप से अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में यह कारगर साबित हो रहा है और पाठक गण की पसंदीदा विधा भी बन गयी है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल। समय के साथ - साथ और भी उत्तम बन सके तो साहित्य जगत के लिए और भी अहोभाग्य।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं ग्रामीण परिवेश के शिक्षित, सम्पन्न परिवार से आई हूं। हमारे घर में ही गांव का पुस्तकालय खुला होने के कारण हमें बचपन से ही तरह-तरह के पुस्तकों को पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ। ग्रामीण परिवेश में हर तरह की सामाजिक समस्याओं से रूबरू होते हुए जो मैंने महसूस किया । उसे अपनी लघुकथाओं के द्वारा उजागर कर सामाजिक स्थिति का यथार्थ चित्रण कर जन-जन को मार्गदर्शित करने का प्रयास किया।अध्यापन कार्य के दौरान भी विद्यार्थियों के हृदय में लेखन कार्य के प्रति रुचि जगायी।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - हमारे लेखन कार्य में हमारे परिवार की अहम भूमिका रही है। किशोरावस्था में मां-पिताजी भाइयों के द्वारा और वैवाहिक जीवन में पति और बच्चों के द्वारा  हर कदम पर प्रोत्साहन मिला। हौसला अफजाई के कारण ही मैं निरंतर लेखन कार्य में आगे बढ़ते रही।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे पतिदेव उच्च पद से सेवानिवृत्त हैं। मैं भी कुछ वर्षों तक अध्यापिका पद पर कार्यरत रही हूं। लेखन कार्य से वर्तमान में कोई आमदनी नहीं है। समाचार पत्र वाले और कुछ ई पत्रिका के संपादकगण भी लेखकों से ही पैसा लेते हैं । यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेखन कार्य में रूचि होने के कारण आत्मसंतुष्टि हेतु समर्पित भाव से मैं अपने बहुमूल्य समय का योगदान देते हुए साहित्यिक रचनाओं के द्वारा समाज को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हूं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - हमारी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्जवल व प्रकाशमान है क्योंकि वर्तमान में पाठकगण लघुकथा पढ़ना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। लघुकथायें गागर में सागर भरने का कार्य करती है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य के माध्यम से आत्मविश्वास में प्रगाढ़ता आई। कम शब्दों में अपने मन के संदेश को दूसरों तक पहुंचाने में सक्षम हुई। कहानी बड़ी होने के कारण पाठकगण कम पढ़ते थे जबकि लघुकथा संक्षिप्त होने के कारण रुचि लेकर पढ़ते हैं। मेरी रचना ज्यादा से ज्यादा पाठक पढ सकें । इससे आत्मसंतुष्टि मिलती है और कुछ कर गुजरने की लालसा मन मे जगती है। जय हिन्द! जय हिन्दी ! जय लघुकथा साहित्य !
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क्रमांक - 85

जन्म तिथि- 6 अप्रैल
जन्म स्थान- पटना
पिता - स्व.उमेश्वर नारायण श्रीवास्तव
माता- श्रीमती प्रभा श्रीवास्तव
पति- दीपेन्द्र कुमार वर्मा
शिक्षा- स्नातकोत्तर (इतिहास) B.Ed ( बिहार )

रूचि- कविता, कहानी,नाटक,आलेख,  लघुकथा लेखन एवं संगीत 

प्रकाशित पुस्तक : -

कुछ कहती है जिन्दगी (लघुकथा एवं छोटी कहानियों का संग्रह )

सम्मान : -

श्री साहित्य विभूति,
साहित्योदय शक्ति सम्मान,
2020 रत्न सम्मान,
लघुकथा मैराथन सम्मान,
कोरोना योद्धा सम्मान,
वृक्ष सखा सम्मान,
अटल रत्न सम्मान,
हिन्द गौरव सम्मान ।

पता :  फ्लैट न.-C3F, ग्रीन गार्डेन अपार्टमेंट्स, हेसाग,हटिया,राँची,झारखंड -834003

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथावस्तु, पात्र का चरित्र चित्रण, वातावरण, कथोपकथन तथा उद्देश्य होते हैं ।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - बहुत सारे बेहतरीन लघुकथाकार हुए हैं जिसमें समकालीन लघुकथाकार जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही हैं,आ. पवन जैन जी, कान्ता राय , अनिता रश्मि, डाॅ.ध्रुव कुमार और आ.बीजेन्द्र जैमिनी जी का नाम उल्लेखनीय है।


प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - चुस्त एवं सटीक कथानक, कथ्य एवं सपष्ट उद्देश्य के होने से बेहतरीन लघुकथा बनती है।


प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - आज कल साहित्यिक क्षेत्र में सोशल मीडिया बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिसमें फेसबुक, ब्लॉग , वाट्सअप, यूट्यूब, टीवी ऐवं न्यूज़ पेपर उल्लेखनीय हैं ।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आजकल के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा लोकप्रियता की चरम सीमा पर अवस्थित है।लेकिन अभी भी बहुत सारे साहित्यकार इसकी विधा से अनभिज्ञ हो सृजन कर रहे हैं ।अतः वरिष्ठ लघुकथाकारों का मार्गदर्शन अति आवश्यक है ।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - बहुत संतुष्ट नहीं हूँ ।अभी भी बहुत सारे लोग बगैर इसकी विधा को जाने इसका सृजन कर रहे हैं । मेरा वरिष्ठ लघुकथाकारों से सविनय अनुरोध है कि वे विशेषकर नवोदित लघुकथाकारों का मार्गदर्शन अवश्य करें ।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक हाउस वाइफ हूँ । लिखने का शौक बचपन से ही था। सारी जिन्दगी घर गृहस्थी में  फंसी रही। चार पांच साल से सक्रिय रूप से लिख रही हूँ । अभी नियमित रूप से काव्य गोष्ठियों में जाती हूँ और मेरी रचनाओं का एकल संकलन, साझा संकलन और उनका प्रायः पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर - बिना परिवार के सहयोग से इंसान आगे नहीं बढ़ सकता है। मेरे भी लेखन में मेरे पति और मेरे बच्चों का सहयोग मुझे निरंतर प्राप्त होता रहता है।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन से कुछ भी सहायता नहीं प्राप्त होती है। मुझे बेहद दुख के साथ कहना पड़ता है कि कुछ लोगों ने साहित्य को पैसा कमाने का व्यवसाय बना लिया है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - लघुकथा का भविष्य निःसंदेह उज्जवल है। इसके पीछे कुछ महान साहित्यकारों की निःस्वार्थ भाव से साहित्य की सेवा ही है 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा से मुझे एक पहचान मिली है और " झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार " ( ई- लघुकथा संकलन ) में अपना नाम देखकर मैं अत्यंत गौरान्वित भी महसूस करती हूँ । अंत में यह जरूर कहना चाहूँगी कि बीजेन्द्र जैमिनी जी द्वारा सारे लघुकथाकारों को एक पृष्ठभूमि पर सुसज्जित करने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

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क्रमांक - 86

  पिता :    श्री सी.एस. शिशौदिया 
जन्म  :   ५ मई, १९७१ उत्तर प्रदेश 
शिक्षा  :   एम. ए., बी.एड. पी एच. डी. (हिंदी साहित्य)

शोधग्रंथ  : हरियाणवी एवं राजस्थानी लोकगीतों का तुलनात्मक अध्ययन 

कार्यक्षेत्र  : हिंदी अध्यापिका एवं लेखिका,सिनर्जी  व भाषा भारती पत्रिका का संपादन कार्य, इंद्रप्रस्थ लिट्रेचर फेस्टिवल की गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष, साहित्यिक सचिव एवं उप-संपादिका, हिंदुस्तानी भाषा अकादमी/ कार्यसमिति सदस्य,प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन/ गुरुग्राम महामंत्री, राष्ट्रीय महिला काव्य मंच गुरुग्राम।

अभिरुचि  : -

हिंदी कविताएँ, लेख, कहानी, नाटक एवं नुक्कड़  नाटक,
पटकथा इत्यादि लिखने में रुचि। सामाजिक कार्यों तथा बागवानी करने में भी रूचि, नारायण सेवा संस्थान की आजीवन सदस्या, आध्यात्मिक प्रवृत्ति। 

लेखन :   काव्य के सप्तरंग-काव्य संग्रह, सात साझा संग्रह (लघुकथा व कविता),  हिंदी  साहित्य   एवं   व्याकरण लेखन  (कक्षा एक  से बारहवीं  तक पाठ्य  पुस्तकों  में   बाल साहित्य), शोध-पत्र, कहानियाँ, लघुकथाएं, विविध  कविताएँ  एवं  लेख  आदि  भाषा भारती, नवपल्लव, शब्द सुमन,साहित्य कलश, सिनर्जी, जगमगदीप ज्योति, मधु
संबोध तथा साँझी सोच, दृष्टि आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित।  बाल एकांकी संग्रह, लघुकथा संग्रह प्रकाशाधीन,
संपादन : शब्दगाथा-2(समीक्षा पुस्तक)प्रकाशक-हिंदुस्तानी भाषा अकादमी, कृति एवं एक्सीड प्रकाशन में विविध हिंदी पाठ्य पुस्तकों का संपादन एवं लेखन कार्य।     पिछले १२ वर्षों से  पत्रिका आदि का संपादन कार्य।   
सम्मान : -

आदर्श राष्ट्रभाषा शिक्षक पुरस्कार, राष्ट्रीय भाषा-भूषण पुरस्कार, हिंदुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली द्वारा समीक्षक और शब्द साधना काव्य प्रतिभा सम्मान, हिंदी की गूँज संस्था, नई दिल्ली द्वारा 2018 का हिंदी साहित्यकार सम्मान,शब्द सुमन साहित्यिक संस्था, बस्ती द्वारा हिंदी गौरव पुरस्कार, शब्द साहित्यिक संस्था, गुरुग्राम द्वारा लघुकथा स्वर्ण सम्मान एवं पुरस्कार आदि।

अनुवाद : भारतीय कला का इतिहास एवं सौंदर्य (अंग्रेजी से हिंदी में)

पता :     
आरडी सिटी, सैक्टर – 52
गुरुग्राम - हरियाणा 
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - जैसे नाटक का लघु रूप एकांकी है, उपन्यास का कहानी, वैसे ही कथा का लघु किंतु विशिष्ट रूप ( एक पल को पाठक को हतप्रभ/ विस्मित कर दे और वह आश्चर्य/ हर्ष मिश्रित भाव से सोचने को विवश हो जाए) लघुकथा है| पाठकों की व्यस्तता या रुचियों का परिष्करण कह लीजिए, लघुकथा वर्तमान में न केवल प्रासंगिक बनी हुई है अपितु सर्वप्रिय भी है ।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पाँच नाम बताओ, जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बहुत हैं यूँ तो मगर मैं जिनको जानती हूँ, पढ़ती हूँ उनमें सतीशराज पुष्करणा , डॉ कमल किशोर गोयनका, उमेश महादोषी, अशोक जैन आदि भी इस ओर उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं, हाँ आपको ( बीजेन्द्र जैमिनी ) कैसे भूल सकते हैं जो महा संकलन निकाल रहे हैं । नई व पुरानी पीढ़ी का सेतु बने हुए हैं ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा बहुत बड़े परिदृश्य से एक पल को चित्रित कर देने का नाम है । कई  बार उसकी सहजता और विशिष्ट शैली पाठक को आनंदित कर देती है तो कई बार पाठक को भाव-सागर में गोता लगाकर सार्थक मोती खोज लाना पड़ता है यानि उसके भी बुद्धि कौशल का परीक्षण हो सकता है । लेखक की शैली पर भी निर्भर है कि वह बात को किस अंदाज में आगे पहुँचाना चाहता है, वह संवादात्मक, संवेगात्मक, चित्रात्मक या संकेतात्मक हो सकती है किंतु लघुता के फ्रेम में कथ्य तो अनूठे अंदाज में परोसा ही जाना चाहिए| जो लोग युगों से चली आ रही कथाओं को धो- पोंछकर परोस रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मौलिकता का धुरंधर कोई और है, आप तो बस प्रस्तुति दे रहे हैं ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आज अनेकोनेक अंतर्जाल ब्लाग ( ई पत्रिका , ई पुस्तक ) प्रचलन में हैं, वहीं फेसबुक, व्हाट्सएप व दूसरे संचार साधनों की धूम है, बस डर इतना है कि बेचारी छोटी - सी, दुलारी- सी  हमारी लघुकथा इनमें दब न जाए| जब बहुत ज्यादा मात्रा में सामान उपलब्ध होने लगे तो गुणवत्ता भी अपनी खोज को पूछने लगती है। 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - स्थिति बहुत अच्छी भी है और कुछ संदर्भों में चिंतन करने की गुंजाइश भी है । आज मुलम्मे उतर रहे हैं और नये जामा पहनाए जा रहे हैं पर लघुकथा तो अपने पुरातन कलेवर को ही और चमकाकर शोभायमान है । अब पत्रिकाओं में लघुकथा खूब छपती है । अब लघुकथाओं का वर्गीकरण भी हो रहा है शैली के आधार पर यानि विविधरंगी है यह परी..।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - इस ओर जो भी काम कर रहे हैं  साधुवाद तो उनको बनता ही है बस घटना या कल्पना को जबरन बुनना वो भी ढीले फंदों के साथ तो मजा नहीं । कथ्य की कसावट होनी चाहिए वो वास्तविकता या सहजता के धरातल पर , कुछेक मठाधीशों की चुनौतियाँ हैं तो कुछेक को रचना कौशल निखारने का अभ्यास और निरंतर करना होगा । घटना ही लघुकथा नहीं है जैसे हम कोई सूचना दे रहे हों । अपने आस- पास और परिवार से बाहर भी विषयवस्तु प्रतीक्षा में है... जिज्ञासा और दूरदृष्टि होना भी लघुकथाकार के लिए सहायक मापदंड है । मैं स्वयं भी उसी ओर प्रयासरत हूँ ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएँ कि  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - यह मैं नहीं निर्धारित करूँगी बल्कि पाठक ही करेंगे । समीक्षक ही बता सकेंगे कि लघुकथा के पथ पर मेरी लेखनी की मंज़िल क्या है और पड़ाव क्या होंगे, अभी तो प्रयास जारी हैं। समाज में जो देखा और अनुभव की कसौटी पर जो कसा, वही बुना पर कार्य जारी है। अभी तो मात्र 60 के करीब ही लघुकथाएँ लिखी हैं । जागरूक पाठक बनने और लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने को प्रयासरत हूँ ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है? 
उत्तर - माता- पिता की कहानियों में रुचि होना ।  हम पाँचों भाई- बहन बिना कहानी सुने सोते नहीं थे । हमने बचपन में दादाजी से और मम्मी- पिताजी से अब तक बहुत कथाओं का रसपान किया है । यह साहित्यिक रुचियों की नींव कही जा सकती है । पिताजी उस समय के ( 60-70 वें दशक) उच्च शिक्षित व्यक्ति थे जिन्हें उर्दू का भी  ज्ञान था| नंदन, हंस, कादंबिनी, साधन, सरिता, पंजाब केसरी आदि पत्र- पत्रिकाएँ घर आती थीं जो मेरी पठन क्षुधा को तृप्त करती थीं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - कुछ लिखती हूँ तो कुछ मुक्तावस्था जो प्रसन्नता देती सी लगती है, नयी ऊर्जा का संचार भी अपने अंदर पाती हूँ । हरिगंधा में जब नाटक छपा और उसके कुछ रुपये भी मिले तो कार्य का संतोष भी हुआ था। संप्रति शिक्षण और लेखन ही आजीविका हैं ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - बेहतर होगा और आयाम भी बनेंगे । पलक झपकते द्रुतगामी ऐप आपको ढेरों पठन सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, आगे और भी सुगमता होगी ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - आत्म संतोष और साहित्यिक दृष्टिकोण मिला है। समाज का आइना हैं लघुकथाएँ तो सोच व समझ आकार लेती है । श्रेष्ठ लघुकथाकारों से इसके जरिये न सिर्फ पढ़ना हुआ बल्कि उन्हें जाना भी । सार्थक परिचय- विस्तार हुआ ।
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क्रमांक - 87

जन्म तिथि : 14 जुलाई 1954 , ग्वालियर - मध्यप्रदेश
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी , एम. एड् , पीएचडी , डी सी एच इग्नू

विधा : लघुकथा , कहानी , हास्य व्यंग, कविता

सम्प्रति : शासकीय सेवा के बाद स्वतन्त्र लेखन व समाज सेवा

प्रकाशित पुस्तकें : -

अतीत का प्रश्न ( लघुकथा संग्रह ) - 1991
बुढ़ापे की दौलत ( लघुकथा संग्रह ) - 2004
शिक्षा और संस्कार ( लघुकथा संग्रह ) - 2006
         व विभिन्न विधाओं की 26 पुस्तकें

सम्पादन पुस्तक : -
नारी संवेदना की लघुकथाएं

सम्मान : -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का पुरस्कार
राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार ( भारत सरकार )

पता : ९२, सुरेन्द्र माणिक , (विद्या सागर कालेज के सामने )
अवध पुरी , भोपाल -४६२०२२ मध्य प्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा का मुख्य तत्व है संवेदना "कथ्य" लघुकथा के माध्यम से हम क्या कहना चाहते हैं , स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त होना चाहिए ।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वरिष्ठ लघुकथाकारों में स्वर्गीय श्री सतीशराज पुष्करणा जी , सतीश दुबे जी हैं। नवोदितों में श्रीमती कांता राय , श्रीमती संध्या तिवारी हैं ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए, वे ही मापदंड हैं जो अन्य विधाओं के हैं । क्या कहा है ? क्यों कहा है ? कैसे कहा गया है  ,इस कसौटी पर समीक्षकों को देखना चाहिए ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में तो सोशल मीडिया में अनेक प्लेटफॉर्म हैं जिनमें बहुत कार्य हो रहा है । श्री सुकेश साहनी जी का लघुकथा डाट काम , कान्ता राय का परिंदे । 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश का आलम तो यह है कि, लघुकथा ही चहुंओर छायी है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हां , कल्पना से  अधिक काम हो रहा है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - बचपन में घर में बहुत पत्र-पत्रिकाएं आती थी । धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान ,पराग इत्यादि । पढ़ने-लिखने की इच्छा जागृत हुई । मैंने जब लिखना शुरू किया तो लघुकथा ही सबसे पहले लिखी। तब लघुकथा का नाम लघुकथा नहीं था ,न ही उसके मापदंड थे। मार्ग दर्शक तो मैं कभी नही बन पाई। आज भी मैं लघुकथा की विद्यार्थी हूं।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - लेखन में मेरे परिवार भूमिका शून्य है ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सदैव आजीविका और लेखन को अलग-अलग रखा है  ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर -  लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। पर अनेक लघुकथा के गुरु हो गये हैं। इसलिए अनेक खेमें भी है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा से साहित्य जगत में पहचान तो मिली है। लघुकथा की भीड़ में हमारा भी एक नाम है ।
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क्रमांक - 88
 जन्म  : १६ जुलाई   
जन्म स्थान :  सहारनपुर - उत्तर प्रदेश
पिता : श्री कृष्ण मुरारी गुप्ता
माता  :  श्रीमती साधना गुप्ता
ससुर : साहित्यकारश्री स्व . वीरेन्द्र प्रकाश अंशुमाली 
शिक्षा : एम ए ( अंग्रेजी साहित्य)

 प्रकाशित  कृतिया : - 
 कविता बदलते संदर्भ
 प्रतिष्ठा प्रभा
 कविता हस्तलिपी हस्ताक्षर

आत्म कथ्य- 
वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा:!
 निर्विघ्नं कुरूमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा!!
 मां की गोद में सूरज की पहली किरन के उगते ही मेरे जन्मदाता ने उपरोक्त मन्त्रोचार के सुन्दर शब्द अविरल ही मेरे कानो में फूंक कर कविता सृजन के संस्कार दिये जिसे मेरे पिता तुल्य ससुर जी ने जो खुद सरस्वती पुत्र थे मार्ग दर्शन करा आगे बढ़ने के सुअवसर दिये

वर्तमान पता - अपर्णा गुप्ता W/O श्री हिमांशु  गुप्ता , 
K-407 , आशियाना कालोनी , लखनऊ - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - मुझे लगता है कि लघुकथा में सबसे ज्यादा  महत्व   "कथ्य" का है। "कथ्य" जितना जोरदार  होगा ,मारक होगा, लघुकथा उतना ही प्रभाव छोड़ती है। " देखन में  छोटी  लगे घाव करें  गंभीर "  यह कहावत सटीक  है लघुकथा  के लियें ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन  लघुकथाकारों में कान्ता राय जी,
योगराज प्रभाकर जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, पवन जैन जी । सुकेश साहनी जी लघुकथा  के लिये समर्पित  है कान्ता जी का प्रयास वास्तव में  सराहनीय  है।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर- अभी कुछ  दिनों पहले ही हुई  एक गोष्ठी  में कहा गया था कि आलोचना का स्थान मात्र प्रशंसा ने ले लिया है। आलोचक  को अपनी जिम्मेदारी  पुनः तय करने की आवश्यकता  है । तय मानकों  पर लिखी  गई  लघुकथा  एक उदाहरण पेश करती है । कड़वी गोली की तरह कड़ी आलोचना लघुकथा  को सशक्त  बनाती है । कम शब्दों  में  बड़ी बात कहने की विधा है लघुकथा ये लेखक  को समझना होगा ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा  सोशल मीडिया  के कौन से प्लेटफार्म  पर नही है मैने ही शुरुआत  की थी फेसबुक  पर ,लघुकथा  परिन्दें  पर आज अनेक समूह ,वाटस अप, यू टयूब पर ,छोटे विज्ञापन  ,गोष्ठी ,आन लाइन  गोष्ठी  ,ब्लाग  और तो और रेडियो  पर भी अपना कमाल दिखा रही है ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर -  वक्त  की कमी है और किताबो को पढ़ने का  समय नही है किसी के पास अपनी गागर में सागर भरने की काबिलियत  लिये लघुकथा  आज लोकप्रिय  हो चली है। रेडियो  पर  व्हीकल चलाने वाला भी लघुकथा  मजे से सुन लेता है । फेस बुक पर बहुत  पाठक है लघुकथा  के । इसीलिए  लिखना पढ़ना सहज हो रहा है और लघुकथा  अपने स्वर्णिम  दौर में  है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिलकुल  अभी तो लघुकथा  लोकप्रिय  हो रही है लघुकथा  पर निरन्तर  कार्य हो रहा है। पहले की अपेक्षा  लघुकथा  मुखर हो रही है नित नये कलेवर  के साथ  ऊंचे  मकाम पर है। नये विचारों  को  जन्म  दे  रही है ।आज साहित्य  विधा में  स्तम्भ  है लघुकथा  । हम लघुकथा  गोष्ठी  करते है ,कविताओं की तरह लघुकथा  वाचन हो रहा है आगे भी लघुकथा  का भविष्य  उज्ज्वल  है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मै मध्यम  परिवार  से ताल्लुक  रखने  वाली  हूँ  परन्तु  मेरे मायके और ससुराल  दोनों  में  ही   ऐसा माहौल मिला कि मै पढ़ने लिखने की हमेशा  शौकीन  रही हूँ  मेरे ससुर जी लखनऊ  के जाने माने कवि थे आज भी उनकी लिखी पुस्तकें  मेरे पास है। कविताएँ  लिखते  लिखते   तीन  साल पहले मैने लघुकथाएं  लिखी। फेसबुक  पर मेरी कथायें  पसन्द  की गई । अभी भी सीखने  की पूरी कोशिश  करती हूँ  लगातार  सुधार ही मेरा उददेश्य  है  मै 200 से ऊपर लघुकथा  लिख चुकी  हूँ  अपनी किताब  छपवाने की तैयारी  है । कान्ताराय जी द्वारा संचालित  भोपाल शोध संस्थान भोपाल के अन्तर्गत लखनऊ की शाखा की संयोजिका हूँ गोष्ठी  करती हूँ ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - जब मै अविवाहित थी तो मेरे पिता  सुबह सुबह निरंतर मंत्रोचार  वगैरह  खूब  करतें  थे। फिर विवाह के बाद लिखने में  मेरे ससुर  जी का पूर्ण  सहयोग  रहा । मै अपने परिवार  की हमेशा  ऋणी रहूँगी। सभी सदस्य  मेरी  इस उपलब्धि  पर  मेरा हौसला  बढ़ाते है । सहयोग  करते है  सभी का सहयोग  ही मेरी शक्ति  है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मै हमेशा  से एक हाऊस वाइफ ही हूँ  साहित्य आपको तृप्त  करता है । मै खुद  को महसूस  कर
 पाती हूँ  समय का सदुपयोग  कर पाती हूँ । इसे ज्यादा  और क्या चाहिये ।मुझे जो प्रशंसा  मिली कुछ  पुरस्कार  मिले और कुछ  सार्टिफिकेटस यही मैने कमाया जो किसी धनराशि से कही बढ़कर  है

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर-लघुकथा अपने यौवन काल में  है वह पहले से ज्यादा  मुखर हो गई  है वह आज लोकप्रियता  की कगार  पर खड़ी है । बुजुर्ग,  जवान,बच्चे   यहाँ  तक की गृहिणियाँ तक लिख रही है ,पढ़  रही है मुझे  तो सुनहरा भविष्य  नजर आ रहा है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मै कवितायेँ  लिखती थी ,कभी कभी लंबी कहानी  पर पहचान  मुझे  "लघुकथा"  ने दिलाई । आज मै लखनऊ  में  लघुकथाकार  जानी जाती हूँ  मंचो पर लघुकथा  वाचन करती हूँ  कई किताबों  में  मेरी लघुकथा  छपी है। किसी ने कहा है कि "मरने के बाद भी जिन्दा  रहना है तो कुछ लिखिए " इसीलिये कुछ ऐसा लिखना बाकि है जो  सब याद  रखें ।
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क्रमांक - 89
    जन्म तिथि : 16 मार्च1987
जन्म स्थान : डलहौजी
पति : श्री विप्लव सिंह
माता पिता :श्री मति निर्मला देवी/ श्री रूमेल सिंह
सास ससुर : श्री मति रेखा देवी/ श्री रत्न चंद 
शिक्षा : एम ए हिंदी, पी जी डी सी ए, पी एच डी,
            फैशन डिजाइनिंग
            
कार्यक्षेत्र : अध्यापन

अभिरुचियां : -

 लिखना , योगा, खेलना, नृत्य, गाना, प्रकृति विहार, मंच अभिनय,पकव्यंजन बनाना और नित्य नया कार्य सीखना व सिखाना।

साहित्यिक विवरण : -

जज़्बात भरी बात (काव्य संग्रह )2020
बाल कविताएं पुस्तक - 2021

सम्मान : -
जैमिनी अकादमी द्वारा डिजिटल सम्मानित

पता :  सदर बाजार  , डलहौजी , जिला चंबा - 176304 हिमाचल प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - वर्तमान सामाजिक परिवेश 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - मेरे नज़रिए में तो हर लघुकथाकार अपने आप में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हर कथा में एक महत्वपूर्ण संदेश दे कर जाता है। लेकिन मैं माननीय श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी का नाम ज़रूर  लेना चाहूंगी जोकि ना केवल स्वयं इस दिशा में आगे बढ रहे हैं बल्कि अपने साथ बहुत से लघुकथाकारों के भी मार्ग दर्शक बन कर उनको साथ लेकर चल रहे हैं ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा सामाजिक परिवेश पर आधारित हो । कम शब्दों में महत्वपूर्ण बात कह जाए।  पाठक को सोचने का मौका भी दे। लोगों की कुंठित विचारधारा पर भी प्रहार करे।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आज के समय में सोशल मीडिया ही तो प्रमुख माध्यम है जोकि आसानी से हमारी बात समाज तक पहुंचाता है इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं: - फेसबुक, इंस्टाग्राम, ब्लॉग, व्हाट्सएप इत्यादि।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - समय की पाबंदी और अत्यधिक कार्य की व्यस्तता को सामने रखते हुए आज का साहित्यकार और पाठक दोनों ही लघुकथा को अहमियत की दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हां बिल्कुल और हम ये चाहेंगे की आगे ये और विकसित हो।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - हमारे भारत की मिट्टी में ही नानी और दादी की कहानियों की खुशबू आती है, माता पिता ने अच्छी शिक्षा दे कर उस खुशबू को और महका दिया बस उनकी सीख ही आज हमें समाज का दर्पण बनने के काबिल बना रही है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरा परिवार ही मेरी प्रेरणा का स्रोत है, परिवार से ही मुझे एक नए तरीके से सोचने और लिखने की दृष्टि मिलती है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - इस और प्रयासरत हूं उचित मौका मिले तो अवश्य ही लाभ उठाऊंगी । 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - यह समय भी लघुकथा की मांग कर रहा है और आने वाला समय ही लघुकथा का है क्योंकि लघुकथा कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती है इस से समय की बचत भी होती है और हमारी बात भी सामने वाला समझ जाता है । 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - हर बात को एक अलग और सकारात्मक तरीके से देखने व परखने की दृष्टी ।
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क्रमांक - 90

जन्मतिथि : 12 जून 1967 
 जन्मस्थान : महादेव( सुंदरनगर ) मंडी -  हिमाचल प्रदेश
शिक्षा : एम ए (हिन्दी - संस्कृत)
संप्रति. संस्कृत प्रवक्ता , राजकीय आदर्श रिष्ठ माध्यमिक विधालय ,भंगरोटू ,मंडी - हिमाचल प्रदेश 

लेखन विधा :  कहानी,  कविता , गजल , लघुकथा , हाइकु , क्षणिका आदि

साझा संकलन : -
कोरोना ( ई- काव्य संकलन ) - 2020
हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2021

सम्मान व पुरस्कार : -
- अंबेडकर फैलोशिप -1993 
- जैमिनी अकादमी पानीपत द्वारा शताब्दी रत्न 2000 , पद्म श्री डा०लक्ष्मी नारायण दूबे स्मृति सम्मान , राम वृक्ष बेनीपुरी शताब्दी सम्मान ,राष्ट भाषा सम्मान 
- अग्निशिखा मंच मुम्बई द्वारा कथा कुंभ सम्मान 
- 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
- फादर्स डे रत्न सम्मान - 2020
- कोरोना काल में अनेक संस्थाओं द्वारा अनेक काव्य सम्मान से अलंकृत 

 पता :  गांव व डा महादेव तहसील सुंदरनगर जिला मंडी - हिमाचल प्रदेश 
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व स्थानियता के प्रतिबिंब होना। 

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में बलराम अग्रवाल जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, गोविंद शर्मा जी, मुकेश शर्मा जी और मीरा जैन जी आजकल लघुकथा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए कथा शिल्प, विषयों का चयन भाव सौंदर्य का चयन का समन्वय होना चाहिए। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया में  फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप , ब्लॉग इत्यादि महत्वपूर्ण प्लेटफार्म हैं। 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत ही प्रशंसनीय है तथा लघुकथा के मानकों का बखूबी अनुपालन कर रहे हैं। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर  - वर्तमान में लघुकथा की स्थिति बेहतर है। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - पत्रकारिता के साथ - साथ लघुकथा भी लिखने लगे जिस कारण मेरी लघुकथाओं में उपदेशात्मक के साथ व्यंग्य भी जुड़ा रहता है जहां तक मार्गदर्शक का सवाल है समाज में फैले अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर करने का प्रयास लघुकथा के माध्यम से किया है। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार का महत्वपूर्ण सहयोग रहता है। निरंतर मौका देते रहते हैं तथा हौसला अफजाई करते रहते हैं। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका में लेखन की स्थिति में सरकारी क्षेत्र की पत्रिकाओं व समाचार पत्रों के द्वारा पारिश्रमिक मिलना अपने आप में खुशी दिलाता है। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - आधुनिक समय में लघुकथा का भविष्य बहुत उज्जवल है तथा नवोदित लेखक अच्छा कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से एक नई पहचान व तथा लेखन के लिए नयी सोच विकसित हुयी। अपने लेखन क्षेत्र में सुधार मौका भी मिला। 
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क्रमांक - 91

जन्मतिथी : 04 जनवरी 1950
जन्म स्थान - मिर्जापुर - उत्तर प्रदेश
पति :स्वर्गीय कन्हैया प्रसाद(उच्चतम न्यायलय अधिवक्ता )
शिक्षा :1967 में इन्टर मिडियेट आर्य कन्या इंटर कालेज
रुचि : साहित्य पढ़ना , बागवानी और  लेखन

विधा : कविता ,लघुकथा, कहानी व सामयिक विषय पर  विचार लिखना पसन्द है ।

साझा पुस्तकें : -

मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
जल ही जीवन है ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम  ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
बुजुर्ग ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021

सम्मान : -

- जैमिनी अकादमी द्वारा अटल रत्न सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा कबीर सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर सम्मान
- जैमिनी अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद सम्मान - 2020
- जैमिनी अकादमी द्वारा " 2020 के एक सौ एक साहित्यकार " में 2020 - रत्न सम्मान प्राप्त
- जैमिनी अकादमी द्वारा गणतंत्र दिवस पर भारत गौरव सम्मान - 2021
- जैमिनी अकादमी द्वारा विश्व कविता दिवस सम्मान - 2021
    आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए
  
विशेष : -
- आ०बीजेन्द्र जैमिनी के ब्लाक के लिए सामयिक विषय पर लिखना बहुत पसंद था ।
- आ० मधुदीपजी गुप्ता द्वारा रचित चरित्र नारी शक्ति नमिता सिंह का चरित्र चित्रण करना मेरे लिए अद्भुत तजुर्बा रहा
- पहली कविता 'साँझपरे घर आजाना ' को दिल्ली इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल की मैग्जीन में जगह मिली ।
-  साहित्य की कई संस्थाओं से जुड़ी हूँ । जैमिनी अकादमी- पानीपत ,लेख्यमंजूषा - पटना ,साहित्य संवेद ,  भारतीय लघुकथा विकास मंच ।
- हेल्पिंग ह्यूमेन क्लब की सदस्यता ।

  पता : 3A-031, जी.सी. ग्रैंड , 2/C वैभव खंड
    इन्दिरापुरम - गाजियाबाद -201010 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उ० - लघुकथा की उद्देश्य पूर्ति के लिए  तीखी शैली का होना आवश्यक होता है, जो  चेतना को जगाने के  लिए जनमानस के हृदय को झकझोर सके ।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ०-  आ०सतीशराज पुष्करणा जी , आ०मधुदीप गुप्ता जी ,आ० बीजेन्द्र जैमिनी जी , आ०सुकेश सहानी जी ,और डा० मधुकान्त जी  की भूमिका लघुकथा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रही है ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ०- लघुकथा की समीक्षा के समय ,लघुकथा के सभी मानकों का ध्यान रखना चाहिए ,चाहे कथानक हो ,शिर्षक हो ,विषय वस्तु या शैली ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - भारतीय लघुकथा विकास मंच ,साहित्य  संवेद ,लेख्यमंजूषा ,लघुकथा के रंग  ,आदि अनेक प्लेट फार्म हैं जो लघुकथा को आगे बढ़ाने में काफी महत्व पूर्ण योगदान दे रहे हैं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ० - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा समाज के द्वारा पसंद की जा रही है । कम समय में लोग पढ़ और समझ रहे हैं ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ० - वर्तमान स्थिति में अनेक लेखक, लघुकथा लेखन में आगे आये हैं । इसे महत्व दिया जा रहा है  ।स्थिति अच्छी जान पड़ती है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ० - मेरे परिवार में कई पुश्तों से वकालत का पेशा रहा है ।सभी समाजिक कार्य से जुड़े हैं ।मुझे भी समाज केप्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करना अच्छा लगता है और लघुकथा के माध्यम से यह संभव हो पाया  है ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ० - मेरे परिवार वाले मेरे लेखन को लेकर उत्साहित रहते हैं ।मेरी मदद को हमेशा तैयार रहते हैं । जैसे - मेरे समय में इन्टरनेट नहीं था ।परिवार के सहयोग से मैं इस दुनिया के बारे में जान सकी ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ० - लेखन केप्रति समर्पण ही मेरा उद्देश्य है ।आजीविका में कोई रुचि नहीं है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ०- मेरी दृष्टि में लघुकथा भविष्य में ऊच्चतम शिखर पर पहुँचेगी ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ० - मैं एक गृहणी हूँ ।लघुकथा लेखन ने मान -सम्मान और पहचान दिलाई है ।

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क्रमांक - 92

जन्म :  फतेहाबाद में 21 जून 1968 में मध्यमवर्गीय परिवार मे हुआ 

कार्यक्षेत्र : विवाह के बाद हिसार में ही रही और यहीं शिक्षिका के व्यवसाय को चुना । 

शिक्षा : एम. बीएड . एल एल बी. 

विधा : कविता , गजल ,गीत , मुक्तक व लघुकथाएं

पहली लघुकथा : ' मेरा समाज अलग कैसे ' नाम से जुलाई 2017 में अमर उजाला अखबार में छपी थी । उसके बाद विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लघुकथाएं और कविताएं छपती रही हैं । इसके अलावा बहुत सी पुस्तक संकलन में लघुकथाएं सम्मलित की गई  है । 

सम्मान : -

10 नवम्बर 2019 में शब्द शक्ति संस्था द्वारा पिता पर लिखी गई कविता पर प्रशस्तिपत्र  , जैमिनी अकादमी व भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा सम्मानित  किया गया।
कोरोना काल में अलग-अलग संस्थाओ से जुड़ने का सौभाग्य मिला । आनलाइन लघुकथा पाठ किया ।
पता : 
147/ 7, गली नम्बर -7 
            जवाहर नगर हिसार - हरियाणा
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
 उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व विचार व संदेश होता है जो पाठकों को बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है ।हर लघुकथा कोई ना कोई सवाल छोड़ जाती है।

प्रश्न न. 2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में ऐसे कोई पांच नाम बताओं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है |
उत्तर - पवन जैन , सुरेंद्र कुमार अरोड़ा , योगराज प्रभाकर  , अंजू खरबंदा और बीजेन्द्र जैमिनी  ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - स्पष्ट भाषा, प्रवाह,  रोचकता, कथ्य की स्पष्टता  कथानक में नवीनता ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथाओं को लोकप्रिय बनाने में सोशल मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है | यह अब पाठकों को सहज उपलब्ध हो जाती है । इनमें वहटसअप ग्रूप, फेसबुक पर फलक (फेसबुकलघु कथाएँ) लघुकथा के परिन्दे,  भारतीय लघुकथा विकास मंच आदि ।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के समय में लघुकथा की स्थिति बहुत बढ़िया है । नए नए  लेखक उभर रहे है । अच्छी रचनाएँ सामने आ रही है । पाठक वर्ग भी बढ़ रहा है और  पाठक अपनी प्रतिक्रियाएं   भी दे रहे हैं।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी हाँ, संतुष्ट हूँ परन्तु पूर्णतया नहीं । क्योंकि पूर्णतया संतुष्ट होने से आगे की संभावनाएं क्षीण हो जाती है जो हम लेखक कभी नहीं चाहते ।                                               
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर-  बचपन से ही माँ से कहानियाँ सुनती थी ।  घर के पास ही लाइब्रेरी थी बड़े भाई ने आजीवन सदस्यता ली हुई थी । घर में साहित्य पढ़ने का माहौल था । बहुत से लोकप्रिय साहित्यकारों जैसे प्रेमचंद,  यशपाल , सआदत हसन मंटो,  मैकसिम गोर्की ,जान रीड को पढ़ा ।  शादी के बाद प्राथमिकताएं बदल गई । सब छूट गया ।  
  
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
 उत्तर - पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद माँ के प्रोत्साहन से  दोबारा साहित्य की ओर रूख किया । फिर पति की मृत्यु के बाद सारा समय साहित्य लेखन में लगा दिया । अब मेरा जीवन पूर्णतया साहित्य को समर्पित है ।

प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन से किसी तरह की आजीविका नहीं होती । इससे सिर्फ मानसिक संतुष्टी मिलती है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मानसिक संतुष्टी , अच्छे साहित्यकारों से मिलने और उनसे जुड़ने का अवसर और एक लेखिका के रूप में पहचान ।
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क्रमांक - 93

जन्म : 19 जून 1969 , धामपुर - उत्तर प्रदेश
पिता : श्री कृष्ण कुमार शर्मा
माता : श्रीमती मुनेश बाला शर्मा
शिक्षा : एम.ए.हिन्दी साहित्य,बी.टी.सी.,
एल -ं बी, आयुर्वेदरत्न,बी.ई.एम.एस.,
डी.एन.वाई.एस.,सी.एक्यू.,कहानी लेखन, पत्रकारिता प्रशिक्षण
मानद उपाधि :  विद्यावाचस्पति, विद्यासागर

विधाएं :  कविता,गीत, गीतिका, कहानी, आलेख, लघुकथा, व्यंग्य,परिचर्चा,समीक्षा, साक्षात्कार व अन्य विधाएं 1986 - 87 से निरंतर लेखन।

प्रकाशित कृतियां :-

मुझको जग में आने दो,
प्रकृति का ऐसे न शोषण करो,
जिंदगी गीत हो जाएगी ,
शिक्षा जगत की लघुकथाएं,
धामदेव की नगरी धामपुर,
प्राकृतिक रंग-उर्जा चिकित्सा ,

सम्पादन : -

अनुभूतियां,
अभिव्यक्ति,
अन्तर्मन,
अनुगूंज अभिप्राय,
अर्पण,
अनुसंधान (कार्य संकलन),
अविरल प्रवाह (स्मारिका).

संप्रति: - ई पत्रिका अभिव्यक्ति का संपादन प्रकाशन

सम्मान : -
विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं द्वारा शताधिक सम्मान

अन्य : -
विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों,परिचय ग्रंथों, अभिनन्दन ग्रंथों और सन्दर्भ कोशों  में प्रकाशित

पता :  82, मुहल्ला-गुजरातियान,
         धामपुर-246761,जिला - बिजनौर ,उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा का कथ्य और उसकी संप्रेषणीयता।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - बीजेन्द्र जैमिनी, महेश राजा, कांता राय, बलराम अग्रवाल, सुकेश साहनी।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा में कथ्य,संवाद योजना और उसका उद्देश्य।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - वाट्स एप, फेसबुक,यू  ट्यूब, ब्लाग।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - बहुत सशक्त माध्यम है यह अभिव्यक्ति का। लघुकथा के बढ़ते चरण अब विभिन्न विश्वविद्यालयों में पंहुचा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लघुकथा लोकप्रिय हो रही है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्ट होना विकास की प्रक्रिया को बाधित कर जाता है। इसलिए हम संतुष्ट नहीं। इसके विविध आयाम और विकास की अपार संभावनाएं हैं।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की पृष्ठभूमि से हूं मैं।जब पैंतीस साल पहले  लेखन शुरू किया तब से अब तक बहुत परिवर्तन हुए हैं,शिक्षा जगत से जुड़े होने के कारण इससे जुड़ी लघुकथाएं अधिक लिखी। मुझे विश्वास है निश्चित रुप से उन का प्रभाव पाठक पर पड़ा होगा।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - परिवार का भरपूर सहयोग मिला,मिल रहा है,तभी तो लेखन सृजन को पर्याप्त समय दे पा रहें हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका तो लेखन नहीं है, लेकिन आजीविका के लिए लेखन उर्जा देता है।लेखन जारी है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - बहुत ही उज्ज्वल भविष्य है। प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया हर मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। अब तो लघुकथा पर लघु फिल्म भी बन रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- अभिव्यक्ति की संतुष्टि मिली। पहचान मिली। जैमिनी अकादमी जैसी विशेष संस्था का सान्निध्य मिला है। आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जैसे उर्जा के भंडार से उर्जा मिल रही है।
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क्रमांक - 94
जन्म तिथि : 27 फवरी 1969
जन्म स्थान : नगला दलपतपुर (बुलंदशहर) उत्तर प्रदेश
पिता : श्री महेन्द्र पाल सिंह
माता : श्रीमती पुष्पा देवी
पति : अशोक कुमार AGM 
शिक्षा : एम एस सी वनस्पति विज्ञान , वैद्धविशारद

प्रकशित पुस्तकें : -

देहरी के गुलमोहर ( कविता संग्रह )
वापसी  ( कहानी संग्रह )

साझा संग्रह : -

नई सदी की धमक ( साझा संग्रह )
दृष्टि लघुकथा ( साझा संग्रह )
भाषा सहोदरी ( लघुकथा साझा  संग्रह)
वूमंस की आवाज (साझा संग्रह )
मगसम ( साझा कविता  संग्रह )
रंगोली ( कविता साझा संग्रह)
पलाश (साझा संग्रह )
आधी आबादी का सम्पूर्ण राग ( कविता संग्रह )
परिंदे बोलते हैं ( लघुकथा संकलन )
बाल मन की लघुकथाएं ( साझा संग्रह )
शब्द शब्द महक (कविता साझा संग्रह )
प्रवाह (साझा संग्रह )
रजत श्रंखला ( साझा संग्रह)
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन )
नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन )
मां ( ई - लघुकथा संकलन )
जल ही जीवन है ( ई - लघुकथा संकलन )
मतदान ( ई - काव्य संकलन )
  
रेडियो प्रसारण : -

बोल हरियाणा पर लघुकथा , 
कहानियों का सफर रेडियो यूट्यूब प्रसारण , 
ग्वालियर रेडियो स्टेशन से कविता प्रसारित 


पुरस्कार व सम्मान : -

- सहोदरी भाषा सम्मान 
- श्रेष्ठ कवियत्री पुरस्कार साहित्य सागर -2017
- नारी शक्ति सागर सम्मान - 2019 
- किस्सा कोताही  में द्वितीय पुरस्कार 
- कहानी में  प्रतिलिपि सम्मान 
- स्टोरी मिरर परिंदे लघुकथा सम्मान
- साहित्यदीप प्रज्ञा सम्मान
- काव्य रंगोली सम्मान
- माता सीतारानी सम्मान - 2020
- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020

पता : हाउस नं 7 ,  ज्योति किरन सोसायटी , ग्रेटर नोएडा ,
जिला गौतमबुद्ध नगर - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में कथा तत्व एवं भाषा शैली महत्वपूर्ण है
लघुकथा का प्रमुख तत्व है -सांकेतिकता जो प्रतीकों और बिम्बों के माध्यम से आएगी। सोच व्यवस्थित होना भी जरूरी है

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - चन्द्रेश कुमार छतलानी ,  बीजेन्द्र जैमिनी, कांता राय  , कमलेश भारतीय , मधुदीप गुप्ता आदि ये सब लघुकथा विकास में कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर  - जब साहित्य के सम्बंध में उसकी उत्पत्ति, उसके स्वरूप, उसके विविध अंगों, गुण-दोष आदि विभिन्न तत्त्वों और पक्षों के सम्बंध में सम्यक विवेचन किया जाता है, तो उसे साहित्यिक समीक्षा के यही मापदंड  कहलाते है। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर  फेसबुक,  WhatsApp , ऑनलाइन पत्रिका ‌, ब्लॉग आदि

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - ‌‌साहित्यिक क्षेत्र में लघुकथा अपना अलग स्थान बना चुकी है । आज लोगों की पहली पसंद लघुकथा ही है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्ट नहीं हैं लेकिन स्थिति उतनी बुरी भी नहीं है 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - परिवार में सेना , ज्यातर लोग इंजीनियर और डाक्टर है लेकिन साहित्य  पढ़ने की सभी की आदत है। हमने  ऊर्जा वान रह कर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की दिशा में कार्य किया है।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - परिवार में  लेखन के लिए सभी का सपोर्ट है । 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन को आजीविका के लिए नहीं , साहित्य सेवा के लिए अपनाया है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - भविष्य उत्तम है

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य लेखन में कदम रखा तो बहुत से नाम चीन लेखकों को पढ़ने समझने का मौका मिला । उननी रचनाओं को आत्मसात किया । ज्ञान अर्जन का बेहतरीन प्लेटफार्म लगा ।
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क्रमांक - 95

जन्म स्थान : बिहारशरीफ, नालंदा , बिहार 
पिता का नाम : श्री रामचंद्र प्रसाद  ‘अदीप’
माता का नाम : श्रीमती चंद्रकांता प्रसाद 
शिक्षा : स्नातकोत्तर (इतिहास )

साझा संकलन : -

मां ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019
लोकतंत्र का चुनाव  ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019
नारी के विभिन्न रूप  ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2019
लघुकथा - 2019  ( ई- लघुकथा संकलन ) 
लघुकथा - 2020  ( ई- लघुकथा संकलन )
कोरोना वायरस का लॉकडाउन  ( ई- लघुकथा संकलन ) - 2020
मतदान  ( ई- काव्य संकलन ) - 2019
जल ही जीवन है  ( ई- काव्य संकलन ) - 2019

सम्मान : -

कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020

विशेष : -

- प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कुछ लघुकथाएं  एवं कविताएँ  प्रकाशित ।

पता :  प्रतिभा सिंह C/o    राजेंद्र सिंह
शक्ति कुंज अपार्टमेंट के सामने , मोती स्ट्रीट , जायसवाल पेट्रोल पंप ,रातु रोड , राँची - झारखंड 834001
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा का महत्वपूर्ण तत्व…सुक्ष्म के साथ उद्देश्य का स्पष्ट होना ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - हरभगवान चावला, कमलेश भारतीय, मीरा जैन,
डा.योगेन्द्र नाथ शुक्ल ,सारिका भूषण 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर -  समीक्षा का आधार…वाक्य में अनावश्यक शब्द थोपा न हो और जिसकी अंतिम पंक्ति सोचने पर मजबूर कर दे ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फ़ेसबुक , ब्लॉग और वाट्सअप ही महत्वपूर्ण प्लेटफ़ॉर्म हैं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - स्थिति बहुत अच्छी है । समयाभाव के कारण इसे खूब लिखा और पढा जा रहा है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिलकुल ..ख़ासतौर से हमारे आस -पास उपजे बुराइयों पर लिखा जा रहा है ।जो समाज को झकझोरने का काम कर रही है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - पिता कथाकार थे तो पृष्ठभूमि साहित्यिक कह सकते हैं । पर चुंकि लेखन अब शुरू हुआ है तो एक अच्छे मार्गदर्शक बनने के अभी और पढ़ना और लिखना बाक़ी है ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - यदा-कदा परिवार  का सहयोग मिलता है ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन में आजीविका का कोई संबंध नहीं है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - अच्छा लिखने के लिए प्रेरणा और आत्मबल ।
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क्रमांक - 96

जन्म : 28 सितंबर 
पिता : श्री अभय नन्दन सिंह 
माता  -श्रीमती मालती सिंह 
पति -श्री अखिलेश कुमार सिंह 

साझा संकलन  - 
समय की दस्तक 
उर्वशी ,
जागो अभया 
फुहार ,
भारत की प्रतिनिधि महिला लघुकथाकार 
अंजोरा 

विशेष : -
- दो ब्लॉग 
- हमारी पहचान  ngo की संस्थापिका 
- पहचान यू ट्यूब चैनल 

पता : 805 शिवालिक कौशाम्बी , गाज़ियाबाद - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरे हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका कथ्य ही है । कथ्य में मारक शक्ति होगी तभी प्रभावी लघुकथा बन कर सामने आएगी 

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताइए ,जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - इस समय के लघुकथाकार बहुत ही मेहनत से काम कर रहे है सभी अपनी छाप छोड़ते है पर पांच नाम तो बताने ही है आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ,बलराम जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , पवन जैन जी व कांता रॉय दी है जो बेहतरीन कार्य कर रहे है 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर  - समीक्षा करने वाले को कौन लिख रहा है इस पर ध्यान न दे कर लघुकथा को कसौटी पर घिसना चाहिए व कथ्य व पंच पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - जी लघुकथा के लिए तो सोशल मीडिया एक वरदान की तरह सामने आया है । आज फेसबुक ,व्हाट्सएप ,यू ट्यूब पर खूब लघुकथाए लिखी व पढ़ी भी जा रही है 
जो सबके लिए बेहद सुविधाजनक है 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यक परिवेश में लघुकथा बहुत अच्छी स्थिति में है । लगातार इस पर काम हो रहा है जिस से आने वाले समय मे बेहतर पृष्टभूमि तैयार मिलेगी 

प्रश्न न.6 -  लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है ? 
उत्तर - जी बिल्कुल संतुष्ट है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये है व कैसे मार्गदर्शक बन पाए है ? 
उत्तर - मेरे परिवार में कोई लेखक नही है सब सरकारी जॉब में है पर मुझे बचपन से लिखने का शौक था । जहाँ तक मार्गदर्शन की बात है तो अभी उस काबिल नही समझती खुद को ।

प्रश्न न. 8 - आपके परिवार में आपके लेखन की भूमिका क्या है ?
उत्तर - ऐसी कोई भूमिका तो नही है पर रवैया सहयोगात्मक रहता है 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ? 
उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन का कोई योगदान नही है पर मानसिक भूख को ज़रूर तृप्त करता है 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा है ? 
उत्तर  - जी मेरे हिसाब से लघुकथा का भविष्य बहुत उज्वल है 

प्रश्न न.11- लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ ?
उत्तर  - सबसे सुंदर बात कि  हम अपने विचारों को दूर दूर पहुँचा सकते है । अपने लेखन से लोगो को  जागरूक करने का अवसर मिलता है ।और मानसिक संतुष्टि कि आपके जाने के बाद भी आपका काम लोगो को आपकी याद दिलाता रहेगा
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क्रमांक - 97

जन्म : 06 जनवरी 1965 , दरभंगा - बिहार
पति- श्री गजानन मिश्रा
शिक्षा : स्नातकोत्तर
सम्प्रति : गृहणी व स्वतंत्र लेखन

प्रकाशित रचनाएं : -

दृष्टि , किस्सा कोतहा ,लघुकथा कलश , अट्टहास,चंद्रहास कहानियाँ,चुनिंदा लघुकथाएँ, साहित्य कलश ,कलमकार मंच, क्षितिजऔर संगिनी, मधुरिमा, अहा! ज़िंदगी, हंस, सुरभि, लोकचिंतन ,अविराम साहित्यिकी,लघुकथा काॅम, अक्षरा, समाज्ञा, हिन्दुस्तान, सलाम दुनिया , आदि कई पेपर व पत्रिकाओं में

सम्मान : -

लघुकथा लेखन में ...
लघुकथा श्री सम्मान,
कलमकार मंच ,
भाषा सहोदरी ,
लघुकथा स्टोरी मिरर प्रतियोगिता ,
साहित्य विचार प्रतियोगिता आदि से सम्मानित किया जा चुका है |

पता : Minni Mishra
Shivmatri Apartment,
Flat no.- 301,  Road Number---3,
Maheshnagar, Patna - 800024

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - पंच (अंतिम पंक्ति)

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बलराम अग्रवाल, सुकेश साहनी, कमल चोपड़ा सतीशराज पुष्करणा , कान्ता राॅय ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - कथानक , पंच पंक्ति, शीर्षक , कथ्य, शैली ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - गद्य कोश, लघुकथा डाॅट काम, जनगाथा, भारतीय लघुकथा विकास मंच , नया लेखन नये दस्तखत ग्रुप , लघुकथा के परिंदे ग्रुप , साहित्य संवेद ग्रुप ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - यद्यपि लघुकथा लेखन में बाढ़ आ गई है, फिर भी मुझे लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी नजर आती है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल । एक तरफ जहाँ हमें दिग्गज लघुकथाकार की रचना, आलेख आदि को पढकर सीखने का मौका मिलता है तो दूसरी तरफ , नये- नये लेखकों को पढने का अवसर भी प्राप्त होता है ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ?
बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं गृहणी हूँ । नौकरीपेशा परिवार मेरी पृष्ठभूमि रही है। मैं लगभग विगत चार सालों से लघुकथा विधा को जान रही हूँ और लिख भी रही हूँ । अभी मैं मार्गदर्शक के काबिल नहीं हूँ। साधारण सी लेखिका हूँ, लेकिन जो भी लिखती हूँ आसपास के परिवेश को देख कर। ईमानदारी से कलम बद्ध करने का भरसक प्रयास करती हूँ ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार के लोगों को लघुकथा लेखन में कोई रूचि नहीं है, फिर भी सभी लोग मुझे बहुत प्रोत्साहित करते रहते हैं । जरूरत पड़ने पर मदद भी करते हैं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- लेखन मेरा व्यक्तिगत शौक है । आजीविका से इसका कोई लेना-देना नहीं है ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर- लघुकथा का भविष्य बहुत सुनहरा है। क्योंकि, आजकल के भागम-भाग जिंदगी में , समयाभाव के कारण लोग लघुकथा पढना पसंद करते हैं ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - बहुत कुछ प्राप्त हुआ । सामाज और पारिवार के लोग अब मुझे एक लेखिका के रूप में देखने लगे हैं । मुझे अहसास हुआ कि अब मैं केवल गृहणी, माँ, पत्नी, भाभी और चाची ही नहीं एक सम्मानित लेखिका भी हूँ । अनेक मंच पर जाकर मैंने लघुकथा पाठ भी किया है । लघुकथा लेखन विधा में कई बार मुझे सम्मान मिल चुका है । जिससे बहुत संतुष्ट मिली। मेरे अंदर का आत्मसम्मान जगा । मुझे साहित्य जगत में अभी बहुत आगे जाने की अभिलाषा है ।

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क्रमांक - 98

पिता : श्री जवाहर लाल राय (पूर्वcmo)
माता : श्रीमति सरोज राय(समाजसेवी, नेत्री)
जीवन साथी :  दिलीप राय (पूर्व न पं अध्यक्ष भेड़ाघाट )
शिक्षा : B.sc. (bio)
रुचि : ठन- पाठन और चित्रकारी के साथ साहित्य की अनेक विधाओं  कविता, कहानी, लघुकथा, संस्मरण, हाइकु, सेदोका, ताॅंका, वर्ण पिरामिड, दोहे,  क्षणिकाएँ आदि का  लेखन।

 
लेखकीय कोना - ( साहित्य मेरी नजर में) : -
"साहित्य सृजन मेरे लिए महज मनोरंजन या समय व्यतीत करने का माध्यम नहीं है। बल्कि एक साधना है। जो पूरे मनोयोग से करती हूँ।क्योंकि सृजन का गुण, मुझे आत्मिक सुकून और आनंद पाने, ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अलौकिक वरदान है।"
साथ ही मेरा लेखन को लेकर नजरिया है कि....
"लेखक होने के लिए,.. सबसे पहले  एक अच्छा पाठक    होना नितांत जरूरी सोपान है।
                           क्योंकि...
सतत् पठन- पाठन हमारे शब्द भंडार में ही वृद्धि नहीं करता है, बल्कि भावों के दायरे को भी विस्तृत करता है।
            
साझा संकलन :-

- इक्कीसवीं सदीं की प्रतिनिधि लघुकथाए
- लघुकथा संगम में पांच लघुकथाओं का प्रकाशन साथ ही संपादक मंडल में सम्मिलित
- जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- मां ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन )
- कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020
- मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
- पड़ाव और पड़ताल के खंड- 32,खंड- 33 में लघुकथाओं का चयन।

सम्मान :-

- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
- फेसबुक पर अनेक साहित्यिक समूहों में आयोजित प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत।
- फेसबुक समूह 'धर्म संसार' द्वारा आयोजित धार्मिक कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान।
- मातृभारती द्वारा स्वाभिमान विषय पर आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में 50 लघुकथाओं में स्थान
- साहित्य संवेद साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- समीक्षा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- अन्तर्राष्ट्रीय  लघुकथा समीक्षा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित अखिलभारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता- 2019 में तृतीय स्थान.
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित नाटक लेखन प्रतियोगिता- 2020 में विशेष स्थान प्राप्त किया.
- साहित्य संगम संस्थान से वीणा पाणी सम्मान,
-  दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान ,
-  नारी मंच संगम सुवास से  दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, - संगम सुवास सम्मान

विशेष : -

- जबलपुर दैनिक अखबार में रचनाओं का प्रकाशन,
- लघुकथा वृत्त में भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन।
-  शब्द अभिव्यक्ति पत्रिका में प्रकाशित कहानियाँ,
-  ई- पत्रिका अविचल प्रवाह में रचनाओं का प्रकाशन, एवं संपादक मंडल में सम्मिलित।
-  बीजेन्द्र जैमिनी जी लघुकथा ब्लॉग में सम्मिलित रचनाएं
-  उदंति पर भी लघुकथा प्रकाशित।
- शैल अग्रवाल जी की बेव- पत्रिका लेखनी के लघुकथा विशेषाॅंक  में पाॅंच लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा. काॅम पर भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन
-  लघुकथा- वापसी का भाषांतर के अंतर्गत गुजराती भाषा में अनुवाद का प्रकाशन।
- मेरी पसंद के अंतर्गत दो लघुकथाओं की समीक्षा प्रकाशित।
- पंजाबी भाषा की प्रतिष्ठित पत्रिका 'मिन्नी' में लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा- कलश, दृष्टि, हिन्दी चेतना, क्षितिज, शैल शूत्र, आदि में लघुकथा प्रकाशित।
- कविता भट्ट जी के संपादन में गद्य कोष में रामेश्वर कांबोज जी की लघुकथा- नवजन्मा की समीक्षा प्रकाशित।
- सहज साहित्य बेवसाइट पर अनेक कविताओं का प्रकाशन

पता : आदर्श होटल , भेड़ाघाट ,
जबलपुर -  483053 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा सीमित शब्दों में लिखी जाने वाली, अर्थात गागर में सागर समाहित करने वाली विधा है.इसलिए इसके सभी तत्व महत्वपूर्ण होते हैं.परंतु कथा तत्व और सकारात्मक संदेश का होना ही लघुकथा की सार्थकता के लिए बेहद जरुरी है.जब तक किसी लिखित विवरण में कथा तत्व मौजूद नहीं होगा तब तक वह विवरण, सत्य घटना, रिपोर्ट या संस्मरण आदि  बनकर ही रह जाएगा.

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी नजर में प्रत्येक लघुकथाकार जो लघुकथा विधा के ककहरे को  समझते हुए लघुकथा को उन्नत करने के लिए  कार्यरत हैं.उसकी भूमिका लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण हैं.वर्तमान समय में देखा जाए तो कई वरिष्ठों  के साथ नवोदित रचनाकार भी इस विधा को उन्नत कर रहे हैं जहाँ वरिष्ठों में रामेश्वर कांबोज हिमांशु जी, सुकेश साहनी जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, योगराज प्रभाकर जी, और अशोक भाटिया जी उल्लेखनीय नाम हैं.

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर -  किसी भी लघुकथा की समीक्षा करना अत्यंत गंभीर कार्य है.समीक्षा ही लघुकथा  और पाठक के बीच में सेतु का कार्य करती है.लघुकथा के  अंतर्निहित उस अनकहे को उजागर करना, जो लघुकथा का मर्म  है, समीक्षक की महती जिम्मेदारी है. साथ ही पाठक के मन में लघुकथा के लिए उपजे प्रश्नों का समाधान देना भी समीक्षक का काम है. समीक्षा के द्वारा लघुकथा के सकारात्मक पहलुओं के साथ उसकी कमियों या नकारात्मक बिंदुओं का भी सधे हुए शब्दों में  उद्धरण करना भी समीक्षक का कार्य होता है.

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के आगमन से साहित्य की सभी विधाओं में उन्नति की है, फिर लघुकथा भी इससे अछूती नहीं है.सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म व्हाट्सएप, फेसबुक, ब्लॉग , यूट्यूब...आदि अनेक प्लेटफार्म ने विधा को आगे बढ़ाने का कार्य किया है.

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा, उपन्यास और कहानी परिवार की सबसे छोटी सदस्य है.गर्व की बात यह है कि अब इसे भी  दोनों की तरह स्वतंत्र पहचान मिल चुकी है.आज लघुकथा अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में केवल फिलर की तरह नहीं बल्कि आवश्यक सामग्री की तरह प्रकाशित की जाने लगी है.लघुकथा का यह स्वर्णिम काल है.सोशल मीडिया ने भी लघुकथा के विकास में महती भूमिका निभाई है.

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कुछ हद तक संतुष्ट हूँ पर पूरी तरह से नहीं..... ऐसा कहा गया है कि 'अति सर्वत्र वर्जयते'.... मुझे  ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के आगमन से वर्तमान में थोक में लघुकथाएँ लिखी और पोस्ट की जा रहीं हैं.जहाँ एक ओर विधा का विकास हुआ है तो कहीं न कहीं विधा को नुक्सान भी हुआ है. सोशल मीडिया पर बने अनेक साहित्यिक समूहों में अपनी रचना पोस्ट करने और वाहवाही पाने की होड़ में लेखक धैर्य खो रहे हैं. परिणाम स्वरूप लघुकथा पर पूर्ण चिंतन मनन न कर कच्ची पक्की कैसी भी कथा पोस्ट कर रहे हैं. अर्थात संख्या की दृष्टि में वृद्धि हो रही है, पर गुणवत्ता के लिए अभी और समय देना होगा.

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि में साहित्य का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.बचपन से ही मुझे पढ़ने में बहुत रुचि थी.जब भी मौका मिलता या फुर्सत के पल होते, मैं अपने किताब के संग बिजी हो जाती थी.यही पढ़ते रहने का हुनर धीरे-धीरे साहित्य लेखन की ओर भी मुझे ले गया.फिर सोशल मीडिया पर अनेक साहित्यिक समूहों में अन्य लेखकों की रचनाएं पढ़ते और अपनी रचनाएं प्रेषित करते हुए आगे बढ़ती गई.

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे परिवार ने सदा ही मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया है.

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरे लिए कोई आजीविका चलाने का साधन नहीं है.मेरे लिए लेखन आत्म संतुष्टि या यूं कहें सुकून पाने का मार्ग है. हाँ कुछ प्रतियोगिताओं में मैंने नगद राशि,पुरस्कार के रुप में अर्जित जरूर की है.पर उनका व्यय में प्रतियोगिताओं में शामिल होने या पुस्तक ग्रह में ही करती हूं.

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी नजर में लघुकथा का भविष्य सुनहरा है. क्योंकि जहाँ वरिष्ठ और नवोदित दोनों ही एक दूसरे का हाथ पकड़,कदम ताल मिलाते हुए लघुकथा के विकास में  अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं. यही समय लघुकथा के विकास का स्वर्णिम काल है.

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य ने मुझे स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए पृष्ठभूमि प्रदान की है. समाज में व्याप्त विसंगतियों और कुरूतियों को देख कर मन खिन्न हो जाता है.मन में भावनाओं का तूफान घुमड़ने  लगता है.तब वही तूफान कलम के रास्ते कागज पर लघुकथा के रूप में जन्मता है. तब मन में एक सुकून और शांति महसूस होती है. 
लघुकथा लेखकों के मध्य लघुकथाकार के रूप में अदना- सा ही सही अपना नाम देखकर गर्व महसूस करती हूँ. साथ ही अनेक लेखकों से जान पहचान ही नहीं हुई है बल्कि उनका सानिध्ध्य और सहयोग भी मिला है ।

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क्रमांक - 99

जन्म : 12 अक्टूबर 1969
जन्मस्थान : पुरैनी,  नगीना , बिजनौर - उत्तर प्रदेश 
माता : श्रीमती विद्यावती  कौशिक
 पिता : डॉक्टर ताराचंद कौशिक
 शिक्षा : इंटर साइंस , बीटीसी, एम .ए .,बी .एड.
संप्रति : जूनियर हाई स्कूल अध्यापिका 
विधा : लघुकथा, कविता, कहानी,संस्मरण, लेख आदि।

साझा संकलन : -
लघुकथा - 2020 ( ई - लघुकथा संकलन )

सम्मान : -

- प्रो. उत्तम चन्द शरर स्मृति सम्मान - 2020 
- गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर सम्मान - 2020
- गोस्वामी तुलसीदास सम्मान - 2020
- बिजनौर - रत्न सम्मान - 2020
- 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
- विश्व कविता दिवस सम्मान - 2021

पता : रंजना हरित  w/o श्री संजय हरित
बी -14 नई बस्ती , निकट सेंट जॉन स्कूल 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व  भाषा  शैली ,शिक्षाप्रद संदेश, संक्षिप्तता  तथा संप्रेषण है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघु साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है?
उत्तर -  समकालीन लघुकथा साहित्य में पांच नाम -
 आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी , डॉ अनिल शर्मा "अनिल ", मीरा जैन, मंजू गुप्ता जी ,सतेंद्र शर्मा तरंग जी ।
           
प्रश्न नं 3 - लघुकथा की समीक्षा में कौन-कौन से  मापदंड होने चाहिए?
उत्तर -  लघु कथा की समीक्षा के मापदंड  लघुकथा की  भाषा शैली ,वर्तमान समस्या के विषय अनुकूल, सक्षिप्तता तथा संदेश प्रद के साथ शिक्षाप्रद भी हो।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के फेसबुक ,व्हाट्सएप, यूट्यूब,  ब्लॉग आदि प्लेटफार्म की महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की 
क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में व्यस्त जीवन   
 चर्या के कारण लघुकथा समस्त पाठको व साहित्यकारों की पहली पसंद बन चुका है ,क्योंकि लघुकथा लिखने में मात्राओं व लय  आदि का ध्यान नहीं रखना पड़ता। तथा कम शब्दों व कम समय में गागर में सागर भर जाता है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से अभी मैं संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि लघुकथा को अभी अपने पूरे मुकाम पर पहुंचना है ।
              
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं शिक्षित, मध्यम परिवार की पृष्ठभूमि से हूं बचपन में भी मुझे नंदन,चंपक वगैरहा पढ़ना अच्छा लगता था ,वर्तमान की पीढ़ी पुस्तकीय ज्ञान से दूर हो गई थी मेरा प्रयास रहेगा कि अपनी लघुकथा में परिवार व समाज से जुड़े हर पहलुओं की समस्याओं के समाधान के संदेशप्रद
 लघुकथा लिखूं।
 
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?
उत्तर - मेरे लेखन में परिवार व समाज महत्वपूर्ण भूमिका
 है क्योंकि परिवार व समाज से जुड़कर ही मैं लघुकथा लिख पाती हूं।
 
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या
स्थिति है?
 उत्तर -  मेरा लेखन मेरी आजीविका के लिए टॉनिक का काम करता है ,क्योंकि मेरी कलम मेरे जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर जीविकोपार्जन के लिए तैयारी भी तो करती है।
 
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का  भविष्य कैसा
 होगा?
उत्तर  - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य साहित्य जगत   
में प्रमुख विधा के रूप में चमकेगा। क्योंकि यह विधा   
ही वो विधा है जिसमें शिक्षाप्रद संदेश व प्रेरणा दायक  ऊर्जा  संक्षेप में मिल जाती है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य में आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से मुझे समाज की छोटी-बडी घटना से लेकर शिक्षाप्रद संदेश भी मेरी कलम को  ऊर्जा तथा साहित्य जगत में जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
 तथा जो बातें हम प्रत्यक्ष रूप से किसी के सामने नहीं रख सकते अप्रत्यक्ष रूप से लघु कथा के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत कर देते हैं।
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क्रमांक - 100

जन्मतिथि : 20 मार्च 1961
पति : श्री प्रदीप गुप्ता (रिटायर्ड सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर)
शैक्षणिक योग्यता : बी.एससी., एम.ए.(अंग्रेजी), सी.लिब., बी.एड.
लेखन विधा : लेख,  लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, ब्लॉग
संप्रति : जयपुर के प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में 17 वर्षों के कार्यकाल  के उपरांत प्रधानाध्यापिका  के पद से सेवानिवृत।

लेखन विधा : -
लेख,  लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, ब्लॉग

विशेष -
- अनेक  पत्र पत्रिकाओं तथा प्रतिष्ठित समाचारपत्रों
में लघुकथाओं, कहानियों तथा लेखों का निरंतर प्रकाशन।
- प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, मातृभारती पर लघुकथाएँ एवं कहानियां प्रकाशित।
dusbus.com पर 120 से अधिक लेखों एवं कहानियों का  प्रकाशन।
- कुछ लघुकथा संकलनों यथा समय की दस्तक, बाल मन की लघुकथाएँ, स्वरांजली में कुछ लघुकथाएँ प्रकाशित।
-  कई वार्ताएं आकाशवाणी, गुवाहाटी से प्रसारित
- संगीत सुनना एवं लेखन

पता : जी-2, प्लाट नंबर - 61, रघु विहार, महारानी फार्म, दुर्गापुरा, जयपुर - राजस्थान

प्रश्न न.1 लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर - जितना मैं लघुकथा के विषय में समझ पाई हूं, लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है,लघुता के माध्यम से व्यापकता की ऐसी अभिव्यक्ति, जो अपनी लघुता में सिमटी संदर्भगत संवेदना की गहनता के दम पर मन के तारों को छू सके और उसे चिंतन के लिए झकझोर सके।


प्रश्न न.2 समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।

उत्तर - सम्मानीय बलराम अग्रवाल जी, सम्मानीय योगराज प्रभाकर जी, सम्मानीय सतीश राज पुष्करणा जी, सम्मानीय बीजेंद्र जैमिनी जी एवं सम्मानीया कांता राय जी ने साहित्य की इस विधा को समृद्ध करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इस संदर्भ में मैं आदरणीया  कांता रॉयजी का नाम लेना चाहूंगी, जिन के सानिध्य में मैंने लघुकथा लेखन की राह पर पहला कदम रखा, और उनके मार्ग निर्देशन में सतत आगे बढ़ती गई। कांताजी लघुकथा के क्षेत्र में एक मूर्धन्य साहित्यसेवी हैं, जो इस विधा को समृद्ध करने की दिशा में तन मन धन से अपना बेशकीमती नि:स्वार्थ योगदान दे रही हैं।


प्रश्न न.3 लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?

उत्तर - मेरे मत से एक सार्थक लघुकथा वही है जिसके माध्यम से कहा जाने वाला कथ्य कथानक के अनुकूल हो। 

इसके अतिरिक्त समीक्षक द्वारा यह देखा जाना चाहिए कि पंच लाइन से निकला कथ्य स्पष्ट है या नहीं, और यह पाठकों के मन की माटी में चिंतन के बीज बो रहा है या नहीं। उन्हें सोचने के लिए झकझोर रहा है या नहीं। 

इसके साथ ही लघुकथा यथार्थ का परिचायक हो। इसकी पृष्ठभूमि में कोई अपवाद ना हो। समीक्षक को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि लघुकथा एक इकहरे भाव को लेकर रची गई हो और न्यूनतम शब्दों में कोई गंभीर और गहरी बात कही गई हो। 


प्रश्न न.4 लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर - विभिन्न ईपत्रिकाएँ, साहित्यिक पोर्टल, फेसबुक एवं व्हाट्सऐप , ब्लॉग


प्रश्न न.5 आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?

उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में यदि कहा जाए कि लघुकथा सम्मानजनक स्थिति में है, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी । आज की व्यस्त आपाधापी भरी जिंदगी में व्यस्त से व्यस्त व्यक्ति लघुकथाओं को अखबारों, पत्रिकाओं, ईपत्रिकाओं, फेसबुक, व्हाट्साऐप समूहों  में उनके छोटे आकार के कारण पढ़ लेता है, जबकि आज उसके पास कहानी, उपन्यास आदि को पढ़ने का समय ही नहीं होता। अतः वक्त के साथ इसकी लोकप्रियता का ग्राफ़ निरंतर बढ़ता जा रहा है।


प्रश्न न.6 लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?

उत्तर - आज आवश्यकता इस बात की है कि लघुकथाकार जिंदगी के अनछुए पहलुओं और सर्वकालिक विषयों पर भी अपनी लेखनी चलाएं, और ऐसी लघुकथा रचें जिनका कथानक अभिनव हो। यदि ऐसा हो, तभी अधिक से अधिक पाठक अपने रुझान के अनुरूप लघुकथाएं पढ़ने में अपना समय देंगे।


प्रश्न न.7 आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आई हैं? बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं?

उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार मैं पली-बढ़ी हूं, जहां बच्चों के मानसिक विकास के लिए पुस्तकों को बहुत अहम माना जाता था। मेरे माता-पिता दोनों ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि हम शुरुआती बचपन से स्तरीय साहित्य पढ़ें। मुझे याद नहीं, मेरे पिता कभी कोई हल्की पुस्तकें घर में लाए हों। मेरी किशोरावस्था और बचपन  शिवानी, प्रेमचंद, अमृता प्रीतम, भगवती चरण वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, आचार्य चतुरसेन, रबींद्र नाथ टैगोर, शरत चंद्र आदि  की रचनाओं  को पढ़ते बीता।


प्रश्न न.8 आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है?

उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की महत  भूमिका रही है। विवाह से पूर्व माता-पिता ने लेखन के लिए भरपूर प्रोत्साहन दिया। मेरी मां मुझे लिखने पढ़ने में व्यस्त देखकर कभी कोई घरेलू काम नहीं बताती थीं। विवाह के बाद पति ने कभी लेखन की राह में किसी भी तरह की कोई बंदिश नहीं लगाई। उनके बेशर्त प्रोत्साहन और सहयोग की वजह से ही अब रिटायरमेंट के पश्चात मैं दिन भर में 5 से 8 घंटे रोज़ाना लेखन को दे पाती हूं। मेरी दो बेटियां भी मुझे लिखने के लिए सतत प्रेरित करती हैं। मेरे भाई बहन भी मेरी हर रचना को पढ़ते हैं, और उस पर चर्चा करते हैं ।


प्रश्न न.9 आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?

 उत्तर - मात्र साहित्य सेवा ही मेरा उद्देश्य है।


प्रश्न न.10 आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?

 उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य बेहद उज्जवल है, क्योंकि आज की भागमभाग भरी जिंदगी में जब सोशल मीडिया के विभिन्न पक्षों जैसे टीवी, व्हाट्सऐप, फेसबुक, टि्वटर आदि ने लोगों के समय के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा कर रखा है, लोगों का साहित्य पढ़ने का समय कम से कम होता जा रहा है। लेकिन वह फिर भी पत्र पत्रिकाएँ, फ़ेससबुक अथवा व्हाट्सऐप समूहों में लघुकथाएं पढ़ लेते हैं। इस तरह लघुकथा की पाठक संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो इसके आशाजनक भविष्य का शुभ संकेत देती है। 


प्रश्न न.11 लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर - लघुकथा साहित्य रचना से मुझे निरंतर नियमित रूप से लेखन कर पाने की खुशी और आत्मिक संतुष्टि हासिल हुई है।

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जन्म : 03 जून 1965

शिक्षा : एम ए हिन्दी , पत्रकारिता व जंनसंचार विशारद्
             फिल्म पत्रकारिता कोर्स
            
कार्यक्षेत्र : प्रधान सम्पादक / निदेशक
               जैमिनी अकादमी , पानीपत
               ( फरवरी 1995 से निरन्तर प्रसारण )

मौलिक :-

मुस्करान ( काव्य संग्रह ) -1989
प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) -1990
त्रिशूल ( हाईकू संग्रह ) -1991
नई सुबह की तलाश ( लघुकथा संग्रह ) - 1998
इधर उधर से ( लघुकथा संग्रह ) - 2001
धर्म की परिभाषा (कविता का विभिन्न भाषाओं का अनुवाद) - 2001

सम्पादन :-

चांद की चांदनी ( लघुकथा संकलन ) - 1990
पानीपत के हीरे ( काव्य संकलन ) - 1998
शताब्दी रत्न निदेशिका ( परिचित संकलन ) - 2001
प्यारे कवि मंजूल ( अभिनन्दन ग्रंथ ) - 2001
बीसवीं शताब्दी की लघुकथाएं (लघुकथा संकलन ) -2001
बीसवीं शताब्दी की नई कविताएं ( काव्य संकलन ) -2001
संघर्ष का स्वर ( काव्य संकलन ) - 2002
रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी ( समारोह संकलन ) -2002
हरियाणा साहित्यकार कोश ( परिचय संकलन ) - 2003
राजभाषा : वर्तमान में हिन्दी या अग्रेजी ? ( परिचर्चा संकलन ) - 2003

ई - बुक : -
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लघुकथा - 2018  (लघुकथा संकलन)
लघुकथा - 2019   ( लघुकथा संकलन )
नारी के विभिन्न रूप ( लघुकथा संकलन ) - जून - 2019
लोकतंत्र का चुनाव ( लघुकथा संकलन ) अप्रैल -2019
मां ( लघुकथा संकलन )  मार्च - 2019
जीवन की प्रथम लघुकथा ( लघुकथा संकलन )  जनवरी - 2019
जय माता दी ( काव्य संकलन )  अप्रैल - 2019
मतदान ( काव्य संकलन )  अप्रैल - 2019
जल ही जीवन है ( काव्य संकलन ) मई - 2019
भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( काव्य संकलन )  मई - 2019
लघुकथा - 2020 ( लघुकथा का संकलन ) का सम्पादन - 2020
कोरोना ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2020
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन-2020
पशु पक्षी ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन- 2020
मन की भाषा हिन्दी ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2021
स्वामी विवेकानंद जयंती ( काव्य संकलन )का सम्पादन - 2021
होली (लघुकथा संकलन ) का सम्पादन - 2021
मध्यप्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
हरियाणा के प्रमुख लघुकथाकार (ई - लघुकथा संकलन ) -
2021
मुम्बई के प्रमुख हिन्दी महिला लघुकथाकार (ई लघुकथा संकलन ) - 2021
दिल्ली के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- महाराष्ट्र के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
- उत्तर प्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- भोपाल के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
- हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

बीजेन्द्र जैमिनी पर विभिन्न शोध कार्य :-

1994 में कु. सुखप्रीत ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लालचंद गुप्त मंगल के निदेशन में " पानीपत नगर : समकालीन हिन्दी साहित्य का अनुशीलन " शोध में शामिल

1995 में श्री अशोक खजूरिया ने जम्मू विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजकुमार शर्मा के निदेशन " लघु कहानियों में जीवन का बहुआयामी एवं बहुपक्षीय समस्याओं का चित्रण " शोध में शामिल

1999 में श्री मदन लाल सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी के निदेशन में " पानीपत के लघु पत्र - पत्रिकाओं के सम्पादन , प्रंबधन व वितरण " शोध में शामिल

2003 में श्री सुभाष सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. रामपत यादव के निदेशन में " हिन्दी लघुकथा : विश्लेषण एवं मूल्यांकन " शोध में शामिल

2003 में कु. अनिता छाबड़ा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लाल चन्द गुप्त मंगल के निदेशन में " हरियाणा का हिन्दी लघुकथा साहित्य कथ्य एवम् शिल्प " शोध में शामिल

2013 में आशारानी बी.पी ने केरल विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. के. मणिकणठन नायर के निदेशन में " हिन्दी साहित्य के विकास में हिन्दी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं का योगदान " शोध में शामिल

2018 में सुशील बिजला ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा , धारवाड़ ( कर्नाटक ) के अधीन डाँ. राजकुमार नायक के निदेशन में " 1947 के बाद हिन्दी के विकास में हिन्दी प्रचार संस्थाओं का योगदान " शोध में शामिल

सम्मान / पुरस्कार

15 अक्टूबर 1995 को  विक्रमशिला हिन्दी विद्मापीठ , गांधी नगर ,ईशीपुर ( भागलपुर ) बिहार ने विद्मावाचस्पति ( पी.एच.डी ) की मानद उपाधि से सम्मानित किया ।

13 दिसम्बर 1999 को महानुभाव विश्वभारती , अमरावती - महाराष्ट्र द्वारा बीजेन्द्र जैमिनी की पुस्तक प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) को महानुभाव ग्रंथोत्तेजक पुरस्कार प्रदान किया गया ।

14 दिसम्बर 2002 को सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी , खण्डवा - मध्यप्रदेश द्वारा इक्कीस हजार रुपए का आचार्य सत्यपुरी नाहनवी पुरस्कार से सम्मानित

14 सितम्बर 2012 को साहित्य मण्डल ,श्रीनाथद्वारा - राजस्थान द्वारा " सम्पादक - रत्न " उपाधि से सम्मानित

14 सितम्बर 2014 को हरियाणा प्रदेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा के क्षेत्र में इक्कीस सौ रुपए का श्री रमेशचन्द्र शलिहास स्मृति सम्मान से सम्मानित

14 सितम्बर 2016 को मीडिया क्लब , पानीपत - हरियाणा द्वारा हिन्दी दिवस समारोह में नेपाल , भूटान व बांग्लादेश सहित 14 हिन्दी सेवीयों को सम्मानित किया । जिनमें से बीजेन्द्र जैमिनी भी एक है ।

18 दिसम्बर 2016 को हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा सेवी सम्मान से सम्मानित

अभिनन्दन प्रकाशित :-

डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : बिम्ब - प्रतिबिम्ब
सम्पादक : संगीता रानी ( 25 मई 1999)

डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : अभिनन्दन मंजूषा
सम्पादक : लाल चंद भोला ( 14 सितम्बर 2000)

विशेष उल्लेख :-

1. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से प्रतिवर्ष अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन

2. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से प्रतिवर्ष अखिल भारतीय हिन्दी हाईकू प्रतियोगिता का आयोजन । फिलहाल ये प्रतियोगिता बन्द कर दी गई है ।

3. हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , आंध्रप्रदेश , उत्तराखंड , छत्तीसगढ़ , पश्चिमी बंगाल आदि की पंचास से अधिक संस्थाओं से सम्मानित

4. बीजेन्द्र जैमिनी की अनेंक लघुकथाओं का उर्दू , गुजराती , तमिल व पंजाबी में अनुवाद हुआ है । अयूब सौर बाजाखी द्वारा उर्दू में रंग में भंग , गवाही , पार्टी वर्क , शादी का खर्च , चाची से शादी , शर्म , आदि का अनुवाद हुआ है । डाँ. कमल पुंजाणी द्वारा गुजराती में इन्टरव्यू का अनुवाद हुआ है । डाँ. ह. दुर्रस्वामी द्वारा तमिल में गवाही , पार्टी वर्क , आर्दशवाद , प्रमाण-पत्र , भाषणों तक सीमित , पहला वेतन आदि का अनुवाद हुआ है । सतपाल साहलोन द्वारा पंजाबी में कंलक का विरोध , रिश्वत का अनुवाद हुआ है ।
5. blog पर विशेष :-
            शुभ दिन - 365 दिन प्रसारित
            " आज की चर्चा " प्रतिदिन 22 सितंबर 2019 से प्रसारित हो रहा है ।
6. भारतीय कलाकार संघ का स्टार प्रचारक
7. महाभारत : आज का प्रश्न ( संचालन व सम्पादन )
8. ऑनलाइन साप्ताहिक कार्यक्रम : कवि सम्मेलन व लघुकथा उत्सव ( संचालन व सम्पादन )
9. भारतीय लघुकथा विकास मंच के माध्यम से लघुकथा मैराथन - 2020 का आयोजन
10. #SixWorldStories की एक सौ एक किस्तों के रचनाकार ( फेसबुक व blog पर आज भी सुरक्षित )
11. स्तभ : इनसे मिलिए ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकाशित )
     स्तभ : मेरी दृष्टि में ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकशित )

पता : हिन्दी भवन , 554- सी , सैक्टर -6 ,
          पानीपत - 132103 हरियाणा
          ईमेल : bijender1965@gmail.com
          WhatsApp Mobile No. 9355003609
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Comments

  1. Replies
    1. अच्छा जोड़ भाग बना है नये पुराने रचनाकारों को जोड़कर। लगभग सभी लघुकथाकारों के एक से ही उत्तर हैं और इसका कारण है एक से प्रश्न। सभी को तो नहीं पढ़ पाए, परन्तु जिन लोगों को मैंने पढ़ा है, उनमें से किसी ने भी डॉक्टर महाराज कृष्ण जैन की चर्चा नहीं की जबकि शुभ तारिका का बहुत बड़ा योगदान है लघुकथा के क्षेत्र में। चलिए सभी का अपना अपना मत है। इसी तरह मेरा भी अपना मत है। बहरहाल आपका काम महत्वपूर्ण है। बढ़ते रहिए।

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    2. This comment has been removed by the author.

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    3. आदरणीय चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री , पंचकूला - हरियाणा ने अपने साक्षात्कार में आदरपूर्वक डॉ. महाराज कृष्ण जैन जी उल्लेख किया है ।

      Delete
  2. सर्वप्रथम तो इस सम्मान के लिए आभार आपका।
    साक्षात्कार के जरिए जो सर्वे आपने किया है वह सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए बहुत बहुत बधाई।
    एवं मुझे जो मान आप सभी ने दिया है उसके लिए भी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।

    बहुत दिनों से बीजेन्द्र जैमिनी जी के लिए मन में कुछ बातें घूम रही थी। आज इस मौके पर कहना उचित प्रतीत हो रहा है।

    बीजेन्द्र जैमिनी : मेरी नजर में एक समर्पित लघुकथाकार

    लघुकथा के प्रति रुचि होना, पढ़ते हुए अच्छी लघुकथाओं का सार सम्भाल करने की इच्छा जागृत होना, उसके लिए विभिन्न तरीकों से विचार करने के उपरांत मूर्त रूप देने के लिए उस पर चल पड़ना, लघुकथा के लिए काम करते हुए नवीन ऊर्जा का संचार महसूस करना ही लघुकथा के लिए समर्पित एक अच्छे कार्यकर्ता की पहचान है।
    यह पहचान आज के कार्यों को देखते हुए नहीं बल्कि हमने बीजेंद्र जैमिनी के कार्यों में विविधता और निरंतरता देखने के बाद बनाया है।
    पिछले 7 सालों से लगातार लघुकथा के क्षेत्र में कुछ ना कुछ करते हुए उन्हें पाया है। कभी तो वह किसी विषय विशेष को लेकर लोगों से लघुकथाएं मंगवाते हैं और कभी अन्य जानकारी।
    फिर उन सामग्रियों को संयोजित कर तरीके से अपने ब्लॉग पर स्थान देना। सालों निर्बाध गति से बिना किसी अपेक्षा के अपने काम में लगे हुए बीजेन्द्र जैमिनी मुझे दशरथ मांझी के समान लगते हैं।
    पूर्व में लघुकथा में कार्य करते हुए कई बार ऐसा भी हुआ कि जब कभी मुझे किसी व्यक्ति विशेष की लघुकथा पर बात करने की जरूरत महसूस हुई थी तब मैंने गूगल क्रोम में जाकर उस व्यक्ति के नाम से लघुकथाएं ढूंढने की कोशिश की। सर्च करने पर वह लघुकथा जो सोशल मीडिया पर समूहों में नहीं मिल रहा था जो मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन में उपलब्ध नहीं हो पाया था वह मुझे बीजेंद्र जैमिनी के ब्लॉग पर आसानी से मिल गया। उस दिन यह एक बड़ी बात थी मेरे लिए।
    उस दिन मैंने इस ब्लॉग पर संकलित लघुकथाओं की उपादेयता को समझा था।
    कुछ ऐसे रचनाकार जो फेसबुक, वेबसाइटों पर बहुत कम या नहीं के बराबर सक्रिय होते हैं, उनकी रचनाएँ व्हाट्सएप पर सम्पर्क कर उनसे मांगी जाती है तो वे आसानी से प्रेषित कर देते हैं।
    ये रचनाएं पाठकों, शोधकर्ताओं, संपादकों के साथ ही आलोचना के लिए सामग्री तलाशने वालों को भी सहज सुलभ हो जाया करती है।
    हम सब जानते हैं कि किसी भी संग्रह, संकलन, पत्र पत्रिकाओं का उद्देश्य पाठकों तक रचनात्मक कार्यों को पहुंचाया जाना ही मुख्य रूप से है।
    हम सब जानते हैं कि प्रिंट मीडिया में प्रकाशन का खर्च हम लेखकों पर बहुत भारी पड़ता है। प्रकाशन चाहे में प्रिंट मीडिया के माध्यम से हो अथवा अंतर्जाल पर उपलब्ध माध्यमों से, रचनाओं को सुरक्षित रखना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। सामग्रियों का दस्तावेजीकरण होना महत्वपूर्ण है। उसे किस तरह से किया जा रहा है वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है।
    बीजेद्र जैमिनी का कार्य इस लिए भी अधिक महत्व रखता है कि उनका उद्देश्य लघुकथा है। वे व्यक्ति विशेष के लिए काम नहीं करते। वे अपनी योजनाओं के संदर्भ में विज्ञप्ति जारी करते हैं। उनके साथ जो जुड़ता है, वे उन्हें साथ में लेकर आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए चलते रहते हैं।
    आपने जिस तरह से अपने कार्य को अंजाम दिया है यह बात मुझे बहुत प्रभावित करती है।
    मैं अपनी व्यस्तता के चलते आपको अपना साक्षात्कार नहीं भेज सकी इसका मुझे अफसोस है।
    आपने जिस पथ का चुनाव किया है उस पथ पर सदा अग्रसर रहें यह कामना करती हूँ। - कान्ता रॉय
    ( फेसबुक से साभार )

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  3. नमस्कार बीजेन्द्र जी 🙏
    आपने देश के सभी प्रांतों के साहित्यकारों को अपने ब्लॉग में केवल स्थान ही नहीं दिया अपितु उनका आत्मीय परिचय के साथ विभिन्न विषयों पर उनके विचारों को भी सम्मान दिया ! मैं अपने आप को आपसे जुड़कर बहुत ही गौरवान्वित महसूस करती हूं! इतने लोगों का साक्षात्कार ग्यारह प्रश्नों को दे लेना कोई मामूली नहीं जो आपने कर दिखाया ! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹
    लघुकथा के क्षेत्र में आपका यह भागीरथी प्रयास अभूतपूर्व है ! आपके इस संकलन में मैं भी शामिल हूं! मैं बहुत खुश हूँ ! इसके लिए में आपका तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार करती हूँ!
    धन्यवाद 🙏
    - चन्द्रिका व्यास , मुम्बई - महाराष्ट्र
    ( WhatsApp से साभार )

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