सीमा वर्णिका से साक्षात्कार

जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : बी.एस.सी, एम.ए.(अंग्रेजी साहित्य),एम.एड ,आई. जी. डी. (बाम्बे ),सत्यार्थ विशारद आदि।

प्रकाशित पुस्तक : -

'अभिव्यंजना' एकल काव्य संग्रह ( वर्ष 2021)

सम्पादन : -

'पारिजात' साझा काव्य संग्रह (प्रकाशित वर्ष  2020)

सम्मान : -

- महादेवी वर्मा जी सम्मान,
- उत्तर प्रदेश पुरुषार्थी विभूति सम्मान,
-  काव्यश्री सम्मान,
-  शक्ति स्वरूपा प्रणयन सम्मान,
-  नारी गौरव सम्मान,
-  सद्भावना सम्मान,
-  बसंत श्री सम्मान,
-  साहित्य ज्योति सम्मान,
-  साहित्य संगम सलिला सम्मान,
-  श्रेष्ठ समालोचक सम्मान
-  शब्द कमल सम्मान,
-  श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान,
-  काव्य कुंदन सम्मान,
-  दोहा दिवाकर सम्मान
-  काव्य विवेचक सम्मान
-  लघुकथा शिरोमणि सम्मान,
-  श्रेष्ठ बुद्ध  पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश नारी गौरव सम्मान 
- 75वें स्वतन्त्रता दिवस पर तथा गणतंत्र दिवस पर दो बार साहित्य सम्मान( मेडल व प्रशस्ति पत्र )प्
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला स्मृति सम्मान

विशेष : -

- शिक्षिका ,कवयित्री ,लेखिका, चित्रकार ,समीक्षक, समालोचक
- शहर समता विचार मंच महिला गोष्ठी कानपुर इकाई जिलाध्यक्ष
-लगभग 11वर्ष की उम्र से लिखना प्रारम्भ किया था। कुछ वर्षों पश्चात कलम ठहर गयी और प्रारंभ हुआ दायित्वों का दौर । पुनः कलम उठायी है और चल पड़े हैं साहित्य की अनंत यात्रा की ओर ।
- अन्य साझा संग्रह : मनोगत ,साझा स्वप्न , कथार्चना ,मिट्टी की सुगंध
-लघुकथा साझा संकलन : उम्मीद की किरण , सिरफिरे पंरिदे , जज्बात का समंदर

पता :
67-इनकॅम टैक्स हाउसिंग सोसायटी विनायक पुर ,
कानपुर-208024 उत्तर प्रदेश - भारत

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर - 11वर्ष की उम्र से लिखना आरंभ किया । दैवीय प्रेरणा से लिखना आरंभ किया था और माता पिता ने बहुत प्रोत्साहित किया।

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - पहली रचना बुंदेलखंड के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में फिर मुंबई से प्रकाशित होने वाली  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पत्रिका 'काॅलीग' में मेरी कविताएँ छपी।

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, चौपाई, आल्हा छंद, लेख, कहानी, लघुकथा आदि विधाओं में सहजता से सृजन करती हूँ। सबसे अधिक तुकान्त कविता लिखती हूँ।

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - साहित्य सृजन मात्र रूचि का विषय नहीं यह एक समाज के प्रति दायित्व भी है आने वाली पीढ़ियों को दिशा-निर्देश, अनुभवों की अथाह सम्पदा व समाज की झलक देता है। मेरा समाज को स्पष्ट संदेश है कि आपका भाग्य, जीवन और आने वाले कई जन्मों का निर्धारण आपके कर्म व संस्कार के अनुसार होता है यदि आपके कर्म व संस्कार अच्छे हैं तो आपको सौभाग्य की सहज प्राप्ति होती है और विपत्तियाँ सरलता से पार हो जातीं हैं।

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर - अरूंधति राॅय ,चेतन भगत
फाइव प्वॉइंट समवन (चेतन भगत)
द गाॅड ऑफ स्मैल (अरूंधति रॉय)

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर - फिलहाल कोई नहीं

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - वर्तमान में कवि सम्मेलनों पर फिल्मीकरण का भूत सवार हो गया है जिससे कभी कभी कविता, गीत व ग़ज़ल की उत्कृष्टता का अभाव दृष्टिगत होता है केवल प्रस्तुतिकरण पर जोर रहता तथा चुटकुलेवाजी तथा जुमलेवाजी भी मिलती है।

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब है । फेसबुक साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए सहज साधन बन गया है इसके लाभ भी हैं साथ ही हानियाँ भी। इससे किताबों को पढ़ने की रूचि घटी है।साहित्य का स्तर घटा है साहित्यिक समूह पटल पर भीड़ जमा करने के लिए निम्न स्तरीय रचनाएँ भी पुरस्कृत की जाती हैं। दूसरी ओर दुनिया मुट्ठी में आ गयी है एक साधारण से भी साहित्य साधक को पहचान बनाने के लिए संघर्ष नहीं करना होता। पहचान मिलती है। सीखने के अवसर सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं।

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजकल पुरस्कार योग्यता का मापदंड नहीं रह गये हैं । पहुँच वालों को मिलते हैं इनाम। बहुत सारे लोगों को तो पता ही नहीं होता । वह आवेदन तक से वंचित रह जाते हैं। 

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - यूँ तो जीवन में अक्सर ही कुछ न कुछ घटता रहता है और नित मस्तिष्क सबक सीखने की प्रक्रिया में रहता है। फिर भी जीवन में कुछ बड़ा घट जाता है और जीवन यात्रा की दिशा बदल देता है।  कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण मेरी नौकरी चली गई । मेरा मन विक्षिप्त सा हो गया था मनःस्थिति रेत सरीखी हो गयी थी कण-कण बिखरा था ।एक बुद्धिजीवी से एक मानसिक रोगी के रूप में पहचान होने लगी। कोई नहीं समझता था मन मस्तिष्क की हालत । लगने लगा था कि घर की चार दीवारी में गुमनामी की मौत मर जाएंगे । मेरे मन ने कभी हारना नहीं सीखा था मेरी सकारात्मक सोच रोज हिम्मत बँधाती । एक दिन लगभग 20साल की लम्बे अंतराल के बाद हमने कागज कलम उठा लिया। अब तक तो कलम चलना भूल गयी थी । गिरते पड़ते डगमगाती कलम जल्दी ही सधने लगी और निरंतर प्रयास ने कलम को गति दे दी ।आज परिणाम स्वरूप सीमा सक्सेना  सीमा वर्णिका के रूप में आपके समक्ष है।

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार का सहयोग ही हमें आगे बढ़ने में  सहायक होता है।  सभी परिवार के सदस्यों से यथोचित सहयोग प्राप्त होता है हालांकि अन्य कोई साहित्य से जुड़ा नहीं है। 

          

         

                      


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