भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश" से साक्षात्कार

जन्म स्थान:- बजही,खोदावन्द पुर , बेगूसराय - बिहार
पिता का नाम:- श्री उमेश चौरसिया
माता का नाम:-श्रीमति जानकी देवी

शिक्षा: उत्तर मध्यमा से दशवीं उत्तीर्ण,मंडन मिश्र संस्कृत महाविद्यालय संजात बेगूसराय बिहार।

सम्प्रति :-
वर्तमान में गुड़गांव हरियाणा में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यरत।

विशेष : -

- अभी तक कोई पुरस्कार प्राप्त नहीं है। हां मैथिली भाषा के लिए एक बार सांत्वना पुरस्कार मिला था। कोई किताब प्रकाशित नहीं लेकिन अलग अलग मैथिली व हिन्दी भाषा के पुस्तक व पत्रिकाओं में प्रकाशित होना जारी है।

वर्तमान पता :
भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
२८८/२२, गली नंबर ६एच , निकट हनुमान मंदिर, गांधी नगर गुरूग्राम हरियाणा:-१२२००१

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?

उत्तर:- सत्रह साल की उम्र में सन १९९२.

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर:- पहली रचना नेहरू प्लेस दिल्ली से प्रकाशित पत्रिका 'पिटारा' में एक लघुकथा प्रकाशित हुई। यह पत्रिका मुझे बहुत अच्छा लगा था। प्रकाशक ने लेखकों से आग्रह किया था कि पाठक भी इस पत्रिका को अपनी रचना भेज सकते हैं। और पहली बार जो मन में आया लिख दिया और प्रकाशित हो गया। किसी ने मुझे प्रोत्साहित नहीं किया था। शीर्षक था "मेरे जैसा".

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पसंद करते हैं ?
उत्तर:- लघुकथा, कविता पैरोडी क्षणिकाएं। हाइकु भी कभी कभार लिख लेते हैं। लघुकथा मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करता है लिखना और पढ़ना दोनों।

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर:- साहित्य हमें मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना की शिक्षा देता है। साहित्य समाज का सजीव चित्र है जो कि शब्दों के माध्यम से विभिन्न लेखकों द्वारा अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर:- जीवन एक खोज-त्रिलोकचंद छावड़ा, मिट्टी के दीए- आचार्य ओशो रजनीश, देहाती दुनिया-आचार्य शिवपूजन सहाय, मां- मैक्सिम गोरकी,गवन - ईदगाह मुंशी प्रेमचंद!

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर:-अवसर मिला लेकिन उपस्थित नहीं हुए।

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर:- अब कवि सम्मेलन में कविता नहीं चुटकुला सुनाया जाता है इसलिए जाना छोड़ दिया। अब कविता पाठ पहले जैसा नहीं है। भर दो झोली मेरे ऐ मोहम्मद दर से खाली न जाए कोई सवाली।

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर:- मेरी नजर में साहित्य समाज का न दिखने वाला वह आईना जो कागज पर लिखा होता और लोग पढ़कर समाज के संबंध में ज्ञान अर्जित करते हैं। फेसबुक आज के समय में सबसे सुलभ साधन है जैसे चट मंगनी पट ब्याह, अभी लिखो और अभी प्रकाशित न किसी प्रकाशक से जी हजूरी करने और न ही छपने के लिए पैसे देने की जरूरत। बिल्कुल स्वतंत्र बिल्कुल नि: शुल्क।

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर:- दयनीय चाटुकारिता ने लील लिया है जिसे नहीं मिलना चाहिए उसे सबसे पहले मिलता है।

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर:-उसके लिए विस्तार से लिखना पड़ेगा। यहां संभव नहीं चुकी संस्मरण बहुत हैं लेकिन लिखने का समय नहीं है। लोग जल भून जाएंगे।

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- अनपढ़ पत्नी से हमेशा ताना मिलता रहा लेकिन अनपढ़ मां से प्रोत्साहन क्योंकि किसी किताब या पत्रिका में प्रकाशित मेरी फोटो उसे बहुत पसन्द है। पिता जी पढ़ना जानते हैं तो पढ़कर अपने सागिरदों से चर्चा करते हैं बहुत अच्छा लगता है।



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